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Kaali is to marry in 3 years. Guess what happens


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Lefty69

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Lefty69

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चंदा की चूत में अमर का लौड़ा निचोड़ा गया जब उसने झड़ते हुए अमर को पुकारा। अमर फटी आंखों से चंदा की बंद आंखें देखता रहा। अगर कल रात उसने काली को गर्भवती करने में ना बिताई होती तो वह अब तक झड़ कर पस्त हो चुका होता।


अमर ने अपनी प्रेमिका को चूमते हुए उसकी आंखों पर से पट्टी हटाई। चंदा ने सिसकते हुए अपनी आंसू भरी आंखों को खोल कर अपने प्रेमी को अपने मन की सच्चाई बताई।


अमर चंदा को चूम कर, “चंदा, तुम कभी मेरी गुलाम नहीं थी। तुम किसी और अमर…”


चंदा ने अपने सर को उठाकर अमर को चूमते हुए चुप कराया।


चंदा, “अगर मैं आप की गुलाम नहीं तो मैं अपना चुनाव करने का अधिकार रखती हूं! है ना? (अमर ने अपने सर को हिलाकर हां कहा) तो मैं आप से प्यार करने का चुनाव कर सकती हूं! यह मेरा चुनाव है! आप मुझे मना कर सकते हैं वह आप का चुनाव होगा। पर आप एक आजाद लड़की को उसका चुनाव करने से रोक नहीं सकते!”


चंदा के शब्दों में सच्चाई की ताकत थी पर आंखों में उसके दिल को समझने की मिन्नतें थी। अमर ने चंदा को चूम कर गले लगाया।


अमर, “चंदा, मैं तुमसे…”


चंदा अमर की बात काटते हुए, “17 साल बड़े हैं? दुबारा शादी ना करने की ठान चुके हैं? मुझे पढ़ा लिखा कर मेरे गुरु या पिता समान हैं? कल रात काली दीदी के साथ बिता कर लौटे हैं? आप को लगता है कि मैं यह बातें नहीं जानती?”


चंदा ने अपनी कलाई को घुमाकर हथकड़ियों को खोल दिया। अपनी हथेलियों में अमर का परेशान चेहरा लेकर,
“UPSC पास हो गई तो मुझसे पूछा जायेगा की क्या मैं इस राज्य में रहना पसंद करती हूं। मैं जानती हूं कि मैं आप की जिंदगी की अकेली औरत नहीं रहूंगी। मैंने खुद इस बारे में सोचा है! पर क्या पहले मर्द और औरत के बीच इतनी उम्र का अंतर नहीं रहा? आप मेरे गुरु और पिता समान होकर भी मेरी यौवन की प्यास बुझा सकते हो तो क्या मेरे प्रेमी होकर ऐसा नहीं कर सकते? मैं आप से प्यार करती हूं! आप जैसे हैं वैसे ही आप मेरे हैं! क्या आप मुझे…”


अमर ने चंदा को प्यार से चूम कर, “चंदा, मैं तुमसे प्यार करता हूं। मेरा सब कुछ तुम्हारा है। पर तुम्हें अपने भविष्य को ध्यान में रखकर चुनाव करना चाहिए। तुम्हारे IAS बनने के बाद तुम्हें तबादले लेने होंगे और मैं तुम्हारे साथ नहीं आ पाऊंगा। जब तुम आगे बढ़कर बड़े लोगों से मिलेगी तब 45 साल की खूबसूरत और तेज अफसर का पति 62 साल का थका हुआ रिटायर्ड बूढ़ा होगा। और क्या तुम बच्चे नहीं चाहती? मैं बुढ़ापे में उनका खयाल कैसे रख पाऊंगा?”


चंदा, “अगर मैंने आप को चुना है तो मैं इन सब जिम्मेदारियों के बारे में सोच चुकी हूं। आप बस मुझे प्यार कीजिए!”


अमर ने मुस्कुराकर चंदा को प्यार से चूमते हुए अपने दिल की भावनाओं को अपने बदन से बताना शुरू किया। अमर ने चंदा की गीली आग में से अपना लोहा बाहर खींच कर सुपाड़े तक बाहर निकाला और धीरे धीरे चंदा की चूत को दुबारा भरने लगा। चंदा ने अपने प्यार का इज़हार कर अपने दिल को हल्का कर दिया था। वह अब खुशी से अपने प्रेमी को अपनी बाहों में लेकर अपने ऊपर खींचते हुए अपने बंधे पैरों से अपनी कमर उठाकर साथ दे रही थी।


“मां!!…
आह!!…
आह!!…
आह!!!…”


चंदा की हर चीख अमर को भड़का रही थी। अमर ने अपने लौड़े पर से काबू निकालकर अपने यौवन को खुला छोड़ दिया। चंदा की चीखती जवानी में अपना फनफनाता घोड़ा दौड़ाते हुए अमर ने अपने घोड़े को चंदा का पानी 3 बार पिलाया।


तीसरी बार अमर के घोड़े ने चिघाड़ते हुए चंदा की उपजाऊ कोख में अपना बीज बोया और थक कर चूर हो गया।


अमर ने चंदा के ऊपर से हटने की कोशिश की तो चंदा ने उसे रोक दिया। चंदा ने अमर की पीठ पर अपने नाखूनों से निशान बनाकर उस पर अपना अधिकार जताया था।


थोड़ी देर बाद अमर ने चंदा की एडियां खोली और दोनों प्रेमी एक दूसरे से लिपट कर सो गए। रात में एक बार अमर ने चंदा की बहती गर्मी से जाग कर सोती हुई चंदा को अपने प्यार से भर दिया। सबेरे चंदा ने सोते हुए अमर के घोड़े तो जागते हुए महसूस किया और उसकी घुड़सवारी कर उसे खूब पानी पिलाया।
 
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Chanda is Amar's girlfriend now. So she is no longer a slave. Is this the happy ending that Amar deserves?
 
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Chanda is Amar's girlfriend now. So she is no longer a slave. Is this the happy ending that Amar deserves?

I think this is the happy ending that Amar deserves, but you can add the other incidents in their upcoming life
 

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अमर और चंदा एक दूसरे में खोकर सब कुछ भूले नहीं। सुबह को नहाते हुए चंदा की मीठी गांड़ मार कर अमर हॉस्पिटल चला गया और चंदा पढ़ाई करने लाइब्रेरी। दोनों ने दोपहर को मिलकर काली ने भेजा खाना खाया।


अमर, “तुम्हें कैसे पता चला कि मैं काली के पास था?”


चंदा, “मुझे पता था कि उस दिन कोई medical conference नहीं था। काली ने मुझे बताया था कि वह दोनों बच्चे के लिए कोशिश कर रहे थे पर हो नही रहा था। आप ने जिन दिनों के लिए छुट्टी ली थी उन्हीं दिनों के लिए वृषभ भैय्या आपके फार्महाउस को मांग रहे थे। बाकी मैंने जोड़ लिया।”


अमर, “पर तुम्हें कैसे पता चला कि मैं जल्दी लौट आऊंगा?”


चंदा अमर को चूमकर, “मुझे आप पर भरोसा है। आप अपनी हवस के लिए किसी का संसार नहीं उजाड़ सकते।”


कुछ पल अमर की बाहों की गर्मी में बिताकर चंदा वापस पढ़ाई में लग गई। एक जवान लड़की को अपने आगोश में लेकर उसे प्यार से चूमना और उसे बिना चोदे छोड़ देना अमर के लिए नया अनुभव था। अमर ने रात को चंदा के लिए एक बढ़िया pen लाया जो उनके प्यार और रिश्ते की निशानी बन गया।


अमर अपनी गुलाम को अपनी प्रेमिका बनाकर खुश था। दोनों प्रेमी अकसर बातें करते और शरीर के सुख के साथ मन के मिलने का अनोखा अनुभव हासिल कर अमर बेहद संतुष्ट था।


एक महीने बाद वृषभ और काली अमर को मिलने आए और उन्होंने काली के पैर भारी हो जाने की खबर दी। चंदा और अमर ने काली और वृषभ को बधाइयां दी और उन्हें खुशी खुशी विदा किया।


काली के गर्भवती हो जाने की खबर सुन कर वृषभ के माता पिता जैसे खुशी से खिल उठे। काली की मां को भी बंगाल से बुलाया गया और काली के लिए मानो हर दिन एक त्योहार बन गया। काली को अपने परिवार संग देख कर चंदा खुश थी पर उसे अपनी मां और बहन का धोखा उतना ज्यादा महसूस हो रहा था।


जून महीने में जब चंदा ने UPSC PRELIMS की परीक्षा दी तब काली का चौथा महीना चल रहा था। क्योंकि डॉक्टर गीता सोलंकी ने वृषभ को काली से संबंध बनाने से मना किया था पर वृषभ अपनी गर्भवती पत्नी से दूरी नहीं रख पा रहा था। काली वृषभ को इस बात के लिए डांटती पर मन ही मन खुश भी होती।


वृषभ अब हर सुबह और रात अपनी पत्नी के फूलते हुए पेट को सहलाते हुए उसकी गांड़ मारता। काली भी खुशी खुशी अपने पति का साथ देते हुए मजे लेती।


अक्टूबर में हुई UPSC mains की परीक्षा के लिए अमर ने छुट्टी ली और वह खुद चंदा को छोड़ने और लेने जाता। चंदा भी अमर के भरोसे अपनी पढ़ाई पर ध्यान रखते हुए अपने ध्येय पर अडिग बनी रही।


नवंबर के अंत में काली को प्रसव वेदना होने लगी और उसे Dr सोलंकी के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। पूरे परिवार के साथ होने वाले बच्चे के दोनों बाप वहां पर हाजिर थे। लगभग पूरे दिन का इंतजार करवाने के बाद काली को delivery room में ले जाया गया। हालांकि वहां वृषभ का आना मना था पर अमर को काली का डॉक्टर होने के नाते अंदर जाने दिया गया।


काली को बेटा हुआ यह खबर अमर ने बाहर आकर वृषभ को दी। सब लोगों ने पल भर के लिए हरे कपड़े में बंधे नवजात शिशु को देखा और फिर उसे उसकी थकी हुई मां के सुपुर्द कर दिया गया।


चंदा ने काली का खयाल रखते हुए हॉस्पिटल में दो रातें बिताई और मां बेटे का निर्मल रिश्ता देखा। वृषभ अक्सर अपने बेटे को दूध पीते हुए देखता और काली को चूम कर शुक्रिया अदा करता।


दिसंबर के अंत में UPSC mains के results आए और चंदा को फरवरी में दिल्ली बुलाया गया। चंदा नहीं जानती थी कि interview के लिए उसे क्या करना होगा। चंदा ने इस बारे में अमर और Dr गीता सोलंकी से पूछा क्योंकि वही उसके पहचान के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे लोग थे। गीता सोलंकी ने डरते हुए चंदा को एक ऐसे इंसान का नाम और पता दिया जो एक लब्ज़ से किसकी जिंदगी बना या बिगाड़ सकता था।


चंदा मानव शाह से मिलने उसके दफ्तर में गई तो उस प्रभावशाली व्यक्तिमत्व से मानो उसकी आंखें चौंधिया गई। दोपहर को चंदा को रोते हुए देख कर अमर ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके रोने की वजह पूछी।


चंदा, “डॉक्टर गीता सोलंकी के पहचान के मानव शाह से interview की तयारी के लिए गई थी। उन्होंने मुझे कई मुश्किल सवाल पूछे जिनका जवाब में नहीं दे पाई। फिर उन्होंने मेरे बाबा और गांव के बारे में पूछा। मुझे बहुत बुरा भला कहा और घर भेज दिया।”


अमर ने इस शाह की चाल समझ कर, “तो तुम उसे छोड़ दोगी? नहीं! तयारी करो! जवाब ढूंढो! डर लगेगा पर निडर दिखो! अपने आप पर विश्वास कर उसका सामना करो!”


चंदा ने अपने आंसू पोंछे और अमर को गले लगाकर पढ़ाई में लग गई। अगले दिन सुबह मानव शाह ने दुबारा फोन कर चंदा को इंटरव्यू की अपॉइंटमेंट दी तो चंदा तयार थी।


इसी तरह अब चंदा रोज सुबह मानव शाह से मिलती और बाकी दिन भर पढ़ाई करती। जनवरी के अंत तक मानव शाह और चंदा के बीच दोस्ती नहीं तो साझेदारी बन गई थी। मानव शाह को देख कर उसके मन को समझना नामुमकिन था पर मानव शाह ने चंदा और अमर के दिल्ली आने जाने और रहने का जिम्मा उठाकर चंदा में अपना विश्वास दिखाया।


मानव शाह का ड्राइवर उसकी बेहद कीमती गाड़ी लेकर जब चंदा और अमर को उनके सफर के लिए लेने आया तो अमर के सारे पड़ोसी उस गाड़ी को ताकते रह गए। जब अमर ने ड्राइवर से टिकट के बारे में पूछा तो वह मुस्कुराकर बोला की उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी।


जुहू की हवाई पट्टी पर मानव शाह के निजी हवाई जहाज में चंदा की मुलाकात काम्या से हुई। काम्या ने चंदा को शुभ कामनाएं देते हुए उनके होटल की बुकिंग के कागजात और होटल की गाड़ी के कागजात दिए। चंदा को विश्वास नहीं हो रहा था कि यह उसकी जिंदगी का दूसरा हवाई सफर है और यह भी निजी हवाई जहाज से हो रहा है।


चंदा हिचकिचाते हुए काम्या से, “आप जानती हो ना की अगर मैं चुनी गई तो भी मैं आप को गलत कामों में मदद नहीं करूंगी। क्या आप सच में मुझे ऐसे मदद करना चाहती हैं?”


काम्या ने हंसकर चंदा को गले लगाते हुए, “ओह!!… इसी लिए पापा को तुम इतनी पसंद आई। तुम जैसों की देश को जरूरत है। अब बिना किसी संकोच के जाओ और पैनल को जीत के आना।”


चंदा चुपके से, “मानव शाह जी को मैं पसंद नहीं हूं। वह मुझे बहुत डांटते हैं।”


काम्या, “वह ऐसे ही हैं! अगर उन्हें तुम काबिल नहीं लगती तो वह पहले ही दिन तुम्हारी तारीफ करते और दुबारा कभी नहीं बुलाते!”


चंदा और अमर UPSC interview की तयारी करते हुए दिन भर की देश विदेश की खबरें पढ़ते हुए जल्द ही दिल्ली पहुंच गए। एक दिन जल्दी पहुंचने की वजह दोनों ने दिल्ली की थोड़ी सैर की और UPSC interview की जगह भी देखी।


अगले दिन सुबह चंदा इतनी डरी हुई थी कि वह अपने डर को भुलाने के लिए दो बार अमर की सवारी कर उसे निचोड़ कर नहाने चली गई। साड़ी पहन कर तयार चंदा बहुत सुंदर और शांत लग रही थी। चंदा ने कोई जेवर या make up नहीं पहना था। उसकी दहिनी कलाई पर गुलामी का कड़ा और बाईं कलाई पर घड़ी छोड़ उसके पास कोई आभूषण नहीं थे।


चंदा अकेली जाना चाहती थी इसी लिए वह होटल की गाड़ी में अकेली बैठ कर इंटरव्यू के लिए चली गई। अमर चंदा का इंतजार करते हुए होटल के कमरे में बैठा रहा।
 

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अमर और चंदा एक दूसरे में खोकर सब कुछ भूले नहीं। सुबह को नहाते हुए चंदा की मीठी गांड़ मार कर अमर हॉस्पिटल चला गया और चंदा पढ़ाई करने लाइब्रेरी। दोनों ने दोपहर को मिलकर काली ने भेजा खाना खाया।


अमर, “तुम्हें कैसे पता चला कि मैं काली के पास था?”


चंदा, “मुझे पता था कि उस दिन कोई medical conference नहीं था। काली ने मुझे बताया था कि वह दोनों बच्चे के लिए कोशिश कर रहे थे पर हो नही रहा था। आप ने जिन दिनों के लिए छुट्टी ली थी उन्हीं दिनों के लिए वृषभ भैय्या आपके फार्महाउस को मांग रहे थे। बाकी मैंने जोड़ लिया।”


अमर, “पर तुम्हें कैसे पता चला कि मैं जल्दी लौट आऊंगा?”


चंदा अमर को चूमकर, “मुझे आप पर भरोसा है। आप अपनी हवस के लिए किसी का संसार नहीं उजाड़ सकते।”


कुछ पल अमर की बाहों की गर्मी में बिताकर चंदा वापस पढ़ाई में लग गई। एक जवान लड़की को अपने आगोश में लेकर उसे प्यार से चूमना और उसे बिना चोदे छोड़ देना अमर के लिए नया अनुभव था। अमर ने रात को चंदा के लिए एक बढ़िया pen लाया जो उनके प्यार और रिश्ते की निशानी बन गया।


अमर अपनी गुलाम को अपनी प्रेमिका बनाकर खुश था। दोनों प्रेमी अकसर बातें करते और शरीर के सुख के साथ मन के मिलने का अनोखा अनुभव हासिल कर अमर बेहद संतुष्ट था।


एक महीने बाद वृषभ और काली अमर को मिलने आए और उन्होंने काली के पैर भारी हो जाने की खबर दी। चंदा और अमर ने काली और वृषभ को बधाइयां दी और उन्हें खुशी खुशी विदा किया।


काली के गर्भवती हो जाने की खबर सुन कर वृषभ के माता पिता जैसे खुशी से खिल उठे। काली की मां को भी बंगाल से बुलाया गया और काली के लिए मानो हर दिन एक त्योहार बन गया। काली को अपने परिवार संग देख कर चंदा खुश थी पर उसे अपनी मां और बहन का धोखा उतना ज्यादा महसूस हो रहा था।


जून महीने में जब चंदा ने UPSC PRELIMS की परीक्षा दी तब काली का चौथा महीना चल रहा था। क्योंकि डॉक्टर गीता सोलंकी ने वृषभ को काली से संबंध बनाने से मना किया था पर वृषभ अपनी गर्भवती पत्नी से दूरी नहीं रख पा रहा था। काली वृषभ को इस बात के लिए डांटती पर मन ही मन खुश भी होती।


वृषभ अब हर सुबह और रात अपनी पत्नी के फूलते हुए पेट को सहलाते हुए उसकी गांड़ मारता। काली भी खुशी खुशी अपने पति का साथ देते हुए मजे लेती।


अक्टूबर में हुई UPSC mains की परीक्षा के लिए अमर ने छुट्टी ली और वह खुद चंदा को छोड़ने और लेने जाता। चंदा भी अमर के भरोसे अपनी पढ़ाई पर ध्यान रखते हुए अपने ध्येय पर अडिग बनी रही।


नवंबर के अंत में काली को प्रसव वेदना होने लगी और उसे Dr सोलंकी के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। पूरे परिवार के साथ होने वाले बच्चे के दोनों बाप वहां पर हाजिर थे। लगभग पूरे दिन का इंतजार करवाने के बाद काली को delivery room में ले जाया गया। हालांकि वहां वृषभ का आना मना था पर अमर को काली का डॉक्टर होने के नाते अंदर जाने दिया गया।


काली को बेटा हुआ यह खबर अमर ने बाहर आकर वृषभ को दी। सब लोगों ने पल भर के लिए हरे कपड़े में बंधे नवजात शिशु को देखा और फिर उसे उसकी थकी हुई मां के सुपुर्द कर दिया गया।


चंदा ने काली का खयाल रखते हुए हॉस्पिटल में दो रातें बिताई और मां बेटे का निर्मल रिश्ता देखा। वृषभ अक्सर अपने बेटे को दूध पीते हुए देखता और काली को चूम कर शुक्रिया अदा करता।


दिसंबर के अंत में UPSC mains के results आए और चंदा को फरवरी में दिल्ली बुलाया गया। चंदा नहीं जानती थी कि interview के लिए उसे क्या करना होगा। चंदा ने इस बारे में अमर और Dr गीता सोलंकी से पूछा क्योंकि वही उसके पहचान के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे लोग थे। गीता सोलंकी ने डरते हुए चंदा को एक ऐसे इंसान का नाम और पता दिया जो एक लब्ज़ से किसकी जिंदगी बना या बिगाड़ सकता था।


चंदा मानव शाह से मिलने उसके दफ्तर में गई तो उस प्रभावशाली व्यक्तिमत्व से मानो उसकी आंखें चौंधिया गई। दोपहर को चंदा को रोते हुए देख कर अमर ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके रोने की वजह पूछी।


चंदा, “डॉक्टर गीता सोलंकी के पहचान के मानव शाह से interview की तयारी के लिए गई थी। उन्होंने मुझे कई मुश्किल सवाल पूछे जिनका जवाब में नहीं दे पाई। फिर उन्होंने मेरे बाबा और गांव के बारे में पूछा। मुझे बहुत बुरा भला कहा और घर भेज दिया।”


अमर ने इस शाह की चाल समझ कर, “तो तुम उसे छोड़ दोगी? नहीं! तयारी करो! जवाब ढूंढो! डर लगेगा पर निडर दिखो! अपने आप पर विश्वास कर उसका सामना करो!”


चंदा ने अपने आंसू पोंछे और अमर को गले लगाकर पढ़ाई में लग गई। अगले दिन सुबह मानव शाह ने दुबारा फोन कर चंदा को इंटरव्यू की अपॉइंटमेंट दी तो चंदा तयार थी।


इसी तरह अब चंदा रोज सुबह मानव शाह से मिलती और बाकी दिन भर पढ़ाई करती। जनवरी के अंत तक मानव शाह और चंदा के बीच दोस्ती नहीं तो साझेदारी बन गई थी। मानव शाह को देख कर उसके मन को समझना नामुमकिन था पर मानव शाह ने चंदा और अमर के दिल्ली आने जाने और रहने का जिम्मा उठाकर चंदा में अपना विश्वास दिखाया।


मानव शाह का ड्राइवर उसकी बेहद कीमती गाड़ी लेकर जब चंदा और अमर को उनके सफर के लिए लेने आया तो अमर के सारे पड़ोसी उस गाड़ी को ताकते रह गए। जब अमर ने ड्राइवर से टिकट के बारे में पूछा तो वह मुस्कुराकर बोला की उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी।


जुहू की हवाई पट्टी पर मानव शाह के निजी हवाई जहाज में चंदा की मुलाकात काम्या से हुई। काम्या ने चंदा को शुभ कामनाएं देते हुए उनके होटल की बुकिंग के कागजात और होटल की गाड़ी के कागजात दिए। चंदा को विश्वास नहीं हो रहा था कि यह उसकी जिंदगी का दूसरा हवाई सफर है और यह भी निजी हवाई जहाज से हो रहा है।


चंदा हिचकिचाते हुए काम्या से, “आप जानती हो ना की अगर मैं चुनी गई तो भी मैं आप को गलत कामों में मदद नहीं करूंगी। क्या आप सच में मुझे ऐसे मदद करना चाहती हैं?”


काम्या ने हंसकर चंदा को गले लगाते हुए, “ओह!!… इसी लिए पापा को तुम इतनी पसंद आई। तुम जैसों की देश को जरूरत है। अब बिना किसी संकोच के जाओ और पैनल को जीत के आना।”


चंदा चुपके से, “मानव शाह जी को मैं पसंद नहीं हूं। वह मुझे बहुत डांटते हैं।”


काम्या, “वह ऐसे ही हैं! अगर उन्हें तुम काबिल नहीं लगती तो वह पहले ही दिन तुम्हारी तारीफ करते और दुबारा कभी नहीं बुलाते!”


चंदा और अमर UPSC interview की तयारी करते हुए दिन भर की देश विदेश की खबरें पढ़ते हुए जल्द ही दिल्ली पहुंच गए। एक दिन जल्दी पहुंचने की वजह दोनों ने दिल्ली की थोड़ी सैर की और UPSC interview की जगह भी देखी।


अगले दिन सुबह चंदा इतनी डरी हुई थी कि वह अपने डर को भुलाने के लिए दो बार अमर की सवारी कर उसे निचोड़ कर नहाने चली गई। साड़ी पहन कर तयार चंदा बहुत सुंदर और शांत लग रही थी। चंदा ने कोई जेवर या make up नहीं पहना था। उसकी दहिनी कलाई पर गुलामी का कड़ा और बाईं कलाई पर घड़ी छोड़ उसके पास कोई आभूषण नहीं थे।


चंदा अकेली जाना चाहती थी इसी लिए वह होटल की गाड़ी में अकेली बैठ कर इंटरव्यू के लिए चली गई। अमर चंदा का इंतजार करते हुए होटल के कमरे में बैठा रहा।

Shandar update he Bhai,

Chanda ab IAS ban jayegi, aur amar ke sath khushi khushi rahegi
 
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