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Fantasy Samundar Ka Shikari ~ सम्राट मार्टिन की सल्तनत

Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
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Sai naya update badhiya tha,
Raj ka kaptan Aditya se milna gajab ka sanjog he.
Aur Ron ke kand ka pata jab chalega tav uska kya hota he he dekhna he.
 

Naik

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#4. FALLEN




"वैसे भी, जब तुमने मेरा नाम नहीं सुना तो डूब मरो... पानी भी है, डूब मरने के लिए.. और एक बात बताऊं.. अक्सर मशहूर चीजें, मशहूर नहीं होती... अब रूबी जानेमन को ही देख लो... कौन जानता है इसे..? लेकिन क्या ये किसी से कम है... फिर चाहे वो खूबसूरती मे या फिर..... धोखेबाजी, चालसाजी मे... "


"सुन मेरी बात..... "नायर, रॉन के बेहद करीब आकर धमकाते हुए बोला... "इस जहाज में सफर करना है तो, जो मैं कहता हूं, वह करना होगा... वरना कह तो अभी तुझे नीचे फेकवा देता हूं.... तेरे जैसो मजदूरों की कमी नहीं है, यहाँ "


"अच्छा, ऐसी बात है... नीचे फेकवाना है.. तो एक बात तुम भी अपना सब कुछ खोल के सुन लो, कप्तान नायर... डेविल्स ट्रायएंगल तुम्हारे घर के पीछे का नाला नहीं है कि गये, नहाए, पेशाब लगने पर उसी मे पेशाब कर दिया और फिर उसी पेशाब वाले पानी मे नहाकर वापस आ गये... उस जगह से, जहां हम जा रहे हैं.. वहां से यदि जिंदा वापस आना है तो.. मुझे तो इस जहाज में रखना ही पड़ेगा,कप्तान..... वरना मुझ जैसे मजदूर, बेहूदा, धूर्त इंसान को रुबीना खान अपने साथ क्यूँ लाती... जिससे वो मरते दम तक नफरत करती है. इसलिए समुन्दर मे रहना है तो जय श्री रॉन कहना है.... "इतना बोल कर रॉन वहां से चला गया.. जिसे रूबी और कप्तान नायर जाते हुए देखते रहे... पर रॉन की कही हुई, डेविल्स ट्राइंगल से जिंदा बापस लौटने की वो आखरी पंक्ति.. अब नायर के दिमाग में घूम रही थी, क्योंकि नायर को हॉस्पिटल मे हर पल जिंदगी के लिए जूझती हुई अपनी बेटी का खयाल आ गया था... रूबी, नायर के मन में चल रहे उलझन को समझ गई.



"रिलैक्स, नायर... रॉन क्या-क्या बोल कर निकल जाता है उसे कोई नहीं समझता.. वह खुद भी नहीं समझता.. उसकी अधिकतर बाते सिर्फ कोरी बकवास होती है... इसलिए हमें अब आगे की प्लानिंग करनी चाहिए .."


" मैं... मैं... आपको अपने असिस्टेंट से मिलवाता हूँ.... सेठ....."
नायर के बोलते ही जहाज की डेक मे दूसरी तरफ से नायर की तरह ही ऊँची कद -काठी का एक व्यक्ति, जो कुछ लोगो से बात कर रहा था... तेजी से रूबी और नायर के पास आया


"यस, कैप्टन "


"सेठ , इनसे मिलो... मिस रिया... और मैम... यही है मेरा खास असिस्टेंट होने के साथ- साथ मेरा दोस्त.. सेठ. इनके बारे मे हाल ही के दिनों मे आपने सुना होगा कि, जब पिछले महीने गल्फ ऑफ़ एडन मे सोमालियन समुद्री लुटेरों ने दो -दो हथियार लाने वाले जहाजो को लूटने का प्रयास किया था... सेठ उन्ही मे से एक जहाज मे था और इसी की बदौलत उन सोमालियन लुटेरों को समुन्दर मे जल -समाधि लेनी पड़ी थी..... "


" it's an honour to have a Sea Warrior in the team"सेठ की ओर हाथ बढ़ाते हुए रूबी बोली "अब चलो.... चल कर आगे की प्लानिंग कर ले"


तीनों जहाज के अंदर बने, एक कक्ष में प्रवेश किए.. जहां डेविल्स ट्राइंगल तक के समुद्री रास्ते का बहुत बड़ा नक्शा लगा हुआ था.... जो सिग्नल खो जाने की स्थिति को ध्यान मे रखकर वहा अटैच किया गया था.


" अटलांटिक महासागर मे.... यहां तक पहुंचने में हमें कोई ज्यादा परेशानी नहीं होगी.."मैप पर एक जगह लेज़र मारकर नायर ने कहा " लेकिन इसके बाद, यहां से पश्चिमी दिशा में... समुंदर के बारे में अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल होता है... क्यूंकि समुन्दर उसके आगे उथला हुआ है और बादलो से बहुत तेज बिजली चमकती है... उनके highly charged होने की कारण सिग्नल डिस्टर्बन्स देखने को मिलता है.... आज तक कोई समुद्री रास्ता भी ठीक से मैप नहीं कर पाया है. इसलिए वहां से आगे की प्लानिंग वहां पहुंचकर ही की जा सकती है, स्थितियों को देखकर, समझ कर... "


"ठीक है... अब मैं थोड़ा काम कर लूं.. रात का क्या इंतजाम है..?"


रिया, के सवाल पर नायर, सेठ की तरफ देखने लगा.... की कैसा इंतजाम...?? पर फिर थोड़ी देर बाद उसे और सेठ दोनों को समझ आया की रूबी रात मे बेलाडोना के सेफ्टी के बारे मे पूछ रही थी.


" मैम, मैंने सारी लाइट्स वगैरह सब चेक कर लिया.. सभी ठीक है और उनके किसी कारणवश ख़राब होने पर इमरजेंसी लाइट्स अलार्म बजने के साथ -साथ चालू हो जाएंगी. रडार के कारण हमें अपने आस -पास के unknown और unwanted ऑब्जेक्ट्स की इनफार्मेशन मिलती रहेगी और जैसा कि कप्तान ने बताया, अटलांटिक महासागर के पहले हमारे लिए कोई खतरा नहीं... बस एक आईलैंड पड़ेगा.. लेकिन वह सब बहुत दूर की बात है... बाकी जहाज को, समुंदर के उछाल भरी लहरों का सामना करना होगा.. जो कोई नई बात नहीं है...."


" वेल डन, . सेठ... Good Night"

" गुड नाइट, मैम..."


रूबी उस चेंबर रूम से बाहर निकल आई...


रॉन , जहाज के पार्टी वाले माहौल में गले मे एक सफ़ेद टॉवेल डालकर अभी भी बैठकर शराब पी रहा था.. उसने रुबीना का पर्सनल मिस्टर होने का बोलकर फ्री मे शराब की एक बोतल उठाई, प्रूफ के लिए उसने गले का टॉवेल को दिखा कर कहा कि ये बेलाडोना की मालकिन मिस रुबीना खान के बाथरूम का टॉवेल है.. जिसे उसने रुबीना को बाथरूम मे खड़े -खड़े चोदने के बाद निशानी के तौर पर उठा लिया था और फिर फ्री मे शराब की एक बोतल लेकर लुढ़कते हुए बाहर जहाज के डेक पर आ गया...


" मालूम नहीं आजकल के लौंडे अपने आप को क्या समझते हैं... कोई बात नहीं रॉन , तुझे जिस मौके का इंतजार था वह अब चुका है... चल फटाफट नक्शा खोल और देख डाल..."



रॉन जहाज के डेक मैं खड़े खड़े अपने जेब से एक नक्शा निकाला.. जो कपड़े का बना हुआ, बहुत ही प्राचीन नक्शा प्रतीत हो रहा था और जिसमे कुछ -कुछ चीजे आधुनिक नक़्शे से अलग थी.... रॉन ने शराब की बोतल एक तरफ रखी और किनारो पर लगे रेलिंग्स से सटकर वही नीचे बैठ गया और नक्शा देखने लगा..


"अब यहां से थोड़ा दाएं की ओर . "नक़्शे मे देखते हुए रॉन बड़बड़ाया और उसके ये बोलते ही थोड़ी देर बाद बेलाडोना ने दाहिनी ओर मुड़ना शुरू किया


"बहुत अच्छे, जहाज को दाएं ही मोड़ा जा रहा है... लेकिन इनको यह नहीं मालूम कि डेविल्स ट्राइंगल के पहले इन्हे एक नहीं बल्कि दो आईलैंड मिलेंगे.. इनके नक़्शे मे सिर्फ एक का पता होगा.. दूसरा वाला आईलैंड, कभी कभार ही समंदर से बाहर निकलता है, और यह समय उसके बाहर रहने का है... मेरा काम हो जाएगा..."


उधर... कप्तान नायर, को अपनी बेटी कि फिक्र हो रही थी... जबकि उसने कुछ देर पहले ही अपनी बेटी से बात की थी. उसका दिमाग़ हॉस्पिटल मे एडमिट अपनी बेटी पर ही था और तरह -तरह के बुरे खयाल आने पर वो बेचैन होकर बाहर डेक की तरफ चलने लगा..ताकि रात मे बह रही समुन्दर की ठंडी हवाओ से अपना मन शीतल कर सके. साथ ही वो बेलाडोना के राउंड पर भी था. बेलाडोना के विशाल डेक पर चक्कर लगाते हुए उसे एक किनारे रॉन बैठा हुआ दिखाई दिया... रॉन को वहा बैठा देख नायर को रॉन के साथ पहली मुलाक़ात मे हुई, अपनी नोक -झोक याद आ गई... पहले तो रूबी मौजूद थी और रूबी के सम्मान रखने के लिए नायर ने ज्यादा कुछ रॉन से नहीं कहा था.. लेकिन अब यहाँ उन दोनों के सिवा कोई नहीं था... नायर को रॉन की बदतमीजी का जवाब देने का यही सही मौका लगा और वो रॉन की तरफ बढ़ा...



" अबे गँवार... तू यहां क्या कर रहा है और यह तेरे हाथ में क्या है.."

नायर की आवाज़ सुन रॉन हड़बड़ा कर उठा और नक्शे को तुरंत अपनी जेब में रख लिया..

"मेरे हाथ में..?"अपने बगल मे रखी हुई शराब की बोतल को पकड़ते हुए रॉन ने कहा "मेरे हाथ मे तो शराब की बोतल है. जो मैं तुझे हरगिज नहीं दूंगा"


"मैं शराब की बोतल की बात नहीं कर रहा हूं.... तूने अभी-अभी जेब में क्या डाला.."


" मेरे जेब में..? होंगी कुछ समुद्री मछलियां... जो सड़ चुकी होंगी... और एक बात बताऊं, मुझे सड़ी हुई मछलियां खाने में बहुत मजा आता है"


नायर ने तुरंत अपने कमर में फंसा हुआ कप्तान वाला रॉड निकाला, जो इलेक्ट्रिक शॉक भी देता था और रॉन की तरफ रॉड करके बोला


" ज्यादा होशियारी नहीं, वरना पूरा का पूरा तेरे पेट में घुसा दूंगा...."


"निकल ले बच्चे.. वरना मार खाएगा.. वह भी बुरी तरह..."


"तू मुझे मारेगा.. एक कप्तान को.. तुझ जैसे ना जाने कितनों को मैंने इसी रॉड से पीट -पीट कर, करंट देकर सही किया है.. आज तो गया काम से.. तू "


"अच्छा ऐसा है.. इतना घमंड.. तो फिर आ जा.."


दोनों एक दूसरे को ताकते हुए एक दूसरे की तरफ धीरे - धीरे बढ़ने लगे... नायर ने रॉड को लंबा किया और रॉन के पैर को निशाना बना कर उसके पैर मे हमला करने का सोचा और जैसे ही नायर ने रॉड को रॉन के तरफ घुमाया... रॉन ने रॉड को एक पैर से रोका और फिर हल्का कूद कर दूसरे पैर से एक क्षण मे नायर का रॉड ही तोड़ दिया... नायर को यकीन ही नहीं हुआ कि... इतना मजबूत रॉड...इतनी आसानी से कैसे टूट सकता है. ये सब इतना फ़ास्ट हुआ था की नायर भौचाक्का रह गया... क्योंकि एक पल उसने रॉन को हमला करने के लिए रॉड उठाया था और दूसरे ही पल रॉड दो टुकड़ो मे उसके सामने था... जिसमे से एक हिस्सा उसके हाथ मे अब भी यथावत पहले की तरह था और दूसरा हिस्सा डेक मे नीचे पड़ा हुआ था ....



"कोशिश अच्छी थी..." रॉन बोला और वहां से तुरंत एक ओर भागा .. नायर भी गुस्से मे उसके पीछे दौड़ा....



" रुक, साले जंगली भागता कहां है.. अभी तो बहुत बड़ी-बड़ी बातें कर रहा था...."


लेकिन रॉन रुका नहीं... वो मुँह मे शराब की बोतल फ़साये जहाज के डेक के चारों तरफ लगातार भागता रहा... फिर एक समय ऐसा आया जब भागने के दौरान रॉन ने अपनी गति धीरे करके, किनारे पर लगे गोले -गोले स्टील के स्तम्भो पर पैर रखकर बेलाडोना के एकदम किनारे मे लगे रेलिंग्स पर ऊपर चढ़ गया और इधर -उधर हिलते हुए अपना बैलेंस बनाने लगा... इस समय यदि रॉन का थोड़ा सा भी बैलेंस गड़बडाता तो वो सीधे बेलाडोना के नीचे समुन्दर मे गिरता... . रॉन ने तो एक योजना के मुताबिक अपनी गति समय पर धीमी कर ली थी लेकिन नायर अब भी पूरी ताकत लगा कर रॉन के पीछे था..... वो गुस्से मे रॉन के पीछे भागते हुए जहाज के किनारे पर ना तो खुद को संभाल पाया और ना ही रॉन की तरह पलक झपकते ही ऊपर रेलिंग पर चढ़ पाया... इसके आलावा, रॉन ने अपनी तरफ तेजी से बढ़ते हुए नायर के सिर पर अपने गले मे लपेटे हुए टॉवेल को उसके ऊपर फेका और जब नायर उसके पास आया तो नायर का चेहरा उस कपड़े से चारो ओर से लपेट कर तुरंत कसकर बांध दिया...



"हा हा.... तो क्या बोल रहा था तू कि.... मेरे जैसे कितनो को तूने रॉड से पीट -पीट कर सही किया है.."नीचे डेक पर कूदकर वापस से शराब की बोतल को मुँह मे लगाते हुए रॉन नायर पर हंसा....


रॉन की बात का जवाब देने के बजाय नायर कपड़ा निकालने की कोशिश मे जुट गया... उसके आंखों के सामने पूरा अंधेरा था... इसी दौरान, छटपटाते हुए.. कपड़ा हटाने की कोशिश में नायर, जहाज के एकदम किनारे पहुंच गया.. और एकाएक जहाज के नीचे समुंदर में जा गिरा...


"Oooo... तेरी....."नायर के नीचे गिरते ही रॉन के हाथ से शराब की बोतल छूटकर नीचे गिरी.... रॉन, नायर को वहीं किनारे पर खड़े -खड़े नीचे गिरते हुए देखता रहा.


" भाग ले बेटा रॉन , यदि किसी को पता चल गया तो खैर नहीं... चल, चुप चाप दो-तीन बोतल चढ़ा कर सो जा, क्योंकि नायर भैया तो गये... अब आने वाला कप्तान तो तू ही है... जय श्री रॉन "


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" ये तो जीवित मालूम पड़ रहा है, सरदार ....?" एक आईलैंड में रहने वाले लोगों ने समुद्री तूफान मे बहकर आए हुए एक शख्स को किनारे पर देख आपस में एक दूसरे से अपनी भाषा मे पूछने लगे...


उस आइलैंड के जो लोग इस वक़्त समुद्री किनारे पर मौजूद थे वो अचंभित होकर तूफ़ान मे बह कर आए हुए एक शख्स को बीच -बीच मे अपने हाथो मे लिए हुए लकड़ी और लोहे से बने भिन्न - भिन्न प्रकार के हथियार से कोचकते और कोचक कर तुरंत पीछे हट जाते... किनारे पर पडे व्यक्ति के शरीर मे कोई हरकत ना होती, तो.... वो लोग फिर से ऐसा करते...


" लगता है मर गया है , इसके पहनावे से तो यह किसी जहाज का कप्तान लगता है... " वहां मौजूद आईलैंड के निवासियों में से एक बोला.. तभी किनारे पर पड़ा हुआ वह आदमी जिसे सब मरा हुआ समझ रहे थे, वह आँख बंद किये हुए ही अचानक खासने लगा....


" ये तो जिंदा है.."उसे ख़ासता देख, वहां मौजूद सभी लोग आपस में खुसर -फुसर करने लगे..



जो शख्स समुन्दर मे बहकर उन जंगलियों के आइलैंड के किनारे आया था, वो ख़ासने के बाद अपने एक हाथ की दो उंगलियों को सीधा किया और वही पडे -पडे रेत के अंदर घुसाते हुए ऐसे अंदर -बाहर करने लगा.. मानो वो किसी चूत के अंदर उंगलियों को अंदर -बाहर कर रहा हो और फिर पूरा का पूरा पंजा ही उसने रेत के अंदर घुसा दिया...


"इसकी माँ का... ये तो भोसड़ा है... पूरा हाथ घुस गया ."चौकते हुए उसकी आँख खुली और आँख खुलते ही वो और भी ज्यादा चौका... तब उसे याद आया की उसके साथ क्या हुआ था, वो वही वैसे ही पडे -पडे अपना एक हाथ ऊपर उठाकर उन जंगलियों को सम्बोधन करते हुए बोला....


"ओह्ह्ह... हे गाइस... आई एम कैप्टन आदि... तुम लोगों में से किसी ने मेरा कुछ चुराया तो नही...दो -दो हज़ार के नोट थे मेरी जेब मे...? बुरा मत मानना मेरी बात का पर... तुम सब शक्ल से ही चोट्टे मालूम पड़ते हो, साले गरीब... और इसका लंड, लवड़ा कितना बड़ा है... पीछे चल बे... वरना थोड़ा सा आगे होकर झुकेगा तो मेरे से टच हो जाएगा " नीचे पड़े- पडे आदित्य ने अपनी आँख खोलकर वहा अपने आस -पास देखते हुए उन लोगो से कहा


"मेरा जहाज तो गया, पर मजा आ गया... कैसे मै, उस लेडी ड्रैगन की चूत पे लात मार कर बच गया... तीन गोली मारा हूँ उसकी चूत मे.. लौड़ी, कैप्टन आदि से मुकाबला करने चली थी... समुन्दर की चूत नहीं है, वरना कैप्टन आदि, उसे भी थूक लगा कर चोद दिये रहता... झाट, लवड़ा..."उल्टा पलट कर समुन्दर की तरफ देखते हुए आदित्य ने कहा...


"लगता है, बाकी सब लाड चाट के उज्जर हो गये... मेरे अलावा कोई नहीं बचा... वो विदेशी लड़की भी नहीं बची, वही पुरे जहाज मे एकमात्र ऐसी मादा थी..जिसको मै चोद नहीं पाया... वरना जहाज की सभी जवान से लेकर बूढ़ी औरते तक... मुझे देख कर डर के मारे अपने चूत पर हाथ रख कर भाग जाती थी... वो गोरी लड़की भी मर गई लगता है... कोई बात नहीं, उसकी याद मे बैक टू बैक दो बार मुट्ठ मारकर, उसे Cum Tribute दूंगा..... पर ये जगह है कौन सी...?? और मै यहाँ पंहुचा कैसे...?? उससे भी बड़ा सवाल... मैं यहाँ से निकलूंगा कैसे....??"वापस आइलैंड की तरफ नजर घुमाते हुए आदित्य ने मन मे सोचा और तब उसकी फटी.....

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#4. FALLEN




"Jab tumne mera naam nahin suna to doob maro... paani bhi hai, doob marane ke liye.. aur ek baat batau.. aksar mashahur cheeje, mashahur nahi hoti... ab Rubi jaaneman ko hi dekh lo... kaun jaanata hai ise..? lekin kya ye kisi se kam hai... phir chaahe vo khubasurati me ya phir..... dhokhebaaji, chalasaji me... "

"sun meri baat..... "Naayar, Ron ke behad kareeb aakar dhamakaate huye bola... "is jahaaj mein saphar karana hai to, jo main kahta hoon, vah karna hoga... varna kah to abhi tujhe neeche fekva deta hoon.... tere jaise majadooron kee kamee nahi hai, yahaan "

"achha, aisi baat hai... niche fekvaana hai.. to ek baat tum bhi apna sab kuchh khol ke sun lo, kaptaan Naayar... devils triangle tumhaare ghar ke peechhe ka naala nahi hai ki gaye, nahaye, peshaab lagne par usi me peshab kar diya aur phir usi peshaab vaale paani me nahaakar vaapas aa gaye... us jagah se, jahaan ham ja rahe hain.. vahaan se yadi jinda vaapas aana hai to.. mujhe to is jahaaj mein rakhna hi padega, kaptaan..... varna mujh jaise majadoor, behooda, dhoort insaan ko Rubina khan apne saath kyoon laati... jisse vo marte dam tak napharat karati hai. isliye samundar me rahna hai to jay shree Ron kahana hai.... "itana bol kar Ron vaha se chala gaya.. jise Rubi aur kaptaan Naayar jaate hue dekhte rahe... par Ron ki kahi huyi, devils traingle se jinda baapas lautne ki vo aakhari pankti.. ab Naayar ke dimaag mein ghoom rahi thi, kyonki Naayar ko hospital me har pal jindagi ke liye joojhati huyk apani beti ka khayaal aa gaya tha... Rubi, Naayar ke man mein chal rahe ulajhan ko samajh gayi.

"Relax, Naayar... Ron kya-kya bol kar nikal jaata hai use koi nahi samajhta.. vah khud bhi nahi samajhta.. usaki adhikatar baate sirph kori bakvaas hoti hai... isliye hame ab aage ki planing karni chaahiye .."

" main... main... aapko apne asistent se milvaata hun.... seth....." Naayar ke bolte hee jahaaj kee dek me dusari taraf se Naayar ki tarah hi unchi kad -kaathi ka ek vyakti, jo kuchh logo se baat kar raha tha... teji se Rubi aur Naayar ke paas aaya

"yes, Caiptan "

"seth , inse milo... mis Rubi... aur maim... yahi hai mera khaas asistent hone ke saath- saath mera dost.. seth. inke baare me haal hi ke dino me aapne suna hoga ki, jab pichhle mahine galph of Edan me somaaliyan samudree lutero ne do -do hathiyaar laane vaale jahaajo ko lutane ka prayaas kiya tha... seth unhi me se ek jahaaj me tha aur isi ki badaulat un somaaliyan luteron ko samundar me jal -samaadhi leni padi thi..... "

" it's an honour to have a sai warrior in the team" seth ki or hath badhate huye Rubi boli "ab chalo.... chal kar aage ki planing kar le"

Teeno jahaaj ke andar bane, ek kaksh mein pravesh kiye.. jahaan devils traingle tak ke samudree raaste ka bahut bada naksha laga hua tha.... jo signal kho jaane ki sthiti ko dhyaan me rakhakar vaha attach kiya gaya tha.

" Atlantic Mahasagar me.... yahaan tak pahunchane mein hame koi jyaada pareshaani nahi hogi.."map par ek jagah lezar maarkar Naayar ne kaha " lekin iske baad, yahaan se pashchimi disha mein... samundar ke baare mein andaja lagana thoda mushkil hota hai... kyunki samundar uske aage uthala hua hai aur baadlo se bahut tej bijali chamakati hai... unke highly charged hone ki karan signal disturbance dekhane ko milta hai.... aaj tak koi samudree raasta bhi thik se map nahi kar paaya hai. isliye vahaa se aage ki plaaning vahaa pahunchkar hi ki ja sakati hai, sthitiyon ko dekhkar, samajh kar... "

"theek hai... ab main thoda kaam kar loon.. raat ka kya intajaam hai..?" Rubi, ke savaal par Naayar, seth ki taraf dekhne laga.... ki kaisa intajaam...?? par phir thodi der baad use aur seth donon ko samajh aaya ki Rubi raat me belladona ke sefty ke baare me poochh rahi thi.

" maim, maine saari lights vagairah sab chek kar liya.. sabhi theek hai aur unke kisi kaaranvash kharaab hone par emergency lights alarm bajne ke saath -saath chaalu ho jayengi. Radar ke kaaran hame apne aas -paas ke unknown aur unwanted objects ki information milti rahegi aur jaisa ki kaptaan ne bataaya, Atlantic Mahasagar ke pahle hamaare liye koi khatara nahin... bas ek iland padega.. lekin vah sab bahut door ki baat hai... baaki jahaaj ko, samundar ke uchhaal bhari laharon ka saamana karana hoga.. jo koi nayi baat nahin hai...."

" Well done , seth... i m going to bed... good night."

" good night, maim..." Rubi us chambar room se baahar nikal aayi... Ron , jahaaj ke party vale maahaul mein gale me ek tovel daalkar abhi bhi baithakar sharab pi raha tha.. usne Rubina ka personal matter hone ka bolakar free me sharaab ki ek bottle uthai, proof ke liye usne gale ka tovel ko dikha kar kaha ki ye belladonna ki maalkin mis Rubina khan ke bathroom ka tovel hai.. jise usne Rubina ko bathroom me khade -khade chodane ke baad nishaani ke taur par utha liya tha aur phir free me sharaab ki ek bottle lekar ludhkate huye baahar jahaaj ke dek par aa gaya...

" maaloom nahi aajkal ke launde apne aap ko kya samajhate hain... koi baat nahi Ron , tujhe jis mauke ka intajaar tha vah ab chuka hai... chal fatafat naksha khol aur dekh daal..." Ron jahaaj ke dek main khade khade apne jeb se ek naksha nikaala.. jo kapde ka bana hua, bahut hi praacheen naksha prateet ho raha tha aur jisme kuchh -kuchh chije aadhunik naqshe se alag thi.... Ron ne sharaab ki bottle ek taraf rakhi aur kinaro par lage relings se satakar vahi neeche baith gaya aur naksha dekhane laga.. "ab yahaan se thoda daye ki or . " naqshe me dekhte huye Ron badabadaya aur uske ye bolte hi thodi der baad belladonna ne dahine or mudna shuru kiya

"bahut achche, jahaaj ko daye hi moda ja raha hai... lekin inko yah nahi maalum ki devils traingle ke pahle inhe ek nahi balki do Ilaind milenge.. inke naqshe me sirf ek ka pata hoga.. dusra vaala Ilaind, kabhi kabhaar hi samandar se bahar niklata hai, aur ye samay uske baahar rahane ka hai... mera kaam ho jayega..."

udhar... kaptaan Naayar, ko apani beti ki phikr ho rahee thee... jabki usne kuchh der pahale hi apani beti se baat kee thee. uska dimaag hospital me admit apni beti par hi tha aur tarah -tarah ke bure khayaal aane par vo bechain hokar baahar dek kee taraph chalne laga..taaki raat me bah rahi samundar kee thandee havao se apna man sheetal kar sake. saath hee vo belladona ke round par bhi tha. belladona ke vishaal dek par chakkar lagaate huye use ek kinaare Ron baitha hua dikhayi diya... Ron ko vaha baitha dekh Naayar ko Ron ke saath pahali mulaaqaat me huyi, apni nok -jhok yaad aa gayi... pahle to Rubi maujood thee aur Rubi ke sammaan rakhane ke liye Naayar ne jyaada kuchh Ron se nahi kaha tha.. lekin ab yahaan un donon ke siva koi nahi tha... Naayar ko Ron kee badatameejee ka javaab dene ka yahee sahee mauka laga aur vo Ron kee taraph badha...

" abe ganvaar... tu yahaan kya kar raha hai aur yah tere haath mein kya hai.." Naayar kee aavaaz sun Ron hadabada kar utha aur nakshe ko turant apani jeb mein rakh liya..

"mere haath mein..?"apane bagal me rakhee hui sharaab kee botal ko pakadate hue Ron ne kaha "mere haath me to sharaab kee botal hai. jo main tujhe haragij nahin doonga"

"main sharaab kee botal kee baat nahi kar raha hoon.... tune abhee-abhee jeb mein kya daala.."

" mere jeb mein..? hongi kuchh samudri machhaliyaan... jo sad chuki hong i.. aur ek baat batau, mujhe sadi huyi machhaliyaan khaane mein bahut maja aata hai"

Naayar ne turant apane kamar mein phansa hua kaptaan vaala rod nikaala, jo electric shock bhee deta tha aur Ron kee taraph rod karke bola " jyaada hoshiyaari nahi, varna poora ka poora tere pet mein ghusa doonga...."

"nikal le bachche.. varana maar khayega.. vo bhee buree tarah..."

"tu mujhe maarega.. ek kaptaan ko.. tujh jaise na jaane kitanon ko mainne isee rod se peet -peet kar, current dekar sahi kiya hai.. aaj to gaya kaam se.. tu "

"achchha aisa hai.. itna ghamand.. to phir aa ja.."

dono ek dusre ko taakate huye ek dusre kee taraph dheere - dheere badhane lage... Naayar ne rod ko lamba kiya aur Ron ke pair ko nishaana bana kar uske pair me hamala karane ka socha aur jaise hee Naayar ne rod ko Ron ke taraph ghumaaya... Ron ne rod ko ek pair se roka aur phir halka kood kar dusare pair se ek kshan me Naayar ka rod hei tod diya... Naayar ko yakeen hi nahi hua ki... itna majaboot rod...itni aasaani se kaise toot sakta hai. ye sab itna fast hua tha ki Naayar bhauchakka rah gaya... kyonki ek pal usne Ron ko hamla karne ke liye rod uthaaya tha aur dusre hi pal rod do tukdo me uske saamne tha... jisme se ek hissa uske haath me ab bhi yathaavat pahle kee tarah tha aur dusara hissa dek me neeche pada hua tha ....

"koshish acchi thi..." Ron bola aur vahaan se turant ek or bhaaga .. Naayar bhi gusse me uske peechhe dauda....

" ruk, saale jungli bhaagta kaha hai.. abhi to bahut badi-badi baate kar raha tha...." lekin Ron ruka nahi... vo munh me sharaab ki bottle fasaye jahaaj ke dek ke chaaron taraph lagaataar bhaagta raha... phir ek samay aisa aaya jab bhaagane ke dauraan Ron ne apni gati dheere karke, kinaare par lage gol -gol steel ke stambho par pair rakhkar belladona ke ekdam kinaare me lage relings par upar chadh gaya aur idhar -udhar hilate hue aana balance banane laga... is samay yadi Ron ka thoda sa bhi balance gadabadaata to vo seedhe belladona ke neeche samundar me girta... . Ron ne to ek yojana ke mutaabik apni gati samay par dhimi kar lee thee lekin Naayar ab bhi puri taakat laga kar Ron ke peechhe tha..... vo gusse me Ron ke peechhe bhaagate hue jahaaj ke kinaare par na to khud ko sambhaal paaya aur na hee Ron ki tarah palak jhapakate hee upar reling par chadh paaya... iske aalaava, Ron ne apnj taraph teji se badhate huye Naayar ke sir par apne gale me lapete huye tovel ko uske upar pheka aur jab Naayar uske paas aaya to Naayar ka chehara us kapade se chaaro or se lapet kar turant kasakar baandh diya...

"ha ha.... to kya bol raha tha tu ki.... mere jaise kitno ko tune rod se peet -peet kar sahi kiya hai.."neeche dek par kudkar vaapas se sharaab kee botal ko munh me lagaate hue Ron Naayar par hansa.... Ron kee baat ka javaab dene ke bajaay Naayar kapda nikaalane ki koshish me jut gaya... uske aankhon ke saamane poora andhera tha... isi dauraan, chhatapataate huye.. kapada hataane kee koshish mein naayar, jahaaj ke ekdam kinaare pahunch gaya.. aur eka ek jahaaj ke neeche samundar mein ja gira...

"oooo... teri...."naayar ke neeche girate hee Ron ke haath se sharaab kee botal chhootakar neeche giri.... Ron, naayar ko vaheen kinaare par khade -khade neeche girate hue dekhata raha.

" bhaag le beta Ron , yadi kisi ko pata chal gaya to khair nahi... chal, chup chaap do-teen botal chadha kar so ja, kyonki naayar bhaiya to gaye... ab aane vaala kaptaan tu hi hai... jay shree Ron "

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" ye to jeevit maaloom pad raha hai, sardaar ....?" ek Ilaind mein rahne vaale logon ne samudree toophaan me bahakar aaye huye ek shakhs ko kinaare par dekh aapas mein ek doosare se apanee bhaasha me puchhane lage... us ilaind ke jo log is vaqt samudri kinaare par maujood the vo achambhit hokar toofaan me bah kar aaye huye ek shakhs ko beech -beech me apane haatho me liye huye lakadee aur lohe se bane bhinn - bhinn prakaar ke hathiyaar se kochakate aur kochak kar turant peechhe hat jaate... kinaare par pade vyakti ke shareer me koi harakat na hoti, to.... vo log phir se aisa karate...

" lagata hai mar gaya hai , iske pahanaave se to yah kisi jahaaj ka kaptaan lagata hai... " vahaan maujood ilaind ke nivaasiyon mein se ek bola..

tabhee kinaare par pada hua vah aadami jise sab mara hua samajh rahe the, vah aankh band kiye huye hee achaanak khaasane laga....

" ye to jinda hai.." use khaasata dekh, vahaan maujood sabhi log aapas mein khusar -phusar karane lage.. jo shakhs samundar me
bahakar un jangaliyon ke ilaind ke kinaare aaya tha, vo khaasne ke baad apne ek haath ki do ungaliyon ko seedha kiya aur vahi pade -pade ret ke andar ghusaate huye aise andar -baahar karane laga.. maano vo kisi choot ke andar ungaliyon ko andar -baahar kar raha ho aur phir poora ka poora panja hee usne ret ke andar ghusa diya...

"iski maa ka... ye to bhosda hai...."chaukate huye uski aankh khuli aur aankh khulate hee vo aur bhee jyaada chauka... tab use yaad aaya ki usake saath kya hua tha, vo vahi vaise hee pade -pade apna ek haath upar uthaakar un jangaliyon ko sambodhan karate hue bola....

"ohhh... he guys... I am Caiptan Aadi... tum logon mein se kisi ne mera kuchh churaaya to nahi...do -do hazaar ke note the meri jeb me...? bura mat maanna meri baat ka par... tum sab shakl se hi chotte maalum padate ho, saale gareeb... aur iska land, lavda kitna bada hai... pichhe chal be... varna thoda sa aage hokar jhukega to mere se touch ho jaega "

Neeche pade- pade aaditya ne apni aankh kholakar vaha apne aas -paas dekhte huye un logo se kaha

"mera jahaaj to gaya, par maja aa gaya... kaise mai, us lady dragon kee choot pe laat maar kar bach gaya... teen goli maara hoon uski choot me.. laudi, Caiptan aadi se mukaabala karane chali thi... samundar ki choot nahi hai, varna Caiptan aadi, use bhi thook laga kar chod diye rahta... jhaat, lavda..."

ulta palat kar samundar ki taraph dekhate huye aaditya ne kaha...

"lagata hai, baaki sab laad chaat ke ujjar ho gaye... mere alaava koi nahibbacha... vo videshi ladki bh i nahi bachee, vahi pure jahaaj me ek maatra aisi maada thee..jisko mai chod nahi paaya... varna jahaaj ki sabhi javaan se lekar boodhi aurate tak... mujhe dekh kar dar ke maare apne choot par haath rakh kar bhaag jaati thee... vo gori ladkk bhee mar gayi lagata hai... koi baat nahi, uski yaad me back too back do baar mutth maar kar, use cum tribute dunga..... par ye jagah hai kaun si aur mai yahaa pahucha kaise... usse bhi bada savaal...? main yahaan se nikalunga kaise....??" vaapas ilaind ki taraph najar ghumaate huye aaditya ne man me socha aur tab uski phati....
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Naik

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#5. RAAJ ~राज



आदित्य की भाषा समझना बाहरी दुनिया से कट कर रह रहे आइलैंड के उन लोगो के लिए कठिन था... इसलिए कैप्टन आदित्य के इस कई बार कुछ पूछने पर कोई उत्तर देने की बजाय वो सभी एक -दूसरे का मुँह ताकने लगते और जब आदित्य खिसिया कर जोर से उनपर हड़कता तो वो डरकर तीर -धनुष और भाला आदित्य की ओर कर देते. कुछ देर आँखे खोले वही पडे -पडे आदित्य उन लोगो को देखता रहा और फिर आईलैंड के लोगों की तरफ हाथ बढ़ाया.. ताकि वह उसे पकड़ कर कम से कम उठने में तो उसकी मदद करें. लेकिन आईलैंड के लोग आदित्य के हाथ बढ़ाते ही तुरंत दो कदम पीछे हट गऐ और अपने -अपने हथियार को आदित्य पर फिर से तान दिया...


"लगता है यह साले सब के सब जंगली है ... मेरी तरह अंग्रेजी नहीं जानते. कोई बात नहीं, अपुन गूंगो के माफिक़ इशारे में बात करेगा..." आदित्य ने मन में सोचा और एक बार फिर अपना हाथ उन जंगलियों की तरफ उसे उठाने का इशारा करते हुए बढ़ाया ताकि वो उसे उठने मे मदद करें... लेकिन अबकी बार उस आइलैंड के निवासी पहले से भी ज्यादा उचक कर पीछे हट गये....

"अरे तुम सबकी फट क्यों रही है... मैं भी तुम्हारी तरह एक इंसान हूं"


आदित्य की भाषा उन लोगों के लिए बिल्कुल समझ से परे थी. ऊपर से आदित्य का रवैया... वह लोग हुआ-हुआ करते हुए एक दूसरे से अपनी भाषा में बात करने लगे...


" सालों, तुमको हिंदी भी समझ नहीं आती... शुद्ध जंगली हो का बे.."


जवाब मे आदित्य को केवल उन लोगों के द्वारा हुआ-हुआ सुनने को मिला, जो वो एक दूसरे के साथ अपने -अपने हथियारों की तरफ कुछ इशारा करके कर रहे थे...


" कहां फस गया यार, एक तो वह पिछवाड़े से आग फेकने वाले पंछियो ने पहले ही मार रखी है, ऊपर से यह हुआ-हुआ, पता नहीं इन लोगों को क्या हुआ... "आदित्य अपना सर पकड़ कर बैठते हुए बड़बड़ाया और वहां मौजूद लोगों को आपस मे हुआ -हुआ करते हुए देखता रहा...


वहां मौजूद आइलैंड के सभी लोगों मे ... चाहे वह पुरुष हो या महिला, सभी के कान और नाक में छेद थे और लोहे के आभूषड़ो से सुसज्जित थे. कुछ लोगो ने लकड़ियों के आभूषण भी धारण किया हुआ था. कुछ अपना निचला होंठ तक छेदवाया हुआ था. एकमात्र चीज जो आदित्य को उन जंगलियों को अच्छी लगी वो ये कि... पुरुष हो या स्त्री... सभी ने सिर्फ कमर के नीचे ही वस्त्र धारण किया हुआ था.. कमर के ऊपर सब बिना कपड़ो के ही थे. जिससे उस आइलैंड की जवान महिलाएं, जिनकी छाती क़सी हुई थी... उनकी छातियों को देख आदित्य का लंड पैंट मे ही टनटना उठा और जब आदित्य ने उन्ही मे से एक जवान औरत की छातियों को देख अपने लंड को बाहर से मसला तो उसकी ये हरकत आइलैंड के उन लोगो को बहुत ख़राब लगी और वो सभी गुस्से से आपस मे हुआ -हुआ करते हुए आदित्य को घूर कर देखने लगे. आदित्य उन जंगलियों को अपनी तरफ घूरता देख अपना सिर नीचे कर लिया और तिरछी नज़र से औरतों का सीना देख कर फिर से अपने लंड को पैंट के ऊपर से मसला



"यह जंगली कही मुझे कच्चा खाने का विचार तो नहीं कर रहे है...? शकल से ही नरभक्षी मालूम पड़ते है... हे! समुंदर की देवी, प्लीज मेरी मदद करिये.. आइंदा कभी शराब के नशे मे आपको सोच कर गंदे -गंदे खयाल मन मे नहीं लाऊंगा...."


"भाषा से तो भारतीय प्रायद्वीप के लगते हो .... हिंदुस्तानी हो क्या ? "इतने में उन लोगों के बीच में से ही कोई बोला, जो अभी-अभी वहां आया था.



एक पल के लिए आदित्य को अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ कि कोई उससे हिंदी में बात कर रहा है... उसने तो अपने शरीर के मांस को इन जंगलिओं के मुंह में कच्चा चबाने तक की भी कल्पना कर ली थी.. पर मानो समुन्दर की देवी आज उसपर मेहरबान थी. वरना इन जंगलियों के बीच मे से वो हिंदी बोलने वाला शख्स अचानक कैसे वहा आ धमकता...? आदित्य ने ऊपर देखा.. लगभग उसी के उम्र का 30-32 साल का एक नौजवान उसकी तरफ देख रहा था... जो अभी -अभी आइलैंड के अंदर से किसी के किनारे पर आने की खबर सुनकर वहा आया था


" क्या तुम्हें हिंदी आती है... "आदित्य ने उस नौजवान से पूछा


" हां, मैं हिंदी समझ सकता हूं"


"गुड , मुझे यहां से बाहर निकलने का रास्ता बताओ..."


"थोड़ी देर आराम कर लो.. फिर इस बारे में बात करेंगे"


" इन लोगो के बीच आराम...? जहा हर पल ये नरभक्षी मुझे सिर्फ और सिर्फ मांस के टुकड़े की तरह देख रहे है... बिल्कुल नहीं.. मुझे जल्द से जल्द यहां से बाहर निकलना है... "


"ठीक है, रुको मैं इंतजाम.. देखता हूं" इतना कहकर उस नौजवान ने आइलैंड के लोगो से उनकी ही भाषा मे कुछ कहा...
उस हिंदी में बात करने वाले नौजवान के आने के बाद, वहां मौजूद जंगली लोग धीरे-धीरे एक -एक करके वहां से जाने लगे थे और कुछ देर बाद वहां किनारे पर सिर्फ आदित्य और वह नौजवान ही थे.


" अभी समुंदर को तैर कर पार करना पड़ेगा या फिर कोई इंतजाम किया है... "आदित्य ने कुछ देर बीत जाने पर फिर से उस नौजवान से पूछा


" मैंने अपने लोगों से बात की है.. वह देखो पीछे.."



आदित्य पीछे मुड़ा, उस आइलैंड के जंगली लोगो मे से चार लोग अपने कांधे पर एक छोटी सी नाव टांग कर उसी की तरफ आ रहे थे, जिनसे थोड़ी देर पहले आदित्य भयभीत हो उठा था.... आइलैंड के उस नौजवान ने आदित्य को एक पतवार की तरफ इशारा किया और इशारा पाते ही आदित्य ने वह पतवार उठा लिया. जिसके थोड़ी देर बाद दोनों नाव में बैठे और पतवार को समुन्दर की पानी मे लहराते हुए धीरे धीरे उस आइलैंड से दूर होने लगे....


"अच्छा एक बात बताओ, हम लोग हैं कहां.. मतलब यह जगह कौन सी है..?"जब आइलैंड उनकी आँखों से ओझल हो गया तो आदित्य ने नाव मैं बैठे उस नौजवान से पूछा


" पता नहीं...."


" यहां रहता है और तुझे पता नहीं..? "आदित्य को मन ही मन किसी गड़बड़ी की आशंका हुई


"हमें कभी जरूरत ही नहीं पड़ी यह जानने की..."


"कुछ भी...? वैसे तेरा नाम क्या है "


"राज.."


"क्या..? राज..? "आदित्य चौका... उसे लगा था कि इसका नाम किसी जंगली की तरह होगा, पर ऐसा नहीं था... राज, आदित्य के मन की उलझन को समझ गया और बोला..


"मैं इस आइलैंड का निवासी नहीं हूँ... मैं छोटा था, तब हमारे घर से मुझे और मेरी मां को कुछ अजीब लोगों ने जबरदस्ती उठा लिया था, मुझे ठीक से तो याद नहीं पर मुझे समुन्दर मे डूबने का सपना अब भी आता है... इस विशाल समुन्दर ने मुझे और मेरी मां को निगल लिया... फिर पता नहीं क्या हुआ.. मैं समंदर में बहते हुए यहां आ गया, जैसे की आज तुम आए और तुमसे पहले भी कई लोग आ चुके है.. .इन लोगों ने ही मुझे बचाया और पाल पोस कर बड़ा किया... पर फिर जब मै किशोरावस्था की दहलीज पर कदम रखा तो आइलैंड से बाहर आना जाना शरू हो गया... बस वही से मैने भिन्न -भिन्न जगहों पर जाकर कई भाषाएँ सीखी जिसमे से तुम जिस भाषा मे मेरे आइलैंड के लोगो से बात कर रहे थे, वो भी शामिल है और ये नाम मुझे मेरी माँ ने दिया था... मुझे मेरी माँ की शक्ल तक याद नहीं, लेकिन ये नाम मेरे जहन मे हमेशा तरो -ताजा रहा.. .क्योंकि इसी नाम से एक महिला अकसर सपने मे डूबते हुए मेरा नाम पुकारती है... वो अवश्य ही मेरी माँ होगी, क्योंकि अपने आखिर वक़्त पर वो मेरे माथे पर किस करके रोते हुए दूर धकेल देती है... मानो उन्हें किसी तरह मालूम हो कि, मैं नहीं डूबने वाला और ऐसा हुआ भी.... मैं, सपने मे उन्हें बचाने की कोशिश भी करता हूँ, पर कभी कामयाब नहीं रहता और फिर समुन्दर मे उनकी जान निकलता देख... उन्हें समुन्दर की सतह की ओर डूबते हुए देखता हूँ "



"अब समझा तुझे हिंदी कैसे आती है... तू इन जंगलियों में से नहीं है.. है ना.. सच कहा ना मैंने..."

" अब क्या समंदर में कूद जाऊ, तब ही यकीन करोगे...?

********
********

"रॉन , तुमने कैप्टन नायर को कहीं देखा..?... " डेक पर जहाज के सबसे आखिरी छोर पर खड़ा रॉन जिस दिशा मे जहाज बढ़ रहा था, उधर अपनी नजरें गड़ाए दूर तक देखने की कोशिश कर रहा था... जितनी बडी लहरे, बेलाडोना से टकरा रही थी उससे भी कही ज्यादा बडी लहरे रॉन के मन मे उसके विचारों की टकरा रही थी... की तभी रूबी ने रॉन से नायर के बारे मे सवाल करके उसकी एकाग्रता भंग की ...


"मुझे क्या मालूम.. होगा कहीं"


" पूरे जहाज में ढूंढ लिया, जहाज में काम करने वाले आदमियों से भी ढूंढवाया... पर कैप्टन का कुछ पता नहीं...."


"यह तो बहुत बुरा हुआ.. पर कप्तान नायर आखिर गया कहा...?? कही मुझसे डरकर भाग तो नहीं गया रात मे..? मुझे तो ऐसा ही लग रहा है... पर तुम हार मत मानना जानेमन.. तुम ढूंढो और मुझे खबर करना, यदि मिल जाए तो.. अभी मुझे कुछ काम करना है"


रॉन वहां से दूर आ गया और अपने जेब से नक्शा निकाल उस नक्शे में कुछ देखने लगा..


" अच्छा तो... समुंदर के बीच इस रेगिस्तान में सम्राट मार्टिन का वो जादूई नक्शा दफन है... लेकिन उस रेगिस्तान तक पहुंचा कैसे जाए...? बिना उस नक्शे के मैं समुंदर का रास्ता भी नहीं पहचान पाऊंगा और ना ही मुर्दो के जहाज पर कब्ज़ा कर पाउँगा... बड़ी दुविधा है. कैसे जाऊं, कैसे वह नक्शा, वहां से निकालू...."


"रॉन , तुमने कैप्टन सर को कहीं देखा.... "नायर का पता ढूंढते ढूंढते अब सेठ ने रॉन को टोका


" अब तू कौन है बे.. और यह सब उस कप्तान को क्यों ढूंढ रहे हैं..? जब की वो डर कर रात मे भाग गया... "

" पहली बात तो ये की.. कप्तान के बारे मे कायदे से बात कर. और दूसरी बात ये की बिना कैप्टन के इस जहाज को आगे कौन ले जाएगा.. तू...? बस इसीलिए सब कप्तान को ढूंढ रहे हैं "

" अगर ऐसा है तो... मैं तैयार हूं... बना दो मुझे कप्तान. सच कहता हूं.. एक -एक को जिंदा वापस लाऊंगा"

" तू और कप्तान... हा हा हा हा... शक्ल है तेरी कैप्टन बनने की..."


"शक्ल पर जाएं तो फिर तो तू इस जहाज में शौचालय साफ करने के लायक़ भी नहीं.... पर फिर भी तू इस जहाज मे है, इतनी बेकार शक्ल होने के बावजूद. इसलिए चल फुट यहाँ से..."


" अभी मुझे कप्तान को ढूंढना है, इसीलिए जा रहा हूं.... पर अगली बार... तुझे जवाब जरूर दूंगा."


" मुझे इंतजार रहेगा.. तेरे उस जवाब का.. बदसूरत शकल वाले आदमी.... "



नायर के जहाज पर ना होने की वजह से पुरे जहाज मे अफरा -तफरी मच गई. जहाज में मौजूद सभी लोग, नायर को कई बार पूरे जहाज में ढूंढ चुके थे, लेकिन नायर का कहीं कोई अता पता नहीं चला... सब हैरान थे कि रातों-रात आखिर नायर गायब कहां हो गया. रूबी भी अब अपने कमरे में नायर को लेकर परेशान थी, क्योंकि जहाज को बहुत देर तक बिना कप्तान के छोड़ा नहीं जा सकता था.... ऊपर से रूबी अपने जिस मिशन पर निकली थी, उस मिशन मे नायर का बहुत बड़ा रोल था... लेकिन अब जब नायर ही गायब था तो रूबी का यूँ परेशान होना लाजिमी था...


"क्या सोच रही हो जानेमन..."रूबी के कमरे मे बिना पूछे सीधे अंदर आते हुए रॉन ने उससे पूछा

" रॉन , तुम यहां..? मेरे रूम में क्या कर रहे हो...? वो भी मुझसे बिना पूछे..."

" कुछ नहीं.. बस ऐसे ही... मन नहीं लग रहा था तो.. सोचा.. कोई तड़कती-फड़कती चीज ही देख लू और फिर तुम्हारा ध्यान आया"

" बकवास नहीं, रॉन... मै इस समय बहुत परेशान हूँ... पता नहीं नायर कहां गायब हो गया..."


" तुम लोग उसकी इतनी फिक्र क्यों कर रहे हो...? डर के भाग गया होगा. अभी भी वक्त है, मुझे बना दो कप्तान और मेरे गुलाम बन जाओ तुम सब. फिर देखो मेरा प्लान.... इस जहाज को क्लच के साथ अगला ब्रेक मार के, समुंदर में जहाज को ऐसे ड्रिफ्ट कराऊंगा ना....की.. समुंदर की सारी मछलियां पेला जाएंगी...."


" 1 मिनट... रॉन.... कहीं.... तुमने.... तो.... कुछ....नहीं.... किया..."रुक -रुक कर एक -एक शब्द पर वजन देकर रुबीना ने अपनी शंका व्यक्त की और फिर रॉन के चेहरे की ओर देखने लगी


"क्या ...?? मै.... मै...? तौबा -तौबा.. कैसी बात कर रही हो... अपने दिल से पूछो, तुम्हे जवाब मिल जायेगा और भला मै क्या कर सकता हूं.. मै तो मामूली सा सिर्फ एक जहाजी हूँ... कहा बहादुर कप्तान नायर और कहा मैं हर समय शराब के नशे मे टुन्न रहने वाला दो कौड़ी का शराबी "रूबी की आँखों मे आँखे डालकर देखकर रॉन उदास होते हुए बोला... " आज तुमने दिल तोड़ दिया मेरा ये कहकर रूबी, इतना दिल तो मेरा तब भी नहीं टूटा था.. ज़ब मैने तुमहरी सेक्रेटरी का महीनों पहले पोर्ट ऑफ़ कोलकाता मे पिछवाड़ा दबाया था.."


"सॉरी... रॉन.. मै भी क्या बोल दी.."


"कोई बात नहीं... हम दोनों तो दो जान एक जिस्म की तरह है.. मेरा मतलब दो जिस्म, एक जान की तरह..."कहते हुए रॉन ने रूबी को आँख मार दी...


" तुम मुझ पर चांस मारना बंद करो.. मैं तुम्हें कभी नहीं मिलने वाली."


" सब शुरू में यही बोलते हैं... पर फिर...... वैसे मैंने तुमसे सुंदर, सुंदरी आज तक नहीं देखी. पर वो छोड़ो, मुझे तुमसे एक काम की बात करनी है.."


"काम की बात.. और तुम...??"
Bahot behtareen shaandaar zaberdast lajawab update bhai
 

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Captain Aadi ko hindi bolne wala aakhir mil he gaya warna toh haila haila hua hua gana ga kar paka he dete aadi ko :).. aur hindi bolne wala nikla bhi toh kon?" raj naam toh suna hoga " yea wala dialog marr deta oye hoye..
Raj sayad koi aur raaj bata de lakin bichere nek dil insan he kafe bura huya hai uske sath..

Dushre taraf Ron captain bann ki poore koshish kar raha hai lagta hai bann he jayega chuna laga kai. Dibya Naksha bhi sath me le kar ghum raha hai dushro se chupata huya ..

Naayar ka kya huya yea dekhna baki raha ..

Bahut sundar update ..

:perfect:
 

Kingfisher

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अवेसोम लाजवाब खूबसूरत शानदार तड़कता भड़कता अपडेट ज्ञानी भाऊ

ये आदित्य अमावस्या की रात को पैदा हुआ लगता है ,इंसान और शैतान का कॉम्बो है । साला ठरकी इस सिचुएशन में भी अपनी थरकपन्न को नहीं छोड़ रहा , वैसे गलती इसकी भी नहीं है इतनी हॉट हॉट लड़कियां औरते जब इसके सामने अधनंगी घूमेगी तो ये भी क्या कर सकता है उपर से पैदाइशी ठरकी थारकपन्न तो इसके खून में है
आखिरकार इस लौड़े के सर से ये मुसीबत तो टली लगता है लंबी रेस का घोड़ा है इतनी आसानी से हार नहीं मानेगा ।
राज के मिल जाने के बाद वो आखिरकार इस मुसीबत से निकाल ही गया ।राज की बातो से लगता है कर इसके अंदर भी बहुत राज छिपे हुए हैं , सायद उस सपने का उससे कोई गहरा संबंध है । राज के संबंध में इतनी सेरियोस बाते हुई उससे लगता है कि इसका भी कहानी में खाश रोल होने वाला है ? आदित्य की कितनी भी मदद करलो पर इनकी बातो से लगता नहीं कि ये किसी के अहेसान की कदर करता है , अब तक ये समाज में नहीं आया कि आदित्य किस रोल में है सकारात्मक या नकारात्मक खैर देखते है राज ऐसे किस गड्डे में गिरता है

ये रोन भी हर्टलेश आदमी लगता है , नायर की मौत का ऐसे जरा भी अफसोस नहीं है , हार स्थिति में अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहता है ।इनकी बातो से लग रहा है कि अगर ये कप्तान बन गया तो सायाद किसी की भी नहीं चलने देगा । अब ये मार्टिन के मेप का क्या लफड़ा है जिसे रोन पाना चाहता है ? शायद उसके बिना पहुंचना मुश्किल ही । कहीं ऐसा तो नहीं कि रोन के मन में कुछ अलग ही प्लानिंग चल रही हो । खैर एक ना एक दिन सच सामने आ ही जायेगा कि नायर को तड़ीपार करने वाला रोन ही था , पर तब तक शायद स्थिति रोन के अनुकूल हो जाए , वैसे अब तक ये भी पक्का नहीं है कि नायर मर गया या जिंदा है । अब बस इंतेज़ार है तो सिर्फ रोन और रुबीना के हॉट एंड सेक्सी सेक्सी स्कैन का ।

लेट्स सी व्हाट हैपंस नेक्स्ट
 
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Gyani bhau jaldi se ek sexy sexy update do jisme Ron apni sari tharakpann Rubi par nikal de , ager ye possible nhi hai to Riya or Ron Ka flashback dikhao jisme Dino illu illu karte najar aye
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