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Incest Sagar (Completed)

sunoanuj

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Update kab tak aayega mitr ...
 
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Haan maine dekha ki kaise inspector ko aapne last me hero banaya magar is baat se kahi na kahi sagar sahab ko aapne feeka kar diya jo ki achha nahi laga. Jitni samajhdaari ab tak sagar ne dikhaayi thi usse last me mand buddhi bhi dikha diya aapne. Mere kahne ka matlab hai ki sagar ko jab pata chal chuka tha ki ramakant hi wo shakhs hai jisne amar aur manish jain ka khoon kiya hai to jab wo uske samne is tarah se jaayega to yakeenan apna raaz faash hone ke baad ramakant usse bhi jaan se maarne ki koshish karega. Ye baat samajhte huye sagar bina soche samjhe aur bina koi back up banaye kaise ramakant ke samne chala jayega.? Yaha par aapne use mand buddhi dikha kar inspector ko hero bana diya. Halaaki story ki demond ke anusaar aapne aisa soch samajh kar hi kiya hai magar aapne hamare hero ke sath na-insaafi to kar hi di na. Paki pakaayi cheez inspector ke haath lag gayi. Waaah bahut hi khoob,,,,,,:beee:

Meri story me update bahut jald aayega sanju bhaiya ji. Ek do din me update de duga,,,,,:yo:
मैंने तो स्टोरी में ही लिखा था कि सागर को गलतफहमी हो गया था..... उसे नहीं पता था कि वो चौबीस घंटे रिवाल्वर लिए रखता है । मेरा कोशिश उसे फिल्मी हीरो नहीं बनाना था । एक आम इंसान जिसे पढ़कर लगे कि हां ऐसा ही हो सकता है ।
वो नायक है लेकिन फिल्मी हीरो नहीं ।

थैंक्यू शुभम भाई 🙏
 
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मुझे पता नहीं है कैसे सभी को टैग करके कमेन्टस किया जाता है मगर आपको एश्योर्ड करता हूं कि शुक्रवार तक अपडेट लिख दुंगा ।
 

DARK WOLFKING

Supreme
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मुझे पता नहीं है कैसे सभी को टैग करके कमेन्टस किया जाता है मगर आपको एश्योर्ड करता हूं कि शुक्रवार तक अपडेट लिख दुंगा ।
ye to bahut jagah ka matter hua tha ..start me @ aur bina space diye jisko bhi aap tag karna chahte ho uska naam ..
 

divyaa

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Update 3.

अलार्म की आवाज सुनकर मैं उठा । उस वक्त 7 बज रहे थे । मैं अपने कमरे से बाहर निकल बाथरूम में चला गया ।

Fresh हो कर और थोड़ी बहुत exercise करने के बाद जब मैं नीचे हाल में पहुंचा तब तक 9 बज चुके थे । डैड टीबी में news देख रहे थे । माॅम और रीतु किचन में थी । मैं जा कर डैड के बगल में बैठ गया ।

" डैड, आज आप मेरी बाईक से आफिस चले जाइए, आप की कार चाहिए श्वेता दी का कुछ सामान लेने जाना है ।"

" ठीक है । वैसे कराटे वाली क्लब कब join करनी है ।"

" कल शाम से । 6 से 8 तक ही training देनी है ।"

" अच्छा ।" कह कर वापस टीबी की तरफ ध्यान कर लिए ।

फिर वही रोज वाली दिनचर्या । माॅम ने नाश्ता लाया । सभी एक साथ नाश्ता किये । डैड 9.30 बजे आफिस चले गए । और मैं अपने कमरे में जाकर गाजियाबाद जाने की तैयारी करने लगा । हमारा घर रोहिणी में था और गाजियाबाद जाने में कार से करीब एक सवा घंटा लग ही जाता है । मैंने सोचा एक बार राजीव जीजु को फोन कर दूं । मैंने जैसे ही मोबाइल में उनका नम्बर लगाया तभी मोबाइल पर मैसेज आने लगा कि आपका recharge balance शेष हो गया है ।

मैंने कपड़े पहनते हुए सोचा रास्ते से recharge करवा लेंगे । तैयार हो कर फ्लेट की चाबी लिया । श्वेता दी कल शाम जब घर आयो थी उसी समय उन्होंने अपने फ्लैट की चाबी दे दी थी । तैयार हो कर रुम से बाहर निकला तो देखा कि अचानक आकाश में काले बादल मंडराने लगे हैं ।
" लगता है जोर से बारिश आने वाली है ।" मैं सोचता हुआ नीचे हाल में पहुंचा और माॅम को आवाज लगाई ।

" माॅम मैं निकल रहा हूं ।" माॅम और रीतु दोनों को देखते हुए कहा ।

" कब तक वापस आ जाओगे ।" माॅम ने कहा ।

" अभी 10 बजे हैं । इसका मतलब डेढ़ दो बजे तक ।"

ओके । सम्भल कर जाना ।"

" ठीक है माॅम ।" कहकर मैंने माॅम और रीतु को हग किया और निकलते निकलते माॅम से बचा कर रीतु के पिछवाड़े में हल्का सा चांटा जड़ दिया और जल्दी से निकल गया । दरवाजे के पास पहुंच कर पिछे देखा तो रीतु को अपनी तरफ आंखें तरेरते हुए पाया । मैं उसे देख कर मुस्कुराया और बाहर निकल गया ।

मैं कार में बैठा और गाजियाबाद की तरफ निकल पड़ा ।
थोड़ी देर बाद बारिश भी शुरू हो गई थी । रास्ते में काफी जाम था । आगे कहीं कोई पेड़ गिर गया था । कहीं भी मोबाइल रिचार्ज करने का मौका नहीं मिला । सफर पौने दो घंटे का हो गया था । जब मैं गाजियाबाद के सेक्टर नम्बर 7 फ्लेट नम्बर 131 में जो कि जीजू का फ्लेट था पहुंचा तब पौने बारह बज रहे थे ।

फ्लेट के ताले को खोलने के लिए चाबी निकाल ही रहा था कि मेरी नज़र दरवाजे पर पड़ी । दरवाजा खुला हुआ था । लगता है जीजू घर पर ही है , सोचा ।

तभी दरवाज़ा खुला । दरवाजे पर एक कटे बालों वाली रूपवती युवती प्रगट हुई, मेरे पर निगाह पड़ते ही उसने बड़े आतंकित भाव से मुझे देखा ।

उसके खुबसूरत चेहरे से मेरी निगाह फिसली तो उसकी पोशाक पर पड़ी । वो एक विदेशी जींस और शर्ट पहनी थी । उसके पोशाक उसके अत्याधुनिक होने की अपने आप में दस्तावेज थी ।

" कौन हो तुम ! " उसने घबड़ाए हुए कहा ।

" मैं राजीव जी का साला हूं पर आप कौन हैं ।"

" म..म.मै राजीव की कजन हूं ।"

" कजन ? लेकिन उनके तो कोई रिश्तेदार नहीं है ।" मैं आश्चर्यचकित सा बोला ।

" वो मैं उनके मामा के तरफ से हूं ।"

" जीजा फ्लेट में है क्या ।"

" ह.. ह... हां ।" वह फंसे स्वर में बोली ।

" ठीक है । मैं देखता हूं ।" कह कर मैं उसके बगल से फ्लेट के अन्दर प्रवेश कर गया । अन्दर विशाल ड्राइंगरुम था । वहां कोई नहीं था । फिर बेडरूम में गया । बेडरूम में बेतरतीबी का बोलबाला था । कपड़े बिखरे हुए, दराज खूले थे । वार्डरोब के दरवाजे भी खूले थे । फर्श पर कुछ कपड़े बिखरे हुए थे ।

मैं हैरान हुआ । फिर मेरी तवज्जो बाथरूम से आती हुई पानी की आवाज की तरफ गई । मैंने बाथरूम का दरवाज़ा खोला ।

भीतर निगाह पड़ते ही मैं सन्नाटे में आ गया । बाथरूम में दीवार के साथ लगे विशाल खाली बाथ-टब में एक आदमी पड़ा था । वह पैन्ट शर्ट पहने था । मैंने थोड़ा आगे बढ़ कर उसे देखा तो मैं जैसे भौंचक्का सा जडवत हो गया ।

वो अजय था । मेरा अजीज, मेरा हमनिवाला, मेरा प्यारा दोस्त । मेरी पलकें भीग गई । आंखों से आंसू निकलने लगे । थोड़ी देर बाद मैंने अपने को सम्हाला और उसके ऊपर सरसरी तौर पर निगाह डाली ।

उसकी आंखें पथराई हुईं थी । उसकी छाती में गोली का सुराख था । अचानक से मुझे कुछ याद आया और मैं बाहर की तरफ भागा ।

लड़की भाग चुकी थी ।
Is it some sort of Thrill story?
 
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Is it some sort of Thrill story?
हां दिव्या जी.... ये इनसेस्ट और थ्रिलर स्टोरी है ।
आपका स्वागत है मेरे थ्रीड पर ।
 

divyaa

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S
Update 3 A.


मैं गमगीन वहीं खड़ा ही था कि एक पुलिस का दल धड़धड़ात हुआ फ्लेट में प्रवेश किया ।

" हमें खबर मिली है यहां किसी का कत्ल हुआ है।" इंस्पेक्टर अपने कठोर आवाज में कहा ।"

इंस्पेक्टर के बैच से मालुम हुआ कि उसका नाम विजय कोठारी है । वो एक 6 फुट से भी ऊपर निकलता हुआ हठठा कट्टा कडियल जवान था ।

" जी । बाथरूम में ।" मैंने धीरे से कहा ।

पुलिस फ्लेट के चारों तरफ फैल गई । मैं वहीं ड्राइंगरुम में बैठ गया । लाश का मुआयना करने के बाद इंस्पेक्टर बोला ।

" क्या इस फ्लेट के मालिक तुम हो ।"

" जी नहीं । ये मेरे जीजा राजीव सोलंकी का का फ्लेट है ।"

" मकतुल का कत्ल तुमने किया है ।"

" जी नहीं । जब मैं यहां आया तब ये मरा पड़ा था ।"

" तुम यहां कब आये । और घर कहां है तुम्हारा ।"

" मैं यहां पन्द्रह मिनट पहले ही आया था । और मेरा मकान दिल्ली के रोहिणी में है ।" फिर मैंने इंस्पेक्टर को अपने, अपने परिवार और यहां आने का कारण बताया ।

" हुं ।" फिर थोड़ी देर बाद कहा । " मकतुल को जानते हो ।"

" हां । मेरा दोस्त था । बहुत ही जिगरी ।" मैं अपने आंसुओं को पोछते हुए कहा ।

" मकतुल तुम्हरा दोस्त था ।" इंस्पेक्टर हैरान होते हुए बोला । " क्या करता था वो । और वो यहां क्या करने आया था ।"

" इंस्पेक्टर साहब, ये तो मैं भी नहीं समझ पा रहा हूं कि वो यहां क्यों और कब आया ।" मैं भावुक हो गया था । " मेरे साथ ही पढ़ता था । अपने मां का एकलौता सहारा था ।"

तभी मेरे जीजा राजीव ‌ने फ्लेट में प्रवेश किया और पुलिस और मुझे देखकर अचंभित हुआ ।

" क्या बात है ! सागर तुम यहां और पुलिस यहां कैसे । पुलिसकर्मियों को देखते हुए मुझसे पूछा ।

" कत्ल हुआ है यहां । और तुम कौन हो ।" इंस्पेक्टर ने कठोर आवाज में कहा ।

" क्या ! कत्ल ! " उन्होंने आंखें चौड़ी करते हुए दहशत भरे स्वर से कहा । " क.. किसका ! किसका कत्ल हुआ है ।"

" मेरे दोस्त अमर का ।" मैंने धीरे से कहा ।

" तुम्हारे दोस्त का ।"

मुझे न जाने क्यों ऐसा लगा जैसे मेरे जीजा ने चैन की सांस ली हो ।

" मैं राजीव सोलंकी । इस फ्लैट का मालिक ।" जीजा ने इंस्पेक्टर की तरफ तवज्जो देते हुए कहा । " कत्ल कैसे हुआ इंस्पेक्टर साहब । किसने किया । क्या क़ातिल पकड़ा गया ।"

" अभी तक तो नहीं लेकिन जरुर पकड़ा जाएगा । आप जरा धैर्य रखें और मेरे सवालों का जवाब दें ।" इंस्पेक्टर ने कहा ।

" जी ।" कहकर जीजा मेरे बगल बैठ गया ।

" अभी आप कहां से आ रहे हैं और करते क्या हैं ।

" मैं दिल्ली के एक MNC कम्पनी Hayat Infotech में काम करता हूं जो कनाटप्लेस में है । मैं अभी वहीं से आ रहा हूं ।"

" आज आपकी आफिस बंद है जो इतनी जल्दी घर आ गए ।"

" जी नहीं । मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं थी इसलिए सीक लेकर जल्दी चला आया ।"

" कितने बजे आफिस निकलते हैं ।"

" सुबह नौ बजे ।"

तभी पुलिस का डाक्टर और फिंगर प्रिंट्स वाले आ गए और उन्होंने अपना अपना निरीक्षण शुरू कर दिया । इंस्पेक्टर भी उनके साथ लग गया ।

" तुमने आने से पहले मुझे फोन क्यों नहीं की ।" जीजा मेरी तरफ झुक कर धीरे से पुछा ।

" आप को दीदी ने नहीं बताया कि मैं आज यहां आने वाला था ।"

" नहीं । उसने तो मुझे कुछ भी नहीं बताया । लेकिन तुम तो मुझे फोन कर सकते थे ।"

" सुबह मैंने आपको फोन करने गया तो पता चला मेरे फोन में रिचार्ज खतम हो गया है । आउटगोइंग और इनकमिंग दोनों बन्द हो गया था ।" मैंने निराश होकर बोला ।

" तुम्हारा दोस्त यहां क्या करने आया था ।"

" ये तो मैं भी नहीं समझ पा रहा हूं ।"

तभी इंस्पेक्टर आया तो मैंने उन्हें कटे बालों वाली लड़की के बारे में बताया ।

इंस्पेक्टर हैरान हो कर बोला । " इतनी महत्वपूर्ण बात तुम अब बता रहे हो ।"

" मेरे दोस्त के मौत ने मुझे सदमे में डाल दिया था । मैं सोचने समझने की स्थिति में नहीं था ।" मैं भर्राये हुए स्वर में बोला ।

* तुम उसे पहचानते हो ।"

" नहीं । लेकिन अगर दुबारा दिखी तो पहचान जाउंगा ।"

तभी वहां डाक्टर आया ।

" मेरा सरसरी तौर पर किया गया मुआयना " डाक्टर बोला - " यह बताता है कि मौत 36 caliber की रिवाल्वर से निकली गोली से कोई डेढ़ से दो घंटे पहले हुईं है ।"

" तुम्हारे पास ऐसी कोई रिवाल्वर है ।" इंस्पेक्टर मेरी तरफ देखते हुए कहा ।

" नहीं । " मैंने इनकार करते हुए कहा ।

" तुम्हारे पास ? " इंस्पेक्टर जीजा से पूछा ।

जीजा ने मुंडी हिलाई ।

" जबान के गूंगे हो ।" इंस्पेक्टर ने कर्कश भरें स्वर में कहा ।

" ज.. जी नहीं ।" जीजा हड़बड़ाया । - " मेरे पास कोई रिवाल्वर नहीं है ।"

" ड्यूटी कैसे जाते हो ।"

" मेरे पास कार है ।"

" अभी कार से ही दिल्ली से आ रहे हों ।

" जी। "

" कत्ल के वक्त कहां थे ।"

" आप मुझ पर शक कर रहे हैं ।" जीजा ने थोड़े कड़ स्वर है कहा ।

" जी । हां । जब तक क़ातिल का पता न चल जाय तब तक मकतुल से सम्बंधित हर व्यक्ति सस्पेक्ट है । आप भी और आप का ये साला भी ।"

" म.. मैं सवा दस बजे आफिस से निकला और अभी आप के सामने ही घर पहुंचा ।"

" आप के आफिस से यहां आने में ढाई घंटे लगते हैं ।"

" नहीं । करीब एक घंटा । लेकिन बरसात और जाम होने के कारण टाइम ज्यादा लग गया ।"

इंस्पेक्टर अपनी घड़ी देखते हुए " अभी साढ़े बारह बज रहे हैं । और डाक्टर का मुआयना बताता है कि कत्ल डेढ़ से दो घंटे पहले हुईं है । इस का मतलब कत्ल दस बजे से लेकर ग्यारह बजे से लेकर के बीच हुआ है । "

फिर एकाएक इंस्पेक्टर मेरी तरफ मुड़ा और मुझ पर निगाह डालते हुए कहा " और तुम दोनों के बयान के अनुसार जब कत्ल हुआ उस वक्त तुम दोनों कार ड्राइव कर रहे थे । क्या तुम लोगों के साथ कोई और भी गाड़ी में था ।"

" जी नहीं ।" हम दोनों ने एक साथ कहा ।

इंस्पेक्टर मुझे घुरते हुए बोला " और ये कटे बालों वाली लड़की तुम्हारा कोई मनगढ़ंत किस्सा भी हो सकता है । क्योंकि इस बात का भी कोई सबूत तुम्हारे पास नहीं है ।"

" नहीं ऐसी बात नहीं है । मैं सच कह रहा हूं ।" मैंने बिरोध करते हुए कहा ।

" क्या तुम ऐसी किसी कटे बालों वाली लड़की को जानते हो ।" इंस्पेक्टर जीजा की तरफ पलटते हुए कहा ।

" न.. नहीं । " जीजा हड़बड़ाया । " नहीं मैं किसी कटे बालों वाली लड़की को नहीं जानता हूं ।"

इस दौरान छानबीन में मर्डर वीपन बरामद नहीं हुआ ।

इंस्पेक्टर ने अपने एक पुलिसकर्मी को बुलाया और हेडक्वार्टर से पैराफिन टेस्ट करने वाले को बुलाने को कहा ।



" उसका क्या होगा ।" जीजा ने पूछा ।

" तुम दोनों के हाथों का पैराफिन टेस्ट किया जायेगा । अगर तुम्हारे हाथ से ही रिवाल्वर चली होगी तो उस टेस्ट से तुम्हारे चमड़ी में पैबस्त हो गये बारूद के कण पैराफिन पर आ जायेंगे ।"

आधे घंटे बाद पैराफिन टेस्ट वाला आया तब तक इंस्पेक्टर ने मेरी और जीजा की सारी जन्मकुंडली हमसे निकलवा ली ।

पैराफिन टेस्ट हुआ । मेरे और जीजा दोनों में किसी के भी चमड़े में पैबस्त जले बारूद कण नहीं मिले ।

इसके बाद इंस्पेक्टर ने मेरे घर और जीजा के आफिस में हमारे निकलने की पड़ताल की ।

" तुम दोनों अपने अपने मोबाइल नंबर दे जाओ । अभी के लिए तो मैं छोड़ रहा हूं लेकिन दुबारा कभी भी मैं तुम दोनों को तलब कर सकता हूं ।" इंस्पेक्टर ने हमें गौर से देखते हुए कहा ।


" और तुम अपने वो कटे बालों वाली का कुछ सुराग उराग लगाओ ।" उसने मेरी छाती पर ऊंगली टेकते हुए कहा ।

मैं हैरान हुआ । "मैं कैसे पता लगाउंगा । दिल्ली के सवा करोड़ आबादी में तो हजारों कटे बालों वाली लड़कियां होगी । ये तो भुसे में से पिन ढुढने वाली बात हुई ।"

" कल थाने आकर अपनी हाजिरी के साथ साथ लड़की का स्कैच भी बनवा देना ।" इंस्पेक्टर मेरी बातों पर ध्यान नहीं दिया और जीजा की तरफ मुड़ा । " और आप जनाब जब तक इस लड़के का असली क़ातिल नहीं पकड़ा जाता तब तक आप इस शहर से कहीं नहीं जायेंगे ।"

फिर इंस्पेक्टर अपने लाव लश्कर के साथ दनदनाता हुआ निकल गया । डेड बॉडी पोस्टमार्टम के लिए पहले ही भेज दी गई थी ।

ये सारी कारवाई करते करते पांच बज गए थे । मैंने श्वेता दी का सामान लिया और जीजा से बिदा ले दिल पर भारी बोझ लिए वहां से बिदा हो गया ।
Seems to be a good thriller
 
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