मुझे माफ़ कर मेरे हमसफ़र, तुझे चाहना मेरी भूल थी....
किसी राह पर यूँ ही एक नज़र, तुझे देखना मेरी भूल थी....
कभी रात से, कभी शाम से, कभी अपने दिल की आवाज़ से,
कभी मालिक-ए-जहान से, तुझे माँगना मेरी भूल थी.....
तन्हा तन्हा रात भर, तुझे सोचता ही रहा मगर,
न समझ सका ये दिल मेरा, यूँ तड़पना मेरी भूल थी.....
तेरी याद आई तो रो दिया, तुझे पा लिया तुझे खो दिया,
मुझे दुःख बस इतना हुआ, यूँ सिसकना मेरी भूल थी......
मुझे माफ़ कर मेरे हमसफ़र, तुझे चाहना मेरी भूल थी....