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Incest Sagar (Completed)

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" फिर क्या होना था ? एक मिनट के अंदर दोनों भाई बहन पुरे नंग धड़ंग हो गए और फिर चुमा चाटी , चुसा चुसी , 69 , फोर प्ले और लास्ट में घमासान चुदाई " - उर्वशी दी ने कहा ।

is-se tagda klpd nahi ho sakta .. aur sirf lund pe danda he nahi .. neeche sadak par lita ke aando mein bhi laath maar maar kar fod diya .. ab to bacche bhi na hone ke ...

accha khasa mausam bann raha tha .. aur aapne antim panktiyo mein sab readers ki aisi gaand maari .. ki aapke talent ke aage Dr. saab Chutiyadr bhi sharma jaaye ...

Raksha bandhan to aapne banaya hai .. waise ek behen ki aabru sare-aam nilaam hone se bacha li .. behen ki aabroo kaise bachayi jaati hai ye to Sanjay ji ne saarthak kar diya ... :hehe:

2-4 bhai-behen aise aur bhi hote to maje ki to inteeha ho jaati ...

waise ek baat maan-ni padegi .. ki aapke update din-b-din bade hote jaa rahe hai .. aapki lekhani bhi pehle se adhik alankrit nazar aa rahi hai .. baaki baato mein uttejana ka ras to aisa gholte ho ki peene ke baad agar charam praapt na ho aisa ho nahi sakta .. ati uttam.
 

Neha tyagi

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Thank you Neha ji.... Aap Urvashi aur Khanjar ke baare me baad me baat kijiyega... Pahle to aap ne jo nighty churaee hai , uss ke liye sochiye ? kyonki nighty wala update bhi jaldi hi aane wala hai.

Thanks Neha ji for reading and supporting.

Nighty ka kya sochna wo to maine hero ki mummi ko de di thi taki unka pyar aage badh sake?
 
Last edited:

amita

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Update 24. Continue.


कमरे के अंदर नजर पड़ते ही मैं बुरी तरह चौंक गया । मैं दरवाजे के ओट में खड़ा आंखें फाड़े दोनों सहेलियों को देख रहा था । उर्वशी दी एक ऐसी हाॅट नाइटी पहनी थी जो उनके मांशल जांघों तक ही आती थी । उपर आधा वक्ष नंगा था । ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उन्होंने कई ब्रा या पैंटी नहीं पहनी थी । उनका गोरा और अधनंगा बदन उस नाइटी में कहर ढा रहा था । वो इस वक्त ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी होकर अपने बालों पर कंघी कर रही थी ।

श्वेता दी शायद अभी अभी नहाकर आई थी । वो मात्र पेटीकोट पहने हुए थी जिसे उन्होंने अपने बड़े बड़े बूब्स पर आधे से बांध रखा था । पेटिकोट नीचे उनके घुटनों तक ही सीमित थी । और उन्होंने भी कोई ब्रा पैंटी नहीं पहन रखी थी । वो एक तौलिए से अपनी बाल सुखा रही थी । क्या कहूं... शब्द नहीं थे कुछ कहने के लिए ।

इन दोनों औरतें के इस सेक्सी अवतार को देखकर मेरी सांसें ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे हो गई । मेरी आंखें उनके इन वस्त्रों के अन्दर छुपी हुई जन्नत का दिदार करने के लिए चीर हरण करने लग गई । मेरा लिंग मेरे पैंट और जांघिया से फड़फड़ा कर बाहर आने के लिए उछल कूद मचाने लगा ।

शायद दोनों खाना बनाने के बाद नहाई थी और अब कपड़े पहनने के लिए तैयारी कर रही है ।
मुझे इनकी मंशा संदेहास्पद तो लग रही थी लेकिन कहीं न कहीं मैं आश्वस्त भी था । दिन में अचानक से पार्टी करना , वाइन मंगवाना , घुमा फिरा कर बहकी बहकी बातें करना । मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि ये दोनों सहेलियां आज मेरा शिकार करने वाली है । और ऐसा शिकार भला कौन नहीं होना चाहेगा ।

लेकिन उत्तेजना के साथ साथ कहीं ना कहीं मुझे डर भी लग रहा था । क्या मैं इन दो भड़कती शोलों की आग को अकेला बुझा पाऊंगा ? मर्दों का तो एक बार स्खलन हुआ तो फिर दुबारा तैयार होने में बहुत टाइम लगता है लेकिन औरतें एक बार स्खलन होने के बाद दुबारा तुरंत ही तैयार हो जाती है । वो एक बार के ही सेक्स के दौरान कई बार स्खलन का सुख भोग लेती हैं ।

मुझे याद आया जब मैंने पहली बार सेक्स किया था । वो एक पैंतीस साल की खुबसूरत औरत थी । सहवास के दौरान उसने मुझे कुछ बातें कही थी । उसने कहा था हम औरतें सिर्फ संभोग से ही रज स्खलन प्राप्त नहीं कर लेती बल्कि हमारे शरीर में ऐसे कई पार्ट्स है जिसे हमारा सेक्स पार्टनर चुम के , चाट के , रगड़ के , उत्तेजित कर के हमारे योनि से रज स्खलन करवा सकता है । इनमें से कोई एक से भी हम चरम सुख प्राप्त कर सकती हैं । हमारे होंठों को चुसे जाने से..., हमारे जीभ को चुसे जाने से..., हमारी चुचियों को दबाये मसले जाने से..., निप्पल को अपने होंठों में दबा कर चुसे जाने से..., हमारे कटि प्रदेश को प्यार करने से..., हमारे योनि के अगल बगल हिस्से को अपने होंठों से चुमे , चाटे जाने से... , हमारे चूतड़ों को पकड़ कर दबाये मसले जाने से हमारी योनि स्खलन प्राप्त कर लेती है । कभी कभी तो हम अपने कानों और गले को भी चुमने चाटने से अपनी पानी निकाल देती हैं । मतलब हम औरतों के स्खलन में शरीर के क‌‌ई पार्ट्स काम करते हैं । हम औरतें सिर्फ एक बार के सम्भोग में ही कई बार चरम सुख प्राप्त कर सकती हैं ।

मगर मर्दों के शरीर में सेंसेटिव पार्ट सिर्फ एक ही है । उनका लिंग । जब तक लिंग को मसला नहीं जाय , रगड़ा नहीं जाय , उस पर प्रेशर नहीं दिया जाय तब तक वो स्खलन सुख प्राप्त नहीं कर सकते । भले ही वो अपने हाथों से करें या बिस्तर और तकिए पर रगड़ कर करें । या सेक्स कर के करें । इसीलिए कहा गया है कि औरतों का सेक्स पावर मर्दों से कई गुना ज्यादा होती है ।

औरतों के लिए लिंग का आकार भी कोई खास मायने नहीं रखता । वो किसी भी आकार के लिंग से चरम सुख प्राप्त कर सकती है । औरतें प्यार की भुखी होती है । उनका पार्टनर यदि उनकी मनोदशा को समझे और सिर्फ अपना ही सेक्स सुख की कामना न रख कर अपने पार्टनर के सुख का ख्याल रखें तो वो अपने प्रेमी पर जानों जान से न्योछावर हो जाती है ।

मैं उसकी बातें सोच रहा था कि उर्वशी दी की नजर मुझ पर पड़ी ।

" अरे ! दरवाजे पर खड़े खड़े होकर क्या कर रहे हो ? अन्दर आओ "- उर्वशी दी ने अपने बालों पर कंघी करते हुए कहा ।

मैं कमरे में चला गया और जाकर पलंग पर बैठ गया ।

" कहां चले गए थे ?"- श्वेता दी ने पूछा । वो अभी भी अपने बालों को तौलिए से पोंछे जा रही थी ।

" कहीं नहीं गया था । तुम दोनों खाना बनाने में बिजी थी तो नीचे आन्टी के घर में चला गया । "

वो दोनों ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी थी । मैं दोनों को बारी बारी से देखे जा रहा था । उनकी बड़ी बड़ी छातियों से नजर हटती तो उनके जांघों पर चली जाती । वहां से हटती तो फिर उनकी गोलाईयों पर चली जाती।

" किसकी अच्छी है ?"- उर्वशी दी की आवाज सुनकर मेरा ध्यान टुटा ।

" क्या ?"- मैं उनकी बड़ी बड़ी गोलाईयों को देखते हुए कहा ।

" बाल । हम दोनों में किसकी बाल अच्छी है ?" - वो धूर्तता पूर्वक मुस्कराते हुए बोली ।

मेरी आंखें उनकी बालों पर पड़ी । कमर तक लम्बी ।‌ जो नहाने के कारण भींगी हुई थी ।

" बाल ! मैं तो कुछ और ही समझा था ।"

" फिलहाल तो बाल के बारे में ही बताओ ?"

" बालों के बारे में तो मुझसे पुछो मत ।"

" क्यों ?"

" इन बालों के चक्कर में एक बार मेरी बड़ी फजीहत हो चुकी है ।"

" क्या हुआ था ?"- श्वेता दी अपने बाल पोछते हुए बोली ।

" छोड़ो , क्या करोगी जानकर । बड़ी दर्द भरी कहानी है ।"

" अच्छा ! ऐसा क्या । तब तो जरूर सुनूंगी "- उर्वशी दी कंघी को ड्रेसिंग टेबल पर रख कर मेरे बगल में बैठते हुए बोली ।

उनके मेरे बगल में बैठने से उनकी जांघें मेरी जांघों से सट गई ।

" जब मैं बी एस सी फर्स्ट इयर का स्टूडेंट था तब ये दुर्घटना मेरे साथ घटी थी ।"

" क्या हुआ था ?"- श्वेता दी भी आकर मेरे दूसरे साईड बैठते हुए बोली ।

अब मैं दोनों ओर से दो खुबसूरत अधनंगी हसीनाओं के बीच था । दोनों की सेक्सी मोटी मोटी जांघें मेरे दोनों जांघों को स्पर्श कर रही थी । एक सेक्सी नाइटी पहनी हुई तो एक सिर्फ पेटीकोट पहने हुई । मैं हवा में उड़ने लगा ।

" अरे ! बोलो भी "- उर्वशी दी मेरे गाल को खिंचती हुईं बोली ।

मैं जमीन पर आते हुए बोला - " एक दिन दोपहर के वक्त मैं अपने दोस्तों के साथ कालेज कैम्पस में बातें कर रहा था । हमसे थोड़ी सी ही दुरी पर कुछ लड़कियां खड़ी थी । वो भी आपस में खुसुर फुसुर कर रही थी । उनमें एक लड़की काफी सुंदर थी । अच्छी कद काठी थी उसकी । मगर उसमें जो खास बात थी वो उसकी बाल थी । काली काली घुंघराले बाल जो उसकी आधी पीठ तक ही आती थी । जैसे माधुरी दीक्षित की साजन मूवी में थी । मेरे दोस्तों ने मुझे डेयर दिया कि मैं उस लड़की से बात करके दिखाऊं । मैं अपने आपको तीसमार खान समझता ही था सो मैं बेफिक्र होकर मस्ती से उन लड़कियों के पास चला गया । वे सभी अचानक से मुझे आया देखकर चौंकी । मैं उस घुंघराले बाल वाली लड़की के सामने गया और उसके बालों की बड़ाई कर दी ।"

" क्या बोला तुमने ?"- श्वेता दी बोली ।

" मैंने कहा मिस , आपकी बाल बहुत ही खूबसूरत है । लम्बे लम्बे
..काले काले... घुंघराले घुंघराले ।"

" फिर क्या बोली लड़की "- इस बार उर्वशी ने पूछा ।

" फिर... फिर उस लड़की ने एक जोरदार का तमाचा मेरे गाल पर जड़ दिया और भुनभुनाती हुई वहां से चली गई ।"

" क्या ! सिर्फ इतनी सी बात पर तुम्हें तमाचा मार दिया । तुमने तो कुछ भी खराब नहीं कहा बल्कि उसकी बड़ाई ही की "- श्वेता दी आश्चर्य करते हुए बोली ।

" वही तो । तब मुझे क्या पता था कि बाल की बड़ाई करने से तमाचे भी खाने पड़ते हैं । लेकिन कुछ दिनों बाद मुझे मालूम पड़ा कि उसने मुझे तमाचा क्यों मारा ।"

" क्यों मारा ?"- श्वेता दी बोली ।

" दरअसल वो लड़की बंगाली थी । और बंगला भाषा में बाल का मतलब झांट होता है ।"

" क्या ?"- दोनों एक साथ बोली ।

और जोर जोर से हंसने लगी ।

" और बाल को क्या बोलती है ?"- श्वेता दी ने हंसते हुए कहा ।

" चुल या केश । यदि पंकज उधास को मालूम होता तो वो ' बंगाल का जादू बालों में ' वाली गज़ल कभी भी नहीं गाता ।"

वो दोनों हंसे जा रही थी ।

मैं चिढ़ते हुए बोला -" अब तुम दोनों गला फाड़कर हंसना बंद करो । और ये बताओ कि खाने पीने का क्या इंतजाम है ।"

" भुख लगी है ?"- उर्वशी दी ने हंसते हुए कहा ।

" अरे ! पार्टी रखा है तो कुछ फिलहाल के लिए हल्का फुल्का ही खाने पीने का इंतजाम करो ?"

" क्या श्वेता " - उर्वशी दी ने श्वेता दी की तरफ देखते हुए कहा -" कैसी बहन है तु । भाई को भुख लगी है और तु कुछ कर नहीं रही है ।"

" क्यों नहीं करूंगी । मेरा भाई है तो मैं ही न अपने भाई के भुख प्यास का ख्याल करूंगी " - कहते हुए श्वेता दी ने मेरे सिर पर हाथ रखा ओर झुका कर अपने सीने पर मेरा मुंह कर दिया । मेरा मुंह उसकी नंगी चूचियों से जा चिपका ।

उन्होंने न जाने कब अपने पेटीकोट को अपने छाती से नीचे घिसका दिया था । मैं हतप्रभ तरन्नुम में उनकी निप्पल को मुंह में डाला और फिर सब कुछ भुल गया ।

वाह ! वाह ! क्या दिन था आज का । लोग-बाग सपने देखते हैं और मैं हकीकत जी रहा था । वैसे दोनों सहेलियां थोड़ी डोमिनेट जैसे लग रही थी पर मुझे उससे क्या । डोमिनेट हो या सवमिसिव मुझे तो मजा ही आना था ।

मैं श्वेता दी की चुचियों को प्यार से मुंह में लेकर चुसे जा रहा था कि उर्वशी दी की आवाज आई ।

" तेरे भाई को तो पता ही नहीं है श्वेता। इसे तो मेरे हसबैंड से सिखना चाहिए कि बहन की चुचियों को कैसे प्यार किया जाता है ।"

मैं सुनते ही श्वेता दी के चुचियों से अपना मुंह हटाया और हैरत से उर्वशी दी की तरफ देखा ।

" क्या कहा आपने ?"

" बहरे हो ?"

" आप के कहने का मतलब संजय जी और मधुमिता का आपस में सेक्सुअल रिलेशनशिप है ?"

" हां ।"

मैंने आश्चर्य से उनकी तरफ देखा फिर श्वेता दी की ओर देखा । श्वेता दी के चेहरे के हाव-भाव से लगता था कि उन्हें इस के बारे में सब पता है । मैंने फिर उर्वशी दी की तरफ देखा और कहा -" आप को कैसे पता ?"

" बताऊंगी सोना । पहले बाथरूम जाओ और नहा धो कर फ्रेश हो कर आओ । फिर पार्टी करते हैं । और फिर बातें भी करते रहेंगे "- उर्वशी दी ने मुस्कुराते हुए कहा ।

मैंने श्वेता दी की तरफ देखा । वो अपनी पेटीकोट को पहले की ही तरह बांध ली थी । उन्होंने भी मुस्करा कर अपनी सहमति जताई ।

मैं बिना कुछ कहे अटैच बाथरूम में घुस गया और तैयार हो कर बाहर आया । श्वेता दी ने जीजू का शार्ट दिया था । मेरे बदन पर शार्ट के अलावा कुछ नहीं था । जब मैं बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि वे दोनों पहले वाली ही ड्रेस में ही थी । उन्होंने कोई भी वस्त्र चेंज नहीं किया था । दोनों पलंग पर बैठी थी । पलंग से सटकर टेबल लगा हुआ था और उसके उपर बीयर का बोतल , मेरी स्काच की छोटी बोतल , तीन ग्लास , एक प्लेट में ड्राई फ्रूट्स , एक प्लेट में सलाद और एक बड़े से प्लेट में बोनलेस चिकन चीली रखा हुआ था । उन्होंने जाम की तैयारी कर रखी थी ।

मैं पलंग के पास पहुंचा तो उर्वशी दी ने मेरे हाथ को पकड़ कर अपने और श्वेता दी के बीच बैठा दिया । हम तीनों सटकर बैठे थे । मैं उन दोनों के शरीर से आती हुई गर्मी से पिघले हुए भाप बनें जा रहा था । मेरा लिंग जो नहाने के बाद थोड़ा शांत था फिर से अपनी औकात में आने लगा ।

उर्वशी दी ने दो ग्लास में बीयर ढाला और एक ग्लास में मेरा वाइन ।
फिर चीयर्स बोलकर अपना अपना ग्लास हमने अपने होंठों से लगाया ।

मैंने एक घुंट मारा और चटखारे लेते हुए कहा - " अब बताओ तुम्हारे हसबैंड और तुम्हारे ननद की प्रेम कहानी ।"

" बताती हूं , थोड़ी सी और बीयर पेट में जाय फिर बताती हूं "- उर्वशी दी ने बीयर पीते हुए कहा ।

इस बीच मैं उठकर अपना फेवरेट सिगरेट क्लासिक अपने पैंट में से निकाला और वापस उसी जगह पर बैठ गया ।

जब एक एक ग्लास उन्होंने खतम किया तब उर्वशी ने हल्के तरंग में बोलना शुरू किया -" आगरा के होटल में उस रात एक कमरे में जब तुम दोनों भाई बहन अपनी रास लीला रचा रहे थे उसी समय एक दूसरे रूम में एक दूसरे भाई बहन की कामूक गाथा लिखी जा रही थी ।"

मैं सिगरेट सुलगाया और कश लगाते हुए कहा -" शुरू से बताना ?"

उन्होंने बोलना शुरू किया ।

" संजय को तुम जानते ही हो । दिखने में स्मार्ट , हैंडसम , टाॅल , खुबसूरत और वही उनकी बहन मधुमिता जो बिल्कुल हूबहू आयशा टाकिया की जिरक्स काॅपी । मैं जब शादी करके उस घर में गई तब से ही मुझे इन दोनों भाई बहन में कुछ ज्यादा ही प्रेम भाव दिख रहा था । मगर मैंने कभी भी उन दोनों को कोई ग़लत हरकत करते हुए नहीं देखा था । आगरा में रिसेप्शन पार्टी वाली रात के बारे में तुम्हें पता ही है कि हम सभी ने वाइन पी थी । नशा सभी को थोड़ा बहुत था । रात में खाने पीने के बाद तुम भाई बहन अपने कमरे में चले गए । और मैं अपने कमरे में । संजय को उस रात अपने दोस्तों के साथ ताश खेलने का प्रोग्राम था तो वो अपने दोस्तों के पास चले गए । मैं अपने कमरे में अकेले बोर हो रही थी तो मैंने मधुमिता को फोन किया और कहा कि वो मेरे रूम में चली आए । मधुमिता अपनी सहेलियों के साथ एक रूम में थी । वो मेरी बात सुनते ही मेरे रूम में चली आई । शायद उस वक्त रात के बारह बज रहे होंगे । मैं उसे देखते ही समझ गई कि उस ने भी वाइन पी रखी है । मेरे पुछने पर उसने बताया कि वो अपनी सहेलियों के साथ रूम के अंदर बैठ कर वाइन पी थी । मैंने इस पर ज्यादा तवज्जो नहीं दी । मैंने दरवाजा बंद की और हम दोनो ने नाइट ड्रेस पहनी और बिस्तर पर लेट गई । लाईट हमने पहले ही बंद कर दी थी ।

नशा और थोड़ी थकावट के कारण मैं जल्दी ही सो गई । रात के किसी वक्त रूम में बेल बजने की आवाज से मेरी नींद टुट गई । आलस के चलते उठने का मन नहीं करता था । तभी मैंने देखा मधुमिता बिस्तर से उठी और बोली -" कौन है ?"

" मैं हूं ।" संजय की आवाज आई ।

मधुमिता बिस्तर से उठी और दरवाजा खोल दी । संजय कमरे में प्रवेश किए और दरवाजे को बंद कर दिया ।

मधुमिता की आवाज आई -" दरवाजा क्यों बंद कर दिया आपने । मैं अपने कमरे में जाती हूं न ।"

" रात के दो बज रहे हैं , कहां जाओगी ? सभी गहरी नींद में सोए होंगे । यही पे सो जाओ ।" संजय ने कहा ।

फिर किसी की आवाज नहीं आई । कमरे में अंधेरा था लेकिन एक नाइट बल्ब जल रहा था जिससे हल्की हल्की रोशनी थी । मैंने सोने के लिए अपनी आंखें बंद कर दी । मैं बिस्तर के किनारे पर सोई थी । मेरे बगल में मधुमिता लेटी थी । संजय भी कपड़े उतार कर सिर्फ एक शार्ट पहन कर बिस्तर के दुसरे किनारे लेट गए । पलंग बड़ा था इसलिए सोने में किसी प्रकार की असुविधा नहीं थी । मधुमिता हम दोनों के बीच सोई थी ।

संजय के बेल बजाने , कमरे में आने और उनके बिस्तर पर लेटने तक मैं उठी नहीं तो उन्हें लगा कि मैं गहरी नींद में सोई हुई हूं । और उन्हें ये भी पता था कि मैंने वाइन भी पी थी । संजय जानते थे कि मुझे आधे बोतल बीयर में ही नशा हो जाता है । और बीयर पीने के बाद एक बार सोई तो फिर कोई कितना भी चिल्लाए , नींद नहीं टुटती है । लेकिन उस रात न जाने क्यों एक बार जो नींद टुटी फिर दुबारा आ नहीं रही थी । शायद नई जगह और पार्टी में हुई घटनाओं के चलते । मैंने आंख बंद कर ली और नींद आने का इंतजार करने लगी ।

आंख बंद किए काफी देर हो चुकी थी तभी मुझे कुछ अजीब सा महसूस हुआ । शायद पलंग पर उन दोनों के हिलने डुलने से लगा था । मैंने आंखें खोली और लेटे हुए ही उन्हें देखा । दोनों जो पहले करवट के बल लेटे हुए थे , अब पीठ के बल हो गए थे । मैंने फिर से अपनी आंखें बंद कर ली ।

थोड़ी देर बाद संजय के धीरे से एक बार खांसने की आवाज आई । उसके चार पांच मिनट बाद मधुमिता की एक बार खांसने की आवाज आई । शायद वो अभी भी जगे हुए थे । मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और सोने का प्रयास करने लगी ।

तभी मुझे फिर से संजय के एक ही बार वाली खांसने की आवाज आई । मुझे गुस्सा आने लगा । इनके खांसने से मुझे नींद नहीं आ रही थी । मैंने कुछ कहा नहीं और सोने की कोशिश करने लगी । थोड़ी देर बाद मधुमिता की खांसने की आवाज आई । मेरा मन वितृष्णा से भर गया । इन दोनों भाई बहन ने तो खांसने का अन्ताक्षरी शुरू कर दिया है । खैर , मैं क्या कर सकती थी । मैं फिर से सोने की कोशिश करने लगी ।

थोड़ी देर बाद संजय की फिर से खांसने की आवाज आई और उसके तुरंत बाद मधुमिता भी खांसी । अचानक से मेरे दिमाग की बत्ती जली । ये तो कोई और चक्कर लग रहा है । मेरी सांसें तेज हो गई और मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई । मैं सांस रोके पीठ के बल लेटे उनके इस गेम का इंतजार करने लगी । मैं भले ही पीठ के बल लेटी हुई थी मगर मेरा चेहरा उनके तरफ ही था । मैं कनखियों से उन्हें देख रही थी और उनके अगले कदम का इंतजार करने लगी ।

थोड़ी देर बाद मैंने संजय को हाथों की कूहनी के बल अपने शरीर को उठाते देखा । उन्होंने मधुमिता के चेहरे पर निगाह डाला और फिर मेरे चेहरे पर । मैं कनखियों से उनकी हरकतें देख रही थी । तभी वो घसक कर आगे आये और मधुमिता के शरीर से चिपक गए । फिर अपने कूहनियों के बल उठ कर अपना एक हाथ मधुमिता की चुची को नाइटी के ऊपर से धीरे से पकड़ते हुए मेरी तरफ झुके और मेरे चेहरे के पास अपना मुंह लाकर धीरे से बोले " उर्वशी सो गई हो क्या ?"

मैंने अपनी आंखें मजबुती से बंद कर ली और अपनी सांसें रोक ली । थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना चेहरा मेरे चेहरे पर से हटाया और वापस अपने जगह पर लेट गए ।

जिस तरह से उन्होंने मधुमिता की चुची को पकड़ा था वो देखकर मैं न जाने क्यों बहुत उत्तेजित हो गई । एक बड़े भाई का अपनी छोटी बहन की चुची पकड़ना मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था । और सबसे बड़ी बात ये थी कि मधुमिता ने कोई ओब्जेक्सन नहीं किया था । वो जगी हुई है ये तो मैं श्योर जानती थी ।

दसेक मिनट के बाद फिर से संजय की धीमे से आवाज आई -" उर्वशी , उर्वशी ।" मैं चुपचाप सोने का नाटक करती रही ।

थोड़ी देर बाद उन्होंने वैसे ही धीरे से फुसफुसा कर बोला -" मधु , मधु ।"

वो अब अपनी बहन को पुकार रहे थे लेकिन उसने भी कोई जबाव नहीं दिया ।

दो मिनट बाद उन्होंने मधुमिता को फिर से धीरे से पुकारा । इस बार मधुमिता ने धीरे से कहा - हम्म् ।"

संजय मधुमिता की तरफ करवट होते हुए धीरे से बोले -" उर्वशी सो गई है क्या ?"

" पता नहीं "- मधुमिता ने धीरे से कहा ।

" देख ना ! सो गई है क्या ?"

" आप खुद ही देख लो । मुझे निंद आ रही है "- कहकर वो पीठ के बल लेट गई।

मैं कनखियों से सब कुछ देख रही थी । वो फिर से अपने हाथों की कूहनियों के सहारे उठे और अपने दोनों हथेलियों से मधुमिता की दोनों चूचियों को नाइटी के ऊपर से दबोचते हुए मेरी तरफ झुके । फिर मुझे नाम से धीरे से पुकारा । मैं चुपचाप गहरी नींद में सोने का नाटक करती रही । दो चार सेकेंड बाद वो अपना चेहरा मुझ पर से हटा कर मधुमिता के उपर किया ।

फिर वो मधुमिता के शरीर पर झुकते हुए उसकी दोनों चूचियों को दबाते हुए उसके कानों में धीरे से कहा -" उर्वशी गहरी नींद में सोई हुई है , वो सुबह से पहले नहीं उठने वाली ।"

" हम्म्..." मधुमिता की बहुत ही धीरे से आवाज आई ।

मैं ये देखकर बहुत ही उत्तेजित हो गई । मधुमिता ने अपनी चुचियों को पकड़े जाने पर कुछ भी नहीं कहा । मेरी चूत में पानी भर गया । मैंने उनकी नजरें बचाकर अपने हाथ को अपने जांघों के बीच ले गई और अपनी चूत में ऊंगली डाल दी । इनसेस्ट कहानी पढ़ी थी मैंने लेकिन कभी प्रत्यक्ष होते हुए नहीं देखी थी । "

" फिर क्या हुआ ?" - मैंने वाइन का लास्ट घूंट मारते हुए कहा ।

" फिर क्या होना था ? एक मिनट के अंदर दोनों भाई बहन पुरे नंग धड़ंग हो गए और फिर चुमा चाटी , चुसा चुसी , 69 , फोर प्ले और लास्ट में घमासान चुदाई " - उर्वशी दी ने कहा ।

उर्वशी दी की इन बातों और वाइन पीने पिलाने के दौरान हम तीनों भी इस दौरान वस्त्र हिन हो गए थे । और संजय और मधुमिता की सेक्स कहानी सुनकर काफी उत्तेजित हो गए थे ।

फिर हमारा थ्रीसम सेक्स शुरू हुआ जो मेरी जिंदगी का पहला और सबसे बढ़िया एक्सपिरियंस रहा ।
Bahut hi shaandar aur jabardast.
 
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Incestlala

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कमरे के अंदर नजर पड़ते ही मैं बुरी तरह चौंक गया । मैं दरवाजे के ओट में खड़ा आंखें फाड़े दोनों सहेलियों को देख रहा था । उर्वशी दी एक ऐसी हाॅट नाइटी पहनी थी जो उनके मांशल जांघों तक ही आती थी । उपर आधा वक्ष नंगा था । ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उन्होंने कई ब्रा या पैंटी नहीं पहनी थी । उनका गोरा और अधनंगा बदन उस नाइटी में कहर ढा रहा था । वो इस वक्त ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी होकर अपने बालों पर कंघी कर रही थी ।

श्वेता दी शायद अभी अभी नहाकर आई थी । वो मात्र पेटीकोट पहने हुए थी जिसे उन्होंने अपने बड़े बड़े बूब्स पर आधे से बांध रखा था । पेटिकोट नीचे उनके घुटनों तक ही सीमित थी । और उन्होंने भी कोई ब्रा पैंटी नहीं पहन रखी थी । वो एक तौलिए से अपनी बाल सुखा रही थी । क्या कहूं... शब्द नहीं थे कुछ कहने के लिए ।

इन दोनों औरतें के इस सेक्सी अवतार को देखकर मेरी सांसें ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे हो गई । मेरी आंखें उनके इन वस्त्रों के अन्दर छुपी हुई जन्नत का दिदार करने के लिए चीर हरण करने लग गई । मेरा लिंग मेरे पैंट और जांघिया से फड़फड़ा कर बाहर आने के लिए उछल कूद मचाने लगा ।

शायद दोनों खाना बनाने के बाद नहाई थी और अब कपड़े पहनने के लिए तैयारी कर रही है ।
मुझे इनकी मंशा संदेहास्पद तो लग रही थी लेकिन कहीं न कहीं मैं आश्वस्त भी था । दिन में अचानक से पार्टी करना , वाइन मंगवाना , घुमा फिरा कर बहकी बहकी बातें करना । मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि ये दोनों सहेलियां आज मेरा शिकार करने वाली है । और ऐसा शिकार भला कौन नहीं होना चाहेगा ।

लेकिन उत्तेजना के साथ साथ कहीं ना कहीं मुझे डर भी लग रहा था । क्या मैं इन दो भड़कती शोलों की आग को अकेला बुझा पाऊंगा ? मर्दों का तो एक बार स्खलन हुआ तो फिर दुबारा तैयार होने में बहुत टाइम लगता है लेकिन औरतें एक बार स्खलन होने के बाद दुबारा तुरंत ही तैयार हो जाती है । वो एक बार के ही सेक्स के दौरान कई बार स्खलन का सुख भोग लेती हैं ।

मुझे याद आया जब मैंने पहली बार सेक्स किया था । वो एक पैंतीस साल की खुबसूरत औरत थी । सहवास के दौरान उसने मुझे कुछ बातें कही थी । उसने कहा था हम औरतें सिर्फ संभोग से ही रज स्खलन प्राप्त नहीं कर लेती बल्कि हमारे शरीर में ऐसे कई पार्ट्स है जिसे हमारा सेक्स पार्टनर चुम के , चाट के , रगड़ के , उत्तेजित कर के हमारे योनि से रज स्खलन करवा सकता है । इनमें से कोई एक से भी हम चरम सुख प्राप्त कर सकती हैं । हमारे होंठों को चुसे जाने से..., हमारे जीभ को चुसे जाने से..., हमारी चुचियों को दबाये मसले जाने से..., निप्पल को अपने होंठों में दबा कर चुसे जाने से..., हमारे कटि प्रदेश को प्यार करने से..., हमारे योनि के अगल बगल हिस्से को अपने होंठों से चुमे , चाटे जाने से... , हमारे चूतड़ों को पकड़ कर दबाये मसले जाने से हमारी योनि स्खलन प्राप्त कर लेती है । कभी कभी तो हम अपने कानों और गले को भी चुमने चाटने से अपनी पानी निकाल देती हैं । मतलब हम औरतों के स्खलन में शरीर के क‌‌ई पार्ट्स काम करते हैं । हम औरतें सिर्फ एक बार के सम्भोग में ही कई बार चरम सुख प्राप्त कर सकती हैं ।

मगर मर्दों के शरीर में सेंसेटिव पार्ट सिर्फ एक ही है । उनका लिंग । जब तक लिंग को मसला नहीं जाय , रगड़ा नहीं जाय , उस पर प्रेशर नहीं दिया जाय तब तक वो स्खलन सुख प्राप्त नहीं कर सकते । भले ही वो अपने हाथों से करें या बिस्तर और तकिए पर रगड़ कर करें । या सेक्स कर के करें । इसीलिए कहा गया है कि औरतों का सेक्स पावर मर्दों से कई गुना ज्यादा होती है ।

औरतों के लिए लिंग का आकार भी कोई खास मायने नहीं रखता । वो किसी भी आकार के लिंग से चरम सुख प्राप्त कर सकती है । औरतें प्यार की भुखी होती है । उनका पार्टनर यदि उनकी मनोदशा को समझे और सिर्फ अपना ही सेक्स सुख की कामना न रख कर अपने पार्टनर के सुख का ख्याल रखें तो वो अपने प्रेमी पर जानों जान से न्योछावर हो जाती है ।

मैं उसकी बातें सोच रहा था कि उर्वशी दी की नजर मुझ पर पड़ी ।

" अरे ! दरवाजे पर खड़े खड़े होकर क्या कर रहे हो ? अन्दर आओ "- उर्वशी दी ने अपने बालों पर कंघी करते हुए कहा ।

मैं कमरे में चला गया और जाकर पलंग पर बैठ गया ।

" कहां चले गए थे ?"- श्वेता दी ने पूछा । वो अभी भी अपने बालों को तौलिए से पोंछे जा रही थी ।

" कहीं नहीं गया था । तुम दोनों खाना बनाने में बिजी थी तो नीचे आन्टी के घर में चला गया । "

वो दोनों ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी थी । मैं दोनों को बारी बारी से देखे जा रहा था । उनकी बड़ी बड़ी छातियों से नजर हटती तो उनके जांघों पर चली जाती । वहां से हटती तो फिर उनकी गोलाईयों पर चली जाती।

" किसकी अच्छी है ?"- उर्वशी दी की आवाज सुनकर मेरा ध्यान टुटा ।

" क्या ?"- मैं उनकी बड़ी बड़ी गोलाईयों को देखते हुए कहा ।

" बाल । हम दोनों में किसकी बाल अच्छी है ?" - वो धूर्तता पूर्वक मुस्कराते हुए बोली ।

मेरी आंखें उनकी बालों पर पड़ी । कमर तक लम्बी ।‌ जो नहाने के कारण भींगी हुई थी ।

" बाल ! मैं तो कुछ और ही समझा था ।"

" फिलहाल तो बाल के बारे में ही बताओ ?"

" बालों के बारे में तो मुझसे पुछो मत ।"

" क्यों ?"

" इन बालों के चक्कर में एक बार मेरी बड़ी फजीहत हो चुकी है ।"

" क्या हुआ था ?"- श्वेता दी अपने बाल पोछते हुए बोली ।

" छोड़ो , क्या करोगी जानकर । बड़ी दर्द भरी कहानी है ।"

" अच्छा ! ऐसा क्या । तब तो जरूर सुनूंगी "- उर्वशी दी कंघी को ड्रेसिंग टेबल पर रख कर मेरे बगल में बैठते हुए बोली ।

उनके मेरे बगल में बैठने से उनकी जांघें मेरी जांघों से सट गई ।

" जब मैं बी एस सी फर्स्ट इयर का स्टूडेंट था तब ये दुर्घटना मेरे साथ घटी थी ।"

" क्या हुआ था ?"- श्वेता दी भी आकर मेरे दूसरे साईड बैठते हुए बोली ।

अब मैं दोनों ओर से दो खुबसूरत अधनंगी हसीनाओं के बीच था । दोनों की सेक्सी मोटी मोटी जांघें मेरे दोनों जांघों को स्पर्श कर रही थी । एक सेक्सी नाइटी पहनी हुई तो एक सिर्फ पेटीकोट पहने हुई । मैं हवा में उड़ने लगा ।

" अरे ! बोलो भी "- उर्वशी दी मेरे गाल को खिंचती हुईं बोली ।

मैं जमीन पर आते हुए बोला - " एक दिन दोपहर के वक्त मैं अपने दोस्तों के साथ कालेज कैम्पस में बातें कर रहा था । हमसे थोड़ी सी ही दुरी पर कुछ लड़कियां खड़ी थी । वो भी आपस में खुसुर फुसुर कर रही थी । उनमें एक लड़की काफी सुंदर थी । अच्छी कद काठी थी उसकी । मगर उसमें जो खास बात थी वो उसकी बाल थी । काली काली घुंघराले बाल जो उसकी आधी पीठ तक ही आती थी । जैसे माधुरी दीक्षित की साजन मूवी में थी । मेरे दोस्तों ने मुझे डेयर दिया कि मैं उस लड़की से बात करके दिखाऊं । मैं अपने आपको तीसमार खान समझता ही था सो मैं बेफिक्र होकर मस्ती से उन लड़कियों के पास चला गया । वे सभी अचानक से मुझे आया देखकर चौंकी । मैं उस घुंघराले बाल वाली लड़की के सामने गया और उसके बालों की बड़ाई कर दी ।"

" क्या बोला तुमने ?"- श्वेता दी बोली ।

" मैंने कहा मिस , आपकी बाल बहुत ही खूबसूरत है । लम्बे लम्बे
..काले काले... घुंघराले घुंघराले ।"

" फिर क्या बोली लड़की "- इस बार उर्वशी ने पूछा ।

" फिर... फिर उस लड़की ने एक जोरदार का तमाचा मेरे गाल पर जड़ दिया और भुनभुनाती हुई वहां से चली गई ।"

" क्या ! सिर्फ इतनी सी बात पर तुम्हें तमाचा मार दिया । तुमने तो कुछ भी खराब नहीं कहा बल्कि उसकी बड़ाई ही की "- श्वेता दी आश्चर्य करते हुए बोली ।

" वही तो । तब मुझे क्या पता था कि बाल की बड़ाई करने से तमाचे भी खाने पड़ते हैं । लेकिन कुछ दिनों बाद मुझे मालूम पड़ा कि उसने मुझे तमाचा क्यों मारा ।"

" क्यों मारा ?"- श्वेता दी बोली ।

" दरअसल वो लड़की बंगाली थी । और बंगला भाषा में बाल का मतलब झांट होता है ।"

" क्या ?"- दोनों एक साथ बोली ।

और जोर जोर से हंसने लगी ।

" और बाल को क्या बोलती है ?"- श्वेता दी ने हंसते हुए कहा ।

" चुल या केश । यदि पंकज उधास को मालूम होता तो वो ' बंगाल का जादू बालों में ' वाली गज़ल कभी भी नहीं गाता ।"

वो दोनों हंसे जा रही थी ।

मैं चिढ़ते हुए बोला -" अब तुम दोनों गला फाड़कर हंसना बंद करो । और ये बताओ कि खाने पीने का क्या इंतजाम है ।"

" भुख लगी है ?"- उर्वशी दी ने हंसते हुए कहा ।

" अरे ! पार्टी रखा है तो कुछ फिलहाल के लिए हल्का फुल्का ही खाने पीने का इंतजाम करो ?"

" क्या श्वेता " - उर्वशी दी ने श्वेता दी की तरफ देखते हुए कहा -" कैसी बहन है तु । भाई को भुख लगी है और तु कुछ कर नहीं रही है ।"

" क्यों नहीं करूंगी । मेरा भाई है तो मैं ही न अपने भाई के भुख प्यास का ख्याल करूंगी " - कहते हुए श्वेता दी ने मेरे सिर पर हाथ रखा ओर झुका कर अपने सीने पर मेरा मुंह कर दिया । मेरा मुंह उसकी नंगी चूचियों से जा चिपका ।

उन्होंने न जाने कब अपने पेटीकोट को अपने छाती से नीचे घिसका दिया था । मैं हतप्रभ तरन्नुम में उनकी निप्पल को मुंह में डाला और फिर सब कुछ भुल गया ।

वाह ! वाह ! क्या दिन था आज का । लोग-बाग सपने देखते हैं और मैं हकीकत जी रहा था । वैसे दोनों सहेलियां थोड़ी डोमिनेट जैसे लग रही थी पर मुझे उससे क्या । डोमिनेट हो या सवमिसिव मुझे तो मजा ही आना था ।

मैं श्वेता दी की चुचियों को प्यार से मुंह में लेकर चुसे जा रहा था कि उर्वशी दी की आवाज आई ।

" तेरे भाई को तो पता ही नहीं है श्वेता। इसे तो मेरे हसबैंड से सिखना चाहिए कि बहन की चुचियों को कैसे प्यार किया जाता है ।"

मैं सुनते ही श्वेता दी के चुचियों से अपना मुंह हटाया और हैरत से उर्वशी दी की तरफ देखा ।

" क्या कहा आपने ?"

" बहरे हो ?"

" आप के कहने का मतलब संजय जी और मधुमिता का आपस में सेक्सुअल रिलेशनशिप है ?"

" हां ।"

मैंने आश्चर्य से उनकी तरफ देखा फिर श्वेता दी की ओर देखा । श्वेता दी के चेहरे के हाव-भाव से लगता था कि उन्हें इस के बारे में सब पता है । मैंने फिर उर्वशी दी की तरफ देखा और कहा -" आप को कैसे पता ?"

" बताऊंगी सोना । पहले बाथरूम जाओ और नहा धो कर फ्रेश हो कर आओ । फिर पार्टी करते हैं । और फिर बातें भी करते रहेंगे "- उर्वशी दी ने मुस्कुराते हुए कहा ।

मैंने श्वेता दी की तरफ देखा । वो अपनी पेटीकोट को पहले की ही तरह बांध ली थी । उन्होंने भी मुस्करा कर अपनी सहमति जताई ।

मैं बिना कुछ कहे अटैच बाथरूम में घुस गया और तैयार हो कर बाहर आया । श्वेता दी ने जीजू का शार्ट दिया था । मेरे बदन पर शार्ट के अलावा कुछ नहीं था । जब मैं बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि वे दोनों पहले वाली ही ड्रेस में ही थी । उन्होंने कोई भी वस्त्र चेंज नहीं किया था । दोनों पलंग पर बैठी थी । पलंग से सटकर टेबल लगा हुआ था और उसके उपर बीयर का बोतल , मेरी स्काच की छोटी बोतल , तीन ग्लास , एक प्लेट में ड्राई फ्रूट्स , एक प्लेट में सलाद और एक बड़े से प्लेट में बोनलेस चिकन चीली रखा हुआ था । उन्होंने जाम की तैयारी कर रखी थी ।

मैं पलंग के पास पहुंचा तो उर्वशी दी ने मेरे हाथ को पकड़ कर अपने और श्वेता दी के बीच बैठा दिया । हम तीनों सटकर बैठे थे । मैं उन दोनों के शरीर से आती हुई गर्मी से पिघले हुए भाप बनें जा रहा था । मेरा लिंग जो नहाने के बाद थोड़ा शांत था फिर से अपनी औकात में आने लगा ।

उर्वशी दी ने दो ग्लास में बीयर ढाला और एक ग्लास में मेरा वाइन ।
फिर चीयर्स बोलकर अपना अपना ग्लास हमने अपने होंठों से लगाया ।

मैंने एक घुंट मारा और चटखारे लेते हुए कहा - " अब बताओ तुम्हारे हसबैंड और तुम्हारे ननद की प्रेम कहानी ।"

" बताती हूं , थोड़ी सी और बीयर पेट में जाय फिर बताती हूं "- उर्वशी दी ने बीयर पीते हुए कहा ।

इस बीच मैं उठकर अपना फेवरेट सिगरेट क्लासिक अपने पैंट में से निकाला और वापस उसी जगह पर बैठ गया ।

जब एक एक ग्लास उन्होंने खतम किया तब उर्वशी ने हल्के तरंग में बोलना शुरू किया -" आगरा के होटल में उस रात एक कमरे में जब तुम दोनों भाई बहन अपनी रास लीला रचा रहे थे उसी समय एक दूसरे रूम में एक दूसरे भाई बहन की कामूक गाथा लिखी जा रही थी ।"

मैं सिगरेट सुलगाया और कश लगाते हुए कहा -" शुरू से बताना ?"

उन्होंने बोलना शुरू किया ।

" संजय को तुम जानते ही हो । दिखने में स्मार्ट , हैंडसम , टाॅल , खुबसूरत और वही उनकी बहन मधुमिता जो बिल्कुल हूबहू आयशा टाकिया की जिरक्स काॅपी । मैं जब शादी करके उस घर में गई तब से ही मुझे इन दोनों भाई बहन में कुछ ज्यादा ही प्रेम भाव दिख रहा था । मगर मैंने कभी भी उन दोनों को कोई ग़लत हरकत करते हुए नहीं देखा था । आगरा में रिसेप्शन पार्टी वाली रात के बारे में तुम्हें पता ही है कि हम सभी ने वाइन पी थी । नशा सभी को थोड़ा बहुत था । रात में खाने पीने के बाद तुम भाई बहन अपने कमरे में चले गए । और मैं अपने कमरे में । संजय को उस रात अपने दोस्तों के साथ ताश खेलने का प्रोग्राम था तो वो अपने दोस्तों के पास चले गए । मैं अपने कमरे में अकेले बोर हो रही थी तो मैंने मधुमिता को फोन किया और कहा कि वो मेरे रूम में चली आए । मधुमिता अपनी सहेलियों के साथ एक रूम में थी । वो मेरी बात सुनते ही मेरे रूम में चली आई । शायद उस वक्त रात के बारह बज रहे होंगे । मैं उसे देखते ही समझ गई कि उस ने भी वाइन पी रखी है । मेरे पुछने पर उसने बताया कि वो अपनी सहेलियों के साथ रूम के अंदर बैठ कर वाइन पी थी । मैंने इस पर ज्यादा तवज्जो नहीं दी । मैंने दरवाजा बंद की और हम दोनो ने नाइट ड्रेस पहनी और बिस्तर पर लेट गई । लाईट हमने पहले ही बंद कर दी थी ।

नशा और थोड़ी थकावट के कारण मैं जल्दी ही सो गई । रात के किसी वक्त रूम में बेल बजने की आवाज से मेरी नींद टुट गई । आलस के चलते उठने का मन नहीं करता था । तभी मैंने देखा मधुमिता बिस्तर से उठी और बोली -" कौन है ?"

" मैं हूं ।" संजय की आवाज आई ।

मधुमिता बिस्तर से उठी और दरवाजा खोल दी । संजय कमरे में प्रवेश किए और दरवाजे को बंद कर दिया ।

मधुमिता की आवाज आई -" दरवाजा क्यों बंद कर दिया आपने । मैं अपने कमरे में जाती हूं न ।"

" रात के दो बज रहे हैं , कहां जाओगी ? सभी गहरी नींद में सोए होंगे । यही पे सो जाओ ।" संजय ने कहा ।

फिर किसी की आवाज नहीं आई । कमरे में अंधेरा था लेकिन एक नाइट बल्ब जल रहा था जिससे हल्की हल्की रोशनी थी । मैंने सोने के लिए अपनी आंखें बंद कर दी । मैं बिस्तर के किनारे पर सोई थी । मेरे बगल में मधुमिता लेटी थी । संजय भी कपड़े उतार कर सिर्फ एक शार्ट पहन कर बिस्तर के दुसरे किनारे लेट गए । पलंग बड़ा था इसलिए सोने में किसी प्रकार की असुविधा नहीं थी । मधुमिता हम दोनों के बीच सोई थी ।

संजय के बेल बजाने , कमरे में आने और उनके बिस्तर पर लेटने तक मैं उठी नहीं तो उन्हें लगा कि मैं गहरी नींद में सोई हुई हूं । और उन्हें ये भी पता था कि मैंने वाइन भी पी थी । संजय जानते थे कि मुझे आधे बोतल बीयर में ही नशा हो जाता है । और बीयर पीने के बाद एक बार सोई तो फिर कोई कितना भी चिल्लाए , नींद नहीं टुटती है । लेकिन उस रात न जाने क्यों एक बार जो नींद टुटी फिर दुबारा आ नहीं रही थी । शायद नई जगह और पार्टी में हुई घटनाओं के चलते । मैंने आंख बंद कर ली और नींद आने का इंतजार करने लगी ।

आंख बंद किए काफी देर हो चुकी थी तभी मुझे कुछ अजीब सा महसूस हुआ । शायद पलंग पर उन दोनों के हिलने डुलने से लगा था । मैंने आंखें खोली और लेटे हुए ही उन्हें देखा । दोनों जो पहले करवट के बल लेटे हुए थे , अब पीठ के बल हो गए थे । मैंने फिर से अपनी आंखें बंद कर ली ।

थोड़ी देर बाद संजय के धीरे से एक बार खांसने की आवाज आई । उसके चार पांच मिनट बाद मधुमिता की एक बार खांसने की आवाज आई । शायद वो अभी भी जगे हुए थे । मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और सोने का प्रयास करने लगी ।

तभी मुझे फिर से संजय के एक ही बार वाली खांसने की आवाज आई । मुझे गुस्सा आने लगा । इनके खांसने से मुझे नींद नहीं आ रही थी । मैंने कुछ कहा नहीं और सोने की कोशिश करने लगी । थोड़ी देर बाद मधुमिता की खांसने की आवाज आई । मेरा मन वितृष्णा से भर गया । इन दोनों भाई बहन ने तो खांसने का अन्ताक्षरी शुरू कर दिया है । खैर , मैं क्या कर सकती थी । मैं फिर से सोने की कोशिश करने लगी ।

थोड़ी देर बाद संजय की फिर से खांसने की आवाज आई और उसके तुरंत बाद मधुमिता भी खांसी । अचानक से मेरे दिमाग की बत्ती जली । ये तो कोई और चक्कर लग रहा है । मेरी सांसें तेज हो गई और मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई । मैं सांस रोके पीठ के बल लेटे उनके इस गेम का इंतजार करने लगी । मैं भले ही पीठ के बल लेटी हुई थी मगर मेरा चेहरा उनके तरफ ही था । मैं कनखियों से उन्हें देख रही थी और उनके अगले कदम का इंतजार करने लगी ।

थोड़ी देर बाद मैंने संजय को हाथों की कूहनी के बल अपने शरीर को उठाते देखा । उन्होंने मधुमिता के चेहरे पर निगाह डाला और फिर मेरे चेहरे पर । मैं कनखियों से उनकी हरकतें देख रही थी । तभी वो घसक कर आगे आये और मधुमिता के शरीर से चिपक गए । फिर अपने कूहनियों के बल उठ कर अपना एक हाथ मधुमिता की चुची को नाइटी के ऊपर से धीरे से पकड़ते हुए मेरी तरफ झुके और मेरे चेहरे के पास अपना मुंह लाकर धीरे से बोले " उर्वशी सो गई हो क्या ?"

मैंने अपनी आंखें मजबुती से बंद कर ली और अपनी सांसें रोक ली । थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना चेहरा मेरे चेहरे पर से हटाया और वापस अपने जगह पर लेट गए ।

जिस तरह से उन्होंने मधुमिता की चुची को पकड़ा था वो देखकर मैं न जाने क्यों बहुत उत्तेजित हो गई । एक बड़े भाई का अपनी छोटी बहन की चुची पकड़ना मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था । और सबसे बड़ी बात ये थी कि मधुमिता ने कोई ओब्जेक्सन नहीं किया था । वो जगी हुई है ये तो मैं श्योर जानती थी ।

दसेक मिनट के बाद फिर से संजय की धीमे से आवाज आई -" उर्वशी , उर्वशी ।" मैं चुपचाप सोने का नाटक करती रही ।

थोड़ी देर बाद उन्होंने वैसे ही धीरे से फुसफुसा कर बोला -" मधु , मधु ।"

वो अब अपनी बहन को पुकार रहे थे लेकिन उसने भी कोई जबाव नहीं दिया ।

दो मिनट बाद उन्होंने मधुमिता को फिर से धीरे से पुकारा । इस बार मधुमिता ने धीरे से कहा - हम्म् ।"

संजय मधुमिता की तरफ करवट होते हुए धीरे से बोले -" उर्वशी सो गई है क्या ?"

" पता नहीं "- मधुमिता ने धीरे से कहा ।

" देख ना ! सो गई है क्या ?"

" आप खुद ही देख लो । मुझे निंद आ रही है "- कहकर वो पीठ के बल लेट गई।

मैं कनखियों से सब कुछ देख रही थी । वो फिर से अपने हाथों की कूहनियों के सहारे उठे और अपने दोनों हथेलियों से मधुमिता की दोनों चूचियों को नाइटी के ऊपर से दबोचते हुए मेरी तरफ झुके । फिर मुझे नाम से धीरे से पुकारा । मैं चुपचाप गहरी नींद में सोने का नाटक करती रही । दो चार सेकेंड बाद वो अपना चेहरा मुझ पर से हटा कर मधुमिता के उपर किया ।

फिर वो मधुमिता के शरीर पर झुकते हुए उसकी दोनों चूचियों को दबाते हुए उसके कानों में धीरे से कहा -" उर्वशी गहरी नींद में सोई हुई है , वो सुबह से पहले नहीं उठने वाली ।"

" हम्म्..." मधुमिता की बहुत ही धीरे से आवाज आई ।

मैं ये देखकर बहुत ही उत्तेजित हो गई । मधुमिता ने अपनी चुचियों को पकड़े जाने पर कुछ भी नहीं कहा । मेरी चूत में पानी भर गया । मैंने उनकी नजरें बचाकर अपने हाथ को अपने जांघों के बीच ले गई और अपनी चूत में ऊंगली डाल दी । इनसेस्ट कहानी पढ़ी थी मैंने लेकिन कभी प्रत्यक्ष होते हुए नहीं देखी थी । "

" फिर क्या हुआ ?" - मैंने वाइन का लास्ट घूंट मारते हुए कहा ।

" फिर क्या होना था ? एक मिनट के अंदर दोनों भाई बहन पुरे नंग धड़ंग हो गए और फिर चुमा चाटी , चुसा चुसी , 69 , फोर प्ले और लास्ट में घमासान चुदाई " - उर्वशी दी ने कहा ।

उर्वशी दी की इन बातों और वाइन पीने पिलाने के दौरान हम तीनों भी इस दौरान वस्त्र हिन हो गए थे । और संजय और मधुमिता की सेक्स कहानी सुनकर काफी उत्तेजित हो गए थे ।

फिर हमारा थ्रीसम सेक्स शुरू हुआ जो मेरी जिंदगी का पहला और सबसे बढ़िया एक्सपिरियंस रहा ।
Superb update
 

Raja jani

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@ page 52

बहुत अच्छी स्टोरी है और संवाद तो "सुधीर कोहली" द ओनली वन की याद दिला रहे है लगता है आप smp से बहुत inspired है।
Mai bas kahne wala tha but aap kah chuki hain.Pathak jee mere bhi favorite writer hain
 
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