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Incest Part-2 बेटी की जवानी - बाप बेटी का प्यार।

मनिका को क्या करना चाहिए??

  • झगड़ा

    Votes: 9 8.0%
  • समझोता

    Votes: 12 10.7%
  • प्यार

    Votes: 89 79.5%
  • दूरियां

    Votes: 2 1.8%

  • Total voters
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Speedy_rocket

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Apsingh
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Realy great yaar good marks thodi last writer ki story pado dono ke character ko achi tarh se samjho fir bhi acha likh rahe ho shayad ma galat sabit ho jaaoo sach me mujhe bahut khushi hogi ki mere previous comments jo tumaare baare me the galat sabit huai you r going on right track
 
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Speedy_rocket

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Realy great yaar good marks thodi last writer ki story pado dono ke character ko achi tarh se samjho fir bhi acha likh rahe ho shayad ma galat sabit ho jaaoo sach me mujhe bahut khushi hogi ki mere previous comments jo tumaare baare me the galat sabit huai you r going on right track
Bro im just making build up for future events
 
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Speedy_rocket

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36 - छत

मनिका

images-2

सुबह के 6 बज रहे थे , जयसिंह आज जल्दी उठ गया था सो वो छत पर चला जाता हे ।
सुबह सुबह सूरज अपनी कोमल रोशनी बिखेर रहा था होले होले ठंडी ठंडी हवाएं चल रही थी।

ऐसे मौसम में योगी योग करले , कवि गीत गाले , प्रेमी अपनी महबूबा की लिए झूमले।

जयसिंह भी अपनी आने वाली जिंदगी के लिए सपने संजो रहा था ।

7 बजे के आसपास जयसिंह नीचे आया अपने लिए चाय बनाई फिर नहाने धोने के लिए चला गया ।

जयसिंह ने एक काम ऐसा किया था जिसके बारे में मनिका ने सोचा भी नही था , खेर वो तो मनिका जब ऊपर जाएगी तब उसे पता चल ही जाएगा ।

मनिका को उठने की कोई जल्दी नहीं पर कनिका को थी उसके बोर्ड के एग्जाम जो आने वाले थे , कनिका फ्रेश होके पढ़ाई के लिए बैठ जाती हे ।

कुछ देर बाद मधु सबको नाश्ते के लिए आवाज लगाती हे , सब लोग नाश्ता करने टेबल पर बैठ जाते हे , मनिका आज जयसिंह की बगल में बैठी थी दोनो काफी खुश थे क्युकी दोनो को ही पिछले तीन दिनों की बेरुखी में कुछ भी अच्छा नहीं लगा था , एक दूसरे का साथ पा कर मानो सब मिल गया उन्हे ।

मनिका और जयसिंह के चहरे पर आज एक अलग ही तरह की खुशी और रोनक थीं सब लोग मस्ती मजाक करते हुए अपना नाश्ता कर रहे थे।

कनिका को एग्जाम की तैयारी करनी थी सो वह सबसे पहले वह चली जाती हे , सबको मालूम था के ये वक्त कनिका के लिए कितना इंपोर्टेंट है सो कोई भी उसे कुछ नही कहता था
सब लोग उनसे जितना बन पड़े उतना कनिका को सपोर्ट कर रहे थे ।

हितेश को भी स्कूल जाना था सो वह भी चला जाता हे तैयार होने के के लिए ।

इस दौरान मनिका अपने मन में सोच रही थी के ( उस दिन खामखा ही दादी वाला शब्द पकड़ लिया में कोई रांड नहीं हो सकती में तो एक प्यारी सी लड़की हूं जो अपने पापा से बहुत प्यार करती है और उनसे हर तरह के सुख की इच्छा रखती हे " तभी उसके अंतरमन से आवाज आती हे " " हर तरह का सुख " और उसके गले में पानी अटक जाता हे जो वह उस दौरान पी रही थी ।

मनिका बुरी तरह से खांस ने लगती हे जयसिंह तुरंत ही उसकी पीठ पर हाथ फिराने लगता है ( अक्सर अगर किसीको खांसी आती हो तो उसकी पीठ पर हाथ फिराने से उसका ध्यान डायवर्ट हो जाता हे और उस व्यक्ति को थोड़ी राहत महसूस होती हे )

मनिका को कुछ ही देर में सब ठीक हो जाता हे , जयसिंह धीरे से उसके कान में कहता है , मेरे साथ ऊपर चलो तुम्हारे लिए सरप्राइज़ है।

मनिका अपनी मां मधु को आवाज लगती हे " मां हम ऊपर जा रहे हे " मधु इस वक्त किचन मे काम कर रही थी , मधु कहती हे वापस आकर मुझे बताना केसा लगा ।

मनिका मधु के इस जवाब से जयसिंह की और सवालिया निगाहों से देखती है।

दरअसल जयसिंह ने मधु को पहले ही सरप्राईज के बारे में मधु को बता दिया था सो मधु भी अपनी बेटी के लिए खुश थी ।

मधु और मनिका की चाहे कितनी भी बहस होती हो थी तो वो उसकी बेटी ही और मधु अपने तीनो बच्चो को बराबर प्यार करती थी इसमें दो राय नहीं थी।

उधर मनिका और जयसिंह छत की और चल देते हे , मनिका पूछती हे पापा बताओ ना क्या हे सरप्राइज , जयसिंह कहता हे ऊपर चलो सब पता चल जाएगा।

दोनो छत पर बने केबिन के अंदर आ जाते हे जेसे ही मनिका दरवाजा खोलने वाली थी तुरंत ही जयसिंह उसका हाथ पकड़ लेता है और कहता हे इतनी जल्दी भी क्या हे रुको जरा सब्र करो और वह मनिका के पीछे आके उसकी आंखो पे अपने दोनो हाथ रख देता हे और बताता है अब खोलो दरवाजा ।

मनिका तो जैसे खुशी के मारे जूम रही थी , उसके मन में हजार तरह के सवाल आ रहे थे क्या हे , क्या हो सकता हे ।

( यह दरवाजा कोई सामान्य दरवाजा नही था जो मनिका खोलने जा रही थी , यह दरवाजा मनिका और जयसिंह के प्यार की मंजिल में एक अहम भूमिका अदा करने वाला था , यह सिर्फ दरवाजा नही बल्के मनिका और जयसिंह के प्यार का दरवाजा खुल रहा था )

( मनिका ने जाने अंजाने में ही सही उसके और जयसिंह के करीब आने का रास्ता ख़ुद ही खोल दिया था, जयसिंह हमेशा से ही सोचता रहता था के केसे मनिका को सबके सामने अपने करीब रखा जाए जिसका उपाय खुद मनिका ने कर दिया था)

खेर आखिरकार मनिका ने दरवाजा खोल ही दिया , इस दौरान भी उसकी आंखे बंध थी , मनिका को वैसी ही फीलिंग आ रही थी जब एक दुल्हन पहली बार घर की चोकठ पर पैर रखती हे , मनिका अब दरवाजे की चोकठ पार करके खुली छत पर आ चुकी थी सो उसे रहा नही गया और बोल पड़ी " पापा अब खोलो भी हाथ कहा हे मेरा सरप्राइज़ ? "

जयसिंह : इतनी जल्दी भी क्या हे मेरी जान में यही पर हूं
( और जयसिंह हंस पड़ता है )
मनिका : पापा अब छेड़ो मत और हाथ खोलो
जयसिंह : इतनी आसानी से नहीं , तुम्हारे लिए एक पहेली हे
मनिका : जो भी हे जल्दी बतादो अब मुझसे रहा नही जायेगा
जयसिंह : ठीक है भाई , में तुम्हे कुछ स्मेल कराऊंगा , तुम्हे बताना हे के वो चीज क्या हे ?
और साथ ही तुम्हे मेरे साथ इस चीज तक चल कर जाना पड़ेगा
मनिका : ठीक है बा बा जल्दी करो
( मनिका अपनी हथेलियां हिलाते हुए उछल रही थी और अपना उतावलापन शब्दो के साथ शारीरिक गतिविधियों से बयान कर रही थी )
जयसिंह : मनिका को कुछ स्मेल कराते हुए
बताओ क्या चीज है ये ?
मनिका : में पक्का तो नही बता सकती पर चमेली की स्मेल कन्फर्म आ रही हैं।
जयसिंह : जहांपनाह आपके जवाब से खुश हैं , जवाब मंजूर किया जाता हे अब अगली चीज पेश हे ( जयसिंह ऐसे बोल रहा था जैसे कोई राज दरबान बोला करते हे)
मनिका : ये तो सनफ्लोअर की स्मेल हे , इस बार भी में चीज नही बता पाई shitttt.....
जयसिंह : ठीक है कोई नही एक और ट्राई , तीसरी चीज भी हाजिर हे
मनिका : ये तो तुलसी की स्मेल हे , shittt... इस बार भी में फेल हो गई चीज बताने में

( जबसे जयसिंह ने मनिका की आंखों को ढंका था तबसे दोनो के बीच करीब एक इंच की दूरी थी )

जयसिंह पूरी तरह मनिका को पीछे से सटते हुए उसके कान में कहता हे डार्लिंग पर तुमने तो सारे सवालों के जवाब सही दिए हे ।

मनिका खुशी के मारे बोल पड़ती है " सच "
जयसिंह भी नेहले पे दहला मारते हुए और साथ ही मनिका की आंखे खोलते हुए कहता हे " मुच"

जयसिंह अपने दोनो हाथ मनिका की कमर से होते हुए उसके पेट की नाभी के पास फोल्ड कर लेता है मनिका भी उसके दोनो हाथ जयसिंह के हाथो पर रख देती हे ।

( दोनो काफी ही रोमांटिक पोजिशन में खड़े थे )

मनिका को तो अपनी आंखो यकीन नही हो रहा था , एक ही रात में पापा ने ये केसे कर लिया उसके गुलाबी होंठ से शब्द फुट पड़े " Ohh My God this is so awesome " " i love you so much papa " " thank you so much for everything " " you always amaze me "

पापा आपको तो जैसे हमेशा पता रहता है के मुझे क्या चाहिए
( वह पीछे अपना सिर मोड़ते हुए जयसिंह की आंखों में देखते हुए कहती हे )

जयसिंह भी मौके पर चौका मरते हुए उसके गाल पर गहरी किस देते हुए कहता हे " मेरा सब तुम्हारा ही तो हे मेरी जान " लगता है तुमने अपने इस आशिक को ठीक से पहचाना नहीं ।

मनिका अब जयसिंह की गिरफ्त से आजाद होते हुए और पूरी छत का मुआयना करते हुए कहती हे ।

पापा एक दिन पहले केसे इस पूरी छत पर धूल जमी पड़ी थी , और केसे मेने कल रात ही मम्मी को बताया था आप केसे समझ जाते हे मेरे दिल की बात ।

जयसिंह से भी रहा नही गया और बोल पड़ा " क्योंकि में तुम्हारे दिल में रहता हु "

मनिका शरमा के अपनी नजरे झुकाते हुए कहती हे " this is so beautiful " हर लड़की चाहती हे के उसका बॉयफ्रेंड उसके लिए फूल लाया करे पर आपने तो मुझे पूरा मिनी गार्डन ही गिफ्ट कर दिया " i love you so much papa "

और तो और आपने इतनी अच्छी डिजाइन भी सिलेक्ट करी हे उपरसे एक प्यारा सा झूला जो बहुत ही बारीकी से थी छत के बीचों बीच बैठाया गया हे , पूरी छत को जेसे गार्डन बनाया गया है।

" again i love you so much papa "
और फिर मनिका सीधा जाके जयसिंह के गले लग जाती हे , वह अपने गुलाबी होंठ जयसिंह को पप्पी देने के लिए आगे बढाती हे ।

एक सेकंड के लिए दोनो के होंठ 1 इंच की दूरी पर थे , मनिका आगे बढ़ते हुए जयसिंह के दोनो गालों पर गहरी किस देती हे ,
फिर कहती हे " पापा में आपके बिना नहीं रह पाऊंगी "

जयसिंह भी उसकी आंखो में देखते हुए और इमोशनल होते हुए कहता हे " में भी तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊंगा माय लव "

( दोनो एक दूसरे के आंखो में देखते रहते है और एक खामोशी छा जाती हे )

मनिका इस खामोशी को तोड़ते हुए कहती हे चलो ना पापा झूले पे बेठते है ।
जयसिंह : हा चलो डार्लिंग वह जा कर रोमांस करेंगे
मनिका : पापा छेड़ो मत , आप तो मौके का फायदा उठा रहे हे
जयसिंह : इतनी खूबसूरत गर्लफ्रेंड हो तो फायदा उठाना ही चाहिए , तुम्हारी खूबसूरती के आगे ये गार्डन फेल है
मनिका : ( शरमाते हुए ) ज्यादा मक्खन मत लगाओ फिसल जाओगे
जयसिंह : तुम्हारे प्यार में फिसल ने के लिए तो बेताब हूं
मनिका : मेने आपको लाइन क्या दी आप तो सर पर चढ़ने लगे
जयसिंह : ( मनमे मेरा तो तुम्हारे पे चढ़ने का इरादा हे मेरी जान)
वो सब ठीक ही फिलहाल झूले पे चढ़ते हैं
मनिका : हां चलो माय डियर पापा ..

जयसिंह बड़े ही प्यार से मनिका का हाथ पकड़ कर उसे झूले के पास ले जाता हे ।

तभी दोनो का ध्यान कबसे " खटट खटट "की आवाज कर रहे दरवाजे की और जाता हे ।

मनिका कहती पापा इससे बंध करना ही पड़ेगा वरना ऐसे ही आवाज करता रहेगा ।

ओके डार्लिंग में जस्ट बंध करके आया , जयसिंह दरवाजा बंध करके आ जाता हे मनिका अभी भी खड़ी थी , जयसिंह पहले बैठ जाता हे और मनिका को गोद में आने का इशारा करता है ।

मनिका खुशी खुशी जयसिंह की गोद में बैठ जाती हे , जयसिंह अपने दोनो हाथ मनिका की कमर पर रख देता हे ।।

( सुबह सुबह का वक्त था मनिका ने एक टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन रखे थे और नीचे वही थोंग वाली पेंटी पहनी थी , जयसिंह को तो सब पहले से मालूम था क्या क्या करूंगा पूरा गेम प्लान रेडी था सो उसने ऊपर एक रेशमी शर्ट और नीचे बिना अंडरवियर के कॉटन पैंट पहन रखी थी )

दोनो के ठीक रहे पहनावे की वजह से दोनो के शरीर आपस मे एक सही स्थिति में जुड़ रहे थे ।

( दोनो के बीच अब प्यार भरी बातें सुरु हो जाती हे , और दोनो एक दूसरे को बड़े प्यार से देख रहे थे और कह रहे थे )

मनिका : पापा केसे आपने एक की रात में ये सब किया
जयसिंह : वो तो मेने कल रात ही सबको ऑर्डर कर दिए थे वो भी डबल पैसे दे के अर्जेंट में और आज सुबह आके सुपरवाइजरी भी करी
मनिका : ohh papa you are so good , कितना अच्छा फील हो रहा हे ना यह ?
(जयसिंह तो उसकी आंखो में खोया हुआ था )
बताओ ना पापा ?
जयसिंह : डार्लिंग में कबसे इस मौके का इंतजार कर रहा था
मनिका : केसा मोका ?
जयसिंह : वही कब तुम मेरी गोद में आओ और कब हम एक दूसरे को प्यार करे
मनिका : में कोई आपकी गोद में ऐसे आने वाली नही , आप कोई और ढुंढलो अपनी गर्लफ्रेंड
जयसिंह : पर तुम्ही तो मेरी गर्लफ्रेंड हो , बताओ ना डार्लिंग क्या में तुम्हारा बॉयफ्रेंड नही हू ?
मनिका : वो...वो..... तो आप हो
जयसिंह : तो अपने इस बॉयफ्रेंड को एक किस दो ना
( जयसिंह का आशय होंठ पर किस लेने का था )
मनिका जयसिंह का असली आशय समझते हुए शर्मा जाती हे और अपने सुर्ख गुलाबी होंठ जैसे ही आगे बढाने का सोचती हे

तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आती हे
 
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