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नहीं अनन्या, घर पर सब इंत़जार कर रहे हैं; तुम्हारे सामने कितनी बार पापा फोन आ गया था न... फिर कभी आऊँगा।’’ ‘‘ओके...बॉय...ट्यूज्डे को मिलते हैं और मैसेज किया है तुम्हें अपना नंबर।’’- यह कहकर अनन्या ऑटो से उतर गई थी। ‘‘ओके...थैंक्स...टेक केयर।’’ अनन्या बॉय करते हुए घर में जा रही थी और ऑटो चल पड़ा था। एक बार मैंने मुड़कर पीछे ज़रूर देखा था उसे। अब, बस घर पहुँचने की बेसब्री थी बस। * * * डॉक्टर कॉलोनी से बाहर निकलकर ऑटो, रेलवे रोड पर दौड़ रहा था। मेरी ऩजर ऑटो से बाहर घर की तरफ ही लगी हुई थी। ऑटो में बैठे हुए ही पचास रुपये निकाले और ऑटो वाले भइया को दे दिए। ‘‘बस भइया, साइड में ही रोक देना।’’ फटाफट लगेज ले के उतरा, तो सामने पापा-मम्मी खड़े थे। बैग बाहर सड़क पर रखकर पापा और मम्मी के गले से लिपट गया। भाई और बहन दौड़कर अंदर से आए और लिपट गए मुझसे। ‘‘कितना कम़जोर हो गया है ईशान!’’- मम्मी ने कहा।