Ch 37 - तुमने मुझे क्या खिला दिया
डेढ़ महीने बाद.
पूरे डेढ़ महीने बाद रूद्र अपने कमरे से बाहर निकलता है रूद्र को अपने सभी घाव ठीक करने में डेढ़ महीने का समय लग गया था कौशिक परिवार ने वर्मा परिवार को जो घर दिया था वह दो मंजिला बड़ा था जहां रूद्र पूरे डेढ़ महीने ऊपर वाले कमरे के अंदर था और रुद्र को अपने सभी घाव को भरने मे डेढ़ महीने का समय इसलिए लगा था क्योंकि रूद्र को बाहरी चोट के साथ-साथ अंदरूनी चोट भी लगी थी बाहरी चोट को बहुत जल्दी भरा जा सकता है पर अंदरूनी चोट को ठीक होने में समय लगता है।
जैसे ही रूद्र सीडियो से नीचे आता है उसे अपने सामने सिमरन दिखाई देती है सिमरन को देखकर रूद्र ने अपने आप से कहा "अवनी कहीं पर भी नहीं दिखाई दे रही, ये तो हर वक्त अवनी के साथ रहती है।"
जब रूद्र नीचे आ जाता है सिमरन की नजर रूद्र पर जाती है जिसे देखते ही सिमरन वहां से तुरंत भाग जाती हे रुद्र भी अचानक से सिमरन को भागता हुआ देखकर हैरान था पर तभी उसे कुछ याद आता है। रूद्र ने अपने आप से कहा "लगता है ये सब उस दिन की वजह से हो रहा है जब मैंने अवनी के साथ इसके भी कपड़े फाड़ दिए थे और मैं हर वक्त समर को भी मारता रहता हूं शायद इसी वजह से ये मुझे किसी शैतान से कम नहीं समझती है।"
इतना सोचने के बाद रूद्र घर से बाहर आ जाता है जहां उसे अंगद दिखाई देता है जो अपनी किसी मार्शल आर्ट का अभ्यास कर रहा था अंगद ने रूद्र को देखकर तुरंत कहा "रुद्र क्या तुम ठीक हो गए औए तुम."
इतना कहने के बाद अंगद बोलता-बोलता रुक गया था और उसके चेहरे के भाव बदल गए थे अंगद पीछे मुड़ता है और उस जगह से भागता हुआ रुद्र की नजरों से दूर हो जाता है।
रुद्र अपनी जगह पर हक्का-बक्का खड़ा था उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था एक पल के लिए रूद्र को ऐसा लगने लगा था जैसे कि वह किसी शैतान में बदल गया हो, रूद्र ने इस बारे में गंभीरता से सोचते हुए अपने आप से कहा "मैं जब भी किसी के साथ बात करता हूं मुझे उसके इरादे के बारे में तुरंत पता चल जाता है। पर आज मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा मैंने अंगद का कुछ भी नहीं बिगाड़ा और वह भी मेरे साथ अच्छे से बात करता
था फिर वह यहां से क्यों भाग गया?"
इस बारे में काफी देर तक सोचने के बाद भी जब रूद्र को कुछ समझ में नहीं आया उसने अपने आप से कहा "मैं भी किस बारे में सोच रहा हूं मैं अपने पिछले जन्म में महान सम्राट था मैं हर वक्त यही सोचता रहता था अपने आप को कैसे ताकतवर बनाऊ और आज मैं ये सब सोच रहा हूं।"
इतना कहने के बाद रूद्र उस जगह से जाने लगा था पर तभी रुद्र के सामने अवनी आ गई थी जहां उसके पीछे सिमरन खड़ी थी अवनी के हाथ में पीतल का बर्तन था जो पूरी तरह से ढका हुआ था।
तभी अवनी ने उस पीतल के ढक्कन को खोलते हुए रुद्र से धीमी आवाज में कहा "रुद्र तुम इतने दिनों से ध्यान में बैठे हुए थे इसलिए आज मैं तुम्हारे लिए बादाम किशमिश के लड्डू लेकर आई हूँ।"
अवनी की बात सुनकर रुद्र हल्का सा उन लड्डू को चखता है जहां रूद्र को भी वे लड्डू बहुत ज्यादा पसंद आते हैं रुद्र ने उन लड्डू की तारीफ करते हुए अवनी से कहा "ये लड्डू तो बहुत ज्यादा अच्छे हैं क्या लोटस सिटी में इतने अच्छे लड्डू भी मिलते हैं।"
रुद्र की बात सुनकर अवनी बिल्कुल शांत थी पर वह
हल्का-हल्का शर्मा रही थी तभी अवनी के पीछे से सिमरन की आवाज आई "ये लड्डू तुम्हें पूरी लोटस सिटी तो क्या पूरी दुनिया में कहीं पर भी नहीं मिलेंगे क्योंकि इन लड्डू को हमारी मिस ने पुरे 6 दिन लगातार मेहनत करके बनाया है।"
जैसे-जैसे सिमरन अवनी के बारे में बता रही थी अवनी को उतनी ही ज्यादा शर्म आ रही थी और शर्म की वजह से अवनी ने अपने शरीर को समेटना शुरू कर दिया था। जाहिर सी बात थी अवनी धीरे-धीरे रूद्र को पसंद करने लगी थी पर रूद्र को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि रूद्र शैतानी मार्शल आर्टिस्ट था शैतानी आर्टिस्ट के लिए प्यार को समझ पाना नामुमकिन होता है।
उन्हे प्यार शब्द का मतलब नहीं पता होता एक शैतानी मार्शल आर्टिस्ट कभी किसी से प्यार नहीं कर सकता वह अपने दिल से नहीं बल्कि दिमाग से सोचता है जहां भी उसे ज्यादा फायदा दिखता है वह उसी जगह चला जाता है या फिर हम कह सकते हैं एक शैतानी मार्शल आर्टिस्ट बहुत ज्यादा क्रूर और निर्दय होता है।
इस वक्त रुद्र जिसके शरीर में था यानी पिछले वाला रुद्र वह एक अच्छा इंसान था और उसे अपने वर्मा परिवार से बहुत ज्यादा लगाव था इसलिए रूद्र चाह कर भी वर्मा परिवार को मुसीबत में छोड़कर दूर नहीं जा पा रहा था जब भी रूद्र ऐसा करने की कोशिश करता था उसका दिल जोरो से दर्द करने लगता था।
खैर सिमरन की बात सुनकर रूद्र ने बिना किसी भाव के कहा "अगर तुमने इन लड्डू को इतनी ज्यादा मेहनत करके बनाया है मैं इनको रख लेता हूं।"
इतना कहने के बाद रुद्र वापिस घर के अंदर चला गया था जहां अवनी और सिमरन भी रुद्र के पीछे-पीछे आ गई थी रुद्र टेबल पर बैठकर उन लड्डू को खाने ही वाला था तभी गेट खुलता है और कनिका अंदर आ जाती है।
कनिका के हाथ में भी पीतल का बर्तन था जहां कनिका को रुद्र के सामने लड्डू देखकर गुस्सा आ गया था कनिका ने गुस्से में कहा "लगता है तुम्हारे लिए पहले ही कोई और खाना लेकर आ गया है और मैं इतने दिनों से फालतू मे ही मेहनत कर रही थी।"
रुद्र के सामने उन लड्डू को देखकर कनिका को बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था कनिका, रुद्र के सामने आ जाती है और उसके सामने वह बर्तन रखने के बाद कहती है "रुद्र खाना खा लो।"
जहां रूद्र ने तुरंत कहा "मेरा पेट इतना ज्यादा बड़ा भी नहीं है जो मैं ये सब खाना खा सकूं मैं इन लड्डू को खाने वाला हूं तुम इन्हें अपने लिए रख लो।"
रुद्र की बात सुनकर कनिका, रूद्र को घूरने लगती है रूद्र ने आज से पहले कनिका को इतना ज्यादा गुस्से में नहीं देखा था रूद्र ने अपने आप से कहा "क्या ये मुझे ठीक देखकर खुश नहीं है पर मुझे ऐसा महसूस क्यों हो रहा है अगर मैं इसकी बात नहीं मानी ये मुझे कच्चा खा जाएगी।"
कनिका को इतना ज्यादा गुस्से में देखकर आखिरकार रूद्र उस बर्तन का ढक्कन उठा लेता है पर जैसे ही वह उस बर्तन के अंदर देखता है उसकी आंखे फटी की फटी रह जाती है क्योंकि उस बर्तन के अंदर कुछ जली हुई पापड़ी के अलावा कुछ नहीं था रूद्र ने उन पापड़ी को देखते हुए अपने आप से कहा "क्या इन्हें भी खाया जा सकता है?"
पर रूद्र ने ये बात कनिका के मुंह पर नहीं कही रुद्र बोला "मुझे ये लड्डू ज्यादा अच्छे लग रहे हैं मुझे इनको खाना चाहिए।"
जिस पर कनिका बोली "पर तुम हम दोनों के खाने में से थोड़ा-थोड़ा भी तो खा सकते हो।"
इतने कहने के बाद कनिका, रूद्र को बड़ी आस भरी नजरों से देखने लगती है जहां रूद्र ने कनिका का इतना ज्यादा मासूम चेहरा देखकर कहा "चलो ठीक है मैं तुम दोनों में से थोड़ा-थोड़ा खाने के लिए तैयार हूं।" कनिका बोली "ठीक है पहले तुम मेरी पापड़ी खाओ।"
तभी अवनी बोली "नहीं, नहीं पहले मैं यहां पर आई थी इसलिए रूद्र पहले मेरा खाना खाएगा।"
पर कनिका अवनी की बात मानने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी दोनों लड़कियां आपस में एक दूसरे को घूरने लगती है और देखने से ऐसा लग रहा था अगर इन्हें जल्द ही रोका नही गया ये दोनों आपस में लड़ने लगेगी।
उन दोनों लड़कियों को देखकर रूद्र को कुछ भी नहीं समझ में आ रहा था डेढ महीने पहले तो ये दोनों लड़कियां आपस में बड़े प्यार से रह रही थी पर पता नहीं अब इन्हें क्या हो गया रुद्र बोला "लगता है यह सब मेहरा परिवार के लोगों ने किया है तभी ये दोनों इतना बहका-बहका व्यवहार कर रही है।"
रुद्र समझ नहीं पा रहा था यह दोनों लड़कियां उसके लिए ही लड़ रही है रूद्र को नहीं पता था प्यार कैसा होता है वह अपनी पिछली जिंदगी में भी अकेला था और उसने अकेले ही सब कुछ किया था।
रुद्र बोला "तुम दोनों को लड़ने की कोई जरूरत नहीं है जो पहले आया था मै पहले उसी का खाना खाऊंगा।" रुद्र की बात सुनकर अवनी खुश हो जाती है और वह बड़े प्यार से रूद्र को देखने लगती है जहां रूद्र एक लड्डू उठाता है और उसे खा लेता है रूद्र को वह लड्डू बहुत ज्यादा अच्छा लगा था रूद्र बोला "यह लड्डू बहुत ज्यादा अच्छा है मैंने इतने दिनों से इससे बढ़िया खाना नहीं खाया।"
तभी सिमरन ने अपनी मिस के बारे में बताते हुए कहा "अच्छा भी क्यों नहीं हो हमारी मिस 10 सालों से खाना बनाने का काम कर रही है पूरी लोटस सिटी में हमारी मिस से अच्छा रसोईया कोई भी नहीं होगा। तुम किस्मत वाले हो जो तुम्हें हमारी मिस के हाथों से खाने को मिला।"
सिमरन की बात खत्म होने के बाद कनिका बोली "चलो रूद्र अब तुम इन पापड़ी को खाकर बताओ यह कैसी बनी है?"
कनिका की बात सुनकर रूद्र उन जली हुई पापड़ी को देखने लगता है रुद्र उन पापड़ी को बिल्कुल भी नहीं खाना चाहता था कोई भी उन्हें देखकर बता सकता था यह पापड़ी बिल्कुल भी अच्छी नहीं है।
रुद्र ने डरते हुए एक पापड़ी उठा ली थी और उस पापड़ी को अपने मुंह की ओर लेकर जाने लगा था रुद्र के हाथ काप पर रहे थे और उसने अपने ऊपर आज से पहले इतना ज्यादा दबाव महसूस नहीं किया था।
रुद्र उस पापड़ी को खा लेता है और जैसे ही रुद्र के मुंह में उस पापड़ी का स्वाद धूलता है रुद्र के मुंह से वह पापड़ी तुरंत निकल जाती है रूद्र ने खांसते हुए कनिका से कहा "यह तुमने मुझे क्या खिला दिया इससे अच्छा तो जहर का स्वाद होता है इससे अच्छा मैं इन पापड़ी के बदले जहर खा लेता।"
उन पापड़ी को खाने के बाद रुद्र के दिमाग में जो आया था उसने तुरंत कनिका के मुंह पर कह दिया था क्योंकि उसने आज से पहले इतना बेकार खाना नहीं खाया था।
अब आगे क्या होगा, रुद्र के मुंह से इतनी खड़ी-कोठी सुनने के बाद कनिका क्या करेगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए l
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