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Erotica Satisfaction of lust

IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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Satisfaction of lust
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जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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भाग 04
बिन्दा ने अपनी छोटी बेटी तो हल्के से झिड़का, "तू यहाँ बैठ कर क्या सुन रही है सब बात...जाओ जा कर सब के लिए एक बार फ़िर चाय बनाओ।"
रीता जाना नहीं चाहती थी सो मुँह बिचकाते हुए उठ गई।
मैंने उसको छेड़ दिया, "अरे थोड़े हीं दिन की बात है, तुम्हारा भी समय आएगा बेबी... तब जी भर कर चुदवाना। अभी चाय बना कर लाओ।"
वो अब शर्माते हुए वहाँ से खिसक ली। चलो अच्छा है दो-दो कप चाय मुझे ठीक से जगा देगा। साँढ़ जब जगेगा तभी तो बछिया को गाय बनाएगा।"
मेरी इस बात पर रागिनी ने व्यंग्य किया, "साँड़.....ठीक है पर बुढ़्ढ़ा साँड़" और खिल्खिला कर हँस दी।
मैंभी कहाँ चुकने वाला था सो बोला, "अरे तुमको क्या पता....नया-नया जवान साँढ़ सब तो बछिया की नई बूर देख कर हीं टनटना जाता है और पेलने लगता है, मेरे जैसा बुढ़्ढ़ा साँढ़ हीं न बछिया को भी मजा देगा। बाछिया की नई-नवेली चूत को सुँघेगा, चुमेगा, चुसेगा, चाटेगा, चुभलाएगा....इतना बछिया को गरम करेगा कि चूत अपने हीं पानी से गीली हो जाएगी, तब जा कर इस साँढ़ का लन्ड टनटनाएगा...."

अब रूबी बोल पोड़ी, "छी छी, कितना गन्दा बोल रहे हैं आप...अब चुप रहिए।"

मैंने उसके गाल सहला दिए और कहा, "अरे मेरी जान....यह सब तो घर पर बीवी को भी सुनना पड़ता है और तुम्हारी दीदी को तो रंडी बनने जाना हैं शहर। मैंने तो कुछ भी नहीं बोला है.....वहाँ तो लोग रंडी को कैसे पेलते हैं रागिनी से पूछो।"

रागिनी भी बोली, "हाँ मौसी, अब यह सब तो सुनने का आदत डालना होगा, और साथ में बोलना भी होगा"।

रीना का गाल लाल हुआ था, बोली, "मैं यह सब नहीं बोलुँगी..."।

मैंने उसकी चुची सहला दी वहीं सब के सामने, वो चौंक गई। मैं हँसते हुए बोला, "अभी चलो न भीतर एक बार जब लन्ड तुम्हारी बूर को चोदना शुरु करेगा तो अपने आप सब बोलने लगोगी, ऐसा बोलोगी कि तुम्हारे इस रूबी देवी जी का गाँड़ फ़ट जाएगा सब सुन कर।"

रीता अब चाय ले आई, तो मैंने कहा, "वैसे रूबी तुम भी चाहो तो चुदवा सकती हो...बच्ची तो अब रीता भी नहीं है। 14 साल की दो-तीन लड़की तो मैं हीं चोद चुका हूँ, और वो भी करीब-करीब इतने की हीं है।"

रीता सब सुन रही थी बोली, "अभी 14 नहीं पूरा हुआ है, करीब पाँच महीना बाकी है।"
मैं अब रंग में था, "ओए कोई बात नहीं एक बार जब झाँट हो गया तो फ़िर लड़की को चुदाने में कोई परेशानी नहीं होती। मैं तुम्हारे काँख में बाल देख चुका हूँ, सो झाँट तो पक्का निकल गया होगा अब तक तुम्हारी बूर पर..." रीता को लगा कि मैं उसकी बड़ाई कर रहा हूँ सो वो भी चट से बोली-"हाँ, हल्का-हल्का होने लगा है, पर दीदी सब की तरह नहीं है"।

बिन्दा ने उसको चुप रहने को कहा, तो मैंने उसको शह दी और कहा, "अरे बिन्दा जी, अब यह सब बोलने दीजिए। जितनी कम उमर में यह सब बोलना सीखेगी उतना हीं कम हिचक होगा वर्ना बड़ी हो जाने पर ऐसे बेशर्मों की तरह बोलना सीखना होता है। अभी देखा न रीना को, किस तरह बेलाग हो कर बोल दी कि मैं नहीं बोलुँगी ऐसे...।" सब हँसने लगे और रीना झेंप गई, तो मैंने कहा-"अभी चलो न बिस्तर पर रीना, उसके बाद तो तुम सब बोलोगी। ऐसा बेचैन करके रख दुँगा कि बार-बार चिल्ला कर कहना पड़ेगा मुझसे"।

उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया और मेरे तरह तिरछी नजर से देखते हुए पूछा-"क्या कहना पड़ेगा?"

मैंने उसको छेड़ा और लड़कियों की तरह आवाज पतली करके बोला, "आओ न, चोदो न मुझे....जल्दी से चोदो न मेरी चूत अपने लन्ड से"।

मेरे इस अभिनय पर सब लोग हँसने लगे। मैं अपने हाथ को लन्ड पर तौलिये के ऊपर से हीं फ़ेरने लगा था। लन्ड भी एक कुँआरी चूत की आस में ठनकना शुरु कर दिया था।मैंने वहीं सब के सामने अपना लन्ड बाहर निकाल लिया और उसकी आगे की चमड़ी पीछे करके लाल सुपाड़ा बहर निकाल कर उसको अपने अँगुठे से पोछा। मुझे पता था कि अब अगर मेरा अँगुठा सुँघा गया तो लन्ड की नशीली गन्ध से वस्ता होगा, सो मैंने अपने अँगुठे को रीना की नाक के पास ले गया-"सुँघ के देखो इसकी खुश्बू"।

मैं देख रहा था कि रागिनी के अलावे बाकी सब मेरे लन्ड को हीं देख रहे थे।

रीना हल्के से बिदकी-"छी: मैं नहीं सुँघुगी।"

रीता तड़ाक से बोली, "मुझे सुँघाईए न देखूँ कैसा महक है।"

मैंने अपना हाथ उसकी तरफ़ कर दिया, जबकि बिन्दा ने हँसते हुए मुझे लन्ड को ढ़्कने को कहा। मैं अब फ़िर से लन्ड को भीतर कर चुका था और रीता मेरे हाथ को सुँघी और बिना कुछ समझे बोली, "कहाँ कुछ खास लग रहा है...?"

अब रुबी भी बोली-"अरे सब ऐसे हीं बोल रहे हैं तुमको बेवकूफ़ बनाने के लिए और तू है कि बनते जा रही है।"

मैंने अब रूबी को लक्ष्य करके कहा, "सीधा लन्ड हीं सुँघना चाहोगी"।
वो जरा जानकार बनते हुए बोली-"आप, बस दीदी तक हीं रहिए....मेरी फ़िक्र मत कीजिए, मुझे इस सब बात में कोई दिल्चस्पी नहीं है।"

रीता तड़ से बोली-"पर मुझे तो इसमें खुब दिलचस्पी है...।

अब बिन्दा बोली, "ले जाइए न अब रीना को भीतर....बेकार देर हो रहा है।"

मैंने भी उठते हुए रूबी को कहा, "दिलचस्पी न हो तो भी चुदना तो होगा हीं, हर लड़की की चूत का यही होता है- आज चुदो या कल पर यह तय है।"

और मैंने खड़ा हो कर रीना को साथ आने का ईशारा किया। रीना थोड़ा हिचक रही थी, तो रागिनी ने उसको हिम्मत दी-"जाओ रीना डरो मत....अभी अंकल ने कहा न कि हर लड़की की यही किस्मत है कि वो जवान हो कर जरुर चुदेगी...सो बेहिचक जाओ। मुझे तो अनजान शहर में अकेले पहली बार मर्द के साथ सोना पड़ा था, तुम तो लक्की हो कि अपने हीं घर में अपने लोगों के बीच रहते हुए पहली बार चुदोगी.. जाओ उठो...।"
 
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जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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भाग 05
रीना को पास और कोई रास्ता तो था नहीं सो वो उठ गई और मैंने उसको बाहों में ले कर वहीं उसके होठ चुमने लगा। तब बिन्दा मुझे रोकी, "यहाँ नहीं, अलग ले जाइए....यहाँ सब के सामने उसको खराब लगेगा।"

मैंने हँसते हुए अब उसको बाहों में उठा लिया और कमरे की तरफ़ जाते हुए कहा, "पर इसको तो अब सब लाज-शर्म यहीं इसी घर में छोड़ कर जाना होगा मेरे साथ...अगर पैसा कमाना है तो..." और मैं उसको बिस्तर पर ले आया। इसके बाद मैंने रीना को प्यार से चुमना शुरु किया। वो अभी तक अकबकाई हुई सी थी। मैं उसको सहज करने की कोशिश में था।

मैंने उसको चुमते के साथ-साथ समझाना भी शुरु किया - "देखो रीना, तुम बिल्कुल भी परेशान न हो. मैं बहुत अच्छे से तुमको तैयार करने के बाद हीं चोदुँगा. तुम आराम से मेरे साथ सहयोग करो. अब जब घर पर हीं परमीशन मिल गई है तो मजे लो. मेरा इरादा तो था कि मैं तुमको शहर ले जाता फ़िर वहाँ सब कुछ दिखा समझा कर चोदता. पर यहाँ तो तुमको ब्लू-फ़िल्म भी नहीं दिखा सकता. फ़िर भी तुम आराम से सहयोग करो तो तुम्हारी जवानी खुद तुमको गाईड करती रहेगी.। लगतार पुचकारते हुए मैं उसको चुम रहा था।
रीना अब थोड़ा सहज होने लगी थी, सो धीमी आवाज में पूछी, "बहुत दर्द होगा न जब आप करेंगे मुझे?"

मैंने उसको समझाते हुए कहा, "ऐसा जरुरी नहीं है, अगर तुम खुब गीली हो जाओगी तो ज्यादा दर्द नहीं करेगा। वैसे भी जो भी दर्द होना है बस आज और अभी हीं पहली बार होगा, फ़िर उसके बाद तो सिर्फ़ मस्ती चढ़ेगी तुम पर. फ़िर खुब चुदाना।"

अब वो बोली, "और अगर बच्चा रह गया तो...?"

मैंने उसको दिलासा दिया, "नहीं रहेगा, अब सब का उपाय है....निश्चिंत हो कर चुदो अब..." और मैंने उसके कपड़े खोलने लगा।

मैं उसके बदन से उसकी कुर्ती उतारना चाह रहा था जब वो बोली, "इसको खोलना जरुरी है क्या.सिर्फ़ सलवार खोल कर नहीं हो जाएगा?"

मैंने मुस्कुरा कर जवाब दिया...अब शर्म छोड़ों और अपना बदन दिखाओ. एक जवान नंगी लड़की से ज्यादा सुन्दर चीज मर्दों के लिए और कुछ नहीं है दुनिया में" और मैंने उसकी कुर्ती उतार दी। एक सफ़ेद पुरानी ब्रा से दबी चुची अब मेरे सामने थी। मैंने ब्रा के ऊपर से हीं उन्हें दबाया और फ़िर जल्दी से उसको खोल कर चुचियों को आजाद कर दिया। छोटे से गोरे चुचियों पर गुलाबी निप्पल गजब की दिख रही थी।

मैंने कहा, "बहुत सुन्दर चुची है तुम्हारी मेरी जान..." और मैं उसको चुसने में लग गया।
जल्द हीं उसने अपने पहलू बदले ताकि मैं बेहतर तरीके से उसकी चूची को चूस सकूँ। मैं समझ गया कि अब लौंडिया भी जवान होने लगी है।इसके बाद मैं उसकी सलवार की डोरी को खींचा। वो थोड़ा शर्माई फ़िर मुस्कुराई, जो मेरे लिए अच्छा शगुन था। लड़की अगर पहली बार चुदाते समय ऐसे सेक्सी मुस्कान दे तो मेरा जोश दूना हो जाता है। मैंने उसको पैरों से उतार दिया और उसने भी अपने कमर को ऊपर करके फ़िर टाँगें उठा कर इसमें सहयोग किया। मैंने अब उसकी जाँघो को खोला। पतली सुन्दर अनचुदी चूत की गुलाबी फ़ाँक मस्त दिख रही थी। उसके इर्द-गिर्द काले, घने, लगभग सीधे-सीधे बाल थे जो मस्त दिख रहे थे। उसकी झाँट इतनी मस्त थी कि पूछो मत। कोई तरीके से उसको शेव करने की जरुरत नहीं थी। बाल लम्बे भी बहुत ज्यादा नहीं थे और ना हीं बहुत चौड़ाई में फ़ैले हुए थे। पहाड़ की लड़कियों को वैसे भी प्राकृतिक रूप से सुन्दर झाँट मिलता है अपने बदन पर। वैसे उसकी उमर भी बहुत नहीं थी कि बाल अभी ज्यादा फ़ैले होते। मैं अब उसकी झाँटों को हल्के-हल्के सहला रहा था और कभी-कभी उसकी भगनाशा (क्लीट) को रगड़ देता था। उसकी आँखें बन्द हो चली थी। मैं अब झुका और उसकी चूत को चूम लिया। मेरी नाक में वहाँ का पसीना, गीलेपन वाली चिकनाई और पेशाब की मिली जुली गन्ध गई। मैंने अब अपने जीभ को बाहर निकाला और पूरी चौड़ाई में फ़ैला कर उसकी चूत की फ़ाँक को पूरी तरह से चाटा। मेरी जीभ उसकी गाँड़ के छेद की तरफ़ से चूत को चाटते हुए उसकी झाँटों तक जा रही थी। जल्द हीं चूत की, पसीने और पेशाब की गन्ध के साथ मेरे थूक की गन्ध भी मेरे नाक में जाने लगी थी। रीना अब तक पूरी तरह से खुल गई थी और पूरी तरह से बेशर्म हो कर अब सहयोग कर रही थी। मैंने उसको बता दिया था कि अगर आज वो पूरी तरह से बेशर्म हो कर चुद गई तो मैं उसको रागिनी से भी ज्यादा टौप की रंडी बना दुँगा। वो भी अब सोच चुकी थी कि अब उसको इसी काम में टौप करना है सो वो भी मेरे कहे अनुसार सब करने को तैयार थी।

मैंने कहा, "रीना, अब जरा अपने जाँघ खोलो न जानू...तुम्हारी गुलाबी चूत की भीतर की पुत्ती को चाटना है।"
यह सुन कर वो आह कर उठी और बोली, "बहुत जोर की पेशाब लग रही है...इइइइस्स्स अब क्या करूँ...।"

मैं समझ गया की साली को चुदास चढ़ गई है सो मैंने कहा, "तो कर दो ना पेशाब..."

वो अकचकाई, "यहाँ....कमरे में" और जोर से अपने पैर भींची।

मैंने कहा, "हाँ मेरी रानी, तेरी रागिनी दीदी तो मेरे मुँह में भी पेशाब की हुई है, तू भी करेगी क्या मेरे मुँह में?"

मैं उसके पैर खोल कर उसकी चूत को चाटे जा रहा था। वो ताकत लगा कर मेरे चेहरे को दूर करना चाह रही थी। मैं उसको अब छोड़ने के मूड में नहीं था सो बोला, "अरे तो मूत न मेरी जान. तेरे जैसी लौन्डिया की मूत भी अमृत है रानी।"

वो अब खड़ी हो कर अपने कपड़े उठाते हुए बोली, "बस दो मिनट में आई" तो मैंने उसके मूड को देखते हुए कहा, "ऐसे हीं चली जा ना नंगी और मूत कर आजा...प्लीज आज अगर तू नंगी चली गई तो मैं तुम्हें 5000 दुँगा अभी के अभी।"

पैसे के नाम पर उसके आँख में चमक उभरी, "सच में" और फ़िर वो दरवाजे के पास जा कर जोर से बोली, "मम्मी मुझे पेशाब करने जाना है, बहुत जोर की लगी है और अंकल मुझे वैसे हीं जाने को कह रहे हैं"

रागिनी सब समझ गई सो और किसी के कहने के पहले बोली, "आ जाओ रीना, यहाँ तो सब अपने हीं हैं, और फ़िर तुम अब जिस धन्धे में जा रही हो उसमें जितना बेशर्म रहेगी उतना मजा मिलेगा और पैसा भी।"
 
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जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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भाग 06
अब मैं बोला, "बिन्दा, अपनी बाकी बेटियों को तुम संभालो अब. मैं और रीना नंगे हैं और मैं भी सोच रहा हूँ कि एक बार पेशाब कर लूँ फ़िर रीना की सील तोड़ूँ", कहते हुए मैं नंगे हीं कमरे से बाहर आ गया और मेरे पीछे रीना भी बाहर निकल आई। मैंने उसकी कमर में अपना हाथ डाल दिया और आँगन की दूसरी तरफ़ ऐसे चला जैसे कि हम दोनों कैटवाक कर रहें हों। बिन्दा के चेहरे पर अजीब सा असमंजस था, जबकि उसकी दोनों बेटियाँ मुँह बाए हम दोनों के नंगे बदन को देख रही थी। रागिनी सब समझ कर मुस्कुरा रही थी। जल्द हीं हम दूसरी तरफ़ पहुँच गए तो मैंने रीना के सामने हीं अपने लन्ड को हाथ से पकड़ कर मूतना शुरु किया। रीना भी अब पास में बैठ कर मूतने लगी। उसकी चूत चुदास से ऐसी कस गई थी कि उसके मूतते हुए छर्र-छर्र की आवाज हो रही थी। उसका पेशाब पहले बन्द हुआ तो वो खड़ी हो कर मुझे मूतते देखने लगी।
मैं बोला, "लेगी अपने मुँह में एक धार..."। रीना ने मुँह बिचकाया, "हुँह गन्दे...."। अब मेरा पेशाब खत्म हो गया था। मैंने हँसते हुए अपना हाथ उसकी पेशाब से गीली चूत पर फ़िराया और फ़िर अपने हाथ में लगे उसके पेशाब को चाटते हुए बोला, "क्या स्वाद है....? इसमें तुम्हारे जवानी का रस मिला हुआ है मेरी रानी।"
यह सब देख रीता बोली, "आप कैसे गन्दे हैं, दीदी का पेशाब चाट रहे हैं"। मैंने अब अपना हाथ सुँघते हुए कहा, "पेशाब नहीं है, ऐसी मस्त जवान लौन्डिया की चूत से पेशाब नहीं अमृत निकलता है मेरी रानी। पास आ तो मैं तेरी चूत के भीतर भी अपनी उँगली घुसा कर तेरा रस भी चाट लुँगा।"
बिन्दा अब हड़बड़ा कर बोली, "ठीक है, ठीक है, अब आप दोनों कमरे में जाओ और भाई साहब आप अब जल्दी छोड़ लीजिये रीना को, इसे नहाना धोना भी है फ़िर उसको मंदिर भी भेजुँगी।"
मैंने रीना की चुतड़ पर हल्के से चपत लगाई, "चल जल्दी और चुद जा जानू, तेरी माँ बहुत बेकरार है तेरी चूत फ़ड़वाने के लिए...।"फ़िर मैंने बिन्दा से कहा, "बहुत जल्दी हो तो यहीँ पटक कर पेल दूँ साली की चूत के भीतर क्या?" बिन्दा अब गुस्साई, "यहाँ बेशर्मी की हद कर दी...कमरे में जाइए आप दोनों.।
मैं समझ गया कि अब उसका मूड खराब हो जाएगा सो मैं चुपचाप रीना को कमरे में ले आया।इतनी देर में पेशाब कर लेने के बाद मेरा लन्ड करीब 40% ढ़ीला हो गया था। मैंने रीना को बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और फ़िर से उसकी चूत को चाटने लगा। मैं अपने हाथ से अपना लन्ड भी हिला रहा था कि वो फ़िर से टनटना जाए। देर लगते देख मैंने रीना को कहा कि वो मेरा लन्ड मुँह में ले कर जोर-जोर से चूसे।
रीना अब मुँह बना कर बोली-"नहीं, आप पेशाब करने के बाद इसको धोए नहीं थे, मैं देखी हूँ।" मैंने उसको समझाया, "और जैसे तुमने अपनी चूत धोई थी...तुम देखी थी न कि मैं तुम्हारे चूत पर लगे पेशाब को कैसे चाट कर तेरी छॊटी बहन को दिखाया था...औरत-मर्द जब सेक्स करने को तैयार हों तो ये सब भूल-भाल कर एक दूसरे के लन्ड और चूत को पूरा इज्जत देना चाहिए। चूसो जरा तो फ़िर से जल्द कड़ा हो जाएगा। अभी इतना कड़ा नहीं है कि तुम्हारी चूत की सील तोड़ सके। अगर एक झटके में चूत की सील पूरी तरह नहीं टूटी तो तुमको हीं परेशानी होगी। इसलिए जरुरी है कि तुम इसको पूरा कड़ा करो।"
इसके बाद मैंने पहली बार रीना को असल स्टाईल में कहा, "चल आ जा अब, नखरे मत कर नहीं तो रगड़ कर साली तेरी चूत को आज हीं भोसड़ा बना दुँगा साली रंडी मादरचोद..." और मैंने अपने ताकत का इस्तेमाल करते हुए उसका मुँह खोला और अपना लन्ड उसकी मुँह में डाल दिया।
वो अनचाहे हीं अब समझ गई कि मैं अब जोर जबर्दस्ती करने वाला हूँ। वो बेमन से चूसने लगी पर मेरा तो अब तक कड़ा हो गया था। पर मैं अपना मूड बना रहा था, उसकी मुँह में लन्ड अंदर-बाहर करते हुए कहा, "वाह मेरी जान, क्या मस्त हो कर अपना मुँह मरवा रही हो, मजा आ रहा है मेरी सोनी-मोनी..." और मैं अब उसको प्यार से पुचकार रहा था। वो भी अब थोड़ा सहज हो कर लन्ड को चुस रही थी।
थोड़ी देर में मैं बोला, "चल अब आराम से सीधा लेटॊ, अब तुमको लड़की से औरत बना देता हूँ...बिन कोई फ़िक्र के आराम से पैर फ़ैला कर लेट और अपनी चूत चुदा....और फ़िर बन जा मेरी रंडी..."।
मैंने उसको सीधा लिटा दिया और उसकी जाँघो के बीच में आ गया। मेरा लन्ड एकदम सीधा फ़नफ़नाया हुआ था और उसकी चूत में घुसने को बेकरार था। मैंने उसको आराम से अपने नीचे सेट किया और फ़िर उसकी दोनों टाँगों से अपनी टाँगे लपेट कर ऐसे फ़ँसा दिया कि वो ज्यादा हिला न सके। इसके बाद मैंने अपने दाहिने हाथ को उसके काँख के नीचे से निकाल कर उसके कंधों को जकड़ते हुए उसके ऊपर आधा लेट गया। मेरा लन्ड अब उसकी चूत के करीब सटा हुआ था। अपने बाँए हाथ से मैंने उसकी दाहिनी चुची को संभाला और इस तरह से उसके छाती को दबा कर उसको स्थिर रखने का जुगाड़ कर लिया। पक्का कर लिया कि अब साली बिल्कुल भी नहीं हिल सकेगी जब मैं उसकी चूत को फ़ाड़ूंगा। सब कुछ मन मुताबिक करने के बाद मैंने उसको कहा कि अब वो अपने हाथ से मेरे लन्ड को अपने चूत की छेद पर लगा दे। और जैसे हीं उसने मेरे लन्ड को अपनी चूत से लगाया, मैंने जोर से कहा, "अब बोली साली....कि चोदो मुझे...बोल नहीं तो साली अब तेरा बलात्कार हो जाएगा। लड़की के न्योता के बाद हीं मैं उसको चोदता हूँ...मेरा यही नियम है।"
वो भी अब चुदने को बेकरार थी सो बोली, "चोदो मुझे...." मैं बोला, "जोर से बोल कि तेरी माँ सुने....बोल कुतिया....जल्दी बोल मदर्चोद...."
वो भी जोर से बोली, "चोदो मुझे, अब चोदो जल्दी...आह...".और उसकी आँख बन्द हो गयी। मैंने अब अपना लन्ड उसकी चूत में पेलना शुरु कर दिया। धीरे-धीरे मेरा सुपाड़ा भीतर चला गया और इसके बान वो दर्द महसूस की। उसका चेहरा बता रहा था कि अब उसको दर्द होने लगा है। मैं उसके चेहरे पर नजर गड़ाए था और लन्ड भीतर दबाए जा रहा था। मै रुका तो उसको करार आया वो राहत महसूस की और आँख खोली।
मैं पूछा, "मजा आ रहा था?"रीना बोली,"बहुत दर्द हुआ था...."। मैं बोला - अभी एक बार और दर्द होगा, अबकि थोड़ा बरदास्त करना"। मैंने अपना लन्ड हल्का सा बाहर खींचा और फ़िर एक जोर का नारा लगाया, "मेरी रीना रंडी की कुँआरी चूत की जय....रीना रंडी जिन्दाबाद...." मैंने इतनी जोर से बोला कि बाहर तक आवाज जाए। इस नारे के साथ हीं मैंने अपना लन्ड जोर के धक्के के साथ "घचाक" पूरा भीतर पेल दिया।
रीना दर्द से बिलबिला कर चीखी, "ओ माँ....मर गई......इइइइस्स्स्स्स्स्स्स्स अरे बाप रे...अब नहीं रे....माँ...." वो सच में अपनी माँ को पुकार रही थी।" पर एक कुँआरी लड़की की पहली चुदाई के समय कभी किसी की माँ थोड़े न आती है, सो बिन्दा भी सब समझते हुए बाहर हीं रही और मैं उसकी बेटी की चूत को चोदने लगा। घचा-घच....फ़चा-फ़च....घचा-घच....फ़चा-फ़च.....। रीना अब भी कराह रही थी और मैं मस्त हो कर उसके चेहरे पर नजर गड़ाए, उसके मासूम चेहरे पर आने वाले तरह-तरह के भावों को देखते हुए उसकी चूत की जोरदार चुदाई में लग गया।
रीना के रोने कराहने से मुझे कोई फ़र्क नहीं पर रहा था। आज बहुत दिन बाद मुझे कच्ची कली मिली थी, और मेरी नजर तो अब इसके बाद की संभावनाओं पर थी। घर में रीना के बाद भी दो और कच्ची कलियाँ मौजूद थीं। मैं रीना को चोदते हुए मन हीं मन रागिनी का शुक्रिया कर रहा था जो वो मुझे यहाँ बुलाई। करीब दस मिनट की कभी धीरे तो कभी जोर के धक्कमपेल के बाद जब मैं झड़ने के करीब था तो रीना का रोना लगभग बंद हो गया था। मैं रीना को बोला की अब मैं झड़ने वाला हूँ तो वो घबड़ा कर बोली, अब बाहर कीजिए, निकालिए बाहर, खींचिए न उसको मेरे अंदर से" और वो उठने लगी।
मगर मैं एक भार फ़िर उसको अपनी जकड़ में ले चुका था। पहली बार चूद रही थी, सो मैंने भी सोंचा कि उसको मर्द के पानी को भी महसूस करा दूँ। मैं रीना की चूत को अपने पानी से भर दिया।
वो घबड़ा रही थी, बोली - "बाप रे, अब कुछ हो गया तो कितनी बदनामी होगी। मैं अब निश्चिन्त हो कर अपना लन्ड बाहर खींचा, एक फ़क की आवाज आई। रीना की चूत एकदम टाईट थी, अभी भी मेरे लन्ड को जकड़े हुए थी।
मैंने रीना को कहा की अब वो पेशाब कर ले, ताकि जो माल भीतर मैंने गिराया है उसका ज्यादा भाग बाहर निकल जाए, और पेशाब से उसकी चूत भी थोड़ा भीतर तक धुल जाए। चुदाई के खेल के बाद पेशाब करना बेहतर हैं समझ लो इस बात को", मैंने उसको समझाया।
वो अब कपड़े समेटने लगी तो मैंने कहा, "अब इस बार ऐसे बाहर जाने में क्या प्रौब्लम हैं चुदने के पहले तो नंगा बाहर जा कर मूती थी तुम?"
मैं देख रहा था कि अब वो थोड़ा शान्त हो गई थी और उसका मूड भी बेहतर हो गया था। मेरे दुबारा पूछने पर बोली, "अब ऐसे जाने में मुझे शर्म आएगी?"मैं पूछा, "क्यूँ भला..."।
वो सर नीचे कर के कही, "तब की बात और थी, अब मैं नई हूँ... पहले मैं लड़की थी और अब मैं औरत हूँ तो लाज आएगी न शुरु में सब के सामने जाने में...।"
मुझे शरारत सुझी, सो मैंने सब को नाम ले ले कर आवाज लगाई, "रागिनी...बिन्दा....रूबी....रीता...सब आओ और देखो, रीना को अब तुम लोग के सामने आने में लाज लग रहा है...मेरा सब माल अपने चूत में ले कर बैठी है बेवकूफ़..., बाहर जाकर धोएगी भी नहीं" कहते हुए मैं हँसने लगा।
मेरी आवाज पर रागिनी सबसे पहले आई और रीना की चूत में से उसकी जाँघो पर बह रहे पानी देख कर मुस्कुराई, "आप अंकल इस बेचारी की कुप्पी पहली हीं बार में भर दिए, ऐसे तो कोई सुहागरात को अपनी दुल्हन को भी नहीं भरता है" और वो कपड़े से उसकी चूत साफ़ करने लगी।
रीना शर्मा तो रही थी पर चुप थी। मैं भी बोला, "अरे सुहागरात को तो लड़कों को डर रहता है कि अगर दुल्हन पेट से रह गई तो फ़िर कैसे चुदाई होगी.... मैं तो हर बार नई सुहागरात मनाता हूँ। वैसे भी इतनी बार मैं निकालता हूँ कि मेरे वीर्य से स्पर्म तो खत्म ही हो गये होंगे, फ़िक्र मत करों, यह पेट से नहीं रहेगी।
अब तक मैंने कपड़े बदल लिए और बाहर निकल गया, कुछ समय बाद रागिनी अपने साथ रीना को ले कर बाहर आई। बिन्दा ने एक नजर रीना को देखा, और फ़िर झट से कहा, "जाओ, अब नहा-धो कर साफ़-सुथरी हो जाओ, मंदिर चलना है।"
रीना भी चुपचाप चल दी। मैंने देखा रूबी चुल्हे के पास है सो मैंने कहा एक कप और चाय पिला दो रूबी डार्लिंग , तुम्हार अहसान होगा, बहुत थक गया हूँ।" रूबी ने मुँह बिचकाते हुए कहा, "हूँह, साँढ़ भी कहीं थकता है....।"
मैंने भी तड़ से जड़ दिया, "बछिया को चोदने में थकता है डार्लिंग ...और तुम्हारी दीदी तो लाजवाब थी... अंत-अंत तक मेरे धक्के पर कराह रही थी, ऐसी कसी हुई चूत की मालकिन है।"
इस बात को सुन कर बिन्दा फ़िक्रमंद हो गई। मेरे से पूछी, "तब अब आगे कैसे होगा, शहर में तो बेचारी अकेली रह जाएगी, घुट-घुट कर रोएगी..."।
मैंने समझाया, "अरे नहीं बिन्दा, ऐसी बात नहीं है, अभी दो-चार बार और कर दुँगा तो सही हो जाएगी, जब पुरा मुँह खुल जाएगा। असल में न उसको आप सब के प्रोत्साहन की जरुरत है। आप उसको सब करने बोल रहे हैं पर खुल कर नहीं, जब सब आपस में बेशर्मी से बात-चीत करेंगे तो उसका दिमाग भी इस सब के लिए तैयार होने लगेगा और फ़िर बदन भी तैयार हो जाएगा। ऐसे मैं तो उसको 2-3 बार में ढ़ीला कर हीं दुँगा। आप तो जान चुकी हैं कि मेरा लंड आम लोग से मोटा भी है....सो जब मेरे से बिना दर्द के चुदा लेगी तो बाजार में कुछ खास परेशानी नहीं होगी। अभी तो जितनी टाईट है, अगर मैं हीं पैसा वसूल चुदाई कर दूँ जैसा कि कस्टमर आमतौर पर रंडियों की करते हैं तो बेचारी इतना डर जाएगी कि चुदाने के नाम पर उसकी नानी मरेगी।"
रूबी चाय ले आई थी और वहीं खड़े हो कर सब सुन रही थी। मैं कह रहा था, "उसको बहुत प्यार से आराम-आराम से अपने मोटे लन्ड के चोदा हूँ आज"। रूबी अब बोली, "आपको अपनी मुटाई पर बहुत नाज है न, खुद से अपनी बड़ाई करते रहते हैं।"
उसको शायद मैं कुछ खास पसन्द नहीं था।"मैंने उसको जवाब दिया, "ऐसी कोई बात नहीं है, मेरे से ज्यादा सौलिड लन्ड वाले हैं दुनिया में...पर मेरा कोई खराब नहीं है बल्कि ज्यादातर मर्दों से बहुत-बहुत बेहतर है....जब तुम बाजार में उतरोगी और कुछ अनुभव मिलेगा तब समझोगी।"
अब मैं दिल में सोंच रहा था कि जब इस कुतिया की सील तोड़ने की नौबत आएगी उस दिन वियाग्रा खा कर साली को फ़ाड़ दुँगा, वैसे भी मैं इसको खास पसन्द हूँ नहीं तो बेहतर होगा कि साली का बलात्कार हीं कर दूँ। इस घर में तो अब मेरे सात खून माफ़ होंगे।
बिन्दा सब सुन कर सर हिलाई, "ठीक है, अब तो यह आपके और रागिनी के हीं भरोसे है।"रीना अब तैयार हो कर आ गयी तो बिन्दा, रीना और रूबी मंदिर चली गई। घर पर मेरे साथ रागिनी और रीता थीं। मैं भी अब नहाने धोने के सोच रहा था। जब मैं टट्टी के लिए गया तो रीता आंगन में नल पर नहाने लगी। मैं भी वहीं ब्रश करने लगा। सब दिन की तरह रीता आज भी सिर्फ़ एक पैन्ट में नहा रही थी। उसकी छॊती-छोटी चुचियाँ अभी तरीके से चुची बनी भी नहीं थी...एक उभार था जिसका आधा हिस्सा गुलाबी था, बड़े से एक रुपया के सिक्के जितना और उस पर एक बड़े किशमिश की साईज की निप्पल थी। आज आराम से गौर से उसकी छाती का मुआयना कर रहा था तो लगा कि कल मैंने जिसे चुचक कहा था...वह सही में अब चूची लग रहा है। यह बात अलग है कि अभी उसमें और ऊभार आना बाकी था। मैंने एक तौवेल लपेट रखा था अपनी कमर में।
रीना को चोदने के बाद से मैं ऐसे हीं टौवेल में घुम रहा था। नहाते हुए रीता बोली, "अंकल, क्या दीदी को बहुत तकलीफ़ हुई थी?"मैंने उससे ऐसे सवाल की अभी उम्मीद नहीं की थी सो चौंक कर कहा, "किस बात से?"
अब रीता फ़िर से पूछी, "वही जब आप दीदी को कमरे में ले जाकर उसकी चुदाई कर उसको औरत बनाए तब?"मै बोला, "अब थोड़ा बहुत तो हर लड़की को पहली बार में परेशानी होती है कुछ खास नहीं। पर इसमें मजा इतना मिलता है लड़की को कि वो इसक काम को बार-बार करते है मर्दों के साथ। अगर सेक्स में मजा नहीं आता तो क्या इतना परिवार बनता, फ़िर बच्चे कैसे होते और दुनिया कैसे चलती...सोचों।"
रीता कुछ सोंची, सब समझी फ़िर बोली, "तब दीदी इस तरह से कराह-कराह कर रो क्यों रही थी?"मैं अब उसको समझाया, "वो रो नहीं रही थी बेटा...ऐसी आवाज जब लड़की को मजा मिलता है तब भी मुँह से निकलता है...आह आह आह। असल में तुम कभी ब्लू-फ़िल्म तो देखी नहीं होगी सो तुमको कुछ पता नहीं है। वैसे मैंने कमरा बन्द नहीं किया हुआ था, तुम चाहती तो आ जाती देखने।"
रीता अब खड़े हो कर बदन तौलिए से पोछते हुए बोली, "जैसे माँ तो मुझे जाने हीं देती...देखते नहीं हैं जब आप लोग बात करते हैं तो कैसे मुझे किसी बहाने वहाँ से हटाने की कोशिश करती है। अभी इतना बात कर पा रही हूँ कि वो अभी 2-3 घन्टे नहीं आएगी, मंदिर से बाजार भी जाएगी"। कल मैं उसको नहाते समय जब देखा तो चूची और खाँख का बाल हीं देख पाया था और बूर पर कैसे बाल होंगे सोचता रह गया था। आज मुझे भी मौका मिल रहा था कि उसकी बूर पर निकले ताजे बालों को देखूँ।
मैंने अब उसको एक औफ़र दिया, "रीता तुम मेरा एक बात मानो तो मैं तुमको अभी सब दिखा सकता हूँ, रागिनी है न...उसको अभी तुम्हारे सामने चोद दुँगा, फ़िर तुम सब देख समझ लेना कि कैसे तुम्हारी दीदी को मैंने औरत बनाया था।"
रीता की आँख में अनोखी चमक दिखी, "क्या बात है बोलिए जरुर मानुँगी।"मैंने मुस्कुरा कर कहा, अगर तुम मेरे सामने अपनी पैन्ट भी खोल कर अपना बदन पोंछो...तो। असल में मैं तुम्हारी बूर पर निकले बालों को देखना चाहता हूँ, कभी तुम्हारी उम्र की लड़की की बूर नहीं देखी है न आज तक।"
 
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भाग 07
मैंने सब साफ़ कह दिया। वो राजी हो गई और अपना पैन्ट नीचे ससार दी, फ़िर झुक कर उसको अपने पैरों से निकाल दिया।

बिन्दा की सबसे छोटी बेटी 13 साल की रीता की नंगी बूर मेरे सामने चमक उठी। वो मेरे सामने खड़ी थी। 5 फ़ीट लम्बी दुबली पतली, गोरी चिट्टी, गोल चेहरा, काली आँखें...चेहरे से वो सुन्दर थी, पर उसका अधखिला बदन...आह अनोखा था। एक दम साफ़ गोरा बदन, छाती पर ऊभार ले रही गोलाईयाँ, जो अभी नींबू से कुछ हीं बड़ी हुई होगी जिसमें से ज्यादा तर हिस्सा भूरा-गुलाबी था जिसके बीच में एक किशमिश के दाने बराबर निप्पल, जिसको चाटा जा सकता था पर चूसने में मेहनत करनी पड़ती। अंदर की तरफ़ हल्के से दबी हुई पेट जिसके बीच में एक गोल गहरी नाभी...और मेरी नजर अप उसकी और नीचे फ़िसली। दो पतले-पतली गोरी कसी हुई टाँगे और उसकी जाँघों की मिलन-स्थली का क्या कहना, मेरी नजर वहाँ जाकर अटक गई। थोड़ी फ़ुली हुई थी वह जगह, जैसे एक डबल रोटी हो जिसको किसी पेन्सील से सीधा चीरा लगा दिया गया हो। चाकू नहीं कह रहा क्योंकि रीता की डबल रोटी इतनी टाईट थी कि तब शायद चीरा भी ठीक से न दिखता। इसीलिए पेन्सील कह रहा हूँ क्योंकि उसकी उस फ़ुली हुई डबल रोटी में चीरा दिख रहा था, लम्बा सा, करीब 4 ईंच का तो मुझे सामने खड़े हो कर दिख रहा था। मेरी पारखी नजरों ने भाँप लिया कि इसमे करीब दो ईंच का छेद होगा, वो दरवाज जो हर मर्द को स्वर्ग की सैर पर ले जाता है।उस चीरे से ठीक सटे ऊपर की तरफ़ काले बालों का एक गुच्छा सा बन रहा था। औसतन करीब आधा ईंच के बाल रहे होंगे, सब के सब एक दुसरे से सटे बहुत घने रूप से बहुत हीं कम क्षेत्र में, फ़ैलाव तो जैसे था हीं नहीं। अगर नाप बताऊँ तो 1 ईंच चौड़ाई और करीब 3 ईंच लम्बाई में हीं उगी थी अभी उसकी झाँट। इसके बाद के इलाके में जो बाल था उसको मैं झाँट भी नहीं कहुँगा...बस रोएँ थे जो भविष्य में झाँट बनने वाले थे।

मैंने बोला, "एक बार जरा अपने हाथ से अपनी बूर को खोलो न जरा सा।"

वो तुरन्त अपने दोनों हाथों से अपनी बूर की फ़ुली हुई होठ को फ़ैला दी। मैं भीतर का गुलाबी भाग देख कर मस्त हो गया।
तभी वो अपना कपड़ा उठा ली, "अब चालिए न दिखा दीजिए जल्दी से रागिनी दीदी का...कहीं माँ आ गई तो बस....।"

मेरा लन्ड वैसे भी गनगनाया हुआ था, सो मैंने रागिनी को पुकारा, "रगिनी...."।
हम लोग के नाश्ते की तैयारी कर रही थी। वो चौके में से हीं पूछा, "क्या चाहिए...?"
मैंने कह दिया, "तेरी चूत....आओ जल्दी से।"

रागिनी अब मुस्कुराते हुए आई, "आपका मन अभी भरा नहीं अभी तो रीना को चोदे हैं।"

मैंने मक्खनबाजी की, "अरे रीना तो भविष्य की रन्डी है जबकि तू ओरिजनल है...सो जो बात तुझमें है, वो और किसी में नहीं (मैंने जो बात तुझमें है तेरी तस्वीर में नहीं - गाने के राग में कहा)"।

रागिनी हँस पड़ी, "अरे अभी नास्ता-पानी कीजिए दस बज रहे हैं"

मैं अब असल बात बताया, "असल बात यह है रागिनी की रीता का मन है कि वो एक बार चुदाई देखे और बिन्दा के घर पर रहते तो यह संभव है नहीं सो...."।

अब रागिनी बिदकी, "हत...., वो अभी बच्ची है, उसकी उम्र हीं क्या है 13-14.... यह सब दिखा कर उसको क्यों बिगाड़ रहे हैं आप?"

और रागिनी अब रीता पर भड़की, रीता का मुँह बन गया।

मैंने तब बात संभाली, "रागिनी, प्लीज मान जाओ...मेरा भी यही मन है। बेचारी अब ऐसी भी बच्ची थोड़े ना है, और फ़िर अब जिस माहौल में रह रही है....यह सब तो जानना हीं होगा उसको।"

रागिनी शांत हो कर बोली, "ठीक है...पर एक उम्र होती है इस सब की , और रीता अभी उस हिसाब से कम उम्र की है।"

मैं फ़िर से रीता की तरफ़दारी में बोला, "पर रागिनी तुमको भी पता है रीता से कम उम्र के लड़की को भी लोग चोदते हैं, यहाँ तो बेचारी को मैं सिर्फ़ दिखा रहा हूँ, अगर अभी मैं उसको चोद लूँ तो...? एक बात तो पक्का है कि वो अब तुम्हारे उमर के होने तक कुँवारी नहीं बचेगी। बिन्दा खुद हीं उसको चुदाने भेज देगी, जब रीना की कमाई समझ में आएगी। उसके पार तो दो और बेटी है। वैसे अब बहस छोड़ो मेरी बच्ची....मेरा भी मन है कि मैं उसको सेक करके देखाऊँ। तुम मेरी यह बात नहीं मानोगी मेरी बच्ची...." मेरा स्वर जरा भावुक हो गया था।

रागिनी तुरन्त मेरे से लिपट गई। आप ऐसा क्यों कहते हैं अंकल , मुझे याद है कि आप ने मुझे पहली बार कितना ईज्जत दी थी और मैंने प्रौमिस किया था कि आपके लिए सब करुँगी।"

फ़िर वो रीता को बोली, "आ जाओ कमरे में चलते हैं।"

कमरे में पहुँचते हीं मैंने रागिनी को बाहों में समेट कर चुमना शुरु किया और वो भी मुझे चुम रही थी। मैंने रागिनी को याद कराया कि उन सब को गए काफ़ी समय बीत गया है सो जल्दी-जल्दी कर लेते हैं, तो वो हटी और अपने कपडे उतारने लगी। मैंने अपने टॉवेल खोले। मैंने रीता को भी पूरी तरह नंगी होने को कहा.

वो बोली - क्यों?
मैंने कहा - चुदाई देखते समय दुसरे को भी नंगा रहना चाहिए.

बेचारी रीता ने अपने बदन पर के एकलौते वस्त्र पेंटी को उतार दिया और नंगी खडी हो गयी.

रागिने ने रीता को दिखा कर मेरा लन्ड अपने हाथ में लिया और चुसने लगी। रीता सब देख रही थी। मैंने बताया, ऐसे जब लन्ड को चूसा जाता है तो वो कड़ा हो जाता है, जिससे की लड़की की चूत में उसको घुसाने में आसानी होती है। इसके बाद मैंने रागिनी को लिटाकर उसकी क्लीट को सहलाया और फ़िर मसलने लगा। रागिनी पर मस्ती छाने लगी। मैंने रीता को बताया कि ऐसे करने से लड़की को मजा आता है, तुम अपने से भी यह कर सकती हो, जब मन करे। फ़िर मैंने रागिनी की चूत में अपनी ऊँगली घुसा कर उअको बताया कि लड़की कैसे सही तरीके से हस्तमैथुन कर सकती है। मैंने देखा की रीता की चूत से पानी निकल रहा है. यानि इसे मज़ा आ रहा है. इसके बाद मैंने रागिनी की चूत में अपना लन्ड पेल दिया।

रागिनी के मुँह से एक आह निकली तो मैंने कहा, "इसी "आह आह" को न तुम बोल रही थी कि दीदी रो क्यों रही थी...देख लो जब कोई लड़की चुदती है तो उसके मुँह से आह आह और भी कुछ कुछ आवाज निकलने लगती है, जब उनको सेक्स का मजा मिलता है। तुम्हारे मुँह से भी अपने आप निकलेगा जब तुम्हें चोदुँगा।"
यह कहने के बाद मैंने ने जोरदार धक्कम्पेल शुरु कर दिया। हस-हच फ़च-फ़च की आवाज होने लगी थी और मैं अपने लन्ड को एक पिस्टन की तरह रागिनी की चूत में अंदर-बाहर कर रहा था।

रीता पास में खड़ी हो कर सब देखी, और फ़िर मैं झड़ गया...रागिनी की चूत के भीतर हीं.... रागिनी भी अब शान्त हो गई थी।
 
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भाग 08
मैं उठा और रीता से पूछा, "अब सीख समझ गई सब?"

उसके "जी" कहने पर मैंने कहा, "फ़िर चलो अब मुझे गुरु दक्षिणा दो.."।

रीता मुस्कुराते हुई पूछे, "कैसे...?"

मैंने मुस्कुरा कर कहा, "मेरे लन्ड को चाट कर साफ़ कर दो, बस....."।

और घोर आश्चर्य.....रीता खुशी-खुशी झुकी और मेरे लन्ड को चाटने लगी। रागिनी सब देख रही थी पर चुप थी। मैंने रीता के मुँह में अपना लन्ड घुसा दिया और फ़िर उसका सर पीचे से पकड़ कर उसकी मुँह में लन्ड अंदर-बाहर करने लगा। एक तरह से अब मैं उस लड़की की मुँह मार रहा था और रीता भी आराम से अपना मुँह मरा रही थी। तभी बाहर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आई। सब लोग आ गए थे।

रीता तुरन्त अपनी पेंटी ले कर किचेन में भाग गई फ़िर वहाँ से आवाज दी, "खोल रही हूँ...रूको जरा।"

मैं दो कदम में नल पर पहुँच गया एक तौलिया को लपेट कर। रागिनी कपड़े पहनने लगी। दरवाजा खुला तो सब सामान्य था। मैं नास्ते के बाद घुमने निकल गया। मैंने रागिनी और रीता को साथ ले लिया क्योंकि रूबी और रीना पहले हीं दो घन्टे के करीब चल कर थक गए थे।

उस दिन मैंने तय किया कि अब एक बार रीना को सब के सामने चोदा जाए, और फ़िर इस जुगाड़ में मैंने रागिनी और रीता को भी अपने साथ मिला लिया। रागिनी ने मुझे इसमें सहयोग का वचन दिया।
घर लौटने के बाद मैंने दोपहर के खाने के समय कहा, "बिन्दा, अभी खाने के बाद दो घन्टे आराम करके रीना को फ़िर से चोदुँगा, अभी जाने में दो दिन है तो इस में 4-5 बार रीना को चोद कर उसको फ़िट कर देना है ताकि शहर जाकर समय न बेकार हो, और वो जल्दी से जल्दी कमाई कर सके।

रागिनी भी बोली, "हाँ अंकल, उसकी गाँड़ भी तो मारनी है आपको, क्या पता पहला कस्टमर हीं गाँडू मिल गया तो...."।

बिन्दा चुप थी, और थोड़ा परेशान भी कि वहाँ उसकी दोनों छोटियाँ भी थीं। रीता अब बोली, "दीदी, अब तो तुम्हारे मजे रहेंगे, खुब पैसा मिलेगा तुम्हें।"

मैं बोला, "हाँ एक रात का कम से कम 5000 तो जरुर मिलेगा रीना का रेट। सप्ताह में 5 दिन भी गई तो 25000 हर सप्ताह, या क्या पता कुछ ज्यादा भी।"
अब पहली बार रूबी कुछ प्रभावित हो कर बोली, "वाह .....5 दिन काम का महिने का 1 लाख....यह तो बेजोड़ काम है...हैं न माँ..."।

मैंने कहा, "हाँ पर उसके लिए मर्द को खुश करने आना चाहिए, तभी इसके बाद टिप भी मिलेगा। यही सब तो रीना को अभी सीखना है शहर जाने से पहले।"
बिन्दा चुप चाप वहाँ से ऊठ गई, मैं उसके जाते जाते उसको सुना दिया, "आज जब दोपहर में तुम्हारी दीदी चुदेगी, तब तुम भी रहना साथ में सीखना....साल-दो साल बाद तो तुम्को भी जाना हीं है, पैसा कमाने।"

दोपहर करीब 3 बजे मैंने रीना को अपने कमरे में पुकारा। रागिनी और रीता मेरे साथ थीं। दो बार आवाज देने के बाद रीना आ गई, तो मैंने रूबी को पुकारा, "रूबी आ जाओ देख लो सब, अभी शुरु नहीं हुआ है जल्दी आओ..." और कहते हुए मैंने रीना के कपड़े उतारने शुरु कर दिए। जब रूबी रूम में घुसी उस समय मैं रीना की पैन्टी उसकी जाँघों से नीचे सरार रहा था। रूबी पहली बार ऐसे यह सब देख रही थी, सो वो भौंचक रह गई। रीना ने नजर नीचे कर लीं, तब रागिनी ने रूबी को अपने पास बिठा लिया और मुझसे बोली, अंकल आज इसकी एक बार गाँड़ मार दीजिए न पहले, अगर दर्द होगा भी तो बाद में जब उसको चोदिएगा तो उस मजे में सब भूल जाएगी।"

मुझे उसका यह आईडिया पसन्द आया। उसको इस तरह के दर्द और मजे का पूरा अनुभव था। सो मैंने जब रीना को झुकाया तो वो बिदक गई, कि वो अपने पिछवाड़े में नहीं घुसवाएगी। मैं और रागिनी उसको बहुत समझाए पर वो नहीं मानी तो रागिनी बोली, "ठीक है तुम देखो कि मैं कैसे गाँड़ मरवाती हूँ अंकल से, इसके बाद तुम भी मराना। अगर शहर में रंडी बनना है तो यह सब तो रोज का काम होगा तुम्हारा।" कहते हुए वो फ़टाक से नंगी हो कर झुक गई। मैंने उसकी गाँड़ की छेद पर थुका और फ़िर अपनी ऊँगली से उसकी गाँड़ को खोलने लगा। थुक और मेरे प्रयास ने उसकी गाँड़ को जल्दी हीं ढ़ीला कर दिया। तब एक बार भरपूर थुक को अपने लन्ड पर लगा कर मैंने अपने टन्टनाए हुए लन्ड को उसकी गाँड़ में दबा दिया। रागिनी तो एक्स्पर्ट थी, सो जल्द हीं अपने मस्ल्स को ढीला करते हुए मेरा पूरा लन्ड 8" अपने गाँड़ के भीतर घुसवा ली। रूबी और रागिनी का मुँह यह सब देख कर आश्चर्य से खुला हुआ था। 8-10 धक्के हीं दिए थे मैंने कि रागिनी एक झटके से अपने गाँड़ को आजाद कर ली और फ़िर रीना को पकड़ कर कहा कि अब आओ और गाँड़ मरवाओ।
रीना भी सकुचाते हुए झुक गई, और एक बार फ़िर मैं थुक के साथ उसकी गाँड़ पे ऊँगली घुमाने लगा। रागिनी भी कभी उसकी चूत सहालाती तो कभी अपने चूत से निकल रहे गिलेपने से तो कभी अपने थुक से उसकी गाँड़ को गीला करने में लग गयी थी। जब मुझे लगा कि अब रीना की गाँड़ को मेरे उँगली की आदत पर गई है तो मैं ने उसकी गाँड़ में अपना एक फ़िर दुसरा उँगली घुसा दिया। दर्द तो हुआ था पर रीना बर्दास्त कर ली। इसके बाद उसके रजामन्दी से मैं उपर उठा और अपले लन्ड को उसकी गाँड़ की गुलाबी छेद पर टिका कर दबाना शुरु किया। रागिनी लगातार उसकी चूत में ऊँगली कर रही थी ताकि मजे के चक्कर में उसको दर्द का पता न चले, और मैं उसकी कमर को अपने अनुभवी हाथों में जकड़ कर उसकी कुँवारी गाँड़ का उद्घाटन करने में लगा हुआ था। जल्द हीं मैं उसकी गाँड़ मार रहा था। अब मैंने रूबी और रीता को देखा, दोनों अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से अपनी दीदी की गाँड़ मराई देख रही थी। करीब 7-8 मिनट के बाद मैं उसकी गाँड़ में हीं झड़ गया और जब लन्ड बाहर निकला तो उसकी गाँड़ से सफ़ेद माल बह चला उसकी चूत्त की तरफ़....तभी बिना समय गवाँए, मैंने अपना लन्ड उसकी चूत में ठाँस दिया। लन्ड अपने साथ मेरा सफ़ेद माल भी भीतर ले कर चला गया।

रूबी अब बोली, "अरे ऐसे तो दीदी को बच्चा हो जाएगा..."
मैने जोश में भरकर कहा, "होने दो...होने दो....होने दो....और हर होने दो के साथ हुम्म्म्म्म करते हुए अपना लन्ड जोर से भीतर पेल देता। बेचारी की अब चुदाई शुरु थी, जबकि वो चक्कर में थी कि गाँड़ मरवा कर आराम करेगी।

वो थक कर कराह उठी....पर लड़की को चोदते हुए अगर दया दिखाया गया तो वो कभी ऐसे न चुदेगी, यह बात मुझे पता थी। सो मैं अब उसके बदन को मसल कर ऐसे चोद रहा था जैसे मैं उसके बदन से अपना सारा पैसा वसूल कर रहा होऊँ। रीना कराह रही थी....और मैं उसकी कराह की आवाज के साथ ताल मिला कर उसकी चूत पेल रहा था। मेरा लन्ड दूसरी बार झड़ गया, उसकी चूत के भीतर हीं। इसके बाद मैं भी थक कर निढ़ाल हो एक तरह लेट गया। रागिनी झुक कर मेरे लन्ड को चूस चाट कर साफ़ करने लगी।

मैने उस रात रीना को अपने पास ही सुलाया और रात मे एक बार फ़िर चोदा, पर इस बार प्यार से, और इस बार उसको मजा भी खुब आया। वो इस बार पहली बार मुझे लगा कि सहयोग की और ठीक से बेझिझक चुदी। सुबह जब हुम जगे तो सब पहले से जाग गए थे। रीना कमरे से बाहर जाने लगी तो मैंने उसको पास खींच लिया और चुमने लगा।

वो बोली, "ओह अब सुबह में ऐसे नहीं कैसा गंदा महक रहा है बदन...पसीना से।"

मैंने कहा, "अब मर्द के बदन की गन्ध की आदत डालो, बाजार में सब नहा धो कर नहीं आएँगे चोदने तुम्हें...और तुम भी तो महक रही हो, पर मुझे तो बुरा नहीं लग रहा....मैं तो अभी तुम्हारी चूत भी चाटूँगा और गाँड भी।"
 
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जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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भाग 09
फ़िर उसके देखते देखते मैं उसकी चूत चुसने चाटने लगा और वो भी गर्म होने लगी। जल्द हीं उसकी आह आह कमरे में गुंजने लगी, और शायद आवाज बाहर भी गयी, क्योंकि तभी बिन्दा बोली, "उठ गई तो बेटी तो जल्दी से नहा धो लो और तैयार हो जाओ आज बाजार जा कर सब जरुरत का सामान ले आओ, कल तुमको रागिनी के साथ शहर जाना है, याद है ना।"

रीना बोली-"हाँ माँ, पर अब ये मुझे छोड़े तब ना...इतना गन्दा हैं कि मेरा बदन चाट रहे हैं।"

मैंने जोर से कहा, "बदन नहीं बिन्दा, आपकी बेटी की चूत चाट रहा हूँ....आप चाय बनवा कर यहीं दे दीजिए....तब तक मैं एक बार इसको चोद लूँ जल्दी से।" यह कह कर मैंने रीना को सीधा लिटा कर उसके घुटने मोड़ कर जाँघों को खोल दिया। और अपना लन्ड भीतर गाड़ कर उसकी चुदाई शुरु कर दी। आह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह का बाजार गर्म था। और जैसे हीं मैं उसकी चूत में हीं झड़ा...घोर आश्चर्य......बिन्दा खुद चाय ले कर आ गई।

बिन्दा यह देख कर मुस्कुराई...तो मैंने अपना लन्ड पूरा बाहर खींच लिया...पक्क की आवाज हुई और रीना की चूत से मेरा सफ़ेदा बह निकला।
बिन्दा यह देख कर बोली, "अरे इस तरह इसके भीतर निकालिएगा तब तो यह बर्बाद हो जाएगी" . वो जल्दी-जल्दी अपने साड़ी के आँचल से उसकी चूत साफ़ करने लगी। रीना भी उठ बैठी तो बिन्दा उसकी चूत की फ़ाँक को खोल कर पोछी। मैं बिना कुछ बोले बाहर निकल गया हाथ में चाय ले कर, और थोड़ी देर में रीना और बिन्दा भी आ गई। फ़िर हम लोग सब जल्दी-जल्दे तैयार हुए। आज बिन्दा ने अपने हाथ से सारा खाना बनाना तय किया और रीना और रागिनी को मेरे साथ बाजार जा कर सामान सब खरीद देने को कहा। हमें अगले दिन वहाँ से निकलना था और मैंने तय किया कि आज की रात को रीना की चुदाई जरा पहले से शुरु कर दुँगा, क्योंकि आज मैं उसको वियाग्रा खा कर सबके सामने चोदने वाला था। अब जबकि बिन्दा सुबह अपनी बेटी की चूत से मेरे सफ़ेदा को साफ़ कर हीं ली थी तो मैं पक्का था कि आज के शो में वो एक दर्शक जरुर बनेगी। मैंने बाजार में हीं रीना को इसका ईशारा कर दिया था कि आज की रात मैं उसको रंडियों को जैसे चोदा जाता है वैसे चोदुँगा।

मैंने उससे कहा, "रीना बेटी, आज की रात तुम्हारी स्पेशल है। आज मैं तुम्हें सब के सामने एक रंडी को जैसे हम मर्द चोदते हैं वैसे चोदुँगा। अभी तक मैं तुम्हें अपनी बेटी की तरह से चोद रहा था और तुम्हें भी मजा मिले इसका ख्याल रख रहा था, पर आज की रात मैं तुम्हारे मजे की बात भूल कर केवल एक मर्द बन कर एक जवान लड़की के बदन को भोगुँगा तो तुम इस बात के लिए तैयार रहना। शहर में लोगों को तुम्हारे खुशी का ख्याल नहीं रहेगा। उन्हें तो सिर्फ़ तुम्हारे बदन से अपना पैसा वसूल करना रहेगा। करीब 2 बजे हम लोग घर आए और फ़िर खाना खा कर आराम करने लगे।

रीना अपनी माँ और बहनों के पास थी और रागिनी मेरे पास। हम दोनों अब आगे की बात पर विचार कर रहे थे। मैंने कहा भी कि अब अगले एक सप्ताह तक मुझे काम से छुट्टी नहीं मिलेगी सो आज रात मैं अपना कोटा पूरा कर लुँगा तब रागिनी बोली हाँ और नहीं तो क्या...अब वहाँ जाने के बाद सूरी तो रीना की लगातार बूकिंग कर देगा, जब उसको पता चलेगा कि यह शहर सिर्फ़ कौल-गर्ल बनने आई है। एक तरह से ठीक हीं है आज रात में रीना को जरा जम कर चोद दीजिए कि उसको सब पता चल जाए कि वहाँ हम लोग क्या-क्या झेलते हैं अपने बदन पर।"

मैंने आज शाम की चाय के समय हीं सब को कह दिया कि आज रात में मैं रीना को बिल्कुल जैसे एक रंडी को कस्टमर चोदता है वैसे से चोदुँगा और आप सब वहाँ देखिएगा और रागिनी मेरे रूम में रीना को वैसे हीं लाएगी जैसे रीना को दलाल लोग मर्दों की रुम तक छोड़ कर आएँगे। सबसे पहले सबसे छोटी बहन रीता की मुँह से निकला "वाह ... मजा आएगा आज तो",

फ़िर मैंने बिन्दा को कहा, "अपनी बेटी की पहली दुकानदारी पर वहाँ रहोगी तो उसका हौसला रहेगा...अगर साथ में घरवालें हों तो।" उसके चेहरे से लगा कि अब वो भी अपना सिद्धान्त वगैरह भूल कर, "जो हो रहा है अच्छा हो रहा है", समझ कर सब स्वीकार करने लगी है। उन सब के आश्वस्त चेहरों के देख मैं मन हीं मन खुश हुआ...आजकल मेरी चाँदी है, अब एक बार फ़िर मैं एक माँ के सामने उसकी बेटी को चोदने वाला था...और ऐसी चुदाई के बारे में सोच-सोच कर हीं लन्ड पलटी खाने लगा था। मैंने करीब 8 बजे खाना खाया हल्का सा और रीना को भी हल्का खाना खाने को कहा। फ़िर करीब 9 बजे मैंने वियाग्रा की एक गोली खा ली, रागिनी मुझे वियाग्रा खाते देख मुस्कुराई...वो समझ गई थी कि आज कम से कम 7-8 घन्टे का शो मैं जरुर दिखाने वाला हूँ उसकी मौसी और मौसेरी बहनों को।
करीब पौने दस बजे मैंने रीना को आवाज लगाई जो अपनी बहनों के साथ अपना सामान पैक कर रही थी। जल्द हीं जब सब समेट कर वो आई तो मैंने उसी को जाकर सब को बुला लाने को कहा और फ़िर खुद सब के लिए नीचे जमीन पर हीं दरी बिछाने लगा। कमरे में एक तरफ़ मैंने बेड को बिछा दिया था। करीब दस मिनट में सब आ गए, सबसे बिस्तर से लगे दरी पर बैठ गए तब रागिनी अपने साथ रीना को लाई।

रागिनी एकदम सूरी के अंदाज में बोली, "लीजिए सर जी, एक दम नया माल है। आपके लिए हीं इसको बुलाया है सर जी, पहाड़न की बेटी है...खुब मजा देगी। रात भर चोदिएगा तब भी सुबह कड़क हीं मिलेगी। अभी तो इसकी चूचियाँ भी नहीं खिली हैं देखिए कैसी कसक रही है"....कह कर उसने रीना की बायीं चूची को जोर से दबा दिया। वहाँ बैठी सभी लोग रागिनी की ऐसी भाषा सुन कर सन्न थे और उसकी अदाकारी का फ़ैन हो रहा था। फ़िर उसने रीना को मेरी तरफ़ ठेल दिया जिसे मैंने बिना देर किए अपनी तरफ़ खींचा। वियाग्रा खाए करीब एक घन्टा हो गया था सो मेरा लन्ड लगभग टन्टनाया हुआ था। बिना देर किए मैंने रीना के बदन से कपड़े उतारने शुरु कर दिए। पहले दुपट्टा, फ़िर कुर्ती इसके बाद सलवार....। रीना को ऐसी उम्मीद न थी सो मेरी फ़ुर्ती पर वो हैरान थी, और बिना देर किए मैंने उसकी पैन्टी नीचे सरार दी और जब तक वो समझे मैंने उस पैन्टी को उसके ताँगों से निकाल दिया और एक धक्के के साथ उसे नीवे बिछे बिछावन पर लिटा दिया। उसकी दोनों टाँगों को घुटने के पास से पकड़कर खोल दिया और फ़िर उसकी चूत में अपना टनटनाया हुआ लन्ड घुसा कर चोदने लगा। बेचारी सही से गीली भी नहीं हुई थी और उसको मेरे लन्ड पर लगे मेरे थुक के सहारे हीं अपनी चूत मरानी पड़ी सो वो कराह उठी। पर लौन्डिया नया-नया जवान हुई थी सो 5-6 धक्के के बाद हीं गीली होने लगी और मेरा लन्ड अब खुश हो कर मस्ती करने लगा। रीना की माँ और उसकी दोनों बहने वहीं बैठ कर सब देख रही थी। करीब 10 मिनट तक लगातार कभी धीरे तो कभी जोर से मैं उसको चोदा और फ़िर उसकी चूत में झड़ गया। किसी को इसका अंदाजा न था, पर जब मैंने अपना लन्ड बाहर खींचा तो रीना की चूत में से मेरा सफ़ेद माल बह चला।

मैंने बिना देरी किए रीना के मुँह में अपना लन्ड घुसा दिया जो ईशारा था उसके लिए, जिसको समझ कर वो मेरे लन्ड को चुस-चाट कर साफ़ की तो मैंने उसको पलट दिया और फ़िर उसकी गाँड़ मारने लगा। उस दिन लगातार चार बार मैं झड़ा, दो बार उसकी चूत में और एक-एक बार उसकी गाँड़ और मुँह में। इसके बाद मैंने पानी माँगा। बेचारी रीना थक कर चूर थी और वो मुँह से न बोल कर ईशारे से अपने लिए भी पानी माँगी।
बिन्दा हमारे लिए पानी लेने चली गई तो मैंने ईशारा किया और रीता मेरे पास आ कर मेरे लन्ड को चुसने लगी। बिन्दा जब पानी ले कर आई तो यह देख सन्न रह गई कि उसकी सबसे लाडली और छोटी बेटी अपने से 31-32 साल बड़े एक मर्द का लन्ड चूस रही है, वो भी उस मर्द का जो उसकी माँ के साथ अभी-अभी उसके सामने उसकी बड़ी बहन को चोदा था। वो गुस्से से भर कर रीता को मेरे ऊपर से हटाई तो रागिनी मेरे सामने बैठ कर लन्ड चूसने लगी और जैसे हीं बिन्दा ने एक थप्पड़ रीता को लगाया रुँआसी हो कर बोल पड़ी, "ये सब देख कर मन हो गया अजीब तो मैं क्या करूँ, तुम तो अंकल से चुदा ली और दीदी को भी चुदा दी और मुझे जो मन में हो रहा है उसका क्या? एक बार अंकल का छू ली तो कौन सा पाप कर दी, कुछ समय के बाद मुझे भी तो ऐसे हीं चुदाना होगा तो आज क्यों नहीं?"
अब रीना तो मैं अगले दौर के लिए खींच लिया था और रागिनी उन माँ-बेटी में सुलह कराने के ख्याल से बोली, "रीता अभी तुम छोटी हो, अभी कुछ और बड़ी हो जाओ फ़िर तो यह सब जिन्दगी भी करना हींहै} अभी से उतावली होगी तो तुम्हारा समय से पहले हीं ढ़ीला हो जाएगा फ़िर किसी को मजा नहीं आएगा न तुमको और न हीं जो तुमको चोदेगा उसको। अभी तो ठीक से झाँट भी नहीं निकला है तुमको।"
मैंने कहा - देखिये बिंदा जी. आज मैंने वियग्रा खाया है. मेरा लंड अभी शांत नही होगा. आपकी रीना तो अभी ही पस्त हो गयी है. अब मै किसे चोदुं?

बिंदा ने कहा - आप मुझे चोद लीजिये.

मैंने कहा - आईये , कपडे उतार कर आ कर नीचे लेट जाईये.
 
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भाग 10
बिंदा ने सिर्फ साड़ी पहन रखी थी. उसने झट अपनी साड़ी उतारी. साड़ी के नीचे उसने ना ब्रा पहनी थी ना ही पेंटी. वो रागिनी और अपनी सभी बेटियों के सामने नंगी हो कर मेरे लंड को चूसने लगी. रीना ने लेटे लेटे ही अपनी चूत में अपनी उंगली डाल कर अपनी माँ को मेरा लंड चूसते हुए देख रही थी. अब मैंने देर करना उचित नही समझा. मैंने बिंदा को पटक कर जमीन पर लिटाया और उसकी टांगों को मोड़ कर अलग कर उसके बुर को फैलाया और अपना विशाल लंड उसके चूत में घचाक से डाल दिया. कई मर्दों से चुदा चुकी बिंदा को भी मेरे इस मोटे लंड का अहसास नही था. वो दर्द के मारे बिलबिला गयी. लेकिन वो मेरे झटके को सह गयी. अब मै उसकी चूत को पलना चालु कर दिया. उसकी बेटियां अपनी माँ की चुदाई काफी मन से देख रही थी. करीब १५ मिनट की चुदाई में बिंदा ने 3 बार पानी छोड़ा. लेकिन मेरे लंड से 15 वें मिनट पर माल निकला जो उसकी चूत में ही समा गयी. अब बिंदा भी पस्त हो कर जमीन पर लेट गयी थी. लेकिन मै पस्त नहीं हुआ था. अब रागिनी की बारी थी. वो तो पेशेवर रंडी थी. मैंने सिर्फ उसे इशारा किया और वो बिंदा के बगल में जमीन पर नंगी लेट गयी.
लेकिन मैंने कहा - रागिनी तेरी गांड मारनी है मेरे को.
रागिनी मुस्कुराई और खड़ी हो कर एक टेबल पकड़ कर नीचे झुक गयी. मैंने उसकी कई बार गांड मारी थी. इसलिए मेरे लंड को उसके गांड के अन्दर जाने में कोई परेशानी नही हुई. तक़रीबन 200 बार उसके गांड में लंड को आगे -पीछे करता रहा. लेकिन वो सिर्फ मुस्कुराते रही. बिंदा और उसकी बेटियां मुझे रागिनी की गांड मारते हुए देख रही थी.

मैंने कहा - देखा बिंदा, इसे कहते हैं गांड मरवाना, देखो इसे दर्द हो रहा है?
रूबी ने कहा - रागिनी दीदी तो रोज़ 10-12 बार गांड मरवाती हैं तो दर्द क्या होगा?
मैं रागिनी की गांड मारते हुए हंसने लगा. रागिनी ने भी मुस्कुराते हुए रूबी से कहा - आजा, तू भी गांड मरवा के देख ले अंकल से. तुझे भी दर्द नहीं होगा.
रूबी ने कहा - ना बाबा ना. मै तो सिर्फ चूत चुदवा सकती हूँ आज. गांड नही.

यह सुन कर मेरी तो बांछें खिल गयी. मैंने कहा - खोल दे अपने कपडे , आज तेरी भी चूत की काया पलट कर ही दूँ. क्यों बिंदा क्या कहती हो?
बिंदा ने कहा - जब चुदाई देख कर रीता की चूत पानी छोड़ने लगी है तो रूबी तो उस से बड़ी ही है. उस की तमन्ना भी पूरी कर ही दीजिये. लेकिन प्यार से. रूबी, अपने कपडे उतार कर तू भी हमारी बगल में लेट जा.

माँ की परमिशन मिलते ही रूबी ने अपनी कुर्ती और सलवार उतार दिया. अन्दर उसने सिर्फ पेंटी पहन रखी थी. जो पूरी तरह गीली हो चुकी थी. सीने पर माध्यम आकार के स्तन विकसित हो चुके थे. रूबी पेंटी पहने हुए ही अपनी माँ के बगल में लेट गयी. बिंदा ने उसकी पेंटी को सहलाते हुए कहा - क्यों री , तेरी चूत से इतना पानी निकल रहा है?
रागिनी ने अपनी गांड मरवाते हुए कहा - क्यों नहीं निकलेगा पानी मौसी? इतनी चुदाई देखने के बाद तो 100 साल की बुढ़िया की चूत भी पानी छोड़ देगी . ये तो 16 साल की जवान है.

जवाब सुन कर हम सभी को हँसी आ गयी. बिंदा ने रूबी की पेंटी खोल दी. और उसकी चिकनी गीली चूत सहलाने लगी.
बिंदा बोली - क्यों री रूबी, ये चूत तुने कब शेव किया? दो दिन पहले तक तो बाल थे तेरी चूत पर.

रूबी - उस रात को जब अंकल तुम्हे चोद रहे थे ना तब तू अंकल से कह रही थी कि मेरी चूत के बाल फँस गए हैं . तभी मै सजग हो गयी थी. और उसी रात को चूत की शेव की थी मैंने. मुझे पता था कि क्या पता कब मौका लग जाए चुदाने का?

बिंदा - अच्छा किया कि तुने चूत की शेव कर ली. नहीं तो तेरे अंकल का लंड इतना मोटा है की चुदाई में बाल फँस जाते हैं और बहुत दुखता है. अच्छा , मै जो मोटा वाला मोमबत्ती खरीद कर लायी थी वो इसमें डालती हो कि नही आजकल?
रूबी - क्या माँ, अब तेरी उस मोमबत्ती से काम नहीं चलने वाला . अब तो पतला वाला बैगन भी डाल लेती हूँ.
 
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भाग 11
बिंदा - पूरा घुसा लेती हो?
रूबी - नहीं , आधा डाल कर ही मुठ मार लेती हूँ.

बिंदा - अच्छा ठीक है, आज अपने अंकल का लंड ले कर अपनी प्यास बुझा लो.

मैंने जितना सोचा था उस से भी कहीं अधिक यह परिवार आगे था. मैंने झटाझट रागिनी की गांड मारी और अपना माल उसकी गांड में गिराया. अब मेरी वियाग्रा का प्रभाव कम होना शुरू हुआ. मैंने रागिनी के गांड में से अपना लंड निकला और रूबी के बगल में लेट गया. रागिनी भी नंगी ही मेरे बगल में लेट गयी. अब बिंदा उसकी दो बेटी- रूबी और रीना , रागिनी और मैं सभी एक साथ जमीन पर पूरी तरह नंगे पड़े हुए थे. अब मुझे रूबी की चूत का भी सील तोड़ना था.
मैंने रूबी को अपने से सटाया और अपने ऊपर लिटा दिया. उसका होंठ मेरे होंठ के ऊपर था. मैंने उसके सर को अपनी सर की तरफ दबाया और उसका होठ का रस चूसने लगा. वो भी मेरे होठ के रस को चूसने लगी. उसके हाथ मेरे लंड से खेल रहे थे. मैंने उसे वो सब करने दिया जो उसकी इच्छा हो रही थी. वो मेरे मोटे लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मसल रही थी. उसकी माँ और बहन उसके बगल में लेट कर हम दोनों का तमाशा देख रही थी. थोड़ी देर में मैंने उसके होठों को अपने होठ से आजाद किया. उसे जमीन पर पीठ के बल लिटाया और उसकी माध्यम आकार की चुचियों से खेलने लगा. रूबी को काफी मज़ा आ रहा था.
बिंदा - अरे भाई, जल्दी कीजिये न? कब से बेचारी तड़प रही है.
मैंने भी अब देर करना उचित नही समझा. मैंने कहा - क्यों री रूबी, डाल दूँ अपना लंड तेरी चूत में?
रूबी - हाँ, डाल दो.

मैंने - रोवेगी तो नहीं ना?
रूबी - पहाड़न की बेटी हूँ. रोवुंगी क्यों?
मैंने उसके दोनों टांगों तो मोड़ा और फैला दिया. उसकी एक टांग को उसकी माँ बिंदा ने पकड़ा और दूसरी टांग को रागिनी ने. मैंने अपने लंड को उसकी चूत की छेद के सामने ले गया और घुसाने की कोशिश की. लेकिन रूबी की चूत की छेद छोटी थी और मेरा लंड मोटा. फलस्वरूप उसकी चूत पर चिकनाई की वजह से मेरा लंड उसकी चूत में ना घुस कर फिसल गया.

बिंदा ये देख कर हंसी और बोली - अरे भाई संभल कर. पहली बार चूत में लंड घुसवा रही है. रुक जाईये. मै डलवाती हूँ.

उसने एक हाथ की उँगलियों से अपनी बेटी रूबी की चूत चौड़ी करी और एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर उसकी चूत की छेद पर सेट किया. फिर मेरा लंड को कस कर पकड़ लिया ताकि फिर फिसल न जाये. बोली - हाँ , अब सही है. अब धीरे धीरे .

मैंने अपना लंड काफी धीरे धीरे रूबी की चूत में ससारना शुरू किया. उसकी चूत काफी गीली थी. इसलिए बिना ज्यादा कष्ट के उसने अपने चूत में मेरे लंड को घुस जाने दिया. करीब आधा से ज्यादा लंड मैंने उसके चूत में डाल दिया था, लेकिन रूबी को कोई तकलीफ नहीं हो रही थी.

बिंदा को थोडा आश्चर्य हुआ. बोली - क्यों री, पहले ही चुदवा ली है क्या किसी से?
रूबी - नही माँ. इस लंड के इतना मोटा बैगन तो मै रोज डालती हूँ ना.

मैंने कहा - आप चिंता क्यों करती हो बिंदा जी. अभी टेस्ट कर लेता हूँ.

मैंने कह कर कस के अपने लंड को उसके चूत में पूरा डाल दिया. रूबी चीख पड़ी. --माआआ
उसकी चूत की झिल्ली फट गयी. उसके चूत से हल्का सा खून निकल आया. खून देख कर बिंदा का संतोष हुआ कि रूबी को इस से पहले किसी ने नहीं चोदा था.
मैंने अपना काम तेजी से आरम्भ किया. उस दुबली पतली रूबी पर मै पहाड़ की तरह चढ़ उसे चोद रहा था. लेकिन वो अपनी इबादी बहन से ज्यादा सहनशील थी. उसने तुरंत ही मेरे लंड को अपने चूत में और मेरे भारी भरकम शरीर के धक्के को अपने दुबले शरीर पर सहन कर लिया. फिर मैंने उसकी 10 मिनट तक दमदार चुदाई करी. उसकी माँ इस दौरान अपनी बेटी के बदन को सहलाती रही तथा ढाढस बंधाती रही. 10 मिनट के बाद जब मेरे लंड ने माल निकलने का सिग्लन दिया तो मैंने झट से लंड को उसके चूत से निकाला और रूबी को उठा कर उसके मुह में अपना लंड डाल दिया. वो समझ गयी की मेरे लंड से माल निकलने वाला है. वो मेरे लंड को चूसने लगी. मेरे लंड ने माल का फव्वारा छोड़ दिया. रूबी ने सारा माल बिना किसी लाग लपेट के पी गयी. और मेरे लंड को चूस चूस कर साफ़ करी.

अब मै फिर एक- एक बार रीना और उसकी माँ बिंदा को चोदा .
रात दो बज गए थे. अंत में हम सभी थक गए. सबसे छोटी रीता हमारी चुदाई का खेल देखते देखते वहीँ सो गयी. बिंदा की गांड मारने के बाद मैं थक चुका था. हम सभी जमीन पर नंगे ही सो गए. लेकिन एक घंटे के बाद ही मेरी नींद खुली. मेरा लंड कोई चूस रही थी . मै लगभग नींद में था. अँधेरे में पता ही नही था की उन चार नंगी औरोतों में कौन मेरे लंड को चूस रही थी. मेरा लंड खड़ा हो चुका था. वो कौन थी मुझे पता नहीं था. मैंने नींद में ही और अँधेरे में ही उसकी जम के चुदाई की. इसी दौरान मेरी पीठ पर भी कोई चढ़ चुकी थी. ज्यों ही मैंने नीचे वाली के चूत में माल निकाला त्यों ही मेरी पीठ पर चढी औरत ने मुझे अपने ऊपर लिटाया और अपनी चूत में मेरे लंड को घुसा कर चोदने का इशारा किया. फिर मै उसे भी चोदने लगा. तभी मुझे अहसास हुआ की मेरी दोनों तरफ से दो और महिला भी मेरे से सट गयी हैं और मेरे चुदाई का आनंद उठा रही है. यानि मै इस वक़्त तीन औरतों के कब्जे में था. कोई मेरे होठों को चूम रही थी तो कोई मेरे अंडो को चूस रही थी. कोई मेरे लंड को अपने चूत में डलवा रही थी. ये प्रक्रम सुबह होने तक चलता रहा. जब थोड़ा थोडा उजाला हुआ तो मैंने देखा की मुझे से बिंदा, रीना और रूबी लिपटी हुई हैं. मेरे लंड इस वक़्त बिंदा के चूत में थे. बगल में रागिनी बेसुध सोयी पड़ी थी. मैंने अभी भी इन तीनो के साथ चुदाई करना चालु रखा. सुबह के नौ बज चुके थे. और तीनो माँ बेटी मुझे अभी तक नही छोड़ रही थी. ठीक नौ बजे सबसे छोटी रीता जग गयी. उस वक़्त रूबी मुझसे चुदवा रही थी और बिंदा मेरी पीठ पर चढी हुई थी. उधर रीना अपनी माँ की चूत चूस रही थी. जब मैंने रूबी के चूत में माल निकाला तो कुछ भी नही निकला सिर्फ एक बूंद पानी की तरह निकला. इस में भी मुझे घोर कष्ट हुआ. मजाक है क्या एक रात में 24-25 बार माल निकालना?

उसके बाद तो मै उन सब को अपने आप से हटाया और नंगा ही किसी तरह आँगन में जा चारपाई पर गिर पड़ा. शायद तब उन तीनों को समय और अपनी परिस्थिती का ज्ञान हुआ. वे तीनो कपडे पहन बाहर आयीं. रागिनी को भी जगाया. हमारी आज की बस छुट चुकी थी. रागिनी बेहद अफ़सोस कर रही थी. लेकिन मुझे नंगा चारपाई पर पड़ा देख उसे काफी आश्चर्य हुआ? उसने बिंदा से पूछा - मौसी, इन्हें क्या हुआ?
बिंदा - रात भर हम लोगों ने इस से चुदवाया. अभी अभी इस को हमने छोड़ा.

रागिनी - माई गाड, इतना तो बेचारा एक महीने में भी नहीं चोदता होगा. और तुम पहाड़नियों माँ बेटियों ने एक ही रात में इसका भुरता बना दिया. हा हा हा हा ...खैर.. इस चारपाई को पकड़ो और इसे अन्दर ले चलो. कोई आ गया तो मुसीबत हो जायेगी.

उन चारों ने मेरी चारपाई को पकड़ा और मुझे अन्दर ले गयी. मै दिन भर नंगा ही पड़े रहा. शाम को मेरी नींद खुली तो मैंने खाना खाया.

हालांकि हमें अगले दिन ही लौट जाना था लेकिन उन माँ बेटियों ने हमें जबरदस्ती 10 दिन और रोक लिया. और वो तीनों माँ-बेटी और रागिनी हर रात को पूरी रात मेरा सामूहिक बलात्कार करती थी .
जब बिंदा और रूबी का मन पूरी तरह तृप्त हो गया तब उसने मुझे रीना के साथ शहर वापस आने की अनुमती दी. रीना तो पहले से ही रंडी बन चुकी थी. शहर आते ही उसने रंडियों में काफी ऊँचा स्थान बना लिया. छः महीने में ही उसने कार और फ़्लैट खरीद कर बिंदा , रूबी और रीता को भी शहर बुला लिया. बिंदा और रूबी भी इस धंधे में कूद पडीं.

मुझे आश्चर्य हुआ कि बिंदा की डिमांड भी मार्केट में अच्छी खासी हो गयी . अब ये तीनो इस धंधे में काफी कम रही है.
हाँ, सबसे छोटी रीता को इस दलदल से दूर रखा है और उसे शहर से दूर बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाया जा रहा है.


समाप्त
 
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पलंग तोड़ कबड्डी और पलंग पोलो

मैं बिहार के एक गाँव का हूँ।
पुणे में, इंजिनियरिंग कर रहा हूँ।
उम्र 22 साल, रंग गोरा और मजबूत कद काठी।
सेक्स के बारे में, उस समय मैं ज़्यादा कुछ नहीं जानता था।
बस कभी कभार पेड़ पर, झाड़ियों में छुप कर गाँव की लड़कियों और औरतों को नहाते और उनको अपनी छातियों को मलते देखा है।
मेरी गाँव में, काफ़ी लंबी चौड़ी जमींदारी है।
बड़ी सी हवेली है। नौकर चाकर।
घर में, वैसे तो कई लोग हैं। पर, मुख्य हैं – मेरे पापा, माँ, चाचा और चाची।
राघव, हमारी हवेली का मुख्य नौकर है और उसकी पत्नी, जमुना मुख्य नौकरानी।
मेरे पापा, करीब 52 के होंगे और माँ करीब 48 की।
मेरा जन्म, इस हवेली में हुआ है और यहीं पर मैंने अपना पूरा बचपन और जवानी के कुछ साल बिताए हैं।
राघव की उम्र, तकरीबन 42 की होगी और जमुना की करीब 36–37 की।
उनकी बेटी श्रुति की उम्र, तकरीबन 17-18 की होगी। जो की, मेरे से करीब 5 साल छोटी थी।
बचपन में, श्रुति मेरे साथ ही ज़्यादातर रहती थी।
मैं उसे पढ़ाता था और हम साथ में खेला भी करते थे।
हमारा पूरा परिवार, राघव और जमुना को बहुत मानता था।
मैं तांगे पर बैठा था और तांगा, अपनी रफ़्तार से दौड़ रहा था।
मेरे गाँव का इलाक़ा, अभी भी काफ़ी पिछड़ा हुआ है और रास्ते की हालत तो बहुत ही खराब थी।
जैसे तैसे, मैं अपने गाँव के करीब पहुँचा।
यहाँ से मुझे, करीब पाँच किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी थी।
शाम हो आई थी।
मैंने जल्दी जल्दी, चलना शुरू कर दिया।
गाँव पहुँचते पहुँचते, रात हो गई थी।

मेरे घर का दरवाजा, खुला हुआ था।
मुझे ताजूब नहीं हुआ क्योंकि मेरे परिवार का यहाँ काफ़ी दबदबा है।
मैं अंदर घुसा और सोच रहा थे की सब कहाँ गये और तभी मुझे, श्रुति दिखाई पड़ी।
मैंने उसको आवाज़ लगाई।
वो तो एकदम से हड़बड़ा गई और खुशी से दौड़ कर, मेरे सीने से आ लगी।
उसने मुझे, अपने बाहों में भर लिया।
मैंने भी उसको अपनी बाहों में भर कर, ऊपर उठा लिया और उसे घुमाने लगा।
वो डर गई और नीचे उतारने की ज़िद करने लगी।
मैंने उसकी एक ना सुनी और उसे घूमता ही रहा।
तभी एकदम अचानक से, मुझे उसकी “जवानी” का एहसास हुआ।
एकदम से गदराई हुई छाती, मेरे सीने से दबी हुई थी।
एक करेंट सा लगा, मुझे।
रोशनी हल्की थी, इसलिए मैं चाह कर भी उसकी चूचियाँ नहीं देख पाया पर देखने की क्या ज़रूरत थी।
मैं उसके बूब्स का दबाव, भली भाँति समझ रहा था।
मैंने धीरे से, श्रुति को उतार दिया।
श्रुति खड़ी होकर, अपनी उखड़ी हुई साँस को व्यवस्थित करने लगी।
मैं उस साधारण रोशनी में भी, उसके सीने के उतार चढ़ाव को देख रहा था।
एक मिनट बाद, वो मेरी तरफ झपटी और मेरे सीने पे मुक्के मारने लगी।
मैं हंसता हुआ, उसकी तरफ लपका तो वो भागने लगी।
मैंने पीछे से, उसको दबोच लिया।
वो, हंस रही थी।
मुझे उसकी निश्चल हँसी, बहुत ही प्यारी लगी लेकिन मेरे मन में “शैतान” जागने लगा था।
जब मैंने उसको दबोचा तो जान बुझ कर, मैं उसके पीछे हो गया और पीछे से ही उसको अपने बाहों के घेरे में ले लिया।
बचपन के साथी थे, हम इसलिए उसको कोई एतराज नहीं था।
ऐसा, मैं सोच रहा था।
मैंने धीरे से, अपना उल्टा हाथ उसके सीधे मम्मे पर रख दिया और बहुत ही हल्के से दबा भी दिया।
हे भगवान!! मैंने कभी भी सोचा ना था की लौंडिया की चूची दबाने में, इतना मज़ा आता है।
मेरे मुँह से एक सिसकारी, निकलते निकलते रह गई।
मैंने उसे यूँ ही दबाए हुए पूछा – घर के सब लोग, कहाँ गये हैं.. !!
उसने उसी मासूमियत से जवाब दिया की सब लोग पास के गाँव में शादी में गये हैं और घर पर उसके माँ और पिताजी के अलावा और कोई नहीं है.. !!
बात करते हुए, मैं उसकी चूची को सहला रहा था।
वो घाघरा चोली में थी और उसने कोई ब्रा नहीं पहनी थी।
मैं बता नहीं सकता, साहब की मैं कौन से आसमान पर उड़ रहा था।

उसकी मस्त चूची का ये एहसास ही, मुझे पागल किए दे रही थी।

पर मैं हैरान था की उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया क्यूँ नहीं हो रही है।
हम आँगन में खड़े थे और मैं बहुत हल्के हल्के, उसकी चूचियों को सहला रहा था और वो हंस हंस के मुझसे बात किए जा रही थी।
उसने खुद को मुझसे छुड़ाने की ज़रा भी कोशिश नहीं की।
मुझे एक झटका सा लगा।
क्या श्रुति एकदम इनोसेंट (मासूम) है और उसे सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं पता।
मेरे मन ने मुझे धिक्कारा और मैं एक दम से, जैसे होश में आया और श्रुति को छोड़ दिया।
फिर उसने मेरा सूटकेस उठाया और हम दोनों, मेरे कमरे की तरफ चल पड़े।
नहा धो कर, मैंने शॉर्ट और बनियान पहन लिया और अपने कमरे की खिड़की पर खड़ा हो गया।
हमारे गाँव में लाइट कम ही आती है, इसलिए लालटेन से ही ज़्यादातर काम होता है।
बरामदे की लालटेन की रोशनी आँगन में पड़ रही थी और चाँद की रोशनी भी।
तभी मैंने जमुना को, आँगन में आते हुए देखा।
उसके हाथ में, कुछ सामान था।
वो सामान को एक तरफ रख कर खड़ी हुई थी की आँगन में, मेरे चाचा ने प्रवेश किया।
चाचा – क्या रे, जमुना.. !! भैया भाभी, सब आए की नहीं.. !!
जमुना – कहाँ मालिक, अभी कहाँ.. !! उनको तो लौटने में, काफ़ी देर हो जाएगी.. !!
चाचा – और राघव.. !!
जमुना – वो तो शहर गये हैं.. !! कुछ कोर्ट का काम था.. !! बड़े मालिक ने भेजा है.. !! शायद, आज ना आ पाए.. !!
चाचा – हूँ.. !! तो फिर आज पूरे घर में कोई नहीं है.. !!
जमुना – जी मालिक.. !!
चाचा – अच्छा, ज़रा पानी पिला दे.. !!
मैं अपनी खिड़की पर ही खड़ा था, जो की दूसरी मंज़िल पर है।
उन दोनों को ही, मेरे आगमन का पता नहीं था।
चाचा खटिया पर बैठ कर, अपने मूँछो पर ताव दे रहे थे।
अचानक, वो उठे और उन्होंने धीरे से दरवाजा बंद कर दिया।
उनकी ये हरकत, मुझे बड़ी अजीब लगी।
दरवाज़ा बंद करने की क्या ज़रूरत थी।
मेरा माथा ठनका।
मैं कुछ सोच पता इसके पहले ही, जमुना एक प्लेट में गुड और जग में पानी ले कर आई।
चाचा ने पानी पिया और उठ खड़े हुए।
जमुना जैसे ही जग लेकर घूमी, चाचा ने उसका हाथ पकड़ लिया।
कहानी को बीच में रोकते हुए, मैं जमुना के बारे मैं कुछ बता दूँ।

एकदम, “मस्त माल” है।
5 फीट 4 इंच की लंबाई, मेहनत कश शरीर, पतली कमर, भरा पूरा सीना – 36 साइज़। एकदम से उठाव लिया हुआ, मानो उसके स्तन आपको चुनौती दे रहे हो की आओ और ध्वंस कर दो, इन गगनचुंबी पर्वत की चोटियों को।
भारी भारी गाण्ड, मानो दो बड़े बड़े खरबूजे।
जब चलती है तो गाँव वालों में, हलचल मच जाती है।
सारे गाँव वाले राघव से जलते थे की साले ने क्या तक़दीर पाई है।
मस्त चोदता होगा, यह जमुना को और जमुना भी इसे निहाल कर देती होगी।
मैंने खुद कई बार लोगों को उसकी छातियों की तरफ या फिर, उसके गाण्ड की तरफ ललचाई नज़रों से घूरते हुए देखा है।
मैं तब, इसका मतलब नहीं जानता था।
खैर, चाचा के इस बर्ताव से जमुना हड़बड़ा गई।
चाचा ने उसे अपनी तरफ खींचा तो वो जैसे होश में आए।
जमुना – मालिक, ये आप क्या कर रही हैं.. !!
चाचा – क्यों क्या हुआ.. !! तू मेरी नौकरानी है.. !! तुझे मुझे हर तरह से, खुश रखना चाहिए.. !!
जमुना – नहीं मालिक.. !! मैं और किसी की बीवी हूँ.. !!
चाचा – साली, रांड़.. !! नखरे मारती है.. !! सालों से, कम से कम 100 बार तुझे चोद चुका हूँ.. !! कौन जाने, श्रुति मेरी बेटी है या राघव की.. !!
जमुना ने ठहाका लगाया और बोली – अरे मालिक, आपको तो गुस्सा आ गया.. !! आओ, मेरे मालिक मेरा दूध पिलो और अपना दिमाग़ ठंडा करो.. !! असल में, मैं तो खुद कब से इस घड़ी का इंतज़ार कर रही थी की किसी दिन यह घर खाली मिले और श्रुति के बापू भी घर में ना रहें.. !! उस दिन आप के साथ, “पलंग कबड्डी” खेला जाए.. !! पर मालिक, मैं औरत हूँ.. !! थोड़ा नखरा दिखना तो बनता है.. !! आपने तो मुझे रांड़ बना दिया.. !! वैसे, सच में मालिक आप बड़ा मस्त चोदते हैं.. !! मैं तो आपके चोदने के बाद, 2–3 दिन श्रुति के बापू को छूने भी नहीं देती.. !! इतना “नशा” रहता है, आपसे चुद कर.. !!
इतना कहते कहते, जमुना ने चाचा की धोती में हाथ डाल दिया।
चाचा भी उसकी दोनों मस्त चूचियों पर पिल पड़े और ज़ोर ज़ोर से, उसे दबाने और मसलने लगे।
जमुना ने चाचा का हथोड़ा बाहर निकाला और उसे ज़ोर से चूमने लगी।
मैं खिड़की पर खड़ा सब देख रहा था और मन ही मन, सोच रहा था की कैसे इस जमुना को चोदा जाए।

अगर मौका मिले तो उसको “ब्लैक मेल” किया जा सकता है।
घर पर शायद संभव ना हो सके पर बहाने से, उसे खेत में ले जाकर तो चोद ही सकते हैं।
अभी भी साली, क्या मस्त माल लगती है।
मेरे मुँह में, जैसे पानी आ गया।
मेरा लण्ड, हरकत करने लगा था।
तभी जमुना ने, चाचा से कहा – मालिक, आज तो घर में कोई नहीं है.. !! क्यों ना आज, कमरे में आराम से “चुदाई चुदाई” खेले.. !! हर बार, आप मुझे खेत में ही चोदे हैं.. !! वो भी हड़बड़ी में.. !! आज मैं, आपको पूरा सुख देना चाहती हूँ और पूरा सुख लेना भी चाहती हूँ.. !!
चाचा भी फ़ौरन तैयार हो गये और जमुना को गोद में उठा कर, अपने कमरे की तरफ चल दिए।
मैं थोड़ा दुखी हो गया क्यों की अब ये चुदाई देखने को नहीं मिलेगी।
चाचा का कमरा, आँगन के पास निचली मंज़िल में था।
मेरे कमरे के बाहर, छत के दूसरे कोने में दो कमरे और एक बाथरूम बना हुआ था।
राघव का परिवार, उसी में रहता था।
मैंने श्रुति को अपने कमरे की तरफ, आते हुए सुना।
मैंने झट से अपना लण्ड शॉर्ट के अंदर किया और बाहर की तरफ आया।
श्रुति सामने से, आ रही थी।
मैं तुरंत दरवाजे के पीछे छुप गया और जैसे ही, श्रुति मेरे कमरे के सामने से निकली मैंने पीछे से उसको दबोच लिया।
मैं सावधान था इसलिए मेरा एक हाथ, उसके मुँह पर और एक हाथ उसके सीने पर रखा और ज़ोर से उसकी लेफ्ट चूची को दबा दिया।
श्रुति के मुँह से एक घुट घुटि चीख निकल गई पर मुँह पे हाथ होने की वजह से, चीख बाहर नहीं निकली।
जब उसने मुझे देखा तो राहत की साँस लेते हुए, बोली – छोटे मालिक.. !! अपने तो मुझे डरा ही दिया था.. !!
मैने उसके मुँह से अपना हाथ हटाया और फिर पीछे से दोनों हाथ, उसकी दो चूचियों पर रखा और ज़ोर से दबा दिया।
वो हड़बड़ा गई और बोली – क्या करते हो.. !! दर्द होता है.. !!

मैंने फिर से, उसकी दोनों चूचियों को ज़ोर से दबाया।
उसने सवालिया निगाहों से मुझे देखा और कहा – आज, आपको हुआ क्या है.. !! ऐसे भी कोई दबाता है क्या.. !! मुझे लगता नहीं क्या.. !! और झट से, मेरे से दूर चली गई।
मेरे मुँह में, पानी भरा हुआ था।
क्या मस्त चुचे थे, यार।
एकदम.. !! एकदम.. !! अब क्या बोलूं। आप समझ जाइए।
मेरा मन तो उसका दूध पीने का कर रहा था।
लेकिन, उसकी बातों ने ये सिद्ध कर दिया था की वो एकदम भोली है और सेक्स के बारे में कुछ नहीं जानती।
मुझे लगा की मेरी किस्मत खुलने वाली है।
आज तो मैं इसको, चोद कर ही रहूँगा।
ज़्यादा से ज़्यादा, ये अपनी माँ से शिकायत करेगी और मेरे पास जमुना को काबू में रखने का “तुरुप का इक्का” तो था ही।
साली, नीचे कमरे में चाचा से चुदवाने की तैयारी कर रही थी।
मैंने श्रुति से पूछा – तुझे दुख रहा है.. !!
श्रुति – हाँ.. !!
मैं – ला, अच्छे से दबा दूँ.. !! नहीं तो हमेशा, ऐसा ही दुखेगा.. !!
श्रुति झट से, मेरे पास आ गई।
मैंने उसकी छातियों को, हौले हौले दबाया।
वो कुछ ना बोली, बस ऐसे ही खड़ी रही।
कोई “एक्सप्रेशन” भी नहीं था, चेहरे पर।
मुझे पूरा विश्वास हो गया की सचमुच, उसे कुछ पता नहीं है।
मैंने एक प्लान बनाया और उससे बोला – एक मिनट, मेरे कमरे में बैठ और मैं अभी आता हूँ.. !!
मैं नीचे उतरा।
मुझे पता ही था की चाचा और जमुनिया के अलावा, घर मैं सिर्फ़ मैं और श्रुति ही थे।
चाचा और जमुनिया की लापरवाही की मुझे पूरी आशा थी इसलिए मैंने बगल के कमरे में जा कर, दरवाजे के की होल से अंदर झाँका।
सिर्फ़ चाचा ही दिख रही थे और वो हाथ में ग्लास ले कर, पलंग पर बैठे थे।
जमुनिया, शायद नहाने गई थी।
मैं घूम कर बाथरूम के पीछे गया और खिड़की के साइड से झाँक कर देखा तो मेरा अंदाज़ा सही निकला।
जमुनिया, पूरी नंगी हो कर नहा रही थी।
बाथरूम में, कमरे की रोशनी आ रही थी।
वो पर्याप्त तो नहीं थी पर फिर भी मैं जमुनिया को उस रूप मैं देख कर पगला गया।
हाय!! क्या मस्त लग रही थी।
पानी उसके जिस्म पर गिर रहा था और पूरा बदन एकदम “मलाई मक्खन” की तरह दिख रहा था।
वो बड़ी बड़ी चूचियाँ, जो आज तक सबके लिए सपना थीं, मेरे आँखों के सामने “नंगी” थीं।

बड़ी मुश्किल से, मैंने अपने आप को संभाला और और आगे बढ़ कर पीछे के स्टोर रूम में चला गया।
खोजते खोजते, मुझे दरवाजे में एक बड़ा छेद दिखाई दिया।
आँखें गड़ाई तो अंदर चाचा के कमरे का पूरा सीन दिखाई पड़ रहा था।
मेरी इच्छा तो वही रुक कर, चाचा से जमुनिया की चुदाई की पूरी फिल्म देखने का था पर ऊपर श्रुति बैठी थी।
उसको चोदने की इच्छा, इस फिल्म से ज़्यादा मायने रखती थी।
मैं ये सोच रहा था की श्रुति को कैसे पटाया जाए।
वो तो सेक्स के बारे में, कुछ भी नहीं जानती थी।
जब ऊपर पहुँचा तो देखा, वो मेरे कमरे पर कुर्सी पर बैठी है।
मैंने उससे, बात चीत शुरू की।
मैं – श्रुति और सुना.. !! आज कल, क्या हो रहा है.. !!
श्रुति – कुछ नहीं.. !! बस, ऐसे ही.. !!
मैं – तो सारा दिन बस मटरगस्ति हो रही है.. !! पढ़ाई लिखाई का क्या हुआ.. !!
श्रुति – नहीं.. !! अब, मैं स्कूल नहीं जाती.. !! घर पर ही रहती हूँ.. !!
मैं धीरे से उसके पीछे खड़ा हो गया और उसके कंधों पर हाथ रख कर बोला – और सेक्स.. !! कभी सेक्स किया है.. !!
श्रुति – क्या बोले.. !! मैं कुछ समझी नहीं.. !!
मैं – तुझे सेक्स के बारे में, कुछ नहीं पता.. !!
श्रुति – नहीं.. !! ई क्या होता है.. !!
मैं – वो जिंदगी का सबसे बड़ा आनंद होता है.. !! अच्छा, एक बात बता.. !! तेरे माँ बापू, तेरी शादी की बात नहीं करते.. !!
श्रुति (शरमाते हुए) – हाँ करते हैं ना.. !! जब तब, मुझे टोकते रहते हैं.. !! ये मत करो, वो मत करो.. !! अब तेरी शादी होने वाली है.. !! वहाँ ससुराल में, यही सब करेगी क्या.. !! ऐसे.. !! मेरे को तो, उसकी कोई बात ही समझ में नहीं आती है.. !!
मैंने उसे धीरे से अपनी ओर खींचा और उसे अपने बाहों में भर कर बोला – तू तो बहुत भोली है.. !!
इतनी बड़ी हो गई पर है बिल्कुल बच्ची ही.. !!
वो मेरे से चिटक गई और गुस्से से बोली – मैं बच्ची नहीं हूँ.. !!
मैंने कहा – अच्छा.. !! और हँसने लगा।
तो उसने तुरंत साँस भर कर अपना सीना फूला लिया और बोली – देखो.. !! क्या मैं बच्ची लगती हूँ.. !! नहीं ना.. !! मैं अब बड़ी हो गई हूँ.. !!
मैंने हंसते हंसते, उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसका सिर चूम लिया।
मैंने फिर धीरे धीरे उसके होठों पर एक छोटा सा किस किया तो वो बोली – छोड़िए ना.. !! क्या करते हो.. !!
मैंने उससे कहा – तुम बड़ी तो हो गई हो.. !! पर, अब तुम्हें बड़े वाले काम भी करने होंगे.. !! वो मेरी तरफ देखने लगी.. !!
मैंने पूछा – सच बता, कभी क्या तूने अपने माँ पापा को “पलंग पोलो” खेलते देखा है.. !!
श्रुति – क्या.. !! मैं समझी नहीं.. !!
मैं – तेरे माँ पापा, रात को साथ सोते हैं.. !!
श्रुति – हाँ.. !!
मैं – तो फिर, तू कहाँ सोती है.. !!
श्रुति – बगल वाले, कमरे में.. !!
मैं – तूने कभी रात को माँ पापा के कमरे में उनको बिना बताए, झाँक कर देखा है.. !!
श्रुति – नहीं.. !! मैं जब रात को सोती हूँ तो फिर सुबह ही मेरी नींद खुलती है, वो भी माँ के जगाने पर.. !! बहुत चिल्लाती है, वो.. !! कहती है की मैं एकदम बेहोश सोती हूँ.. !! रात को कोई अगर, मेरा गला भी काट जाएगा तो मुझे पता भी नहीं चलेगा.. !! और वो हंसने लगी।
मैंने अपना जाल फेंका – तू जानना चाहेगी की रात को तेरे सोने के बाद, तेरे माँ पापा कैसे “पलंग पोलो” खेलते हैं.. !!
श्रुति – सच में, आप मुझे दिखाएँगें.. !!
मैं – हाँ!! पर एक शर्त है की तू एकदम मुँह पे ताला लगा कर रहेगी.. !! चाहे कुछ भी हो जाए, एक आवाज़ नहीं निकलेगी.. !!
श्रुति – ठीक है.. !!
मैं – खा, मेरी कसम.. !!
श्रुति (झिझकते हुए) – आपकी कसम.. !!
मैं श्रुति को लेकर, नीचे उतरा।
मैंने इशारा कर दिया था की कोई आवाज़ ना हो।
मैं श्रुति को, उसकी “माँ की चुदाई” दिखाने ले जा रहा था।
उसके बाद, मैं उसको आज की रात ही भरपूर चोद कर युवती से औरत बनाने वाला था।
दबे पाँव, हम स्टोर रूम में आ गये।
मैंने छेद में आँख लगाई तो देखा, जमुनिया एकदम नंगी हो कर चाचा के लिए जाम बना रही थी और चाचा बिस्तर पर बैठ कर, अपने हथियार में धार दे रहे थे।
जमुनिया के हाथ से ग्लास लेकर, चाचा ने साइड टेबल पर रखा और जमुनिया को अपनी तरफ खींच लिया।
जमुनिया मुस्कुराते हुए, उनके पास आ गई।
चाचा ने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों “अमृत कलश” को थाम लिया और उसे सहलाते हुआ बोले – आज तो बहुत मज़ा आएगा.. !! लगता है, आज तेरी जवानी फिर से वापस आ गई है, जमुना.. !! मां कसम, बड़ा मज़ा आ रहा है.. !!
फिर दोनों, एक दूसरे के लिप्स चूसने लगे।
मैं धीरे से हटा और श्रुति को भीतर देखने का इशारा किया।
श्रुति ने छेद में आँख डाल कर, देखना शुरू किया।
मैं तैयार था।
जैसे ही, श्रुति ने भीतर देखा उसकी तो जैसे साँस ही रुक गई।
वो झटके से ऊपर उठी तो मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया और स्टोर रूम से बाहर ले आया।
श्रुति के पैरों मैं जैसे जान ही नहीं रह गई थी।
मैं उसे खींचता हुआ, थोड़ी दूर पर ले गया।
फिर, मैंने उसके मुँह से हाथ हटाया।

उसने बड़ी अजीब सी नज़रों से मुझे देखा और कहा – ये क्या हो रहा था, भीतर.. !! माँ, कैसे मालिक के सामने ऐसे खड़ी थी और मालिक ये क्या कर रहे थे.. !!
अब मैं, वाकई दंग रह गया।
एक जवान गाँव की 16-17 साल की लड़की और उसे सेक्स के बारे में, कुछ भी नहीं पता।
सच में.. !! ???
मैंने श्रुति के चेहरे को अपने दोनों हाथों में भर कर उसके हाथ पर एक चुंबन लगा दिया और बोला – इसे ही “पलंग पोलो” कहते हैं.. !!
वो दोनों “जवानी का खेल” खेल रहे हैं। जो की हर मर्द एक औरत के साथ खेलता है।
तुम भी खेलोगी, एक दिन और तुम्हें बहुत ही मज़ा आएगा।
ये इंसान की जिंदगी का, सबसे बड़ा आनंद होता है।
और देखना चाहोगी.. !! – मैंने पूछा।
वैसे तुम्हें बता दूँ अभी तो ये बस शुरुआत ही है.. !! इस खेल में, अभी दोनों खिलाड़ी बड़े बड़े पैंतरे दिखाएँगें.. !!
श्रुति के चेहरे पर, अजीब सा “भाव” था।
वो आगे बढ़ी और फिर से, छेद में आँख गड़ा कर देखने लगी।
चाचा पलंग पर पैर फैला कर बैठे थे और जमुनिया का स्तन चूस रहे थे।
एक हाथ में, एक स्तन दबोचे हुए थे और दूसरे हाथ से, उसकी गाण्ड सहला रहे थे।
उनका मुँह, दूध पीने में व्यस्त था।
जमुनिया, अपने दोनों हाथों से चाचा का लण्ड सहला रही थी।
फिर उसने अपने आप को छुड़ाया और चाचा के लौड़े पर टूट पड़ी।
उसने पूरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और “चुसूक चुसूक” चूसने लगी, जैसे जिंदगी में पहली बार, लोलीपोप चूस रही हो।
चाचा की आँखें आनंद से बंद हुई जा रही थीं और उनके मुँह से आनंद की सीत्कार निकल रही थी – आह ओफफ्फ़.. !! और ज़ोर से, मेरी रानी.. !! और ज़ोर से.. !! कितना मज़ा आ रहा है.. !!
करीब पाँच मिनट तक, ये चलता रहा।
फिर मैंने श्रुति को हटाया और खुद आँख लगा के देखने लगा।

चाचा अब जमुनिया को पलंग पर लिटा कर, उसकी चूत चूस रहे थे।
तभी श्रुति ने मुझे हटाया और खुद, फिर से देखने लगी।
उसका चेहरा तमतमा रहा था और उसकी साँसें तेज हो रही थीं।
मैं उसके सीने के उतार चढ़ाव को बखूबी महसूस कर रहा था।
 
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IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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जमुनिया भी आनंद में सरोवार थी और हल्के हल्के सिसकारियाँ ले रही थी – मालिक क क क, बहुत मज़ा जा आ रहा है.. !! आह आँह.. !! फूह यान्ह.. !! आ आ आ आ आ आ आ आ उंह.. !! आआ ज़ोर से चूसो ना.. !! ये मादार चोद, राघव तो कभी भी मेरी चूत नहीं चाटता है.. !! इयान्ह ह ह ह ह ह आह आ आ आ आह ह हा.. !! आप ना मिले होते तो, मैं इस आनंद से वंचित ही रह जाती.. !! ओ मेरी माँ मज़ा गया, मेरे मालिक.. !! उफ्फ मा ह उंह आह.. !! आप मुझे, अपने पास ही रख लीजिए.. !! मैं आपकी दासी बन के रहूंगी, मेरे मालिक.. !! और ज़ोर से.. !! हाँ.. !! और ज़ोर से.. !! और फिर, वो चाचा के मुँह मे ही झड़ गई।
झर झर, जैसे झरना बहता है उसका रस वैसे ही फुट पड़ा और चाचा ने एक बूँद भी बाहर जाने नहीं दी।
सब का सब ही, चाट गये।
मैं इस बीच मौका देख कर, श्रुति के पीछे से चिपक कर खड़ा हो गया था।
श्रुति थोड़ा हिली, पर मैं पीछे से ना हटा।
श्रुति ने फिर से, अपनी आँख छेद में लगा दी।
मैंने धीरे धीरे, उसकी पीठ सहलाना शुरू किया।
फिर आगे बढ़ते हुए, उसकी गर्दन भी सहलाने लगा।
मैं समझ रहा था की श्रुति की साँसे और तेज हो रही थीं।
मैंने धीरे से उसका लहंगा उठा कर, उसकी कमर तक चढ़ा दिया और उसकी गाण्ड पर हाथ फेरने लगा।
श्रुति, चिहुंक उठी और उसने गुस्से से मेरी तरफ देखा और अपना लहंगा नीचे कर लिया।
मैं भी मौके की नज़ाकत को समझते हुए, 2 मिनट के लिए चुप चाप खड़ा हो गया और श्रुति को भीतर का मज़ा लेने दिया।
अंदर चाचा और जमुना, पलंग पर पड़े हाँफ रहे थे।
फिर चाचा उठे और जमुना से चिपक गये और फिर से, उसका दूध पीने लगे।
थोड़ी देर बड़ा, उन्होंने अपना लण्ड जमुना के मुँह में पेल दिया और जमुना उसे मज़े लेकर चूसने लगी।
चाचा का हथियार तो पहले से ही तैयार था।
चाचा ने जमुना को उठाया और बिस्तर पर पटक दिया और खुद भी, जमुना के ऊपर चढ़ गये।
चाचा ने अपना हथियार सेट किया और एक झटके में उसे, जमुना की चूत में पेल दिया।
जमुना, गरगरा उठी।
ओह!! मेरे मालिक.. !! अन्म आह इस्स.. !! आह आह अहहहाहा आह अह आ आ अहहा.. !! इयै याया आ आ या अय हेया.. !! आह आह अहहाहा हहाहा आइ इह इयाः आह.. !! आ आ आ आ स स स स स स स स स.. !! इनहया याः इया या या या या या ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह.. !! उई माआअ.. !! आहा आहा अया।
चाचा ने उसके दूध को बेदर्दी से निचोड़ते हुए, धक्का लगाना शुरू कर दिया।
जमुना, सिसकारियाँ ले रही थी।

उसकी चूत तो वैसे भी गरम ही थी और ऊपर से चाचा का लण्ड, जबरदस्त धौंक रहा था।
कमरे में फूच फूच की आवाज़ गूँज रही थी।
जमुनिया अब “जल बिन मछली” की तरह, तड़प रही थी।
मेरे मालिक.. !! और ज़ोर से.. !! फाड़ दो, इसको आज.. !! चोद दो, सारी ताक़त लगा के.. !! ज़ोर लगा के, मेरी जान.. !! ज़ोर से, ज़ोर से.. !! मार डाल, मुझे.. !! छोड़ना मत और चोदो.. !! और ज़ोर से, दम लगा के.. !! आह आँह.. !! फूह यान्ह.. !! आ आ आ आ आ आ आ आ उंह.. !! इयान्ह ह ह ह ह ह आह आ आ आ आह ह हा.. !! उफ्फ मा ह उंह आह.. !!
वो बकती जा रही थी और चाचा, पेलते जा रहे थे।
चूत और लण्ड के बीच “घमासान युद्ध” हो रहा था और हम दोनों, मूक दर्शेक बन कर इस युद्ध का मज़ा ले रहे थे।
मैं अपनी मंज़िल की तरफ, धीरे धीरे बढ़ रहा था।
मैंने फिर से, श्रुति का लहंगा ऊपर उठना शुरू किया।
श्रुति की साँस धौकनी की तरह चल रही थी। लेकिन, उसने छेद से आँख नहीं हटाई।
मैंने धीरे से, उसकी गाण्ड पर हाथ रखा।
उसने, कोई पैंटी नहीं पहनी थी।
नंगी गाण्ड को छूने से, मुझे जैसे एक ज़ोर का झटका लगा।
पहली बार, किसी की गाण्ड पर हाथ रखा था।
उफ!! कितनी नरम थी, गाण्ड।
धीरे धीरे, मैंने उसको सहलाना शुरू कर दिया।
श्रुति ने इस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और वो अंदर की तरफ ही देखती रही।
मैं थोड़ी देर तक, गाण्ड सहलाने के बाद उसके पैरों के बीच में अपना हाथ ले गया।
एकदम से मुझे हाथ हटाना पड़ा क्योंकि वो जगह तो भट्टी की तरह दहक रही थी।
श्रुति भी थोड़ा सा मचली, पर फिर से स्थिर हो गई।
मैं धीरे धीरे, उसकी चोली की गाँठ ढीली करने लगा।
अब मेरा हाथ आराम से, उसकी चोली के भीतर जा सकता था।
मैंने एक लंबी साँस भरी और अपना हाथ धीरे धीरे, उसकी चूची की तरफ बड़ाने लगा।
मेरा लण्ड एक दम तन गया था और शॉर्ट में एक टेंट बन रहा था।
जब मेरी उंगली ने उसकी निप्पल को छुआ तो श्रुति के मुँह से, सिसकारी निकल पड़ी।
मैंने फ़ौरन उसका मुँह अपने हाथ से दबा दिया और उसके कान में फुसफुसाया – कोई आवाज़ नहीं, वरना मारे जाएँगे.. !!
अंदर चाचा ने, अपनी रफ़्तार बढ़ा दी थी।
जमुना अपने दोनों पैरो को फैला कर लेटी थी और चाचा उस पर चढ़े हुए थे।
घच घच.. !! पच पच.. !! फॅक फूच.. !! आवाज़ हो रही थी।
चाचा दे दाना दान, दे दाना दान चोद रहे थे और जमुना चीख रही थी।
वो आनंद के सागर में, पूरी तरह डूबी हुई थी।
बहुत मज़ा आ रहा है, मालिक.. !! और ज़ोर से, करो ना.. !! और फिर जमुना का जिस्म अकडने लगी वो चिल्लाई – अन्म आह इस्स.. !! आह आह अहहहाहा आह अह आ आ अहहा.. !! इयै याया आ आ या अय हेया.. !! आह आह अहहाहा हहाहा आइ इह इयाः आह.. !! आ आ आ आ स स स स स स स स स.. !! इनहया याः इया या या या या या ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह.. !! उई माआअ.. !!
चाचा, अब पूरी रफ़्तार से जमुना की चूत को रौंदने लगे।
फिर, एक साथ दोनों की साँस रुक गई और चिल्लाते हुए दोनों झड़ गये।
चाचा जमुना के ऊपर ही, निढाल हो कर गिर पड़े।
जमुना ने अपने पैरों को चाचा की कमर से लपेट लिया आर चाचा को अपनी बाहों में भर लिया और लेटे लेटे हाँफने लगे।
जमुना ने उनको एक प्यारा सा चुंबन दिया और पस्त हो कर, लेट गई।
ये सब देख कर, श्रुति की हालत खराब हो रही थी।
उसको लग रहा था की उसकी चूत में जैसे, “आग” लगी हो।
मेरा सहलाना उसको, अच्छा लग रहा था।
मैंने जब उसकी एक चूची को दबोचा तो वो तिलमिला गई और फिर जब मैंने उसके निप्पल को टच किया तो वो थरथरा गई और उठ कर खड़ी हो गई।
मेरा हाथ उसकी चूची पर ही था, मैंने हौले से उसको फिर से दबाया तो उसने मेरा हाथ हटा दिया और वहाँ से निकल गई।
वो ठीक से, चल नहीं पा रही थी।
शायद इतना सब कुछ देख कर, खुद को संभाल पाना उसके लिए संभव ना था।
मैं भी उसके पीछे पीछे, वहाँ से निकल आया।
वो सीढ़ियों पर सहारा ले कर, चढ़ रही थी।
मैं भी उसके पीछे पीछे, ऊपर चढ़ा।
वो मेरे कमरे के सामने थोड़ा रुकी और आगे बढ़ गई।
मैने सोचा – आज नहीं तो फिर कभी नहीं.. !!
उसने अभी अभी, अपनी “माँ” को चुदते देखा है।
इंसान ही तो है।
ज़रूर “गरम” हो गई होगी।
इससे अच्छा मौका, मुझे मिलने वाला नहीं था।

मैंने उसका हाथ पकड़ कर, अपनी तरफ खींचा और बिना विरोध के वो मेरी बाहों में आ गई।
मैंने उसे धकेलते हुए, अपने कमरे में ले आया और अपने बेड की तरफ धकेला।
वो मेरे बिस्तर पर, भड़भाड़ा कर गिर पड़ी।
जैसे उसमें, कोई जान ही नहीं बची हो।
मैंने उसे पानी पिलाया और उसकी तरफ देखने लगा।
वो मारे शरम के, आँखें बंद कर के लेटी हुई थी।
मैंने हिम्मत की और आगे बढ़ा।
मैंने उसकी चुचियों को उसकी चोली के ऊपर से ही सहलाने लगा।
उसने एक बार आँख खोल कर, मेरी तरफ देखा और फिर आँखें बंद कर लीं।
मेरा हौसला अब बढ़ गया।
मैंने उसे एक साइड मैं धकेला और फिर उसकी चोली की सारी डोरी खोल दी।
उसने आँखें बंद कर रखीं थीं और उसी तरह उसने अपने हाथों को आगे सीने पर बाँध लिया।
मैंने उसकी बाहों को सहलाते हुए, उसके हाथों को हाटने की कोशिश की पर उसने नहीं हटाए।
मैं मुस्काराया।
वो शर्मा रही थी।
मैंने झुक कर, उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और उसे चूसने लगा।
श्रुति ने, कोई प्रतिक्रिया नहीं की।
मैंने फिर और ज़ोर से, उसके होठों को अपने होठों में दबाते हुए एक लंबा सा किस किया।
मैं उसके होंठ, ज़ोर ज़ोर से चूस रहा था।
फिर मैंने अपनी जीभ उसके होठों को ज़ोर दे कर खोलते हुए, उसके मुँह में डाल दी।
मुझे भी उसकी जीभ की हरकत महसूस हुई और फिर तो जैसे, हम एक दूसरे के होठों से ही पीने की कोशिश कर रहे थे।
मैं उसकी जीभ चूस रहा था तो कभी, वो मेरी जीभ चूस रही थी।
मैं धीरे से उसकी बगल में लेट गया और मेरे हाथ, उसके जिस्म पर चारों तरफ फेरने लगा।
मेरी साँसें गरम हो रही थी।
मैं बिल्कुल पगला गया था और श्रुति की साँस भड़क रही थी।
उसकी पहली सिसकारी सुनाई दी, मुझे – उन्म:
मैं और जोश में आ गया और ज़ोर लगा कर, उसका हाथ उसके सीने से हटा दिया और पीछे हाथ डाल कर, उसकी चोली निकाल फेंकी।
उसने झट से, अपने हाथों से अपना सीना ढँक लिया।
मैंने उसकी आँखों में आँखें डाल कर, उसका हाथ वहाँ से हटा दिया।
जैसे, एक “बिजली” सी चमकी।
उसके दोनों “अमृत कलश” मेरे सामने थे। पूरे नंगे।
मैंने उसकी आँखों में झाँका और अपने होंठ उसके गोल, गोरे, बेहद मुलायम स्तन पर गड़ा दिए।
उसकी अन्ह: निकल गई और वो – इस्स स स स स स.. !! सिसकारियाँ लेने लगी।
मेरे दोनों हाथ, उसके नग्न उरेज को मसल रहे थे।
साहब, कितना मज़ा आ रहा था की मैं बयान नहीं कर सकता।
मैं पहले तो धीरे से और फिर पागलों की तरह उसके चुचक चूसने और मसलने लगा।
श्रुति, हाँफती हुई बोली – धीरे.. !! धीरे.. !! बहुत दर्द होता है.. !!
लेकिन, मुझे होश कहाँ था।
मन कर रहा था की उसकी पूरी चूची को ही, अपने मुँह में घुसा लूँ।
उसके निप्पल, एकदम सख़्त हो गये थे।
एक “किशमिश के दाने” के बराबर पर उसे चूसने और काटने में बड़ा ही आनंद आ रहा था।
श्रुति के मुँह से लगातार सिसकारियाँ फुट रही थीं – नहीं स स स स स.. !! उन्हम्मह म म म म म.. !! आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ.. !!
उसके हाथ, मेरे बालों में घूम रहे थे और वो अपने हाथों से मेरा सिर अपने छाती में दबा रही थी।
अचानक, श्रुति ने अपने दोनों पैर ऊपर उठाए और मेरी कमर पे लपेट दिए।
उसकी साँस, धौकनी की तरह चल रही थी।
हम दोनों ही, पसीने में नहा चुके थे।
मैं धीरे धीरे, नीचे की तरफ बढ़ रहा था।
मेरे हाथ, उसके जिस्म को चूमते ही जा रहे थे।
मैं नाभि पर आ कर रुक गया।
एक छोटा सा छेद था।
नाभि का छेद, बहुत ही संवेदनशील होता है।
मैंने अपनी जीभ उस छेद में घुमाई तो श्रुति कराह उठी – उन्हम्म.. !! इनयः इस्स उफ्फ फूहस आह हह आ आ आ आह उन्म आह आ हह आह.. !!
मैं धीरे धीरे से उसकी नाभि को काट रहा था और चूस रहा था।
हम दोनों काफ़ी गरम हो चुके थे और हमारे मुँह पूरे लाल हो गये थे।
मैं फिर ऊपर आ गया और कभी उसके होठों को तो कभी उसके दूध को चूस रहा था।
 
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