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Incest Sagar (Completed)

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शनिवार तक यहां पोस्ट कर दुंगा । संजय और मधुमिता के सेक्सुअल एनकाउंटर के साथ जो पिछली बार अधूरा रह गया था ।
 
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Update 24. A


श्वेता दी और उर्वशी दोनों संभ्रांत परिवार की महिलाएं थी । एक मेरी कजिन सिस्टर थी तो दुसरी उनकी खास सहेली जिनहे मैं दीदी कह के पुकारता था। और उन दोनों के साथ मैं सेक्स कर चुका था । लेकिन दोनों के साथ अलग अलग ही किया था । इकठ्ठे कभी नहीं हुआ था । आज जिस तरह से दोनों ने भरी दोपहरिया में ड्रिंक्स पार्टी का आयोजन किया था ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था । वो ड्रिंकर नहीं थी लेकिन आज ड्रिंक्स का इंतजाम किए हुए थी ।

दोनों जानती थी कि मैंने उन दोनों के साथ सेक्स किया हुआ था और वे अपने हाव भाव से इस पर मजाक भी कर दिया करती थी ।
आज जब उर्वशी ने अपने हसबैंड संजय और उनकी बहन मधुमिता के नाजायज संबंधों की दास्तान सुनाई तो रूम का माहौल काफी वासनामई हो गया था । उत्तेजना मेरे सर पर चढ़ कर नाचने लगा था ।

बड़ी मुश्किल से अपनी भावनाओं को दबा कर रखा था कि कब अपनी लोवर निकाल कर खुद को पुरी तरह से नंगा कर लूं और उन दोनों के शरीर से एक मात्र कपड़े उतार कर उन्हें भी पुरी तरह से नंगा कर दूं और दोनों के साथ घमासान खाट कबड्डी शुरू कर दूं । और हुआ भी । क्या गजब का हुआ । ये मेरी लाइफ की पहली और सबसे शानदार थ्रीसम सेक्स थी ।

श्वेता दी के घर से मैं करीब चार बजे के आसपास निकला और सीधे अपने घर चला गया । मेन गेट पर ताला लगा हुआ था । मुझे लगा शायद माॅम चाची के पास हो । मैं चाची के घर गया । माॅम वहीं थी । वो दोनों आपस में बातें कर रही थी । मुझे देखते ही माॅम ने चाबी सौंपी और कहा कि तु घर चल मैं थोड़ी देर में आती हूं ।

मैं घर आया और अपने कमरे में बिस्तर पर लेट गया । आज की सुखद घटनाओं के बारे में सोच कर मेरा लन्ड फिर से खड़ा होने लगा । मुझे उर्वशी दी की वो बातें याद आने लगी जब उन्होंने विस्तार से संजय जी और मधुमिता की पहली चुदाई के बारे में बताया था । मैं फ्लैश बैक में चला गया ।

*****

जब मेरे ये पुछने पर कि " फिर क्या हुआ " के जबाव में उर्वशी ने कहा कि " फिर क्या होना था थोड़ी देर में दोनों भाई बहन नंगे , चुमा चाटी और घमासान चुदाई " तो मैंने कहा - नहीं उर्वशी दी , ऐसे नहीं जरा डिटेल में बताओ ?"

" अभी नहीं । पहले ये सब साफ करते हैं "- श्वेता दी ने जुठे बर्तनों की तरफ इशारा करते हुए कहा -" फिर आराम से बताना ।"

दोनों सहेलियां आधे घंटे के अंदर सब कुछ साफ़ कर दी । मैं बिस्तर पर लेटा हुआ बड़ी बेसब्री से उनके आने का इंतजार कर रहा था । थोड़ी देर बाद दोनों आई और बिस्तर पर चढ़कर मेरे अगल बगल लेट गई । मैं दोनों के बीच में सैंडविच बना गया था ।

तभी उर्वशी ने मुझे अपनी ओर घुमाया और अपनी नाइटी को अपने कंधों से नीचे सरका दिया जिससे उनकी दुध से भी गोरी ३६ डी साईज की बड़ी बड़ी चूचियां नंगी हो गई । उन्होंने अपनी चूचियों को अपने हाथों से पकड़ा और निप्पल मेरे मुंह में डाल दी । मैं आश्चर्यचकित उनकी किसमिस की तरह निप्पल को अपने मुंह डाल कर चूसने लगा। तभी एक हाथ मैंने अपनी लोवर के अन्दर जाता महसूस किया । मैंने अपनी नजरें नीचे की । देखा श्वेता दी का हाथ था । वो लोवर के अन्दर मेरे खड़े लन्ड को अपने हाथों से पकड़ कर सहलाने लगी । मैंने उनकी चेहरे पर नजर डाली वो उर्वशी की तरफ देख रही थी ।

मैं तो जैसे इन्द्र के दरबार में था । एक तरफ एक अप्सरा उर्वशी की चुची चुस रहा था तो दुसरी तरफ एक अप्सरा श्वेता मेरा लन्ड अपने कोमल हाथों से हिला रही थी ।

" बोल ना फिर क्या हुआ ?"- श्वेता दी ने उर्वशी को कहा ।

" बताती हूं ना , इतना हड़बड़ क्यों कर रही है । तुझे तो सब बताया ही था "- कहते हुए उर्वशी ने मेरे उपर से अपनी हाथ बढ़ाकर श्वेता दी की पेटिकोट को खिंच कर उसकी चूचियों को नंगा कर दिया और उनकी चूचियों को दबाने लगी ।

" भाई को पता नहीं है ना , इसे बता "- कहते हुए श्वेता दी ने मेरे सिर को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा जिससे मेरे मुंह से उर्वशी दी की निप्पल ' पक ' की आवाज के साथ निकल गई और वो अपनी चूची को मेरे मुंह में दबाते हुए बोली -" क्यों सागर , भाई बहन की लवस्टोरी सुनना है न ।"

मैं वासना से लथपथ श्वेता दी की बड़ी बड़ी चूचियों के ऊपर अपने मुंह रगड़ते हुए " हम्म् " कहा और निप्पल को अपने मुंह में लेकर बुरी तरह चूसने लगा । दो अलग-अलग चुचियों का स्वाद एक साथ ले रहा था ।

तभी उर्वशी ने श्वेता दी के हाथ को हटा कर मेरा लन्ड अपने हाथों से पकड़ लिया और मुठ मारते हुए बोली -" हां तो मैं कहां थी ?"

" तुने बताया था कि तेरे हसबैंड ने मधुमिता की चुचियों को उसके नाइटी के ऊपर से अपने दोनों हाथों से पकड़ते हुए उसके कानों में धीरे से कहा था कि उर्वशी गहरी नींद में सो गई है वो अब सुबह से पहले नहीं उठने वाली है के जबाव में मधुमिता ने " हम्म् " कहा ।"

" हां । उसके बाद एक दो मिनट तक वे दोनों भाई बहन वैसे ही पड़े रहे । संजय का एक पांव मधुमिता के अधनंगी मांशल जांघों पर था । उसके दोनों हाथ उसकी दोनों चूचियों पर था और उसका मुंह मधुमिता के सर पर कानों के पास था । जब मधुमिता ने कोई प्रतिवाद नहीं किया तो संजय ने उसकी चूचियों को अपने हाथों से धीरे से दबा दिया ।

(दोनों सहेलियों को इतना खुलकर बातें करते हुए देख मैं हैरान होने के साथ-साथ बहुत उत्तेजित भी था ।)

तभी मधुमिता की धीरे से आवाज आई -" हटो ना भाई ? भाभी उठ जायेंगी ।"

" नहीं उठेगी , मैं जानता हूं "- वो उसके शरीर से जोंक की तरह चिपक गये । अपने नंगे जांघ को उसकी मोटी अधनंगी जांघो पर रगड़ने लगे ।

मधुमिता उसके भार से कसमसाते हुए बोली -" ठीक है नहीं उठेगी लेकिन अपना हाथ हटाओ वहां से ?"

" कहां से हटाऊं ? "- संजय उसे छेड़ते हुए बोले ।

" जहां पर है ।"

" कहां पर है ?" - कहते हुए संजय ने उसकी चूचियों को जोर से मसल दिया ।

मधुमिता जोर से सिसकियां भरते हुए बोली -" मेरी छाती पर ।"

" तुम ही हटा दो न "- वो उसकी चूचियों को एक बार फिर से दबाते हुए बोले ।

" मैं क्यों हटाऊं ? जिसने रखा है वो हटाए ।"

( रूम में एसी चालू था इसलिए मैं ब्लैंकेट ओढ़ी हुई थी । लेकिन उनके हरकतों से मुझे गर्मी महसूस होने लगी । उनकी हरकतों को देख कर मेरा विश्वास पक्का हो रहा था कि इन दोनों के बीच में बहुत पहले से कुछ कुछ था । मधुमिता का चेहरा मेरी तरफ था । मैंने साफ देखा वो ये बोलते वक्त धीरे से मुस्कुराई थी । साली को बड़ी मजा आ रहा था अपने बड़े भाई से चुचियां मिसवाने में । और नखरे ऐसे कर रही थी कि पुछो मत । और संजय भी शायद उसकी नखरों को समझ रहे थे ।)

" नहीं हट रहा है यार , लगता है गोंद की तरह चिपक गया है "- उन्होंने उसके कानों की लौ को होंठों से दबा कर चुसते हुए कहा ।

" तुम बहुत बदमाशी कर रहे हो भाई। हटाओ न , दुखता है "- वो नाटक करते हुए बोली ।

" अगर ऐसा है तो खुद ही हटा दो ।"

" नहीं , आपने रखा है तो आप ही हटाओ "

" ठीक है हटाता हूं लेकिन पहले ये बताओ कि किस पर से हाथ हटाऊं ?" वो उसकी गालों को चूमने लगे ।

( मधुमिता के चेहरे की हाव भाव से मुझे समझ में आ रहा था कि वो बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई है । वो अपने होंठों को बार बार अपने जीभ से गीला कर रही थी । और उसके साथ साथ मैं भी बहुत उत्तेजित हो गई थी । मुझे गुस्सा आना चाहिए था लेकिन मैं इन दोनों के इरोटिक गेम देखकर गरम हो रही थी । मेरी चूत में पानी भर गया था । जब शराब और शबाब का जादू चलता है तो बुद्धि घांस चरने चली जाती है । वो दोनों तो जैसे मेरा रूम में होना ही भुल गए थे ।)

" मैंने कहा तो था मेरी छाती पर से "- मधुमिता अपने चुचियों की तरफ इशारा करते हुए बोली ।

" छाती से क्या मतलब हुआ , ठीक से आम बोलचाल वाली भाषा में बोल ना "- कहते हुए उन्होंने मधुमिता की नाइटी को उसके कंधों पर से नीचे सरका दिया जिससे उसकी ब्रा में कैद चुचियां उनके आंखों के सामने आ गई ।

मधुमिता देख रही थी कि उसका भाई उसकी ब्रा में कैद चुचियों को बड़े कामुक नज़रों से देख रहा है । वो बहुत उत्तेजित हो गई ।

" ब्रेस्ट पर से "- वो धीरे से बोली ।

संजय उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से मसलने लगा । मधुमिता की सिसकारियां निकलने लगी ।

" ब्रेस्ट तो इंग्लिश में बोलते हैं । अपने भाषा में बताओ "- कहकर संजय ने अपनी एक हाथ उसकी ब्रा पर से हटा कर मधुमिता के चेहरे को अपने चेहरे के सामने किया । दोनों एक-दूसरे के आंखों में देख रहे थे । दोनों की आंखें वासना से लाल हो गई थी । दोनों के होंठ एक दूसरे के काफी करीब थे ।

" बोल ना मधु " - संजय ने फुसफुसाते हुए कहा और उसकी आंखों में देखते हुए अपनी चुटकियों से उसकी ब्रा के ऊपर से निप्पल को मसलने लगे ।

मधुमिता की नजरें अपने भाई की उंगलियों पर थी जो उसकी निप्पल को मसलने में लगा हुआ था। जब संजय ने देखा कि वो उसके उंगलियों को देख रही है तो उसने अपनी उंगलियों को वहां से हटा दिया और अपना मुंह नीचे कर के ब्रा के ऊपर से निप्पल को अपने होंठों में भर लिया और चूसने लगा ।

मधुमिता हाय हाय कर उठी । वो सिसकी मारते हुए बोली - "ऊंह ! मुझे शरम आती है ।"

" बोल ना यार " - उसके निप्पल को होंठों से निकालते हुए संजय ने कहा और फिर उसके दुसरे निप्पल को ब्रा के ऊपर से ही होंठों से चुसने लगा ।

मधुमिता कुछ देर तक ब्रा के ऊपर से निप्पल चुसाई का मजा भोगी । वो देख रही थी उसका भाई ब्रा के ऊपर से ही एक चुची को मसल रहा है और दूसरी चूची के निप्पल को चूस रहा है । वो काफी उत्तेजित हो गई और अपनी कमर को दायें बायें हिलाने लगी । मगर संजय के पांव उसके जांघों पर होने से वो ठीक से हिला भी नहीं पा रही थी ।

वो अपनी नजरें अपनी छाती से हटा कर संजय के ऊपर डाली तो उसे अपनी ओर ही देखते पाया । वो उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से खेलते हुए उसे ही देख रहा था । उसे अपने भाई का लन्ड भी अपने जांघों पर चुभता हुआ महसूस हुआ । दोनों एक-दूसरे की आंखों में देख रहे थे । संजय उसकी आंखों में देखते हुए उसकी निप्पल को ब्रा के ऊपर से चुस रहा था और उसकी दुसरी चुची को हाथों में भर कर दबा रहा था । मधुमिता अब हवश की आग में जलने लगी ।

वो अपने भाई की आंखों में देखते हुए फुसफुसाई -" चुची ।"

संजय अपनी बहन के मुंह से चुची शब्द सुनकर पागल जैसे हो गए । उनसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था । उन्होंने उसकी दोनों बांहों को उपर उठा कर उसके बगलों ( कांख ) को चाटना शुरू कर दिया । मधुमिता के बगलों में काफी हल्के हल्के बाल थे । शायद कुछेक दिन पहले उसने शेविंग किया था । दोनों बगलों को चाटने के बाद फिर से उसकी एक निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगे । थोड़ी देर बाद निप्पल को मुंह से निकाला और मधुमिता को देखते हुए कहा -" तु भी बाल साफ़ नहीं करती है क्या ?"

मधुमिता सुन कर शर्मा गई और बोली -" धत ! आपने कब देख लिया ?"

" अभी ही तो देखा "- वो उसकी चूची को दबाते हुए बोला ।

" झुठ मत बोलो ।"

" तो फिर ये क्या है ?"- कहते हुए संजय ने मधुमिता को कांखों के बाल की तरफ इशारा किया ।

" ओह ! आप उसकी बात कर रहे थे और मैं वहां की समझ..."

" तुम कहां की समझ रही थी ?" - जबकि संजय को सब समझ में आ गया था ।

" कुछ नहीं । छोड़िए मुझे नींद आ रही है ।"

" ऐसे कैसे छोड़ दूं । पहले बताओ कि तुम कहां की समझ रही थी ?"

" धत ! मैं नहीं बताऊंगी "- वो अपनी मुस्कान छुपाते हुए बोली ।

" ठीक है तब मैं भी तुम्हें आज सोने नहीं दुंगा "- बोलकर उसकी चूचियों को दबाने लगे ।

" हटो नहीं तो मैं भी पकड़ लुंगी ।"

" मेरे पास तेरी तरह इतनी बड़ी बड़ी नहीं है ।"

" मैं ये पकड़ लुंगी "- कहकर मधुमिता ने झटके से अपना हाथ संजय के लोवर के अन्दर डाल दिया और उसके लन्ड को पकड़ लिया ।

( मैं ये देखकर चौंक गई । काफी तेज लड़की निकली ।संजय का लन्ड भी काफी मोटा और आठेक इंच लम्बा था । न जाने वो अपने भाई के लन्ड को पकड़ कर सहला रही होगी या मसल रही होगी या डर रही होगी । मुझे पता नहीं चल रहा था ।)

" अपने लन्ड पर मधुमिता के हाथ का स्पर्श पाकर संजय ने कहा -" ये तो गलत है तुमने मेरा पकड़ लिया है और मैंने ब्रा के ऊपर से ही पकड़ा है ।"

" तो इसमें मैं क्या करूं "- वो लोवर के अन्दर अपने हथेलियो से लन्ड को पकड़ कर मसलते हुए फुसफुसाई -" ये आपकी गलती है ।"

( पक्का वो अपने भाई के लन्ड को अपने हाथों में भर के हिला रही थी । और उसके बातों से साफ पता चलता था कि वो अपनी चूचियों को अपने भाई से नंगी करवाना चाहती थी । )

और संजय ने किया भी वही । वो उसकी नाइटी को पुरी तरह से उसके शरीर से बाहर निकाल दिये और उसकी ब्रा को खोल कर साइड में रख दिया । मधुमिता की बड़ी बड़ी चूचियां संजय की आंखों के सामने नंगी थी । वो आंखें गड़ाए अपनी बहन की कुंवारी , ठोस और कड़ी चुचियों को घुरे जा रहे थे ।

संजय ने कुछ देर तक चुचियों की सुन्दरता को निहारा फिर मधुमिता को देखा । वो कामुक नज़रों से संजय को देख रही थी । संजय ने उसकी चूचियों को अपने दोनों हथेलियों में दबोच लिया और जोर जोर से मसलने लगे । मधुमिता कामुक अंदाज में सिसकारियां छोड़ने लगी ।

(और मैं ब्लैंकेट के भीतर अपनी चूत में अपनी दो उंगलियां डाल कर अन्दर बाहर करने लगी ।)

संजय चुचियों को मसलते हुए अपनी बहन की आंखों में देखे जा रहे थे । मधुमिता भी अपने भाई की नजरों से अपनी नजरें मिलाए उसके लन्ड को मुठियाए जा रही थी ।

संजय उसकी चूचियों को दबाते हुए बोले -" बोल ना मधु तुमने कहां की बाल के बारे में सोचा था ?"

मधुमिता को भी यह सब अच्छा लग रहा था ।

वो भी लन्ड को मुठ मारते हुए बोली -" आपको पता है ।"

संजय ने अपनी लोवर निकाल कर फेंक दिया। वो पूरी तरह से नंगा हो गया । मधुमिता ने उनके लन्ड को देखा और मंत्र मुग्ध होते हुए उसे अपने हथेलियों से पकड़ कर जोर जोर से मसलने लगी । इधर संजय उसकी नंगी चूचियों को मुंह से चाटने लगा । चाटते चाटते उसकी अंगुर की जैसी निप्पल को मुंह में भरकर चूसने लगा । थोड़ी देर बाद फिर उन्होंने कहा -" मुझे पता है लेकिन मैं तुम्हारे मुख से सुनना चाहता हूं । बता ना ?"

मधुमिता कामान्ध होकर फुसफुसाई -" वहां की बाल ।"

" कहां की बाल ?"

" बहुत बदमाश हो । खाली गन्दी गन्दी बातें मुझसे बोलवाना चाहते हो ।"

" इसमें गन्दी बातें क्या है ? जैसे मेरे लन्ड के अगल बगल हल्का हल्का बाल है । वैसे ही तेरी भी होगी । "

मधुमिता उत्तेजना से थरथराते हुए बोली -" तुम खुद ही देख लो ।"

" वो तो देखूंगा ही लेकिन तु बता ना पहले ? है भी या पुरी तरह साफ है ।"

" हल्की हल्की है "- वो उनके लन्ड को जोर से मसलने लगी ।

संजय मधुमिता के उपर चढ़ गये और अपने लन्ड को उसकी पैंटी के ऊपर ठीक उसकी चुत के बीचों-बीच रख कर अपनी कमर हिलाने लगे । और उसकी चूचियों को मसलने लगे । मधुमिता ने अपनी पांव उठाकर संजय के उपर रख दिया ।

" बोल ना मेरी प्यारी बहन ?"- संजय ने फिर पूछा ।

बहन सुनकर मधुमिता उत्तेजना में संजय के गाल को दांतों से काट ली और फुसफुसा कर बोली -" मेरी चुत की बाल ।"

( मधुमिता के मुंह से यह सब सुनकर मेरी चुत पानी से बहने लगी )

संजय मधुमिता के चेहरे को अपने हाथों से पकड़ कर अपने चेहरे के सामने किए और उसकी होंठों को चुम कर बोले -" कहां की बाल ?"

" मेरी चुत की "- वो कामान्ध स्वर में बोली ।

संजय उसे पुरी तरह बेशर्म बनाने में अड़े थे ।

" मेरी बहन के चुत की ?"

" हम्म् ।"

" क्या हम्म ?"

" धत ! तुम बड़े हरामी हो । मुझे शरम आती है ।"

" आज तेरी शरमगाह में अपना लन्ड पेलकर तुझे भी अपनी तरह बेशर्म बना दुंगा । बना दूं तुझे बेशर्म ?"- संजय ने अपनी एक हाथ मधुमिता के पैंटी में डालते हुए कहा ।

मधुमिता अपनी चुत पर संजय की उंगलियों का स्पर्श पाते ही वासना से भरी स्वर मे फुसफुसाई -" बना दो बेशर्म ।"

" लेकिन उसके लिए तेरी चुत में अपना लन्ड डालना होगा "- वो उसकी चुत में ऊंगली डालते हुए बोले -" अपने चुत में मेरा मोटा लौड़ा डलवाएगी ?"

" हम्म । डलवाऊंगी "- वो नशे से बोली ।

" चुत में लन्ड जाने का मतलब समझती है ?"

" हम्म ।"

" क्या ?"

मधुमिता संजय की आंखों में देखते हुए फुसफुसाई -" चोदा चोदी ।"

फिर तो मै उनके प्रगाढ़ चुम्बन को लाइव देख रही थी । दोनों एक दूसरे को बुरी तरह चुम रहे थे । दोनों एक-दूसरे के जीभ को आइसक्रीम की तरह चुस रहे थे , चाट रहे थे । दोनों की थुक एक दूसरे के मुंह में निर्विघ्न जा रही थीं ।

चुमा चाटी के दौरान ही संजय ने मधुमिता के शरीर से आखिरी वस्त्र भी बाहर निकाल दिया। दोनों भाई बहन मादरजात नंगें एक दूसरे के उपर चढ़ , उतर रहे थे । कमरे के अंदर उन दोनों की सिसकारियां गूंज रही थी । और इधर मैं अपनी मुंह भींच कर अपनी सिसकारी दबा रही थी । संजय मधुमिता की भारी गांड़ को दोनों हाथों से दबोचते हुए उसकी होंठों को चुसे जा रहे थे ।

थोड़ी देर बाद मधुमिता को मेरे बगल में लेटा दिया मगर उसकी पांव मेरे सिर की तरफ थी । उन्होंने उसकी दोनों टांगों को अलग अलग करके उपर उठा दिया । उसकी टांगें उसके चुचियों तक पहुंच गई जिससे उसकी चूत उभर कर सामने आ गई । उसकी चुत पर हल्के हल्के बाल थी । चुत की दरारें पांव फैलाने से थोड़ी खुल गई थी जो उसके काम रस से भरी हुई थी । उसकी कामरस से उसकी जांघें भी भींगी हुई थी । उसके चुत के होंठ मोटे मोटे थे । संजय ने देरी न करते हुए जल्दी से अपने होंठ उसके चुत से सटा दिए और अन्दर से सारी मलाई चाट चाट कर साफ करने लगे ।

( मैं मधुमिता को नहीं देख पा रही थी लेकिन मुझे विश्वास था कि वो भी अपने भाई के हबसी लन्ड को चुस चाट रही होगी । मैं बस संजय को मधुमिता की चुत को चाटते हुए और उसके अंदर जीभ ढुकाते हुए देख रही थी । कभी कभी तो वो उसकी गान्ड के छेद को चाटने लग जाते थे । )

आधे घंटे तक दोनों भाई बहन ने 69 की मुद्रा में एक दूसरे को चुसा चाटा । फिर संजय मधुमिता के उपर आए और अपने लन्ड को उसकी चुत के छेद से सटा दिया ।

" धीरे से करना "- मधुमिता बोली -" बहुत बड़ा है ।"

" घबडा़ओ मत । शुरू में थोड़ा सा दर्द होगा उसके बाद सब ठीक हो जाएगा ।"- संजय ने उसे आश्वासन दिया ।

( मैंने थोड़ी देर में मधुमिता के दर्द से चिखने की आवाज सुनी । वो धीरे धीरे कराह रही थी । उसके पांच सात मिनट बाद दोनों की सिसकारियां कमरे में गुंजने लगी । मधुमिता की पांव मेरी तरफ था । उन दोनों का सिर मेरे पांवों की तरफ था इसलिए मैने अपनी चुत में ऊंगली करनी बंद कर दी । लेकिन मैं उनकी चोदाई देखना चाहती थी इसलिए थोड़ा सा उनके पैरों की तरफ खिसक गई । और जो मुझे दिखाई दिया वो कभी भुलने वाली चीज नहीं थी । मैं संजय के लन्ड को मधुमिता के चुत में अन्दर बाहर होते हुए स्पष्ट देख रही थी । ये देखकर मैं वासना की आग से छटपटाने लगी । बीस मिनट तक मधुमिता को चोदने के बाद उसके चुत में ही उन्होंने अपना वीर्य छोड़ दिया । मैं जल्दी से अपने पहले वाली जगह पर खिसक गई क्योंकि दोनों का काम क्रीड़ा खतम हो चुका था । वो कभी भी उठ सकते थे । )
 
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