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Adultery Meri fantasy ( Adultery/Romance)

DB Singh

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Aacha h samj m zaladi aa gayi...m khus hi rehta hu...or rahi baat aurat ghumane ki...to ye soch nhi h meri...teri soch hi bata rahi h...ki tu aurat ke bare m kya sochega...jo ye bol raha h..kitani aurat ghuma di...

Thik h tu aurat hi ghuma...kisi din koi tuje bhi ghumayega...


Gussa karna bhi zaroori h..nhi to kuch log kaan m mutane lagte hain....

Unka mut rokna bhut zaroori hai...
अरे भाई मैने अलविदा कहा ना। फिर क्यों बात को खींच कर बात का बतंगड़ कर रहा है। अगर इतना ही था तो एक अच्छे लेखक का कर्तव्य निभाते हुए तमीज़ से पेश आते हुए सिचुएसन को एक्सप्लेन करता। की भाई डीबी सिंह जो तुम्हें लग रहा है वो गलत है। जैसे बाकी लेखक एक्सप्लेन करते हैं। लेकिन नहीं तू तो रणभूमि में युद्ध करने उतर आया। आज तेरे को लिखते हुये काफी समय हो गया होगा तुझे हम पाठकगण की मन:स्थिति की परख होनी चाहिए। लेकिन तु समझाने के बजाय लड़ने पर आ गया। खैर,...
Jarurt kya story padne ki
भाई तुझे पढ़ना है या नहीं मैं कैसे बताऊँ मेरी स्टोरी थोड़ी है।
दीपीका अगर चरित्र से गिरी हुई है तो रवि कैसे चरित्र वान हो गया जिसकी इतनी फिक्र आपको हो गयी, d.b.singh ji, दीपीका उम्र के उस पड़ाव में गुप्ता के चंगुल में फसी थी जब उसको इन सबका ज्यादा मालूम नही था और गुप्ता जैसा जलील इंसान इन सब मे माहिर था, उसने रेगूलर उसको ब्लैकमेल किया, रहा मजे वाली बात तो वो बड़ी बात नही है, जब रुगुलेर ये सब होगा तो होता है फीलिंग होना, और प्रेंगनेंट तो किसी के बस में नही होता संभोग होता है तो,
रवि खुद अपने करियर से खिलवाड़ कर रहा हैं इतनी लेडीज से संपर्क में रहकर, मधु के केस में मधु ने ससुर से सम्बंद बनाकर बचाव कर लिया नही तो रवि का बचना मुश्किल था, कौन अपने घर की लेडीज को दूसरे के साथ सेक्स करते देखेगा,
जो दीपीका ने सहा है उसके कारण आज भी उसके मन मे डर है इसलिए जब भी कोई उससे फ़ोर्स करता है वो आसानी से सरेंडर कर देती है बस में या ऑटो वाले प्रकरण में,
रवि को इसलिए रोक पाती है क्योंकि रवि के मन मे चाहत है, लेकिन जब रवि फ़ोर्स करता है तो वो वहा भी सरेंडर करती है,
रवि unmature है जब वो दीपिका से अकेले मिलता है तो उतावला पन दिखाता है, दीपिका सॉफ्ट सेक्स चाहती है,
एक महिला के लिए आपके विचार निंदनीय है
रेखा जी, आप गुस्सा कर सकती लेकिन शायद आपने मेरे मंतव्य को समझा ही नहीं। खैर, औरतों के लिए मेरे दिल में कितनी इज्जत है मैं आपको एक्सप्लेन नहीं कर सकता। शायद मैं ही हूँ इस फाॅरम पर औरतों और लड़कियों के कुछ अच्छा लिखने बोला था। जरा सोचिये जब मैं कहानी में औरतों को रंडी बनते नहीं देख सकता तो रियल की तो बात ही अलग। अरे मैं तो खैर।, मैं क्यों सफाई दूं। मैने दीपिका के लिए जो कुछ भी कहा उसकी हरकतें देख कर गुस्से में कहा। आप और लेखक और बाकी इतने ही शुभचिंतक थे तो गुस्सा करने के बजाय समझाते। मैं तो अच्छाई की उम्मीद में खिंचा चला आया। मुझे क्या पता था लेखक इतना ऐरोगेंट होगा। जो पाठकों के मंतव्य ना समझ सकता। रेखा जी शायद आपने मेरे कुछ स्टोरी पर कमेंट भी देखे होंगे। फिर भी आपने मेरे लिए ऐसी धारणा बना रखी है। आप पहले कमेंट अच्छे से पढ़ती फिर समझती। फिर कुछ मुझे समझाती। खैर, जैसी आपकी इच्छा। जय र*म जी की।
 
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अरे भाई मैने अलविदा कहा ना। फिर क्यों बात को खींच कर बात का बतंगड़ कर रहा है। अगर इतना ही था तो एक अच्छे लेखक का कर्तव्य निभाते हुए तमीज़ से पेश आते हुए सिचुएसन को एक्सप्लेन करता। की भाई डीबी सिंह जो तुम्हें लग रहा है वो गलत है। जैसे बाकी लेखक एक्सप्लेन करते हैं। लेकिन नहीं तू तो रणभूमि में युद्ध करने उतर आया। आज तेरे को लिखते हुये काफी समय हो गया होगा तुझे हम पाठकगण की मन:स्थिति की परख होनी चाहिए। लेकिन तु समझाने के बजाय लड़ने पर आ गया। खैर,...

भाई तुझे पढ़ना है या नहीं मैं कैसे बताऊँ मेरी स्टोरी थोड़ी है।

रेखा जी, आप गुस्सा कर सकती लेकिन शायद आपने मेरे मंतव्य को समझा ही नहीं। खैर, औरतों के लिए मेरे दिल में कितनी इज्जत है मैं आपको एक्सप्लेन नहीं कर सकता। शायद मैं ही हूँ इस फाॅरम पर औरतों और लड़कियों के कुछ आवाज उठाता हूँ। जरा सोचिये जब मैं कहानी में औरतों को रंडी बनते नहीं देख सकता तो रियल की तो बात ही अलग। अरे मैं तो खैर।, मैं क्यों सफाई दूं। यहाँ तक अगर कोई फिमेल रीडर होंगी वो भी औरतों और लड़कियों के लिए आवाज नहीं उठाती। मैने दीपिका के लिए जो कुछ भी कहा उसकी हरकतें देख कर गुस्से में कहा। आप और लेखक और बाकी इतने ही शुभचिंतक थे तो गुस्सा करने के बजाय समझाते। मैं तो अच्छाई की उम्मीद में खिंचा चला आया। मुझे क्या पता था लेखक इतना ऐरोगेंट होगा। जो पाठकों के मंतव्य ना समझ सकता। रेखा जी शायद आपने मेरे कुछ स्टोरी पर कमेंट भी देखे होंगे। फिर भी आपने मेरे लिए ऐसी धारणा बना रखी है। आप पहले कमेंट अच्छे से पढ़ती फिर समझती। फिर कुछ मुझे समझाती। खैर, जैसी आपकी इच्छा। जय र*म जी की।
Tu ek aacha reader hota to main bhi banta..aacha writer...
Mujhe tujhse koi certificate nhi chaiye..ki tu mere bare m kya soche...main unme se nhi hu..jo views ke liye ji hazuri kare....galt sune...jo jaisa bolega wo wiase hi sunega ....or ager tune puri story padhi hoti to tune jo subah likha uski zarurat hi nhi parti...
Isliye adhura gyan khatarnak hota h...pehle padhi phir bolo kuch bhi...

Mujhe koi shok nhi h kisi ke muh lagne ka..
 
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DB Singh

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Tu ek aacha reader hota to main bhi banta..aacha writer...
Mujhe tujhse koi certificate nhi chaiye..ki tu mere bare m kya soche...main unme se nhi hu..jo views ke liye ji hazuri kare....galt sune...jo jaisa bolega wo wiase hi sunega ....or ager tune puri story padhi hoti to tune jo subah likha uski zarurat hi nhi parti...
Isliye adhura
 
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Aftabh

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Dear writer why u r engaged in altercations with readers.The character of Deepika u portrayed is not of a sati-savitri bcoz she maintained pre- marital Illicit affairs with Gupta & got pregnant 2 times!She is not so innocent rape victim!
 
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अबे ओ बस कर मैने कहा ना अलविदा। मैं प्यार से पेश आ रहा हूँ तू तो सर पर चढ़े जारहा। तू उनलोगों में से है जिसे थोड़ी कामयाबी मिली नहीं नंगे हो लिए। बेवकूफ है पाठक लोग जो तेरे जैसे राइटर के स्टोरी पढ़ते है। जिसमें तमीज नही। माफ करना पाठक भाइयों। लेकिन आप खुद देखो। वेसे मैने दीपिका के बारे में जो कहा मेरे नजरिये सब ठीक था। तू उन लेखक जैसे होगा भी नहीं। जो खुद के साथ पाठकों का भी ख्याल रखे। हर चीज को एक्सप्लेन करे। क्या उनको पैसे मिलते हैं रिव्यू बनाने से? जी हजूरी करके उनको क्या मिलेगा। यहाँ सब नाम बदल कर है। कौन क्या है कोई नहीं जानता। तेरी सोच ही घटिया है। अब रिप्लाई मत करियो। तू अपने में खुश रह। मुझे यहाँ रहने दे।
Teri soch to bhut acchi h kyon?? Nhi karta explain. Dimag diya h na bhagwan ne...to samjho story ko...ye subh wo randi hai ye h wo h...bol raha tha...itne der padh hi leta...to ye sab nhi hota na.....or rahi baat sir chadhne ki...wo to tu kar raha h..baar baar massage...tu bolega to reply to milega....

Tu band kar de...nhi milega...Jab sehan na ho na..tu muh se kuch bhi bak nhi dena chaiye...


Or ye koi kamayabi nhi h ...mujhe koi isme carrier nhi banna...bis likh raha hu..mujhe jo karna h wo main kar chuka hu....or rahi baat tammiz ki..to pehle thoda khud ko dekh lo...to fir bhar dekho...

Ab ye socho ki tum kuch bhi bolo..or main sunu??


Tu band kar de massage dena...main nhi karunga...lekin khurak zaida h..to thik h. ...karte raho...
 
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Dear writer why u r engaged in altercations with readers.The character of Deepika u portrayed is not of a sati-savitri bcoz she maintained pre- marital Illicit affairs with Gupta & got pregnant 2 times!She is not so innocent rape victim!
Bhai wo relationship uski margi se hue the ya.. mazboori main...bas itna bataiye...

Wo blackmail hui thi ya...wo baat baar khud jati thi gupta ke paas ye bataiye...

Rekha ne bhi dekha tha ki gupta uske sath jabardasti kiya tha...nhi to wo kun bolti ravi ko ki deepika ko akele mat jane dena...


Pehle chizzo ko samjhiye...
 
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Deepika uthi or chai banne chale gayi ..

Jabaki ravi apne room m Chala gya .mood Pura kharab tha…deepika pe gussa or bhi badh gaya tha…

Uske Samne abhi kuch der pehle ka seen nazar aa rah tha ki kaise us auto wale ne deepika ka hath pakada tha…

Lekin tabhi yaad aaya hi deepika ka muh to rone wala hua tha….

To thoda thik laga ki deepika ki galti nhi h…lekin uska man kehne laga…

Tuje dekh ke banaya hoga rone ka muh….

Ab kya banati h muh…sala zindgi barbad kar di meri….


Wahi Deepika ne chai banayi or vidya kavita or deepika pine lage ..


Vidya baat kaat ke idhar udhar ki baat karne lagi …

Or nana ji ki tabiyat ke bare m puchne lagi ..


Deepika to ziada nhi bol rahi thi ..bas kavita hi sare jawab de rahi thi…


Tabhi vidya deepika se boli…


V:: Deepika khana Wahi bna dungi haan…( sympathy dikhate hue)

Deepika jo vidya ke ghar jana pasand nhi karti thi…prakash ke karan…


Boli ..


D:: nhi didi banati hu…bna lungi ..( bina vidya ko dekhe..chai pite hue thode gambhir awaz m)


Deepika ko ravi ki baat lag gayi thi ki usne ye kyon bola ki …

Tumko to chaiye hi aise log….


Tabhi vidya ne deepika ko dekh ke zaida bolna thik nhi samja…or kavita se boli..


V: kavita…chalo sabji le aaoge…khet se sarita laayi thi….kon khata hai….nani se bhi mil aaoge..

Ravi to aata hi nhi tha kitna iske mama ne bhi bol diya yahi kha le …Roz bhana bana deta tha….( Chai ka cup rakhte hue)


Kavita bas hmm hmmm…Karti Rahi….


Deepika ye sun ke bhut khus hui..ki ravi waha nhi gaya…

Or man m sochi…


Koi nhi gussa aa gya hoga….main bhi kya karti…m dar gayi….awaz hi nhi nikali…pata nhi kaha se mil gaya wo..auto wala …man kar raha h..gala daba du..kutte ka…

Kutte ne meri zindagi m aag laga di…ab pata nhi kab tak muh bna ke rahenge…

Kha soch ke aayi thi ..itne din baad milenge..kaha ye aate aate kalesh ho gaya…


Vidya or kavita baat kar rahe the ki

Tabhi Kavita boli…


K::mami …aati hu haan..fir bnate h kahana…( deepika ke shoulder m hath rakh ke)


Deepika apni soch se bhar aayi..or haann haannn boli…


Wahi ravi ka man na padhne m lag rah tha na kisi m…

Room band karke betha tha…


Bechari subh punam bhi puri tyari se aayi thi….lekin ravi ne na usko padhya….na hi thik se baat ki…

Bas sir dard ka bhana bna diya ..


To punam bhi bechari apni khismat ko koste hue chale gayi….ghar ko…



Kher Deepika ne ravi ke ghar bat ki or bata diya ki wo log phuch gaye h…


Uske baad deepika Apne room m gayi…
Dekha pura room faila hua h…


Idhar udhar dekhne lagi…or sochne lagi…


Pura room faila rakha h…pata nhi kaise rehte h…ye nhi ki..uthne ke baad rajai teah hi kar du….kya bolu…kuch bolu hi…ulta mujhe hi 4 baat suna denge…( rajai fold karte hue Apne aap m hi badbadate hue)


Uske baad deepika ne room thik kiya….


Or thodi der m kavita bhi aa gayi…or boli .


K:: kya kar rahe ho mami….( Sabji Wahi pe rakhte hue)

Deepika ek dam se palti or boli…


D:: are tum aa bhi gaye …( kavita ko dekh ke)


K:: haan aa gayi…kya karti..thodi der nani se mili…aa gayi….( Table m sabji rakhte hue)


D:: aacha…tai ji thik hongi???( Bethte hue)


K:: kya hoti h…aise hi h…aacha mami…hua kya tha…main to dar gayi thi yaar bhut….bhaiya ka gussa bhut kharab h sach m…mar deta ye usko..jo haath m aata….( Dhere se darte hue)


D:: batmizz tha wo auto wala…maine soch tumko paise de dungi….lekin tum baat karne lagi…paise diye…to hath pakad liya mera…
Ab mere muh se to na awaz nikle na kuch….tum bhi muh palta ke kahrid thi…
Itne zor se dabaya na…ye dekho..churi bhi tut gayi….( Hath dikahte hue)


K: bahiya ne dekh liya tha kya…??( Herani se)


D:: pata nhi muje to laga ki maine kaya karu…chor hi nhi raha tha hath….inhone pata nhi kha se dekha…baap re …..
Main tabhi to us time nhi beth rahi thi…ye wo hi to tha..auto wala…madhu ke sath us din yaad h…us din bhi ye gussa ho gaye the …

Pata nhi yaar mere sath hi kyon hota h aisa….main bhut dar jati hu….( Lagbhag ruhansi ho ke)


K:: are ho gaya koi bat nhi…log sach m bhut gande h mami…lekin aap aise kyon dar jate ho…marte na muh m kutte ke…ek..main hoti na daant muh fod deti kamine ka …( guuse se Bolte hue)


Deepika Kuch nhi bol payi…


K:. Ek baar main bhi aa rahi college se Scotty nhi thi tab…tab ek auto wale ne mujse bhi batmizzi ki…thappd maar maar ke muh suja diya tha maine ..
Jitna daroge…utna log daraynge …( Deepika ko samjhate hue)


D:: are main kya karu…main dar jati hu apata nhi kyon…( pareshan ho ke)


K:: chalo choro koi nhi….sabji kaat du…gobhi di h ..or matar h ,...( Sabji ke bag m dekh ke)


D:. Haan kaat do ..room thik karke aati hu ..( room ko dekh ke)


K:: subh karna na ab…Raat ko kon aa raha h dekhne..khana khate h sote h yaar…bhut thak gayi…main to kaan pakad rahi hu ab…bus m nhi aaungi….baap re …( herani se)


Fir kavita upper chale gayi…or thodi der baad deepika bhi….


Deepika or Kavita dono baat karte rahe…or kahana bnate rahe ..


Jabki ravi room m leta bas soch raha tha…darwaza ander se band tha….


To be continued …
 

DB Singh

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Dear writer why u r engaged in altercations with readers.The character of Deepika u portrayed is not of a sati-savitri bcoz she maintained pre- marital Illicit affairs with Gupta & got pregnant 2 times!She is not so innocent rape victim!
एक्जैक्टली ब्रो, यू आर एब्सोलोटली राइट।
Teri soch to bhut acchi h kyon?? Nhi karta explain. Dimag diya h na bhagwan ne...to samjho story ko...ye subh wo randi hai ye h wo h...bol raha tha...itne der padh hi leta...to ye sab nhi hota na.....or rahi baat sir chadhne ki...wo to tu kar raha h..baar baar massage...tu bolega to reply to milega....

Tu band kar de...nhi milega...Jab sehan na ho na..tu muh se kuch bhi bak nhi dena chaiye...


Or ye koi kamayabi nhi h ...mujhe koi isme carrier nhi banna...bis likh raha hu..mujhe jo karna h wo main kar chuka hu....or rahi baat tammiz ki..to pehle thoda khud ko dekh lo...to fir bhar dekho...

Ab ye socho ki tum kuch bhi bolo..or main sunu??


Tu band kar de massage dena...main nhi karunga...lekin khurak zaida h..to thik h. ...karte raho...
चल ठीक है। मैं हारा तू जीता खुश। तू भी खुश रह और अपने पाठकगण को भी खुश रख एंटरटैन कर वो भी खुश। अपसेट नहीं होने का चिलैक्स मैन। कुल रहने का । सभी पाठकगण से अनुरोध है खुल कर सपोर्ट करें। लाइक कमेंट दिल से और अच्छे दें। धन्यवाद। अब हंस भी लियो। जा शीशा के सामने खुल कर हंस ले।
 
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एक्जैक्टली ब्रो, यू आर एब्सोलोटली राइट।

चल ठीक है। मैं हारा तू जीता खुश। तू भी खुश रह और अपने पाठकगण को भी खुश रख एंटरटैन कर वो भी खुश। अपसेट नहीं होने का चिलैक्स मैन। कुल रहने का । सभी पाठकगण से अनुरोध है खुल कर सपोर्ट करें। लाइक कमेंट दिल से और अच्छे दें। धन्यवाद। अब हंस भी लियो। जा शीशा के सामने खुल कर हंस ले।
Ek baat batu...mujhe in sab se koi khusi nhi milati...tum mano ya na mano...tumne jo bhi shubh kaha wo pura galat tha ..story ko padho or dhyan se padho...fir bolo...ki kya hai..kya nhi...bolo to main page numbers bhi de deta hu....ki jab deepika or gupta wala story pata chali thi...

Deepika to ek imagine character h...real life m bhi har kisi ko bina uska such jane bolna to galat hi hai na... Main page numbers dekh ke bata hu...pehle padh lo ..fir jo aacha lage wo bolo...


M nhi bolu ga ..haan vidya is story m ek character h...wo to to hai hi waisa...bolo uske bare m....


Ok tum bhi chill karo....bas aise mat bolo...kyonki jab koi kabhi khud kuch likhoge ..or jo character ko soch ke kuch likh rahe ho ..or koi is tarah se bole ..to lagta h bura .wo bhi shubh subah uthte hi...samj lo mera to pura din kharab hua na.....ye abhi nhi samjoge...

Kabhi likhoge tab samj aa jayega...
Or mujse tumko ya kisi ko bol ke kya milana h...

Salary ya award kuch nhi h...bas man ka fitoor h .jo mita rahe h....likh ke....

Beshak mat padho story lekin atleast wo page padh lena....fir batana zaroor...main. Search karke deta hu... wait...
 
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ये मेरा फर्सट कमेंट है।

मैने कुछ अपडेट इस कहानी के पढ़े थे काफी टाइम हो गया। अब आज ये वाला देखा तो इतना ही रवि से कहना चाहूंगा दीपिका से दूर रहे। उसका फ्यूचर ब्राइट है दीपिका जैसी कैरेक्टरलेस औरत के चक्कर में अपना कैरियर खराब ना करे। साली रवि जब टच करता था तो सती सावित्री बनने का ढोंग करती थी एक्टचुअली वो रवि को ऐसा करके अपने पीछे लाने पर मजबूर करती थी। वो जताना चाहती थी मैं ऐसी वैसी औरत नहीं हूँ। जबकि सच्चाई सबके सामने है। जैसा की सबको पता है हम अक्सर उसको ही पाना चाहते हैं जो हमें भाव नहीं देते। जो प्यार से पट जाती है उसको उतना हम तवज्जो नहीं देते नखरेल और बिगड़ी सहजादी ज्यादा रास आती है। रवि के साथ भी ऐसा ही हुआ। दीपिका प्यार से मान जाती तो रवि उतना उसके लिए लगाव महसूस नहीं करता जो आज कर रहा है। बात दर- असल ये है कि दीपिका को गुप्ता के अलावा कोई अच्छा लगता ही नहीं। हर किसी के टच में वो गुप्ता के टच को महसूस करना चाहती है। जो गुप्ता के अलावा किसी में नहीं है। जरा सोचो जो औरत शादी के पहले से गुप्ता के साथ अपने सपने जी रही थी। रातें रंगीन कर रही थी 3-3 घंटे चुदाई करवा रही थी । 2-2 बार माँ बनने वाली हो उस अजन्मे बच्चे के बाप को कोई औरत भूला सकती है। एक इमोशन जुड़ जाता है खास करके औरत के दिल में जिंदगी का पहला मर्द एक अलग छाप छोड़ जाता है। वो भी उस आदमी को जिसने आलमोस्ट 2-2 बार माँ चुका हो। औरत सबकुछ भुला सकती है। पहला मर्द और बच्चे के बाप को नहीं। हाँ शायद थोड़ी नफरत करती होगी दीपिका क्योंकि उसको बच्चा गिराना पड़ा। हर औरत के लिए उसका बच्चा अजीज होता है। अगर गुप्ता दीपिका और बच्चे को अक्सेप्ट करता तो दीपिका शायद आज उससे चीढ़ी हुई नहीं रहती। यही कारण होगा गुप्ता से चीढ़ का, और दुसरा कारण शायद अब ये भी होगा गुप्ता से दूर रहने का की अब वो बूढ़ा हो गया और अब उसके औजार में दम नहीं होगा। तो मजबूरी कहो या जो भी रवि के सानिध्य पाना चाहती है। रवि के मासूम दिल और अच्छाई का फायदा उठाना चाहती है। रवि को शादी शुदा ही चाहिए है या इंट्रेस्ट है तो एक टाइम के लिए दीपिका की जो मामी थी जिसके 2 बच्चे थे उससे शादी कर लियो बेटर है लेकिन दीपिका नहीं। दीपिका हर किसी स्पर्श में गुप्ता के स्पर्श ढूंढती है। आज वो ये कह ले की वो दिल से नहीं करती थी जो हजम करने वाली बात नहीं होगी। 3-3 घंटे चोदम पट्टी करती हो और दिल से ना करें ये कोई मूर्ख भी ना माने।
bhai muze lagta hai apne story thik se padhi nhi....aur agar padhi hai to aap abhi bhi unhi purane khayal ke ho jisame aurat hamesha mard k niche dabi rahe... yaha pe deepika family k liye bbhut emotional thi isliye gupta ne uska fayda uthaya...aur ek bar nhi bar bar uthata gaya...aur us wajah se deepika under rough sex k liye jyada emotion nhi bache..wo sirf sache pyar ki wait kr rahi hai...jo use ravi k rup me mila hai...uske liye sex se aage pyaar hai...phir bhi samaj aur usake past ki wajah se wo dar rahi hai, ravi ka sath dene me....jo writter ne bhut achhe se dikhaya hai...
aap phir se ek bar story padh ke deepika k man ko samjhiye aap ko story achhi lagegi...aur rahi baat deepika ko gupta k sath maja ata tha aisa aap ko lagta haito iske mere hisab se 2 reason lagte hai...
1) gulabjamun jabrdasti khilao ya khud khao...wo acha lagta hi hai..isi tarah usko gupta se sex me laga tha
2) ye story hai...koi real biography nhi likh raha...to readers ko najar me rakhte wriitter ko kabhi aise scenes add krne padte hai jisase reader ko maja aye to wo scene or dialogue story k liye the..
to ise story samaj ke padhe ....writter ki skill se aap guaranted impress ho jayenge,
 
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