- 910
- 1,312
- 123
और इस मुलाक़ात में हुई बातें अभी भी उसके ज़ेहन में थी। मीर की ज़िन्दगी के बारे में वह बख़ूबी जानती थी। वह हैरान थी कि 24-25 साल की उम्र में मीर ने अपने सपने पूरे कर लिये और आज वह अपने सपनों को जी रहा है। वह इस सोच में थी कि कैसे लोग अपने सपनों को पूरा कर लेते हैं। उसके दिमाग़ में चल रहा था कि न जाने उसके जैसे लोग क्यों अपने सपनों के लिए लड़ नहीं पाते हैं और उन्हें अपनी आँखों के सामने टूटने देते हैं। मीर से मिलने के बाद साहिबा को ये मलाल तो था कि उसने कितनी आसानी से ख़ुद का रास्ता बदलकर परिवार का रास्ता चुन लिया, लेकिन उसे इस बात की ख़ुशी थी कि चलो मीर वहाँ पहुँचा जहाँ वो पहुँचना चाहता था। बुटीक पर बैठे-बैठे साहिबा ने मीर की इंस्टाग्राम प्रोफ़ाइल खोली और उसे फॉलो कर लिया। मीर के फ़ेसबुक पेज से वह पहले ही जुड़ी थी। मीर ने इंस्टाग्राम पर जो फ़ोटोज पोस्ट किये थे उन्हें कई बार साहिबा ने देखा और कुछ फ़ोटोज के स्क्रीनशॉट भी मोबाइल में सेव कर लिये। यूट्यूब पर मीर के कई वीडियोज उसने शाम तक देख डाले। इंस्टाग्राम पर मीर के सारे फ़ोटोज पर उसने लाइक बटन दबा दिया। बुटीक के बाद साहिबा घर पहुँची तो इंस्टाग्राम पर एक नोटिफ़िकेशन आया। साहिबा को इंस्टाग्राम पर मीर ने