ऐ मौत तुझे भी गले लगा लूँगा जरा ठहर,
अभी है आरज़ू सनम से लिपट जाने की...
अभी है आरज़ू सनम से लिपट जाने की...
Bahut khoob,,,,गुनगुनाती हुई आती हैं फ़ल्क से बूँदें
कोई बदली तेरी पाजेब से टकराई है..
Waaah kya baat hai,,,,उदास जिन्दगी, उदास वक्त, उदास मौसम,
कितनी चीजो पे इल्जाम लगा है तेरे ना होने से।
Behad khoob,,,,किस ने वफ़ा के नाम पे धोका दिया मुझे
किस से कहूँ कि मेरा गुनहगार कौन है
गुनगुनाती हुई आती हैं फ़ल्क से बूँदें
कोई बदली तेरी पाजेब से टकराई है..