Update 79
वहीं निशा अपने सामने खड़े एक नकाब पोश को देख कर हैरान परेशान थी, जो अब उसके बंधन खोल रहा था.
बंधन खुलते ही निशा अपनी बहन की ओर दौड़ी, और उससे लिपटकर फुट-फूटकर रोने लगी.
जल्दी से मेरी रस्सी खोलो निशा, ये वक़्त रोने का नही है मेरी बेहन.
ट्रिशा ने जब उसको कहा, तब उसको परिस्थिति का भान हुआ और वो उसकी रस्सी खोलने लगी.
तब तक उस नकाब पोश ने भानु के उपर लात घूँसों की बारिस सी कर रखी थी, 5 मिनट की धुलाई में ही वो चीखने चिल्लाने की स्थिति में भी नही था.
अधमरा सा भानु, हिलने डुलने के काबिल भी नही रहा.
ट्रिशा उसके पास पहुँची और उसके मुँह पर थूक कर बोली - हरजादे मैने तुझे चेताया था, क्यों अपनी शामत बुला रहा है,
लेकिन अपने घमंड के नशे में चूर, तू ये भी भूल गया कि, इस देश के रक्षकों पर हाथ नही डालना चाहिए.
फिर वो पलट कर अपने रहनुमा, अपने रक्षक उस नकाब पोश के सीने से लग कर फुट-फुट कर रो पड़ी.
ये देख कर निशा की आँखें चौड़ी हो गयी, वो ये नही समझ पारही थी, कि मरियादा की प्रतिमूर्ति उसकी बड़ी बेहन किसी गैर मर्द के सीने से कैसे लिपट कर रो रही है.
फिर उस नकाब पोश ने ट्रिशा के सर पर हाथ रख कर उसे चुप कराया और कुछ इशारा किया जिसे ट्रिशा ने समझ लिया और अपने-आप को कंट्रोल करके अपनी बेहन के फटे कपड़ों को एक गुंडे का गम्छा लेकर ढकने लगी.
नकाब पोश ने भानु की मुश्क कस दी और उसे अपने कंधे पर लाद कर बाहर निकल आया, दोनो बहनें उसके पीछे -2 लगभग दौड़ती हुई चल रही थी..!
बाहर का नज़ारा और भी ज़्यादा भिभत्स था,
सारे गुंडे मरे पड़े थे, सूरज का तो गला ही रेत दिया था एक तेज धार खंजर से.
निशा ये खौफनाक मंज़र देख ना सकी, और डर के मारे अपनी बड़ी बेहन से लिपट गयी.
वहाँ बाहर खड़ी गाड़ी में भानु के बेहोश शरीर को पटका और ट्रिशा के कान में कुछ कहा जो निशा सुन नही पाई,
वो उसे कोतवाली लेकर चली गयी, और वो नकाबपोश निशा का हाथ पकड़ कर वहाँ खड़ी दूसरी गाड़ी की तरफ लपका...!
एसपी ट्रिशा अपनी नाइट ड्रेस में ही थी, वो अपने ऑफीस ना जाकर सीधी उस थाने में पहुँची जहाँ से ये वाकीया शुरू हुआ था,
गाड़ी को गेट पर खड़ा छोड़ कर वो धड़ धडाती हुई अंदर दाखिल हुई.
नाइट ड्रेस में अपनी एसपी को देख कर थाने का पूरा स्टाफ चोंक पड़ा, और उसको गुस्से में देख कर तो सभी में हड़कंप मच गया…
लेकिन फिर भी उन्होने उसे सल्यूट किया, जिसका वो जबाब देती हुई लगभग चीखती हुई दाहडी, यादव, निर्मल कहाँ हो तुम लोग ?
वो दोनो दौड़ते हुए उसके सामने आए, और सल्यूट मार कर बोले- यस मेडम.
ट्रिशा – निर्मल ! बाहर गाड़ी में एक मुजरिम पड़ा है उसको अंदर लाकर हवालात में डालो फ़ौरन.
निर्मल दो सिपाहियों को लेकर बाहर की ओर दौड़ा, और जैसे ही उन्होने भानु को घायल अवस्था में गाड़ी में पड़ा पाया,
वो भोंचक्के रह गये, फिर कुछ सम्भल कर अपने ऑफीसर के आदेश पालन किया.
उन्होने घायल और अर्ध बेहोश भानु के शरीर को हवालात में लाकर पटक दिया…
फिर वो यादव से बोली - इस कुख्यात मुजरिम का ध्यान रखना यादव !, कोई भी कितना ही उपर से प्रेशर आए, छोड़ना नही है,
अगर तुमने इसे छोड़ने के बारे में सोचा भी, तो पहले ही सोचलेना, उसका अंजाम तुमहरे लिए क्या हो सकता है.
फिर वो निर्मल को लेकर ऑफीस के अंदर चली गयी और किसी को भी अंदर ना आने देने को ताकीद की,
कुछ देर तक वो उसे कुछ समझाती रही और फिर अपने घर की ओर चल पड़ी.
उधर निशा रास्ते भर उस नकाब पोश को ही घुरती रही, लेकिन उस नकाब पोश ने एक बार भी उसकी ओर आँख उठा कर भी नही देखा.
जब घर आ गया तो उसने गाड़ी वहीं बाहर खड़ी की और निशा को अंदर जाने का इशारा किया.
जब वो कुछ देर तक भी अपनी जगह से नही हिली, तो उसने उसकी आँखों में गुस्से से देखा और गुर्रा कर कहा- सुना नही तुमने ? अंदर जाओ..!
वो किसी कठपुतली की तरह गाड़ी से उतर कर घर के अंदर चली गयी जहाँ उसके माता-पिता अभी भी बाहर से बंद थे.
बाहर से दरवाजा खोलकर वो जैसे ही अंदर पहुँची, उसे देखते ही उन्होने उसे गले से लगा लिया, फिर उन्होने उसके उपर सवालों की झड़ी सी लगा दी, जिनके सारे जबाब उस बेचारी के पास भी नही थे.
उधर उस नकाब पोश ने निशा के उतरते ही गाड़ी को आगे बढ़ा दिया और करीब 1किमी दूर ले जाकर एक सुनसान से रास्ते पर खड़ा करके वापस पैदल ट्रिशा के घर की ओर चल दिया.
अभी वो उसके गेट पर पहुँचा ही था कि ट्रिशा भी आ पहुँची, दोनो बाहर ही मिल गये, और एक दूसरे से लिपट गये,
कुछ देर लिपटे रहने के बाद उन्हें लगा कि यहाँ कोई देख ना ले, तो वो अंदर को बढ़ गये.
अंदर निशा अपने मम्मी पापा के साथ सोफे पर बैठ कर अपनी आप बीती कह रही थी, साथ-2 सूबकती भी जा रही थी कि तभी ट्रिशा उस नकाब पोश के साथ अंदर दाखिल हुई.
उसे देख कर वो तीनो लपक कर उससे लिपट गये, और उससे सवाल जबाब करने लगे.
तभी निशा बोल पड़ी, दीदी ये हमारा रक्षक कॉन है ? जो आज अगर ये समय पर नही पहुँचता तो भगवान ना करे क्या अनर्थ हो जाता.
उसके मम्मी पापा भी सवालिया नज़रों से उसकी ओर देखने लगे.
ट्रिशा उस नकाब पोश से मुखातिब हुई - अब ये घूँघट हटा भी दो जानेमन..
पहले तो ट्रिशा के इस तरह बोलने पर वो तीनो अवाक रह गये,
फिर जब उसके चेहरे से नकाब हटा, तो वो उछल ही पड़े,
निशा तो खुशी के मारे अपने जीजू के गले से लिपट ही गयी, और देखते-2 ताबड-तोड़ 3-4 किस भी जड़ दिए अपने प्यारे जीजू के थोबडे पर.
मैने ट्रिशा को कहा - वाकी सब कुछ बाद में, तुम मेरे साथ आओ और हाँ साथ में अपना लॅपटॉप भी लेलो..
ट्रिशा मौके की नज़ाकत को समझ कर फ़ौरन अपना लॅपटॉप लेकर मेरे साथ लपकी, हम दोनो उसके बेडरूम में आकर बैठ गये,
मैने उसे कहा - फटाफट अपने लोगों को बोलकर, हॉल के बाहर जितनी भी लाशें पड़ी हैं उनको वहाँ से ठिकाने लगवा दो फ़ौरन.
ट्रिशा - वो में ऑलरेडी निर्मल को बोल चुकी हूँ. अब तक तो उठ भी गयी होंगी.
मे - गुड ! स्मार्ट बेबी ! यॅ..!
ट्रिशा - आख़िर बीबी किसकी हूँ, लेकिन आप ये तो बताओ कि यहाँ पहुँचे कैसे..??
मे - अभी इन बताओं का समय नही है, पहले हमें एक रिपोर्ट बनाके सेंट्रल होम मिनिस्ट्री को भेजनी है वित सीसी टू स्टेट होम अफेर्स.
मैने अपने मोबाइल को लॅपटॉप में कनेक्ट किया, तो उसने पुछा- इसमें क्या है ?
मैने कहा- उस हॉल का प्रूफ है, कि किस तरह भानु के द्वारा एक एसपी को बंधक बनाया गया, और उसका रेप करने की कोशिश की गयी.
ट्रिशा - क्या..? ये कब किया आपने..?
मैने मुस्कराते हुए कहा - अटॅक से पहले..! और एक चीज़ हमेशा ध्यान में रखो, कभी भी गुस्से में भी दिमाग़ का इस्तेमाल बंद नही होना चाहिए..!
ट्रिशा - ब्रिलियेंट जानू ! यू रियली सच आ वोंडरफुल्ल कॉप..!
मे - थॅंक्स बेबी ! ये कहकर मैने उसके होठों को चूम लिया ! वो खुश हो गयी.
अब हमारा ध्यान रिपोर्ट बनाने में था, 5-6 पेज की फुल प्रूफ रिपोर्ट एक छोटी सी वीडियो क्लिप के साथ सेंटरल होम मिनिस्ट्री को मैल कर दी,
स्टेट होम सेक्रेटरी को सीसी में और एनएसए को बीसीसी में रख दिया .
रिपोर्ट भेजने के बाद अब मेरा काम था एनएसए चौधरी को इम्मीडियेट इनफॉर्म करना,
सो मैने ट्रिशा को चाइ नाश्ते का बंदोबस्त करने के बहाने बाहर टरका दिया और चौधरी साब को कॉल लगा दी.
जब कॉल रिसीव हुई तो मैने मैल का हवाला देते हुए, उन्हें पूरी घटना मुँह जवानी बयान करदी, और रिक्वेस्ट की, कि भानु किसी भी हालत में अब जैल से बाहर नही आना चाहिए कम से कम कुछ दिनो के लिए.
वो भी शायद ऑन लाइन होकर रिपोर्ट देख रहे थे,
मैने आयेज कहा - सर ! स्टेट गवर्नमेंट उसका फुल सपोर्ट में रहेगी, तो उन्होने कहा – यू डॉन’ट वरी अरुण !
ये मामला ही ऐसा है कि अब स्टेट के भी तोते उड़ जाएँगे, और अब अगर उन्होने उसे बचाने की कोशिश की तो उंगली सीधी उनकी क़ानून व्यवस्था पर ही उठेगी.
फिर मैने उन्हें पुराना प्रॉमिस याद दिलाया, और कहा- सर मैने आपसे एक रिक्वेस्ट की थी, शायद आपके ध्यान से निकल गयी होगी..
चौधरी - कोन्सि रिक्वेस्ट.. ?
मे - सर वो ट्रिशा मेरी पत्नी के गुजरात पोस्टिंग वाली..!
चौधरी - ओह ! हां सॉरी, मे बिल्कुल भूल ही गया था, अच्छा हुआ तुमने रिमाइंड करा दिया,
यू डॉन’ट वरी, मे आज ही होम मिनिस्ट्री में जाके पर्षनली ये दोनो काम करवाता हूँ, ..
फिर कुछ रुक कर वो बोले - अरे हां ! याद आया.. ! मैने वो बात चलाई थी, दो दिन पहले ही होम सेकेट्री ने मुझे बताया भी था.
एक एसीपी तुम्हारे ही शहर का चेंज ओवर लेना चाहता है, तो तुम्हारी ट्रिशा को प्रमोशन के साथ भिजवा देते हैं वहाँ..!
मैने पुछा - वैसे कितने दिन लग सकते सर इस काम में.
चौधरी - ज़्यादा समय तो नही लगना चाहिए मेरे हिसाब से, मे जल्दी ही बताता हूँ तुम्हें ओके.
मे - थॅंक यू वेरी मच सर , फॉर युवर काइंड सपोर्ट.
चौधरी - अरे तुम्हें थॅंक यू कहने की ज़रूरत नही है बेटे,
तुम नही जानते तुम्हारे कामों की सफलता की वजह से मेरा कितना सीना चौड़ा रहता है पूरे सचिवालय में.
खुद पीएम तुम्हारे गुण गाते नही थकते.
चलो अब में फोन रखता हूँ, और तुम्हारे काम के लिए निकलता हूँ. ओके बाइ.
मे - बाइ सर, आंड थॅंक्स वन्स अगेन.
मैने अभी कॉल बंद ही किया था कि ट्रिशा चाइ और साथ में कुछ नाश्ता लेकर आ गई, तो मैने कहा –
चलो वहीं बाहर बैठ कर सबके साथ चाइ पे चर्चा करते हैं. लेकिन उससे पहले एक खुश खबरी सुनलो.
वो मेरी ओर सवालिया नज़रों से देखने लगी, मैने कहा अब तुम एसपी नही रही..!
वो बोली – तो फिर..?
मे - अरे भाई अब तुम एसीपी बन जाओगी..!
वो - क्या..? सच में..! आपसे किसने कहा..?
मे - काले छोरे ने..! और हां उसने ये भी कहा है कि तुम्हारा ट्रान्स्फर भी हमारे शहर में ही मिल जाएगा.
वो अविश्वास भरे लहजे में बोली - आप बना रहे हो मुझे..! पोलीस डिपार्टमेंट की बातें आपको कैसे पता ?
मे - तुम्हारे डिपार्टमेंट के पापा ने ही मुझे बताया है..!
वो - डिपार्टमेंट के पापा मतलब ??
मे - होम मिनिस्ट्री से तुम्हारा ट्रान्स्फर कम प्रमोशन लेटर निकलने वाला है,
अब अतिशीघ्र तुम सब लोग अपने बोरिया बिस्तरा गोल करो और मेरे साथ उड़ चलो मेरे देश, मेरे गाँव..! मेरी छमक्छल्लो..!
इतना कहकर मैने उसको कस कर लपेट लिया अपने बाजुओं में, और अपना सारा प्यार उसके होठों पर उडेल दिया.
वो भी किसी अमरबेल की तरह मेरे आगोश में समा गयी, और मेरे बालों भरे सीने पर एक प्यारा सा चुंबन जड़ दिया…
अभी हम सब सोफे पर बैठे, चाइ नाश्ते का ज़ायक़ा ले ही रहे थे, कि ट्रिशा के ऑफीस से फोन आ ही गया,
कमिशनर वहाँ उसका इंतजार कर रहे थे,
भानु प्रताप जैसे आदमी को अरेस्ट कर लिया जाए, वो भी उसी की सल्तनत में और बात उपर तक ना पहुँचे, ये तो मुमकिन ही नही था.
यादव जैसे चाटुकार भरे जो पड़े हैं इस देश के सिस्टम में.
मैने कहा - ये तो साला होना ही था, पर इतना जल्दी हो जाएगा, ये पता नही था. खैर कोई बात नही, देखते हैं इस कमिशनर को, क्या बोलता है.
मैने ट्रिशा को कोतवाली जाने के लिए बोल दिया और कहा कि कोई भी हो सिस्टम और क़ानून के हिसाब से तुम पीछे मत हटना, तुम्हें किसी भी तरह के प्रेशर में नही आना है…
कोई बड़ी बात नही कि राज्य के सीएम का भी दबाब आ जाए, और अब तुम्हें इस राज्य के किसी भी दबाब में नही आना है.
तुम बिंदास होकर ऑफीस जाओ, मे अभी आता हूँ, तुम्हारे पीछे-2.
वो आनन फानन में तैयार होकर अपने ऑफीस के लिए निकल गयी…
ट्रिशा को भेज कर मे एक बार फिर लॅपटॉप लेकर ऑनलाइन हो गया. रिपोर्ट वाले मैल पर एक जेंटल रिमाइंडर डाल कर आन्सर का वेट करने लगा.
अभी कोई 30 मिनट ही हुए होंगे कि रिप्लाइ आ गयी, साथ में ये कन्फर्मेशन भी आ गया, कि कुलपरीत के उपर उचित कार्यवाही की जाए.
ये सीधे आदेश सेंटर होम मिनिस्ट्री ने स्टेट को भेज दिए थे.
रिप्लाइ का प्रिंट आउट लेकर मे कोतवाली के लिए निकल पड़ा.
जब में वहाँ पहुँचा तो उस समय कमिशनर और ट्रिशा में तड़का-भड़की चल रही थी,
कमिशनर अपने सीनियर होने की धौंस दिखा कर भानु प्रताप को छोड़ने के लिए उस प्रेशर बना रहा था, जिसे ट्रिशा ने सिरे से खारिज़ कर दिया.
कमिश्नर- लुक मिसेज़ ट्रिशा शर्मा, तुम अभी नयी-2 एसपी जाय्न हुई हो अभी तुम्हारा कॅरियर शुरू भी नही हुआ है ठीक से,
मैने दुनिया देखी है. भानु प्रताप की ताक़त को पहचानो और उसे छोड़ दो, वैसे भी तुमने उनको बहुत नुक्शान पहुँचा दिया है, अब भगवान ही जाने तुम्हारा क्या होगा आने वाले कल में.
ट्रिशा अपने गुस्से पर काबू करते हुए बोली – मेरा जो होगा सो होगा, लेकिन उससे पहले में इस गुंडे को उसकी औकात दिखाकर ही रहूंगी…, चाहे आप मेरा सपोर्ट करो या ना करो…
कमिश्नर – मे तुम्हारा सीनियर होने के नाते ये ऑर्डर देता हूँ, कि तुम भानु प्रताप को अभी, इसी वक़्त रिहा करो…
ट्रिशा – और अगर मे आपके ऑर्डर को ना मानूं तो…?
कमिश्नर – मे अभी खड़े – 2 तुम्हें सस्पेन्ड कर सकता हूँ, लेकिन मे ये करना नही चाहता, इसलिए तुम्हें समझाने की कोशिश कर रहा हूँ,
भानु प्रताप जी इस शहर के एमएलए ही नही, प्रदेश की सरकार में इनकी बहुत उपर तक पहुँच भी है…
मे फिर कहता हूँ, इनकी ताक़त के आगे तुम कुछ भी नही हो…
मे चुप चाप खड़ा काफ़ी देर तक उन दोनो की बहस सुनता रहा लेकिन फिर मुझसे रहा नही गया उस भडवे कमिशनर के शब्द सुन कर और बीच में बोल पड़ा.
मे - मिस्टर. कमिशनर ! भानु जैसे गुंडे की ताक़त तो आप जैसे ऑफिसर्स हैं,
पोलीस चाहे तो कोई भानु पैदा ही ना हो पाए, एक न्यू ऑफीसर उसके खिलाफ खड़ी होना चाहती है,
वहीं उसका ऑफीसर उसकी बहादुरी की तारीफ करने की वजाय उसे डाउन करने की कोशिश कर रहा है, शेम ऑन यू कमिशनर.
कुछ देर कमिशनर मेरे चेहरे की ओर देखता रहा, फिर भड़क कर बोला - हू आर यू टू इंट्रप्ट माइ वर्क..? हाउ डेर यू टू टीच मी माइ ड्यूटी ?
मैने शांत लहजे में कहा - एक आम आदमी ! जो ये पुछने का अधिकार रखता है, कि जनता के सेवक हमारी हिफ़ाज़त कर भी रहे हैं या खाली दिखावा कर रहे हैं..? और भानु जैसे गुंडे की हिफ़ाज़त.
यही भानु कल को आपकी बहू-बेटी को उठा ले जाए और आपके सामने उसका रेप करने की कोशिश करे, तब आप क्या करेंगे..?
मेरी बात सुनकर कमिशनर के मुँह पर ताला चिपक गया..!
फिर आगे बोलते हुए मैने कहा - अभी-2 आपने जो भानु आरती गाते हुए उसे छोड़ने की बात कही थी, और एसपी साहिबा को धमकाया उसके बाहुबल को बखान करके, क्या ये सब लिख कर दे सकते हैं आप..? नही ना..!
कमिश्नर- तुम्हारी बात एकदम जायज़ है यंगमॅन, लेकिन हमारे हाथ बँधे हुए हैं, इन नेताओं के दबाब के कारण.
मे - तो इन्हें खोलिए..! कब तक बाँधे रखोगे ?
यकीन मानिए जिस दिन ये हाथ खुल गये, भानु जैसे गुण्डों को छिपने के लिए जगह कम पड़ जाएगी.
कमिश्नर - तुम समझ नही रहे हो, इस राज्य की पूरी सरकार इसके सपोर्ट में है..! अभी देखना कहाँ-2 से किसके-2 फोन आना शुरू हो जाएँगे.
मे - उसका इलाज़ भी हो चुका है, ये देखिए, अब उनके पुरखे भी नही बचा सकते इस गुंडे को,
एक एसपी के साथ रेप अटेंप्टेड करना खेल तमाशा नही है, ये बात इनको सिखा कर ही दम लेंगे हम.
कमिश्नर - वैसे आप हैं कॉन ? होम मिनिस्ट्री की रिपोर्ट देखते ही कमिशनर के स्वर बदल गये, अब तक जो तुम-2 कर रहा था अब वो आप बोलने लगा था.
मे - बताया तो था.. आम आदमी ! और आम आदमी चाहे तो कुछ भी कर सकता है.
ट्रिशा कमिशनर की हालत देख कर मंद-2 मुस्करा रही थी.
मैने फिर से कमिशनर को उकसाया.
आप सिर्फ़ अपने जूनियर्स के साथ खड़े रहिए फिर देखिए, कैसे राज्य की क़ानून व्यवस्था नही सुधरती ? फिर पब्लिक भी आपके साथ होगी.
अभी ये बातें हो ही रही थी कि तभी ऑफीस के फॅक्स पर स्टेट होम सीक्रेटरी के आदेश का फॅक्स आ गया,