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Incest My Life @Jindgi Ek Safar Begana ( Action , Romance , Thriller , Adult) (Completed)

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Update 121



तकरीबन 5:40 पीयेम, अपने शानदार ऑफीस कम एषगाह से निकल कर खालिद साब पोर्च में खड़ी अपनी शानदार ब्लॅक कलर की लंबी सी कार की ओर बढ़ते हैं.

गाड़ी के पास खड़ा हथियार बंद कमॅंडो जो हर समय इनकी हिफ़ाज़त के लिए तैनात रहता था उसने आगे बढ़ कर गाड़ी का पिच्छला दरवाजा खोला.

इस समय उसके कसरती शरीर पर एक स्पोर्ट्स टी-शर्ट और नीचे शॉर्ट, आँखों पर काला चस्मा बहुत फॅब रहा था उनकी पर्सनॅलिटी पर.

वो पिच्छली सीट पर पसर जाता है, ड्राइवर की बगल वाली सीट पर कमॅंडो के बैठते ही गाड़ी पोर्च से चल देती है और विशालकाय बिल्डिंग के बड़े से हरे-भरे ग्राउंड को पार करती हुई मेन गेट से निकल कर राजधानी की चौड़ी सड़कों पर दौड़ने लगती है.

शार्प 6 पीयेम खालिद की गाड़ी गोल्फ क्लब के बड़े से गेट में एंटर होती है, गेट के बाएँ तरफ मेन बिल्डिंग थी जिसके शुरुआत में ही ग्लास का एक बड़ा सा वेटिंग हॉल था, और उसके लगे हुए क्लब का शानदार ऑफीस.

गाड़ी उसको उस काँच से बने शानदार हॉल के गेट पर छोड़ देती है, और दूसरी तरफ बने पकिंग एरिया की तरफ बढ़ जाती है.

खालिद मियाँ हॉल में पड़ी शानदार लोंग चेर्स में से एक पर पसर जाते हैं.

अभी उन्हें बैठे हुए दो मिनट भी नही हुए होंगे, कि उनके कानो में एक रस घोलती हुई सुरीली सी आवाज़ पड़ती है…
एक्सक्यूस मी सर, मे यू हॅव आ ड्रिंक प्लीज़….! मानो कोई जल तरंग बज उठी हो..!

खालिद की नज़र आवाज़ की दिशा में घूम गयी, अपने ठीक बगल में खड़ी 21-22 साल की एक निहायत ही खूबसूरत लड़की पर पड़ी…!

उस लड़की के हुश्नओ शबाब को देख कर खालिद मियाँ पलक झपकना ही भूल गये…

फक्क सफेद शर्ट जो इतनी टाइट की उसके 34सी बूब्स को संभालने की नाकाम कोशिश कर रही थी, उपर से एक बटन खुला हुआ जो उसके ढाई इंच क्लीवेज़ को ही नही, साइड से बूब्स के आकार को भी दर्शा रहा था.

एकदम 28 की पतली सी कमर, 34 के सुडौल कूल्हे जो उसकी टाइट स्कर्ट जो उसके घुटनो से 2 इंच उपर तक ही आ रही थी, में साफ उभरे हुए दिख रहे थे.

पैरों में काले जालीदार लोंग शॉक्स के साथ हील वाले लेडी शूस, आँखों में काला गोल फ्रेम का गोगल उसके गोरे-चिट्टे चेहरे को और ज़्यादा सुंदर बना रहा था.

सर पर स्कार्फ. पतले होठ जिनपर हल्के लाल रंग की लिपीसटिक, गोल-2 लालमी लिए गाल.

सुतवान नाक, लंबी सुराइडर गर्दन इतनी सॉफ्ट और गोरी कि पानी उतरते हुए भी महसूस हो.

उसे देखकर खालिद का मुँह खुला का खुला रह गया,

कितनी ही बार उसने उस लड़की को उपर से नीचे तक देखा और अपनी आँखों की प्यास बुझाता रहा,

उसकी ये दशा देख कर वो लड़की मन ही मन मुस्करा रही थी, और उसकी इस हालत का लुफ्त ले रही थी.

जब बहुत देर तक खालिद मियाँ की तरफ से कोई रिस्पोन्स नही मिला तो उस लड़की ने फिर कहा- एक्सक्यूस मी सर….!

खालिद मानो नींद से जगा हो- ययएएससस्स… ! ब्यूटिफुल लेडी..!

लड़की - मे यू हॅव आ ड्रिंक प्लीज़…!

खालिद – ओह ! यस ऑफ कोर्स..! व्हाई नोट ! और उसने ट्रे में रखी हुई बीयर केन उठा ली और थॅंक्स कहा..!

लड़की यू’र वेलकम कह कर जाने के लिए पलटी.. कि तभी खालिद बोला-

एक्सक्यूस मी ! सच आ ब्यूटिफुल यंग लेडी..!

लड़की – यस सर ! मे आइ हेल्प यू..?

खालिद – युवर गुड नेम प्लीज़..?

लड़की – शाकीना ..

खालिद – सच आ ब्यूटिफुल नेम लाइक यू..

शाकीना – थॅंक्स फॉर दा कॉंप्लिमेंट सर..!

खालिद – क्या तुम मुझे गोल्फ में असिस्ट करना चाहोगी..?

शाकीना – हाउ कॅन आइ सर ? आइ मीन क्लब मॅनेजर की पेर्मिशन के बिना मे कैसे कर सकती हूँ..?

खालिद – वुड यू लाइक..? मॅनेजर की चिंता मत करो.. ! आइ थिंक यू डॉन’ट नो मी.

शाकीना – यस सर आइ नो..यू..! बट इफ़…

उसने फ़ौरन मॅनेजर को बुलाया और उसको ऑर्डर दिया कि उस लड़की को ऐज आ असिस्टेंट ले जाना चाहता है.

जबाब में मॅनेजर ने कहा- कि सिर ये लड़की आपकी किट कैसे संभाल पाएगी ?

खालिद – तो ठीक है, किट संभालने के लिए उस लड़के को भी रहने दो. तुम्हें कोई प्राब्लम तो नही इसमें..?

मॅनेजर लपक कर बोला – ऑफ कोर्स नोट सर, और मुस्करा कर वहाँ से चला गया.

अपनी बीयर ख़तम करके खालिद शाकीना के साथ गोल्फ ग्राउंड की तरफ बढ़ गया.

गोल्फ खेलते-2 उसने कई बार शाकीना के साइड को जानबूझ कर टच किया, वाह !
क्या मादक एहसास था, उसका लॉडा, शॉर्ट में कुलबुलाने लगा.
 
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Update 122



खालिद – गोल्फ खेलना आता है..?

शाकीना ने स्माइल करते हुए कहा – कभी खेला तो नही, पर कोशिश ज़रूर करना चाहूँगी.

फिर खालिद ने उसे स्टिक पकड़ा दी, और आक्षन समझने के बहाने उसके पीछे सटके खड़े होकर बॉल कैसे हिट करते हैं बताने लगा.

उसका लंड उसके गोल-मटोल उभरे हुए कुल्हों के मखमली एहसास से और खड़ा हो गया…

शाकीना मन ही मन मुस्करा उठी, उसे अपने इस मकसद में सफल होने के चान्स दिखाई देने लगे…

उसने बॉल सही पोज़ में आकर एक शॉट लगाया, बॉल हवा में तैरता हुया टारगेट की तरफ गया और एकदम पास में जाकर गिरा, जो दूसरे शॉट में अंदर डाल दिया.

खालिद उसकी तारीफ किए बिना नही रह पाया.

कुछ देर और खेलने के बाद उसने उसे अपने ऑफीस में जॉब ऑफर करते हुए कहा- क्या तुम मेरे ऑफीस में काम करना चाहोगी..?

शाकीना – सर मुझे घर चलाने के लिए काम की ज़रूरत है, अगर मुझे आप यहाँ से अच्छा ऑफर करेंगे तो ज़रूर करूँगी.

लेकिन हां काम एकदम फेयर होना चाहिए, किसी भी काम के लिए जो मे ना करना चाहूं, उसके लिए कोई ज़ोर ज़बरदस्ती ना हो.

खालिद तो किसी तरह इस चिड़िया को जाल में फँसाना चाहता था, उसे अपने आप पर पूरा एतबार था कि आज तक कोई लड़की उसने चाहा हो और वो मना कर्दे सो तपाक से बोला – बेशक़ ! वैसे कॉन-2 है तुम्हारे घर में..?

शाकीना – मे और मेरी अम्मी जो अब ज़्यादा किसी काम लायक नही हैं.

खालिद – वेरी नाइस, तो फिर ठीक है, ये लो मेरा कार्ड कल 10 बजे मेरे ऑफीस आ जाना, गेट पर कार्ड दिखा कर तुम्हें अंदर एंट्री मिल जाएगी.

अच्छी तनख़्वाह मिलेगी, और अगर काम अच्छा लगा तो अच्छा पैसा भी मिलेगा..!

क्लब से लौटते वक़्त खालिद मन ही मन शाकीना को चोदने के मंसूबे बनाने लगा.

और उधर शाकीना अपने दिलवर के साथ मिलकर आगे की प्लॅनिंग तय कर रही थी…..!

यहाँ आकर रहमत अली और रेहाना को अलग फ्लॅट दे दिया गया था, और अमीना के नाम से सेपरेट अलॉट किया गया जिसमें अब उनका बेटा असलम जो कि इसी शहर में पहले से रह रहा था, वो भी उनके साथ ही रहने आ गया था.

शाकीना अब ज़्यादा तर मेरे साथ ही रहती थी, वैसे वो भी अपनी अम्मी और भाई के साथ ही थी, पर ज़्यादातर काम के बहाने से मेरे फ्लॅट में ही रहती थी.

आज भी वो क्लब से लौटने के बाद मेरे पास ही आ गयी, खाना बनाने – खाने के बाद हम दोनो पलंग पर लेटे हुए उसी विषय पर चर्चा कर रहे थे.

उसका सर मेरे कंधे पर था और मैने दोनो बाजुओं को उसके इर्द-गिर्द लपेट रखा था, साथ ही धीरे-2 उसके बदन को सहला रहा था.

इस समय शाकीना के बदन पर मात्र एक झीनी सी नाइटी थी, जो उसकी जांघों तक ही आती थी.

मेरे बदन पर भी इस समय बहुत ही सॉफ्ट कपड़े का मात्र एक शॉर्ट ही था,

शाकीना मेरे छाती के बालों पर हाथ फेरते हुए बोली- अशफ़ाक़…! आपको यकीन है मे ये ज़िम्मेदारी निभा पाउन्गी..?

मैने उसके सेब जैसे लाल-लाल रूई जैसे मुलायम गालों को सहलाते हुए कहा – मुझे तुम पर पूरा यकीन है…! इसलिए तो ये ज़िम्मेदारी किसी और को नही दी.

उसने थोड़ा उपर उचक कर मेरे होठों को चूम लिया, उसके पतले-2 रसीले होठों की लज़्ज़त पाकर मुझसे रहा नही गया और उसकी गोलाईयों को मसल दिया.



सीईइ…आहह… मेरी जनन्न… लेकिन उस हरम्जादे की नज़र मेरे उपर ही है, अगर उसने मुझे पाने की कोशिश की तो…? कह कर उसने मेरे लंड को मसल दिया, जो अब उसके हाथ की गर्मी पाकर अपना सर उठा चुका था.

मैने उसे अपने उपर खींच लिया, अब उसकी चूत मेरे लंड पर रगड़ रही थी, उसकी गोल-गोल उभरी हुई गान्ड मसल्ते हुए मैने कहा-

तो क्या हुआ, मस्त स्मार्ट बंदा है, कर लेना मज़े उसके साथ भी.

वो मेरे सीने पर प्यार से मुक्का मारते हुए बोली – ऐसा सोचना भी मत..!

या तो मे अपनी जान दे दूँगी या उसकी जान ले लूँगी, लेकिन आपके अलावा ये बदन किसी और के हवाले नही करूँगी, इतना कहकर उसने मेरे होठों को चूम लिया.

मैने उसके चेहरे को अपने हाथों में लिया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा- इतनी मोहब्बत ना करो मुझे…जान…!

ऐसा ना हो कि हम अपने मकसद में कमजोर पड़ जाएँ..?

वो - मुझे नही पता कि आपका मकसद क्या है..? लेकिन आपकी ये लौंडी कभी आपको नाकामयाब नही होने देगी.. इतना कहकर उसने मेरे बालों भरे सीने पर किस कर लिया.

मैने उसकी नाइटी को उसकी कमर के उपर तक कर दिया, और उसकी गान्ड के छेद में उंगली चलाते हुए कहा –

तुम्हारे पास हुष्ण का वो हथियार है मेरी जान, जिसका अगर सही से स्तेमाल किया तो खालिद मियाँ अपनी सारी जासूसी भूल जाएँगे.

वो अब मेरे टाँगों के पास आ गई और मेरे शॉट को खींचकर पैरों के नीचे कर दिया, तो मैने भी उसकी एकमात्र नाइटी को निकाल फेंका.

शाकीना मेरे पेट पर गान्ड रख कर बैठ गयी और अपनी रस छोड़ती चूत को मेरे लंड के उपर रख कर फिर से मेरे उपर लेट गयी

फिर धीरे-2 पीछे को सरकते हुए अपनी मुनिया को उसके प्रियतम से मिलने की कोशिश करने लगी,
 
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दूसरे ही क्षण मेरा शेर उसकी मुनिया के मुँह तक पहुँच गया और आहिस्ता-आहिस्ता उसके बिल में सरकने लगा.

सीईइ….आहह… जैसे-2 वो अंदर सरकता जा रहा था, शाकीना की आँखें बंद होती चली गयी और उसके मुँह से मादक सिसकियाँ फूटने लगी.

मैने अपनी एक उंगली उसके मुँह में डाल दी और बोला – उससे ये तय कर लेना कि बिना तुम्हारी मर्ज़ी के कोई ज़ोर-जबदस्ती ना हो.

शाकीना धीरे-धीरे मेरे उपर आगे-पीछे होने लगी, जिससे दो काम एक साथ होने लगे,

एक तो मेरा लंड उसकी चूत में अंदर बाहर होने लगा और दूसरा उसके कसे हुए उरोज जिसके निपल अब कड़क हो चुके थे,

मेरी छाती से रगड़ कर मेरे अंदर मस्ती भरने लगे और खुद भी मस्ती में डूबने लगी.

मैने अपनी उंगली उसके मुँह से बाहर निकाली जो अब उसकी लार से गीली हो गयी थी और उसकी गान्ड के छेद में डाल दी..

उईई….अम्मिईिइ….. क्या करते हूऊ…? वैसे ये मैने उसे पहले ही बोल दिया है.. और वो मान भी गया हाईईईई… उफफफ्फ़… नहिी…मत कारूव…वहाँ उंगलिइीइ…आईईई….

मे अपनी उंगली धीरे-2 उसकी गान्ड में अंदर बाहर करने लगा, वो और मस्ती से भर उठी और मेरे उपर बैठ कर ज़ोर-ज़ोर से मेरे लंड पर कूदने लगी, उसकी गान्ड मेरी जांघों पर थपकी दे रही थी… !

आज मैने चुदाई की कमान उसी के हाथ में दे रखी थी…

उसके बैठ जाने से मेरी उंगली गान्ड से निकल गयी,

उसके मेरे उपर कूदने से उसके ठोस उरोज भी उपर नीचे हो रहे थे, जिन्हें मैने अपनी हथेलियों में कस लिया और ज़ोर-2 से मसल्ते हुए बोला-

बस तो फिर उस कमिने को इतना तड़पाना कि वो तुम्हारे आगे-पीछे चक्कर लगाता रहे.
चुचियों के मसल्ने से शाकीना और ज़्यादा मस्ती में आ गयी वो मेरी छाती पर हाथ जमा कर और तेज़ी से कूदने लगी और ज़ोर-2 से सिसकी लेते हुए बोली-

उफफफ्फ़…हाईए….सीईईई…उऊहह….आप देखना मे कैसे उस हरामी को अपनी उंगलियों पर नचाती हूँ….सुउउ..आअहह…आआयईी…मईए.. गाइ..आईईइ…

और फिर ज़ोर की किल्कारी मारती हुई वो झड़ने लगी..!

जब उसका ऑरगसम ख्तम हो गया तो हाफ्ते हुए वो मेरे सीने पर लुढ़क गयी..और तेज-तेज साँसें लेने लगी…!

उसकी चूत से कामरस निकालकर मेरे लंड प्रदेश को गीला करने लगा…

मैने भी उसे नही उठाया और कुछ देर तक उसकी पीठ पर हाथ फेरता रहा..
जब उसकी साँसें कुछ थमी, तो मैने अपने दोनो हाथों से उसके कूल्हे मसल्ते हुए कहा…जान…!

वो मेरे सीने में मुँह गढ़ाए ही बोली- हमम्म…!

मैने पूछा – क्या हुया..? थक गयी..?

वो - नही ! बस थोड़ा आपसे चिपकने का मन कर रहा है....!

मैने उसकी गान्ड के छेद को उंगली से सहलाते हुए कहा – मेरी एक ख्वाहिश है.. पूरी करोगी..?

वो सर उठा कर मेरी ओर देख कर बोली – आपको इस तरह पुछने की ज़रूरत कब्से पड़ गयी..? हुकुम कर दिया होता, ये बंदी कभी मना कर सकती है भला..?

उसकी गान्ड में उंगली करते हुए मैने कहा – मेरा मन तुम्हारी गान्ड में अपना लंड डालने का हो रहा है..!

क्यों अब आगे से मज़ा नही आता आपको..? वो थोड़ा शिकायती लहजे में बोली.

नही ! ऐसी बात नही है, बस थोड़ा मन किया सो पुच्छ लिया, वैसे तुम्हारी मर्ज़ी है, और मे तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ तो जा नही सकता.

वैसे युरोप और अमेरिका में ज़्यादातर लड़कियाँ गान्ड ही मराती हैं, सुना है उन्हें गान्ड मराने में ज़्यादा मज़ा आता है.

ये आज कल आप कितनी गंदी-2 बातें करने लगे हैं, कहाँ से सीख कर आते हैं..? हां..! ये कहकर मंद-2 मुस्कराने लगी.

मे - अरे इसमें सीखने की क्या ज़रूरत है, ये तो आम बात है, गान्ड को गान्ड, चूत को चूत और लंड को लंड नही कहेंगे तो और क्या कहेंगे, बोलो..!

वो हस्ती हुई बोली- रहने दीजिए आप..! और कितना बकेन्गे..? बोलकर मेरे सीने में प्यार से एक मुक्का मार दिया.

मे – तुमने मेरी बात का जबाब नही दिया..?

वो – कोन्सि बात..?

मे - वही.. इसमें लंड लेने वाली .. ये कह कर एक बार फिर मैने उसकी गान्ड में उंगली कर दी, मेरा लंड आकड़ा हुआ अभी भी उसकी चूत में ही था.

वो – कर लीजिए आपको जो करना है, लेकिन प्लीज़ आराम से … ज़यादा तकलीफ़ ना हो, कल मुझे खालिद के यहाँ भी जाना है..!

मे – अरे उसकी तुम बिल्कुल फिकर मत करो, तुम्हें पता भी नही चलेगा, बस अब तुम देखती जाओ मेरा कमाल,

कुछ देर बाद ही तुम अपनी गान्ड उच्छल-2 कर खुद से चुदने के लिए ना कहने लगो, तो मेरा नाम बदल देना…!

इतना कहकर मैने प्लांग से नीचे जंप लगा दी…….!!!!
 
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