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Incest Sagar (Completed)

divyaa

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Update 3 B.


घर पहुंचते पहुंचते 6.30 बज गए थे । राह भर मुझे अमर के साथ बिताए गए पुराने पल याद आ रहे थे । वो एक हंसमुख और जिंदादिल इंसान था । उसकी किसी से कोई खास अदावत भी नहीं थी । उसके पिता किसी सरकारी विभाग में कार्यरत थे और उसी दौरान उनकी मौत भी हो गयी थी । अमर का अपने मां के अलावा कोई भी नहीं था । उनका गुज़ारा पेंशन के पैसों से ही होता था । पेंशन की राशि अच्छी खासी थी ।

आखिर अमर यहां क्या कर रहा था । वो यहां गाजियाबाद में और उस पर भी जीजा के यहां । उसने ऐसा क्या किया होगा कि किसी ने उसकी कत्ल ही कर दी ।

और पुलिस वहां कैसे पहुंच गयी । पुलिस को कैसे पता चला कि वहां किसी का कत्ल हुआ है ।

जीजा का भी हाव भाव कुछ अलग ही था । कहीं जीजा ने ही तो कत्ल नहीं किया । लेकिन क्यों ? सारे सामान बिखरे हुए क्यों थे । और सबसे बड़ी बात वो कटे बालों वाली लड़की कौन थी । वो लड़की जीजा के फ्लेट में आई कैसे । और अगर आई भी तो क्यों आईं । क्या चोरी के इरादे से आई थी और शायद उसे अमर ने चोरी करते हुए पकड़ा होगा और लड़की ने उसे शुट कर दिया हो ।

लेकिन लाख का सवाल ये था कि अमर यहां आया क्यों ।

घर पहुंचने के बाद माॅम डैड और रीतु को ड्राइंगरुम में बैठा पाया । उन्हें इंस्पेक्टर कोठारी के द्वारा फोन पर पुछताछ के दौरान ही सारी बातें पता चल चुकी थी ।

मैंने वहां हुए सारे वारदात को संक्षिप्त में बताया और श्वेता दी का सामान देने उनके घर गया । वहां चाचा चाची श्वेता दी और राहुल सभी थे । उनके पुछने पर फिर से वही बातें दुहराया ।

श्वेता दी ने मुझे अपने सहेली के शादी में चलने को कहा तो मैंने इनकार कर दिया । मेरा खराब मुड देखकर उन्होंने भी जोर नहीं दिया ।

वहां से मैं अमर के घर चला गया । अमर का घर हमारे यहां से आधे घंटे की दूरी पर था । जब उसके घर पहुंचा तब कुछ पड़ोसी औरतें अमर की मां के पास बैठी हुई थी । वहां का माहौल काफी गमगीन था । शायद पुलिस ने खबर कर दी थी ।

मैं अमर की मां के पास पहुंचा तो उनकी नजर मुझ पर पड़ी । वो लगभग 55 साल की दुबली पतली महिला थी । उनका पूरा चेहरा आंसुओं से भीगा हुआ था । मैंने उन्हें अपने गले से लगाया तो वो फफक कर रो पड़ी । मेरी आंखें भी छलक पड़ी । बहुत देर तक हम ऐसे ही रोते रहे ।

" ब.. बेटा अमर ।" उन्होंने रोते हुए कुछ कहने की कोशिश की तो मैंने बीच में ही उन्हें अपने बाजुओं से कसते हुए भर्राये हुए स्वर में बोला ।

" कुछ मत बोलो मां । अमर का इतना ही समय तक हमारा साथ था । भगवान ने उसे अपने मे समाहित कर लिया । मौत पर किसी का भी वश नहीं चलता । अब से मैं ही तेरा अमर हूं । मैं ही तेरा बेटा हूं । आज से तु मेरे साथ मेरे घर पर रहेगी । आखिरी सांसों तक मैं तेरी सेवा करूंगा ।"

वो फुट फुट कर रोये जा रही थी । मैं उसे दिलासा देते रहा । थोड़ी देर बाद मैंने कहा ।

" चल मां । चल मेरे साथ ।"

मेरे कन्धों से सिर उठाकर मुझे देखा और सिसकियां लेते हुए बोली ।

" बेटा मैं जीना नहीं चाहती । काश ! भगवान अमर की जगह मुझे बुला लेता । म.. मैं मरना चाहती हूं बेटा ।" कहकर जोर जोर से रोने लगी ।

" नहीं मां । ऐसा मत बोल । क्या मैं तुम्हारा बेटा नहीं । तुम तो जानती हो अमर मेरा दोस्त कम भाई ज्यादा था । आप ही तो कहती थी मैं तुम्हारा दुसरा बेटा हूं । और अभी तो अमर के क़ातिल को सजा दिलवाना है । चल उठ । मेरे साथ चल ।"

काफी देर तक रोती रही । फिर अपने आंसुओं को पोछते हुए कही ।

" नहीं बेटा । ये घर छोड़ कर मैं कहीं नहीं जाउंगी । इस घर से अमर और उसके पिता की यादें जुड़ी हुई है । अब यही मैं अपनी बाकी बची खुची जिन्दगी भी काट लुंगी । जा । तु घर जा । कल अमर की दाह संस्कार भी करनी है ।"

थोड़ी देर बाद उनको गले लगा कर मैं वहां से भारी मन बिदा हो गया । घर आया किसी ने भी खाना नहीं खाया था । उस दिन मेरे घर खाना ही नहीं बना । सभी थोड़ी थोड़ी जुस पी कर अपने अपने कमरों में चले गए ।

नींद आ नहीं रही थी । दिन भर की घटनाक्रम के बारे में सोचता रहा । करवट बदलते बदलते कब सोया, याद नहीं ।

*****

Update 4.


सुबह जब मैं ड्राइंगरुम में पहुंचा तब माॅम breakfast की तैयारी कर रही थी । डैड टीबी के पास बैठे खबर देख रहे थे । रीतु आज सुबह ही कालेज चली गई थी ।

मैंने डैड को गुड मार्निंग वीश किया । माॅम को हग किया और डैड के बगल सोफे पर बैठ गया । कुछ औपचारिक बातें के दरमियान नाश्ता किया फिर मैं अपने बाइक से पुलिस चौकी चला गया ।

इंस्पेक्टर कोठारी वहां नहीं था । वहां अपनी हाजिरी दे और उनके बुलाये हुए स्कैच मैन की सहायता से कटे बालों वाली लड़की का स्कैच बनवा कर अजय के घर चला गया । रास्ते में मोबाइल रिचार्ज कराया । फिर पैराडाइज क्लब के मैनेजर को फोन कर के बताया कि मैं अगले दिन join करुंगा ।

पोस्टमार्टम के बाद डेड बॉडी शाम को चार बजे मिली । अन्तिम संस्कार करते करते आठ बज गए । फिर वापस घर आ गया ।

आज का दिन भी काफी भाग दौड़ करके बीता था इसलिए डीनर के पश्चात मैं जल्दी सो गया ।

अगले दिन सुबह उठकर फ्रेश होकर थोड़ा work out किया और ड्राइंगरुम में जा कर बैठ गया । पुलिस थाने की हाजिरी की । आज इंस्पेक्टर कोठारी मौजूद था । मेरे पुछने पर उसने बताया कि उन्हें कत्ल की सुचना किसी गुमनाम शहरी ने थाने के लैंड लाइन फोन पर दी थी । नम्बर ट्रैश करने पर मालूम हुआ कि वो एक PCO का नम्बर है जो तुम्हारे जीजा के घर से थोड़ी दूर पर है । फोन किस व्यक्ति ने किया ये PCO. वाला नहीं बता पाया ।

थोड़ी देर बाद मैं वहां से अमर के मां के पास चला गया । थोड़ी देर रुक कर मैं वहां से निकल गया ।

शाम को पांच बजे कनाटप्लेस पैराडाइज क्लब पहुंचा और मैनेजर से मिला । मैनेजर का नाम कुलभूषण खन्ना था । वो एक पचपन साल का गंजे सिर वाला भीमकाय व्यक्ति था । उसके आंख काफी छोटे-छोटे थे । उसकी एक आदत थी कि वह जब बोलता था तो अपनी कनपटी को सहलाने लगता था ।

उससे कुछ देर तक formal बातों के उपरांत मैं कराटे वाले कक्ष में गया । वहां कुछ तीस बत्तीस लड़के लड़कियां थी । लड़कियों की संख्या ज्यादा थी । आज देश में जिस तरह की हालात हैं उस लिहाज से तो लड़कियों को self protection बहुत ही जरूरी बनती है ।

वहां जितने भी student दिखे सभी हाई फाई फेमिली से belong लगते दिखे । और हो भी क्यों नहीं । क्लब जो काफी महंगा था ।

वहां मैंने दो घंटे ट्रेनिंग दी । फिर मैनेजर को अभिवादन कर घर चला आया ।

हफ्ते दस दिन तक यही रूटिन रहा । धीरे धीरे अमर के मौत का गम भी कुछ हल्का हुआ । दोनों टाईम आन्टी ( अमर की मां ) के पास जाता और उनकी ज़रुरी के कामों में मदद करता ।

पुलिस ने भी मेरे और जीजा को clean chit दे दिया । उनके पास हमारे खिलाफ न कोई सबूत था और ना कोई गवाह । जिस रिवाल्वर से मौत हुई थी वो भी बरामद नहीं हो पाई थी । हमारे पास मर्डर करने का कोई सटीक कारण भी नहीं था । और वो कटे बालों वाली लड़की भी गायब थी ।

लेकिन मैं एक आस में था कि क़ातिल को मैं ढुंढ निकालूंगा और उसके किये की सजा अवश्य दूंगा ।

रात के खाने के बाद मैं अपने कमरे में गया । नाइट ड्रेस पहनी और बिस्तर पर लेट गया । ये दस बारह दिन मेरे लिए काफी भारी पड़े थे । मन को divert करने के लिए सोचा क्यों न आज अपनी favourite books पढ़ी जाय । मैं उठा और आलमारी से incest कहानियों का बैग ले बिस्तर पर लेट गया ।

तभी मुझे ध्यान आया कि इस मे से कुछ दिन पहले एक किताब गायब थी । मैंने सारी किताबें चेक की । गायब वाली किताब इन किताबों के बीच मोजूद थी । मतलब जिसने भी ये किताब ली थी उसने पढ़ कर वापस रख दी थी ।

लेकिन इस बार एक दुसरी किताब गायब थी ।
Nice buildup of the story
 

divyaa

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Update 3 B.


घर पहुंचते पहुंचते 6.30 बज गए थे । राह भर मुझे अमर के साथ बिताए गए पुराने पल याद आ रहे थे । वो एक हंसमुख और जिंदादिल इंसान था । उसकी किसी से कोई खास अदावत भी नहीं थी । उसके पिता किसी सरकारी विभाग में कार्यरत थे और उसी दौरान उनकी मौत भी हो गयी थी । अमर का अपने मां के अलावा कोई भी नहीं था । उनका गुज़ारा पेंशन के पैसों से ही होता था । पेंशन की राशि अच्छी खासी थी ।

आखिर अमर यहां क्या कर रहा था । वो यहां गाजियाबाद में और उस पर भी जीजा के यहां । उसने ऐसा क्या किया होगा कि किसी ने उसकी कत्ल ही कर दी ।

और पुलिस वहां कैसे पहुंच गयी । पुलिस को कैसे पता चला कि वहां किसी का कत्ल हुआ है ।

जीजा का भी हाव भाव कुछ अलग ही था । कहीं जीजा ने ही तो कत्ल नहीं किया । लेकिन क्यों ? सारे सामान बिखरे हुए क्यों थे । और सबसे बड़ी बात वो कटे बालों वाली लड़की कौन थी । वो लड़की जीजा के फ्लेट में आई कैसे । और अगर आई भी तो क्यों आईं । क्या चोरी के इरादे से आई थी और शायद उसे अमर ने चोरी करते हुए पकड़ा होगा और लड़की ने उसे शुट कर दिया हो ।

लेकिन लाख का सवाल ये था कि अमर यहां आया क्यों ।

घर पहुंचने के बाद माॅम डैड और रीतु को ड्राइंगरुम में बैठा पाया । उन्हें इंस्पेक्टर कोठारी के द्वारा फोन पर पुछताछ के दौरान ही सारी बातें पता चल चुकी थी ।

मैंने वहां हुए सारे वारदात को संक्षिप्त में बताया और श्वेता दी का सामान देने उनके घर गया । वहां चाचा चाची श्वेता दी और राहुल सभी थे । उनके पुछने पर फिर से वही बातें दुहराया ।

श्वेता दी ने मुझे अपने सहेली के शादी में चलने को कहा तो मैंने इनकार कर दिया । मेरा खराब मुड देखकर उन्होंने भी जोर नहीं दिया ।

वहां से मैं अमर के घर चला गया । अमर का घर हमारे यहां से आधे घंटे की दूरी पर था । जब उसके घर पहुंचा तब कुछ पड़ोसी औरतें अमर की मां के पास बैठी हुई थी । वहां का माहौल काफी गमगीन था । शायद पुलिस ने खबर कर दी थी ।

मैं अमर की मां के पास पहुंचा तो उनकी नजर मुझ पर पड़ी । वो लगभग 55 साल की दुबली पतली महिला थी । उनका पूरा चेहरा आंसुओं से भीगा हुआ था । मैंने उन्हें अपने गले से लगाया तो वो फफक कर रो पड़ी । मेरी आंखें भी छलक पड़ी । बहुत देर तक हम ऐसे ही रोते रहे ।

" ब.. बेटा अमर ।" उन्होंने रोते हुए कुछ कहने की कोशिश की तो मैंने बीच में ही उन्हें अपने बाजुओं से कसते हुए भर्राये हुए स्वर में बोला ।

" कुछ मत बोलो मां । अमर का इतना ही समय तक हमारा साथ था । भगवान ने उसे अपने मे समाहित कर लिया । मौत पर किसी का भी वश नहीं चलता । अब से मैं ही तेरा अमर हूं । मैं ही तेरा बेटा हूं । आज से तु मेरे साथ मेरे घर पर रहेगी । आखिरी सांसों तक मैं तेरी सेवा करूंगा ।"

वो फुट फुट कर रोये जा रही थी । मैं उसे दिलासा देते रहा । थोड़ी देर बाद मैंने कहा ।

" चल मां । चल मेरे साथ ।"

मेरे कन्धों से सिर उठाकर मुझे देखा और सिसकियां लेते हुए बोली ।

" बेटा मैं जीना नहीं चाहती । काश ! भगवान अमर की जगह मुझे बुला लेता । म.. मैं मरना चाहती हूं बेटा ।" कहकर जोर जोर से रोने लगी ।

" नहीं मां । ऐसा मत बोल । क्या मैं तुम्हारा बेटा नहीं । तुम तो जानती हो अमर मेरा दोस्त कम भाई ज्यादा था । आप ही तो कहती थी मैं तुम्हारा दुसरा बेटा हूं । और अभी तो अमर के क़ातिल को सजा दिलवाना है । चल उठ । मेरे साथ चल ।"

काफी देर तक रोती रही । फिर अपने आंसुओं को पोछते हुए कही ।

" नहीं बेटा । ये घर छोड़ कर मैं कहीं नहीं जाउंगी । इस घर से अमर और उसके पिता की यादें जुड़ी हुई है । अब यही मैं अपनी बाकी बची खुची जिन्दगी भी काट लुंगी । जा । तु घर जा । कल अमर की दाह संस्कार भी करनी है ।"

थोड़ी देर बाद उनको गले लगा कर मैं वहां से भारी मन बिदा हो गया । घर आया किसी ने भी खाना नहीं खाया था । उस दिन मेरे घर खाना ही नहीं बना । सभी थोड़ी थोड़ी जुस पी कर अपने अपने कमरों में चले गए ।

नींद आ नहीं रही थी । दिन भर की घटनाक्रम के बारे में सोचता रहा । करवट बदलते बदलते कब सोया, याद नहीं ।

*****

Update 4.


सुबह जब मैं ड्राइंगरुम में पहुंचा तब माॅम breakfast की तैयारी कर रही थी । डैड टीबी के पास बैठे खबर देख रहे थे । रीतु आज सुबह ही कालेज चली गई थी ।

मैंने डैड को गुड मार्निंग वीश किया । माॅम को हग किया और डैड के बगल सोफे पर बैठ गया । कुछ औपचारिक बातें के दरमियान नाश्ता किया फिर मैं अपने बाइक से पुलिस चौकी चला गया ।

इंस्पेक्टर कोठारी वहां नहीं था । वहां अपनी हाजिरी दे और उनके बुलाये हुए स्कैच मैन की सहायता से कटे बालों वाली लड़की का स्कैच बनवा कर अजय के घर चला गया । रास्ते में मोबाइल रिचार्ज कराया । फिर पैराडाइज क्लब के मैनेजर को फोन कर के बताया कि मैं अगले दिन join करुंगा ।

पोस्टमार्टम के बाद डेड बॉडी शाम को चार बजे मिली । अन्तिम संस्कार करते करते आठ बज गए । फिर वापस घर आ गया ।

आज का दिन भी काफी भाग दौड़ करके बीता था इसलिए डीनर के पश्चात मैं जल्दी सो गया ।

अगले दिन सुबह उठकर फ्रेश होकर थोड़ा work out किया और ड्राइंगरुम में जा कर बैठ गया । पुलिस थाने की हाजिरी की । आज इंस्पेक्टर कोठारी मौजूद था । मेरे पुछने पर उसने बताया कि उन्हें कत्ल की सुचना किसी गुमनाम शहरी ने थाने के लैंड लाइन फोन पर दी थी । नम्बर ट्रैश करने पर मालूम हुआ कि वो एक PCO का नम्बर है जो तुम्हारे जीजा के घर से थोड़ी दूर पर है । फोन किस व्यक्ति ने किया ये PCO. वाला नहीं बता पाया ।

थोड़ी देर बाद मैं वहां से अमर के मां के पास चला गया । थोड़ी देर रुक कर मैं वहां से निकल गया ।

शाम को पांच बजे कनाटप्लेस पैराडाइज क्लब पहुंचा और मैनेजर से मिला । मैनेजर का नाम कुलभूषण खन्ना था । वो एक पचपन साल का गंजे सिर वाला भीमकाय व्यक्ति था । उसके आंख काफी छोटे-छोटे थे । उसकी एक आदत थी कि वह जब बोलता था तो अपनी कनपटी को सहलाने लगता था ।

उससे कुछ देर तक formal बातों के उपरांत मैं कराटे वाले कक्ष में गया । वहां कुछ तीस बत्तीस लड़के लड़कियां थी । लड़कियों की संख्या ज्यादा थी । आज देश में जिस तरह की हालात हैं उस लिहाज से तो लड़कियों को self protection बहुत ही जरूरी बनती है ।

वहां जितने भी student दिखे सभी हाई फाई फेमिली से belong लगते दिखे । और हो भी क्यों नहीं । क्लब जो काफी महंगा था ।

वहां मैंने दो घंटे ट्रेनिंग दी । फिर मैनेजर को अभिवादन कर घर चला आया ।

हफ्ते दस दिन तक यही रूटिन रहा । धीरे धीरे अमर के मौत का गम भी कुछ हल्का हुआ । दोनों टाईम आन्टी ( अमर की मां ) के पास जाता और उनकी ज़रुरी के कामों में मदद करता ।

पुलिस ने भी मेरे और जीजा को clean chit दे दिया । उनके पास हमारे खिलाफ न कोई सबूत था और ना कोई गवाह । जिस रिवाल्वर से मौत हुई थी वो भी बरामद नहीं हो पाई थी । हमारे पास मर्डर करने का कोई सटीक कारण भी नहीं था । और वो कटे बालों वाली लड़की भी गायब थी ।

लेकिन मैं एक आस में था कि क़ातिल को मैं ढुंढ निकालूंगा और उसके किये की सजा अवश्य दूंगा ।

रात के खाने के बाद मैं अपने कमरे में गया । नाइट ड्रेस पहनी और बिस्तर पर लेट गया । ये दस बारह दिन मेरे लिए काफी भारी पड़े थे । मन को divert करने के लिए सोचा क्यों न आज अपनी favourite books पढ़ी जाय । मैं उठा और आलमारी से incest कहानियों का बैग ले बिस्तर पर लेट गया ।

तभी मुझे ध्यान आया कि इस मे से कुछ दिन पहले एक किताब गायब थी । मैंने सारी किताबें चेक की । गायब वाली किताब इन किताबों के बीच मोजूद थी । मतलब जिसने भी ये किताब ली थी उसने पढ़ कर वापस रख दी थी ।

लेकिन इस बार एक दुसरी किताब गायब थी ।
This is parallel suspense, another book missing.

Good mix up
 

Jaipara

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Yar bura na mano to ek bat kahna chahta hu. Chalo koi nahi bura man bhi jaoge tab bhi bat to kahunga hi qki bahut din se khud ko control kiye tha kuchh bhi kahne se, but ab nahi hota control.

Yar sach kahu to ab mujhe aapki story ke character ke naam bhi yad nahi hain qki aapke update nahi aate. Aapke comment aapke update se bade hote hain sirf aapki thread par nahi baki sabhi thread par bhi. Pta nahi story padhkar itne bade bade aur itne sare comments karne ka time kaise mil jata hai aur update likhne ka nahi milta.

Maine aapki story ko starting se follow kiya hai. Aap ne ek scene ko complete karne me ek mahine se jyada ka time le liya hai aur wo bhi abhi tak complete nahi huya hai.

Fir bhi chalo aapki story aapki marzi likhni hai ya nahi. Hum to reader hain likhoge to padh lenge warna dusri story ki tarah aapki story ko bhi ignore karna start kar denge chahe fir update karo ya na karo....

Aakhri bar fir se agar bura laga ho to sorry but ya kahna jaruri tha

Ab aapke followers me se koi ye na kahna ki khud likh le and all qki agar main likh sakta to aapke kahne ki jarurat nahi padti likh deta aur koi gaali nahi dega qki maine apni bat tameez ki kameez pahan kar kahi hai.
 
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Yar bura na mano to ek bat kahna chahta hu. Chalo koi nahi bura man bhi jaoge tab bhi bat to kahunga hi qki bahut din se khud ko control kiye tha kuchh bhi kahne se, but ab nahi hota control.

Yar sach kahu to ab mujhe aapki story ke character ke naam bhi yad nahi hain qki aapke update nahi aate. Aapke comment aapke update se bade hote hain sirf aapki thread par nahi baki sabhi thread par bhi. Pta nahi story padhkar itne bade bade aur itne sare comments karne ka time kaise mil jata hai aur update likhne ka nahi milta.

Maine aapki story ko starting se follow kiya hai. Aap ne ek scene ko complete karne me ek mahine se jyada ka time le liya hai aur wo bhi abhi tak complete nahi huya hai.

Fir bhi chalo aapki story aapki marzi likhni hai ya nahi. Hum to reader hain likhoge to padh lenge warna dusri story ki tarah aapki story ko bhi ignore karna start kar denge chahe fir update karo ya na karo....

Aakhri bar fir se agar bura laga ho to sorry but ya kahna jaruri tha

Ab aapke followers me se koi ye na kahna ki khud likh le and all qki agar main likh sakta to aapke kahne ki jarurat nahi padti likh deta aur koi gaali nahi dega qki maine apni bat tameez ki kameez pahan kar kahi hai.
कोई बुरा मानने की बात नहीं है भाई साहब । मुझे पता है अपडेट देने में देरी हो रही है । :)

लेकिन शायद आपने इस स्टोरी को ही पढ़ा होगा , कमेन्टस वगैरह नहीं पढ़े होंगे । मैंने कितनों बार कहा है कि लाॅक डॉउन के बाद परिस्थितियां बदली है । मैं व्यवसाई हूं तो अब पहले की तरह नहीं लिख पाता ।
और पहले कई बार कहा है कि मैं रीडर अधिक हूं राइटर कम । जब भी समय मिलता है कोई न कोई अपडेट पढ़ लेता हूं । और जब किसी के कहानी में कमेन्टस करने लायक बात होती है तो खुलकर करता हूं । लाईक के अलावा शायद रोज तीन चार कमेन्टस कर ही देता हूं । जबकि बहुतों तो लाईक का बटन भी नहीं दबाते । आपके जैसे बहुतों लोग हैं जिन्हें किसी के कहानी पर लाइक या कमेंट करना अपने इगो के खिलाफ समझते हैं । और शायद मेरे कहानी पर आपका ये पहला ही कमेन्ट है और वो भी व्यंग्य भरे शब्दों के साथ ।

एक लाईक या एक कमेन्ट राइटर्स को मोटिवेट करता है । कोई भी राइटर्स यहां यदि लिख रहा है तो कम से कम उसे प्रोत्साहित करने के लिए ये सब जरूरी होता है । ये तो आपको पता ही होगा कि यहां कहानी लिखने से किसी को कोई उजरत हासिल नहीं होने वाला है तो सिर्फ और सिर्फ लाईक या कमेंट ही राइटर्स की इनकम होती है ।
आपने कहा मेरे कमेन्टस अपडेट से भी बड़े होते हैं तो क्या मैं भी " Very good update" " Awesome update " , " Superb Update " वगैरह लिख दूं । भाई साहब ! ये तो मुझसे नहीं होगा ।

कमेन्टस करना और स्टोरी लिखना अलग अलग चीजें होती है । कमेन्टस करने में चार पांच मिनट ही लगते हैं लेकिन एक अपडेट लिखने में अनेकों पन्ने स्याही से काली करनी पड़ती है और कितनों बार पन्नों को लिखना फिर फाड़ना होता है । जब तक राइटर्स खुद सेटिस्फाई नहीं हो जाता है तब तक अपडेट पोस्ट नहीं करता ।

आपने कहा कि स्टोरी के किरदारों के नाम तक याद नहीं रहता । होता है.... ऐसा सभी के साथ होता है.... ज्यादा कहानियां पढ़ने से ऐसा होना लाजिमी है । मैं खुद कभी कभी भुल जाता हूं ।

और आपको लिखने के लिए कम से कम मैं आपको बाध्य नहीं करने वाला । ये आपके उपर निर्भर करता है । मुझे पता है कहानी लिखना इतना भी आसान नहीं है ।

वैसे मैंने कल कहा था कि शुक्रवार तक अपडेट दे दुंगा । लेकिन बाकी राइटर्स की तरह कंटिन्यू अपडेट देना फिलहाल के लिए मुश्किल है ।
 

Jaipara

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कोई बुरा मानने की बात नहीं है भाई साहब । मुझे पता है अपडेट देने में देरी हो रही है । :)

लेकिन शायद आपने इस स्टोरी को ही पढ़ा होगा , कमेन्टस वगैरह नहीं पढ़े होंगे । मैंने कितनों बार कहा है कि लाॅक डॉउन के बाद परिस्थितियां बदली है । मैं व्यवसाई हूं तो अब पहले की तरह नहीं लिख पाता ।
और पहले कई बार कहा है कि मैं रीडर अधिक हूं राइटर कम । जब भी समय मिलता है कोई न कोई अपडेट पढ़ लेता हूं । और जब किसी के कहानी में कमेन्टस करने लायक बात होती है तो खुलकर करता हूं । लाईक के अलावा शायद रोज तीन चार कमेन्टस कर ही देता हूं । जबकि बहुतों तो लाईक का बटन भी नहीं दबाते । आपके जैसे बहुतों लोग हैं जिन्हें किसी के कहानी पर लाइक या कमेंट करना अपने इगो के खिलाफ समझते हैं । और शायद मेरे कहानी पर आपका ये पहला ही कमेन्ट है और वो भी व्यंग्य भरे शब्दों के साथ ।

एक लाईक या एक कमेन्ट राइटर्स को मोटिवेट करता है । कोई भी राइटर्स यहां यदि लिख रहा है तो कम से कम उसे प्रोत्साहित करने के लिए ये सब जरूरी होता है । ये तो आपको पता ही होगा कि यहां कहानी लिखने से किसी को कोई उजरत हासिल नहीं होने वाला है तो सिर्फ और सिर्फ लाईक या कमेंट ही राइटर्स की इनकम होती है ।
आपने कहा मेरे कमेन्टस अपडेट से भी बड़े होते हैं तो क्या मैं भी " Very good update" " Awesome update " , " Superb Update " वगैरह लिख दूं । भाई साहब ! ये तो मुझसे नहीं होगा ।

कमेन्टस करना और स्टोरी लिखना अलग अलग चीजें होती है । कमेन्टस करने में चार पांच मिनट ही लगते हैं लेकिन एक अपडेट लिखने में अनेकों पन्ने स्याही से काली करनी पड़ती है और कितनों बार पन्नों को लिखना फिर फाड़ना होता है । जब तक राइटर्स खुद सेटिस्फाई नहीं हो जाता है तब तक अपडेट पोस्ट नहीं करता ।

आपने कहा कि स्टोरी के किरदारों के नाम तक याद नहीं रहता । होता है.... ऐसा सभी के साथ होता है.... ज्यादा कहानियां पढ़ने से ऐसा होना लाजिमी है । मैं खुद कभी कभी भुल जाता हूं ।

और आपको लिखने के लिए कम से कम मैं आपको बाध्य नहीं करने वाला । ये आपके उपर निर्भर करता है । मुझे पता है कहानी लिखना इतना भी आसान नहीं है ।

वैसे मैंने कल कहा था कि शुक्रवार तक अपडेट दे दुंगा । लेकिन बाकी राइटर्स की तरह कंटिन्यू अपडेट देना फिलहाल के लिए मुश्किल है ।

Chaliye aapne bat ego ke bare me ki hai to bta deta hu ki maine aapke update par like bhi kiya hai aur comment bhi kiye hain. आपका कहना की मैंने कोई कमेंट नहीं करना यही बताता है कि आपको अपने रीडर और कमेंटर का पता ही नहीं है। आपको सिर्फ वही याद हैं जो प्रेजेंट में कमेंट कर रहे हैं। मैंने स्टार्टिंग से कमेंट किया है फिर भी कोई बात नहीं।। अब आगे से कमेंट नहीं करेंगे और पढ़ेंगे भी नहीं।।

Haan jab se update aane almost band huye hain tab se maine koi bhi comment nahi kiya hai qki ye bar bar waiting likhna apne ko samajh nahi aata.

और मैं ये व्यंग्य भरा कमेंट भी बिलकुल नहीं करता अगर मैं आपकी थ्रेड पर पहले कमेंट या लाइक नहीं किया होता और आप यहाँ पर available नहीं होते तो। आपका व्यवसायी होना और समय का न मिलना मैं समझता हूं परंतु बात ये है कि आपकी कमेंट डेली आपके अपडेट से चार गुना ज्यादा बड़ी होती है अपनी थ्रेड और दूसरी थ्रेड पर भी। इसलिए मैंने ये कॉमेंट करना पड़ा वरना यहाँ पर हजारों स्टोरी हैं जहाँ पर अपडेट आना तो दूर की बात है थ्रेड स्टार्टर भी सालो से गायब है।

स्टोरी के किरदार के नाम इसलिए नहीं याद क्योंकि आपके अपडेट नहीं आ रहे।

मैं अब भी कहूंगा कि आप अपडेट पढ़ने का टाइम निकल सकते हो तो अपडेट लिखने का टाइम भी निकल सकते हो बाकि आपकी अपनी मर्ज़ी है कोई जबरदसती नहीं है।

मेरा थ्रेड स्टार्ट करने के लिए कहने वाली आपके लिए नहीं थी वो आपके फॉलोवर जो अपना ज्ञान पेलना स्टार्ट कर देते ये कहकर की खुद लिख लो, उनके लिए थी

अलविदा
 
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Chaliye aapne bat ego ke bare me ki hai to bta deta hu ki maine aapke update par like bhi kiya hai aur comment bhi kiye hain. आपका कहना की मैंने कोई कमेंट नहीं करना यही बताता है कि आपको अपने रीडर और कमेंटर का पता ही नहीं है। आपको सिर्फ वही याद हैं जो प्रेजेंट में कमेंट कर रहे हैं। मैंने स्टार्टिंग से कमेंट किया है फिर भी कोई बात नहीं।। अब आगे से कमेंट नहीं करेंगे और पढ़ेंगे भी नहीं।।

Haan jab se update aane almost band huye hain tab se maine koi bhi comment nahi kiya hai qki ye bar bar waiting likhna apne ko samajh nahi aata.

और मैं ये व्यंग्य भरा कमेंट भी बिलकुल नहीं करता अगर मैं आपकी थ्रेड पर पहले कमेंट या लाइक नहीं किया होता और आप यहाँ पर available नहीं होते तो। आपका व्यवसायी होना और समय का न मिलना मैं समझता हूं परंतु बात ये है कि आपकी कमेंट डेली आपके अपडेट से चार गुना ज्यादा बड़ी होती है अपनी थ्रेड और दूसरी थ्रेड पर भी। इसलिए मैंने ये कॉमेंट करना पड़ा वरना यहाँ पर हजारों स्टोरी हैं जहाँ पर अपडेट आना तो दूर की बात है थ्रेड स्टार्टर भी सालो से गायब है।

स्टोरी के किरदार के नाम इसलिए नहीं याद क्योंकि आपके अपडेट नहीं आ रहे।

मैं अब भी कहूंगा कि आप अपडेट पढ़ने का टाइम निकल सकते हो तो अपडेट लिखने का टाइम भी निकल सकते हो बाकि आपकी अपनी मर्ज़ी है कोई जबरदसती नहीं है।

मेरा थ्रेड स्टार्ट करने के लिए कहने वाली आपके लिए नहीं थी वो आपके फॉलोवर जो अपना ज्ञान पेलना स्टार्ट कर देते ये कहकर की खुद लिख लो, उनके लिए थी

अलविदा
कोई बात नहीं । जहां भी रहो खुश रहो ।
 

eternity

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कोई बुरा मानने की बात नहीं है भाई साहब । मुझे पता है अपडेट देने में देरी हो रही है । :)

लेकिन शायद आपने इस स्टोरी को ही पढ़ा होगा , कमेन्टस वगैरह नहीं पढ़े होंगे । मैंने कितनों बार कहा है कि लाॅक डॉउन के बाद परिस्थितियां बदली है । मैं व्यवसाई हूं तो अब पहले की तरह नहीं लिख पाता ।
और पहले कई बार कहा है कि मैं रीडर अधिक हूं राइटर कम । जब भी समय मिलता है कोई न कोई अपडेट पढ़ लेता हूं । और जब किसी के कहानी में कमेन्टस करने लायक बात होती है तो खुलकर करता हूं । लाईक के अलावा शायद रोज तीन चार कमेन्टस कर ही देता हूं । जबकि बहुतों तो लाईक का बटन भी नहीं दबाते । आपके जैसे बहुतों लोग हैं जिन्हें किसी के कहानी पर लाइक या कमेंट करना अपने इगो के खिलाफ समझते हैं । और शायद मेरे कहानी पर आपका ये पहला ही कमेन्ट है और वो भी व्यंग्य भरे शब्दों के साथ ।

एक लाईक या एक कमेन्ट राइटर्स को मोटिवेट करता है । कोई भी राइटर्स यहां यदि लिख रहा है तो कम से कम उसे प्रोत्साहित करने के लिए ये सब जरूरी होता है । ये तो आपको पता ही होगा कि यहां कहानी लिखने से किसी को कोई उजरत हासिल नहीं होने वाला है तो सिर्फ और सिर्फ लाईक या कमेंट ही राइटर्स की इनकम होती है ।
आपने कहा मेरे कमेन्टस अपडेट से भी बड़े होते हैं तो क्या मैं भी " Very good update" " Awesome update " , " Superb Update " वगैरह लिख दूं । भाई साहब ! ये तो मुझसे नहीं होगा ।

कमेन्टस करना और स्टोरी लिखना अलग अलग चीजें होती है । कमेन्टस करने में चार पांच मिनट ही लगते हैं लेकिन एक अपडेट लिखने में अनेकों पन्ने स्याही से काली करनी पड़ती है और कितनों बार पन्नों को लिखना फिर फाड़ना होता है । जब तक राइटर्स खुद सेटिस्फाई नहीं हो जाता है तब तक अपडेट पोस्ट नहीं करता ।

आपने कहा कि स्टोरी के किरदारों के नाम तक याद नहीं रहता । होता है.... ऐसा सभी के साथ होता है.... ज्यादा कहानियां पढ़ने से ऐसा होना लाजिमी है । मैं खुद कभी कभी भुल जाता हूं ।

और आपको लिखने के लिए कम से कम मैं आपको बाध्य नहीं करने वाला । ये आपके उपर निर्भर करता है । मुझे पता है कहानी लिखना इतना भी आसान नहीं है ।

वैसे मैंने कल कहा था कि शुक्रवार तक अपडेट दे दुंगा । लेकिन बाकी राइटर्स की तरह कंटिन्यू अपडेट देना फिलहाल के लिए मुश्किल है ।
SANJU ( V. R. ) Bhai main jyada kuch nahi kahunga. aap gussa na ho. keval ek hi baat kahunga shayad ese kahte hue bhi mai keval apna prerogative use kar raha hun, Prerogative reader hone ka, Atah ese anyatha na le. Bhai jis din aapne kahani suru ki aap creator ki shoes pahanli. ab aap ye kah kar nahi bach sakte ki main aam tor par reader hun. main janta hun is corona kal mai lockdown ke baad jivan kitana kathin ho gaya hai. atah gussa naa ho aur jab samay mile to do char line likh liya kare. aap ne bhukh lagadi hai aur ab aap kahte ho tum bhukhe ho to mai kya karu.? preshan naa ho aur isi taha likhate rahe.

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SANJU ( V. R. ) Bhai main jyada kuch nahi kahunga. aap gussa na ho. keval ek hi baat kahunga shayad ese kahte hue bhi mai keval apna prerogative use kar raha hun, Prerogative reader hone ka, Atah ese anyatha na le. Bhai jis din aapne kahani suru ki aap creator ki shoes pahanli. ab aap ye kah kar nahi bach sakte ki main aam tor par reader hun. main janta hun is corona kal mai lockdown ke baad jivan kitana kathin ho gaya hai. atah gussa naa ho aur jab samay mile to do char line likh liya kare. aap ne bhukh lagadi hai aur ab aap kahte ho tum bhukhe ho to mai kya karu.? preshan naa ho aur isi taha likhate rahe.

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Bhai sahab main aapki baato se bahut had tak sahmat hu. As reader jab ham koi story padhte hain to yahi khwaahish hoti hai ki story ka update ya to khatm hi na ho ya fir writer ek hi din me kayi sare update de de magar ye baat ham sab jante hain ki aisa mumkin nahi hai,,,,:dazed:

Sanju bhai ne kayi baar bataya hai ki unhone corona aur lockdown ke chalte ye story start ki thi warna unke paas is sabke liye time hi nahi tha. Story padhna alag baat hoti hai kyo ki usme kisi baat ka na to pressor rahta hai aur na hi kisi baat ki paabandi rahti hai. Yaani jab bhi free time mila to apni pasand ki story ko read kar liya. Jabki story shuru karne ke baad ek tarah se writer paaband hi ho jata hai. Ab agar wo apne fans ke bare me nahi sochega to problem khadi ho jayegi, is liye kahi na kahi use majbur ho kar update likhne ke liye time nikaalna hi padta hai. Har reader ye nahi sochta ki ek update taiyaar karne ke liye kam se kam teen ya chaar ghante ka wakt writer kaha se laayega. Aaj ki duniya me koi bhi insaan free nahi baitha hota hai. Personal life me bahut si cheeze aisi hoti hain jinme insaan uljha hota hai,,,,,:dazed:

Yaha par aisi kayi aisi stories mil jayegi jo saalo se ruki hhuyi hain aur writer ka kahi pata nahi hai. Ham soch lete hain ki writer jaan bujh kar story chhod ke bhaag gaya magar kya ye sach ho sakta hai.??? Mumkin hai ki iske peechhe koi aisi vajah bhi ho jiski ham kalpana bhi nahi kar sakte hain. Main khud bhi daily update nahi de pata aur main samajhta hu ki is baat se reader bhaiyo ko maza nahi aata hoga magar kya karu wakt aur halaat hi aise hote hain ki update likhne ke liye na time mil pata hai aur na hi waisa mood ban pata hai. Khair main bas yahi kahuga ki kisi baat se apne andar aisi baat na laaiye jisse kisi tarah ka man mutaav paida ho. Sabki problems ko samajhiye aur dhairya rakhiye. Story ke update aane me deri bhale hi ho sakti hai magar update zarur aayega. Meri in baato se agar kisi reader bhai ko bura lage to maafi chaahuga,,,,:dazed:
 

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Chaliye aapne bat ego ke bare me ki hai to bta deta hu ki maine aapke update par like bhi kiya hai aur comment bhi kiye hain. आपका कहना की मैंने कोई कमेंट नहीं करना यही बताता है कि आपको अपने रीडर और कमेंटर का पता ही नहीं है। आपको सिर्फ वही याद हैं जो प्रेजेंट में कमेंट कर रहे हैं। मैंने स्टार्टिंग से कमेंट किया है फिर भी कोई बात नहीं।। अब आगे से कमेंट नहीं करेंगे और पढ़ेंगे भी नहीं।।

Haan jab se update aane almost band huye hain tab se maine koi bhi comment nahi kiya hai qki ye bar bar waiting likhna apne ko samajh nahi aata.

और मैं ये व्यंग्य भरा कमेंट भी बिलकुल नहीं करता अगर मैं आपकी थ्रेड पर पहले कमेंट या लाइक नहीं किया होता और आप यहाँ पर available नहीं होते तो। आपका व्यवसायी होना और समय का न मिलना मैं समझता हूं परंतु बात ये है कि आपकी कमेंट डेली आपके अपडेट से चार गुना ज्यादा बड़ी होती है अपनी थ्रेड और दूसरी थ्रेड पर भी। इसलिए मैंने ये कॉमेंट करना पड़ा वरना यहाँ पर हजारों स्टोरी हैं जहाँ पर अपडेट आना तो दूर की बात है थ्रेड स्टार्टर भी सालो से गायब है।

स्टोरी के किरदार के नाम इसलिए नहीं याद क्योंकि आपके अपडेट नहीं आ रहे।

मैं अब भी कहूंगा कि आप अपडेट पढ़ने का टाइम निकल सकते हो तो अपडेट लिखने का टाइम भी निकल सकते हो बाकि आपकी अपनी मर्ज़ी है कोई जबरदसती नहीं है।

मेरा थ्रेड स्टार्ट करने के लिए कहने वाली आपके लिए नहीं थी वो आपके फॉलोवर जो अपना ज्ञान पेलना स्टार्ट कर देते ये कहकर की खुद लिख लो, उनके लिए थी

अलविदा
:liar: 4 cmnt hai bas :roll:
Jinme se 2 to abke hai :D
 
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