Star Lover
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Please have a Suhagraat scene between Kali, Chanda & Amar with Vrushab acceptance.Sorry for the delay but got busy in work.
Back now but please do give me your suggestions and comments
Please have a Suhagraat scene between Kali, Chanda & Amar with Vrushab acceptance.Sorry for the delay but got busy in work.
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Position | Benifits |
---|---|
Winner | 3000 Rupees + ![]() |
1st Runner-Up | 1500 Rupees + ![]() |
2nd Runner-UP | 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) |
3rd Runner-UP | 750 Rupees + 1000 Likes |
Best Supporting Reader | 750 Rupees ![]() |
Members reporting CnP Stories with Valid Proof | ![]() |
Nice update[parsehtml]
<div style="background-image: linear-gradient(to left, #FA8072 , #2AC9CB) ;color:#FFFFFF;padding:10px;border-radius:8px;text-align:left;">
<div style="float: left; margin-right: 8px;margin-bottom: 5px; text-align:center;">
</div><center><b>Hello everyone. </br></b></center>
<center><b></br> We are Happy to present to you The annual story contest of XForum </b> </br>
</br><marquee width="100%" direction="left" height="60px" scrollamount="3"behavior="alternate">
<b style=" color:#D6175C ;font-size:18px;"> "The Ultimate Story Contest" (USC).</b></marquee></center>
<hr style="border: 2px dashed white;" />
<b> Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.
</br></br>Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo <b style="color:red;">minimum 700 words and maximum 7000 words</b> tak ho sakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. . Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain.
</br></br>Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.</br>
</br>
<b style="color:black;"><b><b style="color:red;">Winning Writers ko Awards k alawa Cash prizes bhi milenge jinki jaankaari rules thread mein dedi gayi hai, Total 7000 Rupees k prizes iss baar USC k liye diye jaa rahe hain, sahi Suna aapne total 7000 Rupees k cash prizes aap jeet shaktey hain issliye derr matt kijiye or apni kahani likhna suru kijiye.</b></b></b>
</br></br><b style="color:red;">Entry thread 7th February ko open hoga</b> matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 28th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar shakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.
</br></br>Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.
</br>
</br></br>
Rules Check karne ke liye is thread ka use karein — <a href="https://xforum.live/threads/%E2%98%85%E2%98%86%E2%98%85-xforum-ultimate-story-contest-2023-rules-queries-thread-%E2%98%85%E2%98%86%E2%98%85.100760/"><b>Rules & Queries Thread</b></a></br>
</br>Contest ke regarding Chit Chat karne ke liye is thread ka use karein — <a href="https://xforum.live/threads/%E2%98%85%E2%98%86%E2%98%85-xforum-ultimate-story-contest-2023-chit-chat-discussion-thread-%E2%98%85%E2%98%86%E2%98%85.100449/"><b>Chit Chat Thread</b></a></br>
</br>
<hr style="border: 2px dashed white;" />
</br><marquee width="70%" direction="left" height="60px" scrollamount="6"behavior="alternate">
<b style=" color:#D6175C ;font-size:32px;"> Prizes</b></marquee></center>
<style>
table,th, td {
border: 2px solid black;
border-radius: 15px;
font-size:18px
}
</style>
<b><table style="color:#D6175C; width:"100%";>
<tr>
<th >Position</th>
<th>Benifits</th>
</tr>
<tr>
<td>Winner</td>
<td>3000 Rupees + <img src="https://i.ibb.co/LPpRJpd/3.png" width="25px"> Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)</td>
</tr>
<tr>
<td>1st Runner-Up</td>
<td>1500 Rupees + <img src="https://i.ibb.co/ZLwydVW/14.png" width="25px"> Award + 3000 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)</td>
</tr>
<tr>
<td>2nd Runner-UP</td>
<td>1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)</td>
</tr>
<tr>
<td>3rd Runner-UP</td>
<td>750 Rupees + 1000 Likes</td>
</tr>
<tr>
<td>Best Supporting Reader</td>
<td>750 Rupees <img src="https://i.ibb.co/7WsFGR6/15.png" width="25px"> Award + 1000 Likes</td>
</tr>
<tr>
<td>Members reporting CnP Stories with Valid Proof</td>
<td><img src="https://i.ibb.co/WV5SNS1/20210201-185630.png" width="25px"> 200 Likes for each report</td>
</tr>
</table></b>
</br></br></br><b>Regards :- <a href="https://xforum.live/members/?key=staff_members">XForum Staff</b></a>
</br></div>[/parsehtml]
Best Climext ever Read21
शादी के दो दिन पहले अमर को पिता की हैसियत से वृषभ के घर बुलाया गया। अमर ने डरी हुई काली को धीरज दिया की रिवाज के मुताबिक लड़के वालों ने लड़की के लिए स्त्रीधन भेजा है।
काली सोने का पानी चढ़ाए हार और जेवरात देख कर खुश हो गई। अमर ने बड़े भाई की तरह काली के लिए सारे इंतजाम किए।
शादी के दिन दुल्हन की ओर से बहुत ज्यादा लोग नहीं थे। अमर ने जब काली का कन्यादान किया तब काली की आंखों में पानी भर आया। वृषभ अपनी नई नवेली पत्नी को समझ रहा था।
पहली रात को काली फूलों की सेज पर बैठी थी जब वृषभ अपने दोस्तों से पीछा छुड़ाकर अंदर आया। काली कुछ डरी हुई थी तो वृषभ ने उसे अपनी बाहों में लिया और उसे बोलने दिया।
काली, “मैं आप को अपने अतीत के बारे में बताना चाहती हूं।”
वृषभ, “इसकी कोई जरूरत नहीं है। मैं तुमसे प्यार करता हूं और करता रहूंगा। मुझे तुम्हारा साथ हमारे वर्तमान में हमारे भविष्य के लिए चाहिए।”
काली वृषभ की आंखों में देखते हुए, “मैं यह जानती हूं इसी लिए आप को बताना चाहती हूं। मालिक ने दो दिन पहले मेरा कड़ा काट कर निकाला। इस तरह उन्होंने मुझे मेरी आजादी दी। पर मेरा अतीत उतना भी बुरा नहीं जैसा मालिक ने इशारा किया था।”
काली ने अपने परिवार के लिए खुद को बेचना, ट्रक में फुलवा दीदी से मुलाकात, गुलामों की नीलामी में मची भगदड़, खुद अपना सौदा करने की जरूरत यह सब वृषभ को बताया। काली की बातों से वृषभ समझ गया कि अमर की हरकतों से आज कई लड़कियां आजाद हैं।
काली, “मुझे डर था की मालिक मेरा सौदा कर मुझे किसी को बेच देंगे इस लिए मैंने अपनी मर्जी से उन्हें अपनी इज्जत दी। (वृषभ की आंखों में देखते हुए) मेरी जिंदगी में आप दूसरे मर्द और पहला प्यार हैं।”
वृषभ काली को अपने सीने से लगाकर उसके सर को चूम कर, “मैं जानता हूं कि यह सच बताना तुम्हारे लिए कितना मुश्किल रहा होगा। इसी लिए मैं भी अपना एक सच बताऊंगा।”
काली की आंखों में देखते हुए, “मां बाबा को भी यह बात पता नही है पर अफ्रीका जाते हुए मुझे ठग लिए गया था। वह कंपनी हमें गुलामों की तरह रखती थी। एक साल भर बुरी हालत में जीने के बाद अचानक हमारे मालिक हमें जंगल में छोड़ कर भाग गए। हम 7 लोग उनका इंतजार करते रहे जब हमें पता चला की यहां बीमारी फैली हुई है।”
दर्द भरे दिनों को याद करते हुए वृषभ, “10 दिनों तक तेज बुखार और बदन दर्द के बीच हमें पानी तक नसीब नहीं हुआ। 10 दिनों बाद जब आंख खुली तो सिर्फ दो ही जिंदा थे। खाने पानी की तलाश हमें जंगल के कबीले तक ले गई। वह लोग भी बीमार थे। हम दोनों दोस्तों ने कबीले की मदद की। कुछ दिनों बाद कबीले के सरदार ने हमें कबीले का हिस्सा बनाया और अपना सारा धंधा हमारे जरिए करने का वादा किया।”
काली मुस्कुराई, “आप बहुत नेक इंसान हैं। (सोने के हार पर हाथ रख कर) आप का धंधा जैसा भी हो हम हमेशा साथ होंगे!”
वृषभ रहस्यमई मुस्कान से, “शादी में नकली हीरों का नकली हार पहनना तुम्हारा प्यार ही है।”
काली, “आप का दिया है तो नकली कैसे हुआ? आप मेरे हैं तो यह भी मेरा है!”
वृषभ, “जानू, सोमालिया में हीरे और सोना नहीं है पर कबीला सिर्फ सोमालिया की चीजें मुझे नहीं देता। यह सारे हीरे भी असली हैं और सोना भी! (काली ने चौंक कर अपने गले को छू लिया) और हम 3 दिन बाद अपनी कंपनी के हवाई जहाज में घूमने जा रहे हैं!”
वृषभ काली को चौंका कर खुश हो गया। काली ने अपने पति पर सवालों की बरसात कर दी तो वृषभ ने अपनी पत्नी को पति के अधिकार से चुप कराया। सुबह तक काली आहें भरते हुए अपना नाम तक भूल गई। जब वृषभ ने काली को उठाया तब काली को सिर्फ एक सवाल पूछना था,
“क्या वह जड़ी बूटी भी कबीले वालों की देन है? शैतान कहीं के!”
तीन दिन बाद शादी की रस्में पूरी कर दुल्हा दुल्हन हवाई जहाज में बैठ गए। वृषभ अपनी पत्नी के साथ उत्तर पूर्व भारत की सुंदरता में खो गया। वृषभ के आखरी पड़ाव से काली खुशी से झूम उठी।
वृषभ काली को उसके गांव वापस ले गया। काली को अपने पति पर विश्वास था इस लिए वह बिना डरे उसे अपने माता पिता की कच्ची मिट्टी की कुटिया में ले गई। काली के मां बाप उसे खुश और स्वस्थ देख कर रो पड़े। काली का भाई अब बड़ा हो गया था पर उसके पैरों में गिर कर माफी मांगने लगा।
काली, “छोटे अगर मैं तेरे लिए खुद को नहीं बेचती तो इतना प्यार करने वाला पति कैसे मिलता? यकीन से कहती हूं कि यह तुझसे शादी नहीं करते!”
बाप और भाई दामाद को गांव दिखाने ले गए और मां ने काली को गांव की खबर सुनाई।
मां, “साहूकार किसी चक्कर में फंस कर कंगाल हो गया है! तुझे चंदा याद है? वही गोरी चिट्टी पढ़ाकू लड़की… सुना है कि साहूकार उसे 10 हजार में बेच रहा है!”
काली को चंदा याद थी। चंदा काली से 3 साल छोटी पढ़ाकू लड़की थी इस लिए खेलकूद में आती नहीं थी। जब साहूकार ने उनका सारा अनाज हथिया लिया था तब चंदा ने उसे अपनी 3 रोटियां दी थी। काली की सातवी कक्षा तक पढाई भी चंदा की किताबों से हुई थी।
काली सोचकर, “साहूकार का कर्जा कहां है वह पता लगाओ। और हां, उसे कल दोपहर को चंदा को लाने को कहना।”
काली रात को वृषभ को मनाने लगी तो सुबह तक बेचारा हर बात के लिए मान गया। वृषभ ने काली की बताई तयारी पूरी की तब तक काली ने अपने घरवालों को अपने काम बताए।
सुबह 10 बजे साहूकार 18 साल की चंदा को ले आया तब नजारा कुछ ऐसा था।
वृषभ – बदमाश व्यापारी
काली – जिद्दी सेठानी
छोटा भाई – हवा करता नौकर
मां बाप – दूर डर कर खड़े बूढ़ा बुढ़िया
काली को देख चंदा खुश हो गई और उसे पुकार कर आगे बढ़ी।
वृषभ, “क्या इस सुखी टहनी को खरीदना चाहती हो? इस से काफी बेहतर तुम्हें दूसरे गांव में दिलाता हूं!”
चंदा वृषभ की बात सुनकर रुक गई। चंदा को ऐसे लगा मानो वृषभ की आंखें उसे सब के सामने नंगा कर रही थी। चंदा ने अपने कदम पीछे खींच कर लौटना चाहा तो उसके पिता ने उसे पकड़ लिया।
साहूकार, “अरे नही मालिक, जरा इसकी गोरी चमड़ी देखो! बिलकुल बेदाग है! और मैंने इसे अच्छे से खिलाया पिलाया है! देखो इतनी भरी हुई कुंवारी कली पूरे गांव में नहीं मिलेगी!”
वृषभ छोटे को डांट कर, “साले हवा कर! इस घटिया गांव में सब कुछ सड़ा हुआ है! (चंदा का भरा हुआ बदन देख कर) इसे देख कर ही लगता है कि पूरा गांव इसे चोद चुका है। मेरे दोस्त बड़े लोग हैं, उन्हें ऐसा घटिया माल पसंद नही आएगा! दफा हो जाओ! जानू हम कश्मीर की कली खरीद लेते हैं! साली चार बार लूटकर भी कुंवारी लगती है!”
चंदा अपने बाप की पकड़ से खुद को छुड़ाने के लिए छटपटाने लगी तो साहूकार ने उसे थप्पड़ लगाकर नीचे गिरा दिया। काली ने बरसों से जमा गुस्सा एक किया और एक थप्पड़ लगाकर साहूकार को नीचे गिराया।
काली, “अगर इसकी गोरी चमड़ी पर दाग लगा तो इसकी एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिलेगी!”
चंदा को उठाकर उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर काली, “साहूकार, मैं जानती हूं कि तू इसे पनौती मानता है। लेकिन मैं तुझे धोखा नहीं करूंगी। मैं तेरी वजह से 5 हजार रुपए में बिकी थी तो मैं इसे भी 5 हजार में खरीदूंगी। (वृषभ ने विरोध का स्वर दिया) 5 हजार का तेरा कर्जा उतारूंगी या इसे लेकर दफा हो जा!”
साहूकार शराब के कर्जे का सोच मान गया और वृषभ साहूकार को हिसाब करने ले गया।
चंदा, “काली! मैं तेरी सहेली…”
काली, “हां चंदा! तेरे एहसान ही उतार रही हूं। अगर मैं नहीं खरीदती तो तुझे कोई और खरीदता। अब एक और बात सुन, मैं तेरी जवानी को एक खास मर्द को पेश करूंगी। अगर तूने उसे ऐसे खुश किया की वह तुझे अपनी गुलाम बनाने को तैयार हो जाए तो तू रण्डी नहीं बनेगी।”
चंदा डरकर, “अगर उसने मुझे अपना गुलाम नहीं बनाया तो?”
काली ने चंदा की हथेली में एक कड़ा रुख कर, “अगर उसने तुझे यह कड़ा पहनाकर अपनी गुलाम बनाया तो मेरे सर से उसका भी कर्ज उतर जायेगा। वरना अगली सुबह से तू सस्ती रण्डी बनकर दिन में बीस से ज्यादा मर्दों में चुधवा कर साल दो साल में मर जाएगी।”
चंदा हताश होकर अपने नए मालिक के पैरों में बैठ कर अपनी जिंदगी का सहारा वह कड़ा देखने लगी। कड़े पर किसी डॉक्टर का नाम पता और फोन नंबर दर्ज किया गया था। अजीब बात यह थी कि कड़े को दो जगह पर काट कर दुबारा वहीं से जोड़ा गया था।
उसी शाम को काली ने अपने माता पिता से विदा ली और छोटे भाई को अच्छे से पढ़ने की सलाह देकर अपने पति के साथ अपनी गुलाम लेकर हवाई जहाज में चढ़ गई। चंदा अपनी बचपन की सहेली को पहचान नहीं पा रही थी।
क्या भूखी होकर भी खुद्दारी से जीने वाली, रोटी के बदले जंगली इमली का सौदा करने वाली काली ये हवाई जहाज में से गुलाम खरीदकर ले जाती औरत थी? क्या 3 सालों में चंदा भी ऐसी पथरदील औरत बन जाएगी?
My Words are lost, Just I can Say wow31
काली ने वृषभ को गेट खोलते हुए देखा और फिर से विरोध किया।
काली, “जी, मुझे यह ठीक नहीं लग रहा।”
वृषभ ने मुस्कुराकर गाड़ी घर के सामने लगा कर, “और मैं फिर से बता रहा हूं कि मुझे अपनी बीवी के साथ दो दिन बिताने में गलत क्या है? अमर सर ने इस घर को इस्तमाल करने की इजाजत दी है। मां दो दिन चंदा के लिए खाना पहुंचाएगी। चंदा अपनी पढ़ाई में इतनी व्यस्त है की उसे इस बात की भनक भी नहीं लगेगी। अमर सर खुद 2 दिन बाहर जा रहे हैं। तो अब मेरी मेमसहाब को बस एक काम करना है।”
काली मुस्कुराकर, “अच्छा! मेरे लिए भी कुछ छोड़ा है? बताओ! मेरा क्या काम है?”
वृषभ शैतानी मुस्कान से, “तुम्हें मेरे लिए एक छोटा शरारती शैतान लाना है!”
काली ने शर्माकर मुस्कुराते हुए, “हटो!… आप भी बड़े वो हो!!…”
वृषभ काली को पकड़ते हुए, “क्या?… क्या हूं?…”
काली अपने आप को छुड़ाकर अंदर भागते हुए, “पकड़ो तो जानो!!…”
वृषभ काली के पीछे घर में गया और काली के साथ हंसी मजाक करते हुए उसे किचन में ले गया। वृषभ ने काली को शिलाजीत और अश्वगंधा का शरबत दिया। काली इसे खुशी खुशी पीकर नहाने चली गई। वृषभ ने काली को उसके चुने हुए खास कपड़े दिए जो पहनकर काली bed पर बैठ गई।
काली, “जी, पिछले 3 दिनों से मैं गरम हूं और डॉक्टर गीता सोलंकी की दी हुई टेस्ट भी बता रही हैं की अभी सबसे सही समय है। (शर्माकर नीचे देखते हुए) अब बस देखते रहेंगे क्या?”
वृषभ मुस्कुराकर, “नहीं। पर ऐसे गिन कर, नाप कर प्यार नहीं होता ना? मैं आज तुम्हारे लिए खास खेल लाया हूं।”
वृषभ ने काली के बगल में बैठ कर उसे एक काली पट्टी दिखाई।
वृषभ काली की आंखों पर पट्टी बांधते हुए, “आज तुम बस मजे करो! ना बच्चे के बारे में सोचना और ना ही मेरे बारे में!”
पट्टी से काली को दिखना बंद हो गया और उसकी बाकी इंद्रियां जैसे जाग उठी। वृषभ ने काली के कंधे को चूमते हुए उसे बेड पर लिटा दिया और उसकी दाईं कलाई को पकड़ कर उठाया। काली कुछ करने से पहले उसकी कलाई को बेड से बांध दिया गया।
काली उत्तेजित हो कर, “जी!!…
यह क्या कर रहे हो? छोड़ो!!”
वृषभ ने काली की बाईं कलाई को बांधते हुए, “जानू तुम बहुत जिद्दी हो! आज तुम्हारी सजा है! आज तुम्हें मेरे बच्चे से भर दिया जायेगा और तुम मुझे रोक नहीं सकती!”
काली अपने पैरों को फैलते हुए महसूस कर, “पर…
मैं तो साथ…
(ऐड़ी को कोने से बंधता महसूस कर) आह!!…
साथ देना चाहती…
(दूसरी ऐड़ी को दूसरी ओर बंधा हुआ महसूस कर) उफ्फ…
चाहती हूं!! छोड़ो ना!!…”
वृषभ, “छोड़ो ना, नही…
अब बस चोदो ना…”
काली को रह रह कर इस घर में, इसी बिस्तर पर मालिक के साथ बनी यादें आंखों के सामने आ रही थी। इसी गद्दे पर काली की चिकनी जवानी ने मालिक के धधकते लोहे पर अपने आप को उसके हिसाब से ढाल लिया था। यहीं मालिक के उबलते रस ने उसकी कोख को अपनी गर्मी से जलाकर भरा था। इन्हीं दीवारों में उसकी वह आह भी गूंज रही थी जब उसने मालिक को अपनी कोरी गांड़ परोसी थी। काली को अब भी अपनी आतों में मालिक की गर्मी महसूस हो रही थी।
वृषभ जवान था, अच्छा प्रेमी था और कबीले की जड़ी बूटी के साथ बेहद चुस्त भी था। पर मालिक के हिसाब से ढले काली के अंदरूनी हिस्से आज भी उसकी कमी महसूस करते थे। काली अपना सब कुछ वृषभ को दे चुकी थी पर वृषभ ने कभी काली की गांड़ मारने की कोशिश नहीं की थी।
मालिक के बारे में सोचते हुए काली की चूत जल उठी और उसकी जवानी में से रसों का झरना बह गया।
वृषभ, “कोई यहां बहुत उतावला हो रहा है? क्या किसी को अपनी खास प्यास बुझानी है? बताओ क्या चाहिए?”
काली, “जी!!… जी मुझे कीजिए!!”
वृषभ ने काली की पैंटी को उतार कर उसकी प्यासी जवानी को खोल दिया। वृषभ की उंगलियों ने अपनी पत्नी को उत्तेजित करने के लिए सहलाना शुरू किया तो वहां पर पहले से बहता झरना पाया।
वृषभ, “हम्मम, किसी को बहुत प्यास लगी है जो इतना पानी बह रहा है! बोलो, क्या करूं?”
वृषभ ने काली की बाईं चूची को पकड़ कर चूस लिया। काली के मम्मे में से जैसे बिजली दौड़ गई और वह उत्तेजना से कराह उठी।
काली अपने पति से राहत मांगते हुए, “चोदो मुझे!…
मेरा बदन जल रहा है! मुझे चोदकर अपने बच्चे की मां बनाओ!”
वृषभ कली के कान में, “जानू, आज मेरा बच्चा लो!”
काली ने वृषभ को जगह बदलते हुए पाया पर विरोध करने से पहले वह दुबारा काली के मम्मे दबाते हुए उसकी गीली पैंटी से उसकी चूत सहलाने लगा।
काली ने आहें भरते हुए वृषभ को बताना शुरू किया की वह कितनी उतावली हो रही है ताकि वह भी गरम हो कर काली पर टूट पड़े। काली ने अपनी एड़ियों को खुलते हुए पाकर राहत की उम्मीद बनाई।
वृषभ पैरों की ओर से फुसफुसाते हुए, “शैतान कहीं की!!…
अभी सबक सिखाता हूं!”
काली के घुटनों को मोड़कर फैलाया गया जिस से उसकी टपकती जवानी की पंखुड़ियां खुल गई। काली ने आह भरते हुए अपने यौन होठों पर अपने प्रेमी के चुम्बन को महसूस किया। काली ने पाया की उसके पैरों को फैला कर मोड़ते हुए दुबारा बांधा जा चुका है पर उसे अपनी भूख से ज्यादा कुछ महसूस नहीं हो रहा था।
काली ने अपनी यौन पंखुड़ियों पर लगे होठों में कुछ अलग महसूस किया और वह चौंक गई। काली ने अपने प्रेमी को अपनी जवानी पर कब्जा करते हुए पाया और अनजाने में अपनी कमर हिला कर उसका साथ देने लगी।
काली के यौन रसों को चूसकर पीते होठों ने ऊपर उठकर उसके यौन मोती को अपने बीच पकड़ कर चूस लिया।
काली चीख पड़ी, “माल्…
मां!!…
आह!!…
जी!!…
जी!!…
वृषभजी!!…”
वृषभ काली के कान में, “हां जानू?”
काली ने चीखते हुए अपने पैरों को बंद करने की कोशिश की पर उसके पैर फैलाकर बंधे हुए थे। काली ने अपने पैरों को मारने की कोशिश की पर वह प्रयास भी विफल रहा।
काली सिसकते हुए, “जी!!…
जी!! मैं आप की पतिव्रता हूं!! जी यह क्या कर रहे हैं आप?…
यह गल…
आह!!…”
अमर की जीभ ने काली की योनि को भेद कर अंदर के जमा रस को चूस कर पी लिया जिस से काली सिहरते हुए झड़ने लगी।
वृषभ काली को चूमते हुए, “शुश…
शुश…
मैं तुम्हारा पति होने के नाते तुम्हें बता रहा हूं कि सोचो मत! सब भूल जाओ और मजे करो!”
काली को एहसास हुआ की उसकी जवानी पर से उसके प्रेमी ने अपने होठों को हटा दिया है। अपने पैरों के बीच हलचल महसूस कर काली आने वाले खतरे को भांप गई।
काली रोते हुए, “जी!!…
जी!! रोकिए इसे!!…
जी!!…”
काली की पंखुड़ियां सुपाड़े से फैल गई और सुपाड़े के नोक ने काली की जवानी को चखा। काली ने डर कर गहरी सांस ली पर तेज हमला नहीं हुआ।
सुपाड़े ने काली को चोदते हुए अपने आप को काली के रसों में भिगोया। काली रो पड़ी क्योंकि उसका बदन इस प्यार भरी चुधाई से खुश हो कर झनझना रहा था। काली चाहती थी कि यह लौड़ा उसे दर्द दे, तड़पते और अधूरा छोड़ दे ताकि वह अपने आप को अपने वृषभ से वफादार माने। पर यह लौड़ा उसकी गर्मी को अपनाता, काली की जवानी को भड़कता और उसके बदन को वासना से जलाता जा रहा था।
धीरे धीरे काली के अंतरंगों को पिघलाते हुए जब चुधते हुए जैसे सदियां बीत गई हों लौड़े की जड़ काली की कली पर दब गई। काली ने सिहरते हुए आह भरी और झड़ने लगी।
काली ने झड़ते हुए पाया की उसके अंदर का लौड़ा हिलने लगा था। काली का झड़ना कुछ कम हुआ तो उसे समझ में आया कि उसका चोदू उसे खास लय में चोद रहा था।
7 छोटे धक्कों के बाद 1 लंबा चाप लगाते हुए उसकी कोख को कुटा जा रहा था। इस तरह से चोदने वाला मर्द गिनती करते हुए अपने स्खलन पर काबू रख पाएगा। लेकिन आंखें बंद होने से अपनी इंद्रियों से मजबूर काली तेजी से अपनी यौन उत्तेजना के चरम पर पहुंच रही थी।
काली हतबल हो कर मदद की गुहार लगाते हुए, “जी!!…
जी!!…
ईई!!…
आ…
आ…
आह!!…
हा!!…
हा!!…
अंह!!…”
काली की चूत में से यौन रसों का फव्वारा फूट पड़ा। काली झड़ते हुए बेहोश हो गई। लेकिन काली की चूत में चलता लौड़ा संयम से उसे चोदता रहा।
बेहोशी में आहें भरती काली बुरी तरह अकड़ते हुए झड़ने लगी और होश में आ गई।
काली चुधते हुए चुपके से, “क…
कौन?…
कौन है?…”
वृषभ ने काली के सिरहाने बैठकर उसकी आंखों पर से पट्टी उठाई। काली ने अपनी आंखें खोली और मालिक को अपनी चूत चोदते हुए देख कर चौंक गई। मालिक को अपनी कोख पर टकराता हुआ महसूस कर काली के अंदर एक साथ कई भावनाएं जाग गई और वह आह भरते हुए झड़ने लगी।
काली आह भरते हुए, “मालिक!!…”
अमर ने काली को अपनी बाहों में लेकर उसके कानों में, “अब मैं तुम्हारा मालिक नहीं हूं! मुझे कुछ और कहो!”
काली के बंधनों को वृषभ ने खोल दिया। काली अपने पहले प्रेमी से लिपट कर उसे अपने गहराई में खींचते हुए चुधने लगी।
काली अमर से चुधते हुए वृषभ को देखकर भावना विवश होकर, “भैय्या!!…
चोदो मुझे भैया!!…”
इस तरह काली की पुकार सुनकर अमर के नियंत्रण से उत्तेजना का धागा छूटा। अमर ने तेज रफ्तार लंबे चाप लगाते हुए काली की कोख को पूरी ताकत से ठोक दिया।
अमर ने कराहते हुए अपने सीने को उठाकर अपनी कमर को हिलाया। वृषभ अमर के स्खलन को पहचान कर काली को चूमने लगा।
काली झड़ते हुए, “जी!!…”
वृषभ, “हां जानू!!…
हां!!…
हां!!…
लो उसे!!…
लो भैय्या की गर्मी लो!!…”
अमर की उबलती धाराएं काल की उपजाऊ मिट्टी में सोख ली गई और काली एक संतुष्ट मादा की आह भरते हुए अपने पति को चूमने लगी। अमर ने अपनी हर बूंद को काली की प्यासी कोख में उड़ेलकर अपने लौड़े को बाहर निकाला। वृषभ से रहा नहीं गया और वह अपनी पत्नी की लूटी पतिव्रता चूत को निहारने लगा। काली ने अपनी तृप्त जवानी के ऊपर से हाथ फेरते हुए अपनी चुधी पंखुड़ियों को सहलाया तो अमर के वीर्य की गाढ़ी बूंद छलक गई।
वृषभ ने अपने मुंह को अपनी पत्नी की योनि पर दबाते हुए अमर के गाढ़े घोल को अपनी जीभ से काली की कोख में दबाना शुरू किया।
Unbelivele, This is My best holi gift ever38
चंदा
मालिक ने मुझसे झूठ कहा कि वह conference में जा रहे हैं। पर उनके जाने से मुझे कुछ सोचने की जरूरत महसूस हुई। जब तक कोई बात खोने का डर ना हो तब तक उसकी एहमियत समझ में नहीं आती।
मैंने कल शाम का पूरा वक्त अपने भविष्य के बारे में सोचते हुए बताया। UPSC PRELIMS अगले महीने थीं और उसके 3 महीने बाद UPSC mains थी। कॉलेज की exams तो मैं आसानी से पार कर गई थी पर अब मेरी सच्ची परीक्षा थी। इस से पहले कि मैं UPSC परीक्षा देकर अपना चुनाव करती मुझे अपने प्यार को परखना था।
मैने तयारी कर ली और कांपते हाथों में चिट्ठी मेज पर रखी। यह मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा जुआ था क्योंकि जिस से मैं अपने दिल को बांटना चाहती हूं उसे तो इस बात की भनक तक नहीं है। वह मेरा गुरु है, मेरा हमराज है और वह तो मुझे पहले ही अपने से दूर रहने की नसीहत दे चुका है। मेरा प्यार ऐसे आदमी के लिए है जो मेरे पिता के उम्र के करीब है।
मैंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली और अपने आप को बेड पर बांध लिया। अगर मेरे मालिक ने मुझे इस हालत में पकड़ा तो वह मुझे पीटेंगे और उसका सामान मेरी दहिनी ओर था। अगर मेरे प्यार ने मुझसे मिलना चाहा तो उसके लिए सामान मेरी बाईं ओर था। मैं नहीं जानना चाहती थीं कि कौन मुझे पाएगा!
आंखें बंद हो तो एक पल एक घंटे के समान लगता है। मैंने अपने डर को काबू में रखने के लिए मन ही मन पढ़ाई को दोहराना शुरू किया। एक पल ऐसा आया की मुझे लगा की 2 दिनों तक घर कोई नहीं आएगा और मैंने अपने आप को छुड़ाने का मन बना लिया जब मेरे कानों में दरवाजे की आवाज आई।
दरवाजे में से कदम मेज तक पहुंच कर रुके। कागज उठा कर रखा गया और कदम बेडरूम के दरवाजे तक आए।
कहीं मालिक जल्दी तो नहीं आ गए?
मालिक ने मुझे ऐसे देखा तो…
नहीं! मुझे अपने प्यार पर विश्वास करना होगा!
दरवाजा खुला और मेरी घंटी नीचे गिर कर बज उठी।
“मुझे ऐसा हर महीने में एक बार करना चाहिए। आप नहीं जानते की इंतजार करते हुए मैंने पूरी पढ़ाई को मन ही मन पूरा कर लिया।
(वह कुछ कहने लगा) अं!!…
कुछ बोलना नहीं!…
बस चुप चाप मुझे लूट लो! आज मैं वह हर औरत हूं जिसे आप हासिल नहीं कर पाए। आप वह मर्द हैं जिसे मैं अपनी मर्जी से अपना सब कुछ देना चाहती हूं!”
वह bed के पैरों की ओर खड़े होकर चुप रहा। मुझसे यह खामोशी सही नहीं गई। उसकी नजरें मेरी मुनिया में आग लगा रही थीं। मेरी मुनिया ने पानी छोड़ते हुए मेरे प्यार को पुकारा।
“अब तक आप ने मेरी दोनों ओर रखा सामान देखा होगा। अब आप को चुनना है कि आप क्या और कैसे इस्तमाल करना चाहते हैं!”
क्या मालिक जल्दी लौट आए हैं? नहीं, अगर वह अभी यहां पर है तो वह मालिक नहीं हो सकता! वह मेरा प्यार है! आओ, मुझे अपने प्यार से भर दो! मुझे अपना बना लो!
वह…
वह मेरी दाईं ओर जा रहा है! मालिक? नही!!…
नही!!…
माचिस की तीली सरसराकर जल उठी और मोमबत्ती की कांच से टकराई। दाईं मेज पर से कुछ आवाज आई। मेरा गला सुख गया और मुनिया बहने लगी।
काले डंडे के पतले सिरे ने मेरे पेट को छू लिया और डर कर मेरी आह निकल गई। डंडे ने मेरे पेट पर निशान बना शुरू किया और मैंने वह अक्षर कहा।
“S”
“A”
“Y… Say”
“M”
“Y… My”
“N”
“A… नहीं!”
“M… नहीं!”
“E… Name. नहीं! मैं अपने प्यार को नहीं पुकारूंगी!”
डंडे ने मेरी नाभि को चक्कर लगा कर नीचे सरकते हुए मेरी मुनिया को छेड़ा। मेरी आह निकल पड़ी और मैंने अपनी हथेलियों से अपने बंधन पकड़ लिए। दाईं ओर की में पर से कुछ उठाया गया।
अब क्या? चाबुक…
या पिघला हुआ मोम?…
मेरी चूचियां डर कर कड़क हो गई।
चाबुक के ऊपर की लंबी चमड़े की पट्टियां मेरी चूचियों को छू गई। डर कर मेरी सांस गले में अटक गई। मालिक?
चाबुक ने मेरे पेट पर निशान बना कर मुझ से दुबारा सवाल पूछा।
“S…A…Y…
M…Y…
N…A…M…E.
नहीं!!”
मैं भी जिद पर अड़ी थी। अगर यह मालिक है तो मैं इसे अपने प्यार का नाम कभी नहीं बताऊंगी! जो करना है कर लें!!…
चाबुक हटा और वह मेरी बाईं ओर आया। कौन है यह?…
कोई चोर?…
पर चोर दिन में?…
और इतना वक्त क्यों जाया करेगा?…
अब मैं पूछ भी तो नहीं सकती थी!
बाईं मेज पर कुछ आवाज आई…
शीशी गिर गई…
pherhormone?
Injection?
कागज फटा…
वह अब चॉकलेट खाएगा?…
कौन है?…
Plastic की आवाज हुई…
cold cream!…
यह कौन है और क्या कर रहा है?
मेरी चीख निकल गई जब ठंडे क्रीम से मेरे पेट पर निशान बनाया।
“S…A…Y… M…Y… N…A…M…E.
नहीं!!…
नहीं!!…”
गरम हथेली ने मेरे पेट पर ठंडे क्रीम को मलते हुए गर्माहट दी। मेरी नाक में उसकी खुशबू आ गई। एक ऐसी लुभावनी खुशबू जिस से मेरी धड़कने तेज हो गई और मेरी मुनिया बरसने लगी।
Pherhormone!!…
उसने pherhormone लगा लिया है!!…
“यह गलत है!…
आप को एक चुनना था!!…”
एक गरम उंगली ने कोल्ड क्रीम लगे मेरे दूदू पर उंगली रख कर फिर से हुकुम दिया।
“S…A…Y… M…Y… N…A…M…E. (सिसककर) नहीं!!”
चॉकलेट की मीठी खुशबू हवा में उड़ने लगी। चॉकलेट की खुशबू भी मेरी धड़कने बढ़ा रही थी। क्या… हो… रहा… है?…
मेरी ठंडी सक्त चूची पर गरम बंद टपक पड़ी और मेरी चीख निकल गई। मालिक ने मेरी चूची पर पिघला हुआ मोम गिरा दिया था!…
पर मोम इतना गरम नहीं था और तुरंत ठंडा हो गया। दूसरी बूंद दूसरी चूची पर गिरी और आह भरते हुए मैं समझ गई। मेरे प्रेमी की शरारत पर मुझे प्यार आया। उसने मुझ पर चॉकलेट टपकाया था।
चॉकलेट मेरी चूचियों पर बरसते हुए मेरे दूदू पर बहकर जमने लगा और मेरी आहें सिसकियां बनकर मेरे प्यार को पुकारने लगी। मैंने अपने होठों को अपने दांतों तले दबाकर अपने प्यार का नाम दबाए रखा।
डंडे के छोर से मेरी बूंड को दबाया गया और मेरी आह निकल गई। डंडा पीटने के लिए था!!… न की!!…
“आह!!…”
डंडे के छोर पर लगे कोल्ड क्रीम की ठंडक मेरी आतों में सामने लगी। गांड़ मरवाने को आदि होने के बावजूद भी मैं इन अनोखी संवेदनाओं से झुलस उठी।
डंडे ने 7 इंच तक अंदर बाहर करते हुए मुझे पूरी तरह फैलाया। मेरे पेट पर चाबुक ने घूमते हुए फिर से आदेश दिया।
“S…A…Y… M…Y… N…A…M…E.
(सिसककर) नहीं!!…
Please…
नहीं!!…”
वह मेरे ऊपर आते हुए अपनी मुट्ठी में डंडा पकड़कर हिलाता रहा और अपनी गरम जीभ से मेरी चूचियों पर जमा ठंडा चॉकलेट चाटने लगा। मैं पागल होने लगी!
इतना दर्द तो जलने में भी नहीं हो सकता! मेरा पूरा बदन उत्तेजना में जलता उसके एक स्पर्श को तड़पता हुआ इंतजार कर रहा था। पर वह जालिम मेरी प्यासी मुनिया को छूने से इंकार कर रहा था!
“Please…
Please मुझे तकलीफ हो रही है!!…
Please मुझे आजाद करा दो!!…
Please!!…
Please!!…”
मेरे कूल्हे उठकर डंडे पर कूद रहे थे, मेरे दूदू चाटे जाने से गर्माका चूसे जाने को तड़प रहे थे और मेरी सुनी पड़ी प्यासी मुनिया अपने प्रेमी के लिए तड़पकर रो रही थी।
मेरा बदन जवानी के ज्वर में जलकर अकड़ते हुए मेरे बंधनों को खींचने लगा जब उसने मेरी मुनिया पर अपने सुपाड़े को छूते हुए मेरे कानों में फुसफुसाकर आदेश दिया,
“मेरा नाम लो!!…”
मैं टूट कर बिखर गई और मेरा बदन कांपते हुए झड़ने लगा। उसका सुपाड़ा मेरी मुनिया को चूमते हुए मेरे अंदर आ गया और मैंने चीख कर अपने प्रेमी को उसके नाम से पुकार कर अपने दिल को भेंट किया।
“अमर!!…”