रेनू ने सुमन की तरफ थोड़ा और झुकते हुए आवाज़ धीमी कर ली, ताकि कोई और उनकी बातें न सुन सके। उसकी आँखों में एक शरारती चमक थी। उसने धीरे से कहा, "तुझे पता है, कल क्या हुआ?"
सुमन ने उत्सुकता से पूछा, "क्या?"
रेनू ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "मैंने अनुज और साक्षी को देखा था... कॉलेज के बाथरूम के पास।"
सुमन की आँखें आश्चर्य से खुल गईं, "सच में? वहाँ क्या कर रहे थे दोनों?"
रेनू ने धीरे से हंसते हुए कहा, "शुरू में तो मुझे भी लगा कि शायद सिर्फ बात कर रहे होंगे, लेकिन जैसे ही मैंने ध्यान दिया, मैंने देखा कि दोनों एक-दूसरे को देख रहे थे और धीरे-धीरे एक-दूसरे के पास आ रहे थे। फिर... अचानक से दोनों ने एक-दूसरे को किस कर लिया।"
सुमन को यह सुनकर झटका लगा। वह थोड़ा अविश्वास में थी, "तूने ये सब देखा?"
"हाँ, अपनी आँखों से!" रेनू ने फुसफुसाते हुए कहा, "मैं भी वहीं पास ही थी, इसलिए सब देख पाई। वो लोग शायद सोच रहे थे कि कोई आसपास नहीं है, इसलिए वे इतने बेफिक्र थे।"
सुमन अब भी थोड़ी चकित थी, "यह कैसे हो सकता है? वो इतने समझदार लगते हैं।"
रेनू ने हंसते हुए कहा, "समझदार दिखने वाले भी छिपे हुए काम करते हैं। कॉलेज में तो ये चलता रहता है। पर हाँ, दोनों ने बहुत ध्यान से सब कुछ किया, ताकि कोई उन्हें देख न पाए। पर गलती से मैं वहीं थी और ये सब देख लिया।"
सुमन अब थोड़ी गहरी सोच में पड़ गई थी। रेनू की बातें सुनकर उसे यकीन नहीं हो रहा था कि अनुज और साक्षी इस तरह से छिपकर मिल रहे हैं। लेकिन कॉलेज का माहौल कभी-कभी ऐसी कहानियों से भरा रहता था, और हर बार ऐसी बातों पर यकीन करना मुश्किल हो जाता था।
रेनू ने सुमन की चुप्पी तोड़ते हुए कहा, "पर देखना, ये बात ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रहेगी। किसी न किसी को पता चल ही जाएगा।"
सुमन ने सिर हिलाते हुए कहा, "हां, सच है। कॉलेज में कुछ भी हमेशा छिपा नहीं रह सकता।"
सुमन की सोच अभी भी रेनू की बातों पर अटकी हुई थी। रेनू के शब्द उसकी ज़हन में गूंज रहे थे, और वह सोचने लगी कि अनुज और साक्षी कितने रोमांटिक हो सकते हैं।
सुमन ने एक गहरी सांस ली और सोचा, "क्या सचमुच ऐसा होता है? कॉलेज के बाथरूम में छिपकर प्यार का इज़हार करना कितना रोमांटिक हो सकता है!"
उसके मन में अनुज और साक्षी की छवि उभर रही थी—दो युवा, प्यार में डूबे हुए, एक-दूसरे के बिना समय बर्बाद किए बाथरूम के सुकून भरे पल में लिपटे हुए। उसे यह विचार बहुत आकर्षक लगा कि वे अपने प्यार को इतनी सावधानी से छिपा रहे थे, जैसे कोई खजाना छिपा रहे हों।
सुमन ने सोचा, "कितनी साहसिकता है उनमें! अपनी भावनाओं को छिपाने के बजाय, उन्होंने एक ऐसा पल चुना जब सबकुछ सिर्फ उनके लिए था। यह बहुत ही रोमांटिक है कि वे अपने प्यार के क्षणों को इतनी गहराई और संवेदनशीलता के साथ जी रहे हैं।"
उसने अपने दिल की धड़कनों को सुना और महसूस किया कि वह भी कभी ऐसी रोमांटिक कहानी का हिस्सा बनना चाहती है। कॉलेज की भागदौड़ और पढ़ाई की गहमागहमी के बीच, सुमन को यह सोचकर अच्छा लगा कि प्यार का एक अलग ही रूप भी हो सकता है—छिपा हुआ, लेकिन गहरा और सच्चा।
सुमन ने सोचा, "मैं भी चाहती हूँ कि कभी किसी खास के साथ ऐसी गहरी और व्यक्तिगत भावनाएँ शेयर करूँ। यह कितना सुंदर और दिलकश लगता है, जब आप किसी को अपनी दुनिया का हिस्सा बना लेते हैं और उसके साथ हर पल को खास बना देते हैं।"
उसकी आँखों में एक चमक थी और उसने दिल ही दिल में तय किया कि वह भी अपने जीवन में ऐसे रोमांटिक और सच्चे पल चाहती है। यही सोचते-सोचते उसने दिन की बाकी कक्षाओं की ओर ध्यान दिया, लेकिन अनुज और साक्षी की उस छुपी प्रेम कहानी की छवि उसके मन में बनी रही।
सुमन की क्लास खत्म हो गई और उसने जल्दी से अपना बैग समेटा। आज का दिन थका देने वाला था, लेकिन उसकी मन की गहराई में छुपी रोमांटिक बातें अभी भी गूंज रही थीं। उसने किताबें और नोट्स ठीक से बैग में रखे और कॉलेज से बाहर निकल गई।
सुमन अपनी स्कूटी की ओर बढ़ी, जिस पर उसने पहले ही अपने छोटे भाई, दीपू को स्कूल से लाने का सोचा था। दीपू, जो कक्षा 5 में पढ़ता था, को स्कूल से लेने का यह उसका रोज़ का रूटीन था।
सुमन ने स्कूटी स्टार्ट की और धीरे-धीरे स्कूल की ओर रवाना हो गई। स्कूल पहुंचने पर उसने दीपू को देखा, जो दोस्तों के साथ खेल रहा था। सुमन ने उसे देखकर मुस्कुराते हुए आवाज दी, "दीपू, चलो घर चलते हैं!"
दीपू खुशी से दौड़ते हुए उसकी ओर आया और अपनी छोटी सी बैग को कंधे पर लटकाते हुए सुमन के साथ स्कूटी पर बैठ गया। सुमन ने उसे हेलमेट पहनाया और दोनों घर की ओर निकल पड़े।
स्कूटी की सवारी के दौरान, दीपू ने सुमन को स्कूल के मजेदार पलों के बारे में बताया, और सुमन ने उसकी बातें ध्यान से सुनीं। हालांकि उसका मन अभी भी अनुज और साक्षी की छुपी प्रेम कहानी में खोया हुआ था, उसने दीपू के साथ समय बिताने का पूरा आनंद लिया।
घर पहुँचने पर, सुमन और दीपू ने दरवाजा खोला और अंदर आए। मम्मी ने दोनों का स्वागत किया और सुमन ने अपनी किताबें एक तरफ रख दीं। मम्मी ने रसोई में चाय और कुछ स्नैक्स तैयार किए थे, जिसे देखकर सुमन ने हाथ धोए और परिवार के साथ बैठकर चाय पीने लगी।
भोजन के बाद, सुमन ने अपनी किताबें निकाली और थोड़ी देर पढ़ाई की, जबकि दीपू अपने होमवर्क में व्यस्त हो गया। सुमन के मन में अब भी अनुज और साक्षी की छुपी प्रेम कहानी का ख्याल था, और उसने सोचा कि शायद जीवन में ऐसे अनमोल पल पाने के लिए उसे धैर्य और समझदारी से काम लेना होगा।
घर की सामान्य दिनचर्या में व्यस्त होते हुए, सुमन ने दिल ही दिल में अपने सपनों को संजोकर रखा और आशा की कि एक दिन वह भी किसी खास के साथ ऐसे रोमांटिक और सच्चे पल जी सकेगी।