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Fantasy Samundar Ka Shikari ~ सम्राट मार्टिन की सल्तनत

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' बेलाडोना ' पर एक ठरकी राॅन कम था जो दूसरा आने की तैयारी में है ! आदित्य , ये बचा कैसे ? उसकी जहाज तो समुंदर के अंदर समा गई थी और वो भी डेविल्स ट्राएंगल में । खैर , जैसे भी हो बच तो गया पर ठरकीपन गया नहीं । मूर्क्षित अवस्था में भी रेत को छोकरी की प्राइवेट पार्ट समझकर अपनी उंगली घुसा रहा है । ठरकीपन का मिसाल है ये बंदा । और ऐसा लगता है ' बेलाडोना ' पर इसकी एंट्री होने वाली है । वैसे अच्छा भी है , डेविल्स ट्राएंगल से रूबरू हो चुका है यह । वहां पहुंचने में काफी मदद कर सकता है ।

नायर को अपने आखिरी सफर में भेज ही दिया राॅन ने । समंदर में ही उसकी समाधी बना दी । लेकिन यह बंदा आखिर बना हुआ किस चीज का है ? स्टील की रोड के दो टुकड़े कर दिए । कोई बेंड वगैरह नहीं बल्कि सीधे दो टुकड़ों में तोड़ दिया । कैसे?

राॅन ने रूबिना के साथ एकसठ बासठ भी कर लिया और हमें पता ही नहीं लगा ! थोड़ा लाइव साइव तो दिखाना चाहिए था न ज्ञानी भाई ! इसी बहाने रीडर्स भी ठंडी आहें भर लेते । :D

वैसे राॅन की तैयारी काफी अच्छी है । इस सफर पर निकलने के पहले काफी होम वर्क किया हुआ लगता है । नक्शे और रास्ते में पड़ने वाले दूसरी आइलैंड की जानकारी से ऐसा ही प्रतीत होता है ।

आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ज्ञानी भाई ।
जगमग जगमग अपडेट ।
 

Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
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Waiting for next update Bhai sa @Sgp2009
 

Nevil singh

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#4. FALLEN




"वैसे भी, जब तुमने मेरा नाम नहीं सुना तो डूब मरो... पानी भी है, डूब मरने के लिए.. और एक बात बताऊं.. अक्सर मशहूर चीजें, मशहूर नहीं होती... अब रूबी जानेमन को ही देख लो... कौन जानता है इसे..? लेकिन क्या ये किसी से कम है... फिर चाहे वो खूबसूरती मे या फिर..... धोखेबाजी, चालसाजी मे... "


"सुन मेरी बात..... "नायर, रॉन के बेहद करीब आकर धमकाते हुए बोला... "इस जहाज में सफर करना है तो, जो मैं कहता हूं, वह करना होगा... वरना कह तो अभी तुझे नीचे फेकवा देता हूं.... तेरे जैसो मजदूरों की कमी नहीं है, यहाँ "


"अच्छा, ऐसी बात है... नीचे फेकवाना है.. तो एक बात तुम भी अपना सब कुछ खोल के सुन लो, कप्तान नायर... डेविल्स ट्रायएंगल तुम्हारे घर के पीछे का नाला नहीं है कि गये, नहाए, पेशाब लगने पर उसी मे पेशाब कर दिया और फिर उसी पेशाब वाले पानी मे नहाकर वापस आ गये... उस जगह से, जहां हम जा रहे हैं.. वहां से यदि जिंदा वापस आना है तो.. मुझे तो इस जहाज में रखना ही पड़ेगा,कप्तान..... वरना मुझ जैसे मजदूर, बेहूदा, धूर्त इंसान को रुबीना खान अपने साथ क्यूँ लाती... जिससे वो मरते दम तक नफरत करती है. इसलिए समुन्दर मे रहना है तो जय श्री रॉन कहना है.... "इतना बोल कर रॉन वहां से चला गया.. जिसे रूबी और कप्तान नायर जाते हुए देखते रहे... पर रॉन की कही हुई, डेविल्स ट्राइंगल से जिंदा बापस लौटने की वो आखरी पंक्ति.. अब नायर के दिमाग में घूम रही थी, क्योंकि नायर को हॉस्पिटल मे हर पल जिंदगी के लिए जूझती हुई अपनी बेटी का खयाल आ गया था... रूबी, नायर के मन में चल रहे उलझन को समझ गई.



"रिलैक्स, नायर... रॉन क्या-क्या बोल कर निकल जाता है उसे कोई नहीं समझता.. वह खुद भी नहीं समझता.. उसकी अधिकतर बाते सिर्फ कोरी बकवास होती है... इसलिए हमें अब आगे की प्लानिंग करनी चाहिए .."


" मैं... मैं... आपको अपने असिस्टेंट से मिलवाता हूँ.... सेठ....."
नायर के बोलते ही जहाज की डेक मे दूसरी तरफ से नायर की तरह ही ऊँची कद -काठी का एक व्यक्ति, जो कुछ लोगो से बात कर रहा था... तेजी से रूबी और नायर के पास आया


"यस, कैप्टन "


"सेठ , इनसे मिलो... मिस रिया... और मैम... यही है मेरा खास असिस्टेंट होने के साथ- साथ मेरा दोस्त.. सेठ. इनके बारे मे हाल ही के दिनों मे आपने सुना होगा कि, जब पिछले महीने गल्फ ऑफ़ एडन मे सोमालियन समुद्री लुटेरों ने दो -दो हथियार लाने वाले जहाजो को लूटने का प्रयास किया था... सेठ उन्ही मे से एक जहाज मे था और इसी की बदौलत उन सोमालियन लुटेरों को समुन्दर मे जल -समाधि लेनी पड़ी थी..... "


" it's an honour to have a Sea Warrior in the team"सेठ की ओर हाथ बढ़ाते हुए रूबी बोली "अब चलो.... चल कर आगे की प्लानिंग कर ले"


तीनों जहाज के अंदर बने, एक कक्ष में प्रवेश किए.. जहां डेविल्स ट्राइंगल तक के समुद्री रास्ते का बहुत बड़ा नक्शा लगा हुआ था.... जो सिग्नल खो जाने की स्थिति को ध्यान मे रखकर वहा अटैच किया गया था.


" अटलांटिक महासागर मे.... यहां तक पहुंचने में हमें कोई ज्यादा परेशानी नहीं होगी.."मैप पर एक जगह लेज़र मारकर नायर ने कहा " लेकिन इसके बाद, यहां से पश्चिमी दिशा में... समुंदर के बारे में अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल होता है... क्यूंकि समुन्दर उसके आगे उथला हुआ है और बादलो से बहुत तेज बिजली चमकती है... उनके highly charged होने की कारण सिग्नल डिस्टर्बन्स देखने को मिलता है.... आज तक कोई समुद्री रास्ता भी ठीक से मैप नहीं कर पाया है. इसलिए वहां से आगे की प्लानिंग वहां पहुंचकर ही की जा सकती है, स्थितियों को देखकर, समझ कर... "


"ठीक है... अब मैं थोड़ा काम कर लूं.. रात का क्या इंतजाम है..?"


रिया, के सवाल पर नायर, सेठ की तरफ देखने लगा.... की कैसा इंतजाम...?? पर फिर थोड़ी देर बाद उसे और सेठ दोनों को समझ आया की रूबी रात मे बेलाडोना के सेफ्टी के बारे मे पूछ रही थी.


" मैम, मैंने सारी लाइट्स वगैरह सब चेक कर लिया.. सभी ठीक है और उनके किसी कारणवश ख़राब होने पर इमरजेंसी लाइट्स अलार्म बजने के साथ -साथ चालू हो जाएंगी. रडार के कारण हमें अपने आस -पास के unknown और unwanted ऑब्जेक्ट्स की इनफार्मेशन मिलती रहेगी और जैसा कि कप्तान ने बताया, अटलांटिक महासागर के पहले हमारे लिए कोई खतरा नहीं... बस एक आईलैंड पड़ेगा.. लेकिन वह सब बहुत दूर की बात है... बाकी जहाज को, समुंदर के उछाल भरी लहरों का सामना करना होगा.. जो कोई नई बात नहीं है...."


" वेल डन, . सेठ... Good Night"

" गुड नाइट, मैम..."


रूबी उस चेंबर रूम से बाहर निकल आई...


रॉन , जहाज के पार्टी वाले माहौल में गले मे एक सफ़ेद टॉवेल डालकर अभी भी बैठकर शराब पी रहा था.. उसने रुबीना का पर्सनल मिस्टर होने का बोलकर फ्री मे शराब की एक बोतल उठाई, प्रूफ के लिए उसने गले का टॉवेल को दिखा कर कहा कि ये बेलाडोना की मालकिन मिस रुबीना खान के बाथरूम का टॉवेल है.. जिसे उसने रुबीना को बाथरूम मे खड़े -खड़े चोदने के बाद निशानी के तौर पर उठा लिया था और फिर फ्री मे शराब की एक बोतल लेकर लुढ़कते हुए बाहर जहाज के डेक पर आ गया...


" मालूम नहीं आजकल के लौंडे अपने आप को क्या समझते हैं... कोई बात नहीं रॉन , तुझे जिस मौके का इंतजार था वह अब चुका है... चल फटाफट नक्शा खोल और देख डाल..."



रॉन जहाज के डेक मैं खड़े खड़े अपने जेब से एक नक्शा निकाला.. जो कपड़े का बना हुआ, बहुत ही प्राचीन नक्शा प्रतीत हो रहा था और जिसमे कुछ -कुछ चीजे आधुनिक नक़्शे से अलग थी.... रॉन ने शराब की बोतल एक तरफ रखी और किनारो पर लगे रेलिंग्स से सटकर वही नीचे बैठ गया और नक्शा देखने लगा..


"अब यहां से थोड़ा दाएं की ओर . "नक़्शे मे देखते हुए रॉन बड़बड़ाया और उसके ये बोलते ही थोड़ी देर बाद बेलाडोना ने दाहिनी ओर मुड़ना शुरू किया


"बहुत अच्छे, जहाज को दाएं ही मोड़ा जा रहा है... लेकिन इनको यह नहीं मालूम कि डेविल्स ट्राइंगल के पहले इन्हे एक नहीं बल्कि दो आईलैंड मिलेंगे.. इनके नक़्शे मे सिर्फ एक का पता होगा.. दूसरा वाला आईलैंड, कभी कभार ही समंदर से बाहर निकलता है, और यह समय उसके बाहर रहने का है... मेरा काम हो जाएगा..."


उधर... कप्तान नायर, को अपनी बेटी कि फिक्र हो रही थी... जबकि उसने कुछ देर पहले ही अपनी बेटी से बात की थी. उसका दिमाग़ हॉस्पिटल मे एडमिट अपनी बेटी पर ही था और तरह -तरह के बुरे खयाल आने पर वो बेचैन होकर बाहर डेक की तरफ चलने लगा..ताकि रात मे बह रही समुन्दर की ठंडी हवाओ से अपना मन शीतल कर सके. साथ ही वो बेलाडोना के राउंड पर भी था. बेलाडोना के विशाल डेक पर चक्कर लगाते हुए उसे एक किनारे रॉन बैठा हुआ दिखाई दिया... रॉन को वहा बैठा देख नायर को रॉन के साथ पहली मुलाक़ात मे हुई, अपनी नोक -झोक याद आ गई... पहले तो रूबी मौजूद थी और रूबी के सम्मान रखने के लिए नायर ने ज्यादा कुछ रॉन से नहीं कहा था.. लेकिन अब यहाँ उन दोनों के सिवा कोई नहीं था... नायर को रॉन की बदतमीजी का जवाब देने का यही सही मौका लगा और वो रॉन की तरफ बढ़ा...



" अबे गँवार... तू यहां क्या कर रहा है और यह तेरे हाथ में क्या है.."

नायर की आवाज़ सुन रॉन हड़बड़ा कर उठा और नक्शे को तुरंत अपनी जेब में रख लिया..

"मेरे हाथ में..?"अपने बगल मे रखी हुई शराब की बोतल को पकड़ते हुए रॉन ने कहा "मेरे हाथ मे तो शराब की बोतल है. जो मैं तुझे हरगिज नहीं दूंगा"


"मैं शराब की बोतल की बात नहीं कर रहा हूं.... तूने अभी-अभी जेब में क्या डाला.."


" मेरे जेब में..? होंगी कुछ समुद्री मछलियां... जो सड़ चुकी होंगी... और एक बात बताऊं, मुझे सड़ी हुई मछलियां खाने में बहुत मजा आता है"


नायर ने तुरंत अपने कमर में फंसा हुआ कप्तान वाला रॉड निकाला, जो इलेक्ट्रिक शॉक भी देता था और रॉन की तरफ रॉड करके बोला


" ज्यादा होशियारी नहीं, वरना पूरा का पूरा तेरे पेट में घुसा दूंगा...."


"निकल ले बच्चे.. वरना मार खाएगा.. वह भी बुरी तरह..."


"तू मुझे मारेगा.. एक कप्तान को.. तुझ जैसे ना जाने कितनों को मैंने इसी रॉड से पीट -पीट कर, करंट देकर सही किया है.. आज तो गया काम से.. तू "


"अच्छा ऐसा है.. इतना घमंड.. तो फिर आ जा.."


दोनों एक दूसरे को ताकते हुए एक दूसरे की तरफ धीरे - धीरे बढ़ने लगे... नायर ने रॉड को लंबा किया और रॉन के पैर को निशाना बना कर उसके पैर मे हमला करने का सोचा और जैसे ही नायर ने रॉड को रॉन के तरफ घुमाया... रॉन ने रॉड को एक पैर से रोका और फिर हल्का कूद कर दूसरे पैर से एक क्षण मे नायर का रॉड ही तोड़ दिया... नायर को यकीन ही नहीं हुआ कि... इतना मजबूत रॉड...इतनी आसानी से कैसे टूट सकता है. ये सब इतना फ़ास्ट हुआ था की नायर भौचाक्का रह गया... क्योंकि एक पल उसने रॉन को हमला करने के लिए रॉड उठाया था और दूसरे ही पल रॉड दो टुकड़ो मे उसके सामने था... जिसमे से एक हिस्सा उसके हाथ मे अब भी यथावत पहले की तरह था और दूसरा हिस्सा डेक मे नीचे पड़ा हुआ था ....



"कोशिश अच्छी थी..." रॉन बोला और वहां से तुरंत एक ओर भागा .. नायर भी गुस्से मे उसके पीछे दौड़ा....



" रुक, साले जंगली भागता कहां है.. अभी तो बहुत बड़ी-बड़ी बातें कर रहा था...."


लेकिन रॉन रुका नहीं... वो मुँह मे शराब की बोतल फ़साये जहाज के डेक के चारों तरफ लगातार भागता रहा... फिर एक समय ऐसा आया जब भागने के दौरान रॉन ने अपनी गति धीरे करके, किनारे पर लगे गोले -गोले स्टील के स्तम्भो पर पैर रखकर बेलाडोना के एकदम किनारे मे लगे रेलिंग्स पर ऊपर चढ़ गया और इधर -उधर हिलते हुए अपना बैलेंस बनाने लगा... इस समय यदि रॉन का थोड़ा सा भी बैलेंस गड़बडाता तो वो सीधे बेलाडोना के नीचे समुन्दर मे गिरता... . रॉन ने तो एक योजना के मुताबिक अपनी गति समय पर धीमी कर ली थी लेकिन नायर अब भी पूरी ताकत लगा कर रॉन के पीछे था..... वो गुस्से मे रॉन के पीछे भागते हुए जहाज के किनारे पर ना तो खुद को संभाल पाया और ना ही रॉन की तरह पलक झपकते ही ऊपर रेलिंग पर चढ़ पाया... इसके आलावा, रॉन ने अपनी तरफ तेजी से बढ़ते हुए नायर के सिर पर अपने गले मे लपेटे हुए टॉवेल को उसके ऊपर फेका और जब नायर उसके पास आया तो नायर का चेहरा उस कपड़े से चारो ओर से लपेट कर तुरंत कसकर बांध दिया...



"हा हा.... तो क्या बोल रहा था तू कि.... मेरे जैसे कितनो को तूने रॉड से पीट -पीट कर सही किया है.."नीचे डेक पर कूदकर वापस से शराब की बोतल को मुँह मे लगाते हुए रॉन नायर पर हंसा....


रॉन की बात का जवाब देने के बजाय नायर कपड़ा निकालने की कोशिश मे जुट गया... उसके आंखों के सामने पूरा अंधेरा था... इसी दौरान, छटपटाते हुए.. कपड़ा हटाने की कोशिश में नायर, जहाज के एकदम किनारे पहुंच गया.. और एकाएक जहाज के नीचे समुंदर में जा गिरा...


"Oooo... तेरी....."नायर के नीचे गिरते ही रॉन के हाथ से शराब की बोतल छूटकर नीचे गिरी.... रॉन, नायर को वहीं किनारे पर खड़े -खड़े नीचे गिरते हुए देखता रहा.


" भाग ले बेटा रॉन , यदि किसी को पता चल गया तो खैर नहीं... चल, चुप चाप दो-तीन बोतल चढ़ा कर सो जा, क्योंकि नायर भैया तो गये... अब आने वाला कप्तान तो तू ही है... जय श्री रॉन "


********
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" ये तो जीवित मालूम पड़ रहा है, सरदार ....?" एक आईलैंड में रहने वाले लोगों ने समुद्री तूफान मे बहकर आए हुए एक शख्स को किनारे पर देख आपस में एक दूसरे से अपनी भाषा मे पूछने लगे...


उस आइलैंड के जो लोग इस वक़्त समुद्री किनारे पर मौजूद थे वो अचंभित होकर तूफ़ान मे बह कर आए हुए एक शख्स को बीच -बीच मे अपने हाथो मे लिए हुए लकड़ी और लोहे से बने भिन्न - भिन्न प्रकार के हथियार से कोचकते और कोचक कर तुरंत पीछे हट जाते... किनारे पर पडे व्यक्ति के शरीर मे कोई हरकत ना होती, तो.... वो लोग फिर से ऐसा करते...


" लगता है मर गया है , इसके पहनावे से तो यह किसी जहाज का कप्तान लगता है... " वहां मौजूद आईलैंड के निवासियों में से एक बोला.. तभी किनारे पर पड़ा हुआ वह आदमी जिसे सब मरा हुआ समझ रहे थे, वह आँख बंद किये हुए ही अचानक खासने लगा....


" ये तो जिंदा है.."उसे ख़ासता देख, वहां मौजूद सभी लोग आपस में खुसर -फुसर करने लगे..



जो शख्स समुन्दर मे बहकर उन जंगलियों के आइलैंड के किनारे आया था, वो ख़ासने के बाद अपने एक हाथ की दो उंगलियों को सीधा किया और वही पडे -पडे रेत के अंदर घुसाते हुए ऐसे अंदर -बाहर करने लगा.. मानो वो किसी चूत के अंदर उंगलियों को अंदर -बाहर कर रहा हो और फिर पूरा का पूरा पंजा ही उसने रेत के अंदर घुसा दिया...


"इसकी माँ का... ये तो भोसड़ा है... पूरा हाथ घुस गया ."चौकते हुए उसकी आँख खुली और आँख खुलते ही वो और भी ज्यादा चौका... तब उसे याद आया की उसके साथ क्या हुआ था, वो वही वैसे ही पडे -पडे अपना एक हाथ ऊपर उठाकर उन जंगलियों को सम्बोधन करते हुए बोला....


"ओह्ह्ह... हे गाइस... आई एम कैप्टन आदि... तुम लोगों में से किसी ने मेरा कुछ चुराया तो नही...दो -दो हज़ार के नोट थे मेरी जेब मे...? बुरा मत मानना मेरी बात का पर... तुम सब शक्ल से ही चोट्टे मालूम पड़ते हो, साले गरीब... और इसका लंड, लवड़ा कितना बड़ा है... पीछे चल बे... वरना थोड़ा सा आगे होकर झुकेगा तो मेरे से टच हो जाएगा " नीचे पड़े- पडे आदित्य ने अपनी आँख खोलकर वहा अपने आस -पास देखते हुए उन लोगो से कहा


"मेरा जहाज तो गया, पर मजा आ गया... कैसे मै, उस लेडी ड्रैगन की चूत पे लात मार कर बच गया... तीन गोली मारा हूँ उसकी चूत मे.. लौड़ी, कैप्टन आदि से मुकाबला करने चली थी... समुन्दर की चूत नहीं है, वरना कैप्टन आदि, उसे भी थूक लगा कर चोद दिये रहता... झाट, लवड़ा..."उल्टा पलट कर समुन्दर की तरफ देखते हुए आदित्य ने कहा...


"लगता है, बाकी सब लाड चाट के उज्जर हो गये... मेरे अलावा कोई नहीं बचा... वो विदेशी लड़की भी नहीं बची, वही पुरे जहाज मे एकमात्र ऐसी मादा थी..जिसको मै चोद नहीं पाया... वरना जहाज की सभी जवान से लेकर बूढ़ी औरते तक... मुझे देख कर डर के मारे अपने चूत पर हाथ रख कर भाग जाती थी... वो गोरी लड़की भी मर गई लगता है... कोई बात नहीं, उसकी याद मे बैक टू बैक दो बार मुट्ठ मारकर, उसे Cum Tribute दूंगा..... पर ये जगह है कौन सी...?? और मै यहाँ पंहुचा कैसे...?? उससे भी बड़ा सवाल... मैं यहाँ से निकलूंगा कैसे....??"वापस आइलैंड की तरफ नजर घुमाते हुए आदित्य ने मन मे सोचा और तब उसकी फटी.....

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Jabardast update bhai
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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#4. FALLEN




"वैसे भी, जब तुमने मेरा नाम नहीं सुना तो डूब मरो... पानी भी है, डूब मरने के लिए.. और एक बात बताऊं.. अक्सर मशहूर चीजें, मशहूर नहीं होती... अब रूबी जानेमन को ही देख लो... कौन जानता है इसे..? लेकिन क्या ये किसी से कम है... फिर चाहे वो खूबसूरती मे या फिर..... धोखेबाजी, चालसाजी मे... "


"सुन मेरी बात..... "नायर, रॉन के बेहद करीब आकर धमकाते हुए बोला... "इस जहाज में सफर करना है तो, जो मैं कहता हूं, वह करना होगा... वरना कह तो अभी तुझे नीचे फेकवा देता हूं.... तेरे जैसो मजदूरों की कमी नहीं है, यहाँ "


"अच्छा, ऐसी बात है... नीचे फेकवाना है.. तो एक बात तुम भी अपना सब कुछ खोल के सुन लो, कप्तान नायर... डेविल्स ट्रायएंगल तुम्हारे घर के पीछे का नाला नहीं है कि गये, नहाए, पेशाब लगने पर उसी मे पेशाब कर दिया और फिर उसी पेशाब वाले पानी मे नहाकर वापस आ गये... उस जगह से, जहां हम जा रहे हैं.. वहां से यदि जिंदा वापस आना है तो.. मुझे तो इस जहाज में रखना ही पड़ेगा,कप्तान..... वरना मुझ जैसे मजदूर, बेहूदा, धूर्त इंसान को रुबीना खान अपने साथ क्यूँ लाती... जिससे वो मरते दम तक नफरत करती है. इसलिए समुन्दर मे रहना है तो जय श्री रॉन कहना है.... "इतना बोल कर रॉन वहां से चला गया.. जिसे रूबी और कप्तान नायर जाते हुए देखते रहे... पर रॉन की कही हुई, डेविल्स ट्राइंगल से जिंदा बापस लौटने की वो आखरी पंक्ति.. अब नायर के दिमाग में घूम रही थी, क्योंकि नायर को हॉस्पिटल मे हर पल जिंदगी के लिए जूझती हुई अपनी बेटी का खयाल आ गया था... रूबी, नायर के मन में चल रहे उलझन को समझ गई.



"रिलैक्स, नायर... रॉन क्या-क्या बोल कर निकल जाता है उसे कोई नहीं समझता.. वह खुद भी नहीं समझता.. उसकी अधिकतर बाते सिर्फ कोरी बकवास होती है... इसलिए हमें अब आगे की प्लानिंग करनी चाहिए .."


" मैं... मैं... आपको अपने असिस्टेंट से मिलवाता हूँ.... सेठ....."
नायर के बोलते ही जहाज की डेक मे दूसरी तरफ से नायर की तरह ही ऊँची कद -काठी का एक व्यक्ति, जो कुछ लोगो से बात कर रहा था... तेजी से रूबी और नायर के पास आया


"यस, कैप्टन "


"सेठ , इनसे मिलो... मिस रिया... और मैम... यही है मेरा खास असिस्टेंट होने के साथ- साथ मेरा दोस्त.. सेठ. इनके बारे मे हाल ही के दिनों मे आपने सुना होगा कि, जब पिछले महीने गल्फ ऑफ़ एडन मे सोमालियन समुद्री लुटेरों ने दो -दो हथियार लाने वाले जहाजो को लूटने का प्रयास किया था... सेठ उन्ही मे से एक जहाज मे था और इसी की बदौलत उन सोमालियन लुटेरों को समुन्दर मे जल -समाधि लेनी पड़ी थी..... "


" it's an honour to have a Sea Warrior in the team"सेठ की ओर हाथ बढ़ाते हुए रूबी बोली "अब चलो.... चल कर आगे की प्लानिंग कर ले"


तीनों जहाज के अंदर बने, एक कक्ष में प्रवेश किए.. जहां डेविल्स ट्राइंगल तक के समुद्री रास्ते का बहुत बड़ा नक्शा लगा हुआ था.... जो सिग्नल खो जाने की स्थिति को ध्यान मे रखकर वहा अटैच किया गया था.


" अटलांटिक महासागर मे.... यहां तक पहुंचने में हमें कोई ज्यादा परेशानी नहीं होगी.."मैप पर एक जगह लेज़र मारकर नायर ने कहा " लेकिन इसके बाद, यहां से पश्चिमी दिशा में... समुंदर के बारे में अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल होता है... क्यूंकि समुन्दर उसके आगे उथला हुआ है और बादलो से बहुत तेज बिजली चमकती है... उनके highly charged होने की कारण सिग्नल डिस्टर्बन्स देखने को मिलता है.... आज तक कोई समुद्री रास्ता भी ठीक से मैप नहीं कर पाया है. इसलिए वहां से आगे की प्लानिंग वहां पहुंचकर ही की जा सकती है, स्थितियों को देखकर, समझ कर... "


"ठीक है... अब मैं थोड़ा काम कर लूं.. रात का क्या इंतजाम है..?"


रिया, के सवाल पर नायर, सेठ की तरफ देखने लगा.... की कैसा इंतजाम...?? पर फिर थोड़ी देर बाद उसे और सेठ दोनों को समझ आया की रूबी रात मे बेलाडोना के सेफ्टी के बारे मे पूछ रही थी.


" मैम, मैंने सारी लाइट्स वगैरह सब चेक कर लिया.. सभी ठीक है और उनके किसी कारणवश ख़राब होने पर इमरजेंसी लाइट्स अलार्म बजने के साथ -साथ चालू हो जाएंगी. रडार के कारण हमें अपने आस -पास के unknown और unwanted ऑब्जेक्ट्स की इनफार्मेशन मिलती रहेगी और जैसा कि कप्तान ने बताया, अटलांटिक महासागर के पहले हमारे लिए कोई खतरा नहीं... बस एक आईलैंड पड़ेगा.. लेकिन वह सब बहुत दूर की बात है... बाकी जहाज को, समुंदर के उछाल भरी लहरों का सामना करना होगा.. जो कोई नई बात नहीं है...."


" वेल डन, . सेठ... Good Night"

" गुड नाइट, मैम..."


रूबी उस चेंबर रूम से बाहर निकल आई...


रॉन , जहाज के पार्टी वाले माहौल में गले मे एक सफ़ेद टॉवेल डालकर अभी भी बैठकर शराब पी रहा था.. उसने रुबीना का पर्सनल मिस्टर होने का बोलकर फ्री मे शराब की एक बोतल उठाई, प्रूफ के लिए उसने गले का टॉवेल को दिखा कर कहा कि ये बेलाडोना की मालकिन मिस रुबीना खान के बाथरूम का टॉवेल है.. जिसे उसने रुबीना को बाथरूम मे खड़े -खड़े चोदने के बाद निशानी के तौर पर उठा लिया था और फिर फ्री मे शराब की एक बोतल लेकर लुढ़कते हुए बाहर जहाज के डेक पर आ गया...


" मालूम नहीं आजकल के लौंडे अपने आप को क्या समझते हैं... कोई बात नहीं रॉन , तुझे जिस मौके का इंतजार था वह अब चुका है... चल फटाफट नक्शा खोल और देख डाल..."



रॉन जहाज के डेक मैं खड़े खड़े अपने जेब से एक नक्शा निकाला.. जो कपड़े का बना हुआ, बहुत ही प्राचीन नक्शा प्रतीत हो रहा था और जिसमे कुछ -कुछ चीजे आधुनिक नक़्शे से अलग थी.... रॉन ने शराब की बोतल एक तरफ रखी और किनारो पर लगे रेलिंग्स से सटकर वही नीचे बैठ गया और नक्शा देखने लगा..


"अब यहां से थोड़ा दाएं की ओर . "नक़्शे मे देखते हुए रॉन बड़बड़ाया और उसके ये बोलते ही थोड़ी देर बाद बेलाडोना ने दाहिनी ओर मुड़ना शुरू किया


"बहुत अच्छे, जहाज को दाएं ही मोड़ा जा रहा है... लेकिन इनको यह नहीं मालूम कि डेविल्स ट्राइंगल के पहले इन्हे एक नहीं बल्कि दो आईलैंड मिलेंगे.. इनके नक़्शे मे सिर्फ एक का पता होगा.. दूसरा वाला आईलैंड, कभी कभार ही समंदर से बाहर निकलता है, और यह समय उसके बाहर रहने का है... मेरा काम हो जाएगा..."


उधर... कप्तान नायर, को अपनी बेटी कि फिक्र हो रही थी... जबकि उसने कुछ देर पहले ही अपनी बेटी से बात की थी. उसका दिमाग़ हॉस्पिटल मे एडमिट अपनी बेटी पर ही था और तरह -तरह के बुरे खयाल आने पर वो बेचैन होकर बाहर डेक की तरफ चलने लगा..ताकि रात मे बह रही समुन्दर की ठंडी हवाओ से अपना मन शीतल कर सके. साथ ही वो बेलाडोना के राउंड पर भी था. बेलाडोना के विशाल डेक पर चक्कर लगाते हुए उसे एक किनारे रॉन बैठा हुआ दिखाई दिया... रॉन को वहा बैठा देख नायर को रॉन के साथ पहली मुलाक़ात मे हुई, अपनी नोक -झोक याद आ गई... पहले तो रूबी मौजूद थी और रूबी के सम्मान रखने के लिए नायर ने ज्यादा कुछ रॉन से नहीं कहा था.. लेकिन अब यहाँ उन दोनों के सिवा कोई नहीं था... नायर को रॉन की बदतमीजी का जवाब देने का यही सही मौका लगा और वो रॉन की तरफ बढ़ा...



" अबे गँवार... तू यहां क्या कर रहा है और यह तेरे हाथ में क्या है.."

नायर की आवाज़ सुन रॉन हड़बड़ा कर उठा और नक्शे को तुरंत अपनी जेब में रख लिया..

"मेरे हाथ में..?"अपने बगल मे रखी हुई शराब की बोतल को पकड़ते हुए रॉन ने कहा "मेरे हाथ मे तो शराब की बोतल है. जो मैं तुझे हरगिज नहीं दूंगा"


"मैं शराब की बोतल की बात नहीं कर रहा हूं.... तूने अभी-अभी जेब में क्या डाला.."


" मेरे जेब में..? होंगी कुछ समुद्री मछलियां... जो सड़ चुकी होंगी... और एक बात बताऊं, मुझे सड़ी हुई मछलियां खाने में बहुत मजा आता है"


नायर ने तुरंत अपने कमर में फंसा हुआ कप्तान वाला रॉड निकाला, जो इलेक्ट्रिक शॉक भी देता था और रॉन की तरफ रॉड करके बोला


" ज्यादा होशियारी नहीं, वरना पूरा का पूरा तेरे पेट में घुसा दूंगा...."


"निकल ले बच्चे.. वरना मार खाएगा.. वह भी बुरी तरह..."


"तू मुझे मारेगा.. एक कप्तान को.. तुझ जैसे ना जाने कितनों को मैंने इसी रॉड से पीट -पीट कर, करंट देकर सही किया है.. आज तो गया काम से.. तू "


"अच्छा ऐसा है.. इतना घमंड.. तो फिर आ जा.."


दोनों एक दूसरे को ताकते हुए एक दूसरे की तरफ धीरे - धीरे बढ़ने लगे... नायर ने रॉड को लंबा किया और रॉन के पैर को निशाना बना कर उसके पैर मे हमला करने का सोचा और जैसे ही नायर ने रॉड को रॉन के तरफ घुमाया... रॉन ने रॉड को एक पैर से रोका और फिर हल्का कूद कर दूसरे पैर से एक क्षण मे नायर का रॉड ही तोड़ दिया... नायर को यकीन ही नहीं हुआ कि... इतना मजबूत रॉड...इतनी आसानी से कैसे टूट सकता है. ये सब इतना फ़ास्ट हुआ था की नायर भौचाक्का रह गया... क्योंकि एक पल उसने रॉन को हमला करने के लिए रॉड उठाया था और दूसरे ही पल रॉड दो टुकड़ो मे उसके सामने था... जिसमे से एक हिस्सा उसके हाथ मे अब भी यथावत पहले की तरह था और दूसरा हिस्सा डेक मे नीचे पड़ा हुआ था ....



"कोशिश अच्छी थी..." रॉन बोला और वहां से तुरंत एक ओर भागा .. नायर भी गुस्से मे उसके पीछे दौड़ा....



" रुक, साले जंगली भागता कहां है.. अभी तो बहुत बड़ी-बड़ी बातें कर रहा था...."


लेकिन रॉन रुका नहीं... वो मुँह मे शराब की बोतल फ़साये जहाज के डेक के चारों तरफ लगातार भागता रहा... फिर एक समय ऐसा आया जब भागने के दौरान रॉन ने अपनी गति धीरे करके, किनारे पर लगे गोले -गोले स्टील के स्तम्भो पर पैर रखकर बेलाडोना के एकदम किनारे मे लगे रेलिंग्स पर ऊपर चढ़ गया और इधर -उधर हिलते हुए अपना बैलेंस बनाने लगा... इस समय यदि रॉन का थोड़ा सा भी बैलेंस गड़बडाता तो वो सीधे बेलाडोना के नीचे समुन्दर मे गिरता... . रॉन ने तो एक योजना के मुताबिक अपनी गति समय पर धीमी कर ली थी लेकिन नायर अब भी पूरी ताकत लगा कर रॉन के पीछे था..... वो गुस्से मे रॉन के पीछे भागते हुए जहाज के किनारे पर ना तो खुद को संभाल पाया और ना ही रॉन की तरह पलक झपकते ही ऊपर रेलिंग पर चढ़ पाया... इसके आलावा, रॉन ने अपनी तरफ तेजी से बढ़ते हुए नायर के सिर पर अपने गले मे लपेटे हुए टॉवेल को उसके ऊपर फेका और जब नायर उसके पास आया तो नायर का चेहरा उस कपड़े से चारो ओर से लपेट कर तुरंत कसकर बांध दिया...



"हा हा.... तो क्या बोल रहा था तू कि.... मेरे जैसे कितनो को तूने रॉड से पीट -पीट कर सही किया है.."नीचे डेक पर कूदकर वापस से शराब की बोतल को मुँह मे लगाते हुए रॉन नायर पर हंसा....


रॉन की बात का जवाब देने के बजाय नायर कपड़ा निकालने की कोशिश मे जुट गया... उसके आंखों के सामने पूरा अंधेरा था... इसी दौरान, छटपटाते हुए.. कपड़ा हटाने की कोशिश में नायर, जहाज के एकदम किनारे पहुंच गया.. और एकाएक जहाज के नीचे समुंदर में जा गिरा...


"Oooo... तेरी....."नायर के नीचे गिरते ही रॉन के हाथ से शराब की बोतल छूटकर नीचे गिरी.... रॉन, नायर को वहीं किनारे पर खड़े -खड़े नीचे गिरते हुए देखता रहा.


" भाग ले बेटा रॉन , यदि किसी को पता चल गया तो खैर नहीं... चल, चुप चाप दो-तीन बोतल चढ़ा कर सो जा, क्योंकि नायर भैया तो गये... अब आने वाला कप्तान तो तू ही है... जय श्री रॉन "


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itni khatarnak journey, upor se wo Devil's triangle.... in baaton chinta na karke ye dono kisi kutte billi ki tarah ladne lag gaye, aare dono jaise tu tu main main kar rahe the lage ki janmajaat dusmani hai dono ke bich... itni hi nafrat hai ek dusre se to jahaj alag alag chhoud par rehte.. aise ladayi karne kya faida hua.. captain nayar gaya samudra ke paani mein..
Aur ye jo soch raha hai Ron ki wo next captain banega, ye uski galatfami hai coz jahaj ke baaki sabhi log jaante hai Ron aur nayar ke bich dusmani chid chuki thi, sabke saamne bahas bhi ho gaya tha to nayar ko na dekh jahaj par, shaq ki sui to Ron pe hi jayegi na..
waise dekha jaaye to zyada galti nayar ki thi.. ushe bas apni beti aur is khatarnak journey ko leke matlab rakhna chahiye tha.. par kya kare, ego ko bhi to chhod nahi sakta tha, jiske chalte paani mein jaa Gira...
Waise Ron ke paas zyada jaankari hsi aur uski planning bhi kuch alag hi hai, ushe intezaar hai to bas us iland pahunchne ki..
Btw nayar ko bacha sakta tha wo madad karke... Lekin....
" ये तो जीवित मालूम पड़ रहा है, सरदार ....?" एक आईलैंड में रहने वाले लोगों ने समुद्री तूफान मे बहकर आए हुए एक शख्स को किनारे पर देख आपस में एक दूसरे से अपनी भाषा मे पूछने लगे...


उस आइलैंड के जो लोग इस वक़्त समुद्री किनारे पर मौजूद थे वो अचंभित होकर तूफ़ान मे बह कर आए हुए एक शख्स को बीच -बीच मे अपने हाथो मे लिए हुए लकड़ी और लोहे से बने भिन्न - भिन्न प्रकार के हथियार से कोचकते और कोचक कर तुरंत पीछे हट जाते... किनारे पर पडे व्यक्ति के शरीर मे कोई हरकत ना होती, तो.... वो लोग फिर से ऐसा करते...


" लगता है मर गया है , इसके पहनावे से तो यह किसी जहाज का कप्तान लगता है... " वहां मौजूद आईलैंड के निवासियों में से एक बोला.. तभी किनारे पर पड़ा हुआ वह आदमी जिसे सब मरा हुआ समझ रहे थे, वह आँख बंद किये हुए ही अचानक खासने लगा....


" ये तो जिंदा है.."उसे ख़ासता देख, वहां मौजूद सभी लोग आपस में खुसर -फुसर करने लगे..



जो शख्स समुन्दर मे बहकर उन जंगलियों के आइलैंड के किनारे आया था, वो ख़ासने के बाद अपने एक हाथ की दो उंगलियों को सीधा किया और वही पडे -पडे रेत के अंदर घुसाते हुए ऐसे अंदर -बाहर करने लगा.. मानो वो किसी चूत के अंदर उंगलियों को अंदर -बाहर कर रहा हो और फिर पूरा का पूरा पंजा ही उसने रेत के अंदर घुसा दिया...


"इसकी माँ का... ये तो भोसड़ा है... पूरा हाथ घुस गया ."चौकते हुए उसकी आँख खुली और आँख खुलते ही वो और भी ज्यादा चौका... तब उसे याद आया की उसके साथ क्या हुआ था, वो वही वैसे ही पडे -पडे अपना एक हाथ ऊपर उठाकर उन जंगलियों को सम्बोधन करते हुए बोला....


"ओह्ह्ह... हे गाइस... आई एम कैप्टन आदि... तुम लोगों में से किसी ने मेरा कुछ चुराया तो नही...दो -दो हज़ार के नोट थे मेरी जेब मे...? बुरा मत मानना मेरी बात का पर... तुम सब शक्ल से ही चोट्टे मालूम पड़ते हो, साले गरीब... और इसका लंड, लवड़ा कितना बड़ा है... पीछे चल बे... वरना थोड़ा सा आगे होकर झुकेगा तो मेरे से टच हो जाएगा " नीचे पड़े- पडे आदित्य ने अपनी आँख खोलकर वहा अपने आस -पास देखते हुए उन लोगो से कहा


"मेरा जहाज तो गया, पर मजा आ गया... कैसे मै, उस लेडी ड्रैगन की चूत पे लात मार कर बच गया... तीन गोली मारा हूँ उसकी चूत मे.. लौड़ी, कैप्टन आदि से मुकाबला करने चली थी... समुन्दर की चूत नहीं है, वरना कैप्टन आदि, उसे भी थूक लगा कर चोद दिये रहता... झाट, लवड़ा..."उल्टा पलट कर समुन्दर की तरफ देखते हुए आदित्य ने कहा...


"लगता है, बाकी सब लाड चाट के उज्जर हो गये... मेरे अलावा कोई नहीं बचा... वो विदेशी लड़की भी नहीं बची, वही पुरे जहाज मे एकमात्र ऐसी मादा थी..जिसको मै चोद नहीं पाया... वरना जहाज की सभी जवान से लेकर बूढ़ी औरते तक... मुझे देख कर डर के मारे अपने चूत पर हाथ रख कर भाग जाती थी... वो गोरी लड़की भी मर गई लगता है... कोई बात नहीं, उसकी याद मे बैक टू बैक दो बार मुट्ठ मारकर, उसे Cum Tribute दूंगा..... पर ये जगह है कौन सी...?? और मै यहाँ पंहुचा कैसे...?? उससे भी बड़ा सवाल... मैं यहाँ से निकलूंगा कैसे....??"वापस आइलैंड की तरफ नजर घुमाते हुए आदित्य ने मन मे सोचा और तब उसकी फटी.....

Photo-1625698913061
Kasam se I thought ki ye captain nayar hoga jo paani mein behte huye us iland pahunch gaya par ye to tharki aadi nikla :sigh:
Are yaar ye hawas ka pujari kaise jinda bach gaya :sigh:
are ye kya dinge haak raha un iland walo ke saamne...
aur ye jo apni flashback sunaye jaa raha hai unlogo ke saamne, Zara ye bhi dekh lete ki wo log samajh pa rahe ki nahi..
Well kahani abhi ruk ruk ke chal rahi hai, kayi mod aur pehlu aur drishya ek sath aa rahe hai.. I think jaldi hi kahani apni gati legi... isike chalte kayi twists bhi aayenge in kirdaaro ke life aur journey mein...
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :yourock: :yourock:
Oh haan us rubina ki aisi ki taisi :chop:
ushe bhi fek diya jaaye samundar mein to aur bhi maja aaye kahani padhne mein :booze:
 

Yug Purush

सादा जीवन, तुच्छ विचार
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#5. RAAJ ~राज
"लगता है, बाकी सब लाड चाट के उज्जर हो गये... मेरे अलावा कोई नहीं बचा... वो विदेशी लड़की भी नहीं बची, वही पुरे जहाज मे एकमात्र ऐसी मादा थी..जिसको मै चोद नहीं पाया... वरना जहाज की सभी जवान से लेकर बूढ़ी औरते तक... मुझे देख कर डर के मारे अपने चूत पर हाथ रख कर भाग जाती थी... वो गोरी लड़की भी मर गई लगता है... कोई बात नहीं, उसकी याद मे बैक टू बैक दो बार मुट्ठ मारकर, उसे Cum Tribute दूंगा..... पर ये जगह है कौन सी...?? और मै यहाँ पंहुचा कैसे...?? उससे भी बड़ा सवाल... मैं यहाँ से निकलूंगा कैसे....??"वापस आइलैंड की तरफ नजर घुमाते हुए आदित्य ने मन मे सोचा और तब उसकी फटी.....


आदित्य की भाषा समझना बाहरी दुनिया से कट कर रह रहे आइलैंड के उन लोगो के लिए कठिन था... इसलिए कैप्टन आदित्य के इस कई बार कुछ पूछने पर कोई उत्तर देने की बजाय वो सभी एक -दूसरे का मुँह ताकने लगते और जब आदित्य खिसिया कर जोर से उनपर हड़कता तो वो डरकर तीर -धनुष और भाला आदित्य की ओर कर देते. कुछ देर आँखे खोले वही पडे -पडे आदित्य उन लोगो को देखता रहा और फिर आईलैंड के लोगों की तरफ हाथ बढ़ाया.. ताकि वह उसे पकड़ कर कम से कम उठने में तो उसकी मदद करें. लेकिन आईलैंड के लोग आदित्य के हाथ बढ़ाते ही तुरंत दो कदम पीछे हट गऐ और अपने -अपने हथियार को आदित्य पर फिर से तान दिया...


"लगता है यह साले सब के सब जंगली है ... मेरी तरह अंग्रेजी नहीं जानते. कोई बात नहीं, अपुन गूंगो के माफिक़ इशारे में बात करेगा..." आदित्य ने मन में सोचा और एक बार फिर अपना हाथ उन जंगलियों की तरफ उसे उठाने का इशारा करते हुए बढ़ाया ताकि वो उसे उठने मे मदद करें... लेकिन अबकी बार उस आइलैंड के निवासी पहले से भी ज्यादा उचक कर पीछे हट गये....

"अरे तुम सबकी फट क्यों रही है... मैं भी तुम्हारी तरह एक इंसान हूं"


आदित्य की भाषा उन लोगों के लिए बिल्कुल समझ से परे थी. ऊपर से आदित्य का रवैया... वह लोग हुआ-हुआ करते हुए एक दूसरे से अपनी भाषा में बात करने लगे...


" सालों, तुमको हिंदी भी समझ नहीं आती... शुद्ध जंगली हो का बे.."


जवाब मे आदित्य को केवल उन लोगों के द्वारा हुआ-हुआ सुनने को मिला, जो वो एक दूसरे के साथ अपने -अपने हथियारों की तरफ कुछ इशारा करके कर रहे थे...


" कहां फस गया यार, एक तो वह पिछवाड़े से आग फेकने वाले पंछियो ने पहले ही मार रखी है, ऊपर से यह हुआ-हुआ, पता नहीं इन लोगों को क्या हुआ... "आदित्य अपना सर पकड़ कर बैठते हुए बड़बड़ाया और वहां मौजूद लोगों को आपस मे हुआ -हुआ करते हुए देखता रहा...


वहां मौजूद आइलैंड के सभी लोगों मे ... चाहे वह पुरुष हो या महिला, सभी के कान और नाक में छेद थे और लोहे के आभूषड़ो से सुसज्जित थे. कुछ लोगो ने लकड़ियों के आभूषण भी धारण किया हुआ था. कुछ अपना निचला होंठ तक छेदवाया हुआ था. एकमात्र चीज जो आदित्य को उन जंगलियों को अच्छी लगी वो ये कि... पुरुष हो या स्त्री... सभी ने सिर्फ कमर के नीचे ही वस्त्र धारण किया हुआ था.. कमर के ऊपर सब बिना कपड़ो के ही थे. जिससे उस आइलैंड की जवान महिलाएं, जिनकी छाती क़सी हुई थी... उनकी छातियों को देख आदित्य का लंड पैंट मे ही टनटना उठा और जब आदित्य ने उन्ही मे से एक जवान औरत की छातियों को देख अपने लंड को बाहर से मसला तो उसकी ये हरकत आइलैंड के उन लोगो को बहुत ख़राब लगी और वो सभी गुस्से से आपस मे हुआ -हुआ करते हुए आदित्य को घूर कर देखने लगे. आदित्य उन जंगलियों को अपनी तरफ घूरता देख अपना सिर नीचे कर लिया और तिरछी नज़र से औरतों का सीना देख कर फिर से अपने लंड को पैंट के ऊपर से मसला



"यह जंगली कही मुझे कच्चा खाने का विचार तो नहीं कर रहे है...? शकल से ही नरभक्षी मालूम पड़ते है... हे! समुंदर की देवी, प्लीज मेरी मदद करिये.. आइंदा कभी शराब के नशे मे आपको सोच कर गंदे -गंदे खयाल मन मे नहीं लाऊंगा...."


"भाषा से तो भारतीय प्रायद्वीप के लगते हो .... हिंदुस्तानी हो क्या ? "इतने में उन लोगों के बीच में से ही कोई बोला, जो अभी-अभी वहां आया था.



एक पल के लिए आदित्य को अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ कि कोई उससे हिंदी में बात कर रहा है... उसने तो अपने शरीर के मांस को इन जंगलिओं के मुंह में कच्चा चबाने तक की भी कल्पना कर ली थी.. पर मानो समुन्दर की देवी आज उसपर मेहरबान थी. वरना इन जंगलियों के बीच मे से वो हिंदी बोलने वाला शख्स अचानक कैसे वहा आ धमकता...? आदित्य ने ऊपर देखा.. लगभग उसी के उम्र का 30-32 साल का एक नौजवान उसकी तरफ देख रहा था... जो अभी -अभी आइलैंड के अंदर से किसी के किनारे पर आने की खबर सुनकर वहा आया था


" क्या तुम्हें हिंदी आती है... "आदित्य ने उस नौजवान से पूछा


" हां, मैं हिंदी समझ सकता हूं"


"गुड , मुझे यहां से बाहर निकलने का रास्ता बताओ..."


"थोड़ी देर आराम कर लो.. फिर इस बारे में बात करेंगे"


" इन लोगो के बीच आराम...? जहा हर पल ये नरभक्षी मुझे सिर्फ और सिर्फ मांस के टुकड़े की तरह देख रहे है... बिल्कुल नहीं.. मुझे जल्द से जल्द यहां से बाहर निकलना है... "


"ठीक है, रुको मैं इंतजाम.. देखता हूं" इतना कहकर उस नौजवान ने आइलैंड के लोगो से उनकी ही भाषा मे कुछ कहा...
उस हिंदी में बात करने वाले नौजवान के आने के बाद, वहां मौजूद जंगली लोग धीरे-धीरे एक -एक करके वहां से जाने लगे थे और कुछ देर बाद वहां किनारे पर सिर्फ आदित्य और वह नौजवान ही थे.


" अभी समुंदर को तैर कर पार करना पड़ेगा या फिर कोई इंतजाम किया है... "आदित्य ने कुछ देर बीत जाने पर फिर से उस नौजवान से पूछा


" मैंने अपने लोगों से बात की है.. वह देखो पीछे.."



आदित्य पीछे मुड़ा, उस आइलैंड के जंगली लोगो मे से चार लोग अपने कांधे पर एक छोटी सी नाव टांग कर उसी की तरफ आ रहे थे, जिनसे थोड़ी देर पहले आदित्य भयभीत हो उठा था.... आइलैंड के उस नौजवान ने आदित्य को एक पतवार की तरफ इशारा किया और इशारा पाते ही आदित्य ने वह पतवार उठा लिया. जिसके थोड़ी देर बाद दोनों नाव में बैठे और पतवार को समुन्दर की पानी मे लहराते हुए धीरे धीरे उस आइलैंड से दूर होने लगे....


"अच्छा एक बात बताओ, हम लोग हैं कहां.. मतलब यह जगह कौन सी है..?"जब आइलैंड उनकी आँखों से ओझल हो गया तो आदित्य ने नाव मैं बैठे उस नौजवान से पूछा


" पता नहीं...."


" यहां रहता है और तुझे पता नहीं..? "आदित्य को मन ही मन किसी गड़बड़ी की आशंका हुई


"हमें कभी जरूरत ही नहीं पड़ी यह जानने की..."


"कुछ भी...? वैसे तेरा नाम क्या है "


"राज.."


"क्या..? राज..? "आदित्य चौका... उसे लगा था कि इसका नाम किसी जंगली की तरह होगा, पर ऐसा नहीं था... राज, आदित्य के मन की उलझन को समझ गया और बोला..


"मैं इस आइलैंड का निवासी नहीं हूँ... मैं छोटा था, तब हमारे घर से मुझे और मेरी मां को कुछ अजीब लोगों ने जबरदस्ती उठा लिया था, मुझे ठीक से तो याद नहीं पर मुझे समुन्दर मे डूबने का सपना अब भी आता है... इस विशाल समुन्दर ने मुझे और मेरी मां को निगल लिया... फिर पता नहीं क्या हुआ.. मैं समंदर में बहते हुए यहां आ गया, जैसे की आज तुम आए और तुमसे पहले भी कई लोग आ चुके है.. .इन लोगों ने ही मुझे बचाया और पाल पोस कर बड़ा किया... पर फिर जब मै किशोरावस्था की दहलीज पर कदम रखा तो आइलैंड से बाहर आना जाना शरू हो गया... बस वही से मैने भिन्न -भिन्न जगहों पर जाकर कई भाषाएँ सीखी जिसमे से तुम जिस भाषा मे मेरे आइलैंड के लोगो से बात कर रहे थे, वो भी शामिल है और ये नाम मुझे मेरी माँ ने दिया था... मुझे मेरी माँ की शक्ल तक याद नहीं, लेकिन ये नाम मेरे जहन मे हमेशा तरो -ताजा रहा.. .क्योंकि इसी नाम से एक महिला अकसर सपने मे डूबते हुए मेरा नाम पुकारती है... वो अवश्य ही मेरी माँ होगी, क्योंकि अपने आखिर वक़्त पर वो मेरे माथे पर किस करके रोते हुए दूर धकेल देती है... मानो उन्हें किसी तरह मालूम हो कि, मैं नहीं डूबने वाला और ऐसा हुआ भी.... मैं, सपने मे उन्हें बचाने की कोशिश भी करता हूँ, पर कभी कामयाब नहीं रहता और फिर समुन्दर मे उनकी जान निकलता देख... उन्हें समुन्दर की सतह की ओर डूबते हुए देखता हूँ "



"अब समझा तुझे हिंदी कैसे आती है... तू इन जंगलियों में से नहीं है.. है ना.. सच कहा ना मैंने..."

" अब क्या समंदर में कूद जाऊ, तब ही यकीन करोगे...?

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********

"रॉन , तुमने कैप्टन नायर को कहीं देखा..?... " डेक पर जहाज के सबसे आखिरी छोर पर खड़ा रॉन जिस दिशा मे जहाज बढ़ रहा था, उधर अपनी नजरें गड़ाए दूर तक देखने की कोशिश कर रहा था... जितनी बडी लहरे, बेलाडोना से टकरा रही थी उससे भी कही ज्यादा बडी लहरे रॉन के मन मे उसके विचारों की टकरा रही थी... की तभी रूबी ने रॉन से नायर के बारे मे सवाल करके उसकी एकाग्रता भंग की ...


"मुझे क्या मालूम.. होगा कहीं"


" पूरे जहाज में ढूंढ लिया, जहाज में काम करने वाले आदमियों से भी ढूंढवाया... पर कैप्टन का कुछ पता नहीं...."


"यह तो बहुत बुरा हुआ.. पर कप्तान नायर आखिर गया कहा...?? कही मुझसे डरकर भाग तो नहीं गया रात मे..? मुझे तो ऐसा ही लग रहा है... पर तुम हार मत मानना जानेमन.. तुम ढूंढो और मुझे खबर करना, यदि मिल जाए तो.. अभी मुझे कुछ काम करना है"


रॉन वहां से दूर आ गया और अपने जेब से नक्शा निकाल उस नक्शे में कुछ देखने लगा..


" अच्छा तो... समुंदर के बीच इस रेगिस्तान में सम्राट मार्टिन का वो जादूई नक्शा दफन है... लेकिन उस रेगिस्तान तक पहुंचा कैसे जाए...? बिना उस नक्शे के मैं समुंदर का रास्ता भी नहीं पहचान पाऊंगा और ना ही मुर्दो के जहाज पर कब्ज़ा कर पाउँगा... बड़ी दुविधा है. कैसे जाऊं, कैसे वह नक्शा, वहां से निकालू...."


"रॉन , तुमने कैप्टन सर को कहीं देखा.... "नायर का पता ढूंढते ढूंढते अब सेठ ने रॉन को टोका


" अब तू कौन है बे.. और यह सब उस कप्तान को क्यों ढूंढ रहे हैं..? जब की वो डर कर रात मे भाग गया... "

" पहली बात तो ये की.. कप्तान के बारे मे कायदे से बात कर. और दूसरी बात ये की बिना कैप्टन के इस जहाज को आगे कौन ले जाएगा.. तू...? बस इसीलिए सब कप्तान को ढूंढ रहे हैं "

" अगर ऐसा है तो... मैं तैयार हूं... बना दो मुझे कप्तान. सच कहता हूं.. एक -एक को जिंदा वापस लाऊंगा"

" तू और कप्तान... हा हा हा हा... शक्ल है तेरी कैप्टन बनने की..."


"शक्ल पर जाएं तो फिर तो तू इस जहाज में शौचालय साफ करने के लायक़ भी नहीं.... पर फिर भी तू इस जहाज मे है, इतनी बेकार शक्ल होने के बावजूद. इसलिए चल फुट यहाँ से..."


" अभी मुझे कप्तान को ढूंढना है, इसीलिए जा रहा हूं.... पर अगली बार... तुझे जवाब जरूर दूंगा."


" मुझे इंतजार रहेगा.. तेरे उस जवाब का.. बदसूरत शकल वाले आदमी.... "



नायर के जहाज पर ना होने की वजह से पुरे जहाज मे अफरा -तफरी मच गई. जहाज में मौजूद सभी लोग, नायर को कई बार पूरे जहाज में ढूंढ चुके थे, लेकिन नायर का कहीं कोई अता पता नहीं चला... सब हैरान थे कि रातों-रात आखिर नायर गायब कहां हो गया. रूबी भी अब अपने कमरे में नायर को लेकर परेशान थी, क्योंकि जहाज को बहुत देर तक बिना कप्तान के छोड़ा नहीं जा सकता था.... ऊपर से रूबी अपने जिस मिशन पर निकली थी, उस मिशन मे नायर का बहुत बड़ा रोल था... लेकिन अब जब नायर ही गायब था तो रूबी का यूँ परेशान होना लाजिमी था...


"क्या सोच रही हो जानेमन..."रूबी के कमरे मे बिना पूछे सीधे अंदर आते हुए रॉन ने उससे पूछा

" रॉन , तुम यहां..? मेरे रूम में क्या कर रहे हो...? वो भी मुझसे बिना पूछे..."

" कुछ नहीं.. बस ऐसे ही... मन नहीं लग रहा था तो.. सोचा.. कोई तड़कती-फड़कती चीज ही देख लू और फिर तुम्हारा ध्यान आया"

" बकवास नहीं, रॉन... मै इस समय बहुत परेशान हूँ... पता नहीं नायर कहां गायब हो गया..."


" तुम लोग उसकी इतनी फिक्र क्यों कर रहे हो...? डर के भाग गया होगा. अभी भी वक्त है, मुझे बना दो कप्तान और मेरे गुलाम बन जाओ तुम सब. फिर देखो मेरा प्लान.... इस जहाज को क्लच के साथ अगला ब्रेक मार के, समुंदर में जहाज को ऐसे ड्रिफ्ट कराऊंगा ना....की.. समुंदर की सारी मछलियां पेला जाएंगी...."


" 1 मिनट... रॉन.... कहीं.... तुमने.... तो.... कुछ....नहीं.... किया..."रुक -रुक कर एक -एक शब्द पर वजन देकर रुबीना ने अपनी शंका व्यक्त की और फिर रॉन के चेहरे की ओर देखने लगी


"क्या ...?? मै.... मै...? तौबा -तौबा.. कैसी बात कर रही हो... अपने दिल से पूछो, तुम्हे जवाब मिल जायेगा और भला मै क्या कर सकता हूं.. मै तो मामूली सा सिर्फ एक जहाजी हूँ... कहा बहादुर कप्तान नायर और कहा मैं हर समय शराब के नशे मे टुन्न रहने वाला दो कौड़ी का शराबी "रूबी की आँखों मे आँखे डालकर देखकर रॉन उदास होते हुए बोला... " आज तुमने दिल तोड़ दिया मेरा ये कहकर रूबी, इतना दिल तो मेरा तब भी नहीं टूटा था.. ज़ब मैने तुमहरी सेक्रेटरी का महीनों पहले पोर्ट ऑफ़ कोलकाता मे पिछवाड़ा दबाया था.."


"सॉरी... रॉन.. मै भी क्या बोल दी.."


"कोई बात नहीं... हम दोनों तो दो जान एक जिस्म की तरह है.. मेरा मतलब दो जिस्म, एक जान की तरह..."कहते हुए रॉन ने रूबी को आँख मार दी...


" तुम मुझ पर चांस मारना बंद करो.. मैं तुम्हें कभी नहीं मिलने वाली."


" सब शुरू में यही बोलते हैं... पर फिर...... वैसे मैंने तुमसे सुंदर, सुंदरी आज तक नहीं देखी. पर वो छोड़ो, मुझे तुमसे एक काम की बात करनी है.."


"काम की बात.. और तुम...??"


Waiting for next
waiting for next
:shocking: new story
:congrats: kal charo update padhunga rebo 5th update se dunga :shy:
Waiting..
Waiting for next update Bhai sa @Sgp2009
 
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Moon Light

Prime
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#5. Raaj

"lagata hai, baaki sab laad chaat ke ujjar ho gaye... mere alaava koi nahibbacha... vo videshi ladki bh i nahi bachee, vahi pure jahaaj me ek maatra aisi maada thee..jisko mai chod nahi paaya... varna jahaaj ki sabhi javaan se lekar boodhi aurate tak... mujhe dekh kar dar ke maare apne choot par haath rakh kar bhaag jaati thee... vo gori ladkk bhee mar gayi lagata hai... koi baat nahi, uski yaad me back too back do baar mutth maar kar, use cum tribute dunga..... par ye jagah hai kaun si aur mai yahaa pahucha kaise... usse bhi bada savaal...? main yahaan se nikalunga kaise....??" vaapas ilaind ki taraph najar ghumaate huye aaditya ne man me socha aur tab uski phati....



Aditya ki bhasha samajhana baahari duniya se kat kar rah rahe ilaind ke un logo ke liye kathin tha... isliye Caiptan aaditya ke is kayi baar kuchh puchhne par koyi uttar dene ki bajay vo sabhi ek -dusre ka munh takne lagte aur jab aaditya khisiya kar jor se unpar hadakta to vo darkar teer -dhanush aur bhala aaditya ki or kar dete. kuchh der aankhe khole vahee pade -pade aaditya un logo ko dekhta raha aur phir ilaind ke logo ki taraf haath badhaaya.. taaki vah use pakad kar kam se kam uthne mein to uski madad kare. lekin ilaind ke log aaditya ke haath badhaate hee turant do kadam pichhe hat gaye aur apne -apne hathiyaar ko aaditya par phir se taan diya...


"Lagta hai yah saale sab ke sab jungli hai ... meri tarah angreji nahi jaante. koi baat nahin, apun gungo ke maafiq ishaare mein baat karega..."


aaditya ne man mein socha aur ek baar phir apna haath un jangaliyon ki taraf use uthaane ka ishaara karte huye badhaaya taaki vo use uthane me madad karen... lekin abki baar us ilaind ke nivasi pahle se bhi jyaada uchak kar peechhe hat gaye....


"are tum sabki fat kyon rahi hai... main bhi tumhaari tarah ek insaan hoon"


aaditya ki bhaasha un logon ke liye bilkul samajh se pare thi. upar se aaditya ka ravaiya... vah log hua-hua karte huye ek dusre se apni bhaasha mein baat karne lage...


" saalon, tumko hindi bhi samajh nahi aati... shuddh junglee ho ka be.."


javaab me aaditya ko keval un logon ke dvaara hua-hua sunne ko mila, jo vo ek dusre ke saath apne -apne hathiyaaron ki taraf kuchh ishaara karke kar rahe the...


" kahaan fas gaya yaar, ek to vah pichhavaade se aag fekne vaale panchhiyo ne pahle hi maar rakhi hai, upar se yah hua-hua, pata nahin in logon ko kya hua... "

aaditya apna sar pakad kar baithate huye badabadaaya aur vahaan maujood logon ko aapas me hua-hua karte huye dekhta raha... vahaan maujood ilaind ke sabhi logon me ... chaahe vah purush ho ya mahila, sabhi ke kaan aur naak mein chhed the aur lohe ke aabhushado se susajjit the. kuchh logo ne lakadiyon ke aabhushan bhi dhaaran kiya hua tha. kuchh apna nichala honth tak chhedavaaya hua tha. ek matra cheej jo aaditya ko un jungaliyon ki achchhi lagi vo ye ki... purush ho ya stree... sabhee ne sirph kamar ke niche hee vastr dharan kiya hua tha.. kamar ke upar sab bina kapdo ke hi the. jisse us ilaind ki javaan mahilayen, jinki chhaati kasi hui thi... unki chhaatiyon ko dekh aaditya ka lund paint me hi tantana utha aur jab aaditya ne unhi me se ek javaan aurat ki chhaatiyon ko dekh apne lund ko baahar se masala to uski ye harakat ilaind ke un logo ko bahut kharaab lagi aur vo sabhi gusse se aapas me hua-hua karte hue aaditya ko ghur kar dekhne lage. aaditya un jungaliyon ko apni taraph ghurta dekh apna sir neeche kar liya aur tirchhi nazar se auraton ka seena dekh kar phir se apne lund ko paint ke upar se masala.


"yah jungali kah i mujhe kachcha khaane ka vichaar to nahin kar rahe hai...? shakal se hi narabhakshi maalum padte hai... hey ! samundar ki devi, please meri madad kariye.. aainda kabhi sharaab ke nashe me aapko soch kar gande -gande khayaal man me nahin launga...."


"Bhasha se to Bharatiya Prayadeep ke lagte ho .... hindustani ho kya ? "

itne mein un logon ke beech mein se hee koyi bola, jo abhee-abhee vahaan aaya tha. ek pal ke liye aaditya ko apne kaanon par yakeen nahin hua ki koi usse hindi mein baat kar raha hai... usne to apne shareer ke maans ko in jungaliyon ke munh mein kachcha chabaane tak ki bhi kalpana kar li th i.. par maano samundar ki devi aaj uspar meharabaan thee. varna in jungaliyon ke beech me se vo hindi bolne vaala shakhs achanak kaise vaha aa dhamakata...?


Aaditya ne upar dekha.. lagabhag usi ke umr ka 30-32 saal ka ek naujavaan uski taraph dekh raha tha... jo abhee -abhee ilaind ke andar se kisi ke kinare par aane ki khabar sunkar vaha aaya tha


" kya tumhen hindi aati hai... " aaditya ne us naujavaan se poochha


" haan, main hindi samajh sakta hoon"


"good , mujhe yahaan se baahar nikalane ka raasta batao..."


"thodi der aaraam kar lo.. phir is baare mein baat karenge"


" in logo ke beech aaraam...? jaha har pal ye narabhakshee mujhe sirf aur sirf maans ke tukde kee tarah dekh rahe hai... bilkul nahin.. mujhe jald se jald yahaan se baahar nikalana hai... "


"theek hai, ruko main intajaam.. dekhta hoon"


itana kahkar us naujavaan ne ilaind ke logo se unki hee bhasha me kuchh kaha... us hindi mein baat karne vaale naujavaan ke aane ke baad, vahaan maujood jungali log dheere-dheere ek-ek karke vahaan se jaane lage the aur kuchh der baad vahaan kinaare par sirf aaditya aur vah naujavaan hee the.


" abhi samundar ko tair kar paar karna padega ya phir koi intajaam kiya hai... "aadity ne kuchh der beet jaane par phir se us naujavaan se poochha


" mainne apne logon se baat ki hai.. vah dekho peechhe.."

aaditya peechhe muda, us ilaind ke jungali logo me se chaar log apne kaandhe par ek chhoti si naav taang kar usi ki tara f aa rahe the, jinse thodi der pahale aaditya bhayabheet ho utha tha....

ilaind ke us naujavaan ne aaditya ko ek patvaar ki taraf ishaara kiya aur ishara paate hi aaditya ne vah patvaar utha liya. jiske thodi der baad dono naav mein baithe aur patvaar ko samundar ke pani me laharate huye dheere dheere us ilaind se door hone lage....


"achcha ek baat batao, ham log hain kahaan.. matalab yah jagah kaun see hai..?" jab ilaind unki aankhon se ojhal ho gaya to aaditya ne naav main baithe us naujavaan se poochha


" pata nahin...."


" yahaan rahta hai aur tujhe pata nahin..? " aadity a ko man hee man kisi gadabadi ki aashanka huyi


"hame kabhi jarurat hi nahin padi yah jaanane kee..."


"kuchh bhee...? vaise tera naam kya hai "


"Raj.."


"kya..? Raaj..? " aaditya chauka... use laga tha ki iska naam kisi jungali ki tarah hoga, par aisa nahin tha... Raaj, aaditya ke man ki ulajhan ko samajh gaya aur bola..

"main is ilaind ka nivasi nahin hoon... mai
chhota tha, tab hamaare ghar se mujhe aur meri maa ko kuchh ajeeb logo ne jabaradasti utha liya tha, mujhe theek se to yaad nahi par mujhe samundar me dubne ka sapna ab bhee aata hai... is vishaal samundar ne mujhe aur meri maa ko nigal liya... phir pata nahin kya hua.. main samandar mein bahte huye yahaa aa gaya, jaise kee aaj tum aai aur tumse pahle bhi kayi log aa chuke hai.. .in logo ne hi mujhe bachaaya aur paal pos kar bada kiya... par phir jab mai kishor avastha ki dahleej par kadam rakha to ilaind se baahar aana jaana shuru ho gaya... bas vahi se maine bhinn -bhinn jagaho par jaakar kayi bhashaye sikhi jisme se tum jis bhaasha me mere ilaind ke logo se baat kar rahe the, vo bhi shamil hai aur ye naam mujhe meri maa ne diya tha... mujhe meri maa ki shakl tak yaad nahi, lekin ye naam mere jahan me hamesha taro -taaja raha.. .kyonki isi naam se ek mahila akasar sapne me dubte huye mera naam pukaarati hai... vo avashya hi meri maa hogi, kyonki apne aakhir vaqt par vo mere maathe par kiss karke rote huye dur dhakel deti hai... maano unhe kisi tarah maalum ho ki, main nahi dubne vaala aur aisa hua bhi.... main, sapne me unhe bachaane ki koshish bhi karta hoon, par kabhi kaamyaab nahi rahta aur phir samundar me unki jaan nikalta dekh... unhe samundar kee satah ki or dubte hue dekhata hoon "


"ab samjha tujhe hindi kaise aati hai... tu in jangaliyon mein se nahi hai.. hai na.. sach kaha na mainne..."


" ab kya samandar mein kood jau, tab hi yakeen karoge...?


********
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"Ron , tumane Caiptan Naayar ko kahi dekha..? "

dek par jahaaj ke sabse aakhiri chhor par khada Ron jis disha me jahaaj badh raha tha, udhar apni najaren gadaye dur tak dekhne ki koshish kar raha tha... jitni badi lahare, belladona se takra rahi thi usse bhi kahi jyaada badi lahare Ron ke man me uske vichaaron ki takara rahee thee... ki tabhi Rubi ne Ron se Naayar ke baare me savaal karke uski ekaagrata bhang kee ...


"mujhe kya maalum.. hoga kahi"


" poore jahaaj mein dhundh liya, jahaaj mein kaam karne vaale aadamiyon se bhi dhundhavaaya... par Caiptan ka kuchh pata nahi...."


"yah to bahut bura hua.. par kaptaan Naayar aakhir gaya kaha...?? kahi mujhse darakar bhaag to nahi gaya raat me..? mujhe to aisa hee lag raha hai... par tum haar mat maanna jaaneman.. tum dhundho aur mujhe khabar karna, yadi mil jaye to.. abhi mujhe kuchh kaam karna hai"

Ron vahaan se door aa gaya aur apane jeb se naksha nikaal us nakshe mein kuchh dekhane laga..

" achchha to... samundar ke beech is registaan mein Samraat Martin ka vo jadui naksha daphan hai... lekin us registaan tak pahuncha kaise jaye...? bina us nakshe ke main samundar ka raasta bhi nahi pahachaan paunga aur na hi murdo ke jahaaj par kabza kar paunga... badi duvidha hai. kaise jaun, kaise vah naksha, vahaan se nikaaloo...."


"Ron , tumne Caiptan sir ko kahin dekha.... "

Naayar ka pata dhundhate dhundhate ab Seth ne Ron ko toka


" ab tu kaun hai be.. aur yah sab us kaptaan ko kyon dhundh rahe hain..? jab ki vo dar kar raat me bhaag gaya... "


" pahli baat to ye kee.. kaptaan ke baare me kaayde se baat kar. aur dusari baat ye ki bina Caiptan ke is jahaaj ko aage kaun le jaega.. tu...? bas isiliye sab kaptaan ko dhoondh rahe hain "


" agar aisa hai to... main taiyaar hoon... bana do mujhe kaptaan. sach kahta hoon.. ek -ek ko jinda vaapas launga"


" tu aur kaptaan... ha ha ha ha... shakl hai teri Caiptan banne ki..."


"shakl par jaye to phir to tu is jahaaj mein shauchaalaya saf karne ke laayaq bhee nahin.... par phir bhi t u is jahaaj me hai, itni bekaar shakl hone ke baavjood. isliye chal phut yahaan se..."


" abhi mujhe kaptaan ko dhundhana hai, isilye ja raha hoon.... par agali baar... tujhe javaab jarur dunga."


" mujhe intjaar rahega.. tere us javaab ka.. badasurat shakal vaale aadami.... "


Naayar ke jahaaj par na hone ki vajah se pure jahaaj me aphara -taphari mach gayi. jahaaj mein maujood sabhi log, Naayar ko kayi baar poore jahaaj mein dhundh chuke the, lekin Naayar ka kahin koi ata pata nahin chala... sab hairaan the ki raaton-raat aakhir Naayar gaayab kahaan ho gaya. Rubi bhi ab apne kamre mein Naayar ko lekar pareshaan thi, kyonki jahaaj ko bahut der tak bina kaptaan ke chhoda nahin ja sakata tha.... upar se Rubi apne jis mishan par nikli thi, us mishan me Naayar ka bahut bada roll tha... lekin ab jab Naayar hi gaayab tha to Rubi ka yoon pareshaan hona laajimi tha...

"kya soch rahi ho jaaneman..." Rubi ke kamre me bina poochhe seedhe andar aate huye Ron ne usse poochha


" Ron , tum yahaan..? mere room mein kya kar rahe ho...? vo bhi mujhse bina poochhe... "


" kuchh nahin.. bas aise hee... man nahin lag raha tha to.. socha.. koyi tadakati - phadakati cheej hi dekh lu aur phir tumhaara dhyaan aaya"


" bakavaas nahi, Ron... mai is samay bahut pareshaan hoon... pata nahi Naayar kahaan gaayab ho gaya..."


" tum log uski itni phikr kyon kar rahe ho...? dar ke bhaag gaya hoga. abhi bhi vaqt hai, mujhe bana do kaptaan aur mere gulaam ban jao tum sab. phir dekho mera plan.... is jahaaj ko cluch ke saath agla break maar ke, samundar mein jahaaj ko aise drift karaunga na....kee.. samundar ki saari machhaliyaan pela jayengi...."


" 1 minute... Ron.... kaheen.... tumne.... to.... kuchh....nahin.... kiya..." ruk -ruk kar ek -ek shabd par vajan dekar Rubina ne apni shanka vyakt ki aur phir Ron ke chehare ki or dekhane lagi


" kya ...?? mai.... mai...? tauba -tauba.. kaisi baat kar rahi ho... apne dil se puchho, tumhe javaab mil jaayega aur bhala mai kya kar sakata hoon.. mai to maamuli sa sirph ek jahaajee hoon... kaha bahaadur kaptaan Naayar aur kaha main har samay sharaab ke nashe me tunn rahane vaala do kaudi ka sharabi "

Rubi ki aankhon me aankhe dalkar dekha kar Ron udaas hote huye bola...

" aaj tumane dil tod diya mera ye kahakar Rubi, itna dil to mera tab bhi nahi tuta tha..

zab maine tumhari secretary ka mahino pahle Port of kolkata me pichhavaada dabaaya tha.."


"Sorry... Ron.. mai bhi kya bol dee.."


"koi baat nahi... ham dono to do jaan ek jism kee tarah hai.. mera matalab do jism, ek jaan kee tarah..." kahate huye Ron ne Rubi ko aankh maar dee...


"tum mujh par chance maarna band karo.. main tumhe kabhi nahi milne vaali."


" sab shuru mein yahee bolte hain... par phir...... vaise maine tumse sundar, sundari aaj tak nahi dekhi. par vo chhodo, mujhe tumse ek kaam kee baat karni hai.."


"kaam kee baat.. aur tum...??"
 
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