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Incest Sagar (Completed)

Ahmadsk

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Update 5 A.


घर पहुंचने के बाद खाना खाया फिर छत पर चला गया । अपना favorite brand classic का कश लगाया और कमरे में थोड़ी देर आराम किया ।

जब क्लब जाने का समय हुआ तो तैयार हो कर माॅम को बोलकर निकल गया । लड़के और लड़कियों को करीब डेढ़ घंटे ट्रेनिंग देने के बाद मैं क्लब के मैनेजर कुलभूषण खन्ना के आफिस गया और उनसे जाने की इजाजत मांगी ।

" अरे आओ, आओ सागर साहब । थोड़ी देर रेस्ट भी कर लिया करो ।" मैनेजर ने अपनी कनपटी सहलाते हुए कहा ।

" जी । शुक्रिया ।" मैं उसके मेज के आगे रखे हुए आरामदायक कुर्सी पर बैठ गया ।

" क्या पियोगे । चाय या कॉफी ।"

" जी चाय ।" मैंने मुस्कराते हुए कहा ।

उसने अपने स्टाफ को चाय लाने का आर्डर दिया । फिर मेरी तरफ मुखातिब हुआ ।

" और सुनाइए । आपका क्लास कैसा चल रहा है ।"

" बढ़िया । सब ठीक चल रहा है । सभी लोग काफी agressive है ।"
थोड़ी देर ठहर कर अपनी छोटी छोटी आंखों से मुझे घुरता हुआ बोला ।

" मैंने सुना है कि आप के जीजा मिस्टर राजीव सोलंकी के गाजियाबाद वाले फ्लेट में किसी का कत्ल हो गया था ।" उसने अपने कनपटी को खिंचते हुए कहा ।

मैं हैरान हुआ । " आप को कैसे पता ।"

" ऐसी खबरें अखबार वालों की नजर से कहा छुपती है ।"

" जी । आपने सही कहा । कत्ल मेरे दोस्त का हुआ था ।" मैंने धीरे से कहा ।

" क़ातिल पकड़ा गया या नहीं ।"

" नहीं । अभी पुलिस की तहकीकात चल रही है । मुझे पुरा विश्वास है क़ातिल देर सबेर पकड़ा ही जायेगा ।"

तभी स्टाफ चाय लेकर आ गया । हम चुप हो गए । चाय देने के बाद स्टाफ चला गया ।

मैं चाय की चुस्की ले ही रहा था कि तभी मैंने नोट किया मैनेजर की निगाह मेरी पीठ पीछे कहीं थी । मुझे अनुभव हुआ कि वहां तभी किसी ने कदम रखा था ।

" ओह ! सारी " -" मुझे अपने पीछे से एक मधुर लड़की स्वर सुनाई दिया -"मैंने समझा आप अकेले बैठे हैं तो ..."

" आओ आओ । सागर साहब अपने ही आदमी है । सागर साहब मेरी बीवी से मिलिए । और अनुष्का , ये सागर साहब है । क्लब के मार्शल आर्ट्स ट्रेनर ।'

होंठों पर एक मशीनी मुस्कराहट लिए मैं वापिस घुमा । मेरे दोनो हाथ अपने आप उपर उठ गये लेकिन इससे पहले कि वे नमस्कार की मुद्रा में जुड़ पाते , वे रास्ते में ही फ्रीज हो गये । मेरे चेहरे से मुस्कराहट उड़ गई और उसका स्थान गहरी हैरानी ने ले लिया ।

मेरे सामने वही कटे बालों वाली लड़की खड़ी थी जिसे मैंने जीजा के फ्लेट में देखा था जो एकदम से वहां से गायब हो गई थी ।

युवती की हालत भी मेरे जैसे ही थी । उसका शरीर जड़ हो गया था और चेहरे का रंग एकाएक उड़ गया था ।

मुझे लगा जैसे कि मैनेजर जान बुझ कर अपनी बीवी से मेरा सामना करवा रहा है । यदि इसे अखबारों से कतल का पता चला होगा तो जरूर उसमें उस संदिग्ध कटे बालों वाली लड़की का खबर भी छपी होगी । और शायद उसे अपनी आधे से भी कम उम्र वाली बीबी पर कोई शक वगैरह हो ।

मुझे उस वक्त युवती की हालत बड़ी दयनीय लगी ।

" नमस्ते ।" मैं बोला ।

" वेलकम मिस्टर सागर ।" उसने बड़ी कठिनाई से कहा ।

" आप लोग बातें कीजिए " वह अपने पति से बोली " मुझे जरा शोपिंग को जाना है ।"

और अपने पति के गाल पर किस करके निकल गई । मैंने सतर्क भाव से मैनेजर को देखा । वो अपलक बीबी को जाते देख रहा था ।

मैं भी चेयर से उठा और मैनेजर से जाने की अनुमति मांगी ।

मैं अभी क्लब के गेट के बाहर कदम रखा ही था कि मैनेजर की बीबी अनुष्का लपक कर मेरे सामने आई ।

" शुक्रिया ' वह बोली ।

" किस बात का" ?

" तुम जानते हो "

" एक बात बताइए "

" जल्दी पुछो "

" क्या कत्ल आपने किया है "

" ओह माई गॉड ! नो "

" तो क्या लाश वहां पहले से मौजूद थी "

" हां " । और अगर मैं बाथरूम नहीं जाती तो मुझे न जाने कब तक लाश के बारे में पता ही नहीं चलता । मैं वहां एक लाश के साथ ! " उसके शरीर ने जोर से झुरझुरी ली ।

" लाश को देखकर आपने क्या किया "

" मैंने क्या करना था । मैं तो वहां से निकलने ही वाली थी कि तुम आ गए थे "

" एक बात बताओ क्या आप के पति को आप पर शक है '

वो कुछ नहीं बोली ।

" क्या आपके राजीव सोलंकी से अफेयर है "

वो फिर चुप रही ।

" अगर आप अपने आप को एक कत्ल के केश में फंसा हुआ नहीं देखना चाहती है तो सच बोलिए "

" क्या हम बाद में हम बातें नहीं कर सकते हैं " वो जैसे याचना करते हुए बोली ।

" क्यों नहीं । जरुर "

" तुम अपना मोबाइल नंबर दो । मैं तुम्हें बाद में contact करती हूं " वो बोली ।

मैंने उसे अपना नम्बर दिया और वो जल्दी से वहां से निकल गई । मैंने भी अपनी बाइक घर की तरफ मोड़ ली ।
Excellent Update 👍👍
 
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Ahmadsk

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Update 6.


अगली सुबह जब मैं हाल में पहुंचा तब नाश्ते की तैयारी हो रही थी । मेरे कुर्सी पर बैठने के बाद माॅम ने नाश्ता लगाया ।


" तुम्हारी चाची आईं थी । श्वेता को गाजियाबाद छोड़ने को बोल रही थी " माॅम थाली में परांठे डालती बोली ।

" इतनी जल्दी ! अभी तो उसे आये हुए दो हफ्ते भी नहीं हुए " में खाते हुए बोला ।

" बोल रही थी राजीव जी ने बुलाया है "

" कब जाना है "

" आज ही । और जाना कितने बजे हैं ये नहीं बतायी "

" ठीक है । मैं फोन करने पुछ लेता हूं "

नाश्ते के बाद रीतु कालेज चली गई । मैंने डैड से अपनी बाइक के बदले कार exchange किया । डैड के जाने के पश्चात मैं अपने रूम जा कर श्वेता दी को फोन लगाया ।

" हैलो ! " उधर और श्वेता दी को आवाज आई ।

" हैलो ! गुले गुलजार , कैसी हो "

" मस्त , तु अपनी सुना "

" मैं भी मस्त "

" तो चल रहे हो न "

" क्या श्वेता दी । इतनी जल्दी क्यों जा रही है " - मैंने शिकायत भरें और में कहा ।

" मैं नहीं जाना चाहती थी लेकिन क्या करूं उनकी तबीयत कुछ ठीक नहीं है "

" क्या हुआ "

" सीजनल बुखार , सर्दी खांसी "

" निकलना कब तक है "

" अभी साढ़े नौ बजे हैं , तुम एक घंटे में आ जाओ "

" ओके एक घंटे बाद आ रहा हूं " कहकर फोन काट दिया और मैं जाने के लिए तैयार होने लगा ।

तैयार हो कर आईने के सामने कंघी करने लगा तभी अचानक मुझे कुछ याद आया और मैं उन स्पेशल किताबों को एक बार फिर से चेक करने लगा । आज भी सेम वही रिजल्ट । गायब हुई किताब मौजूद थी लेकिन एक दुसरी किताब गायब थी ।

मैं सोचने लगा कौन है जो रोज एक किताब पढ़ कर उसे वापस रख जाता है और फिर दुसरी किताब ले जाता है । जो भी हो , है तो कोई घर का मेम्बर ही । घर में मेरी फेमिली के अलावा श्वेता दी और उनका परिवार ही है जो बेखटक मेरे कमरे में आ सकता है । सिर्फ डैड और चाचा को छोड़कर । कैसे पता करूं । सभी का कमरा भी तभी चेक कर सकता हूं जब वो घर में नहीं रहे । माॅम , चाची , श्वेता दी , रीतु सभी एक से बढ़कर एक थी । चारों की चारों मेरी fantasy थी ।

लेकिन मैं इतना तो श्योर था कि इन चारों में से कोई एक है जो ये अश्लील कहानियां पढ़ रहा है और यदि पढ़ रहा है तो इस का मतलब उस औरत या लड़की की फैंटेसी भी वही है जो कि मेरी है । मतलब नाजायज संबंध ।

मैं बाद में इसकी पड़ताल करने की सोच कर माॅम को बाय बोल कर श्वेता दी के पास कार लेकर चला गया ।

श्वेता दी ने दरवाजा खोला ।

" नमस्ते ..नुरे नज़र " मैं बोला - " तैयार हो " ।

" नहीं " - वह मुस्कराते हुए बोली - " आओ " ।

मेरे घर में प्रवेश करने के बाद उसने दरवाजा बंद कर लिया । चाचा ड्यूटी गये थे । राहुल स्कूल में था ।

" चाची नहीं दिख रही है "

" यहीं पड़ोस में है , अभी आ जाएगी "

" मुझे बहुत खराब लग रहा है , अभी तो हमने मस्ती भी नहीं की , न ही कोई पिक्चर देखी और ना ही पार्क में हाथों में हाथ डाल कर घुमने गये और तुम अपने मियां के पास जा रही हो "

" बड़े आये हाथों में हाथ डाल कर घुमाने वाले । मैं कोई तुम्हारी बीवी नहीं हूं । अपनी बीवी को घुमाना "

" अभी शादी ही नहीं हुई है तो बीबी कहा से आयेगी । गर्लफ्रेंड को तो घूमा सकता हूं "

" मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूं "

" बहन कम गर्लफ्रेंड । तुम बोलो क्या नहीं है "

" अच्छा , अच्छा । अब चुपचाप वहां बैठो उधर " - मुस्कराते हुए बोली ।

मैं जाकर सोफे पर बैठ गया ।

" मैं कपड़े बदल कर आती हूं " - वह बोली ।

" मुझे भी मदद करने दो ना "

" किस काम में "

" कपड़े बदलने में "

" शट अप '

" ब्लाउज के बटन खुद कैसे बंद करोगी "

" मैं ब्लाउज पहनुगी ही नहीं "

" वाह । यह अच्छी बात है "

" मेरा मतलब है मैं शर्ट पहनुगी "

" ओह ! "

" अब हिलना मत यहां से "

मैंने यूं सहमति में सिर हिलाया जैसे मेरा कलेजा फटा जा रहा हो ।

वह चली गई । मैंने क्लासिक का पैकेट निकाला और एक सिगरेट सुलगा लिया । मेरी नजर सामने कैबिनेट पर रखे एक खंजर पर पड़ी । मैंने उसे उठा लिया और देखने लगा । वो एक एंटीक जापानी खंजर मालूम पड़ती थी ।

" जापानी है " -

मैंने सिर उठाया ।

वह कपड़े बदल कर आ चुकी थी । वह एक बेहद टाइट जींस और मर्दाना कमीज पहनी थी और उस लिबास में निहायत ही हसीन और कमसिन लग रहा थी ।

" जबाव नहीं कारीगरी और खुबसूरती का "

" खंजर की "

" तुम्हारी "

" शट अप । मैं जापानी खंजर की बात कर रही थी "

" और मैं उस गुडिया की बात कर रहा हूं जो इस वक्त मेरे सामने खड़ी है "

" गुड़िया ! कहां है गुड़िया "

" मेरे सामने तो खड़ी है । साक्षात "

" ओफफ ! छोड़ो कुछ पियोगे "

" तुम कुछ पिलाओगी तो क्यों नहीं पीऊंगा मैं " - उसके बड़े बड़े बूब्स को देखते हुए कहा ।

" मैं तो हो सकता है जहर पिला दूं " - मेरे नज़रों का पीछा करते हुए बोली ।

" मुझे वो भी कबूल होगा "

" तुम न बातें काफी दिलचस्प करते हो "

" करामातें भी काफी अच्छी करता हूं "

" करामातें ! कैसी करामातें "

" इजाजत हो तो पेश करूं एकाध "

" हां हां "

मैं उसकी तरफ बढ़ा तो वो फ़ौरन समझ गई और वहां से से हट गई ।
" बदमाश । एक नम्बर के कमीने हो "

" शुक्रिया " - मैं उसके सामने सिर झुकाते हुए कहा ।

" चलो । देर हो रही है " - कहते हुए मेरे पीठ पर एक हल्का सा धक्का दिया ।

हम कार में सवार हो कर गाजियाबाद के लिए निकल पड़े ।
Sensational Update 🔥
 
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Ahmadsk

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Update 6 A.


भीड़ भाड़ तक मैंने कार ठीक चलाईं फिर मैंने अपनी बांई बांह उसके कन्धे के पीछे लपेटी और उसे अपनी तरफ खींचने की कोशिश की ।

" गाड़ी चलाने की तरफ तवज्जो दो " - वह मेरी बांह परे करते हुए बोली " एक्सीडेंट हो जाएगा ।"

" तुम तो दिल तोड़ रही हो "

" ऐसे ही हरकतों के कारण ट्रेन से ज्यादा रोड एक्सीडेंट्स होते हैं "

" अच्छा ।" मैं मायूसी से बोला ।

" एक बात बताओ "

" पुछो "

" ऐसी हरकतों से कितनी लड़कियां पटा चुके हो "

" एक भी नहीं "

" झुठ मत बोलो । इतने हैंडसम हो , सुन्दर हो , पढ़ें लिखे हो और उससे भी बड़ी बात लच्छेदार बातें करते हो ।"

" शुक्रिया । मुझे नहीं पता था कि मेरे में इतने सारे गुण है । "

" बोलो ना "

" अरे बोला न । कोई नहीं है । ....वैसे एक है जिस पर मैं ट्राई कर रहा हूं लेकिन वो तो मेरी बांह ही झटक देती है "

" सो सैड ।" मुस्करा कर बोली - " कौन है वो " ।

" हमारे रोहिणी की ही है । बेचारी की शादी गाजियाबाद में एक खुसट से हुई है "

" च..च..च... बेचारी ।" - अफसोस भरे स्वर में बोली ।

" एक बात कहूं ! "

" हां.. हां.. बोलो ।"

" अगर उसकी शादी नहीं हुई होती न तो मैं उसे जबरदस्ती उड़ा ले गया होता ।"

" और वो नहीं जाना चाहती तो ।"

" बोला न जबरदस्ती उड़ा ले गया होता ।"

" जबरदस्ती ! "

" हां , जबरदस्ती ।"

" उसका हसबैंड तुम्हें गोली मार देता ।"

" मैंने कहा अगर उसकी शादी नहीं हुई होती तो ...। वैसे भी मैं ब्लैक बेल्ट हूं , उसके हसबैंड जैसे तीन चार लोगों को तो मैं दो मिनट में छठी का दूध याद दिला दूं ।" - मैंने उसे अपना मसल दिखाते हुए कहा ।

" बड़ा घमंड है अपनी ताकत पर ।"

" घमंड नहीं विश्वास है ।....कभी आजमा लेना ।"

" मैं क्यों आजमाऊ । जिसे आजमानी है वो आजमाएं ।"

" सच कहूं तो मुझे उसके पति से बड़ी जलन होती है ।"

" वो क्यों भला ।"

" इतनी शानदार रसमलाई का रोज रोज भोग लगाता होगा ।"

उसने मेरे भुजाओं में एक जोरदार का पंच मारा ।

" आउच " - मैं अपनी भुजाएं सहलाने लगा ।

" क्या जोर से लगी ।" - उसने संवेदना प्रकट करते हुए कहा ।

" नहीं नहीं । ठीक हूं ।" - मैंने उसके बाल सहलाते हुए कहा ।

थोड़ी देर बाद हम गाजियाबाद उसके फ्लेट के नीचे पहुंचे । कार से उतरकर मैंने कहा - " श्वेता दी ! आप अन्दर चलो , मैं थोड़ी देर में आ रहा हूं ।"

" कहां जा रहे हो ।" उसने पूछा ।

" यहीं बगल में । आप चलो मैं दस मिनट में आया ।"

" अच्छा ।" कहकर जैसे ही वह पलटी कि मैंने उसे रोकते हुए कहा - " श्वेता दी । एक मिनट , रुकना जरा ।"

" क्या हुआ ।" - वह रूकते हुए बोली ।

" मुझे राजीव जीजू से कुछ personal बातें करनी थी , इसलिए आप हम दोनों को कुछ देर के लिए अकेला छोड़ देंगी ? "

" क्यों ! क्या बात है ।" - वह संशय भरे स्वर में बोली ।

" है कूछ बात जो मैं आपको अभी नहीं बता सकता । "

" नहीं । पहले मुझे बताओ बात क्या है ।"

" जब तक उनसे बात नहीं हो जाती तब तक आप को नहीं बता सकता । हां उनसे बात होने के बाद मैं आप को बता दूंगा , वादा करता हूं आपसे ।" - मैंने उनके दोनों हथेलियों को अपने हाथों से सहलाते हुए कहा ।

" कोई गड़बड़ वाली बात नहीं है न ।"

" नहीं । ऐसी बात नहीं है ।" मैंने उन्हें विश्वास दिलाते हुए कहा ।

" ठीक है फिर ।" कहकर वो अपने फ्लैट की तरफ चली गई ।

उनके जाने के पश्चात मैं भी एक तरफ चला गया । थोड़ी पुछताछ करने पर मैं उस PCO में प्रवेश किया जहां से किसी अज्ञात व्यक्ति ने पुलिस को अजय के मर्डर की सूचना दी थी ।

PCO वाला कोई साठ पैंसठ साल का बुजुर्ग था जो आंखों में चस्मा लगाए हुआ था । मैं वहां इस मकसद से आया था कि शायद वो उस अज्ञात मुखबिर के बारे में कुछ जानकारी दे दे । पहले तो बुड्ढा बड़ा ना नुकुर किया । फिर काफी समझाने के बाद बोला कि उस दिन सुबह दस बजे से ही काफी बारिश हो रही थी । और इस कारण PCO में भीड़ नहीं थी । सिर्फ पांच या छः लोग ही उस दिन आये थे जो सभी के सभी मर्द थे । वो उनमें से किसी को भी पहचानता नहीं था । और जो लोग आये थे उन्हें दुबारा देखने पर पहचान भी नहीं पाएगा । ये सारी बातें तो पुलिस के द्वारा मुझे पहले से ही मालूम थी ।

मैं निराश हो कर श्वेता दी के फ्लेट के तरह चला गया ।

जब मैं जीजा के घर पहुंचा तब श्वेता दी ने अपने कपड़े चेंज कर ली थी और जीजू कमरे में blanket से ढके टीबी देख रहे थे । मुझे देखते ही उनके चेहरे पर मुस्कान आई ।

" आओ सागर । बैठो ।" उन्होंने बैठते हुए कहा ।

मैंने उनको नमस्कार करते हुए कहा - " अरे ! अरे ! आप लेटे रहो । कैसी तबीयत है अभी ।"

" ठीक हूं । पहले से बेहतर हूं ।"

मैंने उनका नब्ज छुआ । बुखार नहीं था । मैं उनके बगल में बिस्तर पर बैठ गया । तभी श्वेता दी ने चाय लाई और वो बिस्तर के पास लगे सोफे पर बैठ गई ।

चाय पीते हुए जीजा ने कहा - " तुम्हारे दोस्त अमर के क़ातिल का कुछ पता चला ?"

" अभी तक तो नहीं " मैं चाय की चुस्की लेते हुए कहा ।

" मेरे तो समझ में नहीं आ रहा है कि वह यहां कर क्या रहा था ? किसी ने आखिर उसे क्यों मारा ।"

" ये तो मुझे भी नहीं पता लेकिन वो जो भी हो आखिर में कब तक कानून के नजरों से छुपा रहेगा, कभी ना कभी तो पकड़ा जाएगा ही ।" - कहते हुए मैंने श्वेता दी को इशारा किया तो वो आंखों ही आंखों से हामी भरी ।

" मैं जरा किराने की दुकान से आ रही हूं " श्वेता दी ‌ने जीजू से कहा । और फिर मुझसे बोली - " तुम बैठो । खाना खा कर ही जाना । मैं बस थोड़ी देर में आईं ।"

मैंने सहमति में सिर हिलाया । वह चली गई ।

चाय खतम हो गई थी । मैंने क्लासिक का पैकेट निकाला और जीजा को आफर किया । उन्होंने सिगरेट निकाली लेकिन पीने का उपक्रम नहीं किया । मैंने अपनी सिगरेट सुलगाई , एक गहरा कश लगाया फिर जीजा की तरफ देखते हुए कहा ।

" जीजू , मुझे आप से कूछ बातें पुछनी थी ।"

" पुछो ।"

" मुझे पुरा विश्वास है कि मैं आप से जो कुछ पूछूंगा उसका जवाब आप सच सच देंगे ।"

" क्या बात है ! क्या पुछना चाहते हो ।" उन्होंने संशय भरे स्वर में कहा ।

" क्या आप ने अमर का खून किया ।" - मैंने स्पष्ट शब्दों में कहा ।

" क्या बकवास करते हो । मैं क्यों भला उसका खून करूंगा । मैं तो उसे ढंग से जानता तक नहीं ।"

" ओके । मान लिया । " - मैं उनके आंखों पर अपनी नजरें टिकाए बोला - " आप के फ्लेट में उस दिन जो लड़की थी , वो कौन थी ।"

" म.. मुझे क्या पता । होगी कोई । शायद कोई चोर होगी ।"

" आप उस लड़की को नहीं जानते ।"

" नहीं । मैं नहीं जानता ।"

" आप की जानकारी के लिए बता दूं कि मैं उस लड़की , उस कटे बालों वाली लड़की से मिल चुका हूं ।"

" क्या ! " अब जीजा कुछ बेचैन सा हो गया । उसने पहलु बदलते हुए कहा - " क. कौन है वो ।"

" ये तो आप मुझे बताइए कि वो कौन है जो आप के फ्लेट में आप का इन्तजार कर रही थी । और अगर .... अगर उसने लाश नहीं देखी होती तो वो वहां से भागती नहीं बल्कि आप के आने तक आप का इन्तजार कर रही होती ।"

अब जीजा के सर पर हवाइयां उड़ने लगा। वो बैचैन हुआ । इस बार उसने सिगरेट सुलगाई और उसके लम्बे लम्बे कश लगाया लगा |

वो बड़ी मुश्किल से बोला - " म. मैं तुम्हें सारी बातें बताता हूं लेकिन तुम्हें एक वादा करना होगा कि ये सब तुम श्वेता को नहीं बताओगे ।"

" जीजा ! ये एक कत्ल का मामला है । मेरे सबसे अजीज दोस्त अमर के कत्ल का । एक बुड्ढी औरत के एकलौते पुत्र का जिसकी जिन्दगी में उसके अलावा और कोई सहारा नहीं था । जिसकी जिन्दगी में अब दुःख और सिसकियों के अलावा कुछ नहीं बचा ।"

" वो अनुष्का थी । - " जीजा थके स्वर में बोला - " कालेज के दिनों में हम बहुत अच्छे दोस्त हुआ करते थे । धीरे धीरे हममें प्यार हुआ । मैं उससे शादी करना चाहता था लेकिन..." ।

" लेकिन क्या ? " मैं उत्सुकता से बोला ।

" उसके सपने काफी ऊंचे थे । वो रईसी की जिन्दगी जीने में यकीन करती थी । उसका सपना था कि उसका पति काफी अमीर हो । उसके पास गाड़ी हो , शोपिंग करने के लिए अनाप-शनाप पैसे हों , सोसल स्टेटस हो । लेकिन मैं ठहरा एक मध्यम वर्गीय परिवार का । मैं भला कहां से उसे ये सब दे पाता । एक साल के अफेयर के बाद उसने मुझे छोड़ दिया । फिर ना जाने कहां वो गायब हो गई ।"

" फिर आप से दुबारा कब मुलाकात हुई ।"

" उसके छः साल बाद एक दिन मैं अपने दोस्तों के साथ पैराडाइज क्लब गया । वहां वो मिली । स्वीमिंगपूल में । फिर उसके बाद हम कई बार मिले । उसने बताया उसकी शादी हो चुकी है किसी कुलभूषण खन्ना से । वो उसी पैराडाइज क्लब का मैनेजर था । कहने को तो वो क्लब का मैनेजर था लेकिन असलियत में उस क्लब के पचास पर्सेंट का हिस्सेदार था । उस क्लब के अलावा वो एक नाइटक्लब का भी मालिक है जो पहाड़गंज में है ।"

जीजा थोड़ी देर रुका फिर बोला ।

" उसकी शादी एक अमीर व्यक्ति से हो तो गई थी , उसके सपने भी पुरे हो रहे थे लेकिन शारीरिक जरूरतें से वो महरुम हो गई थी । उसका पति उसके जरूरतों को पूरा करने में असक्षम था । और कहते हैं ना पहला प्यार भुलाए नहीं भूलता । हम मिलने लगे । और फिर काफी करीब हो गये ।" कहकर जीजा चुप हो गया ।

" तो उस दिन आप दोनों की डेटिंग थी ।"

" हां । इसीलिए आफिस से बहाना बना कर जल्दी घर आ गया था ।"

" आप को क्या लगता है ? क्या उसने खून किया होगा ? क्या वो हिंसक प्रवृत्ति की है ।"

" नहीं , नहीं । वो कुछ भी हो सकती है लेकिन खुनी नहीं हो सकती है ।"

मैं उनसे कुछ और पुछता तभी श्वेता दी आ गई और हमारी बातों पर विराम लग गया ।

उसके बाद कुछ खास नहीं हुआ । खाना खाने के दौरान श्वेता दी ने जीजू से कहा - " उर्वशी और उसके हसबैंड ने हमें अपने घर बुलाया है । उनकी शादी की रिसेप्शन है परसों ।"

तभी मुझे याद आया कि जिस दिन अमर का खून हुआ था उसी दिन उनकी शादी थी ।

" मैं कैसे जा सकता हूं । अभी मुझे तो ठीक होने में कम से कम पांच सात दिन तक तो लग ही जायेंगे ।" - जीजा ने कहा ।

श्वेता दी उदास हो गई ।

" जाना कहां है ।" मैं खाते खाते पुछा ।

" आगरा ।" श्वेता दी गई कहा ।

" तुम सागर के साथ क्यों नहीं चली जाती " - श्वेता दी की उदासी देखकर जीजा ने कहा ।

" म..म.. मैं ।" मैं हड़बड़ा कर बोला ।

" हां । ये सही रहेगा । चलो न सागर । प्लीज़ ! एक ही तो सहेली है मेरी । मेरे नहीं जाने से वो बहुत गुस्सा करेगी ।" श्वेता दी ने कहा ।

" अरे ! मैं कैसे जा सकता हूं । कालेज जाना है फिर शाम को कराटे क्लास के लिए जाना है ।"

" प्लीज़ ! एक दिन की तो बात है । क्या एक दिन के लिए भी मेरे लिए तुम्हारे पास समय नहीं है ।" - उसने इमोशनल होते हुए कहा ।

" ओके ओके । चलूंगा ।" मैंने मुस्कराते हुए कहा ।

तभी जीजा ने अपनी राय दी । " सागर , तुम दिल्ली से ट्रेन से ही आ जाना और यहां से मेरी कार से आगरा चले जाना ।"

" ठीक है ।" कहकर मैं खाने की थाली से उठा और मुंह धोकर वापस आया ।

फिर मैंने जीजा से जाने की अनुमति ले कर दरवाजे की तरफ चल दिया । श्वेता दी मुझे छोड़ने दरवाजे तक आई ।

" बातें हो गई ।" श्वेता दी ने पूछा ।

" हां । बातें हो गई ।"

" फिर बताओ ।"

" मैंने आपको बताया था न कि बताउंगा । थोड़ी सब्र करो ।" कहकर मैंने उनको हग किया और दरवाजे से बाहर निकल गया । तभी श्वेता दी बोली -

" रूको ।

मैं रूक गया ।

" यहां आओ ।"

मैं उनके पास गया ।

वो मेरे गले लगी और मेरे दाहिने गाल पर एक किस कर दी ।

" अब जाओ ।" उन्होंने मुस्करा कर कहा ।

मैंने अपने होंठ की तरफ इशारा किया तो मुस्कराते हुए मुझे धक्का दिया और बोली - " परसो सुबह आठ बजे तक आ जाना ।"

" जो आज्ञा तुफाने हमदम ।" - मैंने हल्के से सर को झुकाया और अपने घर को निकल गया ।
Excellent Update 👍👍
 
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Ankitarani

Param satyagyani...
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Update..1.


" भैया भैया ‌, दीदी बुला रही है ।"

मैंने देखा सामने राहुल खड़ा था । राहुल मेरा कजन भाई । १८ साल का एक खुबसूरत और बहुत ही अच्छा लड़का ।

" क्या हुआ ? क्यों बुला रही है ? - मैंने पूछा ।

" पता नहीं भैया ।"

" तु चल , मैं थोड़ी देर में आ रहा हूं ।"

" क्या बात है सागर ? " - अमर ने पूछा ।

अमर मेरे स्कूल के समय से ही खास दोस्त था । हमने अपनी जिंदगी में काफी सारी खुशियां और गम साथ साथ ही बांटे थे । वो भी मेरी ही उम्र का २४ साल का बांका नौजवान था ।

एक टी स्टाल पर बैठे चाय सिगरेट का लुत्फ उठा रहे थे हम ।

" पता नहीं यार । मैं निकलता हूं , बाद में मिलते हैं ।"

मैं वहां से लम्बे लम्बे डग भरता हुआ घर निकल गया ।

मैं सागर । सागर चौहान । दिल्ली से विलोंग करता हूं । इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर का स्टुडेंट हूं । हाईट पांच फुट दस इंच । सिक्स पैक एब्स तो नहीं लेकिन तीन , चार तो है ही । देखने में भी स्मार्ट हूं । ऐसा लोग कहते हैं । थोड़ा बहुत जीम और एक्सरसाइज का भी असर पड़ा है ।

मैं अपने घर से कुछ कदम दूर ही था कि डैड को रास्ते से आते हुए देखा ।

" सागर , कहां थे ? तुम्हारी माॅम कब से खोज रही है " - डैड ने कहा ।

" क्या हुआ ?"

" मुझे पता नहीं । शायद श्वेता को कुछ काम है ।"

" श्वेता दी अपने घर पर ही है क्या ?"

" हां । जाओ देखो , क्या बात है ।"

" ठीक है ।"

डैड से कहकर मैं घर चला गया ।

मेरे डैड राजेश चौहान । बैंक में असिस्टेंट मैनेजर । उम्र ५१ साल । मेरी माॅम वर्षा । उम्र ४३ साल । उन दोनों की अरेंज मैरेज थी । शादी के पच्चीस साल होने वाले थे । उनके संतानों में मेरे अलावा सिर्फ एक मेरी छोटी बहन थी जो अभी ग्रेजुएशन के लास्ट इयर में थी । उसकी उम्र कुछेक महिने बाद इक्कीस को शुरू होने वाली थी ।
Wowww sanjuuu ji...kyaa baat...isme bhi shweta...pahla update pdha...kaafi achha starting hai.....kya ye shweta whi se uthai gyi hai....yaa fir apne ese hi naam de diya...anyway...shweta was also my favourite character...dekhte hai...isme kya hota hai...
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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Update..1.


" भैया भैया ‌, दीदी बुला रही है ।"

मैंने देखा सामने राहुल खड़ा था । राहुल मेरा कजन भाई । १८ साल का एक खुबसूरत और बहुत ही अच्छा लड़का ।

" क्या हुआ ? क्यों बुला रही है ? - मैंने पूछा ।

" पता नहीं भैया ।"

" तु चल , मैं थोड़ी देर में आ रहा हूं ।"

" क्या बात है सागर ? " - अमर ने पूछा ।

अमर मेरे स्कूल के समय से ही खास दोस्त था । हमने अपनी जिंदगी में काफी सारी खुशियां और गम साथ साथ ही बांटे थे । वो भी मेरी ही उम्र का २४ साल का बांका नौजवान था ।

एक टी स्टाल पर बैठे चाय सिगरेट का लुत्फ उठा रहे थे हम ।

" पता नहीं यार । मैं निकलता हूं , बाद में मिलते हैं ।"

मैं वहां से लम्बे लम्बे डग भरता हुआ घर निकल गया ।

मैं सागर । सागर चौहान । दिल्ली से विलोंग करता हूं । इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर का स्टुडेंट हूं । हाईट पांच फुट दस इंच । सिक्स पैक एब्स तो नहीं लेकिन तीन , चार तो है ही । देखने में भी स्मार्ट हूं । ऐसा लोग कहते हैं । थोड़ा बहुत जीम और एक्सरसाइज का भी असर पड़ा है ।

मैं अपने घर से कुछ कदम दूर ही था कि डैड को रास्ते से आते हुए देखा ।

" सागर , कहां थे ? तुम्हारी माॅम कब से खोज रही है " - डैड ने कहा ।

" क्या हुआ ?"

" मुझे पता नहीं । शायद श्वेता को कुछ काम है ।"

" श्वेता दी अपने घर पर ही है क्या ?"

" हां । जाओ देखो , क्या बात है ।"

" ठीक है ।"

डैड से कहकर मैं घर चला गया ।

मेरे डैड राजेश चौहान । बैंक में असिस्टेंट मैनेजर । उम्र ५१ साल । मेरी माॅम वर्षा । उम्र ४३ साल । उन दोनों की अरेंज मैरेज थी । शादी के पच्चीस साल होने वाले थे । उनके संतानों में मेरे अलावा सिर्फ एक मेरी छोटी बहन थी जो अभी ग्रेजुएशन के लास्ट इयर में थी । उसकी उम्र कुछेक महिने बाद इक्कीस को शुरू होने वाली थी ।
Nice introduction :D
Par yeh age likhne ki kya jarurat... bina umar jikra kiye bhi intro de sakta hai hero apne family ki :D
मैं सागर । सागर चौहान । दिल्ली से विलोंग करता हूं । इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर का स्टुडेंट हूं । हाईट पांच फुट दस इंच । सिक्स पैक एब्स तो नहीं लेकिन तीन , चार तो है ही । देखने में भी स्मार्ट हूं । ऐसा लोग कहते हैं । थोड़ा बहुत जीम और एक्सरसाइज का भी असर पड़ा है ।
Are are... khud ki tarif khud hi kiye ja raha hai banda :D
Woh kya kahte hai... are haan.. apne muh miyan mithu... :D
Btw starting badhiya hai...
So... Brilliant update with awesome writing skill sanju saheb :applause: :applause:
 

Naina

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Update 1 A


sham ke 6 baj rahe the jab main ghar pahuncha..mera ghar kahne ko to dotalla tha par uper wale floor me sirf 3 hi kamre the..aur baki pura chhat open tha.. chhat ke charno taraf kamar tak diwal lagi thi.. Niche ek 12 * 20 ka hall, hall ke dahine taraf 2 room aur bayen taraf 1 room tha. Bayen taraf hi kitchen aur ek store room tha. Store room ke baad diwar se lage darwaje se ghar ka back side khulta tha. Back side me hi hamara toilet aur bathroom tha...Chunki hamara ghar old jamane ka tha kyunki ye makan mere dada ke pitaji ne banwaya tha. Baad me mere father ne ese thora modern look me karwa diya tha aur baad me upper wale talle me 2 room aur 1 toilet cum bathroom banwa diya tha.
ghar toh badhiya hai.. aise kehte hai na home sweet home.... par yeh toilet ki baare mein kyun bata raha hai hero :lol:
readers thodi na udhar tak jhank karne jayenge :D

Bell bajane ke thori hi der baad Ritu ne darwaza khola.. Ritu mughse 3 saal choti aur ek nihayat hi khubsurat..jawani ke Daulat se malamal larki thi.
Figure_ 34.24.36. Nak nakas tikhe..aankhe jheel si jisme hamesha shararat dekhaye deti thi. Bhare bhare sharir aur sexy look, lambe kamar tak baal...Kul mila kar kahu to har mardon ke liye shadi ke liye pahle pasand thi.
Haan ishi ki kami thi :roflol:
Yeh shagar toh update 2 se hi apne insects wale gun dikhane lag gaye :D

" Mil aaye sohni se" usne kafi bholepan se pucha.

" Sohni... kaun Sohni" main aashcharya se bola.

" Mahiwal wale ki Sohniii...." Apne hothon ko ek ada se ragarte hue boli.

" Mahiwal ki Sohni... mahiwal... sohni... Sohni Mahiwal..ruk abhi tughe batata hu." Main dante katkata ke uski taraf jhapta.

Es se pahle main use pakarta wo khilkhila kar ghar ke andar bhag gaye.. Main muskarate hue andar prawesh kiya.

" Sweta didi" ... main jor se pukarte hue kaha.

"Kitchen me hun... yahi aa ja.".. Sweta didi ne jabab diya.

Main kitchen me gaya to waha mom aur Sweta didi ko dinner ki taiyari karte hue paya. Mom aur didi ko hug karte hue.." Rahul kah raha tha aap mujhe khoj rahi thi. Kya baat hai."

" Sagar..kya tum gaziabad ja sakte ho." Sweta didi ne kaha.

Gaziabad me Sweta didi ka sasural tha jaha unke husband Rajiv ek MNC company me karyarat the.

" Koi kaam hai kya."

" Haa.meri suitcase lani thi.. Rajiv ke pass time nahi hai.. unke office me koi urgent assignment hai.. tumhe to pata hai na kal Urvashi ki shadi hai."

Urvashi Sweta ki saheli thi jiske kal hi shadi thi. Main muskarate hue bola." Ok madam..par thodi sewa karne hogi."

" Kaise sewa." Sweta didi ne muskurate hue kaha.

" Baad me." Kah kar Sweta didi ko ek aankh marte hue muskrakar main wahan se nikalne hi wala tha ki mom ne muskura ke kaha..
" Kya apni bahan se bhi ghus- us lega."

" No mom..ghus nahi sirf us lunga.
Uri baba ek suitcase ke itni dur jana padega... are nahi usme toh jaruri documents hai.. par yeh Shweta se kis chiz ummid lagaye baitha hai shagar ... oh
Alexa reply pz =
Alexa = insects story line hai.. . zyada na soch.. chamalya :D
Khair let's see what happens next
kisko kya milta hai :D
Brilliant update with awesome writing skill :applause: :applause:
 
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258
baki ke postmortem Sunday ko... :D
Oh haan reviews kaise hai batayiga jarur sanju saheb :D
यदि मुझे पहले पता होता कि इस स्टोरी को इतनी हसीन युवतियां पढ़ने वाली हैं तो मैं और भी दिल से लिखता ।
मैंने यूं ही लाॅक डॉउन में समय काटने के लिए हल्के फुल्के मुड से लिख दिया था । लेकिन बाद में जब रीडर्स का रिस्पांस देखा तो अपनी गलती का अहसास हुआ । मुझे बड़ी ही शिद्दत से लिखना चाहिए था ।

और आपके रेभो के बारे में मैं क्या कहू..... छोटी मुंह बड़ी बात होगी । आप के रेभो देखकर तो कई रीडर्स कहानी पढ़ना शुरू कर देते हैं । और ये आप भी जानती है ।

आप को प्रत्येक अपडेट्स पर कमेंट करना कोई जरूरी नहीं है । आप बस एक बार पुरी कहानी पढ़ लें फिर एक बार में ही रेभो दे दीजिएगा । क्योंकि स्टोरी तो समाप्त हो गई है न !

हां ! अगर कभी दुसरी कहानी लिखना शुरू करूं तब आप से प्रत्येक अपडेट्स में आपकी राय जानना चाहूंगा ।
 

Naina

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यदि मुझे पहले पता होता कि इस स्टोरी को इतनी हसीन युवतियां पढ़ने वाली हैं तो मैं और भी दिल से लिखता ।
मैंने यूं ही लाॅक डॉउन में समय काटने के लिए हल्के फुल्के मुड से लिख दिया था । लेकिन बाद में जब रीडर्स का रिस्पांस देखा तो अपनी गलती का अहसास हुआ । मुझे बड़ी ही शिद्दत से लिखना चाहिए था ।

और आपके रेभो के बारे में मैं क्या कहू..... छोटी मुंह बड़ी बात होगी । आप के रेभो देखकर तो कई रीडर्स कहानी पढ़ना शुरू कर देते हैं । और ये आप भी जानती है ।

आप को प्रत्येक अपडेट्स पर कमेंट करना कोई जरूरी नहीं है । आप बस एक बार पुरी कहानी पढ़ लें फिर एक बार में ही रेभो दे दीजिएगा । क्योंकि स्टोरी तो समाप्त हो गई है न !

हां ! अगर कभी दुसरी कहानी लिखना शुरू करूं तब आप से प्रत्येक अपडेट्स में आपकी राय जानना चाहूंगा ।
Okay :thumbup:

tin types ke story line se nafrat hai...
ek insects stories jaha hero aur uske family maha papi hote hai .... dusri woh stories jaha bas hero ya phir heroine hi sab kuch baaki ke story characters jaise kuch hai nahi....
aur tisri woh stories jinme hero aur heroine bhole masoom hote hai par baaki kirdaar hero aur heroine ko thagte hai, loot te hai.. aur story ki ant mein hero aur heroine chutiya kehlate hai...
ab in story padh ke khoon khol jaaye toh main kya karu.. karni hai na :D bilkul karni hai.. sabhi characters band baja deni hai revo se hi :D
ab aate hai hum is story pe.. Kripaya us update ka number kya hai bata dijiye jahan murder ka silsila suru hua is story mein... woh kya hai na Ankitarani mam aur harshit1890 saheb ki story padhne ke baad aise psycho thriller mystery story line ki lat lag gayi hai :D
 
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