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राघव ने किस रोका और नेहा को देखा जो हाफ रही थी और उसकी आंखे अभी भी बंद थी, उसने अपना सर नेहा से सर से जोड़ा और अपने अंगूठे से उसका होंठ साफ किया।
राघव- आंखे खोली मिसेज देशपांडे
राघव ने नेहा से धीमे से कहा लेकिन नेहा ने आंखे नहीं खोली और उसके गले लग गई राघव के सिने मे अपना चेहरा छुपाते हुए, उसकी इस हरकत पर राघव भी मुस्कुराया और उसे कस के गले लगा लिया
राघव- किसी की भी बातों को दिल पर लेने की कोई जरूरत नहीं है तुम जैसी हो वैसी ही एकदम परफेक्ट हो अब चलो पहले इस मैटर को खतम करते है
राघव ने नेहा से कहा और वो दोनों आलिंगन से अलग हुए और नेहा शर्म से नीचे देखने लगी वही नेहा के शर्म से लाल चेहरे को देख राघव बस मुस्कुराया..
राघव- मूड जाओ बे
राघव ने अपने भाई बहनों से कहा और वो भी शरारती मुस्कान से उन्हे देखने लगे जिससे नेहा और भी ज्यादा शर्मा गई
राघव- लो रितु अब तो मैंने प्रूफ भी दे दिया के आई लव माय वाइफ अब खुश! तुम प्यार नहीं करती मुझसे बस तुम अट्रैक्शन को प्यार समझ बैठी हो अगर सच मे तुम्हें मुझसे प्यार होता तो तुम इस बात को मान लेती के मेरी शादी हो चुकी है और मेरी पसंद की रिस्पेक्ट करती, दादू ने मुझसे पूछ के ही इस रिश्ते के लिए हामी भरी थी।
राघव- मैं ये सब बाते घर पर भी कर सकता था लेकिन मैं वहा कोई सीन क्रिएट करना नहीं चाहता था इससे तुम्हें ही तकलीफ होती, मैं तो चला जाऊंगा यहा से लेकिन तुम्हें यही रहना है और इससे तुम्हारा बकियों से रिश्ता खराब हो जाता, बात को समझो और मुझे भूलो तुम्हारे लिए कोई और बना होगा कोई जो मुझसे बेहतर हो..
रितु- राघव.... आई लव यू मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता के तुम मुझे चाहो ना चाहो मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए, तुम मुझे दोस्त से ज्यादा क्यू नहीं मान सकते
रितु ने गुस्से मे कहा और बोलते बोलते उसकी आँखों से आँसू बहने लगे वही उसके आँसुओ को देख नेहा को भी बुरा लग रहा था उसके मन मे राघव के लिए जो भी था हर्ट तो वो हुई थी
राघव- समझने की कोशिश करो मैंने कभी तुम्हारे बारे मे उस तरह से नहीं सोचा, ये बस एक अट्रैक्शन है
राघव ने रितु को वापिस समझाने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और इस बार नेहा बोली
नेहा – रितु! चलो कुछ समय के लिए मान लेते है तुम्हें इनसे प्यार है लेकिन अगर प्यार है तो तुम्हें अपनी खुशी से पहले इनकी खुशी के बारे मे सोचना चाहिए नाकी सिर्फ अपने बारे मे.. किसी इंसान की डोर अपने साथ जोड़ने का क्या फायदा जब वो आपके साथ खुश ही नहीं है तो इससे अच्छा तो उसे जाने देना है, जब आप प्यार मे होते है ना तब आप सबसे पहले अपने पार्टनर के बारे मे सोचते है उन बातों के बारे मे जो उसे खुश करे, जब तुम्हें भी कोई ऐसा मिलेगा तब तुम भी ये बात समझोगी
नेहा ने एक एक लाइन को रितु को आराम से समझाया ताकि वो समझ सके वही राघव भी उसकी बात बड़े गौर से सुन रहा था
रितु- तुम क्या करती अगर तुम राघव से प्यार करती और वो किसी और से तो??
रितु से एकदम से पुछ लिया
नेहा- मैं उसी दिन उन्हे छोड़ देती
नेहा ने भी झट से कहा वही सब उसे चौक कर देखने लगे
नेहा- हम शादी से पहले एक दूसरे को नहीं जानते थे, हमारे परिवार ने हमे इस रिश्ते की डोर मे बांधा है लेकिन ऐसा भी नहीं है के हम किसी और को चाहते थे या हमारी लाइफ में कोई और था और इसीलिए तो हम अभी यहा है, साथ है, एकदूसरे को समझते हुए एकदूसरे के लिए एडजस्टमेंट करते हुए, अगर मैं अपनी बात करू तो अगर मुझे पता चलता के ये किसी और को चाहते है तो मैं इनके बीच नहीं आती क्युकी मेरे लिए उस इंसान की खुशी मायने रखती है जीसे मैं चाहती हु मैं बगैर सोचे उनकी लाइफ से चली जाती क्युकी वो खुश तो मैं खुश
'दादूआपका डिसिशन एकदम सही था’ नेहा की बात सुन राघव ने मन ही मन सोचा
नेहा- हम साथ है क्युकी यही हमारी किस्मत है हमे साथ होना ही था और यकीन मानो रितु तुम्हारे लिए भी कोई ना कोई होगा ही जो तुमसे प्यार करे, जहा तुम्हारे पास हक हो और तुम्हें उसे किसी से छीनना ना पड़े। किसी ऐसे को ढूंढो जो तुम्हें चाहे, क्युकी ये तो अगले 7 जन्मों के लिए मेरे साथ बुक है और मैं इन्हे नहीं छोड़ने वाली
नेहा ने मुस्कुरा कर राघव का हाथ पकड़ते हुए कहा वही रितु बस चुपचाप वहा खड़ी रही, कोई कुछ नहीं बोल रहा था, सुबह घर से निकलते हुए जो मस्ती मजाक वाला महोल था अब वो सीरीअस हो गया था तभी शेखर का फोन बजा और उसने फोन उठाया, सामने वाले की बात सुन ओके कहा और रख दिया
शेखर- भाई मॉम का फोन था हमे घर बुलाया है
शेखर ने कहा और वो लोग घर के लिए निकल गए, पूरे रास्ते कोई कुछ नहीं बोला वही राघव पूरे रास्ते नेहा को प्यार से निहारता रहा और जैसे हो वो लोग पहुचे रितु कार से उतर कर अपने घर की ओर भाग गई
आज सबको रितु के लिए बुरा लग रहा था, दिल टूटा था उसका लेकिन उसे ये बात समझानी भी जरूरी थी
मीनाक्षी- अरे आ गए तुम सब लोग... क्या हुआ कुछ हुआ है क्या??
मीनाक्षी ने उनके उतरे हुए चेहरे देखे तो पूछा लेकिन बस थक गए है बोल के उन्होंने बात टाल दी, बाद मे उस टॉपिक पर किसी ने कोई बात नहीं की क्युकी उन्होंने सोचा के इस बारे मे बात ना करना ही सही रहेगा
मीनाक्षी- ठीक है जाके थोड़ी देर आराम कर लो आज वैसे भी बहुत गर्मी थी
जिसके बाद वो वहा से चली गई और बाकी भी अपने अपने कमरों मे चले गए..
नेहा जैसे ही अपने कमरे मे घुसी उसे किसी ने पीछे से अपनी ओर खिचा और उसे अपनी ओर घुमाया और जैसे ही नेहा मुड़ी उसके होंठ किसी के होंठों से मिल चुके थे जिससे नेहा थोड़ी चौकी, उसे समझते ज्यादा वक्त नहीं लगा के वो राघव था जिसने उसे पीछे खिचा था, राघव ने उसे चूमते हुए ही अपने पैर से दरवाजा बंद किया और फिर अपने और दरवाजे के बीच नेहा को लाकर उसके दोनों हाथ उसके सर पर करके उसे बेतहाशा चूमने लगा
राघव का दूसरा हाथ नेहा की कमर पर घूम रहा था और उसकी नाभी से खेल रहा था लेकिन इस बार नेहा उसे वैसा रिस्पॉन्स नहीं दे रही थी क्युकी शायद वो पूरी तरह कंफर्टेबल नहीं थी या इस बार ये किस बगैर परमिशन के था क्युकी ये इतनी जल्दी हुआ के उसे कुछ समझ ही नहीं आया
हालांकि नेहा को राघव का ये साइड काफी पसंद आ रहा था और ये कहना तो बिल्कुल ही गलत होगा के इस किस मे उसे मजा नहीं आया उसे अच्छा लग रहा था और कुछ ही टाइम मे राघव ने किस की इंटेंसिटी बढ़ा दी और राघव का ये वाइल्ड साइड नेहा को पागल कर रहा थ, महोल मे गर्मी बढ़ रही थी अब नेहा ने भी किस को रिस्पॉन्स देना शुरू कर दिया था और कुछ समय बाद राघव ने किस तोड़ा जब नेहा ने उसके सिने पे हल्के से मुक्का मार उसे रुकने कहा
राघव- अ परफेक्ट किस
राघव ने अपनी डीप आवाज मे नेहा के कान मे कहा, वो दोनों हाफ रहे थे, इस खेल मे नेहा की साड़ी बिगड़ गई थी और अब उसे देख राघव के ध्यान मे आया के उसने अपना कंट्रोल खो दिया था
राघव- शीट!! शीट!!! सॉरी! सॉरी!! सॉरी!!!
राघव ने झट से कहा
राघव- नेहा सॉरी देखो गुस्सा मत होना मुझे नहीं पता मैं अपना कंट्रोल कैसे खो बैठा और तुम्हारी परमिशन के बगैर किस कर बैठा, सॉरी!!
राघव ने नेहा से कहा
राघव- मुझे पहले तुमसे पर्मिशन लेनी चाहिए थी, सॉरी!!
नेहा- ओह तो आप मुझे तब ही किस करेंगे जब आपको परमिशन मिलेगी??
नेहा ने राघव की ओर बढ़ते हुए पूछा
राघव- वो... मैं...
तब तक नेहा राघव के पास पहुच चुकी थी और उसने अपनी दोनों बाहें राघव के गले मे डाली और उससे बोली
नेहा- मिस्टर देशपांडे आपको परमिशन की कोई जरूरत नहीं है
नेहा ने इतना कहा और जल्दी से वहा से बाथरूम मे चली गई वही राघव बस चौक कर उसे देखता रहा और उसके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान उभर आई...
उस किस के बाद से दोनों ही एकदूसरे को अवॉइड कर रहे थे क्युकी एकदूसरे को कैसे फेस करना है ये उन्हे समझ ही नहीं आ रहा था तभी स्वाती राघव के पास आई
स्वाती- भाई आपको बड़ी दादी ने बुलाया है
जिसपर राघव ने हा मे गर्दन हिलाई और बड़ी दादी के कमरे की ओर चला गया जहा कुछ बेहद जरूरी राज खुलने वाले थे और वो क्या है जानेंगे अगले अपडेट मे तब तक साथ बने रहिए, कमेन्ट कीजिए
स्वाती ने कहा जिसपर राघव ने हा मे गर्दन हिलाई और बड़ी दादी के कमरे की ओर चला गया और वहा पहुचा तो देखा दादी अपनी पलंग पर बैठी उसका ही इंतजार कर रही थी, कुछ देर मे नेहा भी वहा आ गई
नेहा- दादीजी आपने बुलाया था ?
नेहा ने आते ही पूछा और राघव को पहले से वहा देख उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई
कुमुद- हम्म, लगता है आज कोई बहुत खुश है
दादी ने उन दोनों को एकदूसरे को देखकर मुसकुराते देखा तो कहा
राघव- अब बताओ दादी क्यू बुलाया है आपने
राघव ने बात बदलते पूछा
कुमुद - बताती हु बाबा, रितु बेटे अंदर आओ
दादी ने रितु को अंदर बुलाया और रितु का नाम सुनते ही राघव और नेहा का मूड ऑफ हो गया उन्होंने पलट कर देखा तो रितु अंदर आ चुकी थी लेकिन वो अकेली नहीं थी उसके साथ कोई और भी था जीसे नेहा तो नहीं जानती थी लेकिन राघव उसे बहुत अच्छी तरह जानता था और उसे वहा देख राघव बहुत ज्यादा हैरान था
कुमुद- राघव दरवाजा बंद कर दो
दादी ने कहा और राघव ने वैसा ही किया
और फिर राघव ने उस इंसान को देखा और नजरों से ही पूछा के वो यहा क्या कर रहा है लेकिन उसने कुछ नहीं कहा बस राघव को चुप रहने का इशारा किया
कुमुद- तो सब सही है ?
राघव- हा दादी एकदम परफेक्ट
राघव ने नेहा का हाथ पकड़ कर रितु को देखते हुए कहा लेकिन अब झटका उन्हे तब लगा जब रितु उन्हे देख मुस्कुराई
‘अब इसके दिमाग मे क्या चल रहा है’ नेहा ने मन मे सोचा वही राघव अब भी उस शक्स को लेकर ही कन्फ्यूज़ था
रितु- ज्यादा मत सोचो नेहा मैं अब कुछ नहीं करने वाली
रितु ने कहा और नेहा ने उसे चौक के देखा वही राघव को कुछ समझ नहीं आ रहा था तभी वो बंदा बोल पड़ा
“हाउ वाज द किस गाईज” और उसके ये कहते ही राघव और नेहा दोनों ने चौक के उसे देखा वही दादी बस उन्हे देख मुस्कुराने लगि और राघव उस इंसान की तरफ बढ़ा
राघव- तुझे कैसे पता?? और सबसे बड़ा सवाल तू यहा क्या कर रहा है? और कब आया तू? और तु ये रितु को कैसे जानता है??
राघव ने एक के बाद एक सवाल उस इंसान की तरफ दाग दिए वो और कोई नहीं राघव का दोस्त विशाल था अब वो यहा क्या कैसे आया ये उसी के मुह से सुनते है
इधर नेहा ने जब राघव को उस इंसान से इतना फ्रिली बात करते सुना तो वो अपने आप को पूछने से रोक नहीं आई
नेहा- आप जानते है इन्हे??
राघव- बहुत अच्छे से जानता हु, भाई है मेरा, मेरा सबसे अच्छा दोस्त
राघव ने विशाल को घूरते हुए कहा
विशाल- प्रणाम भाभी हम आपके देवर है जिनसे आप अभी तक नहीं मिली है
राघव- अब बताएगा के यहा क्या कर रहा है तू?
विशाल- बात दूंगा जल्दी क्या है पहले मेरे सवाल का जवाब तो दे
राघव- कौनसा सवाल?
अब विशाल के बोलने के पहले ही दादी बोल पड़ी
कुमुद- वही किस वाला
और दादी की बात सुनते ही उन दोनों का मुह खुला रह गया और उनके एक्सप्रेशन देश रितु हसने लगी
रितु- दादीजी इनके चेहरे तो देखिए
राघव- कोई मुझे समझाएगा क्या हो रहा है
नेहा- ये नेगेटिव कैरेक्टर एकदम पॉजिटिव कैसे बन गया ?
विशाल- भाभी मेरी रितु कोई नेगेटिव कैरेक्टर नहीं है हा
राघव- क्या!!!!! मेरी रितु!!!! ये क्या है अब????
राघव को एक के बाद एक झटके मिल रहे थे
रितु- हा और मैं विलन नहीं हु, मुझे भला तुम्हारी शादी शुदा लाइफ बिगाड़ कर क्या मिलेगा वो तो हमारा प्लान था और मुझे ये गेम खेलने के लिए बोलने वाले विशी और दादीजी थे
राघव&नेहा- क्या!!!!
राघव- दादी, विशाल क्यू??
कुमुद- क्यू मतलब किस अच्छा नहीं लगा क्या?
राघव- ये मेरे सवाल का जवाब नहीं है दादी
कुमुद- हा मैंने ही कहा था रितु को ऐक्टिंग करने वो तो मान ही नहीं रही थी और विशाल के कहने पर उसने ये सब किया और रितु वेल डन
राघव- लेकिन क्यू??
विशाल- ताकि गधे तुम लोग पास आ सको तुम्हारी रिलेशनशिप सुधर सके
राघव- और तुमलोगों को कैसे पता चला के सब सही नहीं है
विशाल- मेरे भाई भूल गया क्या मुझे तो सब पता ही था
कुमुद- और मुझे तुम्हारे दादू ने बताया और फिर हमने ये प्लान बनाया
राघव- दादी आप ऐसा कैसे कर सकती है और विशाल तू तो सब जानता था तूने कैसे इस प्लान मे हामी भारी और रितु तुम भी इस बेवकूफ गेम मे शामिल हो गई??
कुमुद- हमने कोई गेम नहीं खेला है ये जरूरी था और अगर ये नहीं करते तो क्या तुम लोग इतने पास इतनी जल्दी आते?
राघव- हा तो आपने डिसाइड कर लिए के और कोई रास्ता है ही नहीं इसीलिए झूठ बोलते रहे, गजब!
कुमुद- झूठ नहीं था राघव तुम ही बताओ अगर रितु तुम्हारे पास आने की कोशिश ना करती तो क्या तुम नेहा के लिए अपनी फीलिंग जाहीर करते??
इसपर राघव कुछ नहीं बोला
विशाल- राघव जब तुझसे मैं ऑफिस मे मिल था उसके बाद फोन पर भी तूने इस बारे मे बात की थी मुझसे मैं समझ गया था तुम एकदूसरे को चाहते तो हो लेकिन अपनी फीलिंग से अनजान हो, मेरे जितना तुझे कोई नहीं जानता इसीलिए मैं जानता था इस प्लान से क्या रिजल्ट मिलेगा
कुमुद- तुम दोनों को पास लाने के लिए तुम्हारी फीलिंग तुम्हें बताने के लिए एक स्पार्क जरूरी था जो रितु ने किया
नेहा- लेकिन रितु....
रितु- मैं जानती हु नेहा तुम्हें क्या कहना है और ये कहना झूठ होगा के राघव मुझे कभी पसंद ही नहीं था लेकिन वो सब टीनेज का अट्रैक्शन था और जैसा तुमने दोपहर मे कहा था वैसा जीवनसाथी मुझे मिल गया है,
रितु ने विशाल का हाथ पकड़ते हुए कहा
रितु- मुझे जब पता चला के तुम लोग आ रहे हो मैं तुमसे मिलने के लिए एक्साइटेड थी लेकिन फिर वही विशाल मुझे तुम्हारे रिलेशन के बारे मे बता चुके थे इसीलिए तो मैंने आज गाड़ी में वो जबरदस्ती शादी वाली बात छेड़ी थी वरना तुम बताओ मुझे वो कैसे पता चलता और दादी ने भी मुझे ये कहा और मुझसे मदद मांगी फिर हम तीनों ने ये प्लान बनाया, मैं ये बाते वही क्लियर कर देती लेकिन विशाल को भी तुमसे मिलना था और एक एडवाइज देती हु नेहा, नेवर गिव अप ऑन योर लव रादर ट्राइ टू मेक देम योर
रितु ने कहा जिसपर नेहा बस मुस्कुराई
रितु- राघव तुम लकी हो जो नेहा तुम्हारी लाइफ मे है, हा लेकिन वो जितनी दिखती है उतनी भोली नहीं है , तुम दोनों एकदूसरे से प्यार करते हो लेकिन तुम अपनी फीलिंगस दबा रहे थे और हमने उसे ही ऊपर लाया है हा अब उसके लिए मुझे विलन बनना पड़ा लेकिन दोस्तों मे चलता है....
रितु ने मुस्कुराकर कहा
नेहा- सॉरी रितु... मैंने तुम्हारे साथ बहुत रुड बर्ताव किया उसके लिए
राघव- हा यार सॉरी
रितु- माफी एक शर्त पर मिलेगी बस उस काम को जल्दी पूरा करो जो प्रोग्रेस मे है और मुझे बुआ बनाओ, दादी जी आप ना जल्द ही अपने पर पर पर पोते/पोती को देखोगी
कुमुद- हा??
रितु- जी...
रितु की बात सुन राघव और नेहा से बोला ही नहीं जा रहा था
कुछ देर वही बाते करने के वो सब बाहर आए और अब राघव ने विशाल को गर्दन से पकड़ा
राघव- अब भोंक क्या था ये सब और ये मेरी रितु वाला क्या सीन है और मुझे ये सब कैसे नहीं पता
विशाल- बताता हु मेरे बाप सुन, तो रितु जो है वो थियेटर कर रही थी उस टाइम, मतलब तेरे शादी से पहले और वो अपने क्रू के साथ लंदन मे थी एक प्ले के लिए और वही हम मिले थे, तब मैं नहीं जानता था क वो तुझे जानती है वगैरा और तब तक वो तुझसे मूव ऑन कर चुकी थी फिर एक मुलाकात फिर दूसरी सिलसिला बनता गया, वो उस टाइम 4 महीनों के लिए थी वहा और उन चार महीनों मे हमे प्यार का एहसास हुआ और हमने शादी का डिसाइड कर लिया, तुझे याद है हम पिछली बार मिले थे तब मैं यही रितु से मिलके ही वहा आया था और बाद मे तूने तुम्हारे रिलेशन वाला बम फोड़ा था, जब मैं यहा आया तब रितु ने मुझे दादी से मिलाया था मुझे तो यहा इस घर मे तेरी फोटो देख पता चला के ये तेरे रिश्तेदार है और फिर प्लान वगैर तो अभी तू सुन ही चुका है
विशाल की बात सुन राघव के एक घुसा उसके पेट मे जड़ दिया
विशाल- आउच!! मारा क्यू??
राघव- हरामखोर लड़की पसंद कर ली शादी तक बात पहुच गई यहा सारी रामायण रच दि और मुझे अब पता चल रहा है...
राघव विशाल को अगला घुसा मारने ही वाला था के विशाल भाग कर नेहा के पीछे आ गया
विशाल- भाभी अब आप ही बचा सकती हो मुझे इससे
राघव- वो क्या बचाएगी बे तू बस सामने आ
नेहा- अब जाने दीजिए जो हुआ अच्छे के लिए ही हुआ
विशाल- वही तो और भाई तू खुद मे ही उलझा हुआ था तो मैं ये सब तुझे कब बताता अब तू भाभी की संगत में इंसानों मे आ गया है तो तेरा दिमाग वापिस खाने लगूँगा उसमे क्या है
राघव- अच्छा हुआ तू आ गया अब कुछ दिन मजे करेंगे
विशाल- ना भाई मजे किए तो डैड जिंदा नहीं छोड़ेंगे मुझे निकालना पड़ेगा अभी वो तो रितु ने बुलाया था और तुझसे मिलना था इसीलिए आया हु मुझे जल्द ही सब सेट कर अपनी दुल्हनिया भी तो लेके जानी है तुम तो शादी कर चुके हमारा भी तो सोचो
विशाल ने रितु को देखते हुए कहा वही रितु शर्मा दी और वो वहा से जाने लगे तभी नेहा ने रितु को रोका
नेहा- रितु, सॉरी अगेन
रितु- कोई बात नहीं और मैं तुम्हें ऑलरेडी माफी की कन्डिशन बता चुकी हु माफी तभी मिलेगी
जिसके बाद रितु और विशाल वहा से चले गए और नेहा और राघव भी अपने कमरे की ओर बढ़ गए ये सोचते हुए के जो होता है अच्छे के लिए ही होता है, यदि रितु विशाल ये प्लान नहीं करते तो शायद वो दोनों अभी भी अपनी फीलिंगस से अनजान ही होते रितु ने सबका बुरा बर्ताव सहा सिर्फ उन्हे करीब लाने और आखिर मे अंत भला तो सब भला लेकिन क्या सही मे ये अंत है.... नहीं अभी तो बस शुरुवात है अभी तो बहुत लंबा सफर तय करना है इन दोनों को......
अगले दिन राघव नेहा को जगाने की कोशिश कर रहा था लेकिन नेहा तो नेहा है वो एक बारी मे जागे कैसे?? राघव भी अभी अभी नींद से जागा था और अपनी आंखे मलते हुए नेहा को आवाज देकर जगाने की कोशिश मे लगा हुआ था
राघव- चिक्की!! चिक्की जागो !!!
लेकिन नेहा ने उसे इग्नोर करते हुए करवट बदल ली
राघव- नेहा उठो यार देखो 5 बज चुके है
नेहा- उहहमहू 5 ही तो बजे है थोड़ा और सोने दो प्लीज
नेहा ने तकिये से अपना चेहरा छुपाते हुए आंखे बंद करे हुए कहा वही राघव ने नेहा की ये हरकत देख सोचा के वो उसे बाद मे जगाएगा पहले खुद रेडी हो ले और जब राघव तयार होकर वापिस रूम मे आया तब भी नेहा सोई हुई थी और उसने वापिस नेहा को जगाने की बहुत कोशिश की लेकिन उसकी सारी कोशिशे नाकाम रही और फिर उसने नेहा को गोद मे उठाया और बाथरूम की ओर चला गया
राघव- अब बस यही एक तरीका बचा है
राघव ने नेहा को देखते हुए कहा और उसे बाथटब मे लेटाया, नेहा के मासूम चेहरे को देख कर राघव को बुरा भी लग रहा था लेकिन दूसरा रास्ता उसे सूझ ही नहीं रहा था उसने हैंड शावर लिया और उसे शुरू कर के नेहा के चेहरे पर पानी मारा और ऐसे अचानक चेहरे पर पानी की बौछार गिरने से नेहा ने एकदम से अपनी आंखे खोली और डर मे राघव को देखने लगी
नेहा- क्या कर रहे है आप??
नेहा अपनी पूरी ताकत से चिल्लाते हुए बोली वही राघव ने अपने हाथ से अपने कान बंद कर लिए थे
राघव- अरे शांत, तुम जाग नहीं रही थी इसीलिए ये करना पडा अब चलो फटाफट तयार हो जाओ लेट हो रहा है हमे
राघव ने कहा और वहा से निकल लिया वही नेहा बस बाथरूम से चिल्लाते रही लेकिन राघव के कानों पर जु तक नहीं रेंगी और जैसे ही राघव बाथरूम से बाहर आया नेहा का चेहरा याद कर हसने लगा
कुछ टाइम बाद राघव अपने रूम मे अपने बेड पर बैठा कुछ फाइले देख रहा था तभी उसे दरवाजा खुलने का आवाज आया लेकिन नेहा बाहर नहीं आई
राघव- चिक्की!!
लेकिन कोई रिप्लाइ नहीं
राघव- नेहा!!!!
नेहा- आप रूम से बाहर जाएंगे प्लीज, आपने मुझे कपड़े लेने का मौका भी नहीं दिया
नेहा अंदर से चीखते हुए बोली
राघव- शीट!! अच्छा रुको मैं अभी कपड़े पकड़ता हु तुम्हें
राघव ने फाइल नीचे रखते हुए कहा और अलमारी की ओर बढ़ा तभी नेहा वापिस से चीखी
नेहा- नहीं मैं खुद कर लूँगी आप बाहर जाइए बस
राघव – नहीं जा सकता यार ये फाइल देखना जरूरी है
राघव ने बहाना बनाया जो की उसने क्यू बनाया उसे भी नहीं पता था वो नेहा के कपड़े ढूँढने लगा तभी उसने कोई गलत ड्रॉर खोल लिया और उसे वहा कुछ ऐसा दिखा जिसे देख उसकी आंखे बड़ी हो गई
‘ये किसने रखा यहा?? नेहा??? नहीं नहीं वो कैसे?? लेकिन फिर...’ तभी नेहा वापिस चिल्लाई और राघव ने झट से वो चीज अपनी जेब मे डाली और ड्रॉर बंद कर दिया
‘जिसने भी रखा है पता लगाना पड़ेगा उसको छोड़ूँगा नहीं मैं’
नेहा- क्या हुआ??
राघव- कुछ नहीं मैं स्टडी रूम मे जा रहा हु तुम रेडी हो जाओ
राघव ने अपनी फाइल लेते हुए कहा और वहा से निकल लिया...
कुछ देर बार राघव रूम मे आया तो नेहा तयार हो चुकी थी और वो अपने आप को आईने मे देख रही थी, राघव तो उसे देख देखता ही रह गया लेकिन फिर राघव ने उसे वापिस ऊपर से नीचे देखा
राघव- तुम ये पहन के चल रही हो??
राघव ने नेहा की साड़ी देखते हुए कहा
नेहा- हा! क्यू? क्या खराबी है इसमे?
राघव- खराबी कुछ नहीं है लेकिन डांस कैसे करोगी इसमे??
नेहा- लेकिन मैं डांस क्यू करूंगी? मेरी शादी थोड़ी है!
राघव- अरे लेकिन तुम्हारे डांस का विडिओ शूट होना है वेबसाइट के लिए, एडवर्टाइज के लिए कम से कम कोई सूट ही पहन लो
नेहा- लेकिन...
राघव- लेकिन वेकीन कुछ नहीं जाओ और चेंज कर के आओ
राघव ने नेहा को वापिस वॉर्ड्रोब मे धकेला और नेहा उसे मना भी नहीं कर पाई....
कुछ समय बाद......
जानकी- नेहा ये लो
जानकी जी ने नेहा को दही चीनी देते हुए कहा
नेहा- मा क्या जरूरत है इसकी
जानकी- अरे जरूरत क्यू नहीं है मेरी बेटी अपनी लाइफ का नया चैप्टर शुरू कर रही है और मुझे सब बेस्ट चाहिए
जानकी जी की बात सुन नेहा ईमोशनल हो गई और उसने जानकी जी को गले लगा लिया
जानकी- अरे क्या हुआ मेरे बच्चे हो ऐसे रोते थोड़ी है तुम अच्छा करोगी मुझे पता है
फिर जानकी जी ने नेहा को दही चीनी खिलाई फिर सबने नाश्ता किया और नेहा को ऑल द बेस्ट कहा
श्वेता- ऑल द बेस्ट भाभी
श्वेता ने नेहा को गले लगते हुए कहा
विवेक- और भाभी फिकर नॉट भाई है वहा कोई प्रॉब्लेम नहीं होगी
रिद्धि- हा और अगर मेरा भाई कुछ बोले तो सीधा मॉम को कॉल लगा देना वो उसे सीधा कर देंगी
ये सब वार्तालाप चल रहा था और राघव गाड़ी के पास खड़े होकर सुन रहा था
राघव- अरे चलो लेट हो रहा है
नेहा- ओके बाय
नेहा ने सबको बाय किया और राघव के बाजू मे कार मे आकार बैठ गई
राघव- हो गया सबका या छूट गया कोई
राघव ने नेहा को देखते हुए पूछा
नेहा- उन्हे फिक्र है मेरी
राघव- ये जानते हुए भी के मैं हु वहा
नेहा- आप वहा हो इसीलिए तो
लेकिन ये बात राघव नहीं सुन पाया
राघव - क्या??
नेहा- कुछ नहीं
जल्द ही वो लोग ऑफिस पहुचे और राघव पहले गाड़ी से उतरा फिर उसने नेहा के लिए दरवाजा खोला और वो लोग ऑफिस मे एंटर हुए और ऑफिस मे पहुकते हुए खडूस राघव वापिस आ चुका था अपने एक्सप्रेशनलेस चेहरे के साथ वही आज सब लोग उनके बॉस और बॉस की बीवी को देख रहे थे साथ मे हाथो मे हाथ डाले.. सब लोग राघव और नेहा को विश कर रहे थे, राघव इन सब अटेंशन का आदि था लेकिन नेहा को इसकी आदत नहीं थी
लिफ्ट मे राघव का असिस्टेंट उसे उसके आज के प्लांस बता रहा था और कुछ बिजनेस रिलेटेड बाते हो रही थी जो सब कुछ नेहा के दिमाग के ऊपर से जा रहा था और जल्द ही वो लोग ऑफिस के पास पहुचे
राघव- रवि आज की मेरी सारी मीटिंग्स लंच के बाद शिफ्ट कर दो और वेब डेवलपर को मेरे केबिन मे भेजो
राघव ने अपने असिस्टेंट से कहा और वो भी हा मे गर्दन हिलाता हुआ चला गया और नेहा और राघव राघव के केबिन मे घुसे और अंदर आते ही नेहा बोली
अब वो दोनों बेड से उठने लगे लेकिन तभी दोनों वापिस गिर गए एक आवाज के साथ और हैरत मे उन दोनों की आंखे बड़ी हो गई और वो शॉक मे एकदूसरे को देखने लगे और दोनों के मुह से एकसाथ निकला
“शीट!!!!!!”
वो दोनों जल्दी से फिर उठे और उन्होंने पलंग को देखा फिर अपने आप को देखा उन्होंने अभी अभी मस्ती मस्ती मे पलंग तोड़ दिया था
नेहा- ये सब आपकी वजह से हुआ है
नेहा ने झट से सारा दोष राघव पर मढ दिया और अपना पल्ला झाड लिया
राघव- क्या?? मेरी वजह से?? बेड पे तुम कूद रही थी और सारी गलती मेरी??
राघव ने कहा
नेहा- हा तो आप मेरे ऊपर नहीं गिरे होते तो ये नहीं होता आप गिरे और फिर पलंग आपका वजन नहीं संभाल पाया!!
राघव- ऐसा कुछ नहीं है ठीक है! हम रोज इसी पलंग पर सोते है ये आज तुम्हारी वजह से हुआ है!
नेहा- नहीं आपकी वजह से
राघव- मेरी नहीं तुम्हारी वजह से
नेहा- आपके
राघव- तुम्हारे
नेहा- आपके
राघव- तुम्हारे
शेखर- क्या चल रहा है यहा पर??
इन दोनों की बहस चल ही रही थी के तभी आवाज सुन शेखर वहा चिल्लाते हुए आया और उसके पीछे पीछे श्वेता भी वहा आई और कमरे की हालत देख वो दोनों सकते मे थे शेखर ने पहले अपने भाई को देखा फिर भाभी को देखा वो दोनो भी अलग ही हालत में थे पानी में भीगे हुए
इन दोनों ने महान लोगों मे से एकने भी दरवाजा लॉक नहीं किया था और इतने ज्यादा आवाज से शेखर और श्वेता सब ठीक है ना ये देखने आए थे लेकिन अब उन्हे लग रहा था के उन्हे नहीं आना चाहिए था
नेहा- श्वेता शेख......
श्वेता- सॉरी भईया, भाभी हमे.... हमे यहां नहीं आना चाहिए था प्लीज कंटिन्यू लेकिन प्लीज आवाज मत करो हमारी और बाकियों की नींद खराब हो रही है और प्लीज दरवाजा तो लॉक कर लो
श्वेता ने पीछे मुड़ते हुए कहा वो भी राघव और नेहा को कुछ भी बोलने का मौका दीये बगैर
शेखर- वैसे भाई ड्रॉर चेक कर लेना हमे छोटे राघव नेहा चाहिए लेकिन हम इंतजार कर लेंगे
शेखर जाते जाते दरवाजा बंद करते हुए बोला और वो दोनों वहा से चले गए वही राघव और नेहा शॉक मे मुह फाडे एकदूसरे को देखने लगे
राघव- ये अभी अभी क्या बोल के गए??
राघव ने शॉक मे पूछा
नेहा- हे भगवान मर गई!! अब ये चिढ़ा चिढ़ा कर मार डालेंगे!!
नेहा अपने नाखून चबाते हुए बोली वही राघव कुछ बोलने वाला था के वो रुक गया और उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान आगई
राघव- ऐसा क्या चिढ़ाएंगे ये लोग और इसमे इतना काहे घबरा रही हो
नेहा- आपको कुछ नहीं पता आप तो घूर के लोगों को चुप करा देते हो इसीलिए आपसे कोई कुछ नहीं कहता फस जाती हु मैं
नेहा ने धीमे से कहा और फ्रेश कपड़े लेकर बाथरूम मे चली गई फिर राघव भी कपड़े चेंज करने चला गया और जब वो आया तो उसने देखा के नेहा जमीन पर गद्दे लगा रही थी
राघव- ये क्यू कर रही हो अब??
नेहा- आप क्या टूटे हुए पलंग पर सोने वाले हो??
नेहा ने राघव ने बेवकूफ प्रश्न का प्रतिप्रश्न किया और राघव को भी बात समझ आई
राघव- हा हा रुको मैं भी तुम्हारी मदद करता हु
फिर राघव ने गद्दे बिछाने मे नेहा की मदद की और जब काम हो गया उसपर पसर गए
राघव- आह मैं अपने पलंग को अभी से मिस कर रहा हु
राघव ने कहा जिसपर
नेहा- टूटा भी आपकी ही वजह से है
नेहा पुटपुटाई जिसे राघव ने सुना लेकिन उसे साफ सुनाई नही दिया और वो नेहा की ओर पलटा और बोला
राघव- ये तुमको क्या कोई बीमारी है?? ये खुद से ही क्यू बाते करती हो??
राघव ने नेहा को अजीब नजरों से देखते पूछा जिसपर नेहा ने भी झट से जवाब दिया
नेहा- हा है बीमारी और पता है कबसे है जबसे आपसे शादी हुई है
नेहा ने अपनी उंगली राघव की ओर पॉइंट करते हुए एक टाइट स्माइल के साथ कहा
राघव- तुमको नहीं लगता आजकल तुम्हारी हिम्मत कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है??
राघव ने गद्दे पर सीधा बैठते हुए नेहा की उसी उंगली को पकड़ते हुए पूछा जिसे नेहा ने उसकी ओर पॉइंट किया था वही अब राघव के सपाट चेहरे और इस लाइन को सुन नेहा थोड़ा घबरा गई थी और राघव को देख रही थी तभी उसके एक्सप्रेशन देख राघव की हसी छूट गई आर वो जोर से हसने लगा
राघव- यार चिक्की!!!! तुमको डरने की जरूरत नहीं है
राघव ने हसते हुए कहा वही नेहा बस उसे देख रही थी और बगैर कुछ बोले नेहा करवट बदल कर लेट गई और उसने राघव की तरफ देखा भी नहीं और राघव अब भी हसे जा रहा था
राघव- अले अले बच्ची गुस्सा हो गई क्या
राघव ने हसते हुए बीच में कहा वही इसे सुन नेहा के गाल लाल होने लगे और वो अपने होंठ दबाए अपनी हसी पर कंट्रोल कर रही थी और जल्द ही नेहा को एक हाथ अपने शरीर पर रजाई के अंदर फ़ील हुआ, राघव ने उसे अपने करीब खिचा, अब ऐसा नहीं था के ये पहली बार था लेकिन हर बार राघव का उसे अपने पास खिचना उसे रोमांचित कर देता था।
अगली सुबह नाश्ते की टेबल पर सब लोग राघव को नेहा को शक भरी नजरों से देख रहे थे और वो दोनों भी ये बात जानते थे और अलर्ट थे
मीनाक्षी- राघव कुछ हुआ है क्या?? कल रात को तुम दोनों के कमरे मे कुछ आवाजे आ रही थी
बगैर असल बात जाने मीनाक्षीजी ने राघव ने पूछा और राघव को उनकी बात सुन एक ठस्का लगा लेकिन अभी अभी उसने जूस का घूट लिया था और ठस्के का परिणाम ऐसा हुआ के वो जूस जो अभी उसके मुह मे गया था वो बाहर आ गया और जब राघव ने ऊपर देखा तो वो जूस का फवारा उसके सामने बैठे विवेक के ऊपर था
विवेक- भैया यार!!!!!
विवेक चिल्लाया वही रिद्धि जो विवेक के बाजू मे बैठी थी वो उठ कर बाजू मे हो गई वही नेहा का मुह खुल गया और वो मन ही मन भगवान से बचाने की प्रार्थना करने लगी
विवेक- भाई मॉम ने खाली एक सवाल ही तो किया था उसमे ये जूस उलगने वाली कौनसी बात थी, यार!!!
विवेक चिढ़ गया था वही शेखर और श्वेता अपनी हसी छुपा रहे थे
राघव- सॉरी सॉरी विवेक वो बस...
राघव ने माफी मांगी जिसने घरवालों को और भी शॉक कर दिया क्युकी राघव देशपांडे के मुह से सॉरी सुनना एकदम रेयर था वही विवेक कपड़े बदलने चला गया क्युकी वो बेचारा कुछ बोल भी तो नहीं सकता था राघव बड़ा भाई था उसका
रमाकांत- राघव क्या हुआ और ऐसे रिएक्ट करने वाली क्या बात थी इसमे
रमाकांत जि ने जाते हुए विवेक को देखते हुए राघव से पूछा
राघव- वो डैड.... एक्चुअल्ली.... वो... मैं बस....
धनंजय- छोड़िए ना भाईसाहब हो जाता है कभी कभी अचानक आए सवाल से
धनंजय जी ने कहा और राघव ने राहत की सास ली और मन ही मन अपने चाचू को थैंक्स कहा लेकिन तभी
धनंजय- लेकिन हा वो आवाजे क्या थी?? तुम्हारा रूम हमारे ठीक ऊपर है ऐसा लग रहा था कोई मैराथन चल रही हो
और बस धनंजय जी के इस लाइन के साथ ही राघव ने अपना थैंक्स वापिस ले लिया
शिवशंकर- अब ऐसे पुतले ही तरह ही बैठोगे या कुछ बोलोगे
दादू ने राघव को देखते हुए कहा वही शेखर इस पूरे ड्रामे को एंजॉय कर रहा था और मन ही मन दुआ कर रहा था के घरवाले और सवाल करे वही श्वेता ने अपनी हसी कंट्रोल करते हुए नेहा को देखा तो उसने अपना सर झुकाया हुआ था और उसके गाल लाल हो रखे थे शर्म के मारे वही अब सब लोग राघव के जवाब की राह देख रहे थे राघव को देख रहे थे के वो क्या बोलेगा.......
शिवशंकर- अब ऐसे पुतले की तरह ही बैठोगे या कुछ बोलोगे
दादू ने राघव को देखते हुए कहा वही शेखर इस पूरे ड्रामे को एंजॉय कर रहा था और मन ही मन दुआ कर रहा था के घरवाले और सवाल करे वही श्वेता ने अपनी हसी कंट्रोल करते हुए नेहा को देखा तो उसने अपना सर झुकाया हुआ था और उसके गाल लाल हो रखे थे शर्म के मारे वही अब सब लोग राघव के जवाब की राह देख रहे थे राघव को देख रहे थे के वो क्या बोलेगा..
राघव- वो दादू एक्चुअली... वो चूहा!! हा चूहा! पता नहीं रात मे कहा से कमरे मे चूहा घुस गया था और नेहा उसे देख घबरा गई थी और इधर उधर भाग रही थी
राघव ने नर्वस स्माइल के साथ कहा लेकिन घरवालों को उसपर यकीन ही नहीं हो रहा था और अब वो नेहा को देखने लगे जिससे नेहा की धड़कने बढ़ गई
गायत्री- नेहा क्या ये सच है??
दादी ने नेहा से पूछा क्युकी राघव भले ही कुछ बोल ले नेहा झूठ नहीं बोलेगी
नेहा- जी... जी दादीजी
नेहा ने नीचे देखते हुए कहा
जानकी- पता नहीं ये चूहा कहा से घुस आया है घर मे आज तो तुम्हारे रूम मे चूहे मारने की दवा डलवानी पड़ेगी
जानकी जी ने कहा वही राघव अब वहा और नहीं रुकना चाहता था
राघव- मुझे.... मुझे चलना चाहिए लेट हो रहा है
राघव ने सबकी नजरों को अवॉइड करते हुए कहा और और नेहा को भी इशारा किया और वहा से उठ गया और जल्द ही वो लोग अपनी कन्फ्यूज़ फॅमिली को पीछे छोड़ ऑफिस के लिए निकल गए
घर से बाहर आकार और कार मे बैठते ही राघव ने राहत की सास ली वही शर्म के मारे नेहा उसे देख भी नहीं रही थी ना ही राघव उसे देख रहा था और जैसे ही वो लोग ऑफिस पहुचे राघव अचानक चीखा
राघव- शीट!!!!!
नेहा- क्या... क्या हुआ ??
राघव- मॉम हमारे रूम मे चूहे मारने की दवा डालने वाली है
नेहा- तो?
राघव- तो?? हमारा बेड टूटा हुआ है
और राघव की बात सुन नेहा की भी आंखे बड़ी हो गई
नेहा- अब क्या करे??
राघव- मुझे नहीं पता, हमे कैसे भी करके किसी को पता चले बगैर बेड रिप्लेस करना होगा
नेहा- लेकिन कैसे??
राघव- वो सोचते है पहले चलो पलंग खरीदना है
राघव ने नेहा का हाथ पकड़ते हुए कहा लेकिन नेहा ने उसे रोक दिया
नेहा- हमे क्यू जाना है आप ऑर्डर कर दीजिए ना??
राघव- और अगर वो सही नहीं आया तो? और जल्दी वापिस टूट गया तो??
नेहा- मैं.. मैं नहीं जा रही कही आप किसी एम्प्लोयी को भेज दीजिए चेक करने
राघव- क्यू??
नेहा- मुझे नहीं पसंद पलंग खरीदना
नेहा ने उसके जो दिमाग मे आया बोल दिया अब वो क्यू बोला ये वो भी नहीं जानती थी
राघव- ठीक है रुको यही मैं किसी और के साथ चला जाऊंगा
राघव ने कहा और जैसे ही उसने ये कहा उसने मन ही मन अपना माथा पीट लिया
नेहा- किसी और के साथ जाकर तो दिखाइए बेड पर सोने लायक नहीं छोड़ूँगी
नेहा ने एकदम गुस्से मे कहा वही राघव एक कदम पीछे हट गया उसके गुस्से से
राघव- ठीक है ठीक है किसी से कह देता हु, मैं नहीं जा रहा कही ही ही
नेहा ने फिर अपने को शांत करने के लिए एक लंबी सास ली वही राघव उससे थोड़ा पीछे सरका
राघव- तो मार्केटिंग के लेसन शुरू करे?? नहीं मतलब तुम कहो तो, कोई जल्दी नहीं है
राघव ने नेहा को देखते हुए कहा जिसपर नेहा ने हा मे गर्दन हिला दी और राघव उसे मार्केटिंग सीखाने लगा
राघव ने बेसिक से शुरुवात की और नेहा भी बड़े गौर से सब सुन रही थी और उसे पढ़ाते हुए राघव एकदम सीरीअस था नेहा को ऐसा लगा जैसे पढ़ाते टाइम पुराना राघव उसके सामने था, कुछ समय बाद नेहा को बोर होने लगा था और वो उबासिया लेते हुए जिस नॉवेल को वो पढ़ रही थी उसकी स्टोरी कर बारे मे सोच रही थी
राघव- इट सीम्स के तुम्हें इसमे कोई इंटरेस्ट नहीं है
राघव ने अपने हाथ बांधे नेहा से पूछा
नेहा- आप कबसे लगातार पढ़ाए जा रहे है एक ब्रेक तो ले लीजिए
राघव- तुम जानती हो ना मैं अपना काम छोड़ के तुम्हें पढ़ा रहा हु
नेहा- तो वो कीजिए ना हम इसे बाद मे कन्टिन्यू करेंगे तब तक मैं ऑफिस घूम आती हु
नेहा ने अपनी जगह पर से उठते हुए कहा तभी राघव के फोन पर एक मैसेज आया
राघव- पलंग ले लिया गया है दोपहर तक डिलिवर हो जाएगा
राघव ने नेहा से कहा
नेहा- अब क्या करना है?
नेहा ने अपने नाखून चबाते हुए राघव से पूछा और राघव ने उसका हाथ पकड़ के उसे रोका
राघव - पहले तो हर बार ये नाखून चबाना बंद करो
फिर राघव ने एक बंदे को कॉल लगाया और कैबिन मे आने कहा और जल्द ही शेखर एक स्माइल के साथ उसके कैबिन मे था
शेखर- हा भाई आपने बुलाया
राघव- हा मुझे तुम्हारी एक हेल्प चाहिए
शेखर- कुछ चाहीये क्या आपको मैं कुछ देर...
राघव- शट अप शेखर पहले सुन तो लो
राघव शेखर पर चिल्लाया और फिर नेहा से बोला
राघव- तुम्हें बाहर जाना था न ? जाओ मैं कुछ देर मे बुलाता हु तुम्हें
नेहा- लेकिन...
राघव- मैं कर लूँगा सारी बात तुम जाओ अभी बाद मे मैं जाने नहीं दूंगा
शेखर- अहम अहम!! भाई क्या चाहिए आपको?
लेकिन राघव ने अभी उसे इग्नोर लिया और नेहा की ओर देखा जो वहा से चली तो गई थी लेकिन कैबिन मे ही थी
राघव- नेहा मैं बता रहा हु अभी तुम नहीं गई तो बाद मे कोई ब्रेक नहीं मिलेगा
जिसके बाद उन्हे दरवान बंद होने का आवाज आज जिसके बाद राघव शेखर की ओर मुडा
शेखर- ओह हो नॉट बैड
राघव- शट अप शेखर!
राघव ने इतना कहा और शेखर के पेट मे एक मुक्का जड़ दिया
शेखर- आउच भाई क्या कर रहे हो!!
राघव- तो वो तू था जिसने मेरे रूम की अलमारी के ड्रॉर मे कंडोम रखा था??
राघव ने शेखर एक और मुक्का मारा याद है उस दिन कपड़े ढूंढते हुए राघव को ड्रॉर मे कुछ मिला था वो कंडोम का पैकेट था और कल रात ही राघव को पता चला था के वो शेखर ने रखा था जब शेखर ने उसे ड्रॉर चेक करने कहा था लेकिन तब राघव बोल नहीं पाया था
शेखर – आउच भाई!! मैंने तो बस अच्छे के लिए सोचा था
राघव- मेरा अच्छा बुरा मैं देख लूँगा तुमको कुछ नहीं करना है
राघव ने उसे टपली मारते हुए कहा
शेखर- खुद देख लेंगे मतलब आप खुद जाएंगे खरीदने
राघव- चुप रह यार और अब अपना मूह बंद करो और पहले मेरी बात सुनो
राघव ने शेखर को चुप कराया और शेखर ने भी मुह पर उंगली रख ली
राघव- मैं चाहता हु तुम घर के सब लोगों को दोपहर के पहले बाहर लेकर जाओ और शाम तक वापिस मत आना नया बेड बुलाया है और इससे पहले तुम पूछो क्यू तो कल रात हमारा पलंग टूट गया था इसिलीये
राघव की बात सुन शेखर ने चेहरे पर शरारती मुस्कान आ गई जिसे देख राघव बोला
राघव- ओ भाई मेरे अपने दिमाग के घोड़े मत दौडा वो नेहा भाग रही थी रूम मे और बेड पर गिर गई और टूट गया वो
शेखर- उम्म हम्ममम् हम्म
राघव- क्या? उंगली हटा कर क्लियर बोलो?
शेखर- नहीं मैं कह रहा था भाभी भाग क्यू रही थी और आपकी कन्डिशन भी कुछ सही नहीं थी
शेखर ने राघव को देखते हुए पूछा और अब राघव को उसे सब सच बताना ही था वरना वो चुप होने वाला नहीं था और सब सुनने के बाद शेखर का मुह खुला रह गया
शेखर- लेकिन भाई...
राघव- बस अब और कोई सवाल नहीं जितना बोला है उतना करो वरना तुम जानते हो मैं क्या कर सकता हु
शेखर- धमकी मत दो ऐसा क्या ही कर लोगे जाओ नही करता आपका काम
राघव- अच्छा बेटा तो श्वेता को बात दु के तुम कॉकरोच से कितना डरते हो तो?
और अब राघव की बात सुन शेखर उसे हैरानी और डर से देखने लगा और अब जो शरारती मुस्कान कुछ पल पहले शेखर के चेहरे पर थी वही राघव के चेहरे पर थी
शेखर- भाई नहीं आप ऐसा नहीं करोगे, श्वेता के सामने मैंने हमेशा अपने को ब्रैव दिखाया है वो प्यार से कभी कभी स्पाइडरमॅन बोलती है मुझे उसे पता चला उसका स्पाइडरमॅन कॉकरोच से डरता है तो बहूत चिढ़ाएगी वो
राघव के कहने पर शेखर घर आ गया था अपना टास्क पूरा करने लेकिन देशपांडे परिवार के लोगों को एकसाथ बाहर ले जाना आसान काम तो था नहीं लेकिन शेखर पूरी कोशिश मे लगा हुआ था।
शिवशंकर- हम सब को कहा ले जा रहे हो शेखर??
दादू ने कन्फ्यूजन मे पूछा क्युकी दोपहर का समय होने वाला था और ऐसे अचानक शेखर के आने पर वो कंफ्यूज थे क्युकी नॉर्मली शेखर ऑफिस से जल्दी नहीं आ पाता था
शेखर- दादू हम अनाथ आश्रम जा रहे है!!!
शिवशंकर- अचानक क्यू??
शेखर- वो इसीलिए क्युकी वहा गए बहुत समय हो गया है बच्चे याद कर रहे थे हमे और मॉम और बड़ी मा भी मेरी शादी के बाद से वहा नहीं जा पाई है और फिर हम गाँव चले गए थे इसीलिए सोचा आज वहा विज़िट दे दे
शेखर ने बात समझाई
जानकी- बात सही है तुम्हारी लेकिन घर पर भी कोई चाहिए ना और श्वेता भी अपने मायके गई है
मीनाक्षी- हम ऐसा करते है कल चलते है आज मुझे भी थोड़े काम है
शेखर- नहीं!!! मतलब.... मॉम काम तो बाद मे भी हो जाएगा ना और बच्चे राह देख रहे है मैंने उन्हे हम आ रहे है कह दिया है और सब तयारी भी कर ली है और वैसे भी भाभी आ जाएंगी कुछ देर मे
गायत्री- तयारी? कैसी तयारी??
शेखर- आप लोग बहुत ज्यादा सवाल करते हो रेडी हो जाओ ना
‘क्यू मेरी लाइफ पे काक्रोच चलाना चाहते हो’
शेखर ने सबके सवालों से परेशान होते हुए कहा और बाद वाली लाइन अपने मन मे सोची, वो आज अच्छा फसा था एक तो उसे ऑफिस से कुछ घंटों की छुट्टी लेनी पड़ी ऊपर से उसका भाई उसके काम का बोझ जरा सा भी कम नहीं करने वाला था ये वो जानता था और अब यहा घरवाले भी मान नहीं रहे थे लेकिन जैसे तैसे शेखर ने उन्हे मना लिया था और वो सबको लेकर घर के बाहर चला गया
इधर ऑफिस मे राघव लैपटॉप पर अपना काम कर रहा था तभी उसे डिलीवरी कंपनी से कॉल आया के बेड डिलिवर हो रहा है फिर राघव ने अपने घर पर वर्कर्स को इन्स्ट्रक्शन देकर बेड सही से फिट कराने कहा और फिर उसने सीसीटीवी फुटेज चेक किया जो उसके ऑफिस मे था ताकि वो देख सके के उसके एम्प्लोयी सही काम कर रहे है या नहीं
राघव सीसीटीवी को नॉर्मली ही देख रहा था तभी उसकी नजर एक शक्स पर पड़ी
उसने देखा के नेहा एक लड़के के साथ हस हस कर बाते कर रही थी, राघव ने उस लड़के को गौर से देखा और अभी तक सब कुछ ठीक था लेकिन राघव की आंखे तब बड़ी हो गई जब उसने देखा के नेहा ने उस लड़के के हाथ पर हल्के से मारा और उसके साथ हसने लगे
‘इतना क्या टची होना है’ राघव का जबड़ा कस गया और वो अपनी जगह से उठा और केबिन के बाहर आया, नेहा और राघव के स्वभाव का सबसे बड़ा डिफरेंस यही था के राघव ज्यादा बोलता नहीं था उसे लोगों मे ज्यादा घुलना मिलना पसंद नहीं था इसीलिए विशाल के अलावा उसका कोई दोस्त भी नहीं था वही नेहा का नेचर एकदम फ़्रेंडली था उसे नए लोगों से मिलना बाते करना पसंद था
नेहा- आप बहुत फनी हो शुभम जी सच मे....
शुभम – थैंक यू मैडम और आप भी....
नेहा – मैडम मत कहो यार हम सेम एज के है आप मुझे नेहा बुला सकते है
शुभम– ओह.. ओके नेहा जी
नेहा- फिर कोई गर्लफ्रेंड वगैरा??
शुभम – ना ना हम सिंगल ही अच्छे है वैसे भी हमे कौनसी लड़की पूछेगी
नेहा- क्यू? तुम अच्छे दिखते हो, तुम्हारी बात चीत से पता चलता है नेचर अच्छा है तुम्हारा मुझे तो पक्का यकीन है के तुम्हें कई लड़कियों ने प्रपोज किया होगा
नेहा के बात पर शुभम ने गर्दन झुका की
शुभम- ऐसा कुछ नहीं है
नेहा – फिर कैसा है
राघव- वो उसे पता चलेगा तब वो आपको जरूर बताएगा मिसेस देशपांडे
नेहा और शुभम बात कर ही रहे थे के तभी राघव वहा आ पहुचा और वो सपाट चेहरे के साथ अपनी जेब मे हाथ डाले उन्हे देख रहा था राघव उनके पास आया और नेहा को कंधे से पकड़ा
शुभम- सर!!
राघव- यस मिस्टर शर्मा और मुझे लगता है आपको सैलरी यहा काम की मिलती है ना की मेरी वाइफ के मनोरंजन की राइट??
राघव ने सख्त लहजे मे कहा लेकिन नेहा ने उसके कंधे पे मारा और उसे चुप होने का इशारा किया
नेहा- ब्रेक टाइम है
राघव- तो हमे भी तो ब्रेक लेना चाहिए ना बेबी
राघव ने नेहा और और करीब खिचा, उसके चेहरे के साफ समझ आ रहा था के उसे नेहा और शुभम का ऐसे हस हस के बाते करना पसंद नहीं आया था शुभम क्या राघव को तो नेहा के आस पास कोई भी लड़का पसंद नहीं आता था खैर इसका कुछ नहीं कर सकते ओवर पज़ेसिव बंदा है वो
शुभम- मुझे अब चलना चाहिए हैव अ गुड डे सर, मैडम
इतना बोल के शुभम वहा से चला गया और उसके जाते ही राघव बोला
राघव- तो चले केबिन मे हमारा ब्रेक टाइम इन्जॉय करने??
जिसके बाद राघव और नेहा राघव के केबिन मे आए, राघव ने दरवाजा बंद किया और नेहा को कमर से पकड़ कर अपनी ओर खिचा, राघव की गर्म सांसे अपनी गर्दन पर महसूस होते ही नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली और राघव के गले मे अपनी बाहों का हार डाले उसे अपने और करीब खिचा
राघव के हाथ अब धीरे धीरे नेहा की नजर से नीचे सरक रहे थे और राघव ने आराम से उसे अपनी गोद मे उठा लिया और अपनी खुर्ची की ओर बढ़ा और उसे लेजाकर टेबल पर बिठाया और फिर उसे लैपटॉप की ओर घुमाया...
राघव- मैंने तुम्हें जो जो सिखाया है अब मुझे बताना जरा
राघव ने नेहा के कान मे कहा अपनी हस्की आवाज मे कहा और नेहा ने अपने ड्रेस को कस के पकड़ रखा था ताकि कही वो अपना कंट्रोल का खो दे, राघव उसके एकदम करीब था और अपनी नाक से नेहा के कान को छेड रहा था
नेहा- वो... आप.... आपने... बताया.... था
राघव- हम्म!!
राघव ने अपना चेहरा नेहा की गर्दन मे दबाया, inhaling her cologne, राघव ने अपनी आंखे बंद कर ली थी और कुछ नहीं सुन रहा था नेहा ने भी अपनी आंखे बंद कर ली और अपनी गर्दन एक ओर झुकाई giving him more access to her neck और राघव उसे गर्दन से चूमने लगा
जैसे ही राघव ने नेहा के गर्दन पर स्वीट स्पॉट पर काटा नेहा के मुह से एक हल्की की सिसकी निकल गई और उसकी सिसकी सुन राघव के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई
राघव- किसी और के अभी ज्यादा करीब मत जाया करो, ok! Or you’ll suffer for it
राघव ने अपनी डीप आवाज मे कहा
.
.
.
जानकी- नेहा!! नेहा! क्या हुआ मैं कब से तुम्हें आवाज दे रही हु
जानकी जी ने नेहा को अपने खयालों से बाहर निकाला नेहा के दिमाग मे दोपहर का ऑफिस वाला सीन चल रहा था और राघव के पज़ेसिव नेस पर वो थोड़ा खुश भी हो रही थी के उसका किसी और से हस कर बात करना भी राघव को मंजूर नहीं था, उस वाकये के बाद ही नेहा ऑफिस से घर लौट आई थी
जानकी- नेहा!
जानकी जी ने नेहा को हिलाया
नेहा- हूह! जी मा!!
जानकी- क्या हुआ है बेटा सब ठीक है ना??
नेहा- हा.. सब.. सब ठीक है बस कुछ सोच रही थी
जानकी- अपने आप पर इतना स्ट्रेस मत डालो ठीक है!!
जानकी जी ने चिंता से कहा और नेहा ने हा मे गर्दन हिला दी
नेहा- मा आप लोग कब आए ?
जानकी- जब तुम दिन मे सपने देख रही थी, मैंने चाय भी बना दी , अब जाओ और ये चाय माजी(दादी) को दे आओ बाहर से आने के बाद उन्हे चाय चाहिए होती है
जिसके बाद नेहा चाय लेकर दादी के कमरे की ओर चली गई
नेहा- दादी आपकी चाय
नेहा ने दादी को चाय का कप देते हुए कहा
गायत्री- नेहा बैठो, मुझे कुछ बात करनी है तुमसे
दादी ने कहा जिसपर नेहा भी वहा बैठ गई
दादी- नेहा, गणेशोत्सव करीब है और ये तुम्हारा और श्वेता का इस घर में पहला त्योहार है तो मैं सोच रही थी के इस साल गणेशोत्सव बड़ी धूम धाम से मनाए, मुझे पता है तुम अपनी अकादेमी के काम से बिजी हो लेकीन थोड़ा ध्यान इसपर भी देना, राघव ने पिछले कुछ सालों से त्योहारों से दूर ही हो गया है वो पूजा मे रहता है फिर वापिस काम मे लग जाता है लेकिन इस बार उसमे बदलाव आया है मैं चाहती हु वो इस साल हमारे साथ पूरा समय रह कर गणेशोत्सव मनाए और उसे मनाने का काम तुम ही कर सकती ही.. करोगी ना
नेहा- मैं वादा करती हु दादी जी वो पूरे दस दिन हमारे साथ होंगे वो भी पूरे दिल से
नेहा की बात से दादी के चेहरे पर स्माइल आ गई उन्होंने नेहा के सर पर प्यार से हाथ फिराया
कुछ देर बाद नेहा अपने कमरे मे आई और वो जो नया बेड आया था उसे अच्छे से देखने लगी उसपर बैठ कर कूद कर हर तरह से नहा ने उसे चेक किया और फिर उसके ध्यान मे आया के वो क्या कर रही है
नेहा- इनके जैसा बिहैव मत करो नेहा ये भी आकार इस बेड को जरूर चेक करेंगे
नेहा ने खुद से ही कहा और तभी उसके रूम का दरवाजा खुला और राघव एक स्माइल के साथ अंदर आया राघव को देखते ही नेहा ने घड़ी की ओर देखा जिसमे शाम के 5 बज रहे थे
नेहा- आप इतनी जल्दी क्यू आ गए??
नेहा के इस सवाल पर राघव की सारी स्माइल ही गायब हो गई वो कुछ और सोच रहा था और हुआ कुछ और
राघव- ये कैसा सवाल है? मैं जल्दी नहीं आ सकता क्या??
नेहा- नहीं मतलब आप इतनी जल्दी कभी आते नहीं हो ना ईसलिए पूछा बस
राघव- मेरा मन किया तो आगया
राघव बेड पर कूदते हुए बोला
राघव- वॉव यार चिक्की सही बेड है ये कम जम्प विद मि
राघव की बात सुन नेहा ने बस उसे देखा
राघव- ऐसे मत देखो चेक करना पड़ेगा ना अगली बार तुम भागोंगी तो टूटना नहीं चाहीये ना
राघव ने हसते हुए कहा वही नेहा उसे घूरते हुए रूम से चली गई.....
श्वेता- भाभी आप सिर्फ क्लासिकल डांस सिखायेंगी या और भी कोई जैसे वेस्टर्न वगैरा
श्वेता ने पूछा लेकिन नेहा इसका जवाब देती इसके पहले ही राघव बोल पड़ा
राघव- ना श्वेता उसे वेस्टर्न स्टाइल डांस नहीं आता और वेस्टर्न लुक मे वो अच्छी भी नहीं लगेगी
राघव ने जान के नेहा को चिढ़ाने के लिए कहा वही नेहा ने सपाट चेहरे से उसकी तरफ देखा
विवेक- तो क्या हुआ सबका अपना अपना स्टाइल होता है हमारी भाभी का अपना स्टाइल है
विवेक अब नेहा के सपोर्ट मे खड़ा हो गया
राघव- तो मैंने इस बात से कब मना किया है ओफकोर्स नेहा एक बढ़िया डान्सर है बट वेस्टर्न इस नॉट हर थिंग
राघव ने आगे कहा और विवेक और रिद्धि ने एकदूसरे को देखा
नेहा- इट्स ओके विवेक आप एक चीज मे अच्छे हो इसका ये मतलब नहीं के आपको सब कुछ आता है चलो मैं चलू मुझे खाने की तयारी करनी है तुम लोग बाते करो
नेहा ने राघव को देखते हुए वहा से जाते हुए कहा और उसके पीछे श्वेता भी चली है और उनके जाते ही रिद्धि राघव से बोली
रिद्धि- आपने ये जानबुझ कर कहा ना वरना भाभी वेस्टर्न ड्रेस मे सुपर दिखती है बस वो यहा वैसे कपड़े नहीं पहनती
रिद्धि की बात सुन राघव ने ऐसा बताया जैसे उसे ये पता था लेकिन नेहा के बारे में आज उसे ये नई बात पता चली थी....
रात के खाने के बाद राघव अपने स्टडी रूम मे अपने चाचा के साथ बिजनेस रेलेटेड बाते डिस्कस कर रहा था और जब सब काम खतम करके वो अपने रूम मे पहुचा तो उसने देखा के उसका कमरा अंधेरे मे डूबा हुआ था उसने नेहा को आवाज भी लगाई लेकिन कोई रिप्लाइ नहीं मिला, नेहा अभी तक कमरे मे नहीं आई है ये सोच के राघव थोड़ा हैरान हुआ क्युकी समय काफी हो गया था
राघव ने अंधेरे मे ही स्विच बोर्ड टटोला और रूम मे डीम लाइट शुरू की जिसने महोल हो थोड़ा रोमांटिक बना दिया और जैसे ही राघव पलटा उसके होश ही उड गए मुह खुला रह गया और आंखे बस बाहर ही आने वाली थी......
ऐसा क्या देख लिया था राघव ने.... जानेंगे अगले अपडेट मे तब तक साथ बने रहिए कमेन्ट कीजिए धन्यवाद।
राघव ने अंधेरे मे ही स्विच बोर्ड टटोला और रूम मे डीम लाइट शुरू की जिसने महोल हो थोड़ा रोमांटिक बना दिया और जैसे ही राघव पलटा उसके होश ही उड गए मुह खुला रह गया और आंखे बस बाहर ही आने वाली थी......
राघव ने नेहा को सर से लेकर पैर तक सप्राइज़ होकर देखा, उसने कभी नेहा को ऐसे नहीं देखा था, उसने बस सिर्फ एक नाइट ड्रेस पहना था लेकिन उसमे भी कहर मचा रखा था, एक नाइट ड्रेस मे भी कोई इतना हॉट लग सकता है इसका राघव को अंदाज ही नहीं था और ये कहना तो बिल्कुल ही गलत होगा के नेहा को ऐसे देख राघव के अरमान ना जागे हो
राघव- न... न... ने.....
नेहा- शश......
नेहा ने राघव ने होंठों पर उंगली रख उसे बोलने से रोक दिया
नेहा- वेस्टर्न इस नॉट माइ थिंग! राइट??
नेहा ने राघव ने कान में सेडक्टिवली पूछा नेहा को भी नहीं पता था के उसमे आज इतनी हिम्मत कहा से आई थी लेकिन अब वो पीछे नहीं हटने वाली थी वही राघव की नजरे नेहा से हट ही नहीं रही थी वो सप्राइज़ एक्सप्रेशन के साथ नेहा को उसकी ड्रेस को देख रहा था उसने नेहा को कभी ऐसे कपड़ों मे नहीं देखा था वो सुपर हॉट लग रही थी जबकि उसने बस एक नाइट ड्रेस पहना था राघव ने नेहा को हमेशा साड़ी या ट्रडिशनल कपड़ों मे देखा था लेकिन इस शर्ट और शॉर्ट्स मे वो उसे पागल बना रही थी
नेहा- वाच इट मिस्टर देशपांडे
नेहा ने एक मुस्कान के साथ राघव के होंठों पर अपनी उंगली घुमाते हुए कहा वही राघव बगैर पलके झपकाए नेहा को देख रहा था जिसके बाद नेहा ने गाना प्ले किया और अपनी अदाओ से राघव को घायल करने लगी, नेहा के हिलते नितंब और उरोजों ने राघव की धड़कने तेज कर दी थी उसने नहीं सोचा था के आज उसे नेहा का ये अवतार देखने मिलेगा,
वो लोग अपने रूम मे थे एसी चल रहा था फिर भी तापमान बढ़ा हुआ था वही बालकनी से झाकता चाँद सिचूऐशन को और रोमांटिक बना रहा था नेहा सुपर हॉट और सेक्सी लग रही थी वही उसे देख राघव के होंठ सुख चुके थे जिनपर से उसने अपनी जीभ घुमाई, उसकी नजरे नेहा की लंबी टांगों पर थी जो इस वक्त बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी जिसके बाद राघव का ध्यान नेहा के ओवर्साइज़ ड्रेस की ओर गया जो नेहा के डांस मूवस् के साथ उसका क्लीवेज रीवील कर रहा था
नेहा- कैसा लगा मिस्टर देशपांडे
नेहा ने अपना सिडक्टिव डांस खतम कर राघव से पूछा लेकिन वो बताने की हालत मे कहा था वो तो बस मुह फाड़े बगैर पलके झपकाए उसे देख रहा था, नेहा ने उसकी तरफ एक कदम बढ़ाया और अपनी बाहों का हार उसके गले मे डाला
नेहा- क्या हुआ?? अब भी ऐसा लगता है के वेस्टर्न मेरे बस का नहीं?
नेहा ने मासूम बनते हुए पूछा जिसका जवाब वो जानती थी
राघव- तुम.... तुम... बहुत हॉट लग रही हो
राघव ने नेहा को सर से पैर तक देखते हुए कहा वही नेहा झूठा शॉक एक्सप्रेशन बनाते हुए बोली
नेहा- अपनी बीवी को कोई हॉट बोलता है !!
राघव- मेरी बीवी को ही कह रहा हु किसी और की थोड़ी
राघव के रिप्लाइ पर नेहा मुस्कुरा दी, राघव ने आँखों मे चमक लिए नेहा को देखा जैसे उसे उसकी मन चाही चीज मिल गई हो और वही भाव नेहा की आँखों मे थी थे
अचानक से नेहा को राघव की स्माइल उसकी आवाज उसका चेहरा, उसका बात करने का तरीका उसका उसकी केयर करने का तरीका सब कुछ अट्रैक्ट कर रहा था और अभी उसे सबसे ज्यादा राघव के होंठ अट्रैक्ट कर रहे थे,
राघव- नेहा..!!
नेहा की आंखे राघव के होंठों पर जमी हुई थी और उसका मन उसे चूमने को बेचैन हुआ जा रहा था, वो दोनों इतने करीब थे के राघव नेहा की सासों को अपनी नाक और होंठ के बीच महसूस कर सकता था, दोनों के बीच बस इंच भर का फासला था और अब महोल मे गर्मी बढ़ रही थी..
नेहा बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी और उसे देख राघव के अरमान तो पहले ही जाग चुके थे, राघव ने नेहा का एक पैर उठा कर अपनी कमर पर रखा और जैसे ही राघव ने अपने हाथ को नेहा की खुली टांग पर घुमाया उसके बदन मे एक सिरहन सी दौड़ गईं, उसने अपनी आंखे बंद कर ली, राघव के बस एक स्पर्श ने उसे और भी ज्यादा इंटिमेट कर दिया
राघव- तुम इतनी हॉट और सेक्सी लग रही हो के मैं बता नहीं सकता के तुम्हारे इस बोल्ड और सेक्सी अवतार ने मेरा क्या हाल किया है
राघव ने नेहा को अपने करीब खिचते हुए हल्के से अपनी हस्की आवाज मे कहा
नेहा की उंगली इस वक्त राघव के होंठों को छूते हुए गले से होते हुए उसकी छाती पे घूम रही थी और अब दोनों के बीच सेक्शुअल टेंशन बढ़ रहा था
नेहा के गुलाब की पंखुड़ियों समान होंठों को देखते हुए राघव ने अपने चेहरा उसके करीब किया लेकिन नेहा उसे किस करने से रोकने के लिए मुसकुराते हुए मूड गई
राघव का अब अपने आप पर काबू पाना मुश्किल हो रहा था, उसका एक हाथ अब भी नेहा के पैर पर घूम रहा था वही उसने अपना दूसरा हाथ नेहा की पीठ पर रखा और उसे ऊपर उठा लिया और उसे बेड तक ले आया
राघव ने धीमे से नेहा को बेड पर लिटाया और अपने आप को उसके ऊपर जिससे दोनों के बीच एक इंटिमेट क्लोज़नेस बन गई थी और अब नेहा की साँसे भारी होने लगी थी, इस पल की चाहत उन दोनों को ही नजने कब से थी
नेहा ने अपना निचला होंठ दातों तले दबाया, राघव की इन्टेन्स नजरे उसे परेशान कर रही थी
राघव- तुम ऐसा नहीं कर सकती, उनपर सिर्फ मेरा हक है, they’re all mine to bite, lick and suck समझ आया?
राघव ने नेहा का निचला होंठ उसके दांतों से बाहर निकाला और अपना चेहरा नेहा की गर्दन मे डाल दिया, राघव का स्पर्श नेहा को पागल बना रहा था, वो दोनों ही जानते थे को दोनों को ही एकदूसरे की जरूरत थी न सिर्फ ईमोशनली बल्कि फिजिकलि भी
राघव हल्के हल्के से नेहा की गर्दन पर चूम रहा था, उसे नेहा का स्वीट स्पॉट मिल चुका था और नेहा के हाथ राघव के बालों मे घूम रहे थे
राघव ने नेहा के सारे चेहरे ओर चूमा बस उसके होंठों को छोड़ कर, ये दूरी उससे भी सही नहीं जा रही थी लेकिन नेहा भी उसके लिए उतना ही तड़प रही थी ये देख उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई
नेहा के दोनों पैर अब राघव की कमर के इर्द गिर्द थे, राघव ने नेहा की पहनी सैटन की शर्ट को थोड़ा सा नीचे सरकाया जिससे उसका एक कंधा अब पूरा राघव के सामने था, राघव ने अपनी उंगली नेहा के नग्न कंधे पर से घुमाई और ही एक गीली चुम्मी भी, नेहा की साँसे बढ़ रही थी, वो अपने निचले भाग मे गीलापन महसूस कर रही थी, जब राघव ने नेहा के गर्दन पर काटा तो वो दर्द से सिसक उठी...
नेहा की आंखे बंद थी और वो इस पल का मजा ले रही थी
राघव- अपनी आंखे खोलो बेबी
राघव ने सिडक्टिवली कहा
राघव की नजरे नेहा के होंठों पर पड़ी जो हल्के से खुले थे जो उसे अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे
नेहा- किस मी राघव
नेहा ने एकदम से कहा
नेहा- किस मी, आइ वॉन्ट टु taste यू
अब नेहा ने भी अपनी शर्म छोड़ दी थी
दोनों की नजरे आपस मे मिली दोनों की आँखों मे इस वक्त कई भावनाए उमड़ रही थी
इससे आगे कोई कुछ कहता नेहा को होंठ राघव के होंठों से मिल चुके थे
राघव नेहा को धीरे धीरे सॉफ्टली किस करने लगा और नेहा ने भी बगैर समय बर्बाद किया उसे वैसा ही प्रतिसाद दिया, नेहा की उँगलिया अब भी राघव के बालों मे घूमते हुए उनसे खेल रही थी
राघव ने नेहा को किस करते हुए ही उसे कमर से पकड़ के ऊपर उठाया और ऐसा करने मे अब नेहा का निचला गीला भाग राघव ने हार्ड पार्ट के कॉन्टेक्ट मे आया
नेहा- म्महम्म
किस के बीच ही नेहा के मुह से हलकी सी आवाज आई जैसे ही उसने राघव के हार्ड पार्ट को अपने वेट पार्ट पर फ़ील किया उसे एक स्ट्रॉंग सेन्सेशन महसूस हुआ
नेहा के होंठों को चूमते हुए चूसते हुए राघव ने अपनी जीभ उनपे से घुमाई और नेहा ने अपनी लोअर बॉडी को ऊपर उठाया और राघव ने बगैर एक पल सोचे बगैर किस तोडे उसे अपनी गोद मे बिठाया
राघव ने अपने दोनों हाथ नेहा के नितंबों पर रखे और नेहा के दोनों हाथ राघव के गले मे थे, राघव ने उसे अपनी ओर खिच लिया और नेहा भी राघव क्या चाहता है समझकर आगे बढ़ने लगी,
नेहा- आह
उसे मुह से एक धीमे, गहरी कराह निकली, राघव को खुश करने नेहा ने धीरे धीरे अपने नितबों को हिलाना शुरू और राघव ने उसका मुह छोड़ वापिस उसकी गर्दन पर अपना ध्यान लगाया, नेहा ने अचानक एक आनंद की लहर महसूस की और उसने अपनी गति को बढ़ा दिया और अपना सर झटके के साथ पीछे सरकाया
नेहा- ओ गॉड!! राघव !!
नेहा ने अभी अभी ऑर्गैज़म फ़ील किया था
राघव ने अपना हाथ नेहा की शर्ट के अंदर सरकाया और नेहा के नग्न शरीर पर उसका स्पर्श हुआ, नेहा की कमर के हल्के से चिमटी काटते हुए राघव के हाथ उसकी पीठ और पेट पर घूम रहे थे, राघव ने महसूस किया के नेहा के ब्रा नहीं पहन रखी थी और राघव ने अपने अंगूठे से उसके बाये उरोज के नीचे रगड़ा और शर्ट के ऊपर से ही उन आनंद कलशों को चूमने लगा, और नेहा उसके ऊपरी शरीर को गले लगाते हुए अपनी ठुड्डी उसे सर पर टिकाए सिसकने लगी,
राघव नेहा को अपनी बाहों मे भींचते हुए किसी भूखे शेर की तरह उसे चूम रहा था
वो दोनों ही रुकना नहीं चाहते थे और ये ड्राई हम्पिंग दोनों को आनंद का एहसास करा रही थी
राघव और नेहा दोनों ही इस वक्त अपनी ही दुनिया मे खोए हुए थे और राघव बस नेहा का शर्ट पूरी तरह से उतारने ही वाला था के किसी ने उनके रूम के दरवाजे पर खटखटाया जिससे उन्हे रुकना पड़ा
दोनों ही अचानक आए इस खलल से इरिटेट हुए थे वही नेहा के चेहरे पर शर्म की लाली छाई हुई थी
नेहा ने उठने की कोशिश की लेकिन राघव ने उसे रोक दिया और फिर से अपना रुख उसकी गर्दन की ओर घुमाया लेकिन इतने मे फिर से किसी से दरवाजा खटखटाया और इस बार साथ मे एक आवाज भी आई
विवेक- भाई!!! भाभी!!!
विवेक ने बाहर से उन्हे आवाज दी विवेक की आवाज सुन राघव ने घड़ी को देखा तो 11.30 बज रहे थे वो दोनों उठ गए नेहा शॉर्ट्स की जगह पायजामा पहनने चली गई वही राघव दरवाजा खोलने गया दरवाजा खुलते ही विवेक ने राघव को ऊपर से नीचे तक देखा हर बार इन्हे कोई न कोई डिस्टर्ब कर ही देता है।
राघव- क्या??
विवेक- आप ऐसे....
विवेक ने राघव के बिखरे बाल और कपड़े देखते हुए पूछा और राघव ने अपने आप को सही किया
राघव- सो रहा था मैं अब बताएगा क्यू आया है
विवेक- हा! भाभी कहा है??
विवेक ने रूम मे झाकते हुए पूछा लेकिन राघव ने उसे रोक दिया
राघव- क्यू??
विवेक- पहले भाभी को बुलाओ उनसे काम है
और अब इसी बात पे दोनों भीड़ गए तभी नेहा वहा आई
नेहा- क्या हुआ
विवेक- कुछ नहीं भाभी भाई मुझे आपने मिलने नहीं दे रहा था
राघव- अब काम बताएगा
राघव ने अपने हाथ बांधे पूछा
विवेक- हा, भाभी दादी ने कहा है के आपको बता दु के कल आपको आपके चाचा के यहा जाना है उन्होंने आपको कॉल किया था लेकिन आपने उठाया नहीं तो उन्होंने दादी से कहा अब रीज़न मुझे पता नहीं आप उनसे बात कर लेना
इतना बोल के विवेक वहा से निकल गया और राघव ने दरवाजा बंद किया
राघव- बात कर लो पहले चाचाजी से
राघव ने नेहा से बेड के पास जाते हुए कहा और नेहा ने भी अपना फोन उठाया और अपने चाचा को कॉल लगाया
नेहा- हैलो!
सतीश- हैलो नेहा बेटा! कैसी हो??
नेहा- मैं एकदम बढ़िया चाचाजी आप कैसे हो ?
तभी राघव नेहा के पास आया और अपना सर नेहा की गोद मे रख दिया और उसके एक हाथ से खेलने लगा
सतीश- मैं भी ठीक हु मैं कब से तुम्हें फोन लगा रहा था तुम जवाब ही नहीं दे रही थी कहा थी?
अपने चाचा के इस सवाल का नेहा पर पास कोई जवाब नहीं था
नेहा- वो.. चाचाजी मेरा फोन साइलन्ट मोड पर था तो रिंग सुनाई ही नहीं दी
नेहा का जवाब सुन राघव ने इशारे से ही क्या बात है कहा और नेहा ने उसे घूर कर देखा
सतीश- अच्छा अच्छा और राघव बाबू कैसे है?
तभी राघव ने नेहा की शर्ट के अंदर हाथ डाल उसके पेट पर अपनी उंगली घुमाने लगा और नेहा की साँसे तेज होने लगी
नेहा- वो.. वो... भी ठीक है
सतीश- क्या हुआ नेहू? तुम ऐसे क्यू बात कर रही हो सब ठीक है ना
नेहा- हा.... हा चाचाजी सब ठीक है चाची कैसी है?
सतीश- हा वो भी अच्छी है, नेहू??
नेहा- जी चाचाजी
सतीश- दामादजी तुम्हारा खयाल तो रखते है ना??
नेहा के चाचा की आवाज मे थोड़ा डर था
नेहा- हा चाचू वो बहुत खयाल रखते है मेरा
नेहा ने स्माइल के साथ कहा और राघव ने उसे देखा
सतीश- चलो अच्छा है फिर, जब वो शादी के बाद अचानक चले गए थे मुझे लगा था वो खुश नहीं है अब तुमसे सुन लिया तसल्ली हो गई
नेहा- मैं बहुत खुश हु चाचू आप बिल्कुल चिंता ना करे
सतीश- बहुत बढ़िया बात है ये तो, बेटा मैं क्या कह रहा था अगर तुम्हें कल समय हो तो एक बार मिलने आ जाओ , बहुत समय हो गया है तुम्हें देखे तुम्हारी चाची और सचिन भी काफी याद कर रहे है तुम्हें
नेहा- मैं जरूर आऊँगी चाचू
सतीश- और हा बेटा अगर दामादजी को फुरसत मिले तो उन्हे भी लाना, तुम दोनों कभी साथ नहीं आए हो
नेहा- मैं पूछ लेती हु उनसे
सतीश- ठीक है फिर मिलते है कल, अपना खयाल रखना
नेहा- जी चाचू, बाय
जिसके बाद नेहा ने फोन रख दिया और फोन रखते ही राघव उसके पास लपका
राघव- तो... क्या बाते हुई??
नेहा- कुछ नहीं चाचू ने हमे मिलने बुलाया है बहुत टाइम हो गया ना उनसे मिले
राघव- हमे??
नेहा- हा, हम कभी वहा साथ नहीं गए ना तो वो चाहते है के हम साथ आए
राघव- ठीक है कल शाम मे चले चलेंगे
नेहा- मुझे उनके साथ थोड़ा समय बिताना है शाम मे जाने पर कैसे होगा
राघव- और काम का क्या ??
नेहा- मैं कोई जॉब थोड़ी कर रही हु मैं छुट्टी ले सकती हु
नेहा ने राघव के टीशर्ट से खेलते हुए कहा
राघव- लेकिन मैं नहीं ले सकता
नेहा- प्लीज
राघव- ओके ऐसा करते है मैं सुबह तुम्हें ड्रॉप कर दूंगा और शाम को पिक कर लूँगा
नेहा- मुझे वहा कुछ दिन रहना है
राघव- बिल्कुल नहीं!!!
राघव ने एकदम से बेड पे सीधा बैठते हुए कहा
नेहा- क्यू??
राघव- क्या क्यू? मैं तुम्हें वहा नहीं छोड़ सकता वैसे भी तुम कल वहा पूरा दिन बिताओगी ही
नेहा- वो फॅमिली है मेरी
राघव- और मैं हज़बन्ड हु तुम्हारा
नेहा- और मैं आपही के साथ तो हु आप मुझे कुछ दिन वहा रहने नहीं दे सकते
राघव- तुम्हें जो सोचना है सोचो तुम वहा नहीं रहोगी
राघव ने जिद्दी बनते हुए कहा
नेहा- लेकिन मेरी फॅमिली का तो सोचिए
राघव- और तुम मेरे बारे मे तो सोचो
नेहा- तो आप भी मेरे साथ वहा रुक जाइए
राघव- नहीं
नेहा- तो मुझे तो रहने दीजिए ना
नेहा ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा
राघव- कुछ दिन बहुत होते है
नेहा- लेकिन फॅमिली है वो मेरी वो भी आपसे पहले
राघव- हा लेकिन
नेहा- राघव प्लीज....
नेहा ने प्यार भारी आवाज मे कहा और यहा राघव बाबू पिघल गए
राघव- ठीक है जाओ
राघव ने बेड पर से उठते हुए कहा और बाथरूम मे चला गया वही नेहा बस उसे जाते हुए देखने लगी कुछ देर बाद राघव आया और बेड पर नेहा के उलटी तरफ मुह करके सो गया
नेहा ने राघव को पीछे से गले लगाया और उसके कान मे बोली
नेहा- बस 2-3 दिन
और राघव के गाल को चूम लिया फिर कुछ पल राघव के रिप्लाइ का इंतजार किया और जब रिप्लाइ नहीं मिला तो उसने अपना हाथ निकालना चाहा लेकिन राघव ने उसका हाथ पकड़ा और उसकी ओर घूम गया
राघव- बस 1 दिन
राघव की बात पर नेहा मुस्कुराई और वो दोनों फिर नींद के आगोश मे समा गए एक दूसरे की बाहों मे
ये सच था के उनके रिश्ते को सवरने मे समय लगा था लेकिन अब वो समय सार्थ हो रहा था छोटे छोटे कदमों से उनका रिश्ता मजबूत हो रहा था......
अगले दिन नेहा बहुत खुश थी आज अपने घर जो जा रही थी और उससे ज्यादा खुशी उसे इस बात की थी के राघव उसके साथ था वही रात वाली बात सोच सोच कर जैसे ही राघव उसके सामने आता वो शर्मा जाती थी।
नेहा के घर जाते हुए राघव उससे एक शब्द भी नहीं बोला वही उसने एक पल के लिए भी नेहा का हाथ नहीं छोड़ा मानो वो उससे कही दूर जा रही हो और नेहा भी राघव का उसके लिए इतना पज़ेसिव नेस देख कर मन ही मन मुस्कुरा रही थी
जब वो लोग नेहा के चाचा के घर पहुचे तो उसने देखा के आसपड़ोस के लोग खास कर लड़किया राघव को ही देख रही थी और जैसे ही नेहा ने ये देखा उसने झट से राघव का हाथ थाम लिया और उसके अचानक अपना हाथ पकड़ते ही राघव ने अपना गॉगल उतार नेहा को देखा और नेहा ने एक स्माइल के साथ कहा
नेहा- मेरी सौतन ना ला सके तो गर्लफ्रेंड से काम चला रहे है
नेहा का ताना पहले तो राघव को समझ नहीं आया लेकिन जैसे ही ध्यान मे आया उसने अपना फोन अपनी जेब मे रखा और नेहा का हाथ पकड़ा और उसके माथे को चूमके बोला
राघव- ठीक है तो बीवी पर फोकस कर लेते है!
राघव ने मुस्कुराकर करा वही नेहा उसकी बात पर शर्मा दी
राघव- चले अंदर!
जिसके बाद वो लोग घर के अंदर जाने लगे और जाते जाते नेहा ने मूड कर उन लड़कियों को देखा जो राघव को ताड़ रही थी और उनके उतरे चेहरे देख नेहा के चेहरे पे स्माइल आ गई वही घर के अंदर जाते ही नेहा के चाचा चाची ने दोनों का अच्छे से वेलकम किया नेहा ने दोनों को गले लगाया वही राघव ने वो किया जो नेहा ने सोचा भी नहीं था के राघव करेगा, उसने नेहा के चाचा चाची दोनों के पैर छूए, राघव की इस बात पर नेहा तो शॉक थी ही नेहा के चाचा चाची भी शॉक थे क्युकी वो भी राघव के स्वभाव से परिचित थे।
राघव चाचा के पैर छूने झुका ही था के उन्होंने उसे गले लगा लिया और उसने भी स्माइल के साथ रेस्पोंड किया और उसे हसता देख नेहा की चाची की आंखे बड़ी हो गई क्युकी शादी के वक्त तो उन्होंने राघव को बस सपाट चेहरे के साथ ही देखा था
संगीता - ये सही मे राघव है??
चाची ने नेहा के कान मे पूछा और उसने भी हा ने गर्दन हिला दी
संगीता- आप लोग बैठो मैं अभी चाय नाश्ता लेकर आती हु
चाची ने कहा और वो किचन मे चली गई
नेहा- मैं चाची की मदद कर देती हु
इतना बोल के नेहा भी वहा से चली गई और राघव को ऑक्वर्ड सिचूऐशन मे छोड़ गई, एक तो उसे नए लोगों ने बात करने मे थोड़ी दिक्कत होती थी उसे बिल्कुल समझ नहीं आता था के बात कहा से शुरू करे क्या बात करे अपने बिजनेस के अलावा वो ज्यादा बात ही नहीं करता था, ऑफिस मीटिंग्स मे उसके पास बात करने के लिए टॉपिक होता था, उसका असिस्टन्ट ही बहुत से काम निपटा लेता था लेकिन बगैर किसी टॉपिक के बात छेड़ना राघव के बस का नहीं था वो तो नेहा के चाचा का शूकर था के उन्होंने बात शुरू की और राघव को थोड़ा सहज किया वही किचन मे
संगीता- नेहू ये वही राघव है ना जिनसे शादी हुई थी तुम्हारी
चाची ने किचन से हॉल मे चाचा के साथ बात करते राघव को देख नेहा से पूछा, राघव दिन ब दिन बदल रहा था ऐसे मे कोई भी शॉक होता, जो राघव कभी किसी से सीधे मुह नहीं बोलता था जिसके चेहरे पर स्माइल बस दिवाली होली जैसी साल मे एक दो बार दिखती थी वो हस हस के बाते कर रहा था,
नेहा- ये वही है चाची
नेहा ने मुस्कुराकर कहा
संगीता- ऐसा है तो दामादजी बहुत बदल गए है जिन्हे हम जानते थे वो तो ये लग ही नहीं रहे पहले कितने जिद्दी थे ना
नेहा- चाची! वो जिद्दी नहीं है
नेहा ने राघव की साइड लेते हुए कहा
संगीता- हा हा नहीं है बस
अब चाची भी नेहा को छेड़ने के मूड मे थी
संगीता- अच्छा है तुमने बदल दिया है उन्हे
चाची की बात सुन नेहा शर्मा दी वही उसे याद आया के पहले कैसे राघव उससे दूर भागा करता था वही आजकल वो उसके साथ सब शेयर करता था, नेहा यही सब याद कर नेहा के गाल लाल होने लगे थे
संगीता- क्या हुआ नेहू लगता है कुछ याद आ गया
चाची ने नेहा को छेड़ते हुए कहा वही नेहा के गाल शर्म से लाल हो चुके थे तभी
सतीश- अरे संगीता कितना समय लगेगा भई ?
संगीता- बस अभी आई
चाची ने किचन से जोर से कहा और चाय का ट्रे लिए वहा से चली गई नेहा ने भी अपने आप को सही किया और नाश्ते के ट्रे के साथ बाहर आई उसने नाश्ता सामने के टेबल पर रखा और राघव ने उसे देख एक स्माइल पास की
नेहा- सचिन कहा है??
नेहा ने जब अपने भाई को कही नहीं पाया तो पूछा
संगीता- इन्होंने उसे आज शॉप का खयाल रखने भेजा है ताकि तुम्हें मिल सके वो वहा गया है, बड़ा गुस्सा था बहुत मिस करता है तुम्हें
चाची ने नेहा को बताया
नेहा- कोई ना शाम मे मिल लूँगी उससे मैं अभी 2 दिन यही रुकने वाली हु
नेहा ने राघव को देखते हुए कहा जिसपर राघव बोला तो कुछ नहीं लेकिन उसके इक्स्प्रेशन बता रहे थे के उसे ये बात पसंद नहीं आई थी
संगीता- ये तो और भी अच्छा है बहुत दिनों बाद तो आई हो
सतीश- दामादजी बिजनेस कैसा चल रहा है मैंने सुना नेहू भी सीख रही है आपसे
राघव- बढ़िया है और अभी तो मार्केटिंग सीखा रहा हु नेहा को
संगीता- हमने इसे कितनी बार कहा के अपनी अकादेमी खोल के हम है सपोर्ट करने लेकिन इसने कभी हमारी बात नहीं मानी मा बाप आखिर मा बाप होते है
नेहा- ऐसा नहीं है चाची और ये बात आप जानती है आप मेरे लिए मम्मा पापा से कम नहीं है
नेहा ने अपनी चाची को साइड से गले लगाया तभी राघव बोला
राघव- उम्म!! इक्स्क्यूज़ मी, वाशरूम??
राघव ने थोड़ा ऑक्वर्ड होकर पूछा
सतीश- नेहू दामादजी जी को ऊपर अपने कमरे मे ले जाओ बेटा
संगीता- हा तुम लोग जाओ तब तक मैं कुछ और खाने का बनाती हु
फिर नेहा राघव के साथ अपने रूम की ओर बढ़ गई नेहा आगे आगे चल रही थी और राघव उसे फॉलो कर रहा था
रूम मे पहुचते ही राघव ने रूम को देखते हुए दरवाजा बंद किया वो पूरे रूम को देख रहा था नेहा ने उसे वाशरूम का दरवाजा दिखाया लेकिन उधर जाने के बजाय राघव उसके पास आया, राघव को अपनी ओर बढ़ता देख नेहा पीछे हटने लगी उसने एक कदम पीछे लिया लेकिन राघव नहीं रुका पर नेहा का पैर बेड से टकराते ही नेहा रुक गई, राघव नेहा के करीब पहुचा और जब उनदोनों के बीच बस 1 इंच का फासला था राघव ने अपना एक हाथ उसकी कमर पर रखा और दूसरा उसके सर पर और अपने आप को कुछ इस तरह पुश किया ये वो दोनों बेड पर गिर गए, नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली थी वही राघव बस उसे देख रहा था
राघव- अपनी आंखे तो खोलो बेबी
राघव नेहा के कान मे फुसफुसाया वही नेहा के हाथ उसकी शर्ट पर कस गए और उसने अपना चेहरा दूसरी ओर घुमाया
राघव- तो अब बात नहीं मानोगी मेरी
राघव ने अपनी नाक से नेहा का चेहरा छेड़ते हुए कहा नेहा की साँसे तेज होने लगी उसे गुदगदी हो रही थी
नेहा- राघव प्लीज
राघव- पता है तुम मुझे नाम से बुलाती हो बड़ा अच्छा लगता है
राघव ने नेहा के गाल को चूमते हुए कहा
नेहा- अब आपको वाशरूम नहीं जाना
राघव- नोप!!
राघव ने अपनी उंगलियों को नेहा की कमर पर घुमाते हुए कहा
नेहा- आप.... आपको ऑफिस नहीं जाना क्या??
राघव- अपनी फ्रीडम इन्जॉय करने के लिए कितनी डेस्परेट हो ना तुम
नेहा- ऐसा नहीं है आप ही ने कहा था आपकी मीटिंग है
राघव- मिसेज देशपांडे मैं अभी अपनी सबसे इम्पॉर्टन्ट मीटिंग अटेन्ड कर रहा हु
राघव ने नेहा के बालों की लट को उसके कान के पीछे करते हुए कहा और एक छोटी की स्माइल नेहा के चेहरे पर उभर आई जिसके बाद राघव उठा और उसने अपने कपड़े सही किया और वैसा ही नेहा ने किया
राघव- पक्का ना तुम यहा रह लोगी ना??
राघव ने अचानक से पूछा और नेहा ने उसे देखा
नेहा- हा बाबा, मिस्टर देशपांडे क्या हो गया है आपको जो मेरे बिना एक दिन नहीं रह सकते?
राघव- ऐसा कुछ नहीं है ठीक है! वो तो मैं तुम्हारे बारे में सोच रहा था के मेरे बिना कैसे रहोगी
नेहा- ऐसा है ठीक है फिर देखते है हम ना एकदूसरे को कल तक ना तो कॉल करेंगे ना मैसेज और परसो तो वैसे भी मैंने आ ही जाना है
नेहा ने राघव को चैलेंज करते हुए कहा और अपनी हसी दबाने लगी जो राघव का चेहरा देख फूटने ही वाली थी
नेहा- क्या हुआ?? डर गए??
राघव- हूह मैं किसी से नहीं डरता
नेहा- सोच लीजिए रह पाएंगे मेरे बिना?
राघव- बस 2 दिन की बात है चिक्की मैं तो नहीं लेकिन तुम मुझे बहुत मिस करोगी
राघव ने उसे आँख मारते हुए कहा
नेहा- देखते है आप मेरे बिना एक दिन नहीं रह पाएंगे
नेहा ने राघव को चैलेंज किया
राघव- डन डील! हम कल तक ना तो मैसेज करेंगे न कॉल करेंगे लेकिन अब ये बताओ इसके बदले मे मुझे क्या मिलेगा
नेहा- अगर मैं जीती तो आप पूरा गणेशोत्सव मेरे साथ रहेंगे और वो भी बगैर किसी काम में उलझे
राघव- ये तो तुम्हारा हुआ मैने पूछा अगर मैं जीता तो??
नेहा- तो आप बताओ आपको क्या चाहिए
राघव- उम्म....
नेहा- जल्दी बताइए ना
राघव – पता चल जाएगा सही समय पर
राघव ने एक स्माइल के साथ कहा और वहा से चला गया और नेहा उसे देखती रही.....
राघव नेहा को उसके मायके छोड़ अपने ऑफिस आ गया था लेकिन उसका ऑफिस मे किसी भी काम मे मन नहीं लग रहा था राघव ने नेहा को चैलेंज तो कर दिया था लेकिन कही ना कही वो खुद भी जानता था के वो इस चैलेंज को पूरा नहीं कर पाएगा पिछले कुछ दिनों मे उनके रिश्ते मे बहुत से बदलाव आए थे जो सकारात्मक थे और अब कही ना कही राघव को नेहा की आदत सी होने लगी थी और नेहा से दूर रहना उसके लिए मुश्किल होने वाला था वही नेहा राघव की इस सिचूऐशन का खूब मजा ले रही थी लेकिन मन ही मन वो राघव को खूब मिस भी कर रही थी।
देखते देखते दोपहर का समय हो चुका था और राघव और नेहा दोनों ने ही एकदूसरे से किसी तरह का कोई कॉन्टेक्ट नहीं किया था
‘ये काम मे बिजी होंगे, लेकिन इतना भी क्या काम के मैं भी याद नहीं इनको! ऐसा लगता है मैं ही पागल हु जो इन्हे मिस किए जा रही हु, ये मेरा चैलेंज ही मेरी जान लेने वाला है’
नेहा राघव को याद करते हुए अपने फोन को देख सोच रही थी तभी एक आवाज आया
“दीदी!!!!!”
ये आवाज सुन नेहा ने आवज ही ओर देखा तो उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई उसका भाई सचिन घर आ गया था
नेहा- अरे तू आ गया
नेहा ने सचिन को गले लगाया
सचिन- मैंने आपको बहुत मिस किया है, कैसे हो आप? सब सही है ना एकदम? जिजू खयाल रखते है ना आपका?? कोई प्रॉब्लेम नहीं है ना?? कोई कुछ बोलता तो नहीं ना??
सचिन ने एकदम से नेहा पर सवालों की झड़ी लगा दी थी और उसे चुप कराने के लिए नेहा को उसके मुह पर हाथ रखना पड़ा
नेहा- अरे चुप चुप!! बाबारे इतने सवाल!! सब ठीक है मैं ठीक हु और कुछ टेंशन नहीं है
नेहा ने एक लाइन मे सचिन के सारे सवालों का जवाब दे डाला जिसके बाद दोनों भाई बहन की बाते शुरू हो गई पुराने दिन याद आने लगे वही दूसरी तरफ ऑफिस मे.....
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“सर मेरे हिसाब से यही सबसे बढ़िया ऑप्शन रहेगा" नेहा ने राघव ने कहा वही राघव बस उसकी खूबसूरती मे खोया हुआ था उसका ध्यान भी नहीं था नेहा की बातों पर वो बस नेहा को देखे जा रहा था उसकी स्माइल, उसकी आंखे, उसके हवा के साथ लहराते बाल उसे सब कुछ अच्छा लगने लगा था
राघव अपनी जगह से खड़ा हुआ और नेहा के करीब गया और उसका हाथ पकड़ा नेहा की आंखे बड़ी हो गई थी और वो इधर उधर देखने लगी
“सर.... सर क्या... क्या कर रहे है?” उसने नर्वस होते हुए कहा
राघव- सर?? तुम मुझे सर क्यू कह रही हो चिक्की? नाम से बुलाओ ना अच्छा लगता है अपना नाम तुम्हारे मुह से सुन कर
राघव ने नेहा को कमर से थामे अपनी ओर खिचा नेहा की आंखे बाहर आने लगी वो राघव की बाहों मे छटपटाने लगी
राघव- क्या हुआ?? ऐसे छटपटा क्यू रही हो जैसे पहली बार हो
“पहली बार ही है”
राघव- क्या????
“सर!!!!!!!” उसने राघव को हिलाया तब राघव अपने होश मे आया और जैसे ही राघव ने उस बंदे को देखा उसे छोड़ पीछे हट गया
राघव- रवि!!! तुम कब आए ??
वो राघव का असिस्टेंट रवि था जिसे राघव नेहा समझ रहा था उसे हर जगह नेहा ही दिख रही थी
रवि- मैं तो कबसे यही हु सर आप भी प्लीज मैडम के सपने देखना बंद कीजिए वरना लोग हमारे बारे मे गलत समझेंगे
रवि ने कहा जिसने राघव को थोड़ा शर्मिंदा कर दिया
रवि- सर मैं जाऊ??
राघव- हम्म
जिसके बाद रवि जितनी जल्दी हो सके वहा से निकल गया और राघव अपने बाल खिचते हुए अपनी खुर्ची पर जाकर बैठा
‘तू क्या पागल हो गया है क्या राघव? ये क्या हो गया था अभी अभी पता नहीं रवि क्या सोच रहा होगा! हट्ट यार!!’ राघव अपने आप पर चिढ़ा हुआ था
‘ये सब नेहा की गलती है जानबुझ के चैलेंज दिया है उसने और मैंने भी जोश जोश मे हा बोल दिया अब क्या करू?? ये दो दिन दो साल जैसे लग रहे है’
राघव अपने आप से ही बड़बड़ाए जा रहा था
‘कॉल कर लू क्या?? नहीं नहीं नहीं!! हारना नहीं है जब चैलेंज लिया है तो पूरा करूंगा ही लेकिन यार उससे बात करने का भी बहुत मन है’
‘ये तुमने मुझे क्या कर दिया है चिक्की जो तुम्हारी एक झलक के लिए मरा जा रहा हु मैं! मैं पहले कभी इतना इम्पैशन्स नहीं रहा जितना आज हो गया हु । मैं क्यू तुमसे एक दिन भी दूर नहीं रह पा रहा हु??’
राघव नेहा को बहुत ज्यादा मिस कर रहा था
देखते देखते रात का समय हो गया था
सतीश- चलो बढ़िया है तुम दोनों के बीच अब सब सही चल रहा है
चाचा ने डिनर करते हुए नेहा से कहा
संगीता- हा फिर मेरी बेटी है ही ऐसी जो सब सही कर देती है
नेहा- ऐसा कुछ नहीं है चाची
सचिन- बाकी दी जिजू भी आपको मिस कर रहे होंगे नहीं
सचिन ने कहा और इसी के साथ ही नेहा का दिमाग सुबह वाले चैलेंज पर शिफ्ट हो गया दूसरी तरफ देशपांडे वाडे मे
श्वेता- भईया!!! भईया!!!!
राघव- हूह??
श्वेता ने राघव को हिलाया तब राघव अपने खयालों से बाहर आया वही डिनर टेबल पर सब लोग उसे कन्फ्यूज़ होकर देख रहे थे सब अपना खाना खा रहे थे लेकिन राघव तो किसी और ही दुनिया मे था
श्वेता- आपका खाना... ठंडा हो रहा है...
श्वेता ने राघव की प्लेट की ओर इशारा किया और उसने भी गर्दन हिला कर खाना शुरू किया
शिवशंकर- आज नेहा नहीं है तो सब कितना अलग अलग लग रहा है ना
दादू ने जानबुझ कर धीमी आवाज मे कहा जिसपर राघव भी अनजाने मे अपने खाने से खेलते हुए जवाब दे बैठा
राघव- हा ना
धनंजय- मिस कर रहे हो उसे?
अब धनंजय जी भी राघव के मजे लेने के मूड मे आ गया थे और अपनी हसी दबा रहे थे
राघव- बहुत।
जानकी- तो बात कर लो उससे
राघव- वही तो नहीं कर सकता न..
रमाकांत- क्यू??
राघव- वो....
लेकिन राघव बोलते बोलते रुक गया क्युकी उसके दिमाग ने उसे इशारा कर दिया था के वो क्या बोलने जा रहा था उसे नजर उठा कर ऊपर देखा तो सब उसे ही देख रहे थे और राघव के ऊपर देखते ही सब हसने लगे और राघव अपने बड़ों को बोलता भी क्या यहां अगर शेखर होता तो उसे वो चुप करा देता लेकिन चाचा को क्या ही बोलता बस चुपचाप बैठा रहा
मीनाक्षी- राघव हम भी मिस कर रहे है नेहा को लेकिन उसके लिए ऐसे देवदास बनने की क्या जरूरत है कल आ जाएगी वो वैसे भी
चाची ने मुसकुराते हुए कहा
शेखर- अब भाई भी क्या करे मा रहा नहीं जाता न
शेखर ने चिढ़ाया और राघव ने बदले मे उसे घूर के देखा, आज डिनर टेबल का टॉपिक राघव ही था और सब उसे चिढ़ाने मे लगे थे लेकिन अपना देवदास कुछ नहीं कर पा रहा था
कुछ समय बाद राघव अपने रूम मे इधर उधर घूम रहा था और नेहा से बात करने के तरीके सोच रहा था
‘सोच सोच राघव कुछ सोच इतना बड़ा बिजनेसमैन कोई आइडिया नहीं सोच पा रहा बीवी से बात करने का.... हा ये सही रहेगा फाइल के बारे मे पूछने के लिए फोन लगता हु जेनुइन भी लगूँगा, यस!!! लेकिन नहीं मैं थोड़ी बात कर सकता हु अब क्या करू’
राघव सोच ही रहा था के तभी उसे रिद्धि वहा से जाते हुए दिखी तो उसने रिद्धि को आवाज दी
राघव- रिद्धि सुनो
राघव की आवाज सुन रिद्धि रूम मे आई
रिद्धि- हा भाई
राघव- ये मेरा फोन लो और तुम्हारी भाभी को कॉल लगाओ
राघव ने अपने फोन रिद्धि के हाथ मे पकड़ाया
रिद्धि- ये काम तो आप भी कर सकते हो
रिद्धि थोड़ी कन्फ्यूज़ थी के राघव उसे कॉल करने क्यू कह रहा था
राघव- नहीं कर सकता
रिद्धि- क्यू??
राघव- बस कर दो ना यार और सुनो उससे पूछना मेरी रेड फाइल कहा रखी है
रिद्धि राघव को शक भरी नजरों से देख रही थी लेकिन फिर भी उसने नेहा को कॉल लगा दिया इधर नेहा ने जब अपने फोन का रिंग सुना तब वो अपनी चाची की किचन मे मदद कर रही थी और जैसे ही उसने कॉलर आइडी पर राघव का नाम देखा उसके चेहरे पर स्माइल आ गई लेकिन साथ ही चैलेंज भी दिमाग मे आ गया नेहा ने अपने फोन उठाया और सचिन के रूम मे गई
नेहा- सचिन ये लो अपने जिजू से बात करो
सचिन- हैं! क्यू? आप ही कर लो ना बात
सचिन भी कन्फ्यूज़ था
नेहा- नहीं कर सकती तुम बस कहा वो करो
और सचिन ने नेहा के हाथ से फोन लेकर कान से लगाया और दूसरी तरफ रिद्धि थी
रिद्धि- हैलो!
सचिन- दी जिजू को कोई प्रॉब्लेम है क्या? उनका आवाज लड़की जैसा आ रहा है
सचिन ने धीमी आवाज मे नेहा से कहा और नेहा चौकी
नेहा- क्या? ‘लड़की का आवाज! ये किसी लड़की के साथ तो नहीं है ना इसीलिए इन्होंने चैलेंज के लिए हा कहा था’
नेहा- लाओ मुझे दो फोन
नेहा ने एक झटके के साथ सचिन के हाथ से फोन छीना
नेहा- व्हाट द हेल कौन हो तुम और मेरे हज़बन्ड का फोन तुम्हारे पास क्या कर रहा है?? और इन मिस्टर देशपांडे को तो मैं छोड़ूँगी नहीं
नेहा एकदम फोन पर चिल्लाने लगी वही दूसरी तरफ रिद्धि उसकी आवाज सुन सकते मे थी
रिद्धि- भाभी! भाभी रीलैक्स मैं हु रिद्धि आप क्या बोल रहे हो भाई किसी के साथ नहीं है वो तो घर पर है
नेहा- हैं?
अब नेहा सचिन को घूर के देखने लगी
नेहा- सॉरी रिद्धि वो मुझे लगा कोई और है वो मेरे भाई ने फोन उठाया था और वो तुम्हें नहीं जानता ना लेकिन इनका फोन तुम्हारे पास?
रिद्धि- वो पता नहीं क्यू लेकिन भाई आपसे बात नहीं कर रहा है और उनको उनकी कोई रेड फाइल चाहिए
नेहा- रेड फाइल?
नेहा के पहले तो कुछ समझ नहीं आया फिर उसे फोन के दूसरे साइड से खुसफुसाहट सुनाई दी राघव रिद्धि से फोन स्पीकर पर रखने कह रहा था और नेहा के चहरे पर मुस्कान आ गई
नेहा- मुझे कोई रेड फाइल नहीं पता बाय!
और नेहा ने अचानक फोन काट दिया और इधर फोन कटते ही राघव रिद्धि से बोला
राघव- फोन क्यू काटा
रिद्धि- मैंने नहीं भाभी ने कट किया है और आपको हुआ क्या है ऐसे देवदास क्यू बने हो आ जाएगी भाभी कल और बात करना है तो कर लो ना यार, क्या आप दोनों का झगड़ा हुआ है क्या??
रिद्धि के सवाल पर राघव ने ना मे गर्दन हिला दी
रिद्धि- फिर क्या बात है
और अब राघव से रहा ना गया वो अपने बेड पर बैठा और उसने अपनी दुखभरी कहानी अपनी बहन को सुनाई पहले को रिद्धि को हसी आई लेकिन फिर अपने भाई की हालत उससे देखि भी नहीं जा रही थी
रिद्धि- आप लोग बच्चे हो क्या यार!! अच्छा अब मुह मत सड़ाओ एक आइडिया है मेरे पास
आइडिया का सुनते ही राघव ने रिद्धि को देखा
राघव- क्या है जल्दी बताओ
फिर रिद्धि ने राघव के कान मे आइडिया कहा
राघव- पागल है क्या, ऐसा करने पे सब मेरे बारे मे क्या सोचेंगे रिद्धि?
रिद्धि- ठीक है दूसरा आइडिया सुनो फिर
फिर रिद्धि वापिस उसके कान मे फुसफुसाई
राघव- ये तो उससे भी बुरा है ये नहीं होगा मुझसे
रिद्धि- क्या भाई हर आशिक अपने प्यार के लिए ये करता है फिर आप क्यू नहीं
राघव- कौन करता है ऐसा?
रिद्धि- मेरी किताबों का हीरो तो करता है
राघव- तुम नेहा के साथ कम रहा करो थोड़ा उसकी आदते आ रही है तुममे
रिद्धि- ऐसा कुछ नहीं है मैंने आइडिया बता दिया है लेना है लो वरना जाने दो
जिसके बाद रिद्धि वहा से चली गई और राघव अपना लैपटॉप लेकर बैठ गया ताकि काम के चक्कर मे नेहा के खयालों को दिमाग से निकाल सके लेकिन वो उसे बहुत ज्यादा मिस कर रहा था उसे अपना रूम खाली खाली सा लग रहा था, उसे एक तरह से नेहा की आदत हो चुकी थी उसे अपनी नजरों के सामने देखने की और यही आदत अब उसके लिए मुसीबत बनी हुई थी
दूसरी तरफ नेहा अपने परिवार के साथ समय बिताकर अपने रूम मे आ गई थी लेकिन उसके दिमाग मे भी बस राघव ही छाया हुआ था उसने बेड पर लेटे लेटे सोने की कोशिश की लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी
नेहा ने अपना फोन उठा कर राघव का नंबर भी डाइल किया लेकिन कॉल नहीं लगाया, नेहा भी राघव को बहुत ज्यादा मिस कर रही थी राघव को जैसे नेहा की आदत हो चुकी थी वैसा ही हाल नेहा का भी था, नेहा अपने बेड पर लेटी सोने की कोशिश करने लगी उसने अभी करवट ली ही थी के उसके कुछ आवाज आया नेहा अचानक से उठी, उसने इधर उधर देखा लेकिन कुछ नहीं था वो वापिस लेटने ही वाली थी के वापिस से आवाज आई जिसने उसे इस बार थोड़ा डरा दिया
ऊपर के फ्लोर पे बस नेहा का अकेली का रूम था बाकी सबके कमरे नीचे थे माने अभी वहा उस फ्लोर पर नेहा के अलावा और कोई नहीं था
नेहा- क.... कौन है??
नेहा ने डरते डरते पूछा और रूम मे रखी सचिन की क्रिकेट बैट उठा ली
नेहा- कौन है? देखो जो भी है सामने आ जाओ वरना इस बैट से बहुत मारूँगी
तभी वहा उसे एक बिल्ली के होने का एहसास हुआ कमरे के लाइट डीम थे और बाहर से चलती हवा माहोल को थोड़ा डरावना बना रही थी हवा के चलते एक फ्लावर पॉट नीचे गिरा था नेहा ने उसे उठा कर उसकी जगह पर रखा
और जैसे ही वो पलटी उसकी नजरे किसी पर पड़ी उसकी आंखे बड़ी हो गई मुह खुल गया और वो जोर से चीखी.......
अगले दो दिन पूरे देशपांडे वाडे मे चहल पहल थी बाप्पा के आगमन की तयारिया पूरे जोर शोर से चल रही थी सारे शहर मे देशपांडे वाडे का गणेशोत्सव मशहूर था ये शहर का सबसे बड़ा घरगुती गणपती था और अब आने वाले 10 दिन वाडे मे बाप्पा के दर्शन को आने वाले और देशपांडे परिवार के खास लोग और बिजनस पार्टनर्स को खास इन्वाइट किया जाने वाले था बेसिकली अगले 10 दिन घर के सब लोग बस आने वाले मेहमानों के स्वागत मे और बाप्पा की पूजा मे बिजी रहने वाले थे, इन 10 दिनों मे वाडे मे अलग अलग प्रोग्राम्स भी आयोजित किए जाते थे जैसे शास्त्रीय संगीत और भजन के कार्यक्रम, पिछले कुछ सालों मे राघव ने अपने आप को इन सब से दूर कर लिया था वो बस आरती के समय आता फिर वापिस गायब हो जाता था लेकिन इस बार वैसा नहीं था नेहा की वजह से राघव पूरे मन से इस बार का उत्सव मनाने वाला था वो भी अपने सारे कामों को भूल के और आज वो दिन था जब बाप्पा का वाडे मे आगमन होना था सुबह से घर मे सब लोग काम खत्म करवाने मे लगे थे गणेश स्थापना का मुहूर्त दोपहर का था और दोपहर मे पूजा के बाद शाम को भव्य आरती होने वाली थी जिसमे देशपांडेस के बिजनस पार्टनर्स और स्टेट के कुछ बड़े पोलिटिकल लीडर्स और भी की जानी आणि हस्तिया आने वाली थी l।
राघव भी आज सबके साथ सारे काम खुद देख रहा था सारी अरेंजमेंट्स जांच रहा था।
जानकी- राघव ये फूल प्रसाद की टोकरिया सब लेजाके मंडप मे रखो पूजा के सामान के साथ और ऐसे रखना के किसी बच्चे का उस तक हाथ न पहुचे वो लोग एक फूल नहीं छोड़ेंगे
जानकी जि ने राघव को बुला कर कहा और उसने भी अपनी मा की बात का पालन किया जिसके बाद उसकी नजर नेहा पर पड़ी जो रिद्धि और श्वेता के साथ किसी गहन चर्चा मे डूबी हुई थी तो राघव उनके पास पहुचा।
नेहा- मैं न बहुत कन्फ्यूज़ हु सारी पहनु या लहंगा या नऊवारी तुम लोग कुछ सजेस्ट करो ना...
रिद्धि- कुछ भी पहन लो भाभी आप पर सब सूट करता है
श्वेता- हा और एक ईजी ऑप्शन दु जो भईया पहने उससे कुछ मैचिंग पहन लो
तभी वहा राघव पहुंचा
राघव- और लेडिज क्या चल रहा है
रिद्धि- डिस्कशन! भाभी का अभी तक क्या पहनना है डिसाइड नहीं हुआ है!
राघव- ये क्या कोई डिस्कशन का टॉपिक है क्या
राघव की बात पर नेहा ने उसे घूर कर देखा तभी राघव की नजर नेहा ने हाथ मे पकड़ी नऊवारी पर पड़ी
राघव- तुम ये पहनने वाली हो?? मुझे नहीं पता था तुम्हें नऊवारी पहननी आती है
(अबे शादी मे भी तो वही पहनी थी उसने )
नेहा- हा और आपको इसका कुछ नहीं पता है तो आप चुप रहिए
तभी श्वेता और रिद्धि वहा से चली गई और राघव और नेहा ही वहा बचे
राघव- जो भी हो बट मुझे नहीं लगता नऊवारी अच्छी लगेगी तुमपे
राघव ने नेहा को सर से पाओ तक देखते हुए कहा वही नेहा हाथ बांधे उसे देख रही थी
नेहा- कहना क्या है आपको
राघव- कुछ नहीं मैं तो बस सच कह रहा हु
नेहा- पक्का?
राघव- हा और नहीं तो अच्छा चलो एक वादा करता हु अगर तुम्हें देख कर मैं अपनी जगह पर जमा रह गया तो पूरे 10 दिन बस तुम्हारे पीछे पीछे घूमूँगा
राघव ने नेहा के कान मे कहा
नेहा- तो फिर तयार हो जाइए मेरे पीछे घूमने के लिए मिस्टर देशपांडे
इतना बोल कर नेहा वहा से चली गई और राघव भी दूसरे कामों मे लग गया
कुछ समय बाद घर के सब मर्द जाकर ढोल ताशे के साथ बप्पा को ले आए और उन्हे मंडप मे स्थापित किया गया जिसके बाद विधिवत स्थापना की गई और अब शुरू हुई शाम की भव्य आरती की तयारिया....
शाम का वक्त हो चला था और मेहमान आने लगे थे आरती का वक्त हो रहा था और घरवाले भी सब गेस्ट्स को अटेन्ड कर रहे थे राघव और धनंजय अपने बिजनस क्लाइंट्स को संभाल रहे थे वही शेखर रमाकांतजी के साथ उनका पोलिटिकल सर्कल हैंडल कर रहा था शिवशंकर देशपांडे भी सबसे मिल रहे थे
रमाकांत- सब रेडी है?
धनंजय- हा भाईसहब सब डन है!
गायत्री- चलो सब आरती का समय हो गया है
शिवशंकर- नेहा कहा है
दादू ने जब अपनी बहु को नहीं देखा तो पूछा फिर राघव भी इधर उधर देखने लगा लेकिन नेहा उसे नहीं दिखी अभी विवेक ने इशारा किया
विवेक- वो रही भाभी
और जैसे ही राघव ने उस ओर देखा वो नेहा की खूबसूरती मे खो गया, उसने एक नीले रंग की नऊवारी साड़ी पहनी हुई थी गले मे चपला हार, माथे पर चंद्र कोर बिंदी और नाक मे नथ, उसने अपने बालों का जुड़ा बनाया हुआ था जिसमे गजरा लगा हुआ था और इस पारंपरिक महराष्ट्रीयन लुक मे वो कमाल की खूबसूरत दिख रही थी।
राघव की आंखे बस नेहा पर जमी हुई थी एक पल के लिए भी उसने अपनी नजरे नेहा ने नहीं हटाई थी वही सेम टाइम मे कई और लोगों की नजरे नेहा पर जमी हुई थी और ये राघव को रास नहीं आ रहा था जो झट से जाकर नेहा के बाजू मे खड़ा हो गया मानो कह रहा हो के वो सिर्फ उसकी है
शिवशंकर- चलो भाई सब आ गए तो आरती शुरू करते है
जिसके बाद शुरू हुई बप्पा की भव्य आरती
नेहा के साथ बप्पा की आरती करते समय राघव के चेहरे की मुस्कान एक पल के लिए भी गायब नहीं हुई थी, वो तो इस वक्त दुनिया का सबसे खुश आदमी था और वो मन ही मन बप्पा को धन्यवाद दे रहा था नेहा को उसकी जिंदगी मे लाने के लिए
आरती के बाद नए आए गेस्ट्स के स्वागत मे सब लग गए
“congratulations मिस्टर देशपांडे फॉर योर मेरिज, सॉरी मैं तब आ नहीं पाया था” एक 40 की उम्र के आसपास के आदमी ने राघव से हाथ मिलते हुए कहा
“कोई बात नहीं मिस्टर शाह मीट माइ वाइफ मिसेज नेहा राघव देशपांडे”
राघव ने मिस्टर शाह को नेहा से मिलाया
“नाइस तो मीट यू मिसेज देशपांडे, आई मस्ट से मिस्टर देशपांडे योर वाइफ इस ब्यूटीफुल आप दोनों की जोड़ी काफी अच्छी लगती है"
राघव- थैंक यू, प्लीज इन्जॉय
जिसके बाद राघव और नेहा कई और लोगों से मिले राघव सबसे नेहा को इन्ट्रोडूस करा रहा था और जब दोनों के आसपास कोई नहीं होता तो दोनों अपनी प्यार भारी नोक झोंक मे बिजी थे तभी विवेक वहा नेहा को बुलाने आया
विवेक- भाभी आपको दादी बुला रही है और भाभी मैंने पहले बोला नहीं लेकिन आप बहुत अच्छी दिख रही हो आज
विवेक ने कहा
नेहा- थैंक यू विवेक कम से कम कोई तो है जो कॉम्प्लीमेंट करना जानता है
नेहा ने राघव को देखते हुए विवेक से कहा और वहा ने चली गई और विवेक भी जाने ही वाला था के राघव ने उसे पकड़ा और उसके गले मे अपना हाथ डाल के उससे बोला
राघव- तुझे हमेशा कबाब मे हड्डी क्यू बनना होता है बे
विवेक- मैंने क्या किया अब और वैसे भी गलती आपकी है आप भाभी की तारीफ नहीं करते और मैं तो प्रैक्टिस कर रहा हु आगे अपने को कोई दिक्कत नहीं चाहिए
जिसके बाद विवेक भी वहा से चला गया और राघव अपने क्लाइंट्स से मिलने लगा
कुछ समय बाद राघव और नेहा फिर से साथ साथ थे और इस बार राघव उसे लेकर एक साइड मे आया था जहा कोई उन्हे डिस्टर्ब करने वाला नहीं था और उसी वक्त वहा देशपांडे वाडे के गेट पर एक गाड़ी आकार रुकी और उसमे से एक शक्स उतरा जो फोन पर किसी से बार कर रहा था
“हा पहुच गया हु मैं..... हा हा उससे मिलने की जल्दी तो मुझे भी है...... उसे उम्मीद नहीं होगी के मैं आज यह आने वाला हु.... देखते है वो कैसे रीऐक्ट करेगा..... ” जिसके बाद उस इंसान ने फोन काट दिया और वो अंदर आया
उसे आता देख रमाकांत जी उसे लेने के लिए गए वही राघव जो नेहा के साथ था उसकी नजर जैसे ही उस इंसान पर पड़ी वो अपनी जगह जम गया, उसका दिमाग एकदम ब्लैंक हो गया.......
कौन था वो और उसे देख राघव ऐसे चौक क्यू गया किससे मिलना था उस इंसान को बहुत से सवाल है जिनका जवाब आने वाले भागों मे मिलेगा तब तक साथ बने रहिए कहानी कैसी लग रही है कमेंट्स करिए