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Adultery lusty family

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शानू खिड़की के पीछे छुप कर देख रहा था कि किस तरह वो मोटा और लंबा लंड उसके मुँह के अंदर बाहर हो रहा था... उसके होठों ने उस लंड को अपनी जीब से जकड़ा हुआ था.. और उसकी लंबाई और मोटाई का मज़ा ले उसे चूस रहे थे.. उसके मुँह उपर नीचे हो रहा था.. और गौरव बड़े प्यार से उसे देख रहा था.

कमरे के अंदर के नज़ारे को देखते हुए शानू ने अपने लंड को अपनी शॉर्ट्स से आज़ाद किया और अपनी मुट्ठी उसके इर्द गिर्द कस दी.. उसके दिल मे आ रहा था कि काश गौरव के लंड की जगह उसके खुद का लंड उस प्यारे मुँहे के अंदर बाहर हो रहा होता. जिस तेज़ी से उसका मुँह उस लंड के उपर नीचे हो रहा था.. शानू अपने लंड को उसी तरह मुठियाने लगा.. वो उसके मुँह के साथ ताल से ताल मिला रहा था... उसका दिल तो चाह रहा था कि काश यहा खिड़की के पीछे होने की जगह वो कमरे के अंदर होता.. पर वो ऐसा कर नही सकता था..

शानू की नज़रें उस लड़की के उपर गढ़ी हुई थी जो मुँह को उपर नीचे कर बेडरूम के अंदर उस लंड को चूस रही थी.. वो पतली थी...किसी खिलाड़ी की तरह... उसके लंबे बाल बार बार उसके चेहरे के आगे आ जाते लेकिन वो अपने बालों को रह रह कर पीछे कर देती... शानू उसके सुंदर चेहरे की देख रहा था... गोल चेहरा पतले बारीक होंठ.. और उसकी गुलाबी जीब जो उस लंड पर फिरक रही थी... गोरा चिकना बदन और सबसे प्यारी उसकी नीली आँखे... जो किसी को भी आकर्षित कर सकती थी ... मदहोश कर सकती थी...

शानू की आँखे उसके चेहरे से थोड़ा नीचे फिसली... जहाँ उसे दो प्यारी और भरी हुई चुचियाँ दीखाई दी.. जो किसी पके हुए आम की तरह अपने बॉयफ्रेंड के छाती पर झूल रही थी.. उसका बॉयफ्रेंड लेट कर अपनी प्रेमिका की जीब का मज़ा अपने लंड पर ले रहा था.... उसकी पतली कमर और गोल गोल कूल्हे... देख शानू का मन मचलने लगा.

वो जितना जोरों से अपने बॉयफ्रेंड के लंड को चूस्ति शानू उतनी जोरों से अपने लंड को मसल्ने लगता... लड़की ने अपना चेहरा उठाया और उस लंड को अपनी मुट्ठी मे भर मुठियाने लगी.. शानू देखता रहा... शानू को मालूम था कि गौरव का लंड पानी छोड़ रहा है और वो लड़की उसके पानी को अपने मुँह मे ले पी रही है... शानू से सहन नही हो रहा था और वो ज़ोर ज़ोर से अपने लंड को मसल्ने लगा... आख़िर उसके लंड ने पानी की धार छोड़ी.. जो खिड़की के नीचे दीवार पर जा गिरी...

शानू सोच रहा था कि काश प्रीति उसके लंड को गौरव के लंड की तरह मुँह मे ले चूस्ति और वो भी अपने वीर्य की पिचकारी उसके गले तक छोड़ता... पर वो अपनी सग़ी बेहन के साथ ऐसा कर तो नही सकता था ना.. इसलिए वो सिर्फ़ देखता रहा और इंतेज़ार करता रहा कि क्या वो दोनो आगे बढ़ते है.. लेकिन उसने देखा कि उसकी छोटी बेहन अपने बॉय फ़्रेंड गौरव से सिर्फ़ बात करने मे लगी हुई है तो उसने घर के अंदर जाने की सोची.. उसके माता पिता घर आते ही होंगे. वो हॉल मे आ टीवी देखने लगा और दो प्रेमियों का इंतेज़ार करने लगा कि वो कब बाहर आते है.

शानू के माता पिता किसी पार्टी मे गये थे और तीनो को घर पर अकेला ये सोच कर छोड़ गये थे कि शायद तीनो बैठ कर कोई पिक्चर देखेंगे.. लेकिन उनके जाते ही प्रीति और गौरव दोनो बेडरूम मे खिसक गये थे... और प्रीति जाते जाते शानू को ये कह गयी कि वो ध्यान रखे... शानू को गुस्सा भी आ रहा था और जलन भी हो रही थी... कि वो बैठ कर अपनी ही बेहन की पहरेदारी करे और वो अपने प्रेमी के साथ बेडरूम मे गुलचर्रे उड़ाए... टीवी देखते देखते उसे उकताहत होने लगी.. तभी उसके दिल मे आया कि वो देखे तो ज़रा कि उसकी प्यारी छोटी बेहन आख़िर अपने प्रेमी के साथ कर क्या रही है... इसलिए वो घर के बाहर गलियारे मे आ गया कि शायद खिड़की से कुछ देखने को मिल जाए.. उसे ये देख कर हैरानी हुई कि दोनो नादान प्रेमी अपने उत्तावलेपन मे ना तो कमरे की लाइट ही बुझाई थी और ना ही खिड़की पर पड़े पर्दे डाले थे....उसे दोनो साफ साफ दीखाई दे रहे थे..... उसने देखा कि गौरव ने प्रीति के ट्रोप को उसके सिर पर से उठा उतार दिया था और उसकी ब्रा मे क़ैद कूचियों दीखाई दे रही थी.

शानू बचपन से अपनी बेहन की चुचियों को देखता आ रहा था तब से जब उसकी छाती पर चुचिया एक घुंडी के आकार मे उबरने लगी थी... तब से लेकर वक्त के साथ बदलते उसकी ब्रा और पॅंटी का साइज़ भी उसे मालूम था....

गौरव अब प्रीति की चुचियों को चूस रहा था.. और शानू ये सब देख जज्बाती हो रहा था... जैसे ही गौरव ने उसके निपल को दाँतों के बीच लेते हुए खींच कर काटा शानू को लगा कि उसका लंड मचलने लगा था ये सब देखकर... अपनी ही बेहन को इस तरह अपने प्रेमी के साथ मस्ती करते देख वो उत्तेजित हो रहा था...

प्रीति ने गौरव को धक्का दे बिस्तर पर पीठ के बल लीटा दिया था... और उसने उसकी पॅंट खींच कर नीचे कर दी थी... और उसके लंड को मुँह मे ले चूस रही थी... शानू खुद अपनी गिर्ल्फ्रेंड के साथ इतना आगे नही बढ़ पाया था जितना कि प्रीति बढ़ चुकी थी...

ये सब सोचते ही शानू का लंड एक बार फिर खड़ा होने लगा था.. लेकिन तभी प्रीति और गौरव हॉल मे आकर सोफे पर बैठ गये... शानू ने उनसे कुछ ड्रिंक लेने के लिए पूछा... और अपने ड्रिंक लाने के लिए उठ गया.

जैसे ही शानू प्रीति के बगल से गुज़रा उसके पॅंट के अंदर तने लंड का उभार उसकी नज़रों से छिपा ना रह सका.. वो हैरत से अपने भाई के खड़े लंड को देखती रही.... उसने तुरंत अपनी निगाह गौरव के चेहरे पर डाली कहीं वो भी तो नही देख रहा... लेकिन वो तो टीवी पर मूवी देखने मे व्यस्त था...

आज से पहले प्रीति ने कभी अपनी निगाह शानू की जांघों के बीच नही डाली थी... आख़िर वो उसका भाई था... लेकिन आज जब वो बगल से गुज़रा तो वो चाह कर भी अपनी नज़रें उस पर से नही हटा पाई. प्रीति का मुँह अभी भी अपने बॉयफ्रेंड के वीर्य के स्वाद से भरा था... और साथ ही उसकी चूत भी झाड़ कर शांत नही हुई थी... शानू के लंड का उभार देख उसे महसूस हुआ कि उसकी पॅंटी गीली हो गयी थी.... शायद रस से भरी उसकी चूत चुह रही थी.

प्रीति को विश्वास नही हो रहा था कि अपने ही भाई के लंड के ख़याल से वो उत्तेजित हो सकती है.. उसने अपने ख़यालों को झटका और अपना सारा ध्यान टीवी पर लगा दिया... थोड़ी ही देर मे राज हाथ मे कोल्ड ड्रिंक लिए आया और उसके पास बैठ गया... अब प्रीति बीच मे थी और गौरव उसकी दूसरी तरफ.

प्रीति अपने आपको नही रोक पाई और उसकी निगाह एक बार फिर अपने भाई की जांघों के बीच चली गयी... वैसे तो उसका लंड कुछ ढीला पड़ चुका था लेकिन उसका उभार अभी भी पॅंट के उपर से दीखाई दे रहा था... उसकी चूत मे फिर सरसराहट मचने लगी.

मूवी ख़तम होने से कुछ देर पहले ही शानू और प्रीति के माता पिता आ गये थे... इसलिए वक्ती तौर पर अपने भाई के लंड का ख्याल प्रीति के दीमाग से निकल गया था... लेकिन उसी रात वो अपने कमरे मे बिस्तर पर नंगी लेटी... टाँगे फैलाए... अपनी उंगलियों को ज़ोर ज़ोर से चूत पर मसल रही थी.. वो अपनी चूत को झाड़ा अपनी उत्तेजना शांत करना चाहती थी.... वो हर बार अपने बॉयफ्रेंड गौरव को और उसके लंड को याद करने की कोशिश करती तो हर बार शानू के लंड का उभार उसकी आँखों के सामने आ जाता.
 

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प्रीति पलंग पर लेटी अपनी चूत को मसल रही थी और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया... उसे विश्वास नही हुआ कि उसकी चूत आज भाई के लंड के ख्याल से ही झाड़ गयी थी..

प्रीति के कमरे के ठीक बगल के कमरे मे शानू अपने बिस्तर पर यह ख्याल लिए लेटा था... हर बार उसके जहाँ मे प्रीति का चेहरा आ जाता... वो नज़ारा आ जाता जब वो अपने बॉयफ्रेंड का लंड कितने प्यार से चूस रही थी... वो सोचने लगा प्रीति की चुचियों के बारे मे... और उसे लगा कि उसका लंड उसकी सोच का साथ दे रहा है.. उसने अपने लंड को अपनी मुट्ठी मे कस लिया... उसने थोड़ा सा तेल अपने हाथों मे लगाया और अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा... भीचने लगा... वो सोचने लगा कि किस तरह गौरव का लंड प्रीति के गुलाबी होठों को छूता हुआ उसके मुँह के अंदर बाहर हो रहा था कि उसने अपने लंड के पानी को एक रुमाल पर छोड़ दिया.

दोनो भाई बेहन अपने ही ख़यालों मे खोए सो गये... दोनो एक दूसरे को नंगा देखना चाहते थे.. उनके स्पर्श का एहसास करना चाहते थे.... थोड़े दीनो बाद की बात है.. एक सुबह राज अपने वीडियो कॅमरा को देख रहा था जो उसे उसके पिताजी ने गिफ्ट किया था... वो घर के बाथरूम मे था और उसे छिपाने के लिए कोई ऐसी जगह ढूंड रहा था जहाँ उसकी बेहन की नज़र ना पड़े... फिर उसकी नज़र शेल्फ पर पड़ी जहाँ बाल्टी मे गंदे कपड़े धोने के लिए रखे जाते थे.. उस बाल्टी मे कई छेद थे... उसे लगा कि अगर वो कॅमरा को अछी तरह टवल मे लपेट... उसका लेंस सही दिशा मे रख कपड़ों के साथ छुपा देगा तो किसी की नज़र नही पड़ेगी.

उसे पता था कि उसकी मा ने अभी कल ही सारे कपड़े धोए है इसलिए दो तीन दिन तक कोई इसे छेड़ने वाला नही है.. उसने बाल्टी से कपड़े निकाले...और अपना कॅमरा छुपा वापस उसमे कपड़े डालने लगा कि उसकी नज़र अपनी बेहन की पॅंटी पर पड़ी.. वो एक सॅटिन की महीन पॅंटी थी.. वो उसे देखने लगा.

पॅंटी को देख उसे कुछ होने लगा था.. उसने उसे उठा उसकी जांघों के बीच के हिस्से को सूँघा और अपनी जेब मे रख ली... वो वापस अपने बेडरूम मे आकर बिस्तर पर लेट गया... और इंतेज़ार करने लगा अपनी बेहन का बाथरूम मे जाने का.. उत्सुकता मे उसका लंड खड़ा हो रहा था कि पता नही कब उसकी बेहन शवर के नीचे नहाएगी तो कमेरे मे क्या क्या क़ैद होगा..

अपनी बेहन के ख़यालों मे खोए राज ने अपने लंड को अपनी शॉर्ट्स से बाहर निकाला और अपनी बेहन की पॅंटी को उसके चारों ओर लपेट दिया.. फिर अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा... सॅटिन की पॅंटी जब उसके लंड पर फिसलती तो उसे बहोत मज़ा आता उसका लंड झड़ने को तय्यार हो गया.. एक बार फिर उसने अपनी बेहन के उस द्रिश्य को याद करने लगा जब वो अपने बॉय फ़्रेंड के लंड को अपने गले तक ले चूस रही थी... और उसके लंड ने उसकी बेहन की पॅंटी मे पानी छोड़ दिया.
 

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शानू को शवर का पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी... वो पानी के रुकने का बेसब्री से दरवाज़े के बाहर इंतेज़ार करने लगा... तभी प्रीति एक टवल मे लीपटि बाथरूम से निकली.. शानू ने नेज़रें उठा कर उसकी तरफ देखा... प्रीति उसे देख मुस्कुरा रही थी... शानू बाथरूम मे घुसा और उसने दरवाज़ा बंद कर लिया.

उसने जल्दी जल्दी अपनी शॉर्ट्स उतारी और स्नान करने लगा.. उसे तो जल्दी थी वो वीडियो देखने की ... वो जल्दी जल्दी नहा कर अपने कमरे मे वापस जाना चाहता था. जल्दबाज़ी मे उसने बाथरूम का दरवाज़ा भी बंद नही किया था...

शानू की हालत खराब थी उसका लंड था कि शांत होने का नाम ही नही ले रहा था.. प्रीति के ख़याल ने उसे फिर गरमा दिया था.. उसने अपने लंड के चारों और साबून लगाई और सुबह से दूसरी बार मूठ मारने लगा.... वो ज़मीन पर बैठ मुठिया ही रहा था कि तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला और प्रीति अचानक आ गयी...

"ओह्ह्ह सॉरी में अपना हेर ब्रश भूल गयी थी...."

वैसे तो प्रीति ने उसकी तरफ नही देखा था..लेकिन अपना ब्रश लेकर वापस बाहर जाते हुए उसने एक सरसरी सी निगाह शानू पर डाली थी और शानू को विश्वास था कि उसका खड़ा लंड उसकी नज़रों से नही छुप पाया होगा...

प्रीति अपने पलंग पर बैठी हुई थी.. उसका एक हाथ उसकी चूत पर था जिसकी दो उंगलियाँ अंदर घुसी हुई थी और दूसरे हाथ से वो अपनी चुचि मसल रही थी...

"हे भगवान कितना बड़ा और मोटा है.." उसने अपने आप से कहा.... उसके भाई का लंड उसके दिमाग़ मे स्थिर कर गया था.. जब शानू बाथरूम मे था तो वो जान बुझ कर अंदर घुसी थी लेकिन उसे उम्मीद नही थी कि वो अपने खड़े लंड को हाथ मे लिए खड़ा होगा... और इतने मोटे लंड की तो उसे कतई उम्मीद नही थी... पॅंट के उपर से दिखते उभार को देख वो समझ गयी थी उसके भाई का लंड मोटा और लंबा है लेकिन इतना होगा ये उसने नही सोचा था.

शानू अपने कमरे मे वापस आ गया था और कमेरे की व्यू फाइनडरर मे अपनी आँख गढ़ाए हुए था... उसने कैसेट रीवाइंड कर दी थी... पूरी नही क्यों कि हो सकता है कि प्रीति के पहले कोई बाथरूम मे गया हो.....तभी उसे अपनी मा का चेहरा नज़र आया तो उसने कॅसेट को फास्ट फॉर्वर्ड कर दिया क्यों कि वो अपनी मा को नंगी नही देखना चाहता था....

लेकिन शानू की नज़र तो जैसे व्यू फाइनडरर पर गढ़ कर ही रह गयी... उसकी मा शवर से अभी निकली ही थी और अपना एक पावं सींक पर रखी थी और वो अपनी चूत की झांते सॉफ कर रही थी.. उसकी टांग उठी हुई थी और कॅमरा का लेंस ठीक उसके उपर था और उसकी चूत दीखाई दे रही थी... शानू का लंड एक बार फिर तन कर खड़ा हो गया.

शानू की नज़रे अब अपनी मा के बदन पर गढ़ के रह गयी... आज से पहले कभी उसने अपनी मा को एक औरत के नज़रिए से नही देखा था.. लेकिन आज वो अपने आपको रोक नही पाया... दीखने मे उसकी मा बहोत सुंदर थी.. बस प्रीति से थोड़ी मोटी थी..... लेकिन हा उसकी चुचियाँ उसे थोड़ी छोटी थी...लेकिन निपल काफ़ी बड़े थे.. जो उसे आकर्षित कर रहे थे... वो एक बार फिर अपने लंड को मुठियाने लगा... कि उसकी मा कपड़े पहनने लगी.
 

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प्रीति भी उसी कॉलेज मे पढ़ती थी.. अब हर वक्त उसकी निगाह लड़कों के जांघों के बीच लगी रहती और वो सोचती रहती कि क्या इन मे से किसी लड़के का लंड उसके भाई जितना मोटा और लंबा होगा... दोपहर को खाने के वक्त जब वो गौरव के साथ खाना खा रही थी तो टेबल के नीचे हाथ डाल उसने उसके लंड को सहलाना शुरू कर दिया.. वो उसके खड़े लंड को अपने हाथ मे ले उसे शानू के लंड से मापना चाहती थी... बाद मे टाय्लेट मे बैठी वो अपनी चूत मे उंगली करते वक्त सोचती रही कि क्या वो कभी अपने भाई के लंड को हाथ मे पकड़ पाएगी.. या फिर कभी उसे अपने मुँह मे ले चूस पाएगी.

तीन चार दिन बाद शानू वापस उस पुरानी बाल्टी मे प्रीति की पॅंटी ढूड़ने लगा... उसकी पॅंटी को अपने लंड से लपेट मूठ मारने मे उसे मज़ा आने लगा.. उसकी पॅंटी मे अपना विर्य छोड़ने मे उसे अनोखा आनंद आने लग गया था... जब से उसने अपनी मा को चूत की झांते सॉफ करते देखा था उसने उनकी पॅंटी भी लेकर उसमे मूठ मारी थी.

" शानू क्या तुमने मेरी.... " शानू के कमरे मे घुसते हुए प्रीति चौंक पड़ी और अपनी बात पूरी नही कर पाई.. उसने देखा कि उसका भाई पलंग पर बैठा अपने खड़े लंड को ज़ोर ज़ोर से मुठिया रहा था... उसने कोई चीज़ अपने लंड पर लपेट रखी थी... .. जैसे ही उसकी नज़र प्रीति पर पड़ी उसने जल्दी से पलंग पर पड़े तकिये को उठा अपनी जांघों पर रख अपने आपको ढक लिया.

प्रीति हैरत भरी नज़रों से अपनी पॅंटी को देख रही थी जो उसके लंड से छूट नीचे ज़मीन पर गिर पड़ी थी.. "ये क्या कर रहे हो तुम?" प्रीति ने हैरत मे पूछा.

"ह्म्म सॉरी." शानू इतना ही कह पाया... उसने अपनी शरम से अपनी नज़रे घूमा ली... वैसे प्रीति तो ये सोच कर उसके कमरे मे बिना खटखटाए घूसि थी कि शायद वो अपने भाई को अपना लंड मसल्ते एक बार फिर देख ले... लेकिन उसी की पॅंटी लपेटे वो मूठ मार रहा होगा ये उसने नही सोचा था..

क्रमशः.......
 

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"क्या तुम मेरी पॅंटी मे मूठ मार रहे थे?" प्रीति ने शिकायत करते हुए कहा.

"प्रीति प्लीज़ मुझे माफ़ कर देना .. वो क्या था ना मेने तुम्हारी पॅंटी वो धोने वाले कपड़ों की बाल्टी मे पड़ी देखी तो पता नही मुझे क्या हो गया... " शानू ने जवाब दिया.

"हे भगवान... मुझे अभी भी विश्वास नही हो रहा कि तुम ऐसा भी कर सकते हो... क्या मैं मा को बताउ ये बात?"

"नही प्लीज़ नही..." शानू ने घबराते हुए कहा... "प्लीज़ मत कहना... इसके बदले मे मैं तुम्हारे हिस्से का सारा काम कर दूँगा.. या फिर तुम जो कहोगी मैं करूँगा.. लेकिन मम्मी से मत कहना... मैं प्रॉमिस करता हूँ कि में दुबारा ऐसा नही करूँगा."

"ठीक है फिर आज से दो हफ्ते तक मेरे हिस्से का काम तुम करोगे.."

"थॅंक्स प्रीति."

"रूको अभी... एक काम और है." प्रीति ने कहा. "अब क्या है?" "मुझे अपना लंड दीखाओ" "क्या...?" शानू चौंक पड़ा.

"हां में देखना चाहती हूँ.. पॅंट के उपर से काफ़ी मोटा और लंबा दीखता है.. में देखना चाहती हूँ कि मेरे भाई का लंड सही मे दीखने मे कैसा है." प्रीति ने कहा.. वो मन ही मन खुश थी कि आज उसे मौका मिल गया था... आज वो पास से अपने भाई के लंड को देखेगी.. जिसके बारे मे सोचते हुए उसने कितने सपने देखे थे. शानू ने अपनी जाँघ पर पड़े तकिये को हटा दिया.. उसका लंड उसकी जाँघो के साथ सटा हुआ था. लंड थोड़ा ढीला पड़ चुका था.... "वाउ" प्रीति के मुँह से निकला... वो आश्चर्य चकित नज़रों से उसे देखती रही और वो उसके नज़रों के सामने और लंबा और मोटा होता गया... फिर पूरी तरह तन कर खड़ा हो गया... "मैं इसे च्छुना चाहती हू.." प्रीति ने कहा.. उसकी नज़रे अपने सामने खड़े लंड से हटाए नही हट रही थी.
 

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शानू प्रीति को कहता तो क्या कहता... उसे तो विश्वास नही हो रहा था कि वो इस तरह फँस जाएगा... वो लंड पकड़े पलंग पर बैठा था और उसकी बेहन की पॅंटी उसके पैरों मे पड़ी थी.....

प्रीति अपने भी के सामने नीचे बैठ गयी और उसके लंड को नीचे से पकड़ कर देखने लगी... 'ओह कितना मोटा है...मेरी तो मुट्ही मे भी नही आ रहा...' उसने अपने मन मे कहा... उसने अपनी उंगलियाँ उसके लंड के इर्द गिर्द कस ली..और उसे निहारने लगी.. "शानू तुम्हे पता है... मेने आज तक इतना मोटा और लंबा लंड पहले कभी नही देखा... पॉर्न मूवीस मे भी नही.." प्रीति धीरे से फुस्फुसाइ..

"थॅंक्स प्रीति..." शानू अपनी ही बेहन के मुँह से ये सुन शर्मा गया..

"राखी को तो चूसने मे और चुदवाने मे बहोत मज़ा आता होगा."

"उम्म्म आज तक उसने ऐसा कुछ किया ही नही....." शानू ने जवाब दिया.

"मैं अभी तक कुँवारा हूँ."

"तुम झूठ बोल रहे हो ... मुझे विश्वास नही होता कि तुमने इस लंड से कभी किसी को नही चोदा है....मेरी सहेलियाँ तो इसे देख पागल हो जाएँगी.. " प्रीति ने कहा.

"मुझे लगता है कि राखी डरती है मुझसे... एक बार उसने इसे हाथों से भीच मुझे मुठिया था.. और कुछ नही बस हमेशा कहती थी कि मेने सब कुछ शादी के लिए बचा के रखा है... " शानू ने कहा.

प्रीति अब उसके लंड को मसल उसकी चमड़ी उपर नीच कर रही थी... वो अस्चर्य्य से अपनी बेहन को अपने लंड को मसल्ते देख रहा था.

"में ये तो नही कहती कि उसका सोचना ग़लत है.. लेकिन हां वो बहोत ही प्यारी चीज़ से वंचित है... अगर तुम मेरे भाई नही होते तो में तुम्हे अभी अपना बॉय फ़्रेंड बना लेती.. आज तक मेने किसी से चुदवाया नही है.. लेकिन में जानती हूँ की इस घोड़े जैसे लंड से चुदवाने मे बहोत मज़ा आएगा.. बहोत ही खुशनसीब होगी वो जो इससे चुदेगि.."
 

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प्रीति ने उसके लंड को मुठियाते हुए कहा.

"तुम भी कम सेक्सी नही हो.. अगर तुम मेरी बेहन नही होती तो तुम्हारे पीछे पीछे भागता अपनी गर्ल फ्रेंड बनाने के लिए और तुम्हारी ये प्यारी प्यारी चुचियों को बहोत प्यार करता.." शानू ने उसकी चुचियों पर नज़र गढ़ाते हुए कहा.

प्रीति अपने भाई की बात सुनकर शर्मा गयी.. उसके निपल तन कर खड़े हो चुके थे... उसे इस खेल मे मज़ा आ रहा था उसने सोचा मेरा भैया है तो क्या हुआ क्यों ना इस खेल को थोडा और आगे बढ़ाए जाए.... "चलो तुम भी च्छू कर देख लो... अब तुमने मुझे छूने दिया तो में कैसे मना कर सकती हूँ... " प्रीति ने उसके लंड को छ्चोड़ा और अपना टॉप निकाल दिया... उसकी भारी चुचियाँ गुलाबी रंग के ब्रा मे क़ैद थी.... उसने अपना हाथ पीछे किया और ब्रा का हुक खोल अपनी ब्रा निकाल दी... जैसे की कोई पंछी पिंजरे से आज़ाद होता है वैसे उसकी चुचियाँ फड़फदा कर आज़ाद हो गयी... शानू की तो आँखे फटी की फटी रह गयी... जिन चुचियों को वो सपने मे देखता आया था आज वो उसके सामने थी... उसकी बेहन की चुचियाँ.. ओह्ह्ह कितनी प्यारी है... उसने अपने दोनो हाथ बढ़ा उन दो गोल नारंगियों पर रख दिए... कितनी मुलायम है... ठीक किसी मखमली गेंद की तरह... वो धीरे धीरे उन्हे भींचने लगा... उसने उसके खड़े निपल को पकड़ लिया और अपनी और खींचा... प्रीति कराह उठी...

शानू का लगा कि प्रीति को दर्द हुआ है तो उसने अपनी नज़रे उपर उठा उसे देखा... पर प्रीति की आँखे बंद थी और वो उन्माद मे मुस्कुरा रही थी... वो और ज़ोर से भींचने लगा मसल्ने लगा... और प्रीति के होठों पर मुक्स्कुराहट और गहरी होती गयी..
 

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जब शानूने उसके निपल को पकड़ अपनी ओर खींचा था तो प्रीति लड़खड़ा कर उसकी गोद मे बैठ गयी थी.. उसने महसूस किया कि शानूका खड़ा लंड स्कर्ट के उपर से उसकी गंद से टकरा रहा है... "हे भगवान अगर मेने पॅंटी नही पहनी हुई होती तो ज़रूर इसका लंड मेरी चूत पर ठोकर मार रहा होता" उसने सोचा.

प्रीति की चुचियाँ अब शानूके चेहरे के सामने थी.. प्रीति ने देखा कि शानूने अपनी जीब बाहर निकाल ली थी और उसके निपल को सहला रही थी.. एक सरसरी सी उसके बदन मे दौड़ गयी और उसका बदन कांप उठा... उसके भाई ने उसकी चुचियों पर अपनी जीब फिराई थी और उसे बहोत अछा लगा था...

उत्तेजना मे शानूअपना मुँह खोल उसके निपल को मुँह मे भर चूसने लगा... एक गहरी सांस लेकर वो उसकी चुचि को ज़्यादा से ज़्यादा अपने मुँह मे भर चूस रहा था... प्रीति उसकी गोद मे बैठी सिसक रही थी.. उन्माद मे उसके मुँह से अया.. आअहह निकल रहा था... उसने अपना हाथ नीचे किया और उसके खड़े लंड को पकड़ लिया... शानूभी सिसकने लगा.. दोनो को इस खेल मे मज़ा आ रहा था.

अचानक प्रीति राज की गोद से खड़ी हो गयी.. "अब मेरे लिए अपने लंड का पानी छुड़ा कर दीखाओ." प्रीति ने कहा.

"नही प्रीति हमे ये सब नही करना चाहिए.. हम पहले ही काफ़ी कुछ कर चुके है जो हमे नही करना चाहिए था.." शानूने उसे समझाते हुए कहा..

"ओह्ह्ह शानूअब मान भी जाओ ना... में जानती हूँ की तुम मेरे जाते ही अपना लंड मुठीयकर पानी छोड़ोगे.. " प्रीति ने मुस्कुराते हुए कहा.

"अछा बाबा.. मान लेता हूँ.. लेकिन इससे मुझे क्या मिलेगा. " शानूने शैतानी मे कहा.

"मिल तो रहा है तुम्हे भी.. में मम्मी से नही कहूँगी कि तुम मेरी पॅंटी अपने लंड पर लापेट मूठ मार रहे थे.. और हो सकता है कि तुम्हे दुबारा मेरी चुचियों को चूसने का मौका मिल जाए.. " प्रीति ने जवाब दिया.

प्रीति की बात सुनकर शानूकी आँखों मे चमक आ गयी.. "एक शर्त पर में मूठ मारूँगा अगर तुम मुझे अपना पानी तुम्हारी चुचियों पर छुड़ाने दोगि तब..
 

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थोड़ी देर सोच कर प्रीति ने अपने भाई की बात मान ली. वो उसके सामने नीचे बैठ गयी... और ज़मीन पर से अपनी पॅंटी उठा उसे पकड़ा डी.

शानू ने उसके हाथों से पॅंटी लेकर उसे अपने लंड पर लपेट ली और अपने लंड को मुठियाने लगा... प्रीति अपनी चुचियों को हाथों मे पकड़ अपने भाई के सामने मसल्ने लगी.. वो देख रही थी कि किस तरह उसकी पॅंटी को लपेटे शानूमूठ मार रहा था... शानू मूठ मारता रहा और उसका लंड पानी छोड़ने को तय्यार हो गया.. उसने अपने लंड को प्रीति की चुचियों की ठीक सीध मे कर दिया... एक पिचकारी चूत कर प्रीति की दाईं चुचि पर गीरी फिर दूसरी उसकी बाईं चुचि पर उसने लंड को थोड़ा उठा दिया तो तीसरी उसकी बेहन के गालों पर गीरी...


"बहुत बदमाश हो तुम" प्रीति उसके हाथों से पॅंटी लेकर अपने गालो पर लगे वीर्य को सॉफ करने लगी..

"थॅंक्स भाई" कहकर प्रीति ने अपना टॉप ब्रा और पॅंटी उठाई और कमरे से बाहर जाने लगी... उसने मूड कर देखा शानू पलंग पर वैसे ही बैठा था.. उसका वीर्य उसकी चुचियों से नीचे की ओर बह रहा था..

"शायद हम फिरसे ये सब करेंगे.. मुझे मज़ा आ गया.." कहकर वो हंसते हुए अपने कमरे की ओर भाग गयी.. जिससे की उसके माता पिता आने से पहले वो सफाई कर तय्यार हो जाए..

दूसरे दिन शानू फिर पुरानी बाल्टी मे अपनी बेहन की पॅंटी ढूंड रहा था.. वो कल की घटना को याद कर रहा था जब उसकी बेहन ने उसे लंड का पानी अपनी चुचियो पर छोड़ने दिया था.. ज़रूर वो भी उत्तेजित होगी नही तो मुझे ऐसा करने नही देती.. और अगर उत्तेजित थी तो उत्तेजना के निशान उसकी पॅंटी पर ज़रूर होंगे जो उसने कल पहन रखी थी.. वो उसी पॅंटी को ढूंड रहा था.

तभी उसे एक आसमानी रंग की पॅंटी दीखाई पड़ी.. उसे यकीन था कि ये पॅंटी कल इस बाल्टी मे नही थी.. उसने मुस्कुराते हुए वो पॅंटी अपनी जेब मे रख ली... और अपने कमरे मे आ गया...
 

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कमरे मे आकर उसने फिर वीडियो कॅमरा निकाल लिया.. आज फिर उसने फिल्म उतारी थी पहले की तरह... वीडियो देखते हुए वो अपनी बेहन की पॅंटी को सूंघटा रहा और अपने लंड को पॅंट से आज़ाद कर दिया जो तन कर पूरी तरह खड़ा हो चुका था.

वो याद करने लगा कि किस तरह प्रीति ने किस तरह उसके लंड को पकड़ा था.. किस तरह उसके लंड को मसला था.. और उसका मुँह उसके लंड के कीतने करीब था.. काश वो उसके लंड को भी वैसे ही चूस्ति जैसे कि उसने अपने बॉय फ़्रेंड गौरव का लंड चूसा था... वो उसकी पॅंटी को अपने लंड पर लपेट ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा और उसके लंड ने पॅंटी मे अपना पानी छोड़ दिया.

आज प्रीति कॉलेज से जल्दी घर आ गयी.. उसने देखा कि शानू हॉल मे सोफे पर बैठा टीवी देख रहा है.. शानू को देखते ही उसका दिल मचलने लगा.. उसका दिल करने लगा कि शानू आज फिर उसकी चुचियों को चूसे.. वो आकर राज के बगल मे बैठ गयी और उसे ललचाई नज़रों से देखने लगी..

शानू की समझ मे नही आ रहा था कि वो क्या करे... उसने प्रीति की आँखों मे छुपी वासना को पहचान लिया था.. उत्तेजना मे बहक एक बार उसने उसके साथ जो किया इस पर वो अपने आपसे शर्मिंदा था.. आख़िर प्रीति उसकी बेहन थी...

"प्रीति मुझे लगता है कि जो कुछ हमने कल किया वो हमे दुबारा नही करना चाहिए" शानू ने कहा.

प्रीति हैरत भरी नज़रों से अपने भाई को देखने लगी.. "क्या कह रहे हो? मुझे तो लगा था कि तुम्हे काफ़ी मज़ा आया था?" प्रीति ने पुचछा.

"हां मज़ा तो बहोत आया था लेकिन तुम मेरी बेहन हो और हमारे बीच ये सब ठीक नही है." शानू ने जवाब दिया.

"तो क्या इसी लिए अपना खड़ा लंड लिए यहाँ बैठो हो?" प्रीति ने उसे पूछा और उसके लंड को उसकी जीन्स के उपर से पकड़ लिया..
 
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