Update 122
खालिद – गोल्फ खेलना आता है..?
शाकीना ने स्माइल करते हुए कहा – कभी खेला तो नही, पर कोशिश ज़रूर करना चाहूँगी.
फिर खालिद ने उसे स्टिक पकड़ा दी, और आक्षन समझने के बहाने उसके पीछे सटके खड़े होकर बॉल कैसे हिट करते हैं बताने लगा.
उसका लंड उसके गोल-मटोल उभरे हुए कुल्हों के मखमली एहसास से और खड़ा हो गया…
शाकीना मन ही मन मुस्करा उठी, उसे अपने इस मकसद में सफल होने के चान्स दिखाई देने लगे…
उसने बॉल सही पोज़ में आकर एक शॉट लगाया, बॉल हवा में तैरता हुया टारगेट की तरफ गया और एकदम पास में जाकर गिरा, जो दूसरे शॉट में अंदर डाल दिया.
खालिद उसकी तारीफ किए बिना नही रह पाया.
कुछ देर और खेलने के बाद उसने उसे अपने ऑफीस में जॉब ऑफर करते हुए कहा- क्या तुम मेरे ऑफीस में काम करना चाहोगी..?
शाकीना – सर मुझे घर चलाने के लिए काम की ज़रूरत है, अगर मुझे आप यहाँ से अच्छा ऑफर करेंगे तो ज़रूर करूँगी.
लेकिन हां काम एकदम फेयर होना चाहिए, किसी भी काम के लिए जो मे ना करना चाहूं, उसके लिए कोई ज़ोर ज़बरदस्ती ना हो.
खालिद तो किसी तरह इस चिड़िया को जाल में फँसाना चाहता था, उसे अपने आप पर पूरा एतबार था कि आज तक कोई लड़की उसने चाहा हो और वो मना कर्दे सो तपाक से बोला – बेशक़ ! वैसे कॉन-2 है तुम्हारे घर में..?
शाकीना – मे और मेरी अम्मी जो अब ज़्यादा किसी काम लायक नही हैं.
खालिद – वेरी नाइस, तो फिर ठीक है, ये लो मेरा कार्ड कल 10 बजे मेरे ऑफीस आ जाना, गेट पर कार्ड दिखा कर तुम्हें अंदर एंट्री मिल जाएगी.
अच्छी तनख़्वाह मिलेगी, और अगर काम अच्छा लगा तो अच्छा पैसा भी मिलेगा..!
क्लब से लौटते वक़्त खालिद मन ही मन शाकीना को चोदने के मंसूबे बनाने लगा.
और उधर शाकीना अपने दिलवर के साथ मिलकर आगे की प्लॅनिंग तय कर रही थी…..!
यहाँ आकर रहमत अली और रेहाना को अलग फ्लॅट दे दिया गया था, और अमीना के नाम से सेपरेट अलॉट किया गया जिसमें अब उनका बेटा असलम जो कि इसी शहर में पहले से रह रहा था, वो भी उनके साथ ही रहने आ गया था.
शाकीना अब ज़्यादा तर मेरे साथ ही रहती थी, वैसे वो भी अपनी अम्मी और भाई के साथ ही थी, पर ज़्यादातर काम के बहाने से मेरे फ्लॅट में ही रहती थी.
आज भी वो क्लब से लौटने के बाद मेरे पास ही आ गयी, खाना बनाने – खाने के बाद हम दोनो पलंग पर लेटे हुए उसी विषय पर चर्चा कर रहे थे.
उसका सर मेरे कंधे पर था और मैने दोनो बाजुओं को उसके इर्द-गिर्द लपेट रखा था, साथ ही धीरे-2 उसके बदन को सहला रहा था.
इस समय शाकीना के बदन पर मात्र एक झीनी सी नाइटी थी, जो उसकी जांघों तक ही आती थी.
मेरे बदन पर भी इस समय बहुत ही सॉफ्ट कपड़े का मात्र एक शॉर्ट ही था,
शाकीना मेरे छाती के बालों पर हाथ फेरते हुए बोली- अशफ़ाक़…! आपको यकीन है मे ये ज़िम्मेदारी निभा पाउन्गी..?
मैने उसके सेब जैसे लाल-लाल रूई जैसे मुलायम गालों को सहलाते हुए कहा – मुझे तुम पर पूरा यकीन है…! इसलिए तो ये ज़िम्मेदारी किसी और को नही दी.
उसने थोड़ा उपर उचक कर मेरे होठों को चूम लिया, उसके पतले-2 रसीले होठों की लज़्ज़त पाकर मुझसे रहा नही गया और उसकी गोलाईयों को मसल दिया.
सीईइ…आहह… मेरी जनन्न… लेकिन उस हरम्जादे की नज़र मेरे उपर ही है, अगर उसने मुझे पाने की कोशिश की तो…? कह कर उसने मेरे लंड को मसल दिया, जो अब उसके हाथ की गर्मी पाकर अपना सर उठा चुका था.
मैने उसे अपने उपर खींच लिया, अब उसकी चूत मेरे लंड पर रगड़ रही थी, उसकी गोल-गोल उभरी हुई गान्ड मसल्ते हुए मैने कहा-
तो क्या हुआ, मस्त स्मार्ट बंदा है, कर लेना मज़े उसके साथ भी.
वो मेरे सीने पर प्यार से मुक्का मारते हुए बोली – ऐसा सोचना भी मत..!
या तो मे अपनी जान दे दूँगी या उसकी जान ले लूँगी, लेकिन आपके अलावा ये बदन किसी और के हवाले नही करूँगी, इतना कहकर उसने मेरे होठों को चूम लिया.
मैने उसके चेहरे को अपने हाथों में लिया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा- इतनी मोहब्बत ना करो मुझे…जान…!
ऐसा ना हो कि हम अपने मकसद में कमजोर पड़ जाएँ..?
वो - मुझे नही पता कि आपका मकसद क्या है..? लेकिन आपकी ये लौंडी कभी आपको नाकामयाब नही होने देगी.. इतना कहकर उसने मेरे बालों भरे सीने पर किस कर लिया.
मैने उसकी नाइटी को उसकी कमर के उपर तक कर दिया, और उसकी गान्ड के छेद में उंगली चलाते हुए कहा –
तुम्हारे पास हुष्ण का वो हथियार है मेरी जान, जिसका अगर सही से स्तेमाल किया तो खालिद मियाँ अपनी सारी जासूसी भूल जाएँगे.
वो अब मेरे टाँगों के पास आ गई और मेरे शॉट को खींचकर पैरों के नीचे कर दिया, तो मैने भी उसकी एकमात्र नाइटी को निकाल फेंका.
शाकीना मेरे पेट पर गान्ड रख कर बैठ गयी और अपनी रस छोड़ती चूत को मेरे लंड के उपर रख कर फिर से मेरे उपर लेट गयी
फिर धीरे-2 पीछे को सरकते हुए अपनी मुनिया को उसके प्रियतम से मिलने की कोशिश करने लगी,