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Incest My Life @Jindgi Ek Safar Begana ( Action , Romance , Thriller , Adult) (Completed)

This story is...........


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Rahul

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Rahul

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wonderfull update bhaiya ji maja aa gawa bhai ab time se update dete rahna:bat:
 
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Bixb

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Update 79
वहीं निशा अपने सामने खड़े एक नकाब पोश को देख कर हैरान परेशान थी, जो अब उसके बंधन खोल रहा था.

बंधन खुलते ही निशा अपनी बहन की ओर दौड़ी, और उससे लिपटकर फुट-फूटकर रोने लगी.

जल्दी से मेरी रस्सी खोलो निशा, ये वक़्त रोने का नही है मेरी बेहन.

ट्रिशा ने जब उसको कहा, तब उसको परिस्थिति का भान हुआ और वो उसकी रस्सी खोलने लगी.

तब तक उस नकाब पोश ने भानु के उपर लात घूँसों की बारिस सी कर रखी थी, 5 मिनट की धुलाई में ही वो चीखने चिल्लाने की स्थिति में भी नही था.

अधमरा सा भानु, हिलने डुलने के काबिल भी नही रहा.

ट्रिशा उसके पास पहुँची और उसके मुँह पर थूक कर बोली - हरजादे मैने तुझे चेताया था, क्यों अपनी शामत बुला रहा है,

लेकिन अपने घमंड के नशे में चूर, तू ये भी भूल गया कि, इस देश के रक्षकों पर हाथ नही डालना चाहिए.

फिर वो पलट कर अपने रहनुमा, अपने रक्षक उस नकाब पोश के सीने से लग कर फुट-फुट कर रो पड़ी.

ये देख कर निशा की आँखें चौड़ी हो गयी, वो ये नही समझ पारही थी, कि मरियादा की प्रतिमूर्ति उसकी बड़ी बेहन किसी गैर मर्द के सीने से कैसे लिपट कर रो रही है.

फिर उस नकाब पोश ने ट्रिशा के सर पर हाथ रख कर उसे चुप कराया और कुछ इशारा किया जिसे ट्रिशा ने समझ लिया और अपने-आप को कंट्रोल करके अपनी बेहन के फटे कपड़ों को एक गुंडे का गम्छा लेकर ढकने लगी.

नकाब पोश ने भानु की मुश्क कस दी और उसे अपने कंधे पर लाद कर बाहर निकल आया, दोनो बहनें उसके पीछे -2 लगभग दौड़ती हुई चल रही थी..!

बाहर का नज़ारा और भी ज़्यादा भिभत्स था,

सारे गुंडे मरे पड़े थे, सूरज का तो गला ही रेत दिया था एक तेज धार खंजर से.

निशा ये खौफनाक मंज़र देख ना सकी, और डर के मारे अपनी बड़ी बेहन से लिपट गयी.

वहाँ बाहर खड़ी गाड़ी में भानु के बेहोश शरीर को पटका और ट्रिशा के कान में कुछ कहा जो निशा सुन नही पाई,

वो उसे कोतवाली लेकर चली गयी, और वो नकाबपोश निशा का हाथ पकड़ कर वहाँ खड़ी दूसरी गाड़ी की तरफ लपका...!
एसपी ट्रिशा अपनी नाइट ड्रेस में ही थी, वो अपने ऑफीस ना जाकर सीधी उस थाने में पहुँची जहाँ से ये वाकीया शुरू हुआ था,

गाड़ी को गेट पर खड़ा छोड़ कर वो धड़ धडाती हुई अंदर दाखिल हुई.

नाइट ड्रेस में अपनी एसपी को देख कर थाने का पूरा स्टाफ चोंक पड़ा, और उसको गुस्से में देख कर तो सभी में हड़कंप मच गया…

लेकिन फिर भी उन्होने उसे सल्यूट किया, जिसका वो जबाब देती हुई लगभग चीखती हुई दाहडी, यादव, निर्मल कहाँ हो तुम लोग ?

वो दोनो दौड़ते हुए उसके सामने आए, और सल्यूट मार कर बोले- यस मेडम.

ट्रिशा – निर्मल ! बाहर गाड़ी में एक मुजरिम पड़ा है उसको अंदर लाकर हवालात में डालो फ़ौरन.

निर्मल दो सिपाहियों को लेकर बाहर की ओर दौड़ा, और जैसे ही उन्होने भानु को घायल अवस्था में गाड़ी में पड़ा पाया,

वो भोंचक्के रह गये, फिर कुछ सम्भल कर अपने ऑफीसर के आदेश पालन किया.

उन्होने घायल और अर्ध बेहोश भानु के शरीर को हवालात में लाकर पटक दिया…

फिर वो यादव से बोली - इस कुख्यात मुजरिम का ध्यान रखना यादव !, कोई भी कितना ही उपर से प्रेशर आए, छोड़ना नही है,

अगर तुमने इसे छोड़ने के बारे में सोचा भी, तो पहले ही सोचलेना, उसका अंजाम तुमहरे लिए क्या हो सकता है.

फिर वो निर्मल को लेकर ऑफीस के अंदर चली गयी और किसी को भी अंदर ना आने देने को ताकीद की,

कुछ देर तक वो उसे कुछ समझाती रही और फिर अपने घर की ओर चल पड़ी.

उधर निशा रास्ते भर उस नकाब पोश को ही घुरती रही, लेकिन उस नकाब पोश ने एक बार भी उसकी ओर आँख उठा कर भी नही देखा.

जब घर आ गया तो उसने गाड़ी वहीं बाहर खड़ी की और निशा को अंदर जाने का इशारा किया.

जब वो कुछ देर तक भी अपनी जगह से नही हिली, तो उसने उसकी आँखों में गुस्से से देखा और गुर्रा कर कहा- सुना नही तुमने ? अंदर जाओ..!

वो किसी कठपुतली की तरह गाड़ी से उतर कर घर के अंदर चली गयी जहाँ उसके माता-पिता अभी भी बाहर से बंद थे.

बाहर से दरवाजा खोलकर वो जैसे ही अंदर पहुँची, उसे देखते ही उन्होने उसे गले से लगा लिया, फिर उन्होने उसके उपर सवालों की झड़ी सी लगा दी, जिनके सारे जबाब उस बेचारी के पास भी नही थे.

उधर उस नकाब पोश ने निशा के उतरते ही गाड़ी को आगे बढ़ा दिया और करीब 1किमी दूर ले जाकर एक सुनसान से रास्ते पर खड़ा करके वापस पैदल ट्रिशा के घर की ओर चल दिया.

अभी वो उसके गेट पर पहुँचा ही था कि ट्रिशा भी आ पहुँची, दोनो बाहर ही मिल गये, और एक दूसरे से लिपट गये,

कुछ देर लिपटे रहने के बाद उन्हें लगा कि यहाँ कोई देख ना ले, तो वो अंदर को बढ़ गये.

अंदर निशा अपने मम्मी पापा के साथ सोफे पर बैठ कर अपनी आप बीती कह रही थी, साथ-2 सूबकती भी जा रही थी कि तभी ट्रिशा उस नकाब पोश के साथ अंदर दाखिल हुई.

उसे देख कर वो तीनो लपक कर उससे लिपट गये, और उससे सवाल जबाब करने लगे.

तभी निशा बोल पड़ी, दीदी ये हमारा रक्षक कॉन है ? जो आज अगर ये समय पर नही पहुँचता तो भगवान ना करे क्या अनर्थ हो जाता.

उसके मम्मी पापा भी सवालिया नज़रों से उसकी ओर देखने लगे.

ट्रिशा उस नकाब पोश से मुखातिब हुई - अब ये घूँघट हटा भी दो जानेमन..

पहले तो ट्रिशा के इस तरह बोलने पर वो तीनो अवाक रह गये,

फिर जब उसके चेहरे से नकाब हटा, तो वो उछल ही पड़े,

निशा तो खुशी के मारे अपने जीजू के गले से लिपट ही गयी, और देखते-2 ताबड-तोड़ 3-4 किस भी जड़ दिए अपने प्यारे जीजू के थोबडे पर.

मैने ट्रिशा को कहा - वाकी सब कुछ बाद में, तुम मेरे साथ आओ और हाँ साथ में अपना लॅपटॉप भी लेलो..

ट्रिशा मौके की नज़ाकत को समझ कर फ़ौरन अपना लॅपटॉप लेकर मेरे साथ लपकी, हम दोनो उसके बेडरूम में आकर बैठ गये,

मैने उसे कहा - फटाफट अपने लोगों को बोलकर, हॉल के बाहर जितनी भी लाशें पड़ी हैं उनको वहाँ से ठिकाने लगवा दो फ़ौरन.

ट्रिशा - वो में ऑलरेडी निर्मल को बोल चुकी हूँ. अब तक तो उठ भी गयी होंगी.

मे - गुड ! स्मार्ट बेबी ! यॅ..!

ट्रिशा - आख़िर बीबी किसकी हूँ, लेकिन आप ये तो बताओ कि यहाँ पहुँचे कैसे..??

मे - अभी इन बताओं का समय नही है, पहले हमें एक रिपोर्ट बनाके सेंट्रल होम मिनिस्ट्री को भेजनी है वित सीसी टू स्टेट होम अफेर्स.

मैने अपने मोबाइल को लॅपटॉप में कनेक्ट किया, तो उसने पुछा- इसमें क्या है ?

मैने कहा- उस हॉल का प्रूफ है, कि किस तरह भानु के द्वारा एक एसपी को बंधक बनाया गया, और उसका रेप करने की कोशिश की गयी.

ट्रिशा - क्या..? ये कब किया आपने..?

मैने मुस्कराते हुए कहा - अटॅक से पहले..! और एक चीज़ हमेशा ध्यान में रखो, कभी भी गुस्से में भी दिमाग़ का इस्तेमाल बंद नही होना चाहिए..!

ट्रिशा - ब्रिलियेंट जानू ! यू रियली सच आ वोंडरफुल्ल कॉप..!

मे - थॅंक्स बेबी ! ये कहकर मैने उसके होठों को चूम लिया ! वो खुश हो गयी.

अब हमारा ध्यान रिपोर्ट बनाने में था, 5-6 पेज की फुल प्रूफ रिपोर्ट एक छोटी सी वीडियो क्लिप के साथ सेंटरल होम मिनिस्ट्री को मैल कर दी,

स्टेट होम सेक्रेटरी को सीसी में और एनएसए को बीसीसी में रख दिया .

रिपोर्ट भेजने के बाद अब मेरा काम था एनएसए चौधरी को इम्मीडियेट इनफॉर्म करना,

सो मैने ट्रिशा को चाइ नाश्ते का बंदोबस्त करने के बहाने बाहर टरका दिया और चौधरी साब को कॉल लगा दी.

जब कॉल रिसीव हुई तो मैने मैल का हवाला देते हुए, उन्हें पूरी घटना मुँह जवानी बयान करदी, और रिक्वेस्ट की, कि भानु किसी भी हालत में अब जैल से बाहर नही आना चाहिए कम से कम कुछ दिनो के लिए.

वो भी शायद ऑन लाइन होकर रिपोर्ट देख रहे थे,

मैने आयेज कहा - सर ! स्टेट गवर्नमेंट उसका फुल सपोर्ट में रहेगी, तो उन्होने कहा – यू डॉन’ट वरी अरुण !

ये मामला ही ऐसा है कि अब स्टेट के भी तोते उड़ जाएँगे, और अब अगर उन्होने उसे बचाने की कोशिश की तो उंगली सीधी उनकी क़ानून व्यवस्था पर ही उठेगी.

फिर मैने उन्हें पुराना प्रॉमिस याद दिलाया, और कहा- सर मैने आपसे एक रिक्वेस्ट की थी, शायद आपके ध्यान से निकल गयी होगी..

चौधरी - कोन्सि रिक्वेस्ट.. ?

मे - सर वो ट्रिशा मेरी पत्नी के गुजरात पोस्टिंग वाली..!

चौधरी - ओह ! हां सॉरी, मे बिल्कुल भूल ही गया था, अच्छा हुआ तुमने रिमाइंड करा दिया,

यू डॉन’ट वरी, मे आज ही होम मिनिस्ट्री में जाके पर्षनली ये दोनो काम करवाता हूँ, ..

फिर कुछ रुक कर वो बोले - अरे हां ! याद आया.. ! मैने वो बात चलाई थी, दो दिन पहले ही होम सेकेट्री ने मुझे बताया भी था.

एक एसीपी तुम्हारे ही शहर का चेंज ओवर लेना चाहता है, तो तुम्हारी ट्रिशा को प्रमोशन के साथ भिजवा देते हैं वहाँ..!

मैने पुछा - वैसे कितने दिन लग सकते सर इस काम में.

चौधरी - ज़्यादा समय तो नही लगना चाहिए मेरे हिसाब से, मे जल्दी ही बताता हूँ तुम्हें ओके.

मे - थॅंक यू वेरी मच सर , फॉर युवर काइंड सपोर्ट.

चौधरी - अरे तुम्हें थॅंक यू कहने की ज़रूरत नही है बेटे,

तुम नही जानते तुम्हारे कामों की सफलता की वजह से मेरा कितना सीना चौड़ा रहता है पूरे सचिवालय में.

खुद पीएम तुम्हारे गुण गाते नही थकते.

चलो अब में फोन रखता हूँ, और तुम्हारे काम के लिए निकलता हूँ. ओके बाइ.

मे - बाइ सर, आंड थॅंक्स वन्स अगेन.

मैने अभी कॉल बंद ही किया था कि ट्रिशा चाइ और साथ में कुछ नाश्ता लेकर आ गई, तो मैने कहा –

चलो वहीं बाहर बैठ कर सबके साथ चाइ पे चर्चा करते हैं. लेकिन उससे पहले एक खुश खबरी सुनलो.

वो मेरी ओर सवालिया नज़रों से देखने लगी, मैने कहा अब तुम एसपी नही रही..!

वो बोली – तो फिर..?

मे - अरे भाई अब तुम एसीपी बन जाओगी..!

वो - क्या..? सच में..! आपसे किसने कहा..?

मे - काले छोरे ने..! और हां उसने ये भी कहा है कि तुम्हारा ट्रान्स्फर भी हमारे शहर में ही मिल जाएगा.

वो अविश्वास भरे लहजे में बोली - आप बना रहे हो मुझे..! पोलीस डिपार्टमेंट की बातें आपको कैसे पता ?

मे - तुम्हारे डिपार्टमेंट के पापा ने ही मुझे बताया है..!

वो - डिपार्टमेंट के पापा मतलब ??

मे - होम मिनिस्ट्री से तुम्हारा ट्रान्स्फर कम प्रमोशन लेटर निकलने वाला है,
अब अतिशीघ्र तुम सब लोग अपने बोरिया बिस्तरा गोल करो और मेरे साथ उड़ चलो मेरे देश, मेरे गाँव..! मेरी छमक्छल्लो..!

इतना कहकर मैने उसको कस कर लपेट लिया अपने बाजुओं में, और अपना सारा प्यार उसके होठों पर उडेल दिया.

वो भी किसी अमरबेल की तरह मेरे आगोश में समा गयी, और मेरे बालों भरे सीने पर एक प्यारा सा चुंबन जड़ दिया…
अभी हम सब सोफे पर बैठे, चाइ नाश्ते का ज़ायक़ा ले ही रहे थे, कि ट्रिशा के ऑफीस से फोन आ ही गया,

कमिशनर वहाँ उसका इंतजार कर रहे थे,

भानु प्रताप जैसे आदमी को अरेस्ट कर लिया जाए, वो भी उसी की सल्तनत में और बात उपर तक ना पहुँचे, ये तो मुमकिन ही नही था.

यादव जैसे चाटुकार भरे जो पड़े हैं इस देश के सिस्टम में.

मैने कहा - ये तो साला होना ही था, पर इतना जल्दी हो जाएगा, ये पता नही था. खैर कोई बात नही, देखते हैं इस कमिशनर को, क्या बोलता है.

मैने ट्रिशा को कोतवाली जाने के लिए बोल दिया और कहा कि कोई भी हो सिस्टम और क़ानून के हिसाब से तुम पीछे मत हटना, तुम्हें किसी भी तरह के प्रेशर में नही आना है…

कोई बड़ी बात नही कि राज्य के सीएम का भी दबाब आ जाए, और अब तुम्हें इस राज्य के किसी भी दबाब में नही आना है.

तुम बिंदास होकर ऑफीस जाओ, मे अभी आता हूँ, तुम्हारे पीछे-2.

वो आनन फानन में तैयार होकर अपने ऑफीस के लिए निकल गयी…

ट्रिशा को भेज कर मे एक बार फिर लॅपटॉप लेकर ऑनलाइन हो गया. रिपोर्ट वाले मैल पर एक जेंटल रिमाइंडर डाल कर आन्सर का वेट करने लगा.

अभी कोई 30 मिनट ही हुए होंगे कि रिप्लाइ आ गयी, साथ में ये कन्फर्मेशन भी आ गया, कि कुलपरीत के उपर उचित कार्यवाही की जाए.

ये सीधे आदेश सेंटर होम मिनिस्ट्री ने स्टेट को भेज दिए थे.

रिप्लाइ का प्रिंट आउट लेकर मे कोतवाली के लिए निकल पड़ा.

जब में वहाँ पहुँचा तो उस समय कमिशनर और ट्रिशा में तड़का-भड़की चल रही थी,

कमिशनर अपने सीनियर होने की धौंस दिखा कर भानु प्रताप को छोड़ने के लिए उस प्रेशर बना रहा था, जिसे ट्रिशा ने सिरे से खारिज़ कर दिया.

कमिश्नर- लुक मिसेज़ ट्रिशा शर्मा, तुम अभी नयी-2 एसपी जाय्न हुई हो अभी तुम्हारा कॅरियर शुरू भी नही हुआ है ठीक से,

मैने दुनिया देखी है. भानु प्रताप की ताक़त को पहचानो और उसे छोड़ दो, वैसे भी तुमने उनको बहुत नुक्शान पहुँचा दिया है, अब भगवान ही जाने तुम्हारा क्या होगा आने वाले कल में.

ट्रिशा अपने गुस्से पर काबू करते हुए बोली – मेरा जो होगा सो होगा, लेकिन उससे पहले में इस गुंडे को उसकी औकात दिखाकर ही रहूंगी…, चाहे आप मेरा सपोर्ट करो या ना करो…

कमिश्नर – मे तुम्हारा सीनियर होने के नाते ये ऑर्डर देता हूँ, कि तुम भानु प्रताप को अभी, इसी वक़्त रिहा करो…

ट्रिशा – और अगर मे आपके ऑर्डर को ना मानूं तो…?

कमिश्नर – मे अभी खड़े – 2 तुम्हें सस्पेन्ड कर सकता हूँ, लेकिन मे ये करना नही चाहता, इसलिए तुम्हें समझाने की कोशिश कर रहा हूँ,

भानु प्रताप जी इस शहर के एमएलए ही नही, प्रदेश की सरकार में इनकी बहुत उपर तक पहुँच भी है…

मे फिर कहता हूँ, इनकी ताक़त के आगे तुम कुछ भी नही हो…

मे चुप चाप खड़ा काफ़ी देर तक उन दोनो की बहस सुनता रहा लेकिन फिर मुझसे रहा नही गया उस भडवे कमिशनर के शब्द सुन कर और बीच में बोल पड़ा.

मे - मिस्टर. कमिशनर ! भानु जैसे गुंडे की ताक़त तो आप जैसे ऑफिसर्स हैं,
पोलीस चाहे तो कोई भानु पैदा ही ना हो पाए, एक न्यू ऑफीसर उसके खिलाफ खड़ी होना चाहती है,
वहीं उसका ऑफीसर उसकी बहादुरी की तारीफ करने की वजाय उसे डाउन करने की कोशिश कर रहा है, शेम ऑन यू कमिशनर.

कुछ देर कमिशनर मेरे चेहरे की ओर देखता रहा, फिर भड़क कर बोला - हू आर यू टू इंट्रप्ट माइ वर्क..? हाउ डेर यू टू टीच मी माइ ड्यूटी ?

मैने शांत लहजे में कहा - एक आम आदमी ! जो ये पुछने का अधिकार रखता है, कि जनता के सेवक हमारी हिफ़ाज़त कर भी रहे हैं या खाली दिखावा कर रहे हैं..? और भानु जैसे गुंडे की हिफ़ाज़त.

यही भानु कल को आपकी बहू-बेटी को उठा ले जाए और आपके सामने उसका रेप करने की कोशिश करे, तब आप क्या करेंगे..?

मेरी बात सुनकर कमिशनर के मुँह पर ताला चिपक गया..!

फिर आगे बोलते हुए मैने कहा - अभी-2 आपने जो भानु आरती गाते हुए उसे छोड़ने की बात कही थी, और एसपी साहिबा को धमकाया उसके बाहुबल को बखान करके, क्या ये सब लिख कर दे सकते हैं आप..? नही ना..!

कमिश्नर- तुम्हारी बात एकदम जायज़ है यंगमॅन, लेकिन हमारे हाथ बँधे हुए हैं, इन नेताओं के दबाब के कारण.

मे - तो इन्हें खोलिए..! कब तक बाँधे रखोगे ?

यकीन मानिए जिस दिन ये हाथ खुल गये, भानु जैसे गुण्डों को छिपने के लिए जगह कम पड़ जाएगी.

कमिश्नर - तुम समझ नही रहे हो, इस राज्य की पूरी सरकार इसके सपोर्ट में है..! अभी देखना कहाँ-2 से किसके-2 फोन आना शुरू हो जाएँगे.

मे - उसका इलाज़ भी हो चुका है, ये देखिए, अब उनके पुरखे भी नही बचा सकते इस गुंडे को,

एक एसपी के साथ रेप अटेंप्टेड करना खेल तमाशा नही है, ये बात इनको सिखा कर ही दम लेंगे हम.

कमिश्नर - वैसे आप हैं कॉन ? होम मिनिस्ट्री की रिपोर्ट देखते ही कमिशनर के स्वर बदल गये, अब तक जो तुम-2 कर रहा था अब वो आप बोलने लगा था.

मे - बताया तो था.. आम आदमी ! और आम आदमी चाहे तो कुछ भी कर सकता है.

ट्रिशा कमिशनर की हालत देख कर मंद-2 मुस्करा रही थी.

मैने फिर से कमिशनर को उकसाया.

आप सिर्फ़ अपने जूनियर्स के साथ खड़े रहिए फिर देखिए, कैसे राज्य की क़ानून व्यवस्था नही सुधरती ? फिर पब्लिक भी आपके साथ होगी.

अभी ये बातें हो ही रही थी कि तभी ऑफीस के फॅक्स पर स्टेट होम सीक्रेटरी के आदेश का फॅक्स आ गया,
yr bro story ki maa behen 1 kar di axha khasa english me chal rha tha hindi me update dene shuru ho gaye agr aisa hi krna tha to pehle se hi hindi me update dete ne bro ab q bich me hindi laa k patak diya
 

Iron Man

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UPDATE 97

मैने चारपाई पर साइड को खिसक कर जगह बनाई और बोला- अरे छोटी शेरनी कब आई ? आओ बैठो.

वो मेरे पास नीचे को पैर लटका कर बैठ गयी, मैने कहा- और सूनाओ आज मेरे पास कैसे आई.. कोई काम था..?

वो - काम तो आप आपा के ही करते हो, मेरी तो यहाँ कोई परवाह ही नही करता, छोटी हूँ ना इसलिए..!

मे उठ कर सिरहाने की ओर बैठ गया और बोला - अरे ! ये क्या कह रही हो तुम..?

आज इस घर में, मे हूँ ही तुम्हारी वजह से, और तुम कह रही हो कि मे तुम्हारी कोई परवाह नही करता…!

बोलो क्या करूँ मे तुम्हारे लिए..?

वो नज़र झुकाए ही बोली - आप आपा से कितना प्यार करते हैं, और मेरी ओर नज़र उठा के भी नही देखते, क्या मे इतनी बुरी दिखती हूँ..?

मे चोंक गया और बोला – आपा से प्यार करते हैं मतलब..? फिर उसकी ठोडी के नीचे हाथ लगा कर अपनी ओर उसका चेहरा करके बोला –

तुमसे ये किसने कहा कि तुम बदसूरत हो, सच कहूँ तो तुमसे ज़्यादा कमसिन और हसीन लड़की मैने आज तक नही देखी.

वो अभी भी नज़रें नही मिला रही थी, फिर भी झेन्प्ते हुए बोली – मैने आपा और आप दोनो को प्यार करते हुए देखा है, कल शाम को और रात को भी.

मे – क्या..? क्या देखा है तुमने..?

वो - सब कुछ..! और वो सब देखते हुए, ना जाने क्यों मुझे अपनी बड़ी बेहन से जलन सी हो रही थी.

मैने उसके चेहरे को अपने दोनो हाथों में ले लिया और उसकी आँखों में झाँकते हुए पुछा- तो अब तुम क्या चाहती हो..? जो तुम कहोगी मे वही करूँगा.

वो ज़मीन पर नज़रें गढ़ाए, झेंपती हुई बोली - मुझे भी मेरे हिस्से का प्यार चाहिए,

मैने उसके चेहरे को उपर करते हुए कहा – हिस्सा ऐसे माँगा जाता है..? नज़रें झुका कर…

मुझ पर तुम्हारा पहला हक़ है, और हक़ आँखों में आँखे डालकर लिया जाता है, ना कि झुका कर…

और रही बात तुम्हारे हिस्से की, तो बिल्कुल मिलेगा क्यों नही मिलेगा मेरी गुड़िया को उसके हिस्से का प्यार,

मे तो इसलिए पहल नही कर रहा था कि कहीं तुम ग़लत ना समझो मेरे प्यार को, वरना तुम तो मुझे पहले दिन से ही भा गयी थी.

ये कहकर मैने उसे खींच कर अपने सीने से लगा लिया, उसके कठोर 32 के उभार मेरे सीने में गढ़ने लगे.

उसने अपना चेहरा मेरे चौड़े कंधे में छुपा कर कहा- सच..!

मैने उसके अन्छुए पतले-2 सुर्ख रसीले लवो को चूम लिया और कहा- मुच.

शाकीना ! मेरी जान, तुम तो मेरे दिल का वो नगीना हो, जिससे हर किसी को नही दिखाया जाता, छुपा कर रखना होता है.

मेरी बात सुन कर वो मेरे सीने से लिपट गयी, अपनी मरमरी बाहों का घेरा मेरी पीठ पर कस लिया.

कुछ देर मैने उसे ऐसे ही लिपटे रहने दिया, फिर उसके कंधे पकड़ कर अलग किया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा-

लेकिन पहली बार प्यार में कुछ कुर्बनिया देनी होती है, उसके लिए तैयार हो.

वो - हां ! मुझे पता है, पहली बार तो सबको ही देनी पड़ती हैं, तो मे क्यों नही, फिर आप जैसा समझदार इंसान जब प्यार करे तो मुझे डरने की क्या ज़रूरत..!

उसकी सहमति जान मैने उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और उसके गाल पर अपनी खुरदूरी दाढ़ी रगड़ते हुए उसके कश्मीरी सेबों को सहला कर कहा-

तो फिर आज चलो जानवरों को लेकर वहीं झरने के पास, हम वहीं प्यार करेंगे.

मेरी बात से वो इतनी खुश हो गयी, कि मेरे चेहरे पर उसने अनगिनत चुंबन जड़ डाले…,

फिर मेरी गोद से उठ कर किसी चंचल हिरनी की तरह कुलाँचे भरती हुई घर के अंदर चली गयी अपनी आमी को बोलने की वो जानवरों को चराने जा रही है…

वो जल्दी से जल्दी उस स्वर्गीय आनंद को पाने की खुशी में , जिसकी झलक उसने अपनी बेहन को लेते हुए देखी थी,

और जिसकी झलक मात्र से ही अपनी मुनिया भिगो ली थी, उसने जानवरों को बाडे से निकाला और हांक दिया झरने वाले मैदान की तरफ…!

ये एक हरा-भरा घस्स का मैदान था, जिसके एक तरफ उँचे-2 घने पेड़ थे, फिर थोड़ा ढलान लिए हुए वो मैदान जिसके दूसरी ओर एक दम साफ नीले पानी की झील जैसी थी, जिसका पानी एक झरने से निकल कर जमा हो रहा था.

जहाँ पानी जमा हो रहा था उसकी गहराई कुछ ज़्यादा नही थी सीधे खड़े होने पर मेरे सीने तक आता,

अतिरिक्त पानी, एक पतली सी पत्थरीली नहर से अंदर जंगल में से होता हुआ नीचे के इलाक़ों में जा रहा था.

हमने जानवरों को उस मैदान में छोड़ दिया घास खाने, और एक पेड़ के नीचे एक बिछवन डालकर उसके उपर बैठ गये.

मेरा उस झील और झरने के अंदर पानी में घुसकर मज़ा लेने का मन था, सो मैने शाकीना से कहा –

मेरा नहाने का मन है, क्या तुम मेरे साथ नहाना चाहोगी ?

वो – मे तो अपने कपड़े भी नही लाई, तो कैसे नहा सकती हूँ ?

मे – अरे यार ! कपड़े पहन कर कॉन नहाता है..? ब्रा-पेंटी तो पहनी ही होगी ना..! वही पहन कर नहा लो, अंदर पानी में कॉन देखता है..!

वो – नही मुझे हया आएगी..!

मे – मेरे अलावा यहाँ और कॉन है जिससे हया आएगी..?

वो फिर भी नही मानी, मैने अपने कपड़े निकाले और मात्र अंडरवेर में मैने पानी में छलान्ग लगा दी, और तैरने लगा.

शाकीना मुझे नहाते हुए देख रही थी, झील के ठंडे-2 पानी में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था, मैने उसको इशारा किया पानी में आने के लिए.

जब वो नही आई तो मैने झरने का रुख़ किया और तैरते-2 झरने के पास पहुँच गया, जहाँ पत्थरों से पानी टकरा कर सफेद रूई के माफिक लग रहा था.

जब मैने पीछे मूड कर शाकीना क़ी ओर देखा तो वो मुझे उस बिछवन के पास नही दिखी.

कुछ देर वहीं एक पत्थर पर बैठ मे उसका इंतजार करता रहा, वो फिर भी नही दिखी, तो मेरे मन में शंका के बादल उठने लगे.

मैने वहीं बैठे-2 उसको आवाज़ दी, लेकिन कोई जबाब ना पाकर मे लौटने लगा.

अभी मे बीच में ही पहुँचा था कि मेरे पास ही पानी के अंदर वो दिखाई दी, किसी सुनहरी जलपरी सी, एक छोटी सी ब्रा और पेंटी में.

पानी साफ होने के कारण वो मुझे साफ-2 दिख रही थी



 
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Update 98

मेरे मन में शरारत सूझी, और मैने भी पानी के अंदर डुबकी लगा दी और उसे अंदर ही पकड़ लिया, वो मेरी बाहों में छटपटाई और छूट कर पानी के उपर आ गई.

मे- तुमने तो मुझे डरा ही दिया, इतनी देर पानी में कैसे रह ली..?

वो- अरे ! ये तो हमारे लिए रोज़ की बात है..

फिर मैने उसे पानी के अंदर अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूम कर कहा- जब मैने कहा तब मना क्यों किया..?

वो- आपके सामने कपड़े निकालने में शर्म आ रही थी.

मे- अब भी तो पानी में सब दिख रहा है मुझे…! तो उसने शर्म से मेरे सीने में अपना मुँह छिपा लिया.

मैने उसके चुतड़ों पर अपनी हथेलिया कस दी और उसे अपनी गोद में उठा लिया, वो भी मेरी कमर में अपनी टाँगें लपेट कर मुझसे चिपक गयी.

मे उसे अपने से चिपकाए हुए झरने की ओर बढ़ गया, कुछ कदमों में ही हम दोनो झरने के सफेद पानी की धार का मज़ा ले रहे थे.

मे एक ऐसे पत्थर पर बैठ गया जहाँ झरने का पानी डाइरेक्ट तो नही गिर रहा था, लेकिन उसका पानी उच्छल-2 कर वहाँ तक पहुँच रहा था,

उसको अपनी गोद में बिठाए मैने उसकी गर्दन पर किस किया.

उसके मुँह से एक मादक सिसकी निकल गयी और अपनी गर्दन दूसरी ओर मोड़ कर मेरे गर्दन के पीछे से निकाल कर मेरे बालों को अपनी मुट्ठी में कस लिया.

मेरे दोनो हाथ उसके छोटे -2 सेबों पर थे और उनको ब्रा के उपर से ही धीरे-2 सहला रहा था.

मज़े के आलम में उसकी आँखें बंद थी, और मुँह से हल्की हल्की सिसकी निकल रही थी.

जब मैने उसके ब्रा के हुक खोलने चाहे तो उसने मेरे हाथ पकड़ लिए और ना में गर्दन हिला दी.

मैने उसके हाथों को चूम लिया और जीभ से उसकी पीठ चाटने लगा. उसने अपने हाथ मेरे हाथों से हटा लिए, तो मैने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और उसको अपने गले में लपेट लिया.

अब उसकी गोरी-चिटी छोटी-2 गोल-2 चुचियाँ जो कसरत करने की वजह से और ज़्यादा शेप में आ गयी थी, मेरे सामने नंगी थी,

कितनी ही देर उस मनमोहक चुचियों को मे देखता ही रहा, फिर धीरे से जीभ लगा कर उसके कंचे जैसे निपल को चाट लिया.

आनंद के मारे उसकी आअहह… निकल गयी और सिसकने लगी…

आआहह….सस्सिईईई….उफफफ्फ़… आमम्मिईीई……मत करो… कुछ होता है….

मे- क्या होता है मेरी जानणन्न्…! बोलो ना..!

वो - आअहह… पता नही… पर बहुत अच्छा लग रहा है…!

अब मैने उसके एक निपल को अपने अंगूठे और उंगली के बीच पकड़ कर हल्के से मसल दिया..

उसकी सिसकी और बढ़ गयी और मज़े में आकर वो अपनी गोल-2 गान्ड मेरे लंड पर पटकने लगी, जो अब एक दम कड़क हो गया था, और अंडरवेर को फाड़ डालने की कोशिश कर रहा था.

मेरे लंड का एहसास अपनी गान्ड पर फील करके वो उसे रगड़ने लगी.

मैने अब उसको अपने बाएँ बाजू पर लिटा लिया, उसके होठों को चूसने लगा और एक हाथ से उसको चुचियों को सहलाता, कभी -2 उत्तेजनावस मसल भी रहा था.

उसका पूरा बदन कामोत्तेजना में थिरक रहा था, होठ चुसते-2 अब मेरा हाथ उसके गोरे से पेट से होता हुआ जैसे ही उसकी चूत के उपर पहुँचा, उसने अपनी टांगे भींच ली, और मेरे हाथ को वहीं लॉक कर दिया.

मैने दबे हाथ से अपनी उंगली को हरकत दी और पेंटी के पतले से कपड़े के उपर से ही उंगली उसकी चूत के उपर घुमाई, उसकी टांगे खुल गयी और मैने उसकी छोटी सी चूत को अपने पंजे में भर लिया.

उसने किस तोड़ दिया और लंबी-2 साँसें लेने लगी, उसकी आँखें लाल हो चुकी थी, आँखों में वासना के लाल डोरे साफ साफ दिखाई देने लगे.

अब मैने उसको उस पत्थर पर बिठा दिया और खुद उसके नीचे उसके सामने बैठ गया.

उसके कमर के दोनो साइड से उंगली फँसा कर उसकी पेंटी को निकालना चाहा तो उसने मेरी हेल्प करते हुए अपनी गान्ड को हवा में लहरा दिया.

मैने पेंटी उतार कर एक ओर रख दी, उसकी छोटे-2 बालों वाली चूत अब मेरे सामने थी.

पतले-2 होठों को भींचे हुए उसकी पतली सी एक दरार जैसी चूत को देख कर मेरा लंड बाबला हुआ जा रहा था, मैने उसे अपने हाथ से सहला कर थोड़ी देर शांत बैठने को कहा और उसकी टाँगों को सहला कर उसकी थोड़ी-2 मांसल होती जा रही जांघों को चौड़ा किया.

मैने झुक कर अपना मुँह उसकी चूत पर रखा और एक उद्घाटन चुंबन लिया.

वो अपनी हथेलियों को पीछे की ओर टिका कर पीछे की तरफ झुकी हुई थी, सर उसका हवा में था, और आँखें आने वाले मज़े के इंतजार में बंद थी.

एक बार मैने अपनी जीभ पूरी चौड़ाई में उसकी छोटी सी चूत पर गान्ड के छेद के पास से शुरू करके उपर तक फिराई..

सस्सिईईई…..आअहह……आअम्म्म्मिईीई…. ऐसी ही कुछ आवाज़ उसके मुँह से निकली और गान्ड पत्थर से उपर उचका दी.

फिर उसकी पुट्टियों को खोल कर जो एक दम एक दूसरे से जुड़ी हुई थी, अपनी जीभ की नोक से अंदर की साइड कुरेदा,

उसकी गान्ड फिर से हवा में लहराई. जब अपना अंगूठा मुँह मे लेकर उसकी चूत के होठों पर रगड़ा, तो उसकी आहह.. सस्सिईईईईईईईईईईईईईईई……फुट पड़ी.

उसकी चूत के उपरी भाग पर उसका क्लोरिट मुँह से चूमने लगा, जिसे मैने जीभ से कुरेद कर और बाहर को किया और फिर अपने होठों में दबा कर चूसने लगा, साथ ही साथ उसके छोटे से छेद को अपने अंगूठे से सहला दिया.

मज़े के मारे शाकीना का बुरा हाल हो रहा था, कभी वो अपनी गान्ड को हिलाती तो कभी अपनी टाँगों को मेरे कंधे पर पटकती.

5-7 मिनट में ही उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और ये शायद उसकी चूत का पहला ओरगैस्म था जो किसी मर्द के द्वारा हुआ हो.

बहुत ज़ोर से झड़ी वो, और झड़ते समय दोहरी होकर मेरे सर से लिपट गयी.

जब वो शांत हुई तो मैने उसके होठों पर एक चुम्मन लिया और उसको पुछा- कैसा लगा शाकीना..?

वो शर्म से पानी पानी हो गयी और मेरे कंधे में सर रख कर मुस्कराने लगी…..!

मैने उसे अपनी गोद में उठा लिया और पानी के अंदर चल दिया, वो अपने हाथ पैर फड़फड़ाकर चिल्लाई- अरे मेरी पेंटी रह गयी ….!

मैने शरारत से कहा - छोड़ो उसको क्या करोगी उसका ..?

वो – नही प्लीज़ लेने दो ना, मेरे पास वैसे भी कोई एक्सट्रा नही है…

मैने उसकी गान्ड के छेद को उंगली से सहला कर कहा – आज के बाद पेंटी पहनना बंद कर दो…

वो मेरी गोद में किसी बच्चे की तरह उपर नीचे झूलती हुई बोली – लेने दो ना प्लीज़,
 
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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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मैने हंसते हुए हाथ लंबा करके उसे उठा कर उसे पकड़ा दिया, गोद में उठाए ही उसको बीच पानी में ले आया.

मेरा लंड उसकी मुलायम गोल-गोल गान्ड के नीचे हाहाकार मचाए हुए था, वो अब इतना कड़क हो गया था कि अगर में शाकीना को छोड़ भी देता तो वो उसके उपर आराम से रेस्ट कर सकती थी.

बीच पानी में आकर एक दूसरे से चिपके हुए ही हमने एक-दो गोते लगाए और फिर किनारे पर आकर बाहर निकले.

बिच्छावन के पास आकर मैने उसे उस पर लिटा दिया और उसकी एक टाँग को अपनी टाँगों के बीच लेकर उसे पुछा- आगे बढ़ना चाहोगी शाकीना..?

हमम्म.. उसने बस इतना ही जबाब दिया जो मेरे लिए किसी वकालत नामे से कम नही था.

मैने अपना अंडरवेर निकाल दिया और उससे कहा, मेरा लंड चुसोगी..?

उसने ना में सर हिलाया, तो मैने कहा- तुम तो कह रही थी कि तुमने रात मुझे और रेहाना को ये सब करते हुए देखा था, तो वो नही देखा कि कैसे तुम्हारी आपा इसकी सेवा कर रही थी.

हमम्म.. देखा तो था.. पर मुझे शर्म आती है ये सब करने में- उसने कहा, तो मे बोला- अब कैसी शर्म,

देखो मैने तुम्हारी मुनिया को मुँह से प्यार किया ना, अब चलो तुम भी मेरे पप्पू को प्यार करो.. तभी तो वो तुम्हारी मुनिया की अच्छे से सेवा करेगा.

ये कहकर मैने अपना लंड उसके मुँह के सामने लहरा दिया.

उसने डरते-2 उसे हाथ में पकड़ा मानो किसी नाग को पकड़ रही हो की कहीं डॅस ना ले.

कुछ देर वो उसे हाथ में लेकर उलट-पलट कर देखती रही, फिर उसको मुट्ठी में भर कर सहलाने लगी.

जब उसने उसका सुपाडा खोला तो उस पर एक प्री-कम की बूँद चमक रही थी, वो उस बूँद को गौर से देख रही थी.

टेस्ट करो इसे शाकीना, लड़कियों के लिए ये अमृत है, चाट के देखो, अच्छा लगेगा तुम्हें..

धीरे-धीरे करके वो अपना मुँह मेरे लंड की तरफ लाई, और डरते हुए उसने अपनी जीभ की नोक से उसे उठा लिया.

मेरी आँखें बंद हो गयी और लंड ने उसके हाथ में ही एक ठुमका सा लगाया.

कैसा लगा.. जब मैने उससे पुछा तो वो बोली- ठीक ही है, और फिर धीरे से उसने मेरे लाल-लाल सुपाडे को अपने पतले-2 होठों में क़ैद कर लिया.

होठों में लिए-2 ही जब उसने अपनी जीभ मेरे लंड के छेद पर रख कर घुमाई तो मेरी सिसकी निकल पड़ी…

सस्सिईईई…आअहह….शाकीना मेरी जानणन्न्…. चूसूऊ.. ईससीए…आईसीए…हिी…शाबाश….आहह…और अंदर लूऊ..

शाकीना मेरा आधा लंड मुँह में ले चुकी और लोलीपोप की तरह चूसने लगी, मेरा लंड उत्तेजना में फटने जैसी स्थिति में आ चुका था,

स्टील की रोड की तरह कड़क हो गया था वो, जो अब किसी भी छोटी से छोटी चूत को भी फाड़ने के लिए तैयार था.

मैने शाकीना को रोक दिया और उसे बिछावन पर लिटा कर उसकी जांघों के बीच आगया, उसकी पुसी को एक बार सहला कर उसे चूमा और दो-तीन बार जीभ से चाट कर गीला किया.

अपने हाथ पर ढेर सारा थूक लेकर अपने मूसल पर चिपडा और उसे उसके छोटे से छेद पर रख कर हल्के से दबा दिया.

गीली हो चुकी चूत और थूक से सना लंड गॅप से उसकी सन्करि गली में फिट हो गया, लेकिन शाकीना की एक कराह ज़रूर निकल गयी.

मैने उसके चुचों को सहलाया और उसके होठों को एक बार चूम कर उसकी आँखों में देख कर उसको इशारा किया और एक झटका मार दिया अपनी कमर में.

फुच्च की आवाज़ के साथ उसकी झिल्ली फट गयी, और शाकीना की एक दर्दनाक चीख पूरे जंगल में गूँज गयी.

वो हान्फती हुई सी बोली- प्लीज़ अशफ़ाक निकालो इसे.. हाईए…आमम्मि…मारीी…आहह,… लगता है मेरी जान ही निकल जाएगी.

मैने उसकी चुचियाँ सहला कर उसे शांत किया और बोला- अरे मेरी बहादुर शेरनी आधे से ही घबरा गयी.

बस अब सब ठीक है, जो होना था सो हो गया, अब दर्द नही होगा.. , कहकर उसके होठों को चूसने लगा और अपने हाथों से उसकी चुचियों को सहलाने लगा, मसल्ने लगा.

दो मिनट में उसका दर्द कम पड़ गया, वो अपनी कमर को हिलाने लगी, मैने आधे लंड को ही धीरे से अंदर बाहर किया, कुछ पलों में उसका दर्द एक दम छुमन्तर हो गया और वो मादक सिसकारी लेते हुए नीचे से कमर मटकाने लगी.

सही मौका देख कर मैने एक धक्का और कस कर लगा दिया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया.

एक बार फिर वो चीख पड़ी, लेकिन ये ज़्यादा लंबी नही थी.

मेरा 8” लंबा लंड जड़ तक उसकी चूत में कस गया था, उसकी बच्चेदानी का मुँह मेरे लंड के सुपाडे पर फील हो रहा था.

मेरे लंड को उसकी चूत ने इस कदर पकड़ रखा था मानो वो उसे कहीं जाने ही नही देना चाहती हो.

थोड़ी देर रुक कर मैने अपने मूसल को बाहर खींचा, उसकी चूत की अन्द्रुनि दीवार भी मानो खिचकर बाहर आना चाहती हो उसके साथ.

पूरा सुपाडे तक बाहर लेकर मैने फिर से धीरे-2 उसको अंदर किया तो वो धीरे से कराही..

आअहह…ससुउउ…उफफफ्फ़…धीरीए…

5-6 बार मैने बड़े इतमीनान से लंड को अंदर बाहर किया, तो उसकी चूत ने थोड़ी सी दया दिखा कर मेरे लंड को चलने लायक रास्ता बना कर दिया.

अब वो थोड़ा आसानी से अंदर बाहर हो रहा था.

शाकीना को भी अब दर्द की वजाय मज़ा आना शुरू हो रहा था, और वो भी नीचे से अपनी कमर को उचकाने लगी थी.

धीरे-2 मैने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी, और उसकी जांघों को अपनी जांघों पर चढ़ा लिया जिससे उसकी गान्ड अधर हो गयी और मेरा लंड और अंदर तक खुदाई करने लगा.

लंड को अपनी बच्चेदानी पर फील करके शाकीना भाव बिभोर हो गयी और आनंद के मारे उसकी आँखें छलक पड़ी.

आअहह… हयईए… अल्ल्लाअहह…ये कैसा मज़ा है…अब तक कहाँ थे मेरी जानणन्न्… हयईए…मईए..कहीन्न..मर ही ना जाउ खुशी में..

वो चुदति जा रही थी और ना जाने क्या-2 बड़बड़ाती जा रही थी.. सच में शाकीना बहुत गर्म लड़की थी..

चोदते-2 हम दोनो के शरीर पसीने से भीग गये.. कोई किसी से हार मानने को तैयार नही था, इस बीच वो ना जाने कितनी बार बही, लेकिन अंत तो हर काम का होता है..

आख़िरकार हम दोनो की ही मंज़िल आ ही गयी और एक जोरदार हुंकार के साथ मे उसकी चूत में झड़ने लगा..

 
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