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Adultery Meri sharif Suman didi

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हिंदी सेक्स स्टोरी मैंने इस साईट की लगभग सारी स्टोरी को पढ़ा है, इससे अनुभव लेकर आज में आपके लिए एक ऐसी कहानी लिखने जा रहा हूँ जिसे पढ़ने के बाद आपको पता चलेगा कि किस तरह से एक लड़की इतनी मजबूर हो जाती है कि उसे अपने शरीर की भूख को शांत करने के लिए किसी दूसरे मर्द के साथ सोना पड़ता है.

अब इससे पहले कि में अपनी ये कहानी शुरू करूँ में सबसे पहले आपका परिचय परिवार के लोंगो से करा दूँ.
परिवार में चार लोग है पापा, मम्मी, में और मेरी दीदी.
 
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हिंदी सेक्स स्टोरी मैंने इस साईट की लगभग सारी स्टोरी को पढ़ा है, इससे अनुभव लेकर आज में आपके लिए एक ऐसी कहानी लिखने जा रहा हूँ जिसे पढ़ने के बाद आपको पता चलेगा कि किस तरह से एक लड़की इतनी मजबूर हो जाती है कि उसे अपने शरीर की भूख को शांत करने के लिए किसी दूसरे मर्द के साथ सोना पड़ता है.

अब इससे पहले कि में अपनी ये कहानी शुरू करूँ में सबसे पहले आपका परिचय परिवार के लोंगो से करा दूँ.
परिवार में चार लोग है पापा, मम्मी, में और मेरी दीदी.
Bahan ka sath dena vo jisse bhi sex kare use protection dena
 
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Good morning दीदी चलो उठो मम्मी बुला रही है कॉलेज नहीं जाना क्या. उसका छोटा भाई दीपू अपनी दीदी को उठा के वापस चला जाता है! सुमन और दीपू एक साथ स्कूल और कॉलेज जाते थे। सुमन अपने बिस्टर से अंगराई लेते हुए उठती है। और थोड़े देर में तैयार होके अपनी मम्मी के पास चली जाती नाश्ता करने के लिए।
सुमन के पापा दुबई रहते हैं। यहां केवल दीपू, सुमन अपनी मम्मी के साथ रहती है।
सुमन हमेशा बहुत ढीला सूट पहन के रहती है और बहुत प्रकृति से शरीफ है। केवल अपने भाई से और माँ से प्यार करती है।लेकिन उसका अंदर से फिगर बहुत ही सेक्सी है, इस बात का अंदाज़ा use भी नहीं है। क्योंकि इस सब चीज़ों पर ध्यान नहीं देती बस घर का काम और पढ़ाई में ध्यान देती है!

दीपू नाश्ता करके बोलता है दीदी मैं स्कूटी निकालता हूं आप जल्दी बाहर आ जाओ मेरे स्कूल देर हो जाएगी।



सुमन- हा हा तुम चलो अभी आती हूँ

दीपू- दीदी आज स्कूटी मुझे चलाने दो ना.

सुमन- नहीं दीपू तुझसे नहीं चलेगी अभी तू बहुत छोटा है जब बड़ा हो जाएगा तो मैं तुझे सिखा दूंगी।

और सुमन दीपू को पीछे बिठा के कॉलेज की तरफ चली जाती, सबसे पहले दीपू को स्कूल ड्रॉप करती उसके बाद अपने कॉलेज चली जाती।
 

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9 बजे तक वह कॉलेज पहुँच जाती । उसकी पहली क्लास हमेशा उसकी पसंदीदा विषय, हिंदी साहित्य की होती। वह क्लास में हमेशा सबसे आगे की सीट पर बैठती, ताकि वह टीचर की हर बात को ध्यान से सुन सके। क्लास के बाद सुमन अपने दोस्तों के साथ थोड़ी देर कैंटीन में बैठती, जहां वे सभी मिलकर चाय और समोसे का मजा लेते।

दोपहर 1 बजे के आसपास लंच ब्रेक होता। सुमन हमेशा अपने घर से टिफिन लेकर आती थी, जिसमें उसकी माँ के हाथ का बना स्वादिष्ट खाना होता था। लंच के बाद वह लाइब्रेरी में जाकर कुछ समय बिताती, ताकि उसे शांति से पढ़ने का समय मिल सके।

शाम को 3 बजे कॉलेज की क्लास खत्म होती, और फिर वो अपने भाई के स्कूल जाती है और फिर उसे लेकर अपने घर 4 बजे तक पहुंचती है। घर पर थोड़ा आराम करने के बाद शाम को मोबाइल से गाना सुनना और पढ़ाई karne lagti है।
दीपू भी उसका साथ पढाई करने लगता है और दोनो साथ पढाई करते रात के 10 बज जाता है। फिर उसकी मां आती है बेटा चलो तुम लोग खाना खा लो रात हो गई वरना फिर सुबह स्कूल जाने में deri होगी।
Dono फ्रेश होके डिनर करने चले जाते हैं और तभी सुमन के मामा का फोन आ जाता है।
सुमन- नमस्ते मामा कैसे हैं आप तो हम लोगों को भूल गए हैं.
कल्पेश (mama)- ख़ुश रहो, अरे नहीं मैं कैसे तुम लोगों को भूल सकता हूँ थोड़ा काम में व्यस्त था इसलिए नहीं आ पा रहा हूँ लेकिन अगले महीने पक्का आउंगा।
सुमन- ठीक है मामा मम्मी से बात करो। और फ़ोन अपनी मम्मी को दे देती है। फिर कुछ देर उसकी माँ और माँ बात करते हैं।
रात काफ़ी हो गई थी इसलिए दोनों खाना खाके भाई बहन सोने चले जाते हैं। क्योंकि दोनों एक ही कमरे में सोते हैं।
 

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सुमन का कॉलेज का दूसरा दिन कुछ खास था। सुबह हमेशा की तरह जल्दी उठकर वह तैयार हुई और कॉलेज पहुंची। आज उसकी क्लास थोड़ी देर से थी, इसलिए वह और उसकी दोस्त रेनू कैंटीन में मिलकर बैठ गईं। चाय की चुस्की लेते हुए, दोनों ने हल्की-फुल्की बातें शुरू कीं, लेकिन फिर बातों का रुख एक अलग दिशा में मुड़ गया।

रेनू ने हंसते हुए सुमन से पूछा, "तूने सुना है, अनुज और साक्षी के बारे में?"

सुमन चौंकते हुए बोली, "कौन अनुज? वही जो हमारे सेक्शन में है?"

"हाँ, वही!" रेनू ने आँखों को थोड़ा दबाते हुए कहा। "सब कहते हैं कि दोनों के बीच कुछ चल रहा है, लेकिन वो लोग छिपा रहे हैं।"

सुमन ने थोड़ा सोचते हुए जवाब दिया, "लेकिन मैंने कभी ऐसा कुछ नोटिस नहीं किया। वो दोनों तो हमेशा आम दोस्त जैसे ही दिखते हैं।"

रेनू ने धीरे से मुस्कुराते हुए कहा, "यही तो मज़ा है, सब छिपा कर चल रहा है। क्लास में नज़रें मिलाना, और फिर चुपके से बातें करना। बस किसी की नज़र न पड़े, इसका पूरा ध्यान रखते हैं।"

सुमन को यह सुनकर थोड़ी हैरानी हुई, लेकिन फिर उसने मजाक में कहा, "हो सकता है, ये सिर्फ अफवाह हो!"

रेनू ने मुस्कुराते हुए कहा, "अफवाह हो या सच्चाई, मज़ा तो सुनने में ही आता है।"

दोनों एक-दूसरे की तरफ देखकर हंसी रोकने की कोशिश करने लगीं। हल्के-फुल्के गॉसिप में समय कैसे बीत गया, पता ही नहीं चला। लेकिन अब सुमन के मन में अनुज और साक्षी को लेकर थोड़ी सी उत्सुकता जरूर पैदा हो गई थी, क्योंकि कॉलेज में छिपे हुए रिश्ते अक्सर ऐसे ही धीरे-धीरे सबकी नजरों में आ जाते थे।
 
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रेनू ने सुमन की तरफ थोड़ा और झुकते हुए आवाज़ धीमी कर ली, ताकि कोई और उनकी बातें न सुन सके। उसकी आँखों में एक शरारती चमक थी। उसने धीरे से कहा, "तुझे पता है, कल क्या हुआ?"

सुमन ने उत्सुकता से पूछा, "क्या?"

रेनू ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "मैंने अनुज और साक्षी को देखा था... कॉलेज के बाथरूम के पास।"

सुमन की आँखें आश्चर्य से खुल गईं, "सच में? वहाँ क्या कर रहे थे दोनों?"

रेनू ने धीरे से हंसते हुए कहा, "शुरू में तो मुझे भी लगा कि शायद सिर्फ बात कर रहे होंगे, लेकिन जैसे ही मैंने ध्यान दिया, मैंने देखा कि दोनों एक-दूसरे को देख रहे थे और धीरे-धीरे एक-दूसरे के पास आ रहे थे। फिर... अचानक से दोनों ने एक-दूसरे को किस कर लिया।"

सुमन को यह सुनकर झटका लगा। वह थोड़ा अविश्वास में थी, "तूने ये सब देखा?"

"हाँ, अपनी आँखों से!" रेनू ने फुसफुसाते हुए कहा, "मैं भी वहीं पास ही थी, इसलिए सब देख पाई। वो लोग शायद सोच रहे थे कि कोई आसपास नहीं है, इसलिए वे इतने बेफिक्र थे।"

सुमन अब भी थोड़ी चकित थी, "यह कैसे हो सकता है? वो इतने समझदार लगते हैं।"

रेनू ने हंसते हुए कहा, "समझदार दिखने वाले भी छिपे हुए काम करते हैं। कॉलेज में तो ये चलता रहता है। पर हाँ, दोनों ने बहुत ध्यान से सब कुछ किया, ताकि कोई उन्हें देख न पाए। पर गलती से मैं वहीं थी और ये सब देख लिया।"

सुमन अब थोड़ी गहरी सोच में पड़ गई थी। रेनू की बातें सुनकर उसे यकीन नहीं हो रहा था कि अनुज और साक्षी इस तरह से छिपकर मिल रहे हैं। लेकिन कॉलेज का माहौल कभी-कभी ऐसी कहानियों से भरा रहता था, और हर बार ऐसी बातों पर यकीन करना मुश्किल हो जाता था।

रेनू ने सुमन की चुप्पी तोड़ते हुए कहा, "पर देखना, ये बात ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रहेगी। किसी न किसी को पता चल ही जाएगा।"

सुमन ने सिर हिलाते हुए कहा, "हां, सच है। कॉलेज में कुछ भी हमेशा छिपा नहीं रह सकता।"


सुमन की सोच अभी भी रेनू की बातों पर अटकी हुई थी। रेनू के शब्द उसकी ज़हन में गूंज रहे थे, और वह सोचने लगी कि अनुज और साक्षी कितने रोमांटिक हो सकते हैं।

सुमन ने एक गहरी सांस ली और सोचा, "क्या सचमुच ऐसा होता है? कॉलेज के बाथरूम में छिपकर प्यार का इज़हार करना कितना रोमांटिक हो सकता है!"

उसके मन में अनुज और साक्षी की छवि उभर रही थी—दो युवा, प्यार में डूबे हुए, एक-दूसरे के बिना समय बर्बाद किए बाथरूम के सुकून भरे पल में लिपटे हुए। उसे यह विचार बहुत आकर्षक लगा कि वे अपने प्यार को इतनी सावधानी से छिपा रहे थे, जैसे कोई खजाना छिपा रहे हों।

सुमन ने सोचा, "कितनी साहसिकता है उनमें! अपनी भावनाओं को छिपाने के बजाय, उन्होंने एक ऐसा पल चुना जब सबकुछ सिर्फ उनके लिए था। यह बहुत ही रोमांटिक है कि वे अपने प्यार के क्षणों को इतनी गहराई और संवेदनशीलता के साथ जी रहे हैं।"

उसने अपने दिल की धड़कनों को सुना और महसूस किया कि वह भी कभी ऐसी रोमांटिक कहानी का हिस्सा बनना चाहती है। कॉलेज की भागदौड़ और पढ़ाई की गहमागहमी के बीच, सुमन को यह सोचकर अच्छा लगा कि प्यार का एक अलग ही रूप भी हो सकता है—छिपा हुआ, लेकिन गहरा और सच्चा।

सुमन ने सोचा, "मैं भी चाहती हूँ कि कभी किसी खास के साथ ऐसी गहरी और व्यक्तिगत भावनाएँ शेयर करूँ। यह कितना सुंदर और दिलकश लगता है, जब आप किसी को अपनी दुनिया का हिस्सा बना लेते हैं और उसके साथ हर पल को खास बना देते हैं।"

उसकी आँखों में एक चमक थी और उसने दिल ही दिल में तय किया कि वह भी अपने जीवन में ऐसे रोमांटिक और सच्चे पल चाहती है। यही सोचते-सोचते उसने दिन की बाकी कक्षाओं की ओर ध्यान दिया, लेकिन अनुज और साक्षी की उस छुपी प्रेम कहानी की छवि उसके मन में बनी रही।

सुमन की क्लास खत्म हो गई और उसने जल्दी से अपना बैग समेटा। आज का दिन थका देने वाला था, लेकिन उसकी मन की गहराई में छुपी रोमांटिक बातें अभी भी गूंज रही थीं। उसने किताबें और नोट्स ठीक से बैग में रखे और कॉलेज से बाहर निकल गई।

सुमन अपनी स्कूटी की ओर बढ़ी, जिस पर उसने पहले ही अपने छोटे भाई, दीपू को स्कूल से लाने का सोचा था। दीपू, जो कक्षा 5 में पढ़ता था, को स्कूल से लेने का यह उसका रोज़ का रूटीन था।

सुमन ने स्कूटी स्टार्ट की और धीरे-धीरे स्कूल की ओर रवाना हो गई। स्कूल पहुंचने पर उसने दीपू को देखा, जो दोस्तों के साथ खेल रहा था। सुमन ने उसे देखकर मुस्कुराते हुए आवाज दी, "दीपू, चलो घर चलते हैं!"

दीपू खुशी से दौड़ते हुए उसकी ओर आया और अपनी छोटी सी बैग को कंधे पर लटकाते हुए सुमन के साथ स्कूटी पर बैठ गया। सुमन ने उसे हेलमेट पहनाया और दोनों घर की ओर निकल पड़े।

स्कूटी की सवारी के दौरान, दीपू ने सुमन को स्कूल के मजेदार पलों के बारे में बताया, और सुमन ने उसकी बातें ध्यान से सुनीं। हालांकि उसका मन अभी भी अनुज और साक्षी की छुपी प्रेम कहानी में खोया हुआ था, उसने दीपू के साथ समय बिताने का पूरा आनंद लिया।

घर पहुँचने पर, सुमन और दीपू ने दरवाजा खोला और अंदर आए। मम्मी ने दोनों का स्वागत किया और सुमन ने अपनी किताबें एक तरफ रख दीं। मम्मी ने रसोई में चाय और कुछ स्नैक्स तैयार किए थे, जिसे देखकर सुमन ने हाथ धोए और परिवार के साथ बैठकर चाय पीने लगी।

भोजन के बाद, सुमन ने अपनी किताबें निकाली और थोड़ी देर पढ़ाई की, जबकि दीपू अपने होमवर्क में व्यस्त हो गया। सुमन के मन में अब भी अनुज और साक्षी की छुपी प्रेम कहानी का ख्याल था, और उसने सोचा कि शायद जीवन में ऐसे अनमोल पल पाने के लिए उसे धैर्य और समझदारी से काम लेना होगा।

घर की सामान्य दिनचर्या में व्यस्त होते हुए, सुमन ने दिल ही दिल में अपने सपनों को संजोकर रखा और आशा की कि एक दिन वह भी किसी खास के साथ ऐसे रोमांटिक और सच्चे पल जी सकेगी।
 

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कृपा करके aap log कमेंट करके बताएं कहानी कैसी लग रही है। ताकी mai और अच्छे से लिख सकूँ.
 
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