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Incest Sagar (Completed)

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:congrats: शुभकामनायें भाई ? 100 पृष्ठ ............प्रथम शतक पूरा करने पर
आपकी ये कहानी बहुत अच्छी लग रही है................ आशा करता हूँ........आगे और भी अच्छी कहानिया आपकी कलम से मिलेंगी

रास्ते को देखकर नहीं उसपर चलकर ही कहीं पहुंचा जा सकता है
बहुत बहुत धन्यवाद भाई ?

आप ने सही कहा लेकिन किसी किसी की जिन्दगी बीत जाती है चलते चलते...... मगर मंजिलें नहीं मिलती ।
लेकिन ये भी तो सच है..... कर्म प्रधान विश्व करि राखा । जा जस करि ताई फल चाखा ।।........ कर्म तो प्रधान है लेकिन उसका फल....?
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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बहुत बहुत धन्यवाद भाई ?

आप ने सही कहा लेकिन किसी किसी की जिन्दगी बीत जाती है चलते चलते...... मगर मंजिलें नहीं मिलती ।
लेकिन ये भी तो सच है..... कर्म प्रधान विश्व करि राखा । जा जस करि ताई फल चाखा ।।........ कर्म तो प्रधान है लेकिन उसका फल....?
.........मंजिल/फल की चाह ही तो वो तृष्णा है ...........जो आपको तुष्ट नहीं होने देती...... आनंद नहीं लेने देती जीवन रूपी रास्ते का............जीवन का आनंद ले पाना ही मोक्ष प्राप्त करना है.......... मृत्यु के बाद का मोक्ष किसने देखा है .........
 
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डायलॉग पढ़ कर लग रहा है कि सुरेन्द्र मोहन पाठकजी ही नाम बदलकर यहां उपस्थित हैं
शुक्रिया संज्ञा जी..... मैं बचपन से उनका फैन रहा हूं.... आप पाठक जी के फैन्स हो तो आप जरूर जानते होंगे कि ७०..८० के दशक में जासूसी उपन्यास में जब राइटर्स के लीड हीरो कर्नल , मेजर , राॅ के जासुस , सिक्रेट सर्विस के एजेंट जैसे पात्र हुआ करते थे ....उस समय पाठक जी ने अपना प्रमुख नायक सुनील को रखा जो ब्लास्ट अखबार में चीफ रिपोर्टर का काम करता था.... एक मामूली रिपोर्टर को अपने उपन्यास का मेन किरदार बना दिया...बहुत बड़ा रिस्क था....और सुनील सीरीज आज तक का सबसे अधिक सीरीज में छपने वाला उपन्यास है ।
दुसरा प्रमुख नायक विमल को रखा जो एक हालात का मारा मुजरिम था......तिसरा नायक सुधीर को रखा जो उस वक्त शायद चालीस साल पहले एक प्राइवेट डिटेक्टिव था....उस वक्त तो प्राइवेट डिटेक्टिव क्या होता है , लोगों को ठीक से पता भी नहीं था ।
और सबसे खासियत जो उनके उपन्यासों में थी वो रियलिटी से आधारित थी.....न कोई जादू....न कोई फैंटेसी....न कोई वाहियात लोजिक....न कोई दुसरे प्लानेट का अजीबोगरीब आदमी...न कोई चमत्कार....न कोई थर्ड क्लास का साइंस ।

मेरी नज़र में उनसे बड़ा जासूसी उपन्यास लिखने वाला लेखक कोई भी नहीं है । और ये हमारी खुशनसीबी है कि वो अभी भी लिख रहे हैं ।
 
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