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Erotica Satisfaction of lust

IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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Satisfaction of lust
Peta-Jensen-01
 
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जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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मनीषा की चूत फतह की



दीपक को मैंने घर बुला लिया था दीपक की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए मैंने उसे घर आने के लिए कहा वह उस दिन घर आ गया था। मेरा छोटा भाई जो की दिल्ली में नौकरी करता था उसकी तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए मैंने उसे कहा कि तुम घर आ जाओ और फिर वह दिल्ली लौट आया था। जब वह दिल्ली लौटा तो उसकी तबीयत काफी ज्यादा खराब थी इसलिए हमे उसे हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा। कुछ दिनों तक वह हॉस्पिटल में डॉक्टरों की देख रेख में रहा उसके बाद हम लोग उसे घर ले आए थे। जब वह घर आया तो उसके बाद मुझे इस बात की खुशी थी कि वह अब ठीक हो चुका है काफी दिनो तक उसकी तबीयत खराब रहने के बाद वह अब ठीक था। मैंने दीपक से कहा कि तुम दिल्ली में रहकर ही काम करो तो दीपक भी मेरी बात मान गया। पापा के देहांत के बाद घर की जिम्मेदारी मेरे ऊपर ही थी और मैं घर की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा पा रहा हूं।
मैं चाहता था दीपक हमारे साथ ही रहे दीपक ने भी मेरी बात मान ली और वह हम लोगों के साथ दिल्ली में ही रहने लगा। कुछ समय तक तो दीपक ने नौकरी नहीं की लेकिन जब दीपक की नौकरी लग गई तो वह भी काफी खुश था और हम लोग भी इस बात से बहुत ज्यादा खुश थे कि दीपक अब दिल्ली में रहकर ही नौकरी कर रहा है। मां भी हमेशा ही मुझे कहती की बेटा तुम शादी कर लो लेकिन मैं शादी के लिए तैयार नहीं था। एक दिन मां ने मुझसे कहा कि शुभम बेटा मैं चाहती हूं कि तुम अब शादी कर लो। मैंने मां से कहा मां मैं अभी शादी के लिए तैयार नहीं हूं। मां ने मुझे कहा मैं चाहती हूं तुम अब शादी कर लो। मैं भी मां की बात मान गया और मैंने पहली बार मनीषा से मुलाकात कि तो मुझे मनीषा काफी अच्छी लगी। उसे मुझे समझने में काफी समय लगा क्योंकि हम दोनों की ना तो फोन पर बातें होती थी और ना ही हम दोनों एक दूसरे को मिल पाते थे।

मनीषा बहुत ही शर्मीले किस्म की है लेकिन जब हम दोनों की सगाई हो गई तो उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को मिलने लगे थे। हम दोनों जब एक दूसरे को मिलने लगे तो मुझे भी काफी अच्छा लगने लगा और मैं मनीषा के साथ बहुत खुश हूं। हमारी शादी का दिन तय हो चुका था जब हम दोनों की शादी हुई तो उसके बाद हम दोनों की शादीशुदा जिंदगी बड़े ही अच्छे से चलने लगी। मनीषा घर की देखभाल अच्छे से करती और घर में सब कुछ अच्छे से चल रहा था। मैं भी इस बात से बहुत ज्यादा खुश था कि घर में सब कुछ ठीक से चल रहा है। एक दिन जब मैं अपने ऑफिस से घर लौटा तो उस दिन दीपक से मैंने पूछा दीपक तुम ऑफिस से कब आए। दीपक ने कहा भैया मैं तो दोपहर मे ही आ गया था। मैंने दीपक से कहा सब कुछ ठीक तो है ना। दीपक ने मुझे कहा हां भैया सब कुछ ठीक है मुझे आज कुछ ठीक नहीं लग रहा था मैंने सोचा कि आज दोपहर में ही घर चला जाऊं इसलिए मैं घर चला आया। दीपक ने उस दिन मुझसे आयुषी का जिक्र किया।

आयुषी जो दीपक के ऑफिस में काम करती है उसने मुझे बताया वह आयुषी से बहुत प्यार करता है लेकिन उन दोनों मे किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया था। दीपक ने पहली बार मुझसे इतनी खुलकर बातें की थी लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि दीपक अब मुझसे हर एक बात शेयर करने लगा था। मैंने दीपक को कहा कोई बात नहीं सब ठीक हो जाएगा। उस दिन दीपक का मूड ठीक नहीं था और मैंने भी सोचा क्यों ना आज हम सब लोग बाहर ही डिनर करने के लिए जाए। मैंने मनीषा से कहा आज हम लोग डिनर करने के लिए चलते हैं। मनीषा भी मान गई और हम लोग बाहर डिनर करने के लिए चले गए जब हम लोग बाहर गए तो हम लोगों को काफी अच्छा लगा और हम लोग बहुत ज्यादा खुश थे। मुझे अपने परिवार के साथ समय बिताना बहुत ही अच्छा लगा और अगले दिन भी मेरी छुट्टी थी। मैं घर पर ही था उस दिन भी मैंने मनीषा के साथ काफी अच्छा समय बिताया और मनीषा भी बहुत खुश थी।

मनीषा और मैं एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और मनीषा मुझे बहुत ही अच्छे से समझती है। मुझे इस बात की बड़ी खुशी है कि मनीषा और मेरे बीच बहुत ज्यादा प्यार है। जिस तरीके से वह मुझे समझती है वह मेरे लिए बहुत ही अच्छा है क्योंकि हम दोनों के बीच में कभी भी किसी बात को लेकर कोई झगड़े नहीं होते हैं। मेरे और मनीषा के बीच सब कुछ अच्छे से चल रहा है और मैं बहुत ही ज्यादा खुश हूं। मुझे अपने काम के लिए बेंगलुरु जाना था तो उस दिन मैं अपने ऑफिस से घर लौटा और मैंने मनीषा को इस बारे में बताया कि मैं कुछ दिनों के लिए बेंगलुरु जा रहा हूं। मनीषा ने मुझे कहा आप वहां से वापस कब लौटेंगे? मैंने मनीषा से कहा मैं वहां से एक हफ्ते में वापस लौट आऊंगा। मनीषा ने मेरा सामान पैक करने में मेरी मदद की। हम दोनों जब एक दूसरे से बातें कर रहे थे तो मां कमरे मे आई और बोली बेटा तुम खाना खा लो। अब हम लोगों ने खाना खाया और फिर उसके बाद मैं और मनीषा रूम में आ गए।

मनीषा भी मुझसे बात करने लगी और कहने लगी आप क्या अपनी किसी जरूरी काम से जा रहे है। मैंने मनीषा को बताया हां ऑफिस का कोई जरूरी काम है इसलिए मुझे कुछ दिनों के लिए बेंगलुरु जाना पड़ेगा। मनीषा मुझे कहने लगी काफी दिन हो गए हैं मैं पापा मम्मी से भी नहीं मिली हूं सोच रही हूं उन लोगों से मिल लूं। मैंने मनीषा से कहा ठीक है तुम पापा मम्मी से मिल लो। मनीषा उसके अगले दिन पापा मम्मी को मिलने के लिए जाने वाली थी क्योंकि मुझे भी बेंगलुरु जाना था इसलिए मैंने मनीषा से कहा तुम पापा मम्मी से मिल आओ। मनीषा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मैंने भी मनीषा का हाथ पकड़ लिया था। जब हम दोनों एक दूसरे की तरफ देख रहे थे तो मुझे मनीषा की आंखों में अपने लिए प्यार नजर आ रहा था। मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया था।

जब मैंने मनीषा को अपनी बाहों में भर लिया था तो वह मेरे लिए तड़प रही थी और मैं भी बहुत ज्यादा तडप रहा था। हम दोनों की तडप इतनी अधिक बढने लगी थी मैंने जैसे ही उसके होठों से अपने होठों को टकराना शुरू किया तो उसकी गर्मी बढ़ती ही जा रही थी और वह गर्म हो गई थी। मैंने जब मनीषा के सामने अपने लंड को किया तो वह मेरे लंड को बड़े ही अच्छे तरीके से चूसने लगी और उसने मेरे लंड को तब तक चूसा जब तक मेरे लंड से पानी बाहर नहीं आ गया। मैं इतना ज्यादा गर्म हो चुका था मैं रह नहीं पा रहा था, मैं अपने आप पर काबू कर पा रहा था। मैंने मनीषा के कपड़ों को उतारा तो मैंने उसे नंगा कर दिया। जब वह नग्न अवस्था में थी तो मैं उसके बदन को महसूस करने लगा और उसके बदन को महसूस कर के मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था। हम दोनों बहुत ज्यादा उत्तेजित हो रहे थे। मैंने उसके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया था मैं उसके स्तनों को बडे ही अच्छी तरीके से चूस रहा था उस दिन मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था मैं उसके स्तनों को चूस रहा था। जब मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ को लगाया तो उसकी चूत चिकनी हो गई थी। उसकी चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा बढ़ चुका था वह कहने लगी तुम मेरी चूत को चाटते रहो।

मैंने उसकी चूत को बहुत देर तक चाटा उसकी योनि पर एक भी बाल नहीं था और मैं उसकी योनि को बहुत ही अच्छे से चाट रहा था मैंने उसकी चूत को तब तक चाटा जब तक उसकी चूत से पानी बाहर नहीं निकल गया था वह बहुत ज्यादा गर्म हो गई थी। मैंने उसकी योनि पर अपने लंड को लगाकर उसकी चूत के अंदर डालाना शुरु किया। मेरा मोटा लंड उसकी योनि के अंदर जा चुका था और जब मेरा लंड उसकी चूत में प्रवेश हुआ तो मुझे मजा आया। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है मै उसकी चूत में अपने लंड को डाले जा रहा था और मेरा लंड उसकी योनि में अंदर बाहर होता तो वह बहुत जोर से चिल्ला कर मुझे कहती मुझे और तेजी से चोदते जाओ। मैंने उसके दोनों पैरों को कस कर पकड़ लिया था जिसके बाद वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है जब हम दोनों एक दूसरे के साथ में सेक्स कर रहे थे तो हम दोनों को ही मजा आ रहा था। मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के मार रहा था और मैं उसे जिस तेज गति से धक्के मार रहा था उससे वह गर्म सिसकारियां ले रही थी और मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है। मैंने उसे अब घोड़ी बना लिया था घोडी बनाने के बाद जब मैंने मनीषा की चूत को देखा तो उसकी योनि से खून बहार निकल रहा था वह जोर से सिसकारियां ले रही थी। उसकी सिसकारियां बढ रही थी उसकी चूत के अंदर तक मेरा लंड घुसा हुआ था। वह मुझसे अपनी चूतडो को टकराए जा रही थी और मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था जब मैं उसे चोदता। वह मेरा साथ अच्छे से देती हम दोनों ने एक दूसरे का साथ काफी अच्छे से दिया।


जब मुझे महसूस होने लगा मेरा वीर्य गिरने वाला है तो मैंने अपनी माल को मनीषा की चूत में गिरा दिया। मनीषा की चूत मेरे माल से भर चुकी थी और मेरी इच्छा पूरी हो चुकी थी। मुझे बहुत ही मजा आया जिस तरीके से मैंने मनीषा के साथ शारीरिक सुख का मजा लिया। उसकी चूत का मजा मैंने काफी देर तक लिया वह बड़ी खुश थी जिस तरीके से मैंने उसके साथ में सेक्स संबंध बनाए थे और उसकी इच्छा को पूरा किया था। मनीषा मेरे मोटे लंड को दोबारा से चूसने लगी और उसने मेरे लंड को दोबारा से खड़ा कर दिया था जिसके बाद मैंने उसे कहा तुम मेरे ऊपर से आ जाओ और वह मेरे लंड के अपने ऊपर नीचे अपनी चूतडो को कर रही थी। वह अपनी इच्छाओं को पूरा कर रही थी और अपनी चूतडो को ऊपर नीचे करती तो मुझे मजा आता। मैंने उसे बहुत देर तक तक चोदा तब तक जाकर मेरी इच्छा पूरी हुई है लेकिन मुझे बहुत ही मजा आया जिस तरीके से मैंने और मनीषा ने एक दूसरे का साथ दिया।
 
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रेणुका और पूजा की पूजा

भाग ०१


यह सच्ची कहानी उस समय की है जब मैं कानपुर में रहता था, मैं थोड़ा बहुत तंत्र मंत्र के बारे में भी यकीन रखता हूँ। मैं कानपुर में एक कम्पनी में इन्जीनियर था। मैं 29 वर्ष का एक गोरा छः फ़ीट का हृष्ट पुष्ट जवान हूँ। शहर में ही एक कमरा किराए पर लेकर रहता था। मेरे पड़ोस में एक परिवार रहता था, उसमें सिर्फ तीन लोग थे मिस्टर चौधरी, उनकी पत्नी रेणुका और रेणुका की एक बहन !
चौधरी जी हमारी कम्पनी के बगल वाली एक चूड़ी की कम्पनी में सेल्समैन थे। अक्सर कम्पनी के काम से उन्हें बाहर जाना पड़ता था, चूंकि बगल में रहने के नाते हमारे संबंध अच्छे थे, कभी-कभी उनकी साली को मैथस् भी पढ़ाने के लिए मुझे उनके घर जाना पड़ता था। उनको कोई बच्चा नहीं था जबकि शादी को 4 साल हो गए थे। उस समय चौधरी 29 साल, रेणुका 23 साल, उनकी साली पूजा 18 की थी, चौधरी जी थोड़ा सा साँवले थे किन्तु रेणुका एवं उनकी बहन बहुत सुन्दर थीं, मानों सफेद बर्फ।
एक बार काम के सिलसिले में चौधरी जी बाहर जा रहे थे तो मुझसे बोले- मैं 15 दिन के लिए कम्पनी के काम से बाहर जा रहा हूँ, वैसे तो सारा इन्तजाम कर दिया है फिर भी आप थोड़ा देख लीजिएगा।
मैंने कहा- आप बिल्कुल चिन्ता मत कीजिए, मैं अपने काम से लौट कर भाभी जी का हाल पूछ लिया करूँगा।
मैं प्रायः आफिस से आकर रेणुका से हाल खबर लेने लगा और पूजा को पढ़ाने भी लगा।
एक दिन बात ही बात में मैं पूछने लगा- भाभी, अभी तक आप लोग बच्चे के बारे में क्यों नहीं सोच रहे हैं?
उन्होंने कहा- पहले तो आप मेरा नाम लेकर सम्बोधन करें क्योंकि मैं आपसे छोटी हूँ।
"ठीक है, तो रेणुका बताओ, अभी चौधरी जी कमाते भी हैं फैमिली स्टैंडिंग भी ठीक ही है, तो मेरे ख्याल से आपको अब सही समय है बच्चा करने की।
उन्होंने बताया- ऐसा नहीं है कि हम कोई सावधानी ले रहे हैं, बस भगवान की मर्जी, अभी नहीं हो पा रही है।
मैं- क्यों डाक्टर को नहीं दिखाया?
रेणुका- दिखाया, हर तरह का चेकअप भी करवा लिया। मुझमें कोई कमी नहीं है।
मैं- इसका मतलब चौधरी जी में कमी है?
रेणुका- हाँ, छोड़िए बाद में बात करेंगे।
मैं- नहीं बताइए, मेडिकल सांइस के बारे में मैं काफी जानकारी रखता हूँ ! हो सकता है आपकी मदद कर सकूँ। बिना शर्माए बताइए, समझिए कि आप डाक्टर के पास हैं।
रेणुका- एक्चुअली इनको उत्थान संबन्धी बीमारी है, इनका सहवास शुरू करते ही पतन हो जाता है और डाक्टर के मुताबिक शुक्राणु की कमी है।
मैं- खुल कर एक एक बात बताइए, शायद मैं कोई मदद कर सकूँ।
रेणुका- एक्चुअली इनका........ ल....आप समझ रहे हैं न?
मैं- अरे बताओ आप ! शर्माओ मत ! चलो आपकी समस्या मैं ही खत्म कर देता हूँ, क्या चौधरी जी को शीघ्रपतन की बिमारी है या उनका लण्ड उचित उत्थान के लिए तैयार नहीं रहता या उनका लण्ड आपकी बुर को संतुष्ट नहीं कर पाता क्या बात है अब खुल कर बताइए। मैं जानबूझ कर ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जिससे वो अपनी बात खुल कर कह सके।
रेणुका- हां, इनका वो बहुत छोटा है मेरे हिसाब से 4 इंच जैसा लम्बा और आधा इंच मोटा होगा और जैसे ही मेरे उसके मुख द्वार रखकर अन्दर किया कि बस इनका काम तमाम।
"अभी भी आप शरमा रही हैं, खुल कर नाम लीजिए, शर्म मिट जाएगी, रही बात लण्ड छोटा या बड़ा होने से चुदाई या उसके मजे पर कोई फर्क नहीं पड़ता और बच्चा न होने का यह कोई कारण नहीं है। हां, वीर्य का पतला होना या शुक्राणु की कमी ही कारण हो सकता है। तो क्या अभी तक कभी आप भरपूर चुदाई का आनन्द नहीं उठा पाई?
रेणुका- नहीं ऐसा नहीं है, पहले दो साल तक जम के चो....चो...
"हाँ कहिए, अगर शर्माना ही है तो चर्चा ही बंद करें?"
रेणुका-...चो...चोदा करते थे। फिर मेरी मां का अन्तकाल हो गया, मैंने अपनी बहन को यहाँ रख लिया। चार छः महीने तक उसकी वजह से कुछ नहीं हुआ फिर एक दिन मौका मिला तो ये जल्द ही हार गए, ठीक से कर नहीं पाए। तब से एक न एक बहाना कर टालने लगे। कहते हैं अब तुम्हारी ढीली हो गई इसलिए मेरा मन उचट गया है।
"मुझे लगता है कि वो हस्त मैथुन के शिकार हो गए हैं। तो क्या आपने यह सब किसी को बताया?"
रेणुका- एक दिन मूड बनाया, फिर क्या हुआ कि कहने लगे कि हाथ से करो। मैं हाथ से करने लगी इनका पूरा खड़ा हो गया और ये तरह तरह की आवाज निकालने लगे, जीरो वाट का बल्ब भी जल रहा था अब एक ही कमरा होने के नाते मैं बचा रही थी कि कहीं मेरी बहन न जग जाए।
किन्तु वो जग गई और एकाएक पूछा- क्या हुआ?
उसने जैसे ही इनका लण्ड देखा चुप हो गई तभी इनका एक या दो बूंद वीर्य टपक कर हमारी बहन के गाल पर गिर गया। ये उठ कर बाथरूम चले गये मैं उसके गाल से साफ करने लगी। तब उसने कहा- दीदी, ये जीजू क्या करवा रहे थे आपसे?
मैंने कहा- तुम नहीं समझोगी इसलिए ध्यान मत दो।
उसने कहा- मैं सब समझती हूं। बस यही नहीं समझ में आ रहा है कि वो आपके रहते हाथ से क्यों कर रहे थे?
मैं समझ गई कि यह काफी समझदार हो गई है। फिर मुझे लगा चलो कोई तो है जिससे मैं खुद को शेयर कर लूंगी और उसको सब कुछ बताया।
"फिर?"
रेणुका- अब तो धीरे धीरे ये पूजा से भी खुल गए, मैंने भी ज्यादा विरोध नहीं किया, सोचा यह सब देखने के बाद वो कहीं बाहर कुछ न करे, नहीं तो इज्जत खराब होगी, चलो घर में ही उसे सारी चीजें मिल जाने दो, कम से कम सेक्स से संतुष्ट रहेगी तो पढ़ाई में मन लगा रहेगा। और शायद 18 साल की लड़की की बुर देख कर इनके लण्ड का तनाव वापस आ जाए और ये मुझे भी चोद सकें। "क्या ऐसा हुआ?"
 

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भाग ०२

रेणुका- नहीं ! पहले तो धीरे धीरे उससे और मुझसे हाथ से रगड़वाते, एक बार प्रयास किया उसको नंगा किया, मुझसे अपने लण्ड पर वैसलीन लगवाया फिर उसकी बुर पर लण्ड रखकर ठेलने का प्रयास किया वो थोड़ा सा चीखी।

मैंने देखा हल्का सा लाल सुपाड़े का भाग उसकी बुर में घुस रहा था, मैंने कहा- सही जगह है, ठेलो !
पर तभी इनका फव्वारा छूट गया उसके बाद बहुत प्रयास किया, दुबारा इनका खड़ा ही नहीं हुआ।
"फिर कभी प्रयास नहीं किया?"
रेणुका- अभी कल ही वही कोशिश कर रहे थे लेकिन बेकार और इनके घर वाले इतने पुराने विचार के हैं कि मुझे ही बांझ क्या क्या बोलते रहते हैं।
"क्या कभी आपको उनसे नफरत हुई या शादी के पहले या बाद किसी के साथ सेक्स करने का मन किया?"
"नहीं ये हर तरफ से मेरा सपोर्ट करते हैं सेक्स नहीं कर पाते तो क्या ! जब से घर वाले उल्टा बोले हैं, आज तक घर न गए, न मुझे जाने दिया, कहते हैं बच्चा लेकर ही जाऊँगा, चाहे जैसे और मेरा सेक्स संबन्ध शादी के पहले मेरे एक रिश्तेदार से हो गया था, उस समय मैं 18 साल की थी, पढ़ाई की अच्छी व्यवस्था गाँव में न होने के कारण वहाँ पढ़ने गई थी, उनकी उम्र उस समय तरकीबन 40 या 42 साल की थी, उनके अन्दर सेक्स की भूख तगड़ी थी, एक दिन मैं दूसरे कमरे में सो रही थी, कुछ अजीब सी आवाज सुनकर जाग गई, दूसरा कमरा खुला ही था, मैंने झांक कर देखा तो वो बेसब्री से अपनी पत्नी को चोद रहे थे। थोड़ी देर में उनकी पत्नी चिल्लाने लगी- निकालो, मेरा हो गया !
वो बोले- मैं कभी संतुष्ट नहीं हो पाता, अब मैं रोज की तरह तड़पता हुआ ही सो जाऊं?
उनकी पत्नी ने कहा- जो मन में आए, करो ! मुझमें इतना देर तक झेलने की ताकत नहीं है, इतनी ही गर्मी है तो कहीं और शांत कर लो।
उसके बाद मैं सो गयी किन्तु कुछ भी ठीक से देख नहीं पाई, देखने की बड़ी इच्छा थी पर उसके बाद बहुत देर तक जगती कभी कभी डर का बहाना करके उन्हीं के बेड पर साथ में सोती पर पता नहीं क्यों उनका यह खेल बन्द हो गया। बाद में पता चला कि उसी चुदाई के बाद उनके पेट में बच्चा आ गया था, उसी बच्चे की वजह से वो गाँव चली गई, अब मैं और मेरे वो रिश्तेदार न जा सके क्योंकि मेरी पढ़ाई चल रही थी। फिर गाँव से मेरी मम्मी हमारी देखभाल के लिए आ गई, वो मेरी मम्मी से काफी मजाक करते, मुझे अच्छा नहीं लगता, तब मैं मम्मी से कहती तो वो बोलती हमारा रिलेशन ही उनके साथ मजाक का है, इसलिए तुम ध्यान मत दिया करो।
एक दिन रात में कुछ हलचल सा लगा, मैं जग गई, देखा तो मेरी मम्मी मेरे पास नहीं थीं, मैंने बगल के कमरे में धीरे से देखा तो देखा मम्मी उनका लण्ड अपने हाथ से सहला रही थी।
मैं स्तब्ध रह गयी, फिर भी सेक्स देखने की इच्छा से चुपचाप देखने लगी। कमरे में जीरो वाट बल्ब जल रहा था, पता नहीं कैसे उन्होंने मुझे देख लिया और जानबूझ कर ऐसी पोजिशन ले ली कि मैं सब कुछ ठीक से देख सकूं।
मैंने देखा कि उनका लण्ड बड़ा लम्बा लगभग 6 इंच और 2 इंच मोटा था, मम्मी उनके लण्ड को अपने मुख में लेकर आगे पीछे कर रही थीं और वो मम्मी की चूची मुख में लेकर चूस रहे थे और चूतड़ उचका कर लण्ड मम्मी के मुख में ठेल रहे थे। काफी देर बाद वो मम्मी को पूरा नंगा करने लगे और अपने भी सारे कपड़े उतार दिए। अब मैं उनका लण्ड, उसके गोले, उनके घने बाल और मम्मी की बुर, उनके घने बाल साफ देख रही थी।
अब मम्मी उनके लण्ड के नीचे बैठ कर उनके गोले पर जीभ चलाते हुए उनके लण्ड के आगे की चमड़ी हटाकर लाल सुपाड़े को बखूबी चाट रही थीं और वो मम्मी की बुर के बालों में अंगुली फिराते हुए बुर की रानों को सहलाते एक अंगुली मम्मी की बुर में ठेल देते और मम्मी उं की आवाज के साथ थोड़ा सा उछल जाती।
काफी देर यूं ही चलता रहा फिर उन्होन्ने अवस्था बदल ली, अब मम्मी कुत्ते की तरह उनके सामने खड़ी थीं और वो लण्ड मम्मी की बुर में पीछे से सटा रहे थे, मम्मी हल्का सा सीत्कार ले रही थीं, एकाएक उन्होंने तेजी से ठेल दिया मम्मी हल्का सा चीखीं, मैंने देखा पूरा जड़ तक लण्ड मम्मी की बुर में घुस चुका था और उनका हाथ मम्मी की चूचियाँ मसल रहा था, फिर वे चूची को पकड़े रखकर ही लण्ड को वापस खींच कर दुबारा ऐसा झटका दिया कि मम्मी की चीख तेज होने के साथ साथ वो आगे की तरफ लुढ़क गयीं और कहने लगी- जरा धीरे से, आप महान चुदक्कड़ हैं, मैं कल ही जान चुकी हूँ जब कल आपने मुझे 14 बार चोदा। जरा धीरे !
अब मम्मी सीधा लेटी थीं और वो मम्मी के दोनों पैर अपने कंधे पर रख कर लण्ड को बुर में ठेल रहे थे और बोल रहे थे- कल से जो तुम्हारी चुदाई कर रहा हूं, ऐसा लग रहा है कि कल ही हमारी शादी हुई है, अब तक मैं चुदाई के मजे से दूर सा हो गया था तुमसे वो मजा मिला कि क्या बताऊँ !
मम्मी भी कह रही थीं- सही मेरा भी वही है, रेणुका के पापा से वो मजा कभी नहीं मिल पाता था और आपके कल सेक्स के विस्तार को जानने के बाद तो सोचती हूँ कि काश ऐसा ही पति रेणुका को भी मिले।
वो बोले- घबराओ मत, रेणुका को भी मैं चुदाई आनन्द दे दूंगा।
फिर मम्मी की बुर में लण्ड को दे मारा और उसके बाद ताबड़ तोड़ चुदाई शुरू हो गई, थोड़ी देर बाद मम्मी उनके कमर से चिपकती हुई बोली- आह रे मर्द ! गजब चोदा बुर को ! अन्दर तक हिला दिया ! वाह मजा आ गया।
और वो तेज गति से लण्ड को बुर में पेलने लगे, फिर एकाएक लण्ड को बुर से बाहर खींच कर मम्मी के मुख के पास लगा कर पिचकारी मम्मी के मुख में छोड़ दी, मम्मी उसे पी गई और उनके लण्ड पर लगे वीर्य को शहद की तरह चट कर गई।
अब मेरा ध्यान अपने ऊपर गया, पता नहीं कब मेरी अंगुली बुर में घुस कर आगे पीछे हो रही थी और मेरी बुर से भी हल्का चिपचिपा पदार्थ निकाल कर मुझे थोड़ा शांत कर दिया। मैं वो सीन सोचते सोचते सो गई। थोड़ी देर बाद मम्मी उनके कमर से चिपकती हुई बोली- आह रे मर्द ! गजब चोदा बुर को ! अन्दर तक हिला दिया ! वाह मजा आ गया।
और वो तेज गति से लण्ड को बुर में पेलने लगे, फिर एकाएक लण्ड को बुर से बाहर खींच कर मम्मी के मुख के पास लगा कर पिचकारी मम्मी के मुख में छोड़ दी, मम्मी उसे पी गई और उनके लण्ड पर लगे वीर्य को शहद की तरह चट कर गई।
 
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भाग ०३

अब मेरा ध्यान अपने ऊपर गया, पता नहीं कब मेरी अंगुली बुर में घुस कर आगे पीछे हो रही थी और मेरी बुर से भी हल्का चिपचिपा पदार्थ निकाल कर मुझे थोड़ा शांत कर दिया। मैं वो सीन सोचते सोचते सो गई।

दूसरे दिन वे मुझे बुला कर बोले- रेणुका, आज मेरे पास सो जाना।
मैंने कहा- नहीं, मैं मम्मी के पास सोती हूं।
तभी मम्मी ने कहा- नहीं रेणुका, कल तुम्हारे पैर से मेरे पेट में लग गया था, मेरा आज पेट दर्द है।
मैं समझ गई कि आज मैं चुदी ही चुदी और मम्मी को कहते हुए सुना कि आराम से, पहली बार है।
मैं उनके पास सो गई, किन्तु नींद कहाँ थी, थोड़ी देर बाद मैंने दबी आँखों से देखा कि वो अपने लण्ड पर काफ़ी मात्रा में वैसलीन लगा रहे हैं।
वैसलीन लगा कर मुझसे बोले- सो गई?
मैं कुछ नहीं बोली, दो तीन बार पूछने के बाद वे समझे कि मैं सो गई और उठ कर धीरे से मेरे सारे कपड़े उतार दिए। मैंने सब जानते हुए भी उनका विरोध नहीं किया। उस समय मेरी बुर पर हल्के बाल उगे थे और चूची टमाटर जैसी थी। मैं भी चुदाई का आनन्द लेना चाहती थी।
वो मेरी चूची को अपने मुख में लेकर चुभलाने लगे, मुझे गजब का मजा आ रहा था। धीरे धीरे वे अपने मुख से मेरे सीने को चूमते हुए मेरी बुर की तरफ बढ़ने लगे, मेरी हल्की रोंएदार बुर को वे चूमते हुए बुर के बीचोंबीच अपनी ठुड्डी रगड़ते हुए बुर के ऊपरी भाग को खूब ध्यान से चूस रहे थे।
मैं खुद को रोक न पाई और मुख से आह सी.. ओह की आवाज निकल गई।
वे बोले- रेणू ! मैंने कहा- हाँ, यह क्या कर रहे हैं? बस, यह सब मुझे नहीं करना है।
उन्होंने मुझे समझाया- देखो, मैं तुम्हें सेक्स का आनन्द देना चाहता हूँ, आज नहीं तो कल किसी न किसी से चुदोगी, तो मुझसे क्यों नहीं?
मैंने कहा- नहीं, मुझे बच्चा हो गया तो?
वे बोले- पागल, वही तो कह रहा हूँ, बाहर किसी से चुदवाओगी तो वो अपने हिसाब से तुम्हें चोद कर तुम्हारी बुर भी बर्बाद कर देगा और बच्चा भी दे देगा तथा ब्लैकमेल भी करेगा, मैं आराम से चोदते हुए तुम्हारी बुर का भी ध्यान रखूंगा और बच्चा भी नहीं होने दूंगा।
"मैं बाहर भी किसी के साथ नहीं करूंगी।"
वे बोले- अब सेक्स का थोड़ा मजा लेकर छोड़ दोगी तो हिस्टीरिया की बिमारी से पीड़ित हो जाओगी, फिर जैसे मैं अपनी पत्नी से सेक्स सुख नहीं पा रहा हूं, वैसे तुम भी अपने पति को सुख नहीं दे पाओगी, यही चाहती हो तो ठीक है, नहीं करूंगा।
मैं काफी समझदार थी, मैं समझ गई कि वो ठीक कह रहे हैं, अगर बाहर कोई सम्बन्ध बनाऊँगी तो ज्यादा दिन छुपा नहीं सकती और बदनाम हो जाऊँगी और ये तो घर की मूली हैं, यहीं मजा लेती रहूँ, कोई जानेगा भी नहीं ! बाहर स्ट्रिक्ट रहूंगी और मम्मी की भी इच्छा है।
मैंने कहा- दर्द होगा ! इतना मोटा लम्बा लण्ड मेरी छोटी सी बुर में कैसे घुसेगा?
वे बोले- तुम चिन्ता मत करो, थोड़ी हिम्मत से काम लेना, शुरू में थोड़ा दर्द होगा और हल्का खून भी आएगा, किन्तु चिन्ता मत करना, उसके बाद धीरे धीरे वो मजा मिलेगा जिसे जीवन भर याद रखोगी।
मैं बोली- इतनी छोटी बुर में कैसे इतना मोटा लण्ड घुसेगा?
वे बोले- देखो, कितनी छोटी बुर से कितना मोटा बच्चा पैदा होता है? एक्चुअली बुर रबड़ की तरह होती है, एक बार लण्ड घुसते समय जब लण्ड अपनी जगह बनाते हुए अन्दर जाता है तो दर्द होता है किन्तु जब बार बार रगड़ने से वो दर्द मजे में बदल जाता है
"एक और बात !"
वे बोले- कहो?
मैंने कहा- अभी मैं 18 साल की हूँ, इससे कोई दिक्कत?
वे बोले- अगर लड़की स्वंय सेक्स के लिए तैयार हो तो वो माहवारी शुरू होने के बाद पूरा सेक्स कर सकती है, इससे शरीर की बढ़त भी अच्छी होती है।
अब मैं तैयार थी।
फिर वो धीरे धीरे अपने हाथ को मेरी चूची के ऊपर से शरीर पर नचाते हुए बुर के हल्के रोंए से बुर तक ले जाते और एक अंगुली धीरे से बुर के छोटे से छेद में सरका देते। मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं चुपचाप आँखें बंद करके अनुभव कर रही थी।
कुछ देर यूं ही करने के बाद बहुत सारा वैसलीन उन्होंने मेरी बुर में लगाई और फिर मेरी कमर को पकड़ कर मुझे उल्टा कर दिया।
मैं घबरा गई, सोचा गांड़ में तो लण्ड नहीं डालेंगे? पर बोली नहीं, सोचा देखती हूँ।
मुझे उलट कर वो धीरे से मेरे ऊपर सवार हुए और मेरी छाटी सी बुर के छेद पर मोटा सा सुपाड़ा लगा कर जोरदार धक्का दिया। मैं चीख पड़ी और उनको वापस धक्का देते हुए कहने लगी- निकालो, बहुत दर्द हो रहा है।
वे बोले- चिन्ता मत करो, सुपाड़ा अन्दर जा चुका है, अभी थोड़ी हिम्मत रखो, असीम आनन्द मिलेगा।
और वैसे ही रूक कर मेरी चूची हल्के हाथ से दबाने लगे। थोड़ी देर में मेरी बुर में थोड़ी गुदगुदाहट हुई, वो समझ गए और फिर एक जोर का झटका दे मारा, अब की बार मैं रो पड़ी और चीखने लगी, शायद मेरी बुर से खून निकलने लगा था।
वे बोले- देखो, अब चिन्ता बिल्कुल मत करो, आधा घुस चुका है, एक बार थोड़ा सा और झेलो, फिर मजा ही मजा !
मैंने भी सोचा कि एक न एक दिन इस दौर से गुजरना ही था तो आज ही सही ! इसके बाद मैं भी चुदाई का आनन्द औरों की तरह मम्मी की तरह ले सकूंगी।
तभी उन्होंने एक और जोर का झटका दे मारा, लगा कि अब मैं मरी।
और जैसे उल्टी होने लगी पर वे अब रूके, नहीं तीन चार बार लण्ड वापस खींचकर दनादन दे मारे हर झटके में मेरी जान हलक पर आ जाती पर आठ दस झटकों के बाद मेरी बुर में हल्की गुदगुदाहट होने लगी।
वे बोले- अब कैसा लग रहा है?
मैंने कहा- हल्की गुदगुदी बुर के अन्दर हो रही है।
वे समझ गये और पोजिशन बदलने लगे। अब अपना पूरा लण्ड बाहर निकाल कर कपड़े से पहले अपने लण्ड पर लगे खून को साफ किया फिर मेरी बुर को अच्छी तरह से साफ किया।
मैंने कहा- जलन हो रही है, रहने दीजिए, कल कर लेंगे।
वे बोले- पागल, अब तो तुम्हें चुदाई का असली मजा मिलने जा रहा है, चलो सीधा लेट जाओ।
मैं सीधा लेट गई, वे मेरी दोनों टांगें उठाकर अपने कंधे पर रखकर लण्ड के लाल सुपाड़े को मेरी बुर के छेद पर रख कर एक जोर का झटका दिया उनका लण्ड सीधा मेरी बुर में समाता चला गया।
मैं चीख पड़ी- आई मां... आह रे बाबा...
किन्तु अबकी दर्द बड़ा मीठा था, एक दो धक्के के बाद ही मेरी बुर पक पक की आवाज करने लगी पर मुझे अजीब सा मजा आने लगा, लग रहा था कि बुर के अन्दर खूब गर्म लाहे का डण्डा अन्दर-बाहर हो रहा हो।अनायास ही मेरे मुख से आवाज निकलने लगी- आह ! आप सही कह रहे थे, इतना मजा आता है चुदवाने में ! मैं नहीं जानती थी, तभी लोग चुदाई के लिए पागल से रहते हैं ! चोदो, खूब चोदो !
मेरी बुर के तरल पदार्थ की वजह से उनका लण्ड फच्च फच्च की आवाज के साथ अन्दर-बाहर हो रहा था, वे बोल रहे थे- देखा लण्ड का छोटी बुर का मिलन ! देखो कितना मजेदार है।
और इसी के साथ उन्होंने गति बढ़ा दी। अब धकाधक धक्के पे धक्के के साथ फुल स्पीड में चुदाई चालू हो गई मेरी। लण्ड को पूरा बाहर खींचकर फिर अन्दर दे मारते, फच की आवाज के साथ पूरा लण्ड भीतर घुस जाता। अब मुझे पूरा मजा आने लगा। थोड़ी ही देर में मुझे लगा कि मेरी बुर से कुछ निकलने वाला है और तभी मैं उनकी कमर जोर से पकड़ कर आं ..स आ उ..स....स....फ करते हुए झड़ गई।
उन्होंने अपना बदन खूब जोर से मेरी बुर पर चिपका दिया, तभी अपना लण्ड निकाल कर मेरी नाभि के ऊपर रख कर अपना लावा उगल दिया जो कि काफी गरम था और निकलने वाला सफेद पदार्थ काफ़ी सारा था।
मैंने हाथ से थोड़ा लेकर चखा, अजीब सा नमकीन स्वाद था, अच्छा नहीं लगा किन्तु उसकी सुगन्ध बड़ी अच्छी थी।
उसके बाद कई बार उनसे चुदी, कई बार उनके लण्ड का रसपान भी किया लेकिन वे हमेशा यह ध्यान रखते कि मेरी बुर ज्यादा खराब न हो और मैं मां न बनूँ।
और यह भी अनुभव हुआ कि उम्रदराज व्यक्ति के साथ चुदाई का मजा ही कुछ और होता है, वो मजा नये लड़के कभी नहीं दे सकते। उसके बाद कई बार उनसे चुदी, कई बार उनके लण्ड का रसपान भी किया लेकिन वे हमेशा यह ध्यान रखते कि मेरी बुर ज्यादा खराब न हो और मैं मां न बनूँ।
और यह भी अनुभव हुआ कि उम्रदराज व्यक्ति के साथ चुदाई का मजा ही कुछ और होता है, वो मजा नये लड़के कभी नहीं दे सकते। "आपको अपनी मम्मी पर कभी गुस्सा नहीं आया?"
"नहीं, क्योंकि उस समय हमारे पापा का देहान्त हुए दो साल हो गए थे, मम्मी भी तो प्यासी होंगी। बल्कि खुशी हुई कि मम्मी ने कहीं बाहर किसी से न चुदवाकर अपने ही रिश्तेदार को चुना और इससे भी खुश थी कि समय रहते मुझे भी कहीं भटकने न देकर एक सफल व्यक्ति से मुझे चुदाई का मजा दिलवाया। उस चुदाई के पहले मैं हमेशा उखड़ी सी रहती थी, पढ़ाई में मन नहीं लगता था पर चुदाई के बाद मैं शांत हो गई स्वास्थ्य ठीक हो गया और पढ़ाई में मन भी लगने लगा।"
"तो अब क्यों नहीं उनसे चुदवाकर बच्चा प्राप्त कर लेतीं?"
"आप ने ध्यान नहीं दिया शायद, तब से अब तक 8 साल गुजर चुके हैं और अब वे 55 के हो चुके हैं और किसी काम के नहीं हैं। मैंने यह सब उन्हें बताया था पर उन्होंने बताया कि अब उनकी सेक्स ताकत खत्म हो चुकी है।"
 
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जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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भाग 04
"ओह ! ठीक है रेणुका, तुम चिन्ता मत करो, चौधरी जी को आने दो, मैं कुछ दवाएँ जानता हूँ, उन्हें ठीक करने का प्रयास जरूर करूँगा।"
"हाँ, जरूर ! लेकिन वो तो यह तक कह रहे थे कि अगर जरूरत पड़ी तो आपका ही वीर्य लेकर मुझमें इन्जेक्ट करवा कर बच्चा पैदा करवाएँगे, अगर आप तैयार हुए तो ! इसलिए मैंने बिना कुछ छुपाए आपको अपनी सारी कहानी बताई।"
"जरूर ! यदि मेरा वीर्य तुम्हारी खुशी और चौधरी जी की इज्जत बचा दे तो मैं किसी भी तरह की मदद करने को तैयार हूँ। ठीक है अब चलता हूँ, खाना भी बनाना है।"
कह कर मैं ज्यूं ही खड़ा हुआ मेरा लण्ड इतना उतावला हो गया कि लग रहा था पैंट ही फाड़ कर बाहर आ जाएगा। यह बात रेणुका से छुपी न रह सकी, फिर भी मैं चल दिया।
आते आते रेणुका ने कहा- इन्जिनियर साहब, खाना मत बनाना ! मैं बना कर आपके कमरे में लाती हूँ।
मैं 'ठीक है।' कहते हुए चला गया।
मैं कमरे में पहुँच कर फ्रेश होकर लेटा ही था कि रेणुका भोजन लेकर आ गई और जब तक मैं खाता रहा तब तक वहीं बैठी रही। मेरे खा लेने के बाद वही बात करना शुरू की, कहने लगी- मेरी कहानी ने आपको पकाया तो नहीं?
"नहीं नहीं ! बल्कि मैं यह सोच रहा था…!"
तो उन्होंने मुझे टोकते हुए कहा- आपके आते वक्त मैंने आपकी पैंट देखी थी, हालत खराब लग रही थी।"
मैं हंसने लगा और कहा- मैं तो खुद को बीच में नहीं लाना चाह रहा था, सोच रहा था चौधरी जी के साथ गद्दारी होगी पर आपने जब से बताया कि वे चाहते हैं बच्चा हो चाहे जैसे तब से आपकी सुन्दरता आँखों के सामने ही घूम रही है। सच कहूँ तो चौधरी जी को धन्य मनाना चाहिए अपने नसीब का कि इतनी खूबसूरत बीवी मिली है उन्हें !
वो शरमा गई और बोली- आप गजब के धैर्यवान मर्द हैं, मानना पड़ेगा, दूसरा कोई होता तो अब तक क्या क्या कर चुका होता।
"नहीं, ऐसी बात नहीं है, मैं आपकी इच्छा का सम्मान करता हूँ इसलिए आपकी तरफ से कोई इशारा नहीं पाया और चौधरी जी के साथ कहीं धोखा न हो जाए, यह भी चिन्ता थी, किन्तु यदि आपको लगता है कि आप मुझसे बच्चा चाहती हैं तो मैं तैयार हूँ कम से कम आपको 20 से 25 दिनों तक रोज मेरे साथ… !"
"मैं तैयार हूँ और आपको बताना चाहती हूँ कि सच मैं इतनी बेशर्म न थी पर बच्चे की चाहत कुछ भी करवा दे।"
तुरन्त मैंने उनके मुख पर हाथ रख दिया, मेरा शरीर सनसनाने लगा, पहली बार मैंने रेणुका को छुआ था। हाफ पैंट पहने हुए था, अन्डरवियर नहीं पहना था, लण्ड गनगना कर खड़ा हो गया। रेणुका नाइटी में थी, उससे उनके उभार जो कि 36 या 38 के होंगे, नुकीले नुकीले महसूस हो रहे थे और रेणुका को अपनी तरफ खींच कर खुद के गले लगाकर उसके गुलाबी होठों को अपने मुँह में भर लिया और धीरे धीरे चुभलाने लगा।
वो भी मस्ती में आ रही थी, शायद इसके लिए वो पहले से ही तैयार थीं, वो भी अपने हाथों को मेरी पीठ पर फिराने लगीं और मेरे हाथ उनकी चूचियों का सही नाप लेने लगे कुछ देर यूं ही चलता रहा और फिर मैं उनकी चूचियों को हल्के हाथों से मसलने लगा, उनकी सिसकारियाँ शुरू हो गईं, रेणुका का हाथ मेरी हाफ पैंट के अन्दर जाकर मेरे लण्ड पर सरकने लगा और वो अनायास ही बोल पड़ीं- अरे वाह आपका तो पूरा बड़ा लण्ड है, मेरे उस रिश्तेदार से भी तगड़ा ! खैर छोटे बड़े से कोई फर्क नहीं पड़ता असली परीक्षा तो अभी बाकी है।"
मैंने कहा- चिन्ता मत करो ! आज हर बाजी मेरी होगी।
और उनकी नाइटी उतार फेंकी और अब ब्रा पर जुट गया ब्रा से मुक्त होते ही चुचियाँ यूं बाहर निकलीं जैसे कोई चिड़िया एकाएक पिंजड़े से आजाद हो गई हो, सफेद बर्फ जैसी चूचियों पर भूरे निप्पल, सामने को तने हुए, अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे। मैं झट से निप्पलों को मुख में भर कर बारी बारी चूसने लगा और हल्के से दाँत भी गड़ा देता, वो आह सी आवाज निकाल देतीं और हाथ अपनी जिम्मेदारी समझते हुए उनकी पैंटी उतार रहे थे। मेरी निगाह जब उनके नीचे गई तो मन और चंचल हो गया। गजब का तराशा बदन था, सुनहरी रेशमी झांटे बुर पर चार चांद लगा रही थीं, यूं लग रहा था जैसे यह बुर सिर्फ देखने के लिए ही बनी है।
तभी वो मेरी भी पैंट नीचे गिरा चुकी थीं, मेरा भी 8 इन्च का लण्ड छलकता हुआ तूफान मचा रहा था, बौखलाए काले सांड की तरह ऊपर नीचे हो रहा था। तभी रेणुका मेरे बौखलाए सांड को अपने मुँह में लेकर उस पर काबू करने का प्रयास करने लगी और आधा लण्ड मुख में रख कर चूसना प्रारम्भ कर दिया। मैं अपने हाथों से उनकी रेशमी झांटों में अँगुली से खेलने सा लगा, उसी में धीरे से बीच बीच में अपने हाथ के पन्जे से उनकी पूरी बुर को मसल देता और वे चौंक सी जाती। ऐसा लग रहा था जैसे वो आज पहली बार चुदने जा रही हों और मैंने भी ऐसी कमाल की बुर अभी तक नहीं देखी थी। हाथ अपने काबू में न थे, कभी बुर पर, कभी चूची पर, कभी झांटों में उलझ रहे थे, जोश होश में न था, लण्ड रेणुका के मुख में ही अपना प्रथम नमकीन पानी गिरा कर अपने बौखलाहट और गरमी का एहसास रेणुका को करा रहा था और रेणुका मौका पाते ही उसे गटक जाती थी मानो कोई शहद चटा रहा हो। और सुपाड़ा काफी गुस्से में नजर आ रहा था, पूरा लाल टमाटर जैसा, फूल कर डब्बा हुआ जा रहा था, उसकी मोटाई लण्ड से भी आधा इन्च ज्यादा थी और एक अँगुली मेरी अपना करामात दिखाते हुए रेणुका की बुर में जा चुभी।
वो थोड़ा सा कुलबुला उठी।
अब बारी चुदाई की नजदीक आ रही थी क्योंकि लण्ड में भयंकर रक्त प्रवाह बढ़ गया था, लग रहा था कि सुपाड़ा अभी फट ही जएगा। मैंने तुरन्त लण्ड को रेणुका के मुख से बाहर खींचा और उनको बेड पर सीधा लिटा कर कमर के नीचे एक तकिया डाला और उनके पैरों को अपने कन्धे पर चढ़ा कर लण्ड का फूलकर मोटा हुआ सुपाड़ा बुर के लबों पर भिड़ा दिया। उनकी बुर के छेद के सामने लग रहा था कि कोई विकराल मुँह बन्द रख दिया गया हो। चूँकि लण्ड गीला था ही और बुर भी गीली हो चुकी थी, हल्के धक्के के साथ ही लण्ड बुर में रगड़ता हुआ आधा समा गया पर इतने में ही रेणुका छ्टपटा उठी और मुख से हल्की सी चीख निकल गई।
मैं पूरे जोश में था, चूचियों को मसलते हुए अपने लण्ड का अगला प्रहार जोरदार तरीके से कर डाला। रेणुका एकदम से चीख पड़ी और बुर से थोड़ा लाल पानी भी आ गया पर मैंने चूचियों पर हाथ चलाना जारी रखा, जब मुझे लगा कि अब उसे कुछ अच्छा लग रहा है तब लण्ड को पूरा बाहर खींच कर ताबड़ तोड़ तीन-चार धक्के दे ही मारे। हर धक्के पर वो सिकुड़ सी जाती, कुछ-एक धक्कों के बाद वो भी चूतड़ हिला कर इशारा करने लगी कि अब बेधड़क चोदो !
तब मैंने उनसे पूछा- मजा आ रहा है रेणुका?
"हाँ, चोदिए ! खुल कर ! एक बार तो आपका लण्ड बुर पर लगा नाराज ही हो गया है और फाड़ कर रख दिया पर मेरी बुर भी कम नहीं, आखिर आपके लण्ड को पटा ही लिया।"
मैंने कहा- अरे इतनी प्यारी और सुन्दर बुर से कौन पागल लण्ड दोस्ती नहीं करना चाहेगा? सच रेणुका, इतनी गुलाबी जवान बुर मैंने आज तक नहीं देखी थी। मेरे कालू को इस सुन्दर बुर ने दीवाना बना लिया है।
लण्ड बुर में काफी रगड़ते हुए जा रहा था जिससे मेरा मजा ही कुछ और था और रेणुका भी झूम झूम कर चूतड़ हिला रही थी और बुर लण्ड की नई दोस्ती नई धुन पैदा कर रही थी। लण्ड गच गच गच गच की धुन बुर को सुना रहा था और बुर चुभ चुभ फ़ुच फ़ुच कर लण्ड के गीत का स्वागत कर रही थी।
अब तो ऐसा लग रहा था कि लण्ड बुर से खेल रहा हो। रेणुका भी पूरे ताव में थी और मेरा मुख रेणुका की चूची पर जीभ निप्पल पर घूम रही थी, हाथ चारों तरफ रेंगने का काम करके काम क्रीड़ा को और हवा दे रहे थे और रेणुका के हाथ मेरे लण्ड के नीचे की गोलाइयों पर फिर रहे थे जिससे लण्ड और झूम रहा था।
अब रेणुका की गति बढ़ रही थी, मैंने अपने लण्ड की भी रफ्तार बढ़ा ली, लग रहा था रेशमी झांटों वाली बुर उछ्ल उछ्ल कर लण्ड का स्वागत कर रही हो और लण्ड चभक चभक कर स्वागत करवा रहा हो। पूरी गति से लण्ड का प्रहार बुर पर जारी था और तभी रेणुका आखिरी चरण पर पहुँचने लगी और ऐसी चिपकी जैसे लण्ड को निगल जाएगी और झड़ गई।
अब लण्ड भी रेणुका के प्यारी बुर का पानी पीकर अपना आपा खो बैठा और अपना भी गरम लावा फेंक कर बुर को पूरा भर दिया।
आज की चुदाई खत्म हो चुकी थी, मैंने रेणुका से कहा- रेणुका, वाकई तुम कमाल की बाला हो और तुम्हारी बुर तो हाय तौबा ही है।
वो बोलीं- आपका लण्ड भी कम नहीं है, भले ही काला है पर बड़ा ही मतवाला है। आज की चुदाई मरते दम तक नहीं भूलेगी जीवन का वो आनन्द प्राप्त हुआ है कि मैं व्यक्त नहीं कर पाऊँगी।
थोड़ी देर बाद रेणुका चली गई और फिर रोज उसकी चुदाई का अनोखा खेल शुरू हो गया पर 3-4 दिन बाद चौधरी जी का आगमन हो गया तो मैं समझा कि शायद अब रेणुका को चोदने का मौका नहीं मिलेगा पर रेणुका का आना और चुदाना जारी रहा और उसने बताया भी कि वे सब जान चुके हैं, पर उन्हें एतराज नहीं है, किन्तु मैं माना नहीं, मैंने सोचा कि ऐसा कैसे हो सकता है, क्या चौधरी इतने एडवाँस हैं? और मेरी भी आत्मा गवाही नहीं दे रही थी कि जो आदमी इतना विश्वास मुझ पर करता हो, उसे मैं धोखा दूँ, यही सोच कर एक दिन चौधरी जी को शाम चाय पर अपने कमरे पर बुलाया और बातों का सिलसिला शुरू कर दिया। बच्चे से बात शुरू की और फिर रेणुका की खुद से चुदाई की बात हिचकते हुए बताया और यह भी कहा कि मैं आपके साथ गद्दारी नहीं करना चाह रहा था पर रेणुका ने बताया कि आपकी ऐसी चाह भी है तभी ऐसा करने की हिम्मत हुई, नहीं तो अपने और रेणुका जी के सम्ब्न्धों पर आपसे बात भी नहीं कर पाता।
 

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जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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भाग 05
वे हँसने लगे और बोले- मुझे सब पता है ! और आप मेरे बारे में रेणुका से सुन ही चुके हैं। सच तो यह है कि मैंने ही रेणुका से अपनी बिमारी के बारे में आपसे चर्चा करने को कहा था क्योंकि मैं अपने सूत्रों से जान गया था कि आप सेक्सोलाजी में महारत हासिल किए हुए हैं और उस समय रेणुका ने आशंका जताई थि कि कैसे वो आपसे बात करेगी, मैंने ही उसे ढांढस बंधाया था और यह भी कहा था कि इतना स्मार्ट आदमी यदि तुमसे सेक्स कर ले और उसका जीन्स तुम में पहुँच जाय तो हमारा बच्चा कितना सुन्दर और तीव्र बुद्धि का होगा। आप तो जानते ही हैं कि मैं थोड़ा छोटे कद का हूँ और साँवला भी तथा सेक्स में बीमार ! सब मिला कर जो आपका साथ रेणुका को मिला उसके लिए धन्यवाद और अपेक्षा यही करता हूँ कि आगे भी आपका सहयोग हम पाते रहेगें।
मैं खुश हो गया, आज यकीन हो गया कि चौधरी जी तो अच्छे इन्सान हैं ही पर रेणुका एक सबसे सच्ची और अच्छी पत्नी !
मैंने चौधरी जी से कहा- आप चिन्ता मत करें, मैं गारन्टी के साथ बोलता हूँ कि आपको ठीक कर दूँगा, बस जो कहूँ, करियेगा, शर्माइएगा मत।
वे बोले- जैसा आप कहें, मैं करने को तैयार हूँ।
मैंने कहा- सबसे पहले आपको मेरे सामने नंगा होकर अपना लण्ड और अण्डकोश दिखाना पड़ेगा और यह ईलाज मैं आपका कल से शुरू कर दूँगा।
और मैंने चौधरी जी का कुछ औषधियाँ लिख कर दीं जो कि वीर्य की मात्रा बढ़ाती है और वीर्य को गाढ़ा करती हैं।
और मैंने चौधरी जी को हस्तमैथुन करने से एकदम मना कर दिया था।
धीरे धीरे चौधरी जी का वीर्य बढ़ रहा था और गाढ़ा भी हो रहा था, यह सब देखकर चौधरी जी ने मुझसे कहा था- आप चाहें तो पार्ट टाइम डाक्टरी भी करके आमदनी बढ़ा सकते हैं, आपको सेक्सोलाजी का अच्छा ज्ञान भी है।
पर मैंने साफ मना कर दिया और कहा- नहीं चौधरी जी, भगवान की दुआ से इतनी बड़ी पोस्ट पर हूँ और इतना कमाता भी हूँ कि अपने घर के साथ 10-20 घर भी चला सकता हूँ, यह ज्ञान समाज सेवा के लिए ही ठीक है।
अब उनका लण्ड बड़ा करना था और चुदाई की परीक्षा भी।
मैं यहाँ शीघ्र पतन की बात करना चाहूँगा असल में शीघ्र पतन कोई खास बिमारी होती ही नहीं है बस मन का भ्रम होता है। एक व्यक्ति पूरा जोश में आने के बाद ज्यादा से ज्यादा 10 मिनट ही सेक्स कर सकता है, यदि बीच में अवस्था न बदले तो, अन्यथा 5 या 10 मिनट और बढ़ जएगा। आप मन में मान लीजिए कि हमें इस तरह की कोई बिमारी है ही नहीं, देखिए शीघ्र पतन की बिमारी खत्म, और फिर भी आपको लगता है कि ऐसा कुछ है तो उसका एक ही कारण हो सकता है गलत तरीके से किया गया हस्तमैथुन।
एक छोटा सा उपाय है, कर लें सही हो जाएगा, सुबह सुबह एक ग्लास पानी 1/2 नींबू निचोड़ कर हल्का नमक मिला कर पी जाएं बिमारी खत्म।
और हस्तमैथून करने का सबसे अच्छा तरिका पुरुष दोस्तों के लिए-
कभी भी ध्यान दीजिए कि जब लण्ड बुर में जाता है तो कितनी नम्रता से बुर उसका स्वागत करती है, क्या आप हाथ से भी लण्ड को वही मजा दे पाते हैं? नहीं, नहीं दे सकते हैं, तो कम से कम वैसा प्रयास तो कर सकते हैं। पहले तो कोशिश यह हो कि हस्तमैथुन से बचें, यदि नहीं बच सकते तो लण्ड के नीचे ध्यान दें एक चमड़े का धागा जैसा सुपाड़े से जुड़ा होता है उसी पर घर्षण से पतन होता है।
आप हस्तमैथुन करते समय ध्यान दें कि जितना साफ्टली हो सके उतना ज्यादा हल्के हाथ से ही लण्ड को रगड़ें और आराम से माल को गिरने दें, ज्यादा जोश में लण्ड पर दबाव न डालें, फिर आपको मजा भी मस्त मिलेगा और शीघ्रपतन की बिमारी से भी निजात।
लड़कियों के लिए-
सबसे पहले तो ध्यान दें कि आप हस्तमैथुन किस यन्त्र के उपयोग से करेंगी- बैंगन, मूली या कृत्रिम लण्ड से, या अपनी अँगुली से? तो सबसे पहले उसे अच्छी तरह साफ कर लें और बैंगन या मूली में कीड़े इत्यादि की जाँच कर लें, यदि अँगुली से, तो नाखून एकदम छोटे होने चाहिए और उपरोक्त वस्तुओं में सरसों का तेल या चिकनाई, वैसलीन लगा कर बहुत आराम से बुर के अन्दर लें और आराम से लण्ड की तरह खुद को चोदें और ज्यादा हस्तमैथुन न करें, इससे अच्छा तो कोई लण्ड ही लें, क्योंकि लड़कों को बुर मिलना जितना मुश्किल है लड़कियों को लण्ड पाना उतना ही आसान।
चौधरी जी का लण्ड बड़ा करना था और चुदाई की परीक्षा भी, यह सब कैसे हुआ? कैसे हुआ रेणुका को बच्चा? यह कहानी मैं आगे नहीं बढ़ाऊँगा,
इस कहानी का अगला भाग रेणुका की छोटी बहन पूजा पर केन्द्रित होगा।
अपने कहे अनुसार अब पूजा की कहानी पर आता हूँ।

हुआ यूँ कि मैं तो यह बात जान ही गया था कि पूजा चुदाई का मजा तो पूरा नहीं ले पाई है किन्तु लण्ड की हल्की तपिश तो पा ही चुकी थी और रेणुका आदतानुसार पूजा को मेरे साथ चुदाई की बात शायद बता ही चुकी हो।
एक दिन रेणुका चुदा कर जैसे ही गई पूजा इंगलिश के एक निबन्ध पर मुझसे विचार करने आ गई, पूजा जो कि एकदम से दुबली लड़की जैसे शरीर में उसके मांस हो ही नहीं, सिर्फ हड्डियों पर चमड़ा चढ़ गया हो, और चूची का तो कपड़े के ऊपर से पता ही नहीं चल रहा था कि हैं भी, चूतड़ न के बराबर दिख रहे थे, कोई फ़िगर का पता ही नहीं चल पा रहा था।
बस एकाएक मैंने उससे पूछ ही लिया- पूजा, तुम इतनी दुबली हो, क्या कारण है?
उसने कहा- पता नहीं।
तब मैंने कहा- बताऊँ यदि बुरा न मानो तो और जो पूछूँ सच बताना?
वो बोली- पूछिए?
मैंने कहा- अच्छा तुम यह जानती हो कि रेणुका मेरे पास इतनी रात रात तक क्या करती है?
उसने शरमा कर मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिला दिया।
मैंने पूछा- क्या तुम्हें रेणुका ने बताया?
वो बोली- नहीं, पर मैंने अन्दाजा लगा लिया है।
"अच्छा सच बताना पूजा, क्या तुम अपना स्वास्थ्य सुधारना चाहती हो? जो पढ़ाई में मन नहीं लगता, मन शांत नहीं रहता, हमेशा गुस्सा आता है, चिड़चिड़ापन यह सब दूर करना चाहती हो?"
उसने कहा- हाँ।
"सबसे पहले तुम यह जान लो कि रेणुका से मैं सब जान चुका हूँ तुम्हारे बारे में और मेरे समझ में एक ही कारण आया है कि तुम किसी न किसी प्रकार से असन्तुष्ट हो, चूंकि सेक्स के बारे में भी तुम काफी कुछ जान चुकी हो, हो सकता है वही कमी तुम्हारे हार्मोंन्स को कम कर रही हो। अच्छा सच बताना, क्या सेक्स करने का मन करता है? और यदि हाँ तो तुम क्या करती हो जब मन करता है, खुल कर बताना, मैं पराया नहीं हूँ।"
पूजा ने कहा- हाँ, मेरा मन करता है पर मैं दबा जाती हूँ और मन में बहुत सारी बातें सोच कर समाज के डर से कभी किसी से कुछ करने की सोचती भी नहीं हूँ।
"क्या तुम जानती हो कि इस तरह मन को सेक्स से परे हटाने से जबकि तुम्हें 50 फिसदी से ज्यादा भी सेक्स के बारे में पता हो तो हटाना कई बिमारियाँ पैदा करता है? हाँ, यदि सेक्स के बारे में जानती पर लण्ड की गर्मी खुद की बुर पर महसूस नहीं करती तो शायद तुम्हें कोई दिक्कत नहीं होती पर अब मेरे हिसाब से एक ही इलाज है चुदवाना। क्या तुम मुझसे चुदवाना चाहोगी?"
उसने कहा- कुछ हो गया तो?
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, थोड़ी दिक्कत हो सकती है, थोड़ा सा दर्द होगा थोड़ा सा खून भी गिरेगा पर बाद में मजे लेकर खुद चूतड़ उछाल उछाल कर तुम्हारी बुर लण्ड गटक जाएगी, बस तुम्हें एक बार हिम्मत दिखानी है, बोलो तैयार हो?
बहुत देर सोचने के बाद पूजा ने शर्माते हुए हाँ में सिर हिलाया और तब मैं आगे बढ़ने लगा।
सबसे पहले मैंने पूजा से पूछा- चुदाई को लेकर उसके मन में क्या है, कैसे वो चुदवाना चाहती है।
और कहा- लण्ड और बुर का नाम बिना शर्माए ले, और अपने मन की भावनाएँ खुल कर बिना हिचके चुदाई के दौरान या चुदाई के पहले और बाद बताए।
वो तैयार थी।
अब मैं एक एक कर उसको पूरा नंगा कर प्रकाश में उसके अंग देखने लगा। वो काफी शरमा रही थी।
मैंने कहा- पहले अपनी शर्म एकदम खत्म कर दो, तभी अच्छी चुदाई का मजा पाओगी, नहीं तो चुदवाओगी भी और मजा भी न पा सकोगी।
वो वाकई में समझदार थी। शर्म छोड़ कर अब पूरी तरह तैयार थी। मैं समझ गया कि सच यह अपना सारा दुख मिटाना चाहती है।
उसकी चूची छोटे अमरूद जैसी थी जो कि काफी सख्त थी और निप्पल तो आम की ढेपनी जैसे छोटे से थे, पूरा शरीर दुबला पतला, सफेद सी सुन्दर बुर पर काले किन्तु हल्के से बाल थे, बुर सुखी हुई सी एकदम चिपटी 1/2 इन्च छोटी, और उसके बुर में छेद जैसे था ही नहीं, पर बुर के ऊपर का लहसुन लाल, बुर के होंठ हल्के साँवले।
मैंने जैसे ही उसकी चूची मसलनी चाही, उसने मुझे मना कर दिया कहा- चोद भले लीजिए पर मैं अपनी चूची मसलवा कर बड़ी नहीं करना चाहती।
मैं तुरन्त उसकी बात मान गया और फिर उसकी चूची को मुँह में भर लिया और उसे समझा भी दिया कि इससे तुम्हें मजा भी मिलेगा और चूची भी नहीं बढ़ेगी।
 

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जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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भाग 06
बहुत देर तक चुभलाने के बाद मैंने उसे कहा- एक काम कर पूजा, जा बाथरूम में और अपनी बुर को डिटाल साबुन से धो ले। हाँ, बुर के छेद में जहाँ तक तुम्हारी अँगुली घुस जाए साबुन लगा कर खूब बढ़िया से साफ कर ले।
उसने वैसा ही किया, फिर मैं भी जाकर अपना लण्ड अच्छे से साफ कर आया।
अब मैंने अपना लण्ड पूजा के हाथ में देकर कहा- लो इसे अपने मुख में डाल लो और इसका स्वाद चखो !
वो पहली बार लण्ड को मुख में ले रही थी इस लिए उसे खराब लग रहा था, पहले सिर्फ जीभ से थोड़ा चाटा और उकलाने लगी, मैंने कहा- मन पक्का कर ले पूजा और समझ ले कि कोई टाफी या आइस क्रीम चूस रही हूँ।
वो बोली- यह जरूरी है क्या?
मैंने कहा- हाँ, यदि निखार लाना है तो इसमें से निकलने वाला नमकीन पानी पी लेना चाहिए तुम्हें।
अब सच वो एक समझदार की तरह काम कर रही थी, मुझे बहुत खुशी हो रही थी, वो पहले तो मेरा लण्ड देखकर घबरा गई थी किन्तु समझाने के बाद उसका डर दूर हो गया था थोड़ी देर उकलाती, उबटाती, हल्का स्वाद लेती अब वो मजे से मेरा लाल सुपाड़ा मुख में रखकर चुभला चुभला कर पीने लगी थी और उसमें से निकलने वाला गरम पानी गटक जाती थी।
अब नम्बर मेरा था कि उसकी सुखी बुर को रस युक्त बनाऊँ, मैं भी अपना लण्ड उसके मुख में पीता छोड़ उसकी चूची पीते हुए उसकी बुर के ऊपर उसकी झाँटों को दाँतों से किटकिटाते हुए अपनी जीभ से उसके बुर के लाल लहसुन को चाटने लगा और बीच बीच में बुर के दोनों होंठों को भी मुख में भर कर पी लेता था। धीरे धीरे पूजा की बुर जवान हो रही थी और कुछ फूल रही थी। मेरा भी 8 इन्ची लण्ड और उसका लाल सुपाड़ा पूजा के मुख में हल्का हल्का अन्दर बाहर होकर अपना नमकीन लस्सेदार थोड़ा अलग स्वाद का पानी पूजा को मस्त कर रहा था, वो पानी जो कि लसलसा था, पूजा पूरा गटक जा रही थी।
अब मैं पूजा के बुर की छेद को अपने होठों से दबाकर चुभक चुभक कर पीने लगा और अब पूजा की सुखी बुर सूखी न रही, उसमें से भी हल्का नमकीन और हल्का सा खट्टा पानी का स्वाद मैं भी पा रहा था। कुछ देर ऐसे ही पीने के बाद मैं अपनी जीभ पूजा के बुर के छेद में डाल कर अन्दर का स्वाद चखने लगा और पूजा अनायास ही अपना कमर हिला कर अपनी बुर मुझे मस्ती में पिलाने लगी। मेरी जीभ पूजा के बुर में अन्दर बाहर हो रही थी और मैं अपनी जीभ पूजा की बुर में घुमा घुमा कर चाट रहा था और हाथ पूजा के मुलायम झाँटों से खेल रहे थे। बहुत देर तक यूं ही चलता रहा और फिर हम अलग हुए मैंने देखा पूजा की बुर नशे के कारण फूल कर कुप्पा हो रही थी, मेरा लण्ड भी फुंफकार मार रहा था और अब मैं पूजा के पूरे शरीर पर चुम्बन ले रहा था कभी कमर चूम रहा था, कभी चूची पी लेता, कभी उसकी झांटें चूम लेता और कभी उसका लाल लहसुन जीभ से मसल देता। ऐसा करने से पूजा सिसकारियाँ भर रही थी और वो भी मेरा लण्ड अपने मुख से निकाल कर कभी लाल सुपाड़े को अपनी जीभ से चाट लेती, कभी अपनी जीभ से पूरे लण्ड को जड़ तक चाटती कभी कभी मेरी भी झाँटों को अपने दाँतों से किटकिटा देती और कभी कभी मेरे दोनों अण्डों को चाटने लगती, और फिर सुपाड़े के छेद से वो निकलने वाला लसलसा पानी चाट कर निगल जाती।


पहली बार किसी लड़की ने मुझे इतना मजा दिया था, मैंने कहा- पूजा मजा मिल रहा है।
वो बोली- बता नहीं सकती, इतना मजा आ रहा है।
मैंने कहा- पूजा एक बात कहूं, बड़ी नसीब वाली हो, मैं सबकी बुर नहीं पीता, अब सोच लो तुम कैसी हो।
वो हंसी और बोली- तब तो मैं आज धन्य हुई और आपने पहली ही बार मेरी बुर ऐसा चूसा कि अब आपके बगैर मैं रह ही नहीं सकती। और फिर मेरे एक अण्डे पर जीभ चलाने लगी। मैं फिर से पूजा की बुर पीने लगा। वाकई गजब का स्वाद था पूजा की अनचुदी बुर का। बुर और लण्ड दोनों एकदम गीले हो चुके थे, अब मैं पूजा की बुर में अपनी एक अँगुली भी थोड़ा थोड़ा करके डालने लगा था, फिर मैं ढेर सारा वैसलीन पूजा की बुर के आसपास और उसकी बुर के छेद के अन्दर भर दिया और अपने लण्ड और सुपाड़े पर खूब सारा लगा डाला और पूजा को सीधा लिटा कर अपना सुपाड़ा उसके छेद पर लगा कर देखने लगा पर मेरे सुपाड़े के सामने 1/2 इन्च का छेद समझ में नहीं आ रहा था कैसे घुसाऊँ, पर पूजा ने मेरी मुश्किल खत्म कर दी, कहा- चिन्ता मत करिए, आप सोच रहे हैं मुझे दर्द होगा और चिल्लाऊंगी, मैं वादा करती हूँ जब तक जान है, चूं भी न करूँगी।
मुझे हिम्मत मिली और मैं अन्दाज बस उसके छेद पर रख कर हल्के से दबाव देने लगा। पूजा अकड़ने
लगी और सुपाड़ा धीरे धीरे पूजा के बुर में आगे बढ़ चला, किसी तरह से सुपाड़ा बुर के अन्दर चला गया, पूजा पसीने से लथपथ हो गई पर वादे के मुताबिक आवाज नहीं निकाली, आँख से आँसू छ्लक गये।
मैं पूजा की तकलीफ भी नहीं देख पा रहा था, बोला- पूजा, निकाल लूँ?
उसने कहा- नहीं, यह दर्द एक न एक दिन तो झेलना ही है, तो आज ही सही।
मैंने सोचा- वाह री लड़की ! सिर्फ मेरे लिए, मेरी खुशी के लिए इतना बलिदान !
मैं उसी पोजीशन में सिर्फ सुपाड़े को ही आगे पीछे करीब 5 मिनट तक करता रहा। अब पूजा कि बुर थोड़ी ढीली हो चुकी थी और मैंने थोड़ा सा और दबाव लण्ड पर बनाया और लण्ड 1/2 इन्च और आगे बुर में खिसक गया।
पूजा छ्टपटा उठी, पर इस बार भी मुख से आवाज न आने दी। मैं फिर उसी तरह कुछ देर रुक कर उतना ही घुसा लण्ड आगे पीछे कर जगह बनाने लगा। जब फिर बुर थोड़ी ढीली हुई तो और थोड़ा सा धक्का दिया और अबकी बार एकाएक लण्ड से बुर के अन्दर चुभ्भ से कुछ फूटा और पूजा के मुख से हल्की सी चीख निकल ही गई और बुर से लाल गन्दा पानी आ गया.
मैं समझ गया कि पूजा की झिल्ली थी जो फट गई और लन्ड भी 4 इन्च अन्दर हो चुका था, मैं उसी पर आगे-पीछे करने लगा और कपड़ा लेकर पूजा की बुर भी साफ करने लगा।
कुछ देर बाद पूजा ने कहा- मेरी बुर में चुनचुनाहट सी हो रही है।
मैं जान गया कि पूजाअब मजा पायेगी, और मैंने लण्ड पर फिर दबाव बढ़ा दिया, अब लण्ड 2 इन्च और अन्दर गया। ऐसा लग रहा था जैसे साँप बिल्ली निगल रहा हो, पूजा काफी बहादुरी के साथ पीड़ा सह रही थी। थोड़ी देर बाद पूजा ने हल्के से चूतड़ उठाए, मैंने उसी समय लण्ड पर और दबाव बना दिया और बचा हुआ लण्ड घच्च से उसकी बुर में समा गया। अब उसकी दबी दबी चीख निकल ही पड़ी, और कहने लगी- निकाल लीजिए ऐसे लग रहा है जैसे चाकू से किसी ने अन्दर छील दिया हो, बहुत जलन सी हो रही है।
मैंने कहा- अब चिन्ता मत करो पूजा, अब तो पूरा लण्ड तुम्हारी बुर में जा चुका है।
वो चौंक सी गई और बोली- सच? मुझे तो यकीन ही नहीं होता कि इतना मोटा और लम्बा लण्ड मैं निगल गई, मुझे देखना है।
मैंने भी उसे अपने हाथों से उठा कर अपने लण्ड पर बैठा लिया और उसने नीचे झाँक कर देखा तो काफी खुश हुई और बोली- आखिर मैं अपनी खुशी पा ही गई।
फिर मैंने कहा- पूजा, अब दो तीन दिन तक जब मैं तुम्हें चोदूँगा तो तुम्हें जलन सी होगी पर फिर गजब का मजा आएगा।
वो बोली- अरे, अब चाहे जो हो चोदिए !
वो काफी खुश थी और मैंने धीरे से लण्ड ऊपर खींचा और फिर धीरे धीरे ही अन्दर ले गय। ऐसा कई बार किया कुछ देर बाद ही पूजा की बुर ढीली होने लगी और जैसे जैसे पूजा की बुर ढीली हो रही थी, मेरे झटके भी तेज हो रहे थे पर जब भी लण्ड अपनी स्पीड में अन्दर जाता, पूजा सिकुड़ जाती। कुछ देर बाद ही पूजा चूतड़ हिला हिला कर लण्ड निगलने लगी और बड़बड़ाने लगी- आह जान ! चोदो ! कितना मजा है चुदाई में आज पता चला। मेरी छोटी सी बुर कितना मोटा लौड़ा निगल गई, चोदो आह...स...स...स...स...मजा आ र...अ...आ...ह मजा आ...र...हा है।
और मैंने अब झटके तेज कर दिए और बुर फक फक पुक सक सक फक फक की आवाज के साथ चुद रही थी और मैं भी काफी उत्तेजित होकर कह रहा था- आह पूजा ऊं...ऊं...आज चोदने का जो तुमने मुझे मजा दिया है कभी नहीं पाया था। स... सी... सी... आह्ह... आह... पूजा गजब !
और लण्ड बुर की चारों तरफ की दीवारों पर रगड़ करते हुए सुक सुक गच गच सुक सुक हच ह्च करते हुए मस्ती में नई बुर का आनन्द ले रहा था। और पूजा की बुर भी इतने अच्छे लन्ड का स्वाद ले रही थी, पूजा अपने पूरे जोश में थी और खुद ही अपना चुतड़ झकझोड़ रही थी। अब मैं जल्दी से पूजा की बुर में लण्ड डाले ही डाले उलट कर नीचे हो गया और पूजा ऊपर और अब पूजा मुझे चोद रही थी और इतनी तेजी से लन्ड पर कूद रही थी मानो लन्ड के साथ साथ मेरे गोलों को भी बुर में घुसा लेगी और काफी हलचल मुख से मचा रही थी। आह...स...स...स...स...मअम...अ...म...म...म्म्म्म...म्म... की आवाज भी निकाल रही थी, और मैं उसकी चूची चुभला चुभला कर पी रहा था, पूजा अब इतनी ज्यादा स्पीड बढ़ा चुकी थी मानों मेरा लण्ड ही तोड़ कर रख देगी और फिर बोली- अरे… ऽआह यह क्या हो रहा है......मैं स्स्स्स......जब तक वो समझ पाती तब तक झड़ गई और मैं भी रूक नहीं पा रहा था। तुरन्त ही लन्ड बुर से बाहर खींचा और बारी बारी पूजा की दोनों चूचियों पर अपना सफेद पानी उलट दिया।
उसके बाद रेणुका और पूजा को रोज चोदता रहा, लेकिन सच मेरा जीवन धन्य हो गया जो पूजा को चोदने का अवसर मिला।
और पूजा कहती है- मैं भी धन्य हुई जो आपने मुझे जीवन का असली सुख दिया। उसके बाद पूजा की खूबसूरती में और निखार आ गया और वो तन्दरूस्त भी हो गई।
और एक दिन चिन्ता युक्त होकर पूजा ने कहा- मेरी बुर की झिल्ली फट जाने से कहीं शादी के बाद पति से नजरतो नहीं चुरानी पड़ेगी? मैंने उसे समझाया- पूजा, मैं सेक्सोलाजी का ज्ञाता हूँ, आज कल झिल्ली साइकिल चलाने से, खेलने से, दौड़ने से, कई तरह से फट ही जाती है और हाँ ऐसा कभी मत करना कि मान लो मैं न रहूँ या तुम कहीं और चली जाओ तो किसी से भी चुदवा लो, मैं बहुत सम्भाल कर चोदता हूँ तुम्हारी बुर, सब ऐसा नहीं करते। मजा लिया एक तरफ़ हुए। कितना भी मन करे, हाथ से काम भले ही चला लेना पर और किसी से रिश्ता मत बनाना। इससे दो फ़ायदे होंगे, तुम्हें कभी कोई तुम्हें गलत नहीं समझेगा और बदनाम भी नहीं होगी। और रही बात पति कि तो शादी के पहले करीब 3-4 महीने पहले से ही सेक्स मत करना, फिर बुर टाइट हो जाएगी।
पूजा मेरी बात से सन्तुष्ट थी क्योंकि वो भी यही सब किसी पत्रिका में पढ़ चुकी थी।

The End
 
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जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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माँ - बेटियों ने एक दुसरे के सामने मुझे चुदवाया
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भाग ०१
मेरा नाम गबरू है. मेरी उम्र लगभग 45 वर्ष की है. यूँ तो मै एक टैक्सी ड्राइवर हूँ लेकिन मै रंडियों का दलाल भी हूँ. मैंने अपने संपर्क से कई बेरोजगार लड़कियों को जिस्म फरोशी के धंधे में उतारा. मैंने कभी भी किसी लड़की को जबरदस्ती इस धंधे में आने को मजबूर नहीं किया. मैंने सिर्फ उन लड़कियों को कमाने का एक जरिया दिखाया एवं सुविधाएं दिलवाईं जिन के पास खाने के भी लाले थे. मै भी उन लड़कियों को बारी बारी से चोदता हूँ. मेरे लिए मेरी सभी लड़कियों का जिस्म फ्री में उपलब्द्ध रहता है. क्यों की मैं ही उन्हें नए नए क्लाइंट खोज के ला कर देता हूँ. टैक्सी की ड्राइवरी से मुझे नए ग्राहक खोजने में ज्यादा परेशानी नही होती है.

रागीनी इन्ही मजबूर लड़कियों में एक थी. जिसकी उम्र सिर्फ 19 साल की है जो अब पेशेवर रंडी बन चुकी थी. वो तीन साल पहले इस धंधे में मेरे द्वारा ही लायी गयी थी. हालांकि वो मुझे अंकल कहती है लेकिन मै भी उसके जिस्म का भोग उठाता हूँ. मुझे उसे चोदने में काफी आनंद आता था . अचानक एक दिन उसके गाँव से उसकी मौसी का फ़ोन आया कि उसके पति (यानि रागिनी के मौसा) का देहांत हो गया है. और वो लोग काफी मुश्किल में हैं. वो भी अपनी बेटी को रागिनी के साथ उसके धंधे में देना चाहती है ताकि घर का खर्च चल सके. रागिनी ने मुझे सारी बातें बतायी. रागिनी ने अपने धंधे के बारे में अपने मौसी को काफी पहले ही बता दिया था जब दो साल पहले उसकी मौसी अपने पति का इलाज करवाने रागिनी के यहाँ आयी थी.

रागिनी ने अपनी मौसी की समस्या के बारे में मुझे बताया और कहा कि मौसी भी अपनी बेटी को रंडीबाजी के धंधे में उतारना चाहती है. मै झट से उसे अपने गाँव जा कर उस लड़की को लेते आने कहा.
रागिनी ने कहा - गबरू अंकल, आप भी चलिए ना मेरे साथ. एकदम मस्त जगह है मेरा गाँव . पहाड़ों पर है. अगर आप मेरे साथ चलेंगे तो हम दोनो का हनीमून भी हो जाएगा .
मैंने कहा - हाँ क्यों नहीं.

और हम दोनों ने उसी शाम रागिनी के अल्मोड़ा के लिए बस पकड़ ली अगली सुबह करीब 9 बजे हम दोनों अल्मोड़ा पहुँच गए. वहीँ बस-स्टौप पर हीं फ़्रेश हो कर हम दोनों ने वहीं नास्ता किया और फ़िर करीब दो घन्टे हमारे पास थे, क्योंकि उसकी गाँव जाने वाली बस करीब 1 बजे खुलती। हम दोनों पास के एक पार्क में चले गए। रागिनी ने अपनी सब आपबीती बताई। उसकी मौसी बहुत गरीब हैं, और मौसा मजदूरी करते थे। उनकी मौत के बाद परिवार दाने-दाने का मोहताज है। रागिनी कभी-कभार पैसा मनी-आर्डर कर देती थी। अब मौसी ने उसको अपनी मदद और सलाह के लिए बुलाया था। मौसी की तीन बेटियाँ थीं - 13, 15 और 17 साल की। मौसी गाँव के चौधरी के घर काम करती थी तो रोटी का जुगार हो जाता था। चौधरी उसकी मौसी को कभी-कभार साथ में सुलाता भी था। उसके मौसा भी उसके खेत में हीं काम करते थे। यह सब बहुत दिन से चल रहा था। मौसा के मरने के बाद चौधरी अब उसकी मौसी के घर पर भी आ कर रात गुजारने लगा था. चौधरी के अलावे उसका मुंशी भी उसकी मौसी के यहाँ रात गुजारने आ जाता था और उसकी जिस्म का मज़ा लेता था. अब चौधरी रागिनी की मौसी पर दवाब बना रहा था कि वो बड़ी बेटी रीना को उसके साथ सुलावे तभी वो उनको काम पर रखेगा। मौसी नहीं चाहती थी कि उनकी बेटी उसी से चुदे जो उसकी माँ भी चोदा हो, और कोई फायदा भी ना हो. सो वो रागिनी को बुलाई थी कि वो उसको साथ ले जा कर पूरी तरह से रंडी के काम पर लगा दे जिससे कमाई होने लगे।

मैं अब पहली बार रागिनी से उसके घर के बारे में पूछा तो वो बोली, "अब तो सिर्फ़ मौसी हीं हैं. छः महिने हुए माँ कैंसर से मर गई। मेरे बाप ने मुझे और उनको पहले हीं निकाल दिया था, क्योंकि माँ की बीमारी लाईलाज थी और उसमें वो पैसा नहीं खर्च करना चाहते थे। मेरे रिश्तेदारों ने हम दोनों से कोई खास संपर्क नहीं रखा, और मेरी माँ भी यहीं अल्मोड़ा में हीं मरी।" आज पहली बार रागिनी के बारे में जान कर मुझे सच में दुख हुआ। मेरे चेहरे से रागिनी को भी मेरे दुख का आभास हुआ सो वो मूड बदलने के लिए बोली, "अब छोड़िए भी यह सब अंकल, और बताईए, मेरे साथ हनीमून आज कैसे मनाईएगा?"

मैंने भी अपना मूड बदला, "अब हनीमून तो मुझे एक हीं तरह से मनाने आता है, लन्ड को बूर में पेल कर हिला हिला कर लड़की चोद दी, हो गया अपना हनीमून।"

रागिनी बोली, "अंकल, आप एक बार मेरी मौसी को चोद कर उनको कुछ पैसे दे दीजिए न। चौधरी तो फ़्री में उनको चोदता रहा है।"

मैं आश्चर्य से उसको देखा, "तुम्हें पता है कि तुम क्या कह रही हो? जवान रीना को क्यों न चोदूँ जो उसकी बुढ़िया माँ को चोदूँ?"

रागिनी हँसी, "पक्के हरामी हैं आप अंकल सच में...अरे रीना तो साथ में चल रही है। मौसी वैसी नहीं है जैसी आप सोंच रहे हैं। 35 साल से भी कम उमर होगी। 16 साल की उमर में तो वो माँ बन गई थी। खुब छरहरे बदन की है, आपको पसन्द आएगी। मैंने उनको समझा दिया है कि मैं अपने अंकल को बुला रही हूँ, अगर खुब अच्छे से उनका खातिर हुआ तो वो रीना को जल्दी नौकरी लगवा देंगे।"

मैंने भी सोचा कि क्या हर्ज है, आराम से यहाँ माँ चोद लेता हूँ, फ़िर लौट कर बेटी की सील तोड़ूँगा। और फ़िर इस माँ को चोदने का एक और फ़ायदा था कि यहाँ एक के बाद एक करके तीन सीलबन्द बूर अगर भगवान ने मदद की तो मुझे खुलने को मिल जाने वाली थी। मैंने भी सोंच लिया कि इस मौसी को तो ऐसे चोदना है कि वो आज तक की सारी चुदाई भूल कर बस मेरी चुदाई हीं याद रखे।

दिन में हल्का से एक बार और नास्ता जैसा हीं खा कर हम दोनों बस में बैठ कर गाँव की तरफ़ चल दिए।करीब 6.30 बजे हम जब रागिनी के मौसी के घर पहुँचे तो पहाड़ों में रात उतरने लगी थी। हल्के अंधेरे और लालटेन की रौशनी में हमारा परिचय हुआ। रागिनी ने मुझे अपनी मौसी बिन्दा और उनकी तीनों बेटियों रीना, रूबी और रीता से मिलाया। दो कमरे का छॊटा सा घर था वो। मेरे लिए चिकेन और रोटी बना हुआ था। कुछ देर इधर-उधर की बातों के बाद हमने खाना खाया।

रागिनी ने मौसी से कहा, "आज मैं अंकल के साथ हीं सो जाती हूँ, तुम लोग दूसरे कमरे में सो जाना।"

सबसे छॊटी बेटी रीता ने कहा, "हम आपके पैर दबा दें अंकल?"
मौसी बोली, "नहीं बेटी, दीदी है न... वो अंकल को आराम से सुला देगी। तुम चिन्ता मत करो। ले जाओ रागिनी अपने अंकल को...आराम दो उनको. थके होंगे।"

रागिनी मेरे साथ एक कमरे में चल दी। अन्दर जाते ही हम दोनों निवस्त्र हो गए. उस रात रागिनी ने मुझे कुछ करने नहीं दिया। आराम से मुझे लिटा दी और खुद हीं मेरा लन्ड चूसी, उसको खड़ा की। फ़िर मेरे उपर चढ़ कर अपने चूत में मेरा लन्ड अपने हाथ से पकड़ कर घुसाई और फ़िर उपर से खुब हुमच हुमच कर चोदी। जल्दी हीं वो भी गर्म हो गई और आह आह आह, उउह उउह उउउह करने लगी। बिना इस चिन्ता के कि बाहर अभी सब जगे हुए हैं और उसके मुँह से निकल रही आवाज वो सब सुन रहे होंगे, उसने मेरे लन्ड पर अपनी चूत को खुव नचाया, इतना कि अब तो फ़च फ़च फ़च...की आवाज होने लगी थी। वो हाँफ़ रही थी...आआह आआह आआह और मैं भी हूम्म्म हूम्म्म्म हूऊम कर रहा था। करीब 15 मिनट की हचहच फ़चफ़च के बाद मेरे भीतर का लावा छूटा...आआआअह्ह्ह और मैंने अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। रागिनी ने भी उसी समय अपना पानी छोड़ा। और फ़िर अपने सलवार से अपना चूत पोछते हुए मेरे ऊपर से उतर गई। मुझे प्यास लग गयी थी. मैंने रागिनी को पानी लाने को कहा . उसने कमरे से ही अपनी मौसी को पानी के लिए आवाज़ लगाई. और अपने आप को एवं मुझे एक चादर से ढँक लिया. उसकी मौसी बिंदा तुरंत ही पानी ले कर आयी और नजरें झुकाए खुकाए हम दोनों की अर्द्धनंगी हालत को देखते हुए पानी का जग टेबल पर रख चली गयी. मैंने तीन गिलास पानी पीया. मैं सच में थक गया था, सो करवट बदल कर सो गया।
 
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जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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भाग ०२
अगले दिन खाना खाने के बाद करीब 12 बजे रागिनी और उसकी मौसेरी बहनें मुझे आस-पास की पहाड़ी पर घुमाने ले गई। हिमालय अपने सुन्दर लहजे में अपना सारा सौन्दर्य बिखेरे था। एकांत देख कर रागिनी ने मुझे बता दिया कि आज रात में बिन्दा मेरे साथ सोएगी, मुझे उसको चोद कर सब सेट कर लेना है, वैसे वो सब पहले से सेट कर चुकी थी। करीब 5 बजे हम घर लौटे, तो उसकी मौसी बिन्दा हम सब के लिए खाना बना चुकी थी। खाना-वाना खाने के बाद हम सब पास में बैठ कर इधर-उधर की गप्पें करने लगे। पहाड़ी गाँव में लोग जल्दी सो जाते थे सो करीब आठ बजे तक पूरा सन्नाटा हो गया, तो रागिनी बोली, "मौसी, अंकल थक गए होंगे सो तुम उनके पैरों में थोड़ा तेल मालिश कर देना, मैं रीना के साथ उसके बिस्तर पर सो जाऊँगी।" इशारा साफ़ था कि आज मुझे बिन्दा को चोदना था।

बिन्दा मुझे देख कर मुस्कुराई और तेल की डिब्बी ले कर मुझे कमरे में चलने का इशारा की। पाँच चूतवालियों से घिरा मैं अपने किस्मत को सराहता हुआ बिन्दा के पीछे चल दिया और फ़िर कमरे के किवाड़ को खुला ही रहने दिया तथा सिर्फ उसके परदे फैला दिए. उस कमरे के बरामदे पर ही चारपायी पर उसकी सभी बेटियां और रागिनी लेटी हुई थी. बिन्दा तब तक अपने बदन से साड़ी उतार चुकी थी और भूरे रंग के साया और सफ़ेद ब्लाऊज में मेरा इंतजार कर रही थी। मैं उसे देख कर मुस्कुराया और अपने कपड़े खोलने लगा। वो मुझे देख रही थी और मैं अपने सब कपड़े उतार कर पूरा नंगा हो गया। मेरा लन्ड अभी ढ़ीला था पर अभी भी उसका आकार करीब 6" था। बिन्दा की नजर मेरे लटके हुए लन्ड पर अटकी हुई थी।

मैंने उसके चेहरे को देखते हुए, अपने हाथ से अपना लन्ड हिलाते हुए जोर से कहा, "फ़िक्र मत करो, अभी तैयार हो जाएगा...आओ चूसो इसको।"

मेरे हिलाने से मेरे लन्ड में तनाव आना शुरु हो गया था और मेरा सुपाड़ा अब अपनी झलक दिखाने लगा था। बिन्दा ने आगे बढ़ कर बिना किसी हिचक या शर्मिंदगी के मेरे लन्ड को अपने हाथों में पकड़ा और सहलाई। मादा के हाथ में जादू होता है, सो मेरा लन्ड बिन्दा के हाथ के स्पर्श से हीं अपना आकार ले लिया।बिन्दा ने मुझे बिस्तर पर लिटा कर लन्ड अपने मुँह में भर लिया।
5-8 बार अंदर-बाहर करके बिन्दा बोली- आप सीधा आराम से लेटिए, मैं तेल लगा देती हूँ।

मैंने उसे बाहों में भर कर अपने ऊपर खींच लिया और बोला, "कोई परेशानी की बात नहीं है। मेरी सब थकान खत्म हो जाएगी जब तुम्हारी जैसी मस्त माल की चूत मेरे लन्ड की मालिश करेगी।" मुझे पता था की हम दोनों की एक - एक आवाज खुले किवाड़ के द्वारा उन बेटियों के काम में स्पष्ट सुनाई पड़ रहे होंगे.

मैंने बिन्दा के होठों से अपने होठ सटा दिए और वो भी चुमने में मुझे सहयोग करने लगी। मैंने उसके ब्लाऊज और पेटीकोट खोल दिए तो उसने खुद से अपने को उन कपड़ों से आजाद कर लिया।

मैंने बिन्दा को अपने से थोड़ा अलग करते हुए कहा, "देखूँ तो कैसी दिखती है मेरी जान..."।

बिन्दा मेरे इस अंदाज पर फ़िदा हो गई, उसके गाल लाल हो गए। बिन्दा अपने उमर से करीब 5 साल छोटी दिख रही थी दुबली होने की वजह से। वैसे भी उसकी उमर 35 के करीब थी। रंग साफ़ था, चुचियाँ थोड़ी लटकी थीं, पर साईज में छॊटी होने की वजह से मस्त दिख रही थीं। सपाट पेट, गहरी नाभी और उसके नीचे कालें घने झाँटों से घिरी चूत की गुलाबी फ़ाँक। काँख में भी उसको खुब सारे बाल थे। मैंने धीरे-धीरे उसके पूरे बदन पर हाथ घुमाने शुरु किए और उसमें गर्मी आने लगी। जल्द हीं उसका बदन चुदास से भर गया और तब मैंने उसकी चूचियों और चूत पर हमला बोल दिया, अपने हाथों और मुँह से। उसकी सिसकी पूरे कमरे में गुजने लगी। करीब आधा घन्टा में वो बेदम हो गई तो मैंने उसको सीधा लिटा कर उसके पैरों को फ़ैला कर ऊपर उठा दिया और बिना कोई भूमिका बाँधे, एक हीं धक्के में अपने लन्ड को पूरा उसकी चूत में घुसा दिया।
मुझे पता था कि मेरा लन्ड उसकी झाँटॊं को भी भीतर दबा रहा है। मैं चाहता भी यही था, सो मैंने लन्ड को कुछ इस तरह से आगे-पीछे करके घुसाया कि ज्यादा से ज्यादा झाँट मेरे लन्ड से दबे और वो झाँटों के खींचने से दर्द महसूस करे।
वही हुआ भी...बिन्दा तो चीख हीं उठी थी, "ओह्ह्ह्ह्ह्ह मेरा बाल खींच रहा है साहब जी"।

मैंने भी कहा, "तो मैं क्या करूँ, तुम्हारा झाँट हीं ऐसा शानदार है कि मत पूछो,"
वो अब अपना हाथ अपनी चुद रही चूत के आस-पास घुमा कर अपने झाँटों को मेरे लन्ड से थोड़ा दूर की, और फ़िर बोली, "हाँ अब चोदिए, खुब चोदिए मुझे.....आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह"।

मैंने अब उसकी जबर्दस्त चुदाई शुरु कर दी थी। वो भी गाँड़ उछाल-उछाल कर ताल मिला रही थी और मैं तो उसकी चुचियों को जोर-जोर से मसल मसल कर चुदाई किए जा रहा था। ये सोच कर की बाहर उसकी बेटियाँ अपनी माँ की चुदाई की आवाज सुन रही हैं मेरा लन्ड और टनटना गया था और जोरदार धक्के लगा रहा था। वो झड़ गई थी, थोड़ा शान्त हुई थी, पर मैं कहाँ रुकने वाला था। मैंने उसको पलटा और जब तक वो कुछ समझे मैंने पीछे से उसके चूत में लन्ड पेल दिया। वो थक कर निढ़ाल हो गई थी तो मैं झड़ा उसकी चूत के भीतर। पर मेरा लन्ड कब एक बार झड़ने से शान्त हुआ है जो आज होता।

मैंने बिन्दा से कहा, कि वो अब आराम से पोजीशन ले ले, मैं उसकी गाँड़ मारुँगा। वो शाय्द थकान की वजह से ऐसा चाह नहीं रही थी, पर मैंने उसको तकिया पकड़ा दिया तो वो समझ गई में नहीं रुकने वाला। सो वो भी तकिये पर सिर टिका कर अपने घुटने थोड़ा फ़ैला हर सही से बिस्तर पर पलट गई। मैं उसके पीछे थोड़ा खड़ा हो गया और फ़िर उसकी गाँड़ पर ढ़ेर सारा थुक लगा कर अपना लन्ड छेद से भिड़ा दिया। लेकिन वो जोर से कराह उठी.

बोली - आह..रुकिए साहब जी आपका लंड बहुत मोटा है. मेरी गांड में वेसलिन लगा दीजिये तब मेरी गांड मारिये.
मैंने कहा - कहाँ है वेसलिन?

उसने आलमारी में से वेसलिन निकाल मुझे दिया. मैंने ढेर साड़ी वेसलिन उसके गांड के छेद में डाला फिर अपना लंड उसके गांड में घुसाया. थोड़ी मेहनत करनी पड़ी, पर वो दर्द सह कर अपने गाँड़ में मेरा लन्ड घुसवा ली। मैं भी मस्त हो कर अब उसकी गाँड़ मारने लगा। शुरु में दर्द की वजह से वो कराह रही थी, पर जल्द हीं उसको भी मजा मिलने लगा और फ़िर आह्ह्ह्ह आअह्ह आअह्ह ऊऊह्ह्ह्ह उउउम्म्म जैसे सेक्सी बोल कमरे में गुँजने लगे। इस बार थोड़ा थकान मुझे भी लगने लगा था, शायद दिन भर का घुमना अब हावी हो रहा था, सो मैं भी तेजी में धक्के पर धक्के लगाए और जल्द हीं बिन्दा की गाँड़ अपने लन्ड के रस से भर दिया। वो तो कब की थक कर निढ़ाल थी। अब हम दोनों में से कोई हिलने की हालत में नहीं था सो हम दोनों ऐसे हीं नंगे सो गए। बिन्दा ने तो अपने चूत और गाँड़ को साफ़ करना भी मुनासिब नहीं समझा।
 
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जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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भाग ०३
अगली सुबह मैं जरा देर से तब उठा जब बिंदा मुझे चाय देने आयी. उस समय तक मै नंगा ही था. मैंने तौलिये को अपने कमर पर लपेटा .तब तक सब चाय पी चुके थे। मैं जब बाहर आया तो देखा कि खुब साफ़ और तेज धूप निकली हुई है। पहाड़ों में वैसे भी धूप की चमक कुछ ज्यादा होती है। रागिनी और उसकी मौसी आंगन में बैठ कर सब्जी काट रहे थे, बड़ी रीना सामने चौके में कुछ कर रही थी। रूबी नहा चुकी थी और वो धूले कपड़ों को सुखने के लिए तार पर डाल रही थी। आंगन के एक कोने में सबसे छोटी बहन रीता नहा रही थी। सब कपड़े उतार कर, बस एक जंघिया था उसके बदन पर। मुझे लग गया कि घर में कोई मर्द तो रहता नहीं था, सो इन्हें इस तरह खुली धूप में नहाने की आदत सी थी। मुश्किल यह थी कि मैं जोरों से पेशाब महसूस कर रहा था, और इसके लिए मुझे उसी तरह जाना होता जिधर रीता नहा रही थी। वो एक तरह से बाथरूम मे सामने हीं बैठी थी। तभी मौसी चौके की तरफ़ गई तो मैंने अपनी परेशानी रागिनी को बताई।
उसने कहा, "तो कोई बात नहीं, आप चले जाइए बाथरूम में..."।मैं थोड़ा हिचक कर बोला-"पर रीता?"
अब वो मुस्कुराते हुए बोली, "आपको कब से लड़की से लज लगने लगा" और उसने आँख मार दी। मेरे लिए वैसे भी पेशाब को रोकना मुश्किल हो रहा था सो निकल गया। एक नजर रीता के बदन पर डाली और बाथरूम में पेशाब करने लगा। पेशाब करने के बाद मैं बाहर जहाँ रीता नहा रही थी वहाँ पहुँच गया, अपना हाथ-मुँह, चेहरा धोने। रीता भी समझ गई कि मैं हाथ-मुँह धोना चाह रहा हूँ। उसने बाल्टी-मग मेरी तरफ़ बढ़ा दिया और खुद अपने हाथों से अपना बदन रगड़ने लगी। अपना चेहरा और हाथ-मुँह धोते हुए अब मैं रीता को घुरने लगा। खुब गोरी झक्क सफ़ेद चमड़ी, हल्का उभार ले रही छाती जिसका फ़ूला हुआ भाग मोटे तौर पर अभी भी चुचक हीं था, अभी रीता की छाती को चूची बनने में समय लगना था। पतली-पतली चिकनी टाँग पर सुनहरे रोंएँ। मेरी नजर बरबस हीं उसके टाँगों के बीच चली गई, पर वहाँ तो एक बैंगनी रंग का जांघिया था, ब्लूमर की तरह का जो असल चीज के साथ-साथ कुछ ज्यादा क्षेत्र को ढ़ंके हुए था। मेरे दिमाग में आया, "काश इस लड़की ने अभी जी-स्ट्रींग पहनी होती..." और तभी रीता अपने दोनों बाहों को उपर करके अपने गले के पीछे के हिस्से को रगड़ने लगी। इस तरह से उसकी छाती थोड़ी उपर खींच गई और तब मुझे लगा कि हाँ यह भी एक लड़की है, बच्ची नहीं रही अब। इस तरह से हाथ ऊपर करने के बाद उसकी छाती थोड़ा फ़ूली और अपने आकार से बताने लगी कि अब वो चूची बनने लगी है। मेरी नजर उसकी काँख पर गड़ गई। वहाँ के रोंएँ अब बाल बनने लगे थे। बाएँ काँख में तो फ़िर भी कुछ रोंआँ हीं था, बस चार-पाँच हीं अभी काले बाल बने थे, पर दाहिने काँख में लगभग सब रोआँ काला बाल बन चुका था। अब वहाँ काला बालों का एक गुच्छा बन गया था, पर अभी उसको ठीक से उनको मुरना और हल्का घुंघराला होना बाकी था, जैसा कि आम तौर पर जवान लड़कियों में होता है। रीता के काँख में निकले ऐसे बालों को देख कर मैं कल्पना करने लगा कि उसकी बूर पर किस तरह का और कैसा बाल होगा। अब तक वो भी अपना बदन रगड़ चुकी थी सो उसको बाल्टी कि जरूरत थी, और मेरे लिए भी अब वहाँ रूकने का कोई बहाना नहीं था।अब तक रीना दोबारा चाय बना चुकी थी, और दुबारा से सब लोग चाय ले कर बीच आंगन में बिछे चटाईओं पर बैठ गए थे।
रागिनी ने अब पूछा, "कब तक आपको छुट्टी है?"
मैंने पूछा, "क्यों...?"
तो वो बोली, "असल में रीना को तो हमलोग के साथ हीं चलना है तो उसको अपना सामान भी ठीक करना होगा न...दो-तीन दिन तो अभी है कि नहीं?"

मैंने कहा, "अभी तीसरा दिन है, और मैंने एक सप्ताह की छुट्टी ली हुई है, सो अभी तो समय है।"
अब बिन्दा (रागिनी की मौसी) बोली, "रीना कर तो लेगी यह सब तुम्हारा वाला काम....कहीं बेचारी को परेशानी तो न होगी?" रागिनी ने उनको भरोसा दिलाया, "तुम फ़िक्र मत करो मौसी, जब पैसा जिलने लगेगा तो सब करने लगेगी। मैं भी शुरु-शुरु में हिचकी थी। पहले एक-दो बार तो बहुत खराब लगा फ़िर अंकल से भेंट हुई और जिस प्यार और इज्जत के साथ अंकल ने मेरे साथ सेक्स किया कि फ़िर सारा डर चला गया और उसके बाद तो मैं इसी में रम गई। अंकल का साथ मुझे बहुत बल देता है, लगता है कि इस नए जगह में भी कोई अपना है। कल तुमने भी देखा न अंकल का सेक्स का अंदाज़? कोई तकलीफ हुई क्या तुझे? "

बिंदा ने थोडा मुस्कुरा कर अपना सर निचे झुकाया और कहा - नहीं री. तेरे अंकल तो सच में बहुत प्यार से सेक्स करते हैं.

मुझे अपने पर रागिनी का ऐसा भरोसा जान कर अच्छा लगा और उस पर खुब सारा प्यार आया, मेरे मुँह से बरबस निकल गया, "तुम हो हीं इतनी प्यारी बच्ची...." और मैंने उसका हाथ पकड़ कर चुम लिया।

रागिनी ने अब एक नई बात कह दी - "मौसी मेरे ख्याल से रीना को आज रात में अंकल के साथ सो लेने दो। अंकल इतने प्यार से इसको भी करेंगे कि उसका सारा भय निकल जाएगा।"

मुझे इस बात की उम्मीद नहीं की थी। मैं अब बिन्दा के रीएक्शन के इंतजार में था। रीना पास बैठ कर सिर नीचे करके सब सुन रही थी।
बिन्दा थोड़ा सोच कर बोली, "कह तो तुम ठीक रही हो बेटा, पर यहाँ घर पर...फ़िर रीना की छोटी बहनें भी तो हैं घर में....इसीलिए मैं सोच रही थी कि अगर रीना तुम लोग के साथ चली जाती और फ़िर उसके साथ वहीं यह सब होता तो..."।

मुझे लगा कि ऐसा शानदार मौका हाथ से जा रहा है सो मैं अब बोला, "आप बेकार की बात सब सोच रही हो बिन्दा. मेरे हिसाब से रागिनी ठीक कह रही है, अगर रीना अपने घर पर अपने लोगों के बीच रहते हुए पहली बार यहीं चुद ले तो ज्यादा अच्छा होगा। अगर उसको बुरा लगा तो यहाँ आप तो हैं जिससे वह सब साफ़-साफ़ कह सकेगी, नहीं तो वहाँ जाने के बाद तो उसको बुरा लगे या अच्छा, उसको तो वहाँ चुदना हीं पड़ेगा।"

जब मैं यह सब कह रहा था तब तक रूबी और रीता भी वहीं आ गईं और इसी लिए जान बूझ कर मैंने चुदाई शब्द का प्रयोग अपने बात में किया था। रागिनी भी बोली, "हाँ मौसी अंकल बहुत सही बात कह रहे हैं, वहाँ जाने के बाद रीना की मर्जी तो खत्म हीं हो जाएगी। वैसे भी पिछले कई दिनों में रूबी और रीता को क्या समझ में नहीं आया होगा कि चौधरी और उसका मुंशी तेरे साथ रात रात भर कमरे में रह कर क्या करता है? एक एक आह की आवाज स्पष्ट सुनाई देती है बाहर में. क्यों रीई रूबी और गीता, क्या तुम नहीं जानती कि रात में मैं या तेरी माँ अंकल से साथ क्यों सोते हैं ?

रूबी शर्मा गई और हाँ में सर ऊपर नीचे हिलाया.

मैं बोला, "मेरे ख्याल से तो रात से बेहतर होगा कि रीना अभी हीं नहाने से पहले आधा-एक घन्टा मेरे साथ कमरे में चली चले, चुदाई कर के उसके बाद नहा धो ले...उसको भी अच्छा लगेगा। रात में अगर चुदेगी तो फ़िर सारी रात वैसे हीं सोना होगा।"

बिन्दा के चेहरे से लग गया कि अब वो कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है और सब कुछ रागिनी पर छोड़ दी है।
 
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