#5. RAAJ ~राज
आदित्य की भाषा समझना बाहरी दुनिया से कट कर रह रहे आइलैंड के उन लोगो के लिए कठिन था... इसलिए कैप्टन आदित्य के इस कई बार कुछ पूछने पर कोई उत्तर देने की बजाय वो सभी एक -दूसरे का मुँह ताकने लगते और जब आदित्य खिसिया कर जोर से उनपर हड़कता तो वो डरकर तीर -धनुष और भाला आदित्य की ओर कर देते. कुछ देर आँखे खोले वही पडे -पडे आदित्य उन लोगो को देखता रहा और फिर आईलैंड के लोगों की तरफ हाथ बढ़ाया.. ताकि वह उसे पकड़ कर कम से कम उठने में तो उसकी मदद करें. लेकिन आईलैंड के लोग आदित्य के हाथ बढ़ाते ही तुरंत दो कदम पीछे हट गऐ और अपने -अपने हथियार को आदित्य पर फिर से तान दिया...
"लगता है यह साले सब के सब जंगली है ... मेरी तरह अंग्रेजी नहीं जानते. कोई बात नहीं, अपुन गूंगो के माफिक़ इशारे में बात करेगा..." आदित्य ने मन में सोचा और एक बार फिर अपना हाथ उन जंगलियों की तरफ उसे उठाने का इशारा करते हुए बढ़ाया ताकि वो उसे उठने मे मदद करें... लेकिन अबकी बार उस आइलैंड के निवासी पहले से भी ज्यादा उचक कर पीछे हट गये....
"अरे तुम सबकी फट क्यों रही है... मैं भी तुम्हारी तरह एक इंसान हूं"
आदित्य की भाषा उन लोगों के लिए बिल्कुल समझ से परे थी. ऊपर से आदित्य का रवैया... वह लोग हुआ-हुआ करते हुए एक दूसरे से अपनी भाषा में बात करने लगे...
" सालों, तुमको हिंदी भी समझ नहीं आती... शुद्ध जंगली हो का बे.."
जवाब मे आदित्य को केवल उन लोगों के द्वारा हुआ-हुआ सुनने को मिला, जो वो एक दूसरे के साथ अपने -अपने हथियारों की तरफ कुछ इशारा करके कर रहे थे...
" कहां फस गया यार, एक तो वह पिछवाड़े से आग फेकने वाले पंछियो ने पहले ही मार रखी है, ऊपर से यह हुआ-हुआ, पता नहीं इन लोगों को क्या हुआ... "आदित्य अपना सर पकड़ कर बैठते हुए बड़बड़ाया और वहां मौजूद लोगों को आपस मे हुआ -हुआ करते हुए देखता रहा...
वहां मौजूद आइलैंड के सभी लोगों मे ... चाहे वह पुरुष हो या महिला, सभी के कान और नाक में छेद थे और लोहे के आभूषड़ो से सुसज्जित थे. कुछ लोगो ने लकड़ियों के आभूषण भी धारण किया हुआ था. कुछ अपना निचला होंठ तक छेदवाया हुआ था. एकमात्र चीज जो आदित्य को उन जंगलियों को अच्छी लगी वो ये कि... पुरुष हो या स्त्री... सभी ने सिर्फ कमर के नीचे ही वस्त्र धारण किया हुआ था.. कमर के ऊपर सब बिना कपड़ो के ही थे. जिससे उस आइलैंड की जवान महिलाएं, जिनकी छाती क़सी हुई थी... उनकी छातियों को देख आदित्य का लंड पैंट मे ही टनटना उठा और जब आदित्य ने उन्ही मे से एक जवान औरत की छातियों को देख अपने लंड को बाहर से मसला तो उसकी ये हरकत आइलैंड के उन लोगो को बहुत ख़राब लगी और वो सभी गुस्से से आपस मे हुआ -हुआ करते हुए आदित्य को घूर कर देखने लगे. आदित्य उन जंगलियों को अपनी तरफ घूरता देख अपना सिर नीचे कर लिया और तिरछी नज़र से औरतों का सीना देख कर फिर से अपने लंड को पैंट के ऊपर से मसला
"यह जंगली कही मुझे कच्चा खाने का विचार तो नहीं कर रहे है...? शकल से ही नरभक्षी मालूम पड़ते है... हे! समुंदर की देवी, प्लीज मेरी मदद करिये.. आइंदा कभी शराब के नशे मे आपको सोच कर गंदे -गंदे खयाल मन मे नहीं लाऊंगा...."
"भाषा से तो भारतीय प्रायद्वीप के लगते हो .... हिंदुस्तानी हो क्या ? "इतने में उन लोगों के बीच में से ही कोई बोला, जो अभी-अभी वहां आया था.
एक पल के लिए आदित्य को अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ कि कोई उससे हिंदी में बात कर रहा है... उसने तो अपने शरीर के मांस को इन जंगलिओं के मुंह में कच्चा चबाने तक की भी कल्पना कर ली थी.. पर मानो समुन्दर की देवी आज उसपर मेहरबान थी. वरना इन जंगलियों के बीच मे से वो हिंदी बोलने वाला शख्स अचानक कैसे वहा आ धमकता...? आदित्य ने ऊपर देखा.. लगभग उसी के उम्र का 30-32 साल का एक नौजवान उसकी तरफ देख रहा था... जो अभी -अभी आइलैंड के अंदर से किसी के किनारे पर आने की खबर सुनकर वहा आया था
" क्या तुम्हें हिंदी आती है... "आदित्य ने उस नौजवान से पूछा
" हां, मैं हिंदी समझ सकता हूं"
"गुड , मुझे यहां से बाहर निकलने का रास्ता बताओ..."
"थोड़ी देर आराम कर लो.. फिर इस बारे में बात करेंगे"
" इन लोगो के बीच आराम...? जहा हर पल ये नरभक्षी मुझे सिर्फ और सिर्फ मांस के टुकड़े की तरह देख रहे है... बिल्कुल नहीं.. मुझे जल्द से जल्द यहां से बाहर निकलना है... "
"ठीक है, रुको मैं इंतजाम.. देखता हूं" इतना कहकर उस नौजवान ने आइलैंड के लोगो से उनकी ही भाषा मे कुछ कहा...
उस हिंदी में बात करने वाले नौजवान के आने के बाद, वहां मौजूद जंगली लोग धीरे-धीरे एक -एक करके वहां से जाने लगे थे और कुछ देर बाद वहां किनारे पर सिर्फ आदित्य और वह नौजवान ही थे.
" अभी समुंदर को तैर कर पार करना पड़ेगा या फिर कोई इंतजाम किया है... "आदित्य ने कुछ देर बीत जाने पर फिर से उस नौजवान से पूछा
" मैंने अपने लोगों से बात की है.. वह देखो पीछे.."
आदित्य पीछे मुड़ा, उस आइलैंड के जंगली लोगो मे से चार लोग अपने कांधे पर एक छोटी सी नाव टांग कर उसी की तरफ आ रहे थे, जिनसे थोड़ी देर पहले आदित्य भयभीत हो उठा था.... आइलैंड के उस नौजवान ने आदित्य को एक पतवार की तरफ इशारा किया और इशारा पाते ही आदित्य ने वह पतवार उठा लिया. जिसके थोड़ी देर बाद दोनों नाव में बैठे और पतवार को समुन्दर की पानी मे लहराते हुए धीरे धीरे उस आइलैंड से दूर होने लगे....
"अच्छा एक बात बताओ, हम लोग हैं कहां.. मतलब यह जगह कौन सी है..?"जब आइलैंड उनकी आँखों से ओझल हो गया तो आदित्य ने नाव मैं बैठे उस नौजवान से पूछा
" पता नहीं...."
" यहां रहता है और तुझे पता नहीं..? "आदित्य को मन ही मन किसी गड़बड़ी की आशंका हुई
"हमें कभी जरूरत ही नहीं पड़ी यह जानने की..."
"कुछ भी...? वैसे तेरा नाम क्या है "
"राज.."
"क्या..? राज..? "आदित्य चौका... उसे लगा था कि इसका नाम किसी जंगली की तरह होगा, पर ऐसा नहीं था... राज, आदित्य के मन की उलझन को समझ गया और बोला..
"मैं इस आइलैंड का निवासी नहीं हूँ... मैं छोटा था, तब हमारे घर से मुझे और मेरी मां को कुछ अजीब लोगों ने जबरदस्ती उठा लिया था, मुझे ठीक से तो याद नहीं पर मुझे समुन्दर मे डूबने का सपना अब भी आता है... इस विशाल समुन्दर ने मुझे और मेरी मां को निगल लिया... फिर पता नहीं क्या हुआ.. मैं समंदर में बहते हुए यहां आ गया, जैसे की आज तुम आए और तुमसे पहले भी कई लोग आ चुके है.. .इन लोगों ने ही मुझे बचाया और पाल पोस कर बड़ा किया... पर फिर जब मै किशोरावस्था की दहलीज पर कदम रखा तो आइलैंड से बाहर आना जाना शरू हो गया... बस वही से मैने भिन्न -भिन्न जगहों पर जाकर कई भाषाएँ सीखी जिसमे से तुम जिस भाषा मे मेरे आइलैंड के लोगो से बात कर रहे थे, वो भी शामिल है और ये नाम मुझे मेरी माँ ने दिया था... मुझे मेरी माँ की शक्ल तक याद नहीं, लेकिन ये नाम मेरे जहन मे हमेशा तरो -ताजा रहा.. .क्योंकि इसी नाम से एक महिला अकसर सपने मे डूबते हुए मेरा नाम पुकारती है... वो अवश्य ही मेरी माँ होगी, क्योंकि अपने आखिर वक़्त पर वो मेरे माथे पर किस करके रोते हुए दूर धकेल देती है... मानो उन्हें किसी तरह मालूम हो कि, मैं नहीं डूबने वाला और ऐसा हुआ भी.... मैं, सपने मे उन्हें बचाने की कोशिश भी करता हूँ, पर कभी कामयाब नहीं रहता और फिर समुन्दर मे उनकी जान निकलता देख... उन्हें समुन्दर की सतह की ओर डूबते हुए देखता हूँ "
"अब समझा तुझे हिंदी कैसे आती है... तू इन जंगलियों में से नहीं है.. है ना.. सच कहा ना मैंने..."
" अब क्या समंदर में कूद जाऊ, तब ही यकीन करोगे...?
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"रॉन , तुमने कैप्टन नायर को कहीं देखा..?... " डेक पर जहाज के सबसे आखिरी छोर पर खड़ा रॉन जिस दिशा मे जहाज बढ़ रहा था, उधर अपनी नजरें गड़ाए दूर तक देखने की कोशिश कर रहा था... जितनी बडी लहरे, बेलाडोना से टकरा रही थी उससे भी कही ज्यादा बडी लहरे रॉन के मन मे उसके विचारों की टकरा रही थी... की तभी रूबी ने रॉन से नायर के बारे मे सवाल करके उसकी एकाग्रता भंग की ...
"मुझे क्या मालूम.. होगा कहीं"
" पूरे जहाज में ढूंढ लिया, जहाज में काम करने वाले आदमियों से भी ढूंढवाया... पर कैप्टन का कुछ पता नहीं...."
"यह तो बहुत बुरा हुआ.. पर कप्तान नायर आखिर गया कहा...?? कही मुझसे डरकर भाग तो नहीं गया रात मे..? मुझे तो ऐसा ही लग रहा है... पर तुम हार मत मानना जानेमन.. तुम ढूंढो और मुझे खबर करना, यदि मिल जाए तो.. अभी मुझे कुछ काम करना है"
रॉन वहां से दूर आ गया और अपने जेब से नक्शा निकाल उस नक्शे में कुछ देखने लगा..
" अच्छा तो... समुंदर के बीच इस रेगिस्तान में सम्राट मार्टिन का वो जादूई नक्शा दफन है... लेकिन उस रेगिस्तान तक पहुंचा कैसे जाए...? बिना उस नक्शे के मैं समुंदर का रास्ता भी नहीं पहचान पाऊंगा और ना ही मुर्दो के जहाज पर कब्ज़ा कर पाउँगा... बड़ी दुविधा है. कैसे जाऊं, कैसे वह नक्शा, वहां से निकालू...."
"रॉन , तुमने कैप्टन सर को कहीं देखा.... "नायर का पता ढूंढते ढूंढते अब सेठ ने रॉन को टोका
" अब तू कौन है बे.. और यह सब उस कप्तान को क्यों ढूंढ रहे हैं..? जब की वो डर कर रात मे भाग गया... "
" पहली बात तो ये की.. कप्तान के बारे मे कायदे से बात कर. और दूसरी बात ये की बिना कैप्टन के इस जहाज को आगे कौन ले जाएगा.. तू...? बस इसीलिए सब कप्तान को ढूंढ रहे हैं "
" अगर ऐसा है तो... मैं तैयार हूं... बना दो मुझे कप्तान. सच कहता हूं.. एक -एक को जिंदा वापस लाऊंगा"
" तू और कप्तान... हा हा हा हा... शक्ल है तेरी कैप्टन बनने की..."
"शक्ल पर जाएं तो फिर तो तू इस जहाज में शौचालय साफ करने के लायक़ भी नहीं.... पर फिर भी तू इस जहाज मे है, इतनी बेकार शक्ल होने के बावजूद. इसलिए चल फुट यहाँ से..."
" अभी मुझे कप्तान को ढूंढना है, इसीलिए जा रहा हूं.... पर अगली बार... तुझे जवाब जरूर दूंगा."
" मुझे इंतजार रहेगा.. तेरे उस जवाब का.. बदसूरत शकल वाले आदमी.... "
नायर के जहाज पर ना होने की वजह से पुरे जहाज मे अफरा -तफरी मच गई. जहाज में मौजूद सभी लोग, नायर को कई बार पूरे जहाज में ढूंढ चुके थे, लेकिन नायर का कहीं कोई अता पता नहीं चला... सब हैरान थे कि रातों-रात आखिर नायर गायब कहां हो गया. रूबी भी अब अपने कमरे में नायर को लेकर परेशान थी, क्योंकि जहाज को बहुत देर तक बिना कप्तान के छोड़ा नहीं जा सकता था.... ऊपर से रूबी अपने जिस मिशन पर निकली थी, उस मिशन मे नायर का बहुत बड़ा रोल था... लेकिन अब जब नायर ही गायब था तो रूबी का यूँ परेशान होना लाजिमी था...
"क्या सोच रही हो जानेमन..."रूबी के कमरे मे बिना पूछे सीधे अंदर आते हुए रॉन ने उससे पूछा
" रॉन , तुम यहां..? मेरे रूम में क्या कर रहे हो...? वो भी मुझसे बिना पूछे..."
" कुछ नहीं.. बस ऐसे ही... मन नहीं लग रहा था तो.. सोचा.. कोई तड़कती-फड़कती चीज ही देख लू और फिर तुम्हारा ध्यान आया"
" बकवास नहीं, रॉन... मै इस समय बहुत परेशान हूँ... पता नहीं नायर कहां गायब हो गया..."
" तुम लोग उसकी इतनी फिक्र क्यों कर रहे हो...? डर के भाग गया होगा. अभी भी वक्त है, मुझे बना दो कप्तान और मेरे गुलाम बन जाओ तुम सब. फिर देखो मेरा प्लान.... इस जहाज को क्लच के साथ अगला ब्रेक मार के, समुंदर में जहाज को ऐसे ड्रिफ्ट कराऊंगा ना....की.. समुंदर की सारी मछलियां पेला जाएंगी...."
" 1 मिनट... रॉन.... कहीं.... तुमने.... तो.... कुछ....नहीं.... किया..."रुक -रुक कर एक -एक शब्द पर वजन देकर रुबीना ने अपनी शंका व्यक्त की और फिर रॉन के चेहरे की ओर देखने लगी
"क्या ...?? मै.... मै...? तौबा -तौबा.. कैसी बात कर रही हो... अपने दिल से पूछो, तुम्हे जवाब मिल जायेगा और भला मै क्या कर सकता हूं.. मै तो मामूली सा सिर्फ एक जहाजी हूँ... कहा बहादुर कप्तान नायर और कहा मैं हर समय शराब के नशे मे टुन्न रहने वाला दो कौड़ी का शराबी "रूबी की आँखों मे आँखे डालकर देखकर रॉन उदास होते हुए बोला... " आज तुमने दिल तोड़ दिया मेरा ये कहकर रूबी, इतना दिल तो मेरा तब भी नहीं टूटा था.. ज़ब मैने तुमहरी सेक्रेटरी का महीनों पहले पोर्ट ऑफ़ कोलकाता मे पिछवाड़ा दबाया था.."
"सॉरी... रॉन.. मै भी क्या बोल दी.."
"कोई बात नहीं... हम दोनों तो दो जान एक जिस्म की तरह है.. मेरा मतलब दो जिस्म, एक जान की तरह..."कहते हुए रॉन ने रूबी को आँख मार दी...
" तुम मुझ पर चांस मारना बंद करो.. मैं तुम्हें कभी नहीं मिलने वाली."
" सब शुरू में यही बोलते हैं... पर फिर...... वैसे मैंने तुमसे सुंदर, सुंदरी आज तक नहीं देखी. पर वो छोड़ो, मुझे तुमसे एक काम की बात करनी है.."
"काम की बात.. और तुम...??"