भाग -7
आंधी के झोंके की घटना के बाद कमरे में खामोशी छा गयी
मैं भी कमरे के अंदर चुपचाप और सर बाहर हॉल में चुपचाप थे
मेरी समझ में नहीं आ रहा था की ये खामोशी कैसे टूटेगी क्योंकि रात का साया बढता जा रहा था और बारिश भी काफी तेज हो गई थी
कुछ देर बाद....
मेहता सर - अंजू
और सर ने आवाज लगाई
मैं जवाब नहीं दे सकी, मुझमें हिम्मत ही नहीं हो रही थी,
सर ने दुबारा आवाज दी और कहा
मेहता सर - अंजू आई एम सॉरी, ये एकदम से अचानक हो गया की.. मैं बहुत शर्मिंदा हूं
सर के आवाज में डर की झलक थी,
उनकी बाते सुनकर मेरे अंदर थोडी हिम्मत जगी और सोचा की इसमें किसी की गलती नहीं है हमदोनो में से ये तो दुर्भाग्यवश बस एक संयोग था
सर - क्या तुम नाराज हो अंजू
मैं (अंदर से ही) - जी नहीं
सर- अच्छा, तुमने चेंज कर लिया क्या
मैं - हां सर जी
सर- तो अब बाहर आ जाओ
मैं - नहीं
सर- क्यों अब क्या परेशानी है
मैं क्या करू मेरा दिल दिमाग कुछ भी काम नहीं कर रहा था क्योंकि मैनें जो कपड़े बदलने के बाद पहना है उसमें तो मेरे जिस्म की नुमाइश ज्यादा हो रही थी
वो एक पारदर्शी साडी पहनी थी मै, न तो ब्लाउज थी न ही ब्रा
मेहता सर ने भी पत्नी के गुजर जाने के बाद दूसरी शादी नहीं किया था और आज पहली बार किसी जवान, खूबसूरत लड़की को इतनी नजदीक से देखेंगे तो और वो कैसे रोक पायेगें अपने आप को
इन्हीं सब बातो को सोच रही थी की.......
मेहता सर - कोई बात नहीं, क्या मैं अंदर आ सकता हूँ
मैं -मकान तो आपका ही सर, आप कहीं भी आ सकते हैं अपके मकान में मैं भला क्यो मना करूंगी
ये सुनकर मेहता सर ने.......
सर- ठीक है कहकर.......
मेहता सर की तो मानो मन की मुराद पूरी हो गई
मेहता सर ने धीरे से दरवाजे पर दस्तक दी और किवाड़ को बडे ही आहिस्ता से खोला
मैं अंदर ही थी पर मेरी गोरी पीठ दरवाजे की ओर थी
सर- अंजू शरमाने की जरूरत नहीं है ये तो इत्तेफाक है की बरसात रूक ही नहीं रही वरना मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ दिया रहता
मैं - कोई बात नहीं सर मैं एडजस्ट कर लूंगी
एैसा बोल कर सर के सामने अपना फेस किया
मुझे देखते ही मेहता सर की ऑखें चमक उठी लेकिन उन्होने एहसास नहीं होने दिया
उनके घर में 1 ही कमरा था और पलंग की साईज कुछ खास बडी नहीं थी
2 लोग बमुश्किल से ही सो पायेंगे
मैं सोच रही थी की रात कैसे कटेगी यहां तो 1 ही बेड है इतने में सर ने कहा...
सर- एैसा करते हैं, की तुम बेड पर सो जाओ और मैं बाहर बरामदे में अपना बिस्तर लगा लेता हूँ
बाहर बरामदे की हालत अच्छी नहीं है क्योंकि तेज हवा के कारण बारिश के पानी अंदर आ रहे थे
फिर भी मैनें कुछ नहीं कहा क्योकि मैं नहीं चाहती थी कि कुछ अनहोनी हो
मैं बस किसी तरह से सुबह हो और बारिश बंद हो तो अपने घर पुहंच जाना चाहती थी
मेरे द्वारा कोई प्रतिकिर्या न पाकर सर ने अपना बिस्तर बाहर ही लगा लिया
अब हम दोनों अपने अपने बिस्तर पर चले गए और सोने की कोशिश में....
पर मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि मैं तो बेड पर लेकिन सर बरामदे में वो भी बारिश की बूंदे अंदर आ रही है
कुछ देर तक तो मैं कसमकस में थी की कैसे मैं सर को अंदर बूलाऊ उठ कर देखा तो सही में हल्के से भींग गए थे मेहता सर
मुझे कुछ नहीं सूझा और सर को कॉल कर दिया क्योंकि अंदर बुलाने की हिम्मत नहीं थी
सर कॉल उठाने के बाद...
सर- क्या हुआ, फोन पर कॉल किया
मैं - सर आप भींग जाईयेगा बरामदे में
सर- कोई बात नहीं, हवा अब कम हो गया है
मैं -नहीं सर, आप अंदर ही नीचे बिस्तर लगा लें चलेगा 1 रात की ही तो बात है
सर- ठीक है,
लेकिन मैं तुम्हें परेशान नहीं करना चाहता हूँ
मैं - अंदर आईये सर, कोई परेशानी नहीं है
सर- ओ. के, डियर
मेहता सर ने अब पलंग के बाजू में ही नीचे बिस्तर लगा कर लेट गये
फिर भी हमदोनो के अॉखों से नींद कोसो दूर थी
हम करवट बदलते रहे
सर जी को शायद नीचे ठंड लग रही थी तो, मैंने देखा वो कांप रहे हैं मुझसे रहा नहीं गया लगा कि एैसे तो मेहता सर बिमार पड़ सकते हैं तो फिर
मैं - सर ऊपर बेड पर ही सो जाईये, सर्दी लग जायेगी नीचे सोने पर
सर- हां अंजू मुझे ठंड लग रही है
मैं -अच्छा ऊपर आ जाईये
सर भी बेड पर एकतरफ लेट गये
अब पंलग में मैं और सर एकदम साथ में थे
जीवन में मैं पहली बार किसी मर्द के साथ 1ही बेड पर वो भी सिर्फ 1 पारदर्शी साडी में
मेरे तो रोंगटे खडे हो गये
पर ये मजबूरी थी
हमारे जिस्म एकदूसरे से सट जा रहे थे
मैं करवट बदलकर बेड के 2री तरफ थी
मेरी पीठ सर के मुँह के सामने थी
सर कई बरसों बाद किसी जवान गदराये बदन के साथ सोये हैं आज
मेहता सर ने बड़े हिम्मत के साथ धीरे से अपना हाथ मेरे नाजुक कमर में रखा
मैं चुप रही और जानबूझ कर सोने का नाटक करने लगी
मेरी चुप्पी ने सर का हौसला बढ़ा दिया
अब सर ने पीछे से मेरी पीठ पर 1 चुम्बन जड़ दिया
मैं तो एकदम से सिहर उठी और उम्म....... की आवाज़ मेरे मुंह से निकली
सर के हाथों ने अब मेरे बदन को साडी के ऊपर से ही सहलाना चालू किया
मुझे सिरसिरी होने लगी अपने बदन पर
और फिर मेहता सर ने मेरे पीठ से होकर गरदन के पीछे कान के नीचे किस करने लगे
मेरे मुंह से सिसकारी निकली
आह.... हा... हा... $$$$
वो अब मुझे पलट कर अपनी ओर कर चुके थे
मैं - उम्म...क्या कर रहे हो सर (धीरे से बोली)
मेरी सांसे तेज हो गई
हमदोनो की सांसे आपस में टकराने लगे
सर अपने होठ को मेरे होठ पर लगा कर चूमने चूसने लगे
मेरी आंखे बंद हो रही थी मदहोशी के कारण
धीरे-धीरे से मेरे बदन से पूरी साडी को निकाला और बेड के नीचे गिरा दिया
मेरा पूरा बदन तप रहा था
तन पर सिर्फ 1 पैंटी बची थी
किस करते करते मेरे गले से होते हुए मेरे सीने के गोलाईयों की ओर बढ़ते चले गए और पहले सर ने मेरे निप्पल को चूमा तो मैं कसमसाने लगी
आऊ....... उफ...... आह....
मेरे जिस्म से जवानी की भींनी भींनी खुशबू आ रही थी
सर मेरी चूची मुंह में लेकर चूस रहे थे
मेरा भी हाथ सर के कमर की तरफ गया, वो पहले ही पूरा नंगा हो चुके थे
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उनका लंड भी अपने आकार में आ गया था
मैं तो स्तब्ध रह गयी सर जी के लंड का साईज
देखकर
पूरा 12 इंच का मोटा तगड़ा मूसल जैसा लंड था
जो किसी भी जवान औरत की चीख निकाल दे सकता है
सर जी को कई दिनों के बाद चोदने का मौका मिला था सो वो पूरा चुदाई का अानंद लेने वाले हैं
कोई जल्दबाजी नहीं थी
अब उन्होने अपना मोटा रड के समान लंड को मेरे होठ से लगा दी एक मदहोशी गंध मेरे नाक के अंदर गयी
हवले हवले लंड को मेरे मुंह में डाल दिया और मैं भी इस खिलौने को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी
सर का हाथ धीरे से मेरी पैंटी के अंदर सरकने लगा
जवानी का रस मेरी चिकनी बूर से रिसने लग गई थी अब
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सर ने अपनी उंगली मेरे चिकनी गुलाबी रसीला बूर में जैसे ही डाला
मैं तो चुहंक गयी
उईईई..... मां..... आ... आ...
उफ्फ......... आह्ह.....
उनकी उंगलियों में बूर का रस लग कर चिपचिपा हो गया था
सर ने उंगलियों को मेरी ओर दिखाये और मुस्कुराते हुए अपने उंगलियों को चूमा -चूसा
मेरे मुंह में सर का लंड पूरा मेरे लार से सन चुका था
कुछ देर गीले बूर से खेलने के बाद मेरी पैंटी निकाल दिया और मैं पहली बार किसी मर्द के सामने पूरी तरह से नंगी अवस्था में बेड पर थी
सर ने एैसा बूर कभी नहीं देखा था
मेहता सर के तो होश ही उड़ गये
बूर देखकर तो सर के मुँह से लार टपकने लगा जो मेरी गहरी नाभी में गिर रहा था
मैं अपने बूर के झांट साफ कर ही रखती हूं हमेशा
आज ही सुबह निकलने के पहले नहाने के समय veet से बूर चिकना किया था
कभी कभी लक्मे का रेजर से भी झांट छील लेती हूँ ,साथ में कॉख के बाल भी साफ रखती हूं
मेहता सर ने मेरे जांघों के फैलाया और अपनी नाक को मेरे गुलाबी बूर की दरारों के बीच ले गये फिर जोर की लंबी गहरी सांस खीचां
वो जवानी की भींनी भींनी खुशबू लेने लगे
सर ने आहें भरी
आह्ह.......स् सी.......
वाह क्या सुगंध है रे अंजू तेरी जवानी की
मैं तो सरमा गई
सर- (मेरी कानों में) क्या आजतक तूझे किसी ने नहीं चोदा मेरी जान पर कैसे
मैं -नहीं,
सर- आज के बाद मैं तुम्हें खूब चोदूंगा, दोगी न रोज चोदने के लिए
मैं - हां, कॉलेज में भी दूंगी चोदने आप को क्सास के बाद
ये सुनकर तो मेहता
सर से रहा नहीं जा रहा था
अचानक सर का जीभ मेरी बूर पर रेंगनें लगा
मैं -आउ्च........ उईईई..........
उफ्फ.......... आ......आह....
हम्म.. आईईईईई............. धडकन बहुत तेज रफ्तार चलने लगा
.
और सर ने दोनो चूची दबाते हुये बूर का सुगंध लेते हुए कामरस चाटने लगे
मैं तो मानो हवा में तैरने लगी
ओह माई गॉड क्या बताऊ मैं
कमरे में मेरी सिसकारी गूंजने लगा
बस करो सर उप्फ............ उप्फ.........
आह्ह...... आह्ह........
उम्म्........ सी............. हम्म.......
मेहता सर पूरे जोश में मेरे जिस्म से रस निचोडने लगे
बूर को जीभ से चोदने के बाद
मुझे अब बस बूर में लंड चाहिए था
मैं - सर अब लंड पेल दो बरदाश्त से बाहर हो रहा है
आवाज में मेरी थरथराहट हो गई थी
मैं- चोदो न, चोदो न प्लीज मेहता
मेहता सर को तरसाने में मजा आ रहा था
सर ने अपना मोटा लंड का चमड़ा ओपन किया और
मेरे बूर के छेद पर रखा फिर 1 झटका दिया
पर मैं पहली बार चुद रही है तो लंड ने बूर का दरवाजा नहीं खोल पाया
मैं (दर्द से) - चिल्लाई उंई .......मर गई
आं.........आह........
इतने जोर से चिल्लाई की शायद पडोसी भी जान गये की मेहता के घर में क्या हो रहा है
सर ने मुझे कस कर जकड़ लिया और फिर जोरदार धक्का बूर में मारा लंड आधा बूर में समा गया
खून का फुव्वारा फूट पड़ा
मेरा सील टूट गया था
फिर से सर ने झटका दिया तो पूरा मूसल जैसा लंड बूर के जड़ तक चला गया
सर अब लंड को अंदर बाहर करने लगे
मेरे बूर की चुदाई भरपूर होने लगी
आह्ह..........
हम्म......... उप्फ.........
जोरदार चुदाई करने लगा सर
चाप -चाप की गूंज चारो ओर फैलने लगा
मुझे भी बहुत अान्नंद आ रहा था
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रात भर में सर ने कई बार मुझे चोदा
कभी डोगी स्टाईल, कभी गोद में उठाया,कभी
पीछे से मेरी बूर की दरारों में लंड फंसाया
मैं रात भर चुदी गेस्ट बन कर
मेरी पेलाई लगातार 7से8 घंटे तक चली
और अंत में सर ने अपना पूरा वीर्य उडेल दिया मेरे बदन के हरेक नाजुक अंगो पर
मानो मुझे तो वीर्य से नहला ही दिया
अपना कामरस पिला दिया
मैं भी लंड को और वीर्य को आईसकिम की तरह चाटने लगी
रातभर चुदने के बाद करीब भोर के 4 बजे दोनों को नींद आ गई
हम एकदूसरे से लिपटकर नंगे ही सो गये
To be continued....