39 - समाधान / तीसरी मोहर
जयसिंह और मनिका अपनी अपनी आंखे बंद कर लेते हे और एक दुसरे को और कसके बांहों में भर रहे थे दोनो की नाक और ज्यादा एक दूसरे में गड़ रही थी ,
आखिरकार मनिका अपने धड़कते हुए दिल के साथ अपने सुर्ख गुलाबी होंठ जो जयसिंह कि सांसो से गरम हो चुके थे उस रसभरे गुलाबी होंठो को जयसिंह के होंठ पर रख देती हे ।
अब आगे
मनिका और जयसिंह के होंठ सिर्फ 2 सेकंड के लिए ही मिलते है , मनिका ने जयसिंह को किस के बजाय स्मूच किया था ।
मनिका अपने होंठ जयसिंह के होंठ से हटा लेती हे और फिर अपना सिर जयसिंह के कंधे पर रख देती हे, मनिका की आंखे अभी भी बंध थी वह बुरी तरह से शर्मा रही थी उसका दिल धड़क रहा था ।
मनिका
दोनो ने अभी भी एक दूसरे को कस के बांहों मे भर रखा था, मनिका के वक्ष पूरी तरह जयसिंह की छाती में दब गए थे।
जयसिंह आंखे खोलता है और मन में सोचता है ( कोई बात नही ये तो बस शुरुआत हे आज बस होंठ जुड़े हे आगे जाके सब कुछ जुड़ेगा बस मुझे धीरज के साथ काम लेना पड़ेगा )
जयसिंह मनिका की पीठ पर सहलाते हुए कहता हे डार्लिंग अब बस भी करो शर्माना इधर मेरी तरफ देखो ।
दोनो अब एक दूसरे की पकड़ ढीली करते हे, मनिका और जयसिंह की आंखे मिलती हैं तुरंत ही वह अपनी नजरे झुका लेती हैं।
जयसिंह अब मनिका की चीन को ऊपर करते हुए पूछता है बताओ ना डार्लिंग क्या चल रहा हे दिमाग में?
मनिका : वो पापा "This is our first kiss so I'm feeling nurvous and shy "
जयसिंह : " It's okay my love be comfortable and relax "
( जयसिंह इस वक्त समझ रहा था के मनिका की मनोदशा क्या चल रही है , इस वक्त के दौरान मनिका को आत्मविश्वास दिलाना एवम खुद के ऊपर विश्वास दिलाना बेहद जरूरी था, इसलिए जयसिंह कोई भी गलत हरकत न करते हुए मनिका को साथ और स्नेह का एहसास दिला रहा था)
( मनिका के मन में हजार तरह के सवाल जवाब आ रहे थे, वह कुछ भी सोचने समझने की स्थिति में नहीं थी वह बस जयसिंह के आदेश का पालन कर रही थी)
जयसिंह : चलो अब ऐसे काम नही चलेगा , चलो थोड़ा walk करते है ।
मनिका जयसिंह की गोद से उतर जाती हे और जयसिंह अब मनिका का हाथ पकड़ कर झूले से उठ जाता हे ।
दोनो एक दुसरे का हाथ पकड़ कर छत पर चल रहे थे।
जयसिंह : डार्लिंग ऐसे चुपचाप क्यों हो कुछ बोलो ना , हम एक दूसरे को प्यार करते हे, और किस करना " its normal between us"
मनिका : वो sorry पापा में बस कुछ सोच नही पा रही थी ,
मुझे पता है " you love me so muchh " फिर भी आप मेरे पापा हे इसलिए शरम तो आती ही है ।
जयसिंह : फिर वही बात दिल्ली में मेने तुम्हे समझाया तो था भूल गई सब ?
मनिका : वो पापा मुझे याद हे सब " हम अकेले में चाहे कुछ भी करे किसीको कोई फरक नही पड़ता "
पता है, आज सुबह जब आपने किस मांगा था तो में भी आपको किस करना चाहती थी ।
( और फिर मनिका शर्मा कर अपनी नजरे झुका लेती हैं और अपने होंठ पर मुस्कान बिखेर देती हे )
जयसिंह : अच्छा तो आग दोनो तरफ बराबर लगी हे, तुम्ही बताओ दो प्रेमी किस नही करेंगे तो और क्या करेंगे ,
तुमने बताया नही इस तरह की किस कहा से सीखी ?
मनिका : वो पापा दोपहर में मोबाइल पर देखा था केसे फॉरेन , यूरोप में लोग अपने करीबी लोगों को किस करते हे , वहा पर इस तरह के किस नॉर्मल हे कुछ कुछ जगह पर तो फैमिली में भी इस तरह के किस होते है ।
जयसिंह : ( हंस ते हुए ) वाह धन्य है तुम्हारा मोबाइल
फिर जयसिंह रुक जाता हे और मनिका के सामने आके उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे बांहों में भर लेता हे और कहता हे डार्लिंग तो फिर एक और किस दो ना
मनिका जयसिंह की बांहों से निकलती है और सीडियो की तरफ भागते हुए कहती हे जाओ नही देती ।
जयसिंह भी दौड़ कर मनिका को पीछे से छत पर बने केबिन के अंदर पकड़ लेता हे फिर कहता हे डार्लिंग ऐसे मत तड़पाओ ना
मनिका खिलखिलाकर हंस देती है और कहती है पापा कोई आ जायेगा मुझे जाने दो देखो नीचे हितेश और कनु की आवाज भी आ रही है लगता है दोनो स्कूल से आ गए हे ।
जयसिंह कहता हे ठीक है डार्लिंग तुम जा सकती हो ( और फिर जयसिंह पीछे से ही मनिका के गाल पर किस कर देता हे और उसे छोड़ देता हे)
मनिका अब जयसिंह की गिरफ्त से निकल कर सीधा सीडियां उतरने लगती है और मुंह बनाते हुए जयसिंह को जीभ दिखाती है , और दोनो हंस पड़ते है ( जयसिंह अभी भी केबिन के अंदर खड़ा था और मनिका को उतरते हुए देख रहा था )
मनिका अब अपने कमरे में जा कर चेंज कर लेती है , जयसिंह भी अपने कमरे में जा चुका था ।
कनिका मनिका को देखकर कहती हे क्या दीदी बहुत चहक रही हो?
मनिका बोल पड़ती हे तुम अपनी पढ़ाई में ध्यान दो ना , मुझे थोड़ी एग्जाम देने हे जो में मुंह लटका कर बैठी रहूं।
इस तरह दोनो बहनों के बीच नोक झोंक के साथ थोड़ी बहुत बातचीत होती हैं बादमें दोनो बहने बेड पर चढ़ कर एक दूसरे को तकिए से मारती है और मस्ती करती हे और फिर शांत हो कर एक दूसरे को गले लगाती हे।
मनिका कनु को सलाह देती हे , कनु अभी तुम्हे पढ़ाई में ज्यादा ध्यान देना चाहिए और किसी भी वक्त मेरी जरूरत पड़े तो बेजिझक बता देना
कनिका : हां दीदी पर इस वक्त भूख लग रही है
अब खाने का वक्त हो चुका था , सो मधु सबको खाने के लिए आवाज लगाती हे ।
टेबल पर सब लोग आ जाते हे , मनिका जयसिंह के बाजू में अपनी जगह पर बैठी थी
मनिका टेबल पर बैठे अपने परिवार को देख रही थी , वह एक तरफ अपने भाई बहन , मां और दादी के साथ रिश्ते को देख रही थी और दूसरी तरफ अपने पिता के साथ बन रहे रिश्ते को देख रही थी ।
हितेश कहता हे दीदी पहले आप मेरे साथ खेला करती थी और मुझे पढ़ाया करती थी पर आप तो बहुत ही कम मुझसे बात करती हे , पता नही दिल्ली जाने के बाद कब आपसे मिलना होगा , दादी भी बोल पड़ती हे पहले तो मेरे साथ लाड प्यार किया करती थी पर ना जाने दिल्ली की हवा क्या लग गई लड़की को ।
कनिका बात को संभालते हुए कहती हे दादी और भैया में हूं ना यहां दीदी की जगह आप लोग चिंता मत कीजिए में दीदी की कमी महसूस नहीं होने दूंगी ।
जयसिंह ये सब देख कर चेन की सांस लेता हे और मन में सोचता है "आज तो बचा लिया कनु ने "
( जयसिंह चाहता था के मनिका घरवालों से कम से कम मिले ताकि उसे ज्यादा मोका मिले और मनिका घर के माहोल में न ढले)
टेबल पर सब लोग खाना खा रहे थे और इधर उधर की बाते कर रहे थे , खाना ख़ाके सब लोग अपने अपने कमरे में चले जाते हे ।
रात को कुछ खास नहीं होता जयसिंह को कंपनी की एक इंपोर्टेंट बीड थी सो वह अपने लैपटॉप पर उसी की तैयारी कर रहा था ।
मनिका अपने रूम में चली जाती हे , कनिका टेबल पर पढ़ाई कर रही थी और वह पीठ के बल बेड पर लेट कर सोने का ट्राई कर रही थी।
मनिका के मन में तरह तरह के विचार आ रहे थे , वह खाने के वक्त अपने सभी परिवार के सदस्यों को देख रही थी सो सोने के बाद वह सारे चित्र उसके मन में बन रहे रहे थे ।
मनिका के मन में विचार आता हे , केसे वह खुद की मां को धोका दे रही है , क्या असर पड़ेगा अपनी छोटी बहन पर जब उसको मेरे और पापा के रिश्ते के बारे में पता चलेगा , दादी तो मुझे रांड कह कर घर से बाहर ही निकाल देगी , अपने भाई को क्या मुंह दिखाऊंगी शायद वह मेरी सूरत भी देखना ना चाहे ।
इस तरह के सोच विचार से मनिका का मन अति ग्लानि से भर जाता हे और उसकी आंखो से आंसू बहने लगते हे , कनिका देख ना ले इस लिए मनिका अपने आंसू चादर से पोंछ लेती हे ।
मनिका को वही बात याद आती हे के जब किसी समस्या का समाधान न मिले तो उसे कही लिखना चाहिए , ऐसे ही पड़े मनिका के मन में कोडवर्ड वाला कागज याद आता हे और वह उठ कर अलमारी में से वह कागज नीकालती है और उसकी फोटो खींच कर वापस उसे संभालकर रख देती हे।
कनिका इस वक्त पढ़ाई कर रही थी सो वह मनिका की गति विधियों पर ज्यादा ध्यान नहीं देती ।
मनिका अब चादर ओढ़ कर मोबाइल में लिखे सारे सवाल पढ़ रही थी , साथ ही मनिका अब सारे सवाल के जवाब कोडवर्ड में मोबाइल के नोटपैड में टाइप करने लगती है , मनिका के हांथ टाइप करते वक्त कांप रहे थे फिर भी वह सोचते हुए हर सवाल का जवाब पूरे मन से टाइप कर रही थी ।
यही वो सवाल थे जो मनिका की आगे की जिंदगी में अहम भूमिका अदा करने वाले थे।
१. मेरे और पापा का रिश्ता क्या हे?
= पुरुष और स्त्री का , समाज के लिए पिता पुत्री
२. क्या हम सही कर रहे है ? = पता नही
३. क्या में सही कर रही हु ? = पता नही
४. क्या पापा सही कर रहे हैं? = पता नही
५. हमने ये क्यों होने दिया?
= हम एक दूसरे को बहुत ज्यादा प्यार करते हे, एक दूसरे की तरफ आकर्षित भी होते है, इसलिए ना चाहते हुए भी हो जाता हे
६. मेने ये क्यों होने दिया?
= में पापा से बहुत ज्यादा प्यार करती हूं, उनकी तरफ आकर्षित भी होती हूं, उनके साथ जब होती हु तब खुद पर काबू नहीं रख पाती , खुदको रोकना चाहती हूं पर फिर भी सब हो जाता है , जिस तरह पापा मुझे देखते हे मुझे अच्छा लगता है और में भी तो उन्हे सब कुछ दिखना चाहती हूं , जिस तरह के कपड़े पहन कर में पापा के सामने गई हूं उस तरह के कपड़े शायद ही कोई बेटी ने अपने पापा के सामने पहना हो
७. पापा ने ये क्यों होने दिया?
शायद पापा भी मुझसे आकर्षित होते है, वह शायद मुझे एक लड़की तरह देखते हे , जेसे दिल्ली में उन्होंने बताया था हम दोनों के बिच मर्द और औरत का रिश्ता है इसलिए पापा ने ये होने दिया
८. हमे आगे क्या करना चाहिए?
= या तो हमे नए रिश्ते के साथ आगे बढ़ना चाहिए या फिर एक दूसरे से बिलकुल अलग हो जाना चाहिए
९. मुझे आगे क्या करना चाहिए?
= पता नही, पर में पापा से अलग नहीं रह सकती
१०. पापा को आगे क्या करना चाहिए? = पता नही
यह सब लिखने के बाद मनिका सोचती हैं केसे पापा को में खुद अपनी छाती और कूल्हे दिखाती हूं, हर बार हम दोनो एक दूसरे को बांहों मे भर लेते है और अब तो गाल पर किसी ना किसी बहाने से पापा मुझे किस करते रहते हे , मुझे भी ये सब अच्छा लगता है, आज केसे पापा मोका मिलने पर मुझे पूरी बॉडी पर चूम रहे थे ।
पता नही क्यों में पापा के डिक के बारे में सोचती रहती हूं, उनका डिक जब मुझे छूता है तो लगता है जैसे पूरे शरीर में बिजली दौड़ रही हैं, आज जब पापा ने पीछे से मुझे उनके डिक को सटाया था तो भी खुदको रोक नही पाई और खुद ही अपने पीछे में उनका डिक लेना चाहती थी और मैने भी अपने आपको पीछे धकेला था ।
हाय में खुद ही खराब हूं , अकेले पापा नही जो खराब हो रहे हे
जो होना था वो हो गया और जो होना हे वो होकर रहेगा , शायद किस्मत ही हमे करीब लाना चाहती हे, ये सब हमने जानबूझकर तो नही किया था ।
( मनिका खुदको निर्दोष साबित कर रही थी, साथ ही उसके जयसिंह के रिश्ते को जायज ठहरा रही थी, मनिका ने अब उसके और जयसिंह का रिश्ता कबूल कर लिया था , मनिका अब मान गई थी के वह एक नॉर्मल बेटी की तरह नही रह सकती , जब भी वह अपने पापा के साथ होगी तब दोनो आकर्षित होंगे और खुदको रोक नही पाएंगे )
( मनिका ने खुद ही अपने और जयसिंह के रिश्ते पर पहले अंगूठी फिर किस और अब मन ही मन रिश्ता कबूल करके तीसरी मोहर लगा दी थी, एक ही दिन में हुए इन सब परिवर्तन से बेखबर जयसिंह को पता नहीं था की आगे जाके उसको मनिका के क्या रंग नजर आने वाले थे )
मनिका ये सब सोचने के बाद फोन रखती हे और मन ही मन बोल पड़ती हे " देखती हु मेरे प्यारे पापा का हाल होता है"
फिर मनिका अपने प्यारे पापा को तड़पाने के तरीके सोचते हुए सो जाती हे।