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Shayari Kavita-sayri

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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बिल में घुसकर नहीं, सामने दहाड़ते है,
अजी बिल में घुसकर नहीं, सामने दहाड़ते है,
और अपना रूतबा ही ऐसा है दोस्त, हम सामने वाले की कहकर फाड़तें हैं। :approve:
 
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
जिन्दगी कशमकशे-इश्क के आगाज का नाम,
मौत अंजाम है इसी दर्द के अफसाने का।

(2)
जिस गम से दिल को राहत हो, उस गम का मुदावा क्या मानी?
जब फितरत तूफानी ठहरी, साहिल5 की तमन्ना क्या मानी?
शानदर :applause:
:applause:
:applause:
:applause:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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नमस्कार
.
एक मित्र के.... अनुरोध तो नही कहूँगा, पर हाँ उनके मार्गदर्शन पे यहाँ आया हूँ ... Xabhi आभार आपका
.
मै क्या लिखूँ, यही सोच रहा था...
ज्ञात हुआ की हालातो से बेहतर गुरु कौन हो सकता है...
तब अपनी हालात ही लिख डाले...


तुम्हारे लिए, तुम्हारे कारण
अरमान धरे रह गए, सपने धरे रह गए ।
अपने ख्वाइश सारे , अपनो से मेरे,
अपनो के परे रह गए ।
अल्फ़ाज़ भी नही मेरे पास आजकल, की मै अपना आलम तुझे बता सकूँ ।
क्या दोष दूँ उन लम्हो को, जिसमे मेरे फरिश्ते ही...
मेरे सीने पे खंजर धरे रह गये ।।
अब जिस्म से जान....
जैसे साँसो की एहशास भी बेदम होगयी....

हालातो ने बयां की है, की इस जिंदगी से मेरी आत्मा भी तंग होगयी ।।

-BHEEMA
बोहोत अच्छा👌👌👌👌
 

komaalrani

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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अर्ज किया हैं:
आदमी एक सवाल हैं साहब,
वक़्त उसका ज़बाब है साहब,
वो शराफत की बात करता हैं,
तों उस्की नीयत् ख़राब है साहब,
सैकड़ों ख़ून, डाके, राहजनी,
एक दिन का हीसाब हैं साहब,
जब चुभा कांटा कोई तों हुआ एहसास,
इस सहार मे भी कोई गुलाब हैं साहब। ।
राज्
 
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Raj_sharma

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Xabhi

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(1) जिन्दगी कशमकशे-इश्क के आगाज का नाम,
मौत अंजाम है इसी दर्द के अफसाने का।

(2)
जिस गम से दिल को राहत हो, उस गम का मुदावा क्या मानी?
जब फितरत तूफानी ठहरी, साहिल की तमन्ना क्या मानी?
अति-उत्तम 👌👌👌
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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174
नमस्कार
.
एक मित्र के.... अनुरोध तो नही कहूँगा, पर हाँ उनके मार्गदर्शन पे यहाँ आया हूँ ... Xabhi आभार आपका
.
मै क्या लिखूँ, यही सोच रहा था...
ज्ञात हुआ की हालातो से बेहतर गुरु कौन हो सकता है...
तब अपनी हालात ही लिख डाले...


तुम्हारे लिए, तुम्हारे कारण
अरमान धरे रह गए, सपने धरे रह गए ।
अपने ख्वाइश सारे , अपनो से मेरे,
अपनो के परे रह गए ।
अल्फ़ाज़ भी नही मेरे पास आजकल, की मै अपना आलम तुझे बता सकूँ ।
क्या दोष दूँ उन लम्हो को, जिसमे मेरे फरिश्ते ही...
मेरे सीने पे खंजर धरे रह गये ।।
अब जिस्म से जान....
जैसे साँसो की एहशास भी बेदम होगयी....

हालातो ने बयां की है, की इस जिंदगी से मेरी आत्मा भी तंग होगयी ।।

-BHEEMA
Inteha dard ko darshati, superb bhai :applause: :applause:
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
10,210
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अर्ज किया हैं:
आदमी एक सवाल हैं साहब,
वक़्त उसका ज़बाब है साहब,
वो शराफत की बात करता हैं,
तों उस्की नीयत् ख़राब है साहब,
सैकड़ों ख़ून, डाके, राहजनी,
एक दिन का हिसाब हैं साहब,
जब चुभा कांटा कोई तों हुआ एहसास,
इस शहर मे भी कोई गुलाब हैं साहब। ।
राज् उर्फ़ (के के)
Wah bhai sandar :applause: :applause:
 

komaalrani

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Raj_sharma

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