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Update 105
ट्रेंड होने के बाद इनको टुकड़ियों में बॉर्डर से घुस्पेठ कराई जाती थी, जो ये भारत में घुसके फैल जाते थे और मौका देख कर कुछ अंदर के जयचंदों की मदद से ये आतंक फैलाने की कोशिश करते रहते थे.
ये इलाक़ा पाक आज़ाद कश्मीर का इलाक़ा था, कहने को तो पाकिस्तान इसे आज़ाद कश्मीर बोलता है, लेकिन आर्मी और आतंकियों ने दहशतगर्दी इतनी बुरी तरह फैला रखी थी कि लोग घरों से निकलने में भी कतराते थे.
मे दो दिन से पास के ही छोटे से टाउन में एक सस्ते से होटेल कम लॉड्ज में रुका हुआ था, इधर उधर से सीधे तौर पर लोगों से किसी भी विषय पर पुच्छ-ताच्छ भी नही कर सकता था.
जिस लॉड्ज में मे रुका था, मैने अब्ज़र्व किया कि उसमें कुछ लड़के ऐसे भी ठहरे थे जो कि इन कंपों में ट्रैनिंग ले रहे हैं.
मैने उनको वॉच करना शुरू कर दिया, और अपने एक्सपीरियेन्स और शार्प माइंड से कन्फर्म भी कर लिया कि ये आम लड़के नही हैं.
निकलते चलते एक बार मे उनमें से एक लड़के से टकरा गया, उसका बॅग नीचे गिर गया, जो मैने सॉरी बोलकर उसको उठाके दिया लेकिन इतने ही समय में, मैने अपना काम कर दिया और एक बग टाइप मिनी ट्रांसमीटर उसके बॅग में डाल दिया.
ये ट्रांसमीटर इतना पॉवेरफ़ुल्ल था कि 1किमी तक की रेंज में उनकी लोकेशन ट्रेस कर सकता था, यहाँ तक कि बात-चीत को भी मे अपने डिवाइस से सुन सकता था.
दूसरे दिन मे उनका पीछा करते हुए एक कॅंप तक पहुँच गया.
इनकी बात चीत से पता चला था कि ये कॅंप पाकिस्तान के मुख्य आतंकी संगठन जांत-ए-फ़ज़ल जिसके नाम पर इस देश में अनगिनत मदरसे भी चल रहे थे, जिसका सरगना मुंहम्मद हफ़ीज़ था.
ये वही कॅंप था जिसमें मैने उस दिन फ़ौजियों को भी देखा था, इसका मतलब ये इस संगठन का मेन कॅंप होना चाहिए.
अब मुझे किसी तरह से इसके अंदर की भौगोलिक स्थिति को देखना था, उसके लिए किसी भी तरह अंदर तक जाना ज़रूरी था.
ये कॅंप एक 8 फीट उँची बाउंड्री वॉल से घिरा हुआ कोई 5-6 हेक्टेर जगह में फैला हुआ था, बाउंड्री के उपर 2फीट उँचे काँटेदार तारों की एक बाढ़ लगी हुई थी,
कॅंप के सेंटर में एक बिल्डिंग थी जो थोड़ी सी प्रॉपर कन्स्ट्रक्टेड थी वाकी पिछला हिस्सा किसी वर्कशॉप की तरह शेडेड था.
दिन के उजाले में तो इसमें घुस पाना एक तरह से असंभव ही था, तो मैने रात में ही आना बेहतर समझा.
मे लॉड्ज में वापस लौट आया और रात का इंतजार करने लगा.
और कोई काम तो था नही सो लंच लेकर शाम तक सोता ही रहा.
रात का खाना ख़ाके में उस कॅंप की ओर पैदल ही निकल पड़ा, नाइट विषन गॉगल्स मैने लगा रखे थे, धुप्प अंधेरी रात में भी मे सब कुछ साफ-2 देख सकता था.
मेरा बॅग मेरी पीठ पर ही था. गन मैने अपने हाथ में पकड़ रखी थी, किसी भी संभावित ख़तरे से निपटने के लिए मे तैयार था.
कॅंप के सेंटर में बिल्डिंग के सबसे उपर वाले कॅबिन की छत पर एक मूवबल सर्चिंग लाइट लगी हुई थी जो 360 डिग्री घूम कर ग्राउंड के चारों ओर लाइट कर रही थी, लेकिन अपनी कॉन्स्टेंट गति के साथ.
रात का 12:30 को अंधेरे का फ़ायदा उठाते हुए मे बाउंड्री वॉल को और तारों की बाढ़ को पार किया, और दूसरी ओर कूद गया, मेरे जूते स्पेशल थे, जिनकी वजह से कूदने पर कोई आवाज़ नही हुई.
कॅंप के मेन गेट की ओर 4 हथियार बंद गार्ड पहरे पर थे, दो गार्ड समय समय पर बिल्डिंग के चारों ओर ग्राउंड में घूम-2 कर गश्त लगा रहे थे, ये मैने बीते दो घंटों में जान लिया था.
ज़्यादातर ट्रेनिंग बिल्डिंग के उत्तरी साइड और पीछे की तरफ ही होती थी, उन दो साइड्स में जगह भी ज़यादा छोड़ रखी थी.
मे उस लाइट और गार्ड्स की टाइमिंग समझने के बाद रेंगते हुए आसानी से बिल्डिंग की ओर बढ़ गया, और कुछ ही मिनट में मे उस वर्कशॉप जैसे शेड के अंदर था,
वहाँ कोई नही था तो मैने सब तरफ अच्छे से चेक किया, यहाँ छोटे-2 कॅबिन से बने हुए थे, शायद चेंज रूम होंगे.
फिर एक बड़े से कॅबिन में जिसमें ताला लटका हुआ था, मास्टर की से उसको खोल लिया और उसके अंदर चला गया, ये एक आर्म्ड स्टोर था, जिसमें सारे आधुनिक हथियार, अक47 रीफेल्स, मोर्टार, रॉकेट लौंचर्स, बॉंब्स यही सब मौत बेचने वाला समान भरा हुआ था.
उसके सटे हुए ही बिल्डिंग थी जहाँ बगल में ही कंट्रोल रूम जैसा था.
बिल्डिंग के अंदर जाने की मुझे कोई वजह नज़र नही आई, तो खम्खा ख़तरा क्यों मोल लेना.
ट्रेंड होने के बाद इनको टुकड़ियों में बॉर्डर से घुस्पेठ कराई जाती थी, जो ये भारत में घुसके फैल जाते थे और मौका देख कर कुछ अंदर के जयचंदों की मदद से ये आतंक फैलाने की कोशिश करते रहते थे.
ये इलाक़ा पाक आज़ाद कश्मीर का इलाक़ा था, कहने को तो पाकिस्तान इसे आज़ाद कश्मीर बोलता है, लेकिन आर्मी और आतंकियों ने दहशतगर्दी इतनी बुरी तरह फैला रखी थी कि लोग घरों से निकलने में भी कतराते थे.
मे दो दिन से पास के ही छोटे से टाउन में एक सस्ते से होटेल कम लॉड्ज में रुका हुआ था, इधर उधर से सीधे तौर पर लोगों से किसी भी विषय पर पुच्छ-ताच्छ भी नही कर सकता था.
जिस लॉड्ज में मे रुका था, मैने अब्ज़र्व किया कि उसमें कुछ लड़के ऐसे भी ठहरे थे जो कि इन कंपों में ट्रैनिंग ले रहे हैं.
मैने उनको वॉच करना शुरू कर दिया, और अपने एक्सपीरियेन्स और शार्प माइंड से कन्फर्म भी कर लिया कि ये आम लड़के नही हैं.
निकलते चलते एक बार मे उनमें से एक लड़के से टकरा गया, उसका बॅग नीचे गिर गया, जो मैने सॉरी बोलकर उसको उठाके दिया लेकिन इतने ही समय में, मैने अपना काम कर दिया और एक बग टाइप मिनी ट्रांसमीटर उसके बॅग में डाल दिया.
ये ट्रांसमीटर इतना पॉवेरफ़ुल्ल था कि 1किमी तक की रेंज में उनकी लोकेशन ट्रेस कर सकता था, यहाँ तक कि बात-चीत को भी मे अपने डिवाइस से सुन सकता था.
दूसरे दिन मे उनका पीछा करते हुए एक कॅंप तक पहुँच गया.
इनकी बात चीत से पता चला था कि ये कॅंप पाकिस्तान के मुख्य आतंकी संगठन जांत-ए-फ़ज़ल जिसके नाम पर इस देश में अनगिनत मदरसे भी चल रहे थे, जिसका सरगना मुंहम्मद हफ़ीज़ था.
ये वही कॅंप था जिसमें मैने उस दिन फ़ौजियों को भी देखा था, इसका मतलब ये इस संगठन का मेन कॅंप होना चाहिए.
अब मुझे किसी तरह से इसके अंदर की भौगोलिक स्थिति को देखना था, उसके लिए किसी भी तरह अंदर तक जाना ज़रूरी था.
ये कॅंप एक 8 फीट उँची बाउंड्री वॉल से घिरा हुआ कोई 5-6 हेक्टेर जगह में फैला हुआ था, बाउंड्री के उपर 2फीट उँचे काँटेदार तारों की एक बाढ़ लगी हुई थी,
कॅंप के सेंटर में एक बिल्डिंग थी जो थोड़ी सी प्रॉपर कन्स्ट्रक्टेड थी वाकी पिछला हिस्सा किसी वर्कशॉप की तरह शेडेड था.
दिन के उजाले में तो इसमें घुस पाना एक तरह से असंभव ही था, तो मैने रात में ही आना बेहतर समझा.
मे लॉड्ज में वापस लौट आया और रात का इंतजार करने लगा.
और कोई काम तो था नही सो लंच लेकर शाम तक सोता ही रहा.
रात का खाना ख़ाके में उस कॅंप की ओर पैदल ही निकल पड़ा, नाइट विषन गॉगल्स मैने लगा रखे थे, धुप्प अंधेरी रात में भी मे सब कुछ साफ-2 देख सकता था.
मेरा बॅग मेरी पीठ पर ही था. गन मैने अपने हाथ में पकड़ रखी थी, किसी भी संभावित ख़तरे से निपटने के लिए मे तैयार था.
कॅंप के सेंटर में बिल्डिंग के सबसे उपर वाले कॅबिन की छत पर एक मूवबल सर्चिंग लाइट लगी हुई थी जो 360 डिग्री घूम कर ग्राउंड के चारों ओर लाइट कर रही थी, लेकिन अपनी कॉन्स्टेंट गति के साथ.
रात का 12:30 को अंधेरे का फ़ायदा उठाते हुए मे बाउंड्री वॉल को और तारों की बाढ़ को पार किया, और दूसरी ओर कूद गया, मेरे जूते स्पेशल थे, जिनकी वजह से कूदने पर कोई आवाज़ नही हुई.
कॅंप के मेन गेट की ओर 4 हथियार बंद गार्ड पहरे पर थे, दो गार्ड समय समय पर बिल्डिंग के चारों ओर ग्राउंड में घूम-2 कर गश्त लगा रहे थे, ये मैने बीते दो घंटों में जान लिया था.
ज़्यादातर ट्रेनिंग बिल्डिंग के उत्तरी साइड और पीछे की तरफ ही होती थी, उन दो साइड्स में जगह भी ज़यादा छोड़ रखी थी.
मे उस लाइट और गार्ड्स की टाइमिंग समझने के बाद रेंगते हुए आसानी से बिल्डिंग की ओर बढ़ गया, और कुछ ही मिनट में मे उस वर्कशॉप जैसे शेड के अंदर था,
वहाँ कोई नही था तो मैने सब तरफ अच्छे से चेक किया, यहाँ छोटे-2 कॅबिन से बने हुए थे, शायद चेंज रूम होंगे.
फिर एक बड़े से कॅबिन में जिसमें ताला लटका हुआ था, मास्टर की से उसको खोल लिया और उसके अंदर चला गया, ये एक आर्म्ड स्टोर था, जिसमें सारे आधुनिक हथियार, अक47 रीफेल्स, मोर्टार, रॉकेट लौंचर्स, बॉंब्स यही सब मौत बेचने वाला समान भरा हुआ था.
उसके सटे हुए ही बिल्डिंग थी जहाँ बगल में ही कंट्रोल रूम जैसा था.
बिल्डिंग के अंदर जाने की मुझे कोई वजह नज़र नही आई, तो खम्खा ख़तरा क्यों मोल लेना.