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Non-Erotic Rudra Mhanyoda

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Ch 37 - तुमने मुझे क्या खिला दिया

डेढ़ महीने बाद.

पूरे डेढ़ महीने बाद रूद्र अपने कमरे से बाहर निकलता है रूद्र को अपने सभी घाव ठीक करने में डेढ़ महीने का समय लग गया था कौशिक परिवार ने वर्मा परिवार को जो घर दिया था वह दो मंजिला बड़ा था जहां रूद्र पूरे डेढ़ महीने ऊपर वाले कमरे के अंदर था और रुद्र को अपने सभी घाव को भरने मे डेढ़ महीने का समय इसलिए लगा था क्योंकि रूद्र को बाहरी चोट के साथ-साथ अंदरूनी चोट भी लगी थी बाहरी चोट को बहुत जल्दी भरा जा सकता है पर अंदरूनी चोट को ठीक होने में समय लगता है।

जैसे ही रूद्र सीडियो से नीचे आता है उसे अपने सामने सिमरन दिखाई देती है सिमरन को देखकर रूद्र ने अपने आप से कहा "अवनी कहीं पर भी नहीं दिखाई दे रही, ये तो हर वक्त अवनी के साथ रहती है।"

जब रूद्र नीचे आ जाता है सिमरन की नजर रूद्र पर जाती है जिसे देखते ही सिमरन वहां से तुरंत भाग जाती हे रुद्र भी अचानक से सिमरन को भागता हुआ देखकर हैरान था पर तभी उसे कुछ याद आता है। रूद्र ने अपने आप से कहा "लगता है ये सब उस दिन की वजह से हो रहा है जब मैंने अवनी के साथ इसके भी कपड़े फाड़ दिए थे और मैं हर वक्त समर को भी मारता रहता हूं शायद इसी वजह से ये मुझे किसी शैतान से कम नहीं समझती है।"

इतना सोचने के बाद रूद्र घर से बाहर आ जाता है जहां उसे अंगद दिखाई देता है जो अपनी किसी मार्शल आर्ट का अभ्यास कर रहा था अंगद ने रूद्र को देखकर तुरंत कहा "रुद्र क्या तुम ठीक हो गए औए तुम."

इतना कहने के बाद अंगद बोलता-बोलता रुक गया था और उसके चेहरे के भाव बदल गए थे अंगद पीछे मुड़ता है और उस जगह से भागता हुआ रुद्र की नजरों से दूर हो जाता है।

रुद्र अपनी जगह पर हक्का-बक्का खड़ा था उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था एक पल के लिए रूद्र को ऐसा लगने लगा था जैसे कि वह किसी शैतान में बदल गया हो, रूद्र ने इस बारे में गंभीरता से सोचते हुए अपने आप से कहा "मैं जब भी किसी के साथ बात करता हूं मुझे उसके इरादे के बारे में तुरंत पता चल जाता है। पर आज मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा मैंने अंगद का कुछ भी नहीं बिगाड़ा और वह भी मेरे साथ अच्छे से बात करता
था फिर वह यहां से क्यों भाग गया?"

इस बारे में काफी देर तक सोचने के बाद भी जब रूद्र को कुछ समझ में नहीं आया उसने अपने आप से कहा "मैं भी किस बारे में सोच रहा हूं मैं अपने पिछले जन्म में महान सम्राट था मैं हर वक्त यही सोचता रहता था अपने आप को कैसे ताकतवर बनाऊ और आज मैं ये सब सोच रहा हूं।"

इतना कहने के बाद रूद्र उस जगह से जाने लगा था पर तभी रुद्र के सामने अवनी आ गई थी जहां उसके पीछे सिमरन खड़ी थी अवनी के हाथ में पीतल का बर्तन था जो पूरी तरह से ढका हुआ था।

तभी अवनी ने उस पीतल के ढक्कन को खोलते हुए रुद्र से धीमी आवाज में कहा "रुद्र तुम इतने दिनों से ध्यान में बैठे हुए थे इसलिए आज मैं तुम्हारे लिए बादाम किशमिश के लड्डू लेकर आई हूँ।"

अवनी की बात सुनकर रुद्र हल्का सा उन लड्डू को चखता है जहां रूद्र को भी वे लड्डू बहुत ज्यादा पसंद आते हैं रुद्र ने उन लड्डू की तारीफ करते हुए अवनी से कहा "ये लड्डू तो बहुत ज्यादा अच्छे हैं क्या लोटस सिटी में इतने अच्छे लड्डू भी मिलते हैं।"

रुद्र की बात सुनकर अवनी बिल्कुल शांत थी पर वह
हल्का-हल्का शर्मा रही थी तभी अवनी के पीछे से सिमरन की आवाज आई "ये लड्डू तुम्हें पूरी लोटस सिटी तो क्या पूरी दुनिया में कहीं पर भी नहीं मिलेंगे क्योंकि इन लड्डू को हमारी मिस ने पुरे 6 दिन लगातार मेहनत करके बनाया है।"

जैसे-जैसे सिमरन अवनी के बारे में बता रही थी अवनी को उतनी ही ज्यादा शर्म आ रही थी और शर्म की वजह से अवनी ने अपने शरीर को समेटना शुरू कर दिया था। जाहिर सी बात थी अवनी धीरे-धीरे रूद्र को पसंद करने लगी थी पर रूद्र को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि रूद्र शैतानी मार्शल आर्टिस्ट था शैतानी आर्टिस्ट के लिए प्यार को समझ पाना नामुमकिन होता है।

उन्हे प्यार शब्द का मतलब नहीं पता होता एक शैतानी मार्शल आर्टिस्ट कभी किसी से प्यार नहीं कर सकता वह अपने दिल से नहीं बल्कि दिमाग से सोचता है जहां भी उसे ज्यादा फायदा दिखता है वह उसी जगह चला जाता है या फिर हम कह सकते हैं एक शैतानी मार्शल आर्टिस्ट बहुत ज्यादा क्रूर और निर्दय होता है।

इस वक्त रुद्र जिसके शरीर में था यानी पिछले वाला रुद्र वह एक अच्छा इंसान था और उसे अपने वर्मा परिवार से बहुत ज्यादा लगाव था इसलिए रूद्र चाह कर भी वर्मा परिवार को मुसीबत में छोड़कर दूर नहीं जा पा रहा था जब भी रूद्र ऐसा करने की कोशिश करता था उसका दिल जोरो से दर्द करने लगता था।

खैर सिमरन की बात सुनकर रूद्र ने बिना किसी भाव के कहा "अगर तुमने इन लड्डू को इतनी ज्यादा मेहनत करके बनाया है मैं इनको रख लेता हूं।"

इतना कहने के बाद रुद्र वापिस घर के अंदर चला गया था जहां अवनी और सिमरन भी रुद्र के पीछे-पीछे आ गई थी रुद्र टेबल पर बैठकर उन लड्डू को खाने ही वाला था तभी गेट खुलता है और कनिका अंदर आ जाती है।

कनिका के हाथ में भी पीतल का बर्तन था जहां कनिका को रुद्र के सामने लड्डू देखकर गुस्सा आ गया था कनिका ने गुस्से में कहा "लगता है तुम्हारे लिए पहले ही कोई और खाना लेकर आ गया है और मैं इतने दिनों से फालतू मे ही मेहनत कर रही थी।"

रुद्र के सामने उन लड्डू को देखकर कनिका को बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था कनिका, रुद्र के सामने आ जाती है और उसके सामने वह बर्तन रखने के बाद कहती है "रुद्र खाना खा लो।"

जहां रूद्र ने तुरंत कहा "मेरा पेट इतना ज्यादा बड़ा भी नहीं है जो मैं ये सब खाना खा सकूं मैं इन लड्डू को खाने वाला हूं तुम इन्हें अपने लिए रख लो।"

रुद्र की बात सुनकर कनिका, रूद्र को घूरने लगती है रूद्र ने आज से पहले कनिका को इतना ज्यादा गुस्से में नहीं देखा था रूद्र ने अपने आप से कहा "क्या ये मुझे ठीक देखकर खुश नहीं है पर मुझे ऐसा महसूस क्यों हो रहा है अगर मैं इसकी बात नहीं मानी ये मुझे कच्चा खा जाएगी।"

कनिका को इतना ज्यादा गुस्से में देखकर आखिरकार रूद्र उस बर्तन का ढक्कन उठा लेता है पर जैसे ही वह उस बर्तन के अंदर देखता है उसकी आंखे फटी की फटी रह जाती है क्योंकि उस बर्तन के अंदर कुछ जली हुई पापड़ी के अलावा कुछ नहीं था रूद्र ने उन पापड़ी को देखते हुए अपने आप से कहा "क्या इन्हें भी खाया जा सकता है?"

पर रूद्र ने ये बात कनिका के मुंह पर नहीं कही रुद्र बोला "मुझे ये लड्डू ज्यादा अच्छे लग रहे हैं मुझे इनको खाना चाहिए।"

जिस पर कनिका बोली "पर तुम हम दोनों के खाने में से थोड़ा-थोड़ा भी तो खा सकते हो।"

इतने कहने के बाद कनिका, रूद्र को बड़ी आस भरी नजरों से देखने लगती है जहां रूद्र ने कनिका का इतना ज्यादा मासूम चेहरा देखकर कहा "चलो ठीक है मैं तुम दोनों में से थोड़ा-थोड़ा खाने के लिए तैयार हूं।" कनिका बोली "ठीक है पहले तुम मेरी पापड़ी खाओ।"

तभी अवनी बोली "नहीं, नहीं पहले मैं यहां पर आई थी इसलिए रूद्र पहले मेरा खाना खाएगा।"

पर कनिका अवनी की बात मानने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी दोनों लड़कियां आपस में एक दूसरे को घूरने लगती है और देखने से ऐसा लग रहा था अगर इन्हें जल्द ही रोका नही गया ये दोनों आपस में लड़ने लगेगी।

उन दोनों लड़कियों को देखकर रूद्र को कुछ भी नहीं समझ में आ रहा था डेढ महीने पहले तो ये दोनों लड़कियां आपस में बड़े प्यार से रह रही थी पर पता नहीं अब इन्हें क्या हो गया रुद्र बोला "लगता है यह सब मेहरा परिवार के लोगों ने किया है तभी ये दोनों इतना बहका-बहका व्यवहार कर रही है।"

रुद्र समझ नहीं पा रहा था यह दोनों लड़कियां उसके लिए ही लड़ रही है रूद्र को नहीं पता था प्यार कैसा होता है वह अपनी पिछली जिंदगी में भी अकेला था और उसने अकेले ही सब कुछ किया था।

रुद्र बोला "तुम दोनों को लड़ने की कोई जरूरत नहीं है जो पहले आया था मै पहले उसी का खाना खाऊंगा।" रुद्र की बात सुनकर अवनी खुश हो जाती है और वह बड़े प्यार से रूद्र को देखने लगती है जहां रूद्र एक लड्डू उठाता है और उसे खा लेता है रूद्र को वह लड्डू बहुत ज्यादा अच्छा लगा था रूद्र बोला "यह लड्डू बहुत ज्यादा अच्छा है मैंने इतने दिनों से इससे बढ़िया खाना नहीं खाया।"

तभी सिमरन ने अपनी मिस के बारे में बताते हुए कहा "अच्छा भी क्यों नहीं हो हमारी मिस 10 सालों से खाना बनाने का काम कर रही है पूरी लोटस सिटी में हमारी मिस से अच्छा रसोईया कोई भी नहीं होगा। तुम किस्मत वाले हो जो तुम्हें हमारी मिस के हाथों से खाने को मिला।"

सिमरन की बात खत्म होने के बाद कनिका बोली "चलो रूद्र अब तुम इन पापड़ी को खाकर बताओ यह कैसी बनी है?"

कनिका की बात सुनकर रूद्र उन जली हुई पापड़ी को देखने लगता है रुद्र उन पापड़ी को बिल्कुल भी नहीं खाना चाहता था कोई भी उन्हें देखकर बता सकता था यह पापड़ी बिल्कुल भी अच्छी नहीं है।

रुद्र ने डरते हुए एक पापड़ी उठा ली थी और उस पापड़ी को अपने मुंह की ओर लेकर जाने लगा था रुद्र के हाथ काप पर रहे थे और उसने अपने ऊपर आज से पहले इतना ज्यादा दबाव महसूस नहीं किया था।

रुद्र उस पापड़ी को खा लेता है और जैसे ही रुद्र के मुंह में उस पापड़ी का स्वाद धूलता है रुद्र के मुंह से वह पापड़ी तुरंत निकल जाती है रूद्र ने खांसते हुए कनिका से कहा "यह तुमने मुझे क्या खिला दिया इससे अच्छा तो जहर का स्वाद होता है इससे अच्छा मैं इन पापड़ी के बदले जहर खा लेता।"

उन पापड़ी को खाने के बाद रुद्र के दिमाग में जो आया था उसने तुरंत कनिका के मुंह पर कह दिया था क्योंकि उसने आज से पहले इतना बेकार खाना नहीं खाया था।

अब आगे क्या होगा, रुद्र के मुंह से इतनी खड़ी-कोठी सुनने के बाद कनिका क्या करेगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए l

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Ch 38 - मोटा लड़का

रुद्र से अपनी इज्जत का फालूदा करवाने के बाद कनिका उदास हो गई थी उसने कइ दिन लगातार मेहनत करके रुद्र के लिए खाना बनाया था पर रूद्र को उसका खाना पसंद नहीं आया तभी किसी ने गेट के अंदर आते हुए कहा "यहां पर ये सब क्या हो रहा है?"

वह और कोई नहीं बल्कि समर था समर के चेहरे पर हर बार की तरह हल्की मुस्कुराहट थी और वह अपने छोटे-छोटे कदमों के साथ उन सभी के पास आ गया था तभी समर की नजर रूद्र पर जाती है जिसे ठीक देखकर वह उसे तुरंत गले से लगा लेता है समर बोला "बड़े भाई क्या आप बिल्कुल ठीक हो गए?"

इतना कहने के बाद समर एक लड्डू को उठाने लगता है पर तभी रूद्र ने समर के हाथ पर चपाट मारते हुए कहा "ये सब लड्डू मेरे लिए है ना कि तेरे लिए।"

समर ने अपने हाथ को तुरंत पीछे करके सहलाते हुए रुद्र से कहा "बड़े भाई ये लड्डू देखने में बहुत ज्यादा स्वादिष्ट लग रहे हैं और मुझे भी भूख लगी है।"
रूद्र ने उन जली हुई पापड़ी की तरफ इशारा करते हुए कहा "अच्छा तुम्हें भूख लगी है फिर तुम इस खाने को खा सकते हो इसे तुम्हारी बहन लेकर आई है।"

रुद्र की बात सुनकर समर हंसने लगता है समर ने हंसते हुए कहा "बड़े भाई आप बहुत अच्छा मजाक कर लेते हैं क्या मुझे इसका खाना खाकर मरना है मैं ये बात बहुत अच्छे से जानता हूं कनिका को खाना बनाना बिल्कुल भी नहीं आता यहां तक की इसने कभी रसोई में कदम भी नहीं रखा।"

रुद्र और अपने भाई से बेज्जती करवाने के बाद कनिका पूरी तरह टूट गई थी वह किसी भी वक्त रो सकती थी कनिका पीछे मुड़कर उस जगह से अपने आंसू को रोकते हुए भाग जाती है।

कनिका को उदास होकर इस जगह से भागता हुआ देखकर समर हैरान था समर ने अपने कंधे उचकाते हुए सभी से कहा "क्या मैंने कुछ गलत कह दिया?"

जिस पर रूद्र बोला "तुमने कुछ गलत नहीं कहा बस अपनी बहन को समझा देना उसे वह काम करने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है जो उसे नहीं आता।"

इतना कहने के बाद रूद्र उन लड्डू को खाने लगता है और उन सभी लड्डू को खत्म करने के बाद रूद्र ने टेबल से खड़े होते हुए सभी से कहा "मैं मास्टर यशवंत से मिलने के लिए जा रहा हूं।"

ये सब बोलते हुए रूद्र उस जगह से चला जाता है जहां अवनी बहुत ज्यादा खुश थी क्योंकि आज रुद्र ने उसके लड्डू खाए थे तभी सिमरन बोली "मिस अब आपको खुश हो जाना चाहिए क्योंकि रूद्र को आपके लड्डू बहुत ज्यादा पसंद आए है।"

वैसे तो राजगिरी महाद्वीप बहुत ज्यादा बड़ा था जिसके ऊपर राज परिवार और 7 राजसी परिवार की हुकूमत चलती थी पर 7 राजसी परिवार को भी राज परिवार की बात माननी पड़ती थी क्योंकि राज परिवार ने ही 7 राजसी परिवार को बनाया था पूरे राजगिरी महाद्वीप पर कोई भी ऐसा नहीं था जो राज परिवार के आदेश को ना मानने की हिम्मत करता हो।

राज परिवार भी बहुत ज्यादा बड़ा था जिसके अंदर ताकतवर मार्शल आर्टिस्ट और बहुत महत्वपूर्ण इंसान आते थे जिन्हें राज परिवार का मुखिया यानी सम्राट संभालता था या फिर हम कह सकते थे पूरे राजगिरी महाद्वीप को सम्राट ही संभालता है।

आज कौशिक परिवार के मुखिया और मेहरा परिवार के मुखिया अपनी-अपनी अर्जी लेकर महल आए थे इस वक्त वे दोनों बड़े से होल के अंदर बैठे हुए थे जिसके अंदर 100 हाथियों को भी रखा जा सकता था उस होल के अंदर बहुत सारी कुर्सियां और सामने सम्राट के बैठने के लिए सिंहासन रखा हुआ था वह होल बहुत ज्यादा बड़ा था।

कौशिक परिवार के मुखिया का नाम दिनेश कौशिक था और मेहरा परिवार के मुखिया का नाम अमरीश मेहरा था दिनेश कौशिक दिखने में 40-50 साल के आदमी जैसा दिखाई देता था और वही अमरीश मेहरा देखने में थोड़ा डरावना दिखाई देता था क्योंकि मेहरा परिवार के अधिकतर लोग शैतानी मार्शल आर्ट का ही अभ्यास करते थे जिस वजह से वे लोग डरावने दिखने लगते थे और अमरीश मेहरा की उम्र लगभग दिनेश मेहरा जितने ही थी।

इस वक्त वे दोनों एक दूसरे के आमने-सामने बैठे हुए थे और सम्राट के आने का इंतजार कर रहे थे तभी सम्राट आ जाते हैं सम्राट की उम्र बहुत ज्यादा हो गई थी और उनकी आंख अंदर तक दस गई थी कोई भी देख कर बता सकता था की सम्राट ज्यादा दिन तक जीने नहीं वाले हैं पर एक मार्शल आर्टिस्ट की जिंदगी सामान्य लोगों के मुकाबले में बहुत ज्यादा अलग होती है। 1 मार्शल आर्टिस्ट जितना ज्यादा ताकतवर बनता जाएगा उसकी उम्र भी उतनी ही ज्यादा बढ़ती जाएगी और सम्राट को देखकर लग रहा था उन्होंने कई सो साल अपनी जिंदगी के जी लिए हैं।
सम्राट की कमर झुकी हुई थी और उनकी पूरी दाढ़ी सफेद हो चुकी थी सम्राट को देखकर दिनेश और अमरीश दोनों अपने घुटनों पर आ जाते हैं और सम्राट को नमस्कार करने लगते हैं जहां सम्राट ने अपने सिंहासन पर बैठने के बाद उन दोनों से कहा "तुम दोनों दो बड़े परिवार के मुखिया हो मुझे समझ में नहीं आ रहा इस वक्त तुम दोनों यहां पर क्या कर रहे हो?"

जिस पर अमरीश मेहरा ने अपना सर ऊपर करते हुए सम्राट से कहा "मेरे महाराज में यहां पर अपनी अर्जी लेकर आया हूं आज से डेढ़ महीने पहले कौशिक परिवार वालों ने हमारे दो श्रेष्ठ को मार डाला है। ये बात तो आप भी बहुत अच्छे से जानते हैं हम सभी 7 बड़े परिवारों के बीच में समझौता हुआ था कि हम एक दूसरे को नहीं मार सकते पर कौशिक परिवार वालों ने इस समझौते को तोड़ दिया है।"

अमरीश की बात खत्म होने के बाद दिनेश बोला "क्या तुम्हें सम्राट के सामने झूठ बोलने से डर नहीं लगता महाराज जरा इससे पूछिए वे दोनों श्रेष्ठ हमारे इलाके में क्या कर रहे थे उन दोनों श्रेष्ठ ने हमारे इलाके में आकर उस समझौते को तोड़ा है।"

तभी अमरीश थोड़ा गुस्से में बोला "तुम्हारे परिवार के
स्टूडेंट ने हमारे श्रेष्ठ के स्टूडेंट को मारा था इसलिए वे उस जगह पर पूछताछ करने के लिए आए थे तुमने इसी बात का फायदा उठाकर उन्हें मार डाला। तुम्हें क्या लगता है मुझे कुछ भी समझ में नहीं आएगा तुम ये सब 20 साल पहले जो कुछ हुआ था उसका बदला लेने के लिए कर रहे हो।"

अमरीश को दो श्रेष्ठ के मरने पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था पर वहीं दूसरी तरफ दिनेश बिल्कुल शांत था जैसे कि वह पूरी तैयारी करके आया हो दिनेश बोला "कैसा बदला क्या तुम उस बारे में भूल गए हो जब 3 साल पहले तुम्हारे लोगों ने हमारे श्रेष्ठ की एक आंख निकाल ली थी। उस वक्त मैं कुछ नहीं बोल पाया, क्योंकि तुमने कहा था वो श्रेष्ठ हमारे इलाके में आया था पर डेढ़ महीने पहले हमारे इलाके में तुम्हारे परिवार का एक श्रेष्ठ नहीं बल्कि दो श्रेष्ठ आए थे और उनके साथ तीन ताकतवर मार्शल आर्टिस्ट और भी थे क्या तुम अब भी कहोगे वे सभी लोग पूछताछ करने के लिए आए थे एक बच्चा भी उन्हें देखकर बता सकता था उन सभी के इरादे क्या थे।"

जहां कुछ समय पहले उस जगह पर बिल्कुल शांति थी वहीं अब उस बड़े से होल में अमरीश और दिनेश की आवाज गूंज रही थी वे दोनों एक दूसरे के साथ बहस कर रहे थे और हर पल उनकी आवाज ऊंची होती जा रही थी। तभी सम्राट ने चिल्लाते हुए कहा "बंद करो अपनी बकवास मैंने तुम दोनों की बातें सुन ली है और अब मैं फैसला सुना रहा हूं कौशिक परिवार वालों को लगता है वे लोटस सिटी के अंदर व्यापार करते हैं तो लोटस सिटी उनका हो गया आज से मैं एलान करता हूं लोटस सिटी कौशिक परिवार वालों का नहीं रहा और ना ही तुम दोनों परिवार में से कोई भी लोटस सिटी के अंदर जा सकता।"

सम्राट का फैसला सुनकर वे दोनों बहुत ज्यादा हैरान हो गए थे क्योंकि सम्राट ने उन दोनों को लोटस सिटी के अंदर जाने से प्रतिबंधित कर दिया था वे दोनों हैरान इसलिए नहीं हुए थे उन्हे लोटस सिटी जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था बल्कि वे हैरान इसलिए हुए थे लोटस सिटी जैसी इतने छोटे शहर में सम्राट हम दोनों परिवार को जाने से क्यों रोक रहे है सम्राट तो इतनी छोटी-मोटी सिटी पर ध्यान भी नहीं देते हैं

अमरीश बोला "पर महाराज."

इससे पहले अमरीश आगे कुछ और बोल पाता तभी सम्राट ने अमरीश पर चिल्लाते हुए कहा "मैंने फैसला सुना दिया है मैं नहीं चाहता दोबारा से तुम परिवारों के बीच में लड़ाई बजे इसलिए आज के बाद तुम दोनों परिवारों में से कोई भी लोटस सिटी नहीं जाएगा।"

सम्राट की बात सुनकर उन दोनों को समझ में आ गया था कि सम्राट उन्हें लोटस सिटी जाने से क्यों मना कर रहे थे वे दोनो सम्राट को नमस्कार करते हैं और उनके फैसले का सम्मान करते हुए उस जगह से चले जाते हैं और वैसे भी सम्राट के सामने और कुछ बोलकर कोई फायदा नहीं होने वाला था क्योंकि सम्राट ने अपना फैसला सुना दिया था और अगर वे इसके खिलाफ ज्यादा कुछ बोलेंगे तो उन्हें सम्राट का आदेश न मानने के जुर्म में दंडित भी किया जा सकता है।

उन दोनों के उस जगह से जाने के बाद सम्राट के भाव बिल्कुल बदल गए थे जहां कुछ समय पहले सम्राट के चेहरे पर गुस्से के भाव थे वही अब सम्राट बिल्कुल शांत दिख रहे थे।

सम्राट बोले "मेहरा परिवार के लोग लोटास सिटी में क्या करने के लिए गए थे कहीं उन्हें उस राज के बारे में तो नहीं पता चल गया जो हमने पिछले 800 सालों से छुपा कर रखा था।"

तभी सिंहासन के पीछे से आवाज आई "राज परिवार बहुत ज्यादा बड़ा है इसके अंदर बहुत ज्यादा ताकतवर लोग मौजूद है और उनकी नजर हर वक्त आप पर रहती है जरूर उनमें से किसी ने मेहरा परिवार को इस बारे में बताया होगा।"

सिंहासन के पीछे एक आदमी छुपा हुआ था और सम्राट को भी इस बारे में पता था सम्राट बोले "अगर ऐसी बात है फिर हमें अपनी योजना को शुरू करना होगा।"

अगले दिन कौशिक परिवार.

रुद्र घूमने के लिए बाहर निकला था और जैसे ही वह दोबारा से कौशिक परिवार के अंदर जा रहा था उस बहुत सारे आदमी दिखाई देते हैं जो एक डोली को घेर कर खड़े थे उनमें से कुछ लोग मार्शल आर्टिस्ट लग रहे थे और कुछ लोगों ने शाही कपड़े पहन रखे थे।

तभी उस डोली के अंदर से एक लड़का बाहर निकलता है जिसकी तोंद देखकर रुद्र के मुंह से निकला "यह इंसान है या फिर दानव क्या कोई इंसान भी इतना ज्यादा मोटा हो सकता है?"

उस मोटे लड़के की उम्र रुद्र जितनी थी पर उसने साही कपड़े पहन रखे थे कोई भी उस मोटा को देखकर बता सकता था कि वह मोटा कितना ज्यादा अमीर है।

रूद्र ने उस मोट को ध्यान से देखा और फिर अपने आप से कहा "कुछ भी हो पर इस मोटे की ताकत मुझसे ज्यादा है मैं दूसरे सितारे के पांचवे स्तर पर हूं और वही यह मोटा दूसरे सितारे के 7वे स्तर पर है यह मोटा ही नहीं इसके साथ जितने भी लोग हैं वे सभी दूसरे सितारे के 7वे स्तर पर है लगता है यह सभी राजसी परिवार में से है।" रुद्र कुछ देर उसी जगह पर खड़ा रहता है पर वे लोग अभी तक कौशिक परिवार के अंदर नहीं गए थे रुद्र बोला "लगता है ये लोग कौशिक परिवार वालों को नहीं जानते हैं वरना अभी तक ये लोग अंदर जा चुके होते।"

इतना सोचने के बाद रूद्र कौशिक परिवार के अंदर जाने लगता है पर तभी पीछे से उस मोटे लड़के ने रुद्र के पास आते हुए कहा "दोस्त क्या तुम कौशिक परिवार वालों को जानते हो?"

उस मोटे के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट थी और उसके इरादे कहीं से भी रूद्र को परेशान करने के बिल्कुल भी नहीं थे रुद्र बोला "मैं कौशिक परिवार वालों को अच्छे से नहीं जानता पर मेरी इनके साथ थोड़ी बहुत पहचान है।"

रुद्र की बात सुनकर उस मोटे की मुस्कुराहट और भी ज्यादा बड़ी हो जाती है वह मोटा बोला "बहुत बढ़िया इसका मतलब तुम अंदर जा सकते हो अंदर जाकर तुम्हें मिस जानवी को मेरा संदेश देना है की मोटू तुम्हारा बाहर इंतजार कर रहा है जब तक तुम नहीं आओगी वह मोटू कहीं नहीं जाएगा।"

अब आगे क्या होगा, क्या रुद्र उस मोटे लड़के का संदेश जानवी को देगा? और जानवी का उस मोटे के साथ क्या संबंध है? जानने के लिए पढ़ते रहिए l
 

Vk1989

Fd
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जल्दी कमेंट कहानी कैसे बताईये l
 

Vk1989

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फ्रेंड मी कमेंट करे अच्छा लगेगा लिखने में मुझे मोतीओशन मिलेगी वह प्लीज कमेंट करे कहानी अच्छी जा रही हेना कहानी लोग स्टोरी हे प्लीज
 

Dhakad boy

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Nice update
Kahani ekdum mast ja rahi hai
 
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