41 - नजदीकियां
जयसिंह अपना सामान लेके अपने कमरे की और बढता है , जेसे ही जयसिंह दरवाजा खोलता है अपने सामने मनिका को पाता है , दोनो ही किसी बिछड़े प्रेमी की तरह एक दम से एक दूसरे के गले लग जाते हे और फिर दोनो के होंठ गाढ़ चुंबन में जुड़ जाते है।
अब आगे
मनिका
दोनो ने ही कस के एक दूसरे को बांहों में भरा हुआ था दोनो के बदन एक दूसरे से चिपक गए थे , मनिका के वक्ष पूरी तरह जयसिंह की छाती में दब गए थे, दोनो की आंखे बंद थी।
मनिका करीब दस सेकंड के बाद मनिका अपने होंठ जयसिंह के होंठ से अलग करती हे , अब दोनो की आंखे मिलती है , दोनो ही बड़े प्यार से एक दूसरे को देख रहे थे, जयसिंह से रहा नही जाता और वह अपने होंठ मनिका के होंठ से मिला लेता हे , मनिका भी जयसिंह का साथ दे रही थी और अपने आप को जयसिंह में समाहित कर रही थी।
करीब दस सेकंड के बाद फिर दोनो के होंठ अलग होते हे, कोई ऐसी पतली सीमा थी जो मनिका लांघ नही पा रही थी और अपने होंठ खोल नही रही थी और फ्रेंच किस होने नही दे रही थी, मनिका खुद जयसिंह के साथ फ्रेंच किस करना चाहती थी पर किसी ना किसी वजह से रुक जाती थी और दोनो के होंठ सीधे जुड़ते थे फिर अलग हो जाते थे ।
मनिका अब जयसिंह से अलग होती हे और कहती हे पापा आप थक गए होंगे आप बैठिए में आप के लिए चाय बनाकर लाती हूं।
जयसिंह मनिका को कंधे से पकड़ कर बेड पर बिठाते हुए कहता हे कहा जा रही हो डार्लिंग, ऐसे ही थोड़ी देर तो बैठो मेरे साथ ।
मनिका जयसिंह की आंखों में देखते हुए कहती हे वो पापा मम्मी के रूम की लाइट ऑन हे वो कभी भी आ सकती है ।
जयसिंह बावला होकर मनिका को गले लगाते हुए कहता हे कोई नही आएगा डार्लिंग , " तीन दिन हो गए हमारी जुदाई के हम ठीक से प्यार भी नहीं कर सकते क्या "
मनिका अलग होते हुए " ऐसी बात नही है पापा "
तभी किसके चलने की आवाज आती हे और मधु रूम में दाखिल होती हे और कहती हे " आप कब आए? , चलो आप फ्रेश हो जाओ में आपके लिए खाना लगाती हूं "
मधु मनिका की और देखते हुए कहती हे " चलो अब पापा से मिलना हो गया हो तो उन्हे फ्रेश होने दो और अपने कमरे में जाओ "
( मनिका इस वक्त मधु को गुस्से की नजर से देख रही थी)
दोनो अब बेड से उठ जाते हे , जयसिंह मधु से कहता हे ठीक है तुम खाना लगाओ में आता हूं ।
मधु रूम से निकल जाती हे फिर जयसिंह मनिका को पूछता है इतने गुस्से से क्यू देख रही थी मधु को ?
मनिका न जाने क्यूं बोल पड़ती हे " मेरी सौतन को ऐसे नही देखूंगी तो केसे देखेंगु ? "
जयसिंह मजाक करते हुए और मनिका की चुटकी लेते हुए कहता हे " अच्छा सौतन, पर मुझे लगता हे वो तुम्हारी मम्मी हे "
मनिका अपनी गलती पर बुरी तरह शर्मा जाती हे और नीचे देखने लगती हे, जयसिंह कहता हे " अच्छा अब अपने कमरे में जाओ नही तो तुम्हारी सौतन फिर से आ जाएगी "
मनिका चिढ़ते हुए कहती हे " पापा आप भी ना ", मनिका रूम से जाने के लिए अपने कदम बढ़ाती हे, जयसिंह पीछे से मनिका का हाथ पकड़ कर उसे अपनी और खींचते हुए अपनी बांहों में भर लेता हे और कहता है " डार्लिंग गुड नाईट किस तो देती जाओ "
मनिका चिढ़ने के अंदाज में कहती हे " अपनी बेटी से किस मांगते हो शरम नही आती , आपकी बीवी और मेरी मम्मी कमरे में फिर से आ जाएगी , छोड़ो , मुझे अपने कमरे में जाना हे "
(लड़कियों का ऐसा ही रहता है उन्हें कब किस बात पर गुस्सा आ जाए ये बात मर्द को पता ही नहीं चलता , कब लड़किया आपसे बिगड़ जाए और कब बन जाए ये बात मर्द की समज से बाहर हे)
जयसिंह प्यार से कहता हे " डार्लिंग अब गुस्सा थूंक दो और गुड नाईट किस दे दो " , मनिका अब अड़ जाती हे और जयसिंह की और ना देखते हुए कही और देखने लगती हे ।
जयसिंह अब अपने होंठ मनिका की और बढाता है जिसे देख मनिका अपने होंठ भींच लेती हे पर जयसिंह फिर भी किस करते हुए कहता हे " good night darling, sorry , i love you"
मनिका कुछ नही कहती जो किसी और देख रही थी, जयसिंह अब उसे छोड़ देता हे और मनिका अपने कमरे में चली जाती हे ।
जयसिंह मन में सोचता है , ये अचानक मनिका को क्या हुआ लड़कियों का ऐसा ही रहता हे, सुबह तक ठीक हो जाएगी ।
( दरअसल मनिका जयसिंह के द्वारा मेसेज ना किए जाने के लिए गुस्सा थी जो किसी और प्रकार निकल गया , लड़कियों का हमेशा रहता हे की वो आपसे हफ्ते भर पुरानी बात के लिए झड़ते और आदमी उस बात पर सिर खुजाते हुए सोचे ये मेने कब किया )
जयसिंह पूरे दिन की ट्रैवलिंग से थक गया था इसलिए खाना खाने के बाद बेड पर गिरते ही सो जाता हे, उधर मनिका कनिका के साथ थोड़ी देर बैठती हे और फिर सो जाती हे।
सोते वक्त मनिका के मन में बीते दिनों के दृश्य चल रहे थे , मनिका के मन में तनीशा के रूम में बिताए वक्त के दृश्य चल रहे थे केसे वह अपने पापा के बारे में सोचते हुए जीवन में पहली बार ऑर्गेज्म को प्राप्त हुए थी ।
मनिका के मन में पोर्न वाला दृश्य चल रहा था जिसमे जयसिंह उस पर चढ़ कर उसे चोद रहा था और वह खुद अपने पापा का भरपूर साथ दे रही थी और जीवन के परम सुख का आनंद ले रही थी ।
मनिका सोचने लगती हे अगर सिर्फ इमेजिन करके ही इतना मजा आता हे तो जब सच में जब हम दोनों सेक्स करेगें तो कितना मजा आएगा , तभी मनिका की अंतरात्मा जवाब देती हे " ये में क्या सोच रहे हु वो मेरे पापा हे और में उनकी बेटी में उनके साथ सेक्स नही कर सकती " तभी मनिका का मन इसका प्रत्युत्तर देते हुए कहता हे " केसे तनीशा खुद अपने पापा से सेक्स करने के बारे में बोल रही थी, केसे वह बोल रही थी की वो मेरी जगह पर होती तो कबका चुदवा चुकी होती "
मनिका की अंतरात्मा एक और सवाल करती है " is consensual sex normal between dad and daughter? " मनिका का मन फिर से प्रत्युत्तर देते हुए कहता हे " absolutely yes " " पापा ने ही कहा था के हम बंध कमरे में क्या करे इससे किसीको कोई फर्क नही पड़ता "
फिर मनिका सोचती है केसे वह गीली पेंटी में घर आई थी, उसे ऐसा लग रहा थे जेसे वह अपने पापा के साथ सेक्स करके आयी है और उनका वीर्य उसकी पेंटी में छूट गया हे , " केसे में गीली पेंटी में बेशरम की तरह सब के सामने घूम रही थी और सोच रही थी जेसे पापा का वीर्य मेरी पेंटी में हे " " केसे थोड़ी देर पहले हम दोनों ने एक दूसरे को बांहों में भर लिया था और केसे हम दोनों ने एक दूसरे को किस किया था, थोड़ी देर और चलता तो फ्रेंच किस हो जाती "
मनिका अब गरम हो चुकी थी और अपनी चूत सहला रही थी, मनिका सांसे तेजी से चल रही थी और उसके कान गरम हो चुके थे , मनिका सोच रही थी " मुझे अब पापा के साथ सेक्स कर लेना चाहिए"
इतने में कनिका बेड पर आ कर सोने के लिए लेट जाती हे जिसे देख मनिका नॉर्मल हो जाती हे और कब सो जाती हे पता नही चलता।
Day 9
रोज की तरह मनिका बेड से उठ कर फ्रेश होती हे फिर दोनो बहने नीचे हॉल में नाश्ता करने जाती हे ।
टेबल पर बैठते ही मनिका जयसिंह को ढूंढने लगती है पर जयसिंह उसे कही दिखाई नहीं पड़ता , मनिका से रहा नहीं जाता और वह मधु से पूछती है " पापा कहा हे"
मधु कहती हे इतने दिनों की भागदौड़ की वजह से तेरे पापा को बुखार हो गया हे इसलिए आराम कर रहे हे , ये सुन तुरंत मनिका नाश्ते का चम्मच जो उसने उठाया था वो थाली में रख देती हे और कुर्सी से उठ कर सीधा जयसिंह के रूम की और चल देती हे।
मनिका के इस व्यवहार पर उसके जाने के बाद मधु कनिका को ताना मारते हुए कहती है " देख तेरी बहन को नाश्ता छोड़ कर अपने पापा को देखने के लिए चली गई कितना प्यार करती हे उनसे " , दादी भी कनिका को ताना मरते हुए कहती हे " सच कह रही है बहु तुझे भी अपनी बहन की तरह अपने पापा से प्यार करना चाहिए "
कनिका को अपनी मम्मी और दादी के ताने मारने से धक्का लगता हे और उसे मनिका के ऊपर गुस्सा आता हे वो मन में सोचती हे " हमेशा से मुझे मनी की वजह से डांट पड़ती हे , केसे वह पापा की परी बनी घूमती फिरती हे, पापा ने इतना मेरे लिए नही किया जितना मनी के लिए किया " , इस तरह कनिका के मन में जलन के लगे घाव और कुरेद जाते हे।
कनिका गुस्सा हो जाती हे फिर भी नाश्ता करती रहती है और गुस्से के साथ कहती है " पापा की लाडली उन्हे देखने के लिए गई है मेरी क्या जरूरत है "
मधु और दादी यह सुन चुप हो जाते हैं।
उधर जयसिंह बेड पर सो रहा था उसे हलका बुखार था सो उसने पैरासिटेमोल की गोली ले रखी थी।
मनिका रूम में जाते ही जयसिंह के गले लगते हुए कहती हे " पापा क्या हो गया आपको , आपने मुझे बताया भी नही "
जयसिंह मनिका को एक हाथ से बांहों में भरते हुए कहता हे " अरे डार्लिंग कुछ नही हुआ मुझे बस मामूली बुखार है ठीक हो जाएगा और मेने गोली भी ले ली है "
मनिका अब जयसिंह के सिर पर हाथ फेरते हुए कहती है " पर पापा आपका सिर अभी भी गर्म लग रहा हे "
इस वक्त जयसिंह का बायां हाथ उसके दिल पर था , मनिका के जयसिंह के सिर पर हाथ रखने की वजह से उसका स्तन जयसिंह के बांए हाथ की हथेली के पिछले हिस्से पर आ जाता हे , ऊपर से मनिका ने t-shirt के अंदर ब्रा भी नही पहनी थी।
जयसिंह मोका ना गंवाते हुए अपना हाथ दिल पर फेरने लगता हे जिससे उसके हथेली के पिछले हिस्से पर मनिका के स्तन का निप्पल घिसने लगता हे ।
मनिका को जयसिंह की ये करतूत पता चल जाती हे और उसके होंठ पर हल्की मुस्कान आ जाती हे और वह कहती हैं " पापा आप बड़े बदमाश हो " फिर भी मनिका वहा से हटती नही और जयसिंह के सिर की मालिश जारी रखती हे।
जयसिंह भी हंसते हुए कहता हे " ऐसा मेने क्या कर दिया डार्लिंग जो मुझे बदमाश कह रही हो "
मनिका दरवाजे की और देखते हुए (जो उसने गलती से खुला छोड़ दिया था) और अपनी आंखे मटकाते हुए कहती हे " आपको सब पता हे फिर भी आप नाटक कर रहे हों"
मनिका के निप्पल अब तन जाते हे और वह कड़क हो जाते हे जो जयसिंह अपनी हथेली पर साफ महसूस कर रहा था, मनिका अब गरम हो चुकी थी फिर भी वहा से हटती नही जिससे जयसिंह का हौंसला और बढ़ जाता हे और वह अपनी हथेली को जोर से फिराने लगता हे और धीरे धीरे ऐसे ऊपर उठा रहा था जिससे मनिका के स्तन दब जाए ।
इस हरकत से मनिका काफी गरम हो जाती है और अपने होंठ काटने लगती हे और दरवाजे की और देख कर फुसफुसाते हुए कहती हे " पापा कोई आ जाएगा "
मनिका चाहती तो थी की वह अपना दूसरा हाथ जयसिंह के लंड के ऊपर रख दे पर अपने आप को रोक लेती हे और अपनी आंखे बंध कर अपने पापा के साथ हवस के समंदर में गोते लगाने लगती हे , दरवाजा खुला था इसलिए दोनो चाह कर भी आगे की हरकत नही करते और जो हो रहा था उसे चलने दे रहे थे।
थोड़ी देर बाद कनिका रूम में नाश्ते की थाली लेकर दाखिल होती हे और चहकते हुए कहती हे " पपाआआ... आपके लिए गरम गरम नाश्ता हाजिर हे "
मनिका कनिका के यूं दाखिल होने से सकपका जाती हे और एकदम से उठ जाती हे , मनिका के स्तन इस वक्त पूरी तरह कड़क हो चुके थे और उसके कड़क निप्पल t-shirt से साफ दिखाई दे रहे थे।
कनिका मनिका के स्तन देख कर चौंक जाती हे पर अपने चहरे पर हावभाव नही आने देती , कनिका अब नाश्ते की थाली लेकर जयसिंह के बगल में बैठ जाती हे और कहती हे पापा आज में अपने हाथ से नाश्ता कराऊंगी
जिसे सुन मनिका जलभुन जाती हे और मन में सोचती है " आ गई मेरी एक और सौतन"
जयसिंह अब बेड की दीवाल के पास तकिया रख कर थोड़ा ऊपर हो जाता हे ओर कहता हे " ठीक हे तुम इतने प्यार से नाश्ता लाई हो में तुम्हारे हाथ से ही नाश्ता करूंगा "
( जयसिंह मनिका को बुरा न लगे इसलिए ये कहता हे)
जेसे ही कनिका जयसिंह को पहला चम्मच खिलाती है तभी जयसिंह के मन में सवाल आता हे और वह मनिका से पूछता है " मनी तुमने नाश्ता किया "
अभी भी खड़ी मनिका जवाब "ना " में सिर हिलाते हुए जवाब देती हे ।
जयसिंह ये देख कनिका को भी पूछता है" और तुमने "
कनिका बड़े ही प्यार से कहती हे" पपाआआआ... मेने नाश्ता कर लिया है आप आराम से नाश्ता करिए "
जयसिंह अब मनिका को अपने दूसरी और बैठने के लिए कहता हे, मनिका इस पर तपाक से जयसिंह के बगल में दूसरी और बैठ जाती हे।
कनिका अब एक और चम्मच जयसिंह को खिलाती है, जयसिंह कनिका को बुरा ना लगे इसलिए खा लेता हे और कनिका के हाथ से चम्मच लेते हुए नाश्ता मनिका की और बढ़ाते हुए कहता हे " तुमने नाश्ता नहीं किया है ना , चलो अब मेरे साथ नाश्ता करो "
मनिका कनिका को जलाने के लिए बड़े ही प्यारे अंदाज में जयसिंह के झूठे चम्मच से नाश्ता खा लेती हे।
यह मंजर देख कनिका को इतना गुस्सा आता हे की उसे लगता हे के वह नाश्ते की प्लेट यही फेंक कर चली जाए , पर फिर भी कनिका अपने आप पर संयम रखते हुए नाश्ते की प्लेट थामे रखती हे पर उसके चहकते चहरे का रंग उड़ जाता है।
कनिका दो और चम्मच जयसिंह को खिलाती हैं, जयसिंह भी ठीक दो चम्मच को अपने मुंह से निकाल कर नाश्ता लेकर मनिका को खिलाता है, कनिका से रहा नहीं जाता और वह कहती हे " पापा बहुत देर हो गई है अब में पढ़ाई करने जा रही हूं"
फिर कनिका जयसिंह के कमरे से निकल जाती हे , बाहर आते ही ऊसके आंसू निकल जाते हैं जिसे वह पोंछ लेती हैं पर मधु यह सब किचन से देख लेती हे ।
कनिका अपने कमरे में रोते हुए सोचती हैं " देख लूंगी मनी को , केसे वह नंगी ही पापा के सामने जाती हैं, उसके स्तन पूरी तरह दिख रहे थे, ऐसे ही पापा को उसने अपने जाल में फंसा रखा है"
उधर जयसिंह कनिका के हाथ से प्लेट लेकर मनिका को थमा देता हे, मनिका अब जयसिंह को खिलाती है और जयसिंह आधा ही खाकर उसका झूठा नाश्ता मनिका को खिलाता है , मनिका भी बड़े प्यार से जयसिंह का झूठा नाश्ता खा लेती हे।
प्लेट में अब ड्रायफ्रूट ही बचे थे, जयसिंह अपने मुंह में एक आधा काजू दबाकर इसे मनिका को खाने का इशारा करता है।
मनिका फुसफुसाते हुए कहती हैं" क्या करते हो पापा दरवाजा अभी भी खुला है कोई देख लेगा "
जयसिंह दबी आवाज में जोर देते हुए कहता हे " अरे तो जल्दी करो ना " और मनिका को खाने का इशारा करता है।
मनिका अब घबराते हुए दरवाजे की और देखती है फिर जल्दी से अपने होंठ जयसिंह के होंठ से जोड़ कर आधा काजू खा लेती है।
जयसिंह मनिका की गबराहट देखते हुए हंसता है और फिर एक बादाम अपने मुंह में आधा रख कर मनिका को इशारा करता है
मनिका कहती हे " ohh god you are impossible"
फिर मनिका एक नजर दरवाजे की ओर देखती हे फिर तपाक से जयसिंह के होंठ पर अपने होंठ रख कर आधा बादाम खा लेती हैं।
जयसिंह एक और बादाम प्लेट से उठाता है जिसे देख मनिका गुस्सा होते हुए प्लेट जयसिंह की छाती पर रखते हुए कहती है " अब नही "
जयसिंह हंसते हुए खुद ही काजू बादाम खाने लगता हे, थोड़ी देर में मधु रूम में चाय का कप लेकर आती हे और आते ही मनिका से कहती हे " मनी जरा देखो तो कनु कुछ ठीक नहीं लग रही थी"
मनिका अब अपने कमरे में चली जाती हे वह देखती है कनिका पढ़ाई कर रही है और नॉर्मल है इसलिए वह कुछ नही कहती।
मनिका मन में सोचती हैं " मम्मी भी ना मुझे भगाने के लिए बहाना बना रही थी "
उधर मधु जयसिंह को चाय का कप देते हुए कहती हे " ऐसा क्या कह दिया आपने, के कनु कमरे से रोते हुए जा रही थी "
जयसिंह मनिका को सिर्फ नाश्ता खिलाने की बात कहता हे जिसे सुन मधु जयसिंह को सुनाती हे " आप ऐसा करोगे तो बेचारी रोएगी ही , कितने प्यार से आपके लिए नाश्ता लायी थी और आप हो के बस आपको सिर्फ मनी ही दिखाई पड़ती हे " बेचारी को मेंने और मम्मी जी ने खामखा ही डांट दिया आप किसी के प्यार के लायक नहीं हो , " आज कल आपका व्यवहार सबके तरफ पूरी तरह बदल गया हे, आप सिर्फ मनी के ऊपर ही ध्यान दे रहे हो , माना की मनी कुछ दिनों में चली जाएगी इसलिए उसका ध्यान रखना लाजमी है, मुझे इससे कोई एतराज नहीं पर इसका मतलब ये नहीं कि आप दूसरों को पूरी तरह नजरंदाज करो ।
जयसिंह किसी साधारण पति की तरह पत्नी की बाते चुपचाप सुनता जा रहा था और उसका प्रत्युत्तर नही दे रहा था।
मधु आगे कहती हे " देखिए जी आप सिर्फ मनी को लाड प्यार करना बंध करो , हितेश और कनु पर भी ध्यान दो"
जयसिंह चाय पीते हुए हुंकार भरता है फिर चाय का घूंट अपने गले में उतार कर कहता हे " ठीक है मेरी मां में ऐसा ही करूंगा , अब मुझे आराम करने दो मेरा सिर दर्द कर रहा हे "
मधु इस बात का जवाब नहीं देती और चाय का खाली कप लेकर किचन की और निकल पड़ती हे।
आज सब लोग घर पर थे , हितेश और कनिका का स्कूल वेकेशन पड़ चुका था।
करीब 12बजे घर में दो लोगो की एंट्री होती हे, एक के हाथ में first aid kit था और दूसरे के हाथ में एक ठेला ।
( ये दोनो लोग कोन थे जाने आगे के एपिसोड में )