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Non-Erotic Rudra Mhanyoda

Vk1989

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New story
यह कहानी रुद्र नाम के एक लड़के के बारे में है जो 18 साल का है और वह एक ऐसी दुनिया में रहता है जहाँ जादू का उपयोग करके खुद को शक्तिशाली बनाना बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन रुद्र के अपने ही शिष्य ने लालच में आकर धोखे से रुद्र की हत्या कर दी, जब रुद्र की आँखें खुलीं खुद को एक 18 साल के लड़के के शरीर में पाया। अब रुद्र का एकमात्र लक्ष्य खुद को मजबूत बनाना था, चाहे इसके लिए उसे कितना भी कुछ करना पड़े? जानने के लिए पढ़ें |
 
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Ch 18 - धोकेबाज विवेक

विवेक की उम्र लगभग 20 साल के आसपास थी और उसने मार्शल आर्टिस्ट के कपड़े पहन रखे थे विवेक के दोनों हाथों में कवच लगा हुआ था और उसे देखने से ऐसा लग रहा था वह हर पल के लिए तैयार है।

अवनी की बात सुनकर विवेक की भौहे चढ़ जाती है और वह अवनी को घूरने लगता है जैसे कि वह ये पता लगाने की कोशिश कर रहा हो आखिरकार अवनी के मन मे क्या चल रहा है।

विवेक बोला "तुम्हें पिताजी की हालत के बारे में पता है उन्होंने हमारा बचपन से ध्यान रखा, भले ही हम उनके सगे नहीं थे पर उन्होंने हमारा बहुत अच्छे से ध्यान रखा और जबकि वे तकलीफ में है हमें उनकी मदद करनी चाहिए, और तुम कुछ चंद सिपाही को देखकर वहां से भाग कर आ गई।"

इतना कहने के बाद विवेक ने रुद्र की ओर इशारा करते हुए कहा "और ये बुड्डा कौन है तुम इसे यहां पर क्यों लेकर आई हो?" अवनी ने शांति से जवाब दिया "ये एक दूसरे स्तर के वेध्य है मैंने इनकी काबिलियत खुद देखी है बिल्कुल ठीक नहीं पर ये हमारे पिताजी को काफी हद तक ठीक कर देंगे।"

अवनी की बात सुनकर विवेक के चेहरे पर गुस्से के भाव आ जाते हैं विवेक ने अवनी के करीब जाते हुए गुस्से में कहा "मैंने तुम्हें बताया था हमारे पिताजी को वर्मा परिवार के पुश्तैनी खजाने ने घायल किया है और उन्हें वही खजाना ठीक कर सकता है अगर हमारे पिताजी को कोई वेध्य ठीक कर पाता तो मैं पहले ही किसी वेध्य को बुलाकर पिताजी को अब तक पूरी तरह ठीक करा देता।"

विवेक की बात सुनकर अवनी बिल्कुल शांत हो जाती है क्योंकि उसके पास विवेक के इस सवाल का कोई जवाब नहीं था।

तभी रूद्र बोला "बेटा अवनी ठीक बोल रही है मैं बहुत सारी सिटी और देश के अंदर घूम चुका हूं और मैंने बहुत से मरीजों को ठीक किया है कम से कम मुझे एक बार उस मरीज को देखने तो दो।"

रुद्र की बात सुनकर विवेक को और ज्यादा गुस्सा आ जाता है वह अपने हाथ का मुक्का बनाते हुए रुद्र की ओर बढ़ने लगता है "बुड्ढे तू बेटा किसे बोल रहा है मैं तेरा कोई बेटा वेटा नहीं हूं।"


अवनी की बात सुनकर विवेक उसी जगह पर रुक जाता है और कुछ देर सोचने के बाद बोलता है "ठीक है तुम एक बार पिताजी को देख सकते हो, पर अवनी मैं तुम्हें पहले ही बता दू, अगर यह बुड्डा पिताजी को ठीक नहीं कर पाया तो ये यहां से जिंदा नहीं जा पाएगा।"

इतना कहने के बाद विवेक आगे जाने लगता है जहां अवनी ने धीरे से रूद्र को कहां "देखा तुमने विवेक बहुत अच्छा इंसान है उसे पिताजी की बहुत ज्यादा चिंता है तभी तो उसने कहा है अगर तुम पिताजी को ठीक नहीं कर पाए तो वह तुम्हें मार डालेगा।"

जिस पर रूद्र ने धीरे से मुस्कुराते हुए कहा "तुम नासमझ लड़की हो, मुझे लगता है तुम्हारे पिताजी ने तुम्हें कुछ भी नहीं सिखाया, भला तुम्हारे होते हुए मैं तुम्हारे पिताजी को कैसे नुकसान पहुंचा सकता हूं पर ये मुझे फिर भी रोकने के लिए आया और ये बात तो तुम भी जानती हो एक निचले स्तर की मामूली सी मार्शल आर्ट तुम्हारे पिताजी को ठीक नहीं कर सकती, पर उसे फिर भी वह मार्शल आर्ट चाहिए अवनी तुम मानो या ना मानो तुम्हारा मंगेतर बहुत ज्यादा रहस्यमई है।" रुद्र की बात सुनकर अवनी बिल्कुल शांत खड़ी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कौन सही है कौन गलत।

अवनी को शांत देखकर रूद्र बोलो "चलो चलते हैं मैं एक बार तुम्हारे पिताजी को देखना चाहता हूं।"

जिस पर अवनी बोली "पर तुम तो नकली वेध्य हो फिर तुम कैसे पिताजी को देख सकते हो कहीं तुम मेरे पिताजी को नुकसान पहुंचाने के बारे में तो नहीं सोच रहे?"

अवनी मै यहां इतनी दूर तुम्हारे पिताजी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं आया, हमें अभी नाटक करते रहना होगा तुम्हारा मंगेतर यहीं पर है और क्या पता मैं तुम्हारे पिताजी को ठीक कर दूं और इसके अलावा मुझे ये भी जानना है तुम्हारा मंगेतर सच में अच्छा इंसान है या फिर

बुरा?" इतना कहने के बाद रूद्र अवनी के साथ एक-दो मंजिला घर के अंदर चला जाता है जहां एक कमरे के अंदर अवनी के पिताजी बिस्तर पर पड़े थे विवेक भी उसी

जगह पर था और वह अपने पिताजी को खाना खिला

रहा था।

अवनी और रुद्र को देखकर विवेक खड़ा हो जाता है उसने गुस्से में कहा "अगर तुम्हारी दवाइयो की वजह से पिताजी को कुछ हो गया तो मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा।"

विवेक की बात सुनकर रुद्र अवनी के पिताजी को देखने लगता है अवनी के पिताजी की हालत बहुत बुरी थी उनकी आंखें अंदर धस चुकी थी और शरीर पूरी तरह सूख गया था मुंह पर बुरी तरह झुरिया थी और रंग काला पड़ गया था।

रुद्र अवनी के पिताजी का हाथ पकड़ता है और नस दबाने के बाद तुरंत कहता है "इन्हें बिल्कुल भी अंदरूनी चोट नहीं लगी है इनका शरीर अंदर से पूरी तरह ठीक है।"

रुद्र की बात सुनकर अवनी हैरान हो जाती है अवनी बोली "पर ऐसा कैसे हो सकता है पिताजी को ना हीं बाहर चोट लगी है और ना ही अंदर, फिर ये चल फिर क्यों नहीं पा रहे?"

तभी कुछ सेकेंड बाद रूद्र बोला "हां मुझे पता चल गया, ये वही है तुम्हारे पिताजी को कोई बीमारी नहीं है बल्कि उनके शरीर के अंदर एक जहरीला कीड़ा है।"

जैसे ही विवेक ये बात सुनता है वह तुरंत भागता हुआ रूद्र को पीछे धकेल देता है "तुम ये सब क्या बकवास कर रहे हो, भला पिताजी के अंदर कीड़ा कैसे हो सकता है?"

विवेक को ऐसी हरकत करते हुए देखकर अवनी बोली

"सीनियर तुम ये क्या कर रहे हो इन्हें पिताजी का अच्छे से इलाज करने दो।"

अवनी की बात सुनकर विवेक ने अवनी के पास आते हुए कहा "मुझे बताओ सिमरन कहां पर है वह तो हर वक्त तुम्हारे साथ रहती है फिर वह आज यहां पर क्यों नहीं, क्या तुम मुझसे कोई बात छुपा रही हो?"

अवनी बोली "भला मैं तुमसे कोई बात क्यों छुपाऊंगी और रही बात सिमरन की मैंने उसे कुछ काम दिया था और वह उसी काम को कर रही है।"

अवनी की बात सुनकर विवेक अवनी के बहुत ज्यादा करीब आ जाता है और फिर अचानक से उसे धक्का देकर अपने दूसरे हाथ से दीवार पर लगे एक बटन को घुमाता है और विवेक के ऐसा करते हैं जमीन के अंदर एक गेट खुलता है जिसके नीचे एक बड़ा गड्डा था अवनी उड़ती हुई उसी गड्ढे में गिर जाती है।

अपने सामने ये सब होते हुए देखकर रूद्र वहां से भागने की एक्टिंग करता है पर विवेक रूद्र को भी उसी गड्ढे में गैर देता है।

इधर अवनी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था सब कुछ इतनी जल्दी हुआ था उसे कुछ भी समझने का वक्त नहीं मिला था अवनी को ऊपर खड़े विवेक को देखकर कुछ-कुछ समझ में आ रहा था पर वह उसे सच नहीं मनाना चाहती थी।

ऊपर खड़े विवेक ने अवनी से कहा "जब तुम यहां पर आई थी मुझे तभी तुम पर शक हो गया था और जब मैने इस बुड्ढे को दिखा, मुझे पता चल गया जरूर अब तुम्हें मेरे ऊपर विश्वास नहीं।"

अवनी ने नम आंखों से विवेक को कहा "सीनरीयर ये तुम क्या कर रहे हो क्या तुम हमारे पिताजी को नुकसान पहुंचाना चाहते हो पर तुम ऐसा कैसे कर सकते हो पिताजी ने तुम्हारा बहुत अच्छे से ख्याल रखा और तुम्हारी हर जरूरतो को पूरा किया क्या उनसे कोई गलती हो गई।"

जिस पर विवेक करूरता से बोला "कौन सीनियर मैं तुम्हारा कोई सीनियर नहीं हूं, मै तो यहाँ पर डार्क फील्ड से आया हूँ और रही बात उस बुड्ढे की मैं उसे अपना पिता नहीं मानता, उसने मुझे गोद लिया था और मै यहां पर अपने मिशन को पूरा करने के उद्देश्य से आया हूँ ना कि तुमसे शादी करने, बस एक बार मेरा मिशन पूरा होने दो फिर मैं तुम्हारे साथ पूरे गुप्ता परिवार को खत्म कर दूंगा।"

विवेक की बात पूरी होने के बाद रूद्र ने डरने की एक्टिंग करते हुए कहा "बेटा तुम मुझे जाने दो ये तुम्हारा पारिवारिक मामला है मैं तुम्हारे पारिवारिक मामले में नहीं आना चाहता।"

"फिर किसने कहा था तुम्हें इस जगह पर आने के लिए तुमने यहां पर आकर अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती की है और अब तुम्हें इस गलती को सुधारने का भी मौका नहीं मिलेगा।"

"पर मैं तो यहां पर अवनी के पिताजी को ठीक करने के लिए आया था और मैं ठीक भी कर सकता हूं मेरे पास उस जहरीले कीड़े को खत्म करने वाली बहुत सारी दवाइयां है।"

रुद्र की बात सुनकर विवेक सोच में पड़ जाता है विवेक ने आप से कहा "लगता है यह वेध्य उस बुद्ध को सच में ठीक कर सकता है मुझे जल्दी से अपने मिशन को खत्म करना होगा।

इतना सोचने के बाद विवेक दोबारा से उस बटन को दबाता है जहां वह गेट दोबारा से बंद हो जाता है उस जगह को देखकर कोई भी नहीं कह सकता था कि इस जमीन के नीचे बड़ा गड्डा होगा रुद्र और अवनी को कैद करने के बाद विवेक उस जगह से चला जाता है जहां रूद्र अभी भी नाटक करते हुए चिल्ला कर कहता है "मुझे जाने दो मैं बाहर किसी को भी कुछ नहीं बताऊंगा।"
जब विवेक उस जगह से चला जाता है रुद्र अवनी की तरफ देखता है जो कोने पर बैठकर रो रही थी रूद्र ने अवनी से कहा "तुम और मिस कनिका दोनों एक जैसी हो तुम दोनों ने बहुत कुछ जेहला है तुम दोनों परिवार को फसाया गया है और जबकि तुम्हें पता चल गया है कौन अच्छा है और कौन बुरा तो आगे से ध्यान रखना कभी भी किसी की बात पर आसानी से विश्वास मत करना पहले उस आदमी को ध्यान से देखो और उसके मन की बात जानने की कोशिश करो तुम्हें काफी हद तक पता चल जाएगा वह झूठ बोल रहा है या फिर सच।"

रुद्र की बात सुनकर अवनी ने अपने आंसू पूछते हुए कहा "तुम मुझे ये सब क्यों बता रहे हो वैसे भी आज नहीं तो कल हम मरने वाले है फिर यह सब जानकर मैं क्या करूंगी?"

कनिका की बात सुनकर रुद्र के चेहरे पर शैतानी हंसी आ जाती है रुद्र बोला "तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं, सब कुछ मेरे हिसाब से हो रहा है आज रात को हम दोनों यहां से भाग जाएंगे पर अगर तुम्हारी हिम्मत टूट गई है तो तुम आत्महत्या भी कर सकती हो मैं तुम्हें नहीं रोकूंगा।"

रुद्र की बात सुनकर अवनी को गुस्सा आ जाता है अवनी ने रूद्र पर चिल्लाते हुए कहा "कमीने कहीं के अगर आज मैं यहां पर मर भी गई तो मैं तुझे अपने साथ लेकर मरूंगी।"

अब आगे क्या होगा, क्या रुद्र और अवनी उस जगह से निकल पाएंगे? और विवेक का मिशन क्या था? उसे वर्मा परिवार का पुश्तैनी खजाना क्यों चाहिए था? इस बारे मे जानने के लिए पढ़ते रहिए l

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Ch 19 - बर्फीला कीड़ा

कुछ घंटे बाद रात हो जाती है जहां रुद्र ध्यान की मुद्रा में बैठा हुआ था रुद्र अपनी आंखे खोलता है और उसे अपने सामने अवनी दिखाई देती है जो इस वक्त सो रही थी रुद्र अवनी को जगाता है जहां अवनी भी तुरंत उठकर बैठ जाती है।

रुद्र बोला "अब हम यहां से भागने वाले हैं जल्दी से तैयार हो जाओ।"

इतना कहने के बाद रूद्र अपने इविल सोल को बाहर निकालता है जहां अवनी अपने सामने लाल रंग के उड़ते हुए बच्चे को देखकर घबरा जाती है रुद्र बोला "तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है यह मेरी मार्शल आर्ट है।"

"यह अजीब सी मार्शल आर्ट कैसी है मैंने आज से पहले ऐसी मार्शल आर्ट के बारे में नहीं सुना जिसका अभ्यास करने से एक लाल रंग का बच्चा तैयार होता है।"

"यह मेरी सीक्रेट मार्शल आर्ट है इससे ज्यादा मैं तुम्हें कुछ नहीं बता सकता।"
इतना कहने के बाद रूद्र अपने इविल सोल को बाहर भेज देता है जहां रुद्र का इविल सोल जमीन को पार करते हुए बाहर पहुंच जाता है रुद्र का इविल सोल किसी भी खोखले पदार्थ को पार कर सकता था और आज रुद्र ने अपने इविल सोल की इसी एबिलिटी का इस्तेमाल किया था।

इधर अवनी रुद्र के इविल सोल को जमीन पार करते हुए देखकर हैरान थी अवनी ने अपने आप से कहा "यह बार-बार विवेक को रहस्यमय कहता है पर यह खुद कितना रहस्यमय है क्या इसे इस बारे में पता है मैं जितना इसके साथ रहती हूं यह मुझे उतना ही ज्यादा रहस्यमई लगता है पता नहीं इस रुद्र के अंदर और कितने रहस्य होंगे।"

अपने इविल सोल को बाहर भेजने के बाद रूद्र ने अपनी आंखें बंद कर ली थी इस वक्त रुद्र का इविल सोल जो बाहर देख रहा था रुद्र उसे अंदर बैठा हुआ देख सकता था।

रुद्र अपने इविल सोल को कमरे से बाहर भेजता है जहां उसे दो सिपाही दिखाई देते हैं जो उस कमरे के बाहर तैनात थे रुद्र उनमें से एक सिपाही के अंदर अपने इविल सोल को भेज देता है और अपने इविल सोल के जरिए बोलता है "अंदर जाकर दीवार पर लगे बटन को घुमाओ।"

अपने साथी के अंदर से आवाज को आता हुआ देखकर दूसरा सिपाही थोड़ा घबरा जाता है उसने घबराते हुए कहा "अरे क्या तुमने अभी यह आवाज सुनी?"

पर इससे पहले वह सिपाही दूसरे वाले सिपाही के सवाल का जवाब दे पाता तभी उसके मुंह से खून निकलता है और वह उसी जगह पर मारा जाता है रुद्र उस सिपाही के अंदर से अपने इविल सोल को बाहर निकालता है और दूसरे वाले सिपाही के अंदर भेज देता है।

रूद्र ने उस सिपाही से कहा "मैंने कहा अंदर आकर उस बटन को घुमाओ वरना तेरा भी यही हाल होगा।"

अपने अंदर से आवाज को आता हुआ देखकर वह सिपाही बहुत ज्यादा घबरा जाता है और अपनी जान जाने के डर से वह सिपाही जल्दी से अंदर जाता है और दीवार पर लगे बटन को घुमा देता है।

गेट खुलने के बाद रूद्र अपनी आंखे खोलता है और अवनी से कहता है "चलो यहां से चलते हैं।"

इतना कहने के बाद रूद्र एक छलांग लगाता है और उस गड्ढे से बाहर निकल जाता है अवनी भी समय ना बर्बाद करते हुए उस गड्ढे से बाहर निकल जाती है अवनी के सामने वही सिपाही अपने घुटनों के बल बैठा हुआ

अवनी से अपनी जान की भीख मांग रहा था "मिस मैंने कुछ भी नहीं किया यंग मास्टर ने मुझे मारने की धमकी दी थी आप मुझे छोड़ दीजिए इसमें मेरी कोई गलती नहीं है।"

अवनी उस सिपाही को नजर अंदाज करते हुए रुद्र के पास जाने लगती है जहां रूद्र अवनी के पिताजी को देख रहा था वैसे तो अवनी के पिताजी का पूरा शरीर शक्तिहीन था वह अपने किसी भी अंग को नहीं हिला सकते थे पर वह अपनी आंखों से सब कुछ देख सकते थे।

अपने सामने एक नौजवान को देखकर अवनी के पिताजी जिनका नाम जसवीर गुप्ता था उनकी आंखें चोडी हो जाती है बेशक वे डर गए थे रूद्र को भी यह बात समझ में आ गई थी इसलिए उसने कहा "देखिए मैं आपको ठीक कर सकता हूं मुझे आपकी बीमारी के बारे में पता है।"

जैसे ही अवनी के कानों मे यह बात पड़ती है वह बहुत ज्यादा हैरान हो जाती है "क्या तुम सच में पिताजी को ठीक कर सकते हो?"

पर रूद्र ने अवनी की बातों को नजर अंदाज करते हुए कहा "मैं आपको अपने बारे में बताना तो भूल ही गया मेरा नाम रूद्र है और मैं वर्मा परिवार का सलाहकार हूं।

मेरा और आपका दुश्मन एक ही है मेहरा परिवार पर मेरे पास उनसे निपटने के लिए कोई भी ताकतवर साथी नहीं है क्या आप ठीक होने के बाद मेरी मदद करेंगे।"

रुद्र की पूरी बात सुनने के बाद जसवीर अपनी आंखें बंद करके रूद्र को हां करता है जहां रुद्र पीछे मुड़कर उस सिपाही को देखता है जिसने रुद्र और अवनी को आजाद किया था वह सिपाही अभी भी अपने घुटनों के बल बैठा हुआ था और उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब थी उसके सर से लगातार पसीना बह रहा था और उसकी हिम्मत ऊपर देखने की बिल्कुल भी नहीं हो रही थी।

रुद्र उस सिपाही के अंदर से अपने इविल सोल को बाहर निकालता है और जसवीर के अंदर भेज देता है अवनी भी यह सब होते हुए अपनी आंखों से देख रही थी और उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था।

अवनी बोली "यह तुम क्या कर रहे हो तुमने उस बच्चों को पिताजी के अंदर क्यों भेज दिया?"

"और क्या मैं अपने इविल सोल को अंदर भेज कर तुम्हारे पिताजी का इलाज कर रहा हूं।"

अवनी ने शांति से पूछा "तुमने कहा था तुम मेरे पिताजी को ठीक कर सकते हो क्या तुम मुझे पिताजी की बीमारी के बारे में बता सकते हो?"

अवनी की बात सुनकर रूद्र ने जसवीर की बीमारी के बारे में बताते हुए कहा "इनके अंदर शैतानी कीड़े को डाला गया है जो मधुमक्खी बिच्छू कानखजूरे की तरह दिखाई देते हैं शैतानी कीड़े का इस्तेमाल किसी को घायल करने के लिए नहीं बल्कि अपने आप की रक्षा करने के लिए भी किया जाता है जब मैंने कहा था तुम्हारे पिताजी के अंदर शैतानी कीड़ा है तुम्हारे मंगेतर ने हम दोनों को तुरंत उस गड्ढे के अंदर गैर दिया था क्योंकि उसे पता चल गया था मैंने तुम्हारे पिताजी की बीमारी के बारे में पता लगा लिया है।"

रुद्र की बात सुनने के बाद अवनी बोली "इसका मतलब पिताजी की ऐसी हालत उस शैतानी कीड़े की वजह से हुई है उसी कीड़े की वजह से पिताजी चल फिर नहीं पा रहे।"

रुद्र बोला "हां यही बात है मैंने इनके शरीर के अंदर अपने इविल सोल को भेज दिया है मेरा इविल सोल जल्द ही इनके शरीर से वह कीड़ा ढूंढ कर उसे मार डालेगा।"

रूद्र ने अभी इतना ही कहा था तभी जसवीर धीरे-धीरे बोलने लगता है और अचानक से उनकी चीख निकल जाती है अपने पिताजी को दर्द में कराहते हुए देखकर अवनी जल्दी से अपने पिताजी के पास जाती है और उन्हें संभालती है।

तभी उनकी खाल को चीरता हुआ एक कीड़ा बाहर निकलता है वो कीड़ा दिखने में उंगली से भी छोटा था और उसका रंग सफेद था जैसे ही अवनी उस कीड़े को देखती हैं वह उस कीड़े को मारने के लिए अपने हाथ को आगे बढाती है।

पर तभी रूद्र अवनी के हाथ को पकड़ लेता है रुद्र बोला "तुम इसे नहीं मार सकती हो इस कीड़े को हाथ लगाना बहुत ज्यादा खतरनाक हो सकता है इसमें तुम्हारी जान भी जा सकती है मै इस कीड़े को मैं खत्म करता हूं।"

रुद्र की बात सुनकर अवनी पीछे हट जाती है जहां रूद्र उस कीड़े के पास चला जाता है रुद्र उस कीड़े को ध्यान से देखता है और फिर उसके चेहरे पर शैतानी हंसी आ जाती है रूद्र ने अपने आप से कहा "मैंने सोचा नहीं था इस जगह पर आना मेरे लिए इतना ज्यादा फायदेमंद हो जाएगा ये कीड़ा तो बर्फीला कीड़ा है मुझे इसके बारे में बहुत अच्छे से पता है ये कीड़ा ऐसी जगह पर पाया जाता है जहां का तापमान बहुत ज्यादा कम है और ये कीड़े भी बहुत ज्यादा कम मात्रा में पाए जाते है कई हजारों में किसी एक को ये कीड़ा मिल पाता है मेरी किस्मत तो बहुत ज्यादा अच्छी है।"

इतना सोचने के बाद रूद्र खड़ा हो जाता है और उस कीड़े को एक छोटी डाबी में बंद करने के बाद अपनी जेब में गैर लेता है रूद्र ने अपने आप से कहा 'अच्छा हुआ

मुझे इस कीड़े के बारे में पहले से ही पता था वरना में इस कीड़े को जिंदा नहीं पकड़ पाता ये कीड़ा जिस शरीर में होता है उस शरीर को छोड़कर तभी बाहर आता है जब वह आदमी मर गया हो मेरे इविल सोल ने भी अंदर जाकर इस कीड़े को ऐसा ही एहसास कराया जैसे की तुम्हारे पिता मर गए हो फिर ये दूसरा शरीर ढूंढने के लिए बाहर आ गया और मैंने इसे जिंदा पकड़ लिया।"

रुद्र पीछे मुड़ता है और अवनी से कहता है "अवनी अपने पिताजी को उठा लो अब हम यहां से जाने वाले हैं।"

बर्फीले कीड़े को पाने के बाद रुद्र के चेहरे पर खुशी अलग ही देखी जा सकती थी क्योंकि आज उसे खजाना जो मिल गया था रूद्र ने अपने आप से कहा "यहां से जाने के बाद मैं इस कीड़े को बहुत खतरनाक हथियार बनाऊंगा।"

जसवीर होश में आ गया था पर उसके शरीर के अंदर इतनी ज्यादा ताकत नहीं थी जो वह चल फिर सके इसलिए अवनी अपने पिता को अपनी पीठ पर उठा लेती है और घर से बाहर निकल जाती है घर के अंदर जितने भी सिपाही तैनात थे रूद्र ने उन सभी को अपने इविल सोल द्वारा पहले ही मार दिया था।

पर जैसे ही अवनी और जसवीर बाहर का नजारा देखते हैं वे दोनों बहुत ज्यादा हैरान हो जाते हैं उनके सामने बहुत सारे सिपाहियों की लाश पड़ी थी घर के चारों तरफ जितने भी सिपाही थे रूद्र ने उन सभी को मार दिया था चारों तरफ लाश पड़ी थी देखने से ऐसा लग रहा था जैसे कि किसी ने सभी सिपाहियों को बेहोश कर दिया हो पर वे सभी सिपाही बेहोश नहीं थे रूद्र ने उन सभी को मार दिया था उन सभी सिपाहियों के शरीर पर खून का एक भी कतरा नहीं था रूद्र ने उन सभी को अपने इविल सोल का इस्तेमाल करके मारा था।

अवनी ने हैरानी में अपने आप से कहा "इस जगह पर 170 से भी ज्यादा सिपाही मौजूद थे और रुद्र ने उन सभी को मार दिया।"

तभी रुद्र की नजर अपने पीछे जाती है जहां पर एक सिपाही अभी भी जिंदा था ये वही सिपाही था जिसने रुद्र और अवनी को आजाद किया था रुद्र उस सिपाही के पास जाता है जहां उस सिपाही की हालत बहुत ज्यादा खराब थी। वह सिपाही नीचे पड़ा हुआ था और अपने सामने इतने लोगों की मौत देखकर वह बहुत ज्यादा घबरा गया था उसकी धड़कनें बहुत तेजी से चल रही थी और उसे अपने सामने का नजारा देखकर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था।

यह सिपाही इतना ज्यादा ताकतवर नहीं था और अपने सामने इतने लोगों की मौत देखकर उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी उसने आज से पहले इतना खतरनाक मंजर नहीं देखा था और तभी उसे अपने सामने से रूद्र आता हुआ दिखाई देता है जिसके चेहरे पर शैतानी हंसी थी।

रूद्र को देखने से ऐसा लग रहा था जैसे कि उसे यह सब करके बहुत ज्यादा मजा आ रहा हो उस सिपाही के पास आने के बाद रूद्र बोला "तुम्हें तो मारना में भूल ही गया था तुमने हमारी जान बचाई पर मैं तुम्हें जिंदा छोड़ने की गलती नहीं कर सकता।"

इतना कहने के बाद रूद्र अपने इविल सोल को बाहर निकालता है और उस सिपाही के अंदर भेज कर उसको भी मार देता है।

अपने इविल सोल को किसी के अंदर भेजने के बाद रूद्र को बस एक बार अपने मन में उस आदमी को मारने के बारे मैं सोचा होता है और आगे रुद्र का इविल सोल कुछ सेकंड के अंदर उस आदमी को मार देता है कभी- कभी रुद्र के इविल सोल को किसी के शरीर पर कब्जा करने में वक्त लगता है यह उस आदमी के ऊपर निर्भर होता है कि वह कितना ज्यादा ताकतवर है अगर वह रुद्र से काफी ज्यादा ताकतवर है तो रुद्र का इविल सोल उस आदमी के ऊपर कब्जा नहीं कर पाएगा पर अगर वह

आदमी रुद्र से थोड़ा ही ताकतवर है तो रुद्र आसानी से उस आदमी के ऊपर कब्जा कर लेगा और उस आदमी को अपने इशारे पर नचा सकता है।

अब आगे क्या होगा, जब विवेक को इस बारे में पता चलेगा कि अवनी और रुद्र भाग गए हैं तो वह क्या करेगा? और क्या रुद्र सोम पर्वत से भागने में कामयाब हो पाएगा? जानने के लिए पढ़ते रहिए ।

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Ch 20 - परिवार का नियम

घर के बाहर जितने भी सिपाही तैनात थे रूद्र ने उन सभी को मार दिया था ऐसा कोई भी सिपाही नहीं था जो उस जगह से बचकर भाग गया हो।

इतने लोगों की लाश देखकर अवनी बोली "तुम ये सब क्यों कर रहे हो सभी लोगों को मारना जरूरी नहीं था तुम उन सिपाही को छोड़ भी तो सकते थे।

"अवनी तुम बहुत ज्यादा भोली हो इन सभी लोगों को मारना बहुत ज्यादा जरूरी था अगर मैं इनमें से एक को भी जिंदा छोड़ देता तो वह तुम्हारे मंगेतर को जाकर बता देता और फिर हम यहां से कभी नहीं भाग पाते।"

जसवीर ने भी अवनी से धीमी आवाज में कहा "बेटा ये सही कह रहा है।"

अपने पिता की बात सुनकर अवनी बोली "ठीक है और तुम्हारा धन्यवाद मेरी मदद करने के लिए।"

रुद्र अवनी से कुछ नहीं कहता और वह आगे चलने लगता है अवनी भी रुद्र के पीछे-पीछे जाने लगती है जहां

अवनी ने रुद्र का पीछा करते हुए अपने आप से कहा "मुझे नहीं पता मैंने इसका साथ देकर सही किया या फिर गलत पर मैं इसे भूलकर भी अपना दुश्मन नहीं बना सकती ये लड़का बहुत ज्यादा खतरनाक है मैं इसे दुश्मन बनाकर अपने परिवार को खतरे में नहीं डाल सकती।"

चार दिन का सफर करने के बाद वे तीनों लोटस सिटी पहुंच जाते हैं रुद्र अवनी और जसवीर को लेकर अपने घर जाता है जहां सिमरन को भी इस बारे में पता चल गया था कि उसकी मिस वापस आ गई है सिमरन जल्दी से नीचे हॉल में आती है और अवनी को गले से लगा लेती है सिमरन बोली "मिस मुझे आपकी बहुत ज्यादा याद आई थी।"

जहां अवनी ने सिमरन के सर पर हाथ रखते हुए कहा "तुम ठीक हो ना सिमरन और क्या इन लोगों ने तुम्हारा अच्छे से ख्याल रखा?"

जिस पर सिमरन ने अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हुए कहा "मिस वर्मा परिवार के सभी लोग बहुत ज्यादा अच्छे हैं बस उस रूद्र को छोड़कर वह बहुत बड़ा कमिना है।"

तभी रूद्र ने सिमरन के पीछे से कहा "क्या कहा तुमने किसी की पीठ पीछे बुराई नहीं करते वरना तुम्हारे साथ कुछ भी हो सकता है।"

रुद्र की आवाज सुनकर सिमरन पीछे मुडती है जहां रूद्र को देखकर वह थोड़ी घबरा जाती है सिमरन के पीछे-पीछे कनिका अंगद और समर भी आ गए थे जहां समर ने सिमरन की बात सुनकर कहा "अच्छा हुआ इन 5 दिनों से रूद्र यहां पर नहीं था वरना वो कपड़े उतार कर पीछे थप्पड़ मारता हैं।"

समर की इस बात में सिमरन को बहुत ज्यादा डरा दिया था और वह डर की वजह से अवनी के पीछे छुप गई थी जहां इन दोनों की हरकत देखकर अवनी और अंगद हंसने लगे थे।

सफर के दौरान जसवीर की हालत काफी हद तक ठीक हो गई थी और वे धीरे-धीरे चलने भी लगे थे जसवीर, कनिका के सामने आता हैं जहां कनिका अपने सामने बूढ़े आदमी को देखकर थोड़ी कंफ्यूज थी।

जसवीर ने कपती हुइ आवाज में कहा "तुम भंवर की बेटी हो ना और ये छोटा लड़का जरूर भंवर का बेटा होगा मैं तुम दोनों को जिंदा देखकर बहुत ज्यादा खुश हूं शुक्र है तुम दोनों को कुछ नहीं हुआ।"

जसवीर की बात सुनकर कनिका और ज्यादा कंफ्यूज हो जाती है कनिका बोली "मास्टर आप कौन है मैं आपको नहीं जानती?"

कनिका के इस सवाल का रूद्र ने जवाब देते हुए कहा "ये अवनी के पिताजी है और गुप्ता परिवार के मुखिया भी।"

अपने सामने अपने पिता के कातिल को देखकर कनिका के चेहरे पर गुस्से के भाव आ जाते हैं जहां कुछ समय पहले कनिका बहुत ज्यादा मासूम लग रही थी वहीं अब उसके ऊपर किसी को मारने का भुत सवार हो गया था।

कनिका को इतने ज्यादा गुस्से में देखकर अवनी अपने पिता के सामने आ जाती है और कनिका के हर हमले को संभालने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाती है।

पर तभी जसवीर ने अवनी से कहा "तुम्हें कुछ भी करने की जरूरत नहीं ये मेरे साथ कुछ भी कर सकती है तुम इसे बिल्कुल भी मत रोकना।"

इतना कहने के बाद जसवीर अपने घुटनों के बल बैठ जाता है और कनिका से कहता है "सब कुछ मेरी ही गलती थी भंवर मेरी ही गलती से मारा गया, मुझे माफ कर दो।"

अपने पिता को घुटने के बल देखकर अवनी अपने पिता को उठाने के लिए जाती है पर तभी जसवीर अपने हाथ का इशारा करते हुए अवनी को रोक देता है "तुम्हें मेरे

पास आने की कोई जरूरत नहीं अगर ये मुझे मारना भी चाहे तो तुम इसे कोई नहीं रोकेगा।"

रूद्र ने बात की गंभीरता को समझते हुए कनिका से कहा "इनकी कोई गलती नहीं है इन्हें जहर दिया गया था ये सब कुछ अवनी के मंगेतर विवेक ने किया, बस मास्टर जसवीर से एक गलती हुई जो उन्होंने विवेक को गोद लिया, इन्हें ये बात बिल्कुल भी नहीं पता थी विवेक मेहरा परिवार का जासूस है इन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं पता था सब कुछ विवेक ने किया अगर तुम फिर भी इन्हें मारना चाहती हो, तो तुम मार सकती हो।"

रुद्र कुछ भी करके जसवीर को बचाना चाहता था जसवीर बहुत ज्यादा ताकतवर था और रुद्र जसवीर की ताकत का इस्तेमाल कर सकता था।

रुद्र की पूरी बात सुनने के बाद कनिका बोली "तुमने मुझे सब कुछ पहले क्यों नहीं बताया?"

जिस पर रूद्र बोला "मुझे भी सब कुछ सोम पर्वत जाकर पता लगा फुट डालने वाला और कोई नहीं बल्कि मेहरा परिवार था।"

रुद्र की बात सुनकर कनिका जसवीर के पास जाती है और उन्हें खड़ा करते हुए कहती है "मास्टर आप मेरे सामने इस तरह मत झुकीए, इसमें आपकी कोई गलती

नहीं, ये सब तो मेहरा परिवार ने किया, उन्होंने हम दोनों परिवार के बीच में दुश्मनी करा दी इसमें आपकी कोई गलती नहीं।"

जसवीर बोला "अगर मुझे पहले ही पता होता वो कमिना मेहरा परिवार से मिला हुआ है मैं उसको उसी वक्त मार डालता, पर मेरी फूटी किस्मत उसने मेरे सभी सिपाहियों का इस्तेमाल करके तुम्हारे ऊपर हमला करवा दिया मैं उस हरामजादे को बिल्कुल भी नहीं छोडूंगा, उसने मेरे दोस्त को मारा है मैं इसका बदला जरूर लूंगा।"

"मास्टर आप कह रहे हो पिताजी आपके बहुत अच्छे दोस्त थे पर पिताजी ने हमें इस बारे में कभी कुछ क्यों नहीं बताया?"

"हां ये बात सच है तुम्हारे पिताजी मेरे अच्छे दोस्त थे दोस्त नहीं बल्कि हम दोनों भाई जैसे थे पर मेरा संबंध सोम पर्वत के लुटेरों के साथ था जिस वजह से हमने अपनी दोस्ती को कभी दुनिया वालों के सामने नहीं आने दिया पर हम दोनों कभी-कभी मिलते थे और इसके अलावा हमारे गुप्ता परिवार का एक नियम है जो सदियों से चला आ रहा है ना तो हम वर्मा परिवार से और ना ही हम कुमार परिवार से कोई दुश्मनी मोल ले सकते हैं।"

इससे पहले जसवीर आगे कुछ बोल पाता तभी समर बीच में बोला "हां मुझे भी याद आया पिताजी ने मुझे भी

इस नियम के बारे में बताया था वर्मा परिवार कभी भी गुप्ता परिवार और कुमार परिवार से दुश्मनी मोल नहीं ले सकता, वर्मा परिवार का जीना मरना इन दोनों परिवार के साथ ही है।"

समर की बात सुनकर कनिका ने समर से पूछा "पर तुमने मुझे इस नियम के बारे में कभी कुछ क्यों नहीं बताया?"

"पिताजी ने बस मुझे ये बात बताई थी क्योंकि मैं वर्मा परिवार का मुखिया जो बनने वाला हूं इसलिए मैंने तुम्हें ये बात नहीं बताई।"

समर की सारी बात ध्यान से सुनने के बाद रूद्र ने जसवीर से पूछा "क्या ये नियम आपके परिवार में सदियों से चला आ रहा है?"

जिस पर जसवीर बोला "हां ये नियम सदियों से चला आ रहा है इसलिए भवर ने समर को इस नियम के बारे में बताया होगा हम दोनों परिवार कभी भी एक दूसरे के दुश्मन नहीं हो सकते वैसे भी भंवर मेरा दोस्त था इसलिए मैं कभी भी उसके परिवार के ऊपर हमला करने के बारे में सोच भी नहीं सकता।"

जसवीर की पूरी बात सुनने के बाद रूद्र ने कहा "वैसे क्या आपके पास कोई पुश्तैनी मार्शल आर्ट है जो आपको

सदियों से विरासत में मिलती आ रही है?"

"हां हमारे पास निचले स्तर की पुश्तैनी मार्शल आर्ट है जो सदियों से हमें विरासत में मिलती जा रही है मेरे कोई भी बच्चे नहीं है पर मैंने अवनी को गोद लिया था और उसे मेरी सभी मार्शल आर्ट आती है पर जिस मार्शल आर्ट की तुम बात कर रहे हो उस मार्शल आर्ट को विवेक ने मुझसे चुरा लिया था।"

जसवीर की बात सुनने के बाद रुद्र पीछे मुड़ता है और उस जगह से जाते हुए सभी लोगों से कहता है "मैं कुछ देर के लिए बाहर जा रहा हूं कुछ समय बाद में वापिस आ जाऊंगा।"

इतना कहने के बाद रुद्र घर से निकल जाता है और कौशिक परिवार की और जाने लगता है हवेली के बाहर पहुंचने के बाद रूद्र को जानवी और सार्थक दिखाई देते हैं जो बाहर गेट के पास खड़े थे उन दोनों को देखने से ऐसा लग रहा था जैसे कि वे दोनों सभी को अंदर जाने से रोक रहे हो।

रुद्र उन दोनों के पास जाता है और जानवी से कहता है "मिस जानवी मुझे बड़े भाई यशवंत से मिलना है।"

रुद्र की बात सुनकर जानवी ने तुरंत कहा "तुम आज अंदर नहीं जा सकते आज मास्टर किसी से भी नहीं

मिलेंगे।"

"मिस जानवी आज मैं यहां पर आपका मेहमान बनकर नहीं बल्कि भाई यशवंत से कुछ जरूरी बात करने के लिए आया हूं इसलिए मुझे अंदर जाने दो।"

रुद्र की बात सुनकर जानवी टस से मस नहीं होती जैसे कि आज उसने ठान लिया हो कि वह रूद्र को अंदर नहीं जाने देगी जानवी बोली "लगता है तुम्हारे अंदर बहुत ज्यादा घमंड आ गया है क्या हुआ अगर तुम पांचवें अस्तर की फॉर्मेशन बना सकते हो यह कौशिक परिवार की हवेली है कोई ऐरा गैरा घर नहीं जो तुम मुंह उठा कर यहां पर आ जाओगे तुम छोटे परिवार के सलाहकार हो इसलिए तुम हमारे मास्टर से नहीं मिल सकते।"

जानवी की हां मैं हां मिलाते हुए सार्थक ने भी कहा "देखो रूद्र आज तुम मास्टर से नहीं मिल सकते।"

उन दोनों की बातें सुनने के बाद रुद्र के चेहरे पर शैतानी हंसी आ जाती है रुद्र बोला "अच्छा तो तुम दोनों मुझे अंदर जाने नहीं दोगे लगता है तुम्हें मेहरा परिवार का बिल्कुल भी डर नहीं, तुम्हें क्या लगता है मैं इतने दिनों से कहां पर था।"

जिस पर जानवी ने अपनी नाक चढ़ाते हुए कहा "और कहां उन्ही दो लड़कियों के साथ किसी होटल में गए होंगे

और मुझसे झूठ बोलने के बारे में सोचना भी मत तुम्हें उन दोनों लड़कियों के साथ सभी ने देखा था।"

रुद्र के चेहरे पर अभी भी शैतानी हंसी बेकरार थी रुद्र बोला "मैं मेहरा परिवार के ऊपर नजर रखने के लिए गया था।"

"तुम झूठ बोल रहे हो इस बारे में सभी जानते हैं मेहरा परिवार डार्क फील्ड नाम की जगह पर रहते हैं और डार्क फील्ड का पता गुप्त है फिर तुम कैसे उस जगह पर पहुंच गए?"

"तुम्हें विश्वास करना है करो मैं तो यहां पर ये बताने के लिए आया था मेहरा परिवार बहुत जल्द तुम्हारे ऊपर हमला करने वाला है इसलिए मैं अपने वर्मा परिवार को किसी सुरक्षित जगह पर लेकर जा रहा हूं।"

इतना कहने के बाद रूद्र पीछे मुड़ता है और उस जगह से जाने लगता है।

अब आगे क्या होगा, आखिरकार रूद्र को क्या पता चला था जो वह यशवंत से बात करने के लिए आ गया? और क्या रूद्र, यशवंत से बात कर पाएगा? जानने के लिए पढ़ते रहिए l
 
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