16
अमर ने काली को नीचे बेड पर लिटा दिया और काली ने अपनी आंखें खोली। काली ने मुस्कुराकर अपने प्रेमी मालिक को इशारे से अपने पास बुलाया और दोनों एक दूसरे से लिपट कर लेट गए।
काली, “मालिक, अगर मैं आप से कुछ मांगू तो आप मना तो नहीं करोगे ना?”
अमर मुस्कुराकर, “क्या चाहिए?”
काली मुस्कुराकर, “जब से हम मिले हैं आप ने बस मुझे दिया है मुझसे कुछ भी लिया नहीं है।”
अमर, “कल रात मैंने तुमसे कुछ अनमोल लिया है। वह भी तुम्हारे डरने के बावजूद!”
काली शर्माकर, “हां पर उसके लिए भी मुझे आप को मनाना पड़ा! (अमर के गाल पर हाथ रख कर) क्या मैं आप के लिए कुछ कर सकती हूं? कुछ जो आप चाहते हैं?”
अमर हिचकिचाया और काली खुश हो गई।
काली, “मैं जानती थी कि कुछ तो जरूर होगा! बताइए ना!!… मैं आप के लिए कुछ करना चाहती हूं!”
अमर, “काली… इस बारे में मैंने सिर्फ पढ़ा सुना है। शायद तुम्हें पसंद नही आयेगा। मेरी girlfriend ने अपने पहले प्रेमी के साथ किया था पर मुझे कभी नहीं दिया। बीवी तो… मुमकिन ही नहीं था!”
काली, “क्या है? आप की गर्लफ्रेंड ने पहले किया था तो इतना भी मुश्किल नहीं होगा!”
अमर, “दरअसल मेरी girlfriend ने कहा था कि उसमे औरत को मजा नहीं आता।”
काली अमर के होठों को चूमकर, “इस घर में हम बस औरत मर्द हैं। तो क्यों न सब कुछ आजमा लें?”
अमर मुस्कुराकर, “काली मैं तुम्हारी गांड़ मारना चाहता हूं! क्या तुम कोशिश करना चाहोगी?”
काली असमंझस में, “वहां सब गंदा होता है। (अमर का चेहरा गिर गया तो काली सोचते हुए) लेकिन जब आप ने अपनी उंगलियां डाल कर उस को सहलाया था तो बाद में अच्छा लगा था।”
अमर मुस्कुराकर, “अगर तुम्हारी टट्टी होने के बाद करें तो गंदगी नही होती।”
काली, “मैं अभी जाती हूं। मुझे कुछ और करना होगा?”
अमर मुस्कुराकर, “नहीं काली। मैं सब संभाल लूंगा।”
काली टॉयलेट में गई और उसने दरवाजा बंद कर लिया। अमर ने दौड़ते हुए bed को खाली कर दिया और तेल की शीशी bed के किनारे रख कर अपने कपड़े उतार कर बैठ गया। जैसे कुछ ही पलों बाद अमर ने काली की रोनी सी आवाज सुनी।
अमर ने टॉयलेट का दरवाजा खोला तो काली सिसक रही थी।
अमर, “काली रोना नहीं! अगर तुम नहीं करना चाहती तो कोई जबरदस्ती नहीं है!”
काली सिसकते हुए, “मैं करना चाहती हूं पर अब हो नहीं रहा है।”
अमर मुस्कुराकर, “मेरे पास इस मुश्किल का इलाज है।”
अमर ने काली को टॉयलेट की फर्श पर घुटनों पर बैठने को कहा और गांड़ धोने के लिए लगे फव्वारे की टोटी निकाली। अब वहां पर एक छोटा nozzle एक बॉटल के ढक्कन में से निकाल कर लगाया और nozzle के नुकीले छोर पर तेल लगाया।
अमर ने काली के बगल में बैठ कर उसके माथे को चूमते हुए उसका सर उठाया। काली उत्तेजित होने लगी और अमर ने काली को चूमते हुए अपनी लंबी उंगलियों से काली की चूत को सहलाया। काली जल्द ही आहें भरने लगी।
अमर अब रुक सकता था पर वह काली को जलता छोड़ना नहीं चाहता था। अमर ने काली की चूत में अपना अंगूठा डाल कर उसके यौन मोती को सहलाने लगा। काली सिसकते हुए अमर को पकड़ कर आहें भरने लगी।
अमर ने काली के बदन में बनती कंपकपी महसूस की ओर उसने अपने यौन रसों से भीगे अंगूठे को आगे पीछे करना तेज कर काली के यौन मोती को सहलाया। काली जब झड़ने के कगार पर पहुंच गई तब अमर ने अपने अंगूठे को काली की जवानी में से निकालकर उसकी गांड़ पर घुमाते हुए पहले मोड़ तक घुसा कर।
काली दर्द और उत्तेजना के मिश्र एहसास से अमर के मुंह में चीख पड़ी और जोर से झड़ने लगी। अमर काली की गांड़ को अपने अंगूठे से चोदते हुए उसकी जवानी को उकसाता और सहलाता रहा। काली काफी देर तक झड़ते हुए अमर की बाहों में ढीली हो कर गिर गई।
अमर ने अपनी ढीली पड़ी वासना की गुड़िया की गांड़ में से अपना अंगूठा निकाला और उसकी जगह तेल लगा nozzle गहराई तक घुसा दिया। काली बस हल्की सी आह भरकर अमर की बाहों में पड़ी रही।
अमर ने नल चालू कर दिया और काली की गांड़ में ठंडा पानी तेजी से भरने लगा। काली डर कर छटपटाते हुए भागने की कोशिश करने लगी पर अमर ने अपनी गुलाम को पकड़े रखा।
काली का पेट फूलने लगा और वह चीख पड़ी। अमर ने पानी बंद किया और nozzle को निकालकर काली को आजाद किया। काली ने भागते हुए टॉयलेट पर बैठ कर अपनी आतों में जमा पानी उड़ेल दिया।
काली ने अपने चेहरे को अपनी हथेलियों में छुपा लिया और अपने मालिक के सामने टट्टी होने से शर्माकर रोने लगी।
अमर, “काली, रोना नहीं! मैंने ऐसा जान बूझ कर किया ताकि तुम्हारी टट्टी हो सके। इसे enema कहते हैं और यह पेट साफ करने की बिलकुल आम तकनीक है।”
काली समझ गई कि उसी ने अमर से गांड़ साफ करने की मदद मांगी थी जो अमर ने उसे दी।
काली शर्माकर मुस्कुराई, “तो अब आप मेरी गांड़ मारेंगे?”
अमर, “यहां नहीं। Bed पर! तुम्हारा बदन अच्छे से लूटते हुए!”
काली शरमाई पर उसका पूरा बदन उत्तेजना की लाली से जल उठा।