AK 24
Supreme
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Arey sirआपका बहुत बहुत धन्यवाद ए.के. भाई
आपका कमेन्टस मुझे हमेशा उर्जावान महसूस कराता रहा । मुझे भी लगा कि मैं भी आप जैसे अच्छे राइटर्स की तरह लिख सकता हूं ।
Arey sirआपका बहुत बहुत धन्यवाद ए.के. भाई
आपका कमेन्टस मुझे हमेशा उर्जावान महसूस कराता रहा । मुझे भी लगा कि मैं भी आप जैसे अच्छे राइटर्स की तरह लिख सकता हूं ।
SANJU ( V. R. ) Bhai sarvprtham sundar kahani likhne ke liye danyabad.Update 28.
मैं उठकर अपने पैरों पर खड़ा हुआ और अपने कांपते हाथों से एक सिगरेट सुलगाने लगा ।
तब कोठारी का रिवाल्वर वाला हाथ नीचे झुका ।
" मैंने इसे वार्न किया था " - कोठारी बोला -" लेकिन यह मेरे पर गोली चलाने को पुरी तरह से आमादा था ।"
" आप यहां कैसे पहुच गए ? " - मैं फंसे स्वर में बोला ।
" अपने आपको खुशकिस्मत समझो कि मैं यहां पहुंच गया ।"
" लेकिन कैसे ?"
" तुम्हारी ही वजह से । सुबह मनीष जैन के कमरे से बाहर निकल कर जब तुमने अपनी बहन से बातें की थीं तब सारी बातें मैंने सुन ली थी । जिस तरह से तुम खंजर वाली बात की लिपापोती कर रहे थे तो मुझे तुम पर डाउट हो गया था । जब तुम वहां से निकले तभी मैंने तुम्हारे पीछे एक आदमी लगा दिया था । वो तुम्हारे पीछे शुरू से लगा हुआ था । जब उसने मुझे बताया कि तुम रमाकांत के फ्लैट में चले गए हो तो मुझे यह बात बुरी तरह खटकी । लिहाजा मैं सब काम छोड़कर सीधा यहां पहुंच गया जो कि मैंने बहुत अच्छा किया ।"
" आपने कुछ सुना ?"
" हां , सुना । मैं बाहर की होल से कान सटाए रहा था जब तक की तुम्हें बाहर को मार्च करने का हुक्म नहीं मिला ।"
" ओह ! कोठारी सर , मेरी जान बचाने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।"
वह मुस्कराया । वह संतुष्ट था कि इतना बड़ा केस हल हो गया था ।
" खंजर और तस्वीर कहां है ?"
मैंने तत्काल खंजर और तस्वीर उसे सौंप दी ।
" अब तुम यहां से निकलो । यहां अब पुलिस का काम है ।"
मैंने तत्काल आदेश का पालन किया ।
जानकी देवी को धोखाधड़ी में शरीक होने , नाजायज और गैरकानूनी तरीके से अपने पति की मौत के बाद किसी और शख्स को अपना पति बनाकर और ट्रस्ट के साथ लगातार फ्राड करते रहने और अमर एवं मनीष जैन के हत्या में रमाकांत का साथ देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया ।
जानकी देवी ने जेल जाने के बाद एक अच्छा काम किया । उसने अपनी सारी चल और अचल संपत्ति वीणा के नाम कर दिया । बाद में जेल में उससे मिलने वीणा और अनुष्का गई थी जो कि मुझे वीणा से पता चला ।
तीन दिन बाद ----
रीतु जयपुर से वापस आ गई थी । उसके साथ काजल भी अपने फेमिली के साथ आ गई थी ।
दोपहर का समय था । मैं अपने कमरे में आराम कर रहा था कि माॅम ने कहा कि कोई कुरियर वाला आया है । मैं नीचे गया । कुरियर वाले ने एक लिफाफा दिया । लिफाफा मेरे नाम पर था । एक दिन पहले के डेट में केदारनाथ से भेजा गया था । मैं अपने कमरे में चला आया और लिफाफा खोला । लिफाफे के अन्दर एक चिट्ठी थी जिसे अमर की मां ने मुझे भेजा था ।
मैंने पढ़ना शुरू किया ।
सागर बेटा !
भगवान तुम्हें सदैव खुश रखें और लम्बी उम्र दें ।
मैं ये चिट्ठी यहां के एक धर्मशाला में बैठकर लिख रही हूं । अभी दो घंटे पहले मुझे अखबार से पता चला कि मेरे बेटे अमर का क़ातिल अपने गुनाहों का फल पा चुका है । मैंने इस की तस्दीक वहां के वकील सोहन लाल भार्गव से भी कर ली है । अब जाकर मेरे दिल को चैन मिला । अब कहीं जाकर मेरे बेटे अमर के आत्मा को शांति मिली होगी ।
मुझे तुम पर नाज है बेटा । तुमने मेरे बेटे के क़ातिल को ढूंढने के लिए बहुत मेहनत की । तुम्हारे चलते ही मेरे बेटे की आत्मा को शांति मिला है । भगवान तुम्हें हमेशा खुश रखे । बाबा केदारनाथ मेरी उम्र भी तुझे दे दें ।
मुझे ये भी पता चला कि अमर के जीवन में एक लड़की थी । वो वीणा नाम की एक लड़की से प्यार करता था । पागल कहीं का ! अगर मुझे बताता कि वो उससे शादी करना चाहता है कि क्या मैं उसकी शादी नहीं करवाती ? उसे अपनी बेटी बनाकर रखती । क्या हुआ जो वो क्लब में नाचती थी । मैं उसे अपने माथे पर बिठाए रखती । इसी लड़की के लिए उसने उस रमाकांत से दुश्मनी कर ली थी । शायद उसे उस लड़की का कष्ट नहीं देखा गया । वो जो कुछ किया उस लड़की के दुखों को देखकर किया । वो दिल का बुरा लड़का नहीं था । ये तुमसे अच्छा कौन जान सकता है । वो तो तुम्हारा सबसे करीबी दोस्त था न ! क्या तुम्हें लगता है कि वो ये सब पैसों के लिए किया होगा ? तुम तो जानते हो कि उसे रूपए पैसों की कभी भी तंगी नहीं थी ।
बेटा ! एक आखिरी बात कहनी थी क्योंकि थोड़ी देर बाद मैं भी अपने बेटे अमर के पास पहुंच चुकी होंगी । अपने बेटे के अस्थि कलश को लिए गंगा मैया में समाधी ले लुंगी । क्या करूंगी जीकर ! किसके लिए जिऊं ! मैं तो अब तक अपनी सांसें इसीलिए ढो रही थी कि उस हत्यारे को फांसी पर चढ़ते देख सकुं । मेरा बेटा वहां अकेले हैं ! वो मुझे पुकार रहा है ! वो मेरे बगैर कहीं भी रहा ही नहीं !
बेटा ! उसके पापा मरे थे तो वो पांच साल का था ! बहुत छोटा सा ! हमेशा मेरी पल्लू से ही बंधा रहता था ! तब से लेकर हमेशा ऐसा ही रहा ! दो महिने पहले तक भी वो कुछ नहीं करता था । सब कुछ मैं ही करती थी । बेटा.... बेटा.. वो अकेले कैसे करेगा ? मुझे जाना ही होगा । मुझे पता है वो बहुत परेशान हैं । वो जैसा बचपन में था वैसा ही आज भी है । मैं जा रही हूं अपने जिगर के टुकड़े के पास । "
मैं घुटनों के बल बैठ गया और फुट फुट कर रोने लगा ।
दो साल बाद ।
वीणा आज मेरी पत्नी है । अच्छी खासी नौकरी भी है ।
माॅम के लिए जो बुरे खयालात थे उससे मैंने कब का तौबा कर लिया ।
रीतु तो मेरी जान है । वो अभी भी वैसे ही अपने हरकतों से मुझे कभी हंसाती है तो कभी मेरी फजीहत कर देती है ।
काजल से अभी भी उसी तरह बातें करते रहता हूं । लेकिन सिर्फ बातें ही होती है ।
श्वेता दी और जीजू ने अपने फ्लैट को बेचकर दिल्ली में ही एक जगह फ्लैट खरीद लिया ।
श्वेता दी से भी सेक्सुअल सम्बन्ध खतम हो गया है । वो अपने फेमिली में व्यस्त हो गई है ।
अनुष्का और उसके हसबैंड की लाइफ भी ठीक ही चल रही है ।
संजय जी से एक बार बातों के दौरान पता चला कि आगरा में उन्हीं के कर्मचारी ने उन्हें मारने की कोशिश की थी । वो फिलहाल जेल में हैं । कुछ मालिक नौकर का प्रोब्लम था ।
मधुमिता की भी शादी हो गई है और वो बहुत खुश है ।
समाप्त ।
_______________________________________________
माफ कीजिएगा । ये कहानी यहीं समाप्त हो रही है ।
कुछ कमी है मुझमें जो मैं समय का मैनेजमेंट नहीं कर पा रहा ।
मुझे बहुत खुशी है कि एक ऐसे आदमी की कहानी को पसंद किया गया जिसने कभी कोई कविता तक नहीं लिखा हो ।
मैं उन सभी लोगों को शुक्रिया कहता हूं जिन्होंने मुझे इतना बर्दाश्त किया ।
और खास तौर पर फ़ायरफ़ॉक्स भाई का । यदि ये नहीं होते तो मैं शायद बहुत पहले लिखना छोड़ देता ।
थोड़ा सा इमोशनल हूं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं स्टोरी पढ़ना छोडूंगा या कमेंट नहीं करूंगा ।
बहुत बहुत धन्यवाद ।
Sahi kaha bhai kahani samapt jo gayi hai to ispe charcha karna sahi nahi hoga. Agli kahani ki pratiksha me.थैंक्यू भाई
अब स्टोरी समाप्त हो गई है तो इस पर चर्चा करना सही नहीं होगा । हां.... कुछ दिनों के बाद कोशिश करूंगा कि अगली कहानी जल्दी ही ले आऊं ।
आपको भी दीपावली की हार्दिक बधाईbhai logo itna bada issue mat banao................. jo baat sanju bhai ki hai wahi mere aur shubham bhai ke upar bhi lagoo hoti hai
ham teenon hi apni kahani ke updates se kai gune bade revies, comments other stories par dete hain
lekin apne update latka dete hain
iska ek hi reason hai...................... sirf ek hi sentence mein
dusre ki kahani ko analyse karne ke liye hamein imagin nahin karna sirf padhkar samajhna hota hai
lekin.......
apne update ko likhne se pahle pura imagine karna hota hai......... ek ek shabd ko kai bar badalna padta hai........ dobara likhna padta hai
kisliye???????????????
sirf isliye............. ki hum apko apni sarvottam kahani de sakein................. aur apko use padhne me anand mile
isliye dhairya rakhein aur prateeksha karein...................
gussa aur narajgi tab dikhana uchit hai..............
jab writer kahani ko band karke gayab ho jaye ya ...........aage kahani likhne se mana kare kitni bhi genuine wajah bata kar
ant mein..................
आप सभी को सपरिवार
दीपावली
की हार्दिक शुभकामनाएँ
Ek dm sahi baat hai....apki.....happy diwali all frnds...bhai logo itna bada issue mat banao................. jo baat sanju bhai ki hai wahi mere aur shubham bhai ke upar bhi lagoo hoti hai
ham teenon hi apni kahani ke updates se kai gune bade revies, comments other stories par dete hain
lekin apne update latka dete hain
iska ek hi reason hai...................... sirf ek hi sentence mein
dusre ki kahani ko analyse karne ke liye hamein imagin nahin karna sirf padhkar samajhna hota hai
lekin.......
apne update ko likhne se pahle pura imagine karna hota hai......... ek ek shabd ko kai bar badalna padta hai........ dobara likhna padta hai
kisliye???????????????
sirf isliye............. ki hum apko apni sarvottam kahani de sakein................. aur apko use padhne me anand mile
isliye dhairya rakhein aur prateeksha karein...................
gussa aur narajgi tab dikhana uchit hai..............
jab writer kahani ko band karke gayab ho jaye ya ...........aage kahani likhne se mana kare kitni bhi genuine wajah bata kar
ant mein..................
आप सभी को सपरिवार
दीपावली
की हार्दिक शुभकामनाएँ
Ek shandaar kahani ka behtareen samapan hua, halaaki maine zara bhi ummid nahi ki thi ki is ek hi update me aur is tarah se aap saari baato ko samet kar kahani ko samaapt kar denge, lekin koi baat nahi. Aapne aisa kuch soch kar hi kiya hoga. Sanju bhaiya ji mujhe behad khushi huyi ki aapke dwara rachi gayi ek behtareen kahani mujhe padhne ko mili aur iske aapka bahut bahut shukriya. Aage bhi main yahi ummid karuga ki aap isi tarah ki behtareen kahaniya likhe aur ham sabhi ko unhe padhne ka saubhaagya pradaan kare,,,,,Update 28.
मैं उठकर अपने पैरों पर खड़ा हुआ और अपने कांपते हाथों से एक सिगरेट सुलगाने लगा ।
तब कोठारी का रिवाल्वर वाला हाथ नीचे झुका ।
" मैंने इसे वार्न किया था " - कोठारी बोला -" लेकिन यह मेरे पर गोली चलाने को पुरी तरह से आमादा था ।"
" आप यहां कैसे पहुच गए ? " - मैं फंसे स्वर में बोला ।
" अपने आपको खुशकिस्मत समझो कि मैं यहां पहुंच गया ।"
" लेकिन कैसे ?"
" तुम्हारी ही वजह से । सुबह मनीष जैन के कमरे से बाहर निकल कर जब तुमने अपनी बहन से बातें की थीं तब सारी बातें मैंने सुन ली थी । जिस तरह से तुम खंजर वाली बात की लिपापोती कर रहे थे तो मुझे तुम पर डाउट हो गया था । जब तुम वहां से निकले तभी मैंने तुम्हारे पीछे एक आदमी लगा दिया था । वो तुम्हारे पीछे शुरू से लगा हुआ था । जब उसने मुझे बताया कि तुम रमाकांत के फ्लैट में चले गए हो तो मुझे यह बात बुरी तरह खटकी । लिहाजा मैं सब काम छोड़कर सीधा यहां पहुंच गया जो कि मैंने बहुत अच्छा किया ।"
" आपने कुछ सुना ?"
" हां , सुना । मैं बाहर की होल से कान सटाए रहा था जब तक की तुम्हें बाहर को मार्च करने का हुक्म नहीं मिला ।"
" ओह ! कोठारी सर , मेरी जान बचाने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।"
वह मुस्कराया । वह संतुष्ट था कि इतना बड़ा केस हल हो गया था ।
" खंजर और तस्वीर कहां है ?"
मैंने तत्काल खंजर और तस्वीर उसे सौंप दी ।
" अब तुम यहां से निकलो । यहां अब पुलिस का काम है ।"
मैंने तत्काल आदेश का पालन किया ।
जानकी देवी को धोखाधड़ी में शरीक होने , नाजायज और गैरकानूनी तरीके से अपने पति की मौत के बाद किसी और शख्स को अपना पति बनाकर और ट्रस्ट के साथ लगातार फ्राड करते रहने और अमर एवं मनीष जैन के हत्या में रमाकांत का साथ देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया ।
जानकी देवी ने जेल जाने के बाद एक अच्छा काम किया । उसने अपनी सारी चल और अचल संपत्ति वीणा के नाम कर दिया । बाद में जेल में उससे मिलने वीणा और अनुष्का गई थी जो कि मुझे वीणा से पता चला ।
तीन दिन बाद ----
रीतु जयपुर से वापस आ गई थी । उसके साथ काजल भी अपने फेमिली के साथ आ गई थी ।
दोपहर का समय था । मैं अपने कमरे में आराम कर रहा था कि माॅम ने कहा कि कोई कुरियर वाला आया है । मैं नीचे गया । कुरियर वाले ने एक लिफाफा दिया । लिफाफा मेरे नाम पर था । एक दिन पहले के डेट में केदारनाथ से भेजा गया था । मैं अपने कमरे में चला आया और लिफाफा खोला । लिफाफे के अन्दर एक चिट्ठी थी जिसे अमर की मां ने मुझे भेजा था ।
मैंने पढ़ना शुरू किया ।
सागर बेटा !
भगवान तुम्हें सदैव खुश रखें और लम्बी उम्र दें ।
मैं ये चिट्ठी यहां के एक धर्मशाला में बैठकर लिख रही हूं । अभी दो घंटे पहले मुझे अखबार से पता चला कि मेरे बेटे अमर का क़ातिल अपने गुनाहों का फल पा चुका है । मैंने इस की तस्दीक वहां के वकील सोहन लाल भार्गव से भी कर ली है । अब जाकर मेरे दिल को चैन मिला । अब कहीं जाकर मेरे बेटे अमर के आत्मा को शांति मिली होगी ।
मुझे तुम पर नाज है बेटा । तुमने मेरे बेटे के क़ातिल को ढूंढने के लिए बहुत मेहनत की । तुम्हारे चलते ही मेरे बेटे की आत्मा को शांति मिला है । भगवान तुम्हें हमेशा खुश रखे । बाबा केदारनाथ मेरी उम्र भी तुझे दे दें ।
मुझे ये भी पता चला कि अमर के जीवन में एक लड़की थी । वो वीणा नाम की एक लड़की से प्यार करता था । पागल कहीं का ! अगर मुझे बताता कि वो उससे शादी करना चाहता है कि क्या मैं उसकी शादी नहीं करवाती ? उसे अपनी बेटी बनाकर रखती । क्या हुआ जो वो क्लब में नाचती थी । मैं उसे अपने माथे पर बिठाए रखती । इसी लड़की के लिए उसने उस रमाकांत से दुश्मनी कर ली थी । शायद उसे उस लड़की का कष्ट नहीं देखा गया । वो जो कुछ किया उस लड़की के दुखों को देखकर किया । वो दिल का बुरा लड़का नहीं था । ये तुमसे अच्छा कौन जान सकता है । वो तो तुम्हारा सबसे करीबी दोस्त था न ! क्या तुम्हें लगता है कि वो ये सब पैसों के लिए किया होगा ? तुम तो जानते हो कि उसे रूपए पैसों की कभी भी तंगी नहीं थी ।
बेटा ! एक आखिरी बात कहनी थी क्योंकि थोड़ी देर बाद मैं भी अपने बेटे अमर के पास पहुंच चुकी होंगी । अपने बेटे के अस्थि कलश को लिए गंगा मैया में समाधी ले लुंगी । क्या करूंगी जीकर ! किसके लिए जिऊं ! मैं तो अब तक अपनी सांसें इसीलिए ढो रही थी कि उस हत्यारे को फांसी पर चढ़ते देख सकुं । मेरा बेटा वहां अकेले हैं ! वो मुझे पुकार रहा है ! वो मेरे बगैर कहीं भी रहा ही नहीं !
बेटा ! उसके पापा मरे थे तो वो पांच साल का था ! बहुत छोटा सा ! हमेशा मेरी पल्लू से ही बंधा रहता था ! तब से लेकर हमेशा ऐसा ही रहा ! दो महिने पहले तक भी वो कुछ नहीं करता था । सब कुछ मैं ही करती थी । बेटा.... बेटा.. वो अकेले कैसे करेगा ? मुझे जाना ही होगा । मुझे पता है वो बहुत परेशान हैं । वो जैसा बचपन में था वैसा ही आज भी है । मैं जा रही हूं अपने जिगर के टुकड़े के पास । "
मैं घुटनों के बल बैठ गया और फुट फुट कर रोने लगा ।
दो साल बाद ।
वीणा आज मेरी पत्नी है । अच्छी खासी नौकरी भी है ।
माॅम के लिए जो बुरे खयालात थे उससे मैंने कब का तौबा कर लिया ।
रीतु तो मेरी जान है । वो अभी भी वैसे ही अपने हरकतों से मुझे कभी हंसाती है तो कभी मेरी फजीहत कर देती है ।
काजल से अभी भी उसी तरह बातें करते रहता हूं । लेकिन सिर्फ बातें ही होती है ।
श्वेता दी और जीजू ने अपने फ्लैट को बेचकर दिल्ली में ही एक जगह फ्लैट खरीद लिया ।
श्वेता दी से भी सेक्सुअल सम्बन्ध खतम हो गया है । वो अपने फेमिली में व्यस्त हो गई है ।
अनुष्का और उसके हसबैंड की लाइफ भी ठीक ही चल रही है ।
संजय जी से एक बार बातों के दौरान पता चला कि आगरा में उन्हीं के कर्मचारी ने उन्हें मारने की कोशिश की थी । वो फिलहाल जेल में हैं । कुछ मालिक नौकर का प्रोब्लम था ।
मधुमिता की भी शादी हो गई है और वो बहुत खुश है ।
समाप्त ।
_______________________________________________
माफ कीजिएगा । ये कहानी यहीं समाप्त हो रही है ।
कुछ कमी है मुझमें जो मैं समय का मैनेजमेंट नहीं कर पा रहा ।
मुझे बहुत खुशी है कि एक ऐसे आदमी की कहानी को पसंद किया गया जिसने कभी कोई कविता तक नहीं लिखा हो ।
मैं उन सभी लोगों को शुक्रिया कहता हूं जिन्होंने मुझे इतना बर्दाश्त किया ।
और खास तौर पर फ़ायरफ़ॉक्स भाई का । यदि ये नहीं होते तो मैं शायद बहुत पहले लिखना छोड़ देता ।
थोड़ा सा इमोशनल हूं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं स्टोरी पढ़ना छोडूंगा या कमेंट नहीं करूंगा ।
बहुत बहुत धन्यवाद ।
Aapko bhi sapariwar dipawali ki dhero shubhkamnaye bade bhaiya ji,,,,,bhai logo itna bada issue mat banao................. jo baat sanju bhai ki hai wahi mere aur shubham bhai ke upar bhi lagoo hoti hai
ham teenon hi apni kahani ke updates se kai gune bade revies, comments other stories par dete hain
lekin apne update latka dete hain
iska ek hi reason hai...................... sirf ek hi sentence mein
dusre ki kahani ko analyse karne ke liye hamein imagin nahin karna sirf padhkar samajhna hota hai
lekin.......
apne update ko likhne se pahle pura imagine karna hota hai......... ek ek shabd ko kai bar badalna padta hai........ dobara likhna padta hai
kisliye???????????????
sirf isliye............. ki hum apko apni sarvottam kahani de sakein................. aur apko use padhne me anand mile
isliye dhairya rakhein aur prateeksha karein...................
gussa aur narajgi tab dikhana uchit hai..............
jab writer kahani ko band karke gayab ho jaye ya ...........aage kahani likhne se mana kare kitni bhi genuine wajah bata kar
ant mein..................
आप सभी को सपरिवार
दीपावली
की हार्दिक शुभकामनाएँ
थैंक्यू वेरी मच शुभम भाईEk shandaar kahani ka behtareen samapan hua, halaaki maine zara bhi ummid nahi ki thi ki is ek hi update me aur is tarah se aap saari baato ko samet kar kahani ko samaapt kar denge, lekin koi baat nahi. Aapne aisa kuch soch kar hi kiya hoga. Sanju bhaiya ji mujhe behad khushi huyi ki aapke dwara rachi gayi ek behtareen kahani mujhe padhne ko mili aur iske aapka bahut bahut shukriya. Aage bhi main yahi ummid karuga ki aap isi tarah ki behtareen kahaniya likhe aur ham sabhi ko unhe padhne ka saubhaagya pradaan kare,,,,,
Aakhir me bas yahi kahuga ki aapki is kahani ko padh kar zara bhi yakeen nahi ho raha ki aapne aisi kahani pahli baar likhi hai. Kyo ki thriller aur suspense ka jo tadka aapne is kahani me lagaya hai wo kisi bahut hi suljhe huye writer ko zaahir karta hai. Khair aage bhi aise hi likhte rahiye aur hame apni rachnaao ko padhne ka mauka dete rahiye,,,,