queen sandhya
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Veri nyc stori dearUpdate 50
राघव के कहने पर शेखर घर आ गया था अपना टास्क पूरा करने लेकिन देशपांडे परिवार के लोगों को एकसाथ बाहर ले जाना आसान काम तो था नहीं लेकिन शेखर पूरी कोशिश मे लगा हुआ था।
शिवशंकर- हम सब को कहा ले जा रहे हो शेखर??
दादू ने कन्फ्यूजन मे पूछा क्युकी दोपहर का समय होने वाला था और ऐसे अचानक शेखर के आने पर वो कंफ्यूज थे क्युकी नॉर्मली शेखर ऑफिस से जल्दी नहीं आ पाता था
शेखर- दादू हम अनाथ आश्रम जा रहे है!!!
शिवशंकर- अचानक क्यू??
शेखर- वो इसीलिए क्युकी वहा गए बहुत समय हो गया है बच्चे याद कर रहे थे हमे और मॉम और बड़ी मा भी मेरी शादी के बाद से वहा नहीं जा पाई है और फिर हम गाँव चले गए थे इसीलिए सोचा आज वहा विज़िट दे दे
शेखर ने बात समझाई
जानकी- बात सही है तुम्हारी लेकिन घर पर भी कोई चाहिए ना और श्वेता भी अपने मायके गई है
मीनाक्षी- हम ऐसा करते है कल चलते है आज मुझे भी थोड़े काम है
शेखर- नहीं!!! मतलब.... मॉम काम तो बाद मे भी हो जाएगा ना और बच्चे राह देख रहे है मैंने उन्हे हम आ रहे है कह दिया है और सब तयारी भी कर ली है और वैसे भी भाभी आ जाएंगी कुछ देर मे
गायत्री- तयारी? कैसी तयारी??
शेखर- आप लोग बहुत ज्यादा सवाल करते हो रेडी हो जाओ ना
‘क्यू मेरी लाइफ पे काक्रोच चलाना चाहते हो’
शेखर ने सबके सवालों से परेशान होते हुए कहा और बाद वाली लाइन अपने मन मे सोची, वो आज अच्छा फसा था एक तो उसे ऑफिस से कुछ घंटों की छुट्टी लेनी पड़ी ऊपर से उसका भाई उसके काम का बोझ जरा सा भी कम नहीं करने वाला था ये वो जानता था और अब यहा घरवाले भी मान नहीं रहे थे लेकिन जैसे तैसे शेखर ने उन्हे मना लिया था और वो सबको लेकर घर के बाहर चला गया
इधर ऑफिस मे राघव लैपटॉप पर अपना काम कर रहा था तभी उसे डिलीवरी कंपनी से कॉल आया के बेड डिलिवर हो रहा है फिर राघव ने अपने घर पर वर्कर्स को इन्स्ट्रक्शन देकर बेड सही से फिट कराने कहा और फिर उसने सीसीटीवी फुटेज चेक किया जो उसके ऑफिस मे था ताकि वो देख सके के उसके एम्प्लोयी सही काम कर रहे है या नहीं
राघव सीसीटीवी को नॉर्मली ही देख रहा था तभी उसकी नजर एक शक्स पर पड़ी
उसने देखा के नेहा एक लड़के के साथ हस हस कर बाते कर रही थी, राघव ने उस लड़के को गौर से देखा और अभी तक सब कुछ ठीक था लेकिन राघव की आंखे तब बड़ी हो गई जब उसने देखा के नेहा ने उस लड़के के हाथ पर हल्के से मारा और उसके साथ हसने लगे
‘इतना क्या टची होना है’ राघव का जबड़ा कस गया और वो अपनी जगह से उठा और केबिन के बाहर आया, नेहा और राघव के स्वभाव का सबसे बड़ा डिफरेंस यही था के राघव ज्यादा बोलता नहीं था उसे लोगों मे ज्यादा घुलना मिलना पसंद नहीं था इसीलिए विशाल के अलावा उसका कोई दोस्त भी नहीं था वही नेहा का नेचर एकदम फ़्रेंडली था उसे नए लोगों से मिलना बाते करना पसंद था
नेहा- आप बहुत फनी हो शुभम जी सच मे....
शुभम – थैंक यू मैडम और आप भी....
नेहा – मैडम मत कहो यार हम सेम एज के है आप मुझे नेहा बुला सकते है
शुभम– ओह.. ओके नेहा जी
नेहा- फिर कोई गर्लफ्रेंड वगैरा??
शुभम – ना ना हम सिंगल ही अच्छे है वैसे भी हमे कौनसी लड़की पूछेगी
नेहा- क्यू? तुम अच्छे दिखते हो, तुम्हारी बात चीत से पता चलता है नेचर अच्छा है तुम्हारा मुझे तो पक्का यकीन है के तुम्हें कई लड़कियों ने प्रपोज किया होगा
नेहा के बात पर शुभम ने गर्दन झुका की
शुभम- ऐसा कुछ नहीं है
नेहा – फिर कैसा है
राघव- वो उसे पता चलेगा तब वो आपको जरूर बताएगा मिसेस देशपांडे
नेहा और शुभम बात कर ही रहे थे के तभी राघव वहा आ पहुचा और वो सपाट चेहरे के साथ अपनी जेब मे हाथ डाले उन्हे देख रहा था राघव उनके पास आया और नेहा को कंधे से पकड़ा
शुभम- सर!!
राघव- यस मिस्टर शर्मा और मुझे लगता है आपको सैलरी यहा काम की मिलती है ना की मेरी वाइफ के मनोरंजन की राइट??
राघव ने सख्त लहजे मे कहा लेकिन नेहा ने उसके कंधे पे मारा और उसे चुप होने का इशारा किया
नेहा- ब्रेक टाइम है
राघव- तो हमे भी तो ब्रेक लेना चाहिए ना बेबी
राघव ने नेहा और और करीब खिचा, उसके चेहरे के साफ समझ आ रहा था के उसे नेहा और शुभम का ऐसे हस हस के बाते करना पसंद नहीं आया था शुभम क्या राघव को तो नेहा के आस पास कोई भी लड़का पसंद नहीं आता था खैर इसका कुछ नहीं कर सकते ओवर पज़ेसिव बंदा है वो
शुभम- मुझे अब चलना चाहिए हैव अ गुड डे सर, मैडम
इतना बोल के शुभम वहा से चला गया और उसके जाते ही राघव बोला
राघव- तो चले केबिन मे हमारा ब्रेक टाइम इन्जॉय करने??
जिसके बाद राघव और नेहा राघव के केबिन मे आए, राघव ने दरवाजा बंद किया और नेहा को कमर से पकड़ कर अपनी ओर खिचा, राघव की गर्म सांसे अपनी गर्दन पर महसूस होते ही नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली और राघव के गले मे अपनी बाहों का हार डाले उसे अपने और करीब खिचा
राघव के हाथ अब धीरे धीरे नेहा की नजर से नीचे सरक रहे थे और राघव ने आराम से उसे अपनी गोद मे उठा लिया और अपनी खुर्ची की ओर बढ़ा और उसे लेजाकर टेबल पर बिठाया और फिर उसे लैपटॉप की ओर घुमाया...
राघव- मैंने तुम्हें जो जो सिखाया है अब मुझे बताना जरा
राघव ने नेहा के कान मे कहा अपनी हस्की आवाज मे कहा और नेहा ने अपने ड्रेस को कस के पकड़ रखा था ताकि कही वो अपना कंट्रोल का खो दे, राघव उसके एकदम करीब था और अपनी नाक से नेहा के कान को छेड रहा था
नेहा- वो... आप.... आपने... बताया.... था
राघव- हम्म!!
राघव ने अपना चेहरा नेहा की गर्दन मे दबाया, inhaling her cologne, राघव ने अपनी आंखे बंद कर ली थी और कुछ नहीं सुन रहा था नेहा ने भी अपनी आंखे बंद कर ली और अपनी गर्दन एक ओर झुकाई giving him more access to her neck और राघव उसे गर्दन से चूमने लगा
जैसे ही राघव ने नेहा के गर्दन पर स्वीट स्पॉट पर काटा नेहा के मुह से एक हल्की की सिसकी निकल गई और उसकी सिसकी सुन राघव के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई
राघव- किसी और के अभी ज्यादा करीब मत जाया करो, ok! Or you’ll suffer for it
राघव ने अपनी डीप आवाज मे कहा
.
.
.
जानकी- नेहा!! नेहा! क्या हुआ मैं कब से तुम्हें आवाज दे रही हु
जानकी जी ने नेहा को अपने खयालों से बाहर निकाला नेहा के दिमाग मे दोपहर का ऑफिस वाला सीन चल रहा था और राघव के पज़ेसिव नेस पर वो थोड़ा खुश भी हो रही थी के उसका किसी और से हस कर बात करना भी राघव को मंजूर नहीं था, उस वाकये के बाद ही नेहा ऑफिस से घर लौट आई थी
जानकी- नेहा!
जानकी जी ने नेहा को हिलाया
नेहा- हूह! जी मा!!
जानकी- क्या हुआ है बेटा सब ठीक है ना??
नेहा- हा.. सब.. सब ठीक है बस कुछ सोच रही थी
जानकी- अपने आप पर इतना स्ट्रेस मत डालो ठीक है!!
जानकी जी ने चिंता से कहा और नेहा ने हा मे गर्दन हिला दी
नेहा- मा आप लोग कब आए ?
जानकी- जब तुम दिन मे सपने देख रही थी, मैंने चाय भी बना दी , अब जाओ और ये चाय माजी(दादी) को दे आओ बाहर से आने के बाद उन्हे चाय चाहिए होती है
जिसके बाद नेहा चाय लेकर दादी के कमरे की ओर चली गई
नेहा- दादी आपकी चाय
नेहा ने दादी को चाय का कप देते हुए कहा
गायत्री- नेहा बैठो, मुझे कुछ बात करनी है तुमसे
दादी ने कहा जिसपर नेहा भी वहा बैठ गई
दादी- नेहा, गणेशोत्सव करीब है और ये तुम्हारा और श्वेता का इस घर में पहला त्योहार है तो मैं सोच रही थी के इस साल गणेशोत्सव बड़ी धूम धाम से मनाए, मुझे पता है तुम अपनी अकादेमी के काम से बिजी हो लेकीन थोड़ा ध्यान इसपर भी देना, राघव ने पिछले कुछ सालों से त्योहारों से दूर ही हो गया है वो पूजा मे रहता है फिर वापिस काम मे लग जाता है लेकिन इस बार उसमे बदलाव आया है मैं चाहती हु वो इस साल हमारे साथ पूरा समय रह कर गणेशोत्सव मनाए और उसे मनाने का काम तुम ही कर सकती ही.. करोगी ना
नेहा- मैं वादा करती हु दादी जी वो पूरे दस दिन हमारे साथ होंगे वो भी पूरे दिल से
नेहा की बात से दादी के चेहरे पर स्माइल आ गई उन्होंने नेहा के सर पर प्यार से हाथ फिराया
कुछ देर बाद नेहा अपने कमरे मे आई और वो जो नया बेड आया था उसे अच्छे से देखने लगी उसपर बैठ कर कूद कर हर तरह से नहा ने उसे चेक किया और फिर उसके ध्यान मे आया के वो क्या कर रही है
नेहा- इनके जैसा बिहैव मत करो नेहा ये भी आकार इस बेड को जरूर चेक करेंगे
नेहा ने खुद से ही कहा और तभी उसके रूम का दरवाजा खुला और राघव एक स्माइल के साथ अंदर आया राघव को देखते ही नेहा ने घड़ी की ओर देखा जिसमे शाम के 5 बज रहे थे
नेहा- आप इतनी जल्दी क्यू आ गए??
नेहा के इस सवाल पर राघव की सारी स्माइल ही गायब हो गई वो कुछ और सोच रहा था और हुआ कुछ और
राघव- ये कैसा सवाल है? मैं जल्दी नहीं आ सकता क्या??
नेहा- नहीं मतलब आप इतनी जल्दी कभी आते नहीं हो ना ईसलिए पूछा बस
राघव- मेरा मन किया तो आगया
राघव बेड पर कूदते हुए बोला
राघव- वॉव यार चिक्की सही बेड है ये कम जम्प विद मि
राघव की बात सुन नेहा ने बस उसे देखा
राघव- ऐसे मत देखो चेक करना पड़ेगा ना अगली बार तुम भागोंगी तो टूटना नहीं चाहीये ना
राघव ने हसते हुए कहा वही नेहा उसे घूरते हुए रूम से चली गई.....
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रिद्धि- भाभी हमने आपका डांस विडिओ देखा, इट वाज ऑसम!!
रिद्धि ने नेहा से चिपकते हुए कहा
ये सब लोग साथ बैठे बाते कर रहे थे
श्वेता- भाभी आप सिर्फ क्लासिकल डांस सिखायेंगी या और भी कोई जैसे वेस्टर्न वगैरा
श्वेता ने पूछा लेकिन नेहा इसका जवाब देती इसके पहले ही राघव बोल पड़ा
राघव- ना श्वेता उसे वेस्टर्न स्टाइल डांस नहीं आता और वेस्टर्न लुक मे वो अच्छी भी नहीं लगेगी
राघव ने जान के नेहा को चिढ़ाने के लिए कहा वही नेहा ने सपाट चेहरे से उसकी तरफ देखा
विवेक- तो क्या हुआ सबका अपना अपना स्टाइल होता है हमारी भाभी का अपना स्टाइल है
विवेक अब नेहा के सपोर्ट मे खड़ा हो गया
राघव- तो मैंने इस बात से कब मना किया है ओफकोर्स नेहा एक बढ़िया डान्सर है बट वेस्टर्न इस नॉट हर थिंग
राघव ने आगे कहा और विवेक और रिद्धि ने एकदूसरे को देखा
नेहा- इट्स ओके विवेक आप एक चीज मे अच्छे हो इसका ये मतलब नहीं के आपको सब कुछ आता है चलो मैं चलू मुझे खाने की तयारी करनी है तुम लोग बाते करो
नेहा ने राघव को देखते हुए वहा से जाते हुए कहा और उसके पीछे श्वेता भी चली है और उनके जाते ही रिद्धि राघव से बोली
रिद्धि- आपने ये जानबुझ कर कहा ना वरना भाभी वेस्टर्न ड्रेस मे सुपर दिखती है बस वो यहा वैसे कपड़े नहीं पहनती
रिद्धि की बात सुन राघव ने ऐसा बताया जैसे उसे ये पता था लेकिन नेहा के बारे में आज उसे ये नई बात पता चली थी....
रात के खाने के बाद राघव अपने स्टडी रूम मे अपने चाचा के साथ बिजनेस रेलेटेड बाते डिस्कस कर रहा था और जब सब काम खतम करके वो अपने रूम मे पहुचा तो उसने देखा के उसका कमरा अंधेरे मे डूबा हुआ था उसने नेहा को आवाज भी लगाई लेकिन कोई रिप्लाइ नहीं मिला, नेहा अभी तक कमरे मे नहीं आई है ये सोच के राघव थोड़ा हैरान हुआ क्युकी समय काफी हो गया था
राघव ने अंधेरे मे ही स्विच बोर्ड टटोला और रूम मे डीम लाइट शुरू की जिसने महोल हो थोड़ा रोमांटिक बना दिया और जैसे ही राघव पलटा उसके होश ही उड गए मुह खुला रह गया और आंखे बस बाहर ही आने वाली थी......
ऐसा क्या देख लिया था राघव ने.... जानेंगे अगले अपडेट मे तब तक साथ बने रहिए कमेन्ट कीजिए धन्यवाद।
क्रमश: