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Romance In Love.. With You... (Completed)

Jos Jerrin

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Update 11





“भाभी आपको पता है ये विवेक ने कॉलेज मे झगड़ा किया था”

रिद्धि ने अपना कंप्लेंट का पिटारा नेहा के सामने खोलना शुरू किया

“हा तो किया झगड़ा, भाभी आपको झगड़े का असल रीज़न नही पता है” विवेक ने अपने दात चबाते हुए थोड़े गुस्से से कहा

“क्या हुआ था क्यू हुआ झगड़ा?” शेखर ने पूछा

रिद्धि- आप क्या भाभी हो जो आपको बताए 😏

रिद्धि ने शेखर को चिढ़ाते हुए कहा जिसपर सब मुस्कुराये सिवाय एक के

विवेक- भाभी उसने रिद्धि को प्रपोज किया था अब आप ही बताओ मैं क्या चुप बैठ रहता दिए उसके दो क्या गलत किया

विवेक ने थोड़े गुस्से के कहा

“क्या!!”

अब रूम मे रिद्धि का एक ही भाई नही था ना दो और भी थे और जैसे ही उन्होंने ये सुना दोनों चीख पड़े, राघव जो बेड पर आधा लेटा हुआ था उठ के बैठ गया और उसके नेहा के बाजू मे बैठते ही नेहा भी सीधी बैठ गई वही शेखर विवेक के पास सरका

राघव- कॉलेज मे किसी ने रिद्धि को प्रपोज किया और तु अब बता रहा हमे🤨

राघव ने विवेक को डाटना शुरू किया

रिद्धि- ओ कम ऑन भाई इतनी भी बड़ी बात नहीं थी

रिद्धि ने बात संभालने की कोशिश की लेकिन तभी

शेखर- क्या बड़ी बात नहीं थी चुप तू बिल्कुल बहुत बड़ी बात थी ये के किसी ने तुमको प्रपोज करने की कोशिश की सही किया बे झगड़ के

राघव- और क्या, विवेक तू अभी के अभी मुझे उस लड़के का नाम और पता दे

अब राघव भी झगड़े मे कूद पड़ा था और उसे इन्वाल्व होता देख रिद्धि ने नेहा की ओर रुख किया

रिद्धि – भाभी बचाओ, प्लीज हेल्प!

और रिद्धि की बात सुन उसकी साइड नेहा ने ली

नेहा- अरे अरे रुको सुनो जरा, प्लीज ऐसे गुस्सा मत होइए मैं जानती हु के आप तीनों उसके भाई है यू आपका गुस्सा होना लाजमी है लेकिन ये बहुत कॉमन बात है हर लड़की को कभी न कभी ये फेस करना ही पड़ता है और वैसा ही रिद्धि के साथ भी हुआ, देखो विवेक मैं जानती हु के तुम ने झगड़ा इसीलिए किया क्युकी तुम नही चाहते के तुम्हारी बहन किसी गलत लड़के को चुने जो की सही है लेकिन ये सोचो के अगर तुम किसी को पसंद करते हो और उसका भाई ऐसे ही तुम्हें रोक दे तो क्या तुम उसे पसंद करना बंद कर दोगे?

नेहा के सवाल पर विवेक ने ना मे गर्दन हिला दी

नेहा - शेखर तुमने और श्वेता ने तो कॉलेज मे एकदूसरे को डेट करना शुरू किया था ना सोचो अगर उस टाइम श्वेता का भाई तुम्हें ऐसे ही पीट के रोक देता तो? क्या आज तुम्हारी और श्वेता की शादी होती? नाही ना

नेहा - मैं ये नही कह रही के किसी भी ऐरे गैरे को रिद्धि के पास आने दो लेकिन उसे उसके डिसीजन लेने दो वो इतनी तो समझदार है के उसके लिए कौन सही है कौन नही ये चुन सके और आप लोग तो हमेशा उसके साथ हो ही जो उसे बुरे लोगों से बचाए

नेहा के इस एक्सप्लीनेशन से सब लोगों को उसकी बात समझ आ गई थी

विवेक- आप सही हो भाभी लेट रिद्धि हँडल दिस लेकिन मैं इसका ध्यान तो जरूर रखूँगा के कोई ऐरा गैरा रिद्धि के पास न फटके

जिसपर शेखर ने भी हामी भारी वही राघव बस नेहा को देखता रहा

रिद्धि- भाभी आपको कितने लड़कों ने प्रपोज किया था शादी के पहले ?

रिद्धि ने सवाल पूछा जिससे नेहा तो थोड़ी अनकंफर्टेबल हो गई लेकिन इस सवाल के जवाब के लिए राघव उत्सुक हो गया

विवेक- बता दो भाभी हम लोग ही तो है यहा आप हमसे ये शेयर कर सकती है

शेखर- मेरे हिसाब से कम से कम 40 प्रपोज़ल मिले होंगे भाभी को

शेखर ने ये बात थोड़े कान्फिडन्स मे कही जिसे राघव ने एकदम नेहा को शॉक होकर देखा

नेहा - मैंने कभी गिना नही है

नेहा ने थोड़ा हसते हुए कहा

शेखर - कम ऑन भाभी कोई तो होगा जिसका प्रपोज़ल थोड़ा अलग होगा थोड़ा स्पेशल बताओ ना

नेहा- अरे बाबा कुछ स्पेशल कुछ अलग नही था लेकिन हा एक बंदा था या यू कहू के मेरा एक दोस्त था जिसने मुझे प्रपोज किया था, जो भी एक लड़की अपने बॉयफ्रेंड मे चाहती है न उसका परफेक्ट एग्जांपल था वो

नेहा ने अपने पुराने दिन याद करते हुए मुस्कुराकर कहा और उसकी वो मुस्कान देख कर राघव का दिल बैठा जा रहा था क्यू पता नहीं

‘यार ये कैसे मेरे सामने किसी और की तारीफ कर सकती है’ राघव मन ही मन बोला

(जब तू उसे भाव ही नहीं देगा तो वो तो दूसरों की तारीफ करेगी ही नूबड़े )

रिद्धि- फिर आप ने एक्सेप्ट किया था वो प्रपोज़ल?

और यहां राघव बाबू भगवान से प्रार्थना करने लगे (जिसको ये पसंद ही नहीं करता वो किसी को पसंद न करती हो इसकी प्रार्थना करे जा रहा अजीब आदमी)

नेहा- नही!

नेहा के ना कहतो ही राघव के जान मे जान आई

विवेक- क्यू? आप ही ने तो कहा की वो परफेक्ट था

नेहा- पर्फेक्शन हमेशा सबकुछ नही होता कभी कभी आप के दिल को उसकी चाहत होती है जो उसने कभी सोचा भी नही होता

नेहा की बात सुनकर राघव को लगा मानो नेहा ने वो शब्द उसके लिए कहे थे

नेहा- मैंने ना कभी उसे उस नजर से देखा ही नही वो हमेशा मेरा अच्छा दोस्त ही रहा हालांकि उसने ट्राय बहुत किया था और उसने क्या मैंने भी उसे एक चांस देने का ट्राय किया था पर मेरे दिल ने कभी वो रीलेशन माना ही नहीं और हम बस दोस्त ही रहे

नेहा की बात सुन राघव ने मुट्ठी कस ली जिसे शेखर ने देख लिया

शेखर- बस भाभी आगे का रहने दो लगता है यहा कुछ जल रहा है

शेखर ने राघव को छेड़ा और अब नेहा के ध्यान मे आया के आज तो राघव भी उनके साथ था नेहा को अपने ऊपर राघव की नजरे महसूस हो रही थी लेकिन वो उसकी तरफ नहीं देख रही थी

कुछ टाइम बाद सब मूवी देख रहे थे और जब मूवी खतम हुई शाम हो चुकी थी

राघव- रिद्धि तुम्हारी भाभी को रेडी कर दो आज, समझो आज उसका एक स्पेशल दिन है

राघव ने नेहा को देखते हुए रिद्धि से कहा लेकिन उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नही थे

राघव- और हा आज तुम मे से कोई भी मेरी डेट डिस्टर्ब नही करेगा समझे ना

राघव ने विवेक और शेखर को घूरते हुए कहा वही नेहा के मन मे तो मानो तितलिया उड़ रही थी उसकी बात सुन के

शेखर- हा हा नही करेंगे डिस्टर्ब जाओ अपनी बीवी के साथ चल बे विवेक अपन फिफा खेलते है

जिसके बाद शेखर और विवेक वहा से चले गए

रिद्धि- भाभी लगता है आज भाई अपने सारे बिजी शेड्यूल की भरपाई करने वाले है

रिद्धि ने नेहा को छेड़ते हुए कहा जिसने उसे और नर्वस बना दिया

कुछ समय बाद राघव अपने फॉर्मल्स पहने तयार था और नेहा की राह देख रहा था, पिछले 15 मिनट से वो नेहा की राह देखते हुए खड़ा था और अगर आज नेहा का बर्थडे ना होता तो वो जरूर उसे डाट देता या ये प्लान कैन्सल कर देता

राघव- यार! ये रिद्धि उसे इतना कितना तयार कर रही है जो इतना समय लग रहा है

राघव का पेशंस अब खतम हो रहा था और वो हॉल मे इधर से उधर घूम रहा था नेहा की राह देख रहा था और जब राघव का पेशंस जवाब दे गया और वो उन्हे आवाज देने सीढ़ियों की तरफ मूडा तब उसकी नजरे वही जम गई

आज पहली बार उसने नेहा को साड़ी के अलावा किसी और आउटफिट मे देखा था, नेहा काले रंग के एक अनारकली ड्रेस मे बहुत ही खूबसूरत लग रही थी उसपर उसकी चाँद बालिया उसकी खूबसूरती मे चार चाँद लगा रही थी, नेहा ने बहुत हल्कासा मेकप किया था और माथे पर एक छोटी सी डायमंड की बिंदी लगाई थी जिससे उसका चाँद सा चेहरा और भी ज्यादा खिल रहा था

राघव की इन्टेन्स नजरों से बचने के लिए नेहा ने अपनी नजरे झुकाई और धीरे धीरे सीढ़ियों से नीचे आने लगी और राघव की नजरे उसके हर कदम का पीछा कर रही थी

नेहा राघव के सामने आकार खड़ी हो गई और अपने बालों की लट को अपने कान के पीछे करते हुए बोली

नेहा- चले..?

नेहा ने एकदम धीमे से पूछा जिसने राघव को वापिस होश मे लाया जिसे वो नेहा को देखते ही खो चुका था और राघव ने हा ने गर्दन हिलाई

विवेक- भाई हेव अ गुड डेट 😉

विवेक ने राघव को आँख मारते हुए कहा

रिद्धि- और आराम से आना भाई आज की शाम पूरी भाभी के नाम कर दो

नेहा- हम नहीं है तो तुम लोग प्लीज लड़ना मत मुझे पता है तुम लोग किसी फालतू बात पर लड़ लोगे और खाना टाइम से खा लेना और घर का खयाल रखना

नेहा ने जाते जाते रिद्धि और विवेक को समझाया

शेखर- अरे आप जाओ और आपकी डेट इन्जॉय करो भाभी हम संभाल लेंगे यहा नही लड़ेंगे

जिसके बाद राघव ने अपना दाया हाथ नेहा की तरफ आगे बढ़ाया और नेहा ने भी उसके हाथ मे अपना हाथ दे दिया और दोनों वहा से निकल गए

आज नेहा को कुछ अलग ही लग रहा था आज वो राघव का नया रूप देख रही थी बहुत सारी भावनाए उसके मन मे उमड़ रही थी

राघव ने जेंटलमैन की तरह नेहा के लिए पैसेंजर सीट का दरवाजा खोला और फिर खुद ड्राइवर सीट पर आकर बैठ गया और कार चल पड़ी

कार अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही थी लेकिन कार मे पूरी शांति रही और मन ही मन अपने आप से काफी लड़ने के बाद नेहा ने इस शांति को भंग करने के लिए कहा

नेहा- हम कहा जा रहे है ?

नेहा ने बहुत ही धीमे से प्यार से पूछा था और उसकी टोन मे छुपे इमोशंस कोई भी समझ सकता था सिवाय उसके बाजू मे बैठे इंसान के

राघव- डिनर के लिए

राघव ने पूरा ध्यान रोड पर लगाते हुए कहा

नेहा- क्यू?

राघव ने कोई जवाब नहीं दिया

नेहा- आज मेरा बर्थडे है इसीलिए ना पर मैंने आपसे कहा था मुझे बर्थडे सेलीब्रैट करना नही पसंद

ये बात बोलते हुए नेहा का आवाज नॉर्मल से थोड़ा अलग था

राघव- नही, क्युकी मुझे तुम्हारे साथ जाना था इसीलिए

राघव ने सपाट शब्दों मे कहा, जाहीर था उसे गुस्सा आ रहा था और वो बस नेहा का बर्थडे मनाना चाहता था

अब पता नही इस डेट पर क्या होगा... कुछ बात बनेगी या कोई बड़ा झगड़ा होगा जिससे सब बिखर जाए

जानेंगे अगले अपडेट मे...

क्रमश:
Here comes the date night, I hope it would be good can't see more tears in neha's eyes
 

Jos Jerrin

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Update 12



राघव- नही क्युकी मुझे तुम्हारे साथ जाना था इसीलिए

राघव ने सपाट शब्दों मे कहा, जाहीर था उसे गुस्सा आ रहा था और वो बस नेहा का बर्थडे मनाना चाहता था।

नेहा- अगर मेरा आज बर्थडे ना होता तो आप मुझे कभी ऐसे बाहर नही ले जाते, आपको बस बुरा लग रहा था दया आ रही थी मुझपर

नेहा ने कहा और बोलते बोलते उसकी आवाज भारी होने लगी थी जिसे सुन कर राघव ने गाड़ी को एक साइड मे रोका और सपाट चेहरे के साथ नेहा को देखा और उसे देखते ही राघव के चेहरे के हावभाव बदनले लगे, नेहा को देख के साफ लग रहा था के वो अभी रो देगी

राघव - पहली बात तो ऐसा बिल्कुल नही है अगर आज तुम्हारा बर्थडे ना भी होता तो मेरे पास तुम्हें ऐसे बाहर लाने के और भी बहाने थे इसीलिए ये बात तुम अपने दिमाग से निकाल दो

राघव ने प्यार से कहा और नेहा ने उतरे चेहरे के साथ उसे कुछ टाइम तक देखा लेकिन कुछ बोली नहीं

राघव- तुम क्यू नहीं चाहती के सब तुम्हारा बर्थडे मनाए क्यू नही बताना चाहती किसी को

नेहा- ऐसा क्यू है के हम किसी के लिए हमारा प्यार हमारी सारी केयर बस उस इंसान के बर्थडे पर ही दिखते है भले ही उससे बाकी दिन बात भी ना करे, मैंने ऐसा करते बहुत लोगों को देखा है और बस यही मुझे पसंद नहीं है

राघव समझ रहा था के नेहा को कोई बात परेशान कर रही है लेकिन उसने अभी के लिए उस बात को इग्नोर किया और बोला

राघव- ठीक है तुम्हें नही पसंद सेलिब्रेट करना तो ना सही लेकिन अभी ऐसा मानो के हम बस एक डेट पर आए है मैं लेकर आया हु तुम्हें तो इस शाम को इन्जॉय करो

राघव ने कार वापिस शुरू करते हुए कहा वही नेहा उसे ऐसे देखने लगी मानो वो कोई एलियन हो क्युकी राघव ने उसके साथ कभी ऐसे प्यार से समझा के बात नहीं की थी, जल्द ही वो लोग एक 5 स्टार रेस्टोरेंट मे पहुचे और साथ ही रेस्टोरेंट के अंदर गए।

उनके रेस्टोरेंट मे एंटर होते ही मैनेजर खुद उन्हे रिसीव करने आया और उन्हे टेरेस मे बने सेक्शन मे ले गया जहा से पूरे शहर का व्यू मिलता था

आज का वो पूरा टेरेस राघव ने उन दोनों के लिए बुक किया हुआ था ताकि कोई उन्हे डिस्टर्ब ना करे

राघव ने नेहा के लिए एक खुर्ची खिची और उसे बैठने कहा और फिर उसके सामने आकार बैठ गया और जल्द ही एक वेटर आया और उनके खाने के ऑर्डर्स लेकर चला गया

नेहा ने देखा के राघव को इटालियन खाना बहुत पसंद है

उन दोनों के बीच एक अजीब खामोशी छाई थी कोई कुछ नहीं बोल रहा था और जल्द ही उनका खाना भी आ गया और उन्होंने चुप्पी साधे ही खाना खाया जिसके बाद राघव ने ही इस शांति को भंग करने का सोचा और बोलना शुरू किया

राघव- उम्म... तुम्हें पता है मैं ना तुम्हारे बारे मे कुछ नही जानता हु.. मतलब देखो ना इन पाँच महीनों मे मैं हमेशा इस शादी से भागता रहा हु

राघव बोल रहा था वही नेहा उसे देख भी नहीं रही थी, उसकी हिम्मत ही नहीं हो रही थी

राघव- लेकिन अब नही..

राघव ने नेहा को देखते हुए कहा और ये सुन के नेहा ने भी अपनी नजरे उठा कर राघव को देखा तो पाया के वो उसे ही देख रहा था

राघव- मैंने इस बारे मे बहुत सोचा है, हमारे बारे मे सोचा है और ये जाना है के भागने का कोई पॉइंट ही नही है

राघव की बाते अब नेहा को नर्वस कर रही थी

ये ऐसे क्यू कह रहे है ? कही ये मुझे डिवोर्स तो नहीं ना देना चाहते?’ नेहा के मन मे खयाल आया जिससे वो और भी ज्यादा नर्वस हो गई और उसकी आँखों मे पानी जमने लगा था

राघव- लेट्स गिव दिस रिलेशनशिप अ चांस हमे हमारे रिश्ते को सुधारने के लिए एक मौका देना चाहिए

राघव ने अचानक कहा

नेहा- और ऐसा क्या हुआ जिससे आप इस नतीजे पर पहुचे?

राघव की बात सुन अचानक नेहा के मुह से निकल गया

राघव- हूह?? क्या?

नेहा- मतलब आप तो इस शादी को एक्सेप्ट नही करना चाहते थे और ना ही ये मानना के आप शादी शुदा है और मैं इतनी भी गधी नहीं हु के मुझे ये समझ ना आए के आप ये शादी करना ही नहीं चाहते थे तो फिर अब ये सब क्यू?

नेहा की बात सुन अब राघव शॉक मे था

राघव- ये सब अचानक नहीं हुआ है नेहा मैंने इस बारे मे बहुत सोचा है और हा तुम सही हो मैं तयार नहीं था, उस समय मुझे थोड़ा टाइम चाहिए था तुम मुझे बताओ तुम क्या करती जब अचानक तुम्हें पता चलता के तुम्हारी किसी से शादी होने वाली है जिसे तुम जानती तक नहीं, हा मैंने दादू के डिसीजन के बाद शादी के लिए हा कही थी लेकिन मैं इसके बारे मे हमेशा कन्फ्यूज़ ही रहा

राघव- मुझे अपनी प्राइवसी और फ्रीडम बहुत प्यारी है नेहा और मैंने अपने दोस्तों को देखा है कैसे शादी के बाद उनकी लाइफ ही चेंज हो गई है उनकी लाइफ पार्टनर कैसे उन्हें कंट्रोल करती है और बस इसीलिए मैं शादी को लेकर शूअर नहीं था, कन्फ्यूज़ था लेकिन तुम उन सब से अलग हो ये मैं जान गया हु..

राघव आज पहली बार अपने दिल की बात नेहा से कर रहा था इससे पहले उन दोनों के बीच कभी ऐसी बाते नहीं हुई थी

नेहा- आपको क्या लगता है मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ? मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ है, मैं भी उस समय आपके बारे मे कुछ नही जानती थी लेकिन मैं कोशिश कर रही हु ना मैंने हमेशा हम दोनों के बीच चीजे बेहतर करने की कोशिश की है लेकिन आपने मुझे हमेशा इग्नोर किया, मैं ये तो जानती थी के मेरी शादी हो रही है लेकिन किससे ? आप एक बहुत अच्छे और बड़े परिवार के बेटे है एक सक्सेस्फूल बिजनेसमैन है लेकिन एक इंसान कैसे है मैंने कभी जाना ही नही, आपको याद है मैंने शादी से पहले आपसे कई बार मिलना चाहा था लेकिन आप हमेशा ही मुझे इग्नोर करते रहे

नेहा के कन्फेशन से राघव शॉक था उसे लगता था नेहा उसके बारे मे सब जानती है लेकिन यहा वो गलत था

नेहा- कुछ ही दिनों मे मेरी भी पूरी लाइफ चेंज हो गई थी मैं कंप्लेंट नही करती इसका ये मतलब तो नही के मुझे कुछ फरक ही ना पड़ा हो, मैंने आपको और दादाजी को इस बारे मे काफी बार बात करते सुना है लेकिन मैंने चुप रहना ही बेहतर समझा

नेहा- और रही बात प्राइवसी फ्रीडम और कंट्रोल की तो मैं आपकी प्राइवसी की बहुत रीस्पेक्ट करती हु और मुझे नही लगता के लाइफ पार्टनर्स हमेशा अपने बेटर हाफ ही लाइफ कंट्रोल करते है लेकिन कभी कभी आपको अपने पार्टनर को कुछ गलत करने से रोकना भी होता है चीजे दोनों तरफ से बैलेंस होनी चाहिए

नेहा- मैं आपको किसी बात के लिए टॉन्ट नहीं मार रही हु मैं बस हम दोनों के बीच कुछ बाते क्लियर कर रही हु जैसे आपने मुझे बताया के उस वक्त आपके दिमाग मे क्या था आपको कैसा लग रहा था वैसे ही मैं भी अपना पॉइंट ऑफ व्यू आपको बता रही थी क्युकी आप मेरे पति है और बस आप ही है जिससे मैं ये सब बाते कर सकती हु और मुझे खुशी है के आप ये सब बाते समझते है

नेहा ने एक स्माइल के साथ कहा, इस वक्त अपनी बात रखते हुए नेहा ऐसे लग रही थी जैसे वो किसी बिजनस प्रेजेंटेशन मे हो फूल कंसंट्रेशन के साथ

राघव- अपने बारे मे कुछ बताओ, मैं कुछ भी नही जानता हु

राघव ने दूसरी तरफ देखने हुए कहा

नेहा- मुझे लगता है मेरे साथ रह कर आप मेरे बारे मे ज्यादा अच्छे से जान पाएंगे न की सिर्फ सुन कर, इससे हमारा रिश्ता और मजबूत हो सकता है हम एकदूसरे को ज्यादा अच्छे से समझ पाएंगे

नेहा ने मुस्कुरा कर कहा

यार मुझे इतनी समझदार बीवी कैसे मिल गई ये कितनी ऑसम है यार और कितनी प्रैक्टिकल है, मिसेस नेहा देशपांडे तुम इस देश के वन ऑफ द बेस्ट बिजनेस टाइकून की पत्नी के रूप मे बेस्ट हो’ राघव ने मन ही मन सोच...

क्रमश:
It seems the things are changing, a much required talk
 

chawla sahab

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Update 50



राघव के कहने पर शेखर घर आ गया था अपना टास्क पूरा करने लेकिन देशपांडे परिवार के लोगों को एकसाथ बाहर ले जाना आसान काम तो था नहीं लेकिन शेखर पूरी कोशिश मे लगा हुआ था।

शिवशंकर- हम सब को कहा ले जा रहे हो शेखर??

दादू ने कन्फ्यूजन मे पूछा क्युकी दोपहर का समय होने वाला था और ऐसे अचानक शेखर के आने पर वो कंफ्यूज थे क्युकी नॉर्मली शेखर ऑफिस से जल्दी नहीं आ पाता था

शेखर- दादू हम अनाथ आश्रम जा रहे है!!!

शिवशंकर- अचानक क्यू??

शेखर- वो इसीलिए क्युकी वहा गए बहुत समय हो गया है बच्चे याद कर रहे थे हमे और मॉम और बड़ी मा भी मेरी शादी के बाद से वहा नहीं जा पाई है और फिर हम गाँव चले गए थे इसीलिए सोचा आज वहा विज़िट दे दे

शेखर ने बात समझाई

जानकी- बात सही है तुम्हारी लेकिन घर पर भी कोई चाहिए ना और श्वेता भी अपने मायके गई है

मीनाक्षी- हम ऐसा करते है कल चलते है आज मुझे भी थोड़े काम है

शेखर- नहीं!!! मतलब.... मॉम काम तो बाद मे भी हो जाएगा ना और बच्चे राह देख रहे है मैंने उन्हे हम आ रहे है कह दिया है और सब तयारी भी कर ली है और वैसे भी भाभी आ जाएंगी कुछ देर मे

गायत्री- तयारी? कैसी तयारी??

शेखर- आप लोग बहुत ज्यादा सवाल करते हो रेडी हो जाओ ना

क्यू मेरी लाइफ पे काक्रोच चलाना चाहते हो’

शेखर ने सबके सवालों से परेशान होते हुए कहा और बाद वाली लाइन अपने मन मे सोची, वो आज अच्छा फसा था एक तो उसे ऑफिस से कुछ घंटों की छुट्टी लेनी पड़ी ऊपर से उसका भाई उसके काम का बोझ जरा सा भी कम नहीं करने वाला था ये वो जानता था और अब यहा घरवाले भी मान नहीं रहे थे लेकिन जैसे तैसे शेखर ने उन्हे मना लिया था और वो सबको लेकर घर के बाहर चला गया

इधर ऑफिस मे राघव लैपटॉप पर अपना काम कर रहा था तभी उसे डिलीवरी कंपनी से कॉल आया के बेड डिलिवर हो रहा है फिर राघव ने अपने घर पर वर्कर्स को इन्स्ट्रक्शन देकर बेड सही से फिट कराने कहा और फिर उसने सीसीटीवी फुटेज चेक किया जो उसके ऑफिस मे था ताकि वो देख सके के उसके एम्प्लोयी सही काम कर रहे है या नहीं

राघव सीसीटीवी को नॉर्मली ही देख रहा था तभी उसकी नजर एक शक्स पर पड़ी

उसने देखा के नेहा एक लड़के के साथ हस हस कर बाते कर रही थी, राघव ने उस लड़के को गौर से देखा और अभी तक सब कुछ ठीक था लेकिन राघव की आंखे तब बड़ी हो गई जब उसने देखा के नेहा ने उस लड़के के हाथ पर हल्के से मारा और उसके साथ हसने लगे

इतना क्या टची होना है’ राघव का जबड़ा कस गया और वो अपनी जगह से उठा और केबिन के बाहर आया, नेहा और राघव के स्वभाव का सबसे बड़ा डिफरेंस यही था के राघव ज्यादा बोलता नहीं था उसे लोगों मे ज्यादा घुलना मिलना पसंद नहीं था इसीलिए विशाल के अलावा उसका कोई दोस्त भी नहीं था वही नेहा का नेचर एकदम फ़्रेंडली था उसे नए लोगों से मिलना बाते करना पसंद था

नेहा- आप बहुत फनी हो शुभम जी सच मे....

शुभम – थैंक यू मैडम और आप भी....

नेहा – मैडम मत कहो यार हम सेम एज के है आप मुझे नेहा बुला सकते है

शुभम– ओह.. ओके नेहा जी

नेहा- फिर कोई गर्लफ्रेंड वगैरा??

शुभम – ना ना हम सिंगल ही अच्छे है वैसे भी हमे कौनसी लड़की पूछेगी

नेहा- क्यू? तुम अच्छे दिखते हो, तुम्हारी बात चीत से पता चलता है नेचर अच्छा है तुम्हारा मुझे तो पक्का यकीन है के तुम्हें कई लड़कियों ने प्रपोज किया होगा

नेहा के बात पर शुभम ने गर्दन झुका की

शुभम- ऐसा कुछ नहीं है

नेहा – फिर कैसा है

राघव- वो उसे पता चलेगा तब वो आपको जरूर बताएगा मिसेस देशपांडे

नेहा और शुभम बात कर ही रहे थे के तभी राघव वहा आ पहुचा और वो सपाट चेहरे के साथ अपनी जेब मे हाथ डाले उन्हे देख रहा था राघव उनके पास आया और नेहा को कंधे से पकड़ा

शुभम- सर!!

राघव- यस मिस्टर शर्मा और मुझे लगता है आपको सैलरी यहा काम की मिलती है ना की मेरी वाइफ के मनोरंजन की राइट??

राघव ने सख्त लहजे मे कहा लेकिन नेहा ने उसके कंधे पे मारा और उसे चुप होने का इशारा किया

नेहा- ब्रेक टाइम है

राघव- तो हमे भी तो ब्रेक लेना चाहिए ना बेबी

राघव ने नेहा और और करीब खिचा, उसके चेहरे के साफ समझ आ रहा था के उसे नेहा और शुभम का ऐसे हस हस के बाते करना पसंद नहीं आया था शुभम क्या राघव को तो नेहा के आस पास कोई भी लड़का पसंद नहीं आता था खैर इसका कुछ नहीं कर सकते ओवर पज़ेसिव बंदा है वो

शुभम- मुझे अब चलना चाहिए हैव अ गुड डे सर, मैडम

इतना बोल के शुभम वहा से चला गया और उसके जाते ही राघव बोला

राघव- तो चले केबिन मे हमारा ब्रेक टाइम इन्जॉय करने??

जिसके बाद राघव और नेहा राघव के केबिन मे आए, राघव ने दरवाजा बंद किया और नेहा को कमर से पकड़ कर अपनी ओर खिचा, राघव की गर्म सांसे अपनी गर्दन पर महसूस होते ही नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली और राघव के गले मे अपनी बाहों का हार डाले उसे अपने और करीब खिचा

राघव के हाथ अब धीरे धीरे नेहा की नजर से नीचे सरक रहे थे और राघव ने आराम से उसे अपनी गोद मे उठा लिया और अपनी खुर्ची की ओर बढ़ा और उसे लेजाकर टेबल पर बिठाया और फिर उसे लैपटॉप की ओर घुमाया...

राघव- मैंने तुम्हें जो जो सिखाया है अब मुझे बताना जरा

राघव ने नेहा के कान मे कहा अपनी हस्की आवाज मे कहा और नेहा ने अपने ड्रेस को कस के पकड़ रखा था ताकि कही वो अपना कंट्रोल का खो दे, राघव उसके एकदम करीब था और अपनी नाक से नेहा के कान को छेड रहा था

नेहा- वो... आप.... आपने... बताया.... था

राघव- हम्म!!

राघव ने अपना चेहरा नेहा की गर्दन मे दबाया, inhaling her cologne, राघव ने अपनी आंखे बंद कर ली थी और कुछ नहीं सुन रहा था नेहा ने भी अपनी आंखे बंद कर ली और अपनी गर्दन एक ओर झुकाई giving him more access to her neck और राघव उसे गर्दन से चूमने लगा

जैसे ही राघव ने नेहा के गर्दन पर स्वीट स्पॉट पर काटा नेहा के मुह से एक हल्की की सिसकी निकल गई और उसकी सिसकी सुन राघव के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई

राघव- किसी और के अभी ज्यादा करीब मत जाया करो, ok! Or you’ll suffer for it

राघव ने अपनी डीप आवाज मे कहा
.

.

.

जानकी- नेहा!! नेहा! क्या हुआ मैं कब से तुम्हें आवाज दे रही हु

जानकी जी ने नेहा को अपने खयालों से बाहर निकाला नेहा के दिमाग मे दोपहर का ऑफिस वाला सीन चल रहा था और राघव के पज़ेसिव नेस पर वो थोड़ा खुश भी हो रही थी के उसका किसी और से हस कर बात करना भी राघव को मंजूर नहीं था, उस वाकये के बाद ही नेहा ऑफिस से घर लौट आई थी

जानकी- नेहा!

जानकी जी ने नेहा को हिलाया

नेहा- हूह! जी मा!!

जानकी- क्या हुआ है बेटा सब ठीक है ना??

नेहा- हा.. सब.. सब ठीक है बस कुछ सोच रही थी

जानकी- अपने आप पर इतना स्ट्रेस मत डालो ठीक है!!

जानकी जी ने चिंता से कहा और नेहा ने हा मे गर्दन हिला दी

नेहा- मा आप लोग कब आए ?

जानकी- जब तुम दिन मे सपने देख रही थी, मैंने चाय भी बना दी , अब जाओ और ये चाय माजी(दादी) को दे आओ बाहर से आने के बाद उन्हे चाय चाहिए होती है

जिसके बाद नेहा चाय लेकर दादी के कमरे की ओर चली गई

नेहा- दादी आपकी चाय

नेहा ने दादी को चाय का कप देते हुए कहा

गायत्री- नेहा बैठो, मुझे कुछ बात करनी है तुमसे

दादी ने कहा जिसपर नेहा भी वहा बैठ गई

दादी- नेहा, गणेशोत्सव करीब है और ये तुम्हारा और श्वेता का इस घर में पहला त्योहार है तो मैं सोच रही थी के इस साल गणेशोत्सव बड़ी धूम धाम से मनाए, मुझे पता है तुम अपनी अकादेमी के काम से बिजी हो लेकीन थोड़ा ध्यान इसपर भी देना, राघव ने पिछले कुछ सालों से त्योहारों से दूर ही हो गया है वो पूजा मे रहता है फिर वापिस काम मे लग जाता है लेकिन इस बार उसमे बदलाव आया है मैं चाहती हु वो इस साल हमारे साथ पूरा समय रह कर गणेशोत्सव मनाए और उसे मनाने का काम तुम ही कर सकती ही.. करोगी ना

नेहा- मैं वादा करती हु दादी जी वो पूरे दस दिन हमारे साथ होंगे वो भी पूरे दिल से

नेहा की बात से दादी के चेहरे पर स्माइल आ गई उन्होंने नेहा के सर पर प्यार से हाथ फिराया

कुछ देर बाद नेहा अपने कमरे मे आई और वो जो नया बेड आया था उसे अच्छे से देखने लगी उसपर बैठ कर कूद कर हर तरह से नहा ने उसे चेक किया और फिर उसके ध्यान मे आया के वो क्या कर रही है

नेहा- इनके जैसा बिहैव मत करो नेहा ये भी आकार इस बेड को जरूर चेक करेंगे

नेहा ने खुद से ही कहा और तभी उसके रूम का दरवाजा खुला और राघव एक स्माइल के साथ अंदर आया राघव को देखते ही नेहा ने घड़ी की ओर देखा जिसमे शाम के 5 बज रहे थे

नेहा- आप इतनी जल्दी क्यू आ गए??

नेहा के इस सवाल पर राघव की सारी स्माइल ही गायब हो गई वो कुछ और सोच रहा था और हुआ कुछ और

राघव- ये कैसा सवाल है? मैं जल्दी नहीं आ सकता क्या??

नेहा- नहीं मतलब आप इतनी जल्दी कभी आते नहीं हो ना ईसलिए पूछा बस

राघव- मेरा मन किया तो आगया

राघव बेड पर कूदते हुए बोला

राघव- वॉव यार चिक्की सही बेड है ये कम जम्प विद मि

राघव की बात सुन नेहा ने बस उसे देखा

राघव- ऐसे मत देखो चेक करना पड़ेगा ना अगली बार तुम भागोंगी तो टूटना नहीं चाहीये ना

राघव ने हसते हुए कहा वही नेहा उसे घूरते हुए रूम से चली गई.....

--x--

रिद्धि- भाभी हमने आपका डांस विडिओ देखा, इट वाज ऑसम!!

रिद्धि ने नेहा से चिपकते हुए कहा

ये सब लोग साथ बैठे बाते कर रहे थे

श्वेता- भाभी आप सिर्फ क्लासिकल डांस सिखायेंगी या और भी कोई जैसे वेस्टर्न वगैरा

श्वेता ने पूछा लेकिन नेहा इसका जवाब देती इसके पहले ही राघव बोल पड़ा

राघव- ना श्वेता उसे वेस्टर्न स्टाइल डांस नहीं आता और वेस्टर्न लुक मे वो अच्छी भी नहीं लगेगी

राघव ने जान के नेहा को चिढ़ाने के लिए कहा वही नेहा ने सपाट चेहरे से उसकी तरफ देखा

विवेक- तो क्या हुआ सबका अपना अपना स्टाइल होता है हमारी भाभी का अपना स्टाइल है

विवेक अब नेहा के सपोर्ट मे खड़ा हो गया

राघव- तो मैंने इस बात से कब मना किया है ओफकोर्स नेहा एक बढ़िया डान्सर है बट वेस्टर्न इस नॉट हर थिंग

राघव ने आगे कहा और विवेक और रिद्धि ने एकदूसरे को देखा

नेहा- इट्स ओके विवेक आप एक चीज मे अच्छे हो इसका ये मतलब नहीं के आपको सब कुछ आता है चलो मैं चलू मुझे खाने की तयारी करनी है तुम लोग बाते करो

नेहा ने राघव को देखते हुए वहा से जाते हुए कहा और उसके पीछे श्वेता भी चली है और उनके जाते ही रिद्धि राघव से बोली

रिद्धि- आपने ये जानबुझ कर कहा ना वरना भाभी वेस्टर्न ड्रेस मे सुपर दिखती है बस वो यहा वैसे कपड़े नहीं पहनती

रिद्धि की बात सुन राघव ने ऐसा बताया जैसे उसे ये पता था लेकिन नेहा के बारे में आज उसे ये नई बात पता चली थी....

रात के खाने के बाद राघव अपने स्टडी रूम मे अपने चाचा के साथ बिजनेस रेलेटेड बाते डिस्कस कर रहा था और जब सब काम खतम करके वो अपने रूम मे पहुचा तो उसने देखा के उसका कमरा अंधेरे मे डूबा हुआ था उसने नेहा को आवाज भी लगाई लेकिन कोई रिप्लाइ नहीं मिला, नेहा अभी तक कमरे मे नहीं आई है ये सोच के राघव थोड़ा हैरान हुआ क्युकी समय काफी हो गया था

राघव ने अंधेरे मे ही स्विच बोर्ड टटोला और रूम मे डीम लाइट शुरू की जिसने महोल हो थोड़ा रोमांटिक बना दिया और जैसे ही राघव पलटा उसके होश ही उड गए मुह खुला रह गया और आंखे बस बाहर ही आने वाली थी......

ऐसा क्या देख लिया था राघव ने.... जानेंगे अगले अपडेट मे तब तक साथ बने रहिए कमेन्ट कीजिए धन्यवाद।

क्रमश:
vadhiya update brother
 

raman chopra

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राघव के कहने पर शेखर घर आ गया था अपना टास्क पूरा करने लेकिन देशपांडे परिवार के लोगों को एकसाथ बाहर ले जाना आसान काम तो था नहीं लेकिन शेखर पूरी कोशिश मे लगा हुआ था।

शिवशंकर- हम सब को कहा ले जा रहे हो शेखर??

दादू ने कन्फ्यूजन मे पूछा क्युकी दोपहर का समय होने वाला था और ऐसे अचानक शेखर के आने पर वो कंफ्यूज थे क्युकी नॉर्मली शेखर ऑफिस से जल्दी नहीं आ पाता था

शेखर- दादू हम अनाथ आश्रम जा रहे है!!!

शिवशंकर- अचानक क्यू??

शेखर- वो इसीलिए क्युकी वहा गए बहुत समय हो गया है बच्चे याद कर रहे थे हमे और मॉम और बड़ी मा भी मेरी शादी के बाद से वहा नहीं जा पाई है और फिर हम गाँव चले गए थे इसीलिए सोचा आज वहा विज़िट दे दे

शेखर ने बात समझाई

जानकी- बात सही है तुम्हारी लेकिन घर पर भी कोई चाहिए ना और श्वेता भी अपने मायके गई है

मीनाक्षी- हम ऐसा करते है कल चलते है आज मुझे भी थोड़े काम है

शेखर- नहीं!!! मतलब.... मॉम काम तो बाद मे भी हो जाएगा ना और बच्चे राह देख रहे है मैंने उन्हे हम आ रहे है कह दिया है और सब तयारी भी कर ली है और वैसे भी भाभी आ जाएंगी कुछ देर मे

गायत्री- तयारी? कैसी तयारी??

शेखर- आप लोग बहुत ज्यादा सवाल करते हो रेडी हो जाओ ना

क्यू मेरी लाइफ पे काक्रोच चलाना चाहते हो’

शेखर ने सबके सवालों से परेशान होते हुए कहा और बाद वाली लाइन अपने मन मे सोची, वो आज अच्छा फसा था एक तो उसे ऑफिस से कुछ घंटों की छुट्टी लेनी पड़ी ऊपर से उसका भाई उसके काम का बोझ जरा सा भी कम नहीं करने वाला था ये वो जानता था और अब यहा घरवाले भी मान नहीं रहे थे लेकिन जैसे तैसे शेखर ने उन्हे मना लिया था और वो सबको लेकर घर के बाहर चला गया

इधर ऑफिस मे राघव लैपटॉप पर अपना काम कर रहा था तभी उसे डिलीवरी कंपनी से कॉल आया के बेड डिलिवर हो रहा है फिर राघव ने अपने घर पर वर्कर्स को इन्स्ट्रक्शन देकर बेड सही से फिट कराने कहा और फिर उसने सीसीटीवी फुटेज चेक किया जो उसके ऑफिस मे था ताकि वो देख सके के उसके एम्प्लोयी सही काम कर रहे है या नहीं

राघव सीसीटीवी को नॉर्मली ही देख रहा था तभी उसकी नजर एक शक्स पर पड़ी

उसने देखा के नेहा एक लड़के के साथ हस हस कर बाते कर रही थी, राघव ने उस लड़के को गौर से देखा और अभी तक सब कुछ ठीक था लेकिन राघव की आंखे तब बड़ी हो गई जब उसने देखा के नेहा ने उस लड़के के हाथ पर हल्के से मारा और उसके साथ हसने लगे

इतना क्या टची होना है’ राघव का जबड़ा कस गया और वो अपनी जगह से उठा और केबिन के बाहर आया, नेहा और राघव के स्वभाव का सबसे बड़ा डिफरेंस यही था के राघव ज्यादा बोलता नहीं था उसे लोगों मे ज्यादा घुलना मिलना पसंद नहीं था इसीलिए विशाल के अलावा उसका कोई दोस्त भी नहीं था वही नेहा का नेचर एकदम फ़्रेंडली था उसे नए लोगों से मिलना बाते करना पसंद था

नेहा- आप बहुत फनी हो शुभम जी सच मे....

शुभम – थैंक यू मैडम और आप भी....

नेहा – मैडम मत कहो यार हम सेम एज के है आप मुझे नेहा बुला सकते है

शुभम– ओह.. ओके नेहा जी

नेहा- फिर कोई गर्लफ्रेंड वगैरा??

शुभम – ना ना हम सिंगल ही अच्छे है वैसे भी हमे कौनसी लड़की पूछेगी

नेहा- क्यू? तुम अच्छे दिखते हो, तुम्हारी बात चीत से पता चलता है नेचर अच्छा है तुम्हारा मुझे तो पक्का यकीन है के तुम्हें कई लड़कियों ने प्रपोज किया होगा

नेहा के बात पर शुभम ने गर्दन झुका की

शुभम- ऐसा कुछ नहीं है

नेहा – फिर कैसा है

राघव- वो उसे पता चलेगा तब वो आपको जरूर बताएगा मिसेस देशपांडे

नेहा और शुभम बात कर ही रहे थे के तभी राघव वहा आ पहुचा और वो सपाट चेहरे के साथ अपनी जेब मे हाथ डाले उन्हे देख रहा था राघव उनके पास आया और नेहा को कंधे से पकड़ा

शुभम- सर!!

राघव- यस मिस्टर शर्मा और मुझे लगता है आपको सैलरी यहा काम की मिलती है ना की मेरी वाइफ के मनोरंजन की राइट??

राघव ने सख्त लहजे मे कहा लेकिन नेहा ने उसके कंधे पे मारा और उसे चुप होने का इशारा किया

नेहा- ब्रेक टाइम है

राघव- तो हमे भी तो ब्रेक लेना चाहिए ना बेबी

राघव ने नेहा और और करीब खिचा, उसके चेहरे के साफ समझ आ रहा था के उसे नेहा और शुभम का ऐसे हस हस के बाते करना पसंद नहीं आया था शुभम क्या राघव को तो नेहा के आस पास कोई भी लड़का पसंद नहीं आता था खैर इसका कुछ नहीं कर सकते ओवर पज़ेसिव बंदा है वो

शुभम- मुझे अब चलना चाहिए हैव अ गुड डे सर, मैडम

इतना बोल के शुभम वहा से चला गया और उसके जाते ही राघव बोला

राघव- तो चले केबिन मे हमारा ब्रेक टाइम इन्जॉय करने??

जिसके बाद राघव और नेहा राघव के केबिन मे आए, राघव ने दरवाजा बंद किया और नेहा को कमर से पकड़ कर अपनी ओर खिचा, राघव की गर्म सांसे अपनी गर्दन पर महसूस होते ही नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली और राघव के गले मे अपनी बाहों का हार डाले उसे अपने और करीब खिचा

राघव के हाथ अब धीरे धीरे नेहा की नजर से नीचे सरक रहे थे और राघव ने आराम से उसे अपनी गोद मे उठा लिया और अपनी खुर्ची की ओर बढ़ा और उसे लेजाकर टेबल पर बिठाया और फिर उसे लैपटॉप की ओर घुमाया...

राघव- मैंने तुम्हें जो जो सिखाया है अब मुझे बताना जरा

राघव ने नेहा के कान मे कहा अपनी हस्की आवाज मे कहा और नेहा ने अपने ड्रेस को कस के पकड़ रखा था ताकि कही वो अपना कंट्रोल का खो दे, राघव उसके एकदम करीब था और अपनी नाक से नेहा के कान को छेड रहा था

नेहा- वो... आप.... आपने... बताया.... था

राघव- हम्म!!

राघव ने अपना चेहरा नेहा की गर्दन मे दबाया, inhaling her cologne, राघव ने अपनी आंखे बंद कर ली थी और कुछ नहीं सुन रहा था नेहा ने भी अपनी आंखे बंद कर ली और अपनी गर्दन एक ओर झुकाई giving him more access to her neck और राघव उसे गर्दन से चूमने लगा

जैसे ही राघव ने नेहा के गर्दन पर स्वीट स्पॉट पर काटा नेहा के मुह से एक हल्की की सिसकी निकल गई और उसकी सिसकी सुन राघव के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई

राघव- किसी और के अभी ज्यादा करीब मत जाया करो, ok! Or you’ll suffer for it

राघव ने अपनी डीप आवाज मे कहा
.

.

.

जानकी- नेहा!! नेहा! क्या हुआ मैं कब से तुम्हें आवाज दे रही हु

जानकी जी ने नेहा को अपने खयालों से बाहर निकाला नेहा के दिमाग मे दोपहर का ऑफिस वाला सीन चल रहा था और राघव के पज़ेसिव नेस पर वो थोड़ा खुश भी हो रही थी के उसका किसी और से हस कर बात करना भी राघव को मंजूर नहीं था, उस वाकये के बाद ही नेहा ऑफिस से घर लौट आई थी

जानकी- नेहा!

जानकी जी ने नेहा को हिलाया

नेहा- हूह! जी मा!!

जानकी- क्या हुआ है बेटा सब ठीक है ना??

नेहा- हा.. सब.. सब ठीक है बस कुछ सोच रही थी

जानकी- अपने आप पर इतना स्ट्रेस मत डालो ठीक है!!

जानकी जी ने चिंता से कहा और नेहा ने हा मे गर्दन हिला दी

नेहा- मा आप लोग कब आए ?

जानकी- जब तुम दिन मे सपने देख रही थी, मैंने चाय भी बना दी , अब जाओ और ये चाय माजी(दादी) को दे आओ बाहर से आने के बाद उन्हे चाय चाहिए होती है

जिसके बाद नेहा चाय लेकर दादी के कमरे की ओर चली गई

नेहा- दादी आपकी चाय

नेहा ने दादी को चाय का कप देते हुए कहा

गायत्री- नेहा बैठो, मुझे कुछ बात करनी है तुमसे

दादी ने कहा जिसपर नेहा भी वहा बैठ गई

दादी- नेहा, गणेशोत्सव करीब है और ये तुम्हारा और श्वेता का इस घर में पहला त्योहार है तो मैं सोच रही थी के इस साल गणेशोत्सव बड़ी धूम धाम से मनाए, मुझे पता है तुम अपनी अकादेमी के काम से बिजी हो लेकीन थोड़ा ध्यान इसपर भी देना, राघव ने पिछले कुछ सालों से त्योहारों से दूर ही हो गया है वो पूजा मे रहता है फिर वापिस काम मे लग जाता है लेकिन इस बार उसमे बदलाव आया है मैं चाहती हु वो इस साल हमारे साथ पूरा समय रह कर गणेशोत्सव मनाए और उसे मनाने का काम तुम ही कर सकती ही.. करोगी ना

नेहा- मैं वादा करती हु दादी जी वो पूरे दस दिन हमारे साथ होंगे वो भी पूरे दिल से

नेहा की बात से दादी के चेहरे पर स्माइल आ गई उन्होंने नेहा के सर पर प्यार से हाथ फिराया

कुछ देर बाद नेहा अपने कमरे मे आई और वो जो नया बेड आया था उसे अच्छे से देखने लगी उसपर बैठ कर कूद कर हर तरह से नहा ने उसे चेक किया और फिर उसके ध्यान मे आया के वो क्या कर रही है

नेहा- इनके जैसा बिहैव मत करो नेहा ये भी आकार इस बेड को जरूर चेक करेंगे

नेहा ने खुद से ही कहा और तभी उसके रूम का दरवाजा खुला और राघव एक स्माइल के साथ अंदर आया राघव को देखते ही नेहा ने घड़ी की ओर देखा जिसमे शाम के 5 बज रहे थे

नेहा- आप इतनी जल्दी क्यू आ गए??

नेहा के इस सवाल पर राघव की सारी स्माइल ही गायब हो गई वो कुछ और सोच रहा था और हुआ कुछ और

राघव- ये कैसा सवाल है? मैं जल्दी नहीं आ सकता क्या??

नेहा- नहीं मतलब आप इतनी जल्दी कभी आते नहीं हो ना ईसलिए पूछा बस

राघव- मेरा मन किया तो आगया

राघव बेड पर कूदते हुए बोला

राघव- वॉव यार चिक्की सही बेड है ये कम जम्प विद मि

राघव की बात सुन नेहा ने बस उसे देखा

राघव- ऐसे मत देखो चेक करना पड़ेगा ना अगली बार तुम भागोंगी तो टूटना नहीं चाहीये ना

राघव ने हसते हुए कहा वही नेहा उसे घूरते हुए रूम से चली गई.....

--x--

रिद्धि- भाभी हमने आपका डांस विडिओ देखा, इट वाज ऑसम!!

रिद्धि ने नेहा से चिपकते हुए कहा

ये सब लोग साथ बैठे बाते कर रहे थे

श्वेता- भाभी आप सिर्फ क्लासिकल डांस सिखायेंगी या और भी कोई जैसे वेस्टर्न वगैरा

श्वेता ने पूछा लेकिन नेहा इसका जवाब देती इसके पहले ही राघव बोल पड़ा

राघव- ना श्वेता उसे वेस्टर्न स्टाइल डांस नहीं आता और वेस्टर्न लुक मे वो अच्छी भी नहीं लगेगी

राघव ने जान के नेहा को चिढ़ाने के लिए कहा वही नेहा ने सपाट चेहरे से उसकी तरफ देखा

विवेक- तो क्या हुआ सबका अपना अपना स्टाइल होता है हमारी भाभी का अपना स्टाइल है

विवेक अब नेहा के सपोर्ट मे खड़ा हो गया

राघव- तो मैंने इस बात से कब मना किया है ओफकोर्स नेहा एक बढ़िया डान्सर है बट वेस्टर्न इस नॉट हर थिंग

राघव ने आगे कहा और विवेक और रिद्धि ने एकदूसरे को देखा

नेहा- इट्स ओके विवेक आप एक चीज मे अच्छे हो इसका ये मतलब नहीं के आपको सब कुछ आता है चलो मैं चलू मुझे खाने की तयारी करनी है तुम लोग बाते करो

नेहा ने राघव को देखते हुए वहा से जाते हुए कहा और उसके पीछे श्वेता भी चली है और उनके जाते ही रिद्धि राघव से बोली

रिद्धि- आपने ये जानबुझ कर कहा ना वरना भाभी वेस्टर्न ड्रेस मे सुपर दिखती है बस वो यहा वैसे कपड़े नहीं पहनती

रिद्धि की बात सुन राघव ने ऐसा बताया जैसे उसे ये पता था लेकिन नेहा के बारे में आज उसे ये नई बात पता चली थी....

रात के खाने के बाद राघव अपने स्टडी रूम मे अपने चाचा के साथ बिजनेस रेलेटेड बाते डिस्कस कर रहा था और जब सब काम खतम करके वो अपने रूम मे पहुचा तो उसने देखा के उसका कमरा अंधेरे मे डूबा हुआ था उसने नेहा को आवाज भी लगाई लेकिन कोई रिप्लाइ नहीं मिला, नेहा अभी तक कमरे मे नहीं आई है ये सोच के राघव थोड़ा हैरान हुआ क्युकी समय काफी हो गया था

राघव ने अंधेरे मे ही स्विच बोर्ड टटोला और रूम मे डीम लाइट शुरू की जिसने महोल हो थोड़ा रोमांटिक बना दिया और जैसे ही राघव पलटा उसके होश ही उड गए मुह खुला रह गया और आंखे बस बाहर ही आने वाली थी......

ऐसा क्या देख लिया था राघव ने.... जानेंगे अगले अपडेट मे तब तक साथ बने रहिए कमेन्ट कीजिए धन्यवाद।

क्रमश:
nice update
 

Babybulbul

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राघव के कहने पर शेखर घर आ गया था अपना टास्क पूरा करने लेकिन देशपांडे परिवार के लोगों को एकसाथ बाहर ले जाना आसान काम तो था नहीं लेकिन शेखर पूरी कोशिश मे लगा हुआ था।

शिवशंकर- हम सब को कहा ले जा रहे हो शेखर??

दादू ने कन्फ्यूजन मे पूछा क्युकी दोपहर का समय होने वाला था और ऐसे अचानक शेखर के आने पर वो कंफ्यूज थे क्युकी नॉर्मली शेखर ऑफिस से जल्दी नहीं आ पाता था

शेखर- दादू हम अनाथ आश्रम जा रहे है!!!

शिवशंकर- अचानक क्यू??

शेखर- वो इसीलिए क्युकी वहा गए बहुत समय हो गया है बच्चे याद कर रहे थे हमे और मॉम और बड़ी मा भी मेरी शादी के बाद से वहा नहीं जा पाई है और फिर हम गाँव चले गए थे इसीलिए सोचा आज वहा विज़िट दे दे

शेखर ने बात समझाई

जानकी- बात सही है तुम्हारी लेकिन घर पर भी कोई चाहिए ना और श्वेता भी अपने मायके गई है

मीनाक्षी- हम ऐसा करते है कल चलते है आज मुझे भी थोड़े काम है

शेखर- नहीं!!! मतलब.... मॉम काम तो बाद मे भी हो जाएगा ना और बच्चे राह देख रहे है मैंने उन्हे हम आ रहे है कह दिया है और सब तयारी भी कर ली है और वैसे भी भाभी आ जाएंगी कुछ देर मे

गायत्री- तयारी? कैसी तयारी??

शेखर- आप लोग बहुत ज्यादा सवाल करते हो रेडी हो जाओ ना

क्यू मेरी लाइफ पे काक्रोच चलाना चाहते हो’

शेखर ने सबके सवालों से परेशान होते हुए कहा और बाद वाली लाइन अपने मन मे सोची, वो आज अच्छा फसा था एक तो उसे ऑफिस से कुछ घंटों की छुट्टी लेनी पड़ी ऊपर से उसका भाई उसके काम का बोझ जरा सा भी कम नहीं करने वाला था ये वो जानता था और अब यहा घरवाले भी मान नहीं रहे थे लेकिन जैसे तैसे शेखर ने उन्हे मना लिया था और वो सबको लेकर घर के बाहर चला गया

इधर ऑफिस मे राघव लैपटॉप पर अपना काम कर रहा था तभी उसे डिलीवरी कंपनी से कॉल आया के बेड डिलिवर हो रहा है फिर राघव ने अपने घर पर वर्कर्स को इन्स्ट्रक्शन देकर बेड सही से फिट कराने कहा और फिर उसने सीसीटीवी फुटेज चेक किया जो उसके ऑफिस मे था ताकि वो देख सके के उसके एम्प्लोयी सही काम कर रहे है या नहीं

राघव सीसीटीवी को नॉर्मली ही देख रहा था तभी उसकी नजर एक शक्स पर पड़ी

उसने देखा के नेहा एक लड़के के साथ हस हस कर बाते कर रही थी, राघव ने उस लड़के को गौर से देखा और अभी तक सब कुछ ठीक था लेकिन राघव की आंखे तब बड़ी हो गई जब उसने देखा के नेहा ने उस लड़के के हाथ पर हल्के से मारा और उसके साथ हसने लगे

इतना क्या टची होना है’ राघव का जबड़ा कस गया और वो अपनी जगह से उठा और केबिन के बाहर आया, नेहा और राघव के स्वभाव का सबसे बड़ा डिफरेंस यही था के राघव ज्यादा बोलता नहीं था उसे लोगों मे ज्यादा घुलना मिलना पसंद नहीं था इसीलिए विशाल के अलावा उसका कोई दोस्त भी नहीं था वही नेहा का नेचर एकदम फ़्रेंडली था उसे नए लोगों से मिलना बाते करना पसंद था

नेहा- आप बहुत फनी हो शुभम जी सच मे....

शुभम – थैंक यू मैडम और आप भी....

नेहा – मैडम मत कहो यार हम सेम एज के है आप मुझे नेहा बुला सकते है

शुभम– ओह.. ओके नेहा जी

नेहा- फिर कोई गर्लफ्रेंड वगैरा??

शुभम – ना ना हम सिंगल ही अच्छे है वैसे भी हमे कौनसी लड़की पूछेगी

नेहा- क्यू? तुम अच्छे दिखते हो, तुम्हारी बात चीत से पता चलता है नेचर अच्छा है तुम्हारा मुझे तो पक्का यकीन है के तुम्हें कई लड़कियों ने प्रपोज किया होगा

नेहा के बात पर शुभम ने गर्दन झुका की

शुभम- ऐसा कुछ नहीं है

नेहा – फिर कैसा है

राघव- वो उसे पता चलेगा तब वो आपको जरूर बताएगा मिसेस देशपांडे

नेहा और शुभम बात कर ही रहे थे के तभी राघव वहा आ पहुचा और वो सपाट चेहरे के साथ अपनी जेब मे हाथ डाले उन्हे देख रहा था राघव उनके पास आया और नेहा को कंधे से पकड़ा

शुभम- सर!!

राघव- यस मिस्टर शर्मा और मुझे लगता है आपको सैलरी यहा काम की मिलती है ना की मेरी वाइफ के मनोरंजन की राइट??

राघव ने सख्त लहजे मे कहा लेकिन नेहा ने उसके कंधे पे मारा और उसे चुप होने का इशारा किया

नेहा- ब्रेक टाइम है

राघव- तो हमे भी तो ब्रेक लेना चाहिए ना बेबी

राघव ने नेहा और और करीब खिचा, उसके चेहरे के साफ समझ आ रहा था के उसे नेहा और शुभम का ऐसे हस हस के बाते करना पसंद नहीं आया था शुभम क्या राघव को तो नेहा के आस पास कोई भी लड़का पसंद नहीं आता था खैर इसका कुछ नहीं कर सकते ओवर पज़ेसिव बंदा है वो

शुभम- मुझे अब चलना चाहिए हैव अ गुड डे सर, मैडम

इतना बोल के शुभम वहा से चला गया और उसके जाते ही राघव बोला

राघव- तो चले केबिन मे हमारा ब्रेक टाइम इन्जॉय करने??

जिसके बाद राघव और नेहा राघव के केबिन मे आए, राघव ने दरवाजा बंद किया और नेहा को कमर से पकड़ कर अपनी ओर खिचा, राघव की गर्म सांसे अपनी गर्दन पर महसूस होते ही नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली और राघव के गले मे अपनी बाहों का हार डाले उसे अपने और करीब खिचा

राघव के हाथ अब धीरे धीरे नेहा की नजर से नीचे सरक रहे थे और राघव ने आराम से उसे अपनी गोद मे उठा लिया और अपनी खुर्ची की ओर बढ़ा और उसे लेजाकर टेबल पर बिठाया और फिर उसे लैपटॉप की ओर घुमाया...

राघव- मैंने तुम्हें जो जो सिखाया है अब मुझे बताना जरा

राघव ने नेहा के कान मे कहा अपनी हस्की आवाज मे कहा और नेहा ने अपने ड्रेस को कस के पकड़ रखा था ताकि कही वो अपना कंट्रोल का खो दे, राघव उसके एकदम करीब था और अपनी नाक से नेहा के कान को छेड रहा था

नेहा- वो... आप.... आपने... बताया.... था

राघव- हम्म!!

राघव ने अपना चेहरा नेहा की गर्दन मे दबाया, inhaling her cologne, राघव ने अपनी आंखे बंद कर ली थी और कुछ नहीं सुन रहा था नेहा ने भी अपनी आंखे बंद कर ली और अपनी गर्दन एक ओर झुकाई giving him more access to her neck और राघव उसे गर्दन से चूमने लगा

जैसे ही राघव ने नेहा के गर्दन पर स्वीट स्पॉट पर काटा नेहा के मुह से एक हल्की की सिसकी निकल गई और उसकी सिसकी सुन राघव के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई

राघव- किसी और के अभी ज्यादा करीब मत जाया करो, ok! Or you’ll suffer for it

राघव ने अपनी डीप आवाज मे कहा
.

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जानकी- नेहा!! नेहा! क्या हुआ मैं कब से तुम्हें आवाज दे रही हु

जानकी जी ने नेहा को अपने खयालों से बाहर निकाला नेहा के दिमाग मे दोपहर का ऑफिस वाला सीन चल रहा था और राघव के पज़ेसिव नेस पर वो थोड़ा खुश भी हो रही थी के उसका किसी और से हस कर बात करना भी राघव को मंजूर नहीं था, उस वाकये के बाद ही नेहा ऑफिस से घर लौट आई थी

जानकी- नेहा!

जानकी जी ने नेहा को हिलाया

नेहा- हूह! जी मा!!

जानकी- क्या हुआ है बेटा सब ठीक है ना??

नेहा- हा.. सब.. सब ठीक है बस कुछ सोच रही थी

जानकी- अपने आप पर इतना स्ट्रेस मत डालो ठीक है!!

जानकी जी ने चिंता से कहा और नेहा ने हा मे गर्दन हिला दी

नेहा- मा आप लोग कब आए ?

जानकी- जब तुम दिन मे सपने देख रही थी, मैंने चाय भी बना दी , अब जाओ और ये चाय माजी(दादी) को दे आओ बाहर से आने के बाद उन्हे चाय चाहिए होती है

जिसके बाद नेहा चाय लेकर दादी के कमरे की ओर चली गई

नेहा- दादी आपकी चाय

नेहा ने दादी को चाय का कप देते हुए कहा

गायत्री- नेहा बैठो, मुझे कुछ बात करनी है तुमसे

दादी ने कहा जिसपर नेहा भी वहा बैठ गई

दादी- नेहा, गणेशोत्सव करीब है और ये तुम्हारा और श्वेता का इस घर में पहला त्योहार है तो मैं सोच रही थी के इस साल गणेशोत्सव बड़ी धूम धाम से मनाए, मुझे पता है तुम अपनी अकादेमी के काम से बिजी हो लेकीन थोड़ा ध्यान इसपर भी देना, राघव ने पिछले कुछ सालों से त्योहारों से दूर ही हो गया है वो पूजा मे रहता है फिर वापिस काम मे लग जाता है लेकिन इस बार उसमे बदलाव आया है मैं चाहती हु वो इस साल हमारे साथ पूरा समय रह कर गणेशोत्सव मनाए और उसे मनाने का काम तुम ही कर सकती ही.. करोगी ना

नेहा- मैं वादा करती हु दादी जी वो पूरे दस दिन हमारे साथ होंगे वो भी पूरे दिल से

नेहा की बात से दादी के चेहरे पर स्माइल आ गई उन्होंने नेहा के सर पर प्यार से हाथ फिराया

कुछ देर बाद नेहा अपने कमरे मे आई और वो जो नया बेड आया था उसे अच्छे से देखने लगी उसपर बैठ कर कूद कर हर तरह से नहा ने उसे चेक किया और फिर उसके ध्यान मे आया के वो क्या कर रही है

नेहा- इनके जैसा बिहैव मत करो नेहा ये भी आकार इस बेड को जरूर चेक करेंगे

नेहा ने खुद से ही कहा और तभी उसके रूम का दरवाजा खुला और राघव एक स्माइल के साथ अंदर आया राघव को देखते ही नेहा ने घड़ी की ओर देखा जिसमे शाम के 5 बज रहे थे

नेहा- आप इतनी जल्दी क्यू आ गए??

नेहा के इस सवाल पर राघव की सारी स्माइल ही गायब हो गई वो कुछ और सोच रहा था और हुआ कुछ और

राघव- ये कैसा सवाल है? मैं जल्दी नहीं आ सकता क्या??

नेहा- नहीं मतलब आप इतनी जल्दी कभी आते नहीं हो ना ईसलिए पूछा बस

राघव- मेरा मन किया तो आगया

राघव बेड पर कूदते हुए बोला

राघव- वॉव यार चिक्की सही बेड है ये कम जम्प विद मि

राघव की बात सुन नेहा ने बस उसे देखा

राघव- ऐसे मत देखो चेक करना पड़ेगा ना अगली बार तुम भागोंगी तो टूटना नहीं चाहीये ना

राघव ने हसते हुए कहा वही नेहा उसे घूरते हुए रूम से चली गई.....

--x--

रिद्धि- भाभी हमने आपका डांस विडिओ देखा, इट वाज ऑसम!!

रिद्धि ने नेहा से चिपकते हुए कहा

ये सब लोग साथ बैठे बाते कर रहे थे

श्वेता- भाभी आप सिर्फ क्लासिकल डांस सिखायेंगी या और भी कोई जैसे वेस्टर्न वगैरा

श्वेता ने पूछा लेकिन नेहा इसका जवाब देती इसके पहले ही राघव बोल पड़ा

राघव- ना श्वेता उसे वेस्टर्न स्टाइल डांस नहीं आता और वेस्टर्न लुक मे वो अच्छी भी नहीं लगेगी

राघव ने जान के नेहा को चिढ़ाने के लिए कहा वही नेहा ने सपाट चेहरे से उसकी तरफ देखा

विवेक- तो क्या हुआ सबका अपना अपना स्टाइल होता है हमारी भाभी का अपना स्टाइल है

विवेक अब नेहा के सपोर्ट मे खड़ा हो गया

राघव- तो मैंने इस बात से कब मना किया है ओफकोर्स नेहा एक बढ़िया डान्सर है बट वेस्टर्न इस नॉट हर थिंग

राघव ने आगे कहा और विवेक और रिद्धि ने एकदूसरे को देखा

नेहा- इट्स ओके विवेक आप एक चीज मे अच्छे हो इसका ये मतलब नहीं के आपको सब कुछ आता है चलो मैं चलू मुझे खाने की तयारी करनी है तुम लोग बाते करो

नेहा ने राघव को देखते हुए वहा से जाते हुए कहा और उसके पीछे श्वेता भी चली है और उनके जाते ही रिद्धि राघव से बोली

रिद्धि- आपने ये जानबुझ कर कहा ना वरना भाभी वेस्टर्न ड्रेस मे सुपर दिखती है बस वो यहा वैसे कपड़े नहीं पहनती

रिद्धि की बात सुन राघव ने ऐसा बताया जैसे उसे ये पता था लेकिन नेहा के बारे में आज उसे ये नई बात पता चली थी....

रात के खाने के बाद राघव अपने स्टडी रूम मे अपने चाचा के साथ बिजनेस रेलेटेड बाते डिस्कस कर रहा था और जब सब काम खतम करके वो अपने रूम मे पहुचा तो उसने देखा के उसका कमरा अंधेरे मे डूबा हुआ था उसने नेहा को आवाज भी लगाई लेकिन कोई रिप्लाइ नहीं मिला, नेहा अभी तक कमरे मे नहीं आई है ये सोच के राघव थोड़ा हैरान हुआ क्युकी समय काफी हो गया था

राघव ने अंधेरे मे ही स्विच बोर्ड टटोला और रूम मे डीम लाइट शुरू की जिसने महोल हो थोड़ा रोमांटिक बना दिया और जैसे ही राघव पलटा उसके होश ही उड गए मुह खुला रह गया और आंखे बस बाहर ही आने वाली थी......

ऐसा क्या देख लिया था राघव ने.... जानेंगे अगले अपडेट मे तब तक साथ बने रहिए कमेन्ट कीजिए धन्यवाद।

क्रमश:
nice and beautiful update
 

Jos Jerrin

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Update 13




मैं जानती हु ये इतना सब क्यू कर रहे है, ये सब दादाजी की वजह से है।

जब दादाजी ने कहा था के उन्हे इनसे बात करनी है तब वो हमारी तरफ ही देख रहे थे, अच्छा है के ये हम दोनों को एक मौका देनाचाहते है लेकिन जब आप खुद ही पूरे मन से किसी रिश्ते को अपनाने के लिए तयार ना हो तो कोशिश करके क्या फायदा? और ये सब बाते अगर ये खुद से करते तो थोड़ा अच्छा लगता लेकिन सिर्फ दादाजी के कहने से करना.
..
ऐसा नही है के मैं ये सब नही चाहती लेकिन तब जब ये पूरे मन से तयार को ना की तब जब किसी ने इनसे कहा है के मेरा खयाल रखें, वो मेरे लिए इतना सब सिर्फ मुझे अपनी जिम्मेदारी मान कर नही बल्कि प्यार से करते तो अच्छा लगता लेकिन मैं ये उम्मीद किससे लागए बैठी हु ग्रेट राघव देशपांडे से जिनकी डिक्शनरी मे प्यार नाम का शब्द ही नही है।

मैं चाहती हु के वो मुझे सच्चे दिल से अपनाये और फिर मेरे लिए ये सब करे प्यार के लिए ना की जिम्मेदारी निभाने के लिए, मैंने भले ही उनसे वो सब बाते बोली लेकिन जब तक वो शादी का सही मतलब नही समझते मुझे उनसे कोई उम्मीद नहीं है अगर वो ये सब सिर्फ अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए कर रहे है तो मैं भी एक पत्नी होने के नाते अपनी सारी जिम्मेदारिया निभाऊँगी लेकिन अगर वो इससे आगे नही बढ़ते है तो मेरी ओर से भी कोई पहल नहीं होने वाली, मैंने अपनी तरफ से बहुत कोशिश कर ली इस रिश्ते को सवारने की लेकिन उन्होंने हर बार मुझे रोक दिया अब उन्हे ये बात समझनी होगी, अब ऐटिटूड दिखाने की बारी मेरी है उन्हे समझना होगा के मैं भी एक इंसान हु और मुझे भी तकलीफ होती है’


डिनर के बाद से ही नेहा का दिमाग खयालों मे उलझा हुआ था वही राघव के दिमाग मे भी यही सब बाते घूम रही थी।

वो लोग घर लौट आए थे, बस हल्की फुलकी बात चित और एकदूसरे को निहारने के अलावा गाड़ी मे शांति ही छाई हुई थी उसे क्या बात करे समझ नही आता था और वो पहल नही करने वाली थी।

इस वक्त राघव अपने बेड पर बैठा लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था वही नेहा कपड़े बदलने गई हुई थी और जब नेहा रूम मे आई तो उसने देखा के राघव काम मे खोया हुआ था इतना के उसे नेहा के वहा होने का ध्यान भी नही था, नेहा कुछ टाइम बाद बेड की ओर गई तो राघव का ध्यान उसकी तरफ गया, उसने लैपटॉप से नजरे हटा कर नेहा को देखा और बोला

राघव- तुम यहा बेड पर सो जाओ मैं सोफ़े पर सो जाऊंगा

राघव की बात सुन नेहा ने चौक के उसे देखा, ये शब्द सुनते ही नेहा के दिल मे मानो किसी ने सुई चुभो दी हो ऐसे उसे लग रहा था और राघव बेड से उठ ही रहा था के नेहा ने उसे रोक दिया

नेहा- नहीं.. आप सो जाइए यहा, सोफ़े पर आप अनकंफर्टेबल होंगे मेरे लिए सोफ़ा काफी है

नेहा ने बगैर राघव को देखे बेड से तकिया लेते हुए कहा और अलमारी से अपने लिएएक एक्स्ट्रा राजाई ली और सोफ़े की ओर चली गई, तकलीफ तो उसे बहुत हो रही थी राघव के बर्ताव से मतलब ये आदमी कुछ समय पहले इस रिश्ते को चांस देने की बाते कर रहा था और अब ये नेहा के साथ एक बेड भी नही शेयर कर रहा था

राघव- नहीं कोई जरूरत नही है मैं सो जाऊंगा सोफ़े पे तुम बेड पे सो जाओ

राघव ने सोफ़े की तरफ आते हुए कहा लेकिन तब तक नेहा सोफ़े पे फिट हो चुकी थी

नेहा- मैं ठीक हु यहा और वैसे भी बेड आपका है तो आप ही सोइए वहा, गुड नाइट!

नेहा ने थोड़ा हार्शली कहा जो राघव को पसंद नही आया

राघव- मैं कुछ कह रहा हु ना उठो वहा से

राघव ने कडक शब्दों मे कहा लेकिन नेहा ने कोई जवाब नहीं दिया और आखे बंद करके सो गई जिससे राघव को और थोड़ा गुस्सा आ गया

‘अब इसको क्या हो गया यार अभी डिनर के वक्त तक तो सब ठीक था फिर अचानक इसका मूड कैसे बिगड़ा और इतना ऐटिटूड?? कहीं मैंने इसे समझने मे गलती तो नहीं कि ना?’

‘कही ये बेड और सोफ़े वाली बात से तो नहीं? मैंने तो ऐसा इसीलिए कहा के हम कभी सेम बेड पर नहीं सोये है मैं रोज लेट आता था और जब उसे सोते हुए देखता था इसीलिए तब गेस्ट रूम मे सो जाया करता था जिसके बारे मे कोई नहीं जानता क्युकी लेट आके सुबह जल्दी निकल जाओ तो ये बात कीसे पता चलनी थी और कल जब मैं रूम मे सोया था तब मैडम यहा सोने भी नहीं आई उन्होंने सोने के लिए बालकनी को चुना मुझे लगा ये मेरे साथ बेड शेयर करने मे कंफर्टेबल नहीं होगी लेकिन यहा तो मजरा ही अलग है इनके लिए सोचो और इनकी बाते भी सुनो मैं ही गधा हु जो दादू की बात मान के इसे बाहर लेके गया अब नहीं करने वाला मैं कुछ’


ये खयाल तेजी से राघव के दिमाग मे दौड़ने लगे जिससे उसका गुस्सा और भी बढ़ गया और वो तेजी से अपने बेड पर आया वही दूसरी तरफ

‘जब ये मेरे साथ बेड भी शेयर नहीं कर सकते तो फिर इन्होंने इस रीलेशन को चांस देने की बात क्यू कही थी? अब तो मैं कन्फर्म हु के इन्हे वो सब करने दादाजी ने कहा होगा या फिर इन्हे अपने बिहेवियर पर बुरा फ़ील हो रहा होगा के आज मेरा बर्थडे है और किसी ने कुछ नही किया, बस इसीलिए मुझे मेरा बर्थडे पसंद नहीं है। कल को अगर इन्होंने कहा के हमने तो कभी बेड भी शेयर नहीं किया तो इसमे भी कोई चौकने वाली बात नहीं होगी और शायद ये सही भी है क्युकी मैंने कभी उन्हे बेड पर मेरे बाजू मे महसूस ही नहीं किया’

‘मैं ही सबसे बड़ी गधी हु जो मैंने इनकी बातों पे यकीन कर लिया’


सोचते सोचे नेहा की आँखों से आँसू की एक बूंद गिर गई जिसे उसने पोंछ लिया और रूम की खिड़की बंद कर के सो गई

अगली सुबह...

नेहा की आँख आज सुबह जल्दी खुल गई और वो अपनी आंखे मलते हुए सोफ़े पे उठ बैठी, उसने घड़ी की ओर देखा तो इस वक्त सुबह के 6 बज रहे थे और उसकी नजरे बेड की ओर गई तो वो थोड़ा चौकी, राघव अभी घर मे ही था और सो रहा था।

नेहा ने उतरे चेहरे के साथ राघव की ओर देखा और उसकी आँखों के सामने कल रात वाली बात आ गई जिसने उसे उदास कर दिया था नेहा ने एक लंबी सास छोड़ी और उठ कर बाथरूम की ओर चली गई

नहा कर आने के बाद नेहा जब अपने बाल बना थी थी तब उसे आइने मे से राघव को देखा जो सोते वक्त किसी बच्चे जैसे मासूम लग रहा था

नेहा- सोते टाइम चेहरा देखो कितना शांत लगता है पर उठते ही पता नाही कौनसे राक्षस की आत्मा आ जाती है इनमे

नेहा ने खुद से ही धीमी आवाज मे कहा

“रावण” नेहा धीमे से राघव पर अपनी नजरे टिकाए बोली और फिर रेडी होकर रूम से बाहर चली गई

--x--x--

नेहा- मा छोड़िए आप मैं कर लूँगी ये

जानकी- अरे नही बेटा रहने दो मैं कर रही हु ना

नेहा- तो मुझे बताइए मैं क्या करू?

जानकी- राघव घर मे है या चला गया?

नेहा - यही है घर मे सो रहे है

मीनाक्षी- चलो एक चेंज तो आया देखा जीजी काफी दिनों बाद आज वो इस वक्त घर मे है

मीनाक्षी ने किचन मे आते हुए नेहा की बात सुन कर कहा

जानकी- मुझे तो लगता है ना मीनाक्षी नेहा ने ही समझाया होगा उसे

जिसपर नेहा ने एक झूठी मुस्कान दे दी

मीनाक्षी- अच्छा है ना जीजी और मैंने तो सुना है कल कोई डेट पर भी गया था हैना नेहा

मीनाक्षी ने नेहा को छेड़ते हुए कहा जिसपर नेहा कुछ नहीं बोली

नेहा- वो... चाची

जानकी- उसे छेडना बंद करो मीनक्षी देखो तो कैसे शर्म से लाल हुए जा रही है वो लेकिन सच कहू नेहा मैं तुम दोनों के लिए बहुत खुश हु के अब तुम एकदूसरे को समझने लगे हो

‘हम एकदूसरे को कभी नहीं समझ सकते मा और कल की डेट तो बस उनका गिल्ट कम करने के लिए थी’ नेहा ने मन ही मन कहा

जानकी - नेहा एक काम करो तुम ना राघव के लिए लेमन टी बना दो वो जागने वाला होगा और जिम मे जाने के पहले उसे चाय चाहिए होगी

जानकी की बात सुन नेहा ने हा मे गर्दन हिला दी और वो सब अपने अपने काम मे बिजी हो गए

लेमन टी बनाने के बाद वो अपने रूम की ओर जाने लगी और जब वो रूम मे घुसी तो राघव उसे रूम मे कही नहीं दिखा तभी उसे बाथरूम मे पानी गिरने का आवाज आया तो उसने चाय बेड के बाजू वाले टेबल पर रख दी तभी बाथरूम का दरवाजा खुलने का आवाज आया

नेहा पीछे पलटी तब राघव बाथरूम मे बाहर आ रहा था, उन दोनों की नजरे एक सेकंद के लिए टकराई

नेहा- वो.. वो आपकी लेमन टी

नेहा ने नजरे फेरते हुए कहा और रूम से बाहर चली गई वही राघव बस उसे जाते हुए सुने चेहरे से देखता रहा

पता नहीं क्या होगा इन दोनों का बात बनेगी या.....

क्रमश:
communication is the only key here which make make this relationship work
 

Jos Jerrin

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Update 14



“गुड मॉर्निंग भाभी” विवेक ने नेहा को साइड से हग करते हुए कहा

“ओये परे हट मेरी भाभी है वो” रिद्धि ने विवेक को नेहा से दूर करते हुए कहा

"अरे चाहे कितना ही लड़ लो लेकिन भाभी का फेवरेट तो मैं हु, हैना भाभी” शेखर ने पीछे से आते हुए नेहा को पीछे से गले लगाते हुए कहा जैसे कोई बच्चा अपनी मा को लिपटता है वैसे

“ओ हैलो आप श्वेता को भाभी को लाने जाने वाले थे न चलो निकलो फिर शु शु...” विवेक ने शेखर को वहा से भागते हुए कहा जिसके बाद वो तीनों वही लड़ने लगे और उनको अपने लिए ऐसे लड़ते देख नेहा मुस्कुराने लगी

जानकी- ये सब ना तुम्हारे सामने एकदम बच्चे बन जाते है नेहा बताओ इन्हे देख के कौन कहेगा के ये बड़े हो गए है

मीनाक्षी- वही तो.. मुझे तो लगने लगा है नेहा के ऑलरेडी 3 बच्चे है जब खुद का होगा तो संभालने मे दिक्कत ही नहीं होगी

मीनाक्षी ने मुस्कुराकर कर कहा और नेहा बस उन्हे देखने लगी, बच्चों की बात आते ही नेहा के गाल लाल हो गए थे जिन्हे देख जानकी और मीनाक्षी मुस्कुरा रही थी

रिद्धि- क्या हुआ मा आप लोग क्या बाते कर रहे हो

रिद्धि ने उन दोनों को आपस मे मुसकुराते देखा तो पूछा जिससे बाकी दोनों का ध्यान भी उस ओर गया, जानकी ने एक बार नेहा को देखा और फिर मीनाक्षी को फिर बोली

जानकी- उनहू कुछ नहीं हमारी बात है तुम मत ध्यान दो।

जिसके बाद जानकी और भावना वहा से चली गई और नेहा वही खड़ी रही और उनके जाने के बाद शेखर ने नेहा से पूछा

शेखर- भाभी क्या हुआ?

नेहा- न.. नहीं कुछ नही तुम लोग बाहर चलो मैं अभी आयी

वो सब लोग किचन से चले गए और जब नेहा बाहर जाने के लिए मुड़ी तो वो वही जम गई किचन के दरवाजे पे राघव खड़ा था जो अब नेहा से आंखे नहीं मिला रहा था

ये यहा क्या कर रहे है? और इनके गाल क्यू लाल हो रखे है.. कही इन्होंने चाची की बच्चे वाली बात तो नहीं सुन ली? नहीं नेहा उन्होंने नहीं सुना होगा.. वो कैसे सुन सकते है’ नेहा ने मन ही मन सोचा और वहा से चली गई वही राघव भी धीमे से कुछ पुटपुटाया और डायनिंग टेबल पर आकार बैठ गया

नेहा ने पहले राघव को सर्व किया और फिर खुद की प्लेट मे नाश्ता लिया वही बाकी सब भी अपना नाश्ता शुरू कर चुके थे

धनंजय- तो शेखर कब जा रहे हो श्वेता को लाने

शेखर- बस डैड अभी नाश्ता करके जाने वाला हु उसके बाद ऑफिस आऊँगा

शेखर की बात पर धनंजय ने हा मे गर्दन हिला दी

शिवशंकर- और ऑफिस से आने के बाद शाम मे श्वेता को लेकर मेरे रूम मे आ जाना, उसका पहली रसोई का तोहफा बाकी है वो उसे मैं और गायत्री शाम मे ही देंगे

शेखर- जी दादू

जिसके बाद सबने आराम से बात चित करते हुए नाश्ता किया और नाश्ता खतम होने के बाद राघव अपनी जगह से उठा और अपना जरूरी सामान लेकर ऑफिस जाने के लिए निकलने लगा और उसे जाते देख नेहा भी अपनी जगह से उठी और जल्दी से किचन मे चली गई

नेहा किचन से आयी तो उसके हाथ मे लंच बॉक्स था और वो राघव को वो देने उसके पीछे पीछे चली गई

नेहा- रुकिए!

नेहा ने राघव को रोकते हुए कहा, वो दोनों राघव की कार तक पहुचे गए थे और नेहा की आवाज सुन राघव रुक तो गया था लेकिन पलटा नहीं।

नेहा- वो.. आपका लंच बॉक्स

राघव- नहीं चाहिए मुझे

राघव ने रुडली कहा और बस कार का दरवाजा खोलने ही वाला था के नेहा ने उसे वापिस रोका

नेहा- रोज रोज बाहर का खाना अच्छा नहीं होता।

राघव- मैंने क्या खाना है क्या नहीं ये तुम तय नही करोगी मैं देख लूँगा मुझे क्या करना है इसे वापिस अंदर ले जाओ या फेक दो मुझे फरक नहीं पड़ता

राघव ने नेहा की तरफ मुड़ते हुए हार्शली कहा

नेहा- प्लीज!

नेहा ने राघव को समझाने की कोशिश की लेकिन वो वापिस कार की ओर मूड गया मानो उसने नेहा की आवाज ही ना सुनी हो

नेहा- आप मुझसे नाराज है तो रहिए लेकिन ऐसे खाने पर गुस्सा तो मत निकालिए

नेहा का आवाज भारी होने लगा था

राघव- क्यू? क्यू मानू मैं तुम्हारी बात कल जब मैं कुछ कह रहा था तब तुमने सुना था

नेहा- हा लेकिन आप सोफ़े पर सही से नहीं सो पाते और...

राघव- और?? और क्या नेहा

राघव ने एकदम से नेहा के करीब आते हुए पूछा, राघव और नेहा एकदूसरे के एकदम करीब थे इतना के दोनों की साँसे एकदूसरे से टकरा रही थी और राघव इंटेंसली नेहा की आँखों मे देखते हुए बोला जिससे नेहा थोड़ा कसमसाई, वो राघव से आंखे नहीं मिला रही थी

मेरे पास और कोई ऑप्शन भी नहीं था, और मेरा बेड पे सोकर बेड शेयर करना आपको पसंद नहीं आता’

नेहा ने नीचे मुंडी करके सोचा वही

मुझे नहीं पता था तुम मेरे साथ एक बेड भी शेयर नहीं कर सकती’

ये खयाल राघव के मन मे आया

वहा खड़े खड़े नेहा की आंखे पनिया ने लगी थी जिन्हे राघव ने देख लिया और वो मुह ही मुह मे कुछ पुटपुटाया और झटके के साथ नेहा के हाथ से टिफ़िन बॉक्स ले लिया और कार लेकर ऑफिस के लिए निकल गया और नेहा बस उसे जाते हुए देखती रही

नेहा ने अपनी आँख से गिरती उस एक आँसू की बूंद को पोंछा और लंबी सास छोड़ी और अपने चेहरे पर एक झूठी मुस्कान लिए घर मे जाने के लिए मुड़ी ही थी के अपने सामने खड़े शक्स को देख वो थोड़ा चौकी

नेहा- श.. शेखर.. तुम कब आए?

नेहा ने थोड़ा अचकते हुए पूछा, उसे डर था के शेखर ने उनकी बाते न सुन ली हो

शेखर- बस अभी अभी आया भाभी जब भाई की कार निकल रही थी क्यू? कुछ हुआ है क्या? मैंने जल्दी आना था?

शेखर ने अपनी हमेशा वाली टोन मे नेहा से पूछा

नेहा- नहीं कुछ नहीं वो तो बस ऐसे ही पुछ लिया तो जा रहे हो श्वेता को लेने?

जिसपर शेखर ने हा मे गर्दन हिला दी

नेहा- हा तो फिर जल्दी जाओ और मेरी देवरानी को लेकर आओ मैं मिस कर रही हु उसे

शेखर- बस अभी लाया, बाय भाभी आता हु जल्दी

जिसके बाद शेखर भी वहा से निकल गया और नेहा घर के अंदर आयी
--x--x--

श्वेता- क्या हुआ शेरी(शेखर) तुम जब से आए हो कही खोए से लग रहे हो कुछ हुआ है क्या?

श्वेता ने जब शेखर को किसी गहन सोच मे डूबा देखा तो कार मे उससे पुछ लिया, वो लोग घर आने के लिए निकल चुके थे

शेखर- तुम सही थी श्वेता।

श्वेता- क्या हुआ है शेरी, तुम मुझे अब डरा रहे हो एक काम करो पहले गाड़ी साइड मे रोको और मुझे पूरी बात बताओ

शेखर मे अपनी गाड़ी एक साइड रोकी और श्वेता को देखा

श्वेता- क्या हुआ है बेबी

श्वेता ने शेखर का चेहरा अपने दोनों हाथों से थामते हुए पूछा

शेखर - तुम सही थी कुछ तो गलत है!

श्वेता- क्या गलत है? पूरी बात बताओ।

श्वेता- भाई भाभी, श्वेता दोनों के बीच कुछ तो गलत है

श्वेता – और तुम्हें भला ऐसा क्यू लगता है, हा, तुम्ही ने तो कहा था मुझसे के सब नॉर्मल है फिर अब अचानक क्या हुआ?

शेखर- जब मैं तुम्हें लेने के लिए घर ने निकल रहा था तब मैंने भाई भाभी की बाते सुनी थी वो किसी नॉर्मल कपल की तरह नहीं है, भाभी कुछ तो सोफ़े पर सोने के बारे मे बात कर रही थी

शेखर ने कुछ उदासी भरे स्वर मे कहा और फिर उसने पूरी बात श्वेता को बताई

श्वेता- हम इतनी जल्दी किसी भी नतीजे पर नहीं पहुच सकते बेबी, हो सकता है उनकी लड़ाई हुई हो

शेखर- ना! उनकी बातचित से तो ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था के लड़ाई हुई होगी ये कुछ तो और है लेकिन मैं बता नहीं पा रहा हु

श्वेता- तो फिर अब हमे क्या करना है

शेखर- दादू से बात करके देखते है उन्हे जरूर कुछ पता होगा , उन्होंने ही भाई को भाभी से शादी के लिए मनाया था और अगर भाई इससे खुश नहीं थे तो दादू जरूर जानते होंगे एक काम करते है शाम मे मेरे ऑफिस से आने के बाद दादू से इस बारे मे बात करके देखते है

शेखर की बात सुन श्वेता ने भी हा मे गर्दन हिला दी और वो लोग घर आने के लिए निकल गए।

तो क्या लगता है दादू बताएंगे इन्हे पूरी बात?

क्या राघव और नेहा को पास लाने मे शेखर और श्वेता कोई रोल निभाएंगे?

देखते है....

क्रमश:
neha shares a good bond with everyone in the family except raghav, now shekhar and shweta are going to fix things between them
 

Jos Jerrin

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Update 15



शाम मे...

शेखर ऑफिस से वापिस आ चुका था और इस वक्त शेखर और श्वेता दादू दादी के रूम के बाहर खड़े थे और शेखर ने दरवाजा खटखटाकर अंदर आने की पर्मिशन मांगी और जब दादू ने उन्हे अंदर आने कहा तो वो अंदर गए तो देखा के दादू दादी अपने बेड पर बैठे थे

शेखर- दादू आपने बुलाया था हमे

गायत्री- हा! आओ पहले बैठो

दादी के कहते ही शेखर और श्वेता उनके सामने की बेड पर जाकर बैठ गए।

गायत्री- श्वेता तुम्हारे पगफेरे के गिफ्ट के लिए मैं चाहती हु के तुम लोग कही घूमने के लिए कोई जगह चुन कर मुझे बताओ हम तुम्हारी आने जाने और रहने की टिकट्स करवा देंगे

श्वेता- थैंक यू दादीजी- दादाजी पर हम दोनों अभी कही नहीं जाना चाहते

श्वेता ने बहुत नम्रता से कहा ताकि दादू दादी को बुरा ना लगे

शिवशंकर- क्यू?

शेखर - दादू अभी कुछ दिन ही हुए है हमारी शादी को इसीलिए हम अभी कही नहीं जाना चाहते हा लेकिन जब भी कही घूमने जाने का होगा हम आपको बात देंगे

गायत्री- ठीक है जैसा तुम दोनों को ठीक लगे

जिसके बाद दादी बेड से उठी और अपनी अलमारी से कोई चीज निकाली

गायत्री- श्वेता यह लो, ये कंगन मेरी सासुमा के है उन्होंने मुझे दिए थे और अब ये तुम्हारे है

दादी ने श्वेता को कंगन पकड़ाते हुए कहा

श्वेता- पर दादीजी ये मैं कैसे ले लू ये तो मा या बड़ीमा को मिलने चाहिए ना

गायत्री – उन्हे जो मिलना चाहिए था वो मैंने उन्हे दे दिया है और ये कंगन मैंने मेरे पोते की बहु के लिए रखे थे

श्वेता- फिर तो इनपे नेहा भाभी का हक बनता है वो बड़ी है मुझसे

श्वेता की बात सुन गायत्री मुस्कुरा दी जिससे श्वेता थोड़ा शॉक हो गई क्युकी उसने अपनी दादी सास को मुसकुराते हुए देखा ही नहीं था

(राघव पे इन्ही का असर है वो भी हसना नहीं जानता 🤦🏻‍♂️)


गायत्री- ऐसे मत देखो, मैं कम स्माइल करती हु इसका ये मतलब नहीं के मैं मुस्कुरा नहीं सकती, मैंने नेहा के लिए कुछ और रखा है जो उसे सही समय आने पर दूँगी ये कंगन तुम्हारे है शेखर की पत्नी के इसीलिए इन्हें ले लो।

श्वेता ने शेखर क देखा तो उसने हा मे गर्दन हिला दी तो श्वेत ने वो कंगन ले लिए और दादू और दादी का आशीर्वाद भी

गायत्री- मैं मंदिर बंद करने जा रही हु बस अभी आती हु

दादी ने दादू को देखते हुए कहा और वहा से चली गई और दादी के वहा से जाते ही शेखर ने दादू की ओर रुख किया

शेखर- दादू.. वो हमे आपसे कुछ बात करनी थी

शेखर ने संकोच के साथ कहा, वो श्योर नहीं था के वो बात पूछे या नहीं

शिवशंकर- हा बेटा पूछो

शेखर- उम्म.. दादू वो जब आपने भाई की शादी तय की थी तब.. मतलब... भाई खुश..

शेखर की बात पूरी हुई भी नहीं थी के दादू ने उसे बीच मे रोक दिया

शिवशंकर- तो तुमने वो बात नोटिस कर ली

जिसपर शेखर ने हा मे गर्दन हिला दी

शिवशंकर- मुझे बाते घुमानी नहीं आती बच्चे और मुझे लगता है अब तुम इतने बड़े तो हो चुके हो के अपने आसपास क्या चल रहा है उसे समझ सको और वैसे भी ये तो किसी दिन होना ही था

श्वेता- मतलब, मैं समझी नहीं दादू

शिवशंकर- मैं ये कहना चाहता हु के हा तुम्हारा अंदाज सही है, उन दोनों के बीच सब सही नहीं है

दादू के इस तरह सीरीअस होकर बात बताने से शेखर और श्वेता भी शॉक हो गए

शेखर- फिर हमे इन सब महीनों मे इस बारे मे पता कैसे नहीं चला

शिवशंकर- तुमने ये बात नोटिस नहीं की शेखर के तुम्हारा भाई घर के दूर भाग रहा है, उन दोनों की अरेंज मेरिज हुई है, ये मेरा डिसीजन था और सच कहू तो मुझे अपने डिसीजन पर कोई पछतावा नहीं है, राघव शादी के खयाल से खुश नहीं था लेकिन मैंने उसे मनाया था इस शादी के लिए

शेखर- आप ऐसा कैसे कर सकते है दादू? आप जानते है वो दोनों खुश नहीं है फिर आपने उनकी खुशिया क्यू छीनी

शिवशंकर- कौन कहता है वो खुश नहीं है?

दादू के सवाल ने दोनों को चौका दिया

शिवशंकर- तुम्हें कभी ऐसा लगा के वो दोनों एकदूसरे के साथ खुश नहीं है? हम किसी के साथ खुश है या नहीं ये तो हम तब ही जान पाएंगे जब हम उस इंसान के साथ रहेंगे और यहा इन दोनों के बीच सबसे बड़ी समस्या ही ये है, वो दोनों एकदूसरे के लिए अनजान है और एकदूसरे को जानने की समझने की कोशिश भी नहीं कर रहे, राघव को लगता है इस शादी ने उसकी फ्रीडम छीन ली है, वो उस टाइम शादी नहीं करना चाहता था लेकिन अब तुम मुझे एक बात सोचकर बताओ शेखर के क्या तुम्हें नेहा से अच्छी भाभी मिल सकती थी? हमे उससे बेहतर बहु मिल सकती थी?

दादू के सवाल पर शेखर ने ना मे सिर हिला दिया

शेखर- लेकिन दादू भाई का क्या वो...

शिवशंकर- राघव माने या ना माने पर वो अनजाने मे ही नेहा पर डिपेन्डन्ट है, अगर वो दोनों कोशिश करे तो अपने रिश्ते को सवार सकते है लेकिन राघव के लिए परफेक्ट हज़बन्ड यानि बस अपनी जिम्मेदारी निभाना है लेकिन मैं जानता हु के नेहा कभी ये नहीं चाहेगी के वो किसी की जिम्मेदारी बनके रहे, राघव की लाइफ काफी उलझी हुई है शेखर वो किसी के कहता नहीं है लेकिन मुझे यकीन है के उसकी जिंदगी सिर्फ नेहा सवार सकती है, वो दोनों एकदूसरे के लिए एकदम परफेक्ट बस दोनों ही इस बात को समझ नहीं पा रहे है, मैंने दोनों को एकदूसरे की केयर करते देखा है, रमाकांत ने मुझे ऑफिस वाला वाकया बताया था जिसे राघव चाहता तो इग्नोर कर सकता था लेकिन वो वहा नेहा के लिए गया, उन्हे बस एकदूसरे के साथ टाइम बिताना है और देखना समय सब सही कर देगा

दादू की बाते शेखर और श्वेता गौर से सुन रहे थे तभी उन्हे दरवाजा खुलने का आवाज आया देखा तो दादी वापिस आ रही थी

गायत्री- अरे तुम लोग अब भी यही हो?

शेखर- हा वो बस जा ही रहे थे, गुड नाइट दादू गुड नाइट दादी

जिसके बाद शेखर श्वेता के साथ वहा से निकल गया और दादी सवालिया नजरों से दादू को देखने लगी

गायत्री- क्या बता रहे थे आप इन दोनों को

शिवशंकर- कुछ नहीं बस सुखी जीवन जीने के तरीके बात रहा था

दादू ने मुस्कुरा कर कहा और दादी ने अपनी गर्दन झटक दी, वो अच्छे से जानती थी के दादू झूठ बोल रहे है लेकिन उन्होंने आगे नहीं पूछा क्युकी उन्हे ये भी पता था के दादू उन्हे कुछ नहीं बताएंगे

--x--x--

श्वेता- तुम अब भी भाई और भाभी के बारे मे सोच रहे हो ना शेरी?

शेखर- हम्म... तुमको क्या लगता है श्वेता, देखो भाई ना हमेशा से मेरा मेन्टर रहा है मेरा सबसे अच्छा दोस्त भी वही है जिससे मैं सब कुछ शेयर कर सकता हु इसीलिए भाई के लिए बुरा भी लग रहा है के उन्हे उनके पसंद की लड़की से शादी करने नहीं मिली लेकिन इन पाँच महीनों मे भाभी के साथ भी मेरा बॉन्ड भाई जितना ही मजबूत बन गया है, मैंने उनकी आँखों मे हमारे परिवार के लिए प्यार और रीस्पेक्ट देखा है, वो हमेशा भाई की गलतियों पर उनकी एब्सेंस पर पर्दा डालती रही है जैसे उन दोनों के बीच सब सही है कुछ हुआ ही ना हो, इसमे कोई दोराय नहीं है के भाभी ही भाई के लिए सही है लेकिन क्या भाई भाभी के लिए परफेक्ट है.. भाभी की भी तो कुछ इच्छाये होंगी, मुझे ना उन दोनों के लिए बुरा लग रहा है दोनों साथ मे खुश नहीं है

शेखर को सही मे इस सच से तकलीफ हो रही थी, उसके दो सबसे करीबी लोगों की जिंदगिया उलझी हुई थी

श्वेता- शेरी, बेबी लेकिन दादाजी भी तो सही कह रहे थे ना, ये मामला उन दोनों को ही संभालना होगा बगैर कोशिश किए सब सही कैसे होगा, जब तक वो दोनों ही कोशिश नहीं करेंगे तो हम भी क्या कर सकते है

शेखर- हम्म सही है, पता है श्वेता वो दोनों एकदूसरे के लिए परफेक्ट है बस इस बात को जान नहीं पा रहे और इसके लिए उन्हे साथ रहना होगा बात करनी होगी और ये है के एकदूसरे से दूर भागते रहते है

श्वेता- मेरे पास एक आइडिया है!

शेखर- क्या है जल्दी बताओ?

तो क्या होगा अब श्वेता का आइडिया क्या ये दोनों उन दोनों को पास ला पाएंगे?

क्रमश:
neha deserves better and raghav got better than he deserves 🙂
 

Jos Jerrin

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Update 16



श्वेता- मेरे पास एक आइडिया है!

अब आगे...

अगले दिन

नेहा- श्वेता तुम्हें क्या मिल जाएगा ये सब करके क्यू परेशान कर रही हो रहने दो ना..

नेहा ने श्वेता से रिक्वेस्ट करते हुए कहा जो उसे अपने साथ ऑफिस ले जा रही थी, श्वेता को ऑफिस मे शेखर के साथ लंच करना था लेकिन वो अकेले नहीं जाना चाहती थी इसीलिए उसने नेहा को अपने साथ चलने के लिए मना लिया था और इसी के लिए नेहा उसे ना कर रही थी

श्वेता- भाभी आपको भईया के साथ टाइम स्पेन्ड करने का मौका मिल रहा है और मुझे शेखर के साथ तो इन्जॉय कीजिए ना क्यू इतना भाव खाना, मुझे पता है भईया के बिजी शेड्यूल की वजह से आपको साथ मे वक्त बिताने का मौका नहीं मिल पाता।

श्वेता ने एकदम मासूम बनते हुए नेहा से कहा मानो उसने कोई प्लान बनाया ही ना हो और नेहा को अपनी बात से कन्विन्स करने लगी

नेहा- वो... वो अभी बिजी होंगे श्वेता, तुम जाओ न शेखर के साथ टाइम स्पेन्ड करो

श्वेता- आरे चलो ना भाभी, हम बस साथ मे लंच करेंगे और वापिस आ जाएंगे अब बस हा पहुचने वाले है हम

तुम नहीं जानती श्वेता उन्हे ये पसंद नहीं आएगा, वो एक स्मार्ट हॉट और हैंडसम पिशाच है खून पी जाएंगे मेरा’ नेहा ने अपने नाखून चबाते हुए मन ही मन सोचा

जब वो दोनों ऑफिस पहुची सबने उन्हे अच्छे से ग्रीट किया और वो आगे बढ़ गई

श्वेता- भाभी आप पापा और बड़ेपापा को बुला लीजिए मैं राघव भईया और शेखर को बुला लेती हु और फिर आप भी राघव भईया के केबिन मे आ जाइए

श्वेता की बात सुन नेहा ने एकदम से हा मे गर्दन हिला दी, वो तो बस इस बात से खुश थी के कंपनी मे आते आते ही उसे राघव को फेस नहीं करना पड़ेगा।

नेहा अपने रास्ते चली गई और श्वेता शेखर के केबिन की ओर चली गई

श्वेता- बेब....

बोलते बोलते श्वेता रुक गई, वो जब केबिन को बगैर नॉक किए खोल रही थी उसने देखा के कोई शेखर से बात कर रहा है और जब उन्होंने श्वेता की आवाज सुनी तो वो लोग उसकी ओर देखने लगे, वो आदमी श्वेता को देख मुस्कुराया और फिर शेखर से बोला

आदमी- मैं बाद मे आता हु सर इतना भी इम्पॉर्टन्ट काम नहीं है..

इतना बोल के वो आदमी अपनी फाइल लेकर वहा से चला गया और शेखर श्वेता के करीब आया और उसके कमर के हाथ डाल के उसे अपने करीब खिचा

शेखर- हैलो हनी..

लेकिन शेखर आगे कुछ बोलता या कुछ करता उससे पहले ही श्वेता ने उसके होंठों पर उंगली रख कर उसे रोक दिया


श्वेता- मेरे प्यारे पतिदेव ये प्यार भरी गुलुगुलू हम घर पर करेंगे अभी हमे और भी इम्पॉर्टन्ट काम करने है

जिसके बाद शेखर के दिमाग की बत्ती जली

शेखर- हा हा चलो

--x--x--

राघव अपने केबिन मे अपने एक क्लाइंट से बात कर रहा था।

राघव- मिस्टर नायर आप बिल्कुल निश्चिंत रहे हमारी कंपनी आपको शिकायत का मौका नहीं देगी वी विल डू आर बेस्ट।

नायर- जानता हु मिस्टर देशपांडे इसीलिए तो ये प्रोजेक्ट मैंने आपको सौपा है, आपके साथ काम करके खुशी होगी।

डील फाइनल होते साथ ही राघव ने उनके साथ हाथ मिलाया और फिर राघव का अससिस्टेंट नायर को लेकर केबिन के बाहर चला गया और राघव अपनी खुर्ची पर आकार बैठा ही था के राघव को अपने केबिन का दरवाजा खुलने का आवाज आया, ऐसे बगैर इजाजत के कौन आया है ये देखने राघव उस ओर मूडा तो उसने देखा के शेखर उसके केबिन मे आ रहा है और वो बस शेखर को बिना नॉक किए आने के लिए डाटने ही वाला था के उसने देखा के उसके साथ श्वेता भी है तो वो चुप हो गया और शेखर को देखने लगा

शेखर- क्या? ऐसे क्या देख रहे हो हम नही आ सकते क्या?

शेखर ने राघव के इक्स्प्रेशन देखते हुए पूछा

राघव- आ तो सकते हो लेकिन क्या है ना तुम मेरे पास बगैर किसी रीज़न के नहीं आते..

श्वेता- वो भईया हमने सोच के क्यू न लंच साथ किया जाए इसीलिए चले आए

इससे पहले की शेखर कुछ उलजुलूल बात करता श्वेता ने बात संभाल ली जिसपर राघव ने भी हा मे गर्दन हिला दी और राघव की नजरे दरवाजे ही ओर घूम गई मानो किसी को वहा तलाश रही हो पर वहा कोई नहीं था

राघव - तुम अकेली आयी हो?

श्वेता- भईया आप किसी और की राह देख रहे थे क्या?

राघव- छे छे बस ऐसे ही पुछ लिया

शेखर और श्वेता दोनों की जानते थे के राघव किसके बारे मे पूछ रहा था उन्होंने एकदूसरे को देख स्माइल पास की और राघव को देखने लगे

शेखर- भाई मुझे लगता है आपको भाभी को बुला लेना चाहिए

राघव- क्यू?

शेखर- क्यू मतलब, फिर आप भाभी को मिस नहीं करेंगे ना और उन्हे भी आपसे बात करके अच्छा लगेगा

राघव ने शेखर को पूरा इग्नोर कर दिया और बोला

राघव- हमे लंच कर लेना चाहिए, मुझ उसके बाद बहुत काम करने है।

राघव ने सोफ़े की ओर जाते हुए कहा

शेखर- भाई आपके पास भाभी का फोन नंबर नहीं है क्या?

शेखर के सवाल ने राघव को अपनी जगह पर रोक दिया

राघव- शेखर बेहतर होगा अगर तुम अपने ये सवाल जवाब बंद करो और खाना खाओ

राघव ने कहा और सोफ़े पर बैठ कर अपना फोन चलाने लगा वही शेखर और श्वेता ने ‘इनका कुछ नहीं हो सकता’ वाले लुक के साथ एकदूसरे को देखा

श्वेता- एक मिनट, मुझे पहले भाभी को कॉल करने दो वो मुझे ढूंढ रही होंगी

श्वेता ने नेहा को कॉल लगाते हुए कहा और नेहा के बारे मे सुन के राघव ने झटके के साथ उन दोनों को देखा

राघव- तुमने ऑफिस आने के पहले किसी को बताया नहीं?

श्वेता- बताया था भईया और भाभी भी यही है वो पापा और बड़े पापा को बुलाने गई है

शेखर- लेकिन पापा और बड़े पापा तो लंच के लिए हमारे बिजनेस पार्टनर्स के साथ बाहर गए है फिर भाभी कहा है?

शेखर ने मासूम बनते हुए पूछा मानो उसे कुछ पता ही ना हो

राघव- तुमने उसे अकेला छोड़ दिया??

राघव ने श्वेता से पूछा, उसका चेहरा तो इक्स्प्रेशन लेस था लेकिन आवाज मे टेंशन साफ दिख रहा था, उसे तीन दिन पहले वाला किस्सा याद आ गया

राघव- तुम्हें उसके साथ रहना चाहिए था श्वेता तुम ऑफिस पहले भी आ चुकी हो लेकिन उसके लिए यहा सब नया है तुम जानती हो ना वो ऑफिस नहीं आती है फिर कैसे तुमने...?

राघव अपनी जगह से उठा और दरवाजे की ओर जाने लगा मानो ऑफिस मे आग लग गई हो और उसे ऐसे नेहा की चिंता करता देख शेखर और श्वेता मुस्कुराने लगे, राघव ने दरवाजा खोला और आगे बढ़ने ही वाला था के वो किसी से टकरा गया नतिजन उस बंदे का बैलेंस बिगड़ गया और वो गिरने ही वाली थी के राघव ने उसे कमर से पकड़ लिया

राघव ने उस शक्स को देखा तो वो कोई और नहीं बल्कि नेहा ही थी और वो भी उसकी बाहों मे उसके इतने करीब की दोनों की साँसे एकदूसरे से टकरा रही थी, राघव ने नेहा को अपनी तरफ खिचा जिससे नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली और वो बस नेहा के चेहरे को देखता रहा, कुछ पल बाद नेहा ने अपनी आंखे खोली और राघव को देखा और वो दोनों एकदूसरे की आँखों मे खो गए

ये पहली बार था जब नेहा ऐसे राघव की बाहों मे थी, पहली बार उसे नेहा की फिक्र हो रही थी पहली बार उसने नेहा को ऐसे देखा था पहली बार राघव को ऐसा लग रहा था मानो ये पल यही रुक जाए और वो सारा दिन नेहा हो ऐसे ही देखता रहे लेकिन उनका ये खूबसूरत मोमेंट तब टूटा जब उन्होंने किसी के गला खखारने की आवाज सुनी और राघव वापिस वर्तमान मे लौट आया और नेहा को सही से खड़ा करके बाजू मे हट गया

शेखर- मुझे लगता है हमने आपका मोमेंट डिस्टर्ब कर दिया भाई

शेखर ने बड़ी स्माइल के साथ कहा लेकिन राघव ने इस बार भी उसे इग्नोर कर दिया और बोला

राघव- अब लंच कर ले

वही श्वेता ने नेहा को देखा और बोली

श्वेता- हा हा, भईया भाभी अपना मोमेंट खाने के बाद बना लेंगे, हैना भाभी?

श्वेता ने नेहा को देखते हुए कहा जो वहा किसी पुतले की तरह खड़ी थी और अभी हुआ सीन पचाने की कोशिश मे थी।

राघव ने अपनी आँखों के कोने से नेहा को देखा जो अब भी वही खड़ी थी और उसने श्वेता की बात पर भी कुछ रिएक्ट नहीं किया था

श्वेता- भाभी!

नेहा- हूह? क्या.. क्या हुआ?

नेहा अब अपनी खोई हुई दुनिया से बाहर निकली

शेखर- आपको क्या हुआ है? चेहरा देखो अपना लाल हुआ जा रहा है, मुझे नहीं पता था के भाई का आप पर ऐसा असर होता है l

शेखर राघव और नेहा के मजे लेने की पूरी कोशिश मे था लेकिन उसे वैसा रिस्पॉन्स ही नहीं मिल रहा था और राघव उसे ऐसे देख रहा था जैसे वो दूसरे ग्रह से आया हो

नेहा- नहीं!

श्वेता- नहीं मतलब ?

नेहा- नहीं! मतलब हा.. नहीं अरे यार....

नेहा कन्फ्यूज़ भी थी और नर्वस भी इन दोनों के सवाल खतम ही नहीं हो रहे थे वही राघव भी उसे देख रहा था जिससे नेहा और ज्यादा नर्वस फ़ील कर रही थी

नेहा- लंच कर ले?

नेहा ने बात बदलते हुए कहा और सोफ़े ही तरफ आ गई और खाना परोसने लगी वही शेखर और श्वेता दोनों के हर मूव को देख रहे थे।

श्वेता ने शेखर को देख कर आँख मारी और शेखर ने भी थम्ब्सअप करके प्लान के पार्ट 2 को आगे बढ़ाने कहा।

नेहा और राघव अपना अपना खाना खा रहे थे या यू कहे निगल रहे थे, क्यू? क्युकी जो दूसरा कपल वहा मौजूद था वो एकदूसरे को अपने हाथों से खाना खिला रहा था एक परफेक्ट कपल की तरफ, जिससे ये दोनों थोड़ा असहज महसूस कर रहे थे उनका परफेक्ट बॉन्डिंग देख कर

शेखर- भाई क्या अकेले खा रहे हो यार भाभी को खिलाओ आपके हाथ से

राघव- तू अपना खाना खा हम ऐसे ही ठीक है

राघव ने कहा जिससे नेहा हो थोड़ी तकलीफ हुई, ये तो साफ था के वो ऐसे नहीं रहना चाहती थी, उसकी भी राघव ने कुछ अपेक्षाएं थी, वो उन दोनों का रिश्ता सुधारणा चाहती थी, वो राघव से उसकी इच्छाये जानना चाहती थी लेकिन राघव के गुस्से से डरती थी, राघव ने कभी उससे बगैर काम के बात नहीं की थी वो तो उसे ऐसे इग्नोर करता था जैसे नेहा वहा हो ही ना जिससे नेहा को और भी ज्यादा तकलीफ हो रही थी, राघव ने नेहा के लिए जो कुछ भी किया था दादू के कहने पर किया था ना की दिल से।

यही सब बाते सोचते हुए नेहा की आँखों से आँसू बहने लगे, शेखर और श्वेता जो एकदूसरे से लगातार बाते कर रहे थे वो नेहा को देख रुक गए, उनकी स्माइल नेहा को देख गायब हो गई थी और रूम मे एकदम से छायी शांति से राघव ने अपनी प्लेट से ध्यान हटा कर ऊपर देखा तो उसकी नजरे भी रोती हुई नेहा पर पड़ी

श्वेता- भाभी क्या हुआ ?

श्वेता ने पूछा, वो नेहा को इन सब में हर्ट नहीं करना चाहती थी

शेखर- भाभी क्या हुआ है बताइए ना? आप ऐसे रो क्यू रही है?

लेकिन नेहा कुछ नहीं बोली और वहा से उठ कर जल्दी जल्दी रूम के बाहर भाग गई, शेखर ने नेहा को रोकने की कोशिश की लेकिन तब तक नेहा वहा से जा चुकी थी

श्वेता- मैं जाती हु भाभी के पीछे।

इतना बोल के श्वेता भी नेहा के पीछे चली गई

शेखर- भाई! भाभी! आपने रोका क्यू नहीं उन्हे वो रो रही थी, जाओ भाई रोको उनको शी नीड्स यू...

लेकिन राघव अपनी जगह ने नहीं हिला वो बस अपनी जगह पर खड़ा सर झुकाए जमीन को देखता रहा और राघव के इस बर्ताव से अब शेखर को गुस्सा आ रहा था।

शेखर- भाई क्या करना चाहते हो? भूलो मत पत्नी है वो आपकी और आप उनके साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हो? मुझे लगा था आपमे कुछ चेंजेस आए होंगे पर नहीं, वो जब भी आपके पास आना चाहती है आप उनको अपने से दूर कर देते हो, आपको उन्हे समझना होगा भाई और आप मेरी भाभी को ऐसे परेशान नहीं कर सकते वरना...

राघव- शेखर.. ये हमारा पर्सनल मैटर है तुम इससे दूर रहो और अब जाओ काम करने है मुझे

राघव ने रुडली शेखर को वहा से जाने कहा और शेखर भी जानता था के राघव से बात करने का कोई फायदा नहीं है उसे नेहा से ही बात करनी होगी

अब कैसे समझाऊ भाभी को, ये भाई भी सुनने को तयार ही नहीं यार क्या करने चले थे और क्या होगया लगा था सब ठीक कर देंगे लेकिन ये अलग रायता फैल गया अब कैसे समेटु इसको... शायद मैं जानता हु भाई ऐसा बिहेव क्यू कर रहा है, मुझे लगा था भाई वो सब भूल गया होगा लेकिन नही उसकी गाड़ी अब भी वहा अटकी है, लगता है अब भाभी को सब सच बताना ही पड़ेगा उन्हे सब कुछ जानने का अधिकार है।’

शेखर ने अपनी सोच मे गुम राघव के कैबिन का दरवाजा खोला तो सामने खड़े शक्स को देख वो थोड़ा चौका, उसके सामने राघव का सबसे अच्छा दोस्त विशाल खड़ा था और विशाल को देख के साफ पता चल रहा था के उसे अभी अभी हुई घटना की पूरी खबर है और वो काफी कन्फ्यूज स्टेट मे था...

अब क्या विशाल राघव को समझा पाएगा या नेहा को ही कुछ करना पड़ेगा और शेखर कैसे राघव और नेहा की नैया पार लगाएगा देखते है..



क्रमश:
I think raghav have serious ex issues
Past relationships are not bad but if they still hold the effect then it's definitely a wrong thing lets see what happens next
 
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