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देशी बालक हैं ब्रो, यहाॅ जिगरे चलते है,
नही चलती कोई बकवास
ओर अपनी अकड़ ले कर आ जाइयो,
ईलाज है हमारे पास।
नही चलती कोई बकवास

ओर अपनी अकड़ ले कर आ जाइयो,
ईलाज है हमारे पास।

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Bohot ache bhai
सबक थी वो जिंदगी का,
और मुझे लगा मुहब्बत है....
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Waah waah waaahजब रूबरू आ ही गया, इक फूल सा चेहरा,
इक कली पे माना, शबाब आया था,
सर्द हवा के झोकों ने, झंझकोर के रख दिया,
फूलों की बस्ती में, एक सैलाब आया था,
अब क्या कहै उस दीदार की प्यासी चकोरी को,
के अपने चांद पर, प्यार उसे बेहिसाब आया था ।। (राज) उर्फ के़ के़
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