- 44
- 304
- 53
उधर सुलेमान पागलो की तरह आदर्श की तलाश मे था उसको कोई सुराग देने के लिए तयार नही था और सुलेमान
सुलेमान : कौन है ये मादरचोद जिसके बारे मे कोई कुछ बताने को त्यार नही है साला
चेला : भाई हम ढूंढ रहे है
सुलेमान : सुन बे हरामी जल्दी ढूंढ वरना किसी दिन तुझे ही उड़ा दुगा
तभी एक चेला
चेला : भाई भाई उस लड़के की खबर लगी है
सुलेमान : कौन कौन है वो
चेला : भाई वो एक लड़की उसके बारे मै जानती है
उधर आदर्श के घर इन सब से अंजान
आदर्श : आने दो आज नजिया को ऐसी चाय बनाऊँगा की नजिया झूम उठेगी पकोड़े भी बनाऊँगी
नजिया : ये साड़ी पहन कर जाउंगी तो ममी जी को अरे अरे ऑन्टी जी को क्या होगया है मुझे ऑन्टी जी क्या कहेगी मुझे और शीशे मे खुद को देखकर ये पीछे से तो आदर्श जी ने पूरी सारी खराब कर दी है ऐसा लग रहा है कोई डंडा मेरे पीछे घुसाने की कोशिश की है लेकिन आदर्श जी का भी किसी डंडे से कम थोरी है कितना बड़ा लग रहा था इनका तो बीते भर का है आदर्श जी के सामने ऐसा लग रहा था जैसे पुरा अंदर चला गया हो कैसे मस्ती से रगड़ रहे थे आदर्श जी घुमा घुमा कर मेरा तो काम ही कर दिया बिना कपड़े उतारे और ये चूतड़ भी मेरे कितने बड़े होगये है किसी का भी मन डोल हि जाए अरे नजिया क्या क्या सोचने लगी हो तुम भी क्या कर दिया है आदर्श जी ने मुझे पर वो असली मर्द है मेरी कितनी इज्जत करते है मैने उनको ऐसे ही छोड़ दिया फिर भी कितने प्यार से मुझसे बात की और एक ये है ना जान है कुछ फिर भी मुझपे जोर चलाते है हुहह मै तो ऐसे ही चली अब जो कहे ममी जी areee ऑन्टी जी देखा जाएगा
सुलेमान : कौन है ये मादरचोद जिसके बारे मे कोई कुछ बताने को त्यार नही है साला
चेला : भाई हम ढूंढ रहे है
सुलेमान : सुन बे हरामी जल्दी ढूंढ वरना किसी दिन तुझे ही उड़ा दुगा
तभी एक चेला
चेला : भाई भाई उस लड़के की खबर लगी है
सुलेमान : कौन कौन है वो
चेला : भाई वो एक लड़की उसके बारे मै जानती है
उधर आदर्श के घर इन सब से अंजान
आदर्श : आने दो आज नजिया को ऐसी चाय बनाऊँगा की नजिया झूम उठेगी पकोड़े भी बनाऊँगी
नजिया : ये साड़ी पहन कर जाउंगी तो ममी जी को अरे अरे ऑन्टी जी को क्या होगया है मुझे ऑन्टी जी क्या कहेगी मुझे और शीशे मे खुद को देखकर ये पीछे से तो आदर्श जी ने पूरी सारी खराब कर दी है ऐसा लग रहा है कोई डंडा मेरे पीछे घुसाने की कोशिश की है लेकिन आदर्श जी का भी किसी डंडे से कम थोरी है कितना बड़ा लग रहा था इनका तो बीते भर का है आदर्श जी के सामने ऐसा लग रहा था जैसे पुरा अंदर चला गया हो कैसे मस्ती से रगड़ रहे थे आदर्श जी घुमा घुमा कर मेरा तो काम ही कर दिया बिना कपड़े उतारे और ये चूतड़ भी मेरे कितने बड़े होगये है किसी का भी मन डोल हि जाए अरे नजिया क्या क्या सोचने लगी हो तुम भी क्या कर दिया है आदर्श जी ने मुझे पर वो असली मर्द है मेरी कितनी इज्जत करते है मैने उनको ऐसे ही छोड़ दिया फिर भी कितने प्यार से मुझसे बात की और एक ये है ना जान है कुछ फिर भी मुझपे जोर चलाते है हुहह मै तो ऐसे ही चली अब जो कहे ममी जी areee ऑन्टी जी देखा जाएगा