Thanks for reading, enjoying and appreciatingWonderful, मिलन का बहुत ही कामुक वर्णन।
Thanks for reading, enjoying and appreciatingWonderful, मिलन का बहुत ही कामुक वर्णन।
Lagta hai aap ne andaja laga hi liya hai.मतलब उस डायरी में लिखा फोन नंबर मोहन का था या मोहन के पुराने मालिक का............
वहाँ से सूचना मिलने पर मोहन ने अपने नए नंबर से राजराम को फोन किया
और अब रुचिका को दिया के पास छोडकर 3-4 दिन के लिए जा रहा है..............संध्या के पास...............संध्या को लेने?
अब रुचिका और दिया की बातों के लिए में कुछ कहना नहीं चाहता क्योंकि में चमत्कार को नहीं ईश्वर को मानता हूँ.........
और उसकी व्यवस्था को कोई गुरु, बाबा या स्वामी जी बदल नहीं सकते..........
जो ऐसा कहते हैं वो ढोंगी और पाखंडी हैं.................
देखते हैं अभी क्या होना है
Aapne bahut sahi samiksha aur vishleshan kiya hai.बहनों और भाइयों ! ये एक स्टोरी है , कोई बायोग्राफी या सच्ची घटना पर आधारित स्टोरी नहीं है । इसलिए इसे एक काल्पनिक कहानी समझ कर मज़ा ले ।
किसी को संध्या का कैरेक्टर पसंद नहीं है तो किसी को आदित्य का । किसी को मोहनलाल पसंद है तो किसी को रूचिका । पसंद अपनी अपनी ।
ये एक इनसेस्ट कैटेगरी की स्टोरी है जिसमें सिर्फ फैंटेसी ही होती है.... वास्तविकता से कोसों दूर ।
लेकिन चूंकि स्टोरी जब लोगों के दिलों के करीब हो जाती है तो एक पर्सनल अटैचमेंट बन ही जाता है ।
लोग अपने अपने नजरिए से कहानी की समीक्षा करने लगते हैं । मैंने भी कितनों बार किया है । इसलिए अमिता जी ! आप इसे पोजिटिव वे में ही लीजिएगा ।
चूंकि मैं औरतों को दुखी नहीं देख सकता.... संध्या और रूचिका दोनों की जो परिस्थितियां हैं वो दिल को व्यथित कर देता है ।
एक रीडर होने के नाते मैं कहना चाहता हूं कि प्लीज इन दोनों कन्याओं की जिंदगी से मुसीबत दुर कर दीजिए ।
So nice update
Thanks for liking and appreciatingMast hai
Aapka bahut bahut dhanyawad.Adbhut varnan Amita ji........
Matlab mohanlal ko sandhya ka pata chal gaya hai.......
Aapka jawab padkhar aapne sirf mere man ko hi thess nahin panhuchayi hai balki aapne apane aap ko sahi aur baki saari duniya ko galat thera diya hai.आपके कोमेंट्स से मुझे राजनीति की बू आने लगी है.............
सभी के मन को लुभाने वाली बातें
आज के समय में प्रत्यक्ष अनुभव कर लें......... 99.99% लोगों की आस्था जुगाड़ में है......
- रिश्वत लेने वालों से ज्यादा देने वालों की आस्था है.... दूसरों से पहले हमारा काम हो जाए
- अपनी बीवी/अपने पति से ज्यादा दूसरे आदमी या औरत से सेक्स करने में भी ज़्यादातर लोगों की आस्था है
- अपने प्रयास से नहीं..... चमत्कार से अपने सब काम सिद्ध होने में आस्था है
- और बिना कुछ किए सबकुछ पा लेने में आस्था है........ करने के लिए दूसरों को ज़िम्मेदारी........ मतलब उत्तरदायित्व नहीं उत्तराधिकार चाहिए
अब इन सब बातों में लोगों की आस्था तो बहुत ज्यादा है............. लेकिन सम्मान.....
सम्मान तो वो भी नहीं करते जिनकी आस्था है...........
तो में कैसे कर सकता हूँ......... मेरी तो आस्था ही नहीं
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आपको बहुत पका रहा हूँ........... अब जल्दी कमेन्ट नहीं करूंगा...........पता नहीं क्या-क्या लिखने लग जाता हूँ