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Part : 1
आधी रात हो चुकी थी ,ठंडी हवा चल रही थी ,कहीं से कीड़ों की आगाज आती रहती थी ,पूरा गाव नींद की चादर ओढ़े सो रहा था तभी कमरे मे सो रही शालिनी की एक मेसेज की टोन से नींद खुल जाती है ,उसकी नींद अभी कच्ची थी क्युकी नील को स्तनपान करवाकर उसे सुलाकर वो सोयी थी नील को स्तनपान करवाने के समय ही उसकी आंख लग गई थी इस लिए उसके ब्लाउज के हूक खुले हुए थे ,जब शालिनी सो रही थी तब बाबुजी एक बार देखने आये थे कि मुन्ना सो गया जब वो देखने आये तब दरवाजा हवा से थोड़ा खुला था जिससे वो भीतर देखते है तो शालिनी के ब्लाउज के हूक खुले हुए है और बग़ल मे मुन्ना सो रहा है ,ये पहली बार था जब बाबुजी ने शालिनी के स्तनों को देखा ,चांद की हल्की रोशनी मे जितना भी दिख रहा था उसमे शालिनी के स्तनों का सौंदर्य दिख रहा था
गोल मटोल, गुलाबी निप्पल, और साँस लेने से ऊपर नीचे हो रहे थे ,ये नजारा देख के बाबुजी की आंखे खुली की खुली रह गई थी ,वो खड़े खड़े इस सौंदर्य का रसपान कर रहे थे और उसी नजारे मे खो गए ,थोड़े समय बाद उसे होश आता है ,उसे ख्याल आता है कि वो कहा खड़े है और क्या देख रहे है क्युकी कब उसने पूरा दरवाजा खोल दिया था और कब वो दरवाजे के बीचोबीच खड़े रहकर खुल्लमखुल्ला अपनी बहु के स्तनों को देख रहे है ,
बाबुजी तुरत ही दरवाजा धीरे से बंध कर के वापिस अपनी खटिया पर आके लेट जाते है।
बाबुजी : (मन मे ...)अच्छा हुआ बहु की नींद नहीं खुली वर्ना मेरी क्या इज़्ज़त रह जाती ,और मेरे बारे मे क्या क्या सोचती ?
पर मे तो सिर्फ मुन्ने को देखने गया था ,मुझे क्या पता था कि बहु स्तनपान करवाते हुए ही सो गयी होगी, वैसे बहु के स्तन है सुंदर!
अरे...बिरजू क्या दिमाग खराब हो गया है तुम्हारा?वो तुम्हारी बहु है ,इस घर की इज़्ज़त, और उसकी के बारे मे एसे सोच रहा है।
बाबुजी आंखे बंध कर के अपने इसी विचारो मे खो गए थे,उसके अंदर के बाबुजी और एक पुरुष के बीच विचारो का घमासान चल रहा था ,पर ठंडी हवा के झोंकों ने कब उसे सुला दिया उसे मालूम नहीं रहा और गहरी नींद ने उसे जकड़ लिया ,और इधर शालिनी की नींद मेसेज की नोटिफिकेशन से उसकी नींद खुल जाती है वो देखती है चाचाजी का मेसेज था
चाचाजी : (मेसेज मे ) कब आ रही हो और आने वाली हो कि नहीं, अगर 15 मिनट मे रिप्लाई नहीं आया तो मे सो जाऊँगा।
शालिनी : (मुस्कराते हुए ..)लगता है आज इनको नींद नहीं आने वालीं लाओ पहले मेसेज कर देती हू, वर्ना नाराज हो जाएंगे ,आज दोपहर को कैसे बावरा हो गए थे ,
शालिनी : (मेसेज मे ) बाबुजी सो गए होंगे तो अभी आ रही हू,2 मिनट मे मेसेज करती हूं
चाचाजी : (मेसेज मे )ठीक है।
शालिनी ब्लाउज के हूक को सही करके अपने बाल को ठीक से बांध के धीमे से दबे पाव बाहर आके देखती है बाबुजी गहरी नींद मे सो रहे है ,
वो खुश होती है,नील को भी स्तनपान करवा दिया है इस लिए वो सुबह ही जागेगा, वो सीढियों से धीरे धीरे ऊपर छत्त पर जाति है और मेसेज करती है " मे आ रही हूँ " ये मेसेज पढ़ के चाचाजी खुश होते है और बेसब्री से शालिनी का इंतजार कर रहे थे।
जैसे ही शालिनी चाचाजी के घर की सीढिया उतरती है ,उसकी धड़कन तेज होने लगती है ,और जब वो चाचाजी के कमरे की ओर बढ़ती है उसके पैरों की रफ्तार बढ़ती जाती है जिससे उसके पायल की आवाज सुनाई देती है ,जिससे चाचाजी को मालूम हो जाता है कि शालिनी आ रही है ,इस लिए वो दरवाजे की ओर पीठ करके नाराज होके सोने का नाटक करते है ,जैसे ही शालिनी चाचाजी के कमरे के पास पहुची की उसके पैर वहीं थम गए ,उसकी धड़कन उत्सुकता और रोमांच से तेज हो गई थी जिससे उसके स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे।
शालिनी की हालत इस समय उस प्रेमिका जैसी थी जो चोरी छुपे अपने प्रेमी को मिलने जाँ रही हो और उसे पकड़े जाने का डर और अकेले मे मिलने की चाहत दोनों एकसाथ महसूस हो रही हो।
शालिनी जैसे ही धीरे से दरवाजा खोलती है वो देखती है चाचाजी बेड पर पीठ करके लेटे है ,वो धीरे से अंदर आती है
जिससे उसके पायल की " छन छन " होती है जिसे सुन के चाचाजी खुश होते है पर वो आंखे बंध कर सोने का नाटक करते है।
शालिनी : चाचाजी ...चाचाजी ...
चाचाजी कोई प्रतिक्रिया नहीं देते बस लेटे रहते है ,जब शालिनी घूमकर उसके सामने आके उसको पुकारती है तब चाचाजी दूसरी ओर पीठ कर के सो जाते है ,तब शालिनी समझ जाती है कि चाचाजी नाटक कर रहे है।
शालिनी : (मज़ाक मे ...)लगता है आप सो गए है तो मे चली जाती हूँ ,लगता है मेरे भाग्य मे इस दर्द को सहना लिखा है।
शालिनी धीरे धीरे दरवाजे के और बढ़ती है ,चाचाजी हल्की सी आंखे खोल देखते हैं कि शालिनी सच मे जाँ रही है तो वो तुरत खड़े होते हैं और शालिनी को पीछे से पकड लेते है।
चाचाजी : मत जाओ। मे हूं ना आपकी मदद के लिए
शालिनी : आप तो सो गए थे ,तो मेने सोचा मे वापिस चली जाती हूँ
चाचाजी : मे सोया ही नहीं हूं ,आप आने वाली हो तो नींद कैसे आ सकती है ,वो तो आपके साथ थोड़ा मज़ाक कर रहा था।
शालिनी : गाल सहलाते हुए ...) मे भी मज़ाक कर रही थी ,मे भी नाटक कर रही थी ,आप सो गए होते फिर भी आपको जगा देती।
चाचाजी : इतना दर्द होता है ?मुझे अच्छा लगता है कि मे इस दर्द मे आपकी मदद कर सकता हूं ,और सच कहूँ तो अब मुझे इससे सुकून मिलता है और मन मे एक तरह का आनंद मिलता है
शालिनी : सच कहूँ तो मुझे भी आनंद आता है जब आप स्तनपान करते है ,अब मुझे फिक्र नहीं रहती की स्तन मे दुध उतर आएगा तो? मुझे भी अच्छा लगता है आपको स्तनपान करवाना
चाचाजी : क्या ? सच मे ?
शालिनी : हा ,अब आपसे क्या छुपाना, वो एक डायलॉग है ना " शुरू मजबूरी मे किया था पर अब मज़ा आ रहा है "
चाचाजी : ठीक है फिर चलिए।
शालिनी : आप छोड़ेंगे तो चलूँगी ना
चाचाजी शालिनी के पेट पर से अपने हाथ खोल देते है ,शालिनी चाचाजी को बेड पर लेटने के कहती है और धीरे धीरे अपने ब्लाउज को अपने कंधों से सरका के अपने से अलग करती है और फिर पल्लू को ओढ़ लेती है जिसे पारदर्शी पल्लू से उसके स्तन दिख रहे थे और निप्पल का उभार भी दिख रहा था जो दर्शाता था कि शालिनी स्तन से दुध पिलाने को उत्सुक है।
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चाचाजी बेड पर लेटे लेटे ये सब देख रहे थे ,शालिनी की नंगी गोरी पीठ को देख के चाचाजी अचंभित रह जाते है
,और साथ ही शालिनी के स्तन के साइड वाला हिस्सा दिख रहा था
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चाचाजी का सब्र अब जवाब देने लगा था ,उससे अब इंतजार नहीं हो रहा था ,वो जल्दी से शालिनी के स्तनों से दूध पीना चाहते थे।
चाचाजी : जल्दी करो ना!
शालिनी : थोड़ा सब्र करो ,सब्र का फल मीठा होता है
चाचाजी : जैसा भी हो मुझे तो बस ये दो फलों का रस पीना है ,
शालिनी : (शर्मा कर ..)आप भी ना ! बाते बनाना कोई आपसे सीखे ,शर्म नहीं आती
चाचाजी : शर्म कैसी? अब तो कुछ नई बात नहीं है ,मुझसे अब दूध पीए बिना रहा नहीं जाता, दिन भी नहीं कटता और रात को नींद नहीं आती
शालिनी : बस बस! बहुत बातें हो गई अब जल्दी से दूध पी लीजिए ताकि मुझे दर्द से राहत मिले ,मुझे भी आप जैसा ही महसूस होता है।
शालिनी चाचाजी के पास आके लेट जाती है और पल्लू हटा कर एक स्तन बाहर निकालती है और चाचाजी के मुँह के सामने रख देती है।
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चाचाजी : मे किसी भी तरह की जल्दी नहीं करूंगा ,मे आराम से पाउंगा ,आराम से पीने मे एक सुकून और एक आनंद है
शालिनी : पर मुझे सोना भी है बाद मे ,
चाचाजी : वो बात सही है ,पर आप के साथ ज्यादा समय बिताना अच्छा लगता है।
शालिनी : कल हम साथ ही रहेंगे ना ,इस लिए आज जल्दी से पी लीजिए
चाचाजी धीरे से अपने होठों को शालिनी के गुलाबी निप्पल की ओर बढ़ाते है और होठों को खोल के निप्पल को मुहँ मे भर लेते है और चूसने लगते है ,
जिससे दूध की धार शालिनी के दर्द को साथ मे लेकर बहने लगता है जिससे शालिनी की आंखे बंध हो जाती है और हाथ चाचाजी के बालो मे घूमने लगता है ,आज शालिनी के लिए एक नया अनुभव था ,क्युकी आज वो पहली बार चोरी छुपे आकर स्तनपान करवा रही थी ,मानो कोई प्रेमिका अपने प्रेमी से पहली बार मिलने आयी हो एसा महसूस हो रहा था ,एक तरफ प्रेमी से मिलने की ईच्छा और एक तरफ कोई देख ले उससे पहले घर पहुचने का डर।
चाचाजी अपनी ही धुन मे मस्त आराम से चूस रहे थे पर शालिनी अपने स्तनों को हल्के हल्के दबा रही थी ताकि ज्यादा से ज्यादा दूध बाहर आए और उसे स्तन खाली हो जाए ,चाचाजी भी ये चीज़ देखते है ,पर वो स्तनपान मे ध्यान देते है करीब 20 मिनट बाद स्तनों मे से दुध खत्म हो जाता है।
चाचाजी : ये क्या बात हुई ?इतनी भी क्या जल्दी है ?
शालिनी : आप बात समझो, अगर बाबुजी जग गए और मुझे कमरे मे नही देखा तो गडबड हो जाएगी
चाचाजी : एसा कुछ नहीं होगा ,इतना नकारात्मक मत सोचो ,मे बिरजू को जानता हूँ वो जब सोता है तब घोड़े बेच के सोता है।मेने कभी कबार ही उसे बीच नींद मे जगा हुआ देखा हो ,वो मेहनत ही इतनी करते है कि नींद आ ही जाए ,
शालिनी : आपकी बात सही है पर ...
चाचाजी : पर वर कुछ नहीं ,वो नहीं जागेगा ,अगर तुम जाओ और जगा हुआ दिखे तो बता देना गर्मी की वज़ह से छत्त पर टहलने गई थी।
शालिनी : आप भी बहुत शैतान हो गए हों ,अपने ही दोस्त से झूठ बोलने को कह रहे हो।
चाचाजी : ये झूठ उसके और हमारे भलाई के लिए है ,और तुम मत भूलो अब तुम्हें अधिकार है मुझे स्तनपान करवाने का।
शालिनी : वो बात सही है ,पर अभी मुझे जाना है।
शालिनी ब्लाउज पहन लेती है और चाचाजी बेड पर लेटे थे ,वो शालिनी को हाथो से इशारा कर के पास बुलाते है ,शालिनी बेड पर बैठ जाती है
,चाचाजी उसे थोड़ी देर अपने पास लेटने को कहते है ,शालिनी मान जाति है और चाचाजी के बग़ल मे घाघरा और ब्लाउज पहने हुए लेट जाती है
,चाचाजी उसके पेट पर हाथ रख के सो जाते है ,शालिनी को भी नींद आ रही थी इसलिए वो भी कब सो गई उसे पता नहीं चला।
रात के करीब 3 बजे शालिनी की नींद प्यास की वज़ह से खुल जाती है ,वो देखती है कि चाचाजी का एक हाथ उसके पेट पर और एक पैर उसके पैर पर था ,वो हल्के से चाचाजी का हाथ हटाती है और जैसे पैर हटाने जाती है चाचाजी की नींद खुल जाती है वो देखते है शालिनी जाँ रही है,इस लिए चाचाजी अपने हाथ को शालिनी के पेट पर ले जाते है और उसे फिर से खींच के सुलाने का प्रयास करते है।
शालिनी : क्या हुआ ? देखो 3 बजे है ,अब मुझे जाना चाहिए ,तीन घंटे से इधर हूं
चाचाजी : थोड़ी देर और सो जाओ ना, आप चली जाओगे तो मुझे नहीं अच्छा लगेगा।
शालिनी : 10 मिनट बस
चाचाजी : ठीक है
शालिनी : मे पानी पीकर आती हूं
शालिनी पानी पीकर आती है और चाचाजी के बग़ल में लेट जाती है ,चाचाजी फिर से उसके पेट पर हाथ रख के सोते है ,तब शालिनी को अह्सास होता है कि उसके स्तन फिर से दुध से भर गए हैं, इस लिए वो चाचाजी की ओर करवट लेती है।
शालिनी : क्या आपको स्तनपान करना है ?
चाचाजी : हा ! मेरी इसके लिए कभी मना नहीं कर सकता ,मेरे हर समय तैयार रहता हूं।
शालिनी : आप बदतमीज होते जा रहे हो।
चाचाजी : वो आप जो समझे ,सायद में अब बिना किसी शर्म से कह देता हूं इस लिए।
शालिनी एक एक कर के ब्लाउज के बटन खोलती है और ब्लाउज रूपी दरवाजे खोलती है जिससे दूध से भरे कलश दर्शन होने लगते है
,चाचाजी ने अब तक ना जाने कितनी ही बार इस सुंदर सुडोल स्तनों से दुध पिया था पर हर बार पहली बार जैसा ही वो महसूस करते है ,वो गुलाबी निप्पल को अपने खुरदरे होठों से कैद कर लेते है और चूसने लगते है ,तभी शालिनी को पीठ मे खुजली होती है इस लिए वो चाचाजी को खुजा देने को कहती है ,चाचाजी स्तनपान करते हुए ही उसकी पीठ खुजाते है पर ब्लाउज बीच मे आ जाता था इस लिए सही से हो नहीं पाता।
चाचाजी : आप ब्लाउज निकाल दो ,बिच में आ रहा है।
शालिनी ब्लाउज निकाल देती है और फिर से चाचाजी खुजा ने लगते है ,शालिनी को भी राहत मिलती है ,करीब 20 मिनट बाद दोनों स्तन खाली हो जाते है।
शालिनी : अब मुझे जाने दे ,वर्ना सुबह देर होगी।
चाचाजी भी मान जाते है और शालिनी ब्लाउज पहन के जाने लगती है।
चाचाजी : कल फिर से आएगी?
शालिनी पलटकर धीरे से मुस्करा देती है और छत्त से होते हुए वापिस आती है वो देखती है बाबुजी खर्राटे लेते हुए गहरी नींद में सो रहे हैं, यह देखकर शालिनी को चाचाजी की बात सही लगती है और वो अपने ही सिर पर टपली मारती है, और कमरे में आकर सो जाती है।
सुबह को नील के रोने की आवाज से शालिनी की नींद खुलती हैं ,वो देखती है ,नील अपने पालने में रो रहा है ,घड़ी में 7 बजे थे ,तभी बाबुजी की आवाज आती है।
बाबुजी : बहु मुन्ना रो रहा है, उसे संभालो
शालिनी : जी बाबुजी !
शालिनी अपनी साड़ी सही करके तुरत नील को हाथों से उठा लेती है और उसे दुलार देती है, नील शांत नहीं हो रहा था इस लिए वो उसे कुर्सि लेकर गोदी में सुलाकर स्तनपान करवाने लगती है ,बाबुजी से निल को रोते सुनता हुआ सहन नहीं होता इस लिए वो कमरे में आने लगते हैं कि वो देखते हैं कि शालिनी उसे गोदी में लेकिन स्तनपान करवा रही थी, वो ये दृश्य देखकर दरवाजे पर ही रुक जाते है ,तभी शालिनी की नजर उसके ऊपर पड़ती है और वो पल्लू से अपने स्तन और नील के सिर को ढक लेती है।
शालिनी : कुछ काम था बाबुजी ?
बाबुजी : माफ करना बहु! मुन्ने को रोने की वजह से मुझे रहा नहीं गया और देखने चला आया।
शालिनी : भूख की वजह से रो रहा होगा ,इस लिए अब शांत हो गया है। आप तैयार हो जाए ,मे भी नील को खाना खिलाने के बाद आती हूं
बाबुजी : कोई बात नहीं ,अपना समय लो और आराम से आना ,
बाबुजी आँगन में आते है और नहाने जाते हैं, तब तक शालिनी नील को स्तनपान करवा देती है ,भूखे होने के कारण नील सारा दूध पी लेता है ,जिससे शालिनी को भी राहत रहती है,वो अपने कपड़े और तौलिया ले कर आँगन मे आती है तभी चाचाजी तौलिया लपेटे बाथरूम मे से बाहर आते है जिसे देख शालिनी नजरे झुका लेती है, चाचाजी कमरे में जाते है और शालिनी बाथरूम मे जाती है, शालिनी जब नहाकर आती है तब उसने सिर्फ घाघरा और ब्लाउज पहना था
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क्युकी बाथरूम छोटा होने के कारण साड़ी गिली हो जाती, इस लिए वो तौलिया ओढ़ के बाहर आती है तब देखती है चाचाजी भी आ चुके थे ,दोनों एक दूसरे को देख के मुस्कराते है, जैसे ही शालिनी कमरे में आती है तभी बाबुजी नील को लेकर बाहर आते है जिससे बाबुजी का हाथ शालिनी के स्तनों से टकरा जाता हैं, जिससे बाबुजी माफ़ी मांगते हुए बाहर आते है।
बाबुजी : अरे बलवंत! कभी आया?
चाचाजी : बस अभी।
बाबुजी : कल नींद तो अच्छे से आयी ना?
चाचाजी : हाँ! एकदम बढ़िया, पहले पहले परिवार की बहुत याद आयी पर फिर एक चमत्कार से अच्छे से नींद आयी
बाबुजी : क्या चमत्कार?
चाचाजी : मुझे लगा मानो मेरी पत्नी मेरे पास थी और मुझे प्यार से सुला रही हो ,फिर मुझे कभी नींद आ गई पता ही नहीं चला।
चाचाजी ये बात जरा ऊँची आवाज में बोलते हैं जिससे कमरे में शालिनी को सुनाई दे ,शालिनी ये सुनकर शर्माते हुए मुस्कराने लगती है, क्योंकि वह जानती थी चाचाजी को कैसे नींद आयी थी।
शालिनी एक ब्लाउज और घाघरा के ऊपर एक चुन्नी डाल के तैयार हो कर नास्ता बनती है
और बाद में सब काम करने लगती है, गर्मी की वजह से वो पसीना पसीना हो जाती है, नील के साथ खेलते समय कभी कभी दोनों की नजर शालिनी के पसीने से भीगे बदन पर ठहर जाती ,
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पर शालिनी फटाफट काम निपटाने में लगी थी ताकि वो घूमने जा सके।
जब सब काम पूरा कर के वो कमरे में जाति है तब जल्दबाजी में दरवाजा खुला छोड़ देती है, पहले वो हाथ मुँह धों कर तरोताजा होती है फिर एक अपनी सास के कपड़े पहनती है, जो एक गाव के पारम्परिक वस्त्रों जैसा था, वैसे तो घाघरा सही हो गया पर ब्लाउज थोड़ा तंग हो रहा था वैसे ब्लाउज पूरा बेकलैस था सिर्फ दो डोरी थी, ब्लाउज तंग होने से उसके स्तन उभर कर बाहर छलक रहे थे,
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सिर पर चुन्नी डाल के वो आईने के सामने बैठकर श्रंगार करने लगती है, पहले वो अपने बाल संवारती है, फिर कानो में झूमके पहनती है, फिर होठों पर लिपस्टिक, गले में एक चांदी का हार, हाथों में कंगन, कमर पर कमरबंद, और पैरों में पायल पहने हुए थी ,जब "छमछम" की आवाज करते हुए बाहर आती है तब बाबुजी और चाचाजी की नजर दरवाजे पर टिक जाती है, मानो दोनों किसी सुंदर परी की राह देख रहे हों, जब शालिनी कमरे से बाहर आती है तब एक बार पूरा घूम कर दिखाती है।
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शालिनी : कैसी लग रही हूँ?कुछ रह तो नहीं गया?
दोनों इस सौंदर्य में एसे खो गए कि उसने आवाज को अनदेखा कर दिया, तब शालिनी एक चुटकी बजाकर दोनों को होश में लाती है और फिर से वही सवाल पूछती है और एक बार फिर घूम कर दिखाती है,बाबुजी और चाचाजी दोनों उसे ऊपर से लेकिन नीचे तक देखते है।
बाबुजी : ये कपड़े तो...
शालिनी : हाँ! सही सोचा, ये मेरे सासु माँ के कपड़े है, मेने सोचा अभी गांव में रहना है तो फिर गांव के जैसे कपड़े पहने, मेरे पास तो थे नहीं इसलिए आलमारी में से सासु मां के कपड़े पहने,अगर आपको पसंद ना हो तो मे बदल देती हूं।
बाबुजी : नहीं नहीं ,तुम पर अच्छे लगते हैं।
चाचाजी : हाँ, सही कहा, कोई नहीं कह सकता कि तुम शहर से आयी होगी।
शालिनी : इस लिए तो आप से पूछा कि कुछ रह तो नहीं गया?
बाबुजी : एक चीज़ अधूरी है
शालिनी : क्या ?
बाबुजी : तुमने सिंदूर नहीं किया है और इस गहनों के साथ एक सिर पर लगाने का एक गहना होगा ,वो पहन लो, इससे ज्यादा खूबसूरत लगेगी।
शालिनी को बाबुजी के द्वारा की गई बात अच्छी लगती है,वो कमरे में जाति है और सिंदूर और गहना लगाकर आती हैं।
शालिनी : अब सही है?
बाबुजी : हाँ अब सब सही है
चाचाजी : रुको एक मिनट ,एक चीज़ और
शालिनी और बाबुजी दोनों सोच में पड़ जाते हैं कि अब क्या बाकी रह गया, चाचाजी आँगन में जाते हैं और एक बढ़िया सा गुलाब तोड़ के लाते है।
चाचाजी : ये लगा लो, इस से गुलाब की सुंदरता और बढ़ जाएगी।
तीनों हसने लगते हैं।
बाबुजी : अपना ख्याल रखना ,ज्यादा धूप लगे तो चेहरा और सिर सही से ढक लेना।
शालिनी : आप नहीं आ रहे हैं?
बाबुजी : नहीं में क्या करूंगा ?
बाबुजी मना कर रहे थे, दोनों के मनाने से बाबुजी मान जाते हैं, फिर तीनों चाचाजी की कार में घूमने निकल जाते हैं, बाबुजी और चाचाजी आगे बैठे थे और शालिनी पिछे बैठी थी।
धीरे धीरे रेगिस्तान शुरू होता है, शालिनी के लिए ये पहली बार अनुभव था ,रेगिस्तान के बीच मे से निकालती सड़क एक सुन्दर नजारा था ,ये सड़क सैनिकों के सुविधा के लिए बनाई गई थी ,
शालिनी : वाह क्या सुन्दर नज़ारा है, सरहद आने में कितना समय लगेगा ?
चाचाजी : अभी पौने घंटा लगेगा।
शालिनी : फिर में नील को खाना खिला देती हूं ताकि फिर वो परेसान ना हो।
शालिनी धीरे से हाथ पल्लू के नीचे ले जाकर ब्लाउज का एक भाग नीचे करती है, पर ब्लाउज तंग होने से नीचे करने में दिक्कत आ रही थी ,चाचाजी आईने में से देखते है शालिनी को दिक्कत हो रही है, तभी शालिनी का पल्लू ऊपर हो जाता है वो मुश्किल से अपना स्तन बाहर निकाल ने मे कामयाब होती है, फिर शालिनी की नजर भी आईने ने खुद को देख रहे चाचाजी से मिलती है और वो मुस्करा देते है ,कभी कभी चाचाजी देखते तब शालिनी पल्लू उठा कर स्तन दिखा देती पर फ़ट से ढक देती।
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Bro story badhiya jaa rahi hai.. please continuePart : 2
पौने घंटे बाद सरहद आ जाती है, फिर सब एक सैनिक के साथ आखिरी तक देखने जाते हैं, शालिनी पहली बार देख रही थी इस लिए उसके चेहरे पर खुशी साफ़ दिखाई दे रही थी ,फिर सब एक छोटा म्युजियम जैसा था जहां सब पुरानी जंग जो लड़ी गई थी उसके बारे में लिखा था और उस ज़माने की चीजें भी रखी थी ,थोड़ी देर बाद सब देख के तीनों बाहर आते है।
शालिनी : आज मेरे मन में देश के प्रति सम्मान और गौरव और बढ़ गया ,अच्छा हुआ आप मुझे यहां दिखाने ले आए।
बाबुजी : तुम्हें अच्छा लगा ?
शालिनी : बहुत अच्छा लगा ,एक बात अच्छी हुई कि नील ने परेसान नहीं किया और सोया रहा,किसीको भूख लगी हैं?
बाबुजी : हाँ, मुझे भी थोड़ी भूख लगी हैं।
तीनों सैनिक द्वारा संचालित होटल मे खाना खाया और चाचाजी ने अपने पहचान के एक फौजी से एक छोटी दारू की बोतल ली और थोड़ा उसके साथ नास्ता लिया ,फिर तीनों वहां से निकल जाते है, शालिनी रास्ते मे नील को बाबुजी को दे कर थोड़ी देर सो जाती है, जब महल पहुचते है,तब चाचाजी शालिनी को जगाते है,फिर तीनों महल में एक चौकीदार जो सोया था उसे जगाते है,वो चौकीदार बाबुजी और चाचाजी को पहचानता था इस लिए उसे चाबी दे देते हैं।
तीनों महल में आते है जब शालिनी अंदर से महल को देखती है तब उसकी आँखें चौक जाती है क्योंकि उसने सोचा नहीं था महल इतना आलीशान और भव्य होगा।
बीच मे दरबार लगता था वहां पहले के ज़माने की तरह एक कतार में दोनों ओर कुर्सियां लगी थी जिसपे बारीकी से डिज़ाइन बनाई गई थी और दोनों कतारों के बीच आखिर में राजा का सिंहासन था जो सोने से सजाया गया था और उसपर क़ीमती रत्न लगे थे और दीवारों पर सभी राजा के चित्र थे और उसके साथ उस राजा के बारे में भी लिखा था।
शालिनी ये सब देख के हैरान थी ये सब उसने आज तक फ़िल्मों में देखा था पर वास्तव में ये ज्यादा भव्य लगता है, फिर तीनों सीढियों से ऊपर जाते है, जहां अलग अलग कमरे थे जिसमें ज्यादातर रानियों के थे,शालिनी सब कमरे बड़े उत्साह से देखती है,सभी कमरों में जो जो रानी रही थी उसकी चित्र बनाई गए थे, और उसके आभूषण सामने शो-केस में सजाये गए थे इसमें से ज्यादातर आभूषण शालिनी ने पहली बार देखा था ,एक एक कर सब कमरों को देख शालिनी का उत्साह बढ़ता ही जाता है, शालिनी को देख के बाबुजी और चाचाजी भी खुश होते है।
Raniyo ke paintings
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बाबुजी : चलो ऊपर जाकर वहां का नजारा देखते हैं।
चाचाजी : क्या ऊपर?
चाचाजी के सवाल में डर था सायद ऊपर जो है वह दिखाना नहीं चाहते थे।
शालिनी : हाँ चलो
तीनों सीढियों से ऊपर आते हैं वही भी कमरे थे पर वहां ताले लगे थे
शालिनी : यहां तो ताले लगे हैं
चाचाजी : हाँ यहां बस सब कबाड़ जैसा सामान पड़ा है, वहां कुछ नहीं देखने जैसा, चलो ऊपर से अच्छा दृश्य दिखाई देता है।
ऊपर जाने की सीढिया थोड़ी संकरी थी एक बार में एक ही आदमी जा सकता था, तीनों सम्भाल के ऊपर आते है, चाचाजी नील को लेकर चढ़ते है, ऊपर आकर शालिनी के मुँह से "लाजवाब " निकल जाता है, चारों ओर रेगिस्तान और दूर बाबुजी का गाव दिख रहा था, शालिनी कुछ फोटो खींचती है
और सब नीचे आ जाते हैं।
शालिनी : चलो अब घर चलते हैं, 7 बज गए हैं।
चाचाजी : इतनी भी क्या जल्दी है ,अभी एक चीज़ दिखाना बाकी है।
शालिनी : क्या अभी और देखना है, तो फिर चलो।
तीनों गाव की ओर बढ़ते है फिर गाव और महल के बीच गाड़ी रोक देते है, फिर चाचाजी और बाबुजी कार से उतरकर डिक्की में से कुछ समान निकालते हैं और शालिनी नील को लेकर पिछे पीछे चलती है, थोड़ी देर चल के तीनों एक लकड़ी का मण्डप जैसा था जिस पर लकड़ी की छत्त थी, वहां आते है और तीनों बैठ जाते है।
चाचाजी : बिरजू कितने दिन हो गए यहां आए
बाबुजी : काफी समय हो गया ,पहले आते थे तब कितना सुकून मिलता था।
शालिनी : आप अक्सर यहां आते थे?
बाबुजी : हाँ, जब काम से थक कर या फिर जब भी बोर होते तब में और बलवंत यहां आते और शाम के सूरज को देखकर जाम पीते, और सारी बोरियत गायब हो जाती।
शालिनी : क्या आप दोनों ही आते यहां?
चाचाजी : हाँ,यह जगह के बारे में सिर्फ हमारी पत्नी को पता था और अब तुम्हें।
बाबुजी : यह जगह हमारे लिए बहुत खास है, इस लिए हम किसी को नहीं बताते,
शालिनी : आप ने मुझे इस लायक समझा इस लिए धन्यवाद।
चाचाजी : तुम परायी थोड़ी हो, तुम हमारी अपनी हो।
बाबुजी और चाचाजी एक एक गिलास शराब के भरते है और शालिनी सब नास्ता खोल के रखती है।
चाचाजी : क्या तुम्हें पीना है? पीना हो तो बता दो शर्माना मत अभी हम दोस्त है।
शालिनी : नहीं नहीं, मेने कभी कभार पिया है, जब कभी नीरव के साथ पार्टी में जाती, पर नील के आने के बाद हाथ भी नहीं लगाया, और अभी स्तनपान चालू है इस लिए नहीं पीना।
बाबुजी : ये सही किया तुमने,
तभी नील रोने लगता है
चाचाजी: लगता है हमें पीता देख कर मुन्ने से रहा नहीं गया इस लिए वो भी पीना चाहता है
तीनों हसने लगते है और शालिनी पीठ करके बैठना जाती है और ब्लाउज को ऊपर खींच के स्तन बाहर निकालती है और नील स्तनपान करने लगता है कभी कभी शालिनी नास्ता खाने पीछे मुड़ती तब उसका स्तन थोड़ा दिख जाता पर दोनों इस बात को नजरंदाज करते है और पीने लगते है ,जब तक नील स्तनपान कर्ता है तब तक दोनों के पीना भी हो जाता है।
चाचाजी : चलो घर चलते हैं।
शालिनी : लाए अभी में गाड़ी चलाएगी
चाचाजी : अरे नहीं, मे चला लूँगा, इतने में मेरा कुछ नहीं होगा।
शालिनी : वो बात नहीं है, काफी दिनों से मेने गाड़ी नहीं चलायी इस लिए
बाबुजी : बहु को चलाने दो
शालिनी गाड़ी चलाती है और तीनों घर पहुचते है, जब ताला खोल रहे थे तब एक गाव का आदमी है और आज होने वाले रंगारंग कार्यक्रम में आने का न्योता देता है।
चाचाजी : आज ये कार्यक्रम है याद ही नहीं रहा।
शालिनी: क्या होता है इस में?
चाचाजी : पहले के समय में जब कुछ मनोरंजन का अभाव था तब कभी कबार कोई कठपुतली का खेल गांव में होता था, पर फिर गाव वालों ने मिलकर एक एसा आयोजन किया जहां सभी गाव वाले इकठ्ठा हो और इसका हिस्सा बनकर आनंदित हो, इसमें किसी को भी जो आता हो वो प्रस्तुत करने की छुट्ट होती है।
शालिनी : मुझे देखना है ये
बाबुजी : अभी देर है, खाना खाने के बाद शुरू होगा
शालिनी थोड़ा खाना बनाती है
और तीनों खाना खा लेते हैं, फिर शालिनी थोड़ा तैयार होती है
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और कार्यक्रम में जाने को उत्साहित थी, वो नील को स्तनपान करवाकर सुला देती है,फिर तीनों गाव के बीच चौराहा था,जहां सब आयोजन था ,मुखिया होने के नाते तीनों को आगे बिठाते है, फिर कार्यक्रम शुरू होता है, जिसमें स्त्री पुरुष सब भाग लेते है।
कोई गाना गाकर दिखाता है, कोई तलवारबाजी दिखाता है, कोई आग से खेलता है, कोई भारी चीज़ उठाकर अपने बल का प्रदर्शन करते हैं, कोई नृत्य कर्ता है, सब एक एक करके अपनी कला दिखाते है, शालिनी ये सब देखकर बड़ी खुश होती है, फिर आखिर में सब स्त्री मिलकर पारंपरिक नृत्य करती है, जिसमें सरला शालिनी को हाथ पकडकर नृत्य में ले जाती है, शालिनी जल्दी से सीख लेती है और बड़े आनंद से नृत्य करती है,
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फिर शालिनी चाचाजी के पास आती है
शालिनी : क्या में एक नृत्य कर सकती हूं?
चाचाजी बाबुजी की ओर देखते हैं और बाबुजी हामी भरते हैं, फिर शालिनी एक नृत्य पर ज़बर्दस्त नृत्य करती है
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उस गाने में एक गाव का लड़का वो नृत्य जानता था इस लिए वो भी साथ में नृत्य कर्ता है,
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जिससे शालिनी को कोई तकलीफ नहीं थीं , जब नृत्य पूरा हुआ तब सब तालियों से शालिनी का सन्मान करते है,शालिनी भी सबका हाथ जोड़कर अभिवादन करती है, और उस लड़के से हाथ मिलती है,फिर सब अपने अपने घर चले जाते है।
बाबुजी : आज तो बहुत थक गया हूं, मे बस सोना चाहता हूं।
शालिनी पानी देती है, फिर तुरत एक गद्दा खटिया पर डाल देती है और एक चादर और तकिया रख देती है, चाचाजी भी पानी पीकर अपने घर जाते हैं, शालिनी कमरे में आती है नील को सोता देख खुश होती है
शालिनी : आज मे भी थक गई हूं मुझे लगता है चाचाजी भी थक गए होगे, अगर वो सो जाएंगे तो मुझे देर लगेगी ,इस लिए बाबुजी के सोते ही चली जाऊँगी, और में सो गई तो ना जाने कब नींद खुले।
शालिनी बाबुजी के सोने का इंतजार करती हैं, जैसे ही वो सो जाते है शालिनी तुरत ही दबे पाव चाचाजी के घर आती हैं, एक बात अच्छी थी कि चाचाजी ने दरवाजा खुला रखा था ,शालिनी कमरे में आती है और दरवाजा बंध करके अपना पल्लू गिरा देती है
और चाचाजी के पास आकर खड़ी हो जाती है, पर चाचाजी नींद में थे इस लिए उसे नहीं पता था कि शालिनी आ गई है।
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शालिनी उसके चेहरे पर हाथ फिराती है तब चाचाजी नींद में गाल पर आए हाथ को पकड़ लेते हैं
चाचाजी : (नींद में..)तुम कहा चली गई हो?
इस प्यार के लिए कितने दिनों से तरस रहा हूं, आज तुम्हें नहीं जाने दूंगा और ढेर सारा प्यार करूंगा
एसे कहते हुए चाचाजी हाथ खींच देते है, जिससे शालिनी बेड पर बैठ जाती है,शालिनी को समझ आ जाता है कि चाचाजी नींद में चाची के सपने देख रहे हैं, इस लिए वो भी चाचाजी को जगाकर उसके हसीन सपने को नहीं तोड़ना चाहती थी, इस लिए वो उसे सहलाती रहती है,
चाचाजी : (नींद में..)पता है जब तुम चली गई तब बिरजू की बहु ने मेरा ख्याल रखा ,वो भी तुम्हारी तरह मेरा सारा ध्यान रखती है, वो आने वाली होगी तब तक तुम मेरे साथ लेट जाओ
एसा बोलकर चाचाजी शालिनी को सुला देते है और उसके गाल को चूम लेते है,फिर वो शालिनी को अपनी ओर खींचते है और गले को चूम लेते हैं ,जिससे शालिनी के रोंगटे खड़े हो जाते हैं और उसकी आँखें बंध हो जाती है,
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आज कितने दिनों बाद किसी मर्द ने उसकी गर्दन को चूमा ,शालिनी को अच्छा महसूस हुआ तभी चाचाजी अपना हाथ उसके चेहरे से सरकते हुए स्तनों से होते हुए कमर पर जाता है और कमर पर एक चिकोटी काट लेते है,जिससे शालिनी की चीख निकल जाती है और उस वजह से चाचाजी की नींद भी खुल जाती है, और वो शालिनी को अपने पास लेटे हुए देख के चौंक जाते है और बैठ जाते है।
चाचाजी : आप कभी आए ?
शालिनी : (मुस्कराते हुए..)जब आप अपना हसीन सपना देख रहे थे।
चाचाजी : माफ करना अगर मेने नींद में कुछ गलत किया हो तो
शालिनी : नहीं आपने कुछ गलत नहीं किया, मुझे अच्छा लगा आप अभी भी चाची को इतना प्यार और याद करते है।
चाचाजी : पता नहीं आज कैसे याद आ गयी, एसा लगा मानो वो मेरे साथ थी
शालिनी : होता है जब आप दिल से किसी को चाहो
चाचाजी: हो सकता है सायद, मे एक बार फिर माफी मांगता हूं
शालिनी: अब बस बहुत हुआ माफ़ी माफी, अभी जो करने आयी हूं वो कर लूं ,मुझे भी सोने जाना है और सपने में नीरव से मिलना है।
चाचाजी: आज थकान कि वजह से नींद आ गई
शालिनी भी बैड पर बैठ जाती है और अपने ब्लाउज की डोरी खोलने लगती है तभी चाचाजी उसे रोकते हैं।
शालिनी: क्या हुआ?
चाचाजी : मेरी एक ईच्छा है
शालिनी : क्या?
चाचाजी : वो आज मुझे चाची की बहुत याद आ रही है,इस लिए दिन में जैसे तुमने तुम्हारी सास के कपड़े पहने थे वैसे तुम अभी मेरी पत्नी के कपड़े पहनो, ताकि वो कपड़ों के रूप मे मेरे पास रहें और उसकी याद ना सताये।
शालिनी भी चाचाजी के भावना को समझते हुए मान जाती है, उसे पता था इससे देर होगी पर आज थकान से बाबुजी को सोते देखा था इस लिए ज्यादा परेसान नहीं होती, शालिनी बेड से उतरकर कपड़े के बारे मे पूछती है, तब चाचाजी अलमारी की ओर इशारा करते है, शालिनी अलमारी में से एक सुन्दर लहंगा चोली जैसा निकालती है।
शालिनी : आप आंखे बंध कर ले और में बत्ती बंध कर देती हूं
शालिनी बत्ती बंध कर चांद की हल्की सी रोशनी मे अपने कपड़े बदल लेती है, पहले वो घाघरा निकलकर फटाफट से लहंगा पहन लेती है, फिर वो अपना ब्लाउज निकाल कर चाची की चोली ढूंढ रही थी पर मिल नहीं रही थी इस लिए वो बत्ती चालू करती है, और चोली ढूंढ कर पहनने लगती है, जब बत्ती चालू हुई तब चाचाजी को लगा शालिनी ने कपड़े बदल लिए इस लिए वो आंखे खोल देते है, शालिनी ने जब पूछे मूड कर देखा तो चाचाजी देख रहे थे।
शालिनी : अपनी आंखें बंध करो में जब कहूँ तब खोलना
चाचाजी आंखे बंध कर लेते है पर उसके बंध आँखों में भी वो अभी उसने जो देखा उसे फिर से देख रहे थे, वो चोली में हाथ डाले हुए शालिनी खडी है, जो मूड कर देख रही हैं उसके स्तनों के गोलाई का हिस्सा दिख रहा है ,
चाचाजी से रहा नहीं जाता इस लिए वो आंखे खोल के देखते हैं तभी शालिनी ब्लाउज पहन कर मुड़ती है, जिससे चाचाजी को चोली में कैद और आपस में चिपके हुए स्तन और बीच की दरार दिखती है ,
जो शालिनी की सुंदरता में और इजाफा करती है, आखिर में शालिनी चुन्नी को अपने सिर पर डालती हैं।
शालिनी : आप से इतना भी इंतजार नहीं होता, 2 मिनट आंखे बंध कर लेते।
चाचाजी : मुझसे सब्र नहीं हुआ, तुम्हें देखकर कोन भला धीरज रख सकता है।
शालिनी : अच्छा जी! एसा है क्या ?
चाचाजी : हाँ! तुम्हें पता नहीं इस समय का मे पूरा दिन इंतजार करता हूं।
शालिनी: बस बहुत हुई तारीफ अब बताओ मुझे क्या करना है, फिर मुझे जाना है।
चाचाजी: अभी आयी हो और जाने की बात करती हो,
शालिनी: ठीक है जल्दी से बताए क्या करना है?
चाचाजी : पहले यहां आओ, और बैठो,
शालिनी बेड पर आके बैठ जाती है।
चाचाजी : में तुम मे सविता को देखना चाहता हूं ,जो रोज रात मुझसे प्यार भरी बात करती ,और बच्चे छोटे थे तब अपना बचा हुआ दूध पिलाती और मुझे सुला देती,आज तुम्हारे में सविता की भावना करके स्तन से दूध पीना चाहता हूं, और फिर तुम्हें मुझे वैसे ही सुला दो।
शालिनी : समझ गई, आज आप एक माँ के नहीं ब्लकि पत्नी के रूप में दुध पीना चाहते हो।
चाचाजी : हाँ! सही कहा, अगर तुम्हें एतराज हो तो रहने दे,
शालिनी : नहीं मुझे कोई एतराज नहीं, बल्कि अच्छा है हमारे रिश्ते में नयापन आएगा, मुझे तो आपको स्तनपान करवाना है, वो जैसे भी हो,पर मे चाची की तरह कर पाऊँगी या नहीं ये नहीं मालूम, इससे चाचीजी की आत्मा को दुख नहीं होगा ना?
चाचाजी : नहीं एसा मत सोचो ,तुम मेरा ख्याल रखा रही हो इसमें वो खुश होगी, और मे तुमसे कहता हूं वैसे करो
शालिनी : ठीक है।
चाचाजी शालिनी के कंधे पर हाथ रखते हैं, फिर धीरे से अपने हाथ को नीचे सरका कर स्तनों की गोलाई पर घुमाते है, जिससे शालिनी के दिल की धड़कन बढ़ जाती है, जिससे उसके स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे, चाचाजी चोली के बाहर जो स्तनों का उभार था वहां हाथ घुमाते है, फिर एक उंगली स्तनों के बीच फंसा देते है,कुछ ही देर उंगली पसीने से भीग जाती है तब चाचाजी उसे निकाल लेते हैं, शालिनी को ये नया अनुभव एक रोमांच दे रहा था उसकी आँखें बंध हो गई थी, चाचाजी अपनी उंगली को स्तन से निकलकर गर्दन पर फेरते है, फिर वो शालिनी के स्तनों पर सिर रख के लिपट जाते है,
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शालिनी उसके सिर पर हाथ घूमती है तब चाचाजी पीछे से चोली की डोरी खोल देते है जिससे शालिनी को तंग चोली से राहत मिलती है और उसके मुँह से " आह " निकल जाती है।
चाचाजी उसके चोली को कंधे से सरकते हुए शालिनी को चोली से आजाद करते है, शालिनी अब सिर्फ लहंगा और गहने पहने हुई बैठी थी, चाचाजी उसे कंधे से पकड़कर लेटा देते है ,शालिनी की आंखे बंध थी पर उसके स्तन किसी धमनी के जैसे ऊपर नीचे हो रहे थे
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,फिर चाचाजी उसके ऊपर आते हैं और एक गुलाबी निप्पल को अपने मुँह में ले लेते हैं और जैसे ही चूसने लगे, शालिनी के शरीर में करंट दौड़ गया ,उसके शरीर में हल्का सा कंपन होता है और सारे रोम रोम खड़े हो जाते हैं।
चाचाजी बारी बारी से दोनों स्तनों को चूसने लगे ,शालिनी को एक आनंद की अनुभूति होती है, ये एक नया अनुभव था ,वो चाचाजी के सिर को स्तनों पर दबाते, आधे स्तन खाली करने के बाद चाचाजी बगल में लेट जाते हैं जिस से शालिनी करवट ले लेती है,चाचाजी फिर एक स्तन से दूध पीना चालू कर देते है, दूसरा हाथ शालिनी के कमर पर रख देते है, थोड़ी देर बाद दोनों स्तनों को खाली करने के बाद चाचाजी शालिनी के दोनों स्तनों के बीच सिर रख के सो जाते है, शालिनी उसके बालों में हाथ घुमा रही थी, और कुछ ही देर में चाचाजी सो गए।
थकान की वजह से शालिनी को भी नींद आती है, वो कब सो गई उसे भी पता नहीं रहा ,करीब तीन बजे जब स्तनों में फिरसे दर्द हुआ तब उसकी निंद खुलती है, फिर वो चाचाजी को स्तनपान करवाती है, अब उसे लगता है कि उसे जाना होगा।
शालिनी: चलो अब मे जाती हूँ वर्ना पता नहीं कब नींद खुले।
चाचाजी : ठीक है पर कल फिर आना,और एक बात कहनी थी।
शालिनी : हाँ कहिये।
चाचाजी : अब से तुम बाहर नृत्य नहीं करोगी, कोई तुम्हारे साथ नृत्य करे ये मुझसे नहीं देखा जाता
शालिनी : ओह हो! जलन हो रही हैं।
चाचाजी : वो तुम जो समझो, और एक विनती थी।
शालिनी : कहिये
चाचाजी : थोड़े दिन मुझे सविता के जैसे स्तनपान करवाना होगा।
शालिनी : ठीक है, मंजूर! और कुछ?
चाचाजी : एक ईच्छा है पर तुम्हें ठीक लगे तो करना।
शालिनी : बताए ,अगर हो सकेगा तो मे करूंगी
चाचाजी : क्या तुम बिना ब्लाउज के सिर्फ साड़ी पहनकर आ सकती हो?जिससे थोड़ा समय भी बचेगा
शालिनी : ये मुश्किल है, बाबुजी बाहर ही सोते हैं, थोड़ा खतरा है।
चाचाजी : फिर एक काम करना इस घर की सीढिया उतरने के बाद निकाल देना।
शालिनी : इससे क्या फर्क़ पड़ेगा?वहां उतारू या यहां
चाचाजी : वो बात एसी है, मेने सविता के लिए इस कमरे में ब्लाउज या चोली पहनने को मना किया था, और में चाहता हूं तुम भी वैसा करो।
शालिनी : अच्छा जी! कहीं पत्नी जैसा करवाते करवाते सच मे पत्नी बनाने का इरादा नहीं है ना? (हसने लगती हैं..)
चाचाजी : नहीं, मेरा एसा मतलब नहीं है, तुम्हें ठीक लगे तो ही करना।
शालिनी : ठीक है, देखते हैं, पर पक्का नहीं कह सकती, मुझे समय चाहिए सोचने के लिए।
चाचाजी : ठीक है
शालिनी : चलो अब चलती हूं ,और हा कल मार्केट लगेगी तो उधर जाना हैं तो जल्दी उठ जाना।
शालिनी अपने कपड़े पहनकर अपने घर आती है और सो जाती हैं।
अगली सुबह शालिनी के जीवन मे और भी रोमांच लेकर आने वाली है
जारी है....