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Incest MITHA PANI

अपनी राय बताए कहानी को लेकर

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मीठा पानी 19

रेशम नरम होता है. रेशम से बने कपडे और भी नरम होते हैं. कपडे अगर लड़की के हो तो और ज्यादा नरम होते हैं. लड़की अगर बहन हो तो कहना ही क्या. उन नरम कपड़ो मे सलवार ज्यादा नरम होती हैं. सलवार अगर बहन की हो तो कहना ही क्या. ये मेहरबानी आज शामू पर हुई थी. रेशम की बनी हुई सलवार के अंदर कैद अपनी बहन के नितम्ब उसके हाथो मे थे. कभी वह नितम्बो के दोनों पाटो को फैला देता, तो कभी ढीला छोड़कर वापिस अपने रूप मे आने देता. निचे अपने हाथो से अपनी बहन के नरम नरम नितम्ब मसलते हुए ऊपर उसके रसीले होठो का मधपान कर रहा था. माया के लिए भी ये अद्धभुत अनुभव था. उसके मन मे लहरे उठ रही थी. वह पहली बार किसी मर्द द्वारा अपने नितम्ब मसलवाने का मजा ले रही थी. वो मर्द कोई और नहीं उसका सगा भाई था. बचपन से दूर रहने के कारण ये प्यार बढ़ते बढ़ते वासना का रूप ले चूका था. माया को अपने भाई के रूप मे अपना प्रेमी मिल गया था. और आज इस अँधेरी रात मे, खेत के बीचोबीच दोनों बहन भाई जवानी का आंनद मना रहे थे. शामू के विशालकाय हाथो मे भी उसकी बहन के नितम्ब समा नहीं रहे थे. दोनों हाथो को पूरी तरह फैलाकार जकड लिया था उसने अपनी बहन की गाँड़ को. दांया हाथ थोड़ा सा निचे खिसकाकर तर्जनी अंगुली को उसने माया की गांड की नाली मे उतार दिया. माया के शरीर मे हलचल हुई और उसकी जीभ बाहर आ गयी. जिसे शामू ने अपने मुंह मे कैद कर लिया. फिर उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और दोनों भाई बहन जीभ लड़ाने लगे. कभी शामू अपनी जीभ को माया की जीभ के चारो और घूमाता तो कभी माया घूमाती. कभी दोनों अपनी अपनी जीभ की नोक को भिड़ाते. बीच बीच मे जीभें मुंह के अंदर गायब हो जाती तो दोनों के होंठ मिल जाते. चाउमीन खाने वाली आवाजे आने लगी थी जिसका कारण उनका थूक था. शामू की अंगुली आगे सरकी और माया की गांड के छेद तक पहुंची. छेद सीकूड़ा हुआ था जब अंगुली ने छुआ. माया का मुंह खुल गया और शामू ने अपनी जीभ को अपनी बहन के मुंह मे धकेल दिया. गाँड़ के छेद के साथ छेड़छाड़ शुरू हो गयी थी. शामू का मन डोल रहा था और वह अपनी बहन की गांड मसलते हुए उसके मम्मो को चूसना चाहता था.

'आह' की आवाज के साथ दोनों ने मुंह अलग किया और एक दूसरे की आँखों मे देखा.

दोनों का मुंह खुला हुआ था और सांसे थोड़ी तेज चल रही थी. वासना ने दोनों का चेहरा लाल कर दिया था. माया ने आगे बढ़कर एक छोटी सी चुम्मी अपने भाई को दी. शामू ने फिर से गांड को मसलकर कहा

"तेरे मम्मे चूसने का मन कर रहा हैं लाडो"

सुनते ही माया ने शामू के कंधो से हाथ उठाये और अपने सूट के पल्लो को पकड़कर ऊपर उठाने लगी तो शामू ने उसे रोका और कहा

"यंहा नहीं मेरी जान, अंदर चलते हैं" माया ने अपने हाथ वापिस अपने भाई के कंधो पर रख दिए और अपने होंठ अपने भाई के होठों से मिला दिए. शामू माया की गांड को हाथ से सहारा देकर, उसे गोद मे उठाये खड़ा हो गया और अपनी बहन के होंठ चूसते, गांड मसलते अंदर की और चल पड़ा.

ढाणी मे बने कमरों मे से एक मे एक छोटा बेड लगा हुआ था. चादर भी पड़ी थी जिसे रात मे ओढ़ा जा सकता था. शामू माया को उठाये अंदर आया और बेड के एक किनारे पर बैठ गया. अब वे दोनों फिर से उसी अवस्था मे थे. बैठते ही दोनों फिरसे चुम्बन मे डूब गए. कुछ ही पल बिते और माया ने अपने होंठ अलग किये और फिर शामू की आँखों मे देखते हुए अपने सूट के पल्ले पकड़कर ऊपर उठा दिया. शामू की नजर पहले माया के पेट पर पड़ी जिसपर बहुत ही काम मात्रा मे चर्बी थी. जो उसके शरीर को सुन्दर बना रही थी. सूट थोड़ा ऊपर उठा तो शामू को माया की नाभि नजर आई. थोड़ा और ऊपर होते ही काले रंग की चोली मे कैद दशहरी आम जैसे मम्मे दिखने लगे. मम्मो का मांश चोली के ऊपर से उभरा हुआ था. सूट गले से निकलने से पहले ही शामू ने मम्मो के बीच मुंह घुसा दिया. और अपने होठों को बारी बारी से दोनों मम्मो पर रगड़ने लगा. माया कराहने लगी थी. सिसकने लगी थी. उसे बहुत आनंद आ रहा था. शामू के गीले होठों से और उसके चेहरे पर उगी हलकी दाढ़ी से. शामू थोड़ी देर मम्मो पर अपना मुंह रागढ़ता फिर चेहरा ऊपर कर लेता. चेहरा ऊपर करते ही माया अपने होंठ अपने भाई के होठों से चिपका देती. शामू ने अपने बाजुओं के दम से माया को थोड़ा ऊपर किया और चोली मे कैद उसके दांये मम्मे के चुचक को मुंह मे भर लिया. थोड़ी देर तक चोली के ऊपर से ही चुचक को चूसने चाटने के बाद बांये चुचक के साथ भी ऐसा ही किया. चोली शामू के थूक से गीली हो गयी थी. माया शामू के सर को अपने मम्मो पर दबा रही थी. उससे बर्दास्त नहीं हो रहा था. वो चाहती थी कि उसका भाई अब उसके नंगे मम्मे चूसे. उसने शामू के हाथ को पकड़कर अपनी गांड से उठाया और अपने मम्मो पर रख दिया.

शामू समझ गया कि उसकी बहन क्या चाहती है. उसने दोनों हाथो से अपनी बहन के मम्मे थाम लिए और जोर जोर से मसलने लगा. इतनी जोर आजमाइस के बावजूद माया को मजा आ रहा था. बातचीत का समय नहीं था. आज बस एक जूनून था जो एक भाई बहन को एक करने वाला था.

"हाययय भैया" मम्मे मसलने पर माया के मुंह से पहली बार दूर से सुनी जा सकने वाली सिसकारी निकली. इस सिसकारी का जादू हुआ और शामू ने चोली को ऊपर उठा दिया. दोनों मम्मे उछल कर बाहर आ गए. शामू ने चोली को छोड़ा और नरम नरम मम्मो को हाथो मे ले लिया. बिना किसी देरी के वह निचोड़ निचोड़ कर मम्मे चूसने लगा. अपनी बहन से बहुत प्यार करता था पर ये भी जानता था कि औरत के दिल मे उतरने के लिए थोड़ा दर्द देना जरूरी होता हैं. बिना कोई हमदर्दी दिखाए मम्मे मसले जाने लगे. दोनों हाथो से दोनों मम्मो को अपनी दोनों गालो पर टीकाकर बोला

"लाडो, आज से ये मेरे हैं"

माया सिसक कर बोली

"हाययय भैया, हमेसा से आपके थे सी..... काटो मत"

शामू जानता था कि ये रोका टॉकी बस नाटक हैं. काटने से असली आनंद आएगा. पर अब ज्यादा रुका नहीं जा सकता था. खून उबाल मारने लगा था. माया अपनी कमर गोल गोल घूमाने लगी थी. शामू से रहा नहीं गया और उसके हाथ माया कि सलवार के नाड़े तक पहुंच गए. गिलापन बाहर तक पहुंच गया था और शामू का फौलाद माया को चुभने लगा था. शामू ने नाड़ा खोला और माया ने शामू की कमीज उतार दी. फिर अपने कंधो पर लटक रही चोली को उतार फेंका.

शामू माया को निचे खड़ी करके खुद खड़ा हुआ और भाई बहन एक दूसरे के सामने खड़े होकर अपने बाकि कपडे उतरने लगे. कुछ ही पलो मे दोनों मादरजात नंगे हो गए और बिजली की गति से एक दूसरे से वापिस चिपक गए. शामू माया को लेकर बेड पर आ गया और माया शीघ्रता से पीठ बल सो गयी. शामू झट से अपनी बहन के ऊपर चढ़ गया. आज किसी वार्तालाप की जरूरत नहीं थी ना ही किसी पूर्व छेड़छाड़ की आवश्यकता थी.

शामू के ऊपर आते ही माया ने अपनी टांगो के बीच मे उसे जगह देदी. शामू का लंड अपनी बहन की चुत पर जा टकराया. दोनों के मुंहो से कामुक कराहे निकालने लगी.

दोनों ने एक गिला चुम्बन किया और शामू बोला

"तू तप रही हैं लाडो "

"भैयायायया, अब रहा नहीं जाता, हाये"

सुनते ही शामू ने अपनी बहन का मुंह अपने होठों से बंद किया और उसकी दोनों टांगो को विपरीत दिशा मे फैला दिया. फिर अपने कठोर हो चुके लंड को अपनी बहन की चुत का रास्ता दिखाया. चुत पर लंड लगते ही माया ने अपने होंठ छुड़ाए और बोली

"धीरे भैयायाया, पहली बार हैं"

"तू चिंता मत कर लाडो" बोलकर शामू ने वापिस होंठ चिपका दिए. उसे पता था माया चीख सकती हैं. चुत को छूकर उसने गीलेपन का अंदाजा लगाया. चुत बह रही थी. संसार के किसी भी तेल मे इतनी चिकनाई नहीं हो सकती. अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ कर शामू ने चुत के प्रवेश द्वार पर टिकाया और हल्का झटका मार दिया. माया को दर्द की अनुभूति हुई और उसके नाख़ून शामू की पीठ मे गड़ गए.

अभी नहीं तो कभी नहीं सोचते हुए माया दर्द बर्दास्त करने के लिए तैयार थी. लंड का टोपा चुत मे घुस चूका था. दबाव बराबर बना हुआ था. शामू जानता था कि अगर उसने दर्द कि परवाह की तो मंजिल नहीं मिल पायेगी. उसने माया की एक टांग अपने कंधे पर अटकाई और दूसरी को एक हाथ से घुटने के निचे से पकड़कर बेड पर दबा दी. फिर एक और झटका मारकर आधे लंड को चुत मे घुसा दिया. माया तड़फने लगी थी पर उसने खुद को तैयार कर लिया था. अपने भाई को निराश भी नहीं कर सकती थी वो. उसकी चुत जलने लगी थी कि तभी शामू ने अंतिम झटका मारकर अपने विशाल लंड को अपनी बहन की चुत की गहराइयों मे उतार दिया. माया सर इधर उधर पटकने लगी. शामू ने टांगे आजाद की और माया के ऊपर सोकर उसे बांहो मे ले लिया.

"हो गया लाडो, अब दर्द नहीं होगा"

"भैया, आग लगी हैं भैया, हाये"

"बस बस लाडो, थोड़ी देर ही होगा" बोलते हुए शामू माया के माथे पर हाथ फेरने लगा. बिना कुछ बोले कुछ देर तक दोनों पड़े रहे. लंड चुत मे झटके खा रहा था.

थोड़ा समय बिता और शामू अपनी कमर को हरकत मे ले आया. माया का दर्द अब कम हो चूका था. अपने चेहरे को ऊपर करके जब शामू ने माया के चेहरे को देखा तो उसे अंदाजा हो गया कि अब वह तकलीफ मे नहीं हैं. उसने झटके मारने शुरू कर दिए. चुत गरम थी और लंड को जला रही थी. दस पंद्रह झटके लगे होंगे कि माया ने आँखे खोलकर शामू कि और देखा. वासना मे उसका चेहर तमतमा रहा था. उसने आज से खुद को अपने भाई के नाम कर दिया था. अब असली चुदाई का समय आ गया था. झटको की रफ़्तार बढ़ गयी और माया असीम आनंद के सागर मे गोते लगाने लगी. शामू कुछ झटके मारता और फिर अपनी बहन के होंठ चुम लेता. जांघो से जाँघे टकराने लगी और थप थप की आवाज आने लगी. शामू ने माया के दोनों हाथों को पकड़ा और उसकी टांगे पकड़ा दी. माया ने समझते हुए अपनी टांगो को घुटनो के निचे से पकड़ लिया. इससे शामू के हाथ आजाद हुए और उसने अपनी बहन के दोनों मम्मो को थाम लिया. जोर जोर से मम्मे मसलते हुए शामू माया को चोदने लगा. माया सिसक रही थी, कराह रही थी, मजे लूट रही थी और शामू अपनी किस्मत को धन्यवाद कर रहा था. चुत के पानी से चिकनाइ बढ़ चुकी थी और लंड बहुत आसानी से अंदर बाहर होने लगा था. शामू मम्मे मसलते हुए अपनी बहन की आँखों मे देखता हुआ झटके मारता और माया अपने भाई की आँखों मे देखते हुए हर झटके पर सिसक उठती. जब लंड बाहर आता तो माया की आत्मा बाहर आने को हो जाती और जब लंड अंदर जाता तो उसे तीनो लोक दिखने लगते. आज उसे पता चल गया की चुदाई किसे कहते हैं. तूफान अपने चरम पर था और. दोनों भाई बहन पति पत्नी की तरह चुदाई मे व्यस्त थे. दोनों जोर आजमाइस करते हुए झड़ने वाले थे. शामू ने मम्मे छोड़े और माया को अपने आगोश मे ले लिया. माया ने अपनी बांहे शामू पर कस दी. जोर जोर से झटके मारते हुए शामू झड़ने लगा और जब धक्को की तीव्रता बढ़ी तो माया का बांध भी टूट गया. दोनों का मुंह खुला था आँखे बंद थी और एक दूसरे की बांहो मे परमानन्द मे डूबे थे.
Chalo bhen ki seal toh toot gayi. Mas ka bhi number lagao.
 

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मीठा पानी 20
"बुधराम का बेटा केसा हैं अब शामू?" सुबह सुबह सीता, शामू और माया आंगन मे बैठे थे।हरीश दुकान पर जा चूका था। सीता मटर छील रही थी। रात को चोदम पट्टी मचाकर माया और शामू सुबह जल्दी ही घर आ गए थे। ऐसे व्यवहार कर रहे थे जैसे भाई बहन के बीच ये सब सामान्य बात हो।
"ठीक हैं माँ, क्यों?"
"ना ऐसे ही पूछ रही हुँ, कितने दिन और रखवाली करनी होंगी?"
"उसका लड़का ठीक होते ही आ जायेगा, तब तक मैं और माया जा आया करेंगे" शामू ने बोलकर माया की और देखा और उसी समय माया ने भी शामू की और नजर डाली। दोनों की नजर मिली और चेहरे पर शैतानी हसीं आ गयी।
"तू नहाले माया, जमना काकी ने जल्दी बुलाया हैं। कल सूट बेचने वाला आया था तो उससे सूट लिए थे काकी ने। मुझे कह रही थी देख लेना "
"ठीक हैं माँ, वैसे ये सूट वाला कितने दिनों मे आता हैं?"
"क्यों तुझे भी लेने थे?"
"नहीं माँ, ऐसे ही पुछ रही हुँ"
"रचना की शादी के लिये ले आई तू?"
"कहा माँ, बाकि तो ले आये मैं नहीं लायी अभी तक"
"चल ले आना, अभी तो बहुत समय हैं शादी को, पहले लीला की सगाई होंगी"
"उसके लिए भी नहीं हैं माँ"
शामू जो अख़बार पढ़ रहा था अचानक बोला
"इतने तो पड़े हैं तेरे पास, और कितने लाएगी"
"कहा हैं भैया, मुझे नहीं पता, मैं सगाई मे पुराने कपडे नहीं पहनूंगी" माया की बात सुनकर सीता हस पड़ी।
"क्यों टांग खींच रहा हैं उसकी। एक काम कर, कल लीला बाजार जा रही हैं, तू चली जा उसके साथ और ले आ जो लाना हैं फिर समय नहीं मिल पायेगा"
थोड़ी देर और बात करने के बाद माया नहाने चली गयी और अब वहा बस सीता और शामू थे।
सीता अपने काम मे मग्न थी और शामू ने अख़बार का आखिरी पन्ना पलट लिया था। इतनी गौर से नहीं पढता बस तस्वीरे देख देख के ही समाचार समझने की कोसिस कर लेता हैं। उसने नजर उठाई तो देखा सीता अभी भी मटर छील रही हैं और थोड़ी झुकी हुई होने के कारण उसके सूट का गला थोड़ा लटका हुआ था। विशाल मम्मो को घूरता हुआ शामू बोला
"माँ, तू क्या पहनेगी सगाई वाले दिन?"
शामू की बात सुनकर सीता मुस्कुराई पर अपने काम मे लगी रही और उसी अवस्था मे बिना सर उठाये बोली
"सोचा नहीं हैं अभी तक "
"तो क्या सगाई के बाद सोचेगी?"
सीता इस बात पर फिर से मुस्कुराई और बोली
"पहन लुंगी कुछ भी, वैसे साड़ी का ही मन हैं मेरा बेटा "
"हम्म, माँ एक बात बतानी थी "
इस बार सीता ने सर उठाया और बोली
"क्या बात?"
"राकेश से बात हुई थी सुबह, वो बोल रहा था बुधराम का बेटा बहुत ज्यादा ही बीमार हुआ हैं, शायद भर्ती करवाना पड़े।"
"बेचारा, पर अचानक इतना बीमार कैसे हो गया, कुछ दिन पहले तेरा खाना लेने आया था तब तो ठीक लग रहा था "
"पता नहीं क्या चक्कर हैं, मिलके आता हुँ कुछ पता चले तो"
"हाँ जा मिल आ, गरीब हैं बेचारा"
"मिल तो आउगा पर रखवाली का क्या करू, इस हिसाब से तो पुरे सीजन मुझे जाना पड़ेगा रात को"
"फिर क्या हुआ, जाना हैं तो जाना हैं, यु बिना रखवाली के तो नहीं छोड़ना "
"हम्म, माया को यही रख लेते हैं कुछ दिन"
हालांकि शामू जानता था कि उसकी माँ क्या कहेगी इस बात पर
"वो रहेगी? और तेरे नाना रह लेंगे उसके बिना?"
"वो रह लेगी, इस बार उसका मन लग गया है यहाँ, इस बहाने खेती के बारे मे भी जान लेगी"
"नहीं बेटा, तेरे नाना नहीं रह सकते उसके बिना, बूढ़े हो गए हैं, इस तरह दिल नहीं दुखाते, कुछ दिन और रहने दे उसे, फिर उसके लिए भी लड़का ढूंढना होगा, तब बुला लेंगे उसे"
"तो तू चल लेना मेरे साथ रखवाली पर "
शामू की बात पर सीता को हसीं आई और बोली
"तूझे डर लगता हैं क्या वहा?"
"मुझे किसी का डर नहीं हैं, पर अकेले बोर हो जाता हुँ वहा, राकेश भी नहीं आता"
"ठीक हैं, जब तक माया यहाँ हैं उसे लेजा, फिर मैं चलूंगी तेरे साथ"
बोलकर सीता खड़ी हुई और रसोई की तरफ चल पड़ी। शामू को पता था अब काफ़ी देर तक वह रसोई मे ही रहेगी। वह दबे पाँव माया के कमरे की तरफ चला गया। माया नहा चुकी थी और अपने बाल सूखा रही थी शीशे के सामने। दरवाजा खुला था और माया ने ड्रायर चला रखा था। शामू धीरे से उसके पास गया और उसे पीछे से अपनी बाहो मे ले लिया। माया का चेहरा खिल उठा। शामू ने हाथ आगे बढाकर उसके मम्मे पकड़ लिए और कान के पास बोला
"नहा ली लाडो?"
माया ने ड्रायर छोड़ा और शामू के हाथ जो उसके मम्मे थामे हुए थे पर अपने हाथ रखे और गर्दन घुमाकर शामू के गाल पर चुम्बन देने लगी। शामू ने मम्मो के मर्दन किया और फिर उसे अपनी तरफ घुमा लिया। हाथो को निचे सरकाकर गाँड़ पर ले गया और दोनों के होंठ मिल गए। थोड़ी देर तक जीभ ठेल ठेल कर चूमने के बाद दोनों ने चेहरा अलग किया और माया मुस्कुराके बोली
"रात पेट नहीं भरा भैया?"
शामू ने गांड को भींचा और उसे अपने से और ज्यादा सटाते हुए बोला
"जिसकी बहन इतनी सुन्दर हो उसका पेट कैसे भर सकता हैं लाडो?"
माया ने कामुक चेहरा बनाया और फिर से एक छोटी चूमि देकर बोली
"मै चाहती भी नहीं मेरे भाई का मुझसे पेट भरे, पर ये दिन का समय हैं भैया, हमें सावधान रहना होगा"
"तू चिंता मत कर, माँ रसोई मे हैं "
माया को हसीं आ गयी
"इतने उतावले मत बनो, सारी रात हैं हमारे पास, अभी जाओ आप, मुझे तैयार होने दो"
शामू ने धीरे से एक चपेट माया की गांड पर लगाई और उससे अलग होकर बाहर की और चल पड़ा। माया मुस्कुराते हुए उसे जाते हुए देखने लगी और अपने बाल बनाने मे व्यस्त हो गयी। बाल बनाते हुए वह लगातार मुस्कुरा रही थी। अपनी पहली चुदाई को सोचकर उसका मन उछल रहा था। अपने भाई की प्रेमिका बनकर बहुत आनंदित थी माया।
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Vikashkumar

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Kahani achi h.
Likha bhi accha hai but 1 saal me bs 20 he update h.
Etne Kam update aayenge to kahani ka link toot jata h.
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Vikashkumar

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BINDAAS THAKUR

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"Sita o Sita bahu... " Jamna kaki lgatar awaj de rhi thi pr ghar to lagta tha jese dakuo ne loot liya ho

"Kaha thi Sita, kabse awaj de rhi hu, kano me rui thoos li kya" is baar jab Sita aati dikhi to Jamna kaki kheej kr boli

"Aai kaki, kya hua, kyu utavali ho rhi ho, konsa pahad toot pda" Kaki ki unchi awaj sunkar Sita andr se bhag kr aai.

"pahad hi toot pda smjho, pr tumhe fursat ho tb pta chale na" Kaki ne bhi tana mara

"ab kya btau kaki, subah se sham bs bhagdod me nikal jati h, ye to subah hi mandi chale gye the, fir Shamu ki roti bnayi, wo khet gya to kapde dhone beth gyi, ab nha ke sindur lga rhi thi ki aapki awaj suni to bhagkar aai hu" Sita ne apna dukhda gaya

"wo to thik h bahu pr shringar me itna bhi kya magan hona ki duniya ki sudh hi na rhe" Kisi darsnik ki bhanti kaki boli

"ye lo kaki, kya aap bhi, konsa shringar, bas nhakar kapde pahne Or baal bnakar sindur lgaya h, ab meri umer thode h shringar krne ki"

"bdai krwani h to ese hi bol de, char gaanv me pooch le ki kon h jo viswasundri ko maat dede, tera hi naam lenge nikkame, umer ghatti ja rhi h teri, pta nhi kya khati h" Kaki muskurake boli, or Sita bhi ye janti thi ki jo kaki ne bola wo sach tha pr sidhi sadhi Sita ke paas ghamand khatakta bhi nhi tha......
Nice
 
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