Nice buildup of the storyUpdate 3 B.
घर पहुंचते पहुंचते 6.30 बज गए थे । राह भर मुझे अमर के साथ बिताए गए पुराने पल याद आ रहे थे । वो एक हंसमुख और जिंदादिल इंसान था । उसकी किसी से कोई खास अदावत भी नहीं थी । उसके पिता किसी सरकारी विभाग में कार्यरत थे और उसी दौरान उनकी मौत भी हो गयी थी । अमर का अपने मां के अलावा कोई भी नहीं था । उनका गुज़ारा पेंशन के पैसों से ही होता था । पेंशन की राशि अच्छी खासी थी ।
आखिर अमर यहां क्या कर रहा था । वो यहां गाजियाबाद में और उस पर भी जीजा के यहां । उसने ऐसा क्या किया होगा कि किसी ने उसकी कत्ल ही कर दी ।
और पुलिस वहां कैसे पहुंच गयी । पुलिस को कैसे पता चला कि वहां किसी का कत्ल हुआ है ।
जीजा का भी हाव भाव कुछ अलग ही था । कहीं जीजा ने ही तो कत्ल नहीं किया । लेकिन क्यों ? सारे सामान बिखरे हुए क्यों थे । और सबसे बड़ी बात वो कटे बालों वाली लड़की कौन थी । वो लड़की जीजा के फ्लेट में आई कैसे । और अगर आई भी तो क्यों आईं । क्या चोरी के इरादे से आई थी और शायद उसे अमर ने चोरी करते हुए पकड़ा होगा और लड़की ने उसे शुट कर दिया हो ।
लेकिन लाख का सवाल ये था कि अमर यहां आया क्यों ।
घर पहुंचने के बाद माॅम डैड और रीतु को ड्राइंगरुम में बैठा पाया । उन्हें इंस्पेक्टर कोठारी के द्वारा फोन पर पुछताछ के दौरान ही सारी बातें पता चल चुकी थी ।
मैंने वहां हुए सारे वारदात को संक्षिप्त में बताया और श्वेता दी का सामान देने उनके घर गया । वहां चाचा चाची श्वेता दी और राहुल सभी थे । उनके पुछने पर फिर से वही बातें दुहराया ।
श्वेता दी ने मुझे अपने सहेली के शादी में चलने को कहा तो मैंने इनकार कर दिया । मेरा खराब मुड देखकर उन्होंने भी जोर नहीं दिया ।
वहां से मैं अमर के घर चला गया । अमर का घर हमारे यहां से आधे घंटे की दूरी पर था । जब उसके घर पहुंचा तब कुछ पड़ोसी औरतें अमर की मां के पास बैठी हुई थी । वहां का माहौल काफी गमगीन था । शायद पुलिस ने खबर कर दी थी ।
मैं अमर की मां के पास पहुंचा तो उनकी नजर मुझ पर पड़ी । वो लगभग 55 साल की दुबली पतली महिला थी । उनका पूरा चेहरा आंसुओं से भीगा हुआ था । मैंने उन्हें अपने गले से लगाया तो वो फफक कर रो पड़ी । मेरी आंखें भी छलक पड़ी । बहुत देर तक हम ऐसे ही रोते रहे ।
" ब.. बेटा अमर ।" उन्होंने रोते हुए कुछ कहने की कोशिश की तो मैंने बीच में ही उन्हें अपने बाजुओं से कसते हुए भर्राये हुए स्वर में बोला ।
" कुछ मत बोलो मां । अमर का इतना ही समय तक हमारा साथ था । भगवान ने उसे अपने मे समाहित कर लिया । मौत पर किसी का भी वश नहीं चलता । अब से मैं ही तेरा अमर हूं । मैं ही तेरा बेटा हूं । आज से तु मेरे साथ मेरे घर पर रहेगी । आखिरी सांसों तक मैं तेरी सेवा करूंगा ।"
वो फुट फुट कर रोये जा रही थी । मैं उसे दिलासा देते रहा । थोड़ी देर बाद मैंने कहा ।
" चल मां । चल मेरे साथ ।"
मेरे कन्धों से सिर उठाकर मुझे देखा और सिसकियां लेते हुए बोली ।
" बेटा मैं जीना नहीं चाहती । काश ! भगवान अमर की जगह मुझे बुला लेता । म.. मैं मरना चाहती हूं बेटा ।" कहकर जोर जोर से रोने लगी ।
" नहीं मां । ऐसा मत बोल । क्या मैं तुम्हारा बेटा नहीं । तुम तो जानती हो अमर मेरा दोस्त कम भाई ज्यादा था । आप ही तो कहती थी मैं तुम्हारा दुसरा बेटा हूं । और अभी तो अमर के क़ातिल को सजा दिलवाना है । चल उठ । मेरे साथ चल ।"
काफी देर तक रोती रही । फिर अपने आंसुओं को पोछते हुए कही ।
" नहीं बेटा । ये घर छोड़ कर मैं कहीं नहीं जाउंगी । इस घर से अमर और उसके पिता की यादें जुड़ी हुई है । अब यही मैं अपनी बाकी बची खुची जिन्दगी भी काट लुंगी । जा । तु घर जा । कल अमर की दाह संस्कार भी करनी है ।"
थोड़ी देर बाद उनको गले लगा कर मैं वहां से भारी मन बिदा हो गया । घर आया किसी ने भी खाना नहीं खाया था । उस दिन मेरे घर खाना ही नहीं बना । सभी थोड़ी थोड़ी जुस पी कर अपने अपने कमरों में चले गए ।
नींद आ नहीं रही थी । दिन भर की घटनाक्रम के बारे में सोचता रहा । करवट बदलते बदलते कब सोया, याद नहीं ।
*****
Update 4.
सुबह जब मैं ड्राइंगरुम में पहुंचा तब माॅम breakfast की तैयारी कर रही थी । डैड टीबी के पास बैठे खबर देख रहे थे । रीतु आज सुबह ही कालेज चली गई थी ।
मैंने डैड को गुड मार्निंग वीश किया । माॅम को हग किया और डैड के बगल सोफे पर बैठ गया । कुछ औपचारिक बातें के दरमियान नाश्ता किया फिर मैं अपने बाइक से पुलिस चौकी चला गया ।
इंस्पेक्टर कोठारी वहां नहीं था । वहां अपनी हाजिरी दे और उनके बुलाये हुए स्कैच मैन की सहायता से कटे बालों वाली लड़की का स्कैच बनवा कर अजय के घर चला गया । रास्ते में मोबाइल रिचार्ज कराया । फिर पैराडाइज क्लब के मैनेजर को फोन कर के बताया कि मैं अगले दिन join करुंगा ।
पोस्टमार्टम के बाद डेड बॉडी शाम को चार बजे मिली । अन्तिम संस्कार करते करते आठ बज गए । फिर वापस घर आ गया ।
आज का दिन भी काफी भाग दौड़ करके बीता था इसलिए डीनर के पश्चात मैं जल्दी सो गया ।
अगले दिन सुबह उठकर फ्रेश होकर थोड़ा work out किया और ड्राइंगरुम में जा कर बैठ गया । पुलिस थाने की हाजिरी की । आज इंस्पेक्टर कोठारी मौजूद था । मेरे पुछने पर उसने बताया कि उन्हें कत्ल की सुचना किसी गुमनाम शहरी ने थाने के लैंड लाइन फोन पर दी थी । नम्बर ट्रैश करने पर मालूम हुआ कि वो एक PCO का नम्बर है जो तुम्हारे जीजा के घर से थोड़ी दूर पर है । फोन किस व्यक्ति ने किया ये PCO. वाला नहीं बता पाया ।
थोड़ी देर बाद मैं वहां से अमर के मां के पास चला गया । थोड़ी देर रुक कर मैं वहां से निकल गया ।
शाम को पांच बजे कनाटप्लेस पैराडाइज क्लब पहुंचा और मैनेजर से मिला । मैनेजर का नाम कुलभूषण खन्ना था । वो एक पचपन साल का गंजे सिर वाला भीमकाय व्यक्ति था । उसके आंख काफी छोटे-छोटे थे । उसकी एक आदत थी कि वह जब बोलता था तो अपनी कनपटी को सहलाने लगता था ।
उससे कुछ देर तक formal बातों के उपरांत मैं कराटे वाले कक्ष में गया । वहां कुछ तीस बत्तीस लड़के लड़कियां थी । लड़कियों की संख्या ज्यादा थी । आज देश में जिस तरह की हालात हैं उस लिहाज से तो लड़कियों को self protection बहुत ही जरूरी बनती है ।
वहां जितने भी student दिखे सभी हाई फाई फेमिली से belong लगते दिखे । और हो भी क्यों नहीं । क्लब जो काफी महंगा था ।
वहां मैंने दो घंटे ट्रेनिंग दी । फिर मैनेजर को अभिवादन कर घर चला आया ।
हफ्ते दस दिन तक यही रूटिन रहा । धीरे धीरे अमर के मौत का गम भी कुछ हल्का हुआ । दोनों टाईम आन्टी ( अमर की मां ) के पास जाता और उनकी ज़रुरी के कामों में मदद करता ।
पुलिस ने भी मेरे और जीजा को clean chit दे दिया । उनके पास हमारे खिलाफ न कोई सबूत था और ना कोई गवाह । जिस रिवाल्वर से मौत हुई थी वो भी बरामद नहीं हो पाई थी । हमारे पास मर्डर करने का कोई सटीक कारण भी नहीं था । और वो कटे बालों वाली लड़की भी गायब थी ।
लेकिन मैं एक आस में था कि क़ातिल को मैं ढुंढ निकालूंगा और उसके किये की सजा अवश्य दूंगा ।
रात के खाने के बाद मैं अपने कमरे में गया । नाइट ड्रेस पहनी और बिस्तर पर लेट गया । ये दस बारह दिन मेरे लिए काफी भारी पड़े थे । मन को divert करने के लिए सोचा क्यों न आज अपनी favourite books पढ़ी जाय । मैं उठा और आलमारी से incest कहानियों का बैग ले बिस्तर पर लेट गया ।
तभी मुझे ध्यान आया कि इस मे से कुछ दिन पहले एक किताब गायब थी । मैंने सारी किताबें चेक की । गायब वाली किताब इन किताबों के बीच मोजूद थी । मतलब जिसने भी ये किताब ली थी उसने पढ़ कर वापस रख दी थी ।
लेकिन इस बार एक दुसरी किताब गायब थी ।