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Apun ki one of favourite.....aa gayi.....wooooooooouअध्याय - 5 राजा से मुलाकात
तभी राजा हसने लगता है और सिद्धार्थ को देखता है और यशस्वी को कहता है ," शांत पुत्री उसने कुछ गलत नही किया, और तो और हमे उसकी जरूरत है , सामने आने वाला हर कोई शत्रु नही होता, हमे उससे बात करने की जरूरत है"-
तभी उसके मन में कुल गुरु शक्ति दास की बात याद आती है," नियति बदल रही है और हम इस समय ऐसे बुरे वक्त में हम हार तो रहे ही है। तो क्या गुरु ने इसी लड़के की बात की थी"-
"तुम्हारी पुत्री की नियति ऐसे लड़के को खींच के लाएगी अब वो नियति मेरे ऊपर है"-
तभी राजा जयराज सिद्धार्थ की तरफ़ आता है
अब आगे ---
"तो तुम हो सिद्धार्थ , पिछले कुछ दिनों तुम्हारे बारे में बहुत सुना है , और आज सामने तो लगता है कदाचित जो सुना था वो गलत भी हो सकता है",राजा जयराज अपने मूछों पर ताव देते हुए रथ से उतर कर बोला।
और उसकी बात सुन कर वहा मौजूद सभी सैनिक हसने लगे और सेनापति मान सबको शांत रहने का इशारा करता है और सिद्धार्थ को सावधानी से देखता है।
और सिद्धार्थ जो राजा की बात सुनता है तो वो भी हसने लगता है और कहता है," महाराज की जय हो , और आपने सही सुना या गलत इसका उतर तो कदाचित वक्त ही बताएगा और ये इस बात पर भी निभर करता है की आपने क्या सुना है। "-
तभी राजा ने जैसे ही उसकी बात सुनी तो वो हसने लगे और मुस्कुराते हुए बोले," तुम कदाचित ही वही हो जिसके बारे में हमने सुना है, अपने दिमाग से रणनीति बना कर हर काम करते हो"-
राजा की बात सुन कर सिद्धार्थ ने मुस्कुराते हुए कहा ," मैं रणनीति भी अपनी सखी के लिए बना रहा हूं महाराज और ये रणनीति कहा है महाराजा ये तो बस मेरा और मेरी मित्र साक्षी का बस दोस्ताना है इसमें कोई रणनीति नही , हम तो टहरे सीधे से गांव के निवासी।"-
सिद्धार्थ की बात सुन कर राजा के चहरे के भाव बदल जाते है और वो साक्षी की तरफ़ देखता है जो बच्चों के जैसे खिलखिला रही थी और सिद्धार्थ को जीभ निकाल कर चिड़ा रही थी और उसकी बात सुन कर यशस्वी जो अब तक शांत थी वो चिलाते हुआ बोलती है , " तुम झूठ बोल रहे हो, तुम्हारा मतलब अगर इतना ही है तो सुबह हमारे सैनिकों की हत्या क्यों की और साक्षी के करीब आने के लिए हमारे सैनिकों को रास्ते से हटाना की क्या जरूरत थी और उसके बाद डाकुओं से तुम्हारा मिलना और गांव वालो की रक्षा क्या ये सब महज़ इत्तेफाक है।"-
सिद्धार्थ धीरे से कहता है ," साक्षी के करीब आने के लिया हमे किसी को रास्ते से हटाने की जरूरत नही , लेकिन रास्ते में आने वाले कुछ काटो को हटाना पड़ता है और वो आपके सैनिक थे, वो मरे नही थे, बस बेहोश थे और हमने गांव वालो की रक्षा की तो इससे आपको क्या दिक्कत है। "-
तभी ये कहते हुए सिद्धार्थ सोचने लगता है " ये बहनचोद यशस्वी कितने गुस्से वाली है इसकी हरकतें ऐसी है , लेकिन इसको कैसे पता ये सब"-
ये सोचते हुआ उसकी नज़र काया पर पहुंच जाती है जो दूसरी तरफ़ मुंह कर के सीटी बजाने लगती है जैसे उसको कुछ नही ," ये बहन की पकोड़ी इसकी तो बैंड बजा दूंगा"-
तभी राजा कहता है," ठीक है हम मानते है तुम ये सब नही किए, तुम्हारी मनसा ठीक थी, लेकिन एक राजकुमारी के इतने करीब चोरी छिपे मिलना क्या ये सही है? वो भी तब जब राजा युद्ध में लगा हो"-
इस बार सिद्धार्थ के पास जवाब नही था और वो थोड़ा सोचता है लेकिन राजा उसके पहले ही इस मौके का लाभ उठाने का सोचते है और कहते है।
" चलो हम तुम्हे इसके लिए माफ भी कर दे , लेकिन उसके बदले तुम्हे हमारे राज्य के अंदर महल में साक्षी के रक्षा और नीति मंत्री के रूप में कार्य करोगे"-
उसकी बात सुन कर सिद्धार्थ के चहरे पर स्माइल आ जाती है और वो धीरे से कहता है लेकिन उसके बदले मेरी एक शर्त है।
"यही की तुम साक्षी से मिल सको , तो ठीक है जब जब यशस्वी रहेगी तुम साक्षी से मिल सकोगे और उसकी मानसिक इस्तीति के बारे में तुम्हे ज्ञात है, याद रहे कुछ अनुचित ना करना"-
राजा की बात सुन कर सिद्धार्थ कहता है," मादरचोद बुड्ढा , साक्षी के साथ साथ यशस्वी को भी पकड़ा दिया ये , आफत की टुकड़ी हमेशा गुस्सा मैं रहती है, है तो ये भी नागिन ही तो असर ऐसे थोड़े चला जाएगा"-
तभी राजा के बगल सेनापति धीरे से मन में कहता है, " महाराज वाह , सीधा इसको सिंध से जोड़ लिया ताकि ये किसी और के साथ कार्य ना कर सके और ये सिंध से जुड़ा रहेगा तो अंदरूनी खतरो से राजा बेफ्रिक रहेंगे और इसकी नीति की वजह से सिंध राज्य मजबूत हो सकता है लेकिन ये कब तक रहेगा।"
यही सोचते हुआ सेनापति मान खोए हुए थे लेकिन उसके पहले ही राजा की आवाज़ उसके कानो में पड़ती है और वो धीरे से कहता है ," तुम यही सोच रहे हो ना मान , की ये कब तक सिंध से जुड़ा रहेगा ये हमेशा सिंध से जुड़ा रहेगा , हमने इसके बारे में पहले ही सोच लिया है। लेकिन इस युद्ध के पश्चात, बस इसकी एक गलती फिर हम खुद ब खुद इसे सिंध के लिया खड़े रहने पर बाध्य कर देंगे"-
तभी सेनापति सोच में पढ़ जाता है और धीरे से कहता है , "आपका मतलब है ,विवाह"-
राजा हसने लगता है और धीरे से कहता है ," अभी हम युद्ध में है और ना जाने कब क्या हो अभी इस विषय पर चर्चा करने का समय नही है"-
और उसकी बात सुन कर मान चुप हो जाता है और कहता है ," लेकिन साक्षी के साथ विवाह ही तो इस लड़के की मनसा मालूम होती है इससे तो इस्तिति उसके पक्ष में"-
तभी राजा मान पर हस्त है और यशस्वी की तरफ़ देखता है ," जिसकी सुंदरता चांद के जैसी थी लेकीन उसका गुस्सा"
एक पल को मान कपकपा जाता है और धीरे से कहता है ," तुम्हारा क्या होगा सिद्धार्थ"-
सिद्धार्थ के दिमाग में इस समय साक्षी और यशस्वी के बजाए कुछ और ही चल रहा था वो धीरे से आगे बढ़ते है और धीरे से कहता है," हमे कुछ घोड़े और कुछ सैनिक चाहिए"-
उसकी बात सुन कर मान हस्त है और धीरे से कहता है ," हमे पता है तुम यह के सूबा जीतना चाहते हो लेकिन उतना आसान नही, फिर भी तुम अलग हो और रही बात सैनिक और घोड़े की तो तुम्हे कल 75 घोड़े , तलवार और तीर कमान और सैनिक की एक टुकड़ी दी जाएगी"-
तभी सिद्धार्थ कहता है ," माफ करे "-
उसकी बात सुन कर राजा धीरे से कहता है ," तुम फिर क्या चाहते हो?"-
सिद्धार्थ के चहरे पर एक मुस्कान आते है और वो राजा के करीब आता है और धीरे से कहता है," हमे खुद का एक दल बनाने की आज्ञा दी जाए और जिससे हम नए नए सैनिक उसमें डाल सके जो केवल मेरी आज्ञा माने जिसके बारे में किसी को ना पता हो"
उसकी बात सुन कर राजा हस्त है और धीरे से कहता है ,हमे मंजूर है।
"घोड़े और अस्त्र शस्त्र तुम्हे भवन से मिल जाएंगे और इस दल में अभी केवल 200 सैनिक ही जोड़ना"-
"तुम महल में रहना शुरू कर दो "-
सेनापति और राजा की बात सुन कर सिद्धार्थ को पसीना आ जाता है और वो धीरे से कहता है हमे सरोवर के बगल हमारा खुद का महल चाहिए जो महल के सबसे करीब पड़ता है , और फिर साक्षी को भी ये पसंद आएगा , और मेरी पत्नी को भी।
इस बार सिद्धार्थ की बात सुन कर राजा हस्त है और कहता है , 1 महीना के अंदर तुम्हारा महल बन जाएगा फिर तुम्हे यह आना पड़ेगा और तुम दिन भर महल रहोगे तुम्हारे कुटिया के पास हमेशा सैनिक रहेंगे ताकि तुम्हारा गांव सुरक्षित रहे
"कल मिलते है सिद्धार्थ , ये कहते हुए वो सिद्धार्थ को 1000 सोने की मोहरे दे देता है"-
तभी वहा से राजा और मान और सभी निकल पड़ते है और राजा को सिद्धार्थ की बात मानता देख खुद मान हैरान था।
" ऐसे हैरान मत हो मान। हमने उसकी बात मानी क्युकी वो कुछ गलत नही मांगा उसको हमारे महल पर भरोसा नही तो वो खुद का महल मांगा और उसका दूसरा उद्देश्य था रियासत राखी और गड़ी की।"
ऐसे ही बात करते हुए राजा और सभी चले गए और सिद्धार्थ धीरे से कहता है," बुड्ढा औकात से ज्यादा तेज था , उसको पता था कि हम समय पाने के लिए खुद का महल मांगा है , लेकिन राखी की रियासत उसके पहले ही हम गगन को सौप देंगे।"
तभी सिद्धार्थ को धीरे से फुसफुसाने की आवाज़ आती है और वो धीरे से दबे पांव उस आवाज के पीछे जाने लगता है -
"में कहती हूं छोर दो हमे "-
एक लड़का एक लड़की को पकड़ कर लगभग रोते हुए कहता है," मुझे मुझे माफ कर दो मैं सब कुछ करूंगा लेकिन तुम्हे आज़ाद कर दूंगा , तुम्हे हमेशा खुश रखूंगा"-
"तुम समझ क्यों नही रहे हो , में गुलाम हो अगर कोई तुम्हे देख लेगा तो तुम्हारी मौत पक्की है चले जाओ यह से तुम्हे हमारी सौगंत है रुद्र चले जाओ"-
ये कहते हुआ वो लड़की रोते हुए धीरे से कहती है," कल हमारी बोली लगाई जाएगी , हो सके तो उस समय तुम वहा होना"-
ये कहते हुआ वो रुद्र को छोर कर चली जाती है और सिद्धार्थ धीरे से कहता है ," ये तो वही लड़का है जो तीर चला रहे था और सुबह भी यही और शाम को भी युद्ध में इसका निशाना एकदम सटीक था"-
" सही बोल रहा है भाई तू"-
अचानक आई आवाज़ से सिद्धार्थ चौक गया और पलट कर बोला ,"बेटी चोद आलोक "-
आलोक उसकी बात सुन कर कहता है, " वाह गांडू मां को तूने चोदा , बेटी चोदने वाला तू और बेटी चोद मुझे बोल रहा वैसे तू क्या सोच रहा है , कुछ तो तेरे दिमाग में है। तू सबसे बड़ा तीरंदार है मुझे याद है , तेरा निशाना कभी आज तक चुका नही"-
उसकी बात सुन कर सिद्धार्थ कहता है," तुझे कैसे पता बे"-
आलोक स्माइल देते हुए कहता है," मैंने ऐसे ही नहीं पूरी कंट्री पर अपना कब्जा किया था अब बोल क्या चाहता है तू"-
"शार्प शूटर जनता है क्या होता है"-
सिद्धार्थ की बात सुन कर आलोक स्माइल करता है और धीरे से कहता है, " तो रुद्र तेरा बनेगा पहला शार्प शूटर और तेरा पहला आदमी जो तेरे लिए जान दे सके लेकिन इसका विश्वास कैसे जीतना है तुझे पता है"-
तभी सिद्धार्थ और आलोक को सब बताता है अभी जो जो हुआ और उसकी बात सुन कर आलोक कहता है," सब समझ गया "
तभी सिद्धार्थ और आलोक एक साथ कहते है "अब बनेगा नाग दल"
"देख सिद्धार्थ ट्रेनिंग कैसे दी जानी है और कैसे डिवाइड करना है मैं देख लूंगा , तू अपना तीरंदार देखना 150 सैनिक होंगे और 50 तीरंदार "
"वैसे सिद्धार्थ अब हमे चलना चाहिए , बहुत समय हो गया है और अगर देर हुई तो खाना भी नही मिलेगा"-
जैसे ही सिद्धार्थ ने ये सुना उसकी दिल की धधकने तेज़ हो गई उसकी हार्ट बीट इतनी तेज थी और उसका रोए रोए खड़े हो रहे थे और उसके सामने बस काव्या का मासूम फेस ही याद आ रहा था
"चलो चलते है"-
चलते हुआ सिद्धार्थ धीरे से कहता है ," ये रात आसान नही होगी , नही नही मुझे बस इतना याद रखना है की वो मेरी बेटी है"-
इधर आलोक और सिद्धार्थ जंगल में घूमने निकल गए थे और उधर गांव में पीपल के पेड़ के पास जमावाड़ा लगा हुआ था एक तरफ़ कई मर्द थे और दूसरी तरफ़ कई औरतें और दूसरी तरफ़ की औरतों में एक कोने काव्या चुपके से खड़ी थी क्युकी हर कोई उसे ही घूर रहा था।
"अरे तूने सुना वो काव्या का मर्द , कैसे लड़ा"-
"हा बहिन सुने तो लेकिन अब कौन होगा उसके लिया कौन जिमेदार होगा"-
तभी इन आवाजों के बीच में एक जोर दार आवाज आती है," देखो आलोक ने कहा है , जो हुआ है वो सही है और सिद्धार्थ ने जो कहा वही होगा , और इतना टेंशन लेना की क्या जरूरत है जब आज सब सही हो गया तो आगे भी सही होगा।"
गगन जो जानता था सब उसने हौसला बढ़ाया लेकिन वो भी जनता था आलोक और सिद्धार्थ अकेला युद्ध नही लड़ सकते और ऊपर से गांव वालो को अब रियासत से कोई मदद नही मिलेगी और राखी रियासत से सिद्धार्थ की लड़ाई और गढ़ी रियासत गुजरात के पास चली गई।
सब परेशान था तभी वहा ड्रम बजने की आवाज़ आने लगी और बहुत सारे सैनिक आ कर सिद्धार्थ के कुटिया के बाहर खड़े हो गया और गांव को घेर लिया जिससे कोई दिक्कत ना हो और वहा ड्रम के बीच में एक सैनिक जो ड्रम बजा रह था वो चुप चाप खड़ा था।
वही पेड़ के ऊपर से रुद्र ये सब देख कर कहता है," लो शुरू हो गई , समस्या आ गए राजा के सैनिक अब क्या करोगे सिद्धार्थ तुम"
तभी इतने सैनिक को देख कर हर कोई परेशान था तभी एक महिला सैनिक आ कर काव्या के पास खड़ी हो जाती है और ड्रम के पास खड़ा लड़का बोलना शुरू करता है-
"सुनो सुनो सुनो , गांव वालो सुनो। ये घोषणा संदेश सिंध के महाराजा जयराज की तरफ़ से आया है। आज आप सब के बीच हमारे सिंध राज्य में नए नीति मंत्री का चयन हुआ है। और सभी नीति उन्ही के द्वारा चलाई जाएंगी , और हमे उम्मीद है सिंध के नए नीति मंत्री की नीति के बदौलत हम सिंध पर अपना पूरा अधिकार कर देंगे, और आप सब से उम्मीद की जाती है नए मंत्री का दिल खोल कर स्वागत करे और उनका अभिनंदन करे। और राजा जयराज की तरफ़ से नए नीति मंत्री सिद्धार्थ और काव्या का तहे दिल से शुक्रिया करते है और उनके लिया सरोवर के नज़दीक नया महल बनाया जा रहा। "-
इतना सब सुनते ही सभी की आंखे फटी की फटी रह गई और अभी तक जो डर का मोहाल था वो अब एकाएक खुशी में बदल गया था।
तभी सैनिकों के मुखिया के जोरदार आवाज़ में कहा ," रानी काव्या की जय हो"-
पूरा सभा में रानी काव्या की जयकारा गुजने लगी और काव्या धीरे से कहती है," ये कहा है? इन्हे लाने के लिए आलोक को भेजा वो भी गायब हो गया"-
वही जैसे ही आलोक और सिद्धार्थ आते है इतनी भीड़ देख कर दंग रह जाते है और सिद्धार्थ की नजर तुरंत काव्या की मोटे मोटे चूचे पर पड़ती है तो वो जल्दी से अपने आप पूरी तरह ढक देती है और धीरे से अपना लाल गाल दूसरी तरफ़ कर लेती है और उसकी धड़कने धीरे से बढ़ जाती है और वो कापती हुई सोचती है ," इन्हे क्या हुआ जब देखो ऐसे घूरते है"-
"सिद्धार्थ धीरे से काव्या को देखता है और सोचता है कितनी मासूम है ये पूरी तनु पर गई है"
" तनु तुम कहा हो तुम्हारी बहुत याद आ रही है, मेरी गुस्साई नागिन"-
गुजरात ~
सूरत झील ~
"राजकुमारी अंजली हम हम तुम्हे बहुत पसंद करते है , तुम जो कहोगी हम वो करेंगे"-
एक लड़का कापते हुए आवाज में बोलता है , और अंजली को एक गुलाब का फूल देता है और उसके चहरे को देखता है , तो हैरान रह जाता है ,"जैसे वो जहा की सबसे खूबसूरत औरत हो"-
इसके पहले की वो लड़का कुछ और कह पाता वो दो भाग में कट गया और उसका शरीर वही कट कर गिर गया
"तुम्हारी इतनी हिमाकत की तुम हमारा चहरा देखो , अगर जिंदा होते तो जहर दे कर मार देती, तुम्हे इतना नही पता
विषकन्या तनु हमारा नाम है, हमे छू सके अभी ऐसा कोई पैदा नही हुआ और तुमने हमे देख कैसे लिया"-
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To be continued
Ohhh BC,,, kya jbardst update hai,,, bhut badhiya.,,अध्याय - 5 राजा से मुलाकात
तभी राजा हसने लगता है और सिद्धार्थ को देखता है और यशस्वी को कहता है ," शांत पुत्री उसने कुछ गलत नही किया, और तो और हमे उसकी जरूरत है , सामने आने वाला हर कोई शत्रु नही होता, हमे उससे बात करने की जरूरत है"-
तभी उसके मन में कुल गुरु शक्ति दास की बात याद आती है," नियति बदल रही है और हम इस समय ऐसे बुरे वक्त में हम हार तो रहे ही है। तो क्या गुरु ने इसी लड़के की बात की थी"-
"तुम्हारी पुत्री की नियति ऐसे लड़के को खींच के लाएगी अब वो नियति मेरे ऊपर है"-
तभी राजा जयराज सिद्धार्थ की तरफ़ आता है
अब आगे ---
"तो तुम हो सिद्धार्थ , पिछले कुछ दिनों तुम्हारे बारे में बहुत सुना है , और आज सामने तो लगता है कदाचित जो सुना था वो गलत भी हो सकता है",राजा जयराज अपने मूछों पर ताव देते हुए रथ से उतर कर बोला।
और उसकी बात सुन कर वहा मौजूद सभी सैनिक हसने लगे और सेनापति मान सबको शांत रहने का इशारा करता है और सिद्धार्थ को सावधानी से देखता है।
और सिद्धार्थ जो राजा की बात सुनता है तो वो भी हसने लगता है और कहता है," महाराज की जय हो , और आपने सही सुना या गलत इसका उतर तो कदाचित वक्त ही बताएगा और ये इस बात पर भी निभर करता है की आपने क्या सुना है। "-
तभी राजा ने जैसे ही उसकी बात सुनी तो वो हसने लगे और मुस्कुराते हुए बोले," तुम कदाचित ही वही हो जिसके बारे में हमने सुना है, अपने दिमाग से रणनीति बना कर हर काम करते हो"-
राजा की बात सुन कर सिद्धार्थ ने मुस्कुराते हुए कहा ," मैं रणनीति भी अपनी सखी के लिए बना रहा हूं महाराज और ये रणनीति कहा है महाराजा ये तो बस मेरा और मेरी मित्र साक्षी का बस दोस्ताना है इसमें कोई रणनीति नही , हम तो टहरे सीधे से गांव के निवासी।"-
सिद्धार्थ की बात सुन कर राजा के चहरे के भाव बदल जाते है और वो साक्षी की तरफ़ देखता है जो बच्चों के जैसे खिलखिला रही थी और सिद्धार्थ को जीभ निकाल कर चिड़ा रही थी और उसकी बात सुन कर यशस्वी जो अब तक शांत थी वो चिलाते हुआ बोलती है , " तुम झूठ बोल रहे हो, तुम्हारा मतलब अगर इतना ही है तो सुबह हमारे सैनिकों की हत्या क्यों की और साक्षी के करीब आने के लिए हमारे सैनिकों को रास्ते से हटाना की क्या जरूरत थी और उसके बाद डाकुओं से तुम्हारा मिलना और गांव वालो की रक्षा क्या ये सब महज़ इत्तेफाक है।"-
सिद्धार्थ धीरे से कहता है ," साक्षी के करीब आने के लिया हमे किसी को रास्ते से हटाने की जरूरत नही , लेकिन रास्ते में आने वाले कुछ काटो को हटाना पड़ता है और वो आपके सैनिक थे, वो मरे नही थे, बस बेहोश थे और हमने गांव वालो की रक्षा की तो इससे आपको क्या दिक्कत है। "-
तभी ये कहते हुए सिद्धार्थ सोचने लगता है " ये बहनचोद यशस्वी कितने गुस्से वाली है इसकी हरकतें ऐसी है , लेकिन इसको कैसे पता ये सब"-
ये सोचते हुआ उसकी नज़र काया पर पहुंच जाती है जो दूसरी तरफ़ मुंह कर के सीटी बजाने लगती है जैसे उसको कुछ नही ," ये बहन की पकोड़ी इसकी तो बैंड बजा दूंगा"-
तभी राजा कहता है," ठीक है हम मानते है तुम ये सब नही किए, तुम्हारी मनसा ठीक थी, लेकिन एक राजकुमारी के इतने करीब चोरी छिपे मिलना क्या ये सही है? वो भी तब जब राजा युद्ध में लगा हो"-
इस बार सिद्धार्थ के पास जवाब नही था और वो थोड़ा सोचता है लेकिन राजा उसके पहले ही इस मौके का लाभ उठाने का सोचते है और कहते है।
" चलो हम तुम्हे इसके लिए माफ भी कर दे , लेकिन उसके बदले तुम्हे हमारे राज्य के अंदर महल में साक्षी के रक्षा और नीति मंत्री के रूप में कार्य करोगे"-
उसकी बात सुन कर सिद्धार्थ के चहरे पर स्माइल आ जाती है और वो धीरे से कहता है लेकिन उसके बदले मेरी एक शर्त है।
"यही की तुम साक्षी से मिल सको , तो ठीक है जब जब यशस्वी रहेगी तुम साक्षी से मिल सकोगे और उसकी मानसिक इस्तीति के बारे में तुम्हे ज्ञात है, याद रहे कुछ अनुचित ना करना"-
राजा की बात सुन कर सिद्धार्थ कहता है," मादरचोद बुड्ढा , साक्षी के साथ साथ यशस्वी को भी पकड़ा दिया ये , आफत की टुकड़ी हमेशा गुस्सा मैं रहती है, है तो ये भी नागिन ही तो असर ऐसे थोड़े चला जाएगा"-
तभी राजा के बगल सेनापति धीरे से मन में कहता है, " महाराज वाह , सीधा इसको सिंध से जोड़ लिया ताकि ये किसी और के साथ कार्य ना कर सके और ये सिंध से जुड़ा रहेगा तो अंदरूनी खतरो से राजा बेफ्रिक रहेंगे और इसकी नीति की वजह से सिंध राज्य मजबूत हो सकता है लेकिन ये कब तक रहेगा।"
यही सोचते हुआ सेनापति मान खोए हुए थे लेकिन उसके पहले ही राजा की आवाज़ उसके कानो में पड़ती है और वो धीरे से कहता है ," तुम यही सोच रहे हो ना मान , की ये कब तक सिंध से जुड़ा रहेगा ये हमेशा सिंध से जुड़ा रहेगा , हमने इसके बारे में पहले ही सोच लिया है। लेकिन इस युद्ध के पश्चात, बस इसकी एक गलती फिर हम खुद ब खुद इसे सिंध के लिया खड़े रहने पर बाध्य कर देंगे"-
तभी सेनापति सोच में पढ़ जाता है और धीरे से कहता है , "आपका मतलब है ,विवाह"-
राजा हसने लगता है और धीरे से कहता है ," अभी हम युद्ध में है और ना जाने कब क्या हो अभी इस विषय पर चर्चा करने का समय नही है"-
और उसकी बात सुन कर मान चुप हो जाता है और कहता है ," लेकिन साक्षी के साथ विवाह ही तो इस लड़के की मनसा मालूम होती है इससे तो इस्तिति उसके पक्ष में"-
तभी राजा मान पर हस्त है और यशस्वी की तरफ़ देखता है ," जिसकी सुंदरता चांद के जैसी थी लेकीन उसका गुस्सा"
एक पल को मान कपकपा जाता है और धीरे से कहता है ," तुम्हारा क्या होगा सिद्धार्थ"-
सिद्धार्थ के दिमाग में इस समय साक्षी और यशस्वी के बजाए कुछ और ही चल रहा था वो धीरे से आगे बढ़ते है और धीरे से कहता है," हमे कुछ घोड़े और कुछ सैनिक चाहिए"-
उसकी बात सुन कर मान हस्त है और धीरे से कहता है ," हमे पता है तुम यह के सूबा जीतना चाहते हो लेकिन उतना आसान नही, फिर भी तुम अलग हो और रही बात सैनिक और घोड़े की तो तुम्हे कल 75 घोड़े , तलवार और तीर कमान और सैनिक की एक टुकड़ी दी जाएगी"-
तभी सिद्धार्थ कहता है ," माफ करे "-
उसकी बात सुन कर राजा धीरे से कहता है ," तुम फिर क्या चाहते हो?"-
सिद्धार्थ के चहरे पर एक मुस्कान आते है और वो राजा के करीब आता है और धीरे से कहता है," हमे खुद का एक दल बनाने की आज्ञा दी जाए और जिससे हम नए नए सैनिक उसमें डाल सके जो केवल मेरी आज्ञा माने जिसके बारे में किसी को ना पता हो"
उसकी बात सुन कर राजा हस्त है और धीरे से कहता है ,हमे मंजूर है।
"घोड़े और अस्त्र शस्त्र तुम्हे भवन से मिल जाएंगे और इस दल में अभी केवल 200 सैनिक ही जोड़ना"-
"तुम महल में रहना शुरू कर दो "-
सेनापति और राजा की बात सुन कर सिद्धार्थ को पसीना आ जाता है और वो धीरे से कहता है हमे सरोवर के बगल हमारा खुद का महल चाहिए जो महल के सबसे करीब पड़ता है , और फिर साक्षी को भी ये पसंद आएगा , और मेरी पत्नी को भी।
इस बार सिद्धार्थ की बात सुन कर राजा हस्त है और कहता है , 1 महीना के अंदर तुम्हारा महल बन जाएगा फिर तुम्हे यह आना पड़ेगा और तुम दिन भर महल रहोगे तुम्हारे कुटिया के पास हमेशा सैनिक रहेंगे ताकि तुम्हारा गांव सुरक्षित रहे
"कल मिलते है सिद्धार्थ , ये कहते हुए वो सिद्धार्थ को 1000 सोने की मोहरे दे देता है"-
तभी वहा से राजा और मान और सभी निकल पड़ते है और राजा को सिद्धार्थ की बात मानता देख खुद मान हैरान था।
" ऐसे हैरान मत हो मान। हमने उसकी बात मानी क्युकी वो कुछ गलत नही मांगा उसको हमारे महल पर भरोसा नही तो वो खुद का महल मांगा और उसका दूसरा उद्देश्य था रियासत राखी और गड़ी की।"
ऐसे ही बात करते हुए राजा और सभी चले गए और सिद्धार्थ धीरे से कहता है," बुड्ढा औकात से ज्यादा तेज था , उसको पता था कि हम समय पाने के लिए खुद का महल मांगा है , लेकिन राखी की रियासत उसके पहले ही हम गगन को सौप देंगे।"
तभी सिद्धार्थ को धीरे से फुसफुसाने की आवाज़ आती है और वो धीरे से दबे पांव उस आवाज के पीछे जाने लगता है -
"में कहती हूं छोर दो हमे "-
एक लड़का एक लड़की को पकड़ कर लगभग रोते हुए कहता है," मुझे मुझे माफ कर दो मैं सब कुछ करूंगा लेकिन तुम्हे आज़ाद कर दूंगा , तुम्हे हमेशा खुश रखूंगा"-
"तुम समझ क्यों नही रहे हो , में गुलाम हो अगर कोई तुम्हे देख लेगा तो तुम्हारी मौत पक्की है चले जाओ यह से तुम्हे हमारी सौगंत है रुद्र चले जाओ"-
ये कहते हुआ वो लड़की रोते हुए धीरे से कहती है," कल हमारी बोली लगाई जाएगी , हो सके तो उस समय तुम वहा होना"-
ये कहते हुआ वो रुद्र को छोर कर चली जाती है और सिद्धार्थ धीरे से कहता है ," ये तो वही लड़का है जो तीर चला रहे था और सुबह भी यही और शाम को भी युद्ध में इसका निशाना एकदम सटीक था"-
" सही बोल रहा है भाई तू"-
अचानक आई आवाज़ से सिद्धार्थ चौक गया और पलट कर बोला ,"बेटी चोद आलोक "-
आलोक उसकी बात सुन कर कहता है, " वाह गांडू मां को तूने चोदा , बेटी चोदने वाला तू और बेटी चोद मुझे बोल रहा वैसे तू क्या सोच रहा है , कुछ तो तेरे दिमाग में है। तू सबसे बड़ा तीरंदार है मुझे याद है , तेरा निशाना कभी आज तक चुका नही"-
उसकी बात सुन कर सिद्धार्थ कहता है," तुझे कैसे पता बे"-
आलोक स्माइल देते हुए कहता है," मैंने ऐसे ही नहीं पूरी कंट्री पर अपना कब्जा किया था अब बोल क्या चाहता है तू"-
"शार्प शूटर जनता है क्या होता है"-
सिद्धार्थ की बात सुन कर आलोक स्माइल करता है और धीरे से कहता है, " तो रुद्र तेरा बनेगा पहला शार्प शूटर और तेरा पहला आदमी जो तेरे लिए जान दे सके लेकिन इसका विश्वास कैसे जीतना है तुझे पता है"-
तभी सिद्धार्थ और आलोक को सब बताता है अभी जो जो हुआ और उसकी बात सुन कर आलोक कहता है," सब समझ गया "
तभी सिद्धार्थ और आलोक एक साथ कहते है "अब बनेगा नाग दल"
"देख सिद्धार्थ ट्रेनिंग कैसे दी जानी है और कैसे डिवाइड करना है मैं देख लूंगा , तू अपना तीरंदार देखना 150 सैनिक होंगे और 50 तीरंदार "
"वैसे सिद्धार्थ अब हमे चलना चाहिए , बहुत समय हो गया है और अगर देर हुई तो खाना भी नही मिलेगा"-
जैसे ही सिद्धार्थ ने ये सुना उसकी दिल की धधकने तेज़ हो गई उसकी हार्ट बीट इतनी तेज थी और उसका रोए रोए खड़े हो रहे थे और उसके सामने बस काव्या का मासूम फेस ही याद आ रहा था
"चलो चलते है"-
चलते हुआ सिद्धार्थ धीरे से कहता है ," ये रात आसान नही होगी , नही नही मुझे बस इतना याद रखना है की वो मेरी बेटी है"-
इधर आलोक और सिद्धार्थ जंगल में घूमने निकल गए थे और उधर गांव में पीपल के पेड़ के पास जमावाड़ा लगा हुआ था एक तरफ़ कई मर्द थे और दूसरी तरफ़ कई औरतें और दूसरी तरफ़ की औरतों में एक कोने काव्या चुपके से खड़ी थी क्युकी हर कोई उसे ही घूर रहा था।
"अरे तूने सुना वो काव्या का मर्द , कैसे लड़ा"-
"हा बहिन सुने तो लेकिन अब कौन होगा उसके लिया कौन जिमेदार होगा"-
तभी इन आवाजों के बीच में एक जोर दार आवाज आती है," देखो आलोक ने कहा है , जो हुआ है वो सही है और सिद्धार्थ ने जो कहा वही होगा , और इतना टेंशन लेना की क्या जरूरत है जब आज सब सही हो गया तो आगे भी सही होगा।"
गगन जो जानता था सब उसने हौसला बढ़ाया लेकिन वो भी जनता था आलोक और सिद्धार्थ अकेला युद्ध नही लड़ सकते और ऊपर से गांव वालो को अब रियासत से कोई मदद नही मिलेगी और राखी रियासत से सिद्धार्थ की लड़ाई और गढ़ी रियासत गुजरात के पास चली गई।
सब परेशान था तभी वहा ड्रम बजने की आवाज़ आने लगी और बहुत सारे सैनिक आ कर सिद्धार्थ के कुटिया के बाहर खड़े हो गया और गांव को घेर लिया जिससे कोई दिक्कत ना हो और वहा ड्रम के बीच में एक सैनिक जो ड्रम बजा रह था वो चुप चाप खड़ा था।
वही पेड़ के ऊपर से रुद्र ये सब देख कर कहता है," लो शुरू हो गई , समस्या आ गए राजा के सैनिक अब क्या करोगे सिद्धार्थ तुम"
तभी इतने सैनिक को देख कर हर कोई परेशान था तभी एक महिला सैनिक आ कर काव्या के पास खड़ी हो जाती है और ड्रम के पास खड़ा लड़का बोलना शुरू करता है-
"सुनो सुनो सुनो , गांव वालो सुनो। ये घोषणा संदेश सिंध के महाराजा जयराज की तरफ़ से आया है। आज आप सब के बीच हमारे सिंध राज्य में नए नीति मंत्री का चयन हुआ है। और सभी नीति उन्ही के द्वारा चलाई जाएंगी , और हमे उम्मीद है सिंध के नए नीति मंत्री की नीति के बदौलत हम सिंध पर अपना पूरा अधिकार कर देंगे, और आप सब से उम्मीद की जाती है नए मंत्री का दिल खोल कर स्वागत करे और उनका अभिनंदन करे। और राजा जयराज की तरफ़ से नए नीति मंत्री सिद्धार्थ और काव्या का तहे दिल से शुक्रिया करते है और उनके लिया सरोवर के नज़दीक नया महल बनाया जा रहा। "-
इतना सब सुनते ही सभी की आंखे फटी की फटी रह गई और अभी तक जो डर का मोहाल था वो अब एकाएक खुशी में बदल गया था।
तभी सैनिकों के मुखिया के जोरदार आवाज़ में कहा ," रानी काव्या की जय हो"-
पूरा सभा में रानी काव्या की जयकारा गुजने लगी और काव्या धीरे से कहती है," ये कहा है? इन्हे लाने के लिए आलोक को भेजा वो भी गायब हो गया"-
वही जैसे ही आलोक और सिद्धार्थ आते है इतनी भीड़ देख कर दंग रह जाते है और सिद्धार्थ की नजर तुरंत काव्या की मोटे मोटे चूचे पर पड़ती है तो वो जल्दी से अपने आप पूरी तरह ढक देती है और धीरे से अपना लाल गाल दूसरी तरफ़ कर लेती है और उसकी धड़कने धीरे से बढ़ जाती है और वो कापती हुई सोचती है ," इन्हे क्या हुआ जब देखो ऐसे घूरते है"-
"सिद्धार्थ धीरे से काव्या को देखता है और सोचता है कितनी मासूम है ये पूरी तनु पर गई है"
" तनु तुम कहा हो तुम्हारी बहुत याद आ रही है, मेरी गुस्साई नागिन"-
गुजरात ~
सूरत झील ~
"राजकुमारी अंजली हम हम तुम्हे बहुत पसंद करते है , तुम जो कहोगी हम वो करेंगे"-
एक लड़का कापते हुए आवाज में बोलता है , और अंजली को एक गुलाब का फूल देता है और उसके चहरे को देखता है , तो हैरान रह जाता है ,"जैसे वो जहा की सबसे खूबसूरत औरत हो"-
इसके पहले की वो लड़का कुछ और कह पाता वो दो भाग में कट गया और उसका शरीर वही कट कर गिर गया
"तुम्हारी इतनी हिमाकत की तुम हमारा चहरा देखो , अगर जिंदा होते तो जहर दे कर मार देती, तुम्हे इतना नही पता
विषकन्या तनु हमारा नाम है, हमे छू सके अभी ऐसा कोई पैदा नही हुआ और तुमने हमे देख कैसे लिया"-
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To be continued
Awwwww ,, hau chweetApun ki one of favourite.....aa gayi.....wooooooooou...
That's why tum daat kahte ho7 ka bolke 8 ko
but still lovely updates ..jao maaf kiya
Bahut hi badhiya update diya hai Ghost Rider ❣️ bhai....अध्याय - 5 राजा से मुलाकात
तभी राजा हसने लगता है और सिद्धार्थ को देखता है और यशस्वी को कहता है ," शांत पुत्री उसने कुछ गलत नही किया, और तो और हमे उसकी जरूरत है , सामने आने वाला हर कोई शत्रु नही होता, हमे उससे बात करने की जरूरत है"-
तभी उसके मन में कुल गुरु शक्ति दास की बात याद आती है," नियति बदल रही है और हम इस समय ऐसे बुरे वक्त में हम हार तो रहे ही है। तो क्या गुरु ने इसी लड़के की बात की थी"-
"तुम्हारी पुत्री की नियति ऐसे लड़के को खींच के लाएगी अब वो नियति मेरे ऊपर है"-
तभी राजा जयराज सिद्धार्थ की तरफ़ आता है
अब आगे ---
"तो तुम हो सिद्धार्थ , पिछले कुछ दिनों तुम्हारे बारे में बहुत सुना है , और आज सामने तो लगता है कदाचित जो सुना था वो गलत भी हो सकता है",राजा जयराज अपने मूछों पर ताव देते हुए रथ से उतर कर बोला।
और उसकी बात सुन कर वहा मौजूद सभी सैनिक हसने लगे और सेनापति मान सबको शांत रहने का इशारा करता है और सिद्धार्थ को सावधानी से देखता है।
और सिद्धार्थ जो राजा की बात सुनता है तो वो भी हसने लगता है और कहता है," महाराज की जय हो , और आपने सही सुना या गलत इसका उतर तो कदाचित वक्त ही बताएगा और ये इस बात पर भी निभर करता है की आपने क्या सुना है। "-
तभी राजा ने जैसे ही उसकी बात सुनी तो वो हसने लगे और मुस्कुराते हुए बोले," तुम कदाचित ही वही हो जिसके बारे में हमने सुना है, अपने दिमाग से रणनीति बना कर हर काम करते हो"-
राजा की बात सुन कर सिद्धार्थ ने मुस्कुराते हुए कहा ," मैं रणनीति भी अपनी सखी के लिए बना रहा हूं महाराज और ये रणनीति कहा है महाराजा ये तो बस मेरा और मेरी मित्र साक्षी का बस दोस्ताना है इसमें कोई रणनीति नही , हम तो टहरे सीधे से गांव के निवासी।"-
सिद्धार्थ की बात सुन कर राजा के चहरे के भाव बदल जाते है और वो साक्षी की तरफ़ देखता है जो बच्चों के जैसे खिलखिला रही थी और सिद्धार्थ को जीभ निकाल कर चिड़ा रही थी और उसकी बात सुन कर यशस्वी जो अब तक शांत थी वो चिलाते हुआ बोलती है , " तुम झूठ बोल रहे हो, तुम्हारा मतलब अगर इतना ही है तो सुबह हमारे सैनिकों की हत्या क्यों की और साक्षी के करीब आने के लिए हमारे सैनिकों को रास्ते से हटाना की क्या जरूरत थी और उसके बाद डाकुओं से तुम्हारा मिलना और गांव वालो की रक्षा क्या ये सब महज़ इत्तेफाक है।"-
सिद्धार्थ धीरे से कहता है ," साक्षी के करीब आने के लिया हमे किसी को रास्ते से हटाने की जरूरत नही , लेकिन रास्ते में आने वाले कुछ काटो को हटाना पड़ता है और वो आपके सैनिक थे, वो मरे नही थे, बस बेहोश थे और हमने गांव वालो की रक्षा की तो इससे आपको क्या दिक्कत है। "-
तभी ये कहते हुए सिद्धार्थ सोचने लगता है " ये बहनचोद यशस्वी कितने गुस्से वाली है इसकी हरकतें ऐसी है , लेकिन इसको कैसे पता ये सब"-
ये सोचते हुआ उसकी नज़र काया पर पहुंच जाती है जो दूसरी तरफ़ मुंह कर के सीटी बजाने लगती है जैसे उसको कुछ नही ," ये बहन की पकोड़ी इसकी तो बैंड बजा दूंगा"-
तभी राजा कहता है," ठीक है हम मानते है तुम ये सब नही किए, तुम्हारी मनसा ठीक थी, लेकिन एक राजकुमारी के इतने करीब चोरी छिपे मिलना क्या ये सही है? वो भी तब जब राजा युद्ध में लगा हो"-
इस बार सिद्धार्थ के पास जवाब नही था और वो थोड़ा सोचता है लेकिन राजा उसके पहले ही इस मौके का लाभ उठाने का सोचते है और कहते है।
" चलो हम तुम्हे इसके लिए माफ भी कर दे , लेकिन उसके बदले तुम्हे हमारे राज्य के अंदर महल में साक्षी के रक्षा और नीति मंत्री के रूप में कार्य करोगे"-
उसकी बात सुन कर सिद्धार्थ के चहरे पर स्माइल आ जाती है और वो धीरे से कहता है लेकिन उसके बदले मेरी एक शर्त है।
"यही की तुम साक्षी से मिल सको , तो ठीक है जब जब यशस्वी रहेगी तुम साक्षी से मिल सकोगे और उसकी मानसिक इस्तीति के बारे में तुम्हे ज्ञात है, याद रहे कुछ अनुचित ना करना"-
राजा की बात सुन कर सिद्धार्थ कहता है," मादरचोद बुड्ढा , साक्षी के साथ साथ यशस्वी को भी पकड़ा दिया ये , आफत की टुकड़ी हमेशा गुस्सा मैं रहती है, है तो ये भी नागिन ही तो असर ऐसे थोड़े चला जाएगा"-
तभी राजा के बगल सेनापति धीरे से मन में कहता है, " महाराज वाह , सीधा इसको सिंध से जोड़ लिया ताकि ये किसी और के साथ कार्य ना कर सके और ये सिंध से जुड़ा रहेगा तो अंदरूनी खतरो से राजा बेफ्रिक रहेंगे और इसकी नीति की वजह से सिंध राज्य मजबूत हो सकता है लेकिन ये कब तक रहेगा।"
यही सोचते हुआ सेनापति मान खोए हुए थे लेकिन उसके पहले ही राजा की आवाज़ उसके कानो में पड़ती है और वो धीरे से कहता है ," तुम यही सोच रहे हो ना मान , की ये कब तक सिंध से जुड़ा रहेगा ये हमेशा सिंध से जुड़ा रहेगा , हमने इसके बारे में पहले ही सोच लिया है। लेकिन इस युद्ध के पश्चात, बस इसकी एक गलती फिर हम खुद ब खुद इसे सिंध के लिया खड़े रहने पर बाध्य कर देंगे"-
तभी सेनापति सोच में पढ़ जाता है और धीरे से कहता है , "आपका मतलब है ,विवाह"-
राजा हसने लगता है और धीरे से कहता है ," अभी हम युद्ध में है और ना जाने कब क्या हो अभी इस विषय पर चर्चा करने का समय नही है"-
और उसकी बात सुन कर मान चुप हो जाता है और कहता है ," लेकिन साक्षी के साथ विवाह ही तो इस लड़के की मनसा मालूम होती है इससे तो इस्तिति उसके पक्ष में"-
तभी राजा मान पर हस्त है और यशस्वी की तरफ़ देखता है ," जिसकी सुंदरता चांद के जैसी थी लेकीन उसका गुस्सा"
एक पल को मान कपकपा जाता है और धीरे से कहता है ," तुम्हारा क्या होगा सिद्धार्थ"-
सिद्धार्थ के दिमाग में इस समय साक्षी और यशस्वी के बजाए कुछ और ही चल रहा था वो धीरे से आगे बढ़ते है और धीरे से कहता है," हमे कुछ घोड़े और कुछ सैनिक चाहिए"-
उसकी बात सुन कर मान हस्त है और धीरे से कहता है ," हमे पता है तुम यह के सूबा जीतना चाहते हो लेकिन उतना आसान नही, फिर भी तुम अलग हो और रही बात सैनिक और घोड़े की तो तुम्हे कल 75 घोड़े , तलवार और तीर कमान और सैनिक की एक टुकड़ी दी जाएगी"-
तभी सिद्धार्थ कहता है ," माफ करे "-
उसकी बात सुन कर राजा धीरे से कहता है ," तुम फिर क्या चाहते हो?"-
सिद्धार्थ के चहरे पर एक मुस्कान आते है और वो राजा के करीब आता है और धीरे से कहता है," हमे खुद का एक दल बनाने की आज्ञा दी जाए और जिससे हम नए नए सैनिक उसमें डाल सके जो केवल मेरी आज्ञा माने जिसके बारे में किसी को ना पता हो"
उसकी बात सुन कर राजा हस्त है और धीरे से कहता है ,हमे मंजूर है।
"घोड़े और अस्त्र शस्त्र तुम्हे भवन से मिल जाएंगे और इस दल में अभी केवल 200 सैनिक ही जोड़ना"-
"तुम महल में रहना शुरू कर दो "-
सेनापति और राजा की बात सुन कर सिद्धार्थ को पसीना आ जाता है और वो धीरे से कहता है हमे सरोवर के बगल हमारा खुद का महल चाहिए जो महल के सबसे करीब पड़ता है , और फिर साक्षी को भी ये पसंद आएगा , और मेरी पत्नी को भी।
इस बार सिद्धार्थ की बात सुन कर राजा हस्त है और कहता है , 1 महीना के अंदर तुम्हारा महल बन जाएगा फिर तुम्हे यह आना पड़ेगा और तुम दिन भर महल रहोगे तुम्हारे कुटिया के पास हमेशा सैनिक रहेंगे ताकि तुम्हारा गांव सुरक्षित रहे
"कल मिलते है सिद्धार्थ , ये कहते हुए वो सिद्धार्थ को 1000 सोने की मोहरे दे देता है"-
तभी वहा से राजा और मान और सभी निकल पड़ते है और राजा को सिद्धार्थ की बात मानता देख खुद मान हैरान था।
" ऐसे हैरान मत हो मान। हमने उसकी बात मानी क्युकी वो कुछ गलत नही मांगा उसको हमारे महल पर भरोसा नही तो वो खुद का महल मांगा और उसका दूसरा उद्देश्य था रियासत राखी और गड़ी की।"
ऐसे ही बात करते हुए राजा और सभी चले गए और सिद्धार्थ धीरे से कहता है," बुड्ढा औकात से ज्यादा तेज था , उसको पता था कि हम समय पाने के लिए खुद का महल मांगा है , लेकिन राखी की रियासत उसके पहले ही हम गगन को सौप देंगे।"
तभी सिद्धार्थ को धीरे से फुसफुसाने की आवाज़ आती है और वो धीरे से दबे पांव उस आवाज के पीछे जाने लगता है -
"में कहती हूं छोर दो हमे "-
एक लड़का एक लड़की को पकड़ कर लगभग रोते हुए कहता है," मुझे मुझे माफ कर दो मैं सब कुछ करूंगा लेकिन तुम्हे आज़ाद कर दूंगा , तुम्हे हमेशा खुश रखूंगा"-
"तुम समझ क्यों नही रहे हो , में गुलाम हो अगर कोई तुम्हे देख लेगा तो तुम्हारी मौत पक्की है चले जाओ यह से तुम्हे हमारी सौगंत है रुद्र चले जाओ"-
ये कहते हुआ वो लड़की रोते हुए धीरे से कहती है," कल हमारी बोली लगाई जाएगी , हो सके तो उस समय तुम वहा होना"-
ये कहते हुआ वो रुद्र को छोर कर चली जाती है और सिद्धार्थ धीरे से कहता है ," ये तो वही लड़का है जो तीर चला रहे था और सुबह भी यही और शाम को भी युद्ध में इसका निशाना एकदम सटीक था"-
" सही बोल रहा है भाई तू"-
अचानक आई आवाज़ से सिद्धार्थ चौक गया और पलट कर बोला ,"बेटी चोद आलोक "-
आलोक उसकी बात सुन कर कहता है, " वाह गांडू मां को तूने चोदा , बेटी चोदने वाला तू और बेटी चोद मुझे बोल रहा वैसे तू क्या सोच रहा है , कुछ तो तेरे दिमाग में है। तू सबसे बड़ा तीरंदार है मुझे याद है , तेरा निशाना कभी आज तक चुका नही"-
उसकी बात सुन कर सिद्धार्थ कहता है," तुझे कैसे पता बे"-
आलोक स्माइल देते हुए कहता है," मैंने ऐसे ही नहीं पूरी कंट्री पर अपना कब्जा किया था अब बोल क्या चाहता है तू"-
"शार्प शूटर जनता है क्या होता है"-
सिद्धार्थ की बात सुन कर आलोक स्माइल करता है और धीरे से कहता है, " तो रुद्र तेरा बनेगा पहला शार्प शूटर और तेरा पहला आदमी जो तेरे लिए जान दे सके लेकिन इसका विश्वास कैसे जीतना है तुझे पता है"-
तभी सिद्धार्थ और आलोक को सब बताता है अभी जो जो हुआ और उसकी बात सुन कर आलोक कहता है," सब समझ गया "
तभी सिद्धार्थ और आलोक एक साथ कहते है "अब बनेगा नाग दल"
"देख सिद्धार्थ ट्रेनिंग कैसे दी जानी है और कैसे डिवाइड करना है मैं देख लूंगा , तू अपना तीरंदार देखना 150 सैनिक होंगे और 50 तीरंदार "
"वैसे सिद्धार्थ अब हमे चलना चाहिए , बहुत समय हो गया है और अगर देर हुई तो खाना भी नही मिलेगा"-
जैसे ही सिद्धार्थ ने ये सुना उसकी दिल की धधकने तेज़ हो गई उसकी हार्ट बीट इतनी तेज थी और उसका रोए रोए खड़े हो रहे थे और उसके सामने बस काव्या का मासूम फेस ही याद आ रहा था
"चलो चलते है"-
चलते हुआ सिद्धार्थ धीरे से कहता है ," ये रात आसान नही होगी , नही नही मुझे बस इतना याद रखना है की वो मेरी बेटी है"-
इधर आलोक और सिद्धार्थ जंगल में घूमने निकल गए थे और उधर गांव में पीपल के पेड़ के पास जमावाड़ा लगा हुआ था एक तरफ़ कई मर्द थे और दूसरी तरफ़ कई औरतें और दूसरी तरफ़ की औरतों में एक कोने काव्या चुपके से खड़ी थी क्युकी हर कोई उसे ही घूर रहा था।
"अरे तूने सुना वो काव्या का मर्द , कैसे लड़ा"-
"हा बहिन सुने तो लेकिन अब कौन होगा उसके लिया कौन जिमेदार होगा"-
तभी इन आवाजों के बीच में एक जोर दार आवाज आती है," देखो आलोक ने कहा है , जो हुआ है वो सही है और सिद्धार्थ ने जो कहा वही होगा , और इतना टेंशन लेना की क्या जरूरत है जब आज सब सही हो गया तो आगे भी सही होगा।"
गगन जो जानता था सब उसने हौसला बढ़ाया लेकिन वो भी जनता था आलोक और सिद्धार्थ अकेला युद्ध नही लड़ सकते और ऊपर से गांव वालो को अब रियासत से कोई मदद नही मिलेगी और राखी रियासत से सिद्धार्थ की लड़ाई और गढ़ी रियासत गुजरात के पास चली गई।
सब परेशान था तभी वहा ड्रम बजने की आवाज़ आने लगी और बहुत सारे सैनिक आ कर सिद्धार्थ के कुटिया के बाहर खड़े हो गया और गांव को घेर लिया जिससे कोई दिक्कत ना हो और वहा ड्रम के बीच में एक सैनिक जो ड्रम बजा रह था वो चुप चाप खड़ा था।
वही पेड़ के ऊपर से रुद्र ये सब देख कर कहता है," लो शुरू हो गई , समस्या आ गए राजा के सैनिक अब क्या करोगे सिद्धार्थ तुम"
तभी इतने सैनिक को देख कर हर कोई परेशान था तभी एक महिला सैनिक आ कर काव्या के पास खड़ी हो जाती है और ड्रम के पास खड़ा लड़का बोलना शुरू करता है-
"सुनो सुनो सुनो , गांव वालो सुनो। ये घोषणा संदेश सिंध के महाराजा जयराज की तरफ़ से आया है। आज आप सब के बीच हमारे सिंध राज्य में नए नीति मंत्री का चयन हुआ है। और सभी नीति उन्ही के द्वारा चलाई जाएंगी , और हमे उम्मीद है सिंध के नए नीति मंत्री की नीति के बदौलत हम सिंध पर अपना पूरा अधिकार कर देंगे, और आप सब से उम्मीद की जाती है नए मंत्री का दिल खोल कर स्वागत करे और उनका अभिनंदन करे। और राजा जयराज की तरफ़ से नए नीति मंत्री सिद्धार्थ और काव्या का तहे दिल से शुक्रिया करते है और उनके लिया सरोवर के नज़दीक नया महल बनाया जा रहा। "-
इतना सब सुनते ही सभी की आंखे फटी की फटी रह गई और अभी तक जो डर का मोहाल था वो अब एकाएक खुशी में बदल गया था।
तभी सैनिकों के मुखिया के जोरदार आवाज़ में कहा ," रानी काव्या की जय हो"-
पूरा सभा में रानी काव्या की जयकारा गुजने लगी और काव्या धीरे से कहती है," ये कहा है? इन्हे लाने के लिए आलोक को भेजा वो भी गायब हो गया"-
वही जैसे ही आलोक और सिद्धार्थ आते है इतनी भीड़ देख कर दंग रह जाते है और सिद्धार्थ की नजर तुरंत काव्या की मोटे मोटे चूचे पर पड़ती है तो वो जल्दी से अपने आप पूरी तरह ढक देती है और धीरे से अपना लाल गाल दूसरी तरफ़ कर लेती है और उसकी धड़कने धीरे से बढ़ जाती है और वो कापती हुई सोचती है ," इन्हे क्या हुआ जब देखो ऐसे घूरते है"-
"सिद्धार्थ धीरे से काव्या को देखता है और सोचता है कितनी मासूम है ये पूरी तनु पर गई है"
" तनु तुम कहा हो तुम्हारी बहुत याद आ रही है, मेरी गुस्साई नागिन"-
गुजरात ~
सूरत झील ~
"राजकुमारी अंजली हम हम तुम्हे बहुत पसंद करते है , तुम जो कहोगी हम वो करेंगे"-
एक लड़का कापते हुए आवाज में बोलता है , और अंजली को एक गुलाब का फूल देता है और उसके चहरे को देखता है , तो हैरान रह जाता है ,"जैसे वो जहा की सबसे खूबसूरत औरत हो"-
इसके पहले की वो लड़का कुछ और कह पाता वो दो भाग में कट गया और उसका शरीर वही कट कर गिर गया
"तुम्हारी इतनी हिमाकत की तुम हमारा चहरा देखो , अगर जिंदा होते तो जहर दे कर मार देती, तुम्हे इतना नही पता
विषकन्या तनु हमारा नाम है, हमे छू सके अभी ऐसा कोई पैदा नही हुआ और तुमने हमे देख कैसे लिया"-
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To be continued
currently the best moments are going on between Kavya and Siddharth and you are making it more interestingअध्याय - 5 राजा से मुलाकात
तभी राजा हसने लगता है और सिद्धार्थ को देखता है और यशस्वी को कहता है ," शांत पुत्री उसने कुछ गलत नही किया, और तो और हमे उसकी जरूरत है , सामने आने वाला हर कोई शत्रु नही होता, हमे उससे बात करने की जरूरत है"-
तभी उसके मन में कुल गुरु शक्ति दास की बात याद आती है," नियति बदल रही है और हम इस समय ऐसे बुरे वक्त में हम हार तो रहे ही है। तो क्या गुरु ने इसी लड़के की बात की थी"-
"तुम्हारी पुत्री की नियति ऐसे लड़के को खींच के लाएगी अब वो नियति मेरे ऊपर है"-
तभी राजा जयराज सिद्धार्थ की तरफ़ आता है
अब आगे ---
"तो तुम हो सिद्धार्थ , पिछले कुछ दिनों तुम्हारे बारे में बहुत सुना है , और आज सामने तो लगता है कदाचित जो सुना था वो गलत भी हो सकता है",राजा जयराज अपने मूछों पर ताव देते हुए रथ से उतर कर बोला।
और उसकी बात सुन कर वहा मौजूद सभी सैनिक हसने लगे और सेनापति मान सबको शांत रहने का इशारा करता है और सिद्धार्थ को सावधानी से देखता है।
और सिद्धार्थ जो राजा की बात सुनता है तो वो भी हसने लगता है और कहता है," महाराज की जय हो , और आपने सही सुना या गलत इसका उतर तो कदाचित वक्त ही बताएगा और ये इस बात पर भी निभर करता है की आपने क्या सुना है। "-
तभी राजा ने जैसे ही उसकी बात सुनी तो वो हसने लगे और मुस्कुराते हुए बोले," तुम कदाचित ही वही हो जिसके बारे में हमने सुना है, अपने दिमाग से रणनीति बना कर हर काम करते हो"-
राजा की बात सुन कर सिद्धार्थ ने मुस्कुराते हुए कहा ," मैं रणनीति भी अपनी सखी के लिए बना रहा हूं महाराज और ये रणनीति कहा है महाराजा ये तो बस मेरा और मेरी मित्र साक्षी का बस दोस्ताना है इसमें कोई रणनीति नही , हम तो टहरे सीधे से गांव के निवासी।"-
सिद्धार्थ की बात सुन कर राजा के चहरे के भाव बदल जाते है और वो साक्षी की तरफ़ देखता है जो बच्चों के जैसे खिलखिला रही थी और सिद्धार्थ को जीभ निकाल कर चिड़ा रही थी और उसकी बात सुन कर यशस्वी जो अब तक शांत थी वो चिलाते हुआ बोलती है , " तुम झूठ बोल रहे हो, तुम्हारा मतलब अगर इतना ही है तो सुबह हमारे सैनिकों की हत्या क्यों की और साक्षी के करीब आने के लिए हमारे सैनिकों को रास्ते से हटाना की क्या जरूरत थी और उसके बाद डाकुओं से तुम्हारा मिलना और गांव वालो की रक्षा क्या ये सब महज़ इत्तेफाक है।"-
सिद्धार्थ धीरे से कहता है ," साक्षी के करीब आने के लिया हमे किसी को रास्ते से हटाने की जरूरत नही , लेकिन रास्ते में आने वाले कुछ काटो को हटाना पड़ता है और वो आपके सैनिक थे, वो मरे नही थे, बस बेहोश थे और हमने गांव वालो की रक्षा की तो इससे आपको क्या दिक्कत है। "-
तभी ये कहते हुए सिद्धार्थ सोचने लगता है " ये बहनचोद यशस्वी कितने गुस्से वाली है इसकी हरकतें ऐसी है , लेकिन इसको कैसे पता ये सब"-
ये सोचते हुआ उसकी नज़र काया पर पहुंच जाती है जो दूसरी तरफ़ मुंह कर के सीटी बजाने लगती है जैसे उसको कुछ नही ," ये बहन की पकोड़ी इसकी तो बैंड बजा दूंगा"-
तभी राजा कहता है," ठीक है हम मानते है तुम ये सब नही किए, तुम्हारी मनसा ठीक थी, लेकिन एक राजकुमारी के इतने करीब चोरी छिपे मिलना क्या ये सही है? वो भी तब जब राजा युद्ध में लगा हो"-
इस बार सिद्धार्थ के पास जवाब नही था और वो थोड़ा सोचता है लेकिन राजा उसके पहले ही इस मौके का लाभ उठाने का सोचते है और कहते है।
" चलो हम तुम्हे इसके लिए माफ भी कर दे , लेकिन उसके बदले तुम्हे हमारे राज्य के अंदर महल में साक्षी के रक्षा और नीति मंत्री के रूप में कार्य करोगे"-
उसकी बात सुन कर सिद्धार्थ के चहरे पर स्माइल आ जाती है और वो धीरे से कहता है लेकिन उसके बदले मेरी एक शर्त है।
"यही की तुम साक्षी से मिल सको , तो ठीक है जब जब यशस्वी रहेगी तुम साक्षी से मिल सकोगे और उसकी मानसिक इस्तीति के बारे में तुम्हे ज्ञात है, याद रहे कुछ अनुचित ना करना"-
राजा की बात सुन कर सिद्धार्थ कहता है," मादरचोद बुड्ढा , साक्षी के साथ साथ यशस्वी को भी पकड़ा दिया ये , आफत की टुकड़ी हमेशा गुस्सा मैं रहती है, है तो ये भी नागिन ही तो असर ऐसे थोड़े चला जाएगा"-
तभी राजा के बगल सेनापति धीरे से मन में कहता है, " महाराज वाह , सीधा इसको सिंध से जोड़ लिया ताकि ये किसी और के साथ कार्य ना कर सके और ये सिंध से जुड़ा रहेगा तो अंदरूनी खतरो से राजा बेफ्रिक रहेंगे और इसकी नीति की वजह से सिंध राज्य मजबूत हो सकता है लेकिन ये कब तक रहेगा।"
यही सोचते हुआ सेनापति मान खोए हुए थे लेकिन उसके पहले ही राजा की आवाज़ उसके कानो में पड़ती है और वो धीरे से कहता है ," तुम यही सोच रहे हो ना मान , की ये कब तक सिंध से जुड़ा रहेगा ये हमेशा सिंध से जुड़ा रहेगा , हमने इसके बारे में पहले ही सोच लिया है। लेकिन इस युद्ध के पश्चात, बस इसकी एक गलती फिर हम खुद ब खुद इसे सिंध के लिया खड़े रहने पर बाध्य कर देंगे"-
तभी सेनापति सोच में पढ़ जाता है और धीरे से कहता है , "आपका मतलब है ,विवाह"-
राजा हसने लगता है और धीरे से कहता है ," अभी हम युद्ध में है और ना जाने कब क्या हो अभी इस विषय पर चर्चा करने का समय नही है"-
और उसकी बात सुन कर मान चुप हो जाता है और कहता है ," लेकिन साक्षी के साथ विवाह ही तो इस लड़के की मनसा मालूम होती है इससे तो इस्तिति उसके पक्ष में"-
तभी राजा मान पर हस्त है और यशस्वी की तरफ़ देखता है ," जिसकी सुंदरता चांद के जैसी थी लेकीन उसका गुस्सा"
एक पल को मान कपकपा जाता है और धीरे से कहता है ," तुम्हारा क्या होगा सिद्धार्थ"-
सिद्धार्थ के दिमाग में इस समय साक्षी और यशस्वी के बजाए कुछ और ही चल रहा था वो धीरे से आगे बढ़ते है और धीरे से कहता है," हमे कुछ घोड़े और कुछ सैनिक चाहिए"-
उसकी बात सुन कर मान हस्त है और धीरे से कहता है ," हमे पता है तुम यह के सूबा जीतना चाहते हो लेकिन उतना आसान नही, फिर भी तुम अलग हो और रही बात सैनिक और घोड़े की तो तुम्हे कल 75 घोड़े , तलवार और तीर कमान और सैनिक की एक टुकड़ी दी जाएगी"-
तभी सिद्धार्थ कहता है ," माफ करे "-
उसकी बात सुन कर राजा धीरे से कहता है ," तुम फिर क्या चाहते हो?"-
सिद्धार्थ के चहरे पर एक मुस्कान आते है और वो राजा के करीब आता है और धीरे से कहता है," हमे खुद का एक दल बनाने की आज्ञा दी जाए और जिससे हम नए नए सैनिक उसमें डाल सके जो केवल मेरी आज्ञा माने जिसके बारे में किसी को ना पता हो"
उसकी बात सुन कर राजा हस्त है और धीरे से कहता है ,हमे मंजूर है।
"घोड़े और अस्त्र शस्त्र तुम्हे भवन से मिल जाएंगे और इस दल में अभी केवल 200 सैनिक ही जोड़ना"-
"तुम महल में रहना शुरू कर दो "-
सेनापति और राजा की बात सुन कर सिद्धार्थ को पसीना आ जाता है और वो धीरे से कहता है हमे सरोवर के बगल हमारा खुद का महल चाहिए जो महल के सबसे करीब पड़ता है , और फिर साक्षी को भी ये पसंद आएगा , और मेरी पत्नी को भी।
इस बार सिद्धार्थ की बात सुन कर राजा हस्त है और कहता है , 1 महीना के अंदर तुम्हारा महल बन जाएगा फिर तुम्हे यह आना पड़ेगा और तुम दिन भर महल रहोगे तुम्हारे कुटिया के पास हमेशा सैनिक रहेंगे ताकि तुम्हारा गांव सुरक्षित रहे
"कल मिलते है सिद्धार्थ , ये कहते हुए वो सिद्धार्थ को 1000 सोने की मोहरे दे देता है"-
तभी वहा से राजा और मान और सभी निकल पड़ते है और राजा को सिद्धार्थ की बात मानता देख खुद मान हैरान था।
" ऐसे हैरान मत हो मान। हमने उसकी बात मानी क्युकी वो कुछ गलत नही मांगा उसको हमारे महल पर भरोसा नही तो वो खुद का महल मांगा और उसका दूसरा उद्देश्य था रियासत राखी और गड़ी की।"
ऐसे ही बात करते हुए राजा और सभी चले गए और सिद्धार्थ धीरे से कहता है," बुड्ढा औकात से ज्यादा तेज था , उसको पता था कि हम समय पाने के लिए खुद का महल मांगा है , लेकिन राखी की रियासत उसके पहले ही हम गगन को सौप देंगे।"
तभी सिद्धार्थ को धीरे से फुसफुसाने की आवाज़ आती है और वो धीरे से दबे पांव उस आवाज के पीछे जाने लगता है -
"में कहती हूं छोर दो हमे "-
एक लड़का एक लड़की को पकड़ कर लगभग रोते हुए कहता है," मुझे मुझे माफ कर दो मैं सब कुछ करूंगा लेकिन तुम्हे आज़ाद कर दूंगा , तुम्हे हमेशा खुश रखूंगा"-
"तुम समझ क्यों नही रहे हो , में गुलाम हो अगर कोई तुम्हे देख लेगा तो तुम्हारी मौत पक्की है चले जाओ यह से तुम्हे हमारी सौगंत है रुद्र चले जाओ"-
ये कहते हुआ वो लड़की रोते हुए धीरे से कहती है," कल हमारी बोली लगाई जाएगी , हो सके तो उस समय तुम वहा होना"-
ये कहते हुआ वो रुद्र को छोर कर चली जाती है और सिद्धार्थ धीरे से कहता है ," ये तो वही लड़का है जो तीर चला रहे था और सुबह भी यही और शाम को भी युद्ध में इसका निशाना एकदम सटीक था"-
" सही बोल रहा है भाई तू"-
अचानक आई आवाज़ से सिद्धार्थ चौक गया और पलट कर बोला ,"बेटी चोद आलोक "-
आलोक उसकी बात सुन कर कहता है, " वाह गांडू मां को तूने चोदा , बेटी चोदने वाला तू और बेटी चोद मुझे बोल रहा वैसे तू क्या सोच रहा है , कुछ तो तेरे दिमाग में है। तू सबसे बड़ा तीरंदार है मुझे याद है , तेरा निशाना कभी आज तक चुका नही"-
उसकी बात सुन कर सिद्धार्थ कहता है," तुझे कैसे पता बे"-
आलोक स्माइल देते हुए कहता है," मैंने ऐसे ही नहीं पूरी कंट्री पर अपना कब्जा किया था अब बोल क्या चाहता है तू"-
"शार्प शूटर जनता है क्या होता है"-
सिद्धार्थ की बात सुन कर आलोक स्माइल करता है और धीरे से कहता है, " तो रुद्र तेरा बनेगा पहला शार्प शूटर और तेरा पहला आदमी जो तेरे लिए जान दे सके लेकिन इसका विश्वास कैसे जीतना है तुझे पता है"-
तभी सिद्धार्थ और आलोक को सब बताता है अभी जो जो हुआ और उसकी बात सुन कर आलोक कहता है," सब समझ गया "
तभी सिद्धार्थ और आलोक एक साथ कहते है "अब बनेगा नाग दल"
"देख सिद्धार्थ ट्रेनिंग कैसे दी जानी है और कैसे डिवाइड करना है मैं देख लूंगा , तू अपना तीरंदार देखना 150 सैनिक होंगे और 50 तीरंदार "
"वैसे सिद्धार्थ अब हमे चलना चाहिए , बहुत समय हो गया है और अगर देर हुई तो खाना भी नही मिलेगा"-
जैसे ही सिद्धार्थ ने ये सुना उसकी दिल की धधकने तेज़ हो गई उसकी हार्ट बीट इतनी तेज थी और उसका रोए रोए खड़े हो रहे थे और उसके सामने बस काव्या का मासूम फेस ही याद आ रहा था
"चलो चलते है"-
चलते हुआ सिद्धार्थ धीरे से कहता है ," ये रात आसान नही होगी , नही नही मुझे बस इतना याद रखना है की वो मेरी बेटी है"-
इधर आलोक और सिद्धार्थ जंगल में घूमने निकल गए थे और उधर गांव में पीपल के पेड़ के पास जमावाड़ा लगा हुआ था एक तरफ़ कई मर्द थे और दूसरी तरफ़ कई औरतें और दूसरी तरफ़ की औरतों में एक कोने काव्या चुपके से खड़ी थी क्युकी हर कोई उसे ही घूर रहा था।
"अरे तूने सुना वो काव्या का मर्द , कैसे लड़ा"-
"हा बहिन सुने तो लेकिन अब कौन होगा उसके लिया कौन जिमेदार होगा"-
तभी इन आवाजों के बीच में एक जोर दार आवाज आती है," देखो आलोक ने कहा है , जो हुआ है वो सही है और सिद्धार्थ ने जो कहा वही होगा , और इतना टेंशन लेना की क्या जरूरत है जब आज सब सही हो गया तो आगे भी सही होगा।"
गगन जो जानता था सब उसने हौसला बढ़ाया लेकिन वो भी जनता था आलोक और सिद्धार्थ अकेला युद्ध नही लड़ सकते और ऊपर से गांव वालो को अब रियासत से कोई मदद नही मिलेगी और राखी रियासत से सिद्धार्थ की लड़ाई और गढ़ी रियासत गुजरात के पास चली गई।
सब परेशान था तभी वहा ड्रम बजने की आवाज़ आने लगी और बहुत सारे सैनिक आ कर सिद्धार्थ के कुटिया के बाहर खड़े हो गया और गांव को घेर लिया जिससे कोई दिक्कत ना हो और वहा ड्रम के बीच में एक सैनिक जो ड्रम बजा रह था वो चुप चाप खड़ा था।
वही पेड़ के ऊपर से रुद्र ये सब देख कर कहता है," लो शुरू हो गई , समस्या आ गए राजा के सैनिक अब क्या करोगे सिद्धार्थ तुम"
तभी इतने सैनिक को देख कर हर कोई परेशान था तभी एक महिला सैनिक आ कर काव्या के पास खड़ी हो जाती है और ड्रम के पास खड़ा लड़का बोलना शुरू करता है-
"सुनो सुनो सुनो , गांव वालो सुनो। ये घोषणा संदेश सिंध के महाराजा जयराज की तरफ़ से आया है। आज आप सब के बीच हमारे सिंध राज्य में नए नीति मंत्री का चयन हुआ है। और सभी नीति उन्ही के द्वारा चलाई जाएंगी , और हमे उम्मीद है सिंध के नए नीति मंत्री की नीति के बदौलत हम सिंध पर अपना पूरा अधिकार कर देंगे, और आप सब से उम्मीद की जाती है नए मंत्री का दिल खोल कर स्वागत करे और उनका अभिनंदन करे। और राजा जयराज की तरफ़ से नए नीति मंत्री सिद्धार्थ और काव्या का तहे दिल से शुक्रिया करते है और उनके लिया सरोवर के नज़दीक नया महल बनाया जा रहा। "-
इतना सब सुनते ही सभी की आंखे फटी की फटी रह गई और अभी तक जो डर का मोहाल था वो अब एकाएक खुशी में बदल गया था।
तभी सैनिकों के मुखिया के जोरदार आवाज़ में कहा ," रानी काव्या की जय हो"-
पूरा सभा में रानी काव्या की जयकारा गुजने लगी और काव्या धीरे से कहती है," ये कहा है? इन्हे लाने के लिए आलोक को भेजा वो भी गायब हो गया"-
वही जैसे ही आलोक और सिद्धार्थ आते है इतनी भीड़ देख कर दंग रह जाते है और सिद्धार्थ की नजर तुरंत काव्या की मोटे मोटे चूचे पर पड़ती है तो वो जल्दी से अपने आप पूरी तरह ढक देती है और धीरे से अपना लाल गाल दूसरी तरफ़ कर लेती है और उसकी धड़कने धीरे से बढ़ जाती है और वो कापती हुई सोचती है ," इन्हे क्या हुआ जब देखो ऐसे घूरते है"-
"सिद्धार्थ धीरे से काव्या को देखता है और सोचता है कितनी मासूम है ये पूरी तनु पर गई है"
" तनु तुम कहा हो तुम्हारी बहुत याद आ रही है, मेरी गुस्साई नागिन"-
गुजरात ~
सूरत झील ~
"राजकुमारी अंजली हम हम तुम्हे बहुत पसंद करते है , तुम जो कहोगी हम वो करेंगे"-
एक लड़का कापते हुए आवाज में बोलता है , और अंजली को एक गुलाब का फूल देता है और उसके चहरे को देखता है , तो हैरान रह जाता है ,"जैसे वो जहा की सबसे खूबसूरत औरत हो"-
इसके पहले की वो लड़का कुछ और कह पाता वो दो भाग में कट गया और उसका शरीर वही कट कर गिर गया
"तुम्हारी इतनी हिमाकत की तुम हमारा चहरा देखो , अगर जिंदा होते तो जहर दे कर मार देती, तुम्हे इतना नही पता
विषकन्या तनु हमारा नाम है, हमे छू सके अभी ऐसा कोई पैदा नही हुआ और तुमने हमे देख कैसे लिया"-
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To be continued
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Mind blowing update and superb startedअध्याय - 1 नई शुरुआत
"का हो भैया , और बतावा कैसेन आहा?"
"अब का ही बताई हो लाखन , तू तो जानत आहा बहुत बेकार हाल बा और तो ऊपर से इ बारिश साली होत ही नही बा अगर एह बार बारिश ना होए तो बहुत नुकसान होई जाए?".
"यार भाया बारिश के वजह से तो हमारो बहुत चीज़ रुकी बा , ऊपर से सिंध के राजा ने फसल पर 35% कर लगाए हायेन और डाकू अनुराधा को भी देना पड़ता है बहुत दिक्कत बा हो ऊपर से जंगली जानवरों का अलग खतरा".
"भाया नहर से पानी अगर मिल जाए तो हम सब किसानन के फसलीय बच जाए".
"नाही हो लाखन , बहुत मुस्किल बा मुल्तान से आनी वाली नदी के पानी के मुल्तान रोक देह बा और अभी सिंध और गुजरात के बीच के मोहाल बहुत खराब बा और अभिन सिंध के राजा जयराज गुजरात से मुद्दा सुलझाने में बहुत बिजी आहे".
"चला हो तब अपन नहर से पानी ले के फसल तक डाले और एह मामले के बिना हम सब के यहा के सूबेदार से बात करना पड़ेगा".
वही इन सब बात करते हुए चले जा रहे था और नहर के काम में जूट गया और नहर के पानी को मोड़ते वक्त पानी दूसरी दिशा में मुड़ जाता है जहा दूसरी बड़ी पहाड़ी थी और उस बहते पानी की कुछ बूंदे वहा लेटे एक लड़के पर पड़ती है।
"अह्ह्ह्ह मम्मी मैं कहा हूं"ही
"पूरा सर फटा जा रहा इसकी बहन का पकोड़ा".
"आस पास कोई है भी नही , की मैं उनसे पूछ लूं?, तनु दीदी ने कहा था मैं किसी अलग डाइमेंशन में चला जाऊंगा?"
आलोक वही उठ कर आस पास कुछ ढूढने लगता है तभी उसके कान में कुछ आवाज़ पड़ती है.
"आह्ह्ह यार क्या हो रहा है , पता नही कौन कौन आ जाता है सही से चोदने भी नही देता?"-
आलोक सीड की आवाज सुन कर हैरान हो जाता है और कहता है ," अबे बहनचोद सिद्धार्थ तू यह क्या कर रहा है बे ?"
जैसे ही सीड वो आवाज सुनता है तो और हैरान हो जाता है
"अरे तेरी मां की मैं यहां कैसे आ गया? मैं तो रूही की बजा रहा था और ...."।
उसकी आवाज सुन कर आलोक हसने लगता है और कहता है "तू भी मेरी तरह यह गायब हो गया"।
सीड उसकी बात सुन कर इरिटेट हो जाता है और कहता है,"गांडू तेरी वजह से मैं यहां आ गया और साला तू आया तो आया मैं क्या आ गया".
"अबे वो चूत मारी के मैं क्यों तेरे से जलने लगा बे, और तुझे लगता है तेरी पत्नियों की मर्जी के बिना तू यहाँ आ सकता है शायद वो खुद चाहती हो की तू ताकतवर बने और उन्हें हासिल करे साबित करे, और फिर क्या पता मेरे भाई क्या दिक्कत हुई हो"।
आलोक जैसे ही बोलना खत्म करता है सीड उससे बोलता है," जा बे झाटू तूने चूत मारी के अपनी मढ़ी खो दी और पूरे किए के लोड़े लगा दिए वैसे हम कहा है"।
"उठते ही कुत्ते की तरह मेरे ऊपर भौंकना शुरू कर दिया और मुझसे पूछ रहा हम कहा है तेरी गांड में है भूतनी के भाई भोस्डकी के हम 1400 के टाइम में आ गया है सिंध राज्य में"।
आलोक सीड को समझता है और कहता है "हमे अपना सब कुछ वापिस पाना होगा हमे अगर हमारी शक्तियां मिल गई तो हम वापिस जा पाएंगे लेकिन वो शक्तियां के लिए यह सब सुलझाना पड़ेगा और नागलोक का मंदिर ढूढना पड़ेगा और नाग मंदिर तब खुलेगा जब हमारी सारी पत्नियां मिल जाएगी और तब हमे हमारी शक्ति मिल जाएगी , और एक बात अब से सीड मत बोलना अपना नाम याद करो सिद्धार्थ है ये पुराने टाइम पर ये सब नाम नही होते थे शॉर्ट फॉर्म उसी टाइम के लिया सही होता था"।
जैसे ही आलोक बोलना बंद करता है सिद्धार्थ बोलना शुरू करता है ,"नही हमे हमारी शक्ति मिल जाएंगी लेकिन कुछ सही नही है टाइम के साथ छेड़ छाड़ हुई है, कोई नही चाहता की हम दोनो को सिस्टम मिला और कोई है जिसने टाइम मैं छेड़ छाड़ की है"।
सिद्धार्थ की बात सुन कर आलोक हैरान हो जाता है और कहता है ,"अगर ऐसा है तो अब समझ आया साक्षी ने हम सब को वहा से क्यों गायब कर दिया यानी उस टाइम में हम सब मर चुके है , साक्षी के पास हम सब को बचाने का यही तरीका था लेकिन वो जो भी है हम सब से आगे है"।
आलोक की बात सुन कर सिद्धार्थ कहता है ,"गांडू कोई तेरा साथ खेल के चला गया, तेरी गांड फाड़ गया और तेरा जरिए हमे समय में फसा गया और तू कहता है कहता है हा, अबे मादरचोद नादमंदिर में जो हमारा सिस्टम है वो हमे ऐसा मिल जाएगा क्या, और नाग मंदिर कहा है तुझे नहीं पता जिस राज्य में होगा वहा की सल्तनत हमे उसको लेने देगी ना?".
सिद्धार्थ की बात सुन कर आलोक कहता है, "हा हम कर लेंगे वैसे एक बात तो है, तू है बड़ा मादरचोद अगर टाइम पर इतना दिमाग लगा लेता तो हम यहां नही होते"।
आलोक की बात सुन कर सिद्धार्थ एक किनारे बैठ जाता है और धीरे से कहता है ," मुझे बहुत याद आ रही तुम सब की तनु"।
फिर अगले ही पल सिध्दार्थ और आलोक जो अपने अपना किए पर पछता रहे थे उन्हे अब समझ आ गया था की वो सब बस प्यादे थे तनु ने उन सब को बचाने के लिए सब कुछ खो दिया और जब तक तनु जिंदा थी उसने ये सच सामने नही आने दिया उन पर कोई आंच नही आने दी।
"सिद्धार्थ इस टाइमलाइन में तनु होगी सब होंगे हमारे पास मौका है, वो शक्तिशाली नही तो क्या हुआ हम तो बन सकता है तुम तो फिर भी ठीक हमारा सोचो?"।
तभी उन दोनो को कुछ आवाज़ आने लगती हैं।
"सैनिकों इन दोनो को बंदी बना लो"।
"हा हा हा हा हा"
आलोक और सिद्धार्त को घेरे हुए कई सैनिक जब हसी की आवाज़ सुनते है तो उनका मुखिया जो उस सैनिक दल का पभारी था वो थोड़ा हैरान हो जाता है और अपनी तलवार निकलता है।
तभी सिद्धार्थ उसकी तलवार निकालने से पहले ही उसका गला दबा देता है और बाकी के सैनिक अपनी तलवार और भाला ले कर सिद्धार्थ की तरफ आ जाते है और उसके पहले ही आलोक उन सब पर हमला कर देता है और उन्हें एक एक कर के मारने लगता है।
"आलोक किसी को भी मारना मत"।
"सिद्धार्थ ये तू क्या कह रहा है, हमारे पास अच्छा मौका है, ये हम दोनो को मारने आया थे, अभी ये सब बेहोश है " आलोक सिद्धार्थ को समझाने लगता है लेकिन उसके पहले ही उसके कान में आवाज़ आती है।
"हमला करने वाला हर कोई दुश्मन नही होता, आलोक ये यहां है तो जरूर इसके पीछे कुछ वजह होगी? , चलो यहां से" ये कहते हुए सिद्धार्थ आगे आता है और उनके प्रभारी को देखता हैं और उसके कपड़े उतारने लगता है।
उसकी ये हरकत देख कर आलोक हैरान हो जाता है और कहता है, " अब क्या लडको की भी गांड मारेगा मैं तो कहता हूं चलो मार देता है।"
"अबे गांडू अपने कपड़े बदल और चल यहां से", ये कहते हुए सिद्धार्थ आगे बढ़ जाता है और उसके पीछे आलोक भी आने लगता है।
आलोक सिद्धार्थ को ही देखता रहता है और मन मैं कहता है , "ये अभी ही इतना मजा दे रहा जबकि इसका मूड खराब है कुछ दिन मैं ये नॉर्मल हो जाएगा तो अपना रंग दिखाएगा थरकी , वैसे तुम्हारा जवाब नही सिद्धार्थ इसमें कोई डाउट नही की लड़कियां तेरी दीवानी थी"।
"वैसे सिद्धार्थ एक सवाल पूछूं?"
"हां पूछ ना"-
"तूने उन्हे क्यों नहीं मारा?"
"आलोक जिंदगी के दांव है और समय समय पर हमे दांव खेलना पड़ेगा , साम्राज्य केवल युद्ध से नही बनाएं जाते और बस मैंने एक दांव ही खेला है।"
"वैसे हम दोनो कहा चल रहे है"
"लड़कियां को नहाते हुए देखने", सिद्धार्थ ने एक प्यारी आवाज के साथ बोला।
सिद्धार्थ आगे कुछ बोलता उसके पहले ही उसको कुछ हसीं की आवाज़ सुनाई पड़ती है, और सिद्धार्थ उसी तरफ चल पड़ता है।
"ही ही ही मैं जा रही उड़ने, मुझे महल मैं अच्छा नही लगता , आपको नही पता दीदी , मैं उड़ने के लिए बनी हूं चिड़िया हूं मैं।"
"राजकुमारी साक्षी कृपया रुक जाइए वर्ना बड़ी राजकुमारी को पता चेलेगा की आप यहा है तो वो हम सब का खून पी जाएंगी"
"तो मत बताना तुम उन्हे , ही ही ही वैसे भी हमे वैद जी की कड़वी कड़वी दवा पीनी पड़ती है उन्हे बताओ तुम की मैं तो चिड़िया हूं ना, वो हमे उड़ने से रोक देते है।"
"राजकुमारी साक्षी कृपया रुकिए, हम आपके साथ सारे खेल खेलेंगे अभी रुक जाइए"
"वादा करो काया"
साक्षी काया से बोल ही रही थी की उसे एहसास हुआ की कोई उसको देख रहा है तो वो अपनी नज़र घुमा कर देखती है।
"अरे तुम हमें चोरों के भाती हमे देखते हो, जानते नही हो अभी हमे हम सिंध की राजकुमारी साक्षी है"
साक्षी को अपनी तरफ़ देखते देख सिद्धार्थ तो जैसे एक जगह जम सा गया, उसकी ये हरकते बच्चों जैसी उसकी ये अटखेली
"अरे अब बोलते क्यों नही, चुप क्यों हो बोलो वर्ना सर कलम करवा देंगे तुम्हारा", साक्षी की आवाज़ सुन कर सिद्धार्थ अपने विचारो से बाहर आ जाता है।
"हा मैं तो तुम्हे देख रहा था, कोई मेरी तरह चिड़िया है तो मैं तुम्हे देखने लगा , क्या ये कोई गुनाह है सक्षुऊ"
"अरे हमारा नाम बिगाड़ते हो , और तुम चिड़िया नही हो वो तो मैं हूं"
साक्षी ने मुंह बनाते हुए बोलना शुरू किया और तभी उसके कान में आवाज़ आती है ,"चलो हमे पकड़ के दिखाओ फिर तुम्हारी बात मान लेंगे हम"
सिद्धार्थ की आवाज़ सुन कर साक्षी उसके पीछे भाग पड़ती है और सिद्धार्थ भी भागने लगता है और हसने लगता है।
तभी साक्षी की दासी काया उसको पकड़ लेती है और कहती है," राजकुमारी आप ये क्या कर रही है चलिए और तुम चले जाओ इसके पहले की हम तुम्हे कारागार में डलवा दे."
"अरे हमने क्या किया हम तो बस राजकुमारी के साथ खेलने आए थे, राजकुमारी हमने कोई गलत बात कही?"
"ही ही ही, तुम्हारा क्या नाम है हा?"
सिद्धार्थ साक्षी के पास आता है और धीरे से कहता है "बताया तो चिड़िया"
"ही ही ही , मेरा नाम सिद्धार्थ वैसे आपके साथ भी कोई नही खेलता ना" सिद्धार्थ उदास होते हुआ बोलता है जिससे सुन कर साक्षी कहती है ," हा सब मुझे देख कर कहते है मेरा दिमाग नही है , बताओ तुम क्या मेरा दिमाग छोटा है नही ना"
सिद्धार्थ उसकी बात सुन कर कहता है ,"नही बिलकुल नही आपका दिमाग बच्चों जैसा बिल्कुल नही है आपका दिमाग तो बहुत प्यारा है"
"वैसे तुम्हारे साथ कोई क्यों नही खेलता हा तुम्हारे कोई दोस्त नहीं है क्या ?"
"नही कोई मेरा दोस्त ही नही बनता, हमे भगा देते है और कहता है जाओ राजकुमारी के साथ खेलो"
"ही ही ही कितना झूठ बोलते हो, हमसे झूट तो नही कह रहे ना जानते हो ना हम सिंध की राजकुमारी है।"
"राजकुमारी अपना पल्लू सही कीजिए और सैनिकों , सब के सब कहा मर गए।"
काया अब गुस्सा में थी और उसको गुस्सा में देख कर सिद्धार्थ भाग कर साक्षी के पीछे छुप जाता है और धीरे से कहता है देखो सखी ये मुझे डरा रही है।
तभी साक्षी अपनी आंखे खोलती है और सिद्धार्थ को देखते हुए कहती है ,"ही ही ही सखा, ठीक है हम हमारे साथ खेलने आना, तुम्हे कोई खेल आता है।"
"हा आता है ना , बहुत से खेल आते है हमे , हम आपको बहुत सारे खेल इतने सारे के आप खुद नही समझ पाएंगी, बस हमारी रक्षा करेंगी ना आप मेरी साक्षी।"
"ही ही तुम अच्छे लगे हमे, हम अब जा रहे है आपको बाद में मिलते है वर्ना हमारी बहन हमे बहुत डाटेंगी।"
तभी सारे सैनिक आ जाते है और काया राजकुमारी को ले कर जाने लगती है और धीरे से कहती है "मुझे रूही को बताना होगा कि अब साक्षी सुरक्षित नही , गुजरात के राजा अब साक्षी के लिए अपनी गतिविधि बढ़ा दिया है ये जरूर गुजरात का कोई होगा, तुम्हारी जान तो ये काया ही लेगी सिद्धार्थ"
जैसे ही वो लोग चले जाते है तो सीड आजू बाजू देखता है तो उसको आलोक नही मिलता ,"अरे मादरचोद ये कहा गया , वैसे साक्षी कितनी हॉट लग रही है उफ्फ रानी के वेश भूषा मैं वो सुंदर लगती है ।".
झरने के पास
"अरे ये आवाज़ कैसी , ये लड़की कौन है बड़ी प्यारी आवाज़ है देखू तो जरा।".
जैसे ही आलोक आगे आता है उसको झरने में एक लड़की नहाते हुए दिखाई पड़ती है।
उसको देखते ही एक बार आलोक की पूरी नियत डोल गई अब आलोक को समझ आया की उसने अपनी उस जिंदगी मैं क्या खो दिया पहली बार उसको किसी लड़की को देख कर उसकी दिल की धड़कन बढ़ गई है।
"आह्ह्ह्ह ये क्या हो रहा आज पहली बार मुझे चुम्बन मिलेगा।"
ये कहते हुए आलोक उसका गीला बदन देखता रहता है जो पानी मैं भीगा हुआ था और उसको देखते ही आलोक की सांसें बढ़ जाती है और अपने आप को कंट्रोल नही कर पाता और पानी मैं आ जाता है।
जैसे ही वो लड़की के पीछे आता है वो लड़की बिना पलते कहती है सखी कहा रह गई थी तू हा ," इतनी देर हो गई"
तभी उसको अहसास होता है की किसी का हाथ उसके मुलायम चूचों पर होता है और बहुत जोर से चिल्लाती है और पलट जाती है और सामने इंसान को देख कर उसकी सास अटक जाती है और वो एक थप्पड़ मारती है वही आलोक उसकी चूची को दबाते हुए कहता है "सॉफ्ट है", वही आलोक को वो लड़की बहुत जोर से धक्का देती है और रोने लगती है और आलोक को जो चाकू से हमला करने वाली होती है वो चाकू फेक कर रोने लगती है।
उसका शोर सुन कर आस पास से एक लड़की आती है और चिल्लाती है "क्या हुआ आस्था बोल मुझे?".
वही सीड जो साक्षी को सोचते हुआ बैठा था उसको जैसे ही चीख सुनाई पड़ती है तो वो है भागने लगता है और कहता है," ये बहन का चोदा पेलवा दिया मैं ही गांडू हो जो चूतिए को जाने दिया अकेले।"
जैसे ही सिद्धार्थ आता है और देखता है आलोक और 2 लड़की वही खड़े थे एक लड़की रो रही थी और दूसरी लड़की पूछ रही थी क्या हुआ।
"क क कुछ नही , मैं डर गई थी बहुत तो इसीलिए चिल्ला दी"
"तू भी ना आस्था की बच्ची , फालतू मैं डरवा दिया" तभी आस्था रोते हुए थोड़ा लड़के की तरफ इशारा करती है।
वो लड़की कहती है," आ आलोक भाई जिंदा हो"
"क्या हो रहा है यहा , आलोक?" सिद्धार्थ हापते हुए पूछता है।
वही वो दूसरी लड़की जो दूर खड़ी थी, वो सिद्धार्थ के लहराते हुए बाल और उसका मासूम चहरा देखती है तो उसकी आंखे नम हो जाती है।
और सिद्धार्थ उस लड़की को देखता है तो उसको तनु का छोटा सा अंश नजर आता है और वो मन मैं कहता है ,"मेरी बेटी काव्या"
वही काव्या दौड़ कर आती है और उसके गले लग जाती है ,"आप आप जिंदा है"
ये कहते हुए वो रोने लगती है फूट फूट कर और सीड उसमें तनु को देख कर खुश था।
तभी जैसे ही आस्था अपनी सहेली को दूर जाते हुए देखती है वो कहती है रोते हुए आलोक से ,"भैया आपको अपनी ही बहन के साथ ऐसा करने मैं शर्म नही आई अपनी ही सगी बहन से।"
वही आलोक ये सुन कर डर जाता है और सीड के पास आ कर खड़ा हो जाता है और मन मैं कहता है ," बेटी चोद सिद्धार्थ ही ये सब सही कर सकता है।"
वो सीड से कहता है "चलो अब तुम खुश हो काव्या तुम्हारा भाई मिल गया तुम्हे क्यों सीड"
काव्या आलोक को ऐसे देखती है जैसे पागलखाने से कोई पागल आ गया हो।
तभी आस्था एक जोरदार तमाचा मारती है आलोक को और कहती है ,"माफ करना काव्या मेरा भाई पागल है तू खुश हो जा देख तेरा सुहाग आ गया है तेरी मांग का सिंदूर
तुझे मिल गया।"
वही ये सुन कर सीड कहता है," क्या बकवास है ये मां की चूत।"
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To be continued..... Update de diya ab review aur like thok dena ka.... Stay tunned guyss.... target - 10