• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica Satisfaction of lust

IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
10,060
8,540
229
Satisfaction of lust
Peta-Jensen-01
 
  • Like
Reactions: kamdev99008

IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
10,060
8,540
229
जालिम है बेटा तेरा
मेरा नाम प्रणय है। मैं मेरे माता पिता की एकमात्र संतान हूँ। शिप्रा आण्टी, जिनके साथ यह घटना घटी, वो अक्सर हमारे घर आया जाया करती थीं। उनकी उम्र लगभग 36 साल यानि की मेरी मम्मी नीरजा के बराबर हैं। उनके पति एक बेहद सफल अमीर व्यापारी हैं और काम के सिलसिले अक्सर बाहर रहते हैं। शिप्रा आण्टी अकसर दोपहर को, जब मेरे पापा ऑफिस में मौजूद होते थे, हमारे घर आया जाया क़रती थीं । Wrote: एक दिन सर्दियों की छुट्टियों के दौरान, मेरे मम्मी-पापा मुझे अकेला छोड़कर हमारे एक गंभीर रूप से बीमार करीबी रिश्तेदार को देखने गये हूए थे। मैं भी उनके साथ जाना चाहता था, लेकिन मम्मी-पापा ने मेरे इम्तिहानों की तारीख करीब देखते हुये मुझे साथ लेकर जाना उचित नहीं समझा और परीक्षाओं के लिए अध्ययन करने को कहा। उस दिन, शिप्रा आण्टी, हमेशा की तरह दोपहर लगभग 2 बजे के करीब आ गईं। मैंने दरवाजा खोला और उन्हें बताया कि मम्मी-पापा शहर के बाहर हैं। मैं उन्हें बाहर से ही टरकाना चाह रहा रहा था लेकिन शिप्रा आण्टी दरवाजा धकेल कर अंदर आकर सोफे पर बैठ गईं। मैंनें विनम्रतापूर्वक उससे पूछा कि क्या वह कुछ चाय या कॉफी लेंगी, परन्तु शिप्रा आण्टी ने कहा कि यह आवश्यक नहीं है। शिप्रा आण्टी ने मुझे बताया कि वह मेरे साथ बातें करने और माता-पिता की अनुपस्थिती में मेरा हाल-चाल जानने के लिए आईं हैं। मैं एकबारगी तो बहुत ही शर्मिन्दा और आश्चर्य चकित भी हुआ। मुझे उनसे क्या बात करनी चाहिए, यह मुझे पता नहीं था परंतु शिप्रा आण्टी ने मुझसे मेरी पढ़ाई के बारे में पूछना शुरू किया, और मेरे कॉलेज के फ्रेंडस के बारे में पूछा। मैंने उन्हें अपने फ्रेंडस की संपूर्ण जानकारी दी।

शिप्रा आण्टी ने फिर पूछा कि “क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड भी है क्या?“ मैंने उनसे कहा कि मैं इन सब मे दिलचस्पी नहीं रखता हुं। अचानक शिप्रा आण्टी ने पूछा “क्या तूमने कामसूत्र नामक ग्रन्थ पढा है? मैं अचम्भित और शुरू में और निरूत्तर था परन्तु बार बार पूछने पर मैनें बताया कि मैनें इस किताब का आंशिक अध्ययन किया है। शिप्रा आण्टी ने कहा, “मुझे लगता है कि तुम्हारी उम्र के ज्यादातर लडके मौका पाते ही इस साहित्य का अध्ययन अवश्य कर लेते हैं” “चिंता मत करो, तुम अपनी आण्टी के साथ खुलकर बात कर सकते हो, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी, यहां तक कि तुम्हारी मम्मी तक को भी नहीं” मैंनें शर्मीलेपन से उत्तर दिया “मैंनें इस पुस्तक को एक बार मम्मी की अलमारी के लॉकर को खोलकर पढ़ा तो हैं मगर पूरा नहीं” वह मुस्कुराईं और कहा, ”बहुत अच्छी बात है, लेकिन तुम्हे इस ग्रन्थ का कौन सा अध्याय सबसे ज्यादा मनोरंजक लगा?” मैंनें उत्तर दिया “आण्टी, इस ग्रन्थ के एक अध्याय मे प्राचीन काल की महारानियों द्वारा पटरानी के पुञों को सम्मोहित कर समागम और संतानोत्पत्ति के वृतांत मुझे सर्वाधिक रोचक लगे। मैंनें आण्टी से पूछा “मेरे को तो यह बात मेरी समझ से परे लगती है कि माञ स्त्री-पुरुष के साथ शयन करने से संतानोत्पत्ति कैसे संभव हो सकती है?” आण्टी ने मेरे भोलेपन की बातें सुनकर जवाब दिया कि “साथ शयन माञ से संतानोत्पत्ति नहीं हो सकती है अपितु इसके लिये स्त्री पुरुष के मध्य एक द्रव का अंतरण आवश्यक होता है जो कि स्त्री-पुरुष के समागम/ संभोग/चुदाई से ही अंतरित हो सकता है” उन्होंने मुझे उनके बगल में बैठने को कहा और प्यार से एक माँ की तरह मुझे सहलाया। शिप्रा आण्टी ने उनकी उंगलियों को मेरे बालों मे डालकर सहलाया। वो धीरे धीरे सरक कर मेरे नजदीक आंई मुझसे चिपककर बैठ गईं।

इस दरम्यान उनका दुपट्टा उनकी गोद में गिर गया। शायद उन्होंने इसे जानबूझकर नहीं उठाया और अब शिप्रा आण्टी मुस्कुरा रहीं थीं । शिप्रा आण्टी ने एक आगे से बहुत नीचे तक खुल्ला हुआ ब्लाउज पहना हुआ था जिसके फलस्वरूप उनके स्तनों का लगभग आधे से अधिक भाग साफ उजागर हो रहा था। शिप्रा आण्टी ने उनके स्तनों के मध्य स्थित दरार में मेरा हाथ डालकर कहा, “इस खजाने को देखो और महसूस करो, तब तुम्हे पता चलेगा कि क्या जीवन मे आनंद का क्या मतलब है तुम क्यों शर्म महसूस कर रहे हैं?” देखो हम दोनो अकेले हैं और तुम एक शानदार मर्दाना शरीर वाले रमणीय पुरुष हो, क्या तुम अपने मर्दाना शरीर को अपनी आण्टी को नहीं दिखाना चाहोगे? शिप्रा आण्टी ने मेरी सुडौल भुजाओं पर उनके हाथ फेरते हुए कहा “ओह, क्या मांसपेशियों है?” शिप्रा आण्टी ने कहा, ‘यदि तुम्हारी भुजाएँ इतनी मजबूत हैं तो जांघें और पिंडलीयां तो निश्चित रूप से अत्यन्त सुडोल होनी चाहिए’ इतना कहकर, शिप्रा आण्टी ने मेरी मर्दाना जांघों पर हाथ शुरु कर दिए। मेरे लिये यह पहली बार का अनुभव था कि मेरे शरीर को किसी महिला ने इतनी अच्छी तरह छुअकर देखा हो। मेरे शरीर सनसनी सी छा रही थी। शिप्रा आण्टी ने कहा, “तुम अपनी ट्रैक पेंट क्यों नहीं उतार देते? मुझे तुम्हारे शरीर की पूरी झलक लेनी है। शिप्रा आण्टी ने लगभग मुझे धक्का सा देकर मेरी ट्रैक पेंट को उतार दिया। मैं मेरे शॉर्ट्स में उनके सामने खड़ा था।

मेरा लिंग पहले से ही खड़ा हो गया था और अब यह मेरे शॉर्ट्स से साफ उभर रहा था। शिप्रा आण्टी ने कहा, “तो, अब तुम उत्तेजित हो चुके हो“’ शिप्रा आण्टी ने पूछा “क्या तूमने पहले कभी किसी स्त्री से समभोग किया है?” ‘मैंने कहा “नहीं”’ “तो आज मेरे साथ इस अद्भुत अनुभव को प्राप्त करने का तुम्हारे पास सुनहेरा मौका है” “तुम डरना मत, यह बात किसी से मत कहना, यह बात मेरे तुम्हारे बीच गुप्त रहनी चाहिये। मैंनें भी एक बहुत लंबे समय से किसी जवाँ मर्द के साथ संभोग नहीं किया है। यह कहकर शिप्रा आण्टी मुझे मेरे मम्मी-पापा के शयन कक्ष में जाने के लिए कहा। कमरे में प्रवेश करते ही, शिप्रा आण्टी ने उनका ब्लाउज और पेटीकोट खोल दिये। शिप्रा आण्टी मेरे सामने ब्रा और जाँघिया में खडी थी। मैं पहली बार अर्धनग्न औरत को देख रहा था। मेरी आँखों ने ऊपर से नीचे तक उनके आकर्षक कामुक अर्धनग्न बदन पर नज़रें गड़ाकर-गड़ाकर देखना शुरू कर दिया।

शिप्रा आण्टी का सुडौल बदन गोरा-चिट्टा चर्बी-रहित था। मिस्र के पिरामिड की तरह उनके स्तनों की ऊर्ध्वता, डाली जैसी कमर पतली और देवदार के वृक्ष की भांति लंबी और सुडौल टांगें देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो इंद्रलोक की कोई अप्सरा भटक कर पृथ्वी पर आ गई हो। मेरी आँखों ने शिप्रा आण्टी के सौन्दर्य को लगभग पूरी तरह से निगलने का निश्चय कर लिया था। वह मंद-मंद मुस्कुरा रही थीं। शिप्रा आण्टी ने मेरे निकट आकर मेरी टी शर्ट खोलकर अलग कर दी और मेरे सीने, पेट और चेहरे पर उन्होंने अपनी उंगलियां फेरना शुरू कर दी। उन्होंने कहा “प्रणय, मुझे छूकर देखो” मुझे नहीं पता था कि क्या करना है। शिप्रा आण्टी ने उनके स्तनों पर मेरे हाथों रखा और धीरे धीरे उनके उरोजों पर घर्षण शुरू कर दिया। मेरे शरीर में बिजली के हल्के फुल्के झटके जैसे महसूस होने लगे। मैंने एक अर्धनग्न औरत के बदन को अब तक कभी भी नहीं छुआ था। शिप्रा आण्टी ने पूछा क्या ये सब तुम्हे पसंद आया?” मैंनें मस्ती में से सिर हिलाकर हामी भर दी। शिप्रा आण्टी डबल बेड पर उलटी लेट गईं और मुझे अपनी ब्रेसियर का हुक खोलने को कहा। मैंने अविलंब ब्रेसियर का हुक खोलकर उसे उतारकर अलग रख दी। उनके सुडौल स्तन अब बिस्तर की चादर से सटे हुए थे। मैंनें उनकी कमर के दोनो ओर मेरे टांगों को डालकर बैठ गया जैसे घोड़ी की सवारी कर रहा हुं मेरे हाथों ने उनकी पीठ को ऊपर कंधों से नीचे नितम्बों तक सहलाना शुरू कर दिया। मैं हाथों को कांख में फैरते हुए आण्टी के स्तनों के पास ले गया और पूछा, ‘आण्टी, क्या मैं इन्हें छू सकता हैं? “तुम कैसी बातें कर रहे हो? ये सब तुम्हारे ही हैं” ये कहकर आण्टी पलटकर कमर के बल लेट गईं। उनके वक्ष-स्थल अब पूरी तरह स्पस्ट नज़र आने लगा। मैंने उनकी चूचियों पर उंगलियां से घर्षण करना आरम्भ कर दिया।’शिप्रा आण्टी ने जोर जोर से आहें भरते हूए कहा “अब अपने मुँह मे चूचियों को लेकर चूसना शुरू करो। चूचियों को चूसते-चूसते मैंनें आण्टी की जाँघिया को हौले हौले नीचे सरकाकर तन से अलग कर उन्हें पूर्णतया नग्न कर दिया और मैंनें अपनी जाँघिया भी उतार दी। शिप्रा आण्टी ने मेरे नितम्बों को पकड़कर मुझे अपनी ओर खेंचकर मेरे लौड़े को अपने मुंह में ले लिया। शिप्रा आण्टी ने धीरे धीरे मेरे लौड़े के संपुर्ण शाफ्ट की लंबाई को अपने कंठ मे उतारकर धक्के देने लगीं। मुख-मैथुन समाप्ति के उपरांत आण्टी ने मुझे पीछे खिसकाकर मेरे सुपाड़े से उनकी चूचियों को घर्षित करना आरंभ कर दिया। “आण्टी, अब मैं अधिक प्रतीक्षा नहीं कर सकता हुं क्योंकि मेरा वीर्य-स्खलन होने को है।

शिप्रा आण्टी ने अपने नितम्बों के नीचे एक तकिया रखकर टांगें फैलाकर बिस्तर पर लेट गईं है और मुझे आमंत्रित कर कहा “इतनी जल्दी से वीर्य-स्खलन होने से तो तुम कभी भी तुमसे चुदने वाली औरत को तृप्त नहीं कर पाओगे, थोड़ा धैर्य बनाए रखो और अपने सुपाड़े को मेरी योनीद्वार पर रखकर थोड़ी देर तक लौड़े को अंदर तक घुसेड़कर रखो और फिर धीरे-धीरे अंदर-बाहर करना शुरु कर दो। इस प्रक्रिया को ही औरत को चोदना कहते हैं।वीर्य-स्खलन के बाद लंड़ ढीला पड़ जाता है तथा ढीले लंड़ से चुदाई नहीं बल्कि मूता जाता है। औरत को चोदते समय यदि वो सौम्य और सभ्य होने के बावज़ूद भी गन्दी गन्दी गालियां बकने लगे और उसकी बुर से वीर्य जैसा द्रव छुटने लगे तो समझो कि उसकी कामपिपासा की तृप्ति हो चुकी है। मर्द को उसका वीर्य-स्खलन इसके बाद ही करना चाहिये और यदि मर्द इसके तत्काल बाद और भी औरतों को चोदना चाहता है तो यथासंभव प्रयास करे कि आखरी औरत की चुदाई तक उसका वीर्य-स्खलित ना हो। शिप्रा आण्टी ने उनकी तर्जनी अंगुली और अँगूठे के बीच मेरे सुपाड़े को पकड़कर अपने हाथ से मेरे लंड़ को उनकी बुर में डालकर मुझे नीचे ले लिया और वो स्वम मेरे ऊपर आ गईं और एक घुड़सवार की भांति मेरे लौड़े की सवारी करने लगीं। मैं इतना उत्तेजित हो गया था कि मैंनें भी अपने नितम्बों को धीरे धीरे उठाकर आण्टी की योनि में मेरे लंड़ से धक्के देना शुरु कर दिया। शिप्रा आण्टी ने चिल्लाकर कहा “हरामी” “बहनचोद” “और जोर से चोद मुझे” “मेरी चूत में लौड़ा इतनी जोर से डाल कि मेरी चूत फटकर भोंसड़ा बन जाये” लेकिन मैं इस प्रथम चुदाई का आनंद लेने पर आमदा था। अतः मैंनें चुदाई की गति में कोई और इज़ाफा नहीं किया। शिप्रा आण्टी ने मेरा इरादा भांपकर खुद ही मेरे लौड़े पर उछल उछल कर मुझे ही चोदने सी लगीं थी।

चंद मिनटों में ही हम दोनो चरमोत्कर्ष पर पहुँच गये। जीवन में पहली बार मेरी कमबख्त मतवाली चूत ने एक मर्दाना अनुभव प्राप्त किया है। शिप्रा आण्टी मुझे देख रहीं थीं। शिप्रा आण्टी ने पूछा, “यह अनुभव कैसा था?” अब निर्भीकता से मैंने उत्तर दिया, “मोक्ष की प्राप्ति जैसा अद्भुत और स्वर्गीय अनुभव था” शिप्रा आण्टी ने पूछा, “और भी अधिक चोदना चाहते हो?’ मैंने कहा, ‘आण्टी, मेरे लंड़ तो अब छुहारे जैसा ढीला हो चुका है” शिप्रा आण्टी ने कहा, ‘इसके बारे में चिंता मत करो। बाथरूम में जाओ और स्नान करके बिस्तर पर वापस आ जाओ। मैं बाथरूम में गया और स्नान करके और बिस्तर पर वापस आ गया। शिप्रा आण्टी ने मेरे लंड़ को चूस चूस कर फिर एक आठ इंच के आकार के केले जैसा बना दिया और फिर अपनी कोहनी और घुटने के बल कुतिया की मुद्रा बनाकर मुझे कुत्ते की तरह पीछे से चोदने को कहा। इस बार मैंनें जमकर आंटी को चोदा और अंत तक भी वीर्य-स्खलन नहीं होने दिया। अगले दो दिनों तक मैंनें और शिप्रा आंटी ने जमकर एक दूसरे की चुदाई की और शायद ही कोई काम-मुद्रा हो जिसका क्रियान्वयन नहीं किया हो।

शिप्रा आण्टी ने मुझसे पूछा “वैसे तुमने कभी अपनी मम्मी को चोदने की सोची है। मैंने कहा, “क्या बकवास कर रही हो आण्टी, मैं तो इसके बारे में कभी सोच भी नहीं सकता है” आण्टी ने कहा, “मैं बकवास’ नहीं कर रही हुं, तुम्हें पता नहीं है लेकिन तुम्हारी मम्मी को उनके पति , मेरा मतलब है तुम्हारे पापा से चुदकर कभी भी संतुष्टि नहीं मिली है और यह बात उन्हीं ने मुझे बताई है” तुम्हारी मम्मी इस फिराक मे है कि वो किसी तुम्हारी आयु के युवक को चंगुल मे लेकर उससे चुदवाए। ऐसी परिस्थितियो मे तुम्हें मम्मी को विश्वास में लेकर उनसे यौन संबध स्थापित कर घर की इज्जत बचाने की कोशिश करनी चाहिये और मैं उसे इसके लिए तैयार करूंगी। मैं तुम्हे भरोसा दिलाती हूं कि वह मान जायेंगी और तुम्हे चोदने को एक और परिपक्व महिला मिल जायेगी हम तीनों ग्रुप सेक्स भी करने का प्रयत्न करेंगे। शिप्रा आण्टी ने फोन करके मुझे बताया कि मेरी मम्मी ने मझसे चुदने को मंजूरी दे दी है। अगले शुक्रवार और शनिवार को मेरे पापा को शहर से बाहर जाना था और हमनें इसी दरम्यान शिप्रा आण्टी के घर मम्मी को चोदने का कार्यक्रम तय किया। शिप्रा आण्टी ने मुझे शुक्रवार की राञि 8 बजे उनके घर आने को कहा और बताया कि मम्मी पहले ही वहां मौज़ूद होगी। मैं ठीक 8 बजे शिप्रा आण्टी के घर पहुंच गया और घंटी बजा दी। मम्मी दरवाजा खोला। मैंने देखा कि उन्होंने एक पारदर्शी पहन रखा था। शिप्रा आण्टी को सोफे पर बैठे देखा।

मै अपनी खुद की मम्मी को चोदने के ख्याल भर से घबराया हुआ था और मम्मी को पारदर्शी परिधानों में देखकर एक सिहरन सी मेरे अंग अंग मे दौड़ने लगी। जब मैं अंदर था तब शिप्रा आण्टी ने मेरे पास आकर मुझे होंठों पर चूमा और फुसफुसाई “चोदते वक्त यह ध्यान रखना कि तुम अपनी माँ को नहीं बल्कि एक अतृप्त औरत की प्यास बुझा रहे हो तभी यह मिशन पूरा हो पायेगा। अब तुम मेरे बेडरूम में लुँगी पहन कर लेट जाओ और मैं तुम्हारी मम्मी को दूध की प्याली के साथ भेजती हूँ। मैं माँ बेटे के रिश्तों को सफलतापूर्वक अपने समक्ष बदलता हुआ देखना चाहती हूं। मम्मी कुछ ही क्षणों में दूध की दो प्यालियाँ ट्रे मे रखकर आ गईं और झुककर ट्रे को बहुत धीरे धीरे अपने स्तनों के बीच की फांक को प्रदर्शन करते हूये सेंटर टेबल पर रख दिया। मम्मी का चेहरा शर्म के मारे लाल था परंतु आंखो मे एक प्रसन्नता की झलक साफ नज़र आ रही थी। मेरे दूध का कप समाप्त हो गया था। मम्मी के कमरे में प्रवेश करने से पहले ही मैं काफी उत्तेजना के कारण बेहाल था और माँ के स्तनों की झलक देखकर मेरे सब्र का बांध टूट गया। शिप्रा आण्टी के निर्देशानुसार मैं अपने लंड़ को लूंगी मे संभालता हुआ बाथरूम में गया और जैसा कि पहले से ही शिप्रा आण्टी ने निर्देश दिए थे, मैं बाथरूम से नंगे सीने सिर्फ़ एक शॉर्ट्स पहनकर बाहर आ गया। मैंने देखा है कि शिप्रा आण्टी और मम्मी बेडरूम में मौज़ूद थीं। मैं तय नहीं कर पा रहा था कि कैसे आगे बढूँ तभी शिप्रा आण्टी ने पहल कर दी। उन्होंने मुझे अपनी ओर खेंचकर एक गहरा चुंबन मेरे होठों पर जड़ दिया और फिर मेरी मर्दाना चूंचियों पर कुछ देर तक चिकोटी काटने के बाद एक-एक करके उन्हें कुछ देर तक चूसा। शिप्रा आण्टी ने मम्मी के होठों पर भी एक गहरा चुंबन जड़ दिया। मम्मी ने शर्मिंदगी से उनकी आँखें बंद कर लीं।

शिप्रा आण्टी ने मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर मम्मी के स्तनों पर फैराने लगी और स्पर्श करते ही जैसे ही मैंने उनके स्तन को थोड़ा दबाया तो मम्मी की सिसकारी छूट गयी। शिप्रा आण्टी अब समझ रही थीं कि इस व़क्त मम्मी काफी उत्तेजित हो चुकी है और एक माँ, अपने बेटे से नये प्रकार के प्यार व समागम के लिए तैयार हो चुकी है। आंटी ने ने कहा, “ठीक है, तुम दोनो प्यार करो और एक नये रिश्ते की शुरूआत करो और मैं लिविंग रूम में इंतजार करती हुं। मम्मी ने कहा, “नहीं, शिप्रा तुम कृपया यहीं रहो, मैं घबरा रही हूँ और डर भी लग रहा है” शिप्रा आण्टी ने हँसकर वहां रुकने को सहमत हो गई और मुझे आगे बढ़ने का संकेत दिया। अब तो पल पल मेरी बेशर्मी, निर्लज्जता और वासना बढ़ती जा रही थी। मैं मम्मी के पास गया दिया और कहा, “मैं तुम्हें प्यार करता हूं मम्मी, कृपया मेरे पास आओ” मैंनें मम्मी को अपनी ओर खींचकर आलिंगनबद्ध किया और कस कर गले लगा लिया। मम्मी अब भी झिझक रही थी। फिर मैंनें अपने हाथों में उनके चेहरे को कसकर पकड़कर उनके होठों पर एक चुंबन जड़ दिया। मम्मी के बदन में एक बार फिर कंपकपी छू गई और उन्होंने मुड़कर अपनी पीठ मेरी ओर कर दी। मैंने मम्मी के पीठ पर अपना हाथ ऊपर से नीचे तक उनकी रीढ़ और नितंबों पर फेरना शुरू कर दिया। मम्मी धीरे -धीरे आराम से आहें भरने लगी थी। उन्होंने भी मुझे गले लगा लिया और मेरे नंगी पीठ पर उनके हाथ सहलाने लगे।

अब मैं अपने आप को नियंत्रण करने में असमर्थ था। मैंनें धीरे धीरे उसके गाउन के बटन खोलकर उनके कंधों से गाउन को नीचे सरकाकर उनके स्तनों को सहलाना शुरू दिया। धीरे धीरे मैंने मम्मी के गाउन को पूरा नीचे सरकाया तो मम्मी के बदन पर माञ ब्रसियर और कटि के नीचे का अधोवस्त्र शेष रह गया। मम्मी की ब्रेसियर के हुक खोलकर मैंनें उसे अलग कर उन्हें ऊपर से पूर्ण अर्धनग्न कर दिया। मैंनें उनके नितंबों को सहलाया और उनके पैरों के मध्य मेरे पैर को रखकर धक्का दिया और उसकी जांघों को मला। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी मम्मी का जिस्म इतना सुंदर और मादक होगा। मम्मी के स्तनों की चूचियों का रंग गुलाबी और उनके पेट पर लेशमाञ भी चर्बी नहीं थी। उनकी लंबी टाँगों, गदरायी हूई जंघाओं और सुडौल पिंडलियों को देखकर कोई भी यह अंदाजा नहीं लगा सकता था कि वो एक विवाहित स्त्री ही नहीं अपितु मेरे जैसे व्यस्क पुरुष की माँ भी हो सकती हैं।

मैंने कहा, “मम्मी, पापा कितने भाग्यशाली है कि उन्हें तुम जैसी सुंदर और सेक्सी अर्धांगिनी मिली है” “वास्तव में पापा आप के साथ सेक्स करके कितना आनंद लेते होंगे” मम्मी का चेहरा लाल हो गया और उन्होंने मेरी तरफ देखकर कहा “तुम्हारे पापा ने आज तक भी मुझे कभी ढंग से चोदा ही नहीं है” “किसी औरत की चूत मे लंड डालकर झटके देने माञ को ही संभोग नहीं कहते हैं” वो मेरी चूत में सिर्फ लंड़ डालकर कुछ झटके देकर वीर्य-स्खलन की औपचारिकता को ही स्त्री-पुरूष समागम समझते हैं और परिणामस्वरूप उनसे चुदा-चुदाकर और तुम को उत्पत्ति देने के बावज़ूद मेरी कामाग्नि आज तक भी अतृप्त है। मैंनें एक बार फिर मम्मी के समीप आकर उसके दोनों स्तनों के पकड़ लिया उन्हें नाजुकता से दबाया और उनकी चूचियों को तर्जनी और कर्णिका उंगलियों से घर्षण करना शुरू कर दिया। मेरे नंगे सीने पर मम्मी ने उनके हाथों को फेरकर कर कहा “प्रिय पुञ मय पति मेरी ब्रेसियर के हुक खोलकर इन्हें चूसो। मैंनें मम्मी की ब्रेसियर के हुक खोलकर उनके ऊपरी भाग को पूर्णतया नग्न कर दिया।

मम्मी के वक्षस्थलों की दरार के बीच अपना लौड़ा डालकर मैंनें अपनी गांड को आगे-पीछे हिलाया तो मेरे लंड का सुपाड़ा मम्मी के होठों के संपर्क में आ गया और मम्मी ने मेरे लंड़ को मुँह के अंदर लेकर जमकर चूसा। तदुपरान्त मैंनें मेरे लंड़ को मम्मी के मुँह से निकालकर मम्मी को उनहत्तर की मुद्रा में लेकर अगले आधे घंटे तक मम्मी की जंघिया उतरकर उनकी चूत में जीभ को डालकर चाटता रहा और मम्मी अपने मुँह में मेरे लौड़े को निरंतर चूसती रही। अब मैंनें एक हाथ से मम्मी के नितंबों को दबाना शुरू किया और दूसरे से उनके निपल्स के चारों ओर मेरी उँगलियाँ सहलाना शुरू कर दिया।

कुछ सेकंड के भीतर ही मम्मी के निपल्स खड़े हो गये। मैंनें मेरी तर्जनी और मध्यमा उंगलियों में उसके निपल्स को लिया और धीरे -धीरे दबाने लगा जिसके फलस्वरूप मम्मी के तन मे फिर से कंपकपी छूट गई। अनजाने में मेरा हाथ नीचे चला गया और वह उनकी बुर को सहलाना लगा। मैं समझ चुका था कि मम्मी अब भरपुर उत्तेजित हो चुकि है। मम्मी के हाथ सिर के पीछे चले गए और मैंने अपने 8 इंच के कड़क लंड़ के सुपाड़े को मम्मी की बुर के छेद पर रखकर उन्हें चोदने की अंतिम तैयारी कर ली। मैंने मम्मी होठों से अपने होठों को अड़ाकर बहुत गहराई से चूमा और मेरी जीव्हा को उनके मुँह में डालकर मम्मी की जीभ से ऐंटी दी और उनके होठों को चूसने लगा। मम्मी ने ऐन वक्त पर बोलीं “इन रिश्तों को मातृत्व प्रेम से स्त्री पुरूष समागम मे बदलने से पूर्व एक बार और सोच लो कि भविष्य में यह बात गुप्त नहीं रही तो क्या होगा?” मैंने मम्मी को बताया कि पवित्र हिन्दू पौराणिक ग्रंथ कामसूत्र में माँ बेटे के मध्य सम्भोग के कई वृतांत मौज़ूद हैं और यह बात सामने आने पर मैं आपसे विवाह कर लूँगा। अब मैं आपकी सिसकारियों और आंहों के अलावा कुछ नहीं सुनना चाहता। यह सुनकर मम्मी ने कहा “चलो अब हमें सच्चाई का सामना, करके एक दूसरे की कामवासना को तृप्त करना आरंभ करें” मम्मी के इतना कहते ही मैंनें अपने लंड़ को मम्मी की चूत में डालकर धीरे धीरे अंदर बाहर करना करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में ही शयन कक्ष “आह” “ऊह” “आऊच” जैसी सिसकारियां से गूंजने लगीं और मम्मी की चूत के छिद्र से द्रव का रिसाव शुरू होने लगा। मैंने तभी अचानक मेरा लंड़ मम्मी की चूत से बाहर निकाल लिया और मेरी जिव्हा से मम्मी की टखनों व पिंडलियों को चाटता हुआ उनकी जांघों अंदर के हिस्से की त्वचा तक जा पहुँचा।

मैंने ने बड़े सयंम से अपनी इन्द्रियों को वश मे रखते हुये मम्मी की भगनासा को चूसना चालू कर दिया। मम्मी की भगनासा थोडी देर चुसने के बाद ही एक पाँच वर्ष के शिशु के लंड के आकार की हो गई। मैंने पूछा, ‘मम्मी, क्या तुम अब चुदाई के लिये तैयार हो?’ मम्मी में अब इतनी उत्तेजना समा चुकी थी कि वो चिल्ला उठी “मादरचोद, अब तो हाथी जैसे लौड़े को मेरी बुर मे डालकर मुझे चोदना शुरु कर” मैंनें फिर अपने सुपाड़े को मम्मी के योनी द्वार पर रखकर जोर से धक्का दिया तो मेरा संपुर्ण लौड़ा उनकी बुर की गहराई में समा गया और अब मैनें अगले एक घंटे तक धीरे धीरे अन्दर बाहर धक्के देने जारी रखे। मम्मी की “आह” “ऊह” “आऊच” जैसी सिसकारियां निरंतर जारी थीं और इसी बीच मैंने मम्मी की गदराई हुई टांगों को मेरी कंधो पर रखकर गर्दन के पीछे पिरो दिया तो मेरा लौड़ा मम्मी की बुर की अधिकतम गहराई तक उतर गया और उनकी ग्रीवा से मेरे सुपाड़े का घर्षण होना मुझे मेहसूस हुआ। मैंने मम्मी की चूचियों को बारी-बारी से चूसना शुरू कर दिया। मम्मी की सिसकारियां अब चिल्लाहट में तब्दील हो गईं “चोदो मुझे” “जोर-जोर से चोदो मुझे” “मेरी बुर को फाड़कर मेरे दो टूकड़े कर दो” “और जोर से चोद मुझे, गंडमरे-मादरचोद” “चोद-चोद कर रंडी बना दे अपनी माँ को” मैंने अगले पंद्रह मिनट तक मेरे लौड़े को जोर-जोर के झटकों के साथ मम्मी की बुर के अन्दर बाहर करना जारी रखा तो मम्मी का चरमोत्कर्ष हो गया।


अचानक, शिप्रा आण्टी हमारे शयन कक्ष में पूर्णतः नग्न होकर अवतरित हुँई। मेरे ढीले पड़ चुके लंड़ को मम्मी की बुर से निकालकर चूसना शुरू किया तो उसमें फिर ऐंठन आ गई और शिप्रा आण्टी ने मेरे वीर्य-स्खलन से पहले एक बार फिर मेरे लौड़े को मम्मी की बुर मे डलवाकर एक बार फिर मेरी और माँ की चुदाई को अंजाम दिया। मम्मी के चेहरे पर संपुर्ण औरत बनने की संतुष्टि प्रतीत हो रही थी। मम्मी ने कहा, “मेरी प्यारी सोनिया, आज कई युगों के बाद मेरी कामाग्नि को शांत करवाकर तूमने एक नेक काम किया है। अब से यह तय होता है कि मेरा बेटा रोज़ दिन में जब मेरे पति आफिस में होते हैं, तब मेरी चुदाई करेगा और इनके बाहर होने की दशा में अपनी आंटी को दिन मे और अपनी माँ को रात चोदेगा। उस दिन के बाद से मैं और मम्मी लगभग हर दूसरे दिन जब पिताजी बाहर होते हैं तो जमकर चुदाई करते हैं। कभी कभी तो जब दोनो के पति शहर से एक समय मे बाहर होते हैं तो हम सामूहिक चुदाई करते हैं।
 
Last edited:
  • Like
Reactions: Gsc and Raj_Singh

IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
10,060
8,540
229
38925
 

poorva

Member
496
738
93
उसके बाद मैंने अपनी जीभ से उनके भगनासा को मसला और अपनी जीभ को उनकी चूत के अंदर बाहर करके उनके जी-स्पॉट को रगड़ा तब मुझे सब कुछ बहुत अच्छा लगा।

चाची की चूत पर मेरे मुँह के आक्रमण से वह उत्तेजित हो उठीं और यह सब उनके शरीर की कंपकंपी और चेहरे के भाव बता रहे थे कि उन्हें बहुत आनन्द मिल रहा था।

चाची की चूत को चाटने से मैं इतना उत्तेजित हो गया की मेरा लंड खड़ा हो कर इतना तन गया की मुझे लगने लगा कि अगर देर करी तो उसकी नसें फट जायेंगी।

तब मैं उठ कर अपने को चाची की टांगों के बीच में घुटनों के बज बैठ कर अपने लंड को उनकी चूत के मुहाने पर टिकाया और एक हल्का सा धक्का मार दिया।

क्योंकि मेरा लंड नितिन की अपेक्षा कुछ अधिक मोटा था इसलिए मेरे पहले धक्के से वह चूत के अंदर सिर्फ आधा ही जा सका।

चाची के मुँह से एक सीत्कार निकली लेकिन उन्होंने अपने पर काबू कर के चुपचाप लेटी रही और तब मैंने अपनी धुन में ही एक जोर का धक्का मार कर अपना पूरा लंड उनकी चूत में प्रवेश करा दिया।

उनकी चूत में फंस के घुसते हुए मेरे मोटे लंड से हुए दर्द के कारण चाची के मुँह से न चाहते हुए भी एक चीख निकल गई और उन्होंने मुझे कस का पकड़ लिया तथा उनकी आँखें गीली हो गई।

चाची को दर्द में देख कर मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया और उनकी होंठों, गालो, गीली आँखों और चुचियों को चूमा और फिर उनकी चुचुक को चूसने लगा।

लगभग पांच मिनट रुकने के बाद जब मुझे लगा कि चाची सामान्य हो गयी तब मैं धक्के मारने लगा और किसी स्त्री के साथ पहली बार सेक्स का मजा भी लूटने लगा था लेकिन वह सब था एक-तरफा ही।

लगभग 15-16 धक्के मारने के बाद मैंने चाची की चूत में सिकुड़न की लहरें महसूस करीं और मेरा लंड उसमे फंस फंस कर अंदर बाहर हो रहा था।



मैंने धक्के मारने जारी रखे और अभी दो या तीन धक्के ही मारे थे कि चाची के मुख से दबे स्वर में आह्ह्ह… आह्ह्ह… की सिसकारी सुनाई दी।

मैंने धक्के मारना रोका नहीं और महसूस किया कि मेरे अगले धक्कों में मेरा लंड आराम से फिसलता हुआ चूत के अंदर बाहर होने लगा क्योंकि चाची की चूत द्वारा छोड़े गए रस से काफी फिसलन हो गई थी।

उसके बाद तो मेरे धक्कों की गति भी तेज़ हो गई और अगले
20-22 धक्कों के बाद मुझे मेरे अंडकोष में कुछ गुदगुदी महसूस हुई और उधर चाची ने एक बार फिर से सिसकारी भरी।

देखते ही देखते चाची और मैं दोनों ही एक साथ झड़ गए तथा मेरे वीर्य और चाची के रस का मिलन उनकी चूत के अंदर ही होने लगा।

मैं दस मिनट के लिए पस्त हो कर चाची के ऊपर लेटा रहा और फिर उठ कर बाथरूम गया और अपने को साफ़ किया।

जब मैं वापिस कमरे में आया तो देखा कि मेरी गुमसुम चाची अपने कपड़े पहन रही थी।

तब मैं उनके होंठों और गालों को चूम कर बैड पर लेट गया।

चाची कपड़े पहन कर पता नहीं क्या सोचती हुए मेरे पास ही बैड पर बैठ गयी और मुझे थकावट के कारण शीघ्र ही मेरी आँख लग गई।

शाम छः बजे जब मेरी आँख खुली और मैं नीचे की मंजिल पर गया तो देखा कि मम्मी आ चुकी थी।

जब मैं वापिस कमरे में आया तो देखा कि मेरी गुमसुम चाची अपने कपड़े पहन रही थी।

तब मैं उनके होंठों और गालों को चूम कर बैड पर लेट गया।

चाची कपड़े पहन कर पता नहीं क्या सोचती हुए मेरे पास ही बैड पर बैठ गयी और मुझे थकावट के कारण शीघ्र ही मेरी आँख लग गई।

शाम छः बजे जब मेरी आँख खुली और मैं नीचे की मंजिल पर गया तो देखा कि मम्मी आ चुकी थी।

उन्होंने मुझे देखते ही पूछा- अब तबियत कैसी है?

मैंने उत्तर दिया- पहले से अब तो बेहतर है।

तब माँ ने कहा- बहुत अच्छी बात है कि तुम्हें आराम मिल गया। बैठो, मैं तृप्ति को कहती हूँ, वह तुम्हें यहीं चाय दे देगी।

फिर माँ ने ऊँची आवाज़ में बोली- तृप्ति, मैं नहाने जा रही हूँ। संजू उठ गया है तुम उसको चाय बना कर दे दो।

रसोई में से चाची की आवाज़ आई- अच्छा जीजी…

कुछ देर के बाद चाची चाय का कप ले कर आई और मेरे सामने रख कर जाने लगी तभी मैंने हाथ बढ़ा कर धीरे से उनकी चूचियों को मसल दिया।

वह कुछ भी नहीं बोली और चुपचाप मुड़ कर रसोई में चली गयी तथा अपने काम में व्यस्त हो गई।

चाय पीकर जब मैं रसोई में कप रखने गया तो देखा की चाची बर्तन धो रही थी और उसकी पीठ मेरे ओर थी।

तब मैंने कप देने के बहाने उनकी पीठ से चिपक कर अपने बाजूओं को उनके चारों ओर से आगे करते हुए उन्हें कप पकड़ाया।

उन्होंने जैसे ही मेरे हाथ से कप पकड़ा मैंने उनको अपने बाहुपाश में ले लिया और उनकी दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर से मसल दिया।

चाची दर्द के मारे आह्ह… आह्ह… कर उठी और बोली- संजू, क्या कर रहे हो, मुझे भी दर्द होती है। इतनी जोर से मसलने के बदले अगर थोड़ा आराम से सहलाते तो दोनों को ही आनन्द मिलता।

चाची की बात सुन कर मैंने बहुत ही आराम से कुछ देर उनकी चूचियों को सहलाया और फिर उनके होंठों को चूम कर अपने कमरे में चला गया।

अगले दो दिन शनिवार और रविवार थे और पापा मम्मी घर पर ही रहते थे इसलिए मुझे चाची के साथ कुछ करने के लिए कोई मौका ही नहीं मिला।

क्योंकि सोमवार सुबह तो मुझे कोई मौका नहीं मिलने वाला था इसलिए मैं कॉलेज चला गया और आशा थी कि शाम को थोड़ा जल्दी घर आऊँगा तो अवश्य ही मौका मिल जायेगा।

लेकिन शाम को जब मैं कॉलेज से घर आया तो बहुत मायूस होना पड़ा क्योंकि छोटे भाई की कोचिंग समाप्त हो चुकी थी और वह घर पर ही तथा पूरी शाम मुझे अपने कमरे में ही रहना पड़ा।

इसी तरह बृहस्पतिवार तक यानि चार दिन छोटे भाई के घर पर ही होने के कारण मैं चाची के साथ कुछ अधिक नहीं कर सका लेकिन जब भी मौका मिलता था मैं उनकी चूचियों और गालों को ज़रूर मसल देता था।

शुक्रवार सुबह जब मैं नाश्ता कर रहा था, तब मम्मी ने बताया कि उसी दोपहर को वह, पापा और छोटा भाई उसके एयर फ़ोर्स में प्रवेश के सिलसिले में बाहर जा रहे थे और रविवार रात तक ही वापिस आयेंगे।

नाश्ता करके जब मैं बर्तन रखने के लिए रसोई में गया तब चाची को बहुत खुश देखा तब मैंने उनके पास जाकर धीरे से उनकी चूचियों को मसलते हुए उनकी ख़ुशी का कारण पूछा लेकिन वह कुछ नहीं बोली और चुपचाप अपने काम में लगी रही।

उस दिन मैं कॉलेज से दोपहर दो बजे ही लौट आया तो देखा कि चाची ने फिरोजी रंग की साड़ी पहन रखी थी, हल्का सा मेक-अप भी कर रखा था।

मुझे देखते ही चाची बोली- आ गए संजू। चलो जल्दी से हाथ मुंह धो लो, साथ बैठ कर खाना खायेंगे।

उनके बदले हुए रूप को देख कर मैं चकित रह गया क्योंकि जब से मैंने उनकी चुदाई की थी तबसे वह मुझसे बात ही नहीं करती थी।

मैं फ्रेश होकर जब टेबल पर आया और हम दोनों खाना खाने बैठे तब मैंने देखा की सारा खाना मेरी पसंद का ही था।

खाना खाते हुए मैंने चाची से पूछा- मम्मी पापा किस समय गए?

चाची बोली- वे दोपहर का खाना खाकर एक बजे गए हैं।

मैं बोला- क्या तुम्हें पता था कि वे सब इतने दिनों के लिए बाहर जा रहे हैं?

चाची बोली- हाँ, जीजी ने रात को ही मुझे अपना सारा कार्यक्रम बता दिया था।

मैं बोला- क्या इसीलिए तुम सुबह खुश थी?

चाची बोली- हाँ, मुझे ख़ुशी थी कियोंकि मुझे तुम्हारे साथ अकेले रहने के लिए ढाई दिन और दो रातें मिल रहे थे।

मैंने कहा- इन ढाई दिनों के लिए तुम अपने मायके जा कर नितिन के साथ भी बिता सकती थी?

मेरी व्यंग्य को सुन कर वह बोली- देखो संजू, मैं तुम्हें बताना चाहती हूँ कि मुझे सेक्स करना बहुत पसंद है लेकिन तुम्हारे चाचा के जाने के बाद मैं उससे वंचित रह गई थी।

इसलिए उनके विदेश जाने के बाद जब तीन महीने के लिए मैं अपने मायके रही थी तब मुझे सेक्स के बिना छह माह से अधिक हो चुके थे।
1067720343-IMG-12-jpg-03f076b5a8f17f99e513d7bee8413a31-jpg-dfb2f81d9e735f1e1c5f7a83fae7ad27
वहाँ मैं अपनी वासना की आग को बर्दाश्त नहीं कर पाई और इसलिए मैंने नितिन को सेक्स के लिए लुभा लिया और उससे चुदाई करवाती रहती थी। मेरे आग्रह पर वह मेरी वासना को शांत करने के लिए सप्ताह में एक दिन यहाँ आ कर मुझे चोद जाता था।

फिर कुछ क्षण रुक कर उसने अपनी बात को जारी रखते हुए वह बोली- लेकिन उस दिन जब तुमने मुझे जबरदस्ती चोदा था तब मुझे तुम्हारा मोटा और सख्त लंड बहुत पसंद आया।

जो आनन्द और संतुष्टि तुमने मुझे उस दिन दी थी वह आज तक ना तो तुम्हारे चाचा और ना ही नितिन मुझे दे सका था।

पिछले छह दिनों में जब तुम्हें मौका मिलता था, तुम मुझे चूम और मसल कर तड़पता छोड़ जाते थे और मैं अपनी अतृप्त वासना की आग में जल कर रह जाती थी।

तुम्हारे साथ इस घर में इन आने वाले दिनों में अपनी अतृप्त वासना की तृप्ति होने की आशा के कारण मैं खुश थी।

अब मेरा तुम से अनुरोध है कि अगले ढाई दिन और दो रातों में अपनी इच्छा अनुसार मुझे चोद कर मेरी वासना की आग को शांत कर के मुझे तृप्ति प्रदान कर दो।

खाना पूरा होते ही मैंने उठते हुए कहा- तो फिर देर किस बात की है? चलो, पहली शिफ्ट अभी लगा लेते हैं।

चाची खुश होते हुए बोली- ठीक है, तुम बाहर के दरवाजे की कुण्डी लगा दो, तब तक मैं टेबल साफ़ कर देती हूँ।

मैं फ़टाफ़ट कुंडी लगा कर कमरे में पहुंचा तब तक चाची भी आ गई और मुझसे लिपट कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया।
tumblr-pd98501c8-O1rnla5qo1-640
मैंने उनके होंटों पर अपने होंट रखे दिए और हम दोनों धीरे-धीरे एक दूसरे के होंटों तथा जीभ की चूमने एवं चूसने लगे।

दस मिनट के बाद मैंने उनके और उन्होंने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए और कुछ ही मिनटों के बाद हम दोनों बिलकुल निर्वस्त्र एक दूसरे से चिपटे हुए थे।

फिर हम दोनों बैड पर 69 की अवस्था में लेट गए और मैं उनकी चूत को खीर की कटोरी समझ कर चाटने लगा तथा वह मेरे लंड को लॉलीपोप की तरह चूसने लगी।

चाची मेरे लंड को चूसती जा रही थी और कहती जा रही थी- मेरे राजा, चूसो जोर से चूसो मेरी चूत को, खा जाओ इसे।

काफी देर तक ऐसे ही चलता रहा और फिर चाची की चूत ने पानी छोड़ दिया जिसे मैंने चाट लिया तथा मेरे लंड ने भी वीर्य की धार छोड़ दी जिसे चाची बहुत चाव से शहद समझ कर पी गई।

उसके बाद आधे घंटे तक हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए तथा एक दूसरे के गुप्तांगों को मसलते हुए लेटे रहे।

जब हम दोनों फिर से उत्तेजित होने लगे तब हमने
69 की अवस्था में चूत और लंड को चाट एवं चूस कर कुछ ही मिनटों में चुदाई के लिए तैयार हो गए।

तब चाची ने मुझे बैड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर लगाया और उस पर बैठ कर उसे पूरा का पूरा अपनी चूत में समां लिया।

इसके बाद वह उछल उछल कर चुदाई करने लगी और जब उसके चूत में हलचल एवं खिंचावट होती तब जोर जोर से सिसकारी भरती और पानी छोड़ देती।

बीस मिनट तक चुदाई करके जब वह थक गई तब नीचे लेट गई और मैं उनके ऊपर चढ़ गया और बहुत ही तेजी से उसकी चुदाई करने लगा।

उस तेज़ चुदाई को दस मिनट ही हुए थे की चाची जोर से चिल्लाई- आईईई ईई… संजू मैं आने वाली हूँ तुम भी जल्दी से आ जाओ! साथ साथ झड़ने में बहुत ही आनन्द आता है और दोनों को पूर्ण संतुष्टि भी मिलेगी।

चाची की बात सुन कर मैं बहुत उत्तेजित हो गया और तेज़ धक्के लगाने लगा तभी मेरा लंड उनकी चूत के अंदर ही फूल गया और उनके साथ मैं भी उनके अन्दर ही झड़ गया।

हम दोनों थक गए थे इसलिए उसी तरह एक दूसरे से लिपटे हुए सो गए और शाम के छह बजे ही उठे!

उन ढाई दिन और दो रातों में हम दोनों ने दसियों बार चुदाई करी!


उसके बाद आज तक हमें जब भी कभी मौका मिलता था हम दोनों अपनी वासना की आग को शांत कर लेते थे।
Chachi ko thik se chudai ka anand diya
 

poorva

Member
496
738
93
पारूल दीदी का भीगा बदन

पहले मैं अपना परिचय दे रहा हूँ : उम्र 28 साल है, कद 5 फ़ीट 9 इंच और मेरा लंड 7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है।

दोस्तो, बात तब की है जब मैं 21 साल का था, अपनी छुट्टियों में अपनी मामा के घर गया था। उसी दिन मेरी मामा की लड़की यानि पारूल का फ़ोन अपनी मम्मी के पास आया कि किसी रिश्तेदार की मौत हुई है, आप और पापा मेरे घर आ जाओ, हम लोग मिलकर जायेंगे।

मामा शहर से बाहर गए हुए थे तो मैं ही मामी को लेकर पारूल के घर गया और हम तीनों जाकर वापस आ गए और पारूल दीदी ने मुझे रोक लिया अपने घर पर यह कह कर कि दो चार दिन यहीं रुक जाएगा समीर तो मामी अपने घर चली गईं।

मेरे दीदी का नाम पारूल है, तब वो 25-26 साल की थी, उसके पति आर्मी में हैं, साल में कभी कभार ही घर आते हैं। मेरी दीदी को कोई बच्चा नहीं था उनकी शादी को तब चार साल ही हुए थे लेकिन जीजा जी शादी से पहले ही आर्मी में थे इसलिए दीदी के साथ ज्यादा समय नहीं रह पाए थे।

अगले ही दिन दीदी अपनी किसी सहेली के घर किट्टी में गई हुई थी कि अचानक बारिश शुरू हो गई। मैं टी वी पर मूवी देख रहा था, मूवी में कुछ सीन थोड़़े से सेक्सी थे जिन्हें देख कर मन के ख्याल बदलना लाजमी था। उस समय मेरे मन में बहुत उत्तेजना पैदा हो रही थी। मैं धीरे धीरे अपने लंड को सहलाने लगा।
तभी दरवाज़े की घण्टी बजी, मैंने जाकर दरवाजा खोल दिया। बाहर दीदी खड़ी थी, उनका बदन पूरी तरह पानी से भीगा हुआ था और वो आज बहुत जवान और खूबसूरत लग रही थी। मैंने दरवाजा बंद कर दिया।

दीदी ने सामान रखा और मुझसे बोली- समीर, मैं पूरी भीग चुकी हूँ, मुझे अंदर से एक तौलिया ला दो, मैं तौलिया ले आया तो दीदी मुस्कुराते हुए बोली- सामान हाथों में लटका कर लाने से मेरे हाथ दर्द करने लग गए हैं इसलिए तुम मेरा एक छोटा सा काम करोगे?

मैंने पूछा- क्या काम है?

दीदी बोली- जरा मेरे बालों से पानी सुखा दोगे?
tumblr-nbgpdu-M7-Ib1rvr7uvo1-500

मैंने कहा- क्यूँ नहीं?

दीदी ज़मीन पे बैठ गईं और मैं सोफे पे बैठ गया । मैंने देखा बालों से पानी निकल कर उनके बूब्स की धारीओं से लेके नाभि तक बह रहा था। मैं दीदी के पीछे बैठ गया, उनको अपने पैरों के बीच में ले लिया और बालों को सुखाने लगा। दीदी का गोरा और भीगा बदन मेरे लंड में खुजली पैदा कर रहा था। बाल सुखाते हुए मैंने धीरे से उनके कंधे पर अपना हाथ रख दिया। दीदी ने कोई आपत्ति नहीं की। धीरे से मैंने उनकी कमर सहलानी शुरू कर दी।

तभी अचानक दीदी कहने लगी- मेरे बाल सूख गए हैं, अब मैं भीतर जा रही हूँ।

वो कमरे में चली गई पर मेरी साँस रुक गई। मैंने सोचा कि शायद दीदी को मेरे इरादे मालूम हो गए। कमरे में जाकर दीदी ने अपने कपड़े बदलने शुरू कर दिए। जल्दी में दीदी ने दरवाजा बंद नहीं किया। मेरी निगाह उनके कमरे पे रुक गई। वो बड़े शीशे के सामने खड़ी थी। मेरे मुँह से तो सिसकारी ही निकल गई, आज से पहले मैंने पारूल दीदी को इतना खूबसूरत नहीं समझा था। वो बिस्तर पर सिर्फ अपनी ब्रा और पैंटी में खड़ी थी।

दूधिया बदन, सुराहीदार गर्दन, बड़ी बड़ी आँखें, खुले हुए बाल और गोरे गोरे जिस्म पर काली ब्रा जिसमे उनके 36 साइज़ के दो बड़े बड़े उरोज ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने दो सफेद कबूतरों को जबरदस्त कैद कर दिया हो। उनकी चूचियाँ बाहर निकलने के लिए तड़प रही थीं। चूचियों से नीचे उनका सपाट पेट और उसके थोड़ा सा नीचे गहरी नाभि, ऐसा लग रहा था जैसे कोई गहरा कुँआ हो। उनकी कमर 26 से ज्यादा किसी भी कीमत पर नहीं हो सकती। बिल्कुल ऐसी जैसे दोनों पंजों में समा जाये। कमर के नीचे का भाग देखते ही मेरे तो होंठ और गला सूख गया।

उनके चूतड़ों गांड का साइज़ 36″ के लगभग था। बिल्कुल गोल और इतना ख़ूबसूरत कि उन्हें तुंरत जाकर पकड़ लेने का मन हो रहा था। कुल मिलाकर वो पूरी सेक्स की देवी लग रही थीं…

मेरा दिल अब और भी पागल हो रहा था और उस पर भी बारिश का मौसम जैसे बाहर पड़ रही बूंदें मेरे तन बदन में आग लगा रही थी। अचानक दीदी मुड़ी और उन्होंने मुझे देख कर मुस्कुराकर दरवाज़ा बंद कर लिया। मुझे उनकी आँखों में अपने लिए प्यार और वासना साफ़ नजर आ गई थी।

वर्षा ॠतु चल रही थी, जुलाई का महीना था, सुबह धूप थी पर दोपहर होते होते मौसम बहुत ख़राब होने लगा था, बूंदाबांदी शुरू हो गई थी। किसी भी वक्त तेज़ बारिश हो सकती थी, दीदी बोली- समीर मैं कपड़े लेने जा रही हूँ छत से।

मैंने कहा- मैं भी चलता हूँ। हम छत से कपड़े उतार ही रहे थे कि अचानक बारिश तेज़ हो गई और मैं और दीदी पूरे भीग गए। मैं दीवार की ओट में छुप गया पर दीदी बारिश में नहाने लगीं। दीदी बारिश के मज़े ले रही थी !!
उन्होंने मुझे भी आने को कहा तो मैं भी बारिश में नहाने लगा। उसी वक़्त न जाने क्यूँ फिर मेरी नज़र उनके पेट पर गई, जोकि कपड़े गीले होने बाद साफ़ नज़र आ रहा था !!
13-Actress-Trisha-Krishnan-Wet-Hot-HD-Photos-in-Kalavathi-Movie
मुझे देखते ही दीदी ने अपने आपको थोड़ा संभाला और कहा- काफी दिनों बाद इतनी अच्छी बारिश हुई है !!

मैंने पूछा- आपको शायद बहुत अच्छा लगता है बारिश में नहाना !!

तो उन्होंने कहा- हाँ नहाना भी, बारिश में नाचना भी..

इस बात पर मैंने हंसते हुए बारिश का कुछ पानी उनके मुँह पर फैंका तो उन्होंने भी बदला लेने के लिए ऐसा ही किया.. देखते ही देखते हम दोनों एक दूसरे के साथ बारिश में ही खेलने लगे। फिर ना जाने कैसे अचानक दीदी का पाँव फिसला और वो सीधी मेरे ऊपर आकर गिरी !! उन्हें गिरने से बचाने के लिए मैंने अपने दोनों हाथों से उन्हें पकड़ना चाहा तो मेरे हाथ उनकी कमर पर रुके लेकिन हम दोनों ही नीचे गिर पड़े !!

दीदी मेरे नीचे थी और मेरे हाथ उनकी कमर पर, वो लम्हा मेरी ज़िन्दगी का सबसे मुश्किल लम्हा था !! पता नहीं क्यूँ मेरे हाथों ने कमर पर से हटने की बजाय अपनी पकड़ और मज़बूत कर ली !! हम दोनों की आँखें एक दूसरे की आँखों में ही देख रहे थे और मुझे उन आँखों में आज कोई रुकावट नज़र नहीं आ रही थी !! उनकी नजरो में वो वासना साफ़ दिख रही थी। शायद इसीलिए मैंने उनकी नंगी गर्दन पर चूम लिया !!

मेरे अचानक चूमने से वो थोड़ा घबराई और उठने की कोशिश करने लगी, मगर मेरी पकड़ काफी मजबूत थी। यह सब कुछ खुली छत पर तेज़ बारिश में हो रहा था !!

बारिश का पानी हम दोनों के बदन को गीला कर चुका था.. लेकिन तब भी मैं उनके बदन की गर्मी को महसूस कर सकता था !! मेरी आँखें उनकी आँखों में ही देख रही थी, मेरे हाथ उनके दोनों हाथों को संभाले हुए थे, मेरे पैर उनके पैरों में लिपटे हुए थे !! हम दोनों के बदन एक दूसरे से सटे हुए थे !!

तभी दीदी बोली- छोड़ मुझे, यह सही नहीं है।

मैंने कहा- सब सही है दीदी, मुझे पता है कि आप भी वही चाहती हो जो मैं चाहता हूँ।

दीदी बोली- नहीं यह गलत है।

मैंने कहा- दीदी आप चाहें कुछ भी करो, आज मैं आपको तड़पता नहीं रहने दूँगा। मुझे पता चल गया है कि आप जीजा जी के बिना कैसे अकेली तड़पती हैं।
फिर मैंने उनके रसीले गुलाबी होंठों पर अपने होंठ जमा दिए और उनके होंठो को चूसने लगा !!

वो छटपटाने लगी और मुझे अपने से अलग करने की कोशिश करने लगीं। थोड़ी देर बाद उनका ऐतराज़ करना भी बंद हो चुका था, लेकिन वो खामोश ही थी ! मेरे हाथों ने उनके बदन पर चलना शुरू किया, मेरा एक हाथ उनके पेट पर था और दूसरा उनकी गर्दन पर !! तभी मैंने अपने हाथ से उनकी साड़ी को ढीला कर दिया और उनकी साड़ी को बदन से अलग कर दिया, अब वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थीं। तभी मैंने अपना एक हाथ उनके पेटीकोट में डाला और उनकी चिकनी जांघ को सहलाने लगा, मैं पागल सा होने लगा था, फिर मैंने उनके पेटीकोट को भी उनके बदन से आज़ाद कर दिया।

मैंने उन्हें चूमना शुरू कर दिया और तभी मैंने दीदी की पहली कराह सुनी- आ आआ आअह्ह्ह !!

वो अपने हाथ से मेरे सिर को पीछे धकेलने लगी, क्यूँकि मैं अभी भी उनके रसीले होंठों को चूस रहा था। मैंने दोनों जाँघों को हाथ में पकड़ कर कमर पर चूमना शुरू किया और धीरे धीरे उनके ब्लाउज को भी उतार दिया !

अब एक ऐसा नज़ारा मेरे सामने था जिसके लिए मैंने हजारों मन्नतें की थी.. दीदी का गोरा चिकना गठीला बदन मेरी आँखों के सामने था और वो भी उस हालत में जिसमें मैं सिर्फ सोच सकता था.. उन्होंने अपनी आँखों को बंद कर लिया क्यूंकि वो मेरे सामने अब सिर्फ ब्रा और पेंटी में थीं। उन्होंने काली ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी.. जोकि उनके गोरे बदन के ऊपर और भी खूबसूरत लग रही थी।

मैंने उनकी छाती पर हाथ फेरना शुरू किया और उनकी कड़क चूचियों को दबाने लगा.. अब शायद उन्हें आजाद करने का समय आ गया था। मैंने उनकी ब्रा का हुक खोल कर उन्हें भी आजाद कर दिया।

उनकी चूचियों को देखकर मैं मदहोश सा हो रहा था, मैंने उन्हें चूसना शुरू किया तो दीदी सिसक उठी.. उनकी सिसकियाँ अब तेज़ होती जा रही थी, उनकी आआह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह् सुनकर मुझे एक अलग सी ताक़त मिल रही थी !



मेरे हाथ उनके पूरे बदन पर चल रहे थे.. और तभी मैंने हाथ उनकी पैंटी के अन्दर घुसा दिया और वो जैसे पागल सी हो गई..

मेरी एक उंगली ने उनकी पैंटी के अन्दर हरकत शुरू कर दी थी.. उनके दोनों हाथ मेरी कमर को खरोंच रहे थे..

अब तक उन्होंने भी मुझे कपड़ों से अलग कर दिया था और मेरे बदन पर सिर्फ मेरा अंडरवियर ही बचा था !!

तभी उन्होंने अपने नाज़ुक हाथों से मेरे लण्ड को पकड़ा और उसे सहलाने लगी.. मैं पागल हो रहा था..

यह सभी कुछ हम बारिश में गीली छत पर ही कर रहे थे कि अचानक दीदी बोली- बाकी का काम बिस्तर पर करना।

और मुझे भी लगा कि काम को आखिरी अंजाम देने के लिए हमें बेड पर जाना ही पड़ेगा..

मैंने दीदी को उसी हालत में उठाया और अंदर उनके कमरे के बेड पर ले जाकर लिटा दिया.. वो बुरी तरह सिसक रही थी.. वो वासना की आग में जल रही थीं। वो इतनी गर्म हो गईं कि कमरे में पहुँचते ही उन्होंने मुझे बुरी तरह चाटना शुरू किया और एक झटके में मेरे लंड को मेरे अंडरवियर से आज़ाद कर दिया।

मैंने भी उन्हें जोर से जकड़ लिया.. और उनकी चूचियों को मसलते हुए उनकी बुर को उनकी पेंटी से आज़ाद कर दिया।

मैंने दीदी की पैंटी उतारी, वाह एकदम चमाचमा उठी उनकी चिकनी चूत ! कामरस से भीगी हुई ! कितने मोटे मोटे होंठ थे उनकी फ़ुद्दी के ! एक भी बाल नहीं था !एकदम सफाचट थी ! और चूत में उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगा, उसको मज़ा आने लगा था।
trisha
मैंने उनकी चूत को खोला दोनों हाथों की उंगलियों से, तो उनका लाल सुर्ख दाना चमक उठा और बुर का छेद पच्चीस पैसे के सिक्के जितना छोटा था। मैं तुरन्त ही अपना मुँह उनकी बुर के पास ले गया और चाटने लगा। मैं अब दीदी की बुर के दाने को चुभला रहा था और दीदी आहह उहह सीईई ऊफ आहह की जोरदार आवाज निकाल रही थीं और कह रही थीं- खा जाओ मेरी बुर को और अंदर तक जुबान डालो !
मैं अब दीदी की बुर में जोर जोर से उंगली करने लगा लेकिन मेरी उंगली आसानी से अंदर नहीं जा रही थी, बड़ी ही कसी हुई बुर थी दीदी की। जीजा जी आर्मी में थे और साल में एक बार आते थे। इसीलिए दीदी की बुर ज्यादा खुली नहीं थी। बिल्कुल जवान चूत थी। उफ़्फ़ ! इतना मजा आ रहा था कि सारा वर्णन करना ही असम्भव है। थोड़ी ही देर बाद दीदी झड़ गईं और मैं उनका सारा रस पी गया।

फिर उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया। मेरा लंड जो 8 इंच लंबा और गोलाई लिए हुए 3 इंच मोटा था को देखकर दीदी खुश हो गईं। दीदी अपना मुँह मेरे लंड के पास लाईं और कहा- तुमने मेरी बुर चूसी है, अब मैं भी तुम्हारा लंड चूसूंगी !
images4दीदी मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने और आइसक्रीम की तरह चाटने लगी। मुझे बड़ा मजा आ रहा था, लग रहा था कि मैं जन्नत की सैर कर रहा हूँ। पाँच मिनट तक मेरे लंड को चूसने के बाद दीदी ने मुझे सोफे पर बिठा दिया और मेरे सामने घुटनों के बल बैठकर मेरा लंड चूसने लगीं और मेरी गोलियों को मुँह में भर लिया। images19
मैंने दीदी से कहा- अब छोड़ दो, नहीं तो मेरा रस बाहर निकल आयेगा।

लेकिन दीदी मानी नहीं और मेरा लंड चूसती रहीं। कुछ समय के बाद मेरा रस निकलने लगा तो मैंने दीदी का चेहरा पकड़कर ऊपर उठाया लेकिन वो हट ही नहीं रही थी तो फिर मेरा लंड रस उनके मुँह में ही भर गया।

फिर मेरी तरफ सेक्सी निगाहों से देखती हुई अपने होठों को चाटने लगी। मैंने आगे बढ़कर दीदी को बाहों में भर लिया और चूमने लगा। मैं कहने लगा- आपने तो मुझे स्वर्ग की सैर करा दी !

दीदी हंसने लगी और मेरे सीने को सहलाने लगी। इससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। अचानक वो मेरे ऊपर आ गईं और मेरे घुटनों पर बैठकर मेरा लंड अपने हाथ में पकड़कर अपनी बुर के दाने पर घिसने लगी और जोर जोर से सीत्कारें भरने लगी।
वे मेरे ऊपर बैठी हुईं थी जिससे कि उनकी बुर का पानी मेरे लंड को पूरा भिगो गया था और अब किसी चिकनाई की जरूरत नहीं थी। फिर दीदी ने मेरे लंड का अपनी बुर के छेद पर निशाना बनाया और धीरे धीरे बैठने लगी।

उफ़्फ़ ! बड़ा मजा आने लगा मुझे !
cum-in-mouth-42288 images5
मेरा लंड बडा ही कसा हुआ उनकी बुर में घुस रहा था। मैंने देखा कि दीदी ने अपने जबड़े भींच रखे थे और धीरे धीरे करके मेरे लंड पर जड़ तक बैठ चुकी थीं और उसके बाद मेरे होंठों को अपने होठों में भर लिया और चूसने लगी। मैं अपने हाथ उनकी कमर से चूचियों पर लाया और दोनों हाथों में भर कर दबाने लगा।

अब दीदी सीईई सीसी आह अअहाहह की जोरदार आवाजें निकाल रही थी और ऊपर से झटका भी मार रही थी। पूरे कमरे में फच फच सीईसीइइई और तेज ! और तेज तेज करो ! की जोरदार आवाजें हो रही थीं। करीब 15 मिनट तक दीदी मेरे लंड पर कूदती रहीं। दीदी ऊपर से और मैं नीचे से एक दूसरे की चुदाई करते रहे और 20 मिनट बाद दीदी का पानी निकल गया तो दीदी रूक गईं और मुझसे कहने लगीं- बस अब और न करो !

लेकिन मेरा तो अभी रस निकला ही नहीं था इसलिए मैंने दीदी से कहा- मेरा तो निकल जाने दो !

तो दीदी मान गईं, मैंने दीदी से कहा- घोड़ी बन जाओ !

और पीछे से मैं उनकी बुर में अपना मोटा लंड डाल कर धीरे धीरे चोदने लगा। दीदी के उरोज उछल उछल कर मेरी कामाग्नि को और बढ़ा रहे थे। कुछ समय के बाद दीदी को फिर से मजा आने लगा तो दीदी भी अपनी कमर को चलाने लगीं। दीदी को चोदते हुए मैं उनकी गांड के छेद को फूलते पिचकते हुए देख रहा था और मुस्कुरा भी रहा था।

मैंने दीदी की बुर में एक अंगुली डाल कर उसको गीला किया और दीदी की गांड में डाल दिया दीदी उछल पड़ी और उनकी सीत्कारें और भी तेज हो उठीं। फिर मैंने उन्हें सीधा लिटाया और चढ़ गया उनकी फ़ुद्दी पर ! पूरे कमरे में पारूल के चीखने की आवाजें आ रही थीं।

करीब 20 मिनट तक मैं उन्हें चोदता रहा, और जब मुझे लगा कि अब मेरा भी निकल जायेगा तो मैंने दीदी से कहा- मेरा वीर्य निकलने वाला है, कहाँ डालूँ?

तो उन्होंने कहा- मेरी बुर में ही डाल दो ! मेरा भी निकलने वाला है !

मैंने दीदी से कहा कि ऐसे तो आपको बच्चा हो जायेगा तो दीदी ने कहा- हो जाने दो ! मैं तुम्हारा ही बच्चा पैदा करूँगी ! तुम्हारे जीजा जी से तो बच्चे की उम्मीद करना बेकार है, मैं तो तुम्हारा ही बच्चा पैदा करूँगी तो वो तुम्हारे जैसे ही खूबसूरत और गोरा होगा।

फिर मैंने दीदी को उठा कर सोफे पर पीठ के बल लिटा दिया और उनकी बुर में अपना मोटा लंड ठूस कर चुदाई करने लगा। 15-20 धक्के लगाने के बाद दीदी चिल्लाने लगीं- मैं तो गई गई सीर्इसीसीसी ईई….ईसीई आह उह आह आह जोर से और जोर से !

तो मैं समझ गया कि दीदी का निकलने वाला है।

मैंने दीदी के दूधों को दोनों हाथों में भर लिया और जोर जोर से दबाते हुए ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा, 8-10 धक्कों के बाद मेरे मोटे लंड से वीर्य की बरसात होने लगी। किन्तु मैं रूका नहीं और उनकी बुर को अन्दर तक पेलने लगा। मेरे लंड के वीर्य ने उनकी बुर को पूरा भर दिया। मैं दीदी की बुर में ही लंड डालकर दीदी के ऊपर लेट गया।

करीब दस मिनट बाद हमें होश आया तो हम दोनों शरमाने लगे।

दीदी ने मेरे होठों को चूमकर कहा- सच जितना मजा तुम्हारे साथ आया, उतना तुम्हारे जीजा के साथ कभी नहीं आया। आज मैं सही मायने में औरत बन पाई हूँ।

मैंने दीदी से कहा- मैं आया तो थोड़े दिन के लिए ही था लेकिन मैं अभी कुछ दिन और रूककर आपको प्यार करना चाहता हूँ।

तो दीदी ने कहा- यही तो मैं भी कहने वाली थी, जितने दिन चाहो उतने दिन रूको। बहुत प्यासी हूँ मैं, सींच दो मेरी इस फ़ुद्दी को अपने वीर्य से।

हम बाथरूम में गए, सब कुछ साफ़ किया और साथ साथ ही नहाने लगे।
naked-mom-in-shower-gifs-2 tumblr-mbznws-XYn-P1qktnjdo1-500

Trisha2V
हम दोनों शावर के नीचे एक दूसरे के जिस्म से खेलने लगे। वो मेरे लंड को पागलो की तरह चूसने लगीं, मेरा लंड एक बार फिर सलामी देने लगा।
unnamed6
इसलिए मैं बाथटब में लेट गया और वो मेरे ऊपर लेट गई। मैंने धीरे से लंड उसकी बुर पर लगाया और धीरे धीरे अन्दर सरकाने लगा तो मेरा लंड उसकी बुर फाड़ता हुआ अन्दर चला गया।

और मैं चार दिनों तक दीदी के यहाँ रूककर उनकी चुदाई करता रहा।

आज दीदी जब चाहती हैं, मुझे बुला लेती हैं, मैं उन्हें चोदता हूँ। वो मेरे बच्चे की माँ भी बन चुकी हैं।
unnamed-21
Didi kl bhi dil bhar ke chudai huyi.
 

IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
10,060
8,540
229
Chachi ko thik se chudai ka anand diya
thanks dear
 

IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
10,060
8,540
229
Didi kl bhi dil bhar ke chudai huyi.
again thanks dear
 

Gsc

Member
267
1,132
138
उसके बाद मैंने अपनी जीभ से उनके भगनासा को मसला और अपनी जीभ को उनकी चूत के अंदर बाहर करके उनके जी-स्पॉट को रगड़ा तब मुझे सब कुछ बहुत अच्छा लगा।

चाची की चूत पर मेरे मुँह के आक्रमण से वह उत्तेजित हो उठीं और यह सब उनके शरीर की कंपकंपी और चेहरे के भाव बता रहे थे कि उन्हें बहुत आनन्द मिल रहा था।

चाची की चूत को चाटने से मैं इतना उत्तेजित हो गया की मेरा लंड खड़ा हो कर इतना तन गया की मुझे लगने लगा कि अगर देर करी तो उसकी नसें फट जायेंगी।

तब मैं उठ कर अपने को चाची की टांगों के बीच में घुटनों के बज बैठ कर अपने लंड को उनकी चूत के मुहाने पर टिकाया और एक हल्का सा धक्का मार दिया।

क्योंकि मेरा लंड नितिन की अपेक्षा कुछ अधिक मोटा था इसलिए मेरे पहले धक्के से वह चूत के अंदर सिर्फ आधा ही जा सका।

चाची के मुँह से एक सीत्कार निकली लेकिन उन्होंने अपने पर काबू कर के चुपचाप लेटी रही और तब मैंने अपनी धुन में ही एक जोर का धक्का मार कर अपना पूरा लंड उनकी चूत में प्रवेश करा दिया।

उनकी चूत में फंस के घुसते हुए मेरे मोटे लंड से हुए दर्द के कारण चाची के मुँह से न चाहते हुए भी एक चीख निकल गई और उन्होंने मुझे कस का पकड़ लिया तथा उनकी आँखें गीली हो गई।

चाची को दर्द में देख कर मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया और उनकी होंठों, गालो, गीली आँखों और चुचियों को चूमा और फिर उनकी चुचुक को चूसने लगा।

लगभग पांच मिनट रुकने के बाद जब मुझे लगा कि चाची सामान्य हो गयी तब मैं धक्के मारने लगा और किसी स्त्री के साथ पहली बार सेक्स का मजा भी लूटने लगा था लेकिन वह सब था एक-तरफा ही।

लगभग 15-16 धक्के मारने के बाद मैंने चाची की चूत में सिकुड़न की लहरें महसूस करीं और मेरा लंड उसमे फंस फंस कर अंदर बाहर हो रहा था।



मैंने धक्के मारने जारी रखे और अभी दो या तीन धक्के ही मारे थे कि चाची के मुख से दबे स्वर में आह्ह्ह… आह्ह्ह… की सिसकारी सुनाई दी।

मैंने धक्के मारना रोका नहीं और महसूस किया कि मेरे अगले धक्कों में मेरा लंड आराम से फिसलता हुआ चूत के अंदर बाहर होने लगा क्योंकि चाची की चूत द्वारा छोड़े गए रस से काफी फिसलन हो गई थी।

उसके बाद तो मेरे धक्कों की गति भी तेज़ हो गई और अगले
20-22 धक्कों के बाद मुझे मेरे अंडकोष में कुछ गुदगुदी महसूस हुई और उधर चाची ने एक बार फिर से सिसकारी भरी।

देखते ही देखते चाची और मैं दोनों ही एक साथ झड़ गए तथा मेरे वीर्य और चाची के रस का मिलन उनकी चूत के अंदर ही होने लगा।

मैं दस मिनट के लिए पस्त हो कर चाची के ऊपर लेटा रहा और फिर उठ कर बाथरूम गया और अपने को साफ़ किया।

जब मैं वापिस कमरे में आया तो देखा कि मेरी गुमसुम चाची अपने कपड़े पहन रही थी।

तब मैं उनके होंठों और गालों को चूम कर बैड पर लेट गया।

चाची कपड़े पहन कर पता नहीं क्या सोचती हुए मेरे पास ही बैड पर बैठ गयी और मुझे थकावट के कारण शीघ्र ही मेरी आँख लग गई।

शाम छः बजे जब मेरी आँख खुली और मैं नीचे की मंजिल पर गया तो देखा कि मम्मी आ चुकी थी।

जब मैं वापिस कमरे में आया तो देखा कि मेरी गुमसुम चाची अपने कपड़े पहन रही थी।

तब मैं उनके होंठों और गालों को चूम कर बैड पर लेट गया।

चाची कपड़े पहन कर पता नहीं क्या सोचती हुए मेरे पास ही बैड पर बैठ गयी और मुझे थकावट के कारण शीघ्र ही मेरी आँख लग गई।

शाम छः बजे जब मेरी आँख खुली और मैं नीचे की मंजिल पर गया तो देखा कि मम्मी आ चुकी थी।

उन्होंने मुझे देखते ही पूछा- अब तबियत कैसी है?

मैंने उत्तर दिया- पहले से अब तो बेहतर है।

तब माँ ने कहा- बहुत अच्छी बात है कि तुम्हें आराम मिल गया। बैठो, मैं तृप्ति को कहती हूँ, वह तुम्हें यहीं चाय दे देगी।

फिर माँ ने ऊँची आवाज़ में बोली- तृप्ति, मैं नहाने जा रही हूँ। संजू उठ गया है तुम उसको चाय बना कर दे दो।

रसोई में से चाची की आवाज़ आई- अच्छा जीजी…

कुछ देर के बाद चाची चाय का कप ले कर आई और मेरे सामने रख कर जाने लगी तभी मैंने हाथ बढ़ा कर धीरे से उनकी चूचियों को मसल दिया।

वह कुछ भी नहीं बोली और चुपचाप मुड़ कर रसोई में चली गयी तथा अपने काम में व्यस्त हो गई।

चाय पीकर जब मैं रसोई में कप रखने गया तो देखा की चाची बर्तन धो रही थी और उसकी पीठ मेरे ओर थी।

तब मैंने कप देने के बहाने उनकी पीठ से चिपक कर अपने बाजूओं को उनके चारों ओर से आगे करते हुए उन्हें कप पकड़ाया।

उन्होंने जैसे ही मेरे हाथ से कप पकड़ा मैंने उनको अपने बाहुपाश में ले लिया और उनकी दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर से मसल दिया।

चाची दर्द के मारे आह्ह… आह्ह… कर उठी और बोली- संजू, क्या कर रहे हो, मुझे भी दर्द होती है। इतनी जोर से मसलने के बदले अगर थोड़ा आराम से सहलाते तो दोनों को ही आनन्द मिलता।

चाची की बात सुन कर मैंने बहुत ही आराम से कुछ देर उनकी चूचियों को सहलाया और फिर उनके होंठों को चूम कर अपने कमरे में चला गया।

अगले दो दिन शनिवार और रविवार थे और पापा मम्मी घर पर ही रहते थे इसलिए मुझे चाची के साथ कुछ करने के लिए कोई मौका ही नहीं मिला।

क्योंकि सोमवार सुबह तो मुझे कोई मौका नहीं मिलने वाला था इसलिए मैं कॉलेज चला गया और आशा थी कि शाम को थोड़ा जल्दी घर आऊँगा तो अवश्य ही मौका मिल जायेगा।

लेकिन शाम को जब मैं कॉलेज से घर आया तो बहुत मायूस होना पड़ा क्योंकि छोटे भाई की कोचिंग समाप्त हो चुकी थी और वह घर पर ही तथा पूरी शाम मुझे अपने कमरे में ही रहना पड़ा।

इसी तरह बृहस्पतिवार तक यानि चार दिन छोटे भाई के घर पर ही होने के कारण मैं चाची के साथ कुछ अधिक नहीं कर सका लेकिन जब भी मौका मिलता था मैं उनकी चूचियों और गालों को ज़रूर मसल देता था।

शुक्रवार सुबह जब मैं नाश्ता कर रहा था, तब मम्मी ने बताया कि उसी दोपहर को वह, पापा और छोटा भाई उसके एयर फ़ोर्स में प्रवेश के सिलसिले में बाहर जा रहे थे और रविवार रात तक ही वापिस आयेंगे।

नाश्ता करके जब मैं बर्तन रखने के लिए रसोई में गया तब चाची को बहुत खुश देखा तब मैंने उनके पास जाकर धीरे से उनकी चूचियों को मसलते हुए उनकी ख़ुशी का कारण पूछा लेकिन वह कुछ नहीं बोली और चुपचाप अपने काम में लगी रही।

उस दिन मैं कॉलेज से दोपहर दो बजे ही लौट आया तो देखा कि चाची ने फिरोजी रंग की साड़ी पहन रखी थी, हल्का सा मेक-अप भी कर रखा था।

मुझे देखते ही चाची बोली- आ गए संजू। चलो जल्दी से हाथ मुंह धो लो, साथ बैठ कर खाना खायेंगे।

उनके बदले हुए रूप को देख कर मैं चकित रह गया क्योंकि जब से मैंने उनकी चुदाई की थी तबसे वह मुझसे बात ही नहीं करती थी।

मैं फ्रेश होकर जब टेबल पर आया और हम दोनों खाना खाने बैठे तब मैंने देखा की सारा खाना मेरी पसंद का ही था।

खाना खाते हुए मैंने चाची से पूछा- मम्मी पापा किस समय गए?

चाची बोली- वे दोपहर का खाना खाकर एक बजे गए हैं।

मैं बोला- क्या तुम्हें पता था कि वे सब इतने दिनों के लिए बाहर जा रहे हैं?

चाची बोली- हाँ, जीजी ने रात को ही मुझे अपना सारा कार्यक्रम बता दिया था।

मैं बोला- क्या इसीलिए तुम सुबह खुश थी?

चाची बोली- हाँ, मुझे ख़ुशी थी कियोंकि मुझे तुम्हारे साथ अकेले रहने के लिए ढाई दिन और दो रातें मिल रहे थे।

मैंने कहा- इन ढाई दिनों के लिए तुम अपने मायके जा कर नितिन के साथ भी बिता सकती थी?

मेरी व्यंग्य को सुन कर वह बोली- देखो संजू, मैं तुम्हें बताना चाहती हूँ कि मुझे सेक्स करना बहुत पसंद है लेकिन तुम्हारे चाचा के जाने के बाद मैं उससे वंचित रह गई थी।

इसलिए उनके विदेश जाने के बाद जब तीन महीने के लिए मैं अपने मायके रही थी तब मुझे सेक्स के बिना छह माह से अधिक हो चुके थे।
1067720343-IMG-12-jpg-03f076b5a8f17f99e513d7bee8413a31-jpg-dfb2f81d9e735f1e1c5f7a83fae7ad27
वहाँ मैं अपनी वासना की आग को बर्दाश्त नहीं कर पाई और इसलिए मैंने नितिन को सेक्स के लिए लुभा लिया और उससे चुदाई करवाती रहती थी। मेरे आग्रह पर वह मेरी वासना को शांत करने के लिए सप्ताह में एक दिन यहाँ आ कर मुझे चोद जाता था।

फिर कुछ क्षण रुक कर उसने अपनी बात को जारी रखते हुए वह बोली- लेकिन उस दिन जब तुमने मुझे जबरदस्ती चोदा था तब मुझे तुम्हारा मोटा और सख्त लंड बहुत पसंद आया।

जो आनन्द और संतुष्टि तुमने मुझे उस दिन दी थी वह आज तक ना तो तुम्हारे चाचा और ना ही नितिन मुझे दे सका था।

पिछले छह दिनों में जब तुम्हें मौका मिलता था, तुम मुझे चूम और मसल कर तड़पता छोड़ जाते थे और मैं अपनी अतृप्त वासना की आग में जल कर रह जाती थी।

तुम्हारे साथ इस घर में इन आने वाले दिनों में अपनी अतृप्त वासना की तृप्ति होने की आशा के कारण मैं खुश थी।

अब मेरा तुम से अनुरोध है कि अगले ढाई दिन और दो रातों में अपनी इच्छा अनुसार मुझे चोद कर मेरी वासना की आग को शांत कर के मुझे तृप्ति प्रदान कर दो।

खाना पूरा होते ही मैंने उठते हुए कहा- तो फिर देर किस बात की है? चलो, पहली शिफ्ट अभी लगा लेते हैं।

चाची खुश होते हुए बोली- ठीक है, तुम बाहर के दरवाजे की कुण्डी लगा दो, तब तक मैं टेबल साफ़ कर देती हूँ।

मैं फ़टाफ़ट कुंडी लगा कर कमरे में पहुंचा तब तक चाची भी आ गई और मुझसे लिपट कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया।
tumblr-pd98501c8-O1rnla5qo1-640
मैंने उनके होंटों पर अपने होंट रखे दिए और हम दोनों धीरे-धीरे एक दूसरे के होंटों तथा जीभ की चूमने एवं चूसने लगे।

दस मिनट के बाद मैंने उनके और उन्होंने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए और कुछ ही मिनटों के बाद हम दोनों बिलकुल निर्वस्त्र एक दूसरे से चिपटे हुए थे।

फिर हम दोनों बैड पर 69 की अवस्था में लेट गए और मैं उनकी चूत को खीर की कटोरी समझ कर चाटने लगा तथा वह मेरे लंड को लॉलीपोप की तरह चूसने लगी।

चाची मेरे लंड को चूसती जा रही थी और कहती जा रही थी- मेरे राजा, चूसो जोर से चूसो मेरी चूत को, खा जाओ इसे।

काफी देर तक ऐसे ही चलता रहा और फिर चाची की चूत ने पानी छोड़ दिया जिसे मैंने चाट लिया तथा मेरे लंड ने भी वीर्य की धार छोड़ दी जिसे चाची बहुत चाव से शहद समझ कर पी गई।

उसके बाद आधे घंटे तक हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए तथा एक दूसरे के गुप्तांगों को मसलते हुए लेटे रहे।

जब हम दोनों फिर से उत्तेजित होने लगे तब हमने
69 की अवस्था में चूत और लंड को चाट एवं चूस कर कुछ ही मिनटों में चुदाई के लिए तैयार हो गए।

तब चाची ने मुझे बैड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर लगाया और उस पर बैठ कर उसे पूरा का पूरा अपनी चूत में समां लिया।

इसके बाद वह उछल उछल कर चुदाई करने लगी और जब उसके चूत में हलचल एवं खिंचावट होती तब जोर जोर से सिसकारी भरती और पानी छोड़ देती।

बीस मिनट तक चुदाई करके जब वह थक गई तब नीचे लेट गई और मैं उनके ऊपर चढ़ गया और बहुत ही तेजी से उसकी चुदाई करने लगा।

उस तेज़ चुदाई को दस मिनट ही हुए थे की चाची जोर से चिल्लाई- आईईई ईई… संजू मैं आने वाली हूँ तुम भी जल्दी से आ जाओ! साथ साथ झड़ने में बहुत ही आनन्द आता है और दोनों को पूर्ण संतुष्टि भी मिलेगी।

चाची की बात सुन कर मैं बहुत उत्तेजित हो गया और तेज़ धक्के लगाने लगा तभी मेरा लंड उनकी चूत के अंदर ही फूल गया और उनके साथ मैं भी उनके अन्दर ही झड़ गया।

हम दोनों थक गए थे इसलिए उसी तरह एक दूसरे से लिपटे हुए सो गए और शाम के छह बजे ही उठे!

उन ढाई दिन और दो रातों में हम दोनों ने दसियों बार चुदाई करी!

उसके बाद आज तक हमें जब भी कभी मौका मिलता था हम दोनों अपनी वासना की आग को शांत कर लेते थे।
Nice and short story
Bahot hi acchi kahani lagi.
Brother is part me ek picture hai jo wall se lagkar sex karne wali wo kis title ki video se hai maine dekhi hai aisa lagta hai par yaad nahi please ek bar yaad karke batana wapas dekhne ko dil kar raha hai. Please
 

IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
10,060
8,540
229
निहारिका की चूत से पानी निकाल दिया





मैं काफी दिनों से पापा और मम्मी से नहीं मिल पाया था तो सोचा कि अपने ऑफिस से छुट्टी लेकर पापा और मम्मी से मिल आता हूं। पापा भी अब अपने ऑफिस से रिटायर हो चुके थे और वह ज्यादातर घर पर ही रहते हैं। मैं मुंबई में नौकरी करता हूं और मैं चाहता था कि कुछ दिनों के लिए अपने घर सूरत चला जाऊं। मैं कुछ दिनों के लिए अपने घर चला गया और कुछ दिनों तक मैं सूरत में ही रहा उसके बाद मैं वहां से वापस मुंबई लौट आया। एक दिन मेरे दोस्त ने मुझे फोन किया और उसने मुझे अपनी पार्टी में इनवाइट किया क्योकि उस दिन उसका जन्मदिन था। मेरा दोस्त जो पहले मेरे ऑफिस में ही जॉब किया करता था लेकिन अब वह अपना बिजनेस शुरू कर चुका है। उसका बिजनेस बहुत ही अच्छे से चल रहा है वह काफी ज्यादा खुश भी है जिस तरीके से उसका बिजनेस चल रहा है।

मैं उस दिन अपने दोस्त राजेश की पार्टी में चला गया और जब मैं उसकी पार्टी में गया तो वहां पर उसने मुझे अपनी एक फ्रेंड निहारिका से मिलवाया निहारिका से मिलकर मुझे अच्छा लगा। उस दिन मैं निहारिका से पहली बार ही मुलाकात कर रहा था और मुझे उससे बात करके ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं उससे ही बातें करता रहूं और निहारिका से उस दिन मैंने काफी बातें की। पार्टी में हम दोनों एक दूसरे के इतने ज्यादा नजदीक आ गए थे कि मुझे कभी उम्मीद भी नहीं थी कि मैं निहारिका से फोन पर भी अब बातें करने लगूंगा। उस दिन के बाद हम दोनों एक दूसरे से फोन पर भी बातें करने लगे थे और हम दोनों की दोस्ती बहुत ज्यादा गहरी होती जा रही थी। मुझे निहारिका के साथ बहुत अच्छा लगता और उसे भी मेरे साथ बहुत ही अच्छा लग रहा था। जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे के साथ में समय बिताया करते हैं उससे मुझे बड़ी खुशी होती और निहारिका को भी बहुत अच्छा लगने लगा था। निहारिका और मैं और भी ज्यादा नजदीक आ चुके थे और हम दोनों एक दूसरे से अपने दिल की बात भी कह चुके थे।

निहारिका ने मुझे अपने बारे में सब कुछ बता दिया था वह अपनी मां के साथ रहती है और उसकी मां ने ही उसकी बचपन से परवरिश की है। निहारिका के पापा और उसकी मां के डिवोर्स हो जाने के बाद उसकी मां ने ही निहारिका की देखभाल की थी इसलिए निहारिका भी अपनी मां की बहुत ज्यादा करीब है और वह अपनी मां से बहुत ज्यादा प्यार करती है। सब कुछ हम दोनों की जिंदगी में अच्छे से चल रहा था और हमारा रिलेशन भी दिन ब दिन और भी ज्यादा मजबूत होता जा रहा था। हम दोनों एक दूसरे के बहुत ही ज्यादा करीब आ चुके थे और एक दूसरे को हम लोग बहुत ही चाहने लगे थे। अब समय के साथ साथ हम दोनों का रिलेशन और भी ज्यादा मजबूत हो गया था। मैंने एक दिन निहारिका से कहा कि क्यों ना हम लोग शादी कर ले तो निहारिका ने मुझे कहा कि राजीव मैं अभी शादी नहीं करना चाहती हूं। मैंने जब निहारिका से इसके पीछे की वजह पूछी तो उसने मुझे बताया कि उसके पापा और मम्मी के अलग हो जाने के बाद उसकी मां ने ही उसकी देखभाल की है और वह चाहती है कि वह अपनी मां को थोड़ा समय दे सके।

मैंने निहारिका को कहा कि निहारिका अगर तुम अपनी मां को हमारे साथ में रखना चाहती हो तो मुझे इसमें कोई परेशानी नहीं है। निहारिका ने मुझे कहा कि राजीव मुझे थोड़ा समय चाहिए क्योंकि मेरे अलावा इस दुनिया में मां का कोई भी नहीं है और मां सबसे ज्यादा भरोसा मुझ पर ही करती है। मैंने निहारिका की बात को मान लिया और फिर हम लोगों ने भी इस बारे में दोबारा बात भी नहीं की। मैं और निहारिका एक दूसरे के साथ रिलेशन में थे और हम दोनों को बहुत ज्यादा अच्छा भी लगता है जब भी हम दोनों साथ में होते हैं और जब एक दूसरे के साथ समय बिताया करते थे हमे एक दूसरे का साथ बहुत ही अच्छा लगता था। एक दिन मैं और निहारिका साथ में थे तो उस दिन निहारिका ने मुझे कहा कि राजीव क्यों ना हम लोग कहीं घूमने के लिए जाएं। मैंने निहारिका को कहा कि लेकिन हम लोग कहां घूमने के लिए जाएंगे तो निहारिका चाहती थी की हम लोग कुछ दिनों के लिए मैसूर जाए। मैंने निहारिका को कहा कि ठीक है यदि तुम्हे मैसूर चलना है तो मैं उसके लिए तैयार हूं। एक दिन हम दोनों ही सुबह के वक्त घर से निकले उस दिन हम दोनों साथ में थे और मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था जिस तरीके से मैं और निहारिका उस दिन साथ में समय बिता रहे थे।

हम दोनों बहुत ही ज्यादा खुश है और मुझे बहुत ही अच्छा लगा जब निहारिका और मैं एक दूसरे के साथ में समय बिता रहे थे। हम दोनों सुबह के वक्त मैसूर के लिए निकल चुके थे हम लोग वहां पर ज्यादा समय तक नहीं रुके और हम लोग जल्दी ही लोनावाला से वापस लौट आए थे। हम लोग जब घर लौटे तो उस वक्त हमें देर रात हो गई थी और हम लोग बहुत ही ज्यादा खुश थे निहारिका के साथ मैं रिलेशन में बहुत ही खुश था। मैं निहारिका के साथ अच्छे से समय बिता रहा हूं और हम दोनों एक दूसरे को बहुत ही अच्छे से समझते हैं इसलिए हम दोनों को एक दूसरे का साथ बहुत ही अच्छा लगता है। जब भी मैं और निहारिका एक दूसरे के साथ होते हैं तो मैं बहुत खुश रहता हूं। मुझे कभी भी कोई परेशानी होती है तो मैं निहारिका के साथ उस परेशानी को डिस्कस कर लिया करता हूं और मेरी सारी परेशानी पल भर में ही दूर हो जाया करती है और मैं बहुत ही ज्यादा खुश रहता हूं। निहारिका और मैं एक दूसरे के साथ में ज्यादा से ज्यादा समय बिताया करते और हम दोनों को एक दूसरे का साथ बहुत ही अच्छा लगता था जब भी मैं और निहारिका साथ मे होते हम दोनों बहुत ही ज्यादा खुश रहते। एक दिन मैं और निहारिका साथ में थे उस दिन जब हम दोनों बातें कर रहे थे हम दोनों को ही बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था मैं निहारिका के साथ में अच्छा समय बिता रहा था वह भी मेरे साथ बहुत ज्यादा खुश थी। मैंने उस दिन निहारिका से कहा आज मैं तुम्हारे साथ कहीं अकेले में रुकना चाहता हूं।

वह भी मेरी बात मान गई और कहने लगी ठीक है आज हम लोग कहीं साथ में रुक जाते हैं। उस दिन हम दोनों में साथ में रुकने का फैसला किया जब उस दिन हम दोनों साथ में थे तो मैं और निहारिका एक दूसरे के साथ सेक्स करने के लिए तड़प रहे थे। कहीं ना कहीं हम दोनों की तड़प बढ रही थी। मैंने उसकी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया था। जब मैं उसकी जांघों को सहला रहा था मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और निहारिका को भी बड़ा मजा आ रहा था जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे के साथ में सेक्स करने के लिए तड़पने लगे थे। हम दोनों की गर्मी बढ़ने लगी थी मैं निहारिका के साथ अपने होठों को टकराने लगा था। जब मैं और निहारिका एक दूसरे के होठों को आपस मे टकरा रहे थे हम दोनों को बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था हमारी गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ रही थी जिस तरीके से मैंने और निहारिका को किस किया था हम दोनों को अच्छा लग रहा था।
मैं निहारिका के होठों को चूम रहा था निहारिका मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है। निहारिका और मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे मैंने निहारिका के होंठो से खून भी निकाल दिया था। जब निहारिका मेरी बाहों में थी अब हम दोनों ने एक दूसरे के साथ सेक्स करने का फैसला कर लिया था। मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो निहारिका ने उसे अपने मुंह में ले लिया वह उसे चूसने लगी थी। जब निहारिका मेरे लंड को चूसने लगी मुझे अच्छा लगने लगा था और निहारिका को भी बड़ा अच्छा लग रहा था जिस तारीके से वह मेरा साथ दे रही थी। मेरी गर्मी को वह बढाए जा रही थी अब हम दोनों की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी मैंने निहारिका की योनि को चाटना शुरू किया। वह अपने पैरों को चौड़ा करने लगी थी उसकी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। निहारिका की चूत से बहुत ज्यादा पानी निकलने लगा था मैंने उसकी योनि में अपने लंड को लगाकर अंदर की तरह डाला तो वह बहुत जोर से चिल्लाते हुए बोली मुझे मजा आ गया है।


उसकी चूत से बहुत ज्यादा पानी निकलने लगा था वह मुझे अपने पैरों के बीच में जकडने की कोशिश करने लगी थी। मैं निहारिका को बड़े ही अच्छे तरीके से धक्के दिए जा रहा था। निहारिका की चूत के अंदर मेरा मोटा लंड जा चुका था अब मेरी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। मैंने निहारिका से कहा मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा हूं निहारिका मुझसे कहने लगी मुझसे भी रहा नहीं जा रहा है। हम दोनों एक दूसरे को बहुत ज्यादा गर्म कर चुके थे। मेरा लंड छील चुका था मैंने निहारिका की चूत मे अपने माल को गिराकर अपनी इच्छा को पूरा कर लिया था निहारिका बहुत ज्यादा खुश थी जिस तरीके से हम लोगों ने सेक्स संबंध बनाए थे। मैंने निहारिका की चूत की गर्मी को शांत कर दिया था हम लोग मैसूर से वापस आ चुके थे। हम दोनों की जिंदगी बड़े ही अच्छे से चल रही है हम दोनों की जिंदगी में किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है।
 
  • Like
Reactions: Desitejas

IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
10,060
8,540
229
शिप्रा की चूत की गर्मी



मैं भैया के साथ एक दिन दुकान पर जा रहा था भैया ने मुझे कहा कि प्रियम आज तुम दुकान संभाल लेना क्योंकि मैं आज तुम्हारी भाभी को लेकर उनके मायके जा रहा हूं मैंने भैया से कहा ठीक है। हम लोग डिपार्टमेंटल स्टोर चलाते हैं और काफी समय से हम लोग उसे चला रहे हैं मैंने भी अपनी पढ़ाई के बाद भैया के साथ हाथ बढ़ाना शुरू कर दिया था। पहले पापा ही दुकान को संभाला करते थे जब पापा दुकान को संभाला करते थे उस वक्त दुकान पुरानी थी और उसके बाद हम लोगों ने उसे बदलकर डिपार्टमेंट स्टोर बना दिया। अब हमारा काम भी अच्छे से चलने लगा है और घर में सब लोग इस बात से बड़े खुश हैं। पहले पापा इस बात से बहुत ही गुस्सा हो गए थे लेकिन फिर हमने उन्हें मना लिया था। उस दिन मैं ही दुकान पर बैठने वाला था और मैं ही दुकान को संभालने वाला था। मैं जब शाम के वक्त दुकान से घर लौटा तो भैया ने कहा कि प्रियम दुकान में कोई परेशानी तो नहीं हुई मैंने भैया को कहा नहीं भैया मुझे क्या परेशानी हुई। थोड़ी देर बाद हम लोगों ने डिनर किया भैया भाभी को कुछ दिनों के लिए उनके मायके छोड़ आए थे और वह अगले दिन से मेरे साथ स्टोर पर आने लगे। हम दोनों साथ में ही स्टोर पर जाते हैं और साथ में ही हम लोग घर लौटा करते है।

एक दिन भैया की तबीयत ठीक नहीं थी तो उन्होंने मुझे कहा कि प्रियम आज तुम दुकान संभाल लेना मैंने भैया से कहा ठीक है और उस दिन मैं हीं दुकान सम्भाल रहा था। कुछ दिन बाद भाभी भी घर लौट चुकी थी और मैं जब भी दुकान पर होता तो मुझे काफी अच्छा लगता था मैं दुकान का काम अच्छे से संभाल रहा था। एक दिन हमारे स्टोर पर एक लड़की आई हुई थी उसे देखकर मैं बहुत ही खुश था क्योंकि उस लड़की ने जब मुझसे बात की तो मुझे उससे बात कर के बड़ा ही अच्छा लगा। मैंने उससे बात की उसके बाद मेरी शिप्रा से बातें होने लगी थी और शिप्रा और मेरी काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी। हम दोनों एक दूसरे से चैट करने लगे थे और यह बात भैया को भी पता चल चुकी थी। जब भैया ने मुझसे इस बारे में पूछा तो मैंने भैया को इस बारे में सब कुछ बता दिया। शिप्रा के बारे में मेरे घर पर सबको पता चल चुका था। शिप्रा के साथ जब भी मैं होता तो मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता। एक दिन मैं और शिप्रा साथ में बैठे हुए थे उस दिन हम दोनों बातें कर रहे थे तो शिप्रा ने मुझे कहा कि प्रियम अब मेरे कॉलेज की पढ़ाई भी पूरी हो चुकी है और मैं नौकरी की तलाश में हूं। मैंने शिप्रा को कहा कि तुम्हे नौकरी मिल जाएगी तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो।

उस दिन हम दोनों ने साथ में काफी अच्छा समय बिताया फिर मैंने शिप्रा को उसके घर छोड़ा और मैं अपने घर लौट आया। जब मैं अपने घर लौटा तो उसके बाद मैं और शिप्रा एक दूसरे से फोन पर बातें करने लगे थे हम दोनों फोन पर एक दूसरे से बातें कर रहे थे तो हम दोनों को ही अच्छा लग रहा था। हमारी अक्सर फोन पर बातें होती रहती थी और मैं शिप्रा को मिलने के लिए जाता रहता था। मैं जब शिप्रा को मिला तो मैं और शिप्रा साथ में ही थे हम दोनों ने साथ में काफी अच्छा समय बिताया और उसके बाद मुझे और शिप्रा को बहुत ही अच्छा लगा। मैं शिप्रा के साथ जब भी होता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता। जल्द ही शिप्रा की जॉब लग चुकी थी और वह मुझे हर रोज शाम के वक्त मिला करती लेकिन काफी दिन हो गए थे मैं शिप्रा को मिल नहीं पाया था। मैं इस बात को लेकर परेशान भी था कि मैं शिप्रा के साथ में कैसे टाइम स्पेंट करूं क्योंकि मनीष और मैं कुछ दिनों से मिल नहीं पा रहे थे। शिप्रा के ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम है इसलिए वह ज्यादा ही बिजी हो गई थी। मैंने शिप्रा को कहा भी था कि अगर तुम बिजी हो तो हम लोग कुछ दिनों बाद मिलेंगे। जिस दिन शिप्रा की छुट्टी थी उस दिन हम दोनों ने मिलने का फैसला किया और हम दोनों काफी समय के बाद मिल रहे थे। जब हम दोनों मिले तो उस दिन मैं शिप्रा के साथ बात कर रहा था और हम दोनों को काफी अच्छा लग रहा था। शिप्रा ने जब मुझसे शादी की बात की तो मैंने शिप्रा को कहा कि शिप्रा यह फैसला मैं इतनी जल्दी नहीं ले सकता हूं मुझे उसके लिए थोड़ा समय चाहिए होगा। शिप्रा ने कहा कि ठीक है तुम्हें जितना समय चाहिए तुम ले लो लेकिन मुझे लगता है कि हम लोगों को शादी कर लेनी चाहिए। मैंने उसके बाद शिप्रा को घर छोड़ा और फिर मैं अपने घर लौट आया।

मैं चाहता था कि मैं भैया से पहले इस बारे में बात करूं और मैंने उस दिन भैया से इस बारे में बात की। जब मैंने भैया से इस बारे में बात की तो भैया ने मुझे कहा कि प्रियम अगर तुम्हें लगने लगा है कि तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए तो तुम शादी कर लो। मैंने भैया से कहा कि भैया वह सब तो ठीक है लेकिन क्या पापा शिप्रा के साथ मेरी शादी करवाने के लिए मान जाएंगे। मैंने जब यह बात भैया को पूछी तो भैया कहने लगे कि हां क्यों नहीं शिप्रा एक अच्छी लड़की है और वह एक अच्छे घर से भी है। शिप्रा को भैया पहले भी मिल चुके थे इसलिए शिप्रा को भैया जानते हैं। मैंने भी अपनी शादी की बात को आगे बढ़ाने का फैसला किया और मैंने खुद ही पापा से इस बारे में बात की। जब मैंने उनसे इस बारे में बात की तो पापा ने मुझे कहा कि बेटा तुम अगर शिप्रा से शादी करना चाहते हो तो हमें पहले उसके परिवार वालों से मिलना होगा। पापा भी हमारी शादी के लिए तैयार हो चुके थे और जब वह शिप्रा के परिवार वालों से मिले तो उन लोगों को भी कोई एतराज नहीं था और हम दोनों की सगाई जल्दी हो गई। हम दोनों की सगाई हो जाने के बाद हम दोनों बड़े खुश थे शिप्रा भी बहुत ज्यादा खुश थी। जिस तरीके से हम दोनों का रिलेशन आगे बढ़ रहा था उससे हम दोनों बहुत ज्यादा खुश है।

शिप्रा और मै साथ में समय बिताया करते तो हम दोनों को बहुत ही अच्छा लगता था। एक दिन शिप्रा और मैं साथ में थे उस दिन हम दोनों ने लॉन्ग ड्राइव पर जाने का फैसला किया हम लोगों लॉन्ग ड्राइव पर चले गए। हम दोनों काफी आगे निकल चुके थे मैंने शिप्रा को कहा हम लोगों को वापिस चलना चाहिए काफी रात भी हो चुकी है लेकिन शिप्रा मेरी बात कहां मानने वाली थी उसने मुझे कहा आज हम लोग कहीं बाहर ही रूक जाते हैं। हम दोनों ने वहीं पर एक होटल ले लिया हम लोगों ने होटल ले लिया था लेकिन मुझे बिल्कुल भी ठीक नहीं लग रहा था। शिप्रा मेरे साथ में बैठी हुई थी मैं शिप्रा के बदन को महसूस करना चाहता था उसके होठों को किस करने के दौरान शिप्रा गरम होती जा रही थी। हम दोनों बहुत ज्यादा गरम हो गए थे जिससे कि मैं अपने आपको बिल्कुल भी नहीं रोक पा रहा था ना तो शिप्रा अपने आपको रोक पा रही थी और ना ही मैं अपने आपको रोक पा रहा था। हम दोनों ने एक दूसरे के साथ सेक्स करने का फैसला कर लिया था जब मैंने शिप्रा के बदन से उसके कपडो को उतारा तो शिप्रा के नंगे बदन को देखकर मैं बहुत ही ज्यादा खुश था और उसके होठों को चूमने लगा।

शिप्रा को कोई भी आपत्ति नहीं थी मैने शिप्रा के स्तनों को दबाना शुरू किया और मैं शिप्रा के स्तनों को हाथों से दबाता जा रहा था मुझे बहुत मजा आ रहा था और शिप्रा को भी मजा आ रहा था। लह गरम होती जा रही थी। हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बढा चुके थे। हम दोनों ने एक दूसरे की गर्मी को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया था। मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो शिप्रा ने उसे अपने मुंह में ले लिया वह उसे चूसने लगी थी। शिप्रा जिस तरह से मेरे मोटे लंड को सकिंग कर रही थी उससे मुझे मज़ा आ रहा था और शिप्रा को भी बड़ा मजा आने लगा था। उसने मेरे लंड से पानी निकाल दिया था। वह मेरी गर्मी बढा चुकी थी। हम दोनों उत्तेजित हो चुके थे। मैंने शिप्रा को कहा मैं तुम्हारी चूत को चाटना चाहता हूं। शिप्रा की पैंटी उतारने के बाद मैंने शिप्रा के पैरों को खोल लिया और मैं उसकी चूत का रसपान करने लगा था। मैं जिस तरीके से उसकी चूत को चाट रहा था उससे मुझे मजा आ रहा था और उसकी चूत से निकलता हुआ पानी भी बहुत ज्यादा बढ़ चुका था। शिप्रा मुझे कहने लगी मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा है मुझे भी मजा आने लगा था।


हम दोनों गर्म हो चुके थे। शिप्रा की चूत से निकलती हुए गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी और उसकी चूत से बहुत ज्यादा पानी निकल आया था। मैंने शिप्रा की चूत पर अपने लंड को लगाकर कुछ देर रगडा और फिर अंदर की तरफ डालाना शुरू किया। जब मेरा लंड शिप्रा की चूत के अंदर मेरा चला गया तो वह जोर से चिल्लाई और मुझे बोली मेरी चूत मे दर्द होने लगा है। वह अपने पैरो को खोलने लगी उसकी चूत से पानी निकल आया था और मैं बहुत ज्यादा खुश था जब उसकी योनि मे मेरा लंड प्रवेश हुआ था। वह मेरा साथ अच्छे से दे रही थी। वह बड़ी तेज आवाज में सिसकारियां ले रही थी वह जिस तरीके से सिसकारियां लेकर मेरी गर्मी को बढ़ा रही थी उससे मेरी गर्मी बढ रही थी। वह मुझे कहने लगी तुम मुझे बस ऐसे ही धक्के मारते रहो। मैं शिप्रा के पैरो को खोलकर उसे तेजी से धक्के दे रहा था और मैंने उसे काफी देर तक चोदा। जब मेरा माल बाहर की तरफ गिरने को था मैंने उसे और तेजी से चोदा और उसकी भी बड़ा मजा आने लगा था। हम दोनों की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। मैंने शिप्रा की चूत के अंदर अपने माल को गिरा दिया था। मैंने जब शिप्रा की योनि से अपने लंड को बाहर निकाला तो शिप्रा की चूत से पानी निकल रहा था।
 
  • Like
Reactions: Desitejas
Top