Super duper hot update diya hai dono dost aise Nazare dekh kar hi pareshan honge
Update 18 :-
Part : 1
आधी रात हो चुकी थी ,ठंडी हवा चल रही थी ,कहीं से कीड़ों की आगाज आती रहती थी ,पूरा गाव नींद की चादर ओढ़े सो रहा था तभी कमरे मे सो रही शालिनी की एक मेसेज की टोन से नींद खुल जाती है ,उसकी नींद अभी कच्ची थी क्युकी नील को स्तनपान करवाकर उसे सुलाकर वो सोयी थी नील को स्तनपान करवाने के समय ही उसकी आंख लग गई थी इस लिए उसके ब्लाउज के हूक खुले हुए थे ,जब शालिनी सो रही थी तब बाबुजी एक बार देखने आये थे कि मुन्ना सो गया जब वो देखने आये तब दरवाजा हवा से थोड़ा खुला था जिससे वो भीतर देखते है तो शालिनी के ब्लाउज के हूक खुले हुए है और बग़ल मे मुन्ना सो रहा है ,ये पहली बार था जब बाबुजी ने शालिनी के स्तनों को देखा ,चांद की हल्की रोशनी मे जितना भी दिख रहा था उसमे शालिनी के स्तनों का सौंदर्य दिख रहा था
गोल मटोल, गुलाबी निप्पल, और साँस लेने से ऊपर नीचे हो रहे थे ,ये नजारा देख के बाबुजी की आंखे खुली की खुली रह गई थी ,वो खड़े खड़े इस सौंदर्य का रसपान कर रहे थे और उसी नजारे मे खो गए ,थोड़े समय बाद उसे होश आता है ,उसे ख्याल आता है कि वो कहा खड़े है और क्या देख रहे है क्युकी कब उसने पूरा दरवाजा खोल दिया था और कब वो दरवाजे के बीचोबीच खड़े रहकर खुल्लमखुल्ला अपनी बहु के स्तनों को देख रहे है ,
बाबुजी तुरत ही दरवाजा धीरे से बंध कर के वापिस अपनी खटिया पर आके लेट जाते है।
बाबुजी : (मन मे ...)अच्छा हुआ बहु की नींद नहीं खुली वर्ना मेरी क्या इज़्ज़त रह जाती ,और मेरे बारे मे क्या क्या सोचती ?
पर मे तो सिर्फ मुन्ने को देखने गया था ,मुझे क्या पता था कि बहु स्तनपान करवाते हुए ही सो गयी होगी, वैसे बहु के स्तन है सुंदर!
अरे...बिरजू क्या दिमाग खराब हो गया है तुम्हारा?वो तुम्हारी बहु है ,इस घर की इज़्ज़त, और उसकी के बारे मे एसे सोच रहा है।
बाबुजी आंखे बंध कर के अपने इसी विचारो मे खो गए थे,उसके अंदर के बाबुजी और एक पुरुष के बीच विचारो का घमासान चल रहा था ,पर ठंडी हवा के झोंकों ने कब उसे सुला दिया उसे मालूम नहीं रहा और गहरी नींद ने उसे जकड़ लिया ,और इधर शालिनी की नींद मेसेज की नोटिफिकेशन से उसकी नींद खुल जाती है वो देखती है चाचाजी का मेसेज था
चाचाजी : (मेसेज मे ) कब आ रही हो और आने वाली हो कि नहीं, अगर 15 मिनट मे रिप्लाई नहीं आया तो मे सो जाऊँगा।
शालिनी : (मुस्कराते हुए ..)लगता है आज इनको नींद नहीं आने वालीं लाओ पहले मेसेज कर देती हू, वर्ना नाराज हो जाएंगे ,आज दोपहर को कैसे बावरा हो गए थे ,
शालिनी : (मेसेज मे ) बाबुजी सो गए होंगे तो अभी आ रही हू,2 मिनट मे मेसेज करती हूं
चाचाजी : (मेसेज मे )ठीक है।
शालिनी ब्लाउज के हूक को सही करके अपने बाल को ठीक से बांध के धीमे से दबे पाव बाहर आके देखती है बाबुजी गहरी नींद मे सो रहे है ,
वो खुश होती है,नील को भी स्तनपान करवा दिया है इस लिए वो सुबह ही जागेगा, वो सीढियों से धीरे धीरे ऊपर छत्त पर जाति है और मेसेज करती है " मे आ रही हूँ " ये मेसेज पढ़ के चाचाजी खुश होते है और बेसब्री से शालिनी का इंतजार कर रहे थे।
जैसे ही शालिनी चाचाजी के घर की सीढिया उतरती है ,उसकी धड़कन तेज होने लगती है ,और जब वो चाचाजी के कमरे की ओर बढ़ती है उसके पैरों की रफ्तार बढ़ती जाती है जिससे उसके पायल की आवाज सुनाई देती है ,जिससे चाचाजी को मालूम हो जाता है कि शालिनी आ रही है ,इस लिए वो दरवाजे की ओर पीठ करके नाराज होके सोने का नाटक करते है ,जैसे ही शालिनी चाचाजी के कमरे के पास पहुची की उसके पैर वहीं थम गए ,उसकी धड़कन उत्सुकता और रोमांच से तेज हो गई थी जिससे उसके स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे।
शालिनी की हालत इस समय उस प्रेमिका जैसी थी जो चोरी छुपे अपने प्रेमी को मिलने जाँ रही हो और उसे पकड़े जाने का डर और अकेले मे मिलने की चाहत दोनों एकसाथ महसूस हो रही हो।
शालिनी जैसे ही धीरे से दरवाजा खोलती है वो देखती है चाचाजी बेड पर पीठ करके लेटे है ,वो धीरे से अंदर आती है
जिससे उसके पायल की " छन छन " होती है जिसे सुन के चाचाजी खुश होते है पर वो आंखे बंध कर सोने का नाटक करते है।
शालिनी : चाचाजी ...चाचाजी ...
चाचाजी कोई प्रतिक्रिया नहीं देते बस लेटे रहते है ,जब शालिनी घूमकर उसके सामने आके उसको पुकारती है तब चाचाजी दूसरी ओर पीठ कर के सो जाते है ,तब शालिनी समझ जाती है कि चाचाजी नाटक कर रहे है।
शालिनी : (मज़ाक मे ...)लगता है आप सो गए है तो मे चली जाती हूँ ,लगता है मेरे भाग्य मे इस दर्द को सहना लिखा है।
शालिनी धीरे धीरे दरवाजे के और बढ़ती है ,चाचाजी हल्की सी आंखे खोल देखते हैं कि शालिनी सच मे जाँ रही है तो वो तुरत खड़े होते हैं और शालिनी को पीछे से पकड लेते है।
चाचाजी : मत जाओ। मे हूं ना आपकी मदद के लिए
शालिनी : आप तो सो गए थे ,तो मेने सोचा मे वापिस चली जाती हूँ
चाचाजी : मे सोया ही नहीं हूं ,आप आने वाली हो तो नींद कैसे आ सकती है ,वो तो आपके साथ थोड़ा मज़ाक कर रहा था।
शालिनी : गाल सहलाते हुए ...) मे भी मज़ाक कर रही थी ,मे भी नाटक कर रही थी ,आप सो गए होते फिर भी आपको जगा देती।
चाचाजी : इतना दर्द होता है ?मुझे अच्छा लगता है कि मे इस दर्द मे आपकी मदद कर सकता हूं ,और सच कहूँ तो अब मुझे इससे सुकून मिलता है और मन मे एक तरह का आनंद मिलता है
शालिनी : सच कहूँ तो मुझे भी आनंद आता है जब आप स्तनपान करते है ,अब मुझे फिक्र नहीं रहती की स्तन मे दुध उतर आएगा तो? मुझे भी अच्छा लगता है आपको स्तनपान करवाना
चाचाजी : क्या ? सच मे ?
शालिनी : हा ,अब आपसे क्या छुपाना, वो एक डायलॉग है ना " शुरू मजबूरी मे किया था पर अब मज़ा आ रहा है "
चाचाजी : ठीक है फिर चलिए।
शालिनी : आप छोड़ेंगे तो चलूँगी ना
चाचाजी शालिनी के पेट पर से अपने हाथ खोल देते है ,शालिनी चाचाजी को बेड पर लेटने के कहती है और धीरे धीरे अपने ब्लाउज को अपने कंधों से सरका के अपने से अलग करती है और फिर पल्लू को ओढ़ लेती है जिसे पारदर्शी पल्लू से उसके स्तन दिख रहे थे और निप्पल का उभार भी दिख रहा था जो दर्शाता था कि शालिनी स्तन से दुध पिलाने को उत्सुक है।
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चाचाजी बेड पर लेटे लेटे ये सब देख रहे थे ,शालिनी की नंगी गोरी पीठ को देख के चाचाजी अचंभित रह जाते है
,और साथ ही शालिनी के स्तन के साइड वाला हिस्सा दिख रहा था
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चाचाजी का सब्र अब जवाब देने लगा था ,उससे अब इंतजार नहीं हो रहा था ,वो जल्दी से शालिनी के स्तनों से दूध पीना चाहते थे।
चाचाजी : जल्दी करो ना!
शालिनी : थोड़ा सब्र करो ,सब्र का फल मीठा होता है
चाचाजी : जैसा भी हो मुझे तो बस ये दो फलों का रस पीना है ,
शालिनी : (शर्मा कर ..)आप भी ना ! बाते बनाना कोई आपसे सीखे ,शर्म नहीं आती
चाचाजी : शर्म कैसी? अब तो कुछ नई बात नहीं है ,मुझसे अब दूध पीए बिना रहा नहीं जाता, दिन भी नहीं कटता और रात को नींद नहीं आती
शालिनी : बस बस! बहुत बातें हो गई अब जल्दी से दूध पी लीजिए ताकि मुझे दर्द से राहत मिले ,मुझे भी आप जैसा ही महसूस होता है।
शालिनी चाचाजी के पास आके लेट जाती है और पल्लू हटा कर एक स्तन बाहर निकालती है और चाचाजी के मुँह के सामने रख देती है।
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चाचाजी : मे किसी भी तरह की जल्दी नहीं करूंगा ,मे आराम से पाउंगा ,आराम से पीने मे एक सुकून और एक आनंद है
शालिनी : पर मुझे सोना भी है बाद मे ,
चाचाजी : वो बात सही है ,पर आप के साथ ज्यादा समय बिताना अच्छा लगता है।
शालिनी : कल हम साथ ही रहेंगे ना ,इस लिए आज जल्दी से पी लीजिए
चाचाजी धीरे से अपने होठों को शालिनी के गुलाबी निप्पल की ओर बढ़ाते है और होठों को खोल के निप्पल को मुहँ मे भर लेते है और चूसने लगते है ,
जिससे दूध की धार शालिनी के दर्द को साथ मे लेकर बहने लगता है जिससे शालिनी की आंखे बंध हो जाती है और हाथ चाचाजी के बालो मे घूमने लगता है ,आज शालिनी के लिए एक नया अनुभव था ,क्युकी आज वो पहली बार चोरी छुपे आकर स्तनपान करवा रही थी ,मानो कोई प्रेमिका अपने प्रेमी से पहली बार मिलने आयी हो एसा महसूस हो रहा था ,एक तरफ प्रेमी से मिलने की ईच्छा और एक तरफ कोई देख ले उससे पहले घर पहुचने का डर।
चाचाजी अपनी ही धुन मे मस्त आराम से चूस रहे थे पर शालिनी अपने स्तनों को हल्के हल्के दबा रही थी ताकि ज्यादा से ज्यादा दूध बाहर आए और उसे स्तन खाली हो जाए ,चाचाजी भी ये चीज़ देखते है ,पर वो स्तनपान मे ध्यान देते है करीब 20 मिनट बाद स्तनों मे से दुध खत्म हो जाता है।
चाचाजी : ये क्या बात हुई ?इतनी भी क्या जल्दी है ?
शालिनी : आप बात समझो, अगर बाबुजी जग गए और मुझे कमरे मे नही देखा तो गडबड हो जाएगी
चाचाजी : एसा कुछ नहीं होगा ,इतना नकारात्मक मत सोचो ,मे बिरजू को जानता हूँ वो जब सोता है तब घोड़े बेच के सोता है।मेने कभी कबार ही उसे बीच नींद मे जगा हुआ देखा हो ,वो मेहनत ही इतनी करते है कि नींद आ ही जाए ,
शालिनी : आपकी बात सही है पर ...
चाचाजी : पर वर कुछ नहीं ,वो नहीं जागेगा ,अगर तुम जाओ और जगा हुआ दिखे तो बता देना गर्मी की वज़ह से छत्त पर टहलने गई थी।
शालिनी : आप भी बहुत शैतान हो गए हों ,अपने ही दोस्त से झूठ बोलने को कह रहे हो।
चाचाजी : ये झूठ उसके और हमारे भलाई के लिए है ,और तुम मत भूलो अब तुम्हें अधिकार है मुझे स्तनपान करवाने का।
शालिनी : वो बात सही है ,पर अभी मुझे जाना है।
शालिनी ब्लाउज पहन लेती है और चाचाजी बेड पर लेटे थे ,वो शालिनी को हाथो से इशारा कर के पास बुलाते है ,शालिनी बेड पर बैठ जाती है
,चाचाजी उसे थोड़ी देर अपने पास लेटने को कहते है ,शालिनी मान जाति है और चाचाजी के बग़ल मे घाघरा और ब्लाउज पहने हुए लेट जाती है
,चाचाजी उसके पेट पर हाथ रख के सो जाते है ,शालिनी को भी नींद आ रही थी इसलिए वो भी कब सो गई उसे पता नहीं चला।
रात के करीब 3 बजे शालिनी की नींद प्यास की वज़ह से खुल जाती है ,वो देखती है कि चाचाजी का एक हाथ उसके पेट पर और एक पैर उसके पैर पर था ,वो हल्के से चाचाजी का हाथ हटाती है और जैसे पैर हटाने जाती है चाचाजी की नींद खुल जाती है वो देखते है शालिनी जाँ रही है,इस लिए चाचाजी अपने हाथ को शालिनी के पेट पर ले जाते है और उसे फिर से खींच के सुलाने का प्रयास करते है।
शालिनी : क्या हुआ ? देखो 3 बजे है ,अब मुझे जाना चाहिए ,तीन घंटे से इधर हूं
चाचाजी : थोड़ी देर और सो जाओ ना, आप चली जाओगे तो मुझे नहीं अच्छा लगेगा।
शालिनी : 10 मिनट बस
चाचाजी : ठीक है
शालिनी : मे पानी पीकर आती हूं
शालिनी पानी पीकर आती है और चाचाजी के बग़ल में लेट जाती है ,चाचाजी फिर से उसके पेट पर हाथ रख के सोते है ,तब शालिनी को अह्सास होता है कि उसके स्तन फिर से दुध से भर गए हैं, इस लिए वो चाचाजी की ओर करवट लेती है।
शालिनी : क्या आपको स्तनपान करना है ?
चाचाजी : हा ! मेरी इसके लिए कभी मना नहीं कर सकता ,मेरे हर समय तैयार रहता हूं।
शालिनी : आप बदतमीज होते जा रहे हो।
चाचाजी : वो आप जो समझे ,सायद में अब बिना किसी शर्म से कह देता हूं इस लिए।
शालिनी एक एक कर के ब्लाउज के बटन खोलती है और ब्लाउज रूपी दरवाजे खोलती है जिससे दूध से भरे कलश दर्शन होने लगते है
,चाचाजी ने अब तक ना जाने कितनी ही बार इस सुंदर सुडोल स्तनों से दुध पिया था पर हर बार पहली बार जैसा ही वो महसूस करते है ,वो गुलाबी निप्पल को अपने खुरदरे होठों से कैद कर लेते है और चूसने लगते है ,तभी शालिनी को पीठ मे खुजली होती है इस लिए वो चाचाजी को खुजा देने को कहती है ,चाचाजी स्तनपान करते हुए ही उसकी पीठ खुजाते है पर ब्लाउज बीच मे आ जाता था इस लिए सही से हो नहीं पाता।
चाचाजी : आप ब्लाउज निकाल दो ,बिच में आ रहा है।
शालिनी ब्लाउज निकाल देती है और फिर से चाचाजी खुजा ने लगते है ,शालिनी को भी राहत मिलती है ,करीब 20 मिनट बाद दोनों स्तन खाली हो जाते है।
शालिनी : अब मुझे जाने दे ,वर्ना सुबह देर होगी।
चाचाजी भी मान जाते है और शालिनी ब्लाउज पहन के जाने लगती है।
चाचाजी : कल फिर से आएगी?
शालिनी पलटकर धीरे से मुस्करा देती है और छत्त से होते हुए वापिस आती है वो देखती है बाबुजी खर्राटे लेते हुए गहरी नींद में सो रहे हैं, यह देखकर शालिनी को चाचाजी की बात सही लगती है और वो अपने ही सिर पर टपली मारती है, और कमरे में आकर सो जाती है।
सुबह को नील के रोने की आवाज से शालिनी की नींद खुलती हैं ,वो देखती है ,नील अपने पालने में रो रहा है ,घड़ी में 7 बजे थे ,तभी बाबुजी की आवाज आती है।
बाबुजी : बहु मुन्ना रो रहा है, उसे संभालो
शालिनी : जी बाबुजी !
शालिनी अपनी साड़ी सही करके तुरत नील को हाथों से उठा लेती है और उसे दुलार देती है, नील शांत नहीं हो रहा था इस लिए वो उसे कुर्सि लेकर गोदी में सुलाकर स्तनपान करवाने लगती है ,बाबुजी से निल को रोते सुनता हुआ सहन नहीं होता इस लिए वो कमरे में आने लगते हैं कि वो देखते हैं कि शालिनी उसे गोदी में लेकिन स्तनपान करवा रही थी, वो ये दृश्य देखकर दरवाजे पर ही रुक जाते है ,तभी शालिनी की नजर उसके ऊपर पड़ती है और वो पल्लू से अपने स्तन और नील के सिर को ढक लेती है।
शालिनी : कुछ काम था बाबुजी ?
बाबुजी : माफ करना बहु! मुन्ने को रोने की वजह से मुझे रहा नहीं गया और देखने चला आया।
शालिनी : भूख की वजह से रो रहा होगा ,इस लिए अब शांत हो गया है। आप तैयार हो जाए ,मे भी नील को खाना खिलाने के बाद आती हूं
बाबुजी : कोई बात नहीं ,अपना समय लो और आराम से आना ,
बाबुजी आँगन में आते है और नहाने जाते हैं, तब तक शालिनी नील को स्तनपान करवा देती है ,भूखे होने के कारण नील सारा दूध पी लेता है ,जिससे शालिनी को भी राहत रहती है,वो अपने कपड़े और तौलिया ले कर आँगन मे आती है तभी चाचाजी तौलिया लपेटे बाथरूम मे से बाहर आते है जिसे देख शालिनी नजरे झुका लेती है, चाचाजी कमरे में जाते है और शालिनी बाथरूम मे जाती है, शालिनी जब नहाकर आती है तब उसने सिर्फ घाघरा और ब्लाउज पहना था
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क्युकी बाथरूम छोटा होने के कारण साड़ी गिली हो जाती, इस लिए वो तौलिया ओढ़ के बाहर आती है तब देखती है चाचाजी भी आ चुके थे ,दोनों एक दूसरे को देख के मुस्कराते है, जैसे ही शालिनी कमरे में आती है तभी बाबुजी नील को लेकर बाहर आते है जिससे बाबुजी का हाथ शालिनी के स्तनों से टकरा जाता हैं, जिससे बाबुजी माफ़ी मांगते हुए बाहर आते है।
बाबुजी : अरे बलवंत! कभी आया?
चाचाजी : बस अभी।
बाबुजी : कल नींद तो अच्छे से आयी ना?
चाचाजी : हाँ! एकदम बढ़िया, पहले पहले परिवार की बहुत याद आयी पर फिर एक चमत्कार से अच्छे से नींद आयी
बाबुजी : क्या चमत्कार?
चाचाजी : मुझे लगा मानो मेरी पत्नी मेरे पास थी और मुझे प्यार से सुला रही हो ,फिर मुझे कभी नींद आ गई पता ही नहीं चला।
चाचाजी ये बात जरा ऊँची आवाज में बोलते हैं जिससे कमरे में शालिनी को सुनाई दे ,शालिनी ये सुनकर शर्माते हुए मुस्कराने लगती है, क्योंकि वह जानती थी चाचाजी को कैसे नींद आयी थी।
शालिनी एक ब्लाउज और घाघरा के ऊपर एक चुन्नी डाल के तैयार हो कर नास्ता बनती है
और बाद में सब काम करने लगती है, गर्मी की वजह से वो पसीना पसीना हो जाती है, नील के साथ खेलते समय कभी कभी दोनों की नजर शालिनी के पसीने से भीगे बदन पर ठहर जाती ,
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पर शालिनी फटाफट काम निपटाने में लगी थी ताकि वो घूमने जा सके।
जब सब काम पूरा कर के वो कमरे में जाति है तब जल्दबाजी में दरवाजा खुला छोड़ देती है, पहले वो हाथ मुँह धों कर तरोताजा होती है फिर एक अपनी सास के कपड़े पहनती है, जो एक गाव के पारम्परिक वस्त्रों जैसा था, वैसे तो घाघरा सही हो गया पर ब्लाउज थोड़ा तंग हो रहा था वैसे ब्लाउज पूरा बेकलैस था सिर्फ दो डोरी थी, ब्लाउज तंग होने से उसके स्तन उभर कर बाहर छलक रहे थे,
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सिर पर चुन्नी डाल के वो आईने के सामने बैठकर श्रंगार करने लगती है, पहले वो अपने बाल संवारती है, फिर कानो में झूमके पहनती है, फिर होठों पर लिपस्टिक, गले में एक चांदी का हार, हाथों में कंगन, कमर पर कमरबंद, और पैरों में पायल पहने हुए थी ,जब "छमछम" की आवाज करते हुए बाहर आती है तब बाबुजी और चाचाजी की नजर दरवाजे पर टिक जाती है, मानो दोनों किसी सुंदर परी की राह देख रहे हों, जब शालिनी कमरे से बाहर आती है तब एक बार पूरा घूम कर दिखाती है।
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शालिनी : कैसी लग रही हूँ?कुछ रह तो नहीं गया?
दोनों इस सौंदर्य में एसे खो गए कि उसने आवाज को अनदेखा कर दिया, तब शालिनी एक चुटकी बजाकर दोनों को होश में लाती है और फिर से वही सवाल पूछती है और एक बार फिर घूम कर दिखाती है,बाबुजी और चाचाजी दोनों उसे ऊपर से लेकिन नीचे तक देखते है।
बाबुजी : ये कपड़े तो...
शालिनी : हाँ! सही सोचा, ये मेरे सासु माँ के कपड़े है, मेने सोचा अभी गांव में रहना है तो फिर गांव के जैसे कपड़े पहने, मेरे पास तो थे नहीं इसलिए आलमारी में से सासु मां के कपड़े पहने,अगर आपको पसंद ना हो तो मे बदल देती हूं।
बाबुजी : नहीं नहीं ,तुम पर अच्छे लगते हैं।
चाचाजी : हाँ, सही कहा, कोई नहीं कह सकता कि तुम शहर से आयी होगी।
शालिनी : इस लिए तो आप से पूछा कि कुछ रह तो नहीं गया?
बाबुजी : एक चीज़ अधूरी है
शालिनी : क्या ?
बाबुजी : तुमने सिंदूर नहीं किया है और इस गहनों के साथ एक सिर पर लगाने का एक गहना होगा ,वो पहन लो, इससे ज्यादा खूबसूरत लगेगी।
शालिनी को बाबुजी के द्वारा की गई बात अच्छी लगती है,वो कमरे में जाति है और सिंदूर और गहना लगाकर आती हैं।
शालिनी : अब सही है?
बाबुजी : हाँ अब सब सही है
चाचाजी : रुको एक मिनट ,एक चीज़ और
शालिनी और बाबुजी दोनों सोच में पड़ जाते हैं कि अब क्या बाकी रह गया, चाचाजी आँगन में जाते हैं और एक बढ़िया सा गुलाब तोड़ के लाते है।
चाचाजी : ये लगा लो, इस से गुलाब की सुंदरता और बढ़ जाएगी।
तीनों हसने लगते हैं।
बाबुजी : अपना ख्याल रखना ,ज्यादा धूप लगे तो चेहरा और सिर सही से ढक लेना।
शालिनी : आप नहीं आ रहे हैं?
बाबुजी : नहीं में क्या करूंगा ?
बाबुजी मना कर रहे थे, दोनों के मनाने से बाबुजी मान जाते हैं, फिर तीनों चाचाजी की कार में घूमने निकल जाते हैं, बाबुजी और चाचाजी आगे बैठे थे और शालिनी पिछे बैठी थी।
धीरे धीरे रेगिस्तान शुरू होता है, शालिनी के लिए ये पहली बार अनुभव था ,रेगिस्तान के बीच मे से निकालती सड़क एक सुन्दर नजारा था ,ये सड़क सैनिकों के सुविधा के लिए बनाई गई थी ,
शालिनी : वाह क्या सुन्दर नज़ारा है, सरहद आने में कितना समय लगेगा ?
चाचाजी : अभी पौने घंटा लगेगा।
शालिनी : फिर में नील को खाना खिला देती हूं ताकि फिर वो परेसान ना हो।
शालिनी धीरे से हाथ पल्लू के नीचे ले जाकर ब्लाउज का एक भाग नीचे करती है, पर ब्लाउज तंग होने से नीचे करने में दिक्कत आ रही थी ,चाचाजी आईने में से देखते है शालिनी को दिक्कत हो रही है, तभी शालिनी का पल्लू ऊपर हो जाता है वो मुश्किल से अपना स्तन बाहर निकाल ने मे कामयाब होती है, फिर शालिनी की नजर भी आईने ने खुद को देख रहे चाचाजी से मिलती है और वो मुस्करा देते है ,कभी कभी चाचाजी देखते तब शालिनी पल्लू उठा कर स्तन दिखा देती पर फ़ट से ढक देती।
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