• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest My Life @Jindgi Ek Safar Begana ( Action , Romance , Thriller , Adult) (Completed)

This story is...........


  • Total voters
    92

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
39,967
101,351
304
Update 105

ट्रेंड होने के बाद इनको टुकड़ियों में बॉर्डर से घुस्पेठ कराई जाती थी, जो ये भारत में घुसके फैल जाते थे और मौका देख कर कुछ अंदर के जयचंदों की मदद से ये आतंक फैलाने की कोशिश करते रहते थे.

ये इलाक़ा पाक आज़ाद कश्मीर का इलाक़ा था, कहने को तो पाकिस्तान इसे आज़ाद कश्मीर बोलता है, लेकिन आर्मी और आतंकियों ने दहशतगर्दी इतनी बुरी तरह फैला रखी थी कि लोग घरों से निकलने में भी कतराते थे.

मे दो दिन से पास के ही छोटे से टाउन में एक सस्ते से होटेल कम लॉड्ज में रुका हुआ था, इधर उधर से सीधे तौर पर लोगों से किसी भी विषय पर पुच्छ-ताच्छ भी नही कर सकता था.

जिस लॉड्ज में मे रुका था, मैने अब्ज़र्व किया कि उसमें कुछ लड़के ऐसे भी ठहरे थे जो कि इन कंपों में ट्रैनिंग ले रहे हैं.

मैने उनको वॉच करना शुरू कर दिया, और अपने एक्सपीरियेन्स और शार्प माइंड से कन्फर्म भी कर लिया कि ये आम लड़के नही हैं.

निकलते चलते एक बार मे उनमें से एक लड़के से टकरा गया, उसका बॅग नीचे गिर गया, जो मैने सॉरी बोलकर उसको उठाके दिया लेकिन इतने ही समय में, मैने अपना काम कर दिया और एक बग टाइप मिनी ट्रांसमीटर उसके बॅग में डाल दिया.

ये ट्रांसमीटर इतना पॉवेरफ़ुल्ल था कि 1किमी तक की रेंज में उनकी लोकेशन ट्रेस कर सकता था, यहाँ तक कि बात-चीत को भी मे अपने डिवाइस से सुन सकता था.

दूसरे दिन मे उनका पीछा करते हुए एक कॅंप तक पहुँच गया.

इनकी बात चीत से पता चला था कि ये कॅंप पाकिस्तान के मुख्य आतंकी संगठन जांत-ए-फ़ज़ल जिसके नाम पर इस देश में अनगिनत मदरसे भी चल रहे थे, जिसका सरगना मुंहम्मद हफ़ीज़ था.

ये वही कॅंप था जिसमें मैने उस दिन फ़ौजियों को भी देखा था, इसका मतलब ये इस संगठन का मेन कॅंप होना चाहिए.

अब मुझे किसी तरह से इसके अंदर की भौगोलिक स्थिति को देखना था, उसके लिए किसी भी तरह अंदर तक जाना ज़रूरी था.

ये कॅंप एक 8 फीट उँची बाउंड्री वॉल से घिरा हुआ कोई 5-6 हेक्टेर जगह में फैला हुआ था, बाउंड्री के उपर 2फीट उँचे काँटेदार तारों की एक बाढ़ लगी हुई थी,

कॅंप के सेंटर में एक बिल्डिंग थी जो थोड़ी सी प्रॉपर कन्स्ट्रक्टेड थी वाकी पिछला हिस्सा किसी वर्कशॉप की तरह शेडेड था.

दिन के उजाले में तो इसमें घुस पाना एक तरह से असंभव ही था, तो मैने रात में ही आना बेहतर समझा.

मे लॉड्ज में वापस लौट आया और रात का इंतजार करने लगा.

और कोई काम तो था नही सो लंच लेकर शाम तक सोता ही रहा.

रात का खाना ख़ाके में उस कॅंप की ओर पैदल ही निकल पड़ा, नाइट विषन गॉगल्स मैने लगा रखे थे, धुप्प अंधेरी रात में भी मे सब कुछ साफ-2 देख सकता था.

मेरा बॅग मेरी पीठ पर ही था. गन मैने अपने हाथ में पकड़ रखी थी, किसी भी संभावित ख़तरे से निपटने के लिए मे तैयार था.

कॅंप के सेंटर में बिल्डिंग के सबसे उपर वाले कॅबिन की छत पर एक मूवबल सर्चिंग लाइट लगी हुई थी जो 360 डिग्री घूम कर ग्राउंड के चारों ओर लाइट कर रही थी, लेकिन अपनी कॉन्स्टेंट गति के साथ.

रात का 12:30 को अंधेरे का फ़ायदा उठाते हुए मे बाउंड्री वॉल को और तारों की बाढ़ को पार किया, और दूसरी ओर कूद गया, मेरे जूते स्पेशल थे, जिनकी वजह से कूदने पर कोई आवाज़ नही हुई.

कॅंप के मेन गेट की ओर 4 हथियार बंद गार्ड पहरे पर थे, दो गार्ड समय समय पर बिल्डिंग के चारों ओर ग्राउंड में घूम-2 कर गश्त लगा रहे थे, ये मैने बीते दो घंटों में जान लिया था.

ज़्यादातर ट्रेनिंग बिल्डिंग के उत्तरी साइड और पीछे की तरफ ही होती थी, उन दो साइड्स में जगह भी ज़यादा छोड़ रखी थी.

मे उस लाइट और गार्ड्स की टाइमिंग समझने के बाद रेंगते हुए आसानी से बिल्डिंग की ओर बढ़ गया, और कुछ ही मिनट में मे उस वर्कशॉप जैसे शेड के अंदर था,

वहाँ कोई नही था तो मैने सब तरफ अच्छे से चेक किया, यहाँ छोटे-2 कॅबिन से बने हुए थे, शायद चेंज रूम होंगे.

फिर एक बड़े से कॅबिन में जिसमें ताला लटका हुआ था, मास्टर की से उसको खोल लिया और उसके अंदर चला गया, ये एक आर्म्ड स्टोर था, जिसमें सारे आधुनिक हथियार, अक47 रीफेल्स, मोर्टार, रॉकेट लौंचर्स, बॉंब्स यही सब मौत बेचने वाला समान भरा हुआ था.

उसके सटे हुए ही बिल्डिंग थी जहाँ बगल में ही कंट्रोल रूम जैसा था.

बिल्डिंग के अंदर जाने की मुझे कोई वजह नज़र नही आई, तो खम्खा ख़तरा क्यों मोल लेना.
 
  • Like
Reactions: netsunil and Rahul

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
39,967
101,351
304
Update 106
मैने एक पवर फुल रिमोट ऑपरेटेड बॉम्ब उस आर्म्ड स्टोर में ऐसी जगह फिट कर दिया जहाँ खोजी नज़रों से ही देख पाना संभव होता.

उसके बाद दोनो साइड में जहाँ अमूमन ट्रेनिंग होती थी, और कुछ ऐसे फ्रेम फॅब्रिकेटेड किए हुए थे जो एक्सर्साइज़ करने के काम आते थे, उसके एक पाइप को खोल कर उसके अंदर ऐसा ही एक बॉम्ब फिट कर दिया.

पीछे की तरफ ये लोग फाइरिंग की प्रॅक्टीस करते थे, जहाँ शूटिंग टारगेट बना रखे थे, उन टारगेटों के सेंटर में एक खड्डा खोद कर उसमें एक बॉम्ब फिट कर दिया.

ये सारा काम निपटा कर मे जैसे गया था उसी तरह वापस भी आ गया बिना किसी रुकावट के.

मेरा उद्देश्य, दहशतगर्दों और आर्मी को ये जताना था, कि वो जो कर रहे हैं, उसका जबाब भारत के सपूतों द्वारा उनके घर में घुसकर भी दिया जा सकता है.

सारे एविडेन्स मे पहले ही मैल कर चुका था इन कंपों से संबंधित.

आनेवाले कल में ये पाकिस्तानी हुकूमत जो एक फ़ौजी के ही हाथों में थी, के मुँह पर एक करारा तमाचा पड़ने वाला था जिसकी गूँज पूरी दुनिया को सुनाई देने वाली थी,

और जिसकी चोट ये मुल्क कुछ दिनों तक महसूस करने वाला था.

रात 3 बजे मे खिड़की के ज़रिए अपने रूम में लौट आया और एक सुकून भरी नींद में डूब गया….!

दूसरे दिन उस कॅंप में कुछ स्पेशल था, खुद मोहम्मद हफ़ीज़ का दाया हाथ कहे जाने वाला उसका कमॅंडर खुद ट्रेनिंग देखने आया था,

4 पाकिस्तानी आर्मी के ऑफिसर्स भी उसके साथ थे.

ट्रैनिंग सुबह अपने समय से शुरू हो चुकी थी, 8 बजते ही वहाँ ट्रैनिंग एरिया में सभी मजूद थे,

अभी उन्हें ट्रैनिंग शुरू किए हुए कोई आधा घंटा ही गुजरा होगा, कि तभी मैदान के उत्तरी भाग में जहाँ फिज़िकल ट्रैनिंग चल रही थी, एक जबरदस्त बिस्फोट हुआ, चारों ओर अफ़रा तफ़री, देखते ही देखते वहाँ लाशें ही लाशें नज़र आने लगी.

इससे पहले कि शूटिंग एरिया में में मौजूद लोग जिनमें वो कमॅंडर और फ़ौजी भी शामिल थे कुछ और समझ पाते कि वहाँ पर भी एक भयंकर बिस्फोट हुआ.

यहाँ पर मौजूद भी ज़्यादातर लोग बिस्फोट से उड़ गये,

चूँकि वो लोग थोड़ा दूर खड़े शूटिंग देख रहे थे, सो बच तो गये लेकिन बिस्फोट ने उन्हें बहुत दूर उछाल दिया…

जैसे तैसे करके दोनो तरफ के बचे हुए लोग सीधे बिल्डिंग की तरफ भागे, लेकिन मौत से बचकर कहाँ तक भाग सकते थे, सो जैसे ही वो उस वर्कशॉप में पहुँचे कि भडाम !

सब कुछ तहस नहस हो गया. शायद ही कोई जिंदा बचा हो सिवाय गेट पर मौजूद गार्डस के.

ट्रॅन्समिज़्षन सिस्टम भी कंट्रोल रूम के साथ तबाह हो चुका था.

जब तक बात आर्मी हेडक्वॉर्टर तक या प्रशासन तक पहुँच पाती बहुत देर हो चुकी थी.

ये बात मीडीया में आम होने का भी ख़तरा था, लेकिन किसी तरह मीडीया को भनक लग ही गयी, और शाम होते-होते इंटरनॅशनल मीडीया भी वहाँ पहुँच गया.

पाकिस्तान की हुकूमत आतंकवाद को पनाह देने के मामले पर पूरी दुनिया के सामने एक बार फिर नंगी हो गयी.

हिन्दुस्तान की मीडीया ने ये खबरें चला-2 कर पूरी दुनिया में फैला दी की पाकिस्तान अपने देश में आतंकवाद की फॅक्टरी चला रहा है.

पाकिस्तानी हुकूमत ने इसका खंडन करना चाहा तो भारत की सरकार सबूत देने को तैयार हो गयी. नतीजा उन और अमेरिका से पाकिस्तान को फटकार पड़ने लगी.

पाकिस्तान के अंदर ये बात आग की तरह फैल गयी थी कि ये हिन्दुस्तान की फौज द्वारा किया गया एक सर्जिकल स्ट्राइक है, जिसको रोकने में हमारी हुकूमत नाकाम रही है.

उसका मुख्य कारण हैं, दहशतगर्दी के ये कॅंप जो अवैध्य ढंग से हुकूमत के इशारों पर चल रहे हैं.

अपने ही देश में फ़ौजी हुकूमत फँस गयी थी, विरोधी जबाब माँग रहे थे, जो उनके पास नही थे

नतीजा, फौज का गुस्सा लोगों पर उतरने लगा. फौज की दमन नीति और बढ़ गयी.
……………………………………………………………………..

मे आज कई दिनों के बाद घर लौटा था, आते ही सबने सवालों की बौछार कर दी, मैने उनको माकूल जबाब देकर चुप करा दिया,

रहमत अली अब काफ़ी दुरुस्त हो गया था, और काम काज में हाथ बंटाने लगा था, साथ ही साथ रेहाना के साथ एक्सर्साइज़ भी करने लगा था.

कॅंप ब्लास्ट वाली खबर प्रशासन द्वारा दबाई जा रही थी इसलिए अभी तक यहाँ किसी को पता नही चली थी.

 
  • Like
Reactions: netsunil and Rahul

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
39,967
101,351
304
Update 107

शाकीना कहीं दिखाई नही दे रही थी, जब मैने पुछा तो रेहाना ने बताया कि वो उसी दिन से गुम-सूम सी रहने लगी है,

ना किसी से बात करती है, और ना ही कुछ खा-पी रही है. बस पड़ी रहती है, पुछने पर कोई जबाब भी नही देती.

उसकी इस हालत से पूरा घर परेशान था, अमीना बी अपनी बेटी के इस तरह गुम-सूम होने से परेशान थी.

रेहाना ने पूरी बात अपनी अम्मी को भी बता दी थी, कि वो क्या चाहती है, लेकिन इस मामले में वो बेचारी भी क्या बोलती.

मे सीधा उसके कमरे में गया, वो आँखें बंद किए बिस्तर पर पड़ी थी.
जैसे ही मैने उसके सर पर हाथ रख कर सहलाया उसने अपनी आँखें खोली और मेरी ओर देख कर फिर से बंद करली.

मैने उसको कहा - शक्कु ये क्या बात हुई ? मेरे से नाराज़गी है, लेकिन इन सबको किस बात की सज़ा दे रही हो तुम ?

तुम्हें पता भी है ये लोग तुम्हारे लिए कितने परेशान हैं..?

वो आँखों में आँसू भरकर बोली- मे अब जीना नही चाहती, आप मुझे अकेला छोड़ दो..!

मे - तो आओ चलो मेरे साथ, मे बताता हूँ, कैसे मरना है..? मैने उसका हाथ पकड़ा और उसको उठा कर बिस्तर पर बिठा दिया.

वो - कहाँ ले जाना चाहते हैं आप..?

मे - चलो मरना ही है तो दो-चार को मार कर मरो, ऐसे बिस्तर पर पड़े-2 तो बुजदिल मौत का इंतजार करते हैं, और जहाँ तक मुझे पता है अब तुम बुजदिल तो नही रही.

वो - छोड़िए मेरा हाथ, आपको जहाँ जाना है जाइए, मरिये और मारिए, जो मर्ज़ी हो करिए. मुझे कहीं नही जाना है.

मे - इसका मतलब मौत से डर भी रही हो और मरना भी चाहती हो. ये क्या बात हुई..?

वो – आप होते कॉन हैं ये सवाल करने वाले..? किस हक़ से कह रहे हैं ये सब..?

मे – हक़ ! ये वाकी सब लोग किस हक़ से मेरी बात सुनते हैं..? और क्यों..? क्या हक़ है मेरा इन सब पर..?

और फिर मे यहाँ किस हक़ से रह रहा हूँ..? मुझे अभी के अभी चले जाना चाहिए इस घर से ..! ये कहकर मे उसके पास से उठ खड़ा हुआ…!

उसने झट से मेरा हाथ पकड़ लिया, और बोली- प्लीज़ अशफ़ाक़ साब ऐसा ना कहो, खुदा के लिए आप हम सब को छोड़ कर ना जाओ..!

मे - क्यों जब मेरा कोई हक़ ही नही है तो मेरा यहाँ रहने का क्या मतलब..?

वो सुबक्ते हुए बोली - मे क्या करूँ..? आपको भूल भी नही सकती, जितना भूलने की कोशिश करती हूँ, आपके साथ बिताए पल मुझे और सोचने पर मजबूर कर देते हैं..! आप ही बताइए मे क्या करूँ..?

मे – क्या निकाह ही एक मात्र रास्ता है ? उसके अलावा और कोई संबंध नही हो सकते दो इंसानो के बीच ?

तुम निकाह की ज़िद पकड़ के बैठी हो जो मेरे लिए मुमकिन नही है, इसके अलावा जो तुम चाहो वो मे करने के लिए तैयार हूँ.

वो - तो फिर मे भी जिंदगी भर शादी नही करूँगी, चाहे जिस रूप में ही सही आपकी बन कर ही रहूंगी, बोलिए मंजूर है.

मे - ये कैसी ज़िद है तुम्हारी शक्कु..? फिर मैने उसकी डब-दबाती हुई आँखों से आँसू पोन्छते हुए कहा - चलो! ठीक है ऐसा है तो यही सही..

लेकिन कभी जिंदगी के किसी मोड़ पर तुम्हें लगे कि किसी और के साथ तुम्हें शादी करके अपना घर बसाना है तो उसके लिए तुम आज़ाद हो.

वो मेरे सीने में लग कर सुबकने लगी और बोली- मे आपको छोड़ कर कहीं नही जाउन्गि, चाहे आप मुझे अपने से दूर ही क्यों ना करना चाहें.

अब आइन्दा मे कभी आपको निकाह की बात करके परेशान नही करूँगी.

मे - तो चलो खाना खाओ, और हसी ख़ुसी सबके साथ रहो, मेरे इतना कहते ही वो उठ खड़ी हुई,

लेकिन भूखे रहने की वजह से बहुत कमजोर हो गयी थी, सो चक्कर खा कर फिर से बिस्तर पर गिर पड़ी.
 
  • Like
Reactions: netsunil and Rahul

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
39,967
101,351
304
Update 108

मैने रेहाना को आवाज़ देकर उसके लिए नीबू-पानी लाने को कहा, नीबू पानी पीकर उसको कुछ अच्छा लगा, फिर खाना खिलाया.

उस रात थकान की वजह से मे जल्दी ही सो गया था, रात को शाकीना मेरे पास आई, और आकर मेरे पास बैठ गयी, जब उसने मुझे हिलाया तो मे उठ गया और उसको अपने पास सुला लिया.

वो आगे बढ़ना चाहती थी लेकिन उसकी कमजोर हालत देख कर मैने उसे मना कर दिया और कल उसी झरने पर चलने का प्रोग्राम बना कर उसे अपने साथ सटा कर सो गया.

पता नही वो कितने बजे मेरे पास से चली गयी, जब सुबह मेरी आँख खुली तो मे अकेला ही था.

दूसरे दिन मे उसके साथ जानवरों को लेकर निकल गया झरने के किनारे और अपने- 2 कपड़े निकाल कर बिछावन पर रख दिए.

मे मात्र अंडरवेर में था, और शाकीना ब्रा और पेंटी में.

आज उसको कपड़े निकालने में झिझक महसूस नही हुई और मेरे साथ पानी में उतर गयी.

हम दोनो तैरते और एक दूसरे से छेड़खानी करते हुए झरने तक पहुँचे और उसके सफेद दूधिया पानी का लुफ्त लेने लगे.

मैने झरने के नीचे शाकीना को पीछे से अपनी बाहों में कस लिया, वो भी मेरे लंड से अपनी गोल-2 उभरी हुई छोटी सी गान्ड सटा कर चिपक गयी.

मे उसके गालों को किस करते हुए उसकी गोल-2 अविकसित चुचियों को मसल रहा था, उसके बदन को सहलाते-2 जब मेरा एक हाथ उसकी चूत पर गया तो मैने उसे पेंटी के उपर से ही मसल दिया.

वो सीत्कार कर उठी… सीईईई….आहह….उफ़फ्फ़.. और अपनी टाँगें भींच ली.

उसकी ब्रा के हुक खोल कर पानी से दूर फेंक दिया और उसको अपनी ओर घुमाकर उसके होठों को चूसने लगा, मेरे हाथ उसकी चुचियों को आकार देने में लगे हुए थे.

वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी, और मेरे निचले होठ को अपने होठों के बीच दबाकर चूसने लगी.

फिर मैने उसकी गान्ड को उसी पत्थर पर लॅंड करा दिया और उसकी पेंटी भी निकाल कर उसकी ब्रा के पास फेंक दी.

उसकी चूत आज कुछ फूली सी दिख रही थी, जो होंठ उस दिन आपस में जुड़े हुए थे, आज थोड़ी सी जगह बनाए हुए थे.

मैने अपनी पूरी जीभ को एक बार उसकी चूत पर फिराया, उसकी आँखें बंद हो गयी और आआहह…. सीयी… निकल गयी उसके मुँह से….

एक बार उसकी चूत को चूस-2 कर मैने झाड़ दिया, अपना अंडरवेर उतार कर उसको लंड चूसने को कहा, उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और मज़े ले लेकर उसे चूसने लगी,

वो कभी-2 मेरे अंडों को भी मुँह में लेकर चूसने लगती तो मेरे मुँह से भी आआहह… निकल जाती.

धीरे-2 उसको लंड चूसने का अनुभव होता जा रहा था, अब वो मेरी आँखों में देखती हुई लंड चूस रही थी.

उसके मुँह की गर्मी मे ज़्यादा देर नही झेल पाया और उसके सर को अपने लंड पर दबा कर उसके मुँह को ही चोदने लगा.

उसके मुँह से लार निकल-2 कर उसके मम्मों को गीला कर रही थी. अंत में मुझसे बर्दास्त नही हुआ और उसके मुँह में ही झड गया.

वो पहली बार वीर्य टेस्ट कर रही थी, सो जैसे ही मेरा वीर्य उसके मुँह में गया उसने मेरा लंड बाहर निकालना चाहा लेकिन मैने उसका मुँह अपने लंड पर ही दबाए रखा, जब तक कि पूरी तरह नही झड गया.

मजबूरी में उसको वो सब पीना पड़ा, लेकिन जैसे ही मैने अपना लंड बाहर निकाला, उसको भी टेस्ट अच्छा लगा और उसने मेरे लौडे को चाट-2 कर चम्का दिया….!

हम फिर से झरने के नीचे आ गये और एक दूसरे के अंगों से खेलते हुए झरने के पानी का मज़ा लेने लगे….

हमारी उत्तेजना एक बार फिर से भड़कने लगी….

मे उसको गोद में उठाए उस पत्थर पर बैठ गया, और उसकी चूत को अपने लंड पर रखवा कर उसकी कमर से पकड़ कर अपनी ओर खींचा, लंड आधा चूत में घुस गया, उसके मुँह से दर्द भरी आहह.. निकल पड़ी.

मैने उसको किस करते हुए उसके निप्पलो को मरोड़ दिया, उसने मज़े और दर्द में अपनी बाहें मेरे गले में लपेट दी और अपनी कमर को एक तेज झटका दिया, जिससे पूरा लंड उसकी चूत में समा गया.

आहह….अम्मिईिइ….. उफफफफ्फ़….मारीई…हाईए…अल्लहह…

उसने अपनी कमर को उपर किया, अभी वो आधा ही लंड बाहर निकाल पाई थी कि मैने अपनी एक उंगली उसकी गान्ड के छेद में डाल दी.

गान्ड को सिकॉड़ते हुए उसने फिर से अपनी कमर मेरी ओर की, तो फिर से पूरा लंड अंदर सरक गया, उत्तेजना और मस्ती में उसने मेरे कंधे में अपने दाँत गढ़ा दिए.

मेरी चीख उबल पड़ी और अपनी पूरी उंगली उसकी गान्ड में पेल दी.

उत्तर में उसने मेरे दोनो कान पकड़ लिए और मेरे होठों को मुँह में भर कर चूसने लगी और अपनी कमर को तेज़ी से आगे-पीछे करने लगी.

मेरे कंधे में अभी भी जलन हो रही थी, मैने उसकी गान्ड पर एक थप्पड़ मारते हुए कहा- साली जंगली बिल्ली काटती है..

वो मेरे होठ छोड़कर मेरी आँखों में देखती हुई स्माइल करते हुए बोली- आपकी उंगली कहाँ है.. हन ! दूसरों की फिकर नही करोगे तो कुछ तो भुगतना पड़ेगा ना.

ऐसी ही मस्ती भरी चुदाई कुछ देर चलती रही, फिर मैने उसको नीचे उतरने को कहा और पत्थर पर हाथ टिका कर उसको घोड़ी की तरह झुका दिया.

उसकी मस्त गोल-मटोल गान्ड को मुँह में भर कर चूसने लगा, फिर जीभ से उसके दोनो छेदों को बारी-2 से चाटा. उसकी सिसकियाँ बदस्तूर जारी रही.

जब मैने उसकी गान्ड के छेद पर अपनी जीभ लगाई, तो उसका छेद खोल-बंद होने लगा.

उसकी चूत में सुरसुरी बढ़ रही थी और अनायास ही उसका हाथ अपनी चूत को सहलाने लगा.

मैने उसके पीछे खड़े होकर अपना लंड उसकी चूत के छेद पर सेट किया और एक करारे झटके से पूरा अंदर डाल दिया…!

आअहह…..सीईईई…धीरीए…. मेरिइइ….जाअंणन्न्….हइई…उफफफ्फ़..

और जल्दी ही उसका दर्द मस्ती बढ़ने लगा और वो और ज़ोर-2 से गान्ड हिलाने लगी.. पीछे से मेरे धक्के पूरी ताक़त से लग रहे थे…

बड़ी गरम लौंडिया थी शाकीना… पूरी ताक़त से अपनी गान्ड को मेरे लंड पर पटक-2 कर चुद रही थी.

15 मिनट की धमाकेदार चुदाई के बाद हम दोनो ही एक साथ झड गये और उसी पत्थर पर उसे गोद में बिठा कर सुसताने लगा.

उसके बाद थोड़ी देर और झरने के नीचे खड़े होकर नहाए फिर तैरते हुए बाहर आ गये.
 
  • Like
Reactions: netsunil and Rahul

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
39,967
101,351
304
Update 109

जानवरों की हमें कोई फिकर ही नही थी. नंगे ही बैठ कर हम दोनो ने कुछ खाया जो घर से लेकर आए थे, फिर मैने अपना गीला ही अंडरवेर पहना और जानवरों को एक बार इकट्ठा किया.

उसके बाद मैने दो बार शाकीना को और जमके चोदा, जब वो पूरी तरह संतुष्ट हो गयी, तब तक शाम भी घिरने लगी थी तो हम घर की ओर लौट लिए.

जानवरों के पीछे-2 हम एकदुसरे से सटके चल रहे थे, रास्ते में छेड़-छाड़ करते हुए हम घर की ओर आ रहे थे.

सूरज पश्चिम की ओर बढ़ते हुए धरती से विदा हो रहा था.

अभी हम घर पहुँचे ही थे, कि रेहाना भागती हुई बस्ती की तरफ से आई, उसकी साँसें चढ़ि हुई थी.

दौड़ते हुए वो मेरी ओर आई और मेरे सीने से लग कर सुबकने लगी.

मैने जब कारण पुछा तो वो बोली- व्व..वो..फ़ौजी रहमत को उठा ले गये…!

मैने चोन्कते हुए कहा- क्या…? क्या कहा तुमने..?

वो- हां ! और साथ में कई और लड़के, लड़कियाँ भी हैं..!

मे - लेकिन ये हुआ कैसे..?

वो - हम बाज़ार में समान खरीद रहे थे, कि तभी वहाँ गोलियों की आवाज़ गूँज उठी, हमने मूड के देखा तो वो 5-6 फ़ौजी एक जीप में थे,

उन्होने पहले हवा में गोलियाँ चलाई, फिर 4 लोग नीचे उतरे, और लोगों के साथ मार-पीट करने लगे, औरतों के साथ छेड़-छाड़ करने लगे.

कुछ लोगों ने विरोध करना चाहा तो उन्हें खूब मारा और जीप में डाल कर ले गये.

मे - कितने लोगों को ले गये हैं…?

वो - रहमत समेत 3 आदमी हैं और 2 लड़कियाँ हैं.

मे - तुम्हें पता है वो किधर को गये हैं.. और कितनी दूर पहुँचे होंगे..?

वो - हाँ ! अभी वो 2-3 किमी ही पहुँच पाए होंगे.

मे - चलो फटाफट, मेरे साथ..!

शाकीना - मे भी चलती हूँ आप लोगों के साथ…!

मे - नही ! तुम यहीं अपनी अम्मी को सम्भालो..!

मैने बाइक उठाई और रेहाना को पीछे बिठाया और दौड़ा दी उधर को जिधर जीप गयी थी.

रास्ता खराब था तो जीप ज़्यादा तेज नही भाग सकती थी, लेकिन मेरी बाइक भाग सकती थी.

अभी हम कोई 8-9 किमी ही आए थे कि हमें जीप से उड़ने वाली धूल उड़ती दिखाई दी.

हम दोनो ने अपने-2 चेहरे कपड़ों से ढक लिए थे. करीब आधे मिनट के बाद ही हम जीप के पीछे थे.

मैने बाइक की स्पीड कम कर दी जैसे ही जीप मेरी गन की जड़ में आई, मैने स्पीड को जीप के बराबर कर दिया और रेहाना को हॅंडल पकड़ने को कहा.

वो भी साइकल तो चला ही लेती थी, इस समय स्पीड भी कम ही थी सो उसको बाइक का हॅंडल कंट्रोल करने में कोई विशेष दिक्कत नही हुई.

4 फ़ौजी पीछे की साइड में हाथों में राइफल्स लिए खड़े थे, जिनका मुँह आसमान की ओर था, और वो आगे की ओर ही देख रहे थे.

पाँचों क़ैदी नीचे पड़े हुए थे शायद उनके हाथ पैर बाँध रखे होंगे..?

मैने दोनो हाथों से निशाना साधा और एक साथ 4 फाइयर किए, जिनका चूकने का तो सवाल ही पैदा नही होना था.

वो चारों फ़ौजी गोली लगते ही गिर पड़े, जिसमें से दो जो किनारे की तरफ थे वो ज़मीन पर गिर गये, और दो जीप के अंदर ही.
जैसे ही ड्राइवर और उसके बगल में बैठे फ़ौजी को गोली चलने की आवाज़ सुनाई दी, उस बाजू वाले ने पीछे मूड कर देखा, तो उसके होश उड़ गये और उसने ड्राइवर को जीप रोकने को कहा.

ड्राइवर अभी जीप खड़ी भी नही कर पाया था कि उस 5वे फ़ौजी ने अपनी राइफल उठाई और खड़ा होकर एक लड़की को पकड़ कर उसको अपनी ढाल बनाने ही वाला था कि मेरी एक गोली उसकी खोपड़ी में सुराख बना चुकी थी.

ड्राइवर ने जब अपने आख़िरी साथी को भी जहन्नुम जाते देखा तो जीप रोकते-2 उसने उसे और स्पीड दे दी.

मैने बाइक अब अपने कंट्रोल में ले ली और स्पीड देकर जीप के पास तक ले आया और सीट पर दोनो पैर रख कर बैठ गया.

रेहाना को हॅंडल थमा कर मैने जीप के अंदर छलान्ग लगा दी, और अपने आपको को बॅलेन्स करते हुए, ड्राइवर की गर्दन को पीछे से अपने बाजू में कस लिया.

जैसे ही ड्राइवर का दम घुटने लगा, ऑटोमॅटिकली उसका पैर ब्रेक पर दब गया और गियर में पड़ी जीप झटका खाकर रुक गयी.

उधर मैने जैसे ही बाइक से छलान्ग लगाई बाइक डिसबॅलेन्स हो गयी, रेहाना उसको संभाल नही पाई, और वो रोड साइड खड़ी झाड़ियों में जा घुसी.

उसके मुँह से एक चीख निकल गयी, लेकिन इसका मेरे पास कोई इलाज नही था.

जीप के रुकते ही मैने उस ड्राइवर को जीप से नीचे धक्का दे दिया और उसके उपर छलान्ग लगा दी, उसकी छाती पर चढ़ उसके गले को दबाने लगा.

थोड़ी ही देर में उसकी जीभ बाहर निकल आई, और आँखें फटी रह गयी, उसका भी खेल ख़तम हो चुका था.

फिर मैने उन पाँचों को खोला और झाड़ियों की तरफ दौड़ लगा दी.

झाड़ियों में एक ओर बाइक उलझी पड़ी थी जो अभी भी उसका एंजिन चालू ही था और पिच्छला व्हील घूम रहा था. दूसरी ओर रहना पड़ी कराह रही थी.

मैने पहले बाइक बंद की और उसे झाड़ियों से बाहर लाकर खड़ा किया, फिर रेहाना को उठाकर लाया, उसके शरीर में काँटों की वजह से कई जगह खरोंच आ गयी थी,

उसके कपड़े भी कई जगह से फट गये थे, जिनसे उसका गोरा मादक बदन झलक रहा था.

मैने जैसे ही अपने हाथ से उसके शरीर को सहलाया, तो वो सिहर गयी और उसके मुँह से एक मादक सिसक निकल गयी.

मे - तुम ठीक तो हो ना..!

वो - हां ! मे ठीक हूँ ! आप उन लोगों को सम्भालो..

मे उसको वहीं बाइक के पास खड़ा करके जीप के पास आया और रहमत अली से पुछा- आप लोगों में से किसी को जीप चलानी आती है..?

रहमत अली ने हामी भर दी, मैने उन फ़ौजियों के सारे हथियार लेकर जीप में डाले और उसको जीप लेकर घर लौट जाने का बोला.

जब वो वहाँ से लौट गये तो मैने उन सभी की लाशों को झाड़ियों के पीछे इकट्ठा किया और बाइक से पेट्रोल निकाल कर उनके उपर डाल दिया.

दो पत्थरों को आपस में रगड़ कर चिंगारी पैदा करके उन पाँचों के शवों को आग के हवाले कर दिया.

घर हम दोनो भी लगभग जीप के साथ ही पहुँच गये, वो चारों लोग भी रहमत के साथ हमारे घर ही आ गये थे.

जब मैने उसको पुछा क़ि इनको यहाँ क्यों ले आए, तो वो लोग काँपते हुए बोले- हमें डर लग रहा है, पता नही अब फौज हमारे साथ क्या करेगी.

मे - कब तक इस तरह डर डर कर मरते रहोगे..? मरना ही है तो लड़ कर मरो ना..! मौत तो एक दिन सबको आनी ही है फिर उससे क्या डरना.

उनमें से एक बोला – भाई हम आपके जैसे जुंगजू नही है जो किसी हथियार बंद फ़ौजी का मुकाबला कर सकें.

मे - तुमसे किसने कहा कि मे कोई जुंगजू हूँ..?

वो - क्या आपने हमें नही बचाया..?

मे - तो इससे क्या मे जुंगजू हो गया..? बस जुर्म के खिलाफ लड़ना सीख लिया है मैने. अगर तुम लोग भी लड़ना चाहोगे तो तुम्हें भी आजाएगा.

वो – क्या आप हमें सिखाएँगे जुर्म के खिलाफ लड़ना..?

मे – एक बार पक्का इरादा कर लोगे तो मे मदद ज़रूर कर सकता हूँ तुम्हारी, वाकी लड़ना तो तुम्हें ही पड़ेगा..!

दूसरा लड़का बोला- ऐसे डर-2 के मरने से तो लड़ कर मरना लाख गुना अच्छा है, वैसे भी आज तो हम एक तरह से मर ही गये थे,

अगर आप हमें नही बचाते तो पता नही वो लोग हमें कहाँ ले जाते, और ना जाने क्या करते हमारे साथ ?

जीवित रखते भी या नही, इसलिए आज से हम वही करेंगे जो आप कहोगे.
उनमें से एक लड़की बोली – लेकिन हमारा क्या होगा..?
 
  • Like
Reactions: netsunil and Rahul

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
39,967
101,351
304
Update 110

मैने रेहाना की ओर मुस्कराते हुए देखा, वो उस लड़की से बोली, क्यों तुम्हारे चार हाथ पैर नही हैं क्या..?

दूसरी लड़की – क्या सच में हम भी लड़ना सीख सकते हैं..?

रेहाना – बिल्कुल ! चाहो तो एक नमूना देख लो, और फिर वो उन दोनो लड़कों से बोली- आ जाओ तुम दोनो एक साथ मुझ पर हमला करो..!

वो दोनो आश्चर्य से उसकी ओर देखने लगे..! वो फिर बोली- आ जाओ डरो मत और हां अपनी पूरी ताक़त से हमला करना…!

फिर उन तीनों में एक रिहर्सल जैसा हुआ, वो दोनो लड़के अपने पूरे दम खाँ से रेहाना पर टूट पड़े,

वो दोनो जितने हाथ-पैर चला सकते थे चलाने लगे,

लेकिन उस चालाक लोमड़ी ने उन दोनो को 5 मिनट में ही धूल चटा दी, वो दोनो लड़कियाँ अपने दाँतों में उंगली दबा कर हैरानी से उसे देखती रह गयी.

फिर मैने उन चारों का नाम पुछा – पहले लड़के का नाम अकरम था और दूसरे का परवेज़, लड़की एक आईशा थी और दूसरी जाहिरा.

मैने उनसे कहा - कल से आ जाना तुम लोगों को भी लड़ना सिखा देंगे. लेकिन ये बात और किसी को मत बताना, ये भी नही कि तुम लोग बचके कैसे आ गये.

अकरम बोला- अगर लोग पुछेन्गे तो हम उन्हें क्या जबाब देंगे..?

मे - उनको बोल देना कि जंगल में दो नकाबपोश आ गये और उन्होने हमें बचा लिया.

जब वो चारों चले गये, उसके बाद मैने रहमत को जीप लेकर अपने साथ चलने को कहा और खुद बाइक लेकर किसी उँची सी पहाड़ी की तरफ निकल पड़े.

उस जीप को एक उँची सी पहाड़ी से हज़ारों फीट गहरी खाई में धक्का दे दिया और बाइक से वापस घर आ गये.

लेकिन ये दूसरा केस था जो कि जीप खाई से नीचे कुदाइ थी, पहली वाली में तो उसके साथ डेड बॉडी भी थी, लेकिन ये मामला एक तो फ़ौजियों का था, दूसरा जीप खाली खाई में गिरी थी.

फौज इस मामले में चुप तो नही बैठेगी, खैर अभी तक कोई सुराग तो नही छोड़ा था मैने, बस एक ही पॉइंट ऐसा था जिससे फौज की जाँच इस इलाक़े तक भी आ सकती थी,

अगर उन्हें ऐसी कोई वारदात यहाँ के बाज़ार में हुई थी ये पता चल गया तो.

मे बस इन्ही बातों को सोच रहा था कि रहमत मेरे पास आकर बैठ गया और मुझे सोच में डूबा हुआ देख कर बोला – क्या बात है भाई जान.. किस सोच में डूबे हो..?

मे - कुछ नही, बस ये सोच रहा था कि ख़तरा किस ओर से हमारी तरफ आ सकता है, हालाँकि अभी तक कोई ऐसा सुराग तो हमने छोड़ा नही है जिससे फौज की जाँच हम तक पहुँच सके.

रहमत – हां ! जब तक फौज को ये पता ना चले कि यहाँ कोई वारदात हुई है या नही, अगर ये पता चल गया, तो वो लोगों को डरा धमका कर ये पता ज़रूर लगा लेंगे कि यहाँ क्या हुआ था.

मे – और फिर उन्हें ये पता लगाने में भी देर नही लगेगी कि उन्होने किन-किन लोगों को उठाया था.

हमने जो बहाना लोगों को बहकाने के लिए उन चारों को बताया है उस पर फौज कभी यकीन नही करेगी.

रहमत – और अगर उन्होने उन्हें टॉर्छेर किया तो लड़के शायद झेल भी जायें, लेकिन लड़कियाँ टूट सकती हैं और फिर हम सब लोगों के लिए बचना मुश्किल होगा.

मे – तो अब क्या किया जाए..? और कोई रास्ता है बचने का..?

रहमत – यहाँ रहते हुए तो नही लगता….

मे - चलो देखते हैं, जो होगा सो अल्लाह मालिक, फिलहाल इतना जल्दी तो कोई आने वाला नही है इधर.

रहमत – वो फ़ौजियों की लाशें रास्ता बता देंगी इधर का..

मे - वो वहाँ होंगी तब ना बता देंगी..!

रहमत – क्या मतलब..? कहाँ चली जाएँगी वो लाशें वहाँ से..?

मे – कब की चली गयी वो तो .. कल तक तो वहाँ उनकी राख भी नही मिलेगी.

रहमत – क्या किया उनका आपने..?

मे – पेट्रोल डालकर जला दिया..! अब राख तो पता नही दे सकती कि ये किसकी है..

इस बात से रहमत को थोड़ी राहत पहुचि, फिर हमने रेहाना, शाकीना और उनकी अम्मी को भी बोल दिया, कि वो बस्ती में लोगों को डरने की कोशिश करें ये कहकर की,

अगर फौज को यहाँ क्या हुआ था ये पता लगा तो वो पूरी बस्ती को ही ख़तम कर देंगे.

इसलिए कोई अगर पुछने आए भी तो बताएँ नही कि यहाँ कुछ भी हुआ था.

इस काम में वो चार नये साथी भी हमारा हाथ बटा सकते थे.

इन सब बातों की चर्चा के बीच हम सबने खाना खाया, और कुछ देर और बैठे बातें करते रहे, फिर सोने चले गये अपने-2 बिस्तर पर.

दूसरे दिन वो चारों भी सुबह-2 जल्दी आ गये, जब उन्होने बताया कि हमें सही सलामत देख कर उनके घरवाले खुश हुए लेकिन फिर पुछा कि कैसे छोड़ दिया तो जो आपने बताया था हमने वैसे ही बता दिया.

मे - वो तो ठीक है, लेकिन अब तुम सब लोग बस्ती में ये बात चलाओ, कि अगर यहाँ कोई उस बाबत तहकीकात करता है, तो कोई कुछ भी ना बताए.

यहाँ तक कि ऐसा कुछ हुआ भी था या नही, अगर फौज को पता लगा कि ऐसा कुछ यहाँ हुआ है, तो वो लोग पूरी बस्ती को ही ख़तम कर देंगे.

ऐसा डर दिखा कर लोगों को कुछ भी ना बताने के लिए कहो.

उसके बाद हमने उन सब को एक्सर्साइज़ शुरू कराई, रेहाना और शाकीना उन लड़कियों को ट्रेन करने लगी और मे उन तीनो को, वैसे रहमत तो था ही ट्रेंड फ़ौजी,

पर फिर भी इतने दिन जैल की कमर तोड़ यातनाओं के बाद उसको भी रेफ्रेश करना ज़रूरी था.

और वैसे भी मेरी ट्रेनिंग ज़रा आम फोर्सस से हटके थी, लेकिन उतनी ही देनी थी जिससे वो अपनी आत्म रक्षा कर सकें.

मे कभी-2 अपने काम से बाहर भी चला जाता था, लेकिन वो लोग ट्रैनिंग बदस्तूर जारी रखते, ऐसे ही बिना किसी विशेष बात हुए 1 महीना निकल गया.

अब वो 5 लोग और एक ट्रेंड सिपाही की तरह हमारे ग्रूप में शामिल हो गये थे.

अब हम 8 लोग ऐसे थे जो किसी भी असाधारण परिस्थिति का सामना कर सकते थे, सिवाय एक वॉर सिचुयेशन के.

चारों लड़कियाँ भी आम लड़कियाँ नही रही थी. उन सभी की ट्रैनिंग के बारे में उनके घरवालों को भी ज़्यादा कुछ नही बताया गया था.

लेकिन अब हम यहाँ ठहर कर किसी आने वाली मुशिवात का इंतजार नही कर सकते थे,

क्योंकि यहाँ पर होने वाली अब कोई एक भी वारदात शक़ पैदा कर सकती थी, इसलिए अब हमें आगे बढ़ कर मूषिबतों को दावत देनी ही पड़ेगी.

वो भी अपने इलाक़े से बहुत दूर, और दुश्मन की एकदम नाक के नीचे, जिससे वो हड़बड़ा जाए.

लेकिन ये काम इस तरह से होना चाहिए, जो लगे कि ये अवाम में हुकूमत और दहशतगर्दी के खिलाफ पैदा हुई बग़ावत का नतीजा है…

यही चाणक्य नीति कहती है : “इससे पहले की दुश्मन आपके बारे में कुछ सोचे आप उसके बारे में सब कुछ सोच और समझ लो”.

इसी प्लॅनिंग को मद्दे नज़र रखते हुए मैने अपने सभी साथियों को लेकर एक मीटिंग रखी…….!!
 
  • Like
Reactions: netsunil and Rahul

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
39,967
101,351
304
Update 111

मैने सबको एक साथ बिठाया, हम सभी 9 लोग अमीना बी के साथ, क्योंकि वो भी अब हमारे ग्रूप का अहम हिस्सा थी, तो उनको भी सारी बातें पता होनी चाहिए थी.

और वैसे वो भी अपनी बेटियों के साथ मिलकर फिट रहने लायक तो एक्सर्साइज़ करती ही रहती थी.

मैने सबको संबोधित करते हुए कहा – दोस्तो ! अब आप सब लोग एक आम इंसान नही रहे, खास हो चुके हैं और हमने जो भी सीखा है उसको अमल में लाने का समय आ चुका है.

नीति कहती है कि आपका दुश्मन आपके बारे में कुछ जाने या सोचे उससे पहले हमें उसके बारे में सब कुछ सोच विचार कर लेना चाहिए.

इससे पहले कि वो कोई पहल करे हमें उसे इसका मौका दिए वगैर उसके घर में ही दबोच लेना चाहिए.

हमारा दुशमन कोई बाहरी मुल्क नही है, हमारी ही फौज है, हुकूमत है जो दहशतगर्दों के साथ मिलकर इंसानियत का कत्ल करवा रही है.

कहने को तो हम आज़ाद कश्मीर के बाशिंदे हैं, पर असल में हम क़ैदियों से भी बदतर हालत में हैं.

हम हुकूमत से सीधे तौर पर तो टकरा नही सकते, लेकिन अगर हम दहशतगर्दी के खिलाफ कुछ करते हैं,

और उन्हें किसी भी हद तक कमजोर करने में कामयाबी हासिल कर पाते हैं तो ये इस इंसानियत की दुश्मन हुकूमत के लिए किसी चुनौती से कम नही होगी.

और इससे अवाम का साथ भी हमें मिल सकेगा, लोग हम पर भरोसा करने लगेंगे और हमारा साथ देंगे.

अकरम – लोग हमारा साथ किस कदर देंगे..?

मे – दोस्त ! साथ रहकर गोली चलाना या मार-पीट करना ही साथ देना नही होता, इसके लिए तो हमें आगे चल कर और भी साथी मिल सकते हैं, जैसे तुम लोग मिल गये हमें.

हमारे बारे में किसी को कुछ ना बताना या वक़्त आने पर हर संभव मदद करना भी साथ देने के बराबर ही है.

रहमत – तो अब आप क्या करने वाले हैं..?

मे - देखो ! जैसे यहाँ एक बार कुछ फ़ौजी आए, उन्होने दहशत फैलाई, आप लोगों को पकड़ कर ले गये, ऐसे ही किसी मौके का यहाँ बैठ कर इंतेज़ार करना और फिर उन पर हमला करना ये हमारी बहुत बड़ी भूल होगी.

क्योंकि अब अगर ऐसा कुछ भी इस इलाक़े में हुआ, तो हम तुरंत शक़ के घेरे में आ सकते हैं,

हमारी लोकेशन पता चलते ही हुकूमत अपनी माकूल ताक़त का स्तेमाल करके हमें ख़तम कर देगी.

यही काम हम अपने इलाक़े से दूर अंजाम देंगे तो उनका ध्यान हमारे इलाक़े की तरफ आएगा ही नही, और वो हमें उसी इलाक़े के आस-पास ही ढूँढने की कोशिश करते रहेंगे…

परवेज़ – तो फिर अब हमें क्या करना चाहिए..?


मे - उसी बात पर आ रहा हूँ..! आप लोगों में से किस किस के पास बाइक या दूसरे साधन हैं..? तो सब की ओर देख कर मैने कहना जारी रखा और बोला-

सबसे पहले हमें कम-आज़-कम दो बाइक का और इंतेज़ाम करना होगा. अकरम और परवेज़, आज ही मेरे साथ किसी नज़दीक के शहर चलो, हमें दो बाइक लेनी पड़ेगी.

और लड़कियों की ओर देख कर, तुम सभी को बाइक चलानी सीखनी होगी, तो आज से ही प्रॅक्टीस शुरू करदो, साथ-2 आप सबको निशाने बाज़ी भी सीखनी है.

वो चारो एक्शिटेड दिखी ये सब सीखने के लिए.

फिर मैने रहमत अली को बोला- भाई आप आज से ही इनको शूटिंग करना सिख़ाओ, ध्यान रहे केवल रेवोल्वेर इस्तेमाल करनी हैं, वो भी साइलेनसर लगाकर. ताकि इलाक़े में किसी को इस बात का इल्म ना हो.

कल से बाइक भी आ जाएँगी तो वो भी साथ-2 सीखना है, मैने लड़कियों की ओर देख कर कहा – समझ गये सब लोग, क्या तुम तैयार हो..?

वो सब एक स्वर में बोली – यस सर !

मे – ये सर किसको कह रही हो तुम लोग..?

आईशा मुस्करा कर बोली- अरे आपको और किसको कहेंगे, यहाँ आप ही तो सबके उस्ताद हैं.

जाहिरा – आपकी बातों ने ही तो हमें उठ खड़ा होना सिखाया है, वरना अब तक तो रोज़ मार-मार के ही जी रहे थे.

सही मायने में आप ही हमारे सच्चे उस्ताद हो.

मे - चलो ठीक है.. अब तुम लोग जितना जल्दी ट्रेंड हो जाओगी, हमारा काम उतना ही आसान होगा.

वो चारों वॉली- हम सब अपनी पूरी लगान से सीखेंगी.

रहमत – लेकिन भाई जान खर्चा पानी और ये बाइक खरीदने के लिए रकम कहाँ से आएगी..?

उसकी फिकर मत करो, सब हो जाएगा.. और फिर नाश्ता वग़ैरह करके मे अकरम और परवेज़ को लेकर मुज़फ़्फ़राबाद की ओर निकल गया और रहमत उन लड़कियों को शूटिंग सीखने में जुट गया.

हफ्ते दस दिन में ही लड़कियों ने पूरी लगान से काम चलाने लायक निशाने बाज़ी और बाइक चलाना सीख लिया था.

मैने तीन ग्रूप बनाए, 1) मेरे साथ शाकीना और आईशा, 2) अकरम + परवेज़ + जाहिरा, 3) रहमत के साथ रहना.

इन दोनो को एकांत की नितांत ज़रूरत थी, बहुत दिनो की जुदाई जो झेली थी बेचारों ने.

मैने कहा- अब हम सभी तीन ग्रूप्स में पूरे पीओके के अंदर जितने दहशत गार्दी के कॅंप चल रहे है, उन सब की गुप्त रूप से जानकारी हासिल करेंगे.

सबको एक-2 मोबाइल दिया, उनके नंबर एक दूसरे के फोन में ऑलरेडी फीड थे.

ज़रूरत पड़ने पर एक दूसरे से कॉंटॅक्ट कर सकते हो इस फोन के ज़रिए.
 
  • Like
Reactions: netsunil and Rahul

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
39,967
101,351
304
Update 112

कुछ को ऑपरेट करना नही आता था, क्योंकि मोबाइल अभी तक आम नही हुआ था.

मोबाइल से फोटो निकालना भी सिखाया जिससे ज़रूरत पड़ने पर वहाँ के फोटो वग़ैरह भी लिए जा सकें.

मोबाइल देख कर वो सभी लोग खुश हो गये, और जब उनके फंक्षन चला कर ट्राइ किए तो और ज़्यादा खुशी दिखाने लगे.

एक मोबाइल हमने घर पर भी रखा और उसको अमीना बी को सिखाया, जिससे अगर कोई एमर्जेन्सी आ पड़े तो घर से कॉंटॅक्ट हो सके.

फिर सबको थोड़े-2 पैसे दिए, जो ज़रूरत पड़ने पर काम आ सकें.

अमीना बीबी ने पुछा भी कि मेरे पास इतने पैसे कहाँ से आए, तो मैने अपनी घर की प्रॉपर्टी बेची है ऐसा कह कर उनको समझा दिया.

उन सबको कुछ और हिदायतें देकर मैने कहा-

सभी को खास ध्यान ये रखना है, कि किसी को शक़ नही होना चाहिए कि हम क्या और क्यों कर रहे हैं, अब आगे आप सबकी सूझ-बुझ का इम्तेहान है, कि आप किस तरह और कितना जल्दी कामयाब होते हो.

आम लोगों के सामने हम एक दूसरे से ऐसे ही वर्ताब करेंगे जैसे पहले करते थे. ठीक है ..! सबने हामी भर दी.

एक बात और, किसी भी कॅंप से संबंधित आदमी की नज़रों से बचके ही हमें जानकारी हासिल करनी है, लड़कियाँ बुर्क़े के नीचे एक दम टाइट कपड़े ही पहनें, जिससे कोई भी फिज़िकल काम करने में दिक्कत ना हो.

अगर कभी ऐसा लगे कि अब सामने वाले पर हमला किए बिना और कोई रास्ता नही बचा है, तभी अपने हाथ-पैर चलाना.

बेवजह लोगों की नज़र में नही आना है.

इसी तरह की कुछ खास-2 हिदायतें देने के बाद हम सभी ने एक दूसरे को विश किया और दिशा निर्देश के अनुसार अपने-2 रास्ते निकल पड़े.

अब रोज़ का हमारा रूटीन ये था कि सुबह निकल जाते और देर रात तक पूरे पीओके की छान बीन करते रहते, बिना वजह किसी विवाद में पड़े

15 दिन के अंदर-2 हमारे पास इतनी इन्फर्मेशन्स थी कि शायद इतनी पाकिस्तानी आर्मी के पास भी नही होगी.

ये सारी इन्फर्मेशन्स साथ-2 अपने ऑफीस भी भेजता जा रहा था.

इतने दिनो के साथ ने उन्हें भी लड़कों के करीब ला दिया था.

आईशा तो खुल कर मेरे साथ फ्लर्ट करने लगी थी, जो शाकीना को पसंद नही आता और वो उससे चिडने लगी थी.

लेकिन मेरे समझाने के बाद वो भी एंजाय करने लगी और उसका साथ देते हुए मुझे खुले आम छेड़ देती.

कसरत ने उनके शरीर के उठानों को और भी मादक बना दिया था. इन चारों में आईशा का फिगर ज़्यादा सेक्सी था, 5’6” की हाइट के साथ 34-28-34 का फिगर किसी का भी लॉडा खड़ा कर्दे.

अकरम और पेरवेज़ भी उसको लाइन मारते, लेकिन वो उन्हें अवाय्ड कर देती थी.

एक दिन हम सभी टीम मेंबर्ज़ ऐसे ही इकट्ठा तीनों बाइक लेकर उत्तर-पूर्व की ओर निकल पड़े, जून-जुलाइ का मौसम, आसमान में कहीं-2 बदल छाये हुए थे.


मस्ती-2 में हम लोग काफ़ी दूर निकल आए थे 2-3 घंटे के सफ़र के बाद.

बीच-2 में लड़कियाँ भी ड्राइव कर लेती, बुर्क़े तो अपनी हद निकलते ही उतार लिए थे, और वो भी टाइट सूट्स में ही थी.

मेरी वाली बाइक जब एक चलाती तो मे सबसे पीछे बैठ जाता जिससे बीच में बैठी हुई लड़की अपनी गान्ड उठा कर मेरे लंड पे रख देती, जिससे वो साला अकड़ने लगता.

बड़ा ही सुहाना मौसम हो रहा था, मानो स्विट्ज़र्लॅंड में पहुँच गये हों, उपर घने बादल लगता था कभी भी बारिस हो सकती थी.

इस समय हम एक हरे-भरे पहाड़ी इलाक़े से गुजर रहे थे, कि तभी….

एक साथ तेज बारिश शुरू हो गयी, बचने का कोई चान्स नही था. भीगना ही पड़ा, बारिश इतनी तेज थी कि बाइक चलाने में भी प्राब्लम आ रही थी.

सो एक जगह घने पेड़ों के नीचे लेजा कर हमने अपनी-2 बाइक खड़ी की और वहीं खड़े होकर बारिश का नज़ारा लेते हुए उसके कम होने का इंतजार करने लगे,

हम सभी पूरी तरह भीग चुके थे. कपड़े शरीर से एकदम चिपक गये थे….!

तीनों बाइक हमने कुछ-2 दूरी से खड़े पेड़ो के नीचे अलग-2 खड़ी कर दी थी.

मेरे साथ शाकीना और आईशा थी और हम सबसे पीछे थे तो लास्ट में ही खड़े हो गये.

शाकीना तो खुले में खड़ी होकर बारिश का मज़ा लूट रही थी, आइशा मेरे बाजू में खड़ी थी, उसका टाइट सूट जो उसकी 34 की चुचियों को ढकने का असफल प्रयास कर रहा था, भीगने के बाद तो उसके दोनो कबूतर बिल्कुल ही बग़ावत पर उतारू थे.

उसकी एक-तिहाई चुचियाँ तो वैसे ही बाहर छलक रही थी, भीगने के बाद तो और ज़यादा उभर आई थी, निपल कपड़ों के बबजूद साफ-2 अपनी उपस्थिति करा रहे थे.

उसका शॉर्ट कुर्ता टाँगों के बीच में एकदम चिपक रहा था, और उसके योनि प्रदेश को साफ-साफ प्रदर्शित कर रहा था.

उभरे हुए कूल्हे और ज़्यादा उभर आए थे.

वो नज़रें नीची किए तिर्छि नज़र से मेरी ओर देख रही थी. मैने उसके कान में जाकर कहा-

शा तुम तो एकदम कयामत लग रही हो, देखना कोई तुम्हारा रेप ना कर्दे.
 
  • Like
Reactions: netsunil and Rahul

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
39,967
101,351
304
Update 113

वो मेरे एकदम सामने, नज़दीक आकर खड़ी हो गयी, उसके निपल मेरे सीने को छुना ही चाहते थे, लेकिन अभी तक छु नही पाए थे,

मेरी आँखों में देख कर वो बोली- आप ही करदो ना मेरा रेप…!

मे - मेरी इतनी भी हिम्मत नही है, कि किसी का रेप कर सकूँ…!

वो मुझे पकड़ना ही चाहती थी कि मैने उसे रोक दिया और बोला- ये सब खुले आम नही, थोड़ा परदा ज़रूरी है.

शाकीना तो अपने मज़े में मस्त बारिश का मज़ा लूट रही थी, मेरे ऐसा कहते ही

आइशा ने मेरा हाथ पकड़ा और पेड़ के पीछे ले गयी और मुझे दोनो हाथों से पकड़ कर मेरे होठ चूम लिए.

मैने उसके चुतड़ों को पकड़ कर मसल दिया और अपनी ओर खींच कर उसकी चूत को अपने लंड से सटा लिया… आअहह… उसके बारिश से भीगने के कारण निपल कड़क हो गये थे जो अब मेरे सीने में चुभने लगे.

हम दोनो चुंबन में खो गये… उसकी आखें लाल होने लगी, अभी हम और आगे बढ़ते की एक चीख ने हमारा ध्यान भंग कर दिया.

जब मैने चीख की दिशा में देखा और तुरंत आईशा को पकड़ कर आड़ में हो गया.

सबसे आगे अकरम, परवेज़ और जाहिरा थी, उसके बाद रहमत और रेहाना.

मैने देखा कि पहले वाले पेड़ के बराबर में एक बड़ी वाली फ़ौजी जीप खड़ी थी, और 9-10 फ़ौजी जवानों ने उन पाँचों को राइफलों की नोक पर कवर कर रखा था,

शाकीना हाथ उपर किए उनकी ओर धीरे-2 बढ़ रही थी.

फ़ौजियों को शायद हम दोनो का पता नही चल पाया था, मैने तुरंत एक स्कीम बना ली,

आईशा को लिए हुए मैने रोड की दूसरी तरफ छलान्ग लगा दी और झाड़ियों में लुढ़कता चला गया.

तेज बेरिश की वजह से दूर तक साफ-साफ देख पाना थोड़ा मुश्किल था, इस वजह से वो हमें नही देख सके…

आइशा मेरे शरीर से चिपकी हुई थी. मैने फ़ौरन अपनी गन निकल ली और उसको भी बोला तो उसने भी अपनी गन निकाल कर हाथों में ले ली, अब हम दोनो झाड़ियों की आड़ लिए उनके करीब जाने लगे.

अभी शाकीना उनके पास तक नही पहुँची थी, उसकी चाल देख कर एक फ़ौजी गुर्राया- ये साली क्या कछुये की चाल चलती है, जल्दी से आ,

दो फ़ौजी ऑलरेडी जाहिरा और रेहाना के शरीरों के साथ खेल रहे थे.

तीनों मर्द अपने हाथों को सर के उपर रखे खड़े थे, 4-5 फ़ौजी अपनी राइफले ताने उनके सरों पर खड़े थे.

जैसे ही शाकीना भी उनके पास पहुँची, एक फ़ौजी ने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ कर खींचा और वो उसके सीने से जा लगी.

मुझे ये विश्वास नही था कि शाकीना इतनी हिम्मत दिखा सकती है,

जैसे ही वो उस फ़ौजी के सीने से लगी, उसका घुटना तेज़ी से चला और उस फ़ौजी के गुप्ताँग को जोरदार हिट किया,

वो डकार मारता हुआ अपने दोनो हाथ अपने आंडों पर रख कर घुटने जोड़े हुए नीचे की ओर झुकता चला गया, उसकी राइफल हाथ से छूट गयी जो बिजली की तेज़ी से शाकीना के हाथों में आ गई.

पलक झपकते ही उनमें से एक फ़ौजी की राइफल शाकीना की ओर मूड गयी, इससे पहले कि वो गोली चलाता,

शाकीना ने उन तीन में से एक को निशाना बना लिया, जो जाहिरा और रेहाना को छेड़ रहे थे.

निशाने पर लेते हुए वो गुर्राइ – खबरदार अगर गोली चलाई, तो तुम्हारा ये साथी भी नही बचेगा…

फ़ौजियों को एक आम लड़की से ऐसी हिमाकत करने की आशा नही थी, वो कुछ देर तो सकते की हालत में आ गये,

लेकिन फिर वो फ़ौजी जिसे शाकीना ने निशाना बनाया था, उसकी तरफ पलटा, और उसकी राइफ़ल पर झपटा…, शायद उसको लगा कि ये नाज़ुक सी लड़की क्या राइफल चलाएगी…

लेकिन उसके पलटते ही शाकीना ने ट्रिगर दबा दिया, और राइफ़ल की गोली सीधी उसका भेजा फाड़ती हुई निकल गयी…

वो अपनी आँखों में जमाने भर की हैरत लिए दुनिया से रुखसत हो गया..

उसके गिरते ही, राइफ़ल धारिरयों की राइफ़ल शाकीना की तरफ घूम गयी, लेकिन इससे पहले कि वो उसे शूट करते, झाड़ियों से एक साथ 5 फाइयर हुए और वो पाँचों राइफलधारी ज़मीन पर पड़े तड़प्ते नज़र आने लगे.

अब बचे चार फ़ौजियों में से जो शाकीना की चोट से नीचे बैठा था उसको उसने कवर कर लिया और तीन को हमारे तीनों साथियों ने लपक लिया.

मे और आइशा झाड़ियों से निकल कर बाहर आ गये, हमें देखते ही उनकी बची-खुचि साँसें भी अटक गयी.

फिर हमने उन्हे लात घूँसों से धुनना शुरू किया, पीटते-2 वो चारो बेहोश हो गये.

मैने अपना खंजर निकाला और एक फ़ौजी के माथे पर लिख दिया “आज़ाद कश्मीर ज़िंदवाद”

मेरी इस कार गुज़ारी को देख कर उन सभी के शरीर में झूर झूरी सी दौड़ गयी…, उस फ़ौजी का चेहरा खून से सुर्ख हो गया था…

आईशा और जाहिरा ने तो अपनी आँखें ही बंद कर ली…

मेरी आखों में छाए हुए हिंसक भावों को देख कर वो लोग काँप उठे…

मैने उस फ़ौजी को पेड़ से उल्टा लटका दिया, और वाकियों को भी मौत देकर हम वहाँ से तेज बारिश में ही आगे बढ़ने लगे….!

सभी के चेहरों पर मौत का सन्नाटा पसरा हुआ था… मैने उन सभी की मनोदशा भाँप कर कहा…

तुम लोग ऐसे गुम-सूम क्यों हो गये मेरे शेरो…, ये लोग इसी के हक़दार थे… अब अगर यल्गार शुरू कर ही दी है, तो शुरुआत धमाकेदार ही होनी चाहिए…

शाकीना थोड़ी हिम्मत जुटाकर मेरे पास आई, और बोली – आपका ये खौफनाक रूप देखकर हमें डर लगने लगा था…

मे – दोस्तों को मुझसे डरने की ज़रूरत नही है..? और वैसे भी सबसे ज़्यादा डर तो तुमसे लगना चाहिए…

इतनी विपरीत परिस्थिति में भी तुमने वो कर दिया, जो कोई आम इंसान सोच भी नही सकता था…!

मेरी बात सुनकर रेहाना ने उसे अपने गले से लगा लिया, वाकीओं ने भी उसके हौंसले को सलाम किया…

मैने आगे कहा - ये सब करना ज़रूरी था, अब दुश्मन के दिल में हमारे प्रति भय पैदा हो जाएगा, और वो कोई भी मन-मानी करने से पहले हज़ार बार सोचेंगे…

रहमत अली ने मेरी बात से सहमत होते हुए कहा – आपकी बात एकदम जायज़ है भाई जान… दुश्मन पर रहम दिखाना अपनी कमज़ोरी जाहिर करना है…

अब वाकी सब नॉर्मल नज़र आने लगे थे, सो ह्मने आगे का सफ़र शुरू कर दिया…
 
  • Like
Reactions: netsunil and Rahul

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
39,967
101,351
304
Update 114

मे बाइक चला रहा था, शाकीना मेरी गोद में बैठ गयी जिसकी वजह से मुझे आगे को झुक कर हॅंडल पकड़ना पड़ रहा था, आईशा मेरे पीछे एक दम चिपक कर बैठी थी.

बाइक की स्पीड बहुत ही कम थी.

वाकी दोनो बाइक हमसे काफ़ी आगे थी, डिसाइड हुआ था कि आगे जो भी छोटा बड़ा शहर या टाउन आएगा, हम सब वहीं रुकेंगे आज.

शाकीना ने अपनी गान्ड उठाके मेरे एन लंड के उपर रख दी थी और अपनी कमर मटका-2 कर अपनी मुलायम गान्ड से उसे मसाज दे रही थी.

उधर पीछे आईशा अपने कबूतरों की चोंच मेरी पीठ से रगड़ रही थी, भीगने की वजह से कपड़ों का होना ना होना एक जैसा ही था.

एक तो बारिश इतनी तेज, उपर से ये दोनो हसीनाएँ मेरी हवा निकाल रही थी, मुझे डर था कि कही पहाड़ी रास्ते पर ज़रा भी बाइक इधर उधर हो गयी तो सेकड़ों फीट नीचे, शरीर के टुकड़े-2 छितरे नज़र आएँगे.

मैने एक पहाड़ी की साइड में अपने बाइक खड़ी करदी, और उन दोनो को एक साथ बाहों में कस के चूमने लगा, बहुत देर तक कॉन किसके होठों को चूम-चाट-काट रहा है पता नही. फिर मैने उनको अलग किया और बोला-

थोड़ा सबर करो मेरी शेरनियो, किसी होटेल में चल कर तुम दोनो की गर्मी निकाल दूँगा. अभी आराम से बाइक चलाने दो वरना किसी घाटी में पड़े जन्नत की सैर करते नज़र आएँगे.

वो दोनो थोड़ी झेंप गयी और हामी में सर हिलाकर चुप-चाप मेरे पीछे बैठ गयी…

करीब आधे घंटे के बाद हम एक छोटे से शहर में थे, वाकी के साथी बाहर ही खड़े हमारा इंतजार कर रहे थे.

हमने पुछ-ताछ करके एक छोटे से होटेल जो उस शहर का सबसे अच्छा होटेल था उसमें 4 कमरे किराए पर लिए और अपने-2 कमरों में चले गये…!

हमारे कपड़े सब गीले हो चुके थे, जो बॅग में थे वो भी,

तो सबसे पहले कपड़ों को सूखने का इंतेज़ाम करना था, इस लिहाज़ से एक कमरे में तीनो लड़कियों को भेज दिया,

अकरम और परवेज़ दूसरे में, रहमत और रेहाना तो मियाँ-बीबी थे ही तो वो एक में चले गये, और मैने एक सेपरेट कमरा अपने लिए रखा.

मैने अपने कपड़े उतार कर उन्हें पानी में निकाल कर सूखने के लिए फुल स्पीड में फॅन चला दिया, जहाँ जगह मिली वहाँ फैला दिया, और बाथरूम में फ्रेश होने घुस गया कि तभी डोर बेल बजने लगी….

मे तौलिया लपेट कर गेट खोलने गया, देखा तो सामने वो दोनो हिरनिया खड़ी थी उन्ही गीले कपड़ों में.

मैने कहा - अरे यार ये कपड़े तो उतार कर फ़रारे कर लेती, तो उन्होने मुझे धकेलते हुए कमरे में ढेस दिया और गाते लॉक करके शाकीना बोली- बॅग के कपड़े तो सुखाने डाल दिए हैं, इनको यहाँ सूखा लेंगे.

मे - अरे यार ! तुम लोग भी कमाल करती हो, किसी को पता चल गया कि तुम लोग मेरे रूम में हो तो पता नही वो लोग क्या समझेंगे..?

आइशा - कोई कुछ नही समझेगा..! वैसे भी जाहिरा और परवेज़ को स्पेस चाहिए था सो हम यहाँ आ गये. और फिर रास्ते में आपने प्रॉमिस भी किया था वो पूरा नही करेंगे ?

शाकीना - और अब बचना चाहते हैं… क्यों..? आज हम लोग आपको नही छोड़ने वाले, ये कहकर उन दोनो ने अपने-2 गीले कपड़े उतार दिए और मात्र ब्रा पेंटी में आ गयी.

मैने कहा ये भी तो गीले हैं, इनको नही सुखाना है ? तो वो दोनो खिल-खिला कर हँसती हुई गीले कपड़े उठा कर बाथ रूम में घुस गयी,

कपड़े पानी में निकाल कर बाहर आ गयीं एकदम नंगी, और मेरे कपड़ों के पास ही अपने कपड़े सूखने के लिए डाल दिए.

आइशा ने आगे बढ़कर मेरी टावल खींच दी, फिर बड़े प्यार से मेरे सीने पर हाथ टिका कर मुझे सोफे पर धकेल दिया और मेरे बगल में आकर बैठ गयी, मेरे बालों से भरे सीने पर हाथ फेरते हुए मेरे होठ चूसने लगी.

उधर शाकीना मेरी टाँगों के बीच आकर अपने मनपसंद खिलोने के साथ खेलने लगी, आईशा की बड़ी-2 मुलायम गोल-2 चुचियाँ मेरे बाजू से रगड़ रही थी.

मैने भी अपना हाथ सरका कर उसकी चूत पर पहुँचा दिया और उसको मुट्ठी में कस लिया.

वो मेरे होठ छोड़कर मदहोशी में कराह उठी…आअहह…. नाहहिईिइ…उईईई….आमम्म्मि… क्या करते हूऊ…
उफफफ्फ़…नहियिइ…. मत..कारूव..ना..प्लसस्स…हाईए…अल्लहह…मारीइ..

मेरा एक हाथ उसकी चुचि को मसल्ने में व्यस्त था.. वो अब अपनी गान्ड उठा-2 कर अपनी रस छोड़ती चूत को मेरे शरीर से रगड़ने लगी.

शाकीना ने मेरे लंड को अपनी चुचियों के बीच में लेकर टिट फक्किंग देने लगी, और उपर मे आईशा के चुचे मुँह में लेकर चूस रहा था.

कुछ देर टिट फक्किंग करने के बाद उसने लंड मुँह ले लिया और कुलफी तरह चूसने लगी,

मज़े में मेरी आँखें बंद होने लगी, लंड और ज़्यादा कड़क होकर स्टील की रोड के माफिक सख़्त हो गया.

मैने फ़ौरन शाकीना के मुँह को अपने लंड से दूर किया और आइशा को सोफे पर डाल कर उसकी चूत को चाटने लगा, वो अपनी कमर को उचका-2 कर मेरे मुँह पर घिसने लगी.

उसकी टाँगें मैने अपनी गांघों पर रखी जिससे चूत और उभर आई,

फिर देर ना करते हुए उसकी नयी कोरी चूत की फाँकें खोली और अपना अपना मूसल उसके छेद पर रख कर थोड़ा सा दबा दिया, जिससे मेरा सुपाडा उसकी रसीली चूत में गायब हो गया.

उसके हलक से एक दर्द भरी कराह फुट पड़ी, शाकीना ने उसके होठों को अपने मुँह में भर लिया, वो दोनो एक दूसरे को किस करने लगी और मौका देख कर मैने एक करारा झटका अपनी कमर को मार दिया.
 
  • Like
Reactions: netsunil and Rahul
Top