- 910
- 1,312
- 123
अनन्या, ये नमित है, ये शिवांग है और मास्टर गर्ल श्वेता... और ये अनन्या है, दिल्ली से।’’ * * * कुछ ही देर में हम ब्रह्मपुरी पहुँच चुके थे। यहीं से रॉफ्टिंग का प्लान हम लोगों ने बनाया था। कार से उतरकर हम लोग गंगा किनारे कैंप में पहुँच गए थे। नमित और मैं पहले भी साथ में रॉफ्टिंग कर चुके थे। शिवांग को पानी से डर लगता था, लेकिन हम उसे ले आए थे। अनन्या पहली बार रॉफ्टिंग करने जा रही थी, इसलिए उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। वो तो बिना कॉस्ट्यूम पहने ही पानी में कूद जाने को बेताब थी। पानी से इतना प्यार मैंने पहली बार किसी लड़की के भीतर देखा था। श्वेता का मुँह अभी भी फूला हुआ था। ‘‘ईशान ,हम लोग टिकट लेते हैं।’’- नमित और शिवांग ने कहा। ‘‘ओके...अनन्या, तुम भी जाओ।’’ अनन्या को नमित और शिवांग के साथ मैंने इसलिए भेजा, ताकि श्वेता से कुछ बात कर पाऊँ। ‘‘क्या है श्वेता...क्यों मुँह फुला रही हो?’’ ‘‘जाने दो ईशान...अपनी दोस्त अनन्या का ध्यान दो।’’