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Adultery lusty family

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"देखो प्रीति सवाल ये नही है कि मुझे अछा लगता है कि नही... बस हमारे बीच ये सही नही है." शानू ने अपनी बात पर ज़ोर देते हुए कहा.

"लेकिन में इसे दूसरे ढंग से सोचती हूँ, " प्रीति ने जवाब दिया, "ना तो में तुमसे शादी करने वाली हूँ ना ही तुम्हारे बच्चे पैदा करना चाहती हूँ... मेने तुम्हारे जैसा मोटा और लंबा लंड नही देखा और जब तक कि मुझे तुम्हारे जैसा दूसरा लंड नही मिल जाता में तुम्हे अपने हाथ से जाने नही दूँगी.."

"लेकिन फिर भी में यही कहूँगा कि मुझे नही लगता कि हमारे बीच दुबारा ये सब होगा." शानू ने कहा.

"तुम्हे लगता है.. अरे तुम्हे खुद को पता नही कि होगा कि नही.." प्रीति ने उसे चिढ़ाते हुए अपनी दो उंगलियाँ अपने मुँह मे ली और उन्हे चूसने लगी.. "अगर में ये कहूँ कि में तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूँ तो?

शानू उठ कर जाना चाहता था कि प्रीति की बात सुनकर रुक गया, और प्रीति हँसने लगी, "देखा इसी बात पर रुक गये ना?"

"क्या कहा तुमने.. तुम मेरा लंड चूसना चाहती हो?" शानू ने पूछा.

"हां और क्या.. अरे इस घोड़े जैसे लंड को कौन चूसना नही चाहेगा..हां लेकिन तुम्हे मेरे लिए भी कुछ करना होगा."

"हुम्म"

"हां सीधी सी बात है.. में तुम्हारा लंड चूस चूस कर तुम्हारा पानी छुड़ा दूँगी और बदले में तुम मेरी चूत चूस कर मुझे झाड़ा देना." प्रीति ने कहा.

शानू सोचने लगा... उसने कभी जिंदगी मे कभी किसी लड़की की चूत नही चूसी थी और अगर वो ठीक ढंग से अपनी बेहन की चूत चूस उसे खुश ना कर पाया तो वो उस पर हँसेगी.. इसलिए उसने उससे सच कहना ही उचित समझा, "ऐसा है प्रीति मेने पहले कभी ये किया नही है.. मेने सिर्फ़ कीताबों मे पढ़ा और देखा है... लेकिन मे कोशिश करना चाहता हूँ." शानू ने कहा.

"वैसे आज तक मेरी चूत भी किसी ने नही चूसी है.. इसलिए क्यों ना हम दोनो ये नया अनुभव साथ साथ ले.. कुछ सीखने को ही मिलेगा." प्रीति बोली.
 

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"ठीक है... कहाँ करना चाहोगी?" शानू ने पूछा.

"मेरे कमरे मे" प्रीति ने जवाब दिया. और उठ कर अपने कमरे मे जाने लगी.. शानू भी उसके पीछे पीछे चल दिया... उसका लंड जीन्स के अंदर बुरी तरह मचल रहा था.

जब दोनो प्रीति के कमरे मे पहुँचे तो प्रीति ने उसे कपड़े उतारने को कहा... शानू ने जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतारे और बिस्तर पर लेट गया... उसे डर था कि कहीं उसकी बेहन का इरादा ना बदल जाए...

प्रीति ने अपने भाई एक विशाल लंड को देखा और उछल कर बिस्तर पर उसकी टाँगो के बीच आ गयी... उसने उसके लंड को अपने हाथों मे लिया फिर अपनी जीब उसके सूपदे पर फिराने लगी.. लंड उसके कोमल हाथों मे फड़फदा रहा था.. वो अपनी जीब उसके चारों ओर फिराने लगी...


शानू के मुँह से सिसकारियाँ फुट रही थी.. उसने नज़रे नीचे कर देखा कि उसकी बेहन अपने मुँह को खोल उसके लंड को अंदर ले रही है...पहले उसने उसके सूपदे को मुँह मे भर चूसा फिर पूरे लंड को अंदर ले चूसने लगी... शानू के बदन मे उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी..

प्रीति अपना पूरा मुँह खोल उसके लंड को अंदर तक लेने की कोशिश कर रही थी. लेकिन शानू का लंड इतना मोटा और लंबा था कि उसके मुँह मे आधा लंड ही समा पाया.. उसने बाकी बचे लंड को अपनी मुट्ठी मे भींच लिया और अपने मुँह को उपर नीचे कर चूसने लगी.. अपने थूक से लंड को चिकना कर वो उसे चूस रही थी.. शानू सिसक रहा था

"ओःःः हाआँ चूवसो मेरी बेहन श कितना अच्छा लग रहा है... आज तक

किसी ने मेरा लंड नही चूसा ऑश.. तुम्हारा मुँह कितना कोमल है.."

"हे भगवान ! मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा कि तुम्हारा लंड इतना मोटा और लंबा है.. मेरे तो मुँह भी नही आ रहा " प्रीति ने शानू से कहा, "और मुझे नही लगता कि कोई लड़की इतने विशाल लंड को पूरा अपने मुँह मे ले सकेगी." कहकर वो एक बार फिर उसके लंड को चूसने लगी.

शानू के लंड की नसें तनने लगी थी.. वो पूरे उबाल पर था.. उसने उसके सिर को पकड़ा और अपने लंड को और अंदर थेल्ते हुए अपने वीर्य की पिचकारी उसके मुँह मे छोड़ दी..

जब शानू का वीर्य उसके गले से टकराया तो प्रीति चौंक पड़ी.. उसका पूरा मुँह उसके वीर्य से भर गया... थोड़ा वीर्य उसके होठों के किनारे से छूकर उसकी तोड़ी को भीगोने लगा... शानू ने अपना लंड उसके मुँह से निकाला तो दूसरी पिचकारी उसके चेहरे पर छूटी... तीसरी उसके गालों पर..

शानू भी एक बार तो घबरा गया... "तुम ठीक तो हो?" उसने पूछा.

"हां वैसे तो ठीक हूँ... मुझे नही मालूम था कि तुम्हारा लंड इस कदर पानी छोड़ेगा... बस थोड़ा चौक गयी थी.." उसने कहा, "ठीक है अब मुझे बाथरूम जाकर इसे सॉफ करने दो फिर तुम मेरी चूत चूसना" वो बाथरूम मे भाग गयी.. उसने अपने आपको सॉफ किया और वापस अपने कमरे मे आ गयी.

कमरे मे आते हुए उसने अपनी जीन्स उतारी और साथ ही पॅंटी को भी उतार दिया.. वो उछल कर बिस्तर पर लेट गयी और अपनी टाँगो को पूरी तरह फैला दिया..
 

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शानू उसकी टाँगो के बीच आया और अपनी उंगली उसकी चूत पर फिराने लगा.... एक सनसनी सी मच गयी प्रीति के शरीर मे.. उसकी चूत की पंखुड़ीयाँ फड़फड़ने लगी... शानू ने अपनी उंगली उसकी चूत के अंदर डाली और उसे उसके रस मे भीगो अपने मुँह मे ले चूसने लगा..

जब प्रीति ने देखा की उसका भाई क्या कर रहा है तो उसने पूछा. "अछा लग रहा है क्या?"

"इतना बुरा भी नही है." शानू ने जवाब दिया और उसकी टाँगो के बीच झुक अपनी जीब उसकी चूत पर रख दी..

प्रीति ने अपना हाथ नीचे किया और अपनी उंगली को भी अपने ही रस से भीगो उसका स्वाद चखने लगी..

शानू ने उसकी चूत को अपने हाथों से फैलाया और अपनी जीब उसके अंदर डाल गोल गोल घुमा कर चाटने लगा... वो उसकी चूत के हर हिस्से को बड़े प्यार से चाट रहा था... प्रीति की चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी और शानू चटकारे ले लेकर चाट रहा था...

प्रीति ने खुद अपने हाथों से अपनी चूत को और फैला कर चौड़ा कर दिया.. "हां अब अंदर तक जीब डाल कर चॅटो.. हां चारों तरफ चॅटो मेरी चूत को ऑश हां ."

जैसा प्रीति कहती गयी वो करता रहा.. प्रीति कहती कि उसे क्या अच्च्छा लग रहा है वो वैसे ही चाटने और चूसने लगता.. प्रीति की चूत और गरमा कर झड़ने के करीब आ चुकी थी.. वो सिसक रही थी..

"हाई भगवान..... हां.. यहीं..डालो अपनी जीब को ..हां और ज़ोर ज़ोर से चूसो..ऑश और ज़ोर से.. . " वो ज़ोर से चिल्लाई और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया..

प्रीति ने अपने भाई को अपनी चूत से अलग किया और उसे थॅंक्स कहा. उसने कहा कि आज पहली बार चूत चूस्वाकार उसे मज़ा आ गया.. उसने कहा कि वो गौरव को भी इस तरह चूत चूसने के लिए कहेगी...

जब राज जाने लगा तो प्रीति ने उसे ज़मीन पर पड़ी अपनी पॅंटी और जीन्स देने के लिए कहा... जिसे राज ने उठा कर उसकी तरफ उछाल दिया..

प्रीति ने पॅंटी पहन ली और उसे उपर तक चढ़ा ली जिससे उसकी चूत पॅंटी से चिपक सी गयी.. फिर वो अपनी चूत को पकड़ मसल्ने लगी.... ये सब देख राज का लंड फिर खड़ा होने लगा... प्रीति ने अब एक उंगली अपनी चूत मे घुसा दी थी..

राज ने अपने लंड को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से मुठियाने लगा... प्रीति उसे देख मुस्कुराती रही... फिर उसने अपनी पॅंटी निकाल कर राज की तरफ उछाल दी...

"ये लो तुम्हे मेरी पॅंटी लपेट मूठ मारने मे मज़ा आता है ना तो लो इसे और खेलो अपने आप से... लेकिन आज इसमे पानी मत छोड़ना शायद रात को एक बार फिर तुम्हारे लंड का स्वाद चखने मे आ जाउ... " प्रीति ने कहा.

क्रमशः.......
 
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प्रीति ने शानू को कमरे से बाहर किया और अलमारी से दूसरी पॅंटी निकाल पहन ली फिर जीन्स पहन कर अपनी डायरी लीखने बैठ गयी..

जब बेटी जवान होने लगती है.. तो हर मा अपनी बेटी को उँछ नीच समझाने लगती है.. उसे दुनिया के बारे मे सेक्स के बारे मे समझती है.. कि क्या अछा और क्या बुरा है.. वैसे ही प्रीति की मा ने भी उसे

समझाया था.. और इस दौरान दोनो मा बेटी आपस मे काफ़ी खुल गयी थी.. प्रीति अक्सर मा से सेक्स एक बारे मे पूछती और समझती रहती थी...

रात को खाना खाने के बाद दोनो मा बेटी किचन मे खड़ी बर्तन सॉफ कर रही थी कि अचानक प्रीति ने अपनी मा से पूछा, "मा क्या पिताजी का लंड बहोत मोटा और लंबा है?"

प्रीति की बात सुन वसुंधरा के हाथ से प्लेट छूट गयी और उसके टूकड़े टूकड़े हो गये.. "ये क्या पूछ रही हो? तुम्हारा दीमाग तो खराब नही हो गया है?" वसुंधरा ने अपनी बेटी की ओर देखते हुए कहा.

"नही बस सोच रही थी.. वो क्या है ना आज में ग़लती से बाथरूम मे घुस गयी तो देखा की शानू शवर के नीचे नहा रहा था.. और तब मेने उसके लंड को देखा.. सच मे मा बहोत मोटा और लंबा था..

इसलिए सोचने लगी क्या पिताजी का भी इतना ही मोटा और लंबा है. या फिर सभी ऐसे होंगे मेने पहले कभी नही देखा है" प्रीति ने अंजान और भोली बनते हुए कहा.

वाशुंढरा ने कई बार प्रीति को उसके बॉय फ्रेंड के साथ देखा था..और उसे विश्वास था कि दोनो ने चुदाई का मज़ा लिया होगा... इसलिए उसे विश्वास नही हुआ कि उसने कभी लंड नही देखा होगा.. लेकिन फिर भी वो अपनी सग़ी बेटी से इस कदर की बातें नही कर सकती थी...

"पहली बात तो में इस बात का जवाब नही दूँगी क्यों कि तुम्हे इससे कोई मतलब नही होना चाहिए कि तुम्हारे पिताजी का कैसा है.. और दूसरी बार जब भी शानू के कमरे मे या बाथरूम मे जाओ तो खटखटा कर जाना.. समझी.. " वसुंधरा ने कहा.

प्रीति ने बहोत कोशिश की अपनी मा से कुछ जानकारी ले ले लेकिन वो अपने प्रयास मे सफल नही हो सकी... दोनो अपने अपने ख़याल लिए सोने चली गयी.. प्रीति सोच रही थी कि अगर शानू का लंड इतना मोटा और लंबा है तो पिताजी का कैसा होगा.. और वहीं वाशुंढरा सोच रही थी कि क्या सही मे शानू का लंड इतना मोटा और लंबा है..की प्रीति आज उसे ये सवाल पूछ बैठी.

जब वो अपने कमरे मे पहुँची तो अपनी सोच से काफ़ी गरमा चुकी थी.. कमरे मे पहुँच उसने देखा कि उसका पति बलदेव करवट लिए सो रहा है.. उसने उसे सीधा किया और उसके लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी.. उसका लंड सही मे काफ़ी लंबा और मोटा था.. लेकिन वो कभी कभार उसके लंड को चूस्ति थी.. उसे चुदवाने मे काफ़ी मज़ा आता था.. पर आज वो खुशी खुशी उसके लंड को बड़े प्यार से चूस रही थी.. बलदेव के लंड ने थोड़ी ही देर मे पानी छोड़ दिया जिसे वसुंधरा पी गयी.
 

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"थॅंक्स जान... आज क्या होगया तुम्हे.. मुझे बहोत अछा लगा.." बलदेव ने अपनी पत्नी से कहा.

"पता नही बस मेरे दिल किया आज तुम्हारे लंड को चूसने का.. वैसे भी कई दिन हो चुके थे इसे चूसे.." वसुंधरा ने जवाब दिया.

"हाँ बहोत दिन तो हो चुके थे.. क्या में भी तुम्हारे लिए कुछ करूँ?"

"नही अभी नही.. अभी बस में सोना चाहती हूँ.. शायद सुबह..." फिर दोनो ने एक दूसरे को चूमा और सो गये.

प्रीति अपने पलंग पर लेटी हुई शाम को शानू के साथ की मस्ती के ख़यालों मे खोई हुई थी.. वो फिर गरम हो गयी थी. उसकी चूत मे चिंतियाँ चलने लगी थी... उसने सोचा कि क्यों ना थोड़ी मस्ती और की जाए... उसने घड़ी की तरफ देखा रात के 1.00 बज चुके थे.. सभी सो चुके होंगे उसने सोचा.. वो पलंग से उत्तरी और पंजों के बल चलते हुए शानू के कमरे तक आ गयी.. कमरा खुला हुआ था.. वो अंदर आई और धीरे से दरवाज़ा बंद कर दिया.

प्रीति ने देखा कि शानू पीठ के बल सो रहा था.. उसने उसके शॉर्ट्स की ज़िप नीचे की और उसके लंड को बाहर निकाल लिया.. उसपर झुकते हुए उसने उसके लंड को अपने मुँह मे ले लिया. और चूसने लगी.. शानू नींद मे कसमसाया लेकिन उसकी आँख नही खुली... उसका लंड तनने लगा और थोड़ी ही देर वो पूरी तरह खड़ा था... तभी शानू की आँख खुल गयी..

उसका बदन उत्तेजना मे कांप रहा था.. उसका लंड फड़फदा रहा था .. उसने देखा कि उसकी छोटी बेहन उसके लंड को अपने मुँह मे ले चूस रही है... वो समझ गया कि उसकी बेहन चुपके से उसके कमरे मे आ उसके लंड को चूस रही है.. उसने कुछ नही कहा और पीछे की ओर लेट कर मज़ा लेने लगा.

प्रीति अपने मुँह को उपर नीचे कर तेज़ी से उसके लंड को चूसने लगी... शानू नीचे से अपनी कमर उठा अपनी लंड को और उसके गले के अंदर पेलने लगा... प्रीति ने एक हाथ से उसकी गोलैईयों को अपनी मुट्ठी मे भरा और दूसरे हाथ को लंड के इर्द गिर्द कसते हुए उसके लंड को चूस्ति रही... जब उसके लंड ने पानी छोड़ा तो वो सारा पानी पी गयी...


प्रीति फिर उसके पलंग से खड़ी हुई और उसे 'गुड नाइट' कहते हुए कमरे से बाहर चली गयी..

शानू पलंग पर लेटा हुआ अपनी छोटी बेहन के ही ख़यालों मे खोया हुआ था.. उसे अस्चर्य हो रहा था कि उसकी बेहन क्या छीनाल बनती जा रही थी... प्रीति की काम अग्नि बढ़ती ही जा रही थी.. और ये अगन उन दोनो के कहाँ ले जाएगी ये सब सोचते सोचते वो सो गया...

सुबह शानू शवर मे अपने बालों को शॅमपू से धो रहा था कि तभी उसे बाथरूम के दरवाज़े की खुलने की आवाज़ सुनाई दी. वो चिल्ला कर प्रीति से कहने ही वाला था कि क्या रात को दिल नही भरा जो सुबह सुबह भी चली आ रही हो.. तभी उसे अपनी मम्मी की आवाज़ सुनाई पड़ी.. "माफ़ करना शानू में समझी बाथरूम मे प्रीति है.. मुझे सिर्फ़ कपड़े धोने वाली ब्रश चाहिए थी"

"ठीक है मम्मी आप ले लीजिए" कहकर उसने गहरी साँस ले ली... कितना बचा था वो सब कुछ कहने से.. उसने आँख खोली और देखा कि बाथरूम का दरवाज़ा बंद हो गया था..

वसुंधरा फटी सी आँखों से बाथरूम से बाहर निकल कर आई.. प्रीति सही कह रही थी.. उसके बेटे का लंड वाकई मे बहोत लंबा और मोटा था... अभी वो खड़ा नही था.. अगर तन कर खड़ा होता तो ज़रूर उसके पति के लंड से एक इंच लंबा ही होता.... जब से प्रीति ने कहा था तब से वो अपने आप को रोक नही पा रही थी और आज जान बूझ कर वो बहाना बना अपने बेटे का लंड देखने बाथरूम मे चली गयी थी..

पूरे दिन वसुंधरा अपने बेटे के लंड के बारे मे ही सोचती रही... वो सोच रही थी कि अगर पूरी तरह तन कर खड़ा होगा तो कैसा लगेगा... शायद किसी ना किसी दिन उसे पता चल ही जाएगा... उसने बहोत कोशिश कि वो ऐसा कुछ ना सोचे आख़िर वो उसकी मा थी लेकिन वो ऐसा कर ना सकी... उत्तेजना के मारे वसुंधरा का बुरा हाल था. वो अपने आप को रोक नही पा रही थी.. इसलिए शाम को वो अपने बिस्तर पर पीठ के बल लेटे हुए थी.. उसकी स्कर्ट कमर तक चढ़ि हुई थी और उसने पॅंटी निकाल दी थी.... और एक लंबे मोटे नकली लंड (डिल्डो) को अपनी चूत के अंदर बाहर कर रही थी... मोटे लंबे लंड के ख़यालों मे खोई वो अपनी चूत की गर्मी शांत करने मे लगी रही...

वाशुंढरा सोच रही थी कि अपने पति से भी मोटे और लंबे लंड से चुदवाने मे कितना मज़ा आएगा... वो और ज़ोर से उस नकली लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगी... और आख़िर मे उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया...

वाशुंढरा ने अपनी चूत को और अपने आपको टवल से सॉफ किया और पॅंटी पहन अपने कपड़े ठीक कर लिए... अपने बेटे के खड़े लंड को देखने की उसके जिग्यासा और बढ़ गयी... वो उसके लंड को देखने के बहाने ढूँदने लगी.. वो उसके बेडरूम मे गयी और छिपने की सोचने लगी.. लेकिन उसे लगा कि उसके लिए तो उसे घंटो इंतेज़ार करना होगा.. इसलिए वो कमरे से वापस आने लगी तो उसकी नज़र उस वीडियो कमेरे पर पड़ी जो उसके पति बलदेव ने राज को उसके जनमदिन पर गिफ्ट किया था.

वसुंधरा उसके कंप्यूटर को ऑन कर देखने लगी.. शानू के लंड को देखने का आइडिया उसके दीमाग मे आ गया था...

वसुंधरा का पति बलदेव एक कंप्यूटर इंजिनियर था और उसे कंप्यूटर से बड़ा लगाव था.. इसलिए उसने घर के हर कमरे मे कंप्यूटर लगा रखा थाऔर साथ ही कंप्यूटर से वेबकाम अटॅच था... साथ ही उसके पास एक लॅपटॉप भी था जिसे वो जब जी चाहे किसी भी कंप्यूटर से जोड़ अपना काम कर सकता था.

वसुंधरा शानू के कंप्यूटर पर उसका मेस्संगेर ऑन कर दिया और उसका प्रोफाइल ओर लॉगिंग आईडी देखने लगी.. उसके लॉगिंग दी को उसने अछी तरह याद कर लिया.. उसने देखा कि शानू ने अपना वेब कॅम अटॅच किया हुआ है शायद रात को चाटिंग के लिए या फिर अपनी गिर्ल्फ्रेंड के लिए..

सब कुछ अछी तरह देखने के बाद उसने कंप्यूटर को बंद किया और सब कुछ पहले जैसा कर शानू के कमरे से बाहर आ गयी.. उसका दिल उछाल रहा था.. जो कुछ उसने सोचा था.. उससे उसे अपने ही बेटे के लंड को बहोत करीब से देखने का मौका मिल जाएगा...

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वही प्रीति अपनी मा से हुई बात चीत सोच रही थी. कि पिताजी का लंड लंबा और मोटा है कि नही... वो अपने ही बाप का लंड देखना चाहती थी... और एक दिन उसने मन बना ही लिया.. एक दिन जब सुबह जब उसे पक्का यकीन था कि उसका बाप बाथरूम मे है वो अपने मेकप के समान के बहाने बाथरूम मे घुस गयी...

प्रीति का पिता बलदेव शवर के नीचे नहा रहा था.. एक सरसरी निगाह अपने बाप के लंड पर डालते हुए प्रीति माफी माँग बाथरूम से बाहर आ गयी... उसे ये देख कर खुशी हुई की उसके बाप का लंड काफ़ी बड़ा था....

एक हफ्ते बाद की बात है.. बलदेव को ओफ्फिस मे काम था इसलिए वो लेट आने वाला था. और प्रीति अपनी सहेली के घर पर थी... शानू ने अपनी मा को कहा कि वो अपने कमरे मे है और इंटरनेट पर सरफिंग कर रहा है...

वसुंधरा नेउससे कहा ठीक है और अपने कमरे की ओर भागी... और उसने अपना कंप्यूटर ऑन कर लिया... मेसेंजर रूम मे जाकर उसने अपने बेटे का स्क्रीन नेम टाइप किया और इंतेज़ार करने लगी..



>Hot milf> Hi.. कैसे हो? मेने तुम्हारा प्रोफाइल पढ़ा जो मुझे अछा लगा..." वसुंधरा ने मेसेज भेज दिया.

>शानू_मस्ताना> उम्म, थॅंक्स.

अपने कमरे मे शानू अचानक आए मेसेज को देख चौंक पड़ा था.... आज से पहले कभी किसी ने सामने से इस तरह उसे मेसेज नही दिया था..

उसने कई लड़कियों की आईडी पर मेसेज दिया था लेकिन कभी किसी ने जवाब नही दिया था.. वो खुस हो गया...

>Hot Milf> नही शुक्रिया की कोई बात नही.. क्या तुम बिज़ी हो?

>शानू_मस्ताना> नही कुछ खास नही.>

>Hot milf> क्या कुछ मस्ती करना चाहोगे?

>शानू_मस्ताना> निर्भर करता है कि तुम्हारे दीमाग मे क्या है.

>hot milf> वो तुम्हे मेरे स्क्रीन नेम से ही समझ जाना चाहिए.

>शानू_मस्ताना> में भी यही सोच रहा था.

>hot milf> क्या तुम कभी उत्तेजित नही होते?

>शानू_मस्ताना> होता क्यों नही हूँ

>hot milf> तो फिर उसके लिए क्या करते हो?


>शानू_मस्ताना> उम्म कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ता है.

>hot milf> तो क्या तुम मेरी गर्मी शांत करने के लिए मेरी मदद करोगे?

>शानू_मस्ताना> मुझे कुछ ख़ास पता नही है इस बारे मे.. तुम दिखाने मे कैसी हो?
 

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"hot milf> ह्म्म... मेरे बाल काले है जो मेरे कंधों तक आते है... मेरी आँखे नीली है... पतली कमर... चुचियाँ बहोत बड़ी तो नही लेकिन फिर भी भारी भारी है.. और प्यारी गुलाबी बिना बालों की चूत.... क्या सब सुनकर मस्ती करना चाहोगे?

उसकी बात सुनकर राज चौंक पड़ा... बिना बालों की चूत ने उसे फिर अपनी मया की ओर खींच लिया... वो फिर उस दिन कॅमरा मे देखी अपनी मा की बिना बालों की चूत के बारे सोचने लगा.

> शानू_मस्ताना> क्या सही मे तुम्हारी चूत पर एक भी बॉल नही है?

>hot milf> हन मुझे अपनी चूत सफ़ा चट रखना अछा लगता है. क्या तुम मेरी मदद करोगे जिससे में अपनी इस गीली चूत को खुश कर सकूँ...

> शानू_मस्ताना> में तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ.. पर उसके लिए मुझे क्या करना होगा?

>hot milf> क्या तुम्हारे पास वेब कॅम है? तुम मुझे अपना लंड दिखा सकते हो..

> शानू_मस्ताना> लेकिन में कैसे विश्वास करूँ कि तुम सही में कोई औरत हो? औरत के नाम के पीछे तुम कोई बुड्ढे इंसान भी हो सकते हो जो मेरा लंड देखना चाहता हो? क्या तुम मुझे अपनी बिना बालों की चूत वेब कॅम पर दीखा सकती हो.. वैसे तुम्हारी उम्र क्या है?


>hot milf> हाँ में तुम्हे अपनी चूत दीखा सकती हूँ और हां किसी औरत से उसकी उम्र नही पूछनी चाहिए.. अगर तुम्हे मेरी चूत अछी ना लगे.. तो मुझे इग्नोंरे कर देना.. इसके बाद.

> शानू_मस्ताना> ठीक है तुम अपना कॅम ऑन करो में अपना करता हूँ. एक अंजान औरत की बिना बालों की चूत देखने को मिल रही है. ये सोच कर ही उसका लंड पॅंट फाड़ कर बाहर आने को तय्यार हो गया.. उसने अपना वेब कॅम ऑन कर दिया... उसे एक परछाई दीखने लगी और वो कॅम चॅट टू कॅम चॅट मे उसके साथ हो गया.. उसने देखा कि वो एक कुर्सी पर डेनिम स्कर्ट पहने बैठी हुई थी.. उसकी नंगी कमर दीखाई दे रही थी..

>hot milf> जो दीखा वो अछा लगा?

> शानू_मस्ताना> हां.. लेकिन में तुम्हारा चेहरा और तुम्हारी चुचियाँ देखना चाहता हूँ.

>वो सब फिर कभी आज तो शुरुआत है.. लगता है तुम्हारी पॅंट फॅट जाएगी.. उतारना चाहोगे?

> शानू_मस्ताना> हां राज खड़ा हुआ और अपनी जींस उतार दी.. वो अंदर अंडरवेर पहने हुआ था. वो वापस कुर्सी पर बैठ गया.. अंडरवेर से उसके लंड का उभार दीख रहा था... उसने स्क्रीन पर देखा कि वो औरत कुर्सी से थोड़ा उठ अपनी स्कर्ट उतार रही है..

>hot milf> तुम्हारी अंडरवेर मे तो अछा ख़ासा तंबू बना हुआ है.

> शानू_मस्ताना> हां लेकिन अभी ये पूरी तरह खड़ा नही हुआ है.

>hot milf> सही मे या फिर तुम ऐसे ही कह रहे हो.

> शानू_मस्ताना> में मज़ाक नही कर रहा.. एक बार अपनी चूत दीखाना और में ये साबित कर दूँगा. दूसरी तरफ वाली औरत खड़ी हो गयी... राज को उसकी पतली टाँगे दीखने लगी.. जब वो वापस कुर्सी पर बैठी तो उसकी काले रंग की पॅंटी से चूत दीख रही थी...

>hot milf> क्यों मेरी पॅंटी पसंद आई.

> शानू मस्ताना> हां मुझे पॅंटी बहोत पसंद है...उन्हे देख में गरमाने लगता हूँ.. पर तुमने कहा था कि मैं तुम्हारी चूत देख सकता हूँ.

राज सही मे गरमाने लग गया था.. उस औरत को इस तरह पॅंटी मे बैठे देख उसका लंड थिरकने लगा.. वो अपने लंड को अपनी अंडरवेर के उपर से ही मसल्ने लगा.. उसका लंड अच्छी तरह तन कर खड़ा हो गया.

>hot milf> तुम सही कह रहे थे.. यहाँ से तो तुम्हारा लंड काफ़ी विशाल लगता है.

वसुंधरा अपनी चूत को सॅटिन की काली पॅंटी के उपर से मसल रही थी.. उसकी चूत पूरी तरह गीली हो पॅंटी को भीगो रही थी. उसे विश्वास नही हो रहा था कि आज इस तरह वो अपने ही बेटे का लंड देखने को मचल रही थी.. और जो उसे दीखाई दे रहा था उससे तो उसके बेटे का लंड सही मे काफ़ी विशाल था.

> शानू_मस्ताना> क्या तुम्हारी पॅंटी अछी तरह गीली हो गयी है.?

>hot milf> हां लेकिन पहले में तुम्हारे लंड को अछी तरह देखना चाहती हूँ फिर में अपनी पॅंटी को अपने रस से और अछी तरह गीली कर दूँगी.

> शानू_मस्ताना> काश मेरे पास तुम्हारी ये पॅंटी होती.. तो में इसे अपने लंड के चारों और लपेट तुम्हारे लिए मूठ मारता.

वसुंधरा तो एक बार चौंक पड़ी.. लेकिन वो तो उसके लंड को अछी तरह देखने के लिए मरी जा रही थी...

>hot milf> प्लीज़ मुझे अब दीखा दो ना.

हे भगवान ये तो मेरा लंड देखने के लिए पागल हुई जा रही है.. राज ने सोचा.. लेकिन अपनी चूत नही दीखा रही राज ने तय कर लिया कि वो पहले अपना लंड नही दीखायगा.

; <शानू_मस्ताना> मुझे लगता है कि तुम पहले मुझे अपनी चूत दीखाओ.. वैसे भी तुम मेरा चेहरा देख चुकी हो लेकिन मेने तुम्हारी पॅंटी के अलावा कुछ नही देखा.. साबित करो कि तुम्हारी चूत गीली है.. मुझे अपनी गीली उंगली दिखाओ.
 

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वाशुंढरा समझ गयी कि उसका बेटा इस तरह नही मानेगा इसलिए उसने अपनी उंगली पॅंटी के साइड से अंदर डाल अपनी चूत मे घुसा दी और जब उसकी उंगली अछी तरह गीली हो गयी तो कॅमरा को ठीक अपने हाथ के उपर कर दिया और अपनी उंगली और अंगूठे को इस तरह पॅंटी से बाहर निकाला कि रस की कुछ बूंदे उनमे आ गयी.

>hot milf> मुझे लगता है कि तुम इस रस को चखना चाहोगे?

>शानू_मस्ताना> हां सीधे तुम्हारी चूत से लेकिन पहले में तुम्हारी चूत देखना चाहता हूँ.

>hot milf> लो ठीक है.. लो देखो.


वसुंधरा समझ गयी उसका बेटा उसकी चूत देख कर ही मानेगा इसलिए उसने अपनी पॅंटी को साइड से पकड़ हटा दिया उसकी चूत सही मे बिना बालों की थी.. और रस से चमक रही थी.

>शानू_मस्ताना> वाउ.. अब अपनी पॅंटी को उतार दो.

>hot milf> नही पहले तुम अपना लंड दीखाओ.

शानू ने तुरंत अपने लंड को अंडरवेर से बाहर निकाला जिससे गीली चूत उसे देख सके.

>hot milf> बहोत अछा है लेकिन ज़रा कॅमरा के लेंस को ज़ूम करो जिससे में इसे अछी तरह देख सकूँ.

शानू ने वैसे ही किया जैसा कहने को कहा गया था और उसे लाइन से तीन चार मेसेज आ गये उसके लंड की तारीफ मे.

वसुंधरा को शानू के साथ इस खेल मे मज़ा आ रहा था. और उसे लगने लगा कि वो इस मध्यम से उससे बहोत कुछ जान सकती है जो शायद हक़ीकत मे वो अपनी मा से कहते हुए शरमाये.

>hot milf> लड़किया तो इस लंड से चुदवाते चुदवाते पागल हो जाती होंगी.

<शानू_मस्ताना> मुझे पता नही.

>hot milf> तुम ये कहना चाहते हो कि तुमने अपने इस मूसल लंड को आज तक किसी चूत मे नही घुसाया.

>शानू_मस्ताना> हां.

>hot milf> लॉल. इसमे उदास होने की बात नही है.. मुझे विश्वास है कि वो दिन अब ज़्यादा दूर नही है.

वसुंधरा को अस्चर्य भी हो रहा था और साथ ही खुश भी थी कि उसके बेटे ने अभी तक चुदाई का स्वाद नही चखा है.

>शानू_मस्ताना> लेकिन हां मेने अपना लंड चूस्वाया है.

>hot milf> फिर तो दोनो को खूब मज़ा आया होगा.

>शानू_मस्ताना> हां बहोत और मुझे लगता है कि वो दोबारा फिर मेरा लंड चूसेगी.

>hot milf> हां अगर उसकी जगह में होती तो में भी यही करती.

>शानू_मस्ताना> अब अपनी पॅंटी उतारो

वसुंधरा अब तक इतना गरमा चुकी थी कि अब उसे परवाह नही थी कि वो अपने ही बेटे को अपनी चूत दीखाने जा रही है.. उसके सामने तो उसके बेटे का विशाल लंड था.. वैसे भी उसे सिर्फ़ चूत ही तो दीखाई देनी थी.. उसने अपनी पॅंटी उतार दी.

और कुर्सी पर पसर कर अपनी टाँगे फैला दी और दूसरी तरफ से आते मेसेज पढ़ती रही.. शानू उसकी चूत की तारीफ किए जा रहा था.. वो लीख रहा था कि उसकी इच्छा उसकी चूत को चूसने की हो रही है और वो अपने लंड को उसकी चूत मे घुसाना चाहता है.


>hot milf> क्या तुम मेरे लिए अपने लंड का पानी छ्चोड़ोगे?

<शानू_मस्ताना> हां अगर तुम अपनी चूत मे अपनी उंगली अंदर बाहर करो तो.

>hot milf> हां क्यों नही.

>शानू_मस्ताना> लेकिन मे फिर थोड़ी देर के लिए कुछ लीख नही पाउन्गा.

>hot milf> में भी कहाँ लीख पाउन्गि.. तुम अपने लंड को मसलो में अपनी चूत मे उंगली करती हूँ.

>शानू_मस्ताना> ओके

तो भाइयो आपने देख लिया होगा कि मा बेटे का रोमांस चल रहा है फरक

सिर्फ़ इतना है कि मा तो जानती है की सामने कौन है लेकिन बेटे

को पता नही कि ये hot milf उसकी मा है
 

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शानू बिना बालों की बुर स्क्रीन पर देखते हुए मूठ मारने लगा.. गीली चूत अपनी चूत मे उंगली डाल अंदर बाहर कर रही थी.. दोनो लोग अपने आप से खेल एक दूसरे को स्क्रीन पर दिखाते रहे.. शानू


>hot milf> मेरे लिए अपने हाथ मे अपना पानी छोड़ो.

शानू अपने दाएँ हाथ से मूठ मारने लगा और अपने बाएँ हाथ को लंड के सूपदे पर कर दिया.. उसका लंड वीर्य की पिचकारी पर पिचकारी उसके हाथ मे छोड़ने लगा.. कुछ वीर्य ज़मीन पर भी गिर गया.

>hot milf> मज़ा आ गया राज.

> शानू_मस्ताना> मुझे भी.. क्या हम दोबारा इस तरह मिल फिर से कर सकते है..

>hot milf> अभी कुछ कह नही सकती.. तुम ऑनलाइन नज़र रखना अगर में आई तो ज़रूर करेंगे. मेसेज करना.

> शानू_मस्ताना> ओके अब मुझे जाना है.

>hot milf> ओके मुझे भी गुड नाइट

वसुंधरा ने कंप्यूटर बंद किया और पलंग पर लेट कर अछी तरह अपनी चूत मे उंलगी करने लगी.. उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.. शानू ने अपने आपको और ज़मीन को साफ किया और पलंग पर आ कर लेट गया. उसने आँखे बंद कर ली और गीली चूत और अपनी मा की बिना बालों की चूत के सपने देखते हुए सो गया.. उसे ये अंदाज़ा नही था कि दोनो एक ही थी..

अगले दिन वसुंधरा नाश्ते के टेबल पर अपने बेटे से आँख नही मिला पा रही थी.. वो आपनी शर्मिंदगी और इच्छा के भंवर के बीच फँस के रह गयी थी... वो उसकी चमकती आँखों से आखें नही मिला पा रही थी और ना ही पूछ पा रही थी कि वो आज इतना खुश क्यों है.. रह रह कर उसकी निगाह उसकी जांघों के बीच उठ जाती और सोचने लगती कि उसके बेटे का लंड वाकई मे एक मर्द का लंड है..
 

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अगले एक हफ्ते तक शानूजब भी कंप्यूटर ऑन करता तो अपने मेसेंजर बॉक्स पर नज़र रखता कि कहीं hot milf उसे ऑनलाइन दीख जाए.. पर वो नज़र नही आई.. फिर एक दिन जब फिर से वो और उसकी मा ही घर पर थे तो उसके फ्रेंड्स लिस्ट मे उसका नाम नज़र आया..

> शानू_मस्ताना> हाई !

>hot milf> हाई मस्ताने

> शानू_मस्ताना> मुझे तो ऐसा लगने लगा था कि तुमसे दुबारा बात नही कर पाउन्गा.

>hot milf> में हमेशा यहाँ नही आ सकती..थोड़ा बिज़ी रहती हूँ..

> शानू_मस्ताना> कोई बात नही.

>hot milf> पीचली बार तुम्हे मज़ा आया था ना?

> शानू_मस्ताना> हां बहोत ज़्यादा और सोच रहा था कि काश तुम्हारी वो काली पॅंटी मुझे मिल जाती .

>hot milf> लगता है कि तुम्हे पॅंटी बहोत पसंद है?

> शानू_मस्ताना> हां, पॅंटी को अपने लंड के चारों और लपेट मूठ मारने मे मुझे मज़ा आता है.

>hot milf> क्या तुम उन पॅंटी को पहनते हो?

> शानू_मस्ताना> नही नही.. में सिर्फ़ उसे लंड पर लपेट अपने लंड को मसलता हूँ.

>hot milf> ओह !

> शानू_मस्ताना> क्या तुम्हे सुन कर अछा नही लगा?

>hot milf> नही बस मुझे अस्चर्य हो रहा था.

> शानू_मस्ताना> तब ठीक है.

>hot milf> तो क्या आज तुम मुझे वो अपना घोड़े जैसा लंड दीखाओगे?

> शानू_मस्ताना> हां क्यों नही अगर तुम भी मुझे अपनी प्यारी चूत दीखावगी तो.

>hot milf> हां दिखाउन्गि ना.
 
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