Ch 18 - धोकेबाज विवेक
विवेक की उम्र लगभग 20 साल के आसपास थी और उसने मार्शल आर्टिस्ट के कपड़े पहन रखे थे विवेक के दोनों हाथों में कवच लगा हुआ था और उसे देखने से ऐसा लग रहा था वह हर पल के लिए तैयार है।
अवनी की बात सुनकर विवेक की भौहे चढ़ जाती है और वह अवनी को घूरने लगता है जैसे कि वह ये पता लगाने की कोशिश कर रहा हो आखिरकार अवनी के मन मे क्या चल रहा है।
विवेक बोला "तुम्हें पिताजी की हालत के बारे में पता है उन्होंने हमारा बचपन से ध्यान रखा, भले ही हम उनके सगे नहीं थे पर उन्होंने हमारा बहुत अच्छे से ध्यान रखा और जबकि वे तकलीफ में है हमें उनकी मदद करनी चाहिए, और तुम कुछ चंद सिपाही को देखकर वहां से भाग कर आ गई।"
इतना कहने के बाद विवेक ने रुद्र की ओर इशारा करते हुए कहा "और ये बुड्डा कौन है तुम इसे यहां पर क्यों लेकर आई हो?" अवनी ने शांति से जवाब दिया "ये एक दूसरे स्तर के वेध्य है मैंने इनकी काबिलियत खुद देखी है बिल्कुल ठीक नहीं पर ये हमारे पिताजी को काफी हद तक ठीक कर देंगे।"
अवनी की बात सुनकर विवेक के चेहरे पर गुस्से के भाव आ जाते हैं विवेक ने अवनी के करीब जाते हुए गुस्से में कहा "मैंने तुम्हें बताया था हमारे पिताजी को वर्मा परिवार के पुश्तैनी खजाने ने घायल किया है और उन्हें वही खजाना ठीक कर सकता है अगर हमारे पिताजी को कोई वेध्य ठीक कर पाता तो मैं पहले ही किसी वेध्य को बुलाकर पिताजी को अब तक पूरी तरह ठीक करा देता।"
विवेक की बात सुनकर अवनी बिल्कुल शांत हो जाती है क्योंकि उसके पास विवेक के इस सवाल का कोई जवाब नहीं था।
तभी रूद्र बोला "बेटा अवनी ठीक बोल रही है मैं बहुत सारी सिटी और देश के अंदर घूम चुका हूं और मैंने बहुत से मरीजों को ठीक किया है कम से कम मुझे एक बार उस मरीज को देखने तो दो।"
रुद्र की बात सुनकर विवेक को और ज्यादा गुस्सा आ जाता है वह अपने हाथ का मुक्का बनाते हुए रुद्र की ओर बढ़ने लगता है "बुड्ढे तू बेटा किसे बोल रहा है मैं तेरा कोई बेटा वेटा नहीं हूं।"
अवनी की बात सुनकर विवेक उसी जगह पर रुक जाता है और कुछ देर सोचने के बाद बोलता है "ठीक है तुम एक बार पिताजी को देख सकते हो, पर अवनी मैं तुम्हें पहले ही बता दू, अगर यह बुड्डा पिताजी को ठीक नहीं कर पाया तो ये यहां से जिंदा नहीं जा पाएगा।"
इतना कहने के बाद विवेक आगे जाने लगता है जहां अवनी ने धीरे से रूद्र को कहां "देखा तुमने विवेक बहुत अच्छा इंसान है उसे पिताजी की बहुत ज्यादा चिंता है तभी तो उसने कहा है अगर तुम पिताजी को ठीक नहीं कर पाए तो वह तुम्हें मार डालेगा।"
जिस पर रूद्र ने धीरे से मुस्कुराते हुए कहा "तुम नासमझ लड़की हो, मुझे लगता है तुम्हारे पिताजी ने तुम्हें कुछ भी नहीं सिखाया, भला तुम्हारे होते हुए मैं तुम्हारे पिताजी को कैसे नुकसान पहुंचा सकता हूं पर ये मुझे फिर भी रोकने के लिए आया और ये बात तो तुम भी जानती हो एक निचले स्तर की मामूली सी मार्शल आर्ट तुम्हारे पिताजी को ठीक नहीं कर सकती, पर उसे फिर भी वह मार्शल आर्ट चाहिए अवनी तुम मानो या ना मानो तुम्हारा मंगेतर बहुत ज्यादा रहस्यमई है।" रुद्र की बात सुनकर अवनी बिल्कुल शांत खड़ी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कौन सही है कौन गलत।
अवनी को शांत देखकर रूद्र बोलो "चलो चलते हैं मैं एक बार तुम्हारे पिताजी को देखना चाहता हूं।"
जिस पर अवनी बोली "पर तुम तो नकली वेध्य हो फिर तुम कैसे पिताजी को देख सकते हो कहीं तुम मेरे पिताजी को नुकसान पहुंचाने के बारे में तो नहीं सोच रहे?"
अवनी मै यहां इतनी दूर तुम्हारे पिताजी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं आया, हमें अभी नाटक करते रहना होगा तुम्हारा मंगेतर यहीं पर है और क्या पता मैं तुम्हारे पिताजी को ठीक कर दूं और इसके अलावा मुझे ये भी जानना है तुम्हारा मंगेतर सच में अच्छा इंसान है या फिर
बुरा?" इतना कहने के बाद रूद्र अवनी के साथ एक-दो मंजिला घर के अंदर चला जाता है जहां एक कमरे के अंदर अवनी के पिताजी बिस्तर पर पड़े थे विवेक भी उसी
जगह पर था और वह अपने पिताजी को खाना खिला
रहा था।
अवनी और रुद्र को देखकर विवेक खड़ा हो जाता है उसने गुस्से में कहा "अगर तुम्हारी दवाइयो की वजह से पिताजी को कुछ हो गया तो मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा।"
विवेक की बात सुनकर रुद्र अवनी के पिताजी को देखने लगता है अवनी के पिताजी की हालत बहुत बुरी थी उनकी आंखें अंदर धस चुकी थी और शरीर पूरी तरह सूख गया था मुंह पर बुरी तरह झुरिया थी और रंग काला पड़ गया था।
रुद्र अवनी के पिताजी का हाथ पकड़ता है और नस दबाने के बाद तुरंत कहता है "इन्हें बिल्कुल भी अंदरूनी चोट नहीं लगी है इनका शरीर अंदर से पूरी तरह ठीक है।"
रुद्र की बात सुनकर अवनी हैरान हो जाती है अवनी बोली "पर ऐसा कैसे हो सकता है पिताजी को ना हीं बाहर चोट लगी है और ना ही अंदर, फिर ये चल फिर क्यों नहीं पा रहे?"
तभी कुछ सेकेंड बाद रूद्र बोला "हां मुझे पता चल गया, ये वही है तुम्हारे पिताजी को कोई बीमारी नहीं है बल्कि उनके शरीर के अंदर एक जहरीला कीड़ा है।"
जैसे ही विवेक ये बात सुनता है वह तुरंत भागता हुआ रूद्र को पीछे धकेल देता है "तुम ये सब क्या बकवास कर रहे हो, भला पिताजी के अंदर कीड़ा कैसे हो सकता है?"
विवेक को ऐसी हरकत करते हुए देखकर अवनी बोली
"सीनियर तुम ये क्या कर रहे हो इन्हें पिताजी का अच्छे से इलाज करने दो।"
अवनी की बात सुनकर विवेक ने अवनी के पास आते हुए कहा "मुझे बताओ सिमरन कहां पर है वह तो हर वक्त तुम्हारे साथ रहती है फिर वह आज यहां पर क्यों नहीं, क्या तुम मुझसे कोई बात छुपा रही हो?"
अवनी बोली "भला मैं तुमसे कोई बात क्यों छुपाऊंगी और रही बात सिमरन की मैंने उसे कुछ काम दिया था और वह उसी काम को कर रही है।"
अवनी की बात सुनकर विवेक अवनी के बहुत ज्यादा करीब आ जाता है और फिर अचानक से उसे धक्का देकर अपने दूसरे हाथ से दीवार पर लगे एक बटन को घुमाता है और विवेक के ऐसा करते हैं जमीन के अंदर एक गेट खुलता है जिसके नीचे एक बड़ा गड्डा था अवनी उड़ती हुई उसी गड्ढे में गिर जाती है।
अपने सामने ये सब होते हुए देखकर रूद्र वहां से भागने की एक्टिंग करता है पर विवेक रूद्र को भी उसी गड्ढे में गैर देता है।
इधर अवनी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था सब कुछ इतनी जल्दी हुआ था उसे कुछ भी समझने का वक्त नहीं मिला था अवनी को ऊपर खड़े विवेक को देखकर कुछ-कुछ समझ में आ रहा था पर वह उसे सच नहीं मनाना चाहती थी।
ऊपर खड़े विवेक ने अवनी से कहा "जब तुम यहां पर आई थी मुझे तभी तुम पर शक हो गया था और जब मैने इस बुड्ढे को दिखा, मुझे पता चल गया जरूर अब तुम्हें मेरे ऊपर विश्वास नहीं।"
अवनी ने नम आंखों से विवेक को कहा "सीनरीयर ये तुम क्या कर रहे हो क्या तुम हमारे पिताजी को नुकसान पहुंचाना चाहते हो पर तुम ऐसा कैसे कर सकते हो पिताजी ने तुम्हारा बहुत अच्छे से ख्याल रखा और तुम्हारी हर जरूरतो को पूरा किया क्या उनसे कोई गलती हो गई।"
जिस पर विवेक करूरता से बोला "कौन सीनियर मैं तुम्हारा कोई सीनियर नहीं हूं, मै तो यहाँ पर डार्क फील्ड से आया हूँ और रही बात उस बुड्ढे की मैं उसे अपना पिता नहीं मानता, उसने मुझे गोद लिया था और मै यहां पर अपने मिशन को पूरा करने के उद्देश्य से आया हूँ ना कि तुमसे शादी करने, बस एक बार मेरा मिशन पूरा होने दो फिर मैं तुम्हारे साथ पूरे गुप्ता परिवार को खत्म कर दूंगा।"
विवेक की बात पूरी होने के बाद रूद्र ने डरने की एक्टिंग करते हुए कहा "बेटा तुम मुझे जाने दो ये तुम्हारा पारिवारिक मामला है मैं तुम्हारे पारिवारिक मामले में नहीं आना चाहता।"
"फिर किसने कहा था तुम्हें इस जगह पर आने के लिए तुमने यहां पर आकर अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती की है और अब तुम्हें इस गलती को सुधारने का भी मौका नहीं मिलेगा।"
"पर मैं तो यहां पर अवनी के पिताजी को ठीक करने के लिए आया था और मैं ठीक भी कर सकता हूं मेरे पास उस जहरीले कीड़े को खत्म करने वाली बहुत सारी दवाइयां है।"
रुद्र की बात सुनकर विवेक सोच में पड़ जाता है विवेक ने आप से कहा "लगता है यह वेध्य उस बुद्ध को सच में ठीक कर सकता है मुझे जल्दी से अपने मिशन को खत्म करना होगा।
इतना सोचने के बाद विवेक दोबारा से उस बटन को दबाता है जहां वह गेट दोबारा से बंद हो जाता है उस जगह को देखकर कोई भी नहीं कह सकता था कि इस जमीन के नीचे बड़ा गड्डा होगा रुद्र और अवनी को कैद करने के बाद विवेक उस जगह से चला जाता है जहां रूद्र अभी भी नाटक करते हुए चिल्ला कर कहता है "मुझे जाने दो मैं बाहर किसी को भी कुछ नहीं बताऊंगा।"
जब विवेक उस जगह से चला जाता है रुद्र अवनी की तरफ देखता है जो कोने पर बैठकर रो रही थी रूद्र ने अवनी से कहा "तुम और मिस कनिका दोनों एक जैसी हो तुम दोनों ने बहुत कुछ जेहला है तुम दोनों परिवार को फसाया गया है और जबकि तुम्हें पता चल गया है कौन अच्छा है और कौन बुरा तो आगे से ध्यान रखना कभी भी किसी की बात पर आसानी से विश्वास मत करना पहले उस आदमी को ध्यान से देखो और उसके मन की बात जानने की कोशिश करो तुम्हें काफी हद तक पता चल जाएगा वह झूठ बोल रहा है या फिर सच।"
रुद्र की बात सुनकर अवनी ने अपने आंसू पूछते हुए कहा "तुम मुझे ये सब क्यों बता रहे हो वैसे भी आज नहीं तो कल हम मरने वाले है फिर यह सब जानकर मैं क्या करूंगी?"
कनिका की बात सुनकर रुद्र के चेहरे पर शैतानी हंसी आ जाती है रुद्र बोला "तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं, सब कुछ मेरे हिसाब से हो रहा है आज रात को हम दोनों यहां से भाग जाएंगे पर अगर तुम्हारी हिम्मत टूट गई है तो तुम आत्महत्या भी कर सकती हो मैं तुम्हें नहीं रोकूंगा।"
रुद्र की बात सुनकर अवनी को गुस्सा आ जाता है अवनी ने रूद्र पर चिल्लाते हुए कहा "कमीने कहीं के अगर आज मैं यहां पर मर भी गई तो मैं तुझे अपने साथ लेकर मरूंगी।"
अब आगे क्या होगा, क्या रुद्र और अवनी उस जगह से निकल पाएंगे? और विवेक का मिशन क्या था? उसे वर्मा परिवार का पुश्तैनी खजाना क्यों चाहिए था? इस बारे मे जानने के लिए पढ़ते रहिए l
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