• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance I LOVE YOU (me tujse pyar karta hu)

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
अनन्या, ये नमित है, ये शिवांग है और मास्टर गर्ल श्वेता... और ये अनन्या है, दिल्ली से।’’ * * * कुछ ही देर में हम ब्रह्मपुरी पहुँच चुके थे। यहीं से रॉफ्टिंग का प्लान हम लोगों ने बनाया था। कार से उतरकर हम लोग गंगा किनारे कैंप में पहुँच गए थे। नमित और मैं पहले भी साथ में रॉफ्टिंग कर चुके थे। शिवांग को पानी से डर लगता था, लेकिन हम उसे ले आए थे। अनन्या पहली बार रॉफ्टिंग करने जा रही थी, इसलिए उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। वो तो बिना कॉस्ट्यूम पहने ही पानी में कूद जाने को बेताब थी। पानी से इतना प्यार मैंने पहली बार किसी लड़की के भीतर देखा था। श्वेता का मुँह अभी भी फूला हुआ था। ‘‘ईशान ,हम लोग टिकट लेते हैं।’’- नमित और शिवांग ने कहा। ‘‘ओके...अनन्या, तुम भी जाओ।’’ अनन्या को नमित और शिवांग के साथ मैंने इसलिए भेजा, ताकि श्वेता से कुछ बात कर पाऊँ। ‘‘क्या है श्वेता...क्यों मुँह फुला रही हो?’’ ‘‘जाने दो ईशान...अपनी दोस्त अनन्या का ध्यान दो।’’
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
श्वेता...मैं तुम्हारा भी ध्यान रख रहा हूँ। अनन्या बस एक मुलाकात की दोस्त है और तुम भी दोस्त ही हो मेरी; इतना गुस्सा क्यूँ दिखा रही हो?’’ ‘‘ओह! प्लीज ईशान...एक मुलाकात की दोस्त ऐसे साथ रॉफ्टिंग करने नहीं आती है।’’ ‘‘श्वेता तुम्हारी कसम हम ऋषिकेश आते हुए ही मिले थे। उससे पहले कभी नहीं मिले... सच में वो मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है और तुम भी मेरी गर्लफ्रेंड नहीं हो।’’ ‘‘हाँ, नहीं हूँ मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड।’’ ‘‘तो तुम अच्छी दोस्त हो मेरी... खुश रहो और इस रॉफ्टिंग ट्रिप को यादगार बनाओ; चलो मुस्कराओ अब।’’ मेरे इतना कहने पर श्वेता को इतना तो श्योर हो गया था, कि अनन्या मेरी गर्लफ्रेंड तो नहीं है। अब श्वेता थोड़ी खुश नजर आ रही थी। नमित, शिवांग और अनन्या, टिकट लेकर आ चुके थे। अनन्या अपनी टिकट दिखाकर मुँह बना रही थी। उसके चेहरे से उसका एक्साइटमेंट साफ झलक रहा था। नदी की उफनती लहरें हम लोगों को अपनी तरफ खींच रही थीं। हम लोग भी रॉफ्टिंग कॉस्ट्यूम पहनकर बिलकुल तैयार थे। गाइड के साथ हम पाँचों लोग नाव की ओर बढ़ रहे थे। नमित और शिवांग फट् से नाव में सवार हो गए। श्वेता भी मेरी तरफ मुँह बनाकर नाव में चढ़ गई थी
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
अनन्या भी बेहद खुश थी, पर मुझे लगा शायद उसे नाव में बैठने में डर लग रहा है। इसलिए मैंने उसकी तरफ अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा, ‘‘डरो मत अनन्या...हाथ दो अपना।’’ अनन्या ने मेरी तरफ मुस्कराते हुए देखा और अपना हाथ आगे बढ़ा दिया। मैंने अनन्या का हाथ कसकर पकड़ा और वो नाव में बैठ गई। सभी लोगों के बैठने के बाद गाइड भी बैठ गया। कुछ दिशा-निर्देशों के बाद उसने नाव आगे बढ़ा दी। नमित और श्वेता सबसे आगे बैठे... मैं और अनन्या बीच में थे और शिवांग और गाइड सबसे पीछे थे। जैसे-जैसे नाव आगे बढ़ रही थी, श्वेता के चेहरे पर भी मुस्कान आती जा रही थी। तभी मैंने नदी के पानी की कुछ बूँदें श्वेता के ऊपर फेंकी, तो उसने भी मेरे ऊपर पानी की बौछार कर दी। फिर क्या था, हम सभी एक-दूसरे पर पानी फेंकने लगे। अनन्या भी डर भूलकर हमारी मस्ती में शामिल थी। ‘‘सर, अपना भी ध्यान रखिए; बाहर हाथ मत करिए प्लीज।’’- सुरक्षा कारणों की वजह से गाइड ने कहा। ‘‘ओके भैया...डोंट वरी।’’ हम लोग पूरे भीग चुके थे। नाव की रफ्तार भी बहुत तेज थी। श्वेता और नमित आगे बैठकर जोर-जोर से चिल्ला रहे थे। खूब मजा आ रहा था। अनन्या भी इन
 
  • Like
Reactions: mashish

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
रोमांचक पलों का आनंद ले रही थी। तभी उसने अपने हाथ से पानी की बूँदें मेरे ऊपर फेंकी और जोर से हँसने लगी। उसकी इस शरारत पर मैंने भी उस पर पानी की बौछार कर दी। जब मैं उस पर पानी फेंक रहा था, तो अपने चेहरे के आगे हाथ लगाकर बचने की कोशिश कर रही थी। और जैसे ही मैं पानी लेने के लिए मुड़ता, तो वो मेरे ऊपर पानी की बौछार कर देती थी। वो खुलकर हँसती थी, इसलिए उसका खिलखिलाता हुआ चेहरा बेहद खूबसूरत लगता था। ऐसा नहीं था कि मैं आज पहली बार रॉफ्टिंग कर रहा था... इससे पहले कई बार मैं रॉफ्टिंग कर चुका था, लेकिन आज की रॉफ्टिंग में जो रोमांच था, वो पहले कभी नहीं आया। एक-दूसरे के साथ मस्ती करते हुए सोलह किलोमीटर की दूरी कब पूरी हो गई पता ही नहीं चला। रॉफ्टिंग पूरी हो चुकी थी, लेकिन मन अभी भी नहीं भरा था। अनन्या, जो रॉफ्टिंग से पहले नाव में बैठने में डर रही थी, वो अब पानी से बाहर ही नहीं आ रही थी। ठंडे पानी से भी उसे डर नहीं लग रहा था। हम सब गंगा के किनारे खड़े थे और अनन्या, गंगा की धारा में पत्थरों पर खड़ी होकर बेफिक्र चिल्ला रही थी। ‘‘अनन्या! बाहर आ जाओ...पत्थर से फिसल जाओगी।’’
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
‘‘नहीं....तुम लोग आ जाओ, बहुत मजा आ रहा है...'' ‘‘ईशान, ये तो पागल है बिलकुल।’’- श्वेता ने कहा। ‘‘हाँ...सच में बहुत पागल है।’’- मैंने श्वेता को जवाब दिया और चेहरे पर मुस्कराहट लेकर अनन्या के पास चल दिया। ‘‘आओ, तुम लोग भी...।’’ ‘‘तुम लोग उस पत्थर पर पहुँचो, मैं आइसक्रीम लाता हूँ।’’- नमित ने कहा। नमित आइसक्रीम लेने के लिए गया और हम तीनों वहाँ पहुँच गए, जहाँ अनन्या, पत्थर के ऊपर नाच रही थी। मैं अनन्या के साथ एक पत्थर पर बैठ गया। शिवांग और श्वेता सामने अलग-अलग पत्थर पर बैठ गए। हम सभी के पैर पानी में थे। नमित आइसक्रीम के साथ भेलपुरी भी लेकर आया था। ‘‘मुझे चॉकलेट वाली!’’- अनन्या ने कहा। ‘‘ओके...ये लो।’’- मैंने आइसक्रीम उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा। वहीं पत्थर पर बैठकर हम आइसक्रीम खा रहे थे और गंगा के बहते हुए पानी को देख रहे थे।
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
‘‘नदी भी न... इंसान की तरह होती है; जहाँ से पैदा होती है, वहाँ बच्चे की तरह उथल-पुथल करती है, शरारत करती है और जैसे-जैसे बढ़ती जाती है, तो इंसान की तरह शांत और गंभीर होती जाती है।’’- अनन्या ने कहा। ‘‘अरे...बड़ी-बड़ी बातें करती हो तुम तो।’’ ‘‘हम्म...कभी-कभी।’’- उसने मेरे हाथ से भेलपुरी की कोन लेते हुए कहा। सूरज छिपने को था।, मौसम का मिजाज भी ठंडा हो चुका था, हवा में बर्फ घुली-सी लग रही थी। दिल्ली में गर्मी जरूर पड़ने लगी थी, लेकिन ऋषिकेश में तापमान अभी नीचे ही था। लक्ष्मण झूले की तरफ देखते हुए अनन्या ने कहा, ‘‘थैंक यू ईशान एंड थैंक यू ऑल...बहुत मजा आया आप सबके साथ; अगर ये सब न होता, तो मैं घर में बोर हो जाती। सच कहूँ तो ईशान, मेरा ऋषिकेश आना पहली बार सफल हुआ। मैं कई बार यहाँ आई हूँ, पर आज तक इतना मजा कभी नहीं आया एंड ये सिर्फ तुम्हारी वजह से ईशान।’’ ‘‘सच में मजा आया तुम्हें...?’’ ‘‘हाँ...सच में बहुत मजा आया...थैंक्स।’’ ‘‘इट्स ओके अनन्या...।’’- नमित और शिवांग ने कहा। ‘‘आई थिंक अब चलना चाहिए हमें।’’- श्वेता।
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
बाकी सबने भी चलने के हाँ कर दी। मैं कुछ देर और वक्त बिताना चाहता था। मैं कुछ कहता, तब तक सब खड़े हो चुके थे। ‘‘तुम लोग चलो फिर...मैं गाड़ी लेकर आऊँगा।’’- नमित ने कहा। ‘‘नमित, मैं तेरे साथ आती हूँ...मुझे उधर ही जाना है।’’- श्वेता ने कहा। ‘‘ओके नमित...फिर मिलते हैं यार; श्वेता को तुम छोड़ देना।’’- मैंने कहा। जो श्वेता अब तक अनन्या से बात तक नहीं कर रही थी, उसने आगे बढ़कर अनन्या को गले लगा लिया। ‘‘दोबारा जरूर आना अनन्या; अच्छा लगा तुम्हारे साथ वक्त बिताकर। ईशान, तुम भी जल्दी आना।’’- इतना कहकर एक-दूसरे से हाथ मिलाकर नमित और श्वेता, ब्रह्मपुरी की तरफ चले गए। मैंने शिवांग और अनन्या के लिए ऑटो ले लिया था। अनन्या अभी भी रॉफ्टिंग की ही बात कर रही थी। तभी मैंने उससे कहा, ‘‘अनन्या, कल पाँच बजे सुबह चलते हैं...तैयार हो जाना जल्दी।’’ ‘‘डोंट वरी...मैं तैयार हो जाऊँगी; बस निकलने से पहले तुम एक कॉल कर देना, मौसा जी छोडेंगे मुझे बस स्टॉप पर।’’ ‘‘ठीक है, आई विल मैसेज यू इन द मॉर्निंग।’’
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
तो तुम दोनों फिर कब आओगे ऋषिकेश?’’- शिवांग ने कहा। ‘‘पता नहीं शिवांग, अब कब आना होगा... लेकिन, थैंक यू यार...आप लोगों के साथ मैंने खूब एंज्वाय किया।’’ ‘‘ठीक है यार ईशान...अगली बार आना तो अनन्या को जरूर साथ लाना।’’- शिवांग ने कहा। ‘‘जरूर लाऊँगा।’’ ‘‘ऐसे नहीं...प्रॉमिस करो...अगली बार भी अनन्या को साथ लाओगे।’’- शिवांग ने हम दोनों की तरफ देखते हुए कहा। शिवांग की इस बात पर अनन्या मुस्करा रही थी और मेरी तरफ नजर करके ये देख रही थी, कि मैं क्या कहूँगा इस बात के जवाब में। ‘‘ओके शिवांग...प्रॉमिस...अगली बार जब ऋषिकेश आऊँगा, तो अनन्या मेरे साथ होगी।’’ ‘‘चलो, फिर तुम लोग आराम से जाना, मुझे यहीं उतरना है।’’ ऑटो रुका, तो मैंने नीचे उतरकर शिवांग को गले लगाया। अनन्या ने भी हाथ मिलाकर उसे बाय बोला। ‘‘अनन्या, क्या पसंद है तुम्हें खाने में? भूख लगी होगी न तुम्हें।’’
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
मुझे छोले-भटूरे।’’ ‘‘तुम्हें भी छोले-भठूरे पसंद हैं...आई लव छोले-भटूरे।’’ ऑटो को छोड़कर हम सामने हीरा शॉप की तरफ चल दिए। ‘‘आओ अनन्या...यहाँ बैठो।’’- मैंने एक टेबल की तरफ इशारा करते हुए कहा। ‘‘दो प्लेट छोले-भटूरे!’’ ‘‘ईशान, आपने शिवांग को प्रॉमिस कर दिया कि अगली बार मुझे साथ लाओगे।’’- अनन्या ने कहा। ‘‘हाँ अनन्या, कर तो दिया, पता नहीं क्या होगा।’’ ‘‘डोंट वरी...देखते हैं क्या होता है।’’ ‘‘मेरा वादा पूरा करने के लिए आओगी मेरे साथ?’’- मैंने उसकी आँखों में देखकर कहा और अनन्या ने जवाब में सिर्फ मुस्करा दिया। छोले-भटूरे आ चुके थे और हम दोनों खाते-खाते जाने की प्लानिंग कर रहे थे। पैदल-पैदल अनन्या को उसके घर छोड़कर, मैं अपने घर की तरफ चल दिया था। पॉकेट से फोन निकाला और स्नेहा को कॉल लगा दिया। ‘‘हेलो... कैसे हो स्नेहा! क्या कर रहे हो...?’’ स्नेहा से बात करते-करते मैं पैदल ही घर तक पहुँच गया।
 
Top