तुम गुजर जाते हो पास से पर पहचानते नहीं।।सलीका नक़ाब का भी हसीनों ने अजब कर रखा है..!
जो आँखे हैं क़ातिल, उन्हीं को खुला छोड़ रखा है..!!
बोलो इसके बारे में तो जैसे कुछ जानते नहीं
कितना बदल गए हो मुझसे अलग होकर।।
कत्ल आंखों से करते हो पर मानते नहीं।।