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Incest Sagar (Completed)

Neha tyagi

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लाॅक डॉउन का असर अब मुझ पर भी पड़ गया है...... तो प्रोब्लम होगी ही..... इसीलिए कोई भी अपडेट लिख नहीं पाया......

लिखना बड़ी बात नहीं है लेकिन जब किसी चीज में आपका दिल नहीं करता है तो वो चीजें नीरश हो जाती है....... लोगों को पसंद नहीं आती है ।

हमारे घरों में सब्जियां रोज बनती हैं..... लेकिन वही सब्जी कभी कभी बहुत अच्छी लगती है और कभी कभी बेस्वाद...... जबकि उन सब्जियों में सेम वही मसाला होता है.... और बनाने का तरीका भी वही होता है............ जिन सब्जियों का स्वाद लज्जतदार होता है..उसका कारण कुछ नहीं सिर्फ उन को बनाने में दिल का लगा होना होता है ।

यहां भी यही रूल्स फॉलो होता है.....मन अशांत हो तो भला दिल कहां लगेगा कहानी लिखने में.....

मैं शायद दो हफ्तों तक कुछ लिख ही नहीं पाऊं !

कुछ समय लगेगा ।

लेकिन अशांत मन को भटकाने के लिए यहां हर समय मौजूद रहूंगा..... कुछ पढ़कर । कुछ कमेन्टस कर ।
Take your time, family first
 
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Update 24 A.

Flashback continue....

जैसे ही उर्वशी चुप हुई मैं दौड़कर बाथरूम भागा । संजय और उसकी बहन मधुमिता की चुदाई कहानी सुनकर लन्ड आसमान ज़मीन एक किए हुए था । और वाइन पीने के कारण पेशाब भी लग गया था ।

इतना जोर से पेशाब लगा था कि दो तीन मिनट तक लग गए पेशाब करते करते । फिर हाथ मुंह धोकर रूम में प्रवेश किया । और वहां के माहौल को देखा तो मेरा लन्ड जो पेशाब करने के बाद थोड़ा शांत हो गया था फिर से अशांति पर उतर आया ।

दोनों हस्तनी सहेलियां श्वेता दी और उर्वशी पुरी तरह निर्वस्त्र पलंग पर एक दूसरे से गुत्थमगुत्था हो कर एक दूसरे को चुम चाट रही थी ।

मैंने पोर्न मूवी तो बहुतों देखी थी । और कुछ लेस्बियन सेक्स मूवी भी देखा था लेकिन कभी जीवंत नहीं देखा था । दो गोरी-चिट्टी मांशल बदन वाली शादीशुदा युवतियों को पुरी तरह नंगी एक दूसरे से गुत्थमगुत्था देखना शरीर के रोंगटे खड़े कर देने वाला था । दोनों के लेस्बियन सेक्स को और देखने के लालशा में मैंने उन्हें डिस्टर्ब करना उचित नहीं समझा और बगल में रखे सोफे पर बैठ गया । मैंने भी अपना लोवर निकाल दिया । अब मैं भी उन्हीं की तरह सर से पांव तक निर्वस्त्र था ।

श्वेता दी बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी और उनके उपर उर्वशी दी चढ़ी हुई थी । दोनों सहेलियों ने अपने दोनों पांवों को कैंची की तरह फंसा कर रखा था जिससे दोनों की रस से भरी हुई चुत एक दूसरे से रगड़ खा रही थी । साथ में दोनों अपनी मोटी मोटी जांघें फैलाए एक दुसरे से घसे जा रही थी ।

दोनों की बड़ी बड़ी चूचियां एक दूसरे से दबी हुई थी । उर्वशी श्वेता दी की जीभ को बुरी तरह चुस रही थी । दोनों की चुमाचाटी और सिसकारियों की आवाज पुरे कमरे में मधुर संगीत पैदा कर रही थी ।

उपर चढ़े होने के कारण उर्वशी की तरबुज की तरह बड़ी गांड़ आगे पीछे एक लय में हील रही थी । और नीचे से श्वेता दी भी धक्के लगा रही थी । मैं जहां बैठा था वहां से दोनों को एक-दूसरे के चुत को घिसते हुए स्पष्ट देख रहा था । दोनों की चिकनी चुत की रसमलाई रिसते हुए उनके मोटी मोटी जांघों तक आ पहुंची थी ।

उर्वशी दी के उपर होने के कारण उसकी चौड़ी गान्ड की हल्की भुरी छेद भी मैं देख पा रहा था जो कभी खुल रही थी तो कभी बंद हो रही थी । मै बहुत उत्तेजित हो गया था । मैं डर से अपने लन्ड को छु नहीं रहा था कि कहीं मेरे कठोर हाथों के स्पर्श से लन्ड पानी न फेंक दे ।

वो दोनों एक दूसरे में इतना खो गई थी कि उन्हें मेरा ख्याल तक भी नहीं रहा था । कुछ देर तक एक-दूसरे को चुमते चाटते और अपनी चुत रगड़ते कब 69 पोज में आ गई , इसका अंदाजा उन्हें खुद भी नहीं था। फिर तो जो वो दोनों एक-दूसरे के गुप्तांगों को चुमने चाटने लगी कि उनके चपर चपर की आवाज मेरे कानों तक पहुंचने लगी । उर्वशी दी की पांव मेरी तरफ थी जिससे मैं श्वेता दी को उनकी फुली हुई रसभरी दरारों को अपने जीभ से चाटते हुए स्पष्ट देख रहा था ।

तभी श्वेता दी की नजर मुझ पर पड़ी । वो मुस्कराई और मुझे आंखों ही आंखों में वहां आने का इशारा की ।

मैं तो बहुत पहले से इस निमंत्रण का इंतजार कर रहा था । मैं बिना देरी किए वहां झटपट पहुंच गया । श्वेता दी ने उर्वशी की चुत को अपने दोनों हाथों से फैलाया । उनकी चुत उनके कामरस से भीगी हुई थी । बस फिर क्या था... उर्वशी की चुत को हम दोनों भाई बहन एक साथ चुसने लगे । उर्वशी को भी इसका आभास हो गया था कि उसकी चुत में दो दो जीभ ढुके हुए हैं । वो उत्तेजित हो कर बेसब्री से अपनी कमर हिलाने लगी । श्वेता दी उसकी क्लीट को अपने होंठों से दबा कर चूसने लगी और मैं उसके छेद में अन्दर तक जीभ डाल उसकी चुत को जीभ से चोदने लगा ।

ये दो तरफा प्रहार उर्वशी झेल नहीं पाई और बुरी तरह झड़ने लगी । उसकी चुत ने पानी का फव्वारा छोड़ दिया जिसे हम दोनों भाई बहन ने गटक गटक कर पी लिया ।

उर्वशी के सुस्त पड़ते ही मैंने श्वेता दी को पकड़ कर बिस्तर पर पटक दिया और अपने दोनों हाथों से उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को जोर जोर से मसलते हुए उनकी गुलाबी जीभ को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा । मेरा लन्ड उनकी कचोड़ी जैसे फुली हुई चुत पर झटके पर झटका दिए जा रहा था । श्वेता दी भी काफी उत्तेजित हो गई थी । वो बड़े जोश से अपनी जीभ मेरे मुंह के अंदर ठेलने लगी ।

ये देख उर्वशी की काम वासना फिर से भड़कने लगी । वो सरक कर हमारे करीब आई और अपनी जीभ निकाल कर हम दोनों के जीभ से सटा दी ।

फिर तो हम तीनों आपस में अपना मुंह सटाए चुमा चाटी करने लगे । तीनों बदल बदल कर एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे । तीनों ने अपनी अपनी जीभ निकाल कर एक दूसरे के मुंह में ठुसने शुरू कर दिए । तीनों के थुक एक दूसरे के मुंह में जा रहे थे ।

थोड़ी देर बाद उर्वशी वहां से घसक कर मेरे जांघों के पास आई और मेरे फनफनाते लन्ड को पकड़ कर अपने मुंह में डाल लिया और आइसक्रीम की तरह चूसने लगी । ये देख श्वेता दी ने मुझे पीठ के बल लिटा दिया और मेरे सर के ऊपर से अपने दोनों पांव दो तरफ करके मेरे मुंह के सामने अपनी चिकनी चुत रखकर आगे की ओर झुक गई । अब वो भी उर्वशी के साथ साथ मेरे लन्ड को चूसने लगी ।

मैंने श्वेता दी की खुबसूरत चुत को बड़ी कामूक भरी निगाहों से देखा जो उसके काम रस से भीगी हुई थी । सच में ये जन्नत का द्वार था । डबल पावरोटी के समान फुली हुई और बीच में दरार ली हुई । उनकी चुत को अपने दोनों हाथ के अंगूठे से फैलाया । अंदर रस ही रस था । और उसकी महक मुझे पागल किए जा रही थी । मैंने अपना जीभ निकाला और उनके दरारों में घुसेड़ दिया और उनकी चुत से निकल रही मलाई को चुस चुस कर पीने लगा । मैं जितना उनकी चुत से मलाई चाटता उतना ही वो और अधिक मलाई छोड़ देती । और मैं बड़े प्रेम से उसे भी चाट चाट कर साफ़ कर देता ।

इधर मेरा मोटा तगड़ा हथियार कभी उर्वशी के मुंह के अंदर होता तो कभी श्वेता दी के मुंह में होता । मेरे दोनो अंडकोष को दोनों सहेलियां बदल बदल कर अपने होंठों से तो कभी जीभ से प्यार करती । कभी अपने मुंह में डाल कर चुसती ।

मैं लन्ड चुसाई का सुख भोग ही रहा था कि उर्वशी दी कामोत्तेजना बर्दाश्त नहीं कर पाई और मेरे जांघों पर चढ़ गई और मेरे लन्ड को पकड़ कर अपने चुत के छिद्र से सटाकर उसे अपने अंदर लेने लगी । जैसे ही मेरा लन्ड उनके चुत के गहराइयों में पहुंचा कि वो अपनी कमर ऊपर नीचे करके मुझे चोदने लगी । उनकी चुत अभी भी कसी हुई थी जिससे कारण लन्ड फंस फंस कर अंदर बाहर हो रहा था ।

श्वेता दी मेरे मुंह पर अपनी चुत रखकर चुसवा रही थी वहीं उर्वशी मेरे लन्ड को अपने चुत में डाल कर खुद ही मुझे चोदे जा रही थी । मैं तो जैसे सातवें आसमान पर था ।

कमरे का तापमान काफी गरम हो गया था । श्वेता दी मेरे मुंह पर अपनी चुत रगड़ते हुए अपनी गाल मेरे नाभि के ऊपर रखकर अपने भाई के लन्ड को उर्वशी की चुत में तेजी से अंदर बाहर होते हुए देख रही थी । इस कामूक दृश्य को देख उत्तेजित होकर वो मेरे मुंह पर अपनी चुत तेजी से पटकने लगी ।

उर्वशी की उत्तेजना चरम पर पहुंच गई थी । वह जोर जोर से मेरे लन्ड पर कूदते हुए और सिसकारियां मारते हुए बुरी तरह झड़ने लगी । उन्होंने अपनी पानी से मेरे लन्ड को नहलवा दिया । मेरा लन्ड उर्वशी की चुत की गर्मी और उनके झड़ते हुए पानी को बर्दाश्त नहीं कर पाया और वो भलभला कर उनके चुत में झड़ने लगा । श्वेता दी की नजरें हमारे संधि स्थल पर ही थी । हमें झड़ते देखकर वो भी बर्दाश्त नहीं कर पाई और उन्होंने भी अपनी नलकी मेरे मुंह में खोल दी । और मैं बड़े प्रेम से उनकी मलाई पीता गया । उर्वशी झड़ने के बाद श्वेता दी के पीठ पर सुस्त हो कर पसर गई ।

थोड़ी देर बाद तीनों अगल बगल लेट गए । करीब दस पंद्रह मिनट तक हम अपनी सांसें दुरूस्त करते रहे ।

श्वेता दी जब सहज सी महसूस की तो उसने उर्वशी से पुछा -" तेरा और सागर का ये सब चक्कर कैसे चालु हुआ था , ये तो तुने अभी तक बताया नहीं ।"

" इसने नहीं बताया ? " - उर्वशी ने कहा ।

" पुछने का टाइम नहीं मिला "- श्वेता दी बोली ।

मैं चुपचाप बिस्तर पर लेटे थोड़ा आराम करते हुए मोबाइल पर इंग्लैंड और पाकिस्तान क्रिकेट मैच का ड्रीम इलेवन टीम बनाने लगा ।

" ह्वाट्सएप पे बढ़िया बढ़िया मैसेज भेज के पटाया ।"

" ऐसा क्या बढ़िया मैसेज भेजता था कि एक दम से चुद ही गई ?"

" शुरुआत गुड मार्निंग मैसेज से किया था ।"

" गुड मार्निंग मैसेज ?"

" हां... गुड मार्निंग मैसेज.. इतना सुन्दर होता था न कि क्या बताऊं । जो भी पढ़ेगा वो यही समझेगा कि भेजने वाला शख्स कितना अच्छा संस्कारिक और धार्मिक किस्म का आदमी है ।"

" अच्छा तो तु धार्मिक टाइप के मैसेज से पट गई ?"

" अरे नहीं यार । सुन ! ये तेरा मासूम सूरत वाला कमीना भाई रोज सुबह..जो दिन होता था उसी दिन के हिसाब से भगवान का फोटो और साथ में अच्छी अच्छी धार्मिक मैसेज भेजता था । "

" तो इसमें खराबी क्या थी ?"

" खराबी कुछ भी नहीं थी। बल्कि बहुत ही सुन्दर मैसेज होता था । जानती है..इसके भेजे हुए देवी देवताओं के फोटो और मैसेज से मेरा फोन का गैलेरी पुरा भर गया था । मुझे डर लगता था कि भुल से भी कहीं मेरा पांव टच न हो जाए मोबाइल से और मोबाइल के अन्दर के देवी देवता नाराज न हो जाएं.... मैंने तो मोबाइल सोते समय बिस्तर पर रखना तक छोड़ दिया था ।"

" फिर ?" - श्वेता दी ने हंसते हुए कहा ।

" फिर.. फिर दो तीन महीने बाद रात में गुड नाईट मैसेज भेजना शुरू किया ।"

" किस तरह का मैसेज ?"

" शुरू में तो सिम्पल साधारण सा भेजता था लेकिन बीस पच्चीस दिन के बाद थोड़ा रोमांटिक टाइप भेजना शुरू किया ।"

" तो तेरे मन में कैसा रियेक्सन होता था ?"

" पहली बार थोड़ा अजीब सा लगा फिर धीरे धीरे सामान्य सा लगा...और जैसे जैसे दिन गुजरते गया अच्छा लगने लगा ।"

" क्या तु भी मैसेज करती थी ?"

" गुड मार्निंग वाला तो मैं भी करती थी । आखिर इतना सुन्दर मैसेज के जबाव में मुझे भी तो कुछ अच्छे अच्छे मैसेज भेजना बनता था न ।"

" और रात वाली । गुड नाईट के बदले ?"

" कुछेक दिन तो नहीं भेजी फिर एकाध महीने के बाद मैं भी भेजना शुरू कर दी ।"

" यानी कि धीरे धीरे आग लगनी शुरू हो गई "- श्वेता दी मुस्कराते हुए बोली ।

" वो तो लगनी ही थी । आखिर कमीना है भी तो हैंडसम । फिर धीरे धीरे रात वाली मैसेज और ज्यादा रोमांटिक होने लग गई । और एक रात इसने थोड़ी अश्लील टाइप गुड नाईट मैसेज भेजा ।"

" किस तरह का ?"

" गूगल से कोई फोटो डाउनलोड करके भेजा था । जिसमें एक लड़की लिंगरी में पीठ के बल लेटी हुई थी और उसके उपर एक लड़का लड़की के एक बोबे को अपने हाथों में पकड़े हुए उसकी चुम्बन ले रहा था और नीचे गुड नाईट लिखा हुआ था ।"

" फिर ?"

" मैं तो देखकर भौंचक्का हो गई थी । शुरू में गुस्सा आया...फिर बिना कोई जबाव दिए मोबाइल स्विच ऑफ कर दी और सो गई । सुबह उठने के बाद जब फिर से वो मैसेज देखी तो मुझे कुछ कुछ होने लगा । मेरी भी भावनाएं मचलने लगी...फिर तो जैसे एक रूटिन बन गई । ये रोज सुबह-सुबह गुड मार्निंग मैसेज अच्छी अच्छी वाली भेजता था और रात में गुड नाईट वाली मैसेज रोमांटिक और गंदी टाइप वाला भेजने लगा ।"

" तो तु क्या करती थी..इसके मैसेज का जबाव देती थी या नहीं ?"

" कुछ दिन बाद मैं भी देने लगी ।"

"अच्छा ! रोमांटिक और गंदी गुड नाईट वाली की भी ?"

" हां । लेकिन मैं सिर्फ गुड नाईट लिखकर भेज दिया करती थी ।"

" फिर ?"

" फिर तो इसकी हिम्मत बढ़ते गई और रात में न जाने कहां-कहां से खोज खोज कर गंदी गंदी पिक्चर और पोर्न टाइप गिफ्ट भेजने लगा । ये सब देखकर मैं उत्तेजित होने लगी... आखिर मैं भी तो एक जवान लड़की थी.... लड़के लड़कियों की नंगी चूदाई तस्वीर देखकर भला कौन उत्तेजित नहीं होगा ?"

" फिर ?

" फिर एक दिन इसने मुझे फोन किया और डेट के लिए पुछा ।"

" हम्म्.. फिर ?"


मैं तो पहले से ही तैयार थी...थोड़ी आनाकानी की फिर मान गई । फिर हम मूवी देखने गए वहीं थियेटर में ही हमने पहली किस की और फिर कुछ दिन के बाद एक होटल में गए... सुबह ग्यारह बजे के आसपास... वहीं हमारी पहली चुदाई हुई... पहले दिन ही इसने तीन बार मेरी ले ली ।"

" क्या ?"- श्वेता दी मुस्की काटते हुए बोली ।

" ये "- उर्वशी दी भी मुस्कराते हुए अपनी चुत की तरफ इशारा की ।

" रूक... मैं पेशाब करके आती हूं तब बाकी बताना "- श्वेता दी खड़ा होते हुए बोली ।

" चल । मैं भी चलती हूं ।"

फिर दोनों नंगी ही रूम में ही बने अटैच बाथरूम में चली गई । और बिना दरवाजा बंद किए नीचे बैठकर पेशाब करने लगी ।

जैसे ही दोनों अपनी अपनी बड़ी गांड़ फैलाए नीचे बैठ कर पेशाब करना शुरू की.... कि मेरा लन्ड फनफना कर खड़ा हो गया । उनकी पेशाब करने की आवाज मेरे कानों तक पहुंच रही थी ।

जब वे नंग धडंग बाथरूम से आई तो मेरा खड़ा लन्ड देखकर मुस्कुराने लगी । श्वेता दी बिस्तर पर चढ़ते ही झुकी और बिना हाथ लगाए मेरे लन्ड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी । उर्वशी दी बगल में बिस्तर पर लेटकर हमें देखने लगी ।

थोड़ी देर बाद मैंने श्वेता दी के मुंह से अपना लन्ड निकाला और उठकर उनके पीछे बैठ गया । अपनी छाती उनके मुलायम पीठ से सटाते हुए अपने हाथों को आगे बढ़ाया और उनकी दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर जोर से मसलने लगा । वो अपनी बड़ी गांड़ मेरे गोद में रखकर पीछे की ओर झुक गई और अपनी चूचियों को मसलवाने का आनंद लेने लगी । मेरा तनतनाया हुआ लन्ड उनकी चौड़ी गांड़ से दब गया था। वो सिसकारियां भरते हुए अपनी गांड़ मेरे लन्ड पर घसने लगी ।

थोड़ी देर बाद मैंने उन्हें आगे की ओर झुकाया और अपने लन्ड को पकड़ कर उनके रस छोड़ती चुत के दरारों में घिसने लगा । उनकी चुत के पानी से मेरा लन्ड गीला हो गया था ।

मैंने उन्हें थोड़ा और आगे की ओर झुकाया । वो अपनी चौड़ी गान्ड पीछे से उपर उठाए आगे की ओर हाथ के सहारे झुक गई । वो कुतिया वाली पोजीशन में हो गई थी । मैंने अपने घुटनों के बल पोजीशन लिया और उनकी चुत के छिद्र में अपना लन्ड रखा और जोर का धक्का लगा दिया। उनकी चुत उनके काम रस से इतनी ज्यादा गीली हो गई थी कि दो ही प्रयास में पुरा लन्ड उनकी चुत की गहराई में प्रवेश कर गया ।

मैं उनकी चूचियों को दबाते हुए धीरे धीरे उन्हें चोदने लगा । शुरू शुरू में हल्के-हल्के धक्के से चोद रहा था । उर्वशी दी ने जब मुझे श्वेता दी को कुतिया पोजीशन में चोदते हुए देखा तो वो पीठ के बल लेट गई और सरकते हुए हम दोनों के कमर के नीचे जहां मेरा लन्ड श्वेता दी की चुत में अन्दर बाहर हो रहा था , पहुंच गई । और अपनी आंखों से करीब दस बारह इंच की दूरी पर मेरे लन्ड को श्वेता दी के चुत से अंदर बाहर होते देखने लगी । वो इतने करीब से लन्ड को चुत में घुसते निकलते देख कर काफी उत्तेजित हो गई और जैसे ही मेरा लन्ड श्वेता दी के चुत के अंदर से बाहर की ओर निकला , अपने हाथों से पकड़ कर पुरी तरह बाहर निकाल ली और अपने मुंह में डाल कर चूसने लगी । मेरे लन्ड को चूसने के बाद श्वेता दी की चुत के अंदर अपनी जीभ डाली और चार पांच बार चारों तरफ जीभ फिराई फिर मेरे लन्ड को पकड़ कर श्वेता दी की चुत के छेद पर सटा दी ।

मैंने एक जोरदार धक्का लगाया और फिर से मेरा लन्ड उनके चुत में घुस गया । अब मैं जोर जोर से श्वेता दी को चोदने लगा । उर्वशी दी अपनी सिर को उपर की ओर उठाई और अपनी जीभ हम दोनों के संधि स्थल पर फिराने लगी । मैं श्वेता दी को बुरी तरह चोदे जा रहा था । श्वेता दी भी उत्तेजना के मारे अपनी चूतड़ तेजी से पीछे की ओर धकेल रही थी । करीब आधे घंटे की चुदाई के दौरान श्वेता दी तीन बार झड़ चुकी थी और मेरा भी वीर्य निकलने वाला ही था । आखिरी समय में मेरा चोदने का स्पीड इतना बढ़ गया था कि पलंग भी हिलने लग गया था । ज्योंहि मेरा झड़ने का समय नजदीक आया मैंने श्वेता दी के चेहरे को अपनी ओर घुमाया और उनके जीभ को चुसते हुए लन्ड को उसकी चुत की गहराइयों में घुसेड़ कर झड़ने लगा । इसके साथ साथ एक बार फिर से वो भी झडने लगी ।

थोड़ी देर बाद तीनों बिस्तर पर लेट कर सुस्ताने लगे ।

आधे घंटे बाद हम सभी ने एक बार फिर से नहाया । फ्रेश होने के बाद लजीज व्यंजन का लुत्फ उठाया । उसके बाद एक एक राउंड चुदाई का दौर और चालू हुआ ।

उसी दौरान श्वेता दी ने बताया कि रात में सोने के लिए वहां चाची आ रही है । ये सुनकर मैं मायूस हो गया । मेरा इच्छा रातभर उनके साथ रहने का था । खैर.... थोड़ी देर बाद मैं उन दोनों को छोड़कर घर आ गया ।

************

" सागर...चाय पियोगे क्या ?"

माॅम की आवाज सुनकर मेरी तन्द्रा भंग हुई ।

" हां...बनाओ । मैं थोड़ी देर में आ रहा हूं "- मैंने ऊंची आवाज में कहा ।

क्लब भी जाने का टाइम हो गया था । मैं तैयार हो कर रीतु को फोन किया । वो लोग जयपुर पहुंच कर होटल में शिफ्ट हो गए थे । अभी सभी आराम कर रहे थे । थोड़ी देर बात करने के बाद मैं नीचे हाॅल में गया । डैड भी आज जल्दी ही आ गए थे ।

शाम हो गया था । चाय पीने के बाद मैं क्लब चला गया ।
 

imdelta

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जैसे ही उर्वशी चुप हुई मैं दौड़कर बाथरूम भागा । संजय और उसकी बहन मधुमिता की चुदाई कहानी सुनकर लन्ड आसमान ज़मीन एक किए हुए था । और वाइन पीने के कारण पेशाब भी लग गया था ।

इतना जोर से पेशाब लगा था कि दो तीन मिनट तक लग गए पेशाब करते करते । फिर हाथ मुंह धोकर रूम में प्रवेश किया । और वहां के माहौल को देखा तो मेरा लन्ड जो पेशाब करने के बाद थोड़ा शांत हो गया था फिर से अशांति पर उतर आया ।

दोनों हस्तनी सहेलियां श्वेता दी और उर्वशी पुरी तरह निर्वस्त्र पलंग पर एक दूसरे से गुत्थमगुत्था हो कर एक दूसरे को चुम चाट रही थी ।

मैंने पोर्न मूवी तो बहुतों देखी थी । और कुछ लेस्बियन सेक्स मूवी भी देखा था लेकिन कभी जीवंत नहीं देखा था । दो गोरी-चिट्टी मांशल बदन वाली शादीशुदा युवतियों को पुरी तरह नंगी एक दूसरे से गुत्थमगुत्था देखना शरीर के रोंगटे खड़े कर देने वाला था । दोनों के लेस्बियन सेक्स को और देखने के लालशा में मैंने उन्हें डिस्टर्ब करना उचित नहीं समझा और बगल में रखे सोफे पर बैठ गया । मैंने भी अपना लोवर निकाल दिया । अब मैं भी उन्हीं की तरह सर से पांव तक निर्वस्त्र था ।

श्वेता दी बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी और उनके उपर उर्वशी दी चढ़ी हुई थी । दोनों सहेलियों ने अपने दोनों पांवों को कैंची की तरह फंसा कर रखा था जिससे दोनों की रस से भरी हुई चुत एक दूसरे से रगड़ खा रही थी । साथ में दोनों अपनी मोटी मोटी जांघें फैलाए एक दुसरे से घसे जा रही थी ।

दोनों की बड़ी बड़ी चूचियां एक दूसरे से दबी हुई थी । उर्वशी श्वेता दी की जीभ को बुरी तरह चुस रही थी । दोनों की चुमाचाटी और सिसकारियों की आवाज पुरे कमरे में मधुर संगीत पैदा कर रही थी ।

उपर चढ़े होने के कारण उर्वशी की तरबुज की तरह बड़ी गांड़ आगे पीछे एक लय में हील रही थी । और नीचे से श्वेता दी भी धक्के लगा रही थी । मैं जहां बैठा था वहां से दोनों को एक-दूसरे के चुत को घिसते हुए स्पष्ट देख रहा था । दोनों की चिकनी चुत की रसमलाई रिसते हुए उनके मोटी मोटी जांघों तक आ पहुंची थी ।

उर्वशी दी के उपर होने के कारण उसकी चौड़ी गान्ड की हल्की भुरी छेद भी मैं देख पा रहा था जो कभी खुल रही थी तो कभी बंद हो रही थी । मै बहुत उत्तेजित हो गया था । मैं डर से अपने लन्ड को छु नहीं रहा था कि कहीं मेरे कठोर हाथों के स्पर्श से लन्ड पानी न फेंक दे ।

वो दोनों एक दूसरे में इतना खो गई थी कि उन्हें मेरा ख्याल तक भी नहीं रहा था । कुछ देर तक एक-दूसरे को चुमते चाटते और अपनी चुत रगड़ते कब 69 पोज में आ गई , इसका अंदाजा उन्हें खुद भी नहीं था। फिर तो जो वो दोनों एक-दूसरे के गुप्तांगों को चुमने चाटने लगी कि उनके चपर चपर की आवाज मेरे कानों तक पहुंचने लगी । उर्वशी दी की पांव मेरी तरफ थी जिससे मैं श्वेता दी को उनकी फुली हुई रसभरी दरारों को अपने जीभ से चाटते हुए स्पष्ट देख रहा था ।

तभी श्वेता दी की नजर मुझ पर पड़ी । वो मुस्कराई और मुझे आंखों ही आंखों में वहां आने का इशारा की ।

मैं तो बहुत पहले से इस निमंत्रण का इंतजार कर रहा था । मैं बिना देरी किए वहां झटपट पहुंच गया । श्वेता दी ने उर्वशी की चुत को अपने दोनों हाथों से फैलाया । उनकी चुत उनके कामरस से भीगी हुई थी । बस फिर क्या था... उर्वशी की चुत को हम दोनों भाई बहन एक साथ चुसने लगे । उर्वशी को भी इसका आभास हो गया था कि उसकी चुत में दो दो जीभ ढुके हुए हैं । वो उत्तेजित हो कर बेसब्री से अपनी कमर हिलाने लगी । श्वेता दी उसकी क्लीट को अपने होंठों से दबा कर चूसने लगी और मैं उसके छेद में अन्दर तक जीभ डाल उसकी चुत को जीभ से चोदने लगा ।

ये दो तरफा प्रहार उर्वशी झेल नहीं पाई और बुरी तरह झड़ने लगी । उसकी चुत ने पानी का फव्वारा छोड़ दिया जिसे हम दोनों भाई बहन ने गटक गटक कर पी लिया ।

उर्वशी के सुस्त पड़ते ही मैंने श्वेता दी को पकड़ कर बिस्तर पर पटक दिया और अपने दोनों हाथों से उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को जोर जोर से मसलते हुए उनकी गुलाबी जीभ को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा । मेरा लन्ड उनकी कचोड़ी जैसे फुली हुई चुत पर झटके पर झटका दिए जा रहा था । श्वेता दी भी काफी उत्तेजित हो गई थी । वो बड़े जोश से अपनी जीभ मेरे मुंह के अंदर ठेलने लगी ।

ये देख उर्वशी की काम वासना फिर से भड़कने लगी । वो सरक कर हमारे करीब आई और अपनी जीभ निकाल कर हम दोनों के जीभ से सटा दी ।

फिर तो हम तीनों आपस में अपना मुंह सटाए चुमा चाटी करने लगे । तीनों बदल बदल कर एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे । तीनों ने अपनी अपनी जीभ निकाल कर एक दूसरे के मुंह में ठुसने शुरू कर दिए । तीनों के थुक एक दूसरे के मुंह में जा रहे थे ।

थोड़ी देर बाद उर्वशी वहां से घसक कर मेरे जांघों के पास आई और मेरे फनफनाते लन्ड को पकड़ कर अपने मुंह में डाल लिया और आइसक्रीम की तरह चूसने लगी । ये देख श्वेता दी ने मुझे पीठ के बल लिटा दिया और मेरे सर के ऊपर से अपने दोनों पांव दो तरफ करके मेरे मुंह के सामने अपनी चिकनी चुत रखकर आगे की ओर झुक गई । अब वो भी उर्वशी के साथ साथ मेरे लन्ड को चूसने लगी ।

मैंने श्वेता दी की खुबसूरत चुत को बड़ी कामूक भरी निगाहों से देखा जो उसके काम रस से भीगी हुई थी । सच में ये जन्नत का द्वार था । डबल पावरोटी के समान फुली हुई और बीच में दरार ली हुई । उनकी चुत को अपने दोनों हाथ के अंगूठे से फैलाया । अंदर रस ही रस था । और उसकी महक मुझे पागल किए जा रही थी । मैंने अपना जीभ निकाला और उनके दरारों में घुसेड़ दिया और उनकी चुत से निकल रही मलाई को चुस चुस कर पीने लगा । मैं जितना उनकी चुत से मलाई चाटता उतना ही वो और अधिक मलाई छोड़ देती । और मैं बड़े प्रेम से उसे भी चाट चाट कर साफ़ कर देता ।

इधर मेरा मोटा तगड़ा हथियार कभी उर्वशी के मुंह के अंदर होता तो कभी श्वेता दी के मुंह में होता । मेरे दोनो अंडकोष को दोनों सहेलियां बदल बदल कर अपने होंठों से तो कभी जीभ से प्यार करती । कभी अपने मुंह में डाल कर चुसती ।

मैं लन्ड चुसाई का सुख भोग ही रहा था कि उर्वशी दी कामोत्तेजना बर्दाश्त नहीं कर पाई और मेरे जांघों पर चढ़ गई और मेरे लन्ड को पकड़ कर अपने चुत के छिद्र से सटाकर उसे अपने अंदर लेने लगी । जैसे ही मेरा लन्ड उनके चुत के गहराइयों में पहुंचा कि वो अपनी कमर ऊपर नीचे करके मुझे चोदने लगी । उनकी चुत अभी भी कसी हुई थी जिससे कारण लन्ड फंस फंस कर अंदर बाहर हो रहा था ।

श्वेता दी मेरे मुंह पर अपनी चुत रखकर चुसवा रही थी वहीं उर्वशी मेरे लन्ड को अपने चुत में डाल कर खुद ही मुझे चोदे जा रही थी । मैं तो जैसे सातवें आसमान पर था ।

कमरे का तापमान काफी गरम हो गया था । श्वेता दी मेरे मुंह पर अपनी चुत रगड़ते हुए अपनी गाल मेरे नाभि के ऊपर रखकर अपने भाई के लन्ड को उर्वशी की चुत में तेजी से अंदर बाहर होते हुए देख रही थी । इस कामूक दृश्य को देख उत्तेजित होकर वो मेरे मुंह पर अपनी चुत तेजी से पटकने लगी ।

उर्वशी की उत्तेजना चरम पर पहुंच गई थी । वह जोर जोर से मेरे लन्ड पर कूदते हुए और सिसकारियां मारते हुए बुरी तरह झड़ने लगी । उन्होंने अपनी पानी से मेरे लन्ड को नहलवा दिया । मेरा लन्ड उर्वशी की चुत की गर्मी और उनके झड़ते हुए पानी को बर्दाश्त नहीं कर पाया और वो भलभला कर उनके चुत में झड़ने लगा । श्वेता दी की नजरें हमारे संधि स्थल पर ही थी । हमें झड़ते देखकर वो भी बर्दाश्त नहीं कर पाई और उन्होंने भी अपनी नलकी मेरे मुंह में खोल दी । और मैं बड़े प्रेम से उनकी मलाई पीता गया । उर्वशी झड़ने के बाद श्वेता दी के पीठ पर सुस्त हो कर पसर गई ।

थोड़ी देर बाद तीनों अगल बगल लेट गए । करीब दस पंद्रह मिनट तक हम अपनी सांसें दुरूस्त करते रहे ।

श्वेता दी जब सहज सी महसूस की तो उसने उर्वशी से पुछा -" तेरा और सागर का ये सब चक्कर कैसे चालु हुआ था , ये तो तुने अभी तक बताया नहीं ।"

" इसने नहीं बताया ? " - उर्वशी ने कहा ।

" पुछने का टाइम नहीं मिला "- श्वेता दी बोली ।

मैं चुपचाप बिस्तर पर लेटे थोड़ा आराम करते हुए मोबाइल पर इंग्लैंड और पाकिस्तान क्रिकेट मैच का ड्रीम इलेवन टीम बनाने लगा ।

" ह्वाट्सएप पे बढ़िया बढ़िया मैसेज भेज के पटाया ।"

" ऐसा क्या बढ़िया मैसेज भेजता था कि एक दम से चुद ही गई ?"

" शुरुआत गुड मार्निंग मैसेज से किया था ।"

" गुड मार्निंग मैसेज ?"

" हां... गुड मार्निंग मैसेज.. इतना सुन्दर होता था न कि क्या बताऊं । जो भी पढ़ेगा वो यही समझेगा कि भेजने वाला शख्स कितना अच्छा संस्कारिक और धार्मिक किस्म का आदमी है ।"

" अच्छा तो तु धार्मिक टाइप के मैसेज से पट गई ?"

" अरे नहीं यार । सुन ! ये तेरा मासूम सूरत वाला कमीना भाई रोज सुबह..जो दिन होता था उसी दिन के हिसाब से भगवान का फोटो और साथ में अच्छी अच्छी धार्मिक मैसेज भेजता था । "

" तो इसमें खराबी क्या थी ?"

" खराबी कुछ भी नहीं थी। बल्कि बहुत ही सुन्दर मैसेज होता था । जानती है..इसके भेजे हुए देवी देवताओं के फोटो और मैसेज से मेरा फोन का गैलेरी पुरा भर गया था । मुझे डर लगता था कि भुल से भी कहीं मेरा पांव टच न हो जाए मोबाइल से और मोबाइल के अन्दर के देवी देवता नाराज न हो जाएं.... मैंने तो मोबाइल सोते समय बिस्तर पर रखना तक छोड़ दिया था ।"

" फिर ?" - श्वेता दी ने हंसते हुए कहा ।

" फिर.. फिर दो तीन महीने बाद रात में गुड नाईट मैसेज भेजना शुरू किया ।"

" किस तरह का मैसेज ?"

" शुरू में तो सिम्पल साधारण सा भेजता था लेकिन बीस पच्चीस दिन के बाद थोड़ा रोमांटिक टाइप भेजना शुरू किया ।"

" तो तेरे मन में कैसा रियेक्सन होता था ?"

" पहली बार थोड़ा अजीब सा लगा फिर धीरे धीरे सामान्य सा लगा...और जैसे जैसे दिन गुजरते गया अच्छा लगने लगा ।"

" क्या तु भी मैसेज करती थी ?"

" गुड मार्निंग वाला तो मैं भी करती थी । आखिर इतना सुन्दर मैसेज के जबाव में मुझे भी तो कुछ अच्छे अच्छे मैसेज भेजना बनता था न ।"

" और रात वाली । गुड नाईट के बदले ?"

" कुछेक दिन तो नहीं भेजी फिर एकाध महीने के बाद मैं भी भेजना शुरू कर दी ।"

" यानी कि धीरे धीरे आग लगनी शुरू हो गई "- श्वेता दी मुस्कराते हुए बोली ।

" वो तो लगनी ही थी । आखिर कमीना है भी तो हैंडसम । फिर धीरे धीरे रात वाली मैसेज और ज्यादा रोमांटिक होने लग गई । और एक रात इसने थोड़ी अश्लील टाइप गुड नाईट मैसेज भेजा ।"

" किस तरह का ?"

" गूगल से कोई फोटो डाउनलोड करके भेजा था । जिसमें एक लड़की लिंगरी में पीठ के बल लेटी हुई थी और उसके उपर एक लड़का लड़की के एक बोबे को अपने हाथों में पकड़े हुए उसकी चुम्बन ले रहा था और नीचे गुड नाईट लिखा हुआ था ।"

" फिर ?"

" मैं तो देखकर भौंचक्का हो गई थी । शुरू में गुस्सा आया...फिर बिना कोई जबाव दिए मोबाइल स्विच ऑफ कर दी और सो गई । सुबह उठने के बाद जब फिर से वो मैसेज देखी तो मुझे कुछ कुछ होने लगा । मेरी भी भावनाएं मचलने लगी...फिर तो जैसे एक रूटिन बन गई । ये रोज सुबह-सुबह गुड मार्निंग मैसेज अच्छी अच्छी वाली भेजता था और रात में गुड नाईट वाली मैसेज रोमांटिक और गंदी टाइप वाला भेजने लगा ।"

" तो तु क्या करती थी..इसके मैसेज का जबाव देती थी या नहीं ?"

" कुछ दिन बाद मैं भी देने लगी ।"

"अच्छा ! रोमांटिक और गंदी गुड नाईट वाली की भी ?"

" हां । लेकिन मैं सिर्फ गुड नाईट लिखकर भेज दिया करती थी ।"

" फिर ?"

" फिर तो इसकी हिम्मत बढ़ते गई और रात में न जाने कहां-कहां से खोज खोज कर गंदी गंदी पिक्चर और पोर्न टाइप गिफ्ट भेजने लगा । ये सब देखकर मैं उत्तेजित होने लगी... आखिर मैं भी तो एक जवान लड़की थी.... लड़के लड़कियों की नंगी चूदाई तस्वीर देखकर भला कौन उत्तेजित नहीं होगा ?"

" फिर ?

" फिर एक दिन इसने मुझे फोन किया और डेट के लिए पुछा ।"

" हम्म्.. फिर ?"


मैं तो पहले से ही तैयार थी...थोड़ी आनाकानी की फिर मान गई । फिर हम मूवी देखने गए वहीं थियेटर में ही हमने पहली किस की और फिर कुछ दिन के बाद एक होटल में गए... सुबह ग्यारह बजे के आसपास... वहीं हमारी पहली चुदाई हुई... पहले दिन ही इसने तीन बार मेरी ले ली ।"

" क्या ?"- श्वेता दी मुस्की काटते हुए बोली ।

" ये "- उर्वशी दी भी मुस्कराते हुए अपनी चुत की तरफ इशारा की ।

" रूक... मैं पेशाब करके आती हूं तब बाकी बताना "- श्वेता दी खड़ा होते हुए बोली ।

" चल । मैं भी चलती हूं ।"

फिर दोनों नंगी ही रूम में ही बने अटैच बाथरूम में चली गई । और बिना दरवाजा बंद किए नीचे बैठकर पेशाब करने लगी ।

जैसे ही दोनों अपनी अपनी बड़ी गांड़ फैलाए नीचे बैठ कर पेशाब करना शुरू की.... कि मेरा लन्ड फनफना कर खड़ा हो गया । उनकी पेशाब करने की आवाज मेरे कानों तक पहुंच रही थी ।

जब वे नंग धडंग बाथरूम से आई तो मेरा खड़ा लन्ड देखकर मुस्कुराने लगी । श्वेता दी बिस्तर पर चढ़ते ही झुकी और बिना हाथ लगाए मेरे लन्ड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी । उर्वशी दी बगल में बिस्तर पर लेटकर हमें देखने लगी ।

थोड़ी देर बाद मैंने श्वेता दी के मुंह से अपना लन्ड निकाला और उठकर उनके पीछे बैठ गया । अपनी छाती उनके मुलायम पीठ से सटाते हुए अपने हाथों को आगे बढ़ाया और उनकी दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर जोर से मसलने लगा । वो अपनी बड़ी गांड़ मेरे गोद में रखकर पीछे की ओर झुक गई और अपनी चूचियों को मसलवाने का आनंद लेने लगी । मेरा तनतनाया हुआ लन्ड उनकी चौड़ी गांड़ से दब गया था। वो सिसकारियां भरते हुए अपनी गांड़ मेरे लन्ड पर घसने लगी ।

थोड़ी देर बाद मैंने उन्हें आगे की ओर झुकाया और अपने लन्ड को पकड़ कर उनके रस छोड़ती चुत के दरारों में घिसने लगा । उनकी चुत के पानी से मेरा लन्ड गीला हो गया था ।

मैंने उन्हें थोड़ा और आगे की ओर झुकाया । वो अपनी चौड़ी गान्ड पीछे से उपर उठाए आगे की ओर हाथ के सहारे झुक गई । वो कुतिया वाली पोजीशन में हो गई थी । मैंने अपने घुटनों के बल पोजीशन लिया और उनकी चुत के छिद्र में अपना लन्ड रखा और जोर का धक्का लगा दिया। उनकी चुत उनके काम रस से इतनी ज्यादा गीली हो गई थी कि दो ही प्रयास में पुरा लन्ड उनकी चुत की गहराई में प्रवेश कर गया ।

मैं उनकी चूचियों को दबाते हुए धीरे धीरे उन्हें चोदने लगा । शुरू शुरू में हल्के-हल्के धक्के से चोद रहा था । उर्वशी दी ने जब मुझे श्वेता दी को कुतिया पोजीशन में चोदते हुए देखा तो वो पीठ के बल लेट गई और सरकते हुए हम दोनों के कमर के नीचे जहां मेरा लन्ड श्वेता दी की चुत में अन्दर बाहर हो रहा था , पहुंच गई । और अपनी आंखों से करीब दस बारह इंच की दूरी पर मेरे लन्ड को श्वेता दी के चुत से अंदर बाहर होते देखने लगी । वो इतने करीब से लन्ड को चुत में घुसते निकलते देख कर काफी उत्तेजित हो गई और जैसे ही मेरा लन्ड श्वेता दी के चुत के अंदर से बाहर की ओर निकला , अपने हाथों से पकड़ कर पुरी तरह बाहर निकाल ली और अपने मुंह में डाल कर चूसने लगी । मेरे लन्ड को चूसने के बाद श्वेता दी की चुत के अंदर अपनी जीभ डाली और चार पांच बार चारों तरफ जीभ फिराई फिर मेरे लन्ड को पकड़ कर श्वेता दी की चुत के छेद पर सटा दी ।

मैंने एक जोरदार धक्का लगाया और फिर से मेरा लन्ड उनके चुत में घुस गया । अब मैं जोर जोर से श्वेता दी को चोदने लगा । उर्वशी दी अपनी सिर को उपर की ओर उठाई और अपनी जीभ हम दोनों के संधि स्थल पर फिराने लगी । मैं श्वेता दी को बुरी तरह चोदे जा रहा था । श्वेता दी भी उत्तेजना के मारे अपनी चूतड़ तेजी से पीछे की ओर धकेल रही थी । करीब आधे घंटे की चुदाई के दौरान श्वेता दी तीन बार झड़ चुकी थी और मेरा भी वीर्य निकलने वाला ही था । आखिरी समय में मेरा चोदने का स्पीड इतना बढ़ गया था कि पलंग भी हिलने लग गया था । ज्योंहि मेरा झड़ने का समय नजदीक आया मैंने श्वेता दी के चेहरे को अपनी ओर घुमाया और उनके जीभ को चुसते हुए लन्ड को उसकी चुत की गहराइयों में घुसेड़ कर झड़ने लगा । इसके साथ साथ एक बार फिर से वो भी झडने लगी ।

थोड़ी देर बाद तीनों बिस्तर पर लेट कर सुस्ताने लगे ।

आधे घंटे बाद हम सभी ने एक बार फिर से नहाया । फ्रेश होने के बाद लजीज व्यंजन का लुत्फ उठाया । उसके बाद एक एक राउंड चुदाई का दौर और चालू हुआ ।

उसी दौरान श्वेता दी ने बताया कि रात में सोने के लिए वहां चाची आ रही है । ये सुनकर मैं मायूस हो गया । मेरा इच्छा रातभर उनके साथ रहने का था । खैर.... थोड़ी देर बाद मैं उन दोनों को छोड़कर घर आ गया ।

************

" सागर...चाय पियोगे क्या ?"

माॅम की आवाज सुनकर मेरी तन्द्रा भंग हुई ।

" हां...बनाओ । मैं थोड़ी देर में आ रहा हूं "- मैंने ऊंची आवाज में कहा ।

क्लब भी जाने का टाइम हो गया था । मैं तैयार हो कर रीतु को फोन किया । वो लोग जयपुर पहुंच कर होटल में शिफ्ट हो गए थे । अभी सभी आराम कर रहे थे । थोड़ी देर बात करने के बाद मैं नीचे हाॅल में गया । डैड भी आज जल्दी ही आ गए थे ।

शाम हो गया था । चाय पीने के बाद मैं क्लब चला गया ।
Finally update aa hi gya.
Badiya update.
Aur sagar ke to mje he abhi.
Lekin aage ke twist se wo bhi anjan he
 
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Sanjay dutt

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Update 9 B.


" कपड़े तो चेंज कर लो ।" मैंने कहा ।

" नहीं । पहले बताओ राजीव से क्या बात हुई थी ।" श्वेता दी आराम से बिस्तर पर अपने को एडजस्ट करते हुए बोली ।

मैंने इमानदारी से पुरी बात बताई । वो राजीव के अनुष्का के साथ नाजायज संबंधों को सुनकर भड़क गई । मैंने बड़ी मुश्किल से उसे शान्त किया । मैंने उसे समझाया कि अनुष्का राजीव का पहला प्यार था और यदि वो राजी होती तो वो आज के तारीख में राजीव की पत्नी होती । और वैसे भी अनुष्का शादी शुदा है और वो अपने फिजूलखर्ची और लालची स्वभाव के कारण अपने पति को छोड़ने वाली नहीं है ।

वो आश्वस्त हुई । फिर बोली " एक और बात है ।"

" क्या?"

उसने चिंतित स्वर में कहा -" मुझे उस घर में सोने से डर लगता है । बाथरूम में जाती हूं तो ऐसा लगता है जैसे अमर अभी उठ कर खड़ा हो जाएगा और मुझे...."

मुझे उसकी बात जायज़ लगी । अमर की मौत कोई स्वाभाविक मौत तो थी नहीं । उसका कत्ल हुआ था । तो डरना वाजिब ही था । सोचते हुए मुझे एक आइडिया आया ।

मैंने कहा -" तुम लोग क्यों नहीं वो फ्लेट बेच देते हो ? और गाजियाबाद छोड़ कर दिल्ली में ही शिफ्ट हो जाओ ।"

" तुम्हें इतना आसान लगता है ? फ्लेट खरीदना अमूमन आसान होता है । लेकिन बेचना बहुत मुश्किल होता है । और गरजु हो कर बेचने में फ्लेट की कीमत भी सही नहीं मिलती है ।"

" इसका एक रास्ता हो सकता है ।"

" क्या ?"

" तुम लोग अमर के घर शिफ्ट हो जाओ । अमर के घर में उसके मां के अलावा और कोई भी नहीं है । वो बेचारी अकेली घर में अमर के यादों में डुबी रहती है । तुम लोगों के आने से उनका अकेलापन दूर हो जाएगा और उनका दिमाग भी दुसरी चीजों की तरफ केन्द्रित होगा । और फ्लेट की जब सही कीमत मिले तब बेच देना ।"

" बोल तो तुम सही रहे हो लेकिन क्या वो हमे अपने घर में रहने देगी ।"

" उसकी चिंता मत करो । तुम राजीव जीजू से बात करो फिर अपनी राय मुझे बता देना । और उनके लिए भी तो ये डिसीजन अच्छा ही होगा , वहां से उनकी आफिस काफी नजदीक हो जाएगी ।

श्वेता दी को ये मशवरा काफी अच्छा लगा । वो खुश हो कर बोली - ओके । चलो अब ताश खेलते हैं ।"

मैंने ताश अपने पैंट से निकाल कर उस के सामने रखा ।

" याद रखना मेरे पास हजार बारह सौ से ज्यादा रूपए नहीं है । वैसे खेलना क्या है ?"

" स्ट्रीप पोकर ।" श्वेता दी ने कहा ।

मैं चौंक गया । स्ट्रीप पोकर एक इरोटिक गेम है जिसे अमेरिका और यूरोप में अधिकतर खेला जाता है । इस गेम में पैसों की बाजी नहीं लगती है । इसमें प्रत्येक बाजी में हारने वाला अपने शरीर से एक कपड़े उतारता है । और अन्त में हारने वाले के शरीर से जब सभी कपड़े उतर जाते हैं मतलब हारने वाला जब पुरी तरह से नंगा हो जाता है तब जाकर ये गेम खतम होता है । इसे कार्ड या स्पाइन दि बोटल के द्वारा खेला जाता है ‌।

"तुम्हें स्ट्रीप पोकर के बारे में पता है न ।" मैं आश्चर्यचकित हो बोला ।

" हां पता है ।"

" केसे भाई "

" क्या सारी दुनिया का ज्ञान तुम्हारे ही पास है ? क्या इन्टरनेट तुम्हीं सर्च करते हो ।"

" तुम क्या जानती हो । ये तो बताओ ? " मैं अभी भी आश्वस्त नहीं था ।

" यहीं कि अगर मैं जीती तब तुम्हें अपने शरीर से एक वस्त्र निकालना पड़ेगा और यदि तुम जीते तो मैं अपने शरीर से एक वस्त्र निकालूंगी ।"

" और गेम शेष कब होगा ?"

" जब तक हारने वाले के शरीर से पुरी तरह कपड़े उतर नहीं जायेंगे ।"

" मतलब जब तक कोई एक पुरी तरह नंगा नहीं हो जाएगा ।" मैंने कहा ।

" हां ।"

मैंने उसे सर से पांव तक निहारा । वो अभी भी वहीं ब्लू कलर की साड़ी और ब्लाऊज़ पहने हुए थी । ब्लाउज में कैद उसके बड़े-बड़े वक्ष गर्व से सीना तान कर खड़ी थी । शरीर का कोई भी भाग खुला तो नहीं था लेकिन उसके गदराए हुए का प्रत्यक्ष प्रमाण पेश कर रही थी ।मेरा दिल तो बल्लियों उछलने लगा । उसके नंगे होने की कल्पना से ही मेरा लिंग उत्तेजित हो गया । मुझे सालों की मेहनत साकार होते हुए नजर आने लगी ।

" सपने देखना बंद करो । और मेरे सामने नंगे होने के लिए तैयार हो जाओ ।" उसने मेरे चेहरे के हाव-भाव को पढ़ते हुए कहा ।

मैं मुस्कराते हुए बोला -" जब मैं टेंथ स्टैंडर्ड में और तुम हायर सेकंडरी में थी तभी से तुम को नंगा देखने की लालसा जगी हुई थी । लगता है आज उपर वाले को दया आ ही गई ।"

" बड़ी शौक है ना अपनी बहन को नंगी देखने की । मगर अफसोस तुम्हारी इच्छा अधूरी ही रह जाएगी । वैसे भी आज तक ताश में मुझसे हारते ही आए हो ।"

" देखते है आज तुम्हें हारने से तुम्हारी किस्मत कितना बचाती है ।"- मैंने मुस्कराते हुए ताश को फेंटते हुए कहा -" अब जरा कपड़ों के बारे में बात कर ले । हम दोनों के वस्त्र ‌भी तो बराबर बराबर होनी चाहिए न । मेरे शरीर पर इस वक्त चार कपड़े है पैंट , शर्ट , गंजी और जांघिया । अब तुम अपने बताओ ।"

" मेरे पांच हैं ।"

" कौन कौन सा ?"

" साड़ी , ब्लाउज , पेटिकोट , ब्रा और पैंटी ।"

" ये तो गलत है । मेरी तरह तुम भी चार कपड़ों में हो जाओ ।"

" नहीं । तुम्हारे कलाई की घड़ी को पांचवां वस्त्र मान लेंगे ।"

" ओके ।" - मैं राजी हो गया ।

मैंने ताश फेटी और उसने ताश को बीच से काटा । असल में कार्ड फ्लश की तरह ही बांटे जाते हैं । तीन तीन करके । फ्लश की तरह जिसका कार्ड बड़ा होगा वो ही जीतेगा ।वो अपने कार्ड उठाई ।

मैंने अपना कार्ड देखा । मेरे पास हार्ट का 7 और स्प्रेड का 10 और किंग आया था । मैंने उसे अपने कार्ड देखाने को बोला ।

उसके पास डायमंड का क्विन , स्प्रेड का गुलाम और क्लब्स का 9 आया था । उसके कार्ड मेरे से बड़े थे । मैं पहला गेम हार गया था । मैंने अपनी घड़ी निकाल कर पलंग के बगल में रखे मेज पर रख दिया ।

वो जीती थी इस बार कार्ड उसने बांटे । मैंने अपनी कार्ड देखी । इस बार डायमंड का तीन , क्लब्स का छः और स्प्रेड का नौ आया था । मैं निराश हो गया । जब उसने अपने कार्ड दिखाया तो उसके पास हार्ट के आठ और क्लब्स के दो और स्प्रेड के आठ निकले । उसके पास आठ का पेयर था । मैं फिर हार गया ।

मैंने अपना शर्ट निकाल कर मेज पर रख दिया । उसने मेरे बदन पर एक सरसरी निगाह डाली ।

वो मुस्कुराती हुई कार्ड बांटी । वो फिर जीत गयी । उसने कलर से मुझे बीट कर दिया जबकि इस बार मेरे पास भी अच्छे पते आये थे । मेरे पास किंग का पेयर था ।

मैंने अपनी गंजी उतार दी और उसे भी बगल में रख दिया । अब मैं उपर से नंगा हो गया था । मेरे शरीर पर सिर्फ पैंट और जांघिया ही बचा था ।

नेक्स्ट राउंड में मेरी तकदीर खुली । उसके पास दो का पेयर आया था जबकि मेरे पास छः का पेयर आया था ।

श्वेता दी ने पलंग पर खड़े होकर अपनी सारी उतारी और उसे उसी मेज पर रख दिया जिस पर मेरा वस्त्र था । साड़ी उतरने के बाद उसकी कमर नंगी हो गई थी । ब्लाउज में कैद उसके बड़े-बड़े वक्ष प्रत्यक्ष रूप से सामने आ गये ।

अगला राउंड भी मैं ही जीता । उसके पास सबसे बड़ा कार्ड गुलाम था जबकि मेरे पास दो तीन , चार का सिक्वेंस आया था ।

उसनेे बैठे बैठे ही अपने ब्लाउज को निकाला और बगल मेज पर रख दिया ।

उसकी ब्रा उसके बड़े-बड़े गोलाईयों को ढकने में पुरी तरह से नाकाम थी । वो उसके पुरे वक्ष का चालीस प्रतिशत ही ढक पाई थी । साठ प्रतिशत वक्ष नंगे हो गए थे । गोरी त्वचा अधनंगी गोलाईया नंगा कमर और गहरी नाभि देखकर मैं होशो-हवास खो बैठा । मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी ।

" कार्ड बांटो " - उसकी आवाज से मेरी तनदरा भंग हुई ।

अभी भी वो तीन वस्त्र पहने हुए थी जब की मैं दो । मैंने कार्ड बांटी । इस बार उसने मुझे हरा दिया । उसके पास तीन दहला आया था और मेरे पास तो सबसे बड़ा कार्ड ही नौ था ।

मैंने अपना पैंट निकाल कर रख दिया । अब मैं सिर्फ जांघिया पहने हुए था । मैंने महसूस किया कि वो मेरे बदन को चोरी छिपे निहार रही है । कभी उनकी नजर मेरे चौड़ी सीने पर जाती तो कभी मेरे माशल जांघों पर और कभी मेरे जांघिया में कैद उठे हुए उभारों पर । मैंने अपने शरीर पर काफी मेहनत की थी । मैंने जिन लड़कियों से संभोग क्रिया था वो सभी मेरे गठिले शरीर की कदरदान थी ‌।

" अब अपने आखिरी वस्त्र को निकालने और हारने के लिए तैयार हो जाओ ।" श्वेता दी ने मुस्कुराते हुए कहा ।

" देखते है । जब तक सांस तब तक आस ।"

उसने कार्ड बांटे । इस बार मैं जीता । मेरे कार्ड तो बहुत छोटे थे लेकिन उसके कार्ड मुझसे भी छोटे थे । मेरे पास छः , नौ और ग़ुलाम था जबकि उसके पास छः , आठ और दस था । अबकी बारी श्वेता दी को कपड़े उतारने की थी ।

" क्या उतारोगी ?" मैं तो चाहता था कि वो अपने ब्रा निकाल दे ताकि मैं उसके नंगे चुचियों का दिदार कर सकूं ।

लेकिन उसने अपना पेटीकोट उतारा । उसकी मोटी मोटी जांघें ‌जो दुध के समान गोरी थी मेरे आंखों के सामने साक्षात थी । वो अब पैन्टी में थी । पैन्टी उसकी चुत से चिपका हुआ था और वो उसके चुत के रस से भीगी हुई थी ।

मैं 'आह ' भर कर रह गया ।

" पत्ते बांटो । इस बार तो बच गए । लेकिन इस बार नहीं छोडूंगी ।"

मैं इतना भी अहमक नहीं था । कुछ कुछ समझ में आ रहा था लेकिन सगे संबंधियों के सामने मती काम करना भुल जाती है । मैंने पत्ते बांटे । धड़कते दिल से पत्ते उठाया और जैसे ही मैंने पत्तों पर नजर डाली मैं खुश हो गया । मेरे पास ग़ुलाम , बेगम , बादशाह का स्टेट सिक्वेंस था ।

श्वेता दी के पास स्प्रेड का कलर था । वो ये गेम हार गयी थी । मैं सोच रहा था अब वो क्या करेंगी । अपनी ब्रा उतारेगी या अपनी पैंटी । जो भी उतारें मुझे तो मजा ही आयेगा ।

श्वेता दी ने मुझे अपने नशीली आंखों से देखा और अपने जीभ को अपने होंठों पर फिराया । मैं उसके गुलाबी होंठ और रसीली जीभ को देख कर आहें भरता रह गया । कितना मज़ा आएगा इन को चुसने में । एक बार चुसने को मिल जाए तो फिर कयामत तक चुसता रहुं ।

वो मेरी आंखों में देखते हुए अपनी हाथ पिछे की तरफ ले गई और ब्रा को खोल कर नजाकत से मेरी गोद में फेंक दिया । और अपने सीने को अपने हाथों से ढक लिया ।

" ये ग़लत है । वहां से अपने हाथ हटाओ ।" मैंने कहा ।

" कपड़े उतारने की शर्त थी वो तो की ना मैंने ।"

" नहीं । अपने बदन को ढकना गेम के रूल में नहीं है ।"

" नहीं । मैं नहीं हटाउगी ।"

" ठीक है तब गेम बंद करते हैं ।"

" तुम एक नम्बर के बदमाश हो । नखरे करते हुए उसने अपने हाथ अपने वक्ष पर से हटा लिये ।

उसकी दुधिया कलर की बड़ी बड़ी चुचिया नग्न हो गई । उसकी चुची के निप्पल मध्यम आकार के थे । निप्पल का areola सांवला रंग का था । उसकी चुची गोलाकार और ठोस थी । शायद 38 D होगी ।

मेरी ‌नजर चुचियों पर से हटती ही नहीं थी । थोड़ी देर बाद मेरी नज़र चुचियों से निचे की तरफ गई तो उसके नंगे कमर और गहरी नाभि पर फ्रिज हो गई । अगर वो नहीं टोकती तो मैं घंटों उसके सुंदर और सेक्सी बदन को देखते ही रहता ।

" कार्ड बांटो ।" इस बार उसके आवाज में कामुकता और थोड़ी शरमाहटपन थी ।

मैंने मन ही मन उपर वाले को धन्यवाद दिया और कार्ड बांटी ।

अब हम दोनों के बदन पर सिर्फ़ एक एक ही वस्त्र था । वो सिर्फ पैंटी में थी और मैं सिर्फ जांघिया में । हम दोनों बिस्तर पर थोड़ी सी ही फासले पर बैठे थे।

मैंने सहुलियत के लिए अपने पांव थोड़ा फैला लिया था । मैं अपने पत्ते उठाते हुए उसकी तरफ देखा तो उसे मैंने अपने दोनों जांघों के बीच देखते हुए पाया । मैंने देखा मेरा लन्ड जांघिया को फाड़ कर बाहर निकलने के लिए फड़फड़ा रहा था ।

उसने अपनी पलकें उपर की ओर की । हमारी नजरें मिली । दोनों की आंखों में वासना चरम पर थी । उसने मेरी आंखों में देखते हुए बड़े ही इरोटिक ढंग से कार्ड को अपने पैन्टी के अन्दर किया और उसे अपने चुत से रगड़ कर बाहर निकाला फिर सेक्सी आवाज़ में बोली -

" इस बार मैं ही जीतूंगी । अपने पत्ते दिखाओ ।"

मेरा कलेजा मुंह पर आ गया । मुझे तो लगता था कि बिना कुछ किए मेरा लन्ड पानी फेंक देगा ।मैंने भी अपने लन्ड को जांघिया के उपर से मसलते हुए कहा - " दिखा रहा हूं जाने मन । पहले अपनी तो दिखाओ ।"

उसने अपने पत्ते दिखाए । मेरी आंखें उन पत्तों को देख कर फटी की फटी रह गई । उसके पत्ते उसके चुत के रस से भीगी हुई थी । मैं तो पागल सा हो गया ।

मैंने उसके पत्ते उठाये और उसकी आंखों में देखते हुए पत्तों को जीभ से चाटने लगा । वो ये देखकर काफी उत्तेजित हो गई । मैं उसके नमकीन पानी को चाट कर पत्ते से पुरी तरह साफ कर दिया । फिर उसके पत्तों पर देखा ।

उसके पास बहुत ही अच्छा कार्ड आया था । उसके पास तीन बेगम आई थी । मैं गेम हारने वाला था । मुझे उसकी चुत को देख ने की लालसा धूमिल होते हुए दिखाई देने लगी ।

" तुम्हारे कार्ड में देखूंगी ।" बोलकर उसने मेरे कार्ड उठा लिए ।

मैं धड़कते दिल से उसे देखा कि शायद मेरे पास उससे भी अच्छा कार्ड आ जाय और मैं उसकी चुत को देख सकूं ।

उसने मुझे देखा और निराशा भरे स्वर में कहा - " तुम्हारी किस्मत आज अच्छी है । तुम जीत गए ।"

मैं आश्चर्य और खुशी से मन ही मन झुम गया । मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने करोड़ों रुपए की लाटरी की बमपर प्राइज जीत ली हो । मैं मछली के आंख की तरह उसके पैन्टी पर नजर टिका दी ।

श्वेता दी ने बड़ी ही कामुकता पूर्वक अपनी उंगलियों को अपने पैन्टी पर रखा और धीरे-धीरे नीचे की तरफ खिसकाने लगी । पैन्टी को उतार कर मेरे मुंह पर फेंक दिया । मैंने जल्दी से उसे लपका और उसकी नंगी चुत को देखने का प्रयास करने लगा ।

श्वेता दी फिर से अपने सुखे होंठों पर जीभ फिराई और मेरी नज़रों में देखते हुए आंखों से नीचे की तरफ देखने की इशारा करते हुए अपनी दोनों टांगें फैला दी ।

मेरी नजर उसकी दोनों टांगों के बीच पर गयी ।

मेरी आंखों के सामने उसकी चुत थी ।

एक दम चिकनी , डबल पावरोटी के समान फुली फुली , चुत के बीचों-बीच लम्बी दरार और मोटे मोटे ओंठ । उसके दरारों से रिसता हुआ पानी जो उसके जांघों तक आ पहुंचा था ।

" कैसी है ?"

मेरा ध्यान उसके बोलने से टुटा । मैं वासना से लथपथ उसकी तरफ प्रश्न भरी नजरों से देखते हुए कहा -" क.. क्या ?"


" ये ." - उसने अपनी चुत की तरफ इशारा करते हुए कहा ।


" क्या ये ?" - मैंने उसे दिखा कर अपना लौड़ा मसलते हुए कहा ।


वो थोड़ी सी मेरे तरफ़ घिसकी और मेरे जांघों के उपर अपने पांव रखते हुए फुसफुसा कर बोली - " तुम्हारी बहन की बुर ।"
रितु के साथ भी कुछ ऐसा ही
 
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