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Update 115
मेरा तीन-चौथाई लंड उसकी चूत की झिल्ली को तोड़ता हुया अंदर घुस गया, मुझे मेरे लंड पर गरम-2 सा महसूस हुआ, जब देखा तो उसकी चूत से खून आकर मेरे लंड को रंग रहा था.
शाकीना ने उसके होठ पूरी तरह जकड रखे थे, तो दर्द की वजह से वो मुँह ही मुँह में गॉंगो सी आवाज़ें ही आ पा रही थी, उसकी आँखों के कोरे से पानी बहने लगा.
मैं थोड़ा रुक-कर उसके कड़क हो चुके निपल को मुँह में लेकर चूसने लगा, और दूसरे को अंगूठे से दबा कर रगड़ दिया.
कुछ देर बाद उसकी कमर में हलचल हुई, तो मैने हल्के-2 धक्के लगाना शुरू कर दिया.
अब मैने शाकीना को अपने मुँह के सामने खड़ा कर लिया और जीब से उसकी चूत चाटने लगा और साथ-2 धक्के भी लगाता जा रहा था, शा नीचे से अपने मुँह से अनप शनाप बकती जा रही थी और अपनी कमर को भी चला रही थी.
फिर मैने एक फाइनल शॉट मार कर पूरा लंड उसकी कोरी करारी चूत में ठूंस दिया.
आह्ह्ह्ह…अम्मिईिइ…हाईए…अममाआ…रीइ…मररर.. गाइिईई…
लेकिन कुछ ही धक्कों में वो फिर से कमर उचका-2 कर चुदाई का मज़ा लेने लगी, इधर मेरे सामने खड़ी शाकीना अपनी चूत को मेरे मुँह पर रगड़ रही थी, मज़े में हम तीनों ही सराबोर थे.
10 मिनट की चुदाई के बाद आईशा की चूत पानी छोड़ने लगी और वो हाए-2 करती हुई झड गयी..
अब हम सोफे से उठकर बेड पर आ गये, शाकीना को मैने पलंग पर घोड़ी बना दिया, और उसकी गान्ड पर थपकी लगा कर पीछे से उसकी रसीली चूत में अपने लंड डाल दिया…
एक बार झड़ी हुई उसकी चूत धीरे-धीरे करके पूरा लंड निगल गयी.
आइशा को अपने बाजू में घुटनो पर खड़ा करके उसके होठों को चूस्ते हुए…मैने अपने धक्के शाकीना की चूत में लगाने शुरू कर दिए..
वो हाईए…अल्लहह….करती हुई चुदने लगी, कुछ ही धक्कों में वो अपनी गान्ड को मेरे लंड पर पटक-पटक कर चुदाई का लुफ्त लेने लगी...
शाकीना की गान्ड जब मेरी जांघों पर पड़ती तो थप-2 करके उसकी गोल-गोल उभरी हुई गान्ड से टकरा रही थी. ऐसा लगता था मानो टेबल पर थाप पड़ रही हो.
इधर आईशा के होठ चूस्ते हुए मैने अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में पेल दी…
वो अपनी गान्ड मटकाते हुए , मेरी उंगलियों से अपनी चूत को चुदवाने लगी….
हम तीनों को ही बहुत मज़ा आरहा था…चोदते-2 मैने एक तूफ़ानी धक्का लगा दिया जिससे शाकीना बॅलेन्स नही बना सकी और वो औंधे मुँह पलंग पर गिर पड़ी…
मैने उसी पोज़िशन में अपना लंड उसकी चूत में डाले हुए अपना गाढ़ा-गाढ़ा पानी उसकी चूत में भर दिया…
उधर शाकीना भी मेरे वीर्य की गर्मी अपनी चूत की गहराइयों में पाकर भल्भलाकर झड़ने लगी…..
धुआँधार चुदाई के दौर के बाद मे, शाकीना के बगल में लेट कर अपनी साँसों को संयत करने लगा…
अभी दो मिनट भी नही हुए थे, कि आईशा मेरा लॉडा फिर से चूसने लगी… ढीला पड़ा हुआ मेरा शेर उसके मुँह की लज़ीज़, लज़्ज़त भरी गर्मी से फिर से सर उठाने लगा…
और कुछ ही मिनटों में वो फिर से अपनी पुरानी अदाएँ बिखेरने लगा…
आइशा को पलंग पर पटक कर मैने अपना मूसल एक झटके से आईशा की ताजी चुदि चूत में पेल दिया, इतने पवरफुल स्ट्रोक के बाद भी वो पूरा उसकी चूत में नही घुस पाया.
आइशा की एक तेज चीक्ख निकल गयी, लेकिन अब मैने रहम नही किया और एक और धक्का मार कर पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और धक्का-पेल चुदाई शुरू कर दी.
मेरी ताबड-तोड़ चुदाई से आईशा बिल-बिलाने लगी, लेकिन थोड़ी सी ही देर में उसे भी मज़ा आने लगा, और वो भी गान्ड उच्छाल-उच्छालकर चुदने लगी.
20-25 मिनट की चुदाई से वो दो बार झड गयी, फिर अंत में मैने भी उसकी सुखी खेती की अपनी तेज पिचकारी से सिंचाई कर दी….
उसकी पैर की एडीया मेरी गान्ड के इर्द-गिर्द कस गयी और मुझे उसने उपर की ओर ठेल दिया.
मे दो-दो चुतो की गर्मी निकालते-2 पस्त हो गया था, सो आईशा के उपर ही पड़ा रह गया अपने लंड को उसकी चूत में डाले ही.
जब 5 मिनट के बाद मैने अपना लंड बाहर निकाला तो ढेर सारा रॉ मेटीरियल भलल-2 करके उसकी चूत ने फेंक दिया, और रसते-2 उसकी गान्ड से होते हुए पलंग की चादर को गीला करने लगा.
हम तीनो ही बहुत देर तक एक दूसरे ले लिपटे पड़े रहे. आधे घंटे के बाद उठे, फिर साथ में ही बाथरूम में जाकर नहाए एक दूसरे को साफ कर कर के.
तब तक हमारे कपड़े कुछ पहनने लायक हो चुके थे, सो कपड़े पहने और दूसरे टीम मेंबर को फोन लगाया.
नीचे जाकर एक साथ बैठ कर खाना खाया, अकरम को छोड़ कर वाकी सभी खुश दिख रहे थे, मैने आईशा के कान में बोला, कि अब तो तुम उसको घास डाल सकती हो, देखो वो अकेला ही बेचारा दुखी सा बैठा दिख रहा है.
कुछ देर तो वो आना-कानी करती रही लेकिन कुछ सोच कर उसने हामी भर दी.
खाना खाने के बाद मैने अकरम और आईशा को एक रूम में भेज दिया और
शाकीना मेरे साथ आ गयी. सोने से पहले एक बार और मैने शाकीना की चुदाई की और फिर सो गये…..!
दूसरी सुबह रूम सर्विस चाइ के साथ अख़बार दे गया था, मैने अख़बार शाकीना की ओर बढ़ा दिया वो उसे पढ़ने लगी, आज की हेडलाइन ही फ़ौजियों की किल्लिंग से थी, जिसमें फोटो के साथ-साथ बड़ी सी न्यूज़ दी गयी थी.
दूसरे कॉलम में उसका पोस्टमार्टम किया था कि ये कॉन और क्यों करना चाहता है ?
न्यूज़ के हिसाब से फौज की कारगुजारियाँ दहशतगर्दों के साथ मिलकर जो पीओके में चल रही हैं, उससे अवाम में नाराज़गी बढ़ती जा रही है.
जो मेरा मकसद था वो शुरू हो चुका था, अब देखना था कि आनेवाले समय में अवाम का रुख़ क्या होता है.
अख़बार ने तो यहाँ तक लिख दिया था, कि अगर हालात नही सुधरे तो हो सकता है कि अवाम में बग़ावत के सुर तेज होने लगें.
लेकिन ये किसने किया है, ऐसा कोई सुराग अभी तक नही मिला है, फौज पागल कुत्तों की तरह उन लोगों को ढूँढ रही है, उम्मीद जताई गयी थी, कि वो जल्दी ही गिरफ़्त में होंगे.
मे न्यूज़ सुनकर मन ही मन मुस्करा उठा…!
हम और आगे बढ़ना चाहते थे, लेकिन ये वारदात होने के बाद पूरे इलाक़े में फ़ौजी गतिविधिया तेज होने के चान्स बढ़ गये थे, सो अब लौटने का ही फ़ैसला लिया.
ब्रेकफास्ट ले कर हम लोग वहाँ से निकल पड़े और अपने घर की ओर लौट लिए.
लेकिन लौटते वक़्त हमने पहले वाला रास्ता नही लिया और थोड़ा घूम कर और उत्तरी साइड को निकले जो हमें अपने घर तक पहुँचने में 50-60 केयेम ज़्यादा लगने वाला था.
आज मौसम खुला हुआ था, कहीं-2 बदली आ जाती थी और अपनी छाया बिखेर कर चली जाती.
वातावरण में हल्की उमस पैदा हो गयी थी…
मेरा तीन-चौथाई लंड उसकी चूत की झिल्ली को तोड़ता हुया अंदर घुस गया, मुझे मेरे लंड पर गरम-2 सा महसूस हुआ, जब देखा तो उसकी चूत से खून आकर मेरे लंड को रंग रहा था.
शाकीना ने उसके होठ पूरी तरह जकड रखे थे, तो दर्द की वजह से वो मुँह ही मुँह में गॉंगो सी आवाज़ें ही आ पा रही थी, उसकी आँखों के कोरे से पानी बहने लगा.
मैं थोड़ा रुक-कर उसके कड़क हो चुके निपल को मुँह में लेकर चूसने लगा, और दूसरे को अंगूठे से दबा कर रगड़ दिया.
कुछ देर बाद उसकी कमर में हलचल हुई, तो मैने हल्के-2 धक्के लगाना शुरू कर दिया.
अब मैने शाकीना को अपने मुँह के सामने खड़ा कर लिया और जीब से उसकी चूत चाटने लगा और साथ-2 धक्के भी लगाता जा रहा था, शा नीचे से अपने मुँह से अनप शनाप बकती जा रही थी और अपनी कमर को भी चला रही थी.
फिर मैने एक फाइनल शॉट मार कर पूरा लंड उसकी कोरी करारी चूत में ठूंस दिया.
आह्ह्ह्ह…अम्मिईिइ…हाईए…अममाआ…रीइ…मररर.. गाइिईई…
लेकिन कुछ ही धक्कों में वो फिर से कमर उचका-2 कर चुदाई का मज़ा लेने लगी, इधर मेरे सामने खड़ी शाकीना अपनी चूत को मेरे मुँह पर रगड़ रही थी, मज़े में हम तीनों ही सराबोर थे.
10 मिनट की चुदाई के बाद आईशा की चूत पानी छोड़ने लगी और वो हाए-2 करती हुई झड गयी..
अब हम सोफे से उठकर बेड पर आ गये, शाकीना को मैने पलंग पर घोड़ी बना दिया, और उसकी गान्ड पर थपकी लगा कर पीछे से उसकी रसीली चूत में अपने लंड डाल दिया…
एक बार झड़ी हुई उसकी चूत धीरे-धीरे करके पूरा लंड निगल गयी.
आइशा को अपने बाजू में घुटनो पर खड़ा करके उसके होठों को चूस्ते हुए…मैने अपने धक्के शाकीना की चूत में लगाने शुरू कर दिए..
वो हाईए…अल्लहह….करती हुई चुदने लगी, कुछ ही धक्कों में वो अपनी गान्ड को मेरे लंड पर पटक-पटक कर चुदाई का लुफ्त लेने लगी...
शाकीना की गान्ड जब मेरी जांघों पर पड़ती तो थप-2 करके उसकी गोल-गोल उभरी हुई गान्ड से टकरा रही थी. ऐसा लगता था मानो टेबल पर थाप पड़ रही हो.
इधर आईशा के होठ चूस्ते हुए मैने अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में पेल दी…
वो अपनी गान्ड मटकाते हुए , मेरी उंगलियों से अपनी चूत को चुदवाने लगी….
हम तीनों को ही बहुत मज़ा आरहा था…चोदते-2 मैने एक तूफ़ानी धक्का लगा दिया जिससे शाकीना बॅलेन्स नही बना सकी और वो औंधे मुँह पलंग पर गिर पड़ी…
मैने उसी पोज़िशन में अपना लंड उसकी चूत में डाले हुए अपना गाढ़ा-गाढ़ा पानी उसकी चूत में भर दिया…
उधर शाकीना भी मेरे वीर्य की गर्मी अपनी चूत की गहराइयों में पाकर भल्भलाकर झड़ने लगी…..
धुआँधार चुदाई के दौर के बाद मे, शाकीना के बगल में लेट कर अपनी साँसों को संयत करने लगा…
अभी दो मिनट भी नही हुए थे, कि आईशा मेरा लॉडा फिर से चूसने लगी… ढीला पड़ा हुआ मेरा शेर उसके मुँह की लज़ीज़, लज़्ज़त भरी गर्मी से फिर से सर उठाने लगा…
और कुछ ही मिनटों में वो फिर से अपनी पुरानी अदाएँ बिखेरने लगा…
आइशा को पलंग पर पटक कर मैने अपना मूसल एक झटके से आईशा की ताजी चुदि चूत में पेल दिया, इतने पवरफुल स्ट्रोक के बाद भी वो पूरा उसकी चूत में नही घुस पाया.
आइशा की एक तेज चीक्ख निकल गयी, लेकिन अब मैने रहम नही किया और एक और धक्का मार कर पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और धक्का-पेल चुदाई शुरू कर दी.
मेरी ताबड-तोड़ चुदाई से आईशा बिल-बिलाने लगी, लेकिन थोड़ी सी ही देर में उसे भी मज़ा आने लगा, और वो भी गान्ड उच्छाल-उच्छालकर चुदने लगी.
20-25 मिनट की चुदाई से वो दो बार झड गयी, फिर अंत में मैने भी उसकी सुखी खेती की अपनी तेज पिचकारी से सिंचाई कर दी….
उसकी पैर की एडीया मेरी गान्ड के इर्द-गिर्द कस गयी और मुझे उसने उपर की ओर ठेल दिया.
मे दो-दो चुतो की गर्मी निकालते-2 पस्त हो गया था, सो आईशा के उपर ही पड़ा रह गया अपने लंड को उसकी चूत में डाले ही.
जब 5 मिनट के बाद मैने अपना लंड बाहर निकाला तो ढेर सारा रॉ मेटीरियल भलल-2 करके उसकी चूत ने फेंक दिया, और रसते-2 उसकी गान्ड से होते हुए पलंग की चादर को गीला करने लगा.
हम तीनो ही बहुत देर तक एक दूसरे ले लिपटे पड़े रहे. आधे घंटे के बाद उठे, फिर साथ में ही बाथरूम में जाकर नहाए एक दूसरे को साफ कर कर के.
तब तक हमारे कपड़े कुछ पहनने लायक हो चुके थे, सो कपड़े पहने और दूसरे टीम मेंबर को फोन लगाया.
नीचे जाकर एक साथ बैठ कर खाना खाया, अकरम को छोड़ कर वाकी सभी खुश दिख रहे थे, मैने आईशा के कान में बोला, कि अब तो तुम उसको घास डाल सकती हो, देखो वो अकेला ही बेचारा दुखी सा बैठा दिख रहा है.
कुछ देर तो वो आना-कानी करती रही लेकिन कुछ सोच कर उसने हामी भर दी.
खाना खाने के बाद मैने अकरम और आईशा को एक रूम में भेज दिया और
शाकीना मेरे साथ आ गयी. सोने से पहले एक बार और मैने शाकीना की चुदाई की और फिर सो गये…..!
दूसरी सुबह रूम सर्विस चाइ के साथ अख़बार दे गया था, मैने अख़बार शाकीना की ओर बढ़ा दिया वो उसे पढ़ने लगी, आज की हेडलाइन ही फ़ौजियों की किल्लिंग से थी, जिसमें फोटो के साथ-साथ बड़ी सी न्यूज़ दी गयी थी.
दूसरे कॉलम में उसका पोस्टमार्टम किया था कि ये कॉन और क्यों करना चाहता है ?
न्यूज़ के हिसाब से फौज की कारगुजारियाँ दहशतगर्दों के साथ मिलकर जो पीओके में चल रही हैं, उससे अवाम में नाराज़गी बढ़ती जा रही है.
जो मेरा मकसद था वो शुरू हो चुका था, अब देखना था कि आनेवाले समय में अवाम का रुख़ क्या होता है.
अख़बार ने तो यहाँ तक लिख दिया था, कि अगर हालात नही सुधरे तो हो सकता है कि अवाम में बग़ावत के सुर तेज होने लगें.
लेकिन ये किसने किया है, ऐसा कोई सुराग अभी तक नही मिला है, फौज पागल कुत्तों की तरह उन लोगों को ढूँढ रही है, उम्मीद जताई गयी थी, कि वो जल्दी ही गिरफ़्त में होंगे.
मे न्यूज़ सुनकर मन ही मन मुस्करा उठा…!
हम और आगे बढ़ना चाहते थे, लेकिन ये वारदात होने के बाद पूरे इलाक़े में फ़ौजी गतिविधिया तेज होने के चान्स बढ़ गये थे, सो अब लौटने का ही फ़ैसला लिया.
ब्रेकफास्ट ले कर हम लोग वहाँ से निकल पड़े और अपने घर की ओर लौट लिए.
लेकिन लौटते वक़्त हमने पहले वाला रास्ता नही लिया और थोड़ा घूम कर और उत्तरी साइड को निकले जो हमें अपने घर तक पहुँचने में 50-60 केयेम ज़्यादा लगने वाला था.
आज मौसम खुला हुआ था, कहीं-2 बदली आ जाती थी और अपनी छाया बिखेर कर चली जाती.
वातावरण में हल्की उमस पैदा हो गयी थी…