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आज संडे का दिन था, नवरात्रि का पर्व खतम हो चुका था और दिवाली की तयारिया चल रही थी। पिछले कुछ दिनों से महोल एकदम शांत था, रीज़न ये था के दशहरे के अगले दिन ही राघव को बिजनस ट्रिप कर जाना पड़ा था और वो अभी तक लौटा नहीं था जिसके चलते नेहा की नवरात्रि की जो छुट्टी थी वो बढ़ गई थी लेकिन साथ ही उसकी और राघव की दूरी भी जो दोनों को ही बर्दाश्त नहीं हो रहा था। इस वक्त घर का सारा महिला मण्डल बातचित मे लगा हुआ था
रिद्धि- इस बार तो भाभियों का पहला करवा चौथ भी है हैना?
जानकी- हा लेकिन ये टोटली उनपर निर्भर करता है के उन्हे ये करना है या नहीं
मीनाक्षी- बिल्कुल, माजी ने हमे भी इसके लिए फोर्स नहीं किया था तो हम कैसे हमारी बहुओ से कहे हा अब ये दोनों करना चाहे तो हमारा काम बढ़ जाएगा
रिद्धि- कैसे?
मीनाक्षी- वो ऐसे के बहु को उसकी सास ही सरगी देती है
रिद्धि- लेकिन फिल्मों मे तो अलग ही बताते है
जानकी- फिल्मों मे जो भी दिखाया जाए वो हमेशा सही नहीं होता है
नेहा- मा हमे ये करवा चौथ का उपवास करना है
श्वेता- हा
मीनाक्षी- पक्का?
नेहा- हा चाची जी एकदम पक्का
मीनाक्षी- ठीक है फिर
----xx----
आज करवा चौथ का दिन था, इस वक्त सुबह के 3 बज रहे थे और नेहा ने आज दूसरी बार अपनी नींद की कुर्बानी दी थी और इस बार राघव के लिए, उसने जाग कर देखा तो राघव उसके बगल मे उससे चिपक कर सो रहा था, वो कल ही अपनी ट्रिप से लौटा था, जब नेहा ने उसे अपने करवा चौथ के बारे मे बताया था तब उसने नेहा से साफ कहा था के उसे ये किसी के कहने पर करने की बिल्कुल जरूरत नहीं है लेकिन नेहा ने उसे ये कह कर चुप करा दिया के वो ये उसके लिए कर रहे है।
अपने सारे खयालों को बाजू करके नेहा उठी और अपना मॉर्निंग रूटीन निपटा कर वो लाल साड़ी पहने बाहर आई, आज नेहा के चेहरे पर एक अलग ही चमक थी, उसने एक बार सो रहे राघव को देखा और मुसकुराते हुए रूम से बाहर गई,
नीचे आकार नेहा ने देखा के दादी जानकी और मीनाक्षी जी तीनों वहा डायनिंग टेबल पर थी
गायत्री- चलो नेहा आ गई, जानकी उसे वो प्लेट दे दो जो तुमने उसके लिए बनाई थी
जिसपर जानकी जी ने हा मे गर्दन हिला दी, कुछ समय बाद श्वेता भी वहा पहुची फिर मीनाक्षी जी ने भी वही किया, अब वहा मीनाक्षी जी जानकी जी, नेहा और श्वेता चारों सरगी खा रही थी वही दादी उन्हे परोस रही थी, उनसे अब उपवास नहीं होता था और समय समय पर दवा लेने के लिए उनका खाना जरूरी था, वो अभी अपनी बहुओ को खिला ही रही थी के धनंजय और रमाकांत भी वहा पहुचे
गायत्री- तुम लोग लेट हो
धनंजय- मा 3.30 हो रहे है अभी
धनंजय जी ने मीनाक्षी के बगल मे बैठते हुए कहा और रमाकांत जी जाकर जानकी जी के पास बैठे
श्वेता- वॉव! पापा और बड़े पापा भी मा और बड़ी मा के लिए व्रत रखते है और यहा हमारे पतियों को देखो !
रमाकांत- ऐसा नहीं है बेटा हम हमारे बच्चों को जानते है उन्हे भी तुम्हारी बहुत फिक्र है
रमाकांत जी ने को कॉन्फिडेंस के साथ कहा
धनंजय- हा वो देखो एक तो आ गया
धनंजय जी ने सीढ़ियों की ओर इशारा किया जहा राघव अपने लोअर की जेब मे हाथ डाले नीचे आ रहा था
जानकी- और देखो उसके पीछे कौन है!
राघव के पीछे पीछे शेखर भी अपनी आंखे मलते हुए आ रहा था वो अभी अभी नींद से जागा था
रमाकांत- मैंने कहा था ना
शेखर और राघव भी अपनी अपनी बीवियों के पास जाकर बैठे
जानकी- राघव तुमसे भूख सहन नहीं होती है व्रत करोगे तो उसे कैसे कंट्रोल करोगे?
राघव- मैं बस नेहा के साथ आया हु मा और मुझे भूख लगी थी तो बाकी कुछ नही....
राघव ने थोड़े उखड़े स्वर मे कहा, लेकिन इसपर नेहा कुछ नहीं बोली इसीलिए बड़ों ने भी कुछ नहीं कहा लेकिन शेखर को ये पसंद नहीं आया, उसे लगा था के राघव भी नेहा के लिए व्रत रख रहा होगा लेकिन ऐसा नहीं था, उसने नेहा को देखा जो नॉर्मल लग रही थी लेकिन बकियों को देख कर वो भी चाहती थी के राघव उसके लिए व्रत रखे।
खाना खत्म करके वो अपने अपने रूम मे पहुचे, रूम मे जाने के पहले राघव ने अपने साथ कुछ फल ले लिए थे और जैसे ही वो कमरे मे पहुचे नेहा ने उसे देखा
नेहा- अभी अभी इतना खा कर भी आपको ये फल खाने है, उपवास मेरा है आपका नहीं!
राघव- मेरे नहीं तुम्हारे लिए है ये, भूख लगे तो खा लेना
राघव ने फलों को टेबल पे रखते हुए कहा
नेहा- आपको ट्रिप पे भूलने की बीमारी नहीं हुई ना मैंने कहा मेरा उपवास है
एक तो वो बेचारी इसके लिए व्रत रख रही थी और ये उसी के सामने फल रख रहा था तो इससे नेहा थोड़ा चिढ़ रही थी
राघव- कोई जरूरत नहीं है, मन करे तो खा लेना भूखे मत रहना कमजोर हो जाओगी
नेहा- आप को चोट वगैरा लगी है क्या, मैंने कहा ना मेरा व्रत है आपको अच्छा लगे या नहीं अब इन फ्रूट्स को ले जाइए यहा से
नेहा ने थोड़ा चिढ़ कर कहा और राघव इससे टेंशन मे था के जब भरे पेट के साथ ये इतनी हाइपर है तो दिनभर भूखे रहने के बाद क्या होगा
राघव- हा हा ठीक है नाराज मत हो जो ठीक लगे करो,
इतना बोल के राघव वापिस जाकर सो गया,
---
गायत्री- राघव आज तुम्हें ऑफिस नहीं जाना क्या
दादी ने जब राघव को कैजुअल कपड़ों मे घर मे देखा तो पुछ लिया
राघव- नहीं दादी वो मुझे कही और जाना है आज तो
जिसपर दादी कुछ कहती इससे पहले ही दादू ने उन्हे बुला लिया
जानकी- राघव जाने से पहले नाश्ता कर लो आओ!
राघव- नहीं मा भूख नहीं है मुझे मैं बाहर खा लूंगा कुछ
विवेक- क्यू भाई आप भी उपवास कर रहे हो क्या
रिद्धि- क्या विकी ये पूछने ही बात थोड़ी है हैना भाई
राघव- नहीं मैं नहीं कर रहा कोई उपवास वगैरा
विवेक- तो फिर कुछ खा क्यू नहीं रहे
राघव- नहीं बताऊँगा
विवेक- साफ साफ बोलो ने उपवास रख रखे हो शर्मा कहे रहे हो
राघव- मैं नहीं शर्मा रहा
विवेक- तो सच बोलो
राघव- अब तो तू गया
विवेक- अबे चल चल आप मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकते
राघव- विवेक आज तू नहीं बचेगा
विवेक- पहले पकड़ के तो दिखाओ
बस फिर क्या विवेक आगे और उसके पीछे राघव....
कुछ समय बाद राघव कार मे बैठा था, वो डांस अकादेमी के काम को देखने जा रहा था जिसके बाद उसे कही और जाना था
नेहा- छोटा है वो
नेहा ने कार मे राघव के बाजू मे बैठते हुए विवेक की पैरवी की
राघव- छोटा नहीं है, कॉलेज खतम हो जाएगा उसका कुछ दिनों मे
राघव ने अपने होंठ के कॉर्नर को रीयर व्यू मिरर मे चेक करते हुए कहा जहा हल्का सा कट लगा हुआ था जो दूर से नहीं दिखता था
नेहा- हा तो इसका ये मतलब थोड़ी है के आप उसके साथ ऐसा करोगे बेचारे का दांत तोड़ दिया आपने
राघव- तो उसे किसने कहा था मुझसे छेड़ने शुरुवात उसने की थी
राघव अपनी गलती मानने को तयार ही नहीं था ये देख नेहा ने अपना माथा पीट लिया
और अब मैं बताता हु हुआ क्या था
तो राघव विवेक के पीछे भाग रहा था और भागते हुए विवेक एक रूम मे घुसा ajr दौड़ते हुए वो बेड पर चढ़ा और उसे पकड़ने के लिए राघव बाबू भी बेड पर कूदे लेकिन तभी राघव का बैलन्स बिगड़ गया और उसने गिरने से बचने के लिए विवेक का हाथ पकड़ा जिसका नतीजा ये हुआ के दोनों भाई मुह के बल गिरे जिसमे विवेक को ज्यादा चोट आई क्युकी वो रेडी नहीं था और अब उन दोनों का ही मेल इगो ये मानने को तयार नहीं था के गिरने से चोट लगी है इसीलिए हाथापाई वाली कहानी ज्यादा बेटर थी जो दोनों ने सबको बताई थी,
दोपहर मे राघव और नेहा दोनों अकादेमी का काम देख के लौट आए थे और जब वो घर पहुचे तो जानकी जी ने नेहा को कुछ समय आराम करने कहा क्युकी कुछ समय बाद पूजा की तयारिया करनी थी और राघव अपने दूसरे काम से निकल गया
शाम मे
रिद्धि- विवेक क्या कर रहा है?
रिद्धि ने धीमे आवाज मे विवेक से पूछा जो उसे खिच कर मंदिर की ओर लेकर जा रहा था सबकी नजरों से बचते हुए
विवेक- तुझे दिख नहीं रहा क्या मेरे फेवरिट लड्डू बने है
रिद्धि- पागल है क्या, पूजा के लिए है वो अगर दादी या किसी और ने देख लिया तो गए हम
विवेक- डर मत लॉर्ड विवेक के साथ है तू कुछ नही होगा
और विवेक ने लड्डू उठा लिया और इससे पहले की वो लड्डू खा पाता
मीनाक्षी- विवेक!! रिद्धि! क्या कर रहे हो दोनों छोटे बच्चे हो क्या
विवेक- मॉम जैसा आप सोच रही है वैसा कुछ नहीं है ये.. ये रिद्धि को देखना था सब हो गया हा न मैं तो बस उसके साथ आया था
रिद्धि- हा हा चाची हम तो बस देख रहे है
मीनाक्षी- बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मैं तुम्हें जानती ही नहीं चलो दोनों निकलो यहा से
गायत्री- ये सब ये अपने दादा से सीख रहे है
दादी ने वहा आते हुए कहा
विवेक- हा हा करेक्ट दादी दादू ही हमारे लीडर है
विवेक ने अपनी दादी की बात सुन एकदम से कहा वही शिवशंकर जी जो पीछे से मुसकुराते हुए आ रहे थे ये सुन उनकी स्माइल गायब हो गई और वो विवेक को देखने लगे जिसने अभी अभी सारा ब्लैम उनपर डाल दिया था वो भी तब जब वो अपने आप को कंट्रोल करके मीठे से परहेज कर रहे थे
शिवशंकर- ये ये झूठ बोल रहा है गायत्री मैंने तो मीठा खाना ही बंद कर दिया है
गायत्री- बस बहुत हो गया जो आपलोग जाकर सोफ़े पर बैठो और रिद्धि तुम जाकर नेहा और श्वेता को बुला लाओ।
सारी पूजा वगैरा होने के बाद सब लोग हॉल मे बैठे चाँद का इंतजार कर रहे थे जो आज दर्शन देने के जरा भी मूड मे नहीं था, राघव को चाँद का सबसे ज्यादा इंतजार था क्युकी अब उससे भूख बर्दाश्त नहीं हो रही थी ऊपर से सबको वो ऐसे जता रहा था के उसका पेट भरा हुआ है क्युकी ये बात बता कर वो वापिस इनलोगों को खुद को चिढ़ाने का मौका नहीं देना चाहता था।
जानकी- राघव अगर खाना हो तो खा लो
राघव- नहीं नहीं मा इतनी भूख नही लगी है सबके साथ ही खाऊंगा
विवेक- मॉम! चाँद निकल आया
विवेक ने सीढ़ियों से नीचे आते हुए कहा और वापिस ऊपर चला गया और ये सुन कर सब लोग टेरस पर पहुचे
शेखर- चलो अब सारी प्रोसेस जल्दी करो यार बहुत भूख लगी है
शेखर ने पूजा की थाली श्वेता को पकड़ाते हुए कहा
जिसके बाद जैसे जैसे जानकी और मीनाक्षी जी ने किया वैसा ही नेहा और श्वेता ने किया, सारी प्रोसेस होने के बाद राघव ने नेहा को पानी पिलाया और मीठा खिलाया और नेहा ने भी
नेहा- मुझे पता है आपने सुबह से कुछ नहीं खाया है
राघव- तुम्हें कैसे पता?
नेहा- क्युकी मैं आपको अच्छे से जानती हु, लेकिन जब आपसे भूख सहन नहीं होती तो आपको ये करने की जरूरत नहीं है
राघव- जब तुम मेरे लिए व्रत रख सकती हो तो मैं भी एक दिन भूखा रह सकता हु
राघव ने नेहा की आँखों मे देखते हुए कहा वो एकदूसरे मे इतना खोए हुए थे के उन्हे ध्यान ही नहीं था के वहा और भी लोग है
शेखर- ओ भाई अपना रोमांस अपने रूम मे कन्टिन्यू करना अब चलो यार यहा भूख के मारे हालत खराब हो रही
खाना खाने के बाद रात के करीब 11 बजे गायत्री जी ने नेहा को अपने कमरे मे बुलाया ये कहकर के बहुत अर्जन्ट काम है जब नेहा वहा पहुची तो दादी ने उसे एक जूलरी बॉक्स दिया
नेहा- दादी ये??
गायत्री- तुम्हारे लिए है, खोलो इसे
नेहा ने जब वो बॉक्स खोल तो उसके आंखे बड़ी हो गई
नेहा- दादीजी मैं ये कैसे ले सकती हु ये तो आपका है ना
नेहा ने वो बॉक्स दादी को वापिस करना चाहा
गायत्री- नहीं बेटा ये तुम्हारा ही है, मैंने इसे राघव की पत्नी के लिए रखा था और बस सही वक्त के इंतजार मे थी! हा मैंने तुम्हारे साथ शुरू ने थोड़ा रुड बिहैव किया है लेकिन मैं राघव को लेके बहुत चिंतित थी वो मेरा सबसे ज्यादा लाड़ला है, और तुम उसकी जीवनसांगिनी के रूप से एकदम परफेक्ट हो तो अब वो भी तुम्हारा है और ये नेकलेस भी, मेरा आशीर्वाद समझ के रख लो
दादी ने नेहा के सर पर हाथ घुमाते हुए कहा
नेहा- थैंक यू दादी जी
गायत्री- थैंक्स टु यू बेटा, मुझे बहुत खुशी है के तुम राघव की पत्नी हो और हमारे परिवार की बहु हो और अब बड़ी बहु होने के नाते सबको जोड़े रखना तुम्हारा काम है
जिसपर नेहा ने हा मे गर्दन हिला दी
जिसके बाद नेहा अपने चेहरे पर मुस्कान लिए अपने रूम मे आई, आज उसके पास सब कुछ था, प्यार करने वाला साथी, एक बढ़िया परिवार सबकुछ और बहुत हिम्मत करने के बाद आज नेहा ने फैसला कर लिया था के वो राघव से वो 3 शब्द कह के रहेगी, हालांकि अंदर ही अंदर वो ये चाहती थी के ये बात पहले राघव बोले लेकिन सबकुछ शब्दों से ही बयां हो जरूरी तो नहीं, और यही सब सोचते हुए नेहा रूम मे घुसी जहा बस अंधेरा था और गहरी शांति थी, उसने लाइट्स शुरू की, राघव रूम मे नहीं था तभी नेहा की नजर बेड पर पड़ी जहा कुछ रखा हुआ था.....
आज संडे का दिन था, नवरात्रि का पर्व खतम हो चुका था और दिवाली की तयारिया चल रही थी। पिछले कुछ दिनों से महोल एकदम शांत था, रीज़न ये था के दशहरे के अगले दिन ही राघव को बिजनस ट्रिप कर जाना पड़ा था और वो अभी तक लौटा नहीं था जिसके चलते नेहा की नवरात्रि की जो छुट्टी थी वो बढ़ गई थी लेकिन साथ ही उसकी और राघव की दूरी भी जो दोनों को ही बर्दाश्त नहीं हो रहा था। इस वक्त घर का सारा महिला मण्डल बातचित मे लगा हुआ था
रिद्धि- इस बार तो भाभियों का पहला करवा चौथ भी है हैना?
जानकी- हा लेकिन ये टोटली उनपर निर्भर करता है के उन्हे ये करना है या नहीं
मीनाक्षी- बिल्कुल, माजी ने हमे भी इसके लिए फोर्स नहीं किया था तो हम कैसे हमारी बहुओ से कहे हा अब ये दोनों करना चाहे तो हमारा काम बढ़ जाएगा
रिद्धि- कैसे?
मीनाक्षी- वो ऐसे के बहु को उसकी सास ही सरगी देती है
रिद्धि- लेकिन फिल्मों मे तो अलग ही बताते है
जानकी- फिल्मों मे जो भी दिखाया जाए वो हमेशा सही नहीं होता है
नेहा- मा हमे ये करवा चौथ का उपवास करना है
श्वेता- हा
मीनाक्षी- पक्का?
नेहा- हा चाची जी एकदम पक्का
मीनाक्षी- ठीक है फिर
----xx----
आज करवा चौथ का दिन था, इस वक्त सुबह के 3 बज रहे थे और नेहा ने आज दूसरी बार अपनी नींद की कुर्बानी दी थी और इस बार राघव के लिए, उसने जाग कर देखा तो राघव उसके बगल मे उससे चिपक कर सो रहा था, वो कल ही अपनी ट्रिप से लौटा था, जब नेहा ने उसे अपने करवा चौथ के बारे मे बताया था तब उसने नेहा से साफ कहा था के उसे ये किसी के कहने पर करने की बिल्कुल जरूरत नहीं है लेकिन नेहा ने उसे ये कह कर चुप करा दिया के वो ये उसके लिए कर रहे है।
अपने सारे खयालों को बाजू करके नेहा उठी और अपना मॉर्निंग रूटीन निपटा कर वो लाल साड़ी पहने बाहर आई, आज नेहा के चेहरे पर एक अलग ही चमक थी, उसने एक बार सो रहे राघव को देखा और मुसकुराते हुए रूम से बाहर गई,
नीचे आकार नेहा ने देखा के दादी जानकी और मीनाक्षी जी तीनों वहा डायनिंग टेबल पर थी
गायत्री- चलो नेहा आ गई, जानकी उसे वो प्लेट दे दो जो तुमने उसके लिए बनाई थी
जिसपर जानकी जी ने हा मे गर्दन हिला दी, कुछ समय बाद श्वेता भी वहा पहुची फिर मीनाक्षी जी ने भी वही किया, अब वहा मीनाक्षी जी जानकी जी, नेहा और श्वेता चारों सरगी खा रही थी वही दादी उन्हे परोस रही थी, उनसे अब उपवास नहीं होता था और समय समय पर दवा लेने के लिए उनका खाना जरूरी था, वो अभी अपनी बहुओ को खिला ही रही थी के धनंजय और रमाकांत भी वहा पहुचे
गायत्री- तुम लोग लेट हो
धनंजय- मा 3.30 हो रहे है अभी
धनंजय जी ने मीनाक्षी के बगल मे बैठते हुए कहा और रमाकांत जी जाकर जानकी जी के पास बैठे
श्वेता- वॉव! पापा और बड़े पापा भी मा और बड़ी मा के लिए व्रत रखते है और यहा हमारे पतियों को देखो !
रमाकांत- ऐसा नहीं है बेटा हम हमारे बच्चों को जानते है उन्हे भी तुम्हारी बहुत फिक्र है
रमाकांत जी ने को कॉन्फिडेंस के साथ कहा
धनंजय- हा वो देखो एक तो आ गया
धनंजय जी ने सीढ़ियों की ओर इशारा किया जहा राघव अपने लोअर की जेब मे हाथ डाले नीचे आ रहा था
जानकी- और देखो उसके पीछे कौन है!
राघव के पीछे पीछे शेखर भी अपनी आंखे मलते हुए आ रहा था वो अभी अभी नींद से जागा था
रमाकांत- मैंने कहा था ना
शेखर और राघव भी अपनी अपनी बीवियों के पास जाकर बैठे
जानकी- राघव तुमसे भूख सहन नहीं होती है व्रत करोगे तो उसे कैसे कंट्रोल करोगे?
राघव- मैं बस नेहा के साथ आया हु मा और मुझे भूख लगी थी तो बाकी कुछ नही....
राघव ने थोड़े उखड़े स्वर मे कहा, लेकिन इसपर नेहा कुछ नहीं बोली इसीलिए बड़ों ने भी कुछ नहीं कहा लेकिन शेखर को ये पसंद नहीं आया, उसे लगा था के राघव भी नेहा के लिए व्रत रख रहा होगा लेकिन ऐसा नहीं था, उसने नेहा को देखा जो नॉर्मल लग रही थी लेकिन बकियों को देख कर वो भी चाहती थी के राघव उसके लिए व्रत रखे।
खाना खत्म करके वो अपने अपने रूम मे पहुचे, रूम मे जाने के पहले राघव ने अपने साथ कुछ फल ले लिए थे और जैसे ही वो कमरे मे पहुचे नेहा ने उसे देखा
नेहा- अभी अभी इतना खा कर भी आपको ये फल खाने है, उपवास मेरा है आपका नहीं!
राघव- मेरे नहीं तुम्हारे लिए है ये, भूख लगे तो खा लेना
राघव ने फलों को टेबल पे रखते हुए कहा
नेहा- आपको ट्रिप पे भूलने की बीमारी नहीं हुई ना मैंने कहा मेरा उपवास है
एक तो वो बेचारी इसके लिए व्रत रख रही थी और ये उसी के सामने फल रख रहा था तो इससे नेहा थोड़ा चिढ़ रही थी
राघव- कोई जरूरत नहीं है, मन करे तो खा लेना भूखे मत रहना कमजोर हो जाओगी
नेहा- आप को चोट वगैरा लगी है क्या, मैंने कहा ना मेरा व्रत है आपको अच्छा लगे या नहीं अब इन फ्रूट्स को ले जाइए यहा से
नेहा ने थोड़ा चिढ़ कर कहा और राघव इससे टेंशन मे था के जब भरे पेट के साथ ये इतनी हाइपर है तो दिनभर भूखे रहने के बाद क्या होगा
राघव- हा हा ठीक है नाराज मत हो जो ठीक लगे करो,
इतना बोल के राघव वापिस जाकर सो गया,
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गायत्री- राघव आज तुम्हें ऑफिस नहीं जाना क्या
दादी ने जब राघव को कैजुअल कपड़ों मे घर मे देखा तो पुछ लिया
राघव- नहीं दादी वो मुझे कही और जाना है आज तो
जिसपर दादी कुछ कहती इससे पहले ही दादू ने उन्हे बुला लिया
जानकी- राघव जाने से पहले नाश्ता कर लो आओ!
राघव- नहीं मा भूख नहीं है मुझे मैं बाहर खा लूंगा कुछ
विवेक- क्यू भाई आप भी उपवास कर रहे हो क्या
रिद्धि- क्या विकी ये पूछने ही बात थोड़ी है हैना भाई
राघव- नहीं मैं नहीं कर रहा कोई उपवास वगैरा
विवेक- तो फिर कुछ खा क्यू नहीं रहे
राघव- नहीं बताऊँगा
विवेक- साफ साफ बोलो ने उपवास रख रखे हो शर्मा कहे रहे हो
राघव- मैं नहीं शर्मा रहा
विवेक- तो सच बोलो
राघव- अब तो तू गया
विवेक- अबे चल चल आप मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकते
राघव- विवेक आज तू नहीं बचेगा
विवेक- पहले पकड़ के तो दिखाओ
बस फिर क्या विवेक आगे और उसके पीछे राघव....
कुछ समय बाद राघव कार मे बैठा था, वो डांस अकादेमी के काम को देखने जा रहा था जिसके बाद उसे कही और जाना था
नेहा- छोटा है वो
नेहा ने कार मे राघव के बाजू मे बैठते हुए विवेक की पैरवी की
राघव- छोटा नहीं है, कॉलेज खतम हो जाएगा उसका कुछ दिनों मे
राघव ने अपने होंठ के कॉर्नर को रीयर व्यू मिरर मे चेक करते हुए कहा जहा हल्का सा कट लगा हुआ था जो दूर से नहीं दिखता था
नेहा- हा तो इसका ये मतलब थोड़ी है के आप उसके साथ ऐसा करोगे बेचारे का दांत तोड़ दिया आपने
राघव- तो उसे किसने कहा था मुझसे छेड़ने शुरुवात उसने की थी
राघव अपनी गलती मानने को तयार ही नहीं था ये देख नेहा ने अपना माथा पीट लिया
और अब मैं बताता हु हुआ क्या था
तो राघव विवेक के पीछे भाग रहा था और भागते हुए विवेक एक रूम मे घुसा ajr दौड़ते हुए वो बेड पर चढ़ा और उसे पकड़ने के लिए राघव बाबू भी बेड पर कूदे लेकिन तभी राघव का बैलन्स बिगड़ गया और उसने गिरने से बचने के लिए विवेक का हाथ पकड़ा जिसका नतीजा ये हुआ के दोनों भाई मुह के बल गिरे जिसमे विवेक को ज्यादा चोट आई क्युकी वो रेडी नहीं था और अब उन दोनों का ही मेल इगो ये मानने को तयार नहीं था के गिरने से चोट लगी है इसीलिए हाथापाई वाली कहानी ज्यादा बेटर थी जो दोनों ने सबको बताई थी,
दोपहर मे राघव और नेहा दोनों अकादेमी का काम देख के लौट आए थे और जब वो घर पहुचे तो जानकी जी ने नेहा को कुछ समय आराम करने कहा क्युकी कुछ समय बाद पूजा की तयारिया करनी थी और राघव अपने दूसरे काम से निकल गया
शाम मे
रिद्धि- विवेक क्या कर रहा है?
रिद्धि ने धीमे आवाज मे विवेक से पूछा जो उसे खिच कर मंदिर की ओर लेकर जा रहा था सबकी नजरों से बचते हुए
विवेक- तुझे दिख नहीं रहा क्या मेरे फेवरिट लड्डू बने है
रिद्धि- पागल है क्या, पूजा के लिए है वो अगर दादी या किसी और ने देख लिया तो गए हम
विवेक- डर मत लॉर्ड विवेक के साथ है तू कुछ नही होगा
और विवेक ने लड्डू उठा लिया और इससे पहले की वो लड्डू खा पाता
मीनाक्षी- विवेक!! रिद्धि! क्या कर रहे हो दोनों छोटे बच्चे हो क्या
विवेक- मॉम जैसा आप सोच रही है वैसा कुछ नहीं है ये.. ये रिद्धि को देखना था सब हो गया हा न मैं तो बस उसके साथ आया था
रिद्धि- हा हा चाची हम तो बस देख रहे है
मीनाक्षी- बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मैं तुम्हें जानती ही नहीं चलो दोनों निकलो यहा से
गायत्री- ये सब ये अपने दादा से सीख रहे है
दादी ने वहा आते हुए कहा
विवेक- हा हा करेक्ट दादी दादू ही हमारे लीडर है
विवेक ने अपनी दादी की बात सुन एकदम से कहा वही शिवशंकर जी जो पीछे से मुसकुराते हुए आ रहे थे ये सुन उनकी स्माइल गायब हो गई और वो विवेक को देखने लगे जिसने अभी अभी सारा ब्लैम उनपर डाल दिया था वो भी तब जब वो अपने आप को कंट्रोल करके मीठे से परहेज कर रहे थे
शिवशंकर- ये ये झूठ बोल रहा है गायत्री मैंने तो मीठा खाना ही बंद कर दिया है
गायत्री- बस बहुत हो गया जो आपलोग जाकर सोफ़े पर बैठो और रिद्धि तुम जाकर नेहा और श्वेता को बुला लाओ।
सारी पूजा वगैरा होने के बाद सब लोग हॉल मे बैठे चाँद का इंतजार कर रहे थे जो आज दर्शन देने के जरा भी मूड मे नहीं था, राघव को चाँद का सबसे ज्यादा इंतजार था क्युकी अब उससे भूख बर्दाश्त नहीं हो रही थी ऊपर से सबको वो ऐसे जता रहा था के उसका पेट भरा हुआ है क्युकी ये बात बता कर वो वापिस इनलोगों को खुद को चिढ़ाने का मौका नहीं देना चाहता था।
जानकी- राघव अगर खाना हो तो खा लो
राघव- नहीं नहीं मा इतनी भूख नही लगी है सबके साथ ही खाऊंगा
विवेक- मॉम! चाँद निकल आया
विवेक ने सीढ़ियों से नीचे आते हुए कहा और वापिस ऊपर चला गया और ये सुन कर सब लोग टेरस पर पहुचे
शेखर- चलो अब सारी प्रोसेस जल्दी करो यार बहुत भूख लगी है
शेखर ने पूजा की थाली श्वेता को पकड़ाते हुए कहा
जिसके बाद जैसे जैसे जानकी और मीनाक्षी जी ने किया वैसा ही नेहा और श्वेता ने किया, सारी प्रोसेस होने के बाद राघव ने नेहा को पानी पिलाया और मीठा खिलाया और नेहा ने भी
नेहा- मुझे पता है आपने सुबह से कुछ नहीं खाया है
राघव- तुम्हें कैसे पता?
नेहा- क्युकी मैं आपको अच्छे से जानती हु, लेकिन जब आपसे भूख सहन नहीं होती तो आपको ये करने की जरूरत नहीं है
राघव- जब तुम मेरे लिए व्रत रख सकती हो तो मैं भी एक दिन भूखा रह सकता हु
राघव ने नेहा की आँखों मे देखते हुए कहा वो एकदूसरे मे इतना खोए हुए थे के उन्हे ध्यान ही नहीं था के वहा और भी लोग है
शेखर- ओ भाई अपना रोमांस अपने रूम मे कन्टिन्यू करना अब चलो यार यहा भूख के मारे हालत खराब हो रही
खाना खाने के बाद रात के करीब 11 बजे गायत्री जी ने नेहा को अपने कमरे मे बुलाया ये कहकर के बहुत अर्जन्ट काम है जब नेहा वहा पहुची तो दादी ने उसे एक जूलरी बॉक्स दिया
नेहा- दादी ये??
गायत्री- तुम्हारे लिए है, खोलो इसे
नेहा ने जब वो बॉक्स खोल तो उसके आंखे बड़ी हो गई
नेहा- दादीजी मैं ये कैसे ले सकती हु ये तो आपका है ना
नेहा ने वो बॉक्स दादी को वापिस करना चाहा
गायत्री- नहीं बेटा ये तुम्हारा ही है, मैंने इसे राघव की पत्नी के लिए रखा था और बस सही वक्त के इंतजार मे थी! हा मैंने तुम्हारे साथ शुरू ने थोड़ा रुड बिहैव किया है लेकिन मैं राघव को लेके बहुत चिंतित थी वो मेरा सबसे ज्यादा लाड़ला है, और तुम उसकी जीवनसांगिनी के रूप से एकदम परफेक्ट हो तो अब वो भी तुम्हारा है और ये नेकलेस भी, मेरा आशीर्वाद समझ के रख लो
दादी ने नेहा के सर पर हाथ घुमाते हुए कहा
नेहा- थैंक यू दादी जी
गायत्री- थैंक्स टु यू बेटा, मुझे बहुत खुशी है के तुम राघव की पत्नी हो और हमारे परिवार की बहु हो और अब बड़ी बहु होने के नाते सबको जोड़े रखना तुम्हारा काम है
जिसपर नेहा ने हा मे गर्दन हिला दी
जिसके बाद नेहा अपने चेहरे पर मुस्कान लिए अपने रूम मे आई, आज उसके पास सब कुछ था, प्यार करने वाला साथी, एक बढ़िया परिवार सबकुछ और बहुत हिम्मत करने के बाद आज नेहा ने फैसला कर लिया था के वो राघव से वो 3 शब्द कह के रहेगी, हालांकि अंदर ही अंदर वो ये चाहती थी के ये बात पहले राघव बोले लेकिन सबकुछ शब्दों से ही बयां हो जरूरी तो नहीं, और यही सब सोचते हुए नेहा रूम मे घुसी जहा बस अंधेरा था और गहरी शांति थी, उसने लाइट्स शुरू की, राघव रूम मे नहीं था तभी नेहा की नजर बेड पर पड़ी जहा कुछ रखा हुआ था.....
आज संडे का दिन था, नवरात्रि का पर्व खतम हो चुका था और दिवाली की तयारिया चल रही थी। पिछले कुछ दिनों से महोल एकदम शांत था, रीज़न ये था के दशहरे के अगले दिन ही राघव को बिजनस ट्रिप कर जाना पड़ा था और वो अभी तक लौटा नहीं था जिसके चलते नेहा की नवरात्रि की जो छुट्टी थी वो बढ़ गई थी लेकिन साथ ही उसकी और राघव की दूरी भी जो दोनों को ही बर्दाश्त नहीं हो रहा था। इस वक्त घर का सारा महिला मण्डल बातचित मे लगा हुआ था
रिद्धि- इस बार तो भाभियों का पहला करवा चौथ भी है हैना?
जानकी- हा लेकिन ये टोटली उनपर निर्भर करता है के उन्हे ये करना है या नहीं
मीनाक्षी- बिल्कुल, माजी ने हमे भी इसके लिए फोर्स नहीं किया था तो हम कैसे हमारी बहुओ से कहे हा अब ये दोनों करना चाहे तो हमारा काम बढ़ जाएगा
रिद्धि- कैसे?
मीनाक्षी- वो ऐसे के बहु को उसकी सास ही सरगी देती है
रिद्धि- लेकिन फिल्मों मे तो अलग ही बताते है
जानकी- फिल्मों मे जो भी दिखाया जाए वो हमेशा सही नहीं होता है
नेहा- मा हमे ये करवा चौथ का उपवास करना है
श्वेता- हा
मीनाक्षी- पक्का?
नेहा- हा चाची जी एकदम पक्का
मीनाक्षी- ठीक है फिर
----xx----
आज करवा चौथ का दिन था, इस वक्त सुबह के 3 बज रहे थे और नेहा ने आज दूसरी बार अपनी नींद की कुर्बानी दी थी और इस बार राघव के लिए, उसने जाग कर देखा तो राघव उसके बगल मे उससे चिपक कर सो रहा था, वो कल ही अपनी ट्रिप से लौटा था, जब नेहा ने उसे अपने करवा चौथ के बारे मे बताया था तब उसने नेहा से साफ कहा था के उसे ये किसी के कहने पर करने की बिल्कुल जरूरत नहीं है लेकिन नेहा ने उसे ये कह कर चुप करा दिया के वो ये उसके लिए कर रहे है।
अपने सारे खयालों को बाजू करके नेहा उठी और अपना मॉर्निंग रूटीन निपटा कर वो लाल साड़ी पहने बाहर आई, आज नेहा के चेहरे पर एक अलग ही चमक थी, उसने एक बार सो रहे राघव को देखा और मुसकुराते हुए रूम से बाहर गई,
नीचे आकार नेहा ने देखा के दादी जानकी और मीनाक्षी जी तीनों वहा डायनिंग टेबल पर थी
गायत्री- चलो नेहा आ गई, जानकी उसे वो प्लेट दे दो जो तुमने उसके लिए बनाई थी
जिसपर जानकी जी ने हा मे गर्दन हिला दी, कुछ समय बाद श्वेता भी वहा पहुची फिर मीनाक्षी जी ने भी वही किया, अब वहा मीनाक्षी जी जानकी जी, नेहा और श्वेता चारों सरगी खा रही थी वही दादी उन्हे परोस रही थी, उनसे अब उपवास नहीं होता था और समय समय पर दवा लेने के लिए उनका खाना जरूरी था, वो अभी अपनी बहुओ को खिला ही रही थी के धनंजय और रमाकांत भी वहा पहुचे
गायत्री- तुम लोग लेट हो
धनंजय- मा 3.30 हो रहे है अभी
धनंजय जी ने मीनाक्षी के बगल मे बैठते हुए कहा और रमाकांत जी जाकर जानकी जी के पास बैठे
श्वेता- वॉव! पापा और बड़े पापा भी मा और बड़ी मा के लिए व्रत रखते है और यहा हमारे पतियों को देखो !
रमाकांत- ऐसा नहीं है बेटा हम हमारे बच्चों को जानते है उन्हे भी तुम्हारी बहुत फिक्र है
रमाकांत जी ने को कॉन्फिडेंस के साथ कहा
धनंजय- हा वो देखो एक तो आ गया
धनंजय जी ने सीढ़ियों की ओर इशारा किया जहा राघव अपने लोअर की जेब मे हाथ डाले नीचे आ रहा था
जानकी- और देखो उसके पीछे कौन है!
राघव के पीछे पीछे शेखर भी अपनी आंखे मलते हुए आ रहा था वो अभी अभी नींद से जागा था
रमाकांत- मैंने कहा था ना
शेखर और राघव भी अपनी अपनी बीवियों के पास जाकर बैठे
जानकी- राघव तुमसे भूख सहन नहीं होती है व्रत करोगे तो उसे कैसे कंट्रोल करोगे?
राघव- मैं बस नेहा के साथ आया हु मा और मुझे भूख लगी थी तो बाकी कुछ नही....
राघव ने थोड़े उखड़े स्वर मे कहा, लेकिन इसपर नेहा कुछ नहीं बोली इसीलिए बड़ों ने भी कुछ नहीं कहा लेकिन शेखर को ये पसंद नहीं आया, उसे लगा था के राघव भी नेहा के लिए व्रत रख रहा होगा लेकिन ऐसा नहीं था, उसने नेहा को देखा जो नॉर्मल लग रही थी लेकिन बकियों को देख कर वो भी चाहती थी के राघव उसके लिए व्रत रखे।
खाना खत्म करके वो अपने अपने रूम मे पहुचे, रूम मे जाने के पहले राघव ने अपने साथ कुछ फल ले लिए थे और जैसे ही वो कमरे मे पहुचे नेहा ने उसे देखा
नेहा- अभी अभी इतना खा कर भी आपको ये फल खाने है, उपवास मेरा है आपका नहीं!
राघव- मेरे नहीं तुम्हारे लिए है ये, भूख लगे तो खा लेना
राघव ने फलों को टेबल पे रखते हुए कहा
नेहा- आपको ट्रिप पे भूलने की बीमारी नहीं हुई ना मैंने कहा मेरा उपवास है
एक तो वो बेचारी इसके लिए व्रत रख रही थी और ये उसी के सामने फल रख रहा था तो इससे नेहा थोड़ा चिढ़ रही थी
राघव- कोई जरूरत नहीं है, मन करे तो खा लेना भूखे मत रहना कमजोर हो जाओगी
नेहा- आप को चोट वगैरा लगी है क्या, मैंने कहा ना मेरा व्रत है आपको अच्छा लगे या नहीं अब इन फ्रूट्स को ले जाइए यहा से
नेहा ने थोड़ा चिढ़ कर कहा और राघव इससे टेंशन मे था के जब भरे पेट के साथ ये इतनी हाइपर है तो दिनभर भूखे रहने के बाद क्या होगा
राघव- हा हा ठीक है नाराज मत हो जो ठीक लगे करो,
इतना बोल के राघव वापिस जाकर सो गया,
---
गायत्री- राघव आज तुम्हें ऑफिस नहीं जाना क्या
दादी ने जब राघव को कैजुअल कपड़ों मे घर मे देखा तो पुछ लिया
राघव- नहीं दादी वो मुझे कही और जाना है आज तो
जिसपर दादी कुछ कहती इससे पहले ही दादू ने उन्हे बुला लिया
जानकी- राघव जाने से पहले नाश्ता कर लो आओ!
राघव- नहीं मा भूख नहीं है मुझे मैं बाहर खा लूंगा कुछ
विवेक- क्यू भाई आप भी उपवास कर रहे हो क्या
रिद्धि- क्या विकी ये पूछने ही बात थोड़ी है हैना भाई
राघव- नहीं मैं नहीं कर रहा कोई उपवास वगैरा
विवेक- तो फिर कुछ खा क्यू नहीं रहे
राघव- नहीं बताऊँगा
विवेक- साफ साफ बोलो ने उपवास रख रखे हो शर्मा कहे रहे हो
राघव- मैं नहीं शर्मा रहा
विवेक- तो सच बोलो
राघव- अब तो तू गया
विवेक- अबे चल चल आप मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकते
राघव- विवेक आज तू नहीं बचेगा
विवेक- पहले पकड़ के तो दिखाओ
बस फिर क्या विवेक आगे और उसके पीछे राघव....
कुछ समय बाद राघव कार मे बैठा था, वो डांस अकादेमी के काम को देखने जा रहा था जिसके बाद उसे कही और जाना था
नेहा- छोटा है वो
नेहा ने कार मे राघव के बाजू मे बैठते हुए विवेक की पैरवी की
राघव- छोटा नहीं है, कॉलेज खतम हो जाएगा उसका कुछ दिनों मे
राघव ने अपने होंठ के कॉर्नर को रीयर व्यू मिरर मे चेक करते हुए कहा जहा हल्का सा कट लगा हुआ था जो दूर से नहीं दिखता था
नेहा- हा तो इसका ये मतलब थोड़ी है के आप उसके साथ ऐसा करोगे बेचारे का दांत तोड़ दिया आपने
राघव- तो उसे किसने कहा था मुझसे छेड़ने शुरुवात उसने की थी
राघव अपनी गलती मानने को तयार ही नहीं था ये देख नेहा ने अपना माथा पीट लिया
और अब मैं बताता हु हुआ क्या था
तो राघव विवेक के पीछे भाग रहा था और भागते हुए विवेक एक रूम मे घुसा ajr दौड़ते हुए वो बेड पर चढ़ा और उसे पकड़ने के लिए राघव बाबू भी बेड पर कूदे लेकिन तभी राघव का बैलन्स बिगड़ गया और उसने गिरने से बचने के लिए विवेक का हाथ पकड़ा जिसका नतीजा ये हुआ के दोनों भाई मुह के बल गिरे जिसमे विवेक को ज्यादा चोट आई क्युकी वो रेडी नहीं था और अब उन दोनों का ही मेल इगो ये मानने को तयार नहीं था के गिरने से चोट लगी है इसीलिए हाथापाई वाली कहानी ज्यादा बेटर थी जो दोनों ने सबको बताई थी,
दोपहर मे राघव और नेहा दोनों अकादेमी का काम देख के लौट आए थे और जब वो घर पहुचे तो जानकी जी ने नेहा को कुछ समय आराम करने कहा क्युकी कुछ समय बाद पूजा की तयारिया करनी थी और राघव अपने दूसरे काम से निकल गया
शाम मे
रिद्धि- विवेक क्या कर रहा है?
रिद्धि ने धीमे आवाज मे विवेक से पूछा जो उसे खिच कर मंदिर की ओर लेकर जा रहा था सबकी नजरों से बचते हुए
विवेक- तुझे दिख नहीं रहा क्या मेरे फेवरिट लड्डू बने है
रिद्धि- पागल है क्या, पूजा के लिए है वो अगर दादी या किसी और ने देख लिया तो गए हम
विवेक- डर मत लॉर्ड विवेक के साथ है तू कुछ नही होगा
और विवेक ने लड्डू उठा लिया और इससे पहले की वो लड्डू खा पाता
मीनाक्षी- विवेक!! रिद्धि! क्या कर रहे हो दोनों छोटे बच्चे हो क्या
विवेक- मॉम जैसा आप सोच रही है वैसा कुछ नहीं है ये.. ये रिद्धि को देखना था सब हो गया हा न मैं तो बस उसके साथ आया था
रिद्धि- हा हा चाची हम तो बस देख रहे है
मीनाक्षी- बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मैं तुम्हें जानती ही नहीं चलो दोनों निकलो यहा से
गायत्री- ये सब ये अपने दादा से सीख रहे है
दादी ने वहा आते हुए कहा
विवेक- हा हा करेक्ट दादी दादू ही हमारे लीडर है
विवेक ने अपनी दादी की बात सुन एकदम से कहा वही शिवशंकर जी जो पीछे से मुसकुराते हुए आ रहे थे ये सुन उनकी स्माइल गायब हो गई और वो विवेक को देखने लगे जिसने अभी अभी सारा ब्लैम उनपर डाल दिया था वो भी तब जब वो अपने आप को कंट्रोल करके मीठे से परहेज कर रहे थे
शिवशंकर- ये ये झूठ बोल रहा है गायत्री मैंने तो मीठा खाना ही बंद कर दिया है
गायत्री- बस बहुत हो गया जो आपलोग जाकर सोफ़े पर बैठो और रिद्धि तुम जाकर नेहा और श्वेता को बुला लाओ।
सारी पूजा वगैरा होने के बाद सब लोग हॉल मे बैठे चाँद का इंतजार कर रहे थे जो आज दर्शन देने के जरा भी मूड मे नहीं था, राघव को चाँद का सबसे ज्यादा इंतजार था क्युकी अब उससे भूख बर्दाश्त नहीं हो रही थी ऊपर से सबको वो ऐसे जता रहा था के उसका पेट भरा हुआ है क्युकी ये बात बता कर वो वापिस इनलोगों को खुद को चिढ़ाने का मौका नहीं देना चाहता था।
जानकी- राघव अगर खाना हो तो खा लो
राघव- नहीं नहीं मा इतनी भूख नही लगी है सबके साथ ही खाऊंगा
विवेक- मॉम! चाँद निकल आया
विवेक ने सीढ़ियों से नीचे आते हुए कहा और वापिस ऊपर चला गया और ये सुन कर सब लोग टेरस पर पहुचे
शेखर- चलो अब सारी प्रोसेस जल्दी करो यार बहुत भूख लगी है
शेखर ने पूजा की थाली श्वेता को पकड़ाते हुए कहा
जिसके बाद जैसे जैसे जानकी और मीनाक्षी जी ने किया वैसा ही नेहा और श्वेता ने किया, सारी प्रोसेस होने के बाद राघव ने नेहा को पानी पिलाया और मीठा खिलाया और नेहा ने भी
नेहा- मुझे पता है आपने सुबह से कुछ नहीं खाया है
राघव- तुम्हें कैसे पता?
नेहा- क्युकी मैं आपको अच्छे से जानती हु, लेकिन जब आपसे भूख सहन नहीं होती तो आपको ये करने की जरूरत नहीं है
राघव- जब तुम मेरे लिए व्रत रख सकती हो तो मैं भी एक दिन भूखा रह सकता हु
राघव ने नेहा की आँखों मे देखते हुए कहा वो एकदूसरे मे इतना खोए हुए थे के उन्हे ध्यान ही नहीं था के वहा और भी लोग है
शेखर- ओ भाई अपना रोमांस अपने रूम मे कन्टिन्यू करना अब चलो यार यहा भूख के मारे हालत खराब हो रही
खाना खाने के बाद रात के करीब 11 बजे गायत्री जी ने नेहा को अपने कमरे मे बुलाया ये कहकर के बहुत अर्जन्ट काम है जब नेहा वहा पहुची तो दादी ने उसे एक जूलरी बॉक्स दिया
नेहा- दादी ये??
गायत्री- तुम्हारे लिए है, खोलो इसे
नेहा ने जब वो बॉक्स खोल तो उसके आंखे बड़ी हो गई
नेहा- दादीजी मैं ये कैसे ले सकती हु ये तो आपका है ना
नेहा ने वो बॉक्स दादी को वापिस करना चाहा
गायत्री- नहीं बेटा ये तुम्हारा ही है, मैंने इसे राघव की पत्नी के लिए रखा था और बस सही वक्त के इंतजार मे थी! हा मैंने तुम्हारे साथ शुरू ने थोड़ा रुड बिहैव किया है लेकिन मैं राघव को लेके बहुत चिंतित थी वो मेरा सबसे ज्यादा लाड़ला है, और तुम उसकी जीवनसांगिनी के रूप से एकदम परफेक्ट हो तो अब वो भी तुम्हारा है और ये नेकलेस भी, मेरा आशीर्वाद समझ के रख लो
दादी ने नेहा के सर पर हाथ घुमाते हुए कहा
नेहा- थैंक यू दादी जी
गायत्री- थैंक्स टु यू बेटा, मुझे बहुत खुशी है के तुम राघव की पत्नी हो और हमारे परिवार की बहु हो और अब बड़ी बहु होने के नाते सबको जोड़े रखना तुम्हारा काम है
जिसपर नेहा ने हा मे गर्दन हिला दी
जिसके बाद नेहा अपने चेहरे पर मुस्कान लिए अपने रूम मे आई, आज उसके पास सब कुछ था, प्यार करने वाला साथी, एक बढ़िया परिवार सबकुछ और बहुत हिम्मत करने के बाद आज नेहा ने फैसला कर लिया था के वो राघव से वो 3 शब्द कह के रहेगी, हालांकि अंदर ही अंदर वो ये चाहती थी के ये बात पहले राघव बोले लेकिन सबकुछ शब्दों से ही बयां हो जरूरी तो नहीं, और यही सब सोचते हुए नेहा रूम मे घुसी जहा बस अंधेरा था और गहरी शांति थी, उसने लाइट्स शुरू की, राघव रूम मे नहीं था तभी नेहा की नजर बेड पर पड़ी जहा कुछ रखा हुआ था.....
आज संडे का दिन था, नवरात्रि का पर्व खतम हो चुका था और दिवाली की तयारिया चल रही थी। पिछले कुछ दिनों से महोल एकदम शांत था, रीज़न ये था के दशहरे के अगले दिन ही राघव को बिजनस ट्रिप कर जाना पड़ा था और वो अभी तक लौटा नहीं था जिसके चलते नेहा की नवरात्रि की जो छुट्टी थी वो बढ़ गई थी लेकिन साथ ही उसकी और राघव की दूरी भी जो दोनों को ही बर्दाश्त नहीं हो रहा था। इस वक्त घर का सारा महिला मण्डल बातचित मे लगा हुआ था
रिद्धि- इस बार तो भाभियों का पहला करवा चौथ भी है हैना?
जानकी- हा लेकिन ये टोटली उनपर निर्भर करता है के उन्हे ये करना है या नहीं
मीनाक्षी- बिल्कुल, माजी ने हमे भी इसके लिए फोर्स नहीं किया था तो हम कैसे हमारी बहुओ से कहे हा अब ये दोनों करना चाहे तो हमारा काम बढ़ जाएगा
रिद्धि- कैसे?
मीनाक्षी- वो ऐसे के बहु को उसकी सास ही सरगी देती है
रिद्धि- लेकिन फिल्मों मे तो अलग ही बताते है
जानकी- फिल्मों मे जो भी दिखाया जाए वो हमेशा सही नहीं होता है
नेहा- मा हमे ये करवा चौथ का उपवास करना है
श्वेता- हा
मीनाक्षी- पक्का?
नेहा- हा चाची जी एकदम पक्का
मीनाक्षी- ठीक है फिर
----xx----
आज करवा चौथ का दिन था, इस वक्त सुबह के 3 बज रहे थे और नेहा ने आज दूसरी बार अपनी नींद की कुर्बानी दी थी और इस बार राघव के लिए, उसने जाग कर देखा तो राघव उसके बगल मे उससे चिपक कर सो रहा था, वो कल ही अपनी ट्रिप से लौटा था, जब नेहा ने उसे अपने करवा चौथ के बारे मे बताया था तब उसने नेहा से साफ कहा था के उसे ये किसी के कहने पर करने की बिल्कुल जरूरत नहीं है लेकिन नेहा ने उसे ये कह कर चुप करा दिया के वो ये उसके लिए कर रहे है।
अपने सारे खयालों को बाजू करके नेहा उठी और अपना मॉर्निंग रूटीन निपटा कर वो लाल साड़ी पहने बाहर आई, आज नेहा के चेहरे पर एक अलग ही चमक थी, उसने एक बार सो रहे राघव को देखा और मुसकुराते हुए रूम से बाहर गई,
नीचे आकार नेहा ने देखा के दादी जानकी और मीनाक्षी जी तीनों वहा डायनिंग टेबल पर थी
गायत्री- चलो नेहा आ गई, जानकी उसे वो प्लेट दे दो जो तुमने उसके लिए बनाई थी
जिसपर जानकी जी ने हा मे गर्दन हिला दी, कुछ समय बाद श्वेता भी वहा पहुची फिर मीनाक्षी जी ने भी वही किया, अब वहा मीनाक्षी जी जानकी जी, नेहा और श्वेता चारों सरगी खा रही थी वही दादी उन्हे परोस रही थी, उनसे अब उपवास नहीं होता था और समय समय पर दवा लेने के लिए उनका खाना जरूरी था, वो अभी अपनी बहुओ को खिला ही रही थी के धनंजय और रमाकांत भी वहा पहुचे
गायत्री- तुम लोग लेट हो
धनंजय- मा 3.30 हो रहे है अभी
धनंजय जी ने मीनाक्षी के बगल मे बैठते हुए कहा और रमाकांत जी जाकर जानकी जी के पास बैठे
श्वेता- वॉव! पापा और बड़े पापा भी मा और बड़ी मा के लिए व्रत रखते है और यहा हमारे पतियों को देखो !
रमाकांत- ऐसा नहीं है बेटा हम हमारे बच्चों को जानते है उन्हे भी तुम्हारी बहुत फिक्र है
रमाकांत जी ने को कॉन्फिडेंस के साथ कहा
धनंजय- हा वो देखो एक तो आ गया
धनंजय जी ने सीढ़ियों की ओर इशारा किया जहा राघव अपने लोअर की जेब मे हाथ डाले नीचे आ रहा था
जानकी- और देखो उसके पीछे कौन है!
राघव के पीछे पीछे शेखर भी अपनी आंखे मलते हुए आ रहा था वो अभी अभी नींद से जागा था
रमाकांत- मैंने कहा था ना
शेखर और राघव भी अपनी अपनी बीवियों के पास जाकर बैठे
जानकी- राघव तुमसे भूख सहन नहीं होती है व्रत करोगे तो उसे कैसे कंट्रोल करोगे?
राघव- मैं बस नेहा के साथ आया हु मा और मुझे भूख लगी थी तो बाकी कुछ नही....
राघव ने थोड़े उखड़े स्वर मे कहा, लेकिन इसपर नेहा कुछ नहीं बोली इसीलिए बड़ों ने भी कुछ नहीं कहा लेकिन शेखर को ये पसंद नहीं आया, उसे लगा था के राघव भी नेहा के लिए व्रत रख रहा होगा लेकिन ऐसा नहीं था, उसने नेहा को देखा जो नॉर्मल लग रही थी लेकिन बकियों को देख कर वो भी चाहती थी के राघव उसके लिए व्रत रखे।
खाना खत्म करके वो अपने अपने रूम मे पहुचे, रूम मे जाने के पहले राघव ने अपने साथ कुछ फल ले लिए थे और जैसे ही वो कमरे मे पहुचे नेहा ने उसे देखा
नेहा- अभी अभी इतना खा कर भी आपको ये फल खाने है, उपवास मेरा है आपका नहीं!
राघव- मेरे नहीं तुम्हारे लिए है ये, भूख लगे तो खा लेना
राघव ने फलों को टेबल पे रखते हुए कहा
नेहा- आपको ट्रिप पे भूलने की बीमारी नहीं हुई ना मैंने कहा मेरा उपवास है
एक तो वो बेचारी इसके लिए व्रत रख रही थी और ये उसी के सामने फल रख रहा था तो इससे नेहा थोड़ा चिढ़ रही थी
राघव- कोई जरूरत नहीं है, मन करे तो खा लेना भूखे मत रहना कमजोर हो जाओगी
नेहा- आप को चोट वगैरा लगी है क्या, मैंने कहा ना मेरा व्रत है आपको अच्छा लगे या नहीं अब इन फ्रूट्स को ले जाइए यहा से
नेहा ने थोड़ा चिढ़ कर कहा और राघव इससे टेंशन मे था के जब भरे पेट के साथ ये इतनी हाइपर है तो दिनभर भूखे रहने के बाद क्या होगा
राघव- हा हा ठीक है नाराज मत हो जो ठीक लगे करो,
इतना बोल के राघव वापिस जाकर सो गया,
---
गायत्री- राघव आज तुम्हें ऑफिस नहीं जाना क्या
दादी ने जब राघव को कैजुअल कपड़ों मे घर मे देखा तो पुछ लिया
राघव- नहीं दादी वो मुझे कही और जाना है आज तो
जिसपर दादी कुछ कहती इससे पहले ही दादू ने उन्हे बुला लिया
जानकी- राघव जाने से पहले नाश्ता कर लो आओ!
राघव- नहीं मा भूख नहीं है मुझे मैं बाहर खा लूंगा कुछ
विवेक- क्यू भाई आप भी उपवास कर रहे हो क्या
रिद्धि- क्या विकी ये पूछने ही बात थोड़ी है हैना भाई
राघव- नहीं मैं नहीं कर रहा कोई उपवास वगैरा
विवेक- तो फिर कुछ खा क्यू नहीं रहे
राघव- नहीं बताऊँगा
विवेक- साफ साफ बोलो ने उपवास रख रखे हो शर्मा कहे रहे हो
राघव- मैं नहीं शर्मा रहा
विवेक- तो सच बोलो
राघव- अब तो तू गया
विवेक- अबे चल चल आप मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकते
राघव- विवेक आज तू नहीं बचेगा
विवेक- पहले पकड़ के तो दिखाओ
बस फिर क्या विवेक आगे और उसके पीछे राघव....
कुछ समय बाद राघव कार मे बैठा था, वो डांस अकादेमी के काम को देखने जा रहा था जिसके बाद उसे कही और जाना था
नेहा- छोटा है वो
नेहा ने कार मे राघव के बाजू मे बैठते हुए विवेक की पैरवी की
राघव- छोटा नहीं है, कॉलेज खतम हो जाएगा उसका कुछ दिनों मे
राघव ने अपने होंठ के कॉर्नर को रीयर व्यू मिरर मे चेक करते हुए कहा जहा हल्का सा कट लगा हुआ था जो दूर से नहीं दिखता था
नेहा- हा तो इसका ये मतलब थोड़ी है के आप उसके साथ ऐसा करोगे बेचारे का दांत तोड़ दिया आपने
राघव- तो उसे किसने कहा था मुझसे छेड़ने शुरुवात उसने की थी
राघव अपनी गलती मानने को तयार ही नहीं था ये देख नेहा ने अपना माथा पीट लिया
और अब मैं बताता हु हुआ क्या था
तो राघव विवेक के पीछे भाग रहा था और भागते हुए विवेक एक रूम मे घुसा ajr दौड़ते हुए वो बेड पर चढ़ा और उसे पकड़ने के लिए राघव बाबू भी बेड पर कूदे लेकिन तभी राघव का बैलन्स बिगड़ गया और उसने गिरने से बचने के लिए विवेक का हाथ पकड़ा जिसका नतीजा ये हुआ के दोनों भाई मुह के बल गिरे जिसमे विवेक को ज्यादा चोट आई क्युकी वो रेडी नहीं था और अब उन दोनों का ही मेल इगो ये मानने को तयार नहीं था के गिरने से चोट लगी है इसीलिए हाथापाई वाली कहानी ज्यादा बेटर थी जो दोनों ने सबको बताई थी,
दोपहर मे राघव और नेहा दोनों अकादेमी का काम देख के लौट आए थे और जब वो घर पहुचे तो जानकी जी ने नेहा को कुछ समय आराम करने कहा क्युकी कुछ समय बाद पूजा की तयारिया करनी थी और राघव अपने दूसरे काम से निकल गया
शाम मे
रिद्धि- विवेक क्या कर रहा है?
रिद्धि ने धीमे आवाज मे विवेक से पूछा जो उसे खिच कर मंदिर की ओर लेकर जा रहा था सबकी नजरों से बचते हुए
विवेक- तुझे दिख नहीं रहा क्या मेरे फेवरिट लड्डू बने है
रिद्धि- पागल है क्या, पूजा के लिए है वो अगर दादी या किसी और ने देख लिया तो गए हम
विवेक- डर मत लॉर्ड विवेक के साथ है तू कुछ नही होगा
और विवेक ने लड्डू उठा लिया और इससे पहले की वो लड्डू खा पाता
मीनाक्षी- विवेक!! रिद्धि! क्या कर रहे हो दोनों छोटे बच्चे हो क्या
विवेक- मॉम जैसा आप सोच रही है वैसा कुछ नहीं है ये.. ये रिद्धि को देखना था सब हो गया हा न मैं तो बस उसके साथ आया था
रिद्धि- हा हा चाची हम तो बस देख रहे है
मीनाक्षी- बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मैं तुम्हें जानती ही नहीं चलो दोनों निकलो यहा से
गायत्री- ये सब ये अपने दादा से सीख रहे है
दादी ने वहा आते हुए कहा
विवेक- हा हा करेक्ट दादी दादू ही हमारे लीडर है
विवेक ने अपनी दादी की बात सुन एकदम से कहा वही शिवशंकर जी जो पीछे से मुसकुराते हुए आ रहे थे ये सुन उनकी स्माइल गायब हो गई और वो विवेक को देखने लगे जिसने अभी अभी सारा ब्लैम उनपर डाल दिया था वो भी तब जब वो अपने आप को कंट्रोल करके मीठे से परहेज कर रहे थे
शिवशंकर- ये ये झूठ बोल रहा है गायत्री मैंने तो मीठा खाना ही बंद कर दिया है
गायत्री- बस बहुत हो गया जो आपलोग जाकर सोफ़े पर बैठो और रिद्धि तुम जाकर नेहा और श्वेता को बुला लाओ।
सारी पूजा वगैरा होने के बाद सब लोग हॉल मे बैठे चाँद का इंतजार कर रहे थे जो आज दर्शन देने के जरा भी मूड मे नहीं था, राघव को चाँद का सबसे ज्यादा इंतजार था क्युकी अब उससे भूख बर्दाश्त नहीं हो रही थी ऊपर से सबको वो ऐसे जता रहा था के उसका पेट भरा हुआ है क्युकी ये बात बता कर वो वापिस इनलोगों को खुद को चिढ़ाने का मौका नहीं देना चाहता था।
जानकी- राघव अगर खाना हो तो खा लो
राघव- नहीं नहीं मा इतनी भूख नही लगी है सबके साथ ही खाऊंगा
विवेक- मॉम! चाँद निकल आया
विवेक ने सीढ़ियों से नीचे आते हुए कहा और वापिस ऊपर चला गया और ये सुन कर सब लोग टेरस पर पहुचे
शेखर- चलो अब सारी प्रोसेस जल्दी करो यार बहुत भूख लगी है
शेखर ने पूजा की थाली श्वेता को पकड़ाते हुए कहा
जिसके बाद जैसे जैसे जानकी और मीनाक्षी जी ने किया वैसा ही नेहा और श्वेता ने किया, सारी प्रोसेस होने के बाद राघव ने नेहा को पानी पिलाया और मीठा खिलाया और नेहा ने भी
नेहा- मुझे पता है आपने सुबह से कुछ नहीं खाया है
राघव- तुम्हें कैसे पता?
नेहा- क्युकी मैं आपको अच्छे से जानती हु, लेकिन जब आपसे भूख सहन नहीं होती तो आपको ये करने की जरूरत नहीं है
राघव- जब तुम मेरे लिए व्रत रख सकती हो तो मैं भी एक दिन भूखा रह सकता हु
राघव ने नेहा की आँखों मे देखते हुए कहा वो एकदूसरे मे इतना खोए हुए थे के उन्हे ध्यान ही नहीं था के वहा और भी लोग है
शेखर- ओ भाई अपना रोमांस अपने रूम मे कन्टिन्यू करना अब चलो यार यहा भूख के मारे हालत खराब हो रही
खाना खाने के बाद रात के करीब 11 बजे गायत्री जी ने नेहा को अपने कमरे मे बुलाया ये कहकर के बहुत अर्जन्ट काम है जब नेहा वहा पहुची तो दादी ने उसे एक जूलरी बॉक्स दिया
नेहा- दादी ये??
गायत्री- तुम्हारे लिए है, खोलो इसे
नेहा ने जब वो बॉक्स खोल तो उसके आंखे बड़ी हो गई
नेहा- दादीजी मैं ये कैसे ले सकती हु ये तो आपका है ना
नेहा ने वो बॉक्स दादी को वापिस करना चाहा
गायत्री- नहीं बेटा ये तुम्हारा ही है, मैंने इसे राघव की पत्नी के लिए रखा था और बस सही वक्त के इंतजार मे थी! हा मैंने तुम्हारे साथ शुरू ने थोड़ा रुड बिहैव किया है लेकिन मैं राघव को लेके बहुत चिंतित थी वो मेरा सबसे ज्यादा लाड़ला है, और तुम उसकी जीवनसांगिनी के रूप से एकदम परफेक्ट हो तो अब वो भी तुम्हारा है और ये नेकलेस भी, मेरा आशीर्वाद समझ के रख लो
दादी ने नेहा के सर पर हाथ घुमाते हुए कहा
नेहा- थैंक यू दादी जी
गायत्री- थैंक्स टु यू बेटा, मुझे बहुत खुशी है के तुम राघव की पत्नी हो और हमारे परिवार की बहु हो और अब बड़ी बहु होने के नाते सबको जोड़े रखना तुम्हारा काम है
जिसपर नेहा ने हा मे गर्दन हिला दी
जिसके बाद नेहा अपने चेहरे पर मुस्कान लिए अपने रूम मे आई, आज उसके पास सब कुछ था, प्यार करने वाला साथी, एक बढ़िया परिवार सबकुछ और बहुत हिम्मत करने के बाद आज नेहा ने फैसला कर लिया था के वो राघव से वो 3 शब्द कह के रहेगी, हालांकि अंदर ही अंदर वो ये चाहती थी के ये बात पहले राघव बोले लेकिन सबकुछ शब्दों से ही बयां हो जरूरी तो नहीं, और यही सब सोचते हुए नेहा रूम मे घुसी जहा बस अंधेरा था और गहरी शांति थी, उसने लाइट्स शुरू की, राघव रूम मे नहीं था तभी नेहा की नजर बेड पर पड़ी जहा कुछ रखा हुआ था.....
Karwa Chauth apne pati ki lambi aayu or bhagwaan se aashirwaad lene ke liye kiya jaata jaha tak apan to yahi suna hai anyway ye raghav ko kya hua Achanak se kahi sabhi se chupa ke wo bhi neha ke liye vrat to nahi rakh raha
Bechara vivek bahot masti kar raha tha na aisi bahot se parmparaye hoti hai jo pidi dar pidi paas hoti jaati hai Indian culture hi aisa hai
Chaand to nazar aa gaya lekin neha ka Chand kaha hai itni khubsurat raat hai jo hota hai ho jaane do
आज संडे का दिन था, नवरात्रि का पर्व खतम हो चुका था और दिवाली की तयारिया चल रही थी। पिछले कुछ दिनों से महोल एकदम शांत था, रीज़न ये था के दशहरे के अगले दिन ही राघव को बिजनस ट्रिप कर जाना पड़ा था और वो अभी तक लौटा नहीं था जिसके चलते नेहा की नवरात्रि की जो छुट्टी थी वो बढ़ गई थी लेकिन साथ ही उसकी और राघव की दूरी भी जो दोनों को ही बर्दाश्त नहीं हो रहा था। इस वक्त घर का सारा महिला मण्डल बातचित मे लगा हुआ था
रिद्धि- इस बार तो भाभियों का पहला करवा चौथ भी है हैना?
जानकी- हा लेकिन ये टोटली उनपर निर्भर करता है के उन्हे ये करना है या नहीं
मीनाक्षी- बिल्कुल, माजी ने हमे भी इसके लिए फोर्स नहीं किया था तो हम कैसे हमारी बहुओ से कहे हा अब ये दोनों करना चाहे तो हमारा काम बढ़ जाएगा
रिद्धि- कैसे?
मीनाक्षी- वो ऐसे के बहु को उसकी सास ही सरगी देती है
रिद्धि- लेकिन फिल्मों मे तो अलग ही बताते है
जानकी- फिल्मों मे जो भी दिखाया जाए वो हमेशा सही नहीं होता है
नेहा- मा हमे ये करवा चौथ का उपवास करना है
श्वेता- हा
मीनाक्षी- पक्का?
नेहा- हा चाची जी एकदम पक्का
मीनाक्षी- ठीक है फिर
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आज करवा चौथ का दिन था, इस वक्त सुबह के 3 बज रहे थे और नेहा ने आज दूसरी बार अपनी नींद की कुर्बानी दी थी और इस बार राघव के लिए, उसने जाग कर देखा तो राघव उसके बगल मे उससे चिपक कर सो रहा था, वो कल ही अपनी ट्रिप से लौटा था, जब नेहा ने उसे अपने करवा चौथ के बारे मे बताया था तब उसने नेहा से साफ कहा था के उसे ये किसी के कहने पर करने की बिल्कुल जरूरत नहीं है लेकिन नेहा ने उसे ये कह कर चुप करा दिया के वो ये उसके लिए कर रहे है।
अपने सारे खयालों को बाजू करके नेहा उठी और अपना मॉर्निंग रूटीन निपटा कर वो लाल साड़ी पहने बाहर आई, आज नेहा के चेहरे पर एक अलग ही चमक थी, उसने एक बार सो रहे राघव को देखा और मुसकुराते हुए रूम से बाहर गई,
नीचे आकार नेहा ने देखा के दादी जानकी और मीनाक्षी जी तीनों वहा डायनिंग टेबल पर थी
गायत्री- चलो नेहा आ गई, जानकी उसे वो प्लेट दे दो जो तुमने उसके लिए बनाई थी
जिसपर जानकी जी ने हा मे गर्दन हिला दी, कुछ समय बाद श्वेता भी वहा पहुची फिर मीनाक्षी जी ने भी वही किया, अब वहा मीनाक्षी जी जानकी जी, नेहा और श्वेता चारों सरगी खा रही थी वही दादी उन्हे परोस रही थी, उनसे अब उपवास नहीं होता था और समय समय पर दवा लेने के लिए उनका खाना जरूरी था, वो अभी अपनी बहुओ को खिला ही रही थी के धनंजय और रमाकांत भी वहा पहुचे
गायत्री- तुम लोग लेट हो
धनंजय- मा 3.30 हो रहे है अभी
धनंजय जी ने मीनाक्षी के बगल मे बैठते हुए कहा और रमाकांत जी जाकर जानकी जी के पास बैठे
श्वेता- वॉव! पापा और बड़े पापा भी मा और बड़ी मा के लिए व्रत रखते है और यहा हमारे पतियों को देखो !
रमाकांत- ऐसा नहीं है बेटा हम हमारे बच्चों को जानते है उन्हे भी तुम्हारी बहुत फिक्र है
रमाकांत जी ने को कॉन्फिडेंस के साथ कहा
धनंजय- हा वो देखो एक तो आ गया
धनंजय जी ने सीढ़ियों की ओर इशारा किया जहा राघव अपने लोअर की जेब मे हाथ डाले नीचे आ रहा था
जानकी- और देखो उसके पीछे कौन है!
राघव के पीछे पीछे शेखर भी अपनी आंखे मलते हुए आ रहा था वो अभी अभी नींद से जागा था
रमाकांत- मैंने कहा था ना
शेखर और राघव भी अपनी अपनी बीवियों के पास जाकर बैठे
जानकी- राघव तुमसे भूख सहन नहीं होती है व्रत करोगे तो उसे कैसे कंट्रोल करोगे?
राघव- मैं बस नेहा के साथ आया हु मा और मुझे भूख लगी थी तो बाकी कुछ नही....
राघव ने थोड़े उखड़े स्वर मे कहा, लेकिन इसपर नेहा कुछ नहीं बोली इसीलिए बड़ों ने भी कुछ नहीं कहा लेकिन शेखर को ये पसंद नहीं आया, उसे लगा था के राघव भी नेहा के लिए व्रत रख रहा होगा लेकिन ऐसा नहीं था, उसने नेहा को देखा जो नॉर्मल लग रही थी लेकिन बकियों को देख कर वो भी चाहती थी के राघव उसके लिए व्रत रखे।
खाना खत्म करके वो अपने अपने रूम मे पहुचे, रूम मे जाने के पहले राघव ने अपने साथ कुछ फल ले लिए थे और जैसे ही वो कमरे मे पहुचे नेहा ने उसे देखा
नेहा- अभी अभी इतना खा कर भी आपको ये फल खाने है, उपवास मेरा है आपका नहीं!
राघव- मेरे नहीं तुम्हारे लिए है ये, भूख लगे तो खा लेना
राघव ने फलों को टेबल पे रखते हुए कहा
नेहा- आपको ट्रिप पे भूलने की बीमारी नहीं हुई ना मैंने कहा मेरा उपवास है
एक तो वो बेचारी इसके लिए व्रत रख रही थी और ये उसी के सामने फल रख रहा था तो इससे नेहा थोड़ा चिढ़ रही थी
राघव- कोई जरूरत नहीं है, मन करे तो खा लेना भूखे मत रहना कमजोर हो जाओगी
नेहा- आप को चोट वगैरा लगी है क्या, मैंने कहा ना मेरा व्रत है आपको अच्छा लगे या नहीं अब इन फ्रूट्स को ले जाइए यहा से
नेहा ने थोड़ा चिढ़ कर कहा और राघव इससे टेंशन मे था के जब भरे पेट के साथ ये इतनी हाइपर है तो दिनभर भूखे रहने के बाद क्या होगा
राघव- हा हा ठीक है नाराज मत हो जो ठीक लगे करो,
इतना बोल के राघव वापिस जाकर सो गया,
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गायत्री- राघव आज तुम्हें ऑफिस नहीं जाना क्या
दादी ने जब राघव को कैजुअल कपड़ों मे घर मे देखा तो पुछ लिया
राघव- नहीं दादी वो मुझे कही और जाना है आज तो
जिसपर दादी कुछ कहती इससे पहले ही दादू ने उन्हे बुला लिया
जानकी- राघव जाने से पहले नाश्ता कर लो आओ!
राघव- नहीं मा भूख नहीं है मुझे मैं बाहर खा लूंगा कुछ
विवेक- क्यू भाई आप भी उपवास कर रहे हो क्या
रिद्धि- क्या विकी ये पूछने ही बात थोड़ी है हैना भाई
राघव- नहीं मैं नहीं कर रहा कोई उपवास वगैरा
विवेक- तो फिर कुछ खा क्यू नहीं रहे
राघव- नहीं बताऊँगा
विवेक- साफ साफ बोलो ने उपवास रख रखे हो शर्मा कहे रहे हो
राघव- मैं नहीं शर्मा रहा
विवेक- तो सच बोलो
राघव- अब तो तू गया
विवेक- अबे चल चल आप मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकते
राघव- विवेक आज तू नहीं बचेगा
विवेक- पहले पकड़ के तो दिखाओ
बस फिर क्या विवेक आगे और उसके पीछे राघव....
कुछ समय बाद राघव कार मे बैठा था, वो डांस अकादेमी के काम को देखने जा रहा था जिसके बाद उसे कही और जाना था
नेहा- छोटा है वो
नेहा ने कार मे राघव के बाजू मे बैठते हुए विवेक की पैरवी की
राघव- छोटा नहीं है, कॉलेज खतम हो जाएगा उसका कुछ दिनों मे
राघव ने अपने होंठ के कॉर्नर को रीयर व्यू मिरर मे चेक करते हुए कहा जहा हल्का सा कट लगा हुआ था जो दूर से नहीं दिखता था
नेहा- हा तो इसका ये मतलब थोड़ी है के आप उसके साथ ऐसा करोगे बेचारे का दांत तोड़ दिया आपने
राघव- तो उसे किसने कहा था मुझसे छेड़ने शुरुवात उसने की थी
राघव अपनी गलती मानने को तयार ही नहीं था ये देख नेहा ने अपना माथा पीट लिया
और अब मैं बताता हु हुआ क्या था
तो राघव विवेक के पीछे भाग रहा था और भागते हुए विवेक एक रूम मे घुसा ajr दौड़ते हुए वो बेड पर चढ़ा और उसे पकड़ने के लिए राघव बाबू भी बेड पर कूदे लेकिन तभी राघव का बैलन्स बिगड़ गया और उसने गिरने से बचने के लिए विवेक का हाथ पकड़ा जिसका नतीजा ये हुआ के दोनों भाई मुह के बल गिरे जिसमे विवेक को ज्यादा चोट आई क्युकी वो रेडी नहीं था और अब उन दोनों का ही मेल इगो ये मानने को तयार नहीं था के गिरने से चोट लगी है इसीलिए हाथापाई वाली कहानी ज्यादा बेटर थी जो दोनों ने सबको बताई थी,
दोपहर मे राघव और नेहा दोनों अकादेमी का काम देख के लौट आए थे और जब वो घर पहुचे तो जानकी जी ने नेहा को कुछ समय आराम करने कहा क्युकी कुछ समय बाद पूजा की तयारिया करनी थी और राघव अपने दूसरे काम से निकल गया
शाम मे
रिद्धि- विवेक क्या कर रहा है?
रिद्धि ने धीमे आवाज मे विवेक से पूछा जो उसे खिच कर मंदिर की ओर लेकर जा रहा था सबकी नजरों से बचते हुए
विवेक- तुझे दिख नहीं रहा क्या मेरे फेवरिट लड्डू बने है
रिद्धि- पागल है क्या, पूजा के लिए है वो अगर दादी या किसी और ने देख लिया तो गए हम
विवेक- डर मत लॉर्ड विवेक के साथ है तू कुछ नही होगा
और विवेक ने लड्डू उठा लिया और इससे पहले की वो लड्डू खा पाता
मीनाक्षी- विवेक!! रिद्धि! क्या कर रहे हो दोनों छोटे बच्चे हो क्या
विवेक- मॉम जैसा आप सोच रही है वैसा कुछ नहीं है ये.. ये रिद्धि को देखना था सब हो गया हा न मैं तो बस उसके साथ आया था
रिद्धि- हा हा चाची हम तो बस देख रहे है
मीनाक्षी- बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मैं तुम्हें जानती ही नहीं चलो दोनों निकलो यहा से
गायत्री- ये सब ये अपने दादा से सीख रहे है
दादी ने वहा आते हुए कहा
विवेक- हा हा करेक्ट दादी दादू ही हमारे लीडर है
विवेक ने अपनी दादी की बात सुन एकदम से कहा वही शिवशंकर जी जो पीछे से मुसकुराते हुए आ रहे थे ये सुन उनकी स्माइल गायब हो गई और वो विवेक को देखने लगे जिसने अभी अभी सारा ब्लैम उनपर डाल दिया था वो भी तब जब वो अपने आप को कंट्रोल करके मीठे से परहेज कर रहे थे
शिवशंकर- ये ये झूठ बोल रहा है गायत्री मैंने तो मीठा खाना ही बंद कर दिया है
गायत्री- बस बहुत हो गया जो आपलोग जाकर सोफ़े पर बैठो और रिद्धि तुम जाकर नेहा और श्वेता को बुला लाओ।
सारी पूजा वगैरा होने के बाद सब लोग हॉल मे बैठे चाँद का इंतजार कर रहे थे जो आज दर्शन देने के जरा भी मूड मे नहीं था, राघव को चाँद का सबसे ज्यादा इंतजार था क्युकी अब उससे भूख बर्दाश्त नहीं हो रही थी ऊपर से सबको वो ऐसे जता रहा था के उसका पेट भरा हुआ है क्युकी ये बात बता कर वो वापिस इनलोगों को खुद को चिढ़ाने का मौका नहीं देना चाहता था।
जानकी- राघव अगर खाना हो तो खा लो
राघव- नहीं नहीं मा इतनी भूख नही लगी है सबके साथ ही खाऊंगा
विवेक- मॉम! चाँद निकल आया
विवेक ने सीढ़ियों से नीचे आते हुए कहा और वापिस ऊपर चला गया और ये सुन कर सब लोग टेरस पर पहुचे
शेखर- चलो अब सारी प्रोसेस जल्दी करो यार बहुत भूख लगी है
शेखर ने पूजा की थाली श्वेता को पकड़ाते हुए कहा
जिसके बाद जैसे जैसे जानकी और मीनाक्षी जी ने किया वैसा ही नेहा और श्वेता ने किया, सारी प्रोसेस होने के बाद राघव ने नेहा को पानी पिलाया और मीठा खिलाया और नेहा ने भी
नेहा- मुझे पता है आपने सुबह से कुछ नहीं खाया है
राघव- तुम्हें कैसे पता?
नेहा- क्युकी मैं आपको अच्छे से जानती हु, लेकिन जब आपसे भूख सहन नहीं होती तो आपको ये करने की जरूरत नहीं है
राघव- जब तुम मेरे लिए व्रत रख सकती हो तो मैं भी एक दिन भूखा रह सकता हु
राघव ने नेहा की आँखों मे देखते हुए कहा वो एकदूसरे मे इतना खोए हुए थे के उन्हे ध्यान ही नहीं था के वहा और भी लोग है
शेखर- ओ भाई अपना रोमांस अपने रूम मे कन्टिन्यू करना अब चलो यार यहा भूख के मारे हालत खराब हो रही
खाना खाने के बाद रात के करीब 11 बजे गायत्री जी ने नेहा को अपने कमरे मे बुलाया ये कहकर के बहुत अर्जन्ट काम है जब नेहा वहा पहुची तो दादी ने उसे एक जूलरी बॉक्स दिया
नेहा- दादी ये??
गायत्री- तुम्हारे लिए है, खोलो इसे
नेहा ने जब वो बॉक्स खोल तो उसके आंखे बड़ी हो गई
नेहा- दादीजी मैं ये कैसे ले सकती हु ये तो आपका है ना
नेहा ने वो बॉक्स दादी को वापिस करना चाहा
गायत्री- नहीं बेटा ये तुम्हारा ही है, मैंने इसे राघव की पत्नी के लिए रखा था और बस सही वक्त के इंतजार मे थी! हा मैंने तुम्हारे साथ शुरू ने थोड़ा रुड बिहैव किया है लेकिन मैं राघव को लेके बहुत चिंतित थी वो मेरा सबसे ज्यादा लाड़ला है, और तुम उसकी जीवनसांगिनी के रूप से एकदम परफेक्ट हो तो अब वो भी तुम्हारा है और ये नेकलेस भी, मेरा आशीर्वाद समझ के रख लो
दादी ने नेहा के सर पर हाथ घुमाते हुए कहा
नेहा- थैंक यू दादी जी
गायत्री- थैंक्स टु यू बेटा, मुझे बहुत खुशी है के तुम राघव की पत्नी हो और हमारे परिवार की बहु हो और अब बड़ी बहु होने के नाते सबको जोड़े रखना तुम्हारा काम है
जिसपर नेहा ने हा मे गर्दन हिला दी
जिसके बाद नेहा अपने चेहरे पर मुस्कान लिए अपने रूम मे आई, आज उसके पास सब कुछ था, प्यार करने वाला साथी, एक बढ़िया परिवार सबकुछ और बहुत हिम्मत करने के बाद आज नेहा ने फैसला कर लिया था के वो राघव से वो 3 शब्द कह के रहेगी, हालांकि अंदर ही अंदर वो ये चाहती थी के ये बात पहले राघव बोले लेकिन सबकुछ शब्दों से ही बयां हो जरूरी तो नहीं, और यही सब सोचते हुए नेहा रूम मे घुसी जहा बस अंधेरा था और गहरी शांति थी, उसने लाइट्स शुरू की, राघव रूम मे नहीं था तभी नेहा की नजर बेड पर पड़ी जहा कुछ रखा हुआ था.....